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Erotica बदनसीब फुलवा; एक बेकसूर रण्डी (Completed)

Fulva's friend Kali sold herself in slavery. Suggest a title

  • Sex Slave

    Votes: 7 38.9%
  • मर्जी से गुलाम

    Votes: 6 33.3%
  • Master and his slaves

    Votes: 5 27.8%
  • None of the above

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    18
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Mink

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Aag aur ghee aur samay seema 7 din kya hoga aur chirag kaise bacha payega bahkne se ya phir ho jayega kuch anhoni usse....yeh dekhna majedaar hoga
 

Lefty69

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4 दिन बाद शनिवार दोपहर को चिराग घर लौटा तब वह सोच रहा था कि प्रिया को उसके जन्मदिन का तोहफा आज रात 12 बजे दे या कल सुबह। आखिर में रात के 12 बजे प्रिया को नींद से जगाने में बनने वाले खतरे समझ कर उसने अगली सुबह को निश्चित किया।


चिराग ने चुपके से घर में कदम रखा तो सब खामोश था। अचानक प्रिया की सिसकी सुनाई दी और चिराग प्रिया के कमरे में गया। प्रिया बिस्तर के बगल में नीचे बैठी रो रही थी।


चिराग के दिल में जैसे मरोड़ पैदा हो गई। चिराग ने प्रिया के कंधे को छू लिया और वह चौंक कर अपने आंसू पोंछने लगी। चिराग ने रोने की वजह पूछी तो प्रिया ने वापस रोते हुए बताया कि उसे मां की याद आ रही थी।


कल उसका जन्मदिन था और हर बार की तरह आज कोई भी मां उसके पास नहीं थी। चिराग ने प्रिया को अपनी बाहों में भर लिया और उसे फुलवा को ढूंढते हुए बने हुए अलग अलग किस्से बताए।


प्रिया को हंसाने में कामयाब होने के बाद चिराग ने बिना सोचे प्रिया को तयार होने को कहा। आज वह दोनों जवानों की birthday party मनाने वाले थे। चिराग प्रिया को पहले हनीफा के बुटीक में ले गया जहां प्रिया के लिए सेक्सी पार्टी ड्रेस लिया गया। फिर चिराग प्रिया को खाना खाने बढ़िया रेस्टोरेंट में ले गया। प्रिया ने पेट भरने की शिकायत की तो चिराग उसके साथ डिस्को में आया। दोनों ने एक दूसरे के साथ नाचते हुए 4 घंटे बिताए। प्रिया थक गई तो दोनों घर वापस लौटे।


प्रिया के पैरों में नाच कर दर्द हो रहा था और वह सोना चाहती थी पर चिराग ने उसे उसका तोहफा दिया। चिराग और प्रिया ने हॉल के बड़े सोफे पर बैठ कर प्रिया का पसंदीदा आइसक्रीम खाते हुए उसकी पसंदीदा फिल्म देखी। किसी को पता भी नहीं चला कब चिराग की बाहों में प्रिया को नींद आ गई।


चौंक कर दोनों जाग गए जब फुलवा ने प्रिया को खींच कर चिराग की बाहों में से दूर करते हुए नीचे गिराया।


फुलवा गुस्से में लाल होकर, “एहसान फरामोश!!…
आस्तीन के सांप!!…
धोखेबाज!!…
मक्कार!!…
मैने तुझे अपनी बेटी कहा और तूने अपने भाई के साथ मुंह काला कर लिया!! मेरे प्यार का यह सिला दिया!”


प्रिया रोते हुए मना कर रही थी पर फुलवा सुनने की हालत में नहीं थी। चिराग ने अपनी मां को प्रिया से दूर करते हुए उसे समझाने की कोशिश करने लगा।


फुलवा, “इस गंदी नाली की पैदाइश को लगता है कि मेरे बेटे को फंसा लेगी और मैं चुप बैठूंगी? इसी ने तुझे भूखा पा कर अपनी टांगे फैलाकर बुलाया होगा। ये इसके खून में है!”


फुलवा मां के मुंह से अपनी मां की बेइज्जती सुनकर प्रिया रोने लगी पर चिराग गुस्सा हो गया।


चिराग, “अगर यह सच है मां तो यही सब कुछ मेरे अंदर भी हो सकता है। जब मैं पैदा हुआ था तब आप क्या किया करती थीं?”


