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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    18
  • Poll closed .

Incestlala

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अगले दिन सबेरे की ठंड में मां बेटे एक दूसरे को ऐसे लिपटे की जब आंख खुली तो उसके बदन ने सहज रूप से चुधाई शुरू कर दी थी। अब गर्मी के ऐसे मजेदार स्त्रोत को माना करने जितना बेवकूफ कोई नहीं था और चिराग अपनी मां पर चढ़ कर उसकी चूत को अपनी गर्मी से भरने के बाद ही रुक गया।


फिर दोनों ने एक दूसरे की बाहों में कुछ वक्त आलस में बिताया और नहाने गए। शावर में पहले अपने बेटे को चूस कर तयार करने के बाद मां ने अपनी गांड़ मरवाई। दुबारा नहाकर साफ होने के बाद मां बेटे ने अपने कपड़े पहने और नाश्ता किया जब ड्राइवर ने दरवाजा खटखटाया।


ड्राइवर इस आम दिखने वाले मां बेटे को मुंबई की कुछ सैर कराकर अंधेरी हवाई अड्डे पर छोड़ कर चला गया। ड्राइवर को यह कभी समझ नहीं आया कि मानव सेठ को इस मां बेटे में क्या खास लगा। सिवाय इसके कि वह बिलकुल आम लोग थे और मानव शाह को आम लोगों की आदत नहीं थी।


लखनऊ में मां बेटे उतरे तो वहां उनके लिए नारायण जी और मोहनजी खुद आए थे। मां बेटे को अपने घर खाने के बहाने ले जा कर मोहनजी ने पूरी बात बताई।


मोहन, “जिस दिन बापू ने यह कंपनी मेरे हाथ में दी तब कहा था कि कंपनी औलाद की तरह होती है पर मेरे लिए यह मेरी बेटी की तरह होगी। इसे मैने बढ़ाया, काबिल बनाया पर अब मुझे इसे तुम्हारे हवाले करना होगा। इसके आगे मैं बस सलाह दे सकता हूं पर मेरी बेटी पर मेरा हक़ नहीं होगा। (नारायण जी ने मोहन के कंधे पर हाथ रखा) मैंने चिराग को मानव शाह जैसे ठग के पास भेजा क्योंकि उसे इंसान को परखना आता है और मैं चिराग को परखने के लिए उसके बहुत करीब हूं।”


चिराग की ओर मुस्कुराकर मोहन, “तुम तो उम्मीद से कहीं बेहतर निकले! तुमने न केवल कंपनी को हफ्ते भर में समझ लिया पर मानव शाह को धंधे में हराया। मानव शाह ने तुम्हें अपनी बेटी का लालच दिया और यह बात अपने आप में अनोखी है। मानव शाह की बेटी को बुरी नजर से देखने वाला ज्यादा दिन नहीं बचता पर तुमने तो उसे भी मना कर दिया।”


मोहन (सोचते हुए), “मैं सोचता हूं कि तुम मेरे साथ 3 साल बिताने के बजाय एक या दो साल बाद मेरा मुंबई ऑफिस संभालने जाओ। वहां से ही असली धंधा होता है। तुम्हारी पहचान भी बनेगी और मेरे भरोसेमंद लोग तुम पर नजर भी रख पाएंगे।”


चिराग, “आप मुझे सिखाने वाले थे! अब क्या हुआ?”


मोहन, “मेरी बेटी को तुम्हारे हाथ देते हुए मुझे डर है कि मैं तुमसे जलने लग जाऊंगा। मैं अपनी बेटी के भविष्य को अपने आप से बचा रहा हूं!”


फुलवा, “मोहनजी आप एक बेहतरीन पिता हैं!”


मोहन हंसकर, “अभी मेरे बेटे रक्षित को बड़ा होने दो। फिर उस से पूछेंगे।“


मां बेटे ने बाप बेटे से इजाजत ली और अपने घर लौटे। घर में कदम रखते ही फुलवा अपने बेटे पर टूट पड़ी और दोनों को होश आने में आधा घंटा लग गया। फिर रात में यही हाथापाई एक बार और हुई। सुबह चिराग ने अपने खड़े लौड़े को अपनी नींद में होकर भी भूखी मां की भट्टी में भर दिया और फुलवा खुशी खुशी नींद में ही चूध गई। सुबह ऑफिस जाते हुए चिराग अपनी मां से विदा लेते हुए उसकी गांड़ में अपना माल भर कर चला गया और फुलवा का दिन संतुष्टि से शुरू हुआ।


