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चिराग के लबों पर शिकारी वाली मुस्कान छा गई। चिराग ने प्रिया को पीठ पर लिटाते हुए उसके मम्मों को चूमते हुए नीचे सरक कर प्रिया की लगभग पारदर्शी भीगी हुई पैंटी को चूमते हुए उसकी कमर में से उतारना शुरू किया।
प्रिया की आंखों में डर की छटा आने लगी तो फुलवा ने अपना गाउन उड़ाकर प्रिया को अपने खुले सीने से लगाया। प्रिया ने सिसकते हुए अपनी मां की बाहों में समाकर उसे कस कर पकड़ा पर प्रिया के बदन ने उसकी कमर को ऊपर उठा कर चिराग को उसकी मन मर्जी करने दी।
चिराग ने प्रिया के पैरों को फैला कर ऊपर उठाया और प्रिया ने फुलवा को कस कर पकड़ा।
प्रिया, “मां!!…” कर चौंक गई जब चिराग ने उसकी डबरा बनाती जवानी के ऊपरी घास के हिस्से को चूमा।
महिला मंडल ने मिलकर तय किया था कि प्रिया की अनछुई जवानी के लिए चिराग ने सराहनीय संयम दिखाया था तो उसे अनछुआ पाना चिराग का हक़ बनता था। प्रिया के मना करने और शरमाने के बाद भी उसकी निचली झाड़ी को छांट कर महीन रेशमी घास बनाया गया था।
चिराग अब पागल सांड की तरह उसी घास को चूमता चाटता प्रिया को पागल कर रहा था। जब प्रिया को लगा की उस से और सहा नहीं जायेगा और इस दर्द से कीड़े का काटना बेहतर होगा तब चिराग नीचे सरका। प्रिया की चीख निकल गई जब चिराग की जीभ के छूने भर से प्रिया की चूत के ऊपर के दाने में बिजली दौड़ गई। प्रिया का बदन अकड़ा और उसकी चूत में से पानी बाहर निकल आया।
चिराग ने अपनी मां को देखा पर उसने अपने सर को हिलाकर मना किया। चिराग ने अपनी दुल्हन की कुंवारी चूत की पंखुड़ियों को चाट कर चूमने लगा और प्रिया पागलों की तरह अपना सिर हिलाकर रोने लगी। चिराग से अब रहा नहीं जा रहा था पर वह अपनी मां के इशारे के लिए रुका हुआ था।
चिराग ने अपने दाएं अंगूठे से प्रिया की जवानी के फूले गुलाबी मोती को सहलाते हुए अपनी जीभ से चाटते हुए अपनी दुल्हन की कामाग्नि के स्त्रोत को सहलाना शुरू किया। प्रिया की चीखें चरम पर पहुंची जब चिराग की जीभ ने उसकी जवानी के परदे को चाटा।
फुलवा अपनी बेटी के बालों को सहला कर उसे अपनी चूची खिला रही थी। प्रिया की सिसकती चीखें फुलवा के भरे हुए मम्मे में गूंज कर फुलवा की एक महीने से भूखी चूत को गीला कर रही थीं।
प्रिया बेचारी उत्तेजना के नशे में धुत होकर तड़पती रही। प्रिया की कोरी गर्मी ने उसे ऐसे जलाया की जल्द ही उसका झड़ना तेज और जल्द होने लगा। जैसे प्रिया के स्खलन की तीव्रता बढ़ी वैसे ही उन के बीच का अंतराल कम होते गया।
आखिर में वह समय भी आ ही गया जब प्रिया के मुंह से अपनी मां की चूची फिसल गई और वह तड़पती अकड़ती बेसुध होकर लगातार झड़ने लगी। प्रिया की चूत में से यौन रसों का फव्वारा फूट पड़ा जिस में चिराग बड़ी मुश्किल से बच पाया।
फुलवा ने अपना सर हिलाकर हां कहा और चिराग ने अपना फौलादी औजार आगे बढ़ाया। चिराग के फूले हुए सुपाड़े ने उसकी दुल्हन की यौन पंखुड़ियों को फैलाया और अपने लिए जगह बनाई। प्रिया की चूत में आधा सुपाड़ा समा गया और वह एक मासूम आह भरते हुए बेसुध पड़ी रही।
फुलवा ने इशारे से चिराग को दौड़ लगाने से रोका और उसे प्रिया के ऊपर आने को कहा। चिराग ने अपने सुपाड़े से प्रिया की झिल्ली को सहलाते हुए अपने बदन से प्रिया की कमसिन जवानी को ढक दिया। चिराग के बदन की गर्मी महसूस कर बेसुध प्रिया मासूमियत में हल्के से मुस्कुराई। चिराग ने अपना वजन अपनी कोहनियों पर रखते हुए अपनी प्यारी दुल्हन का चेहरा अपने हाथों में लिया।
चिराग ने अपनी कमर उठाई और अपने सुपाड़े को लगभग बाहर निकाल लिया तो प्रिया ने बेहोशी में अपनी कमर उठाई। चिराग ने मुस्कराकर अपनी कमर को पूरा जोर लगा कर नीचे दबाया।
प्रिया चीख पड़ी, “मां!!…”
प्रिया ने अपने पति का मुस्कुराता चेहरा देखा। प्रिया की सबसे खास जगह से निकला तेज दर्द लहरों की तरह धीरे धीरे उतरने भी लगा था। प्रिया ने अपना मुंह अपने प्रेमी के गले और कंधे के जोड़ में छुपाया और अपनी दाहिनी हथेली से मां का हाथ कस कर पकड़ा।
चिराग बिना हिले प्रिया की कोरी जवानी को अपने प्रेमी से पहचान बनाने दे रहा था। चिराग को प्रिया की कमर उठने का एहसास हुआ तो उसने प्रिया के चेहरे को अपने गले में से बाहर निकालते हुए उसकी आंखों में देखा।
चिराग प्यार से, “अब दर्द कम हो गया?”
