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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
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  • Poll closed .

Lefty69

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चिराग समझ गया कि उसकी मां उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसे यह डर भी था की वह उस के व्यवहार से उससे दूरी बनाने लगे।


चिराग, “एक घंटे में क्या करना है?”


फुलवा चिढ़ाते हुए, “नया है क्या?”


चिराग सर झुकाकर, “हां! पहली बार किसी को पैसे दिए हैं।”


फुलवा हंसकर, “आजा!!… आज फुलवाबाई तुझे सब कुछ सिखा देगी।”


फुलवा ने अपने हाथ उठाए और चिराग को देख कर आंख मारी। चिराग ने फुलवा की ड्रेस उतारी। फुलवा अब एक स्ट्रेपलेस ब्रा और बड़ी कसी हुई शॉर्ट्स में खड़ी थी।


चिराग, “ये हाफ पैंट क्यों पहनी है?”


फुलवा, “ड्रेस में पेट बड़ा नहीं दिखना चाहिए इस लिए यह खास पैंट है!”


चिराग ने फुलवा के पेट को पैंट पर से चूमते हुए, “आपका पेट बड़ा नहीं है। आप बहुत सुंदर हो!”


फुलवा, “मेरे नादान आशिक इसी तरह एक घंटा खत्म हो गया तो नीले गोटे लेकर जाना पड़ेगा!”


चिराग समझ गया कि उसकी मां प्यार से चुधवाने के मन में नहीं है। चिराग ने तुरंत अपनी रेत से भरी पैंट उतार दी और फुलवा के सामने खड़ा हो गया।


फुलवा, “रुको सेठ! आपके औजार पर भी रेत लगी है। मैं छिल जाऊंगी!!”


फुलवा ने तुरंत अपने घुटनों पर बैठ कर चिराग का 7 इंची फौलादी औजार चाटना शुरू किया। चिराग को चाटते हुए जब उसकी जीभ पर रेत के कण लगते तो फुलवा बगल में थूंक देती। कुछ ही पलों में चिराग का लौड़ा साफ होकर चमकने लगा और फुलवा उसे जोर जोर से चूसने लगी।


चिराग ने फुलवा को जमीन पर से उठाया और छोटे से कमरे को लगभग पूरी तरह भरते बेड पर धक्का दिया। चिराग ने देखा तो पैंट में छेद था जहां से उसकी मां के गुप्तांग पूरी तरह से खुले थे। चिराग तुरंत अपनी मां की चूत को चाट कर साफ करने लगा।


फुलवा के मखमली साफ किए अंग जल्द ही चिराग की लार और अपने काम रसों से चमकने लगे। चिरागने चाटते हुए अपनी मां की गांड़ भी चाट दी थी। चिराग अब अधीर हो रहा था पर फिर भी वह लगा रहा।


फुलवा से अब रहा नहीं गया और वह अपने बेटे को अपनी चूत पर दबाते हुए उसकी जीभ पर झड़ गई। चिराग ने ढीली पड़ चुकी अपनी मां के ऊपर लेटते हुए उसके 32DD ब्रा के कप नीचे किए। चिराग के होठों ने फुलवा की बाईं चूची पर हमला कर चूसना शुरू किया तो फुलवा की दहिनी चूची चिराग के बाएं हाथ की निचोड़ती उंगलियों में दब रही थी। फुलवा अपने मम्मों के दर्द का मज़ा ले रही थी जब उसे चिराग का सुपाड़ा अपनी चूत पर महसूस हुआ। मन के एक कोने में खेल की याद आई और फुलवा ने अपने बेटे को रोकने की कोशिश की।


फुलवा, “नहीं सेठ!!… 500 में बिना कंडोम के करने को नहीं मिलता! कंडोम पहन कर ही आना!”


चिराग समझ गया कि उसकी मां उसे अब भी अपने स्वास्थ के बारे में खबरदार रहने की सिख दे रही थी।


चिराग ने अपने लौड़े को फुलवा की भूखी चूत में पेल दिया। फुलवा की आह निकल गई और चिराग ने उसे गले लगाया।


चिराग फुलवा के कान में, “बोलो रुक जाऊं?”


