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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    18
  • Poll closed .

Luckyloda

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Meri ta
Aap ke kuch sujhav ho to bata dijiye

Abhi kahani kuch der aur chalegi. Mink ke sujhav se ek samundar kinare ka scene lika jayega

Aapne mujhe Iss kabil samjha iske liye bhut bhut aabhar🙏🙏

Meri taraf se koi sujhav nahi h...


Jaise aap ka man ho wo hi likh lijiye...... mujhe aapki lekhni bhut pasnad hai...👌👌👌👌
 
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Incestlala

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मानव शाह की गाड़ी का ड्राइवर उसके चुनिंदा लोगों की तरह होशियार और ईमानदार था। वह मां बेटे को मढ के बंगले पर ले जाते हुए रास्ते के नजारों के बारे में बता रहा था। ड्राइवर ने न केवल काफी कुछ बताया पर जाना भी। उसने पाया की मां बेटे को दौलत की कमी नहीं थी पर आदत भी नहीं थी। उन्हें अच्छी चीजें पसंद थी पर दूसरे की चीजों से जलन नहीं थी। उनके पास दोस्त ज्यादा नहीं थे पर जो थे उनके लिए दोनों वफादार थे। अगर उसे पूछा जाता (और मानव शाह उसे पूछेगा) तो वह कहता की मां बेटे अच्छे लोग हैं।


चिराग ने असहज महसूस करते हुए, “शाह साहब को हमारे लिए अपना घर देने की जरूरत नहीं थी। हम होटल में रह सकते थे।”


ड्राइवर ने खिड़की से बाहर देखती फुलवा की मासूमियत और चिराग के जवान चेहरे पर जमा असहजता का बोझ देखा और शाह परिवार के कुछ राज़ खोले।


ड्राइवर, “आप अगर पुराने लोगों से मिले तो आप को पता चल जायेगा की इस घर में मानव शाह कभी नहीं आते। इसी घर में साहब के भाई ने नशे की हालत में उनकी मां को लूटा और खुदकुशी करने के लिए मजबूर किया। अब यह घर बस खास मेहमानों के लिए तैयार रखा जाता है।”


फुलवा और चिराग को मढ के बंगले पर छोड़ ड्राइवर अगले दिन सुबह मिलने का कहकर चला गया। मां बेटे ने पूरे घर को देखा और उस खामोश सुंदरता को महसूस किया जिसके लिए यह घर बनाया गया था।


मानव शाह का बंगला बस 2 बेडरूम, एक बड़ा हॉल और रसोईघर था। ऊपर छत पर एक झूला लगा हुआ था। पर इस घर की खास बात थी इसके इर्द गिर्द की रचना। तीन तरफ से ऊंचे पेड़ों से छुपा यह घर सीधे पत्थरों से टकराते समुंदर को दिखाता था।


मां बेटे ने इस जगह का रूप निहारते हुए एक दूसरे को छेड़कर खाना बनाया। खाना खाने के बाद किसी को नींद नहीं आ रही थी पर फुलवा की दूसरी भूख उसे दुबारा जला रही थी।


चिराग और फुलवा अपने सोने के कपड़े पहने ऊपर छत पर गए और बातें करने लगे। चिराग मानव शाह के साथ सौदा करके भले जीता था पर वह समझ गया था की उसे और बहुत सीखना बाकी है। फुलवा अपने जैसी औरतों से मिलकर महसूस कर रही थी कि उसे औरतों के साथ साथ मानव शाह जैसे उलझे हुए मर्दों से भी दोस्ती करनी होगी।


दोनों की बातें देर तक चली जब पेड़ों के ऊपर कुछ देख कर चिराग चुप हो गया।


चिराग ने चांद की ओर इशारा करते हुए, “मां, शायद आज पूर्णिमा है। देखो चांद कैसे चमक रहा है!”


फुलवा तेज सांसे दबाने की नाकाम कोशिश करते हुए, “बहुत सुंदर है ना! इतनी खामोश और अच्छी जगह का इतना दुखी अतीत है।”


चिराग ने अपनी मां को पीछे से अपने सीने पर दबाया तो वह चिराग की गरमी में समा गई।


चिराग फुलवा के कान में, “बिकूल आप की तरह!! क्या आप ने कभी खुले में चुधाई की है?”


