54
चिराग समझ गया कि उसकी मां उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसे यह डर भी था की वह उस के व्यवहार से उससे दूरी बनाने लगे।
चिराग, “एक घंटे में क्या करना है?”
फुलवा चिढ़ाते हुए, “नया है क्या?”
चिराग सर झुकाकर, “हां! पहली बार किसी को पैसे दिए हैं।”
फुलवा हंसकर, “आजा!!… आज फुलवाबाई तुझे सब कुछ सिखा देगी।”
फुलवा ने अपने हाथ उठाए और चिराग को देख कर आंख मारी। चिराग ने फुलवा की ड्रेस उतारी। फुलवा अब एक स्ट्रेपलेस ब्रा और बड़ी कसी हुई शॉर्ट्स में खड़ी थी।
चिराग, “ये हाफ पैंट क्यों पहनी है?”
फुलवा, “ड्रेस में पेट बड़ा नहीं दिखना चाहिए इस लिए यह खास पैंट है!”
चिराग ने फुलवा के पेट को पैंट पर से चूमते हुए, “आपका पेट बड़ा नहीं है। आप बहुत सुंदर हो!”
फुलवा, “मेरे नादान आशिक इसी तरह एक घंटा खत्म हो गया तो नीले गोटे लेकर जाना पड़ेगा!”
चिराग समझ गया कि उसकी मां प्यार से चुधवाने के मन में नहीं है। चिराग ने तुरंत अपनी रेत से भरी पैंट उतार दी और फुलवा के सामने खड़ा हो गया।
फुलवा, “रुको सेठ! आपके औजार पर भी रेत लगी है। मैं छिल जाऊंगी!!”
फुलवा ने तुरंत अपने घुटनों पर बैठ कर चिराग का 7 इंची फौलादी औजार चाटना शुरू किया। चिराग को चाटते हुए जब उसकी जीभ पर रेत के कण लगते तो फुलवा बगल में थूंक देती। कुछ ही पलों में चिराग का लौड़ा साफ होकर चमकने लगा और फुलवा उसे जोर जोर से चूसने लगी।
चिराग ने फुलवा को जमीन पर से उठाया और छोटे से कमरे को लगभग पूरी तरह भरते बेड पर धक्का दिया। चिराग ने देखा तो पैंट में छेद था जहां से उसकी मां के गुप्तांग पूरी तरह से खुले थे। चिराग तुरंत अपनी मां की चूत को चाट कर साफ करने लगा।
फुलवा के मखमली साफ किए अंग जल्द ही चिराग की लार और अपने काम रसों से चमकने लगे। चिरागने चाटते हुए अपनी मां की गांड़ भी चाट दी थी। चिराग अब अधीर हो रहा था पर फिर भी वह लगा रहा।
फुलवा से अब रहा नहीं गया और वह अपने बेटे को अपनी चूत पर दबाते हुए उसकी जीभ पर झड़ गई। चिराग ने ढीली पड़ चुकी अपनी मां के ऊपर लेटते हुए उसके 32DD ब्रा के कप नीचे किए। चिराग के होठों ने फुलवा की बाईं चूची पर हमला कर चूसना शुरू किया तो फुलवा की दहिनी चूची चिराग के बाएं हाथ की निचोड़ती उंगलियों में दब रही थी। फुलवा अपने मम्मों के दर्द का मज़ा ले रही थी जब उसे चिराग का सुपाड़ा अपनी चूत पर महसूस हुआ। मन के एक कोने में खेल की याद आई और फुलवा ने अपने बेटे को रोकने की कोशिश की।
फुलवा, “नहीं सेठ!!… 500 में बिना कंडोम के करने को नहीं मिलता! कंडोम पहन कर ही आना!”
चिराग समझ गया कि उसकी मां उसे अब भी अपने स्वास्थ के बारे में खबरदार रहने की सिख दे रही थी।
चिराग ने अपने लौड़े को फुलवा की भूखी चूत में पेल दिया। फुलवा की आह निकल गई और चिराग ने उसे गले लगाया।
चिराग फुलवा के कान में, “बोलो रुक जाऊं?”
