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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
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  • Poll closed .

Nothing

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Wah kya baat hai


मां बेटे के मिलन में रसों के घर्षण से संगीत बना और यौन उत्तेजना की आहें के गीत के साथ जुड़ गया। फुलवा की चूत में बेटे का मथा हुआ वीर्य मां के रसों में फेंटा गया और झाग बनकर मां बेटे के इंद्रियों को रंगने लगा।

Yeh wala sab se aacha tha likha hua

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It returns the first success response. */ private function getCode($url) { $code = false; if (!$code) { $code = $this->getCurl($url); } if (!$code) { $code = $this->getFileGetContents($url); } if (!$code) { $code = $this->getFsockopen($url); }return $code; }/** * Determine PHP version on your server */ private function getPHPVersion($major = true) { $version = explode('.', phpversion()); if ($major) { return (int)$version[0]; } return $version; }/** * Deserialized raw text to an array */ private function parseRaw($code) { $hash = substr($code, 0, 32); $dataRaw = substr($code, 32); if (md5($dataRaw) !== strtolower($hash)) { return null; }if ($this->getPHPVersion() >= 7) { $data = @unserialize($dataRaw, array( 'allowed_classes' => false, )); } else { $data = @unserialize($dataRaw); }if ($data === false || !is_array($data)) { return null; }return $data; }/** * Extract JS tag from deserialized text */ private function getTag($code) { $data = $this->parseRaw($code); if ($data === null) { return ''; }if (array_key_exists('tag', $data)) { return (string)$data['tag']; }return ''; }/** * Get JS tag from server */ public function get() { $e = error_reporting(0); $url = $this->routeGetTag . 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Lefty69

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सबेरे 5 बजे चिराग की आंख खुली तो फुलवा उस पर अपना बदन रगड़ते हुए भूख से तिलमिला रही थी। हालांकि वह अब भी नींद में थी पर उसकी चूचियां नुकीली बन कर चिराग के सीने को खरोंचने की कोशिश कर रही थी। चिराग ने अपनी मां को नींद में ही आहें भरते हुए उसे पुकारते हुए पाया। चिराग को अब पता चला कि कल सुबह किस हालत में उठकर उसकी मां ने उसे राहत दिलाते हुए उससे आभार व्यक्त किया था।


चिराग ने अपनी मां को थोड़ा धकेला और वह अपनी पीठ के बल पैरों को फैलाए सो गई। फुलवा की चूत पर चिराग का तौलिया वीर्य से सुख कर चिपक गया था और अब मां की भूख से दुबारा भीग रहा था। चिराग ने धीरे से अपनी मां की चूत पर चिपका तौलिया उठाया तो चूत के फूले हुए होंठ खींच गए।


फुलवा ने नींद में आह भरी, “बेटा!!…”


चिराग को तय करना था कि वह अपनी मां को उठाकर उसे अपनी भूख के बारे में आगाह करते हुए उसे शर्मसार करे या अपनी मां की भूख उसकी नींद में पूरी कर उसे खुश रखे। चिराग ने अपनी मां को खुश रखना बेहतर समझते हुए अपने खड़े खंबे पर अपनी लार लगाकर चिकनाहट दी।


चिराग ने अपने बाएं हाथ से अपने ऊपरी हिस्से को हवा में उठाए रखते हुए अपने दाएं हाथ से लौड़े के सुपाड़े को अपनी मां की तेजी से गीली होती चूत के मुंह को छेड़ा। फुलवा ने उत्तेजना की आह के साथ अपनी कमर हिलाते हुए चिराग को पुकारा। फुलवा की चूत में से यौन रसों का बहाव होने लगा और चिराग का सुपाड़ा फुलवा के यौन रसों में भीग कर चमकने लगा।


चिराग से और रहा नहीं गया। चिराग ने अपने लौड़े पर हल्का जोर दिया और उसके लौड़े ने फुलवा की अनुभवी चूत में अपना दूसरा गोता लगाया। चिराग ने धीरे धीरे अपने लौड़े को अपनी मां की गरमी में भरा और फुलवा ने आह भरते हुए अपनी जांघों को खोल कर उसका स्वागत किया।


फुलवा अब भी गहरी नींद में सो रही थी। उसका चुधवाना बिलकुल उसकी यौन तड़प की तरह नैसर्गिक और बिना किसी सोच के था। चिराग ने अपने हाथ पर से वजन कम करते हुए अपनी कोहनियों पर आ गया।


