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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

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  • Total voters
    18
  • Poll closed .

Luckyloda

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चिराग पसीने में भीग हुआ था पर शायद यह पसीना इस वजह से था की अब उसे मां से बात करनी होगी। चिराग को डर सता रहा था कि अब उसकी मां उसे अपने नशे के तौर पर इस्तमाल कर सुधरने के बजाय गलत राह पर चलेगी। उसे कुछ कड़े फैसले लेने होंगे।


चिराग ने ठान लिया को वह अपनी मां को शारीरिक संबंध बनाने देगा लेकिन दवा की तरह तय मात्रा में। चिराग ने अपनी बात को अपने आप से कहा और सोचा की इस से बेतुकी बात कभी किसी ने नहीं की होगी।


चिराग ने अपने घर में डरते हुए कदम रखा मानो उसकी मां उस पर झपटने को बैठी हो। चिराग को किचन में से गुनगुनाने की आवाज आई और वह नाश्ता बनने के डर के साथ अंदर आ गया।


फुलवा ने मुस्कुराते हुए चिराग के सामने दूध का ग्लास, 2 उबले अंडे और कुछ छोटी मीठी रोटी जैसी चीजें रखी। चिराग अपनी मां को देखते हुए बैठ गया और दूध को पीने लगा।


फुलवा, “तुम रोज कसरत करते हो, पर मां तुम्हें चाय बिस्कुट खिलाती हूं। इसी लिए मैंने अब से तुम्हारे लिए पोषक नाश्ता बनाने का फैसला लिया है। कल डॉक्टर बोली थी कि एक तंदुरुस्त शरीर में ही तंदुरुस्त मन रहता है इसलिए मैं भी कसरत शुरू करने वाली हूं!”


चिराग ने अपनी मां को किसी आम मां जैसा पा कर अपनी बेवकूफी भरे विचारों को छुपने के लिए अपने मुंह में अंडा ठूस लिया। फुलवा ने आज satin का ललचाता गाउन पहनने के बजाय एक टॉप और ट्रैक पैंट पहनी थी। नहाने के बाद फुलवा के बाल चोटी में बंधे हुए थे।


फुलवा, “वह गोल मीठी रोटी जैसी चीज पैनकेक है! मैने जेल का कैंटीन चलाते हुए अनेक पदार्थ बनाने सीखे थे। इसमें गेंहू के आटे के साथ दूध, चीनी, केला और अंडा होता है।”


चिराग चुपचाप अपने प्लेट में परोस दिया खाकर बैठ गया। फुलवा ने मुस्कुराते हुए चिराग के बगल में बैठ कर खुद भी नाश्ता कर लिया। नाश्ता होने के बाद फुलवा ने दोनों की प्लेट उठाई और धोने के लिए रखी। केले के छिलके कचरे में डालने के लिए फुलवा झुकी और उसकी मस्तानी गांड़ को देख कर चिराग के मुंह में पानी आ गया।


फुलवा ने चिराग का हाथ अपने हाथ में लेकर किचन की मेज पर बैठ कर बात करना शुरू किया।


फुलवा, “चिराग मैं समझ सकती हूं कि तुम हमारे रिश्ते के बारे में असमझस में हो। मैं तुम्हें बताना चाहती हूं कि तुम मेरे बेटे हो और हमेशा मेरे बेटे रहोगे! जब मैंने तुम्हें अपने अंदर महसूस किया तब भी मैं तुमसे प्यार करती थी, जब मैने तुम्हें जेल में से बाहर भेजने के लिए अपने से तोड़ा तब भी मैं तुमसे प्यार करती थी और हमेशा करती रहूंगी।”


चिराग मुस्कुराया और फुलवा को कुछ साहस हुआ।


फुलवा, “तुम्हारी मदद से ही मैं समझ पाई की मैं बीमार हूं। इस बीमारी में से ठीक होने में मुझे वक्त लगेगा और तब तक शायद हमारे संबंध मां बेटे की हद्द से परे रहें। अगर तुम ऐसे संबंध नहीं रखना चाहते तो मुझे बता दो! मुझे बुरा लगेगा पर मैं वादा करती हूं कि मैं तुम पर गुस्सा नहीं होने वाली।”


चिराग, “मां, मैं जानता और समझता हूं कि आप सिर्फ मुझ पर भरोसा क्यों करती हैं। मैं इस भरोसे को कभी टूटने नहीं दूंगा। बस वो बात ऐसी है कि…”


फुलवा, “अब शरमाओ मत! बोल दो!”


