• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
रात काफी हो गई थी खाना बन कर तैयार हो चुका था और शालू खाना खाकर सो भी गई थी क्योंकि उसे मालूम था कि जब तक रघु नहीं आएगा तब तक उसकी मां खाना खाने वाली नहीं है कजरी छत पर बैठे बैठे रघु का इंतजार कर रही थी,,,। अपने मन में सोचने लगी कि हो सकता है जो रघु तेरा होगा सच भी हो,, हो सकता है कि जैसे ही उसकी नजर पीछे पड़ी हो तभी वहां वहां उसे ढूंढते हुए आया ही हो। अनजाने में ही उसकी नजर उस पर पेशाब करते हुए पड़ गई हो,,,। रघु को लेकर कजरी काफी चिंतित नजर आ रही थी क्योंकि उसने कुछ ज्यादा ही सख्ती दिखाई थी। रघु की बात सुने बिना ही उसे भला-बुरा कह कर वहां से भगा दी थी,,, कजरी बेचैन नजर आ रही थी वह बार-बार खड़ी होकर छत से जहां तक नजर जाती थी वहां तक रघु को ढूंढने की कोशिश कर रही थी। लेकिन रघु का कहीं भी ठिकाना ना था,,,।

कहां चला गया होगा रघु,,,, यह बात सोच कर कजरी काफी परेशान हो रही थी खेत वाली बात को उसने सालु से नहीं बताई थी,,,,। कजरी को लगने लगा कि वही गलत है वही अपने बेटे को समझने में भूल कर भी अगर वह गलत होता तो इस तरह से घर से बाहर ना रहता,,, बेशर्म की तरह घर आ चुका होता,,, लेकिन वह सही था इसलिए घर नहीं आ रहा था। कजरी बार-बार अपनी छत पर इधर से उधर घूमते हुए दूर-दूर तक देखने की कोशिश कर रही थी चांदनी रात हो ने की वजह से दूर-दूर तक सब कुछ साफ नजर आ रहा था। लेकिन रघु कहीं भी नजर नहीं आ रहा था,,,। कजरी को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि इस समय रघु कहां होगा।

रघु गांव के बाहर हलवाई की दुकान पर ग्राहकों के लिए रखे गए बड़े-बड़े पत्थर पर लेटा हुआ था। भुक तो बहुत जोरों की लगी हुई थी,,, लेकिन कर भी क्या सकता था इसलिए वहां वहां से उठा और हलवाई के दुकान के पीछे पानी पीने के लिए हेड पंप के करीब चला गया,,, और वह हेड पंप चलाकर पानी पीने लगा,,, हैंडपंप की आवाज से हलवाई की औरत की नींद खुल गई तुरंत उठ कर दुकान के पीछे यह देखने के लिए आ गई कितनी रात को यहां कौन है कहीं कोई चोर तो नहीं है,,,,

कौन है वहां कौन है इतनी रात को इधर आ गया,,, अगर चोरी करने के इरादे से आए हो इस बारे में कभी सोचना भी मत,,,,
(हलवाई की बीवी की आवाज सुनते ही पहले तो रघु घबरा गया फिर शांत होता हुआ बोला)

मैं हूं चाची चोर नहीं हूं,,,

(रघु की आवाज सुनकर हलवाई की बीवी इतना तो समझ गई कि यह आवाज जानी पहचानी थी,,, इसलिए लालटेन को हाथों में लेकर आगे बढ़ने लगी ताकि उजाले में उसका चेहरा देख सके,,, चांदनी रात होने के बावजूद हेडपंप जहां पर था वहां पर बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे इसलिए वहां अंधेरा था,,,लालटेन के उजाले में जैसे ही रखो का चेहरा हलवाई की बीवी को नजर आया वैसे ही उसके चेहरे पर से डर के भाव दूर हो गए,,, और वह एकदम शांत स्वर में बोली,,।)

अच्छा तू है,,,दुकान पर आते हुए तुझे देखे तो हूं लेकिन तेरा नाम मुझे मालूम नहीं,,,

रघु ,,,,रघु नाम है मेरा,,(हेडपंप को अपने हाथों से छोड़ते हुए और अपने हाथ को अपने ही कपड़े से साफ करते हुए बोला)..

इसी गांव के हो,,,

हां यही गांव में ही रहता हूं कजरी का बेटा हूं,,

अरे तु कजरी का बेटा है,,, वही कजरी ना जो गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है,,,।

हां,,,, लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं,,,
(रघु के मुंह से यह बात सुनते ही वाह एकदम से सन्न हो गई,,, वह पल भर के लिए रघु को एकटक देखने लगी,,,)

ऐसे क्या देख रही हो सच कह रहे हैं,,, बस थोड़ा सा वजन ज्यादा है लेकिन खूबसूरती और गोराई मे तुम मा से ज्यादा चटक हो,,,(औरतों को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना भला कैसे अच्छा नहीं लगता हलवाई की बीवी को भी रघु के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ पर बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह एतराज जताते हुए बोली,,।)

तुम मुझसे इस तरह की बातें कर रहा है तुझे शर्म लिहाज या डर बिल्कुल भी नहीं है,,,।

सच कहने में कैसा डर हम तो सच कहते हैं यह तो आप पर आधारित है कि आपको अच्छा लगा या बुरा,,, वैसे चाची कभी आईने में देख कर आपको यह नहीं लगता कि आप अपने पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत है।
(रघु की बातें सुनकर थोड़ा सोचने के बाद लालटेन को नीचे जमीन पर और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए बोली..)

चल छोड़ ये सब जाने दे लेकिन तू इतनी रात को यहां क्या कर रहा है,,,।


भटक रहे हैं ऐसे ही,,,

घर क्यों नहीं गया,,

छोड़ो ना चाची आप जाओ और आराम करो,,,(इतना कह कर रघु दुकान की तरफ जाने लगा तो वह उसे रोकते हुए बोली,,,।)

सुन तो लगता है घर से झगड़ा करके आया है,,,।
(इतना सुनकर रखो ज्यों का त्यों खड़ा हो गया और वापस उसकी तरफ घूम कर बोला..)

ऐसा ही समझ लो चाची,,,

मतलब कि भूखा भी है,,,
(इस बार रघु कुछ नहीं बोल पाया,,, सच तो यही था कि उसे जोरों की भूख लगी हुई थी,,।)

और पानी पीकर अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहा था,,

छोड़ो ना चाची मैं चलता हूं आप आराम करिए,,,

भूखे पेट नींद नहीं आती चल आजा मैं तुझे खाना देती हूं,,,
(इस बार रखो उसकी बात को मानने से इंकार नहीं कर सकती क्योंकि वह जानता था कि अगर बुखा रहेगा तो उसे नींद भी नहीं आएगी,,, और उसे उस दिन की बात याद आ गई थी जब वह जलेबी लेने आया था और हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से पीकर मस्त हो गया था,,, आज से मौका मिल रहा था इसी बहाने उसके बेहद करीब रहने का,,, भूख और चाह दोनों के बस में आकर वह हलवाई की बीवी की बात मानने को राजी हो गया,,, हलवाई की बीवी लालटेन उठाकर बोली,,।)

आजा,,,
(उस दिन वाली बात और हलवाई की बीवी से इतनी देर तक रात में बात करते हुए ना जाने क्यों उसके तन बदन में ऊतेजना की चिंगारी फुटने लगी थी,,, और पजामे में उसके सोए हुए लंड में तनाव आना शुरू हो गया था। हलवाई की बीवी लालटेन लेकर एक कदम बढ़ाई थी कि रघु की नजर उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी गई थी पड़ गई और वह मदहोश होने देना उसकी मदहोश कर देने वाली नितंबों के आकर्षण में अपना पहला कदम बढ़ाया ही था कि फिर पंप के करीब ढेर सारा कीचड़ होने की वजह से उसका पैर फिसल गया और वह गिर गया,,,,धम्म,,, की आवाज के साथ ही वह नीचे गिर गया और हलवाई की बीपी तुरंत पीछे पलट कर देखें तो रखो नीचे कीचड़ में पीठ के बल गिर गया था,,, रघु को ईस हालत में देखकर हलवाई की बीवी की हंसी छूट गई,,,, वह जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगी रघु को उसकी हंसी बेहद मादक लग रही थी,,,। बल्कि हलवाई की बीवी को हंसता हुआ देखकर वह खुद अंदर से प्रसन्ना हो रहा था,,, फिर वह उससे बोला,,,।

अरे हंसते ही रहोगे या मुझे उठने में मदद करोगी,,,,

हां क्यों नहीं जरूर ,,,,(इतना कग कर वह लालटेन वापस जमीन पर रख दी,,, और आगे बढ़ कर अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर रघु को उसका हाथ पकड़ने का इशारा कि हालांकि अभी भी वह हंस ही रही थी,,, रघु का मन बहकने लगा था,, हलवाई की बीवी की गदराई जवानी उसके मन को बहका रही थी,,, रघु अपना हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई के बीवी के नरम नरम हाथ को अपने हाथ में लेकर कस के पकड़ लिया,,, जैसे ही हलवाई की बीवी का नरम हांथ रघु के हाथ में आया रघु को ऐसा महसूस हुआ कि उसके तन बदन में आग लग गई है पहली बार वह किसी औरत का हाथ इस तरह से पकड़ रहा था,,, उसके तन बदन में जोश बढ़ने लगा था,,, रघु के मन में शरारत सुझ रही थी,,, उठने के बजाय हल्का सा उठने का नाटक करते हुए हलवाई की बीवी के हाथ को अपनी तरफ हल्के से खींच लिया जिससे हलवाई की बीवी अपने आप को संभाल नहीं पाई और भला भला कर रघु के ऊपर गिर गई,,,,

चांदनी रात में रघु एक अद्भुत पल को जी रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है क्योंकि हलवाई की खूबसूरत बीवी जो कि भले ही थोड़ी मोटी थी इस समय रघु की बाहों में गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी की गोल गोल बड़ी-बड़ी चूचियां रघु की छातीयो पे अपना दबाव बनाए हुए थी,, रघु को पलभर में ही यह एहसास हो गया कि जिस चूची को वहां उस दिन आंखों से कर रहा था वह चुची इस समय उसकी छातियों पर दबी हुई है। इतने मात्र से ही रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,। जोकि खड़ा होने के बाद सीधा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच साड़ी के ऊपर से ही उसके मुख्य द्वार पर ठोकर मारने लगा।। हलवाई की बीवी काफी अनुभवी थी अपनी टांगों के बीच उस चुभती हुई चीज की रगड़ को महसूस करके उसे समझते देर नहीं लगी कि जो चीज उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रही है वह रघु का लंड ही है,,, हलवाई की बीवी के तो होश उड़ गए और वह भी इसलिए नहीं की रघु का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रहा था,,, बल्कि इसलिए कि रघु का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच कैसे गया और वह भी साड़ी पहने होने के बावजूद भी उसकी ठोकर इतनी अच्छी तरह से उसे महसूस कैसे हो रही थी,,,,, हलवाई की बीवी का हैरान होना जायज था क्योंकि मोटी शरीर होने की वजह से उसका पेट आगे से निकला हुआ था जिसकी वजह से उसे खुद की नजरों से उसकी पुर कभी नजर नहीं आती थी और जब कभी भी वह अपने पति से चुदवाती थी तो पेट निकले होने की वजह से उसका लंड ठीक तरह से उसकी बुर में घुस भी नहीं पाता था ,,,इसलिए तो वह एकदम से हैरान हो गई थी क्योंकि बिना किसी रूकावट के शुभम का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच रहा था,,,,
रघु के तो होश उड़ गए थे अपने ऊपर भारी भरकम शरीर लिए हुए हलवाई की बीवी पूरी तरह से उसके ऊपर गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह से रखो के ऊपर गिर जाने की वजह से वह पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुकी थी।अपनी टांगों के बीच अपनी बुर पर रघु के लंड की ठोकर महसुस करके वह पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी,,,। उसकी सांसों की गति तेज होने लगी थी ना जाने क्यों रघु के ऊपर से उसका उठने का मन नहीं हो रहा था रघु भी अच्छी तरह से जान रहा था कि उसका लंड खड़े होकर सीधे उसकी टांगों के बीच लहरा रहा था।,, आखिरकार वही उसे बोला,,,।

