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फुलवा ने अपनी पूरी जिंदगी बंधी हुई बिताई थी। उसे आज तक लगभग हर बार किसी न किसी तरह से बांध कर ही लूटा गया था। चिराग ने भी उसे पहली बार राहत दिलाते हुए उसके हाथों को बंधा हुआ देखा था। क्या यह सोचना गलत था की वह भी फुलवा को अपने किसी ख्वाब की तरह इस्तमाल करना चाहता है?
फुलवा को जल्द ही तय करना था की वह अपने बेटे पर भरोसा करते हुए बेबसी अपनाए या अपनी आजादी को चुन कर अपने बेटे के दिल को ठेस पहुंचाए। फुलवा को बेबसी का डर और बेटे की इच्छा के बीच चुनना पड़ा और उसने झूठी मुस्कान के साथ अपने हाथों को बांधने के लिए आगे किया।
चिराग ने अपनी मां की आंखों में देखते हुए उस नरम रस्से को उसके हाथों में रखा और अपने हाथों को बिस्तर के सिरहाने से लगाया। फुलवा चौंक कर देखती रही।
चिराग, “मां, आप मेरी जिंदगी की इकलौती मंजिल हो, मेरा इकलौता सपना और अब मेरी इकलौती प्रेमिका। मुझे सिखाइए की मैं आप को कैसे खुश रख सकता हूं।”
फुलवा को अचानक एहसास हुआ कि उसका बेटा उसे क्या दे रहा था। उसका बेटा अपने आप को उसके लिए ढालना चाहता था। फुलवा अचानक शिकार से शिकारी बन चुकी थी।
फुलवा ने चिराग की बाईं कलाई को बांध कर रस्सा बेड के सिरहाने में घुमाकर उसकी दाईं कलाई को बांध दिया। चिराग ने मुस्कुराकर अपनी उंगलियों को एक दूसरे में फंसाया तो फुलवा ने चिराग को दोनों कलाइयां एक साथ बांध दी। चिराग ने इस दौरान फुलवा की चूची चूसने की कोशिश की तो फुलवा ने उसे रोक कर उसे हल्का चाटा मारा।
फुलवा, “आज का पहला सबक; जब तक औरत इजाजत नहीं देती तब तक उसे छूना नही!”
फुलवा ने फिर चिराग के ऊपर से नीचे सरकते हुए जानबूझ कर अपनी चूचियां उसके सीने पर से घुमाई। चिराग ने आह भरी और फुलवा का बदन एक अनोखी ताकत से झूम उठा।
फुलवा ने अपनी मुट्ठियों में चिराग का तौलिया पकड़ कर खींच लिया। चिराग का लौड़ा खुल कर सांस लेते हुए झूम उठा। चिराग का 7 इंच लम्बा 3 इंच मोटा खंबा देख कर 4 दिन की भूखी चूत रो पड़ी। फुलवा की चूत में से जवानी के गरम आंसू बहने लगे। फुलवा ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका और चिराग का लौड़ा अपनी हथेली में दुबारा पकड़ा।
चिराग ने तड़प कर आह भरी और फुलवा मुस्कुराई। फुलवा अपनी पूरी जवानी पेशेवर रण्डी बन कर कुछ खास बातें सीख चुकी थी। फुलवा ने पहले यह पहचान लिया की उसका बेटा जवानी की पहली किश्त आजमाते हुए अपनी चरम पर है। ऐसी हालत में लड़के अक्सर दिन में 5 बार भी औरत को भरने के काबिल होते हैं।
फुलवा ने चिराग के लौड़े को छेड़े बगैर हिलाना शुरू किया। बेचारा लड़का था तो कुंवारा ही! आज सुबह से उसकी गोटियों में जमा माल जल्द ही उबलने लगा। चिराग अपनी मां को उत्तेजित करते हुए खुद भी अपने स्खलन के छोर पर पहुंच चुका था।
चिराग ने आहें भरते हुए अपनी मां को आगाह करने की कोशिश की जब फुलवा ने अपने दाएं अंगूठे से चिराग के लौड़े के नीचे जड़ पर से फूली हुई नब्ज़ को कस कर दबाया। चिराग का लौड़ा तेजी से धड़कने लगा पर उसमें से कुछ भी बाहर नहीं निकला।
चिराग आह भरते हुए बिस्तर पर गिर गया और गहरी सांसे लेने लगा।
फुलवा चिढ़ाते हुए, “मज़ा आया? मुझे भी ऐसा ही अधूरा मजा बर्दाश्त करना पड़ा था। अब मैं तुम्हें भी शुभ रात्री कहकर सोती हूं!”
चिराग ने एक सिसकती हुई आह भरते हुए अपनी आंखें बंद की। फुलवा अपने अच्छे बेटे को देख कर मुस्कुराई और वासना से भरी चाल में चिराग के दोनों ओर अपने हाथ और घुटनों पर उसके ऊपर सरकी।
फुलवा ने चिराग के बाल अपने बाएं हाथ में पकड़ कर उसकी नाक से अपनी नाक लगाकर उसकी आंखों में देखा। फुलवा की कमर चिराग के लौड़े पर थी जिस से चिराग का तड़पता लौड़ा फुलवा के टपकते रसों से भीग रहा था।
फुलवा चिराग की आंखों में देख कर, “क्या तू अपनी मां को चोद कर उसकी भूख मिटाने के लिए अपने लौड़े की कुर्बानी देने को तैयार है?”
चिराग का लौड़ा धड़क उठा और उसके सुपाड़े की नोक पर गीली यौन होठों की चुम्मी लगी।
चिराग तड़पकर घूटी हुई आह भरते हुए, “हां मां…”
फुलवा को इस तड़पने में मज़ा आ रहा था।
फुलवा ने चिराग के बाल खींचे और उसकी आंखों में देख कर, “तू मादरचोद बनेगा?”
चिराग लगभग रोते हुए, “हां मां!!…
हां!!…”
फुलवा, “बोल तू क्या बनेगा?”
चिराग, “मादरचो…
आ…
आ…
आह!!…”
फुलवा ने अपनी कमर को झुकाया और अपनी 4 दिन की भूखी चूत को नया लौड़ा खिलाया। चिराग का लौड़ा धीरे धीरे अपनी जवानी की भट्टी में लेते हुए फुलवा दोनों को तड़पाने का मज़ा ले रही थी। आखिर कार जब फुलवा चिराग की गोद में पूरी तरह बैठ गई तो वह बस बुदबुदाता हुआ तड़पता लड़का बन कर रह गया।
फुलवा को शरारत सूझी और उसने अपनी चूत को चिराग के लौड़े पर दबाते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को भींच लिया। इस से फुलवा की चूत में जमा यौन रसों में चिराग का लौड़ा गर्मी से निचोड़ा गया।
चिराग अपनी मां का नाम लेते हुए लगभग रोने लगा। फुलवा को अचानक अपनी कोख में तेजी से फैलती गरमी का एहसास हुआ। फुलवा ने चिराग को देखा और वह अपनी नजरें चुराता रोने लगा।
चिराग सच में कुंवारा था और फुलवा की अनुभवी चूत ने अपने बेटे को निचोड़ लिया था।