चिराग, “मुझे डर है कि आप मेरा सहारा लेकर ठीक होने के बजाय अपनी बीमारी को अपनाने की ओर बढ़ गई तो मुश्किल होगी।”


फुलवा, “कल रात को जब तुम्हारा सुपाड़ा मेरी चूत पर दबा तब मेरा भरोसा लगभग टूट गया था। पर मेरा बदन फिर भी तुम्हें चाहता था। तुम्हारे जाने के बाद मुझे तड़पे बगैर गहरी नींद आ गई। सबेरे मेरी आंख खुली और मुझे सोचने का मौका मिला।”


फुलवा ने चिराग को पकड़ कर उठाया और उसे उसके कमरे की ओर ले गई।


फुलवा, “इस बीमारी को तोड़ने के लिए मुझे भूख मिटानी होगी पर चाहत पर काबू रखना होगा। धीरे धीरे भूख चाहत में बदल जायेगी और काबू में भी आ जायेगी। पर अपनी उंगलियों या किसी चीज के साथ करना मेरी चाहत को भूख बना देता है।”


फुलवा ने चिराग को बाथरूम में धक्का देकर भेज दिया।


फुलवा, “मेरा मन चाह रहा है कि मैं तुम्हारे साथ अंदर आऊं और हम दोनों गंदे हो जाएं! पर तुम नहा कर बाहर आ जाओ और हम आगे के फैसले मिल कर लेंगे। ठीक है?”


चिराग नहाकर तयार हो गया और बाहर आ गया।


फुलवा ने उसे एक हिम्मत भरी मुस्कान देते हुए चिराग को बाहर जाते हुए गले लगाया और चिराग काम के लिए मोहनजी के घर गया। मोहनजी चिराग से दो दिन में काफी प्रभावित हो रहे थे।


चिराग ने सिर्फ दो दिन में उनके पूरे कंपनी की व्यवस्था, लोग, उनके ओहदे, उनके कार्यक्षेत्र के साथ ही कंपनी के कमजोर पहलुओं को भी पहचान लिया था। मोहन ने चुपके से अपने पिता से बात की और एक जोखिम भरा फैसला लिया। मोहन ने चिराग को अपनी आखरी मीटिंग बनाते हुए उसे एक खास जिम्मेदारी देने का वादा किया।


चिराग शाम के 5 बजे मोहनजी के साथ मीटिंग के लिए तयार हो रहा था जब उसे सत्याजी का डरा हुआ कॉल आया। सत्या ने बताया कि वह फुलवा के साथ उनके डॉक्टर के पास आई है और डॉक्टर ने चिराग को बुलाया है।


चिराग को मोहन अपनी गाड़ी में ले कर डॉक्टर के पास निकला तो चिराग ने डरते हुए अपनी मां की बीमारी और डॉक्टर को बताया हुआ झूठ मोहन को बताया।


मोहन, “चिराग मैं समझ सकता हूं की लगभग पूरी जवानी कैद में गुजारने के बाद तुमरी मां को मानसिक बीमारी होना लाजमी है। मैं यह भी समझ सकता हूं कि तुम इकलौते मर्द हो जिस पर फूलवाजी भरोसा करें। लेकिन मैं तुम दोनों का शुक्रगुजार हूं कि तुम दोनों ने मेरे एक कहने पर अपना रिश्ता छुपाया और अब मुझ से सच कह कर मुझ पर भरोसा किया। तुम जाओ, मैं सत्या को समझा दूंगा!”