प्रिया और फुलवा चिराग को ऐसे देखने लगी मानो उसने अपनी मां को थप्पड़ लगाया था।


फुलवा प्रिया से गुस्से में, “देखा!! तेरी वजह से मेरे बेटे ने मुझे रण्डी कहा! वैश्या कहा!! हो गई तसल्ली?”


चिराग ठंडी आवाज में अधिकार से, “मां हमने कहा कि कुछ नहीं हुआ और आप के लिए इतना काफी है। इस से पहले कि बात और बिगड़े आप सोने जाओ! प्रिया, तुम अपने कमरे में जाओ! मैं यहीं पर सोऊंगा!”


फुलवा झल्ला कर, “ये रण्डी की औलाद इस घर में नहीं रहेगी! बाहर जाकर अपनी मां की तरह धंधा लगाए पर यहां से दफा हो जा!!”


चिराग, “मां, अगर आप ने ऐसा किया तो इस घर में कोई रण्डी की औलाद नहीं रहेगी! समझ रही हो ना?”


फुलवा चौंक कर, “तू इस चूत के टुकड़े के लिए अपनी मां को छोड़ेगा? मुझे छोड़ेगा? ये हैं कौन?”


चिराग को जैसे सब साफ दिखाई देने लगा।


चिराग मुस्कुराकर, “मेरा प्यार!”


प्रिया का मुंह खुला रह गया है तो फुलवा गुस्से में पागल हो गई।


फुलवा, “चिराग, पागल मत बन! अगर तूने इसे घर से बाहर नहीं निकाला तो मैं तुझे जायदाद में से बेदखल कर दूंगी! तुझे बरबाद कर दूंगी! दोनों को भिखारियों की तरह जीना पड़ेगा!”


चिराग ने नीचे झुककर प्रिया को उठाते हुए, “मां की बात सुनी ना? बोलो, रहोगी मेरे साथ? गरीबी में, बरबाद होकर?”


प्रिया को जैसे किसी राजकुमार ने अपने महल में बुला लिया हो वैसे वह चिराग के साथ चली गई। फुलवा काफी देर तक चीखती चिल्लाती रही पर चिराग और प्रिया खाली हाथ फुलवा को छोड़ कर चले गए।


दोनों को घर से बाहर निकलने के बाद याद आया कि उनके पास ना पैसे थे और ना ही ठिकाना। दोनों ने सबेरे का इंतजार बाहर के बस स्टॉप पर किया।


सुबह 5 बजे मानव शाह उनके बगल में बैठ गया तो दोनों उसकी बात सुनने लगे।


मानव, “ तुम दोनों को पता है कि फुलवा ने तुम दोनों के खिलाफ जंग छेड़ दी है? हां तुमसे बस बात करना भी खतरनाक है! कोई तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। मेरी बात मानो। चिराग, घर लौट जाओ। तुम्हारी डिग्री पूरी नहीं है और अब कोई नौकरी भी नहीं मिलेगी! प्रिया को कुछ दिन मैं छुपाऊंगा और फिर इसे किसी दूसरे शहर में भेज देंगे!”


प्रिया जानती थी कि इतनी बड़ी दौलत को कोई ठुकरा नही सकता। प्रिया ने अपना सर झुकाकर हार मान ली पर चिराग डरने वालों में से नहीं था।


चिराग, “आप किसी घर का इंतजाम कर सकते हैं? बाकी मैं संभाल लूंगा।“


मानव, “एक लड़की के लिए…”


चिराग, “क्या आप काम्या को छोड़ सकते हैं?”


मानव मुस्कुराकर, “काम्या के कहने पर मैंने ज़हर खाया था! (सोचकर) यहां से दूर एक झोपड़ी का इंतजाम कर सकता हूं।”


चिराग और प्रिया को फुलवा के गुस्से का अंदाजा तब हुआ जब उनके सारे दोस्तों ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। चिराग ने एक कंपनी में चपरासी की नौकरी ली और साथ में ही एक पार्किंग में वॉचमैन की भी।


चिराग ने प्रिया को समझाया की हालांकि वह पहले 3 साल बहुत कम मिलेंगे पर फिर उनके पास अपना घर होगा। प्रिया ने भी अपने लिए सस्ते कपड़े तलाशते हुए एक नौकरी ढूंढ ली थी।


काली क्रिएशन नाम के एक छोटे बुटीक की मालकिन को एक महीने के लिए कोई लड़की चाहिए थी जो उसके ना होने पर दुकान चलाए। प्रिया के चित्रकला का ज्ञान और फैशन की समझ से खुश होकर उसे नौकरी पर रख लिया गया।


