अंजुम
Member
- 375
- 1,334
- 139
रघु बहुत ही अच्छा किरदार हैं। बढ़िया
Apna bhi kahani ko age badao bhabhi ji maje dar hai surwatरघु बहुत ही अच्छा किरदार हैं। बढ़िया
लाला बहुत खुश नजर आ रहा था वैसे भी काफी दिन हो गए थे उसे नई तितली को पकड़े,,, और जब से उसने कजरी के दोनों मदमस्त छलकती जवानी को देखा था तबसे तो वह पागल हो गया था,,, कजरी को भौंकने की लालसा उसके मन में दिन-ब-दिन प्रज्वलित होती जा रही थी,,,कजरी के हाव भाव को देखकर वह समझ गया था कि कजरी को हासिल कर पाना इतना आसान नहीं है,,, रात दिन उसके दिलो-दिमाग में बस कजरी ही छाई हुई थी,,, कई दिनों से उसे अपनी गर्मी शांत करने का जुगाड़ नहीं मिल पा रहा था,,, कुछ दिनों तक वह अपने हाथ से हिला कर काम चलाता रहा,,, कजरी के मादक भराव दार मटकते हुए नितंबों को याद करके और कजरी की दोनों छलकती जवानी के हीलोरो को याद करके,,, अपने हाथ से ही कल्पना में कजरी के साथ संभोग आसन में लिप्त होकर वह अपनी गर्मी को शांत करने की कोशिश करता आ रहा था,,, लेकिन कजरी उसके दिलो दिमाग से निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी,,,
पिछले साल ही वहां अपने बेटे का विवाह किया था और एक महीना ही हुआ था उसका होना आए,, बड़ी बेटी तो प्रताप सिंह के वहां बहू बनकर आराम की जिंदगी जी रही थी,,, घर में बहू क्या जाने के बाद से लाला संभाल संभाल कर कदम रखने लगा था वह नहीं चाहता था कि उसकी वासना की कहानी उसकी बहू को पता चले,,, वैसे अब तक उसके बेटे को भी लाला की करतूतों के बारे में जरा सा भी पता नहीं था,,, और लाला यही चाहता भी था हरिया और भोला दोनों लाला के बेहद वफादार साथी थे,,, और इस तरह का काम लाला इन्हीं से लेता था यह दोनों ही गांव में या दूरदराज से इस तरह की मजबूर औरतों को लेकर आते थे और उन्हें पैसे की मदद करके लाला अपनी वासना शांत करता था,,, और जब तक पैसे पूरी तरह से चुकता नहीं हो जाते थे तब तक लाला उस औरत के साथ अपनी मनमानी करता रहता था,,, और आज उसकी जाल में मीना फस चुकी थी,,,।
लाला अपने पुराने मकान पर जाने के लिए तैयार हो रहा था वह अपना धोती और कुर्ता पहनकर गीत गुनगुना रहा था कि तभी,,, दरवाजा खुला और अंदर से उसकी बहू हाथ में भोजन की थाली लिए उसके करीब आने लगी और बोली।
बाबुजी कहीं जा रहे हैं क्या भोजन तैयार हो चुका है,,,
बहू में आ कर खा लूंगा कहीं जरूरी काम से जा रहा हूं,,,
ठीक है बाबूजी,,,, आइएगा तो आवाज दीजिएगा,,,
ठीक है बहु तुम जाओ,,,,
(लाला का इतना कहना था कि लाला की बहू भोजन की थाली लिए वापस कमरे में जाने लगी और लाला उसकी गोलाकार नितंबों को जो की कसी हुई साड़ी में कुछ ज्यादा ही उभर कर नजर आ रही थी उसे देखते ही मन में गरम आहें भरने का और तब तक देखता रहा जब तक कि वह अंदर जाकर दरवाजा नहीं बंद कर ली,,,, लाला अपनी बहू की खूबसूरत चेहरे को तो ठीक से नहीं देख पाता था क्योंकि वह हमेशा घूंघट में ही रहती थी लेकिन,,, बाकी के अंगों को बाहर साड़ी के ऊपर से ही उनके आकार के बारे में पता लगा लेता था,,,, अपनी बहू की चूड़ियों की खनक पायल की छनक को सुनते ही उसके तन बदन में वासना की लहर दौड़ ने लगती थी वह काफी उत्तेजना का अनुभव करने लगता था और इस समय भी वह अपनी बहू के गोलाकार नितंबों को देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और सारी कसर पुराने घर पर मीना के ऊपर निकालने की मन में ठान लिया था,,,, वह तैयार होते होते अपनी बहू के बारे में सोच रहा था,,, जैसी खूबसूरत थी वैसा ही खूबसूरत नाम भी था कोमल अभी अभी शादी हुई थी इसलिए वह धीरे-धीरे फूल की तरह खीलना शुरू की थी,,, अपनी बहू को मन को देखते हैं उसे अपने बेटे के ऊपर गुस्सा आने लगता था क्योंकि ना जाने क्यों लाला को ऐसा लगता था कि उसका बेटा उसकी बहू को ठीक तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता है,,,। दरवाजा बंद हो चुका था लेकिन धोती के अंदर हलचल मजा आ गया था,,, अपनी बहू की हाजिरी मैं लाला कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो जाता था,,अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए वह जल्द से जल्द अपने पुराने घर पर पहुंचना चाहता था इसलिए जल्दी ही घर से निकल गया,,
वहां पहुंचा तो पहले से ही हरिया भोला और वह औरत वहां पर मौजूद थे,,,, उस औरत पर नजर पड़ते ही लाला की धोती में हलचल मच ना शुरू हो गया,,,, लाला का यह पुराना घर आम के बागों के बीचो बीच था,,, यहां के आम बेहद स्वादिष्ट और मीठे होते हैं,,, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि यहां के आम को तोड़ सके जिसका कारण हरिया और भोला ही थे,,,जो कोई भूले से भी यहां के आम को तोड़ता था तो हरिया और भोला उसकी टांगे तोड़ देते थे,,,
चलो मीना अंदर चलो,,,(इतना सुनना था कि हरिया ने जल्दी से दरवाजा खोल दिया और मीना शर्माते हुए घर में प्रवेश कर गई,,, और लाला अपनी जेब में से 5 रु का नोट निकालकर हरिया को थमाते हुए बोला,,,)
तुम दोनों भी जाओ ऐश करो,,,
(इतना सुनते ही दोनों लाला को नमस्कार कर के वहां से चले गए और लाला जल्द से जल्द दरवाजे के अंदर प्रवेश कर गया,,, और दरवाजा को अंदर से बंद कर दिया,,, पुराना घर भी काफी बड़ा था जिसके एक कमरे में लाला और मीना दोनों खड़े थे लाला दरवाजे की कुंडी लगाते हुए मीना की तरफ देखा तो वह बिस्तर के करीब खड़ी होकर दीवाल की तरफ देख रही थी तो लाला दरवाजे की कुंडी लगाते हुए बोला,)
शरमाओ मत मीना इसे अपना ही घर समझो आराम से बैठ जाओ,,,
(लाला की बात सुनकर मीना शर्मा और डर के मारे बिस्तर पर बैठ गई और लाला कुंडी लगाकर मिला की तरफ घूम गया,,,और उसके करीब जाने लगा जैसे जैसे नाना मीना के करीब आता जा रहा था मीना के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि मीना को मालूम था कि नाना क्या करने वाला है और पैसे देने के एवज में उससे क्या चाहता है,,, लेकिन वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी मजबूर थी अपने बेटे के इलाज के लिए उसे पैसे चाहिए थे,,, जो कि उसकी मदद लाला ही कर सकता था,,,)
देखो मीना मुझसे शर्मा ने कि या डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है अरे मैं तो पगली तुम लोगों की मदद करने के लिए हमेशा तत्पर रहता हूं,,(ऐसा कहते हुए लाला मीना के एकदम करीब पहुंच गया,,, और दूसरी तरफ घर के पीछे रघु और उसका दोस्त खड़े थे और घर के पीछे लगे आम के पेड़ के ऊपर पके हुए आम को देखकर ललचा रहे थे,,,)
