Incestlala
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वाह कोमल जी वाह, चलती कहानी के बीच में "फागुन के रंग और भीगे भीगे शब्द" -- ऐसा लगा जैसे किसी लम्बे सफ़र की गाड़ी में बैठें हैं और गर्मी में किसी स्टेशन पर ठन्डे ठन्डे पानी की बौछार नें नाहा लिया हो / वाह ! वाह !! वाह !!!कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत?
प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुंभ वसंत।
चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,
फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।
रंग -पर्व होली की असीम कोटिशः शुभकामनाएं
Mst update15
3 दिनों तक 2 मर्दों की हवस और पिटाई झेलने के बाद जब फुलवा Peter uncle के घर पहुंची तो Peter uncle ने उसे रगड़ रगड़ कर धोया और एक गोली दी। ये वही गोली थी जो उसे पिछले 3 दिनों से मिल रही थी। Peter uncle ने फुलवा को फिर आराम करने दिया और अपने काम में लग गया।
5 दिनों तक गोलियां खाने के बाद Peter uncle ने गोलियां रोक दी। गोलियां रोकने के 2 दिन बाद फुलवा के पेट में मरोड़ उठने लगे और उसका मासिक धर्म शुरू हो गया। फुलवा ने कुछ कपड़े से उस खून को छुपाने की कोशिश की पर Peter uncle ने उसे बताया की अब वह बच्चे के डर से मुक्त होकर चुदाने को तयार हो गई है।
Peter uncle ने फिर फुलवा को एक रण्डी की खास दोस्त से मिलवाया। Peter uncle ने चमकीले पैकेट में से कंडोम खोल कर फुलवा को दिखाया। Peter uncle ने एक नकली लौड़े पर फुलवा को कंडोम चढ़ाना और उतारना सिखाया। Peter uncle ने फुलवा को समझाया की यह छोटी सी चीज औरत को सिर्फ पेट से होने से ही नहीं पर कई लाइलाज बीमारियों से भी बचाती है। अगर कोई ग्राहक इसे इस्तमाल करने से मना कर देता है तो रण्डी उस ग्राहक को लेने से मना कर सकती है।
Peter uncle ने फिर अपने लौड़े पर कंडोम पहना और फुलवा की गांड़ मार दी। फुलवा Peter uncle से अपनी गांड़ मरा कर सुस्ता रही थी जब Peter uncle ने उसे बताया की उसकी रण्डी बनकर जिंदगी परसों से शुरू होगी।
उस दिन शाम को Peter uncle ने फुलवा को हरी साड़ी और ब्लाउज पहन कर तयार होने को कहा। फुलवा तयार हो कर अपने कमरे में इंतजार करते खड़ी रही।
दरवाजा खुला और एक 55 -60 साल का आदमी अंदर आया।
आदमी, “वाह!!… मेरे इंतजार में कितनी खूबसूरत लग रही हो बहु!”
फुलवा को Peter uncle की बात याद आई की यहां लोग औरत नहीं पर सपने को चोदने आते हैं। आज कोई ससुर अपनी बहु को लूटने आया था।
फुलवा ने अपने किरदार को निभाते हुए अपने सर पर घूंघट डाल दिया और झुक कर “ससुरजी” के पैर छू लिए।
ससुर (हवस भरी उंगलियों से फुलवा के सर को छू कर), “बेचारी बहु रानी! जवानी की कसक से तिलमिलाती मेरे बेटे का इंतजार करती रहती हो। क्या करूं! तुझे तड़पकर अपने पास लाने के लिए ही मैं उसे महीने महीने के लिए भेज देता हूं। आ अपने ससुर जी के सीने को ठंडक पहुंचा! जरा मुझे ललचाते तेरे दूधिया गोले तो दिखा!”
फुलवा ने ससुर की ओर पीठ की और उसने अपना ब्लाउज उतार दिया। ससुर लार टपकाते हुए फुलवा को देख रहा था जब फुलवा बस उसकी ओर पीठ किए खड़ी रही।
ससुर, “बहु!… ऐसे ना तड़पाओ रानी! जरा अपना मुखड़ा दिखाओ!…”
फुलवा ने अपने कंधे से पल्लू थोड़ा गिराते हुए ससुर को देखा।
फुलवा ने ससुर को तड़पाते हुए अपने हुस्न का जलवा बिखेरना शुरू किया।
ससुर ने अपनी बहु की जलवे से घायल होते हुए अपने सीने पर हाथ रखा।
ससुर, “कितनी बेशरम बहु हो तुम!… अपने पिता समान ससुर के सामने बिना घूंघट किए ऐसे खड़ी हो!”