फुलवा बस अपना सर हिलाकर मना कर पाई। भूख से बेबस फुलवा जीभ से झड़कर अब लौड़े से झड़ने को बेताब हो रही थी। चिराग ने लंबे चाप लगाते हुए अपनी मां की गरम चूत को वो पेला की उसकी मां का पानी फव्वारे की तरह उड़ गया।


आज सुबह दो बार लगातार झड़ने से चिराग अब भी झड़ने से कुछ दूर था।


चिराग फुलवा के कान में, “रंडियां तो सेठ का माल अपनी चूत में नहीं लेती ना?”


फुलवा ने झड़कर थकी हालत में अपने सर को हिलाकर मना किया। चिराग ने फुलवा को बेड पर से आधा उतारा और पेट के बल लिटा दिया। फुलवा का दाहिना घुटना बेड पर रखा तो बायां पैर पूरी तरह बेड से नीचे छोड़ दिया। इस से पहले कि फुलवा कुछ कर पाती चिराग ने पीछे से अपनी हथेलियों में फुलवा के भरे हुए मम्मे पकड़ लिए। चिराग ने अपनी मां को उसके रसीले मम्मों से उठाकर अपने सीने से लगाया। फुलवा की गांड़ खुली हुई थी और चिराग का चिकना लौड़ा आसानी से अपनी मां की गांड़ में जड़ तक समा गया।


फुलवा आह भरते हुए, “मां!!…”


चिराग, “क्या 500 की रंडियां गांड़ नहीं मरवाती?”


फुलवा चिराग के तेज रफ्तार चुधाई में उसका जवाब बस आहों से दे पाई। चिराग अपने पूरे लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकालते हुए सीधे उसके दूधिया गोलों से अपनी मां को उठाता और फिर उन्हीं गोलों को खींच कर उसे अपने लौड़े पर पटख देता। फुलवा की आहें गूंजती रही और उसकी चूत झड़ती रही।


फुलवा ने अपने खाली हाथों से अपनी सुनी और खुली गीली चूत को सहलाना शुरु किया और अपनी उंगलियों से भी झड़ने लगी। फुलवा अब बस एक झड़ता हुआ मांस का गरम टुकड़ा थी ठीक जैसे वह जिस्म की मंडी में हुआ करती थी। लेकिन इस बार अपनी मर्जी से चूधने से फुलवा को कई गुना ज्यादा मज़ा आ रहा था। फुलवा अपने बेटे के लौड़े पर प्यार से खुद को न्योछावर कर अपनी जवानी का सही मजा ले रही थी।


आखिर में चिराग की आह निकल गई और वह फुलवा के ऊपर लेटकर उसकी गांड़ की गहराइयों में जोरों से धड़कने लगा। चिराग की गरमी अपनी आतों में लेकर फुलवा मुस्कुराई और एक झपकी लेने लगी।


चिराग ने अपनी मां को आराम करने दिया और खुद नहाकर नए कपड़े पहनने लगा। फुलवा की खुली गांड़ में से वीर्य फर्श पर टपक रहा था जब फुलवा ने धीरे से अपनी आंखें खोली।


फुलवा, “1 घंटा हो गया?”


चिराग फुलवा को चूमते हुए, “अभी के लिए काफी हुआ! भूख लगी तो रात को वापस खेलेंगे।”


फुलवा मान गई और नहाकर नए कपड़े पहनने के बाद दोनों बाहर निकले। चाबी लौटते हुए होटल के लड़के ने चिराग को रुकने का इशारा किया।


लड़का फुसफुसाते हुए, “कमरा पसंद आया?”


चिराग मुस्कुराकर फुसफुसाते हुए, “बहुत बढ़िया और यादगार कमरा है। क्या लगता है?”


लड़का एक आंख से फुलवा को देखा, “शरीफ घर की मां को पटाना बहुत मुश्किल होता है! कैसे किया?”


चिराग, “बहुत पापड़ बेलने पड़े! पर… पूरा वसूल!!”


लड़का मुंह बनाकर, “किस्मत वाले हो! वरना पापड़ बेलकर भी बिस्कुट पर भगा दिया जाता है! देखो जरा इसके पहचान की कोई… कोई भी चलेगी¡”


चिराग ने हंसकर हां कहा और बाहर निकल आया।


फुलवा, “मेरी कीमत पूछी?”