डॉक्टर ने फुलवा से बात कर ली थी और चिराग को तुरंत अंदर बुलाया गया। डॉक्टर ने चिराग से कल रात के बारे में पूछा तो उसने सब सच बताया। डॉक्टर ने फिर फुलवा को वापस अंदर बुलाया और दोनों से बात करने लगी।


डॉक्टर मुस्कुराकर, “आप जैसे पेशेंट मिलते रहें तो मेरा काम बेहद आसान हो जाएगा। फुलवा आपने मेरा सुझाव मान कर अपने आप को राहत दिलाने की कोशिश बंद कर दी। इस से न केवल आप की बीमारी बढ़ने का खतरा टला पर आप भूख और चाह में फरक कर पाईं। चिरागजी आप ने रात को भूख से तड़पती हुई फुलवा की मदद कर उन्हें तब शांत किया जब उन्हें इसकी जरूरत थी। फूलवाजी ने आज सुबह आप को राहत दिलाकर खुद राहत न लेना ही बताता है कि वह अपनी बीमारी को पहचानती है।“


चिराग जानता था कि इतनी तारीफ के बाद लेकिन जरूर आएगा।


डॉक्टर, “लेकिन… यह बीमारी का इलाज है कोई प्रतियोगिता नही। आज सुबह फूलवाजी ने अपनी भूख दबाकर जब चिराग को ऑफिस जाने दिया तो वह भूख उन्हें अंदर से खाने लगी। फूलवाजी ने अपनी सहेली के साथ कसरत कर अपनी भूख को नजरंदाज करने की कोशिश की तो वह और बढ़ती गई।“


डॉक्टर ने चिराग को देख कर, “कोई भी नशा कम करने के लिए उस पर नियंत्रण लाना पहला कदम होता है। पर ऐसे एक दिन में आप पूरा नियंत्रण नहीं पा सकते। चिरागजी आप जवान हो और फूलवाजी सिर्फ आप के स्पर्श को बर्दाश्त कर सकती हैं। इस वजह से आप को फूलवाजी के खातिर कुछ (हंस कर) सख्त रुख अपनाना होगा। मुझे पता है कि यह थोड़ा अटपटा लगेगा पर फूलवाजी दिन में 20 से 30 बार चुधाई से 2 बार चाटे जाने तक पहुंचने के लिए तयार नहीं है।”


फुलवा शरम से लाल हो गई और चिराग का मुंह खुला रह गया।


डॉक्टर समझाते हुए, “आम तौर पर ऐसी हालत में हम उस व्यक्ति को rehab में भेज देते हैं जहां उन्हें 2 या 3 मर्द के ही संपर्क में रखा जाता है। जब पेशेंट को 2- 3 मर्दों में संतुष्ट होने की आदत हो जाए तब उन्हे सिर्फ उनके 1 साथी के साथ रखा जाता है। और आखरी चरण में पेशेंट अपने आप पर काबू पाना सीख लेते हैं। समझ लीजिए 20 मर्दों से वापस आना अनसुना नहीं है पर इसे ठीक होने में 2 से 3 सालों तक समय लगता है! हमें आप के लिए उपचार में कुछ खास बदलाव करने होंगे जो अच्छे भी है और बुरे भी।”


फुलवा, “खास बदलाव?”


डॉक्टर, “आप डरिए मत! देखिए आप 37 साल की हैं। यह उम्र औरत की sexual peak की होती है। इस दौरान औरत यौन संबंधों को ज्यादा तीव्रता और ज्यादा देर तक महसूस करती है। इसी वजह से आप की भूख आप पर हावी हो रही है। लेकिन अच्छी बात यह है कि आप के पास एक जवान मर्द है जो आप की संतुष्ट रखते हुए आप को धीरे धीरे आपकी मर्द से होती घिन पर काबू पाने में मदद कर सकता है।”


फुलवा चुपके से, “डॉक्टर मुझे इस से घिन नही आती क्योंकि यह मेरा बेटा है। मैं इसके साथ… कैसे?…”


डॉक्टर, “मैं कल ही आप दोनों का रिश्ता समझ गई थी। पर फूलवाजी क्या आप किसी rehab center में भर्ती होकर 3 अनजान मर्दों के संग रह सकती हैं? (फुलवा सिहर उठी) तो इसे इलाज समझ कर भूल जाओ! में आप दोनों को कुछ सुझाव दूंगी।”


डॉक्टर ने चिराग की आंखों में देखते हुए, “फूलवाजी को मां बोलना बंद मत करना। इस से उन्हें तुम्हारे साथ लैंगिक संबंध तोड़ने की इच्छा बनी रहेगी। मैं जानती हूं कि आप ने नई नौकरी शुरू की है पर अगर हो सके तो 3 दिन छूटी पर जाइए, अपनी मां को समझिए, उसकी भूख को समझिए, इस से आप उनकी भूख को समय रहते शांत करना सीखेंगे और फिर धीरे धीरे हम फूलवाजी को बाकी मर्दों से मिलाते हुए उनकी घिन कम करेंगे। जैसे फूलवाजी ठीक होने लगेंगी उनकी भूख कम हो जाएगी और दूसरों के साथ मिलकर अपने लिए साथी चुन लेंगी।”


