• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    18
  • Poll closed .

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
superb update Priya aur fulwa train ka safar apne apne hisab se luft le rahe hein...
Aap ke sujhav dete rahiye.

Kya Priya ki jaan ko sach mein khatra hai ya yah sab bewajah dar hai?
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
  • Like
Reactions: Luckyloda

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
Thank you vickyrock for your prompt response and continued support
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
63

फुलवा की संस्था ने birth certificate जमा कर उनके वहां के लोगों से मिलान कर पता लगाया की 19 लड़कियां गायब थी। रूबीना की किसी दोस्त के हाथों यह खबर न्यूज चैनल तक पहुंचाई गई और पुरानी दिल्ली में भूचाल आ गया।


पुलिस कमिश्नर ने अपना तबादला रोकने के लिए वहां के रिश्वतखोर अधिकारियों को निकाला और खुद छानबीन की। देश भर से 15 लड़कियां मिली तो 3 खुद को आज़ाद करा कर भाग चुकी थी। कमिश्नर को बड़ी नाकामयाबी से बताना पड़ा की एक लड़की की बलि दी जाने की आशंका है और ओझा को ढूंढा जा रहा था। ओझा मिलना मुश्किल था क्योंकि उन कोठों पर कुछ दिन पहले हमला हुआ था और वहां के सारे भड़वे मारे गए थे और लड़की का बाप लापता था।


उसी वक्त मुंबई में प्रिया दसवीं की परीक्षा की तयारी कर चुकी थी और बारहवीं की भी तयारी में लग गई थी। प्रिया ने अपनी कला को दिखाते हुए सूरज की पहली किरण में चमकती बेहद खूबसूरत औरत का चित्र फुलवा को बना कर दिखाया।


राज नर्तकी की यह तस्वीर रूबीना मांग कर ले गई और दो दिन बाद उसके पति ने प्रिया को अपने स्टूडियो में बुलाया। भक्तावर नाम को न जानने वाली शागिर्द से मिलकर भक्तावर खुश हुआ और दोनों ने एक एक चित्र बनाने की प्रतियोगिता लगाई। भक्तावर ने अपनी बेटी की तस्वीर बनाई तो प्रिया ने रूबीना से जिद्द करते उसके बेटे को कागज पर उतारा।


भक्तावर ने महिला मंडल से बात की और प्रिया की चित्रकारिता और पेंटिंग की पढ़ाई शुरू हो गई। मदद के लिए शुक्रिया अदा करते हुए प्रिया ने “राज नर्तकी” को भक्तावर को भेंट कर दिया।


चिराग का जन्मदिन मनाने लखनऊ से नारायण जी, मोहनजी और उनका परिवार आया था। छोटे रक्षित ने धीरे से अपने पिता को बताया की वह बड़ा बनकर जेवरातों का डिजाइनर बनेगा तो सभी ने उसकी महत्वकांक्षा की प्रशंसा की। सत्या महिला मंडल के साथ एक दिन बिताकर लौटी तो मोहन का मुंह खुला रह गया।


जन्मदिन की पार्टी के बाद नारायण जी ने अपने और फुलवा के परिवार को साथ बिठाया। रक्षित का यहां होना सत्या को ठीक नहीं लगा पर जरूरी था।


नारायण, “मैं आप लोगों को डराना नहीं चाहता पर आगाह करना जरूरी है। कोई राज नर्तकी और उस ओझा को ढूंढ रहा है। यह एक इंसान है या गिरोह यह पता नहीं पर इन्हें खून खराबे से परहेज नहीं है। इन्होंने ओझा को ढूंढते हुए पुरानी दिल्ली के कोठे पर हमला किया। वहां के हर भड़वे को कतार में खड़ा किया और उन सब का गला काट कर उन्हे बीच सड़क में छोड़ दिया। प्रिया के अब्बू का कोई पता नहीं है। और अब कोई लौटाए खजाने को लौटाने वाले को ढूंढ रहा है।”


फुलवा, “इसका मतलब आप को खतरा है!”


नारायण, “मैंने अपने बाल धूप में सफेद नहीं किए! मैने अपने एक आदमी, चूतपुर के दीवान का मुनीम, विजय राणा के हाथों खजाना लौटाया। उसे कोई नहीं पहचानता और सब जानते हैं कि चूतपुर के दीवान थोड़े अजीब हैं! उसे कोई कुछ नहीं पूछेगा!”