फुलवा ने सत्या के साथ मिलकर कसरत की और उस दौरान दोनों ने खरीददारी का प्लान बनाया। फुलवा के सुझाव अपनाकर सत्या मोहन को बिस्तर में दुबारा अधमरा कर खुश थी। दोपहर को जब सत्या ने मोहन को फोन पर खरीददारी का बिल बताया तो वह चौंक गया। जब सत्या ने उसे खरीदी हुई चीजें बताई तो उसका गला सुख गया। मोहन ने चिराग को आखरी दो मीटिंग संभालने को कहा और मन ही मन फुलवा को आभार जताते हुए रक्षित से पहले अपने घर लौटा।


जल्द ही फुलवा चिराग के साथ अपनी नई दिनचर्या को अपनाकर खुशी खुशी जीने लगी। रोज सुबह चिराग दो बार फुलवा की भूख मिटता और ऑफिस चला जाता। शाम को लौटने के बाद फुलवा चिराग से अपनी भूख मिटाती और फिर रात को सोते हुए दोनों पति पत्नी की तरह धीरे धीरे प्यार से एक दूसरे से प्यार करते। मानसूपचार अब भी चल रहे थे और फुलवा को एहसास हो रहा था कि अब वह एक मर्द के प्यार से संतुष्ट होने लगी थी। फुलवा की भूख अब चिराग के ना होने पर भड़कती नहीं थी। अगर चिराग की तबियत खराब हो तो फुलवा दिन में तीन बार झड़ कर भी सह सकती थी। यह आम घरेलू औरत के लिए ज्यादा होगा पर 20 बार चूधने वाली रण्डी के लिए बड़ी तरक्की थी।


चिराग के हाथों बचकर लगभग एक साल हो गया था जब चूधी हुई फुलवा हमेशा की तरह चिराग से लिपट कर सो रही थी। फुलवा को गहरी नींद में सपना आया जो उसे एक पुराने वादे की याद लाया।


राज नर्तकी ने फुलवा को पुकारा था।
Superb superb update
 

Lefty69

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प्रिया को बगल के खाली कमरे में सोने को कह कर चिराग अपनी मां के कमरे में आ गया।


चिराग, “विश्वास नहीं होता कि एक साल के अंदर हमने कितना सामान इकट्ठा कर लिया है! मोहनजी ने अपने किसी दोस्त का कमरा किराए पर दिलाया है और इसी वजह से हमें आसानी होगी। सुना है मुंबई में अच्छा घर मिलना बेहद मुश्किल है!”


फुलवा, “दोस्त से? भाड़ा कितना है सुना? इतने में नया घर खरीद लो!! मुझे तो वह दोस्त अच्छा नहीं लगता! एखाद महीने में हम दूसरा घर ले लेंगे!”


चिराग अपनी मां को पीछे से पकड़ कर उसके गाल को चूमते हुए, “मां, कीमत जगह की नही जमीन की होती है। घर कहां बनाया है वह भी मायने रखता है!”


चिराग ने अपनी मां को बाहों में लेते हुए उसके भरे हुए मम्मे दबाने लगा।


फुलवा, “रुको!! मैं प्रिया को बगल के कमरे में सोने के लिए कहती हूं! फिर हम सोते हैं।”


चिराग फुलवा का गाउन उतारते हुए, “मैंने उसे बता दिया है मां! आप बस अपने इलाज पर ध्यान दो!”


फुलवा ने अपने गाउन को उड़ाया और चिराग को चूमते हुए, “कर दी ना मर्दों वाली हरकत! (चिराग की पैंट उतरते हुए) बेचारी को लगता है कि मर्द औरतों पर जबरदस्ती करते हैं और तुमने जा कर उसे कुछ ऐसे कहा होगा की वह उसे भी मनमानी समझेगी।“


चिराग फुलवा को नंगा करके बेड पर लिटाते हुए, “औरतों को समझना ना मुमकिन है। अगर अच्छे से पेश आओ तो तुम्हारी बात नही मानेंगे और कुछ बोलो तो मनमानी कहेगी!”


फुलवा ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के होठों को खोल कर फैलाया, “अब तो समझ रहे हो ना की मैं क्या चाहती हूं?”


