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Erotica फागुन के दिन चार

Shetan

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डांस बेबी डांस ---मुझको हिप हाप सिखा दे

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म्यूजिक सिस्टम पे ममता शर्मा गा रही थी।

मुझको हिप हाप सिखा दे,

बीट को टाप करा दे,

थोड़ा सा ट्रांस बजा दे,


मुझको भी चांस दिला दे।



और हम लोगों का डांस अब ग्राइंडिंग डांस में बदल गया था। बस हम लोग एक दूसरे को पकड़कर सीधे सेंटर पे सेंटर रगड़ रहे थे दोनों की आँखें बंद थी। मैंने बीच में एक-दो सिप और उसको लगवा दी। वो ना ना करती लेकिन मैं ग्लास उसके होंठों से लगाकर अन्दर।

हम लोग खुलकर ड्राय हम्पिंग कर रहे थे। वो दीवाल की ओर मुड़ी और दीवाल का सहारा लेकर, मेरे तन्नाये हथियार पे सीधे अपने भरे-भरे नितम्ब, उसकी दरार। मैं पागल हो रहा था मेरे हाथ बस उसकी कमर को सहारा दे रहे थे और मेरी कमर भी म्यूजिक की धुन पे गोल-गोल। एकदम उसके नितम्बों को रगड़ती हुई।
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फिर रीत एक पल के लिए मुड़ी। उसने मुझे एक फ्लाइंग किस दिया और जब तक मैं सम्हलता मेरे सिर को पकड़कर एक कसकर किस्सी मेरे होंठी की ले ली और फिर मुड़कर दीवाल के सहारे।

अब वो अपने उभार दीवाल पे रगड़ रही थी, जोर-जोर से चूतड़ मटका रही थी। फिर वो बगल में पड़े पलंग पे पे झुक गई। म्यूजिक के साथ उसके नितम्ब और उभार दोनों मटक रहे थे। जैसे वो डागी पोज में हो।

ये वही पलंग पे था जहां कल रात मैंने चन्दा भाभी को तीन बार।

मैंने झुक के उसके उभार पकड़ लिए हल्के से और गाने के साथ हाथ फिराने लगा। साथ में मेरा खूंटा अब पाजामी के ऊपर से ही।

रीत झुकी थी और गाना बज रहा था-


होगी मशहूर अब तो, तेरी मेरी लव स्टोरी।

तेरी ब्यूटी ने मुझको, मारा डाला छोरी,


थोड़ा सा दे अटेनशन, मिटा दे मेरी टेंशन।

(मैं अब कस-कसकर उसकी चूची मसल रहा था)


आग तेरा बदन है, तेरी टच में जलन है।
तू कोई आइटम बाम्ब है, मेरा दिल भी गरम है।



और वो फिसल के मेरी बांहों से निकल गई।
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और वैसे ही मुड़कर पलंग पे अब पीठ के बल हो गई। अभी भी वो धुन के साथ अपने उभार उछाल रही थी, कुल्हे मटका रही थी, मुश्कुरा रही थी। उसकी आँखों में एक दावत थी एक चैलेंज था। मैंने मुश्कुराकर उसके उभारों को टाईट कुरते के ऊपर से ही कसकर चूम लिया। मेरी दोनों टांगें उसकी पलंग से लटक रही टांगों के बीच में थी।मेरा एक हाथ उसका कुरता ऊपर सरका रहा था और दूसरा पाजामी के नाड़े पे।



गाना बज रहा था। वो लेटे-लेटे डांस कर रही थी और मैं भी।



तू कोई आइटम बाम्ब है, मेरा दिल भी गरम है।

ठंडा ठंडा कूल कर दे, ब्यूटी फूल भूल कर दे।


और मैंने एक झटके में पाजामी का नाड़ा खींचकर नीचे कर दिया।

उसने अपनी टांगें भींचने की कोशिश की पर मैंने अपने टांगें पहले ही बीच में फँसा रखी थी। मैंने उसे और फैला दिया और पाजामी एक झटके में कुल्हे के नीचे कर दिया।

क्या मस्त लेसी गुलाबी पैंटी थी।


पैंटी क्या बस थांग थी एकदम चिपकी हुई एक खूब पतली पट्टी सी। मेरा हाथ सीधे उसके अन्दर और उसकी परी के ऊपर, एकदम चिकनी मक्खन।
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मैंने हल्के-हल्के सहलाना शुरू कर दिया। और दूसरा हाथ कुरते को उठाकर ऊपर कर चुका था। गुलाबी लेसी ब्रा में छुपे गोरे-गोरे कबूतरों की झलक मिल रही थी।

लेकिन जिसने मुझे पागल कर दिया वो थी उन कबूतरों के चोंच। गुलाबी, कड़े, मटर के दाने ऐसे।

कल रात भाभी ने सिखाया था। अगर एक बार परी हाथ में आकर पिघल गई तो समझो लड़की हाथ में आ गई। मेरे हथेली अब रीत की परी को प्यार से हल्के-हल्के सहला रही थी, मसल रही थी।

रीत अब चूतड़ पटक रही थी। गाने की धुन पे नहीं मेरे हाथ की धुन पे।


गाना तो बंद हो चुका था। मेरे अंगूठे ने बस हल्के से उसके क्लिट को छुआ। वो थोड़ा छिपा, थोड़ा खुला लेकिन स्पर्श पाते ही कड़ा होने लगा। दूसरा गाना चालू हो गया था-


शीला की जवानी माई नेम इस शीला। शीला। शीला की जवानी।



मुझे बस लग रहा था की मेरे नीचे कैट ही है। मेरे होंठों ने ब्रा के ऊपर से ही झांकते चोंच को पकड़ लिया और चुभलाने लगे। मेरा अंगूठा और तरजनी थांग को सरका के अब उसकी खुली परी को हल्के-हल्के मसल रहे थे।

अब मुझसे नहीं रहा गया।

मैंने के झटके में उसकी पाजामी घुटने के नीचे खींच दी और उसकी लम्बी-लम्बी गोरी टांगें मेरे कंधे पे।


मेरा जंगबहादुर भी बस उसकी जांघों पे ठोकर मार रहा था, वो खूब गीली हो रही थी। अब मुझसे नहीं रहा गया मैंने एक उंगली की टिप अन्दर घुसाने की कोशिश की। लेकिन एकदम कसी।

मेरा दूसरा हाथ अब खुलकर जोबन मर्दन कर रहा था।
अमेज़िंग मदकता से भरा नशीला अपडेट. अरे आनंद बाबू बड़े नशीब वाले हो जो ऐसी नशीली साली मिली है. जो पिछवादा तुम्हारे खुटे से रगड़ रही है. अब तुम सिर्फ आँखों से काम चलाओगे तो साली तो आगे बढ़ेगी ही ना. हर गाने की थिरकन और रीत का पूछवाडा. अपने जीजा के खुटे पर.

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हर एक गाना भी चुन के बजवाया है. वाह आनंद बाबू काम से काम भौजी की ट्रेनिंग काम तो आई. आगे तो बढे माझा आ गया.
 

