अभी तो सिर्फ नारी का गेटअप हुआ है...Thanks so much for being the first to post a comment and the first to like
such a popular writer graces this thread, is a fortune, thanks for the encouragement
दूबे भाभी के हत्थे तो और दुर्गत होनी है...
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और ऊपर से शरमाने वाले आनंद बाबू... तो मस्ती भी एक नया आयाम छू लेती है...होली हो ससुराल हो फागुन हो तो और सबसे बढ़कर बनारस हो, बनारस की सालिया और सलहज हों तो फिर मस्ती आ ही जाती है
नशा भी.. नशे का तोड़ भी..बनारस के नशे में सबसे खतरनाक नशा, दूबे भाभी का है, गुड्डी की मम्मी की सहेली और उनसे भी दो हाथ आगे, रंग उन्होने इसलिए छुड़वाया क्योंकि उनकी पैनी आँखों ने रंग के नीचे लगा तेल और फाउंडेशन देख लिया था, जिससे रंग कितने भी कोट लगता, छूट जाता। अब दूबे भाभी के निर्देशन में जो रंग लगेगा वो आनंद बाबू के मायके में भी जाकर जल्दी नहीं छूटेगा, उनके घर वालों को पता तो चले की कैसी जबरदस्त रगड़ाई हुयी है बनारस में
और साथ में वोडका कैनेबिस...I am humbled and speechless to see you here. I and my thread both feel privileged. your presence itself enthuses me and such words, I am so happy to see you on my thread
और रास्ता भी तो बनारस के रास्ते है...अरे कैसे भेंट नहीं होगी ? आनंद बाबू की जिंदगी का सवाल है, गुड्डी के बारे में लाइफ टाइम फैसला बिना गुड्डी की मम्मी के हाँ के तो हो नहीं सकता और उन्होंने पहले ही हुकुम सुना दिया है की आनंद बाबू को ' होली आफटर होली ' में कम से कम तीन दिन बनारस में भी बिताने हैं तो मम्मी का हुकुम और ऊपर से भी अब दूबे भाभी ने भी वही बात कह दीं,
राजा नल है एक और दमयन्तिया अनेक, तो एक दिन में किसकी किसकी प्यास बुझेगी और नए ज़माने की लड़कियां तो हैं नहीं क्विकी से काम चला लिया, नेपकिन से मलाई पोछी, जींस ऊपर सरकायी और बाइक पे पीछे बैठ के, दूसरे यार के साथ, यहाँ तो सब चंदा भाभी टाइप, जब तक रात भर आसन बदल बदल कर कबड्डी न हो, तीन चार राउंड तो क्या मजा आएगा, इसलिए दूबे भाभी ने तीन दिन वाली शर्त रखी
हाँ आज छुआ छुआई, मुंह दिखाई हो जायेगी, औजार कैसा है, काम लायक है की नहीं, और गुड्डी भी चाहती है की आनंद बाबू के कपडे उतरें,
वो तो देख ही चुकी हैं, पकड़ भी चुकी है लेकिन मामला ओनर्स प्राइड नेबर्स एनवी वाला है , सबको मालूम हो जाए गुड्डी वाला कितना जबरदस्त है, इसलिए वो सबके ऊपर चढ़ने के लिए ग्रीन सिग्नल दे रही है
आनंद बाबू दोहरा मजा ले रहे हैं...आपको इस थ्रेड पर देख कर जो ख़ुशी होती है मैं बता नहीं सकती,
एक मूर्धन्य, सिद्धहस्त समीक्षक की उपस्थिति ही अन्य पाठको को थ्रेड को ' कम से कम एक बार ट्राई करने लायक, पढ़ कर देखने लायक' बनाने की हिम्मत देता है,
ऊपर से आपके कमेंट, कहानी के पीछे की भावना, उसका मूल रस, जैसे कोई समुद्र मंथन कर अमृत निकाल कर परोस दे
और सबसे बड़ी बात आपका कमिटमेंट, आप ने शुरू में वायदा किया की आप नियमित पढ़ेंगे, कमेंट भी देंगे और मुझे कभी कहना नहीं पड़ा,
मैं अनुग्रहित हूँ बहुत बहुत आभार
अरे सादे समारोह क्यूँ.. पूरे बैंड बाजे के साथ.. जोगीड़ा गाते हुए...गुड्डी की हिम्मत नहीं जो दूबे भाभी की बात टाले, बल्कि पूरे बनारस में किसी की हिम्मत नहीं
और आनंद बाबू में हिम्मत नहीं की गुड्डी की बात टालें
तो आनंद बाबू के मायके में ही सादे समारोह में गुड्डी की उपस्थिति में गुड्डी अपने मरद से अपनी सहेली और आनंद बाबू की बहिनिया की नथ उतरावायेगी और उसका हाल चाल आप सब को पूरे डिटेल के साथ इस कहानी में बतया जाएगा, फोटो इत्यादि भी रहेंगी, बिना कुछ छिपाए, ताकि सनद रहे और वक्त बेवक्त काम आये
Few things Madam...no need to feel contrite....and no explanations are needed...infact we should be grateful to you that you are posting regular updates of this super story!!I suffer from triskaidekaphobia, but I am sure it will be worse after the faux pas I committed today, while posting part 13 of this story.
I missed out on either acknowledging or commenting on the views of my friends on pages 168-170—a glaring omission. Never intended, but a lapse nonetheless. I am contrite. But no explanations. Only apologies.
अरे तीन...हर जेनरेशन का अलग मजा, अलग स्टाइल
और आनंद बाबू दोनों जेनरेशन का मजा लेंगें