चिराग, “हमें क्या करना होगा?”


नारायण रक्षित और प्रिया की ओर देखते हुए, “कभी भी किसी को भी राज नर्तकी या खजाने के बारे में कुछ मत बताना! राज नर्तकी के घुंघरू, कमरपट्टा नवाबजादे का खंजर और नवाबजादे के बीवी की जेवर अनोखे है। उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है इस लिए उन्हें विजय राणा के हाथों मैंने संग्रहालय को दान किया। बाकी के जेवरात कीमती है पर बेशकीमती नहीं। उन्हें ठिकाने लगा कर उनका मोल मिल जायेगा। अब उस खजाने और ओझा को प्रिया से जोड़ने वाला राज़ सिर्फ इस कमरे में है और यहीं रहना चाहिए!”



रक्षित भी इस मामले की अहमियत समझता था और सब लोग राज़ को भूल जाने पर सहमत हो गए। जब नारायण जी और उनका परिवार वापस जाने से पहले होटल में रात गुजारने के लिए लौटा तब प्रिया चिराग को जन्मदिन का तोहफा देने उसके कमरे में गई। एक महीना अपने नए परिवार के साथ बिताकर प्रिया बहुत खुश थी।


प्रिया ने चिराग के लिए एक रंगों के घुलते मिलते छटाओं की पेंटिंग बनाई थी जिस में गौर करें तो चिराग की तस्वीर नजर आती थी। प्रिया ने हमेशा की तरह चुपके से चिराग के कमरे का दरवाजा खोला पर अंदर का नजारा देख कर जम गई।


चिराग ने फुलवा को पीछे से पकड़ कर बेड पर धक्का देकर गिराया। फुलवा हंसकर बेड पर पेट के बल गिर गई।


फुलवा हंसते हुए, “बेटा!!…
ये क्या कर रहे हो?…”


चिराग ने अपनी पैंट और कच्छा नीचे उतार कर नीचे से नंगे होते हुए, “अपने जन्मदिन का तोहफा ले रहा हूं!!”


फुलवा पीछे मुड़ कर देखते हुए, “अच्छा?…
बताओ मेरे बेटे को क्या चाहिए?”


चिराग अपनी मां की साड़ी कमर तक ऊपर उठाकर उसकी गीली पैंटी उतारते हुए, “मां की गांड़!!…”


प्रिया चौंक गई और उसके मुंह से आह निकल गई। फुलवा का सर ऊपर उठा पर उसने दरवाजे की ओर नहीं देखा तो प्रिया कोने में चिपककर देखती रही।


फुलवा, “बेटा अगले महीने मेरा जन्मदिन है। मैं 38 की हो जाऊंगी! तुम मुझे पसंद तो करोगे ना?”


चिराग ने अपने लौड़े को अपनी लार से चमकाया और अपनी मां के ऊपर लेट गया। अपनी मां की टांगों को फैलाकर उसकी गांड़ पर अपना सुपाड़ा लगाकर चिराग ने अपनी मां के गाल को चूम।


चिराग, “आपको पसंद ना करने की कोई गुंजाइश ही नहीं। आप तो आ…
आ…
आह…
आह!!!…
आप ही हो!!…”


फुलवा ने अपनी गांड़ मारते अपने बेटे को चूमते हुए अपनी कमर उठाकर हिलाई।


फुलवा, “आह!!…
हां…
मेरे बच्चे!!…
ऐसे!!…
ऐसे ही!!…
चोद दे!!…
मार मेरी…
गा…
आ…
आ…
आंड!!…
हा!!…
हा!!…
आह!!…”


चिराग ने अपनी टाई निकाली और उसे फुलवा के गले में पट्टे की तरह अटकाकर खींचा। प्रिया ने देखा की अब फुलवा अपने गले के पट्टे को पकड़ कर चिराग के लौड़े को अपनी गांड़ में दबाए हुए थी।


फुलवा का दम घूट रहा था और साथ की उसकी गांड़ मारी जा रही थी। प्रिया अपनी मां को उसके बेटे से बचाने बढने लगी जब फुलवा ने अपनी कमर को हिलाकर अपनी गांड़ को तेजी से मरवाना शुरू किया।