प्रिया और चिराग एक दूसरे को सिर्फ सुबह 6 से 10 तक और रात को 11 बजे खाना पहुंचते हुए मिलते। दोनों को पता था कि वह मुश्किल दौर से गुज़र रहे हैं पर दोनों को एक दूसरे के प्यार पर उतना ही यकीन हो रहा था।


एक महीने बाद चिराग के 21 वे जन्मदिन पर नारायण जी उनसे मिलने उनके झोपड़े में आए। नारायण जी के समझने पर चिराग हंस पड़ा तो नारायण जी ने मदद का हाथ बढ़ाया। चिराग ने उनकी मदद लेकर उनकी और मां की दोस्ती को खतरे में डालने के बजाय उन्हें अपनी शादी में गवाह बनने का न्योता दिया। नारायण जी हां कहकर चले गए। उस रात प्रिया ने चिराग को हड़बड़ी में घर बुलाया तो वह दौड़ा चला आया। फुलवा अपने बेटे को घर ले जाने आई थी।


फुलवा ने प्रिया को राज नर्तकी का खजाना देने के बदले चिराग को छोड़ने का प्रस्ताव रखा पर प्रिया ने उसे ठुकरा दिया। फुलवा ने फिर प्रिया के प्यार को इस्तमाल करते हुए उसे मनाया की उसकी वजह से चिराग को न केवल अपनी जायदाद से हाथ धोना पड़ रहा है बल्कि मूलचंदानी बिल्डर्स की इकलौती बेटी भी हाथ से जाएगी। मूलचंदानी को चिराग के पास रखैल होने से कोई दिक्कत नहीं थी। प्रिया अपनी वजह से चिराग को गरीबी में नहीं रख सकती थी।


प्रिया ने चिराग से कहा की वह अपनी मां के साथ चला जाए और उसकी मर्जी से शादी कर ले। प्रिया उसके लिए उसकी रखैल बन कर रहने को तैयार थी।


चिराग जानता था कि प्रिया रखैल बन कर उसके लिए अपनी मां की आखरी इच्छा तोड़ रही थी। चिराग ने अपनी मां से कहा कि वह हमेशा उसकी मां रहेगी और वह जब चाहे उनसे मिलने आए। चिराग गरीबी में जीलेगा पर प्रिया को ही अपनी बीवी बनाएगा।


प्रिया रो पड़ी और फुलवा ने हार मान ली। फुलवा ने दोनों की शादी को मंजूरी देते हुए उन्हें वापस बुलाया। शादी होने तक चिराग और प्रिया को अलग रखना था इस लिए चिराग को एक महीने तक मूलचंदानी बिल्डर्स के मालिक के घर पर रहना था। मूलचंदानी बिल्डर्स के मालिक प्रतीक और लक्ष्मी को सिर्फ एक बेटा था। प्रिया को फुलवा अपने साथ घर ले गई।


प्रिया ने डरते हुए घर में दुबारा कदम रखा तो वहां पूरा महिला मंडल उनका इंतजार कर रहा था।


साफिया, “बताओ, बताओ! कैसा था? कितने महीनों से तैयारी कर रहे थे हम सब!”
 

Lefty69

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Friends, the story is moving forward.

Sex scenes are coming soon but at correct time.

Do let me know about your views
 

Mink

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Super update ☺️
 

Lefty69

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प्रिया पिछले एक महीने से उसे पहचानने से इंकार करती सहेलियों को देख कर रुक गई तो फुलवा उसे खींच कर अंदर ले आई। प्रिया बैठ गई तो सबने उसे घेर लिया।


रूबीना, “बताओ! बताओ!! क्या हुआ? कैसा रहा पिछला महीना?”


सत्या, “अरे जरा संभलने का मौका दो बेचारी को! पराए मर्द संग महीना बिताना कोई मजाक नहीं! पर चिराग तो पराया नहीं था! उसे अपनाते हुए ज्यादा चीखी तो नही? झोपड़ी में से आवाज जल्दी बाहर आती है!”


सारी सहेलियां ठहाका लगा कर हंसने लगी और उलझी हुई प्रिया शर्म से लाल हो गई।


फुलवा ने प्रिया के बालों में से उंगलियां फेरते हुए, “ तुमने यह कैसे सोच लिया की हम सब तुम्हें खुले में छोड़ देंगे? हमारी तुम दोनों पर नजर थी!”