चिराग ने अपनी मां के हाथ पर अपना हाथ रख कर उसे सहारा दिया। दोनों डॉक्टर से इजाजत लेकर बाहर आ गए।


मोहन और सत्या मां बेटे को लेकर उनके घर पहुंचे। सत्या को फुलवा की पूरी कहानी मोहन ने पहले ही समझा दी थी और अब उसके मन में फुलवा के लिए सहानभूति के अलावा कोई बुरी भावना नहीं थी।


फुलवा को उसके बेडरूम में लेकर सत्या चली गई और मोहन को चिराग से बात करने का मौका मिला।


मोहन, “चिराग, मैं नहीं जानता था कि फूलवाजी को ऐसी बीमारी है। मैंने तुम्हें आज शाम को बुलाया था ताकि मैं तुम्हें एक छोटे सौदे के लिए मुंबई भेजना चाहता था। सोचा 2 3 दिन मुंबई में रहकर सौदा करके लौट आओगे तो तुम्हें भी थोड़ा धंधा करने का तजुर्बा होगा। अब कैसे करें?”


चिराग का दिमाग तेज़ी से दौड़ा।


चिराग, “मोहनजी, मुंबई में क्या काम है?”


मोहन ने समझाया की चिराग पेपर प्रोडक्ट्स के लिए नई डाइज चाहिए थी पर dye बनाने वाली कंपनी का मालिक बेहद शातिर आदमी था जो हर बार ठगता था। मोहन चाहता था कि इस बार चिराग उस से ठगने का अनुभव ले।


चिराग ने मोहन को बताया की अगर उसे फुलवा को साथ ले जाने दिया तो वह अपना काम अब भी करेगा और मोहन को फक्र महसूस होने जैसा सौदा करेगा। मोहन ने मुस्कुराते हुए कहा कि वह मोहन जितना ठग गया तो भी उसने बाजी मार ली।


चिराग ने अपनी मां को बताया कि वह अपनी बैग भर ले क्योंकि चिराग उसे मुंबई के लिए रवाना कर रहा है। फुलवा ने बिना किसी सवाल के अपना थोड़ा समान समेटा और हॉल में आ गई।


हॉल में चिराग भी अपनी बैग ले आया था और उसने बताया की वह भी मुंबई देखना चाहता है। फुलवा समझ नहीं पा रही थी कि चिराग उसे मुंबई में छोड़ने जा रहा है या घुमाने?


चिराग ने बताया की मोहन ने दोनों के टिकट निकाले थे और उन्हें तुरंत निकालना होगा। मां बेटे ने मोहन की गाड़ी में बैठ कर ट्रेन में कितना वक्त गुजरेगा इसका हिसाब लगाना शुरू किया।


जब गाड़ी रुकी तो वह जगह ट्रेन स्टेशन नहीं थी। चिराग ने लिफाफे के अंदर देखा और हवाई जहाज के 2 टिकट निकले। फुलवा छोटी बच्ची की तरह चीख पड़ी।


फुलवा, “हम उड़ने वाले हैं!!”
बहुत ही शानदार


अब तक फुलवा में जो भुगतना है वह कोई दो-चार दिन में तो खत्म होने वाला है नहीं,

डॉक्टर की कही बातों से बीमारी और उसका इलाज कुछ कुछ समझ में आ रहा है


अब देखना यह है कि चिराग नया बिजनेस और नए मरीज को किस तरह से संभालता है


और पहली ही बार बिजनेस करने के लिए भी उसे एक जाने-माने thug के पास भेजा जा रहा है


देखते हैं कि चिराग का दिमाग किस तरह से उसे बचा पाता है या नहीं ??