Shetan

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गुड्डी -रीत और आनंद
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रीत अपने नितम्ब रगड़ रही थी, सिसक रही थी, मुझे कसकर अपने बांहों में भींचे थी, उसके लम्बे नाखून मेरी पीठ में गड़े हुए थे।


ड्राइव मी क्रेजी। माई नेम इज शीला,

नो बडी हैज गाट बाडी लाइक मी।


“एकदम…” मैंने अपनी कैट के, के कान में कहा और कसकर चूम लिया। मेरे हाथों ने अब उसके उभारों को ब्रा से आजाद कर दिया था।
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तभी आवाज आई- “कहाँ हो। आप लोग?”

गुड्डी बुला रही थी।

मैंने तुरंत उसकी थांग सरका दी। रीत ने झट से उठकर अपनी पाजामी बांध ली। मैंने ब्रा ठीक करके वापस कुरता नीचे कर दिया। हम दोनों उठ गए। उसके चेहरे पे कुछ खीझ, कुछ फ्रस्ट्रेशन। कुछ मजा झलक रहा था। मुझे लगा कहीं वो गुस्सा तो नहीं।

लेकिन रीत तो रीत, बाकी बनारसवालियों को भी मेरे मन की बात सोचने से पहले मालूम हो जाती थी, चाहे गुंजा हो या चंदा भाभी, और ये तो मेरी गुड्डी की भी बड़ी दी,

वो मुड़ी, कस के मुझे बाहों में जकड़ा और अपने दोनों नुकीले उभार, बरछी की तरह मेरी छाती में उतार दिए, कस के रगड़ते हुए उसकी पजामी का सेंटर मेरे खड़े खूंटे पे और क्या रगड़ा है उसने, उसका एक हाथ मेरी पीठ पर और दूसरा नितम्बों पर और बाल झटक के गाती हुयी मुड़ गयी,


" अभी तो पार्टी शुरू हुयी है, अभी तो बस शुरुआत है "
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अपने रसीले नितम्ब मटकाते वो बाहर निकल पड़ी।

पीछे-पीछे मैं।

बाहर निकलते ही गुड्डी ने पूछा- “तुम लोग कर क्या रहे थे? मैंने तीन बार आवाज दी…”

रीत- “अरे यार म्यूजिक सिस्टम ठीक कर रहे थे। फिर सीडी मिल गई तो लगाकर चेक कर रहे थे। तुम्हीं ने तो कहा था की गाने वाने का। गाने की आवाज में कैसे सुनाई देता?” रीत ने ही बात सम्हाली।


गुड्डी बोली- “हाँ गाने की आवाज तो आ रही थी। सलीम की गली वाला। एकदम लेटेस्ट हिट। तो बाहर छत पे लगाओ न…” और उन दोनों ने मिलकर 5 मिनट में म्यूजिक सिस्टम बाहर सेट कर दिया।

रीत बोली, मैं नीचे से जाकर अपने सीडी भी ले आती हूँ, मेरे पास असली भोजपुरी वाले भी हैं, ठेठ बनारसी, "

और वो सीढ़ी से नीचे उतर गयी, और रीत के सीढ़ी पे जाते ही गुड्डी अपने असली बनारसी रूप में आ गयी, बरमूडा फाड़ते मेरे खड़े खूंटे को वो देख रही थी और रीत की पीठ हम लोगों की ओर होते ही, उसने बारमूडा के ऊपर से ही उसे कस के दबोच लिया और साफ़ साफ़ पूछ लिया,

" कुछ हुआ की नहीं, "
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" बस थोड़ा बहुत, " किसी तरह से मैंने बोला और गुड्डी सीधे मुद्दे पर, हाथ अंदर बारमुडे के और बोली,

" साफ़ साफ़ बोल न, अंदर घुसा की नहीं, पानी गिराया की नहीं "

और मेरे कुछ बोलने के पहले ही वो समझ गयी की कुछ ज्यादा नहीं हुआ और एकदम अपनी मम्मी की बेटी वाले रूप में,

" स्साले, तेरी माँ की,... कितना समझाउंगी तुझे, तेरी ससुरालवालियाँ है सब की सब, और समझ तो मैं पहले ही गयी थी जब देखा सिग्नल डाउन नहीं हुआ, ...एक बात समझ ले, अगर यहाँ से तुम भूखे प्यासे गए न तो रात में भी कुछ नहीं मिलेगा, और यहाँ अगर, … तो तेरे मायके में भी रोज दावत दूंगी और क्या पता जिंदगी भर का इसका जुगाड़ हो जाए, "
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और ऐसे लाइफ टाइम ऑफर के आगे रीत और गुंजा क्या, लेकिन तब तक रीत के सीढ़ी पर से आने की आवाज आयी, और गुड्डी का हाथ बाहर और वो थोड़ी दूर खड़ी।

अब गुड्डी रीत के पीछे पड़ गयी, - “हे तुम लोग बातें क्या कर रहे थे?”



रीत ने मुश्कुराकर मेरी ओर शरारत से देखा और फिर गुड्डी की पीठ पे कसकर एक धौल जमाते हुए बोली- “अरे यार। तेरा ये ‘वो’ ना इत्ता सीधा नहीं है जित्ता तुम कहती है वो…”


मेरा दिल धक्-धक् होने लगा कहीं ये?

लेकिन गुड्डी ही बोली- “ये मेरे। ‘वो’ थोड़े ही…”

लेकिन उसकी बात काटकर रीत बोली- “चल दिल पे हाथ रखकर कह दे। ये तेरे ‘वो’ नहीं हैं…”
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गुड्डी पहले तो शर्माई फिर पैंतरा बदल के बोली- “आप भी ना। बताइये न…”


तब तक चन्दा भाभी किचेन से बाहर निकलकर आई, हँसती। और इशारे से मुझे अपने साथ अपने कमरे में चलने को कहा। उनके हाथ में एक पीतल का बड़ा सा डब्बा था। मैं चल दिया।

मुझे डब्बा दिखाकर उन्होंने अलमारी खोली-

“आज सुबह से तुम्हारे लिए बना रही थी। 22 हर्ब्स पड़ती हैं इसमें। साथ में शिलाजीत, अश्वगंधा, मूसली पाक, स्वर्ण भस्म, केसर, शतावर, गाय के घी में बनाया है इसको। सम्हालकर रख रही हूँ याद करके जाने के पहले ले जाना साथ में और उससे भी ज्यादा, आज रात को एक खा लेना…”


मैंने देखा की करीब दो दर्जन लड्डू थे नार्मल साइज से थोड़े ही छोटे। मैंने पूछा- “एक अभी खा लूं?”

चंदा भाभी- “एकदम। वैसे भी तुमने कल रात इतनी मेहनत की थी। इतना तो बनता ही है। मुझे तो लगता था की अब तुम्हारी सारी मलाई निकल गई लेकिन, ससुराल में हो होली का मौका है क्या पता?अरे साली हैं, सलहज है, छोड़ना मत किसी को, वरना मेरी रात की सब पढ़ाई बेकार, ये कोई बुरा मानने वाली नहीं है, और सबसे खुश तेरी वाली होगी, सब बोलेंगी न उससे अरे यार तेरा वाला तो एकदम, ”

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ये कहकर उन्होंने एक लड्डू मुझे खिला दिया और डब्बा अलमारी में रखकर बंद कर दिया।

चंदा भाभी फिर बोली- “चलो बाहर चलो वरना वो सब न जाने क्या सोच रही होंगी?”