चिराग, “उसने कहा की मैं नसीबवाला हूं जो शरीफ घर की मां के मजे ले पाया। मां, आप कभी अपने आप पर शक नहीं करना!”


फुलवा मान गई और मां बेटे बातें करते हुए मानव शाह की गाड़ी में बैठ गए।
 

Lefty69

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धन्यवाद एक बेहतरीन कहानी के लिए
आप के जवाब और प्रशंसा के लिए आभारी हूं।

अपनी टिप्पणी और सुझाव देते रहिए।
 
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Lefty69

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Superb update thaa bro aur last wala maine connect nahi kar paya kyun ki Maine dusri kahani nahi padhi fir bhi ek newbie ke liye bhi koi pareshani naa ho iska aap bahut dhyan rakha hope aage bhi cross reference jodne se humko problem na hogi ab kya hoga woh chotte se kamre mein jis mein aaj maa bete roleplay karenege...
Hope you liked the roleplay.

Thank you for your continued support and suggestions.
 

Lefty69

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Maa to pura gyan de diya hai apne bete ko har chij me.
Agar koi Gyan Dena baki rah gaya hai to apni comments me bataiye

Hum Chirag ko agle safar me adhura nahi chhod sakate
 

Lefty69

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Bhut shandaar update..... maja Aa gya padh k.... aur manav shah ko Iss kahani m dekh k shock sa laga....



Ab agle update ka bhut besabri se intjaar h
Thank you for your continued support and replies.

Manav Shah was in फिरौती and शीघ्रपत्नि too

Any suggestions or ideas are always welcome
 

Nothing

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Garam update maja aa gea bro 😎 ese hi likhte rahiye
 

Mink

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Superb update 😊✋ ab raat mein kya hoga jab hotel mein pahunch jaayenge dono aur kuch aisa ho jab woh dono bhari baarish mein apna agla daur shuru karenge...
 
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vickyrock

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चिराग समझ गया कि उसकी मां उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसे यह डर भी था की वह उस के व्यवहार से उससे दूरी बनाने लगे।


चिराग, “एक घंटे में क्या करना है?”


फुलवा चिढ़ाते हुए, “नया है क्या?”


चिराग सर झुकाकर, “हां! पहली बार किसी को पैसे दिए हैं।”


फुलवा हंसकर, “आजा!!… आज फुलवाबाई तुझे सब कुछ सिखा देगी।”


फुलवा ने अपने हाथ उठाए और चिराग को देख कर आंख मारी। चिराग ने फुलवा की ड्रेस उतारी। फुलवा अब एक स्ट्रेपलेस ब्रा और बड़ी कसी हुई शॉर्ट्स में खड़ी थी।


चिराग, “ये हाफ पैंट क्यों पहनी है?”


फुलवा, “ड्रेस में पेट बड़ा नहीं दिखना चाहिए इस लिए यह खास पैंट है!”


चिराग ने फुलवा के पेट को पैंट पर से चूमते हुए, “आपका पेट बड़ा नहीं है। आप बहुत सुंदर हो!”


फुलवा, “मेरे नादान आशिक इसी तरह एक घंटा खत्म हो गया तो नीले गोटे लेकर जाना पड़ेगा!”


चिराग समझ गया कि उसकी मां प्यार से चुधवाने के मन में नहीं है। चिराग ने तुरंत अपनी रेत से भरी पैंट उतार दी और फुलवा के सामने खड़ा हो गया।


फुलवा, “रुको सेठ! आपके औजार पर भी रेत लगी है। मैं छिल जाऊंगी!!”


फुलवा ने तुरंत अपने घुटनों पर बैठ कर चिराग का 7 इंची फौलादी औजार चाटना शुरू किया। चिराग को चाटते हुए जब उसकी जीभ पर रेत के कण लगते तो फुलवा बगल में थूंक देती। कुछ ही पलों में चिराग का लौड़ा साफ होकर चमकने लगा और फुलवा उसे जोर जोर से चूसने लगी।


चिराग ने फुलवा को जमीन पर से उठाया और छोटे से कमरे को लगभग पूरी तरह भरते बेड पर धक्का दिया। चिराग ने देखा तो पैंट में छेद था जहां से उसकी मां के गुप्तांग पूरी तरह से खुले थे। चिराग तुरंत अपनी मां की चूत को चाट कर साफ करने लगा।