साफिया, “जिन गुंडों ने बिल्डिंग से बस स्टॉप तक पीछा किया वह वसीम भाई के लोग थे और बस स्टॉप पर सोया भिखारी हमारा आदमी।”


फुलवा, “झोपड़े का इंतजाम 2 महीने पहले से कर के रखा था और चिराग की दोनों नौकरियों का भी। तुम्हारी नौकरी कुछ नई बात निकली।”


प्रिया के दिमाग की बत्ती जली और वह भड़क उठी।


प्रिया, “एक महीने तक डर और परेशानी में हम दोनों को रख कर आप सब लोग मजे ले रहे थे? ये है आप की दोस्ती? ये है आप का प्यार?”


काम्या, “ओह, so romantic!!”


फुलवा समझाते हुए, “प्रिया जिस दिन तुम मेरे साथ आई और चिराग तुम्हें देखते ही चुप हो गया उसी दिन मुझे तुम दोनों में कोई ‘खिंचाव’ महसूस हुआ। चिराग के जन्मदिन तक मुझे यकीन हो गया था कि तुम दोनों की जोड़ी बनेगी। पर तुम दोनों एक दूसरे से डरते थे या शायद इस खिंचाव को मानने से डरते थे। सच बताओ अगर मैं तुम दोनों की शादी लगा देती तो क्या तुम मान जाती?”


प्रिया गुस्से से, “हां!! मैं न जाने कब से चिराग को चाहती हूं!”


फुलवा, “बिलकुल सही! पर चिराग के मन में यह डर हमेशा रहता की शायद तुम उस से ज्यादा उसकी दौलत से प्यार करती हो। है ना? और तुम्हारे दिल में यह आशंका रहती की शायद चिराग ने अपनी मां की वजह से तुमसे शादी कर ली! है ना?”


फुलवा ने सोचकर हां कहा।


हनीफा, “लेकिन अब तुम दोनों जानते हो की तुमने दौलत और इज्जत ठुकराकर एक दूसरे का साथ चुना है। न तुम्हें दौलत की आस है और ना चिराग को। तुम तो अपने प्यार के खातिर चिराग की रखैल बनने को तैयार हो गई थी!”


प्रिया अपनी मां और सहेलियों की सूझ बूझ से खुश होकर अपनी मां की बाहों में समा कर रोने लगी।


फुलवा अपने आंसू पोंछे हुए, “बस बस, अब रोना बंद और खरीददारी शुरू! हनीफा, हमें जल्द से जल्द शादी का जोड़ा चाहिए!”


प्रिया, “मां!!… क्या हम शादी का जोड़ा मेरी दुकान… मतलब काली क्रिएशन में से ले सकते हैं? उसने मेरी मदद की थी और मैं उसे भी बुलाना चाहती हूं!”


हनीफा, “ये कौन हैं जो मेरे ग्राहक उठा रही है? चलो उस से मिलते हैं! आज कल मैं भी अपने बुटीक को सही वक्त नहीं दे पा रही।”


बात मर्दों पर आई तो सबने प्रिया से पूछा की चिराग बिस्तर में कैसा है? प्रिया ने शर्माकर बताया कि चिराग ने शादी से पहले उसे ना छूने की कसम खाई थी और इसी वजह से दोनों ने कोर्ट में शादी करने की तयारी की थी।


फुलवा ने प्रिया को चिराग का फोन आया है यह देखा और फोन छीन लिया। इशारे से सबको चुप कराते हुए,
“क्या है? क्यों फोन किया?”


चिराग, “मां, जरा प्रिया से बात करनी थी।”


फुलवा गुस्से से, “करवा रही हूं ना तुम्हारी शादी? जीत गए ना तुम दोनों? अब जो चुम्मा चाटी करनी है वह एक महीने बाद करना! प्रिया को जिंदा लेकर आऊंगी शादी के मंडप में! अब बहुत हुआ मुझे अपना काम करने दो! (दूसरी तरफ मुंह करके) इधर क्या देख रही है? तेरा यार नही आएगा वो फर्श धोने!! अगर दुबारा इधर देखा…”


फुलवा ने फोन काट दिया और सारी औरतें जोर जोर से हंसने लगी।


प्रिया, “ये सब नाटक कितनी खूबी से कर लेती हो मां!!”


फुलवा, “अरे बेटी रंडियां जो आह उउह करती हैं वह अक्सर नाटक ही होता है! कौन हर मर्द से रोएगा?”