प्रिया मासूमियत से, “हो गया?”
चिराग हंसकर, “नहीं मेरी जान! अभी तो मज़ा शुरू हुआ है! अगर तुम्हारा दर्द कम हो गया हो तो हम मज़ा कर सकते हैं!”
प्रिया ने मुड़कर फुलवा को देखते हुए, “कीड़ा काटेगा!!…”
फुलवा हंसकर, “नहीं मेरी बच्ची!! कीड़ा तो तुम्हारा दोस्त है! और उसके तो दांत भी नहीं है! अब बस सोचो की तुम चिराग से कितना प्यार करती हो और उसे कितना खुश करना चाहती हो।”
प्रिया चिराग की आंखों में देख कर, “मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं! मैं आ…”
चिराग ने अपनी कमर पीछे ली और प्रिया की आह निकलने पर भी सुपाड़े तक बाहर निकल कर ही रुका।
चिराग, “मेरी आंखों में देखो जानू!! क्या मैं तुम्हें चोट पहुंचाऊंगा?”
प्रिया, “नहीं!!!…
ई!!…
ई!!…
आ!!…
आह!!…”
प्रिया की उंगलियों ने चिराग की पीठ में गड़ते हुए अपने प्रेमी पर कब्जा किया। जख्मी हो कर चिराग को दोहरा एहसास हो रहा था। कच्ची जवानी में चूसा जाता लौड़ा और पीठ में घुसते तेज़ नाखून!
चिराग ने अपनी दुल्हन को अपनी पत्नी बनाने में वक्त जाया करना ठीक नहीं समझा और लंबे तेज़ झटके देते हुए अपनी प्रेमिका को लूटने लगा। प्रिया चिराग के लौड़े से अपनी खुफिया जगह में से बनते और उठते दर्द जैसे अनोखे एहसास को समझ नहीं पा रही थी।
प्रिया ने कल सोच रखा था कि अगर उसे दर्द हुआ तो ही वह रोएगी पर बाकी सबने कहा वैसे मजा आया तो मजे ले कर हंसेगी! प्रिया को पटा ही नहीं चल रहा था कि अगर उसे मजा आ रहा था तो वह रो क्यों रही थी। प्रिया की आंखों में से आंसू बह रहे थे और वह चिराग को अपने घुटने उठाकर, नाखून गड़ाकर अपने ऊपर खींचते हुए रो कर चूमने की कोशिश कर रही थी।
चिराग इस कुंवारी लड़की के चेहरे से दुल्हन का श्रृंगार उतर कर मादक जवानी को अपनाती पत्नी का रूप धारण कर लेना देखते हुए समझ रहा था की लोग कुंवारियों के लिए जंग क्यों लड़ा करते थे। यह जवानी उसकी थी, सिर्फ उसकी! अगर कोई इसे चिराग ने लेना तो दूर बांटने के बारे में भी सोचता तो चिराग उसे… चिराग के अंदर से दहाड़ता जानवर जोर से गुर्राया और उसके लिए यही सही जवाब था।
चिराग उत्तेजना से झड़ने से एक सांस की दूरी पर था जब उसने अपने लौड़े को अपनी दुल्हन की कोख की ओर पेल दिया था। पर अब अपनी पत्नी के बदलते रूप देखते हुए चिराग को नई ताकत मिल गई थी। चिराग अपने पूरे लौड़े को जड़ से सुपाड़े तक घुमाता अपनी बीवी की पहली आहें चख रहा था। प्रिया अब भी उत्तेजना से चूर दर्द भुलाकर रोते और चीखते हुए झड़ने लगी।
चिराग का लौड़ा गरम रसों से भिगो कर निचोड़ लिया गया। चिराग के संयम का बांध टूटा और वह जानवर की तरह गुर्राते हुए अपनी पत्नी से लिपटकर उसकी कोख में अपने गरम बीज बोने लगा।
कुछ पल में दोनों जैसे कई जिंदगियां एक साथ जी गए।
चिराग, “प्रिया, तुम ठीक हो ना?”
प्रिया चुपके से चिराग के कान में, “फिर से?…”
चिराग मुस्कुराकर अपनी पत्नी को चूमते हुए, “मैंने तो बॉटल में से जिन्न निकाल दिया!”
प्रिया ने शर्माकर चिराग के गले में अपना मुंह छुपाया और गुस्से में वहां हल्के से काट लिया।
चिराग गुर्राकर, “मुझे काटेगी!! रुक तुझे अपने कीड़े से कटवाता हूं!”
कीड़ा प्रिया को अंदर से काटने लगा और प्रिया ने अपनी टांगों को उठाकर अपनी एड़ियों से चिराग की कमर को कस कर पकड़ा। चिराग और प्रिया की जवानी की लड़ाई से चुपके से दूर होते हुए फुलवा कमरे में से बाहर निकल गई।
फुलवा का बदन जवानी की आग में जल रहा था पर उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। आज वह सिर्फ अपने बेटे के लिए नहीं बल्कि अपनी बेटी के लिए भी मां थी। सिर्फ मां!!
फुलवा वहीं सोफे पर लेट कर रोने लगी। आज वह सही मायनों में अपनी पुरानी जिंदगी से आज़ाद हो गई थी।