बाप रे आप तो मेरी जान ले लोगी,,, अब ऊठोगी भी या मुझ पर ऐसे ही लेटी रहोगी,,,,(इतना कहते हुए रघु जानबूझकर अपने दोनों हाथ को उसे उठाते हुए उसे सहारा देने के बहाने हल्के से अपने दोनों हाथों की हथेलियों को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर हल्कै से उसे दबा दिया। रघु कि यह हरकत को अपने नितंबों पर महसूस करके उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी पूरी तरह से गनगना गई,,,, वह उठने की कोशिश करने लगी,,,भारी भरकम शरीर होने की वजह से उसे थोड़ी दिक्कत हो रही थी क्योंकि अनजाने में ही वह उसके ऊपर गिर गई थी इसलिए जैसे ही वह थोड़ा सा शुभम के ऊपर से अपने बदन को हटाई उस समय हलवाई की बीवी का बदन ठीक रघु के ऊपर था,,, और रघु हलवाई की बीवी को सहारा देते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर इस तरह से हलवाई की बीवी को पकड़ लिया जिससे उसकी हथेली में निवाई की बीवी की चुचियों का आधा आधा हिस्सा आ गया और वह उसे उसको ऊपर की तरफ उठाने लगा वह सारा तो जरूर दे रहा था लेकिन सहारे के नाम पर अपना उल्लू भी सीधा कर रहा था,,, फिर भाई की बीवी के अंदर अंदर बड़ी-बड़ी चूचियां रघु के हथेली में थी और यह एहसास रखो को एकदम उत्तेजना के सागर मिलिए जा रहा था रघु की इस हरकत से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,क्योंकि उसे साफ पता चल रहा था कि रघु अपनी हथेली में उसकी चूचियों के आधे हिस्से को पकड़कर दबाए हुए था,,,, अगले ही पल हलवाई की बीवी ऊसके ऊपर से उठ गई और अपनी साड़ी को ठीक करने लगी,,,
रखो भी खड़ा हो गया लेकिन वह पूरी तरह से कीचड़ में सन गया था हलवाई की बीवी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी तो रघु ही बातों के दौर को शुरू करते हुए बोला,,

अच्छा हुआ चाची आप मेरे ऊपर गीरी वरना आप भी किचड में सन जाती,,,,
(इस बार फिर से हलवाई की बीवी के होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,।)

चल अंदर आ जा मैं तुझे कपड़े देती हूं बदल लेना,,,।
(इतना कहकर हलवाई के बीवी लालटेन उठाकर आगे आगे चलने लगी और रघु उसकी मटकती गांड को देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा.)
Lovely update mitr
 
  • Like
Reactions: Napster

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
चांदनी रात में गांव का माहौल और भी ज्यादा खूबसूरत और खुशनुमा हो चुका था,,,हलवाई का घर गांव के बाहर था इसलिए यहां पर चारों तरफ सन्नाटा था और चारों तरफ खेत ही खेत नजर आ रहे थे,,, रघु के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के चार अल्फाज सुनकर,, हलवाई की बीवी का मन डोलने लगा था,,,, और उस पर उसका रघु के ऊपर गिर जाना और अपनी टांगों के बीच में उसके लंड की ठोकर का अनुभव करना कुल मिलाकर हलवाई की बीवी की हालत खराब कर चुका था,,,। वैसे भी हलवाई की बीवी शारीरिक रूप से संतुष्ट बिल्कुल भी नहीं थी हालांकि इस और उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं जाता था क्योंकि दिन भर काम ही इतना लगा रहता था कि अपने बारे में सोचने की उसे फुर्सत नहीं थी और जब कभी भी हलवाई और उसकी बीवी के बीच में संभोग क्रिया स्थापित होने को होती भी थी तो हलवाई की मोटी तोंद और हलवाई की बीवी का बाहर निकला हुआ पेट दोनों के बीच में अड़चन बन जाते थे,,, जिससे हलवाई ठीक तरह से अपनी बीवी की चुदाई नहीं कर पाता था लेकिन मर्द होने के नाते उसका तो उसकी बीवी की रसीली बुर के अंदरूनी हिस्से पर और बाहर की रगड़ से गरम होकर अपना पानी निकाल देता था लेकिन प्यासी रह जाती थी उसकी बीवी,,, क्योंकि रात भर अपनी हथेली से ही अपनी गरम बुर पकड़ कर अपने आप को ठंडा करने की कोशिश करती रहती थी,, शारीरिक संबंध बनाने में उसका मोटापा उसके लिए श्राप युक्त बन गया था उसे अपना मोटापा बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन जिंदगी में पहली बार वह इस जवान होते लड़के के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के दो शब्द सुनी थी पहली बार वह रघु के मुंह से अपने मोटापे की खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हो गई थी।
हलवाई की बीवी और उसके पीछे रघु कमरे में प्रवेश किया कमरा क्या था चारों तरफ कच्ची दीवार ही थी और मिट्टी के खपड़े से उसकी छत छाई हुई थी। अंदर एक कोने में खाट बिछी हुई थी। जिसके चादर पर सिलवटें पड़ी हुई थी जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि हलवाई की बीवी इसी पर सो रही थी। घर के बीच में एक छोर से दूसरे छोर तक रस्सी बंधी हुई थी और उस रस्सी पर जरूरत के कपड़े टंगे हुए थे। हलवाई की बीवी दीवार में एक खील लगी हुई थी जिसमें वह लालटेन को टांग, दी,, लालटेन की लौ ज्यादा होने की वजह से पूरे घर में रोशनी बनी हुई थी। रघु अंदर तो आ गया था लेकिन दरवाजे के पास ही खड़ा था और दरवाजा अभी भी खुला हुआ था। उसके सारे कपड़े कीचड़ में सने हुए थे। हलवाई की बीवी इधर-उधर घूम कर एक तोलिया ढुंढ रही थी,,,। और तोलिया ढूंढने में इस कोने से उस कोने चक्कर काट रही थी,,, जिधर जिधर हलवाई की बीवी जा रही थी उधर उधर रघु की नजरें भी घूम रही थी इस तरह से रात के समय गांव से बाहर एक ही कमरे में एक खूबसूरत गदराए बदन की मालकिन के साथ खड़े रहने में रघु के तन बदन में जवानी के सोले भड़क रहे थे,,, बार-बार रघु की नजर न लगाए की बीवी के हर एक अंग पर घूम रही थी ज्यादा मोटी होने की वजह से उसकी चूचियां भी काफी बड़ी बड़ी थी और साथ ही उसके नितंबों का घेराव बेहद उन्मादक था,, कुल मिलाकर यह सब रघु के तन बदन में आग लगा रही थी,,,रघु की हालत खराब हो रही थी उसकी पहचान है मैं उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिससे उसके पजामे में तंबू सा बन गया था,,,और कुछ देर पहले ही जिस तरह से हलवाई की बीवी उसके ऊपर पूरी तरह से पसर गई थी,,, उसी हालात का फायदा उठाते हुए रघु जिंदगी में पहली बार किसी औरत के बड़े-बड़े नितंबों को अपने हाथ से छुआ था,,, और साथ ही अपने लंड के कड़क पन को उसकी टांगों के बीच के मुख्य द्वार पर ठोकर मारते हुए महसूस किया था,,, यह सब सोचकर ही रघु की हालत खराब हो रही थी,,,।

तभी हलवाई की बीवी के हाथ तोलिया लग गया और वह तोलिया रघु को थमाते हुए बोली,,।

ये लो अपने सारे कपड़े उतार कर इसे लपेट लो,,, और गंदे कपड़े को पानी में भिगोकर उसे रस्सी पर टांग दो।
(रघु उसके हाथ से तोलिया ले लिया और एक टक उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा,, हलवाई की बीवी की भी नजर रघु की नजरों से टकरा गई,,,रघु के इस तरह से देखने में ना जाने कैसी कशिश थी कि वह एकदम से शर्मा गई और झट से अपनी नजरें मुस्कुराते हुए फेर ली और बोली।

जल्दी से आ जाओ मैं खाना लगा देती हूं,,,।
(रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें यह औरत इतनी रात को घर में तुम अकेली है और ऐसे में एक जवान लड़के को अपने ही घर में बुलाकर उसे खाना खिलाने जा रही है और वह भी सीधे-सीधे उसे अपने कपड़े उतार कर लड़का होने के लिए भी कह रही है भले ही तो लिया लपेटने की औपचारिकता बता रही है लेकिन जिस तरह से वह बोली के अपने सारे कपड़े उतार कर तोलिया लपेट लो,,, इससे उत्तेजना के मारे रघु का पूरा बदन गनगना गया था,,, रघु के तन बदन में जवानी के शोले भड़क रहे थे उसे ऐसा लग रहा था कि आज कुछ नया होने वाला है वह मन ही मन भगवान को मना भी रहा था कि आज की रात उसे जवानी का मजा चखने को मिल जाए,,, रघु और हलवाई की बीवी के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि उसका घर गांव से दूर था अगर गांव में होता तो अब तक रघु को आते जाते कोई ना कोई तो देख ही लेता,,, और जीस जगह पर हलवाई की बीवी रहती थी ,,, यहां पर भेड़ियों का उपद्रव कुछ ज्यादा ही था,,, इसलिए अंधेरा होते ही यहां पर गांव वाले भटकते भी नहीं थे,,,। रघु अभी भी उसी तरह से तोड़ दिया हाथ में पकड़े खड़ा था तो हलवाई की बीवी खाना निकालते निकालते बोली,,।)

शर्मा मत कपड़े बदल ले,, यहां पर तेरे और मेरे सिवा कोई और नहीं है,,,। (हलवाई की बीवी की बातें सुनकर रघु के तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि हलवाई की बीवी की यह सब बातें उसकी तरफ से दी जाने वाले इशारे को समझे या इसका मतलब कुछ और है,,, रघु भी कम नहीं था उसका तो काम ही था आए दिन और तो और लड़कियों को झांकना,,, उसका मन बार-बार यही कह रहा था कि तू भी तो यही चाहता था कि किसी औरत के साथ ओ सब कुछ हो जो एक मर्द और औरत के बीच में होता है आज जब सब कुछ होने का अंदेशा लग रहा है तो इतनी झिझक क्यों,,, अपनी मन की बात को मानते हुए रघु अपने गंदे कपड़ों को निकालने लगा,,, एक औरत के सामने कपड़े उतारने में ना जाने क्यों उसे शर्म महसूस हो रही थी,, क्योंकि रघु पक्के तौर पर नहीं कह सकता था कि यह औरत क्या चाहती है,,, यह भी हो सकता है कि यह औरत उसके हालात पर तरस खाकर ऊसे खाना दे रही है या ये भी हो सकता है कि ईस औरत के मन में गंदे ख्याल आ रहे हो,,,।

धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार रहा था एक-एक करके अपने शर्ट के बटन को खोल रहा था,,, हलवाई की बीवी के मन में कोई गंदा विचार बिल्कुल भी नहीं था,,, रघु अकेला भूखा प्यासा उसके द्वार पर बैठा हुआ था इसलिए उसे उसके ऊपर तरस आ गया था और उसके मुंह से निकले हुए तारीफ के शब्द सुनकर वह पूरी तरह से रघु से खुश हो गई थी लेकिन उसकी तरफ आकर्षित बिल्कुल भी नहीं थी,,।
वह खाना निकाल चुकी थी और वहीं बैठकर रघु के वहां आने का इंतजार कर रही थी,,, रघु अपना शर्ट उतार कर वही पानी भरे बाल्टी में डाल दिया,,,शर्ट के ऊपर जाने से रघु का चौड़ा सीना साफ नजर आने लगा जो कि लालटेन की रोशनी में चमक रहा था,,, रघु के ऊपर हलवाई की बीवी की नजर गई तो वह उसके बांके शरीर को देखकर अपनी नजरों को उस पर से हटा नहीं सकी,,, रघु बार-बार हलवाई की बीवी की तरफ देख ले रहा था और उसे अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शर्म से नजरें झुका ले रहा था,, उसके पहचाने में तंबू बना हुआ था लेकिन वह ना जाने क्यों अपने तंबू को दिलवाई की बीवी की नजरों से बचा नहीं रहा था।। वह अपने पजामे में बने तंबू को बिल्कुल भी छुपा नहीं रहा था,,,,
अभी तक हलवाई की बीवी की नजर उसके चौड़ी छाती पर ही गई थी लेकिन जैसे ही रघु अपने पजामे को उतारने के लिए अपने पजामे की डोरी को खोलने लगा तब जाकर हलवाई की बीवी की नजर उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ी,, और उस अद्भुत तंबू को देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझते देर नहीं लगी की उसका लंड पूरी तरह से खड़ा है,,, वह शर्म के मारे अपनी नजरें नीचे झुका ली,,, उसे अब जाकर समझ में आया कि कहीं वह जवान लड़के को आधी रात में अपने घर में पनाह देकर गलती तो नहीं कर दी,,, रघु थोड़ा बेशर्म होता जा रहा था। जिस तरह से हलवाई की बीवी शर्मा कर अपनी नजरों को फेर ली थी उसे देखते हुए रघु की हिम्मत बढ़ने लगी थी ना जाने क्यों उसके मन में इस समय अपने खड़े लंड को उसे दिखाने की सुझ रही थी,, वह दूसरी तरफ अपना मुंह करके अपने कपड़े उतार सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं किया वह इस तरह से खड़ा था कि जहां से हलवाई की बीवी को उसका सबकुछ नजर आता,,,
धीरे-धीरे रघु अपने पजामे की डोरी को खोल दिया,,, दूसरी तरफ हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी जिस तरह का पजामे में तंबू बना हुआ था उसे देखते हुए उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि रघु के पजामे के अंदर उसका हथियार बड़ा ही है। ना चाहते हुए भी उसकी नजर बार-बार रघु के ऊपर चली जा रही थी,,, उसके मन में भी रघु के लंड को देखने की लालसा देखने लगी थी और रघु जानबूझकर अपने लंड को हलवाई की बीवी को दिखाना चाहता था,,, दोनों तरफ का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा था।
Fine update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
हलवाई की बीवी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को एक जवान लड़के को अपने घर में बुलाकर उसने अच्छा कि या गलत,, लेकिन उसके सामने जो भी नजारा पेश हो रहा था उसे देख कर उसके तन बदन में ना जाने कैसे कैसे उमंग फेलने लगे थे,,, उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था,,, उसने रघु के लिए खाना परोस चुकी थी,,, लेकिन ऐसा जान पड रहा था कि रघु हलवाई की बीवी के लिए कुछ और परोसने के इंतजाम में था,,
रघुनाथ ने पहचाने की डोरी को खोल चुका था पजामे की डोरी खुलते ही उसका पजामा एकदम ढीला हो गया,,, अगर वह हाथ से पकड़ कर ना रखा होता तो उसका पैजामा क्षण भर में ही उसके कदमों में गिरा होता,,,
रघु की आंखों में बेशर्मी साफ नजर आ रही थी,, वह औरत जो कि भूखा होने की वजह से उसे खाना खिलाने जा रही थी रघु उसी औरत को अब गंदी नजरों से देखने लगा था,,
रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था,,, पजामे में बने तंबू को देखकर वह रघु के लंड के बारे में उसके आकार के बारे में तर्क लगाना शुरू कर दी थी,,,बार-बार वह अपनी नजरों को ऊपर करके रघु की तरफ देख ले रही थी कि कब वह अपने पजामे को नीचे करें और उसे उसके लंड के दर्शन हो जाए,,, हलवाई की बीवी शादी के बाद से अपने घर गृहस्ती में ऐसी ऊलझी की ऊलझ के रह गई,, शादी के पहले वह अपने खेतों में काम करते हुए मजदूरों के साथ चुदाई का भरपूर मजा ली थी,, शादी के पहले उसका गोरा बदन बेहद आकर्षक और कसा हुआ था जो कि शादी के बाद एकदम जलेबी और समोसे छान छान कर डीलडोल हो गया था। शादी के बाद उसे अपने पति से शारीरिक सुख बराबर मिल रहा था जिससे वह किसी गैर मर्द के बारे में कभी सोची भी नहीं थी ऐसे में एक बार उसका देवर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था तो वह उसके गाल पर दो तमाचा मार कर उसे होश में ला दी थी,,, अपने पति से चुदाई का भरपूर सुख मिलने की वजह से वह अपने कदम को इधर-उधर बहकने नहीं दी थी,,, लेकिन एक बेटी को जन्म देने के बाद से उसके जीवन में परिवर्तन आना शुरू हो गया उसका शरीर बड़ी तेजी से एकदम मोटा हो गया और कामकाज में वह ईतना व्यस्त रहने लगी कि अपने शरीर के प्रति वह कभी ध्यान ही नहीं दे सकी,,, उसके पति का भी शरीर पहले की तरह कसा हुआ और हट्टा कट्टा नहीं रह गया था उसके पति की भी तोंद निकल आई थी जिससे तोंद के नीचे उसका तगड़ा लंड छोटा लगने लगा था,,, और खुद की भारी-भरकम शरीर हो जाने की वजह से दोनों में अच्छी तरह से चुदाई नहीं हो पा रही थी,,।यह बात हलवाई की बीवी को जल्द ही समझ में आ गई थी कि अब वह अपने शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति अच्छी तरह से नहीं कर पाएगी,, तब से लेकर आज तक वह ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रही थी लेकिन आज की रात उसे ऐसा लग रहा था कि उसके जीवन में कुछ बदलाव होने वाला है,,,।

उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी,, वह रसोई के पास बैठी हुई थी,, उसके आगे भोजन की थाली पड़ी हुई थी,,, रघु के मन में भी असमंजसता छाई हुई थी,,
उसका एक मन कहता था कि पैजामा उतार कर हलवाई की बीवी को अपना मोटा तगड़ा लंड के दर्शन करा दे लेकिन फिर वह सोचता है कि अगर ऐसा करने पर वह नाराज हो गई तो क्या होगा,,,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आता है कि जो होगा देखा जाएगा आखिरकार अगर हलवाई की बीवी को ऐतराज होता तो वह तभी उसे अपने कमरे में नहीं बुलाती जब वह उसके ऊपर एकदम से पसर गई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी टांगों के बीच एकदम साफ तौर पर महसूस की थी,,,और एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना तो पता ही होगा कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में और कब खड़ा होता है,,। और वैसे भी इस समय हलवाई की बीवी घर में अकेली थी रात की तन्हाई और पैसे में घर में गैर जवान लड़का यह सब सोचकर ही शायद हलवाई की बीवी का मन बदल जाए,,,

रघु अपने ढीले पजामे को हलवाई की बीवी की तरफ नशीली आंखों से देखते हुए धीरे-धीरे नीचे करने लगा,,, पजामे के ऊपरी सतह कमर पर का भाग का घेराव रघु के कमर के हिसाब से ही था लेकिन इस समय रघु का लंड पूरी तरह से खाना था जो कि काफी बड़ा था और इसलिए रघु अपने पजामे को नीचे करते समय लड़के खड़े होने की वजह से पजामे का घेराव छोटा पड़ने लगा,,, और पैजामा कमर से थोड़ा ही नीचे आकर फिर से अटक गया,,, रघु की आंखों में एक औरत के सामने अपने कपड़े उतारने का नशा साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी जहां पर उसका पजामा अटक सा गया था,,, रघु को मालूम था कि यह किस वजह से हो रहा है रघु की आंखों में इतनी ज्यादा बेशर्मी नजर आ रही थी कि वह हलवाई की बीवी की आंखों के सामने ही,,, एक हाथ अपने पजामें में डालकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया और उसे अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए ही उसे अपने पेट की तरफ उठाया जिससे एक बार फिर से उसके पास जाने का खेड़ा उसकी कमर के हिसाब से एकदम बराबर हो गया और वह एक हांथ से अपनी पजामे को नीचे उतारने लगा,,,, हलवाई की बीवी ये सब चोरी-चोरी अपनी तिरछी नजरों से देख रही थी,, उसे रघु की यह हरकत एकदम साफ नजर आई थी,, जिस तरह से रघु अपना एक हाथ पजामे में डालकर अपने लंड को पकड़ा था उसकी हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लगा गई थी,,, ऊसे समझते देर नहीं लगी थी कि तरघु बेहद बेशर्म लड़का है,,,, सब कुछ अपनी आंखों से देखने के बावजूद भी हलवाई की बीवी रघु के आकर्षण में इस तरह से रंग गई थी कि वह उसे मना भी नहीं कर पा रही थी ना तो उसे अपने घर से चले जाने के लिए बोल पा रही थी,,,,रघु थोड़ा सा झुक कर अपनी पहचाने को घुटनों तक लाया और अपने दूसरे हाथ में पकड़े अपने लंड को छोड़ दिया और जैसे ही वह अपने लंड को छोड़ा उसका लंबा मोटा लैंड हवा में लहराने लगा जोकि यह नजारा हलवाई की बीवी की आंखों से बच नहीं सका,,,जैसे ही उसकी नजरों ने रघु के मोटे तगड़े लंड को हवा में लहराते हुए देखा,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई जिंदगी में उसने इस तरह के मोटे तगड़े लंड के दर्शन नहीं किए थे,,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी सांसो की गति तीव्र होने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रघु के लंड को एकटक देखती रहे या उस पर से नजरे हटा ले,,, रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका लंड हवा में ऊपर नीचे झुल रहा है,,, घुटनों से वापस जाने को पीछे छोड़ दिया उसका पैजामा उसके पैरों में जाकर गिर गया जिसे वह अपने पैरों के सहारे से बाहर निकालने लगा और अपनी प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को देखने लगा जो कि मदहोश होकर उसी की तरफ देख रही थी रघु को उसकी नजरें देखकर इतना तो पता ही था कि वह उसकी तरफ नहीं बल्कि उसकी टांगों के बीच में झूलते हुए उसके लंड को देख रही थी,,, रघु मन ही मन में प्रसन्न हो रहा था,,क्योंकि हलवाई की बीवी की हालत को देखकर उसे इतना समझ में आ गया था कि वह नाराज नहीं है बल्कि उसके मोटे खड़े लंड को देखकर बदहवाश हो गई है,,,
रघु की कामुकता भरी हरकत और उसके झूलते हुए लंड को देखकर हलवाई की बीवी की टांगों के बीच में हलचल होना शुरू हो गया था,,, काफी महीने गुजर गए थे उसे उत्तेजना का अनुभव किए हुए लेकिन पलभर में ही उसे उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,,।
हलवाई की बीवी बार-बार रघु की तरफ देख रही थी उसके मन में ना जाने कैसे-कैसे विचार आ रहे थे रघु के बमपिलाट लंड को देखकर उसकी रसीली बुर कुलबुलाने लगी थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर के अंदर हलचल होती हुई महसूस हो रही थी,,, बहुत दिनों बाद उसे अपनी बुर की अंदरूनी दीवारें नमी युक्त महसूस हो रही थी उसमें से पानी रिसने लगा था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था बार-बार वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रही थी,, रघु के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी औरत के सामने जानबूझकर अपने लंड का प्रदर्शन कर रहा था,,, और उसे ऐसा करने में बेहद उत्तेजना और आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,। उसे लगने लगा था कि जो कुछ भी होता है अच्छे के लिए ही होता है अच्छा ही हुआ कि उसकी मां ने उसे डांट कर भगा दी वरना आज वह इस अतुल्य पल को जी नहीं पाता,,,

देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी की आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया। और वह अपनी गंदे कपड़ों को पानी भरी बाल्टी में डालता ,,इससे पहले ही वह जानबूझकर हलवाई की बीवी की आंखों के सामने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे कुछ सेकेंड तक ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया सच मानो उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था मानो सच में वह संभोग सुख को महसूस कर रहा हो लेकिन रघु की यह हरकत हलवाई की बीवी के तन बदन में जवानी का वह सोला भड़काने लगी जोकि उसने आज तक अपनी बदन में उस शोले को भड़कते हुए महसूस नहीं की थी,,
लंड हिलाने की क्रिया को वह जानबूझकर ही किया था,,, और हलवाई की बीवी इस नजारे को देखकर एकदम मंत्रमुग्ध हो गई उत्तेजना के मारे उसका हलक सूखने लगा,, उसे रहा नहीं जा रहा था रघु की यह हरकत ऊसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, उसके जी मैं आ रहा था कि उठ कर उसके पास चली जाए और उसके खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर उससे जी भर कर खेलें,,, लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमे बिल्कुल भी नहीं थी,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह बेहद शर्मसार हुई जा रही थी साथ में उत्तेजित भी,,, रघु बेशर्म की तरह अपने बदन पर टावल लपेटे बीना ही,, गंदे कपड़ों को बाल्टी में डालने लगा और उसे धोने लगा,,, जैसे-जैसे वह बाल्टी में कपड़े धोने के लिए अपने हाथ को हिला रहा था वैसे वैसे उसकी टांगों के बीच का मोटा तगड़ा लंड लहरा रहा था,,,, जिसे देख देख कर हलवाई की बीवी अपनी आंखों के साथ-साथ अपने तन बदन को भी सेंक रही थी,, ,,, देखते ही देखते रघु अपने गंदे कपड़ों को साफ कर लिया,,, और उसे बाल्टी में से निकाल कर उसका पानी नीचोड़ कर,,, बोला,,,।

चाची इस रस्सी पर इसे फैला दुं।
( रघु की आवाज सुनते ही वो एकदम से झेंप गई,,, उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फुटे,,, बस वह हां में सिर हिला दी,, रघु मुस्कुराते हुए अपने गीले कपड़े को उस रस्सी पर फैला दिया और हलवाई की बीवी के द्वारा दी गई तौलिए को अपने कमर पर लपेट कर अपने तगड़े लंड के प्रदर्शन पर पर्दा गिरा दिया लेकिन उसके उभार पन को छुपा पाने में वह तोलिया असमर्थ हो गया,,, क्योंकि तौलिए में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिसे रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की नजरों से छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं लिया और उसी तरह से उसकी तरफ आगे बढ़ते हुए बोला,,।)

चाची मुझे माफ करना तोलिया गंदा ना हो जाए इसलिए मैं अपने सारे कपड़े उतार कर साफ करने के बाद तोलिया लपेटा,,,
(रघु उसी तरह से लंबा सा तंबू बनाए हुए हलवाई की बीवी की तरफ आगे बढ़ा आ रहा था,,, हलवाई की बीवी उसके लंबे तगड़े तंबू को देखकर एकदम उत्तेजित होने लगी उसे अपने पैरों में कंपन सा महसूस होने लगा,,,और वह अपनी नजरों को शर्म के मारे नीचे करते हुए सिर्फ इतना ही बोल पाई,,।)

कोई बात नहीं,,, अब खाना खा ले,,,

अरे वाह चाची तुम तो आज मेरी सबसे पसंदीदा पूरी और सब्जी बनाई हो,,,

तेरे घर नहीं बनती है क्या,,,? (हलवाई की बीवी एक बार फिर से अपनी नजरों को ऊपर करते हुए बोली लेकिन फिर से रघु के चोलिया में बने तंबू को देखकर शर्म के मारे वापस नजरें नीचे झुका ली,,)

बनती है लेकिन कभी-कभी,,,,

चल तब तो अच्छा है कि खाना भी तेरे पसंद का है,,,।

यहां बहुत कुछ मेरे पसंद का है चाची,,,
(रघु की यह बात सुनकर हलवाई की बीवी एकदम से जीत गई और पल भर के लिए ऊपर की तरफ नजर की तो वह रघु की नजरों को अपनी दोनों चूचियों के बीच की गहराई पर गडती हुई महसूस की तो वह शर्म के मारे अपनी साडी ठीक करते हुए बोली,,)

चल जल्दी से खाना खा ले मुझे क्या मालूम कि तेरी पसंद का क्या क्या है,,,।
(हलवाई की बीवी की बात सुनकर रघु मुस्कुराते हुए पलाठी मारकर नीचे बैठ गया और खाना खाने लगा,,, हलवाई की बीवी के मन में इस बात से उन्मादकता जागने लगी थी कि इस उम्र में भी एक जवान लड़का उसकी चूचियों को घूर रहा था इसका मतलब साफ था कि इस उमर में भी उसकी जवानी की याद बरकरार थी भले ही वह मोटी हो गई थी लेकिन अभी भी वह आकर्सक थी,,,। हलवाई की बीवी की भी हसरते जागने लगी थी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि गांव के बाहर वह इस घर में एक जवान लड़के के साथ अकेली थी और वह भी ऐसे लड़के के साथ जो कि खुद उस में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा था ऐसे हालात में हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लग रही थी और उसका मन बहक रहा था और वैसे भी वह आज घर में अकेली ही थी,,, काफी दिनों से उसकी बुर में अच्छी तरह से लंड नही घुसा था,, इसलिए आज रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी बुर में खुजली होने लगी थी। हलवाई की बीवी मन में बहुत कुछ सोच रही थी,,उसके मन में बार-बार यह ख्याल आ रहा था कि क्यों ना आज की रात अपनी पति की गैरमौजूदगी में इस मौके का फायदा उठा लिया जाए।
Jakash update dost
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
,,,, हलवाई की बीवी के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे एक मन कह रहा था कि इस बेहतरीन मौके का फायदा उठा लिया जाए तो वही दूसरा मन उसे यह सब करने के लिए रोक रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखा था उसे देख कर उसके तन बदन में अजीब अजीब हलचल होना शुरू हो गया था खास करके उसकी टांगों के बीच में,,,, वह अपने आप को रोक भी लेती लेकिन टांगों के बीच की वह पतली दरार उसे मजबूर कर रही थी सोचने समझने की शक्ति को पूरी तरह से छीण कर दे रही थी,,, और वैसे भी जिस तरह का हथियार रघु के पास था शायद ही उसने पहले कभी ऐसा देखा हो इसलिए तो उसका मन और ज्यादा बहक रहा था महीनों से,,, महीनों से क्या अच्छी तरीके से चुदाई का आनंद लिए हुए उसे बरसो गुजर गए थे चुदाई के नाम पर बस औपचारिकता ही निभा रही थी,,, लेकिन आज अपने ही घर में एक नौजवान लड़के की उपस्थिति में उसका मन बहकने को कर रहा था वह बार-बार अपने मन को दिलासा देते हुए यह समझा रही थी कि अगर वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बना भी लेती है तो इस बात की खबर किसी को कहा पड़ने वाली है,,, और वैसे भी गांव के बाहर यहां आकर कोई देखने वाला नहीं है यह बात उसके मन में आते ही उसका मन बहकने लगा था रघु बड़े आराम से खाना खा रहा था और वह उसे देख रही थी पर उसके मन में यह सवाल अभी भी चल रहा था कि क्या रघु पहल कर पाएगा,,, वह पहल कर सकती थी लेकिन उसे ऐसा करने में शर्म महसूस हो रही थी,,, हलवाई की बेबी रघु के द्वारा जोर-जबर्दस्ती के लिए भी पूरी तरह से तैयार थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर रघु उसके साथ जोर जबस्ती करेगा तो भी वह उससे चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी,,, फिर तो अपने मन में ऐसा सोचने लगी कि कुछ ऐसा किया जाए की रघु बिना कुछ बोले उसकी चुदाई करना शुरू कर दें और यह तभी ऐसा हो सकता है जब वह अपने बदन को उसे दिखाएं और अभी तक तो वह बिना कुछ देखे ही पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था जब वह उसके खूबसूरत और अनमोल अंग को देखेगा तब उसकी क्या हालत होगी यह ख्याल मन में आते ही हलवाई की बीवी का मन प्रसन्नता से झूमने लगा,,,, और वह किसी न किसी बहाने अपने बदन का हर वह हिस्सा दिखाने के लिए तैयार हो गई जिसे देखा कर रघु के तन बदन में काम की ज्वाला भड़कने लगे और वह खुद ही उसकी चुदाई कर दें,,,,

सब्जी और पूरी रघु को बेहद पसंद थी वह निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,,।

अगर चाची इसके साथ थोड़ी खीर भी मिल जाती तो मजा आ जाता,,,,,

खीर तो नहीं है रघु लेकिन रुक में तेरे लिए जलेबी लेकर आती हुंं,,,,( इतना कहते हुए वह खड़ी होने लगी लेकिन खड़ी होते समय उसमें अपनी दोनों मत बस खरबूजे जैसी चुचियों का भार एकदम रघु के बेहद करीब से ले गई इतना करीब कि अगर रघु अपना मुंह दो अंगुल भी आगे बढ़ाता तो उसका मुंह सीधे हलवाई की बीवी की चुचियों से टकरा जाता,,, अपने बेहद करीब से होकर गुजरती हुई मदमस्त खरबूजे जैसी सूचियों को देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया वो एकदम से मचल उठा उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी दोनों चूचियों को थाम ले,,, निवाला रघु के मुंह में अटका का अटका ही रह गया हलवाई की बीवी एकदम से खड़ी हो गई और एक बार रघु की तरफ देखने लगी रघु भी ललचाए आंखों से उसी को देख रहा था दोनों की नजरें आपस में टकराई ,, हलवाई की बीवी शर्म से नजरें झुकाई और मुस्कुरा दी,,, रघु उसे देखता ही रह गया जिस तरह से शर्मा कर हलवाई की बीवी मुस्कुराए थी रघु की हालत खराब हो गई थी उसकी मां तक मुस्कुराहट उसके बदन में उत्तेजना की हवा भर रहा था,,,। हलवाई की बीवी जल्दी से जाकर जलेबी लेकर आई और वही उसके सामने बैठकर उसकी थाली में जलेबी डाल दी और खुद भी खाने लगी,,, लेकिन यह सब करते समय वह जानबूझकर अपनी दोनों टांगों को हल्के से खोल कर बैठी थी और अपनी साड़ी को घुटनों तक चढ़ा दी थी,,,, रघु की नजर थाली में पड़ी जलेबी पर गई तो वह खुश हो गया लेकिन जैसे ही उसकी नजरों ने दिशा बदलते हुए हलवाई की बीवी की टांगों की तरफ गई तो रघु के मुंह में पानी आ गया क्योंकि वह इस तरह से बैठी थी कि उसकी साड़ी घुटनों तक थी और फिर हल्के से खुले होने की वजह से रघु को साड़ी के अंदर तक का नजारा कुछ हद तक साफ नजर आ रहा था,,, मोंटी मोटी चिकनी और बेहद सुडोल जाने देखकर रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था,,, रघु एकदम से खाना खाना भूल गया उसकी नजर हलवाई की बीवी की साड़ी के अंदर दौड़ने लगी,,,। हलवाई की बीवी अच्छी तरह से समझ रही थी कि रघु क्या देखना चाह रहा है,,, यह एहसास हलवाई की बीवी के तन बदन में आग लगा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि रघु उसकी बुर देखना चाह रहा था और जिस तरह से वह बैठी थी शायद दिख भी रहा होगा लेकिन रघु के चेहरे पर आई उत्सुकता को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी बुर उसे अभी भी नहीं दिखाई दे रही है,,,,
धीरे-धीरे रघु की हालत एकदम खराब होने लगी जिस तरह से वह पलाठी मार कर बैठा था,, उसकी टॉवल एकदम जांगो तक सरक गई थी,,, और जिस तरह का नजारा उसे नजर आ रहा था उसे देखते हुए रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिस पर से टॉवल हट गई थी और एक भाई की बीवी की आंखों के सामने से वह अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि उसे ढकने के बहाने जानबूझकर उसका ध्यान अपने लंड की तरफ खींच रहा था और ऐसा हो भी रहा था हलवाई की बीवी की नजर एक बार फिर से रघु के काले लंड पर चली गई इस समय तो उसका लंड बेहद करीब था इतने करीब से खड़े लंड को देखकर उसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी उत्तेजना के मारे उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर फूलने पीचकने लगी,,,, हलवाई की बीवी का मन प्रसन्नता से फूला जा रहा था,,, वह रस से भरी हुई जलेबी को अपने दांतों से काट काट कर खा रही थी लेकिन उसका रस उसकी टांगों के बीच से उसकी बुर से निकल रहा था,,,, रघु हलवाई की बीवी की मादक अदाओं को देखकर गरम आहें भर रहा था साथ ही रह रह कर उसकी आंखों के सामने ही अपनी खड़े लंड को पकड़ कर दबा दे रहा था यह उसकी उत्तेजना का असर था जिससे वह अपने लंड को दबाकर हलवाई की बीवी को इशारा कर रहा था कि अगर वह चाहे तो वह उसे चोदने के लिए तैयार है,,,। लेकिन इशारों की बात इशारे से ही होती है रघु को भी हलवाई की बीवी का इशारा समझ जाना चाहिए था क्योंकि कोई भी सामान्य तौर पर अपनी टांगे खोल कर अपनी बुर का प्रदर्शन नहीं करते पैसा वही औरत करती है जिसके मन में चुदाई की भूख जाग रही हो और यही हलवाई की बीवी के तन बदन में हो रहा था एकांत में आधी रात के समय उसे अपनी बुर के अंदर मोटा तगड़ा लंड चाहिए था,,,।