फुलवा उत्तेजना में सिहरते हुए, “ नहीं!… अक्सर बंद कमरों में या फिर मेरे भाइयों के साथ या इशारे पर गाड़ी में। खुले में… अभी तक नहीं!!”


चिराग ने अपनी मां के कंधों पर से उसका satin robe उतारा और उसके satin गाउन के पतले पट्टे पर से अपनी मां का कंधा चूमा। फुलवा ने सिहरते हुए अपने बेटे के बालों में उंगलियां फेरते हुए उसे अपनी भूख मिटाने की इजाजत दी। चिराग ने अपनी मां का satin gown उतारा और वह धरती पर उतरी पारी की तरह चांद की रोशनी में चमकने लगी।


चिराग ने अपनी मां की पीठ को चूमते हुए उसकी रीढ़ की हड्डी पर से नीचे जाते हुए उस जगह को चूमा जहां से उसकी कमर दो हिस्सो में बंटकर उसके गदराए कूल्हे बना रही थी। फुलवा से और बर्दास्त नहीं किया गया और उसने मुड़कर अपने बेटे पर धावा बोला। देखते ही देखते पूरी छत चिराग के कपड़ों से सजा दी गई।


फुलवा ने चिराग को छत की ठंडी फर्श पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसके नंगे बदन को चूमे लगी। चिराग आज 3 बार झड़ चुका था और उसे यकीन था की वह अपनी मां का बेहतरीन साथ दे पाएगा।


फुलवा ने अपने बेटे के जवान सीने को चूमते हुए नीचे होकर उसके तयार हथियार के सिरे को चूमा। चिराग की आह निकल गई पर वह हिले डुले बगैर लेटा रहा। फुलवा ने फिर अपने सालों के तजुर्बे को इस्तमाल कर अपने बेटे को सताना शुरू किया।


फुलवा ने अपने बेटे के खड़े लौड़े की जड़ से उसके सिरे तक चाटते हुए उसकी धड़कनों को अपनी जीभ पर महसूस किया। चिराग का लौड़ा चूसते हुए फुलवा ने अपनी आंखें से उसकी आंखों में देखा और अपना सर झुकाया। चिराग का सुपाड़ा और फिर लौड़े का अगला हिस्सा फुलवा के गले में समा गया।


फुलवा का गला चिराग के सुपाड़े को निगलने की कोशिश करने लगा और चिराग की आह निकल गई। चिराग की गोटियों में भूचाल आ गया और वह निचोड़ कर अपना पूरा माल बाहर उड़ाने लगी। फुलवा ने ठीक उसी समय अपने होठों को कस कर चिराग के लौड़े पर दबाया।


अपनी मां के मुंह की गीली गर्मी में कैद होकर चिराग का लौड़ा बेतहाशा झड़ता रहा। फुलवा के गले की मांस पेशियां अपने बेटे को निगल रही थी पर उसके होंठ बेटे का ताजा स्वादिष्ट माल बाहर निकलने से रोक रहे थे।


चिराग कमर उठकर अकड़ी के मरीज की तरह पूरे एक मिनट तक कांपता रहा। फुलवा से अपनी सांस और रोकी नहीं गई और उसने अपनी उंगलियों से चिराग के लौड़े की जड़ और नब्ज दबाकर अपने गले को खाली किया।


लार से सना चिकना लौड़ा पत्थर की तरह मजबूती से खड़ा था। फुलवा ने अपने बेटे को धीरे से उसके बदन पर काबू पाने देते हुए उसका लौड़ा पकड़े रखा। जब चिराग धीरे सांसे लेने लगा तो फुलवा ने अपने अंगूठे को उसके लौड़े के जड़ से हटाया। एक मोटी बूंद वीर्य फिर भी लौड़े से बाहर आ ही गई।


चिराग (अपनी मां को रोकते हुए), “उसे हाथ मत लगाना!!”


फुलवा, “क्यों?

क्या हुआ?
पसंद नहीं आया?”


