Luckyloda
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बहुत ही शानदार45
चिराग पसीने में भीग हुआ था पर शायद यह पसीना इस वजह से था की अब उसे मां से बात करनी होगी। चिराग को डर सता रहा था कि अब उसकी मां उसे अपने नशे के तौर पर इस्तमाल कर सुधरने के बजाय गलत राह पर चलेगी। उसे कुछ कड़े फैसले लेने होंगे।
चिराग ने ठान लिया को वह अपनी मां को शारीरिक संबंध बनाने देगा लेकिन दवा की तरह तय मात्रा में। चिराग ने अपनी बात को अपने आप से कहा और सोचा की इस से बेतुकी बात कभी किसी ने नहीं की होगी।
चिराग ने अपने घर में डरते हुए कदम रखा मानो उसकी मां उस पर झपटने को बैठी हो। चिराग को किचन में से गुनगुनाने की आवाज आई और वह नाश्ता बनने के डर के साथ अंदर आ गया।
फुलवा ने मुस्कुराते हुए चिराग के सामने दूध का ग्लास, 2 उबले अंडे और कुछ छोटी मीठी रोटी जैसी चीजें रखी। चिराग अपनी मां को देखते हुए बैठ गया और दूध को पीने लगा।
फुलवा, “तुम रोज कसरत करते हो, पर मां तुम्हें चाय बिस्कुट खिलाती हूं। इसी लिए मैंने अब से तुम्हारे लिए पोषक नाश्ता बनाने का फैसला लिया है। कल डॉक्टर बोली थी कि एक तंदुरुस्त शरीर में ही तंदुरुस्त मन रहता है इसलिए मैं भी कसरत शुरू करने वाली हूं!”
चिराग ने अपनी मां को किसी आम मां जैसा पा कर अपनी बेवकूफी भरे विचारों को छुपने के लिए अपने मुंह में अंडा ठूस लिया। फुलवा ने आज satin का ललचाता गाउन पहनने के बजाय एक टॉप और ट्रैक पैंट पहनी थी। नहाने के बाद फुलवा के बाल चोटी में बंधे हुए थे।
फुलवा, “वह गोल मीठी रोटी जैसी चीज पैनकेक है! मैने जेल का कैंटीन चलाते हुए अनेक पदार्थ बनाने सीखे थे। इसमें गेंहू के आटे के साथ दूध, चीनी, केला और अंडा होता है।”
चिराग चुपचाप अपने प्लेट में परोस दिया खाकर बैठ गया। फुलवा ने मुस्कुराते हुए चिराग के बगल में बैठ कर खुद भी नाश्ता कर लिया। नाश्ता होने के बाद फुलवा ने दोनों की प्लेट उठाई और धोने के लिए रखी। केले के छिलके कचरे में डालने के लिए फुलवा झुकी और उसकी मस्तानी गांड़ को देख कर चिराग के मुंह में पानी आ गया।
फुलवा ने चिराग का हाथ अपने हाथ में लेकर किचन की मेज पर बैठ कर बात करना शुरू किया।
फुलवा, “चिराग मैं समझ सकती हूं कि तुम हमारे रिश्ते के बारे में असमझस में हो। मैं तुम्हें बताना चाहती हूं कि तुम मेरे बेटे हो और हमेशा मेरे बेटे रहोगे! जब मैंने तुम्हें अपने अंदर महसूस किया तब भी मैं तुमसे प्यार करती थी, जब मैने तुम्हें जेल में से बाहर भेजने के लिए अपने से तोड़ा तब भी मैं तुमसे प्यार करती थी और हमेशा करती रहूंगी।”
चिराग मुस्कुराया और फुलवा को कुछ साहस हुआ।
फुलवा, “तुम्हारी मदद से ही मैं समझ पाई की मैं बीमार हूं। इस बीमारी में से ठीक होने में मुझे वक्त लगेगा और तब तक शायद हमारे संबंध मां बेटे की हद्द से परे रहें। अगर तुम ऐसे संबंध नहीं रखना चाहते तो मुझे बता दो! मुझे बुरा लगेगा पर मैं वादा करती हूं कि मैं तुम पर गुस्सा नहीं होने वाली।”
चिराग, “मां, मैं जानता और समझता हूं कि आप सिर्फ मुझ पर भरोसा क्यों करती हैं। मैं इस भरोसे को कभी टूटने नहीं दूंगा। बस वो बात ऐसी है कि…”
फुलवा, “अब शरमाओ मत! बोल दो!”
