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प्रिया पिछले एक महीने से उसे पहचानने से इंकार करती सहेलियों को देख कर रुक गई तो फुलवा उसे खींच कर अंदर ले आई। प्रिया बैठ गई तो सबने उसे घेर लिया।
रूबीना, “बताओ! बताओ!! क्या हुआ? कैसा रहा पिछला महीना?”
सत्या, “अरे जरा संभलने का मौका दो बेचारी को! पराए मर्द संग महीना बिताना कोई मजाक नहीं! पर चिराग तो पराया नहीं था! उसे अपनाते हुए ज्यादा चीखी तो नही? झोपड़ी में से आवाज जल्दी बाहर आती है!”
सारी सहेलियां ठहाका लगा कर हंसने लगी और उलझी हुई प्रिया शर्म से लाल हो गई।
फुलवा ने प्रिया के बालों में से उंगलियां फेरते हुए, “ तुमने यह कैसे सोच लिया की हम सब तुम्हें खुले में छोड़ देंगे? हमारी तुम दोनों पर नजर थी!”
साफिया, “जिन गुंडों ने बिल्डिंग से बस स्टॉप तक पीछा किया वह वसीम भाई के लोग थे और बस स्टॉप पर सोया भिखारी हमारा आदमी।”
फुलवा, “झोपड़े का इंतजाम 2 महीने पहले से कर के रखा था और चिराग की दोनों नौकरियों का भी। तुम्हारी नौकरी कुछ नई बात निकली।”
प्रिया के दिमाग की बत्ती जली और वह भड़क उठी।
प्रिया, “एक महीने तक डर और परेशानी में हम दोनों को रख कर आप सब लोग मजे ले रहे थे? ये है आप की दोस्ती? ये है आप का प्यार?”
काम्या, “ओह, so romantic!!”
फुलवा समझाते हुए, “प्रिया जिस दिन तुम मेरे साथ आई और चिराग तुम्हें देखते ही चुप हो गया उसी दिन मुझे तुम दोनों में कोई ‘खिंचाव’ महसूस हुआ। चिराग के जन्मदिन तक मुझे यकीन हो गया था कि तुम दोनों की जोड़ी बनेगी। पर तुम दोनों एक दूसरे से डरते थे या शायद इस खिंचाव को मानने से डरते थे। सच बताओ अगर मैं तुम दोनों की शादी लगा देती तो क्या तुम मान जाती?”
प्रिया गुस्से से, “हां!! मैं न जाने कब से चिराग को चाहती हूं!”
फुलवा, “बिलकुल सही! पर चिराग के मन में यह डर हमेशा रहता की शायद तुम उस से ज्यादा उसकी दौलत से प्यार करती हो। है ना? और तुम्हारे दिल में यह आशंका रहती की शायद चिराग ने अपनी मां की वजह से तुमसे शादी कर ली! है ना?”
फुलवा ने सोचकर हां कहा।
हनीफा, “लेकिन अब तुम दोनों जानते हो की तुमने दौलत और इज्जत ठुकराकर एक दूसरे का साथ चुना है। न तुम्हें दौलत की आस है और ना चिराग को। तुम तो अपने प्यार के खातिर चिराग की रखैल बनने को तैयार हो गई थी!”
प्रिया अपनी मां और सहेलियों की सूझ बूझ से खुश होकर अपनी मां की बाहों में समा कर रोने लगी।
फुलवा अपने आंसू पोंछे हुए, “बस बस, अब रोना बंद और खरीददारी शुरू! हनीफा, हमें जल्द से जल्द शादी का जोड़ा चाहिए!”
प्रिया, “मां!!… क्या हम शादी का जोड़ा मेरी दुकान… मतलब काली क्रिएशन में से ले सकते हैं? उसने मेरी मदद की थी और मैं उसे भी बुलाना चाहती हूं!”
हनीफा, “ये कौन हैं जो मेरे ग्राहक उठा रही है? चलो उस से मिलते हैं! आज कल मैं भी अपने बुटीक को सही वक्त नहीं दे पा रही।”
बात मर्दों पर आई तो सबने प्रिया से पूछा की चिराग बिस्तर में कैसा है? प्रिया ने शर्माकर बताया कि चिराग ने शादी से पहले उसे ना छूने की कसम खाई थी और इसी वजह से दोनों ने कोर्ट में शादी करने की तयारी की थी।
फुलवा ने प्रिया को चिराग का फोन आया है यह देखा और फोन छीन लिया। इशारे से सबको चुप कराते हुए,
“क्या है? क्यों फोन किया?”