चिराग ने निर्धार से उठते हुए उस बूंद को अपने चिकने लौड़े पर क्रीम की तरह फैलाया। चिराग ने फिर अपनी मां को उसके बाल पकड़ कर उठाया और खीच कर झूले पर उल्टा बिठाया।


फुलवा “बेटा!!” कर चिल्लाते हुए अपने घुटनों के बल झूले पर बैठ गई और झूले की पीठ के हिस्से को अपने हाथों से पकड़ लिया।


चिराग, “मां!! आज तुम्हें बताऊंगा की मैं कितनी आसानी से बातें सीखता हूं!”


चिराग ने अपने चिकने सुपाड़े को अपनी मां की फैली गांड़ के खुले भूरे छेद पर रखा और धीरे धीरे अपने लौड़े को पेलने लगा। फुलवा आह भरने लगी और चिराग उसकी संकरी गली को सिर्फ 2 इंची चुधाई से तड़पा रहा था।


फुलवा (बेसब्री से), “मेरे बच्चे!!
मुझे और ना सताओ!!

मेरी गांड़ मारो!!”


लेकिन चिराग को अपनी मां से उसे तड़पने का बदला लेना था। चिराग ने अपनी मां के गले को झूले की पीठ पर रखते हुए उसकी कलाइयां पीछे की ओर मोड़ कर एक हाथ से पकड़ ली। दूसरे हाथ को अपनी मां के पेट के नीचे से ले जाते हुए अपनी उंगलियों से अपनी मां की टपकती चूत को सहलाने लगा। चिराग अपनी मां की कलाइयों को छोटे पर तेज धक्के देते हुए झूले को झूला कर अपनी मां की गांड़ सिर्फ 2 इंच से मार रहा था।


गांड़ की चुधाई और चूत को माहिर तरीके से सहलाना फुलवा के लिए उत्तेजित कर झड़ने के लिए काफी था लेकिन अधूरी गांड़ चुधाई में वह दर्द नहीं था जिसके सहारे वह झड़ पाती। चिराग का सहलाना भी उसे उत्तेजना की पहाड़ी पर तेजी से उठा रहा था पर झड़ने से रोक रहा था। फुलवा तड़पने लगी और हिलकर अपनी गांड़ को मरवाने की कोशिश करने लगी।


चिराग फिर भी बेरहमी से फुलवा को सिर्फ उत्तेजित करता और मजबूर किए जा रहा था।


फुलवा रो पड़ी, “बेटा!!

अपनी मां को ऐसे नही तड़पते!!
मार मेरी गांड़!!
भर दे मुझे!!”


चिराग ने आखिर कार अपने लौड़े को पूरी तरह पेल दिया और उसकी मां ने सिसकते हुए झड़ना शुरू किया। चिराग ने अपनी मां की हथेलियों को छोड़ दिया और उसकी चूत को सहलाना बंद कर दिया तो फुलवा बाएं हाथ की तीन उंगलियों से अपनी चूत चोदते हुए अपने दाई उंगलियों से अपने यौन मोती को सहलाने लगी।


फुलवा की गांड़ चिराग को निचोड़ रही थी पर चिराग बिना झड़े बिना रुके अपनी मां की बुंड मारे जा रहा था। फुलवा को एहसास हुआ कि उसका बेटा अपने लौड़े की जड़ को दबाकर अपना स्खलन रोकते हुए उसकी भूख मिटा रहा था।


फुलवा अपने बेटे की अच्छाई पर उतनी ही रोई जितनी उसकी प्यासी गांड़ उसके बेटे की गरम मलाई के लिए तड़पी। चिराग ने अपनी मां को पूरे 13 मिनट झड़ते हुए रखा जब आखिरकार वह झड़ते हुए बेहोश हो गई। फिर चिराग ने अपने लौड़े की जड़ पर बनाया हुआ दबाव निकाला।


चिराग की गोटियों में धमाका हुआ और वह तड़पते हुए अपनी बेहोश मां पर गिर कर अकड़ने लगा। फुलवा की प्यासी गांड़ को उसके मनचाहे मलाई ने भर दिया और लौड़े के इर्दगिर्द से बहने लगी। चिराग किसी तरह अपनी मां को अपने साथ लेकर छत की फर्श पर ही सो गया।
Superb superb update
 

Lefty69

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चिराग फुलवा को पकड़कर उनके कमरे में ले गया और दरवाजा हैरानी से देखती प्रिया के मुंह पर बंद कर दिया।


चिराग, “मां, तुम भूखी हो।”


फुलवा चिराग से लिपट गई और दोनों के वजन से दरवाजा बज गया।


फुलवा चिराग के कान में, “बेहद भूखी!!”