अरे यार रघु वो आम तो काफी ऊपर है,,, वहां तक तो मैं नहीं चढ पाऊंगा तुझे ही जाना होगा,,,
साले बहन चोद मुझे मालूम था तु ऐसा ही बोलेगा,,, ठीक है मैं चढ़ जाता हूं लेकिन तू बराबर निगरानी रखना कहीं कोई आ ना जाए,,
तू चिंता मत कर रघु,,,
(इतना सुनते ही रखो ऊपर पेड़ पर चढ़ने लगा.. और दूसरी तरफ कमरे के अंदर लाला साड़ी के ऊपर से ही उसके बड़े-बड़े चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,,,)
आहहहह,,, मालिक दुखता है,,,
दुखेगा तभी तो बाद में मजा आएगा,,,,(ऐसा कहते हुए लाला उसकी साड़ी को उसके कंधे पर से हटा कर एक तरफ कर दिया जिससे उसकी भारी-भरकम छाती लाला की आंखों के सामने अपना प्रदर्शन करने लगी कसी हुई ब्लाउज में मीना की भारी-भरकम चूचियां बड़ी मुश्किल से समा पा रही थी,,,)
अरे पगली तू एकदम पागल है क्या,,, देख तो सही तेरी चूची कैसे बाहर आने के लिए तड़प रही है और तू है कि उन्हें ब्लाउज में कैद करके रखी है,,,,(ऐसा कहते हुए लाला ब्लाउज के बटन खोलने लगा तो मीना बीच में बोल पड़ी,,)
मालिक क्या ऐसा नहीं हो सकता कि यह सब किए बिना ही आप मुझे पैसे उधार दे दे,,,
मीना तु सच में एकदम मूरख है,,, अरे भगवान कसम मैं तुझे 50 रुपए ऐसे ही दे दु और तुझसे एक फूटी कौड़ी भी ना लुं,,, और बदले में मैं तेरे साथ अपना मुंह काला भी ना करु,,लेकिन तो शायद नहीं जानती कि पैसा कमाने में में कितना मेहनत किया है रात दिन एक कर के पसीना पाया हूं तब जाकर एक एक फूटी कौड़ी जमा करके यहां तक पहुंचा हूं,,(इस दौरान लाला लगातार उसे ब्लाउज के बटन खोल कर जा रहा था और आखरी बटन खोलते हुए बोला,,) मीना रानी रुपए के बदले में मैं शायद तुझसे एक फूटी कौड़ी भी ना लु लेकिन पैसे कमाने में जो मेहनत लगी है उस मेहनत के बदले में मैं तुझसे हर जाना जरूर लूंगा,,,
(इतना कहने के साथ ही लाला मीणा के ब्लाउज के आखिरी बटन को भी खोल दिया और आखरी बटन खोलते ही मीना की भारी-भरकम गोलाकार चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह लहराने लगी,, और मीना की बड़ी बड़ी चूची को देखकर लाला की आंखों में चमक आ गई और उसके मुंह में पानी आ गया वह दोनों हाथ आगे बढ़ाकर नीना की चूचियों को दोनों हाथों में थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,, मीना अच्छी तरह से समझ गई थी कि लाला के आगे गिडगिडाने से कोई फायदा नहीं है,,, और मीना इसे किस्मत का खेल समझ कर सब कुछ सहने के लिए तैयार हो गया,,, लाला पागलों की तरह उसकी चूचियों से खेल रहा था,,,धीरे-धीरे करके उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूची को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया,,, लाला की कामुक हरकतों से मीना एकदम शर्म से गड़ी जा रही थी क्योंकि लाला अपनी उम्र का भी लिहाज नहीं कर रहा था,,, देखते ही देखते लाला मीना के ऊपर पूरी तरह से छा गया,,, एक तरफ लाला मीना की चूचियों से खेल रहा था और दूसरी तरफ रखो धीरे-धीरे पेड़ के ऊपर चढ रहा था,,,लाला मीणा की चुचियों से खेलता हुआ दूसरा हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसके पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा,,जब मीना को इस बात का आभासस हुआ तो अपना हाथ आगे बढ़ा कर लाला को रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,।
ऐसे मत खोलिए मालिक ऐसे ही कर लीजिए,,,
अरे मीना रानी तू बहुत भोली है,,,तू बहुत खूबसूरत है तेरे नंगे बदन को देखने के लिए ही तो मैं तुझे यहां लेकर आया हूं अगर उस तरह से करना होता तो तुझे वही घर के कोने में ले जाकर के साड़ी ऊपर कर के तुझे चोद ना दिया होता,,,
(इतना कहने के साथ लाला पेटिकोट की डोरी को भी खोल दिया और देखते ही देखते मीना बिस्तर पर एकदम नंगी हो गई उसके सारे कपड़े बिस्तर के नीचे बिखरे पड़े थे,,, और लाला चुचियों से निपट कर उसकी दोनों टांगों के बीच छा गया था लाला पागलों की तरह उसकी मलाईदार बुर को चाट रहा था,,, बिना कब तक अपने आप को संभाल कर रखती अपनी अभिलाषा ऊपर कब तक काबू कर पाती लाला की कामुक हरकतों ने उसे मदहोश कर दिया था और देखते ही देखते लाला की बुर चटाई से मदहोश होने लगी उत्तेजित होने लगी लेकिन फिर भी अपनी उत्तेजना को वह अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने देना चाह रही थी,,, वह उसी तरह से बिस्तर पर पड़ी थी और लाला उसकी दोनों टांगों के बीच अपना असर दिखा रहा था,,, तभी लाला उसे बोला,,,
मीरा रानी अगर तुम्हें पैसे चाहिए तो तुम्हें भी मुझे प्यार करना होगा जैसा एक बीबी अपने पति को करती हो उस तरह से,,, अगर इसी तरह से पडे रहना है तो मैं तुम्हें पैसे बिल्कुल भी नहीं दूंगा,,,(इतना कहने के साथ ही फिर से लाला मीना की बुर चाटने लगा मीना मजबूर हो चुकी थी उत्तेजित थी लेकिन वह अपनी तरफ से ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहती थी जिससे वह अपनी नजरों में गिर जाए,,, लेकिन लाला ने उसे मजबूर कर दिया था इसलिए मजबूरी बस वह तेरी दोनों हाथ नीचे की कल्पना कर लाना क्योंकि को पकड़कर अपनी दूर पर दबाना शुरू कर दी,,,बिना की इस हरकत की वजह से लाला काफी उत्तेजना का अनुभव करने लगा उसे मीना की बुर चाटने में बहुत मजा आ रहा था और साथ ही मीना की गरम सिसकारी की आवाज उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,,लाला इस बात से अनजान की इस आम के बगीचे में उसे कोई नहीं देख पाएगा वह मीना के साथ रंगरेलियां मनाने में व्यस्त था लेकिन वह नहीं जानता था कि,, आज उसका भांडा फूटने वाला है क्योंकि कमरे के ऊपर की खिड़की से लगे हुए आम की डाली तक रघु पहुंच चुका था,,, वह कमरे के अंदर लाला अपनी धोती खोल कर एकदम नंगा हो गया था इस उम्र में भी उसका लंड काफी मोटा तगड़ा और एकदम टाइट था,, जोकि देसी घी का कमान था लाला सोने से पहले अपने लिंग पर सरसों के तेल के नहीं बल्कि देसी घी की मालिश किया करता था और जी भर के हिलाया करता था उसी का नतीजा था कि अब तक लाला के लंड की ताकत बरकरार थी ,,, मीना चोर नजरों से लाला के नंगे खड़े लंड को देखी तो सिहर उठी,,, इस उम्र में भी लाला का लंड कुछ ज्यादा ही टाइट था,,, लाला अपने लंड को हिलाते हुएमीना की दोनों टांगों के बीच आ गया और देखते ही देखते उसकी गुलाबी बुरर के अंदर अपना लंड डाल दिया,,, जैसे ही लंड मीना की बुर के अंदर प्रवेश किया मीना के मुंह से आह निकल गई,,, जिस तरह का दर्द का अनुभव मीना की थी उस दर्द की उम्मीद मीना को बिल्कुल भी नहीं थी देखते ही देखते लाला उसे चोदना शुरू कर दियामीना मजबूर थी बेबस थी अपने बेटे के इलाज के लिए उसे पैसे चाहिए थे इसलिए वह जिंदगी में पहली बार लाला जैसे इंसान के सामने अपने हाथ से लाए थे और जिसके एवज में उसे अपने साड़ी का पल्लू नीचे गिराना पड़ा था लेकिन,,, एक मजदूर और बेबस औरत होने से पहले वह एक सामान्य औरत थी इसलिए तो ना चाहते हुए भी लाला की चुदाई से मस्त होकर उसके मुंह से गरम सिसकारी की आवाज आने लगी,,,,