अगले अपडेट का बहुत बेसब्री से इंतजार रहेगा
 

Nothing

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Dekh te hai aage kya hota hai MUMBAI kya kya rang dikhati hai

Update aap ke aache aa rahe hai mehnat dikhti hai sahad ke chunaw aur feelings express krne k tarike se

Excellent work bro 😎
 
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब फुलवा की बदनसिबी और चुदाई की लत धीरे धीरे कम होती जायेगी
मुंबई में क्या होता है देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Lefty69

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लखनऊ से मुंबई हवाई जहाज से सफर 4 घंटों में पूरा हो गया और दोनों चिराग के लिए बुक किए होटल के कमरे में पहुंचे। अबकी बार दरबान ने उनका स्वागत किया और दोनों को उनके कमरे तक पहुंचाया गया।


चिराग ने जब उस बेलबॉय को सामान लाने के लिए 100 रुपए दिए तो फुलवा उसे देख कर चौंक गई। चिराग और फुलवा ने अपने कमरे में आ कर समान देखा तो वहां सिर्फ एक बड़ा बिस्तर पाया।


फुलवा शरमा कर कोने में बैठ गई पर चिराग ने सीधे बाथरूम में जाकर नहाते हुए सोने की तयारी कर ली। चिराग ने तौलिया लपेटे बाहर आ कर फुलवा को नहाने के लिए कहा और खुद फोन पर किसी से अंग्रेजी में बात करने लगा। फुलवा ने उस शीशे से भरे कमरे मे नहाते हुए अपने आप को देखा।


फुलवा का चेहरे जो किसी जमाने में बेहद खूबसूरत था अब मुरझाया और थका हुआ लग रहा था। फुलवा के मम्मे अब पहले जैसे सक्त और नुकीले नहीं थे पर गोल और नरम होने के साथ ही थोड़े नीचे की ओर झुके हुए थे। फुलवा का पेट थोड़ा फूला हुआ था और वहां काफी चर्बी लग रही थी। फुलवा की चूत कई सालों तक लगातार चूधने से पाव रोटी की तरह फूल कर भरी हुई दिख रही थी। फुलवा की गांड़ भरी हुई थी जो बेहद मोटी लग रही थी। फुलवा की जांघें भी मोटी लग रही थी और उसके घुटने, एडियां और पैर बिलकुल खास नही थे।


अपने बदन से असंतुष्ट होकर फुलवा ने गद्दे जैसे नरम तौलिए के robe को पहना और अपने बदन को छुपने के लिए उसका मोटा रस्सा कस कर बांध लिया। फुलवा ने बाथरूम में से बाहर कदम रखा तो वहां एक नौकर खाने को परोस रहा था। नौकर फुलवा को देख कर फटी आंखों से देखता रहा।


चिराग मुस्कुराकर, “आओ मां, खाना लग गया है। आज बस रोटी और पनीर की सब्जी मंगाई है। कल कुछ अच्छा नीचे रेस्टोरेंट में देखेंगे। मीठे के लिए रबड़ी भी मंगाई है!”


फुलवा असहज महसूस कर मुस्कुराते हुए बेड के किनारे बैठ गई। चिराग ने नौकर को खाना परोसने के लिए सौ रुपए दिए और प्लेट कल सुबह ले जाने को कहा। नौकर एक छुपी हुई नजर से फुलवा का भरा हुआ बदन देख कर भागा।



चिराग और फुलवा ने खाना खाया तब दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे। फुलवा को मुंबई के बारे में सिर्फ दो बातें मर्दों से सुनने को मिली थी। यहां की औरतें बेहद खूबसूरत थी और यहां की रंडियां बेहद महंगी!


चिराग ने अपनी मां को मुंबई में बाजार, शेयर बाजार, हीरा बाजार के साथ यहां की खूबसूरत जगहों के बारे में बताया। चिराग भी कभी मुंबई नहीं आया था पर उसे अधिकारी सर ने यहां के बारे में काफी कुछ बताया था।


खाना खाने के बाद फुलवा ने एक चादर को फर्श पर बिछाते हुए वहां सोने की तयारी की।


चिराग, “मां, नीचे क्यों सो रही हो? हम दोनों यहां सो सकते हैं! तुम्हें अकेले सोना है क्या?”


फुलवा की आंखों में आंसू भर आए। उसने सिर्फ अपने सर को हिलाकर मना करते हुए नीचे सोने के लिए घुटनों पर बैठ गई। चिराग ने फुलवा के सामने खड़े होकर उसे रोका और अपनी मजबूत बाहों में पकड़ कर उसे उठाया।


चिराग, “मां, हमें आपस में बात करनी है! बताओ मुझे! क्या हुआ?”


