dirty_thoughts
Monu
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Bechare Anand ki toh sabne milkar maar li, wo bhi bina thook lagayeथोड़ा सा फ्लैश बैक
गुड्डी और भाभी ( गुड्डी की मम्मी )
भाभी मेरा मतलब गुड्डी की मम्मी की टनकदार आवाज में गारी सुनते सुनते मैं एकदम फ्लैश बैक में चला गया,
भैया की शादी,.... बताया तो था इन्ही के बड़े से घर, गुड्डी की मम्मी के घर से शादी हुयी थी, तीन दिन की गाँव की बारात, आम की बाग़ में तम्बू में टिकी, ... और सब रस्म रिवाज और कोई रस्म नहीं जिसमे माँ बहीन खुल्लम खुल्ला न गरियाई जाएँ,... मैंने उसी साल इंटर का इम्तहान दिया था,... हाँ घर से मुझे समझा बुझा के भेजा गया था, गाँव की शादी है खूब गारी वारी सुननी पड़ेगी, खुल्ल्म खुल्ला मजाक होगा, एकदम बुरा मत मानना, ...
शादी के अगले दिन कलेवा होता है, ...
लड़का, सहबाला यानी मैं और दो चार कुंवारे लड़के और दूल्हे से कम उम्र के,... और न लड़के की ओर का कोई रहता न न लड़की की ओर का कोई मर्द, ... खाली साली सलहज, घर गाँव की औरतें, हाँ नाऊ जरूर साथ रहता है दूल्हे के पीछे बैठा, अंगोछा लेकर तैयार। सब साली सलहज एक एक करके कभी साथ साथ मिलती हैं, किसी ने सिन्दूर लगा दिया बाल में, किसी ने काजल, किसी ने पाउडर मुंह पे पोत दिया तो नाऊ बिना कुछ बोले अंगोछे से पोछ देता है फिर अगली साली, सलहज वही हरकत करती है और घंटो चलता है ये,....
और उसी समय भाभी, गुड्डी की मम्मी से पहला सामना हुआ।
देखा तो पहले भी था, पहचानता था, रात भर उनकी टनकदार आवाज में एक से एक गारी भी सुनी थी, मंडप में बैठ के। ढोलक बजा बजा के गारी गा रही थीं सब बरातीयो का नाम ले ले कर यहाँ तक की नाऊ, पंडित को भी नहीं छोड़ा उन्होंने, लेकिन ३० % गारियाँ मुझे ही पड़ रही थीं, एक तो सहबाला, दूल्हे का एकलौता भाई, छोटा और दूसरे थोड़ा लजाता, झिझकता भी ज्यादा था।
लेकिन जो कहते हैं न वन टू वन वो उसी समय, एकदम पास से पहली बार देखा था और देखता रह गया. खूब भरी देह, गोरी जबरदस्त, मुंह में पान, होंठ खूब लाल, बड़े बड़े झुमके, और कोहनी तक लाल लाल चूड़ियां गोरे हाथों में, और खूब टाइट चोली कट ब्लाउज, जो नीचे से उभारों को उभारे और साइड से कस के दबोचे, और खूब लो कट, स्लीवलेस, मांसल गोरी गोलाइयाँ तो झलक ही रही थीं घाटी भी अंदर तक, और साड़ी प्याजी रंग की एकदम झलकौवा, ....
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मैं देखता रहा गया और वो भी समझ गयी थी मेरी हालत, इंटर विंटर की उमर में तो बहुत जल्द हालत खराब हो जाती है,...