आम के पेड़ पर चढ़कर रघु पके हुए आम की तरफ अपना हाथ बढ़ाया ही था कि उसके कानों में कमरे से आ रही गर्म से इस कार्य की आवाज पड़ गई,,, रघु उस आवाज को सुनकर एकदम हैरान हो गया क्योंकि आम के बगीचे पर वैसे भी हमेशा सन्नाटा छाया रहता था और इस तरह की आवाज आना संभव था हलवाई की बीवी की गरम सिसकारियों की आवाज उसे अब तक याद थी,,,इसीलिए उसके कान में जेसे ही इस तरह की आवाज पड़ी वह समझ गया कि कुछ गड़बड़ हो रहा है,,, वह खिड़की में अपनी नजरों को बढ़ाएं अंदर देखने की कोशिश करने लगा और थोड़ी ही देर में उसे अंदर का नजारा एकदम साफ नजर आने लगा,,, कमरे के बीचो बीच पड़ा बिस्तर और उस पर एकदम नंगी लेटी हुई औरत और औरत के बीच में खोया हुआ लाला उसे साफ नजर आने लगे उसे समझते देर नहीं लगी कि इस आम के बगीचे में क्या हो रहा है वह ध्यान से खिड़की से अंदर की तरफ देखने रहना लाला बड़े जोरों से अपनी कमर हिला रहा था और साथ ही उस औरत की दोनों बेटियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था,,,, मीना काफी उत्तेजित हो चुकी थी उसे उम्मीद नहीं थी कि लाला इस तरह की चुदाई करेगा,,, लाला का लंड बड़ी तेजी से मीना कि बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,, अंदर का नजारा देखकर रघु भी काफी उत्तेजित हो गया,,,, उसे इस तरह से खिड़की के अंदर झांकता हुआ देखकर नीचे खड़ा उसका दोस्त ऊसे आवाज लगाने लगा तो वह उसे उंगली के इशारे से चुप रहने को कहा और वह शांत हो गया,,, आम तोड़ना भूलकर रघु खिड़की के अंदर का नजारा अपनी आंखों से देख कर मस्त होने लगा और यह देखकर भी हैरान था कि लाला इस उम्र में भी काफी तेजी से चुदाई कर रहा था,,,लाला आंखों को बंद करके बिना की जगह कजरी और अपनी बहू की कल्पना कर रहा था उसे काफी आनंद भी आ रहा था वह जोर-जोर से अपनी कमर आगे पीछे हीला रहा था,,,, थोड़ी ही देर में मीना के साथ-साथ लाला भी झड़ गया,,,
लाला और मीना अपने अपने कपड़े पहन लिए,,, और लाला मीना के हाथ में 50 रुपए थमाते हुए बोला,,,।
जब भी तुझे पैसे की जरूरत हो बेझिजक मेरे पास चली आना,,,
ठीक है मालिक,,,(इतना कहकर मीणा लाला से पैसे लेकर कमरे से बाहर निकल गई और चारों तरफ नजर घुमा कर जल्दी-जल्दी आम के बगीचे से बाहर जाने लगी,,, लाला भी जाता है इससे पहले ही रघु आम तोड़ना भूल कर जल्दी से नीचे उतरा और आगे से दरवाजे पर पहुंच गया जहां पर लाला दरवाजा बंद करके ताला लगा रहा था,,,,।
क्या बात है लाला आज तो तुम्हारे चेहरे पर कुछ और ही चमक नजर आ रही है,,,
तू तू कौन है यहां मेरे आम के बगीचे में क्या कर रहा है तुझे आने से डर नहीं लगता,,,,
नहीं लाला मुझे कहीं भी आने से डर नहीं लगता,,,डरना तो तुम्हें चाहिए जो गांव की भोली भाली औरतों को उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर उनके साथ शरीर संबंध बनाते हो,,
यह क्या बक रहा है तू और है कौन तू,,,, तू जो भी कह रहा है वह बिल्कुल झूठ है समझा,,,, और मेरे रास्ते के बीच में कभी मत आना वरना,,,
वरना क्या लाला,,,,, अगर तुम्हारी यह करतूत पूरे गांव वालों को बता दूं ना,,, तो गांव वाले मिलकर तुम्हारी बॉटी बोटी नोच डालेंगे,,,, और हां मैं कजरी का बेटा हूं रघु,,,,
(कजरी का नाम सुनते ही लाला की आंखों में चमक आ गई कुछ देर के लिए बस शांत होकर कुछ सोचने लगा और बोला)
अरे रघु तू अपनी कजरी का बेटा है पहले क्यों नहीं बताया,,, बेटा जो कुछ भी त8 देखा वह सब कुछ भूल जा,,, और हां आज से यह समझना कि है आम का बगीचा तेरा ही है जब मन करे जितना मन करें उतना आम तोड़कर तू खा सकता है,,,, मेरी तरफ से तुझे पूरी छूट है,,,,
(लाला की बात सुनते ही रघु एकदम खुश हो गया और खुश होता हुआ बोला,,,)
क्या कह रहे हो लाला।
मैं बिल्कुल ठीक कह रहा हूं बेटा,,, आम का बगीचा समझ ले आज से तेरा ही है,,, और हां,,,(इतना कहकर लाला कुर्ते की जेब में अपना हाथ डालकर इधर-उधर टटोलते हुए,,,) कहां गई कहां गई,,,, हां यह रही,,,, ले बेटा यह दो रुपया पकड़,,, ओर जाकर एस कर,,,(रघु तुरंत लाला के हाथ में से 2 रुपए का सिक्का ले लिया,, और सिक्के को आगे पीछे घुमा कर देखते हुए बोला)
तुम मजाक तो नहीं कर रहे हो लाला,,,
अरे बेटा भगवान कसम मैं कभी झूठ नहीं बोलता वह तो तू कजरी का बेटा है इसके लिए मुझे तुझ पर प्यार आ रहा है बहुत मेहनत करती है बेचारी,,,,और हां बेटा इतना जरूर याद रखना कि जो कुछ भी तूने आज देखा है इस बारे में किसी को बताना नहीं और अगर नहीं बताएगा तो इसी तरह ऐस करता रहेगा,,, और बता दिया तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,।
तुम चिंता मत करो लाला,,, यह राज मेरे सीने में दफन रहेगा हां लेकिन इस तरह से ही मुझ पर मेहरबान रहना अगर चला भी इधर उधर कुछ कीए तो तुम्हारा भांडा फोड़ दूंगा,,,,
खुश रहो बेटा,,,(इतना कहकर लाला वहां से चला गया और रघु कभी सिक्के की तरफ तो कभी लाला की तरफ देख ले रहा था,,, रघु के दोस्त को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब चल क्या रहा है,,, वह रघु से पूछने की कोशिश किया तो रघु सिर्फ इतना ही बोला,,)
तू आम खा,,, गुठलियों के बारे में सोचने का काम मेरा है,, और चल आज हलवाई की दुकान पर फिर से तेरा मुंह मीठा कराता हूं
सच में रघु
अरे मैं कभी झूठ बोलता हूं क्या,,,(इतना कह कर रघु अपने दोस्त के कंधे पर हाथ रखकर बगीचे से बाहर जाने लगा,,, और लाला आज बहुत खुश था भले ही रघु ने उसे गांव की औरतों की चुदाई करते हुए देख लिया था लेकिन वहां कजरी का बेटा था इस बात से उसे इस बात की तसल्ली हो गई थी कि रघु के द्वारा ही वह कजरी तक पहुंचेगा,,, यही सोचता हूं वाह-वाह अपने घर की तरफ चला गया।)
[/QUOT
Yaar hero h ki chutiya hai...
Sala paise ka lalachi h ...
