53
अगले दिन सुबह फुलवा ने चिराग को जल्दी उठाया और अपनी चूत की आग बुझाई। मां बेटे फिर कसरत करने गए। वहां के सारे मर्दों की नजर फुलवा पर ऐसी चिपकी हुई थी कि चिराग उसे मां पुकारते हुए उसके साथ रहकर भी उन्हें रोक नहीं पाया। जाहिर सी बात थी कि फुलवा दुबारा भूखी हो गई!
जैसे तैसे नाश्ता पूरा कर जब मां बेटे अपने कमरे में पहुंचे तो चिराग अपनी मां के रूप और अपनी जलन से इतना गुस्सा था कि उसका गुस्सा मां पर फूट पड़ा।
नहाती हुई मां की कसी हुई गांड़ में अपना गुस्सा थूंक कर चिराग ने उसे धोने और साफ होने में मदद की। गांड़ में बेटे का प्यार मिलने पर भला फुलवा अपने बेटे को माफ कैसे ना करती?
फुलवा ने जानबूझ कर एक मॉडर्न लेकिन समारोह वाला ड्रेस पहना और तयार होने में पूरे 2 घंटे लगा दिए।
जब फुलवा ने चिराग को तयार होने के बारे में बताया तो उसने किसी बहाने अपनी मां को बिस्तर की ओर ले जाने की कोशिश की।
फुलवा हंसकर, “मेरे बहादुर बच्चे, अब तुम से ना हो पाएगा! अच्छे बच्चे की तरह रहे तो रात को मालपुआ खिलाऊंगी!”
चिराग ललचाता फुलवा के पीछे पीछे दानव शाह से खाने पर मिलने निकला।
मानव शाह का घर एक आलीशान बिल्डिंग का penthouse suite था जहां वह अपनी बीवी (जो पहले उसकी भाभी थी) और बेटे के साथ रहता था। बगल का penthouse suite उसकी बेटी (भतीजी) का था जहां वह अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती थी। पूरा परिवार एक साथ खाना खाता था और यहीं का चिराग और फुलवा को न्योता मिला था।
फुलवा की अनुभवी नजरों ने इस परिवार के हर पहलू को देखा और समझा। हंसी मजाक में खाने से पहले की बातें हुई और फुलवा को अपनी बढ़ती गर्मी को कम करने के लिए टॉयलेट जा कर अपने बदन पर पानी छिड़कना पड़ा।
फुलवा जब बाहर आई तो वह मानव के चौड़े सीने से टकराई।
फुलवा, “माफ कीजिए!!”
मानव, “मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा!”
फुलवा ने मानव को देखा और दो योद्धा जंग से पहले एक दूसरे को तोलने लगे।
मानव, “आप कौन हैं?”
फुलवा पलकें झपकाते हुए झूठी मुस्कान से, “चिराग की मां।”
मानव फुलवा को निहारते हुए, “ओह, आप मां जरूर हो! पर चिराग… ना!!”
फुलवा झूठा गुस्सा कर, “क्या मतलब?”
मानव, “यहां मराठी में एक कहावत है कि मैंने बारा गांव का पानी पिया है। मतलब मैंने दुनिया देखी है! मैने तो सच में पूरी दुनिया देखी है। 32DD-30-38 सही काहा ना? आप चिराग की मां होने के लिए बहुत छोटी हो! सच बताओ!”