चिराग असहज होकर, “बाहर! वह लड़की!!”


फुलवा चिराग को चूमते हुए, “प्रिया!! उसे सब बता दिया है!!”


चिराग चौंक कर, “सब!!”


फुलवा, “इतना वक्त नहीं था!!… बस मेरा अतीत, मेरी बीमारी, मेरा इलाज और हमारा रिश्ता!”


चिराग, “और वह कुछ नहीं बोली?”


फुलवा ने नीचे झुककर चिराग के पैंट की चैन खोली और अंदर से उसका फूला हुआ लौड़ा बाहर निकाला। चिराग के लौड़े पर थूंक कर उसे हिलाते हुए फुलवा ने चिराग को देखा।


फुलवा, “लाचार है! उसके पास दूसरा सहारा नहीं! उसकी जान को खतरा है और मैने उसकी जान बचाई है! वह मेरे कहने पर तुझे भी चुधवा ले!!”


चिराग डांटते हुए, “मां! ऐसे मजाक में भी नहीं कहना!!”


फुलवा ने अपने बेटे की वाजिब डांट खाते हुए उसका लौड़ा चूसने लगी। चिराग ने भी सुबह से अपना माल दबाए रखा था और वह उसे अपनी मां की कोख में ही भरना चाहता था।


चिराग ने अपनी मां को उठाया और घुमाकर दरवाजे पर दबाया। चिराग की उंगलियों ने मां की साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और उसे मोड़ कर मां की कमर से दरवाजे पर दबा दिया। फुलवा की भूखी चूत में जमा यौन रस से भीग कर उसकी पैंटी कब की भीग चुकी थी। अब यौन रसों की पतली धारा फुलवा की जांघों पर से होते हुए नीचे बह रही थी।


चिराग ने जल्दी से फुलवा की पैंटी की बीच में बनी गीली पट्टी को खीच कर एक ओर सरका दिया। फुलवा की टपकती गरम चूत को बाहर की ठंडी हवा लगी तो उसकी यौन पंखुड़ियां फूल की तरह खिल उठी और फैल गई। चिराग ने अपने मोटे सुपाड़े को फुलवा की टपकती पंखुड़ियों पर घुमाया और फुलवा उत्तेजना वश सिसक उठी।


चिराग ने अपने लौड़े को अपनी मां की गरम बहती जवानी में धीरे धीरे भरना शुरू किया तो फुलवा ने भूख से तड़प कर उसके इस तरीके का विरोध किया।


फुलवा अपनी कमर हिलाकर दरवाजे को बजाते हुए चीख पड़ी, “नहीं!…
बेटा ऐसे नही तड़पते!!…
आह!!…
आह!!…
आ!!…
मैने तुझे भूखा रखा!!…
गुस्सा नहीं होना!!…
मेरी बात मान!!…
आह!!…”


फुलवा ने अपने हाथों से चिराग के कंधे पकड़ लिए और अपने पैरों को उठाकर चिराग के चाप लगाते कूल्हों के पीछे अपनी एडियां अटका ली। चिराग का हर चाप फुलवा की चीख निकालता और दरवाजे को बजाता। जवान फौलादी लौड़ा उबलती भूखी जवानी में समा चुका था तो अब होश तो आग में पानी चिड़कने के बाद ही आना था।


सुबह से भूखे प्रेमियों की भूख शांत होने में पूरा आधा घंटा गया जिस दौरान चिराग लगातार दो बार झड़ गया तो फुलवा की चीखों की किसीने गिनती नहीं की।


गिनती तो हुई थी पर इसकी खबर फुलवा को देर से चली। फुलवा अपने कपड़े बदलकर बाहर आई तो प्रिया चिराग को शाम का नाश्ता परोस रही थी। फुलवा को देख कर प्रिया की आंखों में इतनी हमदर्दी भर आई की फुलवा पहले समझ ही नहीं पाई।


फुलवा को नाश्ते के बाद अकेले में पकड़ प्रिया, “मर्द जात बड़ी बेरहम होती है। आप को बोलने तक का वक्त नहीं दिया!!”