चिराग, “मुझे डर है कि आप मेरा सहारा लेकर ठीक होने के बजाय अपनी बीमारी को अपनाने की ओर बढ़ गई तो मुश्किल होगी।”
फुलवा, “कल रात को जब तुम्हारा सुपाड़ा मेरी चूत पर दबा तब मेरा भरोसा लगभग टूट गया था। पर मेरा बदन फिर भी तुम्हें चाहता था। तुम्हारे जाने के बाद मुझे तड़पे बगैर गहरी नींद आ गई। सबेरे मेरी आंख खुली और मुझे सोचने का मौका मिला।”
फुलवा ने चिराग को पकड़ कर उठाया और उसे उसके कमरे की ओर ले गई।
फुलवा, “इस बीमारी को तोड़ने के लिए मुझे भूख मिटानी होगी पर चाहत पर काबू रखना होगा। धीरे धीरे भूख चाहत में बदल जायेगी और काबू में भी आ जायेगी। पर अपनी उंगलियों या किसी चीज के साथ करना मेरी चाहत को भूख बना देता है।”
फुलवा ने चिराग को बाथरूम में धक्का देकर भेज दिया।
फुलवा, “मेरा मन चाह रहा है कि मैं तुम्हारे साथ अंदर आऊं और हम दोनों गंदे हो जाएं! पर तुम नहा कर बाहर आ जाओ और हम आगे के फैसले मिल कर लेंगे। ठीक है?”
चिराग नहाकर तयार हो गया और बाहर आ गया।
फुलवा ने उसे एक हिम्मत भरी मुस्कान देते हुए चिराग को बाहर जाते हुए गले लगाया और चिराग काम के लिए मोहनजी के घर गया। मोहनजी चिराग से दो दिन में काफी प्रभावित हो रहे थे।
चिराग ने सिर्फ दो दिन में उनके पूरे कंपनी की व्यवस्था, लोग, उनके ओहदे, उनके कार्यक्षेत्र के साथ ही कंपनी के कमजोर पहलुओं को भी पहचान लिया था। मोहन ने चुपके से अपने पिता से बात की और एक जोखिम भरा फैसला लिया। मोहन ने चिराग को अपनी आखरी मीटिंग बनाते हुए उसे एक खास जिम्मेदारी देने का वादा किया।
चिराग शाम के 5 बजे मोहनजी के साथ मीटिंग के लिए तयार हो रहा था जब उसे सत्याजी का डरा हुआ कॉल आया। सत्या ने बताया कि वह फुलवा के साथ उनके डॉक्टर के पास आई है और डॉक्टर ने चिराग को बुलाया है।
चिराग को मोहन अपनी गाड़ी में ले कर डॉक्टर के पास निकला तो चिराग ने डरते हुए अपनी मां की बीमारी और डॉक्टर को बताया हुआ झूठ मोहन को बताया।
मोहन, “चिराग मैं समझ सकता हूं की लगभग पूरी जवानी कैद में गुजारने के बाद तुमरी मां को मानसिक बीमारी होना लाजमी है। मैं यह भी समझ सकता हूं कि तुम इकलौते मर्द हो जिस पर फूलवाजी भरोसा करें। लेकिन मैं तुम दोनों का शुक्रगुजार हूं कि तुम दोनों ने मेरे एक कहने पर अपना रिश्ता छुपाया और अब मुझ से सच कह कर मुझ पर भरोसा किया। तुम जाओ, मैं सत्या को समझा दूंगा!”