फुलवा सिसकने लगी। उसकी झुकी हुई पलकों में से आंसू टपकने लगे। हर आंसू फर्श पर गिरते हुए चिराग के दिल पर तेज़ाब छिड़कता।



चिराग ने अपनी मां को जबरदस्ती अपनी आंखों में देखने को मजबूर किया।


चिराग, “मां!!…?”


फुलवा, “मैं समझ गई हूं! मैं जानती हूं! मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहती! (सिहरते हुए) मैं rehab में रहने को तयार हूं!”


चिराग उस आखरी वाक्य से समझ गया कि मां के परेशान होने का कारण क्या है।


चिराग, “मां, क्या आप को लगता है कि मैं आप को खुश करने के काबिल नहीं हूं?”


चिराग ने बात को उल्टा घुमाकर कहा और फुलवा को अपने डर को बोलना पड़ा।



फुलवा, “मैंने खुद को देखा!… मैं मोटी हूं!!… भद्दी थकी हुई दिखती हूं!!… मेरे अंग से तुम्हें तकलीफ होती है!!… इसी लिए तुमने कल रात…”


चिराग, “मां कल रात के बारे में जानना चाहती हो तो मुझे पूछ लेती! मैं कल रात को तुम्हें तड़पता देख रहा था। तुम अपने आपे में नहीं थी! तुम भूख से तड़प रही थी। उस समय अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ करता तो मैं साबित कर देता की हर मर्द आप।से एक ही चीज की उम्मीद रखता है।”


फुलवा, “आज सुबह मुझे तुम पर जबरदस्ती करनी पड़ी!”


चिराग हंस पड़ा, “आज सुबह मैं आखिर तक उसे सपना समझ रहा था! एक ऐसा हसीन सपना जिस में, मैं कुछ करके जाग जाने का खतरा था!”


फुलवा, “मैने देखा वह नौकर मुझे कैसे देख रहा था। जैसे तुम्हारे साथ मुझे देख कर वह चौंक गया हो!”


चिराग ने फुलवा को बेड के किनारे पर बिठाया।


चिराग, “यह बात बिलकुल सच है! वह सोच रहा होगा की यह आदमी अपनी मां को लाने की बात करते हुए एक हसीना के साथ रात गुजारने की फिरात में है!”


फुलवा शरमा कर, “झूठ मत बोलो!!…”


चिराग हंसकर, “अब तो आप सीधे सीधे अपनी तारीफ मांग रही हो! (फुलवा ने अपने सर को हिलाकर मना किया) चलो सच बता देता हूं!”


फुलवा की खुली जुल्फों में अपनी उंगलियां फेर कर उन्हे चेहरे से दूर करते हुए, “आप के चेहरे पर सालों का दर्द सहने पर भी उम्मीद की मासूमियत दिखती है! यहां आने वाली लगभग हर औरत किसी न किसी डॉक्टर से अपने चेहरे को बदलवा चुकी है पर आप का चेहरा ईश्वर का हाथ दिखाता है!”


चिराग ने फुलवा के माथे को चूमा और फुलवा ने अपनी भूख को महसूस करते हुए अपने चेहरे को उठाया।


चिराग, “आप के होंठ सालों से हंसी दबाकर झुर्रियां रोक हुए नही है बल्कि दर्द में भी मुस्कुराकर जिंदगी से भरे हुए हैं!”


चिराग ने फुलवा के होंठों को चूम लिया। फुलवा ने अपने होठों को बंद रखने की कोशिश की पर जब उसे चिराग की जीभ अपने होठों पर महसूस हुई तो एक आह से उसके होंठ खुल गए। चिराग की मर्दाना जीभ झिझकती शरमाती फुलवा की जीभ से टकराई और दोनो को जैसे बिजली की तार छू गई।


चिराग ने बड़े धैर्य से अपने होठों को दूर किया और फुलवा की निराशा भरी आह निकल गई।


चिराग ने अपने सर को झुकाया और फुलवा के गले को चूमते रहे robe में की खुली जगह से उसके सीने की हड्डी को चूमा। फुलवा ने आह भरते हुए अनजाने में चिराग को अपने सीने पर दबाया। फुलवा को पता भी नहीं चला कब चिराग ने उसके robe की गांठ खोल कर फुलवा के पूरे बदन को खोल दिया।


Robe खुला और फुलवा की चौंक कर घुटि हुई चीख निकल गई।


चिराग ने फुलवा के नीचे की ओर मुड़ते हुए मम्मों को नीचे से चूमा और फुलवा बेड पर पीठ के बल गिर गई।


चिराग ने फुलवा के ऊपर उठते हुए, “मां मैं दुबारा आप से पीना चाहता हूं!”