सारी शादीशुदा औरतों ने सर हिलाकर हां कहा तो प्रिया, “पर चिराग को ऐसे परेशान करना?”


काम्या, “बड़ा प्यार आ रहा है अपने यार पे! जरा तड़पने दे उसे! शादी के दिन तेरा अच्छा दिखना जरूरी है, उसे तेरे अलावा कोई नहीं देखने वाला!”


अगले दिन कई महंगी गाडियां एक छोटे से बुटीक के सामने रुकी और सारी औरतें काली क्रिएशन का माल जांचने लगी। काली क्रिएशन की मालकिन, काली ने प्रिया को देखा और उसे गले लगाया।


काली, “मैंने सुना की तुम्हें कोई ले गया है! तुम ठीक तो हो ना?”


फुलवा ने आगे बढ़ कर, “काली? ये तुम्हारी दुकान है?(मंगलसूत्र को देख कर) और तुमने शादी कर ली?”


काली फुलवा को गले लगाकर, “फुलवा दीदी! आप को देख कर बहुत अच्छा लगा! कैसी हो आप? (फुलवा के कान में रूबीना की ओर देखकर) क्या तुम प्रिया की होने वाली सास को जानती हो? चुड़ैल ने अपने बेटे को घर से निकाला था!”


फुलवा हंसकर, “ प्रिया मेरी बहु होने वाली है और हां मैंने ही इन दोनों की आंखें खोलने के लिए उन्हें घर छोड़ने पर मजबूर किया!”


काली, “पर… पर… प्रिया की सास बेहद अमीर है!”


प्रिया, “दीदी अब बोलना बंद कर दो! हम बाद में मिलकर सारी बातें करेंगे। मैं सबकी पहचान करा दूं!”


काली को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके डिजाइन इन औरतों को बेहद पसंद आ रहे थे। यहां तक की फैशन जगत की हनीफा अहमद ने उसकी तारीफ करते हुए उसके बुटीक में साझेदारी करने में रुचि दिखाई थी।


प्रिया की शादी का जोड़ा बनाने में एक दिक्कत थी की उसे काली ने पहले ही तोहफे के तौर पर बना दिया था और अब पैसे लेने से इंकार कर रही थी। फुलवा के साथ बहस करने के बाद काली फुलवा को दुगनी कीमत में दूसरी ड्रेस देने को तैयार हो गई। काली फुलवा की संस्था के कार्यक्रम में भी कपड़े देना चाहती थी।


महिला मंडल एक नई सदस्य को अपने साथ जोड़कर spa day तय करने के बाद घर लौटा।


Spa day और ब्यूटी पार्लर में पूरा दिन उड़ाने के बाद शादी के दिन सारी औरतें अपने मर्दों का दिल जलाने को तयार थीं। शादी ज्यादा बड़ी नहीं थी पर फुलवा के सारे दोस्त परिवार समेत आए थे।


फुलवा ने अपनी बहु को अपने घर में बड़ी धूम धाम से लिया और कुछ देर चले हंसी मजाक और रिवाज होने के बाद प्रिया को सजाए हुए बड़े बिस्तर पर बिठाया गया। चिराग को चिढ़ाते हुए अंदर जाने से रोका गया और वह किसी तरह अंदर गया तो उसने दरवाजा लॉक कर लिया।


सारे महमान फुलवा से विदा लेकर चले गए और फुलवा ने प्रिया के कमरे में सोने की तयारी कर ली। अपने सिल्क के गाउन में फुलवा बिस्तर पर बैठी भी नहीं थी जब उसके कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई।


फुलवा चिराग को परेशान देख कर, “क्या हुआ बेटा?”


चिराग नीचे देख कर, “प्रिया बहुत डर गई है। आप को बुला रही है।”


फुलवा मर्द और उनकी बेवकूफियों के बारे में बुदबुदाते हुए सुहागरात के कमरे में चिराग को पकड़ कर ले गई।
 

Lefty69

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Super update ☺️
Thank you for your continued support and encouragement.

Priya is afraid of sex and now has asked Fulva to be present.

Suggestions are welcome
 

Lefty69

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Thank you Rekha rani for your prompt response and encouragement
 

Lefty69

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Thank you Luckyloda for your continued support and encouragement
 
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Thank you akash.12 for your response and encouragement
 
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Lefty69

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*characters of Mulchandani builders Pratik and Laxmi from शीघ्रपत्नी and बुरी फंसी लक्ष्मी आंटी
 
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