Behtreen kahani mubarak ho bhaiदोस्तों आज मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रहा हूं और यह कहानी मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी,,, ,,, मुझे मालूम है कि पाठक को हमेशा गांव की कहानियां बेहद पसंद आती है इसलिए मैं आप लोगों के सामने एक बार फिर से गांव की कहानी लेकर आया हूं जिसमें सब कुछ है कामुकता रोमांचक था अंग प्रदर्शन और भी बहुत कुछ जो आप लोगों को कहानी के दरमियान पढ़ने को मिलेंगी और कहानी के चरितार्थ धीरे धीरे आप लोगों के सामने आती जाएंगे,,,मैं आशा करता हूं कि इस कहानी को भी आप लोगों का ढेर सारा प्यार और कमैंट्स मिलेगा जिससे मुझे कहानी को और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिले,,,,
Behtreen update bhaiगांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी लोग गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए थे क्योंकि आज फैसला आना था और मसला था लाला के 10 बीघा जमीन की जो की गांव वालों के जानवर के चरने के काम में आती थी,,, और गांव वालों के पशुपालन की उम्मीद भी यही दस बीघा खुली हुई हरियाली से भरी हुई जमीन थी जिस पर उनके जानवर चरते थे लेकिन लाला नहीं चाहता था कि अब गांव वालों के पशु उसकी जमीन पर चढ़े इसलिए वह गांव वालों को सख्त हिदायत दे रखा था कि अगर किसी भी गांव वालों का जानवर उसकी जमीन पर दिखाई दिया तो वह उसके जानवर को भी उठा ले जाएगा और उससे दंड भी लेगा,,
लाला के इस बात से पूरे गांव वाले परेशान थे लाला के सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि लाला बेहद हैरानी किस्म का इंसान था और उसके पास गुंडों का गुट था,,, जिससे जब चाहे तब वह किसी को भी मरवा पिटवा सकता था,,, इसलिए तो गांव वाले उससे कुछ बोल नहीं पाए,,लेकिन उनकी आखिरी उम्मीद थी गांव के मुखिया प्रताप सिंह पर जो कि गांव वालों के लिए एकदम भगवान की तरह थे क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जिसमें गांव वालों का नुकसान हुआ जितना भी फैसला उन्होंने लिया सब गांव वालों के हक में हुआ और दूसरे गांव वाले खुश भी हैं और इसीलिए तो प्रताप सिंह की इज्जत गांव में बहुत ही ज्यादा थी,,
और आज दस बीघा खुली जमीन का भी फैसला प्रताप सिंह को ही करना था इसलिए तो गांव के सभी लोग चौपाल पर इकट्ठा हुए थे,,,
गांव के लोग आपस में ही कानाफूसी कर रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर 10 बीघा जमीन का फैसला उनके हक में आ गया तो उनका पशुपालन अच्छे से चलता रहेगा वरना उन्हें पशुपालन बंद कर देना पड़ेगा क्योंकि दूसरी खुली जमीन इतनी नहीं थी और जो थी,,, वह ठीक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
गांव वालों के बीच में दूसरों की ही तरह लेकिन कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही थी कजरी,,, क्योंकि कजरी का जीवन यापन दूसरे गांव वालों की तरह ही पशुपालन और थोड़े से खेत में हो रहा था ,,, और बाकी गांव वालों की तुलना में बजरी के पास खेती की मात्रा और पशुओं की गिनती ज्यादा थी जिससे वह अपने घर का गुजारा चला ले रही थी,, अगर आज फैसला गांव वालों के हक में आ गया तो,, कजरी का घर पहुंच अच्छे से चल जाएगा ऐसा उसे उम्मीद थी लेकिन अगर फैसला उसके हाथ में नहीं आया तो उसे भी मजबूरन अपने जानवर को बैच देना पड़ेगा,,, इसीलिए उसके माथे पर चिंता की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी होती जा रही थी जैसे जैसे समय गुजर रहा था वैसे वैसे गांव वालों के साथ साथ कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, तभी उसके बगल में लगभग हांफते हुए ललिया आकर खड़ी हो गई और अपने गीले हाथ को अपनी साड़ी से पोंछते हुए कजरी से बोली,,,
क्या हुआ कजरी प्रताप सिंह जी आ गए क्या,,,?
नहीं रे उन्हीं का तो इंतजार है और रघु नहीं आया,,,,(इधर उधर देखते हुए कजरी बोली,,)
नहीं मैं कितना जोर जोर से दरवाजे को पीट-पीटकर थक गई लेकिन तुम्हारे लड़के की नींद खुले तब ना हो तो एकदम कुंभकरण की तरह सो रहा है,,,
क्या करूं इस लड़की का इतना बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी अभी एकदम बच्चे की तरह ही रहता है बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता उसे की कौन जी रहा है कौन मर रहा है घर में कैसे भोजन का प्रबंध हो रहा है यह सब बिल्कुल भी मतलब का नहीं है उसके बस उसे खाने को चाहिए और आवारा दोस्तों की तरह गांव में घूमने को,,,
क्या करोगी कजरी आजकल पूरे गांव में इस उम्र के छोकरो का यही हाल है,,,,
(कजरी और ललिया दोनों एक दूसरे की पड़ोसन थी दोनों में काफी अच्छी बनती थी,, दोनों आपस में बात कर ही रही थी कि तभी प्रताप सिंह की बग्गी आती हुई नजर आई और सब लोग आंखों में आशा की उम्मीद लिए उसी तरफ देखने लगे,,,,)
Jordaar bhaiगांव वालों की नजरें जिस की राह देख रही थी उसकी बग्गी सामने से आती हुई नजर आ रही थी सबकी आंखों में चमक आ गई,,,, तभी चौपाल के बीचो बीच घोड़ा गाड़ी आकर खड़ी हुई घोड़ा बांध चाबुक मारकर घोड़े को वही खड़े रहने का इशारा किया और घोड़ा भी समझदार था वह चौपाल के बीचो-बीच खड़ा हो गया,,, तभी उसमें से अपनी मूछों पर ताव देते हुए प्रताप सिंह नीचे उतरे और साथ में उनके नौकर उनके आजू बाजू सर झुकाए खड़े हो गए,,,,
गांव वाले पहले से ही प्रताप सिंह जी के लिए अच्छी कुर्सी का प्रबंध करके वही रख दिए थे जिस पर प्रताप सिंह विराजमान हो गए,,,, उनको देखते ही गांव वालों में आपस में कानाफूसी शुरू हो गई,,, तभी प्रताप सिंह कुर्सी पर बैठे बैठे हाथ ऊपर करके सभी को खामोश रहने का इशारा किया,,, इतनी देर में वहां पर लाला भी आ गया जिसकी जमीन का फैसला होने वाला था,,,
देखिए मैं जानता हूं कि आप गांव वालों के लिए लाला जी की यह 10 बीघा खुली जमीन जो की हरियाली से भरी हुई है कितनी मायने रखती है,,,( बातें करते हुए प्रताप सिंह कभी लाला की तरफ तो कभी गांव वालों की तरफ देख ले रहे थे,,) और काफी सोच-विचार कर मैंने यह फैसला लिया है कि,,,,( इतना कहकर प्रताप सिंह खामोश हो गए और इधर-उधर देखने लगे उनके इस रवैया को देखकर गांव वालों की घिग्घी बंध गई,,, गांव वालों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि गांव के मुखिया प्रताप सिंह जी किस तरह का फैसला लेंगे,,, तभी प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।)
वैसे तो कानूनी तौर पर कहा जाए तो जो कुछ भी लालाजी ने किया वह बिल्कुल सही है लेकिन इंसानियत के नाते यह बिल्कुल गलत है और कानून और इंसानियत की बात जब भी होती है इंसानियत को मैं पहले पक्ष में रखता हूं इसलिए मैं यह फैसला किया हूं कि। लालाजी की 10 बीघा हरियाली से भरी हुई जमीन वह संपूर्ण रूप से लाला की है उस पर किसी भी व्यक्ति या गांव वालों का बिल्कुल भी हक नहीं है लेकिन मेरे समझाने पर लाला जी इस बात के लिए राजी हो चुके हैं कि आप गांव वाले लोग अपने पशुओं को इस जमीन पर चराने के लिए खुला छोड़ सकते हैं ,,,,,( इतना सुनते ही गांव वाले खुशी से चिल्लाने लगे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था खासकर के कजरी जो की खुशी के मारे ललिया की गले लग गई प्रताप सिंह गांव वालों को फिर से शांत कराने के लिए अपना हाथ ऊपर किए और गांव वाले फिर खामोश हो गए,,,,) लेकिन किसी भी प्रकार का किसी भी तरह से लाला की जमीन पर कोई भी कुछ भी बना नहीं सकता या किसी भी प्रकार का दावा नहीं कर सकता यह मेरा हुक्म और फैसला दोनों है,,,