लेकिन मुझे होश तब आया जब उन्होंने मेरे कायदे से कढ़े बाल हाथ लगा के बिगाड़ दिए और जोर से चिढ़ाया, उनके साथ कोई लड़की, भाभी की की कोई सहेली और एक दो औरतें और थीं और चिढ़ाते हुए बोलीं,
" तोहार महतारी बाल भी ठीक से नहीं काढ़ी, ... अइसन जल्दी थी आपन तो खूब सिंगार पटार कर के,... बारात जाए तो अपने यारों को बुलाय के चक्की चलवाएंगी अपनी, आठ दस मरद तो चढ़ ही चुके होंगे रात में,... लौट के जाना तो खोल के देखना, बुलबुल ने कितना चारा खाया, सफ़ेद परनाला बह रहा होगा "
( उस समय रिवाज था अभी गाँव में बहुत जगह, बरात में लड़कियां औरतें नहीं जाती थीं और बरात जाने के बाद घर में औरतों का राज, रात भर रतजगा, नटका, और खूब मस्ती होती थी, हाँ दूर दूर तक कोई आदमी क्या बच्चा भी नहीं रहता था )
और जब तक मैं समझूं उनकी बदमाशी, उन्होंने कंघी लेकर मेरा बाल फिर से काढ़ दिया और सीधी मांग निकाल दी, औरतों की तरह,... फिर शीशा दिखा के बोलीं ,
"अब अच्छा लग रहा हैं न, ऐसे रखा करो, अइसन गौर चिक्क्न मुंह पे यही निक लगता है,... "
और बाकायदा एक सिन्दूर की डिबिया निकाल के खूब ढेर सारा सिन्दूर मेरी मांग में भर दिया
और थोड़ा सा नाक पे गिरा तो बोलीं,
" सास तोहार खूब प्यार दुलार करेगी तोहसे, नाक पे सिन्दूर गिरना शुभ होता है, "
लेकिन जो बात मैं कहना चाहता था वो जो लड़की साथ में थी ( बाद में नाम पता चला रमा, भाभी की सहेली भी, मौसेरी बहन भी, भाभी से दो साल छोटी, अभी बीए में गयी थी ) उसने कह दी, कौन ननद मौका छोड़ेगी भौजाई को छेडने का , मुस्करा के मेरी आँख में आँख डाल के भाभी से, गुड्डी की मम्मी से बोली,
" भौजी, सिन्दूर दान तो हो गया अब सुहाग रात,.... "
; " अरे ननद भी हैं ननदोई भी मना लो न, " उन्होंने अपनी ननद को छेड़ा और मुझसे पूछा
" क्यों भैया खड़ा वड़ा होता है, टनटनाता है का "
और फिर पता नहीं जान बुझ के या वैसे ही, वो झुकीं और आँचल एकदम नीचे, और उस लो कट चोली से मांसल गोलाई गदरायी, और पूरी गहरी घाटी और उससे बढ़ के कंचे के बराबर एकदम टनटनाये खड़े खड़े निपल, साफ़ दिख रहे थे,
खड़ा तो होना था , लेकिन मैंने चड्ढी का कवच ओढ़ रखा था पैंट के नीचे पर भाभी की कुशल उँगलियाँ, कुछ देर तो उन्होंने हथेली से पैंट के ऊपर रगड़ा, और फिर अंगूठे और तर्जनी से पकड़ के चड्ढी को सिकोड़ दिया। सांप का सर बाहर, अब खाली पैंट के नीचे तो एकदम साफ़ साफ़ दिख रहा था. भाभी ने अंगूठे और तर्जनी से उसे चार पांच बार रगड़ा और वो फुफकारने लगा,
बस उन्होंने अपनी ननद रमा को छेड़ा,
" देखो बिन्नो तुमसे सुहागरात के लिए एकदम तैयार है। तोहरी दीदी की झिल्ली तो कल खुली तू आज ही करवा लो,... "
लेकिन रमा एकदम नहीं शरमाई
और हाँ भौजी ( गुड्डी की मम्मी ) ने अपना आँचल ठीक भी नहीं किया, बस एकदम मुझसे सट के, उन्हें अपने गद्दर जोबन का असर मालूम पड़ गया था,
दोनों जोबन एकदम मेरे सीने से सटा के, अपनी बड़ी सी अठन्नी की साइज की लाल लाल टिकुली अपनी माथे से निकाल के मेरे माथे पे पे चिपका दी, और वार्निंग भी दे दी,
"खबरदार अपनी महतारी के भतार, अगर इसे उतारा कल बिदाई के पहले, सुहाग क निशानी है। "
और जोबन से खूब जोर से धक्का दिया, और हलके से बोलीं,
" अरे मालूम है मुझे इसका असर, बहुत टनटना रहा है, पहला पानी इसी में दबा के रगड़ रगड़ के निकालूंगी, फिर अंजुरी में भर के तोहिं को पिलाऊंगी , ऐसी गरमी लगेगी, सीधे अपनी महतारी के भोसड़े में जाके डुबकी मारोगे तभी गरमी शांत होगी "
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बोली तो वो हलके से थीं लेकिन रमा, उनके साथ की महिला और आस पास वाली औरतें साफ़ साफ़ सुन रही थीं मुस्करा रही थीं।
और उन्होंने जो दूसरा धक्का जोबन से मारा तो बस मैं लुढ़कते लुढ़कते बचा, और मेरे मुंह से निकल गया,...