वास्तव में रीत और गुड्डी की निगाहें बाहर दरवाजे पे ही लगी थी।
जबरदस्त अपडेट. फुल शारारत से भरा हुआ. आनंद बाबू का ध्यान तो रीत के पिछवाड़े से हट ही नहीं रहा. गुड्डी की भी जबरदस्त शारारत है. खुद से ही पूछ लिया. कुछ हुआ या नहीं. पानी गिरा या नहीं.

वैसे आनंद बाबू तुम्हारी गुड्डी का दिल बहोत बड़ा है. हा हा वो भी. पर देख लो. खुद ही तुम्हारा बंदोबस्त कर रही है. खुद ही समझा रही है. मायके मे भी जुगाड़ तो लगवा ही देगी. वो भी पक्का वाला जुगाड़.

और वाह भौजी. शिलाजीत काजू बादाम वाह वाह. दामाद की शक्ति बढ़ने का पूरा सामान बना कर दे दिया. अरे दामाद है. आते जाते रहेंगे. ससुराल वैलियो को देखते रहेंगे. माझा आ गया.

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Shetan

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रिश्तों की झुरमुट
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“मैंने सुना है की कुछ लोगों को आज एक नया देवर और किसी को नई सेक्सी भाभी मिल गई…” भाभी ने पहले रीत और फिर मुझे देखते हुए हँसकर कहा।


“एकदम…” हँसकर रीत बोली और कहा- “मैं वही कह रही थी की भाभी का हक देवर पे सबसे पहले होता है…”

“अरे वो तो है ही। उसमें कुछ पूछने की बात है। फिर अभी तो इसकी शादी नहीं हुई है इसलिए भाभी का तो पूरा हक है और तुम्हारी भी शादी नहीं हुई है। इसलिए इसका भी हक बटाने वाला कोई नहीं है। लेकिन तुम्हारा इसका एक और रिश्ता है…”चंदा भाभी बोली

रीत हंस के बोली, मालूम है और अब वही रिश्ता पक्का, गुड्डी मेरी छोटी बहन तो उस रिश्ते से, मैं साली, भले ही बड़ी सही, पर साली तो साली और होली में जीजा की रगड़ाई करने का साली का पूरा हक़ है, मैं बड़ी साली और गुंजा छोटी साली, हम दोनों पहले चेक वेक करके देख लेंगे,जम के मजे ले लेंगे, एक एक बूँद रस निचोड़ लेंगे फिर इस बेचारी का नंबर आएगा,
गुड्डी को चिढ़ाती वो खंजननयन बोली
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साली वाला रिश्ता मुझे भी सुहाता था, इसलिए नहीं की साली के ताले में ताली लगाने का मौका मिलेगा, वो बात तो थी ही, लेकिन उससे भी बड़ी बात, उससे मेरे और गुड्डी के ' उस रिश्ते' पे मुहर लगती थी, जिसके लिए मैं कुछ भी कर सकता था, पक्का वाला, जिंदगी भर का। उसकी डांट खाने का मौक़ा ।

और चंदा भाभी ने एकदम सपोर्ट किया, " एकदम, सलहज तो बहुत हैं, अब दो साली भी हो गयीं तो आज तो जबरदस्त रगड़ाई होगी इनकी, लेकिन मैं एक और रिश्ते की बात कर रही थी। "

मेरे कान भी खड़े हो गए

रीत के चेहरे पे प्रश्नवाचक चिन्ह बन आया।

“अरे ये बिन्नो का देवर है…” चन्दा भाभी बोली।

रीत ने कहा- “वो तो मुझे मालूम है उनसे कित्ती बार मिली हूँ। मेरी बड़ी दीदी की तरह हैं इसलिए तो ये मेरे देवर हुए…”

“हाँ लेकिन एक बात और मुझे कल पता चली…” चन्दा भाभी बोली।
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मेरे भी समझ में नहीं आया की चंदा भाभी क्या इशारा कर रही है।

“क्या?” रीत और गुड्डी साथ-साथ बोली।

“अरे बिन्नो की एक ननद है, गुड्डी के साथ की। “ चन्दा भाभी बोली।

” ग्यारहवे में हैं “ बिना सोचे समझे मैं बोला।


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“देखा। कैसे प्यार से याद कर रहे हैं उसे? ये। तुम्हारे देवर कम जीजा ज्यादा …” चंदा भाभी रीत से बोली।

फिर बात आगे बढ़ाई-


“कैसे बोलूं? वो इनसे, बल्की ये उससे फँसे हैं। अब ये बिचारे सीधे साधे। कोई इस उम्र की, जोबन की, तो कोई कैसे मना करेगा। है न?”
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दोनों समझ गई थी की भाभी मुझे खींच रही हैं, और दोनों ने एक साथ हुंकारी भरी- “एकदम सही…”

चंदा भाभी ने फिर रीत से पूछा- “तो वो अगर बिन्नो की ननद लगी तो तुम्हारी भी तो ननद लगेगी…”

“एकदम…” वो बोली और मुझे देखकर मुश्कुरा दी।

“और ये, जो तुम्हारी ननद के यार, बोलो…” चंदा भाभी ने रीत को उकसाया।

“नंदोई…” वो शैतान बोली।

“और तुम क्या लगोगी इनकी…” चंदा भाभी ने फिर टेस्ट लिया।

लेकिन रीत भी रिश्ते जोड़ने में दक्ष हो गई थी, कहा-

“मैं, उस रिश्ते से तो इनकी सलहज लगूंगी। ये मेरे नंदोई और मैं इनकी सलहज और वो रिश्ता तो भाभी से भी ज्यादा। और जीजा साली भी फिर तो ट्रिपल धमाका…” रीत हँसते हुए बोली।

रीत ने अपनी कटीली मुस्कान से जुबना उभार के और जोड़ा,

" तो ये देवर, कम जीजा कम नन्दोई को तो तीन तीन कोट रंग हर जगह लगाना पडेगा, एक बार साली की तरह, एक बार भाभी की तरह और एक बार सलहज की तरह, और इस बात पर तो एक दहीबड़ा और बनता है "





अब तक मैं दहीबड़े का असर देख चुका था लेकिन गुड्डी ने हड़काया " हे मेरी दी दे रही हैं और तुम लेने में सोच रहे हो " और गुड्डी की बात, दहीबड़ा मेरे मुंह में

अब वो रिश्ते जोड़ने में एक्सपर्ट हो गई थी खास तौर से अगर रिश्ता रंगीन हो- “लेकिन एक खास बात और। गुड्डी जा रही है ना इसके साथ आज। तो वो गुड्डी की भी तो अब…” बात चन्दा भाभी ने शुरू की थी, लेकिन पूरी रीत ने की।

रीत- “हाँ। मुझे मालूम पड़ गया है। वो तो अब इसकी भी ननद लगेगी…” रीत चिढ़ाने का मौका क्यों चूकती।
जबरदस्त अपडेट. माझा ही आ गया. रीत तो बड़ी तेज़ है. चंदा भाभी से रिस्ता पूछ लिया. देवर पर सबसे पहला हक़ भाभी का ही होता है. मै तो कहती हु सिर्फ देवर ही नहीं छिनार नंदियों पर भी.