( एक बार फिर से गांव वाले खुश होते हुए शोर मचाने लगे उन्हें शांत कराने के लिए इस बार प्रताप सिंह खुद कुर्सी पर से उठ खड़े हुए और सभी गांव वाले अपनी खुशी जताने के लिए उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने लगे,,,,)
मालिक आपका यह फैसला हम गांव वालों के लिए जीवनदान है आपका यह फैसला हम लोगों के लिए आशीर्वाद की तरह है इसी तरह से आप हम गांव वालों का उद्धार करते रहिए,,,,( इतना कहकर एक बुजुर्ग जब प्रताप सिंह के पैर छूने लगा तो प्रताप सिंह उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया और उसे गले से लगाते हुए बोले ,,,,,
यह क्या कर रहे हैं आप मेरा तो यह फर्ज बनता है कि आपका वालों की खुशी का ख्याल रखो मैं जो भी कुछ किया हूं वह सब आप लोगों की भलाई के लिए किया हूं,,,
प्रताप सिंह जी की जय,,,,,, प्रताप सिंह जी की जय,,,,
गांव वाले नारा लगाने लगे और प्रताप सिंह के चेहरे पर खुशी के भाव झलक उठे वह जाने के लिए तैयार हो गए थे और जैसे ही बग्गी में बैठने के लिए पावा के बढ़ाएं कि तभी लाला आकर बोल पड़ा,,,,
प्रताप सिंह जी मुझे पूरा विश्वास है कि आप जो भी फैसला लेते हैं वह हमेशा सच ही फैसला होता है गांव वालों की भलाई के लिए,,,,
देखो लालाजी भगवान ने आपको बहुत कुछ दिया है अगर थोड़ा बहुत लोगों की मदद करने में छोड़ भी देंगे तो इसमें आपका कुछ कम नहीं होगा बल्कि भगवान आपको और भी देगा अब मैं चलता हूं अपना ख्याल रखना ,,,,,
इतना कहने के साथ ही प्रताप सिंह फिर से घोड़ा गाड़ी में सवार हो गए और घोड़ा वान घोड़ा गाड़ी आगे बढ़ा दिया। लाला वहीं खड़ा घोड़ा गाड़ी को आगे बढ़ते हुए धूल उड़ाते हुए देखता रहा लाला को यह फैसला मंजूर नहीं था लेकिन एक समधी होने के नाते उसे यह फैसला मानना ही पड़ा आखिरकार अपनी बेटी जो प्रताप सिंह के घर पर बिहा कर दिया है,,,,,
कजरी बहुत खुश थी,,,,वह ललिया से बातें करते हुए अपने घर की तरफ आ गई,,,, घर पर पहुंचते ही देखी की घर का दरवाजा खुला हुआ है और अंदर कमरे में रघु नहीं था,,,, खाली बिस्तर को देखकर वह मन ही मन में बोली,,,
देखा जब काम पड़ता है तो यह कभी भी हाजिर नहीं रहता चौपाल पर आज फैसला होने वाला था तो यह आराम से सो रहा था और जब फैसला हो गया तो यह अपने बिस्तर से गायब है जरूर रामू ही इसे जगा कर ले गया होगा,,,( रामू उसकी पड़ोसन ललिया का लड़का था जो कि रघु के ही उम्र का था दोनों में काफी बनती थी दोनों जहां जाते थे एक साथ जाते थे उठते बैठते खेलते दिखाते हमेशा साथ में ही रहते थे ,,, और कजरी का सोचना बिल्कुल सही था रघु अपने बिस्तर पर सो रहा था तो रामू भी उसे जगा कर बाहर ले गया था,,,,, कजरी हाथ में झाड़ू लेते हुए फिर से अपने मन में बड़बड़ाती हुई बोली,,,)
और यह शालू भी गायब है इसे बोल कर गई थी कि मेरे आने से पहले घर की सफाई कर देना लेकिन यह महारानी है कि इनको समझ में नहीं आता जब तक 10 बार ना बोला जाए,,,( शालू कजरी की ही लड़की थी जो कि रघु से बड़ी थी और वह तालाब पर कपड़े धोने गई थी,,,, कजरी घर में अकेली थी और वह अकेले ही घर की सफाई करना शुरू कर दी,,,)
रघु और रामू दोनों भागे चले जा रहे थे,,,, दोनों एक दूसरे को पीछे करने की होड़ में लगे हुए थे कभी रामू आगे हो जाता तो कभी रघु,,,, वह लोग जल्द से जल्द ऊंची टेकरी पर पहुंचना चाहते थे जिसके पीछे हरा-भरा मैदान ही मैदान था यह उसी 10 बीघा जमीन का हिस्सा था जिसका फैसला आज प्रताप सिंह ने गांव वालों के हक में करके गए थे,,,, थोड़ी देर में दोनों टेकरी के पास हाफते हुए पहुंच गए,,,,,
देखा रामू मैं तुझसे पहले पहुंच गया ,,,,,
तू नहीं मैं पहुंचा हूं पहले,,,,,( रामू रघु से बोला,,, दोनों इसी तरह से मैं पहुंचा में पहुंचा में लगे हुए थे तभी रघु शांत होता हुआ बोला,,,)
अच्छा चल तू पहुंचा,,,, जल्दी कर ऐसा ना हो कि नजारा देखने से पहले ही उस पर पर्दा पड़ जाए,,,
( इतना कहने के साथ ही दोनों थोड़ी सी ऊंची टेकरी पर चढ़ने लगे जिस पर ऊंची ऊंची घास ऊगी हुई थी चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी,,,, धीरे-धीरे करके दोनों ऊंची टेकरी पर चढ़ गए,,,, और वहां से छुपकर सामने खुले मैदान का नजारा देखने लगे जहां पर बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे और बड़ी-बड़ी घास भी उगी हुई थी,,, दोनों इधर-उधर जहां तक नजर जा रही थी वहां तक नजर दौड़ा कर देखने लगे लेकिन वहां कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो दोनों निराश हो गए रघु निराश होता हुआ बोला,,,।)
यार लगता है आज हम दोनों को इधर आने में देर हो गई देख कोई भी नहीं है,,,
हां यार आज सच में देर हो गई और यह सब तेरी वजह से हुआ है देर तक सोता रहता है मुझे ही तुझे जगा कर लाना पड़ता है,,,( रामू रघु से नाराज होता हुआ बोला,,,)
लेकिन यार ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ और ज्यादा देर भी नहीं हुई है,,,,( रघु बड़े-बड़े घास की ओट में छुपकर मैदान की तरफ इधर उधर देखता हुआ बोला,,,)
लेकिन आज तो हो गया ना अब चल यहां कुछ नहीं दिखने वाला,,,( रामू की निराशा भरी बातें सुनकर रघु भी उदास हो गया उसे भी लगने लगा कि आज कुछ दीखने वाला नहीं है और वह भी टेकरी से नीचे उतरने ही वाला था कि तभी कुछ लड़कियों के हंसने की आवाज आई तो वह चौकन्ना हो गया और फिर से उसी मैदान की तरफ देखने लगा कि तभी उसे चार पांच लड़कियों का झुंड वहां पर आता हुआ नजर आया,,,)
जल्दी,,,,,,-जल्दी रामू इधर आ जल्दी हमें देर नहीं हुई है शायद इन लड़कियों को ही देर हो गई है जल्दी आ देख,,,
( रघु एकदम चमकते हुए बोला तो रामू के चेहरे पर भी प्रसन्नता भरे भाव नजर आने लगे और वह भी झट से टेकरी के ऊपर चढ़ गया और घास की ओट में छिप कर सामने मैदान की तरफ देखने लगा जहां से चार पांच लड़कियां पेड़ की तरफ से आ रही थी,,,, रघु और रामू दोनों सामने मैदान की तरफ देखने लगे जैसे जैसे वह लड़कियां करीब आती जा रही थी वैसे वैसे दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी देखते ही देखते वह चार पांच लड़कियों का झूठ इतना करीब आ गया कि उन दोनों को एकदम साफ साफ नजर आने लगा कि वह लड़कियां कौन है कि तभी दो लड़कियों को पहचानते हुए रघु बोल पड़ा,,,)
अरे देख रहा हूं देख जल्दी तेरी बहन ने भी है रानी और चंदा,,,, कसम से रामू आज तो मजा आ जाएगा,,,( रानी और चंदा दोनों रामू की बड़ी बहने थी शादी की उम्र हो गई थी लेकिन पैसे की तंगी की वजह से अभी तक दोनों का रिश्ता नहीं हो पाया था दोनों में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी,,,, या यूं कह लो उन लड़कियों के झुंड में सबसे खूबसूरत लड़कियां और रामू की दोनों बहने ही थी,,, रघु की हालत तो अभी से खराब होती जा रही थी उसके पेजआमए में उसके लंड गदर मचाना शुरू कर दिया था,,, रघु की बातें सुनकर रामू कुछ बोला नहीं क्योंकि उसे भी अपनी दोनों बहनों को कपड़े उतारते हुए देखने में आनंद आता था और वह कई बार अपनी बहन को नंगी भी देख चुका था आज उसके हाथ फिर एक बार मौका लगा था कि वह अपनी बहन की नंगी गांड के दर्शन कर सकें,,,, देखते ही देखते वह लड़कियां उन दोनों के लिए नहीं करीब आ गई कि उन दोनों को वहां से वह लड़कियां एकदम साफ नजर आ रही थी वह लड़कियां सभी थोड़ी थोड़ी दूरी पर लंबी-लंबी घांसो के बीच खड़ी हो गई,,,, और वालों की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उन सभी लड़कियों की पीठ उन्हें दोनों की तरफ थी,,,, जहां से उन लोगों को उन सभी लड़कियों की मदमस्त गांड के दर्शन करने को अच्छी तरह से मिल रहा था,,,,)