फुलवा बस अपना सर हिलाकर मना कर पाई। भूख से बेबस फुलवा जीभ से झड़कर अब लौड़े से झड़ने को बेताब हो रही थी। चिराग ने लंबे चाप लगाते हुए अपनी मां की गरम चूत को वो पेला की उसकी मां का पानी फव्वारे की तरह उड़ गया।
आज सुबह दो बार लगातार झड़ने से चिराग अब भी झड़ने से कुछ दूर था।
चिराग फुलवा के कान में, “रंडियां तो सेठ का माल अपनी चूत में नहीं लेती ना?”
फुलवा ने झड़कर थकी हालत में अपने सर को हिलाकर मना किया। चिराग ने फुलवा को बेड पर से आधा उतारा और पेट के बल लिटा दिया। फुलवा का दाहिना घुटना बेड पर रखा तो बायां पैर पूरी तरह बेड से नीचे छोड़ दिया। इस से पहले कि फुलवा कुछ कर पाती चिराग ने पीछे से अपनी हथेलियों में फुलवा के भरे हुए मम्मे पकड़ लिए। चिराग ने अपनी मां को उसके रसीले मम्मों से उठाकर अपने सीने से लगाया। फुलवा की गांड़ खुली हुई थी और चिराग का चिकना लौड़ा आसानी से अपनी मां की गांड़ में जड़ तक समा गया।
फुलवा आह भरते हुए, “मां!!…”
चिराग, “क्या 500 की रंडियां गांड़ नहीं मरवाती?”
फुलवा चिराग के तेज रफ्तार चुधाई में उसका जवाब बस आहों से दे पाई। चिराग अपने पूरे लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकालते हुए सीधे उसके दूधिया गोलों से अपनी मां को उठाता और फिर उन्हीं गोलों को खींच कर उसे अपने लौड़े पर पटख देता। फुलवा की आहें गूंजती रही और उसकी चूत झड़ती रही।
फुलवा ने अपने खाली हाथों से अपनी सुनी और खुली गीली चूत को सहलाना शुरु किया और अपनी उंगलियों से भी झड़ने लगी। फुलवा अब बस एक झड़ता हुआ मांस का गरम टुकड़ा थी ठीक जैसे वह जिस्म की मंडी में हुआ करती थी। लेकिन इस बार अपनी मर्जी से चूधने से फुलवा को कई गुना ज्यादा मज़ा आ रहा था। फुलवा अपने बेटे के लौड़े पर प्यार से खुद को न्योछावर कर अपनी जवानी का सही मजा ले रही थी।
आखिर में चिराग की आह निकल गई और वह फुलवा के ऊपर लेटकर उसकी गांड़ की गहराइयों में जोरों से धड़कने लगा। चिराग की गरमी अपनी आतों में लेकर फुलवा मुस्कुराई और एक झपकी लेने लगी।
चिराग ने अपनी मां को आराम करने दिया और खुद नहाकर नए कपड़े पहनने लगा। फुलवा की खुली गांड़ में से वीर्य फर्श पर टपक रहा था जब फुलवा ने धीरे से अपनी आंखें खोली।
फुलवा, “1 घंटा हो गया?”
चिराग फुलवा को चूमते हुए, “अभी के लिए काफी हुआ! भूख लगी तो रात को वापस खेलेंगे।”
फुलवा मान गई और नहाकर नए कपड़े पहनने के बाद दोनों बाहर निकले। चाबी लौटते हुए होटल के लड़के ने चिराग को रुकने का इशारा किया।
लड़का फुसफुसाते हुए, “कमरा पसंद आया?”
चिराग मुस्कुराकर फुसफुसाते हुए, “बहुत बढ़िया और यादगार कमरा है। क्या लगता है?”
लड़का एक आंख से फुलवा को देखा, “शरीफ घर की मां को पटाना बहुत मुश्किल होता है! कैसे किया?”
चिराग, “बहुत पापड़ बेलने पड़े! पर… पूरा वसूल!!”
लड़का मुंह बनाकर, “किस्मत वाले हो! वरना पापड़ बेलकर भी बिस्कुट पर भगा दिया जाता है! देखो जरा इसके पहचान की कोई… कोई भी चलेगी¡”
चिराग ने हंसकर हां कहा और बाहर निकल आया।
फुलवा, “मेरी कीमत पूछी?”
चिराग, “उसने कहा की मैं नसीबवाला हूं जो शरीफ घर की मां के मजे ले पाया। मां, आप कभी अपने आप पर शक नहीं करना!”