चिराग चिढ़ाते हुए, “आप को गर्मी हो रही है और अंदर ठंडी हवा चाहती हैं?”


चिराग ने अपनी मां के पैरों में बैठ कर उसके तलवे चाटे और चूमे। गुदगुदी से फुलवा हंस पड़ी। चिराग ने अपनी मां के बाएं टखने को चूमकर अपने दांतों से रगड़ा और फुलवा की उत्तेजना में आह निकल गई।


चिराग को अब कोई जल्दी नहीं थी और वह धीरे धीरे अपनी मां की टांगों को चूमता चाटता उसके बदन में आग भड़काता ऊपर उठने लगा। चिराग ने अपनी मां की जांघों को अंदर से चूमा तब तक फुलवा की चूत में से रसों का सैलाब बह रहा था।


चिराग, “मां!! आप तो गद्दे को गीला कर दोगी! आओ मैं साफ कर दूं!”


चिराग ने अपने होठों को चूत के नीचे लगाकर फुलवा की गांड़ को चूमते फुलवा ने अपनी कमर उठकर उसका स्वागत किया। चिराग ने अपनी जीभ को बढ़ाकर पहले फुलवा की गांड़ को छेड़ते हुए उसके रस और अपनी लार से उसकी गांड़ को उत्तेजना वश झड़ने को मजबूर किया और फिर चूत में से बह आए रसों को पीकर ही ऊपर उठा।


फुलवा (अधीर होकर), “ बेटा!!…
अब और मत तड़पाओ!!…
आ जाओ!!…”


लेकिन चिराग नहीं माना। चिराग ने अपनी मां के निचले होठों को चूमते हुए उसकी जवानी की गरम भट्टी को अपनी जीभ से भड़काया। फुलवा ने सिरहाने की चादर को मुट्ठियों में पकड़ कर अपने सर को हिलाते हुए अपने आप पर काबू करने की नाकाम कोशिश की। फुलवा के माथे पर पसीना जमा हो गया और वह चीखते हुए कांपने लगी। फुलवा की चूत में से यौन रसों की धाराएं बहती रही को चिराग बिना सोचे उन्हें गटागट पी गया।


झड़कर लगभग बेसुध पड़ी फुलवा के ऊपर चिराग चढ़ गया और उसके रसों से भीगे मुंह से वह उसे चूमने लगा। चिराग के होठों पर से अपना स्वाद चखते हुए फुलवा ने राहत की आह भरी जब चिराग का लौड़ा उसकी भूखी जवानी में समा गया।


चिराग को अब कोई जल्दी नहीं थी और वह अपने लौड़े को सुपाड़े की नोक तक बाहर निकाल कर फिर लौड़े की जड़ को अपनी मां की चूत पर दबाकर रगड़ता। फुलवा लगातार झड़ते हुए मजे से चुधवाती रही जब तक आधे घंटे बाद चिराग ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य से फुलवा की कोख को रंग नही दिया। चिराग फुलवा के ऊपर पड़ा रहा और फुलवा ने अपने बेटे के पसीने से भीगी पीठ पर हाथ फेरा।


फुलवा ने अपनी आंख खोली तो उसे दरवाजे के खुले किनारे में एक डरी हुई आंख दिखी। दरवाजा झट से बंद हो गया और फुलवा की हंसी निकल गई। चिराग ने बगल में लेटते हुए उससे हंसने की वजह पूछी पर फुलवा ने बताने से मना कर दिया।
 

Lefty69

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Superb superb update
Thank you for your continued support and reply
 

Lefty69

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Mool kahani me badlav sahi bhi nhi hai priya aisa kirdar ho sakti hai jo dono ma bete ke riste ko accept krke unka sath de sakti hai umr bhar, fulwa puri umr to nhi chudva sakti apne.bete se aur uski bimari ko dur krte krte usko aadat hogi sex ki To priya new partner bn skti hai
Fulva pahle Kai baar bol chuki hai ki vah ek din apne bete ke liye maa ke alava kuch nahi hona chahti

Yah sach hai ki thik hote hi vah apne bete se sharirik sambandh band karna chahegi

Par ek vaishya ki beti ke sath chirag aur fulva acha bartav karenge yaa uski majboori ka fayda dono uthayenge?
 