रामू अब आएगा असली मजा आज तो मेरा दिन बन गया तेरी दोनों बहने अपनी सलवार उतार कर अपनी बड़ी बड़ी नंगी गांड दिखाएंगी कसम से मेरा लंड हीचकोले खा रहा है,,,,( शुभम पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला और उसकी यह हरकत रामू देख रहा था लेकिन बोल कुछ नहीं रहा था अपनी बहनों के बारे में रघु के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे भी मजा आ रहा था,, जो हालत रघु की थी वही हालत रामू की भी हो रही थी रामू के मन में भी अपनी बहनों की नंगी गांड देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,, रखो अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर यह तसल्ली भी कर ले रहा था कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, देखते ही देखते बाकी की लड़कियां अपनी सलवार उतार कर वही बड़ी-बड़ी घास के बीच बैठ गई लेकिन रानी और चंदा दोनों अभी भी खड़ी होकर इधर-उधर देख रही थी तभी उनकी सहेलियां बोली,,,।)
अब देख क्या रही है यहां कोई आने वाला नहीं है बैठ जा जल्दी से,,,,
( उन लड़कियों की बात रामू और रघु दोनों को एकदम साफ सुनाई दे रहा था इसलिए वह उन लड़कियों की बात सुनकर रघु बोला,,,)
हाय,,,, रामू तेरी बहने शर्माती बहुत है,,,, कपड़े उतारने में और वह भी लड़कियों के सामने कसम से अगर मेरे सामने तेरी बहन ने इस तरह से शर्मा कर कपड़े उतारे तो मेरी तो किस्मत ही बदल जाए,,,,
तू बहुत हारामी है रघु मेरे सामने मेरी बहनों के बारे में ऐसी बातें करता है,,,
तुझे बुरा लगा है तो बोल दे मैं तेरे सामने कभी ऐसी बातें नहीं करूंगा लेकिन सच कहूं तो तेरी बहने इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं तो तड़पता हूं तेरी बहनों को नंगी देखने के लिए,,,, अभी तु देखना तेरी बहने कैसे अपनी सलवार उतार कर अपनी नंगी नंगी गांड के दर्शन कराएंगी,,,,सहहहहह,,,,, मजा आ जाएगा,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर रामू को ज्यादा नाराजगी नहीं दर्शा रहा था बस यूं ही ऊपरी मन से यह सब कह रहा था बाकी अंदर से तो उसे रघु कि इस तरह की गंदी बातें और वह भी उसकी बहन के बारे में सुनकर तो उसकी उत्तेजना बढ़ जा रही थी,,, तभी तो वह अपने पजामे में हाथ डालकर अभी से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,। अपनी सहेलियों की बात सुनकर भी रानी और चंदा इधर-उधर देखकर पूरी तसल्ली के साथ अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,, जैसे-जैसे रानी और चंदा अपने सलवार की डोरी को खोलते जा रही थी वैसे वैसे रघु और रामू दोनों की हालत खराब होती जा रही थी,,,, रामू तो अपने पजामें को घुटनों तक सरका कर अपने लंड को हिलाना भी शुरू कर दिया था जब रघु ने उसकी तरफ नजर दौड़ाया तो उसकी हालत को देखकर हंसने लगा और बोला ,,,,)
साले मुझसे ज्यादा हरामी तो तू है कि अपनी बहन को नंगी होता हुआ देखकर खुद इतना मस्त हुआ जा रहा है कि अपना लंड हिला रहा है,,,। हिला हिला कोई बात नहीं लंड को तो सिर्फ बुर से मतलब होती है और वह किसकी है इससे कोई मायने नहीं रखता,,,
( रघु की बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं क्योंकि वह भी जानता था कि रघु जो कुछ भी कह रहा था वह बिल्कुल सच था वह बस सामने के नजारे को देखता हुआ मजा ले रहा था देखते ही देखते उन दोनों की आंखों के सामने दोनों ने अपने सरवार की डोरी खोल कर खड़ी हो गई अब रघु से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी हालत खराब कर देने वाली दोनों लड़कियां खड़ी थी जो कि उसके ही दोस्त की बहन थी अक्सर उन दोनों बहनों को देख कर रघु आहे भरता था,,,, हालांकि अभी तक उसे ऐसा मौका कभी नहीं मिल पाया था कि वह उन दोनों बहनों को नंगी देख सके लेकिन आज किस्मत से उसके हाथ ऐसा मौका मिला था और वह इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था कपड़ों के ऊपर से जब वह दोनों बहने इतनी खूबसूरत लगती है तो बिना कपड़ों के तो वह लोग कयामत लगती होंगी इसलिए उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी अपने पजामे को घुटनों तक नीचे खींच कर कर दिया,,,, पजामे के नीचे आते ही रघु का मोटा लंड जो कि एकदम मुसल की तरह था वह एकदम हवा में लहराने लगा,,,, और रघु अपने लहराते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके अपने हाथ से हिलाते हुए रामू से बोला,,,,।
देख रामु तेरी दोनों बहनों को देखकर कैसा मचल रहा है मेरा लंड,,,,( रघु की बातें सुनकर रामू की नजर जैसे ही रघु के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि आज पहली बार हुआ रघु के लंड को देख रहा था भले ही उन दोनों की याद आती थी इस तरह से टेकरी पर आकर लड़कियों को शौच करते हुए देखने की लेकिन रामू तो अपने लंड को हिला कर पानी निकाल लेता था लेकिन रघु ने इस तरह की हरकत है रामू के सामने कभी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके दोस्त की दोनों बहने थी जो कि अपनी सलवार की डोरी खोले खड़ी थी या गरमा गरम नजारा उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी रामू की तरह अपना पहचाना उतार कर अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर रामू आश्चर्य से बोला,,,।
बाप रे रघु तेरा तो कितना मोटा और लंबा है,,,,
रामू बेटा यह मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द का लंड है,,,, मेरे लंड को देख कैसी तेरी हालत खराब हो गई तो सोच जब तेरी दोनों बहने मेरे लंड को देखेगी तो उनकी तो बुर गीली हो जाएगी,,,, कसम से रामू बहुत मजा आएगा तेरी बहन की बुर में लंड डालने में,,,
देख रघु ये अच्छी बात नहीं है मेरी बहनों के बारे में इस तरह की बातें मत कर,,,( रामू नाराजगी दर्शाते हुए बोला लेकिन यह सिर्फ ऊपरी मन से था अंदर से तो रघु की यह बातें उसे एकदम मस्त कर दे रही थी,,,,)
मैं तो करुंगा दोस्त क्या करूं मजबूर हूं तेरी दोनों बहने इतनी मस्त है कि उन्हें देखते ही लंड खड़ा हो जाता है अगर तेरी बहन तैयार हो तो मैं अभी यहीं पर दोनों की बुर में लंड डालकर उन दोनों की चुदाई कर दु और तू भी अपनी आंख से यह देख ले कि एक मर्द कैसे चुदाई करता है,,,
देख रहा हूं इस तरह की बातें मत कर मैं मम्मी को सब कुछ बता दूंगा,,,,
बता दे मेरे राजा फिर मैं अभी तेरी मम्मी को यह बता दूंगा कि तुम्हारी लड़कियां जब मैं दान करने जाती है तो तुम्हारा लड़का खुद अपनी बहनों को देखकर अपना लंड हीलाकर पानी निकाल देता है,,,
( रघु की यह बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं बस उसे देखता रहा,,, तभी रघु उन दोनों की तरफ देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी बहुत दोनों अपनी सलवार को घुटनों तक कर दी थी और अब धीरे-धीरे अपने नाजुक उंगलियों के सहारे अपनी पैंटी को को पकड़कर उसे नीचे उतार रही थी,,, रघु की हालत खराब हुए जा रही थी रानी और चंदा की स्थिति को देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को मुठियाना शुरू कर दिया,,,,,)
ससससहहहह,,,,, हाय मेरी चंदा और रानी क्या बात है तुमने दोनों की,,,,( ऐसा कहते हुए जोर-जोर से लंड को हिलाने लगा,,,, यही हालत रामू की भी थी लेकिन रघु की गंदी बातें जो कि उसकी बहन के बारे में थी उस गंदी बातों को सुनकर और अपनी आंख के सामने अपनी बहनों को इस तरह से सलवार उतार कर अपनी पेंटी उतारते हुए देखकर रामू से उन दोनों की जवानी बर्दाश्त नहीं हुई और उसके लंड ने पानी फेंक दिया,,, रामू की हालत देखकर रघु मुस्कुरा दिया और बोला,,,,,