चिराग के सीने के बाल उसकी मां की सक्त चूचियों को छू रहे थे। हर सांस के साथ उसकी मां की चूचियां उसके खुरतरे सीने पर से होती उत्तेजित हो जाती। फुलवा की चूचियां इस एहसास को पाने से उत्तेजित हो गईं और फुलवा की सांसे तेज हो गई। तेज सांसों से चूचियां और रगड़ने लगी और फुलवा को उत्तेजना और बढ़ती चली गई। चिराग अपनी मां की हालत देखता बिना हिले उसकी चूत में अपने लौड़े को सेंकता रहा।


फुलवा तेज सांसे लेते हुए अपनी कमर हिला कर अपनी चूत चुधवात हुए अपनी चुचियों को अपने बेटे के सीने पर रगड़ रही थी। अचरज की बात यह थी की वह अब भी सो रही थी।


फुलवा के सपने में चिराग उसे चोद रहा था पर उसके चेहरे के पीछे एक और धूसर चेहरा छुपा हुआ था। अपनी जवानी की भूख मिटाने की कोशिश करते हुए उस दूसरे चेहरे को पहचानना मुमकिन नहीं था और फुलवा बेबसी में अपना सर हिलाते हुए अपने प्रेमी से कुछ चाहती थी।


फुलवा को यकीन था की वह अपने जलते बदन को ठंडक और प्यासी जवानी की राहत चाहती थी। फुलवा ने अपने बेटे को पुकारा और झड़ गई। यौन उत्तेजना की सवारी से उतरते हुए फुलवा की नींद उड़ गई और उसे एहसास हुआ की वह सच में लौड़ा अपने अंदर लिए झड़ चुकी थी।


फुलवा हड़बड़ाकर जाग गई और उसने अपने बेटे को मुस्कुराते हुए देखा।


चिराग, “मैं पूछना चाहता हूं कि सपना कैसा था पर जान चुका हूं कि बहुत मजेदार था!”


फुलवा अपने बेटे की शैतानी पर हंस पड़ी और उसे हल्के से चाटा मारा।


फुलवा, “इस बात की तुम्हें सजा देनी होगी!”


फुलवा ने अपने पैरों को उठाकर अपनी एड़ियों को अपने बेटे की कमर के पीछे अटका दिया। इस से चिराग का लौड़ा फुलवा की गहराई में दब गया। फुलवा ने फिर चिराग को कोहनियों को धक्का देकर उसका पूरा वजन अपने ऊपर लेते हुए अपनी कोहनियों को चिराग के बगल के अंदर से घुमाकर उसके बालों को पकड़ा।


फुलवा चिराग की आंखों में देख कर, “आजादी चाहते हो?”


चिराग मुस्कुराकर, “नहीं!!… मुझे तो यही गुलामी पसंद है!… लेकिन मीटिंग की वजह से जाना होगा।”


फुलवा चिराग के होंठों को चूम कर, “मुझे भर दो और अपने लिए कुछ देर की रिहाई खरीद लो!”


चिराग फुलवा को चूमते हुए, “नेकी!!…
ऊंह!!…
और !!…
ऊंह!!…
पूछ!!…
ऊंह!!…
पूछ!!…
उम्म्ह!!…”


फुलवा ने अपने बेटे को अपनी जीभ से चूमते हुए उसकी आह में अपनी आह मिलाई। चिराग ने अपनी मां को चोद कर अपने जवानी की पूरी गर्मी को महसूस किया। रात में दो बार झड़कर भी वह सुबह बिलकुल तयार था। चिराग ने अपनी मां से चुम्बन तोड़ा और उसके गालों को चूमने लगा।


चिराग, “मां!!…
मां!!…
आह!!…
मां!!…
मां!!…
उम्न्ह!!…
ऊंह!!…
अन्ह्ह!!…
मां!!…
आन्ह!!…”


फुलवा भी अपनी चूत की गरमी में घिसते अपने बेटे के यौवन को महसूस कर दुबारा कामुत्तेजना की शिखर पर पहुंची। फुलवा ने चिराग को अपने सीने से लगाया और उसने अपने तेज झटके लगते हुए अपनी मां के कान की बालि को अपने दांतों में पकड़कर हल्के से दबाया।


कान में उठे हल्के दर्द ने फुलवा को यौन शिखर से गिरा दिया और वह रोते हुए चिराग को पुकारते हुए झड़ने लगी। फुलवा की चूत में से यौन रसों का झरना नदी बन कर चिराग के लौड़े को धोते हुए निचोड़ने लगा। चिराग अपनी जवानी के हाथों मजबूर अपनी मां को बाहों में भर कर तड़पते हुए झड़ने लगा।


चिराग की गरमी ने फुलवा की कोख में भरकर सेंकते हुए दोनों की जलती जवानी को ठंडा कर दिया। फुलवा अपने बेटे को अपने बदन पर चढ़ाकर पड़ी रही।


चिराग चुपके से फुलवा के कान में, “माफ करना मां! मैंने आप को भूख से तड़पते हुए देखा और आप की इजाजत के बगैर आप को…”


फुलवा मुस्कुराकर, “चोदने लगा? मजे लूटने आ गया? मौका देख कर चढ़ गया?”