फुलवा ने अपने जलते हुए बदन में से बहते रसों का स्त्रोत खोलते हुए अपनी जांघों को फैलाया। चिराग ने फुलवा के ऊपर लेटते हुए उसके सीने को चूमते हुए अपने घुटनों को फुलवा के फैले हुए घुटनों के बीच रखा। फुलवा ने अपनी आंखें बंद की जब चिराग ने अपने हाथों को उसके मम्मों पर से हटाया। फुलवा ने अपने मन की आंखों में देखा की चिराग ने अपनी पैंट को उतार कर अपने लौड़े को पकड़ लिया था। चिराग के सुपाड़े ने फुलवा की चूत को छूने के बजाय उसकी बाईं चूची पर कुछ बेहद ठंडा लगा।


फुलवा ने चीख कर अपनी आंखें खोली तो देखा कि चिराग एक चम्मच उसकी चूची पर से उठा रहा था। चिराग ने नटखट मुस्कान देते हुए अपने सर को उसकी बाईं चूची पर लाते हुए चूची को चारों ओर से अपनी जीभ से चाटना शुरु किया।


फुलवा को याद आया की उन्होंने रबड़ी खाई नहीं थी। अब चिराग ने फुलवा की चूची को ठंडी रबड़ी में ढक कर उसे अपनी गरम जीभ से चाटना शुरू किया था। चिराग अपनी मां की चूची पर से दूध पी रहा था। मां का वात्सल्य काम ज्वर के साथ मिलते हुए उसकी आग को भड़का रहा था।


चिराग ने फुलवा की एक चूची को उसे दूध पिलाने की याद दिलाने के बाद दूसरी चूची को भी याद दिलाना शुरू किया। चिराग अपनी मां की आहों को सुनता उसकी चूचियों को निचोड़कर पीते हुए मुस्कुरा रहा था। चिराग के अंदर से एक मर्द जानवर अपनी मादा को उसे पाने को उतावला होते पाकर गुर्रा कर खुश हो रहा था।


चिराग ने आखिर कार रबड़ी को पूरी तरह खत्म कर नीचे सरका। चिराग ने अपनी मां के फूले हुए पेट को चूमते हुए उसकी नाभी को चूमा। फुलवा को एहसास हुआ कि चिराग उसे दुबारा चाट कर आराम दिलाना चाहता है। डॉक्टर और अपनी भूख की बात मानते हुए फुलवा ने चिराग के ऊपर से अपने पैर को घुमाते हुए पेट के बल लेट गई।


फुलवा मिन्नत करते हुए, “ऐसे नही!!…”


चिराग मुस्कुराया और फुलवा के भरे हुए उभरे नितंब को चूमते हुए अपने दांतों से हल्के काटने लगा। फुलवा बेबसी से आहें भरती चादर को मुट्ठियों में पकड़ कर अपनी जलन में जलती रही। चिराग ने अपनी हथेलियों में फुलवा के फूले हुए चूतड़ों को पकड़ कर खोला तो उन दोनों के बीच दब कर छुपा हुआ भूरा संकरा छेद नज़र आया। यह छेद कांपता हुआ मानो चिराग को मदद की गुहार लगा रहा था।


चिराग ने अपने दिमाग को बंद कर अपने लौड़े की बात सुनी और उस सिहरते हुए भूरे छेद को चाट कर मनाने लगा। फुलवा तकिए में रो पड़ी और उसकी कमर उठ गई।


चिराग ने अपने नाक और मुंह को फैले हुए चूतड़ों की खाई में धकेलते हुए उस संकरे भूरे छेद को चाटते हुए अपनी जीभ से सहलाया। फुलवा के पैर इस हमले से फैल गए और चिराग की उंगलियों को फुलवा की गरम बहती जवानी का स्त्रोत मिला। चिराग ने अपने भूरे दोस्त को प्यार से चाटते हुए अपनी उंगलियों से गरम पानी की यौन गंगोत्री को सहलाया और फुलवा की चूत में बाढ़ आ गई। फुलवा कांपते हुए चीख पड़ी और तकिए पर गिर गई।


चिराग भी उठ कर अपनी मां के बगल में लेट गया।


चिराग, “मां, आप को अब यकीन हो गया है कि मुझे आप के बदन से कोई शिकायत नहीं?”