बस अभी से तेरा शुररररर,,,, हो गया ऐसे कैसे तू अपनी बहनों की जवानी को शांत कर पाएगा देख मैं अपने लंड से तेरी दोनों बहनों की गर्म जवानी को ठंडा कर सकता हूं,,,,
( रामू अपनी बहनों के बारे में इतनी गंदी बातें रघु के मुंह से सुनकर बोल कुछ नहीं रहा था बस उन गंदी बातों का मजा ले रहा था और रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में था,,,, रघु रामू की दोनों बहनों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था धीरे-धीरे दोनों बहने एक साथ अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरका रही थी जैसे-जैसे उन दोनों की पैंटी नीचे होती जा रही थी वैसे वैसे रघु की आंखों के सामने उन दोनों बहने की नंगी गोरी गांड उजागर होते जा रही थी और उन दोनों की नंगी गांड देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था आखिरकार वह अपनी पेंटी को अपनी जांघो तक लाकर झट से नीचे बैठ गई और एक बेहतरीन खूबसूरत नयनरम्य दृश्य पर बड़ी बड़ी घांसो का पर्दा पड़ गया,,,, लेकिन रघु के लिए इतना काफी था कुछ सेकंड के लिए ही सही आज अपने मन की मुराद पूरी करने को तो उसे मिल गई थी आज वह चंदा और रानी दोनों की मदमस्त गांड के दर्शन जो कर लिया था वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा,,,, था,,, रामू भी अपनी दोनों बहनों की नंगी गांड को देखकर मस्त हो गया था लेकिन अब कुछ करने लायक नहीं था क्योंकि उसका पानी निकल गया था वह धीरे से अपनी पजामे को ऊपर चढ़ा दिया था,,,
बाकी की लड़कियों पर उन दोनों का ध्यान बिल्कुल भी नहीं था ऐसा नहीं था कि वह लड़कियां खूबसूरत नहीं थी लेकिन चंदा और रानी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी उन दोनों का कसा हुआ बदन बदन का हर एक कटाव किसी भी मर्द का पानी निकाल देने में सक्षम था,,,, चंदा और रानी भी बड़ी-बड़ी घास की ओट में बैठकर सोच करने लगी थी जहां से कुछ नजर नहीं आ रहा था बस उन सब की पीठ ही नजर आ रही थी,,,,
रघु जोर-जोर से अपने लंड को जा रहा था अभी तक उसके लंड ने पानी नहीं फेंका था जो कि रामू के लिए यह एकदम आश्चर्य वाली बात थी,,,
कमाल है रघु इतनी देर से हिला रहा है लेकिन तेरा अभी तक पानी नहीं निकला है,,,,
यही तो मेरी खासियत है रामू अगर मैं किसी औरत की चुदाई करूं तो कम से कम एक घंटा तक उसकी जमकर चुदाई कर सकता है इतने में तो औरतों का दो तीन बार पानी निकल जाता है और मेरा सिर्फ एक बार,,,,
( रघु की बात सुनकर रामू पूरी तरह से आश्चर्य में था क्योंकि वह दो-तीन मिनट से ज्यादा नहीं ठहर पाता था और यह तो एक घंटा टीकने की बात कर रहा था,,,)
तो अभी तेरा पानी कब निकलेगा,,,,
तेरी दोनों बहनों की गांड के दर्शन जब तक दोबारा नहीं हो जाता तब तक देखना इसका पानी नहीं निकलेगा,,,
( बार-बार रघु रामू की बहनों के बारे में गंदी बातें कर रहा था लेकिन राह में बिल्कुल भी एतराज नहीं कर रहा था बस दिखावटी नाराजगी दर्शाने का नाटक भर कर रहा था,,, वापी देखना चाहता था कि जो रघु कह रहा है क्या वास्तव में वह सच है या ऐसे ही बंडल मार रहा है,,,, कुछ देर तक वह सभी लड़कियां वही बड़ी-बड़ी घास में बैठकर बातें करती रही और थोड़ी देर बाद जब वह सभी लड़कियां निपट लिए तो धीरे-धीरे करके एक एक लड़की खड़ी होने लगी और तभी दोनों बहने एक साथ खड़ी हुई और एक बार फिर से रघु और रामू दोनों को उन दोनों की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन हो गए,,,, जब तक चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार पहनकर अपनी मदमस्त गांड को पर्दे में करती तब तक रघु जोर-जोर से हिलाता हुआ जैसे ही चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी तब जाकर रघु के लंड से पानी का फव्वारा निकल पड़ा,,,,,
रघु के द्वारा किए गए दावे को पूरा होता हुआ अपनी आंखों से देख कर रामू पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था। ,,,, रघु पानी निकलने के बाद वही निढाल होकर घास पर ढेर हो गया था,,,, और लंबी लंबी सांसे लेते हुए हाफ रहा था,,,,
चंदा और रानी के साथ साथ बाकी की भी लड़कियां वहां से जा चुकी थी और यह दोनों ही वहां से वापस लौट आए,,,।
Khubsurat bhaiकजरी आज बहुत खुश नजर आ रही थी मन ही मन में गाना गुनगुनाते हुए वह झाड़ू से सारे घर की सफाई कर चुके थे अब तक चालू घर पर वापस नहीं लौटी थी इसलिए वह मन ही मन उसे बुदबुदाते हुए भला बुरा भी कह रही थी,,,, क्योंकि अभी तक सूरज सर पर चढ़ाया था लेकिन अभी छोड़ा नहीं चला था आज उसे काफी देर हो चुकी थी क्योंकि आज जमीन का फैसला जो आना था और प्रताप सिंह जी ने जिस तरह का फैसला गांव वालों के हाथ में लिया था उसे सुनकर कजरी बहुत खुश थी,,, लेकिन वह चूल्हा देख कर नाराज हो गई क्योंकि अब तक वह रसोई घर का सारा काम कर चुकी होती थी लेकिन आज चौपाल पर जाने की वजह से उसे देर हो चुकी थी और वह अपनी बड़ी लड़की सालों से नाराज थी कि वह घर पर नहीं थी तो आज खाना भी नहीं बना कर रखे थे वैसे तो रसोई का सारा काम वह खुद ही करती थी लेकिन फिर भी कभी-कभी उसकी बेटी शालू उसका हाथ बटा लिया करती थी लेकिन आज वह कपड़े धोने के लिए नदी पर चली गई थी जिसकी वजह से आज रसोई का काम हो नहीं पाया था अभी उसे नहाना भी बाकी था इसलिए वह जल्दी जल्दी अपने कपड़े समेट कर घर के पीछे बने लकड़ी के सहायता से स्नानघर में घुस गई,,, इसे स्नानघर तो कहना उचित बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी यह नहाने के ही काम में आता था इसलिए इसे स्नानघर कहना ही उचित होगा जिसमें सिर्फ कजरी और उसकी बड़ी बेटी शालू ही नहाया करती थी,,,,
कजरी लकड़ी के बने उस छोटे से स्नान घर में प्रवेश कर गई अंदर घुसते ही वह लकड़ी के बड़े फुट्टे के सहारे से उस स्नानगर को बंद कर दी यह लकड़ी का बड़ा फुट्टा दरवाजे का काम करता था,,,,
अभी-अभी कजरी 40 साल की हुई थी गांव में छोटी उम्र में ही शादी कर दिया जाता है वैसा ही कजरी के साथ भी हुआ था छोटी उम्र में शादी कर देने की वजह से वह जल्दी ही मां बन गई दोनों बच्चों के जन्म के बाद उसका पति चल बसा वह ज्यादा ही शराब और बीड़ी पिया करता था,, जिसकी वजह से वह टीबी का मरीज हो गया था और टीबी का मरीज होने के बाद 6 महीने के अंदर ही वह दम तोड़ दिया तब से कजरी अकेले ही अपना जीवन यापन कर रहे थे अपने बच्चों के लालन पोषण में वह कोई भी कमी रहने देना चाह रही थी इसलिए वो दिन रात अपने खेतों में मेहनत करके अपने पालतू पशुओं के सहारे अपने बच्चों को संभाल रही थी,,,,
कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान औरत थी उसके बदन का हर एक अंग अपनी मादकता की अलग ही कहानी कहता था उसके अंगों का कटाव ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया हो,,, एक खूबसूरत औरत को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए बदन में जहां जहां पर उभार की जरूरत होती है भगवान ने कजरी पर खुले हाथों से लुटाया था,,,, तीखे नैन नक्श गोरा बदन लेकिन धूप में काम कर कर के तीन अंगों पर वस्त्र नहीं होता था वहां का रंग थोड़ा दब चुका था,,,, बड़ी बड़ी काली आंखों को देखकर ही उसके मां-बाप ने उसका नाम कजरी रखा था,,,, मांसल भरावदार बदन पूरी तरह से गांव के हर एक मर्द को आकर्षित करता रहता था और सारे मर्द कजरी की तरफ आकर्षित भी थे जहां से चली जाती थी वहां लोग देखकर गरम आहे भरा करते थे,,,, उच्च मात्रा में घेराव दार ऊभारदार नितंबों को देखकर मर्दों का लंड खड़ा हो जाता था और तो और कजरी के रंगीन खयालों में गांव का हर मर्द लगभग अपने हाथ से ही अपना लंड हिला कर अपने आप को शांत करने की कोशिश करता था,,,, कुल मिलाकर गरीब होने के बावजूद भी खूबसूरती की धनी थी कचरी पूरे गांव की आकर्षण का केंद्र बिंदु थी कजरी,,, और अपनी ऐसी खूबसूरती के कारण गांव की औरतें उससे ईर्ष्या भी करती थी,,,। कुछ भी हो इन सब के बावजूद भी कजरी अपने आप को संभाल कर रखी थी अभी तक उसने अपने दामन पर एक भी दाग लगने नहीं दिया था पति की मृत्यु के बाद से अब तक वह संपूर्ण रूप से शादीशुदा होने के बावजूद भी कुंवारी थी क्योंकि बरसों बीत गए थे ना तो उसने किसी लंड के दर्शन किए थे और ना ही अपनी बुर के अंदर किसी भी लंड को प्रवेश करने की इजाजत दी थी,,, उसके लिए सावन भादो सब एक बराबर था,,,,,