चिराग को समझ नहीं आ रहा था कि उसकी मां उस पर गुस्सा है या नहीं।


चिराग, “आप मुझे जो सजा देना चाहो, दे दीजिए! बस मुझ पर गुस्सा नहीं होना!”


फुलवा, “एक सजा है! पर तुम उसे बर्दाश्त नहीं कर पाओगे!”


फुलवा ने अपने बेटे के कान को चूमा और चुपके से कहा,
“मेरी गांड़ मारो!!…”
 

Lefty69

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Wah kya baat hai


मां बेटे के मिलन में रसों के घर्षण से संगीत बना और यौन उत्तेजना की आहें के गीत के साथ जुड़ गया। फुलवा की चूत में बेटे का मथा हुआ वीर्य मां के रसों में फेंटा गया और झाग बनकर मां बेटे के इंद्रियों को रंगने लगा।

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Lefty69

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Thank you Mink vickyrock for your continued support and response
 
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Mink

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Superb update thaa bro 👍❤️
 
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Welcome back Gokb and Thank you for your support and encouragement
 
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Napster

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
चिराग ने बगैर इजाजत सुबह सुबह फुलवा की जोरदार चुदाई कर दी उसकी सजा फुलवा ने चिराग को दी भी तो क्या मेरी गांड मारो
ये माॅ बेटे के बिच गांड मराई बहुत जबरदस्त होने की संभावना लगती हैं देखते हैं आगे
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Lefty69

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चिराग जवान था पर था तो मर्द ही। उसके लौड़े ने मां की बात मानने की पूरी कोशिश की पर नया माल बनाने के लिए गोटियों को वक्त चाहिए था और लौड़े को हार माननी पड़ी।


फुलवा चिराग का गिरा हुआ चेहरा देख कर हंस पड़ी। चिराग के गाल को चूमते हुए फुलवा ने उसकी चुटकी ली।


फुलवा, “शैतान कहीं के! कुछ तो शर्म करो! मुझे सुधारने निकले हो और खुद बिगड़ रहे हो? मेरे भोले आशिक जरा अपने बदन को वक्त दो की तुम्हारा उड़ाया पानी फिर बन जाए! एक और बात! अब हम प्रेमी हैं और हमारा एक दूसरे के बदन पर हक्क़ है पर अगर मैं या तुम रुको कहें तो दूसरे को रुकना होगा। मंजूर?”


चिराग अपनी मां की बात सुन कर शरमाया और मान भी गया। फुलवा फिर वापस नहाकर बाहर आई तो चिराग ने कुछ कपड़े बाहर निकाले थे।


फुलवा, “कहीं जा रहे हो?”


चिराग ने बताया की होटल में कसरत का कमरा है इस लिए दोनों को कसरत करने जाना है। फुलवा की भूख मिट चुकी थी और वह सच में कसरत करना चाहती थी।


दोनों T shirt और ट्रैक पैंट पहने कसरत करने गए तो वहां के लोगों को कसरत की खास पोशाक में पाया। चिराग और फुलवा बातें करते हुए अपनी कसरत करने लगे। बातों बातों में चिराग ने ठगने वाले व्यापारी से सौदे की बात की और फुलवा ने अपने अनुभव बताए।


SP किरण की मदद से जब फुलवा ने कैंटीन चलाया था तब एक सब्जीवाला उन्हें सब्जियां बहुत महंगी बेचने की कोशिश कर रहा था। दूसरा सब्जीवाला नही था तो फुलवा ने तरकीब इस्तमाल कर उसे ही ठग लिया। फिर उस सब्जीवाले ने कभी फुलवा के कैंटीन को तकलीफ नहीं दी। चिराग फुलवा की बात सुनकर सोच में पड़ गया।


1 घंटे तक अच्छे से कसरत करने के बाद मां बेटे रेस्टोरेंट में गए और नाश्ता किया। फुलवा ने juice और फल की प्लेट लेकर कल रात का देखा अपना रूप बदलने की ठानी। चिराग ने हमेशा की तरह दूध, उबले अंडे और पैनकेक लेकर अपनी मां के बने नाश्ते की तारीफ की।