प्रिया को पसीने छूट गए थे और अब वह अपना मुंह दबाए दीवार से चिपकी हुई थी। प्रिया की गीली पैंटी के अंदर चींटियों का ढेर महसूस हो रहा था। ये सारी चींटियां उसे अपनी गीली जवानी को खूजाने पर मजबूर कर रही थीं।


प्रिया अपनी मां को चिराग के लौड़े से अपनी गांड़ मरवाते देख कर डरते हुए अपनी स्कर्ट को अपनी उंगलियों से उठाने लगी। प्रिया की उंगलियों ने उसकी पैंटी के सबसे गीले चींटी चढ़े हिस्से को छू लिया और जैसे उसके बदन में बिजली की नंगी तार घुस गई।


प्रिया सिसकर रोते हुए नीचे बैठने पर मजबूर हो गई। प्रिया की सफेद कॉटन पैंटी का बीच वाला हिस्सा मानो अनदेखी आग में जल रहा था। एक ऐसी आग जिसे बुझाने का कोई जरिया नहीं था। एक अजीब भूख से जलती आंखों के सामने चिराग अपने लंबे मोटे कीड़े से फुलवा की गंदी जगह को कूट रहा था। प्रिया नहीं जानती थी कि वह क्या चाहती है पर उसे इस आग से छुटकारा और भूख से निजाद चाहिए था।


प्रिया की चूत में से बाहर निकला रस उसकी गांड़ पर से होते हुए नीचे छोटा डबरा बना रहा था। प्रिया की भूखी आंखें अपनी मां की दर्दनाक चुधाई को देखती उसका बदन जला रही थी।


फुलवा चीख पड़ी और उसकी गांड़ ने चिराग को निचोड़ लिया। अपनी मां के साथ झड़ते हुए चिराग ने अपनी मां की गांड़ में अपना गरम रस भर दिया।


प्रिया अपना मुंह दबाए जल रही थी जब उसने अपना नाम सुना।


चिराग थक कर, “प्रिया क्या?”


फुलवा, “प्रिया भी जवान है, खूबसूरत है और अच्छे पोषण के साथ उसका शरीर भी भर जाएगा! मेरे मम्मे पिचकने लगेंगे जब उसके फूलने लगेंगे। क्या तुम्हें यकीन है कि तुम उसे पसंद नहीं करोगे?”


प्रिया की सांस अटक गई और वह दीवार से चिपक कर बैठी रही।


चिराग, “प्रिया आप की बेटी है। मैं उसके साथ ऐसा करने का सोच भी नही सकता!”


प्रिया के अंदर अंगड़ाई लेती हसीना को इस तरह नकारा जाना बिलकुल रास नहीं आया पर प्रिया चिराग के तेजी से फूलते लौड़े से अपनी आंखें हटा भी नहीं पाई। चिराग ने अपनी मां को नंगा किया और उसकी एड़ियों को अपने कंधे पर रख कर उसकी गांड़ मार दी।


प्रिया बड़ी मुश्किल से अपने घुटनों के बल रेंगती वहां से अपने बिस्तर पर आई और पूरी रात जवानी की आग में जलते हुए गुजारी।
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
*चूतपुर के दीवान वहां के बड़े जमींदार हैं और विजय राणा उनके वफादार मुनीम। इस किरदार की अपनी कहानी बाद में आएगी।

अपने सुझाव दीजिए ताकि उस कहानी को रोचक बनाया जा सके।
 
Last edited:
  • Like
Reactions: vickyrock and Mink

Mink

Avid reader
567
1,297
124
Superb Update ab Priya kya karegi Chirag ki baat sun kar ... waiting for next...
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
64

सबेरे दरवाजे पर दस्तक हुई तो नहाकर बाहर निकले मानव शाह ने बिना सोचे तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला। तौलिए के नीचे से झांकता सेब जैसा सुपाड़ा देख कर प्रिया की आंखें फटी रह गई।


अपने नंगे बदन पर तौलिया लपेट कर लड़खड़ाते हुए बाहर आती काम्या,
“कितनी बार कहा है, दरवाजा खोलने तौलिया लपेट कर नहीं जाना। बेचारी बच्ची सदमे में चली गई!…
हटो!!…
जाओ!!…
शू!!…”


मानव शाह अपने 15 इंची सांप को तौलिए के अंदर दबाते हुए, “वहां सारे बच्चों ने मोहिनी पर कब्जा कर लिया है।”


काम्या मानव को धक्का देकर भेजते हुए, “बच्चे हैं काटेंगे नहीं! काट भी लिया तो आप ही के बच्चे हैं!! जाओ!!”