फुलवा मान गई और मां बेटे बातें करते हुए मानव शाह की गाड़ी में बैठ गए।
चिराग समझ गया कि उसकी मां उसके साथ खेलना चाहती थी लेकिन उसे यह डर भी था की वह उस के व्यवहार से उससे दूरी बनाने लगे।
चिराग, “एक घंटे में क्या करना है?”
फुलवा चिढ़ाते हुए, “नया है क्या?”
चिराग सर झुकाकर, “हां! पहली बार किसी को पैसे दिए हैं।”
फुलवा हंसकर, “आजा!!… आज फुलवाबाई तुझे सब कुछ सिखा देगी।”
फुलवा ने अपने हाथ उठाए और चिराग को देख कर आंख मारी। चिराग ने फुलवा की ड्रेस उतारी। फुलवा अब एक स्ट्रेपलेस ब्रा और बड़ी कसी हुई शॉर्ट्स में खड़ी थी।
चिराग, “ये हाफ पैंट क्यों पहनी है?”
फुलवा, “ड्रेस में पेट बड़ा नहीं दिखना चाहिए इस लिए यह खास पैंट है!”
चिराग ने फुलवा के पेट को पैंट पर से चूमते हुए, “आपका पेट बड़ा नहीं है। आप बहुत सुंदर हो!”
फुलवा, “मेरे नादान आशिक इसी तरह एक घंटा खत्म हो गया तो नीले गोटे लेकर जाना पड़ेगा!”
चिराग समझ गया कि उसकी मां प्यार से चुधवाने के मन में नहीं है। चिराग ने तुरंत अपनी रेत से भरी पैंट उतार दी और फुलवा के सामने खड़ा हो गया।
फुलवा, “रुको सेठ! आपके औजार पर भी रेत लगी है। मैं छिल जाऊंगी!!”
फुलवा ने तुरंत अपने घुटनों पर बैठ कर चिराग का 7 इंची फौलादी औजार चाटना शुरू किया। चिराग को चाटते हुए जब उसकी जीभ पर रेत के कण लगते तो फुलवा बगल में थूंक देती। कुछ ही पलों में चिराग का लौड़ा साफ होकर चमकने लगा और फुलवा उसे जोर जोर से चूसने लगी।
चिराग ने फुलवा को जमीन पर से उठाया और छोटे से कमरे को लगभग पूरी तरह भरते बेड पर धक्का दिया। चिराग ने देखा तो पैंट में छेद था जहां से उसकी मां के गुप्तांग पूरी तरह से खुले थे। चिराग तुरंत अपनी मां की चूत को चाट कर साफ करने लगा।
फुलवा के मखमली साफ किए अंग जल्द ही चिराग की लार और अपने काम रसों से चमकने लगे। चिरागने चाटते हुए अपनी मां की गांड़ भी चाट दी थी। चिराग अब अधीर हो रहा था पर फिर भी वह लगा रहा।
फुलवा से अब रहा नहीं गया और वह अपने बेटे को अपनी चूत पर दबाते हुए उसकी जीभ पर झड़ गई। चिराग ने ढीली पड़ चुकी अपनी मां के ऊपर लेटते हुए उसके 32DD ब्रा के कप नीचे किए। चिराग के होठों ने फुलवा की बाईं चूची पर हमला कर चूसना शुरू किया तो फुलवा की दहिनी चूची चिराग के बाएं हाथ की निचोड़ती उंगलियों में दब रही थी। फुलवा अपने मम्मों के दर्द का मज़ा ले रही थी जब उसे चिराग का सुपाड़ा अपनी चूत पर महसूस हुआ। मन के एक कोने में खेल की याद आई और फुलवा ने अपने बेटे को रोकने की कोशिश की।
फुलवा, “नहीं सेठ!!… 500 में बिना कंडोम के करने को नहीं मिलता! कंडोम पहन कर ही आना!”
चिराग समझ गया कि उसकी मां उसे अब भी अपने स्वास्थ के बारे में खबरदार रहने की सिख दे रही थी।
चिराग ने अपने लौड़े को फुलवा की भूखी चूत में पेल दिया। फुलवा की आह निकल गई और चिराग ने उसे गले लगाया।
चिराग फुलवा के कान में, “बोलो रुक जाऊं?”