फुलवा शैतानी मुस्कान से, “मैं एक रण्डी थी जिसे चिराग ने बचाया है। चिराग से मैं एक हफ्ते पहले ही मिली हूं। दिन में बीस मर्दों से चूधने से मुझे सेक्स की लत लग गई है। जब चिराग काम से मुंबई आ रहा था तो मैं अपनी भूख मिटाने उसके पीछे आ गई। (मानव के हैरान चेहरे को नीचे खींच कर उसके कान में) मैं अभी भी भूखी हूं इस लिए अपने बदन पर ठंडा पानी छिड़क कर आ रही थी।”
मानव ने फुलवा को अपने सीने से लगाते हुए अपने अंग का एहसास कराया।
मानव फुलवा के कान में, “मेरे भाई ने मुझे जहर दिया था लेकिन सिर्फ इतना असर हुआ। अब मैं 15 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा हूं जिसे ठंडा होने के लिए दिन में 18 बार उगलना पड़ता है। मेरे साथ रुक जाओ! हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। मेरी बीवी समझती है कि एक औरत मुझे संभाल नहीं सकती। मेरी बीवी बुरा नहीं मानेगी।”
फुलवा ने मानव की पैंट पर अपनी हथेली दबाकर घूमाते हुए उसके मोटे मूसल को दबाते हुए,
“लेकिन क्या आप की बेटी इतनी समझदार है? (मानव के हक्का बक्का चेहरे पर हल्का चाटा मार कर) रण्डी हूं, जिस्म की बोली जानती हूं! आप के सारे नाति आप के बच्चे हैं! डरो मत, मैं सुधर रही हूं! अपने बेटे के लिए! एक दिन जरूर आयेगा जब वह मुझे मां पुकारेगा और मैं उसके लिए सिर्फ वही रहूंगी। बस उसकी मां और कुछ नहीं! (मानव के चेहरे को नीचे खींच कर उसे गाल पर चूम कर) मुझे सेक्स की लत है। मैं जानती हूं कि मैं बीमार हूं और इसी वजह से मैं ठीक हो रही हूं। एक बार अपनी जांच करा लो!”
फुलवा खाने के कमरे में चली गई और मानव उसके चूमे गाल को सहलाता खड़ा रह गया। मानव जब वापस आया तब उसे काम्या की तेज आंखों ने उसे दबोच लिया।
काम्या, “पापा, चिराग ने क्या कहा? आप मोहनजी से दोस्ती में हैं! मैं गांधी गोल्ड से शादी कर चुकी हूं और आप हमारे इकलौते प्रतिस्पर्धी से दोस्ती कर रहे हैं!”
मानव, “तुम शाह डायमंड और गांधी गोल्ड की कड़ी हो! मैं तो बस सब कुछ छोड़ दुनिया से दोस्ती करता मन मौजी हूं!”
मानव की इस बात को मेज पर बैठे बच्चे भी सच नही मानते थे। फुलवा ने दोपहर का खाना खत्म होते हुए और दो सहेलियां और शायद एक दोस्त बनाया। यह पूरा परिवार दर्द, धोखा और प्यार करीब से पहचानता था। खाना होने के बाद मानव एक कॉल करके लौटा।
मानव, “चिराग, मैंने सुना है कि फूलवाजी मुंबई में पहली बार आईं हैं। अब जब हमारा सौदा पूरा हो चुका है क्यों न आप दोनों चौपाटी घूम लो? वहां से मेरी गाड़ी आप दोनों को मेरे भाई साहब के मढ के बंगले पर ले जायेगी। कल सुबह आप दोनो घुमो, मुंबई देखो और रात की उड़ान से लौट जाओ!”
चिराग ने मानव के आभार व्यक्त करते हुए उसे मना करने की कोशिश की तो काम्या ने उसे टोक दिया।
काम्या, “मैं जानती हूं कि पापा ने मुझे कल दोपहर को किस वजह से बुलाया था! अगर तुमने हां कहा होता तो आज खाने की मेज पर नहीं होते। समझ लो कि यह तुम्हारे सही जवाब का इनाम है। फूलवाजी, साफिया से आप के बारे में सुना था, मिलकर यकीन हुआ। अगली बार आप जब भी मुंबई आएं, हम सब मिलकर ब्यूटी पार्लर डे मनाएंगी!(मानव की ओर देख कर) मेरे पास भी काफी किस्से हैं बताने के लिए!”