प्रिया काम्या और मानव की बातें सुनती दंग रह गई। काम्या प्रिया को अपने कमरे में ले गई और दरवाजा लॉक कर लिया। अपना तौलिया उतार कर अपनी जांघों पर से बहते गाढ़े वीर्य की धाराओं को काम्या पोंचते हुए काम्या प्रिया से बातें करने लगी।


काम्या, “डरना मत! दरवाजा लॉक नहीं करती तो इसे पोंछने की नौबत दुबारा आती। मुझे ऐसा देखकर तुम्हें एतराज तो नहीं ना?”


प्रिया ने सर हिलाकर मना किया।


काम्या, “ कुछ जरूरी बात होगी जो सुबह इतनी जल्दी यहां आई! बोलो क्या हुआ?”


प्रिया ने काम्या को अपने आकर्षक बदन को अलग अलग कपड़ों और सुगंध से सजाते हुए देखते हुए अपने मन में चिराग के कीड़े को देख कर बनती हालत के बारे में बताया।


काम्या, “कीड़ा? ओह!!… मैंने सिर्फ सांप देखा है तो समझने में देर लगी! मैं जानती हूं कि तुम हमारा राज समझ चुकी हो। तो हिचकिचाहट की कोई जरूरत नहीं है।”


प्रिया सिसकते हुए, “मैं रंडीखाने में पली बढ़ी हूं। मैंने बचपन से औरतों को मर्दों के नीचे रोते चीखते सुना है। फुलवा मां कहती हैं कि प्यार होने पर यह दर्द मज़ेदार होता है! मैं नहीं जानती की मुझे क्या सोचना चाहिए पर मुझे पहले ऐसा कभी नहीं लगा।”


काम्या ऑफिस के कपड़े पहने प्रिया के बगल में बैठ गई।


काम्या, “पहली बार दर्द होता है! तुमने पापा का आकार देखा ना?(प्रिया ने सहमी हुई आंखों से देख कर सर हिलाकर हां कहा) मेरी शुरुवात तो जबरदस्ती से हाथ पांव बांध कर हुई थी! कभी कभी सोचती हूं कि अगर प्यार से होती क्या कम दर्द होता?”


प्रिया ने काम्या को गले लगाया तो काम्या हंस पड़ी।


काम्या, “अरे नही!!… मैने पापा के हाथ पांव बांध कर उन्हें अपनी पहली बार दी थी! (प्रिया हैरानी में देखती रही गई) वो अलग कहानी है। पर हां दर्द होता है और इसे फ्रेंच लोग ‘le petit morte’ कहते हैं। यानी छोटी मौत! मर्द सही काम करे तो औरत कुछ पलों के लिए दूसरी दुनिया की सैर कर लौटती है।”


प्रिया की अविश्वास भरी आंखों को देख कर काम्या हंस पड़ी।


काम्या, “छोड़ो!! इसे बाद में देखेंगे। तुम्हारी तकलीफ है कि तुम चिराग से कैसे पेश आओगी? तो मैं तुम्हें कुछ नियम बताती हूं।”


  • उस पर ध्यान मत देना। चाहे जितना मन करे उसे ऐसे दिखाना की वह कोई आम राह चलता मर्द है जिस से तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
  • उसे तुमसे बात करने दो! खुद से उसके पास कभी नहीं जाना!
  • हमेशा एक पहेली बने रहना। उसे ऐसा कभी नहीं लगना चाहिए की वह तुम्हें पहचान गया है।
  • यह मुश्किल है! मर्द बेवकूफ होते हैं और वह तुम्हें चोट पहुंचाएगा। उसे यह कभी पता नहीं चलना चाहिए कि तुम्हें उसकी चोट से फर्क पड़ता है।
प्रिया, “इस से क्या होगा?”


काम्या हंसकर, “तुम चिराग से आसानी से बात कर पाओगी और शायद भविष्य अपने आप को खुद दिखा दे! (प्रिया को गले लगाकर) चलो अब बच्चे बाहर मस्ती कर रहे होंगे और पापा को मुझे ऑफिस के कपड़ों में देख कर मुझ पर ज्यादा प्यार आता है!”