डॉक्टर ने फुलवा से बात कर ली थी और चिराग को तुरंत अंदर बुलाया गया। डॉक्टर ने चिराग से कल रात के बारे में पूछा तो उसने सब सच बताया। डॉक्टर ने फिर फुलवा को वापस अंदर बुलाया और दोनों से बात करने लगी।
डॉक्टर मुस्कुराकर, “आप जैसे पेशेंट मिलते रहें तो मेरा काम बेहद आसान हो जाएगा। फुलवा आपने मेरा सुझाव मान कर अपने आप को राहत दिलाने की कोशिश बंद कर दी। इस से न केवल आप की बीमारी बढ़ने का खतरा टला पर आप भूख और चाह में फरक कर पाईं। चिरागजी आप ने रात को भूख से तड़पती हुई फुलवा की मदद कर उन्हें तब शांत किया जब उन्हें इसकी जरूरत थी। फूलवाजी ने आज सुबह आप को राहत दिलाकर खुद राहत न लेना ही बताता है कि वह अपनी बीमारी को पहचानती है।“
चिराग जानता था कि इतनी तारीफ के बाद लेकिन जरूर आएगा।
डॉक्टर, “लेकिन… यह बीमारी का इलाज है कोई प्रतियोगिता नही। आज सुबह फूलवाजी ने अपनी भूख दबाकर जब चिराग को ऑफिस जाने दिया तो वह भूख उन्हें अंदर से खाने लगी। फूलवाजी ने अपनी सहेली के साथ कसरत कर अपनी भूख को नजरंदाज करने की कोशिश की तो वह और बढ़ती गई।“
डॉक्टर ने चिराग को देख कर, “कोई भी नशा कम करने के लिए उस पर नियंत्रण लाना पहला कदम होता है। पर ऐसे एक दिन में आप पूरा नियंत्रण नहीं पा सकते। चिरागजी आप जवान हो और फूलवाजी सिर्फ आप के स्पर्श को बर्दाश्त कर सकती हैं। इस वजह से आप को फूलवाजी के खातिर कुछ (हंस कर) सख्त रुख अपनाना होगा। मुझे पता है कि यह थोड़ा अटपटा लगेगा पर फूलवाजी दिन में 20 से 30 बार चुधाई से 2 बार चाटे जाने तक पहुंचने के लिए तयार नहीं है।”
फुलवा शरम से लाल हो गई और चिराग का मुंह खुला रह गया।
डॉक्टर समझाते हुए, “आम तौर पर ऐसी हालत में हम उस व्यक्ति को rehab में भेज देते हैं जहां उन्हें 2 या 3 मर्द के ही संपर्क में रखा जाता है। जब पेशेंट को 2- 3 मर्दों में संतुष्ट होने की आदत हो जाए तब उन्हे सिर्फ उनके 1 साथी के साथ रखा जाता है। और आखरी चरण में पेशेंट अपने आप पर काबू पाना सीख लेते हैं। समझ लीजिए 20 मर्दों से वापस आना अनसुना नहीं है पर इसे ठीक होने में 2 से 3 सालों तक समय लगता है! हमें आप के लिए उपचार में कुछ खास बदलाव करने होंगे जो अच्छे भी है और बुरे भी।”
फुलवा, “खास बदलाव?”
डॉक्टर, “आप डरिए मत! देखिए आप 37 साल की हैं। यह उम्र औरत की sexual peak की होती है। इस दौरान औरत यौन संबंधों को ज्यादा तीव्रता और ज्यादा देर तक महसूस करती है। इसी वजह से आप की भूख आप पर हावी हो रही है। लेकिन अच्छी बात यह है कि आप के पास एक जवान मर्द है जो आप की संतुष्ट रखते हुए आप को धीरे धीरे आपकी मर्द से होती घिन पर काबू पाने में मदद कर सकता है।”
फुलवा चुपके से, “डॉक्टर मुझे इस से घिन नही आती क्योंकि यह मेरा बेटा है। मैं इसके साथ… कैसे?…”
डॉक्टर, “मैं कल ही आप दोनों का रिश्ता समझ गई थी। पर फूलवाजी क्या आप किसी rehab center में भर्ती होकर 3 अनजान मर्दों के संग रह सकती हैं? (फुलवा सिहर उठी) तो इसे इलाज समझ कर भूल जाओ! में आप दोनों को कुछ सुझाव दूंगी।”