फुलवा ने शरमाकर, “दरअसल तुम ने अब भी मुझे सिर्फ चाटा है। इस से सिर्फ यह साबित होता है कि तुम मुझे अधूरी भूख मिटाते हुए रख सकते हो! क्या तुम मेरी पूरी भूख सच में मिटाना चाहते हो?”


चिराग ने फुलवा के robe का रस्सा उठाकर दिखाते हुए, “क्या आप को मुझ पर भरोसा है?”
 

Lefty69

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फुलबा को बदनसीब से अब खुसनसिब बनाने का समय आ गया है।
कहानी को दूसरे पड़ाव में ये हो सकता है।
अभी फुलवा के पास सब कुछ है। तो कहानी एक खुशनुमा मोड़ ले तो अच्छा होगा।
बाकी आप पे निर्भर करता है। और हा वो अपने बेटे को संभोग क्रिया में निपुण भी कर सकती है। क्यों की अब वो व्यापार कर रहा है तो शायद ये कला उसके काम आए।

मेरे हिसाब से उसके बेटे पे एक कहानी भी बन सकती ।
जिसमें फुलवा अब एक मजबूत करायदार की भूमिका निभा सकती है।

बस इतना ही बाकी फिर कभी।

धन्यवाद
अपने सुझाव देने के लिए धन्यवाद मित्र।

फुलवा की गरीबी मिट चुकी है पर वह अभी बीमार है। वह अपने बेटे की मदद से ठीक हो जाएगी पर क्या एक 37 साल की औरत ने 18 साल के लड़के से जीवनसाथी के रिश्ते की उम्मीद करनी चाहिए?

क्या होगा इस कहानी का अंत?

अपनी टिप्पणी और प्रतिक्रिया देते रहिए।
 
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Lefty69

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Superb update thaa bro 👍❤️ aur fulwa ki rog ka illaz chirag Mumbai mein ek hardcore bdsm ke saath kare ab toh doctor ne bola bhi hai ke chhatne se fulwa santusht na hoeigi...
Mumbai me kuch karne layak sujhav den

Afsos par Fulva jindagi bhar BDSM hi lete aayi hai

Kya yahi uski kismat me hai?

Kahani ka ant kaisa ho iska sujhav dijiye
 
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Lefty69

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बहुत ही शानदार


अब तक फुलवा में जो भुगतना है वह कोई दो-चार दिन में तो खत्म होने वाला है नहीं,

डॉक्टर की कही बातों से बीमारी और उसका इलाज कुछ कुछ समझ में आ रहा है


अब देखना यह है कि चिराग नया बिजनेस और नए मरीज को किस तरह से संभालता है


और पहली ही बार बिजनेस करने के लिए भी उसे एक जाने-माने thug के पास भेजा जा रहा है


देखते हैं कि चिराग का दिमाग किस तरह से उसे बचा पाता है या नहीं ??


अगले अपडेट का बहुत बेसब्री से इंतजार रहेगा
धन्यवाद मित्र आपकी समीक्षा और टिप्पणी के लिए।

आप के मुताबिक इस कहानी में चिराग को फुलवा से कैसे पेश आना चाहिए?

कहानी की मूल धारा में अब काफी कम मोड़ बचे हैं। क्या हो सकता है इस कहानी का अंत?
 

Lefty69

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Dekh te hai aage kya hota hai MUMBAI kya kya rang dikhati hai

Update aap ke aache aa rahe hai mehnat dikhti hai sahad ke chunaw aur feelings express krne k tarike se

Excellent work bro 😎
Thank you for your appreciation and comment

Do let me know your thoughts and even criticism.
 
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Lefty69

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब फुलवा की बदनसिबी और चुदाई की लत धीरे धीरे कम होती जायेगी
मुंबई में क्या होता है देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूं।

कृपया अपने सुझाव देते रहिए
 
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