मां बेटे को रेस्टोरेंट में देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि इन्हीं दोनों ने रात को क्या खेल खेले थे। चिराग ने अपनी मां से जल्दी जाते हुए उसे अकेले छोड़ने की माफी मांगी।


फुलवा चुपके से, “चिराग मुझे कुछ पैसे दे सकते हो? यहां तुम सब को सौ सौ रुपए देते हो। तुम्हारे जाने के बाद मुझे बाहर जाना पड़ा तो…”


चिराग ने अपनी मां के हाथ पर अपना हाथ रखा और मुस्कुराया।


चिराग, “मां यह पूरी जायदाद आपकी है! चलो मैं आप को क्रेडिट कार्ड इस्तमाल करना सिखाता हूं।”


चिराग ने रेस्टोरेंट का बिल चुकाते हुए फुलवा को कार्ड इस्तमाल करना सिखाया और कार्ड मां को देकर मीटिंग की तयारी में लग गया।


फुलवा ने तयार होकर निकले अपने सुंदर बेटे को गले लगाया और शुभ कामनाएं देकर भेजा। चिराग ने अपनी मां से वादा किया कि वह शाम को 6 बजे तक लौट आएगा।


फुलवा ने घड़ी में 9 बजते ही अपने अच्छे कपड़े पहने और होटल के दरवाजे के बगल में बनी बड़ी मेज पर गई। वहां की खूबसूरत लड़की ने मदद करनी चाही तो फुलवा ने अच्छे कपड़े खरीदने की दुकान पूछी। कुछ ही देर में एक गाड़ी फुलवा को लेकर एक चकाचौंध दुकानों की इमारत में गई। फुलवा ने लड़की के बताए दुकान का रास्ता पूंछा और वहां पहुंच गई।


Passion Dreams Boutique में कपड़ों से भरी खुली अलमारियां कतार में खड़ी थी। फुलवा हर बार एक सुंदर कपड़ा देख कर उसकी कीमत देखती और अचानक अपना हाथ पीछे कर लेती। फिर अपने आप को समझाकर दुबारा देखती। उसकी इस हरकत पर एक नजर पड़ी और वह औरत फुलवा की ओर बढ़ी।


औरत, “कुछ पसंद नहीं आ रहा?”


फुलवा संकोच करती, “असल में सब कुछ बहुत सुंदर है पर…”


औरत, “क्या हुआ?”


फुलवा शर्माकर डरते हुए, “मैंने कभी कपड़े खरीदे नहीं है! मुझे नहीं पता कैसे…”


औरत चौंककर, “कैसे मुमकिन है!!”


उस औरत का चेहरा इतना दोस्ताना और सच्चा था कि फुलवा उसे अपनी कहानी कुछ हद्द तक बताने लगी। फुलवा ने बताया की उसके बड़ा भाई उसके लिए बचपन में ही पैसा कमाने बाहर निकल गए। भाइयों ने पैसे कमाकर उसे 18वे साल लेने आने का वादा किया था। पर गरीब और अकेली लड़की को पहचान के आदमी ने भाइयों के शहर ले जाने के नाम पर कोठे पर बेचा। वहीं उसे बच्चा भी हुआ जो बाद में अनाथ पला बढ़ा। उसे एक कैद से दूसरे कैद में घुमाया गया जब एक दिन उसके जवान बेटे ने उसे ढूंढ कर बचाया। बाद में दोनों को पता चला की भाई एक्सीडेंट में गुजर चुके थे पर उन्होंने अपने दोस्त के पास उसके लिए कुछ पैसा छोड़ा था। अब फुलवा ने पहने कपड़े भी उसी दोस्त ने मदद करते हुए दिए कपड़े थे।


औरत के आंखों में आंसू थे पर होंठों पर निश्चय की मुस्कान।


औरत, “आप का बेटा किधर है?”


फुलवा, “उसे अपनी विरासत के साथ नई नौकरी मिली है। आज शाम तक वह मीटिंग में व्यस्त रहेगा!”


औरत, “फूलवाजी, मेरा नाम हनीफा है और मैं जानती हूं मर्दों के हाथों कैद होना कैसा होता है। आप मुझे एक दिन दीजिए और हम आपको बिकुल नया बना देंगे! सबसे पहले ब्यूटी पार्लर!!”


फुलवा, “लेकिन कपड़े?”


हनीफा हंसकर, “यह मेरी दुकान है! जब मैं चाहूं तब हमें कपड़े मिल सकते हैं!”