काम्या के साथ उसके पापा क्या करने वाले हैं यह सोच कर प्रिया का चेहरा लाल हो गया और वह परिवार के सारे लोगों से विदा लेकर चिराग का सामना करने लौटी।


चिराग ने दरवाजा खोला तो प्रिया उसे गुड मॉर्निंग बोल कर अंदर चली आई जिस से चिराग भौंचक्का रह गया। चिराग ने प्रिया को दरवाजे के बाहर रखी पेंटिंग के बारे में पूछा तो प्रिया हंस पड़ी।


प्रिया, “कल तुम्हारा जन्मदिन था और वह तुम्हारा तोहफा है। मैं देने आई थी पर तुम… व्यस्त थे इस लिए वहां छोड़ कर चली गई।”


फुलवा प्रिया में आए बदलाव से मुस्कुरा रही थी जब की चिराग उलझन में था।


चिराग, “कल रात तुमने जो देखा… सुना…”


प्रिया हंसकर, “मैं एक रण्डी की बेटी हूं। मैने बहुत कुछ बचपन से देखा और सुना है! सच में, अगर फुलवा मां को कोई ऐतराज नहीं तो मैं भला क्यों कुछ बोलूं? (फुलवा की ओर देख कर) मां अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?”


चिराग को ऐसे भुला दिया जाना बिलकुल रास नहीं आया पर फुलवा का चेहरा खुशी से खिल गया था।


प्रिया, “आप को नहीं लगता कि चिराग ठीक से कसरत नहीं करता? मतलब कल कितनी जल्दी हांफने लगा था?”


चिराग दंग रह गया और फुलवा जोर से हंस पड़ी।


फुलवा, “बात बिलकुल सही कही! शायद उसे लगता है कि अब उसे मेरे लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं रही! चिराग! बेडरूम में आओ! मैं तुम्हें कसरत कराऊंगी!!”


चिराग को लग रहा था जैसे उसकी दुनिया दुबारा उल्टी हो गई है और उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।


प्रिया ने अपनी कलाओं और गुणों को निखारते हुए जल्द ही अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और मानव की मदद से हनीफा के पति रिज़वान अहमद के साथ काम करने लगी। हालांकि उसे फुलवा के होते हुए पैसे की कमी नहीं थी पर प्रिया अपने पैरों पर खड़ी होकर अपनी मां का सपना पूरा करना चाहती थी। प्रिया अब भी हर रात चुपके से मां बेटे की चुधाई देखते हुए अपनी गीली जवानी की चुभन महसूस करती। अपने जलते बदन को ठंडे पानी में भिगो कर शांत करती। लेकिन चिराग के लिए प्रिया वह पहेली थी जिसे वह ना उगल सकता था और ना निगल सकता था।


प्रिया को फुलवा और चिराग से मिले दो साल होने को थे जब फुलवा एक दिन बहुत खुश लौटी।


फुलवा ने रात के खाने के वक्त बताया की अब वह अपनी बीमारी से पूरी तरह ठीक हो गई है और अब वह अपनी भूख पर बिना किसी तकलीफ के काबू पाने के काबिल है।


चिराग ने अपनी मां को इस कामयाबी की बधाई दी तो प्रिया ने उसे पूछा की वह इस कामयाबी को कैसे मानना चाहेगी।


फुलवा, “चिराग, मैं अकेली गोवा जा रही हूं! खुला समुंदर, नंगे लड़के और मस्त हवा। मैं अपने आप को 1 हफ्ते तक छूटी देते हुए मज़े करूंगी!!”


प्रिया को अपने जन्मदिन पर फुलवा का ना होना बुरा लगा पर उसने फुलवा की खुशी को ज्यादा अहमियत देते हुए उसे बैग भरने में मदद की।


फुलवा ने चिराग को गले लगाकर, “तुम्हें पिछले 3 सालों में रोज औरत का साथ मिला है। अकेले रह पाओगे ना? तकलीफ हुई तो तुम्हारे ऑफिस की पम्मी…”


चिराग, “मां मैं ठीक हूं! मुझे कोई तकलीफ नहीं होने वाली! और मैं आप से प्यार करता हूं, बस गरम बदन से नहीं को पम्मी को बुला लूं!”