चिराग, “मां, जरा प्रिया से बात करनी थी।”
फुलवा गुस्से से, “करवा रही हूं ना तुम्हारी शादी? जीत गए ना तुम दोनों? अब जो चुम्मा चाटी करनी है वह एक महीने बाद करना! प्रिया को जिंदा लेकर आऊंगी शादी के मंडप में! अब बहुत हुआ मुझे अपना काम करने दो! (दूसरी तरफ मुंह करके) इधर क्या देख रही है? तेरा यार नही आएगा वो फर्श धोने!! अगर दुबारा इधर देखा…”
फुलवा ने फोन काट दिया और सारी औरतें जोर जोर से हंसने लगी।
प्रिया, “ये सब नाटक कितनी खूबी से कर लेती हो मां!!”
फुलवा, “अरे बेटी रंडियां जो आह उउह करती हैं वह अक्सर नाटक ही होता है! कौन हर मर्द से रोएगा?”
सारी शादीशुदा औरतों ने सर हिलाकर हां कहा तो प्रिया, “पर चिराग को ऐसे परेशान करना?”
काम्या, “बड़ा प्यार आ रहा है अपने यार पे! जरा तड़पने दे उसे! शादी के दिन तेरा अच्छा दिखना जरूरी है, उसे तेरे अलावा कोई नहीं देखने वाला!”
अगले दिन कई महंगी गाडियां एक छोटे से बुटीक के सामने रुकी और सारी औरतें काली क्रिएशन का माल जांचने लगी। काली क्रिएशन की मालकिन, काली ने प्रिया को देखा और उसे गले लगाया।
काली, “मैंने सुना की तुम्हें कोई ले गया है! तुम ठीक तो हो ना?”
फुलवा ने आगे बढ़ कर, “काली? ये तुम्हारी दुकान है?(मंगलसूत्र को देख कर) और तुमने शादी कर ली?”
काली फुलवा को गले लगाकर, “फुलवा दीदी! आप को देख कर बहुत अच्छा लगा! कैसी हो आप? (फुलवा के कान में रूबीना की ओर देखकर) क्या तुम प्रिया की होने वाली सास को जानती हो? चुड़ैल ने अपने बेटे को घर से निकाला था!”
फुलवा हंसकर, “ प्रिया मेरी बहु होने वाली है और हां मैंने ही इन दोनों की आंखें खोलने के लिए उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया!”
काली, “पर… पर… प्रिया की सास बेहद अमीर है!”
प्रिया, “दीदी अब बोलना बंद कर दो! हम बाद में मिलकर सारी बातें करेंगे। मैं सबकी पहचान करा दूं!”
काली को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके डिजाइन इन औरतों को बेहद पसंद आ रहे थे। यहां तक की फैशन जगत की हनीफा अहमद ने उसकी तारीफ करते हुए उसके बुटीक में साझेदारी करने में रुचि दिखाई थी।
प्रिया की शादी का जोड़ा बनाने में एक दिक्कत थी की उसे काली ने पहले ही तोहफे के तौर पर बना दिया था और अब पैसे लेने से इंकार कर रही थी। फुलवा के साथ बहस करने के बाद काली फुलवा को दुगनी कीमत में दूसरी ड्रेस देने को तैयार हो गई। काली फुलवा की संस्था के कार्यक्रम में भी कपड़े देना चाहती थी।
महिला मंडल एक नई सदस्य को अपने साथ जोड़कर spa day तय करने के बाद घर लौटा।
Spa day और ब्यूटी पार्लर में पूरा दिन उड़ाने के बाद शादी के दिन सारी औरतें अपने मर्दों का दिल जलाने को तयार थीं। शादी ज्यादा बड़ी नहीं थी पर फुलवा के सारे दोस्त परिवार समेत आए थे।
फुलवा ने अपनी बहु को अपने घर में बड़ी धूम धाम से लिया और कुछ देर चले हंसी मजाक और रिवाज होने के बाद प्रिया को सजाए हुए बड़े बिस्तर पर बिठाया गया। चिराग को चिढ़ाते हुए अंदर जाने से रोका गया और वह किसी तरह अंदर गया तो उसने दरवाजा लॉक कर लिया।
सारे महमान फुलवा से विदा लेकर चले गए और फुलवा ने प्रिया के कमरे में सोने की तयारी कर ली। अपने सिल्क के गाउन में फुलवा बिस्तर पर बैठी भी नहीं थी जब उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई।
फुलवा चिराग को परेशान देख कर, “क्या हुआ बेटा?”
चिराग नीचे देख कर, “प्रिया बहुत डर गई है। आप को बुला रही है।”
फुलवा मर्द और उनकी बेवकूफियों के बारे में बुदबुदाते हुए सुहागरात के कमरे में चिराग को पकड़ कर ले गई।