फुलवा के मखमली साफ किए अंग जल्द ही चिराग की लार और अपने काम रसों से चमकने लगे। चिरागने चाटते हुए अपनी मां की गांड़ भी चाट दी थी। चिराग अब अधीर हो रहा था पर फिर भी वह लगा रहा।


फुलवा से अब रहा नहीं गया और वह अपने बेटे को अपनी चूत पर दबाते हुए उसकी जीभ पर झड़ गई। चिराग ने ढीली पड़ चुकी अपनी मां के ऊपर लेटते हुए उसके 32DD ब्रा के कप नीचे किए। चिराग के होठों ने फुलवा की बाईं चूची पर हमला कर चूसना शुरू किया तो फुलवा की दहिनी चूची चिराग के बाएं हाथ की निचोड़ती उंगलियों में दब रही थी। फुलवा अपने मम्मों के दर्द का मज़ा ले रही थी जब उसे चिराग का सुपाड़ा अपनी चूत पर महसूस हुआ। मन के एक कोने में खेल की याद आई और फुलवा ने अपने बेटे को रोकने की कोशिश की।


फुलवा, “नहीं सेठ!!… 500 में बिना कंडोम के करने को नहीं मिलता! कंडोम पहन कर ही आना!”


चिराग समझ गया कि उसकी मां उसे अब भी अपने स्वास्थ के बारे में खबरदार रहने की सिख दे रही थी।


चिराग ने अपने लौड़े को फुलवा की भूखी चूत में पेल दिया। फुलवा की आह निकल गई और चिराग ने उसे गले लगाया।


चिराग फुलवा के कान में, “बोलो रुक जाऊं?”


फुलवा बस अपना सर हिलाकर मना कर पाई। भूख से बेबस फुलवा जीभ से झड़कर अब लौड़े से झड़ने को बेताब हो रही थी। चिराग ने लंबे चाप लगाते हुए अपनी मां की गरम चूत को वो पेला की उसकी मां का पानी फव्वारे की तरह उड़ गया।


आज सुबह दो बार लगातार झड़ने से चिराग अब भी झड़ने से कुछ दूर था।


चिराग फुलवा के कान में, “रंडियां तो सेठ का माल अपनी चूत में नहीं लेती ना?”


फुलवा ने झड़कर थकी हालत में अपने सर को हिलाकर मना किया। चिराग ने फुलवा को बेड पर से आधा उतारा और पेट के बल लिटा दिया। फुलवा का दाहिना घुटना बेड पर रखा तो बायां पैर पूरी तरह बेड से नीचे छोड़ दिया। इस से पहले कि फुलवा कुछ कर पाती चिराग ने पीछे से अपनी हथेलियों में फुलवा के भरे हुए मम्मे पकड़ लिए। चिराग ने अपनी मां को उसके रसीले मम्मों से उठाकर अपने सीने से लगाया। फुलवा की गांड़ खुली हुई थी और चिराग का चिकना लौड़ा आसानी से अपनी मां की गांड़ में जड़ तक समा गया।


फुलवा आह भरते हुए, “मां!!…”


चिराग, “क्या 500 की रंडियां गांड़ नहीं मरवाती?”


फुलवा चिराग के तेज रफ्तार चुधाई में उसका जवाब बस आहों से दे पाई। चिराग अपने पूरे लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकालते हुए सीधे उसके दूधिया गोलों से अपनी मां को उठाता और फिर उन्हीं गोलों को खींच कर उसे अपने लौड़े पर पटख देता। फुलवा की आहें गूंजती रही और उसकी चूत झड़ती रही।


फुलवा ने अपने खाली हाथों से अपनी सुनी और खुली गीली चूत को सहलाना शुरु किया और अपनी उंगलियों से भी झड़ने लगी। फुलवा अब बस एक झड़ता हुआ मांस का गरम टुकड़ा थी ठीक जैसे वह जिस्म की मंडी में हुआ करती थी। लेकिन इस बार अपनी मर्जी से चूधने से फुलवा को कई गुना ज्यादा मज़ा आ रहा था। फुलवा अपने बेटे के लौड़े पर प्यार से खुद को न्योछावर कर अपनी जवानी का सही मजा ले रही थी।