फुलवा, “मेरा राजा बेटा! (चिराग का गाल चूमकर उसके कान में) घर में जवान मर्द को कच्ची कुंवारी के साथ छोड़ते हुए थोड़ा डर तो लगता ही है! मतलब अगर तुम्हें रात में भूख लगी और बगल के कमरे में कोई आह भरे तो… इस लिए पम्मी के बारे में बताया।”


चिराग की आंखों के सामने मां ने बनाई तस्वीर साफ नजर आई और उसका लौड़ा फूल कर फटने की कगार पर पहुंच गया।


चिराग, “मां, आप डरो मत! ऐसा कुछ नहीं होने वाला! आप हफ्ते बाद आओगी तब भी प्रिया मुझे ऐसे ही झटक कर आप से बात कर रही होगी।”


प्रिया कुछ लेकर आई और फुलवा की बैग में रखा।


फुलवा, “यह बिकिनी सेट है! गोवा में काफी दिल जलाना! जब आप लौटेंगी तब तक मैं चिराग से पूरा घर साफ करवा लूंगी! मर्द और किस काम आते हैं?”


फुलवा ने प्रिया को गले लगाकर, “ओह मेरी मासूम बच्ची!! सच में मर्द एक ही काम आते हैं!”


फुलवा अपनी गाड़ी में बैठ कर गोवा के लिए चली गई और चिराग प्रिया के साथ घर लौटा। चिराग को एहसास हुआ कि वह पहली बार प्रिया के साथ अकेले रहने वाला है। प्रिया ने अपने घर में पहने जाने वाले कपड़े पहन कर घर के रोज के काम करना शुरू किया।


74596482-cms

Crop tops और denim shorts में प्रिया को रोज़ देखना अपने आप में एक सजा थी पर अब चिराग को प्रिया के असर से बचाने या प्रिया का असर कम करने वाली मां भी सात दिन तक नहीं थी।


चिराग ने पहली बार ऊपर वाले से मदद मांगी की वह इन सात दिनों में अपने आप को शर्मिंदा होने से रोक पाए। प्रिया को अपनी मासूम जवानी का चिराग पर क्या असर होता है इसकी भनक भी नहीं थी।


चिराग ने अपने घर का दरवाजा लगाया तो उसे अपने कमरे में से प्रिया की हल्की चीख सुनाई दी। चिराग दौड़ कर गया तो उसकी आंखों के सामने प्रिया की शॉर्ट्स में भरी हुई गांड़ झूल रही थी।


प्रिया, “पीछे से देखते रहोगे या पकड़ोगे भी! मेरी पकड़ छूट रही है!”


चिराग ने प्रिया को पीछे से पकड़ लिया और प्रिया चिराग के सीने पर से सरकती नीचे आई। चिराग की मजबूत बाहों के घेरे में प्रिया के फूले हुए मम्मे नीचे से दबकर उठ रहे थे। प्रिया ने गले में से आवाज निकाली और चिराग ने झटके से अपने हाथों को हटाया।


चिराग डांटते हुए, “वहां ऊपर क्या कर रही थी? गिर जाती तो?”


प्रिया, “मां के आने के बाद मेरा जन्मदिन मनाएंगे लेकिन अब जब मां ठीक हो गई है तो मैं और मां इस कमरे में सोएंगी। बदबूदार मर्दों को वह दूसरा कमरा ठीक है।”


चिराग, “याद रखना की इसी बदबूदार मर्द ने अभी तुम्हें बचाया!”


प्रिया ने नीचे झुककर कुछ सामान उठाते हुए, “मर्दों को और क्या करना आता है?”


चिराग के अंदर से एक जानवर दहाड़ा की प्रिया को मर्द का काम सिखाया जाए और चिराग जैसे तैसे अपने होठों को दबाकर बाहर TV के सामने बैठ गया।
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
Superb Update ab Priya kya karegi Chirag ki baat sun kar ... waiting for next...
Jaisa ki pata chal gaya hoga Priya aur Chirag ki bhadakti javani visphot karegi

Par vah kaise hoga? Apne sujhav dijiye

1 Gusse vala animal sex
2 pyar bhara romantic sex
3 sharab pikar galati ka sex
4 birthday par akele hone ka sad sex
5 kuch aur?
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,138
159
Top