खा ले ऐसे क्या घूर रहा है,,,

ककककक,,, कुछ नहीं,,,, गले में अटक रहा था थोड़ा पानी मिलेगा,,,,

हां हां क्यों नहीं,,,,( दो कदम की दूरी पर ही पानी से भरा हुआ मटका रखा हुआ था,,, लेकिन हलवाई की बीवी बिना अपनी जगह से उठे ही मटके की तरफ झुकने लगे और देखते ही देखते वह घुटनों के बल एकदम मटके के करीब झुक गई वह अपने घुटनों और हाथ की कोहनी केबल हो गई थी जिससे उसकी साड़ी हल्के से उसके नितंबों के ऊपर तक चढ़ गई थी,,, हलवाई की बीवी जानबूझकर घुटनों के बल हो गई थी जिससे उसकी बड़ी-बड़ी घेराव दार गांड रघु की आंखों के सामने आ गई थी रघु तो एकदम पागल हो गया,,, एक तो उसकी साड़ी उसकी आधे नितंबों तक चल गई थी जिससे उसकी मोटी मोटी चिकनी जांगे एकदम साफ नजर आ रही थी ,,,। रघु के माथे से पसीना छूटने लगा था रघु की इच्छा हो रही थी कि पीछे से पकड़ कर उसे के बुर में पूरा लंड पेल दे,,,, रघु ने अपनी जिंदगी में इतना मादक दृश्य नहीं देखा था,,,। हलवाई की बीवी है तसल्ली करने के लिए कि उसे इस अवस्था में रघु देख रहा है कि नहीं वह उसी तरह से झुके झुके हैं मटके से पानी निकालते समय अपनी नजर पीछे करके रघु की तरफ देखने लगी तो रघु उसकी तरफ भी देख रहा था यह देखकर वह एकदम प्रसन्नता से झूमने लगी,,, वह रघु को और तड़पाना चाहती थी इसलिए यह दिल से ज्यादा देर तक उसकी आंखों के सामने दिखाई नहीं दिया और वह पानी का गिलास लेकर फिर से उसी स्थिति में हो गई,,,।

यह लो पानी पी लो,,,( पानी का ग्लास रघु की तरफ बढ़ाते हुए उसकी नजर रघु के खड़े लंड पर ही थी और वह उसे उसे ढक लेने के लिए बिल्कुल भी नहीं कह रही थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार उसने इस तरह का दृश्य देखी थी और नहीं चाहती थी कि ईस दृश्य पर पर्दा पड़ जाए,,,। रघु हाथ आगे बढ़ाकर पानी का गिलास ले लिया और पीने लगा,,, दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी कभी वह उसको देखती तो कभी रघु उसकी मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से पीता दोनों काम उत्तेजना के ज्वर में तपने लगे थे दोनों कभी भी इस तरह से अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव नहीं किए थे,,, दोनों के गुप्त अंग अपनी-अपनी तरह से तड़प रहे थे,,,,।

देखते ही देखते रघु भोजन कर लिया,,,, वह हाथ धो रहा था और बाहर जोर-जोर से सियार चिल्ला रहे थे यहां पर सियार का आतंक बराबर था रोज यही गांव से एक दो बकरी भेड़ या गाय का बछड़ा सियार का झुंड खींचकर ले जाते थे कभी कबार तो इंसानों पर भी हमला कर देते थे इसलिए इतनी रात को कोई बाहर नहीं निकलता था,,,।
हलवाई की बीवी के मन मैं कुछ और चल रहा था वह अपनी जवानी के जलवे से रघु को पूरी तरह से ध्वस्त कर देना चाहती थी वह इतना मदहोश कर देना चाहती थी कि उसे बिल्कुल भी पहल ना करना पड़े जो कुछ भी करें वह रघु ही करें इसलिए वह जानबूझकर रघु को अपना वह उनके दिखाने के लिए तैयार हो गई जिसे देखने के बाद शायद ही दुनिया का कोई मर्द होगा जिसका लंड खड़ा ना होता होगा औरत की बुर देखकर तो अच्छे-अच्छे लोगों का लंड खड़ा होकर बुर में घुसने के लिए मचल उठता है और यही पैंतरा वह रघु के सामने फेंकना चाहती थी,,,।

रघु हाथ धोकर सूखे हुए कपड़े में अपने हाथ को साफ कर रहा था कि तभी हलवाई की बीवी उससे बोली,,।

रघु सुन रहे हो सियार की आवाज कितनी जोरों से आ रही है मुझे बहुत डर लग रहा है,,,।

डर किस बात की चाची घर में हो दरवाजा बंद है यार इतना भी बलशाली नहीं होता कि घर में घुस जाएगा,,,।

वह तो मैं जानता हूं लेकिन मुझे बाहर जाना है,,।

क्या चाची तुम भी इतनी रात को बाहर जाकर क्या करोगी,,,।

अरे जरूरी है तभी तो कह रही हूं तुझे डर लगता है क्या बाहर चलने में,,,।

चाची मुझे किसी से भी डर नहीं लगता सियार हो या शेर हो मुझे किसी से डर नहीं लगता,,,।

तो फिर मेरे साथ बाहर चल क्यों नहीं रहा है,,,।

लेकिन चाची पता तो होना चाहिए कि बाहर किस लिए जा रही हो और वह भी आधी रात को ऐसा कौन सा काम पड़ गया कि मुझे बाहर जाना पड़ रहा है,,,।


अब तुझे कैसे समझाऊं,,,,( वास्तव में पेशाब के बारे में सोच कर ही हलवाई की बीवी को जोरों की पेशाब भी लग चुकी थी जिसकी वजह से वह अपने पैसा आपको रुके हुए अपने पांव को इधर-उधर करके पूरे कमरे में इधर-उधर घूम रही थी वह इस तरह से अपने पैसाब को रोके हुए थी,,, और सच तो यही था कि इतनी रात को बाहर जाने में सियार की वजह से उसे भी डर लगता था,,,। हलवाई की बीवी को जो कि मन में सब कुछ करने के लिए तैयार हो चुकी थी लेकिन फिर भी वह इतनी ही थी गिरी हुई औरत नहीं थी कि कुछ भी अपने मुंह से कह दे उसे जोरो की पिशाब लगी थी और यह बताने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी बताना जरूरी था इसलिए वह शरमाते हुए बोली,,।)

रघु मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,( हलवाई की बीवी एकदम शर्मा का यह शब्द कह गई लेकिन यह शब्द सुनकर रघु की हालत खराब हो गई तौलिए में जो कि धीरे-धीरे उसका लंड शांत हो रहा था उसके मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही उसका लंड जोर से झटका मार के खड़ा हो गया ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पानी के छींटे मारकर उसे उठा दिया हो,,,। रघु का तो मन कर रहा था कि यही जमीन पर पटक कर उसके ऊपर चढ़ जाए और उसकी चुदाई कर दे एक औरत जब किसी गैर मर्द के सामने इस तरह से खुले शब्दों में पेशाब करने के लिए कहती है तो शायद उस मर्द के मन में उस औरत के चरित्र की छवि घूमने लगती है इतने से ही शायद वह मर्द अंदाजा लगा लेता है कि औरत का चरित्र कैसा होगा,,,। रघु भी समझ गया कि हलवाई की बीवी उसके लंड को देख कर देखने लगी है और वह छुड़वाना चाहती है वरना इस तरह से अपने जिस्म की नुमाइश ना करती जो कुछ भी हो इसमें रघु का ही फायदा था रघु उसके मुंह से पेशाब शब्द सुनकर एकदम सहज भाव से बोला,,,।)

ओहहहह,,, यह बात है तो चलो,,, ( रघु चलने के लिए तैयार हो गया था हलवाई की बीवी खुद लालटेन अपने हाथ में उठा ली और रघु से बोली,,,।)

रघु वह कोने में लाठी पड़ी है उसको हाथ में ले लो बाहर अगर सियार हुआ तो काम आएगा,,,।

हां यह तुम ठीक कह रही हो,,,
Beshkimti update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी वह रघु को अपनी मदमस्त गांड को नंगी करके दिखाना चाहती थी इसी बहाने वाह पेशाब भी कर लेती जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी इस तरह के कदम उठाने जा रही थी और वह भी शादी के बाद हालांकि वह शादी के पहले बहुत लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर चुदाई का आनंद लूट चुकी थी लेकिन शादी के बाद से यह उसका पहला मौका था जब वह किसी पराए मर्द के सामने तू अभी एक लड़के के सामने अपनी नंगे बदन का प्रदर्शन करने जा रही थी,, मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी रखो की भी हालत खराब थी हालांकि इससे पहले वह कहीं और तो और लड़कियों को सोच क्रिया करते हुए देख कर अपने लंड को हिला कर अपनी गर्मी शांत कर चुका था लेकिन आज उसकी जिंदगी में पहला मौका था जब वह एक औरत को बेहद करीब से पेशाब करते हुए देखने वाला था और उसके लिए मजे की बात यह थी कि उस औरत को मालूम था कि वह उसे पेशाब करते हुए देखेगा यह सब सोचकर अभी सही फिर से रघु के टावल में तंबू बन चुका था। और दरवाजा खोलने से पहले हलवाई की बीवी की नजर रघु के तंबू पर पड़ चुकी थी इसलिए तो वह ज्यादा उत्सुक थी रघु के सामने पेशाब करने के लिए वह रघु को पूरी तरह से अपनी मदमस्त जवानी के आगोश में ध्वस्त कर देना चाहती थी,,,।

रघु एक हाथ में लाठी पकड़े हुए था और दूसरे हाथ के सहारे से वह लकड़ी का बना दरवाजा खोल दिया,,, दरवाजा खेलते हैं ठंडी हवा का झोंका रघु के तन बदन से टकराया पल भर में ही रघु के बदन में शीतलता छा गई,,, बाहर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था,,, रघु लाठी लेकर पहले घर से बाहर निकला उसके पीछे पीछे हाथ में लालटेन थामें हलवाई की बीवी बाहर निकली,,,, चारों तरफ वातावरण में धूप्प सन्नाटा छाया हुआ था,,, बार-बार शियार की आवाज आ रही थी जिससे हलवाई की बीवी के मन में डर की भावना पैदा हो रही थी,,,। आधी रात के समय घर से बाहर निकलने में उसे डर भी लग रहा था लेकिन रघु को अपनी मदमस्त गोल-गोल गांड दिखाने की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी वैसे उसके पास समय काफी था तकरीबन अभी 12:00 ही बजे थे,,, हल्की हल्की चांदनी बिखरी हुई थी जिससे थोड़ा-थोड़ा सब कुछ साफ नजर आ रहा था रघु घर से बाहर निकल कर पांच कदम ही आगे चला होगा कि उसे सामने से दो सियार उसी की तरह पाता हुआ नजर आए हलवाई की बीवी की नजर उस पर पड़ते ही वह एकदम से घबरा गए और रघु को आगाह करते हुए बोली,,,।

रघु वह देख सियार अपनी तरफ ही आ रहे हैं,,,।
( रघु की नजर पहले से ही उन सियारों पर पड़ चुकी थी इसलिए वह एकदम सतर्क हो चुका था,,, वह हलवाई की बीवी को दिलासा देते हुए बोला,,।)