" अरे भौजी गिर जाऊँगा,... "
" इतनी जल्दी गिर जाओगे भैया तो हमरे ननद का काम कैसे चलेगा,... "
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भाभी, गुड्डी की मम्मी के साथ वाली महिला, ने चिढ़ाया,, उसी समय पता चला की उनका नाम विमला है , वो भी गुड्डी की मम्मी की देवरानी हैं उसी पट्टी की, दो साल पहले ही गौना हुआ था।
भाभी, मेरी आँखों में काजल लगाने में बिजी थीं और अब मैं उन्हें धक्का देके बचने में, बस भाभी ने रमा की ओर देखा वो शलवार कुर्ते में दुपट्टा तीन तह में करके उभारों को छुपाये, ... एक तीर से उन्होंने दो शिकार किया, पहले तो अपनी ननद और देवरानी से बोला,
" रमा, विमला ज़रा पकड़ इन्हे, जउन गाय पहले पहले दूध देती हैं न उसका हाथ गोड़ छानना पड़ता है "
और जब तक मैं समझूं समझूं, भाभी ने मेरे दोनों हाथ पीछे कर के रमा के दुप्पटे से बाँध दिए। एक तो मेरे हाथ बंध गए, ... दूसरे रमा का दुपट्टा अब उसके कुर्ते को फाड़ते उभार साफ़ साफ़ दिख रहे थे चोंच भी।
भाभी ने एक बार फिर से काजल लगाया और आगे का काम रमा के हवाले कर दिया, वो लिपस्टिक लेके पहले से ही तैयार थी, क्या कोई ब्यूटी पार्लर वाली करेगी,... आराम से धीरे धीरे,... मेरे हाथ तो बंध ही गए थे, नाऊ दूल्हे की रक्षा करने में लगा था,...
गुड्डी भी पास खड़ी खेल तमाशा देख रही थी, खिस खिस कर रही थी, उसकी मम्मी ने मेरे जूते की ओर इशारा किया, ...
" अरे कल दूल्हे की जूते की चुराई में तोहरे भाइयों क गाँव क लड़कों क इतना फायदा होगया था, तो का पता सहबाला के जूते की चुराई में कुछ मिल जाए,...
" एकदम मम्मी " कह के वो आज्ञाकारी पुत्री चालू हो गयी, ...
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( कल रात में जब साढ़े तीन चार बजे शादी ख़तम हुयी तो कोहबर की छेंकाई में, जूता चुराई में और जूता चुराने के अभियान में यही रमा थी और साथ में गुड्डी, ... जूता वापस करने के नेग में लड़कियों ने साफ़ साफ़ कह दिया, हम पैसा वैसा नहीं लेंगे, ... बस दूल्हा आपन बहिन दे दें,...
इशारे पर मेरी कजिन थी वही एलवल वाली,
और सबसे ज्यादा शोर रमा और गुड्डी मचा रही थीं एक एक जूते हाथ में ले के, दूल्हे अपनी बहना दो, दूल्हे अपनी बहना दो, ...
मामला अटक गया था और डेडलॉक तोडा मेरी कजिन ने ही, वही बोली, भईया हाँ कर दीजिये, दे दीजिये, देख लूंगी स्सालो को, ...
रमा ने चिढ़ाया, नाड़ा बाँध नहीं पाओगी , तीन दिन तक, एक आएगा दूसरा जाएगा,...
लेकिन मेरी कजिन भी कम नहीं थी बोली, अरे स्सालो की बहिन ले जा रही हूँ हरदम के लिए, तो बेचारों को आंसू पोछने के लिए , मंजूर है.... तो भाभी वही कह रही थी।
हाँ उसी दिन से गुड्डी और मेरी कजिन की पक्की दोस्ती भी हो गयी ).