डॉक्टर ने चिराग की आंखों में देखते हुए, “फूलवाजी को मां बोलना बंद मत करना। इस से उन्हें तुम्हारे साथ लैंगिक संबंध तोड़ने की इच्छा बनी रहेगी। मैं जानती हूं कि आप ने नई नौकरी शुरू की है पर अगर हो सके तो 3 दिन छूटी पर जाइए, अपनी मां को समझिए, उसकी भूख को समझिए, इस से आप उनकी भूख को समय रहते शांत करना सीखेंगे और फिर धीरे धीरे हम फूलवाजी को बाकी मर्दों से मिलाते हुए उनकी घिन कम करेंगे। जैसे फूलवाजी ठीक होने लगेंगी उनकी भूख कम हो जाएगी और दूसरों के साथ मिलकर अपने लिए साथी चुन लेंगी।”
चिराग ने अपनी मां के हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे सहारा दिया। दोनों डॉक्टर से इजाजत लेकर बाहर आ गए।
मोहन और सत्या मां बेटे को लेकर उनके घर पहुंचे। सत्या को फुलवा की पूरी कहानी मोहन ने पहले ही समझा दी थी और अब उसके मन में फुलवा के लिए सहानभूति के अलावा कोई बुरी भावना नहीं थी।
फुलवा को उसके बेडरूम में लेकर सत्या चली गई और मोहन को चिराग से बात करने का मौका मिला।
मोहन, “चिराग, मैं नहीं जानता था कि फूलवाजी को ऐसी बीमारी है। मैंने तुम्हें आज शाम को बुलाया था ताकि मैं तुम्हें एक छोटे सौदे के लिए मुंबई भेजना चाहता था। सोचा 2 3 दिन मुंबई में रहकर सौदा करके लौट आओगे तो तुम्हें भी थोड़ा धंधा करने का तजुर्बा होगा। अब कैसे करें?”
चिराग का दिमाग तेज़ी से दौड़ा।
चिराग, “मोहनजी, मुंबई में क्या काम है?”
मोहन ने समझाया की चिराग पेपर प्रोडक्ट्स के लिए नई डाइज चाहिए थी पर dye बनाने वाली कंपनी का मालिक बेहद शातिर आदमी था जो हर बार ठगता था। मोहन चाहता था कि इस बार चिराग उस से ठगने का अनुभव ले।
चिराग ने मोहन को बताया की अगर उसे फुलवा को साथ ले जाने दिया तो वह अपना काम अब भी करेगा और मोहन को फक्र महसूस होने जैसा सौदा करेगा। मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा कि वह मोहन जितना ठग गया तो भी उसने बाजी मार ली।
चिराग ने अपनी मां को बताया कि वह अपनी बैग भर ले क्योंकि चिराग उसे मुंबई के लिए रवाना कर रहा है। फुलवा ने बिना किसी सवाल के अपना थोड़ा समान समेटा और हॉल में आ गई।
हॉल में चिराग भी अपनी बैग ले आया था और उसने बताया की वह भी मुंबई देखना चाहता है। फुलवा समझ नहीं पा रही थी कि चिराग उसे मुंबई में छोड़ने जा रहा है या घुमाने?
चिराग ने बताया की मोहन ने दोनों के टिकट निकाले थे और उन्हें तुरंत निकालना होगा। मां बेटे ने मोहन की गाड़ी में बैठ कर ट्रेन में कितना वक्त गुजरेगा इसका हिसाब लगाना शुरू किया।
जब गाड़ी रुकी तो वह जगह ट्रेन स्टेशन नहीं थी। चिराग ने लिफाफे के अंदर देखा और हवाई जहाज के 2 टिकट निकले। फुलवा छोटी बच्ची की तरह चीख पड़ी।
फुलवा, “हम उड़ने वाले हैं!!”
अब तक फुलवा में जो भुगतना है वह कोई दो-चार दिन में तो खत्म होने वाला है नहीं,
डॉक्टर की कही बातों से बीमारी और उसका इलाज कुछ कुछ समझ में आ रहा है
अब देखना यह है कि चिराग नया बिजनेस और नए मरीज को किस तरह से संभालता है
और पहली ही बार बिजनेस करने के लिए भी उसे एक जाने-माने thug के पास भेजा जा रहा है
देखते हैं कि चिराग का दिमाग किस तरह से उसे बचा पाता है या नहीं ??
अगले अपडेट का बहुत बेसब्री से इंतजार रहेगा