सबने अपने हिसाब से रिस्ता बाँट भी लिया. वाह री रीता. मै बड़ी साली और गुंजा छोटी वाली.

पर तोड़ मरोड़ कर रीता और एक रिस्ता ले आई. बन गई सहलाज. बना लिया नन्दोई. अब साली भी लगी और नन्दोई भी तो माझा आएगा ही. जाने नहीं देगी तुम्हे आनंद बाबू.

गुड्डी भी कोई मौका नहीं छोड़ती. क्या वर्ड यूज़ किये है.
है. मेरी बहन दे रही है. और तुम हो की मना कर रहे हो.

माझा ही आ गया. फुल शारारत.

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Shetan

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आनंद की बहना बिके कोई ले लो,

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गुड्डी कुछ शर्माई, कुछ झिझकी, कुछ खुश हुई। लेकिन बात अब भी मेरे समझ में नहीं आ रही थी।

तो गुड्डी लौटेगी तो उसको भी साथ ले आएगी। अब उसके भैया कम यार तो ट्रेनिग पे चले जायेंगे। वहां वो बिचारी कहाँ ढूँढ़ेगी। और मन तो करेगा ही जब उसको एक बार स्वाद लग जाएगा…” चन्दा भाभी अब फुल फार्म पे थी।

“तभी तो। गर्मी की छुट्टी भी है। एक महीने रह लेगी, नहीं होगा तो गाँव भी ले चलेंगे उसको…” गुड्डी भी मेरे खिलाफ गैंग में जवाइन हो गई थी।


भाभी- “एकदम आम के बगीचे, अरहर और गन्ने के खेत का मजा और जानती हो रीत वो बिचारी बड़ी सीधी है। किसी को मना नहीं करती, सबके सामने खोलने को तैयार। तो फिर जित्ते तुम्हारे भाई हों या और जो भी हों सबको अभी से बता दो…”
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“ये तो बहुत अच्छी बात बताई आप ने भाभी। थोड़ी बिलेटेड होली मना लेंगे वो। उसका भी स्वाद बदल जाएगा। वेरायटी भी रहेगा…वैसे माल है कैसा, इस स्साले का, "

रीत ने गुड्डी को उकसाया और गुड्डी को मौका मिल गया,

" एकदम मस्त, टनाटन, रसभरी जलेबी ऐसी, बड़ी बड़ी आँखे, चिकने चिकने गाल, रसीले होंठ और सबसे बड़ी बात बहुत सीधी है किसी को मना नहीं करती"



" अच्छा अब याद आया, वही न जिसकी तारीफ़ कल आप लोग कर रही थीं, आनंद की बहना बिके कोई ले लो, नीचे तक सुनाई पड़ रहा था, भाभी आप ने सही कहा जब उसपे सारे बनारस वाले चढ़ेंगे तो ये तो फिर स्साले ही हुए "

रीत ने और जले पर नमक छिड़का, आयोडीन युक्त , रीत दुष्ट।


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लेकिन गुड्डी उससे भी एक हाथ आगे। गुड्डी बोली- “अरे राकी भी तो है अपना, वो भी तो भाई की तरह है…”

“और क्या चौपाया है तो क्या हुआ। है कितना तगड़ा, जोरदार…और हम लोगो की रक्षा करता है तो इस लिहाज से भाई ही तो हुआ”

रीत आँख नचाकर मुझे देखती बोली।

तब मेरी समझ में आया की दूबे भाभी का एक लाब्राडोर कुत्ता। कल शाम को भी उसका नाम लगाकर चन्दा भाभी ने एक से एक जबरदस्त गालियां सुनाई थी।


“लेकिन वो ना माने तो, नखड़ा करे तो?” गुड्डी ने शंका जताई।

“अरे तो हम लोग किस मर्ज की दवा हैं। अपने भाई से नैन मटक्का और हम्मरे भाइयों से छिनालपना? साली को जबरदस्ती झुका देंगे घुटनों के बल। हाथ पैर बाँध देंगे और पीछे से राकी। एक-दो बार हाथ पैर पटकेगी। लेकिन जहाँ तीन-चार दिन लगातार। आदत पड़ जायेगी उसको…और ये कातिक वातिक वाली बात मत बोलना की कैसे, ...अगर कातिक में कुतिया गर्माती हैं, तेरा माल तो बारहो महीना गरमाया रहेगा, और हमारे रॉकी को दिन महीना का फरक नहीं है, एकदम टनाटन, ... वो तेरा माल घोंट लेगी न सीधे से या जबरदस्ती, गाँठ बन गयी तो खुदे, ”

रीत ने समझाया।
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“और क्या पूरे 8” इंच का है उसका और एक बार जब अन्दर घुसाके मोटी गाँठ पड़ जायेगी अन्दर। हाथ पैर खोल भी दोगी, लाख चूतड़ पटकेगी, निकलेगा थोड़ी। दो-चार बार के बाद तो राकी को खुद ही आदत लग जायेगी। जहां उसको निहुराया। आगे वो खुद सम्हाल लेगा…”

चंदा भाभी फगुना रही थी।

एक का जवाब देना मुश्किल था, यहाँ तो तीनों एक साथ। मैं चुपचाप मुश्कुराता रहा।
रीत को तो मौका मिल गया था मुझे छेड़ने, रगड़ने का, मेरी ठुड्डी छू के मेरा चेहरा उठाते हुए बोली,

" जिज्जू कम स्साले ज्यादा, एकदम मत घबड़ाना अपनी जानेमन के लिए, मैं रहूंगी न, वैसे भी रॉकी को मैं ही देखती हूँ, अरे कितने लोग आते हैं अपनी अपनी कुतीया को ले कर, बस मैं, आँगन में एक चुल्ला लगा है, उसी में कुतीया की चेन बाँध देती हूँ, थोड़ी देर तो उछल कूद करेगी, भौजी कल आप लोग इनके माल का क्या नाम लगा के गुणगान कर रही थीं,

" एलवल वाली " चंदा भाभी और गुड्डी दोनों साथ साथ बोली, उस के मोहल्ले का नाम,

और रीत चालू हो गयी,

" हाँ तो उसी तरह से निहुरा के, सीधे से नंही मानेगी तो मैं और गुंजा रहेंगी न, जबरदस्ती, एकदम कुतीया की तरह, उसी चेन से बाँध देंगी बस। और जो कुतिया आती हैं थोड़ी देर तो खूब उछल कूद करती हैं लेकिन संमझ जाती हैं की अब ये चेन छूटने वाली नहीं, और फिर रॉकीआता है, थोड़ी देर पीछे से चाटता है तो एकदम गरमा जाती हैं। तो उस एलवल वाली को, तेरे माल को, उसी तरह चाट चूट के गरम कर देगा , देखना तेरी वो बहना, खुद टाँगे फैला देगी, फिर मैं रॉकी को एक बार चढ़ा दूंगी, और एक बार घुस गया तो बस सटासट, सटासट, और असली मजा तो तब आएगा जब गाँठ बन जाएगी अंदर, तुम्हारी मुट्ठी से भी मोटी,"