आखिर में चिराग की आह निकल गई और वह फुलवा के ऊपर लेटकर उसकी गांड़ की गहराइयों में जोरों से धड़कने लगा। चिराग की गरमी अपनी आतों में लेकर फुलवा मुस्कुराई और एक झपकी लेने लगी।


चिराग ने अपनी मां को आराम करने दिया और खुद नहाकर नए कपड़े पहनने लगा। फुलवा की खुली गांड़ में से वीर्य फर्श पर टपक रहा था जब फुलवा ने धीरे से अपनी आंखें खोली।


फुलवा, “1 घंटा हो गया?”


चिराग फुलवा को चूमते हुए, “अभी के लिए काफी हुआ! भूख लगी तो रात को वापस खेलेंगे।”


फुलवा मान गई और नहाकर नए कपड़े पहनने के बाद दोनों बाहर निकले। चाबी लौटते हुए होटल के लड़के ने चिराग को रुकने का इशारा किया।


लड़का फुसफुसाते हुए, “कमरा पसंद आया?”


चिराग मुस्कुराकर फुसफुसाते हुए, “बहुत बढ़िया और यादगार कमरा है। क्या लगता है?”


लड़का एक आंख से फुलवा को देखा, “शरीफ घर की मां को पटाना बहुत मुश्किल होता है! कैसे किया?”


चिराग, “बहुत पापड़ बेलने पड़े! पर… पूरा वसूल!!”


लड़का मुंह बनाकर, “किस्मत वाले हो! वरना पापड़ बेलकर भी बिस्कुट पर भगा दिया जाता है! देखो जरा इसके पहचान की कोई… कोई भी चलेगी¡”


चिराग ने हंसकर हां कहा और बाहर निकल आया।


फुलवा, “मेरी कीमत पूछी?”


चिराग, “उसने कहा की मैं नसीबवाला हूं जो शरीफ घर की मां के मजे ले पाया। मां, आप कभी अपने आप पर शक नहीं करना!”


फुलवा मान गई और मां बेटे बातें करते हुए मानव शाह की गाड़ी में बैठ गए।
बेहतरीन जब किसी रंडी को कोई शरीफ घर की औरत समझे इस से ज्यादा सुखद एक रंडी के लिए कुछ भी नहीं हो सकता
 

Gokb

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Fulwab to apne bete har sukh de rahi hai. Maja agaya padhkar.
 

Incestlala

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फुलवा ने चिराग के गाल को चूमते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को कसना जारी रखा। चिराग के चेहरे को उठाकर फुलवा ने उसके नाक को चूमा तो शरमसार नजरों से चिराग ने अपनी मां की आंखों में देखा।


फुलवा, “शुक्रिया बेटा! तुमने मुझे वो दिया है जो आज तक मुझे नहीं मिला!”


चिराग थोड़ा गुस्सा होते हुए, “क्या? हंसने का मौका?”


फुलवा मुस्कुराकर, “नहीं मेरे बच्चे! मुझे अपना पहला प्यार बनाने का तोहफा!”


इस से पहले कि चिराग कुछ कह पता फुलवा ने उसके होठों पर अपने होंठ लगाए और उसे चूमने लगी। फुलवा ने अपनी कमर को धीरे से ऊपर उठाया और चिराग का लौड़ा लगभग सुपाड़े तक बाहर आ गया। फुलवा चिराग के लौड़े पर बैठ गई और चिराग की आह निकल गई।


चिराग ने आह भरते ही फुलवा ने अपनी जीभ को आगे बढ़ाते हुए चिराग की जीभ को ढूंढ लिया। चिराग की जीभ भी फुलवा की जीभ से भिड़ते ही लड़ने लगी। मां बेटे की जीभ की जंग होने लगी और उन्हें घेरे होटों ने एक दूसरे को दबाते हुए अपना घेरा बनाए रखा।


फुलवा की कमर ने हिलते हुए चिराग के लौड़े को उसी के वीर्य से पोत दिया। अपने और मां के यौन रसों की चिकनाहट में सेंखता चिराग का लौड़ा दुबारा तन गया। फुलवा ने अपने मुंह को दूर करते हुए आह भरी और अपनी कमर को हिलाने की रफ्तार बढ़ा दी।