Incestlala

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प्रिया को बगल के खाली कमरे में सोने को कह कर चिराग अपनी मां के कमरे में आ गया।


चिराग, “विश्वास नहीं होता कि एक साल के अंदर हमने कितना सामान इकट्ठा कर लिया है! मोहनजी ने अपने किसी दोस्त का कमरा किराए पर दिलाया है और इसी वजह से हमें आसानी होगी। सुना है मुंबई में अच्छा घर मिलना बेहद मुश्किल है!”


फुलवा, “दोस्त से? भाड़ा कितना है सुना? इतने में नया घर खरीद लो!! मुझे तो वह दोस्त अच्छा नहीं लगता! एखाद महीने में हम दूसरा घर ले लेंगे!”


चिराग अपनी मां को पीछे से पकड़ कर उसके गाल को चूमते हुए, “मां, कीमत जगह की नही जमीन की होती है। घर कहां बनाया है वह भी मायने रखता है!”


चिराग ने अपनी मां को बाहों में लेते हुए उसके भरे हुए मम्मे दबाने लगा।


फुलवा, “रुको!! मैं प्रिया को बगल के कमरे में सोने के लिए कहती हूं! फिर हम सोते हैं।”


चिराग फुलवा का गाउन उतारते हुए, “मैंने उसे बता दिया है मां! आप बस अपने इलाज पर ध्यान दो!”


फुलवा ने अपने गाउन को उड़ाया और चिराग को चूमते हुए, “कर दी ना मर्दों वाली हरकत! (चिराग की पैंट उतरते हुए) बेचारी को लगता है कि मर्द औरतों पर जबरदस्ती करते हैं और तुमने जा कर उसे कुछ ऐसे कहा होगा की वह उसे भी मनमानी समझेगी।“


चिराग फुलवा को नंगा करके बेड पर लिटाते हुए, “औरतों को समझना ना मुमकिन है। अगर अच्छे से पेश आओ तो तुम्हारी बात नही मानेंगे और कुछ बोलो तो मनमानी कहेगी!”


फुलवा ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के होठों को खोल कर फैलाया, “अब तो समझ रहे हो ना की मैं क्या चाहती हूं?”


चिराग चिढ़ाते हुए, “आप को गर्मी हो रही है और अंदर ठंडी हवा चाहती हैं?”


चिराग ने अपनी मां के पैरों में बैठ कर उसके तलवे चाटे और चूमे। गुदगुदी से फुलवा हंस पड़ी। चिराग ने अपनी मां के बाएं टखने को चूमकर अपने दांतों से रगड़ा और फुलवा की उत्तेजना में आह निकल गई।


चिराग को अब कोई जल्दी नहीं थी और वह धीरे धीरे अपनी मां की टांगों को चूमता चाटता उसके बदन में आग भड़काता ऊपर उठने लगा। चिराग ने अपनी मां की जांघों को अंदर से चूमा तब तक फुलवा की चूत में से रसों का सैलाब बह रहा था।


चिराग, “मां!! आप तो गद्दे को गीला कर दोगी! आओ मैं साफ कर दूं!”


चिराग ने अपने होठों को चूत के नीचे लगाकर फुलवा की गांड़ को चूमते फुलवा ने अपनी कमर उठकर उसका स्वागत किया। चिराग ने अपनी जीभ को बढ़ाकर पहले फुलवा की गांड़ को छेड़ते हुए उसके रस और अपनी लार से उसकी गांड़ को उत्तेजना वश झड़ने को मजबूर किया और फिर चूत में से बह आए रसों को पीकर ही ऊपर उठा।


फुलवा (अधीर होकर), “ बेटा!!…

अब और मत तड़पाओ!!…
आ जाओ!!…”


लेकिन चिराग नहीं माना। चिराग ने अपनी मां के निचले होठों को चूमते हुए उसकी जवानी की गरम भट्टी को अपनी जीभ से भड़काया। फुलवा ने सिरहाने की चादर को मुट्ठियों में पकड़ कर अपने सर को हिलाते हुए अपने आप पर काबू करने की नाकाम कोशिश की। फुलवा के माथे पर पसीना जमा हो गया और वह चीखते हुए कांपने लगी। फुलवा की चूत में से यौन रसों की धाराएं बहती रही को चिराग बिना सोचे उन्हें गटागट पी गया।