रीत से भी ज्यादा मजा चंदा भाभी ले रही थीं, बोलीं

" और क्या एक बार गांठ बन गयी, फिर तो चेन छोड़ भी देंगी तो निकाल नहीं पाएगी खुल के, रीत एकदम सही कह रही है, तेरी असली साली है, तेरे साथ तेरी बहन का भी फायदा सोच रही है। "

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रीत को तो मौका चाहिए था उसने चंदा भाभी की बात को आगे बढ़ाया,

" अरे फायदे तो बहुत होंगे तेरी उस एलवल वाली को, देख एक तो डॉगी पोज की प्रैक्टिस हो जाएगी, तुम्हारा भी फायदा जब मन करे बहन को निहुरा के, दूसरा एक बार उसकी चम्पा चमेली को गाँठ की आदत पड़ जायेगी, फिर तो कितना भी मोटा होगा, आराम से निगल लेगी न तेल क खर्चा न वेस्लीन की जरूरत।

“लेकिन मैं ये कह रही थी की जब इसकी बहन पे तुम्हारे सारे भाई चढ़ेंगे। तो ये क्या लगेगा तुम्हारा…” चन्दा भाभी ने बात पूरी की।

दोनों बड़े जोर से खिलखिलायी, रीत मुझे देखकर हँसकर बोली- “साले. बहनचो…”


बात और शायद बढ़ती लेकिन चंदा भाभी ने पहली बार मेरे चेहरे को ध्यान से देखा और बड़े जोर से मुश्कुरायीं। मेरे पास आकर उन्होंने अपनी उंगली से मेरी ठुड्डी पे रखकर मेरा चेहरा उठाया और गौर से देखने लगी। हाथ फेरकर गाल पे उनकी उंगली मेरी नाक के नीचे भी गई और मुश्कुराकर वो बोली-

“चिकनी चमेली…”


गुड्डी की ओर उन्होंने प्रशंशा भरी नजरों से देखा। उसका भी चेहरा दमक उठा। भाभी ने नीचे मेरे बर्मुडा की ओर देखा, फिर गुड्डी की ओर। गुड्डी ने बड़ी जोर से हामी में सिर हिलाया। चंदा भाभी ने मेरे गालों पे एक बार फिर से हाथ फिराया, प्यार से सहलाया,

और रीत की ओर देखा,
अब क्या करें आनंद बाबू बेचारे. उनकी बहेनिया बार बार दाव पर जो लग जाती है. अरे बाबू रिस्ता ही ऐसा है. बचना चाहो तो भी बच नहीं सकते. पर बचना तो तुम भी नहीं चाहते. आनंद बाबू की बहेनिया के नाम पर तो सारे मिल गए.

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Shetan

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खेलूंगी मैं रस की होली,
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रीत समझ गयी बोली, भाभी अब आगे का काम हम दोनों का, ऐसा सुन्दर सिंगार करेंगे इस दुलहिनिया का,

और चंदा भाभी किचन में, छत पर सिर्फ हम तीनो, लेकिन रीत ने गुड्डी से अपने मन का डर बताया,

" ये स्साला, जिसकी बहन पे हमारा रॉकी चढ़ेगा, ज्यादा उछल कूद करे तो, "

और उसका हल गुड्डी के पास था।

“वो जिम्मेदारी मेरी…”
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गुड्डी अधिकार पूर्वक बोली और जोर से कहा स्टैचू।

ये गेम हम पहले खेलते थे और दूसरा हिल नहीं सकता था। अब मेरी मजबूरी। गुड्डी का हुकुम। मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था हिलने को। मैं मूर्ति बनकर खड़ा हो गया। पीछे से गुड्डी ने अपने नाजुक हाथों से मेरी कलाई पकड़ ली। कभी कच्चे धागे हथकड़ियों से भी मजबूत हो जाते हैं।


उधर रीत मुझे दिखाती हुई, हँसती हुई तरह-तरह की पेंट की ट्यूब उसने निकाली और अपनी गोरी-गोरी हथेली पे मिलाने लगी। पहले बैगनी, फिर काही, फिर स्लेटी। एक से एक गाढ़े रंग। फिर वो मेरे कान में गुनगुनाई-

“बहुत हुई अब आँख मिचौली…”

मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई। रीत का बदन मेरी पीठ को पीछे से सहला रहा था। मेरी पूरी देह में एक सुरसुरी सी होने लगी। उसके उभार कसकर मुझे पीछे से दबा रहे थे। एक आग सी लग गई। ‘वो’ भी अब 90° डिग्री पे आ गया।

उसने फिर मेरे कान में गाया, गुनगुनाया और उसके गुलाबी रसीले होंठ मेरे इअर लोब्स से छू गए। बहुत हुई अब आँख मिचौली। जीभ की टिप कान को छेड़ रही थी। उन्चासो पवन चलने लगे। काम मेरी देह को मथ रहा था और जब उसकी मादक उंगलियां मेरे गालों पे आई। बस लग रहा था मेरे पीछे कैट ही खड़ी है।

बहुत हुई अब आँख मिचौली, खेलूंगी मैं रस की होली,

खेलूंगी मैं रस की होली, रस की होली, रस की होली।
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उसकी उंगलियां मुझे रस में भिगो रही थी। रस में घोल रही थी देह की होली, तन की होली, मन की होली। मैं सिहर रहा था भीग रहा था, बस लग रहा था कटरीना की वो प्यारी उंगलियां। पहले तो हल्के-हल्के फिर कसकर मेरा गाल रगड़ने लगी।


मैंने आँखें खोलने की कोशिश की तो बड़ी जोर से डांट पड़ी- “आँखें बंद करो ना…”

फिर तो उंगलियों ने पहले पलकों के ही ऊपर और फिर कस-कसकर गालों को मसलना, रगड़ना। हाँ वो एक ओर ही लगा रही थी और होंठों को भी बख्श दिया था। शायद उसे मेरे सवाल का अहसास हो गया था। कान में बोली-

“दूसरा गाल तेरे उसके लिए।"


दोनों हाथों का रंग एक ही गाल पे। कम से कम पांच-छ कोट और एक हाथ जो गाल से फिसला तो सीधे मेरे सीने पे। मेरे निपलों को पिंच करता हुआ।

मेरे मुँह से सिसकी निकल गई।

रीत- “अभी से सिसक रहे ही। अभी तो ढंग से शुरूआत भी नहीं हुई…”