अपने उस छोटे से लकड़ी के सहारे से बने सारा घर में प्रवेश करते ही खत्री अपने बदन पर से एक-एक करके अपने सारे वस्त्र उतारने लगी अपनी साड़ी को उतारकर वह एक किनारे रख कर अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने लगी,,, जैसे ही ब्लाउज की डोरी खींची हुई अपने आप ही उसकी बड़ी-बड़ी गोलाकार सूचियों सेकसी हुए ब्लाउज का घेराव ढीला होने लगा और देखते ही देखते खत्री ने अपने हाथों के सहारे से अपनी बाहों में से उस ब्लाउज को निकाल कर उसे भी एक किनारे कर दी ब्रा कैसी होती है यह कजरी को मालूम ही नहीं था कजरी को तो क्या पूरे गांव की औरतों ने अब तक शायद ब्रा पहनी ही नहीं थी। कजरी भी केवल ब्लाउज पहना करती थी इसलिए बदन पर से ब्लाउज के उतरते ही उसकी बड़ी-बड़ी गोल मोसंबी जैसी चूचियां अपना मुंह उठाए खड़ी हो गई,,,, उत्तेजना आत्मा की स्थिति में ना होने के बावजूद भी कजरी की सूचियों की निप्पल एकदम काजू की तरह गोल और सख्त थी,,, जिसे मुंह में भर कर चूसने का अपना अलग ही मजा था हालांकि यह सुख अभी तक कजरे ने अपने पति के सिवा दूसरे किसी भी मर्द को नहीं दी थी और इस सुख से उसका पति भी वंचित रहा था क्योंकि औरतों के साथ संभोग कला में वह एकदम नादान था,,,,,
ब्लाउज के उतरते ही कचरी अपने पेटीकोट की डोरी को अपने नरम नरम उंगलियों के सहारे खोलने लगी और देखते ही देखते पेटिकोट की डोरी के खुलते ही उसका पेटीकोट उसकी कमर से टूटते हुए तारे की तरह टूट कर नीचे गिर गया और उस छोटे से स्नानागार में कजरी की खूबसूरती पूरी तरह से नंगी हो गई लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं था,,,, सर से लेकर पांव तक वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी बाल खुले हुए थे एकदम घने काले,,, मोटी मोटी सुडोल जांगे एकदम दूधिया के रंग की जिसकी चिकनाहट देखकर शायद किसी का भी पानी निकल जाए और सबसे बेहतरीन जलवा तो कजरी की मदमस्त गांड का था जिस किसी की भी नजर कजरी की गांड पर पड़ जाए तो उसके मुंह से उफफ,,,,, निकल जाए,,,, कजरी की गरमा गरम मद मस्त जवानी किसी के भी वजूद को पिघलाने के लिए काफी थी,,,,,
कजरी की सुडोल चिकनी टांगों के बीच कि वह पतली सी दरार जिसके इर्द-गिर्द हल्के हल्के रेशमी बालों का झुरमुट सा बना हुआ था ऐसा लग रहा था कि मानो किसी पहाड़ी के बीच से झरना बह रहा हो,,,, झरने में डूबने के लिए दुनिया का हर मर्द तैयार बैठा हो,,,, कजरी की मदमस्त जवानी में दुनिया भर का नशा भरा हुआ था लेकिन उसके नशे का रसपान करने वाला शायद इस दुनिया में अभी तक पैदा नहीं हुआ था,,,, या यूं कह लो कि किसी की मजाल नहीं थी की कजरी के बदन को हाथ भी लगा सके वह हमेशा इन सब मामलों में तुरंत गुस्सा हो जाती थी और अपनी घास काटने वाली कटार उठा लिया करती थी जिससे किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि कजरी के पास जा सके,,,,
इस समय कजरी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी नहाने के लिए दो बाल्टी में ठंडा पानी भरा हुआ था लेकिन नहाने से पहले उसे बहुत जोरों की पेशाब लग गई और वह उसी तरह से नीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी,,, कुश्ती लाजवाब नमकीन दूर से मधुर रस के समाज उसके पेशाब की धार बड़ी तेजी के साथ निकल रही थी और उसकी बुर से मधुर संगीत के रूप में बांसुरी रूपी धुन निकल रही थी जो कि अगर कोई उस धन को सुन लेता तो उसे इस बात का एहसास हो जाता कि कोई खूबसूरत औरत उसके आसपास ही पेशाब कर रही है और यह सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो जाता,,,, बड़ी बड़ी गांड पर अपने दोनों हाथ रख कर कजरी पेशाब करने का आनंद लूट रही थी क्योंकि जैसे-जैसे पेशाब उसकी बुर से बाहर निकल रही थी वैसे वैसे उसका प्रेशर कम होता जा रहा था और उसे अपने बदन में आरामदायक महसूस हो रहा था,,, और देखते ही देखते वह मूत्र त्याग करके एक लोटे में पानी लेकर उसे अपनी बुर पर डालकर उसे साफ करने लगी साफ सफाई में कजरी बहुत ध्यान रखती थी खास करके अपने गुप्त अंगो का,,,
धीरे-धीरे करके कजरी बाल्टी से पानी लेकर उस ठंडे पानी को अपनी गर्म बदन पर डालने लगी,,, उसे राहत महसूस हो रही थी,,, कुछ ही देर में वह खड़े होकर अपने बदन पर पानी डालने लगी वह नहा चुकी थी कि तभी उसे अपने लकड़ी का दरवाजा हटता हुआ नजर आया,,,, अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगे कि तभी लकड़ी का दरवाजा एकदम से हट गया और जैसे कजरी की सांस ही अटक गई लेकिन सामने शालू को खड़ी देखकर उसकी जान में जान आई और वह बोली।
धत् मैं तो डर ही गई मैं समझी की ,,,,( अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर हाथ रखते हुए वह इतना बोल कर रुक गई,,)
क्या समझी यही कि रघु आ गया,,,( शालू दरवाजे पर खड़े होकर अपनी मां से नजरें घुमाते हुए बोली,,)
हां,,,( कजरी शरमाते हुए बोली,,,)
क्या मां तुम भी अगर रघु आ गया होता तो छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था सब कुछ तो दिख रहा है तुम्हारा,,,, और यह तुम्हारी (अपनी नजरों को अपनी मां की बुर की तरफ करते हुए) बुर भी दिख रही है इसे देखकर तो तुम्हारा बेटा पागल हो गया होता,,,,
धत ईतनी बड़ी हो गई है लेकिन बात करने का तमीज नहीं है,,,,
इसमें तमीज वाली कौन सी बात है मां ((अपने साथ लाई हुई पानी की बाल्टी को उसी स्नानागार में रखकर वापस जाते हुए) तुम्हारा बेटा बड़ा हो गया है और इस उम्र में लड़कियां अक्सर औरतों के इन अंगों को घूरते ही रहते है,,,
चल चल तू जल्दी से खाना बना मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह तो बहुत सीधा साधा है,,,,
अरे वाह बहुत नाज है तुम्हें अपने बेटे पर,,,,
नाज क्यों ना हो,,,, पूरे गांव में कोई लड़का है जो मेरे बेटे की बराबरी कर सकें खूबसूरत भी है बिल्कुल मेरी तरह,,,
हां,,,हांंं,,, तभी घूमता रहता है तुम्हारा बेटा आवारा लड़कों के साथ,,,,
चल अब ज्यादा बहस मत करो पर जल्दी से खाना बना आज बहुत देर हो गई है,,,
तुम चिंता मत करो मां,,, अभी झट से खाना बना देती हुं( इतना कहकर शालू रसोई घर में चली गई और खाना बनाने की तैयारी करने लगी और कजरी गीले कपड़े धोने लगी और वह भी उसी तरह से एकदम नंगी ही,,, लेकिन तभी उसे अभी कुछ देर पहले जिस तरह से शालू एकाएक आ गई थी वह याद आ गया परवाह नहीं चाहती थी कि इसी तरह से कभी रघु आ जाए और उसे नंगे बदन को देख ले इसलिए वो झट से कपड़े धोने से पहले अपने सूखे हुए कपड़े पहन कर वापस कपड़े धोने लगी,,, भले ही मां बेटी में इस तरह की बहस हो जाया करती थी लेकिन दोनों में बड़ा प्यार था मां बेटी का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों एकदम सहेली की तरह रहती थी इसीलिए तो कजरी का परिवार एकदम खुशहाल जिंदगी जी रहा था,,,,