तुम घबराओ मत चाची मेरे होते हुए यह लोग कुछ नहीं कर पाएंगे,,,।
( और ऐसा ही हुआ रखो बिना डरे लाठी को जोर-जोर से जमीन पर पटक ते हुए उन सियार की तरफ बढ़ने लगा तो वह सियार रघु की हिम्मत और उसके हाथ में लंबे लाठी को देखकर वहां से दुम दबाकर भाग गए,,,। हलवाई की बीवी रघु की हिम्मत पर एकदम से उसकी कायल हो गई रघु की हिम्मत देखकर उसे बहुत अच्छा लगा,,, और इस हिम्मत को देखते हुए वह पूरी तरह से रघु के प्रति आकर्षित हो गई और उसी से संभोग करने की तीव्र इच्छा उसके मन में जागने लगी,,, लेकिन वह अपने मन में यही सोच रही थी की पहल करना उचित नहीं है,,, रखो उसी तरह से सिर्फ अपने बदन पर टावल लपेटे दस पंद्रह कदम और आगे बढ़ गया,,, एक तरह से सियारों को खदेड़ चुका था,,, वहां से वापस लौटते समय हलवाई की बीवी उसे बड़े गौर से देख रही थी गांव का एक दम बांका जवान था हट्टा कट्टा बलिष्ठ भुजाओं वाला जो कि समय और भी ज्यादा आकर्षक लग रहा था रघु की चौड़ी छाती को देखकर उसकी डेढ़ इंच की बुर पसीजने लगी,,, रघु हाथ में लाठी लिए हलवाई की बीवी के एकदम करीब पहुंच गया,,, हलवाई की बीवी की सांसो की गति बहुत तेज चल रही थी अपने बेहद करीब रघु को खड़ा देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,। हलवाई की बीवी से कुछ कहा नहीं जा रहा था तो रघु ही उससे बोला,,,,।

चाची अब डरो मत सियार भाग गया है,,, वैसे कहां करोगी पेशाब,,,।
( एक बांके नौजवान को उससे इस तरह से पेशाब करने के बारे में पूछ कर हलवाई की बीवी की हालत खराब होने लगी बुर से मदन रस की दो बूंदे अपने आप चु गई,,, वह अपने तन बदन में बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,। उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी वह बार-बार अपनी पेशाब के प्रेशर को रोकने के लिए इधर-उधर पैर पटक रही थी जो कि उसकी यह हरकत रघु की आंखों से बच नहीं सकी वह समझ गया था कि उसको बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई है अगर वह कुछ देर और यहीं खड़ी रही तो शायद वह यही मुत देगी। इसलिए रघु एक बार फिर से बेशर्म बनते हुए बोला,,।)

कहां मुतोंगी चाची,,,,( इतना शब्द कहते हुए रघु के तन बदन में उत्तेजना का तूफान उमड रहा था उसके तन बदन में आग लग रही थी, इससे पहले उसने कभी भी किसी औरत से इस तरह की बातें नहीं की थी इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,। हलवाई की बीवी भी एकदम मस्त हो गई थी रघु के मुंह से इस तरह की बात सुनकर क्योंकि आज तक उसके पति ने भी उसे इस तरह से कभी भी नहीं पूछा था बल्कि उसका पति तो आधी रात को गहरी नींद में खर्राटे भरता रहता था और कभी कबार जब उसे पेशाब लगती थी तो वह उसे जगाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी लेकिन वह जागता ही नहीं था तो उसे अकेले ही डर के मारे घर से बाहर निकलना पड़ता था और दो ही कदम पर वह बैठकर मुतने लगती थी,,,। लेकिन रघु उसके पति से बिल्कुल अलग था एकदम बांका नौजवान हट्टा कट्टा शरीर और जैसा शरीर वैसा ही सोच वरना इस तरह से कोई सियार के जोड़े के आगे हिम्मत दिखाते हुए जाता है क्या,,,, हलवाई की बीवी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें रघु के आकर्षण में इस कदर बंध चुकी थी कि उसे ही ताके जा रही थी,,। हलवाई की बीवी की हालत को देखकर रघु की हिम्मत बढ़ती जा रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतनी तेज गति से हो रहा था कि मानो अभी उसका लंड फट जाएगा,,, हलवाई की बीवी उसकी सवाल का जवाब बिल्कुल भी नहीं दे रही थी तो एक बार फिर से वह उसका हाथ हौले से पकड़ते हुए बोला,,,।

चाची मुतना है तो जल्दी से मुत लो तुम्हारी हालत देखकर ऐसा लग रहा है कि कुछ देर और रुको गी तो साड़ी में ही मुत दोगी,,,

अं,,,हहहहममम,,,,,( जैसे किसी ने उसे नींद से जगाया हो इस तरह से सकपका गई,,,)

वैसे चाची मुंतोगी कहां,,,,( रघु एकदम मादक स्वर में बोला)


वहां,,,,( हलवाई की बीवी उंगली के इशारे से वह स्थान दिखाएं जहां पर उसे पेशाब करना था जो कि 15 कदम की ही दूरी पर था जहां पर लंबी-लंबी ढेर सारी जंगली घास भी हुई थी)

वहां से अच्छा है कि यहीं बैठ कर मुत लो इतनी दूर जाने की जरूरत क्या है यहां कौन सा कोई देखने वाला है,,,,,

नहीं मुझे शर्म आती है वैसे भी तू तो है ना देखने वाला,,,

मैं तो देखूंगा ही ना चाची तुमसे नजर हटाना नहीं है,, कहीं फिर सियार आ गया तो,,,( रघु मुस्कुराते हुए बोला उसकी मुस्कुराहट में वासना साफ नजर आ रही थी लेकिन हलवाई की बीवी को भी रघु की यह बात बहुत अच्छी लगी थी हलवाई की बीवी के लिए पहला मौका था जब वह अपने आप को पेशाब करते हुए किसी गैर मर्द को दिखाने जा रही थी इस वजह से उसके तन बदन में भी अद्भुत हलचल मची हुई थी जिसका अनुभव आज तक उसने अपने बदन में नहीं की थी,,,)

हां तू सच कह रहा है मुझे सियार से बहुत डर लगता है,,, मैं तेरे भरोसे ही वहां जा रही हूं पेशाब करने,,, एक काम कर तू भी वहां चल बस थोड़ा सा दूरी बना कर खड़े रहना मुझे बहुत डर लगता है कहीं सियार आ गया तो मैं तो डर के मारे ही बेहोश हो जाऊंगी,,,( हलवाई की बीवी के तन बदन में भी हलचल मची हुई थी वह बेहद नजदीक से रघु को अपनी मदमस्त गोलाकार गांड के दर्शन कराना चाहती थी,,, वह आज की रात जा या नहीं होने देना चाहती थी वह इस रात की तन्हाई का अकेलेपन का रघु के साथ भरपूर आनंद उठाना चाहती थी,,, हलवाई की बीवी की बातें सुनकर रघु भी बेहद उत्सुक हो गया उसकी गांड को बेहद करीब से देखने के लिए इसलिए वह बोला,,,।)

ठीक है चाची तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तुम्हारा साया बनकर तुम्हारे साथ साथ चलूंगा,,,

ले तू यह लालटेन पकड़ ,,,(हलवाई की बीवी रघु को लालटेन पकड़ा कर आगे आगे चलने लगी,, रघु हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गगराई मदमस्त गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,, उसकी हिलती हुई गांड रघु के तन बदन में हलचल पैदा कर रही थी,,,। हवा में दाएं बाएं लहराती हुई उसकी बड़ी बड़ी गांड रघु के कलेजे पर छुरियां चला रही थी,,,। प्रभु के मन में हो रहा था कि वह पीछे से जाकर अपनी खड़े लंड को हलवाई की बीवी की गांड पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दें,,, लेकिन ना जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी भले ही वह उससे खुलकर बातें कर रहा था लेकिन उसके साथ कुछ खुलकर करने की हिम्मत अभी उसके में नहीं थी,,, जंगली झाड़ियों के बेहद करीब पहुंच कर हलवाई की बीवी रुक गई,,, उसके तीन चार कदम पीछे ही रघु लालटेन लेकर खड़ा हो गया हलवाई की बीवी की पीठ ठीक उसके सामने थी,,,।
दोनों की सांसें बड़ी तेज चल रही थी क्योंकि दोनों को पता था कि अब क्या होने वाला है,,। उत्तेजना के मारे बार-बार रघु अपने लंड को अपने हाथ से दबा दे रहा था और हलवाई की बीवी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकी बुर से पेशाब की जगह नमकीन रस बह रहा था,,।
हलवाई की बीवी कोई अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी ताकि आगे चलकर उसकी बदनामी ना हो वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी कि कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के लिए हलवाई की बीवी अपने मन को तसल्ली दे रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा और सन्नाटा की छाया हुआ था तसल्ली कर लेने के बाद हलवाई की बीवी धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी यह जानते हुए भी कि उसके ठीक पीछे एक गैर जवान लड़का खड़ा है लेकिन फिर भी वह उसके आंखों के सामने ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और यह तसल्ली करने के लिए कि वह उसे देख रहा है कि नहीं एक बार अपनी नजर को पीछे करके उसकी तरफ देखने लगी और उसे अपने आपको ही देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में उत्तेजना की नहर दौड़ने लगी,,, बेहद अद्भुत और उन्माद से भरा हुआ यह पल दोनों के लिए बेहद अतुल्य था जिंदगी में दोनों पहली बार इस तरह के संजोग से गुजर रहे थे,,,

जैसे-जैसे हलवाई की बीवी अपनी साड़ी को ऊपर उठाती जा रही थी वैसे वैसे रघु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, साड़ी नुमा पर्दे के पीछे क्या छुपा है यह रघु अच्छी तरह से जानता था,,, और हलवाई की बीवी भी इस बात से बिल्कुल भी अनजान नहीं थी कि साड़ी उठा देने के बाद उसका बेहद अनमोल अंक पत्र लिखा जाना एक गैर लड़के के सामने प्रदर्शित हो जाने वाला था लेकिन इस बात की चिंता उसे बिल्कुल भी नहीं थी वह अपने बेहद कोमल और हसीन और भी को दिखाकर रघु को अपने बस में करना चाहती थी,,,,

आज दोनों तेरा बराबर लगी हुई थी दोनों की उत्सुकता और कामुकता पल-पल बढ़ती जा रही थी रघु के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था,,, लंड मचल रहा था तौलिए से बाहर आने के लिए और मचलता भी क्यों नहीं आखिरकार उसकी मंजिल जो उसकी आंखों के सामने थी,,, देखते ही देखते बेशर्म ओं की तरह हलवाई की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी रघु की आंखों के सामने जो नजारा प्रदर्शित हुआ उसे देखकर रघु के तन बदन में मदहोशी छाने लगी आंखों में 4 बोतलों का नशा उतर आया जिंदगी में उसने कभी भी इतनी बड़ी मदमस्त गोरी गोरी और चिकनी गांड नहीं देखा था,,, अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की नंगी गांड देखने के बाद उसे इस बात का आभास हुआ की वास्तव में हलवाई की बीवी की गांड बहुत ज्यादा बड़ी है और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखते ही उसकी इच्छा करने लगी कि पीछे से जाकर उसकी गांड में पूरा लंड पेल दे जोकि रघु की तरफ से इस तरह की किसी भी हरकत के लिए हलवाई की बीवी अपने आप को पूरी तरह से तैयार किए हुए थी,, रघु को हलवाई की विधि का पूरा वजूद उसका कमर के नीचे का नंगा बदन संपूर्ण रूप से एकदम साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी मन की तसल्ली के लिए वह अपने हाथ में लिए हुए लालटेन को थोड़ा सा आगे करके और अच्छी तरह से उसे देखना चाहता था जो कि उसे सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था और यह बात हलवाई की बीवी भी अच्छी तरह से जानती थी। और हलवाई की बीवी भी तो यही चाहती थी जैसा वह चाह रही थी वैसा ही हो रहा था रघु की आंखों के सामने वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाए अपनी नंगी गांड को रघु को दिखा रही थी और रघु उसकी नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना में सरोबोर हुआ जा रहा था,,,,
यह नजारा बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, हलवाई की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि शादी के बाद से वहां जिस अंग को साड़ी के अंदर छुपा कर दुनिया की नजरों से बचाए हुए थे आज उसी हमको को वह एक नौजवान लड़के के सामने खोल कर खड़ी होगी,,,।

उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता जा रहा था उसका लंड एकदम तन कर तंबू हुआ था हलवाई की बीवी एक बार फिर से पीछे नजर घुमाकर देखी तो रघु पागलों की तरह उसकी नंगी गांड को भी देख रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी बहुत प्रसन्न हुई उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए वह साड़ी को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वही झाड़ियों के बीच में बैठ गई,,,