फुलवा को समझने में कुछ पल लगे और फिर वह जोर से हंसने लगी। फुलवा के पेट में दर्द तो आंखों में आंसू आ गए। प्रिया नासमझ होने से देखती रह गई। फुलवा ने आखिर कार अपने आप को संभाला और प्रिया को गले लगाकर उसके गाल और माथे को चूमा।


असहज प्रिया को देख फुलवा, “मेरी मासूम बच्ची तुझे किसी की नज़र ना लगे!!”


प्रिया, “मतलब? आप दर्द से चिल्ला रही थी और वो अपनी मां को दरवाजे पर पटकते हुए तड़पा रहा था। आप की बातें मैंने सुनी! आप उसे कह रही थीं कि वह आप को ना तड़पाए पर वह लगा रहा। मां भी ग्राहकों के आने पर ऐसे ही चिल्लाती रहती!”


फुलवा समझाते हुए, “मेरी भोली बच्ची तेरी मां बहुत अच्छी थी जो उसने अपनी हालातों में भी तुझे इतनी मासूमियत में रहने दिया। अगर औरत अपनी मर्जी ना हो कर भी मर्द का साथ देने को मजबूर हो जाए तो यह दर्द वाकई बहुत बुरा होता है। पर जब औरत को अपने मर्द से प्यार हो और वह उसे अपनाना चाहती हो तो यह दर्द मज़ेदार होता है! तुम जवान हो रही हो, जल्द ही प्यार भी करने लगोगी! तब बताना!”


प्रिया मुंह बनाकर, “आप मुझे बहलाने की कोशिश कर रही हो! मैने मर्द का अंग देखा है! ऐसा गंदा मोटा कीड़े जैसा हिस्सा कोई औरत अपने अंदर अपनी मर्जी से कभी नहीं लेगी! और दर्द तो दर्द होता है। अपने दे या पराए, अच्छा क्यों लगेगा? मुझे कुछ नहीं पता! मैं बस इतना जानती हूं कि अगर कोई मर्द मुझे छूने की भी कोशिश करे तो मैं उसे मार दूंगी या मर जाऊंगी!”


फुलवा ने अपनी मासूम बच्ची के सर पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराकर बात टाल दी।
 

Lefty69

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Meri ta

Aapne mujhe Iss kabil samjha iske liye bhut bhut aabhar🙏🙏

Meri taraf se koi sujhav nahi h...


Jaise aap ka man ho wo hi likh lijiye...... mujhe aapki lekhni bhut pasnad hai...👌👌👌👌
Thank you for your appreciation and hope you are enjoying the story
 
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Lefty69

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Jabardast update diya hai apne. Fulwa ke paas aur vi raaj hai khulne ke liye
Fulva ke raaj lagbhag khul chuke hai

How do you think her story will go? What should Priya's role be in this story?
 

Lefty69

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Lefty69

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Nice update nadan priya dhire dhire sab jan jayegi
Wah to hona hi hai par is kahani me Priya ka kirdar kya mod laa sakta hai?

Main apni mool katha ka badal nahi sakta par aap ke sujhav mujhe ise rochak banane me behad madatgar hote hain
 

Rekha rani

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Wah to hona hi hai par is kahani me Priya ka kirdar kya mod laa sakta hai?

Main apni mool katha ka badal nahi sakta par aap ke sujhav mujhe ise rochak banane me behad madatgar hote hain
Mool kahani me badlav sahi bhi nhi hai priya aisa kirdar ho sakti hai jo dono ma bete ke riste ko accept krke unka sath de sakti hai umr bhar, fulwa puri umr to nhi chudva sakti apne.bete se aur uski bimari ko dur krte krte usko aadat hogi sex ki To priya new partner bn skti hai
 
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