और ये कहकर मेरे टिट्स उसने कसकर पिंच कर दिए और मुझे गुड्डी को आफर कर दिया-

“ले गुड्डी अब तेरा शिकार…” और ये कहकर उसने मेरे गाल पर से हाथ हटा लिया।

मैंने आँखें खोलकर शीशे में देखा- “उफफ्फ। ये शैतान। कौन कौन से पेंट। काही, स्लेटी। चेहरा एकदम काला सा लग रहा था और दूसरी ओर अब गुड्डी अपने हाथ में पेंट मल रही थी। एक वार्निश के डिब्बे से सीधे। सिलवर कलर का। चमकदार।


गुड्डी रीत से बोली- “हे मैंने कसकर पकड़ रखा था जब आप लगा रही थी तो अब आप का नंबर है। कसकर पकड़ियेगा जरा भी हिलने मत दीजिएगा…”
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“एकदम…” रीत ने पीछे से मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए। लेकिन वो गुड्डी से दो हाथ आगे थी। उसने हाथ पकड़कर सीधे अपनी पाजामी के सेंटर पे ‘वहीं’ लगा दिए और अपने दोनों पैरों के बीच मेरे पैरों को फँसा दिया।

गुड्डी ने अपने प्यारे हाथों से मेरे गाल पे सफेद सिल्वर कलर का पेंट लगाना शुरू कर दिया और मैं भी प्यार से लगवा रहा था। उसने पहले हल्के से फिर कस-कसकर रगड़ना शुरू कर दिया।

मैं गुड्डी के स्पर्श में डूबा था।

उधर रीत ने मेरी दोनों हथेलियों को अपनी पाजामी के अन्दर और जैसे ही मेरा हाथ ‘वहां’ पहुँचा। कसकर उसने अपनी गदराई गोरी-गोरी जांघों को भींच लिया। अब न तो मेरा हाथ छूट सकता था, और ना मैं उससे छुड़ाना चाहता था।
वाह होली याद करते ही कोमलजी पक्का याद आ जाती है. क्या अपडेट लिखा है. साली सजनी और होली एक साथ बस स्टेचू कर के मन मर्जी कर ही ली. माझा आ गया कोमलजी. अमेज़िंग.

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komaalrani

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Wonderful writing Komal ji. No words to describe your excellence.
Thanks so much.
 

Rajizexy

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फागुन के दिन चार -भाग १०

रीत - म्यूजिक, मस्ती, डांस

१,२५,४१६


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अंदर से बनारस की गोरी आवाज दे रही थी, आओ न मैं म्यूजिक लगा रही हैं। मैं कौन था जो होरी में गोरी को मना करता, मैं रीत के पास.

--

रीत म्यूजिक सिस्टम की एक्सपर्ट थी। झट से उसने सेट कर दिया, और बोली- “कोई सीडी होती तो लगाकर चेक कर लेते…”

“सही कह रही हो। देखता हूँ…” मैं बोला- “कल रात मैंने देखा था…” तभी मिल गईं वहीं मेज के नीचे, और एक मैंने उसे दे दिया।

झुक के वो लगा रही थी लेकिन मेरी निगाहें उसके नितम्बों से चिपकी थी, गोल मटोल परफेक्ट। लगता था उसकी पाजामी को फाड़कर निकल जायेंगी और उसके बीच की दरार, एकदम कसी-कसी। बस मन कर रहा था की ठोंक दूं। उसी दरार में डाल दूं । क्या मस्त गाण्ड थी।
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आनंद बाबू पर बनारसी भांग का नशा चढ़ रहा था, आँखे गुलाबी हो रही थीं। गोदौलिया वाले नत्था के एक गुलाबजामुन का असर इतना होता था की भौजाइयां देवरों को खिला के अपने नन्द पर चढ़ा देती थीं और रीत के दहीबड़े में तो उसका दुगना और फिर दो दहीबड़े तो चौगुना भांग आनंद बाबू के अंदर पहुँच चुकी थी और अब धीरे धीरे उनके सर पर सोच पर चढ़ रही थी, ऊपर से रात भर की चंदा भाभी की सीख, किसी की प्यास बुझाने से न पनिहारिन का घड़ा खाली होता है न कुंवा सूखता है, और सामने खड़ी पनिहारिन की आँखे खुद उन्हें बुला रही थीं, उकसा रही थीं और उसके जोबन, उफ़,

आनंद बाबू के हाथों ने जबसे गुंजा की हवा मिठाई का स्वाद लिया था, खुद ढक्क्न उठा के कैसे दर्जा नौ वाली ने अपने आते जोबन उन्हें पकड़ा दिए थे,
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और अब रीत के उभार, ये तो और भी, जैसे सामने पहाड़ देख के पर्वतारोही के पांव आपने आप उठ जाते हैं, ऐसे मस्त जोबन देख के उनके हाथ भी खुजला रहे थे,



भांग का नशा, रीत के जोबन का नशा और रात में चंदा भाभी के जोबन को रगड़ा मसला और सुबह सुबह गुंजा ऐसी किशोरी का,… तो ये किशोरी रीत, उसके जोबन, सारी झिझक, हिचक भांग में धीरे धीरे घुल रही थी और सामने बस मस्त रीत थी, उसके गदराये जोबन, भरे भरे हिप्स थे



तब तक वो उठकर खड़ी हो गई। उसकी आँखों ने नशा झलक रहा था। झुक के उसने ग्लास उठाया और होंठों से खुद लगाकर एक बड़ी सी सिप ले ली।

क्या जोबन रसीले। बस मन कर रहा था की दबा दूं, चूस लूं और तब तक म्यूजिक चालू हो गया।

भांग का असर अब रीत पर भी पड़ रहा था, गुलाबजामुन के साथ स्प्राइट में भी तो आधी वोदका मिली थी।




अनारकली डिस्को चली,

अरे छोड़ छाड़ के अपने सलीम की गली,

अरे होए होए। छोड़ छाड़ के अपने सलीम की गली।



साथ-साथ रीत भी थिरकने लगी।
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मैं खड़ा देख रहा था।

वो मस्त नाचती थी। क्या थिरकन, लय। और जिस तरह अपने जोबन को उभारती थी। जोबन थे भी तो उसके मस्त गदराये। दुपट्टा उसने उतारकर टेबल पे रख दिया था। उसने मेरा हाथ पकड़कर खींच लिया, और बोली-



“ये दूर-दूर से क्या देख रहे हो? आओ ना…”

और साथ में टेबल से फिर वोदका मिली स्प्राईट का एक बड़ा सिप ले लिया।

साथ में मैं भी थिरकने लगा। मुझे पता भी नहीं चला कब मेरा हाथ उसके चूतड़ों पे पहुँचा। पहले तो हल्के-हल्के, फिर कसकर मैं उसके नितम्बों को सहला रहा था, रगड़ रहा था। वो भी अपने कुल्हे मटका रही थी, कमर घुमा रही थी। कभी हम दोनों पास आ जाते कभी दूर हो जाते। उसने भी मुझे पकड़ लिया था और ललचाते हुए अपने रसीले जोबन कभी मेरे सीने पे रगड़ देती, और कभी दूर हटा लेती।

मुझसे नहीं रहा गया।

मैंने उसे पास खींचकर अपना हाथ उसकी पाजामी में डाल दिया। कुछ देर तक वो लेसी पैंटी के ऊपर और फिर सीधे उसके चूतड़ पे। मेरे एक हाथ ने उसे जकड़ रखा था। दूसरा उसके नितम्बों के ऊपर सहला रहा था, मसल रहा था, उसे पकड़कर ऊपर उठा रहा था। उसने कुछ ना-नुकुर की लेकिन मेरे होंठों ने उन्हें कसकर जकड़ लिया.