आआहहहरह,,, क्या नजारा है,,, कसम से थोड़ा सा इशारा कर दी तो पीछे से जाकर इसकी गांड में पूरा लंड डाल दु,,

( हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड देखते होंगे रघु गरम आहें भर कर अपने मन में ही बातें करते हुए बोला,,, कुछ ही सेकंड में उसके कानों में हलवाई की बीवी के बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज गूंजने लगी और वह उस पेशाब करने की मधुर आवाज को सुनकर एकदम से काम भीबोर हो गया,,,, ऐसा लग रहा था मानो इससे मधुर संगीत उसने जिंदगी में कभी भी अपने कानों से नहीं सुना हो,,, लगातार रघु गरम आहें भर रहा था उसकी आंखों के सामने इस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत बैठकर मूत रही थी,,,, बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से हलवाई की बीवी हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी तोप से कम नहीं लग रही थी जो कि किसी भी दुश्मन के वजूद को मिटाने में सक्षम थी और इस समय हलवाई की बीवी की उठी हुई तो रघु को पूरी तरह से ध्वस्त कर रही थी,,,। हलवाई की बीवी के समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। हलवाई की बीवी की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ खेले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,। रघु के सामने इस तरह से इतनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुतने में हलवाई की बीवी को अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था,,।
Super update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर बैठकर हलवाई की बीवी मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, वैसे भी गांव में और से या कहीं भी ऐसा ही स्थान ढूंढती है जहां पर कोना हो या बड़े-बड़े पेड़ या जंगली झाड़ियां,,, लेकिन यहां पर हलवाई की बीवी के पास छुपाने के लायक कुछ भी नहीं बचा था,,, अपनी जलेबी जैसी गोल-गोल और समोसे जैसी फूली हुई गांड दिखाकर वह रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी ला दी थी,,, इस उम्र में भी हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी देख कर रघु पूरी तरह से घुटने टेक दिया था लेकिन जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए उसके हौसले बुलंद हुए जा रहे थे क्योंकि इस तरह की कामुकता भरी जवानी को देखकर अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था वरना किसी और का होता तो अब तक पानी फेंक दिया होता या फिर वह अपने आप पर सब्र ना रखते हुए अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी शांत कर लिया होता लेकिन रघु था कि अभी भी डरा हुआ हाथ में लालटेन लिए हुए वह हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से चख रहा था,,,, हलवाई की बीवी लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,, उत्तेजना और उन्माद उसके बदन पर भी पूरी तरह से हावी हो चुका था रघु के आंखों के सामने अपनी बड़ी-बड़ी गांड को दिखाते हुए मुतने में उसे अब बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि अब उसे यह सब करने में आनंद आ रहा था। रघु के होते हुए उसे आधी रात के समय इस तरह से बाहर बैठकर मुतने में जरा भी डर का अनुभव नहीं हो रहा था,,, वैसे भी वह कुछ देर पहले ही रघु के पराक्रम को देख चुकी थी उसे विश्वास था कि रघु कैसी भी परिस्थिति में उसकी रक्षा कर सकता है,,,। हालांकि अभी भी दूर-दूर से सियार के चिल्लाने की आवाज आ रही थी कोई और समय होता तो शायद हलवाई की बीवी इतनी देर तक घर से बाहर ना रूकती और ना ही इतनी दूर आकर पेशाब करती लेकिन हालात और माहौल बिल्कुल बदले हुए थे हलवाई की बीवी के मन में अपनी मदमस्त कर दिखाने की उत्सुकता और आज की रात कुछ कर गुजरने की चाह उसे यहां तक ले कर आई थी,,,,

धीरे-धीरे करके हलवाई की बीवी की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी भर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी और उठते समय अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,, हलवाई की बीवी खड़ी हो गई लेकिन अभी भी वह अपनी कमर पर साड़ी को अपने दोनों हाथ से पकड़ी हुई थी वह आखिरी पल तक अपनी मदमस्त गांड का जलवा रघु को दिखा देना चाहती थी,,, अपनी तसल्ली के लिए एक बार फिर से हलवाई की बीवी पीछे नजर करके रखो की तरफ देखी तो वह एकदम से प्रसन्न हो गई क्योंकि अभी भी रघु पागलों की तरह हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में लाठी लिए उसकी बड़ी-बड़ी गांड को ही घूर रहा था,,, और उसके दर्शन करते हुए उसके लंड महाराज की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि वह अपनी जगह से पूरी तरह से खड़ा होकर टॉवल से बाहर आने के लिए मशक्कत कर रहा था,,। हलवाई की बीवी रघु की आंखों में देखते हुए अपनी साड़ी को कमर के ऊपर से ही नीचे छोड़ दी और रघु के देखने लायक मनमोहक दृश्य पर पर्दा पड़ गया,,।

अब चलो रघु,,,, मेरा हो गया है,,,।

तुम्हारा तो हो गया लेकिन मुझे लग गई है,,,।
( अत्यधिक उत्तेजना और उन्मादकता के कारण रघु को भी बहुत जोरों की पेशाब लग गई थी,,।)

तो तू भी मुत ले,,,,।

यह लो चाची लालटेन और लाठी पकड़ो,,,
( इतना कहकर रघु ठीक उसकी आंखों के सामने दो कदम जाकर खड़ा ही हुआ था कि उसकी कमर पर बंधा टॉवल अपने आप छूट कर नीचे गिर गया,,, पल भर में ही रघुवर भाई की बीवी की आंखों के सामने पूरा नंगा हो गया उसका मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, जिसको देखते ही हलवाई की बीवी आश्चर्य से दांतो तले उंगली दबा ली,,,, रघु इस तरह से जता रहा था कि उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई है और वह नीचे झुककर टॉवल उठा नहीं सकता,,, और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,, हलवाई की बीवी तो उसे देखती ही रह गई जिंदगी में पहली बार इतने मोटे खड़े लंबे लंड को जो देख रही थी,,,, और उसमें से निकलती हुई बहुत जोरों की पेशाब की धार उस धार को देखकर हलवाई की बीवी को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,। बड़ा ही मनमोहक उत्तेजक नजारा था जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी किसी मर्द को इस तरह से अपने बेहद करीब खड़ा होकर पेशाब करते हुए देख रही थी पर यह नजारा देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना कि वह आग लग रही थी जिसे बुझाने के लिए शायद रघु के लंड से निकला हुआ गरम लावा ही शांत कर सकता था,,,। रघु जानबूझकर हलवाई की बीवी की आंखों के सामने ही अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाते हुए पेशाब कर रहा था,,,। और यह नजारा हलवाई की बीवी के पूरे वजूद को अंदर से पिघला रहा था। जिस तरह से गर्माहट पाकर आइसक्रीम पिघलती है उसी तरह से अपनी आंखों के सामने गरमा-गरम दृश्य देखकर महीनों से इकट्ठा हुआ हलवाई की बीवी की बुर से मदन रस निकल कर बाहर आ रहा था,,,। रघु भी मदहोशी के आलम में बेशर्म की तरह हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर मूत रहा था,,,। देखते-देखते हलवाई की बीवी की आंखों के सामने रघु अपनी पेशाब क्रिया को संपूर्ण रूप से खत्म किया और बड़े आराम से नीचे झुक कर अपनी टावल को ऊपर उठाकर कमर पर लपेटते हुए बोला,,,।

बाप रे इतनी जोर की पेशाब लगी हुई थी कि टावल उठाने का भी समय नहीं था,,,,
इतना कहकर वह खुद ही हलवाई की बीवी के हाथों में से लालटेन और लाठी दोनों ले लिया और आगे हलवाई की बीवी को चलने के लिए कहा,,,, हलवाई की बीवी रघु की गरमा गरम हरकत और उसके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है लेकिन उसे एक बात समझ में जरूर आ रहा था कि आज की रात जरूर खास है,,,, वह बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगी,,, रुको फिर से हलवाई की बीवी की मटकती हुई गांड को देखने लगा,,,। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था कि ऐसे में पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे लेकिन गांव के बाहर हलवाई की दुकान पर उसकी बीवी और रघु दोनों जाग रहे थे जाग रहे थे क्या दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर भाग चुकी थी,,,।
दरवाजे पर पहुंचकर रखो लालटेन को हलवाई की बीवी के हाथों में थमा ते हुए बोला,,,।

चाची तुम अंदर जाकर आराम से सो जाओ और बिल्कुल भी चिंता मत करना मैं यहीं पर सो जाऊंगा,,,।

( रघु की ऐसी बातें सुनकर हलवाई की बीवी एकदम व्याकुल हो गई उसके चेहरे पर चिंताओं की लकीरे अपना जाला बनाने लगी,,, क्योंकि वह अपने मन में कुछ और सोच कर रखी थी और रघु की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसका सोचा हुआ नहीं हो पाएगा इसलिए वह बेचैन हो गई थी और बेचैनी भरे स्वर में वह रघु से बोली,,,।)

नहीं नहीं रघु यहां कैसे सो पाओगे फिर से सियार लोगों का झुंड आ जाएगा,,,।

तुम चिंता मत करो चाची मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगता और आ जाएंगे तो क्या हुआ मेरे पास यह लाठी जो है अगर हाथ में लाठी हो तो सियार तुम्हारे पास भटक भी नहीं सकते,,,,( रघु जानबूझकर बाहर सोने की बात कर रहा था वह देखना चाहता था कि हलवाई की बीवी क्या करती है क्योंकि वह भी एक जवान लड़का था और पूरे गांव भर में घूम कर यही सब बातों पर ध्यान दिया करता था औरतों और लड़कियों के नंगे बदन को मौका मिलते ही देखकर आंखें भर ना यही उसका दिन भर का काम था और यहां तो हलवाई की बीवी जिस तरह से बिना शर्माए उसे अपनी मदमस्त गांड के दर्शन कर आई थी और उसकी आंखों के सामने ही बेशर्म बन कर बैठ कर बुर से मधुर सीटी की आवाज निकालते हुए मुत रही थी उसे देखते हुए रघु इतना तो समझ ही गया था कि इस औरत के मन में कुछ और चल रहा है,,, हलवाई की बीवी की हरकतों को देख कर उसे अंदाजा लग गया था कि आज की रात उसके लिए बेहद खास है अगर आज का मौका वहां से से जाने देगा तो ना जाने ऐसा मौका उसके हाथ कब लगेगा और वैसे भी वह दिन रात बस चुदाई के सपने देखा करता था इसलिए इस तरह का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था बस हलवाई की बीवी की व्याकुलता और उसकी बेचैनी देखना चाहता था,,, और उसे इस समय हलवाई की बीवी के चेहरे व्याकुलता साफ नजर आ रही थी,,,। रघु उसी बड़े पत्थर पर बैठकर हलवाई की बीवी को अंदर जाने के लिए बोल रहा था हालांकि वह खुद हलवाई की बीवी के साथ अंदर जाकर उसके खूबसूरत भारी भरकम बदन के साथ मटरगश्ती करना चाहता था,,,। रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी बोली,,,।)

चल बड़ा आया हिम्मतवाला मैं जानती हूं तुझ में कितनी हिम्मत है लेकिन यहां सोएगा तो तुझे रात भर मच्छर नहीं सोने देंगे,,,, ( हलवाई की बीवी इतना कह रही थी कि तभी थोड़ी दूर पर सियार का झुंड जोर जोर से चिल्लाने लगा जो कि साफ नजर आ रहा था तो हलवाई की बीवी उस तरफ इशारा करते हुए बोली,,,।) देख ले अगर वह लोग तेरे पास आएंगे भी नहीं तो भी वह इस तरह से चिल्ला चिल्ला कर तुझे सोने नहीं देंगे इसलिए कहती हूं चल अंदर चल वैसे भी मुझे डर लग रहा है,,, आज तेरे चाचा घर पर नहीं है इसलिए कह रही हूं,,,।

