ऊंट की चोरी निहुरे निहुरे,
एक पुराने जमाने के डाकू होते थे, चिट्ठी भेज के आते थे और पूरे गाँव को मालूम होता था की गब्बर आया है, बल्कि आस पास के गाँवों को भी
अरे कम से काम लाइक वाला बटन दबा के, एक दो लाइन झूठी सच्ची तारीफ़ लिख के जता तो दिया करिये की आये थे, मैं भी खुश हो के दस पांच मोहल्लों में आस पास के बता आती, एक से एक बड़े लेखक आते हैं मेरी कहानी पढ़ने, और इसी बहाने दो चार लोग आ भी जाते,
स्वागत है आपका, थ्रेड है आपका, और जहाँ तक पढ़ाई वर्धन टॉनिक की बात है, महीने में दो तीन पोस्ट होती हैं बस किसी दिन कमर कस के बैठिये, कड़वी दवा की तरह पी जाइये और नाइस, गुड ऐसा कुछ लिख दीजिये बस।
मैं आपकी वयस्तता समझ सकती हूँ, जब भी समय मिले आने की कोशिश करिये, आप के कमेंट्स से कहानी और कहने वाली दोनों को संबल मिलेगा हिम्मत बढ़ेगी।