रीत के टाइट कुर्ती से जिस तरह उसके जोबन फाड् रहे थे, मुझसे नहीं रहा गया, एक हाथ पजामी के अंदर उसके नितम्बों को सहला मसल रहा था और दूसरा उसके उभारों पर

डांस करते हुए रीत ने मेरे हाथ को अपने उभार पे पकड़ लिया और कस के दबा दिया, जैसे सुबह गुंजा ने मेरे झिझक समझ के खुद मेरा हाथ पकड़ के, अपने ढक्क्न के अंदर सीधे अपनी हवा मिठाई पे,

हम दोनों म्यूजिक पे थिरक रहे थे और मेरे दोनों हाथ, एक उभारों का और दूसरा नितम्बों का रस ले रहा था
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और मन में कल की गुड्डी और चंदा भाभी की बातें याद आ रही थी, गुड्डी की मम्मी मेरा मतलब मम्मी, नीचे दूबे भाभी से मिलने चली गयीं थी

और चंदा भाभी, और गुड्डी खुल के बात कर रहे थे।

चंदा भाभी ने मुझे समझाया, " अरे देवर जी, ससुराल में मांगते नहीं है सीधे ले लेते हैं, और क्या इससे बोलोगे, ' में आई कम इन मैडम " गुड्डी की ओर इशारा कर के बोली। उन्हें मेरा और गुड्डी का चक्कर पता चल गया था, फिर जोड़ा,

" जब इससे नहीं पूछोगे, तो इसकी बहन, भाभी और ससुराल में कोई भी हो, क्यों पूछोगे ? अरे कहीं गलती से पूछ लिया न तो इसी की नाक कटेगी, की इसका वाला कितना बुद्धू है "

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और शाम को बाजार में गुड्डी जब मुझे चंदा भाभी के साथ करने के लिए उकसा रही थी उसी समय उसने साफ़ साफ़ बोल दिया,


" यार, चाहे तेरी ससुराल वाले हों या मेरी, मेरी ओर से दोनों के लिए ग्रीन सिग्नल एडवांस में है, ये मत सोचना की मैं क्या सोचूंगी हाँ कुछ नहीं किया तो मैं सोचूंगी, अब तक सैकड़ों बार पजामें में नाली में गिराया होगा, अगर मेरी भाभी, मेरी बहन में दो बूँद गिरा दिया तो क्या कम हो जाएगा तेरा, हां उनको भी अंदाज लग जाएगा की मेरा वाला कैसा है। और दिल तो तेरा मेरा पास है , एक जन्म के लिए नहीं सात जन्म के लिए तो जो तेरे पास नहीं, उसका क्या खतरा, बार बार मैं बोलूंगी नहीं। "
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और मैं रीत के जोबन और नितम्ब दोनों डांस के साथ साथ कस के रगड़ मसल रहा था,


मैं भी अपने आपे में नहीं था। मुझे लगा की मैं हवा में उड़ रहा हूँ। कभी लगता की बस जो कर रहा हूँ। वही करता रहूँ। इस कैटरीना के होंठ चूसता रहूँ।

रीत भी साथ दे रही थी। उसके होंठ भी मेरे होंठ चूस रहे थे। उसकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी, और सबसे बढ़ कर वो अपना सेंटर, योनि स्थल, काम केंद्र मेरे तन्नाये हुए जंगबहादुर से खुलकर रगड़ रही थी।

हम दोनों अब अच्छी तरह से भांग के नशे में थे।

चंदा भाभी ने मुझे रात को जो ट्रेनिग दी थी। बस मैंने उसका इश्तेमाल शुरू कर दिया, मल्टिपल अटैक। एक साथ मेरे होंठ उसके होंठ चूस रहे थे, मेरा एक हाथ उसका जोबन मसल रहा था तो दूसरा उसके नितम्बों को रगड़ रहा था मेरा मोटा खूंटा सीधे उसके सेंटर पे।



रीत पिघल रही थी, सिसक रही थी।
What a dancy & erotic update👌
Yoni par Jang bahadur ki ragad, kya baat hai didi, gazab.
 

Rajizexy

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Gazab superb👙👠💋 updates filled with top class adbhut romance
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Random2022

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पात्र परिचय

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ओह्ह… कहानी तो मैंने शुरू कर दी।

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लेकिन पात्रों से तो परिचय करवाया ही नहीं। तो चलिए शुरू करते हैं।

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सबसे पहले मैं यानी आनंद। उम्र जब की बात बता रहा हूँ। 23वां लगा था, लम्बाई 5’11…” इंच कोई जिम टोंड बदन वदन नहीं लेकिन छरहरा कह सकते हैं, गोरा। चिढ़ाने के लिए खास तौर से भाभी, चिकना नमकीन कह देती थी पर आप जानते हैं भाभी तो भाभी हैं। हाँ ये बात सही थी की मैं जरा शर्मीला था और शायद इसलिए मैं अब तक “कुँवारा…” था। मेरी इमेज एक सीधे साधे लड़के की थी। चलिए बहुत हो गई अपनी तारीफ। हाँ अगर आप “उस…” चीज के बार मैं जानना चाहते हैं की। तो वो इस तरह की कहानियों के नायक की तरह तो नहीं था लेकिन उन्नीस भी नहीं था।



मेरी भाभी- बहुत अच्छी थी। शायद वो पहली महिला लड़की जो चाहे कह लीजिये जो मुझसे खुलकर बातचीत करती थी।

जो लोग कहते हैं भाभी को माँ के समान समझना चाहिए वैसा कत्तई नहीं था, और वो बात उन्होंने मुझसे पहले खुद साफ कर दी थी, लेकिन जो ' देवर भाभी के किस्से ' टाइप किताब होती है वैसा भी कत्तई नहीं था. वो मुझे चिढ़ा लेती थी, मौका पड़ने पर अच्छी वाली गारी भी देती थीं पर मैं चुप ही रहता था, कभी बहुत हिम्मत की तो थोड़ा बहुत बोल दिया।


रिश्ता देवर भाभी का ही था लेकिन एक तरह से मेरी अकेली दोस्त, सहेली जो कहिये,...