फुलवा जानती थी कि यह बस उसे और ज्यादा उकसाने को कहने का तरीका है। इसी लिए फुलवा ने अपने पल्लू को अपनी खुली छाती से हटा कर उस से घूंघट किया।
ससुर, “ऐसे घूंघट से तो बेहतर है की तुम घूंघट ना करो!”
फुलवा ने ससुर को ललचाना जारी रखा।
ससुर, “मैं अपने बेटे को तेरी यह हरकतें बताऊं तो वह तुझे तलाक दे देगा। फिर तुझे मेरी रखैल बन कर मेरे सामने नंगा रहना होगा।“
फुलवा ने ससुर की यह इच्छा भी पूरी करते हुए अपनी कमर पर बंधी हुई साड़ी को खोलते हुए नंगी हो गई।
ससुर ने अब बेसबरी में अपने कपड़े उतार दिए और फुलवा के सामने खड़ा हो गया। फुलवा ने ससुर का इशारा समझ कर उसके खड़े लौड़े को अपनी हथेली की गर्मी में लिया और धीरे धीरे सहलाया।
ससुर ने आह भरते हुए, “बहु!!… और न तड़पाओ! मुझे अपनी गर्मी में दबाओ!”
फुलवा ने ससुर को बेड पर बिठाया पर उस के पैरों के बीच बैठ कर खुद उसका लौड़ा चूसने लगी।
ससुर का लौड़ा चूसने लगा और वह अपनी बहु को पुकारता फुलवा के मुंह को अपने लौड़े पर दबाने लगा। ससुर ने फुलवा को अपने लौड़े से दूर किया ताकि वह शीघ्रपतन से बच जाए पर फुलवा ने अपने हमले को जारी रखा। फुलवा ने अपनी लार से चिकने लौड़े को अपनी चुचियों में पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी।
ससुर ने फुलवा को पकड़ कर बेड पर पटक दिया और उसके पैरों को फैला कर खुद बीच में आ गया। फुलवा अब तक इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि वह इस अनजान मर्द का लौड़ा लेने को तैयार थी। तभी फुलवा को कुछ याद आया और उसने ससुर को लाथ मार कर गिरा दिया। ससुर ने गुस्से से फुलवा को देखा पर उसके हाथ में कंडोम को देख कर मुस्कुराया।
ससुर, “हां! हम नही चाहते की तुम इतनी जल्दी मेरे बेटे को बुलाकर हमारा मजा रोको!…”
ससुर ने अपने लौड़े पर कंडोम पहना और फुलवा की गरमा गरम चूत में दाखिल हो गया। ससुर इतना उतावला हो गया था की वह तेजी से फुलवा को बहु कहते हुए चोद रहा था।
फुलवा ने बूढ़े को अपनी चूत को लूटने दिया। इसी दौरान उत्तेजित फुलवा भी झड़ गई।
फुलवा के झड़ने से ससुर बहुत खुश हुआ। उसने अपनी बहु पर जीत हासिल करने की खुशी में उसे और तेजी से चोदना जारी रखा।
लेकिन बूढ़ा जल्द ही थकने लगा। तो बूढ़ा फुलवा की पीठ की ओर से लेट कर उसे पीछे से चोदने लगा। फुलवा को पीछे से चोदते हुए ससुर उसके मम्मे दबाते हुए उसे चोद रहा था फुलवा को जल्द ही एहसास हुआ की ससुर झड़ने वाला है।
फुलवा ने ससुर को खड़ा किया और कंडोम उतार दिया। फुलवा ने ससुर के सुपाड़े को चूसते हुए उसका लौड़ा हिलाया। ससुर अचानक फुलवा के मुंह में फट गया।
फुलवा के मुंह में से सारा माल उसके सीने और मम्मों पर गिर गया।
ससुर फुलवा से बेहद खुश होकर वहां से चला गया। फुलवा बिस्तर में गिर गई और अपनी हालत पर रोने लगी।
Jb Jawan chikni sexy bhu loda chusegi to har koi sasur bhaduva ban kr lode ki maa chudvayegaWaiting for your next update