फुलवा और चिराग मानव की 3 करोड़ की गाड़ी में बैठ गए तो उन्हें पता चला की होटल से उनका सामान मढ के बंगले पर पहुंचा दिया गया था और गाड़ी कल शाम तक उनके लिए रहेगी। फुलवा छोटी बच्ची की तरह गाड़ी में बैठे बैठे उछलने लगी और हर चीज को छूने लगी।
चिराग ने अपनी मां की मासूमियत को टोके बगैर उसे अपनी खुशी जाहिर करने दी। चौपाटी नजदीक थी और ड्राइवर समझदार।
मां बेटे कुछ देर तक बच्चों की तरह रेत में खेले और फिर नमकीन पानी में नहाकर बाहर निकले। हर अंग में रेत चिपक कर एक अजीब गुदगुदी सी खुजली होने लगी तो फुलवा ने चिराग को बाहर निकाला।
फुलवा, “हम ऐसे गंदे कपड़ों में उस गाड़ी में नहीं बैठ सकते!”
चिराग मुस्कुराकर, “मैंने इसका इंतजाम कर दिया है। मेरी बैग में हमारे एक जोड़ी कपड़े है। हम दोनों यहां के किसी छोटे होटल में जाकर नहा लेते हैं। कपड़े बदलकर फिर गाड़ी में बैठेंगे!”
चिराग का सुझाव फुलवा को पसंद आया और दोनों ने पीछे की गली में बने छोटे होटल का एक कमरा लिया। अंदर पहुंच कर फुलवा हैरान रह गई।
चिराग ने दरवाजा लगाकर अपनी मां के कंधे पर हाथ रखकर, “क्या हुआ मां?”
फुलवा चुपके से, “तुम्हारे पास 500 हैं?”
चिराग ने अपनी जेब में से एक 500 की पत्ती निकाली और फुलवा को दी।
फुलवा चिराग को मुस्कुराकर देखते हुए, “यह बिलकुल 500 रुपए वाली रण्डी का कमरा है। (नोट को अपने बटुए में रखकर) अब तुम्हारे पास एक घंटा है सेठ! बोलो क्या करोगे?”
अगले दिन सुबह फुलवा ने चिराग को जल्दी उठाया और अपनी चूत की आग बुझाई। मां बेटे फिर कसरत करने गए। वहां के सारे मर्दों की नजर फुलवा पर ऐसी चिपकी हुई थी कि चिराग उसे मां पुकारते हुए उसके साथ रहकर भी उन्हें रोक नहीं पाया। जाहिर सी बात थी कि फुलवा दुबारा भूखी हो गई!
जैसे तैसे नाश्ता पूरा कर जब मां बेटे अपने कमरे में पहुंचे तो चिराग अपनी मां के रूप और अपनी जलन से इतना गुस्सा था कि उसका गुस्सा मां पर फूट पड़ा।
नहाती हुई मां की कसी हुई गांड़ में अपना गुस्सा थूंक कर चिराग ने उसे धोने और साफ होने में मदद की। गांड़ में बेटे का प्यार मिलने पर भला फुलवा अपने बेटे को माफ कैसे ना करती?
फुलवा ने जानबूझ कर एक मॉडर्न लेकिन समारोह वाला ड्रेस पहना और तयार होने में पूरे 2 घंटे लगा दिए।
जब फुलवा ने चिराग को तयार होने के बारे में बताया तो उसने किसी बहाने अपनी मां को बिस्तर की ओर ले जाने की कोशिश की।
फुलवा हंसकर, “मेरे बहादुर बच्चे, अब तुम से ना हो पाएगा! अच्छे बच्चे की तरह रहे तो रात को मालपुआ खिलाऊंगी!”