चिराग ने मौका साध कर फुलवा के गले को चूमते हुए अपनी कमर को उठाना शुरू कर दिया। फुलवा ने चिराग के बालों को खींच कर उसे अपने गले से दूर किया।


फुलवा, “मादरचोद!!…

मज़ा आ रहा है न!!…
मैं तुझे इतनी आसानी से छोडूंगी नही!!…
ले चूस मेरा मम्मा!!…
निकाल मेरा दूध!!…”


फुलवा ने चिराग का चेहरा अपने बाएं मम्मे पर दबाते हुए उसे जबरदस्ती अपनी चूची खिलाई। दाएं हाथ से बेड के सिरहाने को पकड़ कर अपनी कमर हिलाते हुए उसने चिराग को अपने सूखे हुए मम्मे को चूसकर दूध पीते हुए महसूस किया। फुलवा ने अपनी कमर को चिराग के सुपाड़े तक उठाते हुए तेज़ी से बैठ कर अपनी भूख को मिटाना शुरू किया।


चप…

पच…
पाक…
सुर्रप…


मां बेटे के मिलन में रसों के घर्षण से संगीत बना और यौन उत्तेजना की आहें के गीत के साथ जुड़ गया। फुलवा की चूत में बेटे का मथा हुआ वीर्य मां के रसों में फेंटा गया और झाग बनकर मां बेटे के इंद्रियों को रंगने लगा।


फुलवा का बदन अकड़ने लगा और वह चिराग को पुकारते हुए झड़ने लगी। चिराग का लौड़ा गरम पानी में भिगो कर निचोड़ा गया पर अभी कुछ देर पहले झड़ने से वह रुक पाया। फुलवा तड़पती झड़ते हुए चिराग के लौड़े पर बैठ गई पर चिराग अधीर होकर अपनी कमर हिला कर अपनी मां को चोदता रहा।


फुलवा जवान फौलाद से पिटती बेबस हो कर उसे अपना मम्मा खिलाते हुए चूधती और झड़ती रही। चिराग अब अपना आत्मविश्वास हासिल कर अपनी मां को अपनी जवानी का तोहफा दे रहा था।


चिराग के धक्के तेज हो गए और वह अपनी मां की चूची पर आह भरते हुए कराह उठा। फुलवा को अपनी कोख में दुबारा अपने बेटे की गर्मी महसूस हुई और वह थक कर चूर अपने बेटे के लौड़े पर बैठ गई।


मां बेटे को सर्द AC में भी पसीने छूट गए थे। दोनों ने एक दूसरे को देखा और शरमाकर मुस्कुराए। फुलवा ने अपने बेटे के लौड़े को मुरझाकर बाहर निकलता महसूस किया और वह भी अपनी नारीत्व पर खुश हो गई।


फुलवा ने चुपके से अपनी संतुष्ट चूत पर चिराग का तौलिया लगाकर अपने पैरों को बंद किया। फुलवा ने अपने बेटे के हाथों को खोला तो उसने अपनी मां को उसमें जकड़ लिया।


फुलवा अपने बेटे के सीने पर सर रख कर लेट गई। आज तक वह कभी चूधने के बाद अपने प्रेमी की नजदीक नहीं रही थी। फुलवा को अपने सीने के बालों में उंगलियां फेरते हुए महसूस कर चिराग अपने डर को बोल गया।


चिराग, “मां!!… हमने कंडोम इस्तमाल नहीं किया! आप को जल्द से जल्द दवा दिलानी होगी!”


फुलवा ने अपने जिम्मेदार बेटे के गाल को चूमते हुए, “मेरा अच्छा बेटा! तुझे और कितना अच्छा बनना है? हमें डरने की कोई जरूरत नहीं! जब तुम पैदा हुए मैंने तभी अपना ऑपरेशन करा लिया था। एक रण्डी कभी अपनी मर्जी से दूसरे को अपनी जिंदगी नहीं देती!”


चिराग ने राहत की सांस लेते हुए अपनी मां को कस कर अपनी बाहों में भर लिया और दोनों मां बेटे प्रेमी जोड़े की अघोष में सो गए।
Superb update
 
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