झड़कर लगभग बेसुध पड़ी फुलवा के ऊपर चिराग चढ़ गया और उसके रसों से भीगे मुंह से वह उसे चूमने लगा। चिराग के होठों पर से अपना स्वाद चखते हुए फुलवा ने राहत की आह भरी जब चिराग का लौड़ा उसकी भूखी जवानी में समा गया।


चिराग को अब कोई जल्दी नहीं थी और वह अपने लौड़े को सुपाड़े की नोक तक बाहर निकाल कर फिर लौड़े की जड़ को अपनी मां की चूत पर दबाकर रगड़ता। फुलवा लगातार झड़ते हुए मजे से चुधवाती रही जब तक आधे घंटे बाद चिराग ने कराहते हुए अपने गाढ़े वीर्य से फुलवा की कोख को रंग नही दिया। चिराग फुलवा के ऊपर पड़ा रहा और फुलवा ने अपने बेटे के पसीने से भीगी पीठ पर हाथ फेरा।


फुलवा ने अपनी आंख खोली तो उसे दरवाजे के खुले किनारे में एक डरी हुई आंख दिखी। दरवाजा झट से बंद हो गया और फुलवा की हंसी निकल गई। चिराग ने बगल में लेटते हुए उससे हंसने की वजह पूछी पर फुलवा ने बताने से मना कर दिया।
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Lefty69

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Luckyloda

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बहुत ही शानदार अपडेट


कहानी धीरे-धीरे नया मोड़ ले रही है

प्रिया के मासूमियत दिल को भा गई है

देखते हैं प्रिया का चिराग और फुलवा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ??
अगले अपडेट की बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी, जब फुलवा प्रिया से पूछेगी कि कैसा लगा??
 
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Lefty69

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प्रिया की आंख खुली तो उसे लगा की वह अपने घर में है। कुछ पल बाद उसे पिछले दो दिनों की बातें याद आई और समझ गई की आहें उसकी मां नही पर उसकी जान बचाने वाली फुलवा भर रही थी।


कल जब फुलवा ने उसे मजेदार दर्द के बारे में बताया तो वह विश्वास नहीं कर पाई थी। रात को चिराग ने उसे इस कमरे में सोने को कहा तो वह चुपके से उसके पीछे पीछे जाकर दरवाजे को बिना आवाज किए खोल कर अंदर देखने लगी।


रण्डी की बेटी होने की वजह से उसे बचपन से खतरा था। उसकी मां ने उसे बचपन में ही सिखाया था कि कैसे बिना आवाज किए कमरे में आना और कैसे पता चले बगैर कमरे में से भाग जाना। प्रिया अपनी हिफाजत करने के लिए जासूसी करना सीखी और खतरों को पहचानने के लिए हर चीज याद करना भी सीख गई।


प्रिया नही जानती थी की वह क्या देखना चाहती थी पर उसने जो देखा वह उसकी उम्मीद से परे था। औरत और मर्द (यहां मां बेटे) एक दूसरे पर टूट पड़ने के बजाय एक दूसरे को मज़ा देने की होड़ में लगे नजर आए। फुलवा लगभग आधे घंटे तक बुरी तरह चीखने, अकड़ने और रोने के बाद अपने बेटे से खुश नज़र आई। फुलवा की चीखों में उसने कई बार मना किया था पर अब प्रिया को सोचना पड़ रहा था कि वह किस बात को माना कर रही थी?


क्या सच में मर्द से प्यार होता है?


क्या मर्द प्यार कर सकता है?


क्या प्रिया को प्यार हो सकता है?


क्या प्रिया से कोई मर्द प्यार कर सकता है?


क्या प्रिया भी दर्द को मजेदार…


प्रिया को एहसास हुआ की उसकी पैंटी गीली हो रही थी और उसे बुखार जैसे गर्मी लग रही थी। प्रिया इस बात से बेहद डर गई। अपने हाथों से अपने कान दबाकर फुलवा की आहें को भूलने की कोशिश करते हुए प्रिया बाथरूम में भाग गई।


प्रिया ने ठंडे पानी का शावर चालू किया और गाना गुनगुनाते हुए फुलवा की आहों को दबाने लगी। फुलवा की आहें प्रिया के दिल दिमाग पर हावी होकर उसके कानों में गूंज रही थी। ठंडा पानी उसके गरम बदन पर गिरते ही मानो भाप बनकर उड़ रहा था।