चिराग ललचाता फुलवा के पीछे पीछे दानव शाह से खाने पर मिलने निकला।
मानव शाह का घर एक आलीशान बिल्डिंग का penthouse suite था जहां वह अपनी बीवी (जो पहले उसकी भाभी थी) और बेटे के साथ रहता था। बगल का penthouse suite उसकी बेटी (भतीजी) का था जहां वह अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती थी। पूरा परिवार एक साथ खाना खाता था और यहीं का चिराग और फुलवा को न्योता मिला था।
फुलवा की अनुभवी नजरों ने इस परिवार के हर पहलू को देखा और समझा। हंसी मजाक में खाने से पहले की बातें हुई और फुलवा को अपनी बढ़ती गर्मी को कम करने के लिए टॉयलेट जा कर अपने बदन पर पानी छिड़कना पड़ा।
फुलवा जब बाहर आई तो वह मानव के चौड़े सीने से टकराई।
फुलवा, “माफ कीजिए!!”
मानव, “मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा!”
फुलवा ने मानव को देखा और दो योद्धा जंग से पहले एक दूसरे को तोलने लगे।
मानव, “आप कौन हैं?”
फुलवा पलकें झपकाते हुए झूठी मुस्कान से, “चिराग की मां।”
मानव फुलवा को निहारते हुए, “ओह, आप मां जरूर हो! पर चिराग… ना!!”
फुलवा झूठा गुस्सा कर, “क्या मतलब?”
मानव, “यहां मराठी में एक कहावत है कि मैंने बारा गांव का पानी पिया है। मतलब मैंने दुनिया देखी है! मैने तो सच में पूरी दुनिया देखी है। 32DD-30-38 सही काहा ना? आप चिराग की मां होने के लिए बहुत छोटी हो! सच बताओ!”
फुलवा शैतानी मुस्कान से, “मैं एक रण्डी थी जिसे चिराग ने बचाया है। चिराग से मैं एक हफ्ते पहले ही मिली हूं। दिन में बीस मर्दों से चूधने से मुझे सेक्स की लत लग गई है। जब चिराग काम से मुंबई आ रहा था तो मैं अपनी भूख मिटाने उसके पीछे आ गई। (मानव के हैरान चेहरे को नीचे खींच कर उसके कान में) मैं अभी भी भूखी हूं इस लिए अपने बदन पर ठंडा पानी छिड़क कर आ रही थी।”
मानव ने फुलवा को अपने सीने से लगाते हुए अपने अंग का एहसास कराया।
मानव फुलवा के कान में, “मेरे भाई ने मुझे जहर दिया था लेकिन सिर्फ इतना असर हुआ। अब मैं 15 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा हूं जिसे ठंडा होने के लिए दिन में 18 बार उगलना पड़ता है। मेरे साथ रुक जाओ! हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। मेरी बीवी समझती है कि एक औरत मुझे संभाल नहीं सकती। मेरी बीवी बुरा नहीं मानेगी।”
फुलवा ने मानव की पैंट पर अपनी हथेली दबाकर घूमाते हुए उसके मोटे मूसल को दबाते हुए,
“लेकिन क्या आप की बेटी इतनी समझदार है? (मानव के हक्का बक्का चेहरे पर हल्का चाटा मार कर) रण्डी हूं, जिस्म की बोली जानती हूं! आप के सारे नाति आप के बच्चे हैं! डरो मत, मैं सुधर रही हूं! अपने बेटे के लिए! एक दिन जरूर आयेगा जब वह मुझे मां पुकारेगा और मैं उसके लिए सिर्फ वही रहूंगी। बस उसकी मां और कुछ नहीं! (मानव के चेहरे को नीचे खींच कर उसे गाल पर चूम कर) मुझे सेक्स की लत है। मैं जानती हूं कि मैं बीमार हूं और इसी वजह से मैं ठीक हो रही हूं। एक बार अपनी जांच करा लो!”
फुलवा खाने के कमरे में चली गई और मानव उसके चूमे गाल को सहलाता खड़ा रह गया। मानव जब वापस आया तब उसे काम्या की तेज आंखों ने उसे दबोच लिया।
काम्या, “पापा, चिराग ने क्या कहा? आप मोहनजी से दोस्ती में हैं! मैं गांधी गोल्ड से शादी कर चुकी हूं और आप हमारे इकलौते प्रतिस्पर्धी से दोस्ती कर रहे हैं!”