फुलवा बस अपना सर हिलाकर मना कर पाई। भूख से बेबस फुलवा जीभ से झड़कर अब लौड़े से झड़ने को बेताब हो रही थी। चिराग ने लंबे चाप लगाते हुए अपनी मां की गरम चूत को वो पेला की उसकी मां का पानी फव्वारे की तरह उड़ गया।
आज सुबह दो बार लगातार झड़ने से चिराग अब भी झड़ने से कुछ दूर था।
चिराग फुलवा के कान में, “रंडियां तो सेठ का माल अपनी चूत में नहीं लेती ना?”
फुलवा ने झड़कर थकी हालत में अपने सर को हिलाकर मना किया। चिराग ने फुलवा को बेड पर से आधा उतारा और पेट के बल लिटा दिया। फुलवा का दाहिना घुटना बेड पर रखा तो बायां पैर पूरी तरह बेड से नीचे छोड़ दिया। इस से पहले कि फुलवा कुछ कर पाती चिराग ने पीछे से अपनी हथेलियों में फुलवा के भरे हुए मम्मे पकड़ लिए। चिराग ने अपनी मां को उसके रसीले मम्मों से उठाकर अपने सीने से लगाया। फुलवा की गांड़ खुली हुई थी और चिराग का चिकना लौड़ा आसानी से अपनी मां की गांड़ में जड़ तक समा गया।
फुलवा आह भरते हुए, “मां!!…”
चिराग, “क्या 500 की रंडियां गांड़ नहीं मरवाती?”
फुलवा चिराग के तेज रफ्तार चुधाई में उसका जवाब बस आहों से दे पाई। चिराग अपने पूरे लौड़े को सुपाड़े तक बाहर निकालते हुए सीधे उसके दूधिया गोलों से अपनी मां को उठाता और फिर उन्हीं गोलों को खींच कर उसे अपने लौड़े पर पटख देता। फुलवा की आहें गूंजती रही और उसकी चूत झड़ती रही।
फुलवा ने अपने खाली हाथों से अपनी सुनी और खुली गीली चूत को सहलाना शुरु किया और अपनी उंगलियों से भी झड़ने लगी। फुलवा अब बस एक झड़ता हुआ मांस का गरम टुकड़ा थी ठीक जैसे वह जिस्म की मंडी में हुआ करती थी। लेकिन इस बार अपनी मर्जी से चूधने से फुलवा को कई गुना ज्यादा मज़ा आ रहा था। फुलवा अपने बेटे के लौड़े पर प्यार से खुद को न्योछावर कर अपनी जवानी का सही मजा ले रही थी।
आखिर में चिराग की आह निकल गई और वह फुलवा के ऊपर लेटकर उसकी गांड़ की गहराइयों में जोरों से धड़कने लगा। चिराग की गरमी अपनी आतों में लेकर फुलवा मुस्कुराई और एक झपकी लेने लगी।
चिराग ने अपनी मां को आराम करने दिया और खुद नहाकर नए कपड़े पहनने लगा। फुलवा की खुली गांड़ में से वीर्य फर्श पर टपक रहा था जब फुलवा ने धीरे से अपनी आंखें खोली।
फुलवा, “1 घंटा हो गया?”
चिराग फुलवा को चूमते हुए, “अभी के लिए काफी हुआ! भूख लगी तो रात को वापस खेलेंगे।”
फुलवा मान गई और नहाकर नए कपड़े पहनने के बाद दोनों बाहर निकले। चाबी लौटते हुए होटल के लड़के ने चिराग को रुकने का इशारा किया।
लड़का फुसफुसाते हुए, “कमरा पसंद आया?”
चिराग मुस्कुराकर फुसफुसाते हुए, “बहुत बढ़िया और यादगार कमरा है। क्या लगता है?”
लड़का एक आंख से फुलवा को देखा, “शरीफ घर की मां को पटाना बहुत मुश्किल होता है! कैसे किया?”
चिराग, “बहुत पापड़ बेलने पड़े! पर… पूरा वसूल!!”
लड़का मुंह बनाकर, “किस्मत वाले हो! वरना पापड़ बेलकर भी बिस्कुट पर भगा दिया जाता है! देखो जरा इसके पहचान की कोई… कोई भी चलेगी¡”
चिराग ने हंसकर हां कहा और बाहर निकल आया।
फुलवा, “मेरी कीमत पूछी?”
चिराग, “उसने कहा की मैं नसीबवाला हूं जो शरीफ घर की मां के मजे ले पाया। मां, आप कभी अपने आप पर शक नहीं करना!”
फुलवा मान गई और मां बेटे बातें करते हुए मानव शाह की गाड़ी में बैठ गए।