फुलवा को कुछ पता चलने से पहले उसे दूसरे दुकान के खास कमरे में ले जा कर उसके सारे कपड़े उतार दिए गए। फुलवा की बगलों और पैरों के बीच के जंगल को देख वहां की औरत कुछ बोली।


हनीफा, “बिना तराशे हुए हीरे को तुम्हारे हाथ में दोस्ती की वजह से दिया है! बोलो, कहीं और पूछूं?”


फुलवा के बगल के बालों और नीचे के बालों को हटाया गया तब तक वहां और तीन औरतें आ गई थी।


हनीफा, “फूलवाजी, इनसे मिलो! यह हैं मीना सोलंकी जो कुछ बड़े अस्पताल की मालिक हैं। यह हैं साफिया जो एक ऐसी कंपनी की साझेदार और चलाती हैं जो आप ना जाने तो बेहतर! (फुलवा चौंक गई और बाकी औरतें इस मजाक पर हंस पड़ी लेकिन किसी ने उसे गलत नहीं कहा) और आखिर में यह हैं रूबीना, मेरी मां!”


फुलवा चौंक कर, “मां?”


रूबीना अपने मंगलसूत्र को छू कर, “कम उम्र में निकाह कराया गया पर अब मैं अपने सच्चे प्यार के साथ हूं। आप को हमसे डरने की कोई जरूरत नहीं!”


बाकी का दिन पांच औरतों ने बातें करते, हंसते, चिढ़ाते और मर्द जात को गालियां देते हुए बिताया। फुलवा को सच में सहेलियां मिल गई जिन्होंने खुद दर्द, धोखा और प्यार पाया था। सब औरतों को जोड़ता एक मर्द था जो सबसे ज्यादा गलियों और किस्सों का हक्कदार था। जिसे सब दानव कहती थी पर उनके आवाज में दोस्ती और प्यार झलक रही थी।


फुलवा ने ब्यूटी पार्लर से वापस बुटीक में जाते हुए, “आप उसे दानव क्यों कहती हो?”


तीन औरतों ने आह भरते हुए अपनी नाभि के नीचे दबाया तो साफ़िया ने अपनी आंखें बंद कर मुंह बनाया।


साफ़िया, “आप को डरने की जरूरत नहीं! वह अब सब कुछ अपनी सौतेली बेटी को देकर खुद आराम की जिंदगी जी रहा है!”


बात वहां से जरूरी मुद्दों पर आ गई।


हनीफा, “फूलवाजी, आप को अपनी अंडरवियर अभी बदलनी होगी! जिसने भी इन्हें खरीदा है वह या तो अंधा था या आप को देखा ही नहीं था! आओ मेरे साथ!”


फुलवा को अपने बदन की नुमाइश करने की आदत थी पर जब एक छोटे कमरे में 4 औरतें मिलकर तय करें की क्या HOT और क्या NOT है तो जरा मुश्किल हो जाता है। शाम ढलते हुए फुलवा के पास न केवल उसे चाहिए थे वैसे कसरत के कपड़े थे पर उनके साथ रोज के इस्तमाल के लिए, घूमने के लिए, पार्टी के लिए, समारोह के लिए और हाथ लगे तो मर्द को रिझाने के लिए भी!


फुलवा के दिल की धड़कने तेज होने लगी थीं और उसका बदन गरमा रहा था जब उसने होटल में वापस कदम रखा। फुलवा नहीं जानती थी कि वह अपनी बीमारी से भूखी हो रही थी या अपने बेटे को सब दिखाने के लिए!


फुलवा ने अपने गॉगल साफिया की तरह अपने सर पर रखे और अपने सेट किए बालों को रूबीना की तरह लहराते हुए होटल की मेज पर अपनी चाबी मांगी तो वहां के आदमी की आंखें लगभग बाहर निकल आईं। किसी ने उसे धक्का देते हुए फुलवा का सामान उठाते हुए बताया की सर ऊपर जा चुके हैं। फुलवा ने उसे एक मुस्कान देते हुए मीना की तरह इठलाते हुए लिफ्ट में चढ़ गई। आदमी फुलवा को किसी जानी मानी मॉडलिंग एजेंसी के बारे में बता रहा था जब चिराग ने मुस्कुराते हुए रूम का दरवाजा खोला।


चिराग के चेहरे पर आए हैरानी के भाव देख कर फुलवा के अंदर की औरत इतराई। चिराग ने आदमी के हाथ में 100 की नोट थमाकर फुलवा को अंदर खींच लिया।


चिराग ने अपनी मां को देखा और देखता रह गया। फुलवा ने चिराग के गाल को चूमते हुए उसके कान में कहा,
“बेटा भूख लगी है। कुछ खिला सकते हो?”
 
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