गुड्डी ने जूते मोज़े खोले तो विमला भाभी पैरों में जैसे गाँव में गौने जाने वाली दुल्हिन को नाउन महावर लगाती है, वो चालू हो गयीं।
और भाभी आगे का प्लान बना रही थीं, विमला भाभी और रमा से,... मिलकर
" हे साड़ी साया तो मेरा आ जाएगा लेकिन ब्लाउज, मेरा तो ढीला होगा "
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" अरे ब्लाउज का कौन जरूरत है, बॉडी पहना देंगे, ... बबुआ क बहिन महतारी तो जोबन उघाड़े घूमती है दबवाती मिसवाती " विमला भौजी, गुड्डी की मम्मी से एकदम कम नहीं थी
और बिना उनकी बात पूरी हुए, भाभी ने मुझसे पूछ लिया, बनियान कौन नंबर की पहनते हो, ३२ की ३४ और जैसे मैंने जवाब दिया भाभी तुरंत अपनी ननद रमा से बोली,
" अरे बिन्नो ये तो तोहार साइज है बस आपन बॉडी पहराय दा "
रमा लिपस्टिक लगा चुकी थी, मेरे हाथ अब खुल गए थे लेकिन एक हाथ रमा ने पकड़ रखा था नेल पालिश लगा रही थी दूसरा हाथ गुड्डी को पकड़ा दिया था नेल पालिश लगाने के लिए। रमा बोली, एकदम भौजी, सिंगार दुल्हिन का कर दें फिर लाती हूँ, ... लेकिन दुल्हिन क सिंगार कर रहे हैं तो दुलहिन क
" काम भी करना पडेगा,...एकदम बिन्नो अब सिन्दूर दान हो गया है तो " भाभी बोलीं फिर तोप का रुख मेरी ओर मोड़ दिया,
" और यह मत कहना की डालेगा कौन, जो एक दिन सिन्दूर डालता है वही अगले दिन टांग उठा के, निहुरा के डालता है, ... एकदम गोर चिक्क्न हो, मखमल ऐसे गाल "
मेरा गाल सहला के बोली, फिर जोड़ा,
" कउनो लौंडिया से ज्यादा नमकीन हो एक बार साडी साया पहना देंगे तो कोई कह नहीं सकता है, ये बताओ गांड मरवाये हो की नहीं, अइसन चिक्क्न माल, लौण्डेबाज सब बिना गांड मारे छोड़े थोड़े होंगे, सट्ट से जाएगा। "
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मेरे मुंह से नहीं अनजाने में निकल गया फिर तो दोनों भाभियाँ, पहले विमला भाभी
" अरे बिन्नो की ससुराल में सब गंडुए है या भंडुए है गाँड़ क्या मारेंगे "
कल रात गारी गाते समय जब भी मेरा नाम आता था , यही भाभी, बाद में सब भाभियाँ,...
" बिन्नो का देवर गंडुआ है, अरे दूल्हे का भाई भंडुआ है, अपनी महतारी का भंडुआ है अपनी बहिनिया का भंडुआ है।"
और पुराने में ( गाने में, खास तौर से गारी गाने में मुख्य गाने वाली एक लाइन गाती थीं, और बाकी उसे दुहराती थीं, कई बार आधी लाइन पूरी भी करती थीं ) सिर्फ औरते ही नहीं गुड्डी और उसकी सहेलियां भी और जोर से मुझे दिखा दिखा के ,
" दूल्हे का भाई गंडुआ है , अपनी महतारी क भंडुआ है "
लेकिन भाभी, गुड्डी की मम्मी विमला भाभी की बात में बात जोड़ते बोलीं,
" अरे तोहरे महतारी क गदहन से चोदवाउ, उनके भोंसडे में हमरे गाँव क कुल लौंडे डुबकी लगाएं , ... रोज तो तोहार बहिन महतारी मोट मोट लौंड़ा घोंटती है और तोहार अभी फटी नहीं,... "
रमा और गुड्डी नेल पालिश लगाते हुए खिस खिस कर रही थीं, मुझे देख के चिढ़ा रही थीं, तभी विमला भौजी, भाभी से बोलीं
" अरे आम का अचार वाला तेल लगा के डालियेगा, सट्ट से चला जाएगा "
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मेरी आम की चिढ वाली बात भाभी के गाँव वालों की भी मालूम हो गयी थी। बात बदलने के लिए मुझे कुछ बोलना था, बस मैंने गुड्डी की ओर देखते हुए बात बदलने की कोशिश की।
नेलपॉलिश लगाती गुड्डी की ओर देख के मैं बोला,
" कल गुड्डी का डांस बहुत अच्छा था, .... " लेकिन जो जवाब गुड्डी की मम्मी ने दिया मैं सोच नहीं सकता था,
" बियाह करोगे इससे " वो सीरियस हो के बोली,
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