कारण दो थे घर में और कोई नहीं था उनके अलावा। भाई साहेब मेरे प्रेमचंद के बड़े भाई साहेब टाइप बल्कि और सीरियस, उमर में भी बहुत बड़े। भाभी चार पांच साल ही बड़ी रही होंगी और ये दूसरा कारण था। चिंता भी जरूरत से ज्यादा करती थीं, एक दो बार मैंने बोला भी तो उन्होंने टोक दिया, " तेरे बस का तो है नहीं, और देवरानी मेरी अभी आयी नहीं। जिस दिन देवरानी मिल जायेगी, उसके हाथ में तेरा हाथ दे दूंगी तब चिंता करना बंद कर दूंगी।

मेरे सेलेक्शन में, सिविल सर्विस के इम्तहान में कहते हैं जितना पढाई का रोल होता है उतनी किस्मत का,... तो पढ़ाई वाला काम तो मैंने किया लेकिन देवी देवता मनाने का भाभी ने, गली मोहल्ले के देवी देवता से लेकर गंगा मैया की आर पार की चुनरी सब मान ली थी उन्होंने और ख़ुशी भी मुझसे ज्यादा उन्हें हुयी।

हर चीज , यहाँ तक की मेरे लिए मस्तराम किराए पे लाने की फंडिंग भी वही करती थी। और उनका भी हर काम बाजार से कुछ लाना हो, उन्हें मायके ले जाना और वहां से लाना। बस चिढ़ाती बहुत थी और खास तौर पर मेरी कजिन का नाम लेकर, मजाक करने में तो एक नम्बर की।

और जो मजाक में भाभी थोड़ी झिझकती थी, गारी सुनाने में गाने में तो उनकी एक साथी सहेली थी मंजू।
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मंजू उम्र में भाभी से दो तीन साल छोटी होगी, लेकिन साइज में मेरा मतलब,.... ओके ३६ डी नहीं डबल डी , बाहर एक कोठरी में रहती थी शादी हुए दो साल हुए होंगे, मरद उसका पंजाब गया था कमाने, और घर का सारा काम काज करने में भाभी का हाथ बटाती थी, और हम लोगों के लिए भाभी ही। उसके आने से होली से लेकर मजाक तक में भाभी २० पड़ने लगी थीं,



मेरी कजिन पास के ही मोहल्ले में रहती थी और भाभी की एकलौती ननद थी। जैसा की भाभी ने अपनी चिठ्ठी में लिखा था की

वह दसवें का बोर्ड का इम्तहान पास करके ग्यारहवे में गयी थी। बनारस वाली गुड्डी की समौरिया, और दोनों पक्की सहेली। एक दूसरे से झगड़ा करने में, चिढ़ाने में गरियाने में, ... बताया तो पिक्चर हाल में जब गुड्डी ने मेरा हाथ पकड़ के अपने सीने पर रखा था,.... जैसे सांप सीढ़ी के खेल में किसी को २१ वाली सीढ़ी मिल जाए और सीधे ९३ पर पहुँच जाय, जिस गुड्डी को देख के मैं सिर्फ ललचाता रहता था, बस सोचता रहता था ये मिल जाये, उसके चूजों के बारे में सोच के पजामे में तम्बू बन जाता था, खुद उसने,... तो उस समय गुड्डी के बगल में वही थी, पिक्चर हाल में।




मेरी ममेरी बहन, और भाभी की रिश्ते नाते में भी जोड़ कर एकलौती ननद, तो सारे मजाक का सेंटर वही बनती थी और मुझे बी ही भी उसी से जोड़ कर. लम्बी थी अच्छी खासी, पढ़ने में भी तेज थी, ... और वो जिस गली में रहती थी उसके शुरू के घर कुछ धोबियों के थे, वहां गदहे बंधे रहते थे तो मजाक का एक जड़ वो भी था, भाभी के लिए।

भाभी की भाभी और गुड्डी की मम्मी -

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ये रिश्ता भी उतना ही दिलचस्प है जितना जिनका रिश्ता है। असल में वो कोई भाभी की सगी भाभी नहीं थी, लेकिन एक बात की भाभी की कोई सगी भाभी वैसे भी नहीं थीं,... दूसरे रिश्ता वो जो माना जाए और रखा जाये,... और जिसका लिहाज हो।


वो भाभी से दस बारह साल बड़ी रही होंगी, लेकिन मजाल की कभी नाम लिया हो, ननद का नाम नहीं लिया जाता तो बस बिन्नो। गाँव में घर दोनों लोगों का सटा था, और उनका घर, मेरा मतलब की भाभी के भाभी का घर बहुत बड़ा, जैसे पहले के गाँव के घर होते थे, दो खंड के मरदाना -जनाना वाले, काफी कुछ पक्का, दो मंजिला, ... और वहीँ से भाभी की शादी हुयी थी, सामने बड़ी सी आम की बाग़,... डेढ़ दो सौ पेड़ तो रहे होंगे, उसी बाग़ में बरात टिकी थी। अभी भी मुझे याद है तीन दिन की बरात,... मैं एकलोता छोटा भाई, शहबाला,... खिचड़ी की रस्म में भाभी की भाभी ने सबसे ज्यादा मेरी रगड़ाई की नाम ले ले के असली वाली गारियाँ सुनायीं, ...


लेकिन गाँव घर के रिश्ते उलझे भी रहते हैं, मेरी भाभी की ननिहाल और भाभी की भाभी का मायका एक ही था और वहां वो रिश्ते में बड़ी थीं। पर उन्होंने चुना अपनी ससुराल का रिश्ता,... ननद भाभी से ज्यादा रसीला रिश्ता कौन होगा।


देखने में , ओके चलिए वो भी बता देता हूँ, ३५ -३६ की होंगी तो थोड़ी स्थूल लेकिन मोटी एकदम नहीं, जो एम् आई एल ऍफ़ वाली कैटगरी होती है समझिये उसके पहले पायदान पे कदम रख चुकी थीं दीर्घ नितंबा, दीर्घ स्तना, .. गोरी खूब, गुड्डी उन्ही पर गयी थी। तीन लड़कियों की माँ, सबसे बड़ी, और बाकी दोनों भी दो तीन साल के अंदर,... लेकिन देख के कोई कह नहीं सकता था। और मजाक करते समय या गारी गाते समय उन्हें इस बात का कोई फरक नहीं पड़ता था की उनकी बेटियां उनके पास हैं।

भाभी कुछ दिन उनके यहाँ रह के पढ़ी भी थीं, इसलिए वो रिश्ता और तगड़ा हो गया था.

गुड्डी लेकिन मेरी भाभी को दीदी कहती थी, और उसके भी दो कारण थे एक तो भाभी को उनके मायके में सब लोग दीदी ही कहते थे, दूसरी बात जब भाभी वहां रह के पढ़ती थीं तो गुड्डी से दोस्ती भी बहुत हो गयी थी और उम्र का अंतर् भी उतना नहीं था,...
Is kahani me ek baat yeh bhi achhi lagti hai ki devar bhabhi ke rishte me ek maryada bhi hai
 

Mass

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Wow..super sexy update..filled and dripped and laced with eroticism..
like Reet putting on the cd while "bending"..and anand babu salivating over her pichwada...awesome sexy!!
and Anand babu under the effect of Bhaang, Dahi wada & Gulab Jamun..and ..."looking" at Reet in a different sexy way...
the dance description between Reet and Anand babu was very erotic..."multiple attacks" by Babu on Reet :)

Every part has appropriate pics which makes the update even more sexier...

As I said earlier, your updates always feel as if sex is on the anvil...but at the last moment, you pull it back...and keeping us on tenterhooks :)
Top Class update Madam!! super!!

komaalrani
 
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