मानव, “तुम शाह डायमंड और गांधी गोल्ड की कड़ी हो! मैं तो बस सब कुछ छोड़ दुनिया से दोस्ती करता मन मौजी हूं!”
मानव की इस बात को मेज पर बैठे बच्चे भी सच नही मानते थे। फुलवा ने दोपहर का खाना खत्म होते हुए और दो सहेलियां और शायद एक दोस्त बनाया। यह पूरा परिवार दर्द, धोखा और प्यार करीब से पहचानता था। खाना होने के बाद मानव एक कॉल करके लौटा।
मानव, “चिराग, मैंने सुना है कि फूलवाजी मुंबई में पहली बार आईं हैं। अब जब हमारा सौदा पूरा हो चुका है क्यों न आप दोनों चौपाटी घूम लो? वहां से मेरी गाड़ी आप दोनों को मेरे भाई साहब के मढ के बंगले पर ले जायेगी। कल सुबह आप दोनो घुमो, मुंबई देखो और रात की उड़ान से लौट जाओ!”
चिराग ने मानव के आभार व्यक्त करते हुए उसे मना करने की कोशिश की तो काम्या ने उसे टोक दिया।
काम्या, “मैं जानती हूं कि पापा ने मुझे कल दोपहर को किस वजह से बुलाया था! अगर तुमने हां कहा होता तो आज खाने की मेज पर नहीं होते। समझ लो कि यह तुम्हारे सही जवाब का इनाम है। फूलवाजी, साफिया से आप के बारे में सुना था, मिलकर यकीन हुआ। अगली बार आप जब भी मुंबई आएं, हम सब मिलकर ब्यूटी पार्लर डे मनाएंगी!(मानव की ओर देख कर) मेरे पास भी काफी किस्से हैं बताने के लिए!”
फुलवा और चिराग मानव की 3 करोड़ की गाड़ी में बैठ गए तो उन्हें पता चला की होटल से उनका सामान मढ के बंगले पर पहुंचा दिया गया था और गाड़ी कल शाम तक उनके लिए रहेगी। फुलवा छोटी बच्ची की तरह गाड़ी में बैठे बैठे उछलने लगी और हर चीज को छूने लगी।
चिराग ने अपनी मां की मासूमियत को टोके बगैर उसे अपनी खुशी जाहिर करने दी। चौपाटी नजदीक थी और ड्राइवर समझदार।
मां बेटे कुछ देर तक बच्चों की तरह रेत में खेले और फिर नमकीन पानी में नहाकर बाहर निकले। हर अंग में रेत चिपक कर एक अजीब गुदगुदी सी खुजली होने लगी तो फुलवा ने चिराग को बाहर निकाला।
फुलवा, “हम ऐसे गंदे कपड़ों में उस गाड़ी में नहीं बैठ सकते!”
चिराग मुस्कुराकर, “मैंने इसका इंतजाम कर दिया है। मेरी बैग में हमारे एक जोड़ी कपड़े है। हम दोनों यहां के किसी छोटे होटल में जाकर नहा लेते हैं। कपड़े बदलकर फिर गाड़ी में बैठेंगे!”
चिराग का सुझाव फुलवा को पसंद आया और दोनों ने पीछे की गली में बने छोटे होटल का एक कमरा लिया। अंदर पहुंच कर फुलवा हैरान रह गई।
चिराग ने दरवाजा लगाकर अपनी मां के कंधे पर हाथ रखकर, “क्या हुआ मां?”
फुलवा चुपके से, “तुम्हारे पास 500 हैं?”
चिराग ने अपनी जेब में से एक 500 की पत्ती निकाली और फुलवा को दी।
फुलवा चिराग को मुस्कुराकर देखते हुए, “यह बिलकुल 500 रुपए वाली रण्डी का कमरा है। (नोट को अपने बटुए में रखकर) अब तुम्हारे पास एक घंटा है सेठ! बोलो क्या करोगे?”