प्रिया समझ रही थी की उसे क्या हो रहा है। प्रिया जवानी की आग को महसूस कर रही थी। ऐसी आग जो एक दिन उसे ऐसे जलाएगी की वह उस मोटे कीड़े को अपने अंदर लेने को मजबूर हो जाएगी। प्रिया रण्डी की बेटी थी और उसके अब्बू ने उसे झीन के लिए ही तैयार किया था पर उसे वह कीड़ा देख कर हमेशा घिन आती थी। प्रिया शावर में बैठ कर रोने लगी क्योंकि आज चाहकर भी उसे चिराग का कीड़ा देख कर घिन नही आ रही थी।


प्रिया को डर सता रहा था कि वह अपनी मां की आखरी इच्छा पूरी नहीं कर पाएगी। प्रिया भी कीड़ा लेकर रण्डी बन जाएगी।


काफी देर बाद जब ठंडे पानी से प्रिया के बदन पर झुर्रियां पड़ने लगी तो वह ठिठुरती हुई बेडरूम में आ गई। उसने गाना जारी रखते हुए अपने कपड़े बदले और रसोई की ओर भागी। रसोई में सबके लिए नाश्ता बनाने के बाद जब प्रिया ने गाना बंद किया तो उसे एहसास हुआ कि दूसरे बेडरूम में से आवाजें बंद हो गई थी।


10 मिनट बाद मां बेटे नहाकर बाहर आए तो प्रिया उनसे आंख मिलाने से कतरा रही थी।


सुबह की गाड़ी पकड़ने के लिए ट्रेन के टिकट लेने चिराग समान लेकर आगे निकल गया। फुलवा की जिद्द पर चिराग को बापू की गाड़ी मुंबई पहुंचने का भी इंतजाम करना था। बाकी थोड़ा समान लेकर फुलवा और प्रिया को बाद में मोहनजी की गाड़ी में नारायण जी और सत्या के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचना था।


फुलवा चुपके से, “मैं जानती हूं कि तुमने कल रात हमें देखा।”


प्रिया डर गई और अचानक अपना बदन चुराने लगी।


फुलवा, “यहां तुम्हें कोई पीटने वाला नही। एक बात हमेशा याद रखना पिटने को तयार रहोगी तो पिट जाओगी, पीटने को तयार रहोगी तो कोई पीटने से पहले एक बार सोचेगा जरूर।”


प्रिया, “माफ करना! मुझे लगा कि आप को चोट पहुंचाई जा रही थी!”


फुलवा ने प्रिया को अपनी बाहों में लेकर उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे समझाया।


फुलवा, “जवानी में कदम रखना एक डरावना एहसास होता है। इसके लिए मां का साथ अच्छा होता है। जवानी के लिए न मेरे पास मां थी और ना ही तुम्हारे पास मां है। अगर तुम चाहो तो मुझे मां समझ सकती हो।”


प्रिया को अपनी खुशकिस्मती पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसे इतनी जल्दी कोई अपनाने को तैयार हो गया है। प्रिया अपनी फुलवा मां की बाहों में समा गई पर कैसे बताती की उसकी आंखों से चिराग का लंबा मोटा कीड़ा जाने को तैयार नहीं था और उसे इस बात की घिन भी नहीं आ रही थी!!
 

Lefty69

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बहुत ही शानदार अपडेट


कहानी धीरे-धीरे नया मोड़ ले रही है

प्रिया के मासूमियत दिल को भा गई है

देखते हैं प्रिया का चिराग और फुलवा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ??
अगले अपडेट की बहुत बेसब्री से प्रतीक्षा रहेगी, जब फुलवा प्रिया से पूछेगी कि कैसा लगा??
कैसा लगा?

क्या फुलवा ने प्रिया जवानी के खेल सिखाने चाहिए?

क्या फुलवा ने प्रिया को तोहफे के तौर पर चिराग को देना चाहिए?

या चिराग और प्रिया की मां बनकर उन्हें भाई बहन की तरह रहने को कहा चाहिए?
 
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Mink

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Superb Update ab Priya ne apna maa ki halat dekh kar mard ke upaar ek opinion bana li hai magar kya woh sahi hai aur Fulwa kaise usko woh dardnak yadon ko mitane mein Priya ki madad karti hai yeh dekhne wali baat hogi
 
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