( रघु अपने मन में सोचा कि ज्यादा भाव खाना अच्छी बात नहीं है कहीं ऐसा ना हो कि सच में हलवाई की बीवी घर में चली जाए और गुस्से में दरवाजा बंद कर ले और खोले ही नहीं तो उसके भी सारे अरमान हवा में फुर्र हो जाएंगे,, जो कुछ भी वहां अपने मन में सोच रहा है वह मन में ही रह जाएगा इसलिए वह हलवाई की बीवी की बात मानते हुए पत्थर पर से खड़ा होते हुए बोला,,,।)

ठीक है चाची तुम कहती हो तो,,, मैं भी तुम्हारे साथ अंदर चलता हूं,,,( इतना कहकर वह पास में रखे हुए लाठी को फिर से उठा लिया और पत्थर पर से खड़ा हो गया रघु को अंदर चलते हुए देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई उससे ज्यादा उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में ज्यादा प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे जिसमें से मदन रस के दो-चार बुंदे तुरंत टपक गई,,,। अगले ही पल दोनो घर के अंदर हलवाई की बीवी खुद दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दी और लालटेन को वही ऊपर लकड़ी में लगी खिल्ली में टांग दी,,,। लालटेन को वह ऐसी जगह टांग कर रखी थी जहां से पूरे कमरे में उसका उजाला फेल रहा था,,,,

लेकिन चाची में कहां सोऊंगा यहां तो बस एक ही खटिया है,,,,।

मेरे साथ एक ही खटिया पे,,( हलवाई की बीवी की बात सुन कर वह एकदम से दंग रह गया,,।)
Sunder update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
एक ही खटिया पर सोने की बात सुनकर रघु के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी आज तक उसने कभी भी किसी औरत के साथ एक ही खटिया पर नहीं सोया था और आज किस्मत उस पर पूरी तरह से मेहरबान थी,,, कहते हैं ना जब भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है तो 10 दरवाजे खोल भी देता है कुछ वैसा ही रघु के साथ हो रहा था रघु तो सिर्फ अपनी मां को झाड़ियों के बीच बैठकर पेशाब करते हुए देख रहा था और जिसकी वजह से उसकी मां उसे काफी डांट फटकार कर भगा दी थी उसी के एवज में हलवाई की बीवी उसे अपने खूबसूरत बदन का हर एक अंग बड़े अच्छे से दिखा दे रही थी। हलवाई की बीवी की संगत में उसे इस बात का एहसास होने लगा कि दुनिया में असली सूट औरत ही दे सकती है बाकी कोई नहीं,,, जिस तरह से हलवाई की बीवी उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए घनी झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी,,, रघु यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी उसके साथ होगा कि कोई औरत जानबूझकर उसे अपनी मस्त बड़ी बड़ी गांड दिखाएगी और उसकी आंखों के सामने पेशाब करेगी जबकि गांव की कोई भी औरत यह नहीं चाहती कि उसे सोच क्रिया करते हुए कोई देखें भले ही वह उसका पति या प्रेमी क्यों ना हो,,, और मर्दों की ख्वाहिश हमेशा से यही रहती है कि कहीं ना कहीं उसे पेशाब करते हुए औरत दिखाई दे दे ताकि वह उसकी बड़ी-बड़ी मदमस्त गोरी गांड को देखकर अपने मन को शांत कर सके,,, और इस मामले में रघु कि किस्मत बड़ी तेज थी,,,

रघु के कानो ने अभी-अभी ही एक ही खटिया पर दोनों के सोने की बात सुनकर ऐसा महसूस किया था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया हो उसके तुरंत बाद जैसे ही उसकी नजर कोने में खड़ी हलवाई की बीवी कर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह अपनी साड़ी अपनी कमर पर से छुड़ा रही थी,,,, उसकी बेहतरीन खूबसूरत पहाड़ी नुमा भारी भरकम छातियां बेपर्दा हो चुकी थी,,। अब तक रघु हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी के दर्शन उसके नितंबों को देखकर ही किया था उसकी भारी-भरकम विशालकाय छातियों पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी हालांकि इससे पहले वह दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर मस्त हो चुका था लेकिन पहली बार ही वह उसे खुले तौर पर देख रहा था,,,,,,,,। हलवाई की बीवी अपनी साड़ी उतार रही थी और रघु उसकी तरफ एकदम मदहोशी भरी निगाहों से देख रहा था छोटे से बलाउज में हलवाई की बीवी की भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूची सामा नहीं पा रही थी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज का बटन दोनों चुचियों के भार से से अभी का अभी टूट जाएगा,,,। हलवाई की बीवी रघु से नजरें बचाकर पहले से ही अपने ब्लाउज के दो बटन को खोल चुकी थी जिससे उसकी आधी चूचियां कमरे के माहौल को और भी ज्यादा नशीली बना रही थी। रघु तो हलवाई की बीवी की मदमस्त मस्त जवानी के नशे में पूरी तरह से बहकने लगा था।

भाई की बीवी अपनी साड़ी उतार चुकी थी और उसे रस्सी पर डालते हुए बोली,,,

आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है रघु,,,।

हां चाची मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,। ( हलवाई की बीवी की नशीली जवानी देख कर रघु का पूरा वजूद गरमा चुका था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह की हरकत अपनी जिंदगी में पहली बार ही कर रही थी वह भी कभी सपने में नहीं सोचा थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा कौन आएगा कि वह अपने ही घर में किसी गैर जवान लड़के को शरण देकर उसके साथ संभोग सुख भोगने की कल्पना या ख्वाब देखे गी,,, और उसका यह ख्वाब हकीकत में बदलने वाला था,,, लेकिन इसके लिए अभी समय बाकी था लोहा धीरे-धीरे गरम हो रहा था बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,, हलवाई की बीवी भी चोर नजरों से रघु की तरफ देख ले रही थी जब जब उसकी नजर उसके उठे हुए टॉवल पर जाती तब तक उसके बदन में हलचल सी होने लगती थी।

हलवाई की बीवी एक नई रोमांस के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी जिंदगी में पहली बार शादी के बाद वह अपने पति के साथ धोखा करने जा रही थी पति के घर पर ना होने का पूरा फायदा उठाना चाहती थी,,,। यह सब उसके मन में रघु से मिली तब तक नहीं था लेकिन धीरे-धीरे रघु के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी और इतनी ज्यादा आकर्षित हो गई कि उसके साथ संभोग सुख भोगने के लिए अपने आपको तैयार कर ली,,,। पेटीकोट और ब्लाउज में हलवाई की बीवी एकदम क़यामत लग रही थी अपनी भारी-भरकम शरीर और बड़े बड़े दूध और तरबूज जैसे गोल-गोल नितंबों की वजह से उसमें एक अजीब प्रकार का आकर्षण था जिसके आकर्षण में रघु पूरी तरह से अपने आप को खोता हुआ महसूस कर रहा था,,,।
लालटेन की पीली रोशनी में पूरा कमरा नहाया हुआ था वैसे तो सोते समय हलवाई की बीवी लालटेन की लौ को एकदम कम कर देती थी ताकि कमरे में अंधेरा हो जाए क्योंकि उजाले में उसे नींद नहीं आती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी वह आज लालटेन को अपनी पूरी लौ के साथ जला रही थी,,, आज की रात में कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहती थी अपना हर एक अंग खुलकर और खोलकर रघु को दिखा देना चाहती थी जिसकी शुरुआत वह अपनी साड़ी को उतारकर और अपनी ब्लाउज के दो बटन खोल कर कर चुकी थी,,,। रघु की आंखों के सामने साड़ी उठाकर नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करना तो पेशाब करने की औपचारिकता थी लेकिन ब्लाउज के दो बटन खोल कर और साड़ी उतार कर चुदाई के लिए वह धीरे-धीरे अपने आप को आगे बढ़ा रही थी,,,,,

दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों के दोनों जल्दी से खटिया पर जाना चाहते थे जिसकी शुरुआत हलवाई की बीवी आगे बढ़कर कि वह जाकर सीधा खटिया पर लेट गई वह पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी भरावदार उन्नत छातियां एकदम ऊपर की तरफ मुंह उठाए ब्लाउज में कैद थी,,, उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी बहुत ही गहरी गहरी सांस ले रही थी और बड़ी ही मादक नजरों से रघु की तरफ देख रही थी,,,, उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना है वह अनुभवहीन था लेकिन मन में जिज्ञासा भरी हुई थी औरतों के अंगों से खेलने की कल्पना ने उसे अपने आप में ही प्रचुर मात्रा में अनुभव से भर दिया था वह प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को नजर भर कर देख रहा था उसकी उठती बैठती सांसो के साथ उसकी भारी-भरकम चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे रघु का कलेजा उत्तेजना के मारे मुंह को आ रहा था,,,। हलवाई की बीवी बेहद उत्सुक थी वह चाहती थी कि जल्द से जल्द आ रहा हूं उसके पास खटिया पर आ कर लेट जाए शादी के बाद से पहली बार वह किसी पराए मर्द के साथ लेटने जा रही थी,,,

आ जाओ रघु वहां क्यों खड़े हो,,,,( हलवाई की बीवी एकदम बाद अक्सर में बोलते हुए धीरे से अपनी एक काम को घुटनों से मोड़कर खड़ा कर दी जिससे उसकी पेटीकोट एकदम से उसकी नशीली चमकीली मोटी मोटी जांघों से होती हुई सीधे उसकी कमर पर जा गिरी पल भर में ही रहोगी आंखों के सामने हलवाई की बीवी की मोटी मोटी चिकनी नंगी जागे नजर आने लगी पृथ्वी को समझते देर नहीं लगी कि यह हरकत हलवाई की बीवी जानबूझकर की थी,,,,। रघु तो एकदम से होश खो बैठे उसकी इस हरकत की वजह से वह पूरा मदहोश हो चुका था आंखों में 4 बोतलों का नशा नजर आ रहा था वह तुरंत आगे बढ़ा और सीधा जाकर खटिया पर बैठ गया,,,,, जैसे ही रखो हलवाई की बीवी के बेहद करीब खटिया पर बैठा दोनों का बदन आपस में एकदम स्पर्श होने लगा दोनों के तन बदन में आग लग गई दोनों के मुंह से हल्की सी गर्म सिसकारी फूट पड़ी दोनों काम उत्तेजना के चरम सीमा पर पहुंच चुके थे जहां से वापस लौटना दोनों के लिए नामुमकिन था,,,,।

एक जवान मर्द को अपने बेहद करीब एक ही खटिया पर बैठे होने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में मस्ती की लहर उठ रही थी वह इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह बेशर्म की तरह अपनी नंगी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फेरते हुए रघु से बोली,,,।

बैठा क्यों है आजा लेट जा,,,,।

रघु बिना कुछ बोले खटिया पर लेट गया खटिया इतनी छोटी थी कि दोनों का बदन आपस में स्पर्श होने लगा,,, दोनों के बदन में पल भर में उत्तेजना भरी गर्माहट फैलने लगी,,,।
दोनों की सांसे उत्तेजना के मारे धुकनी की तरह चल रही थी,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था पहली बार बार किसी औरत के सामने एकदम सट कर लेटा हुआ था,,,। बार बार उसका गला सूखता चला जा रहा था और वह बार-बार धूप से अपने गले को गिला करने की नाकाम कोशिश कर रहा था तेज चलती सांसो की वजह से वह सहज नहीं हो पा रहा था और इस बात को अनुभवी हलवाई की बीवी समझ गई थी वह धीरे से रघु की तरफ करवट लेते हुए एक हाथ रघु की छातियों पर रखकर बोली,,,।

क्या हुआ रखो तुम्हें मेरे साथ सोने में अच्छा नहीं लग रहा है,,,।
( हलवाई की की बीवी के द्वारा धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को परी नंगी चौड़ी छाती ऊपर महसूस करके रघु पागल हुआ जा रहा था वह सीधे पीठ के बल लेटा हुआ था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से टॉवल में खड़ा था उसका मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया था,,, अपनी तरफ करवट लेने की वजह से रघु को उसकी मोटी चिकनी जांगे बेहद मोटी लग रही थी,,, वह हड बढ़ाते हुए जवाब दीया,,,।)

चचचच ,,, चाची मुझे तुम्हारे साथ सोने में अच्छा तो बहुत लग रहा है लेकिन डर भी लग रहा है,,,।

डर कैसा मैं तुझे खा जाने वाली नहीं हूं,,,।
( रघु पूरे गांव में आवारा लड़कों के साथ ही घूमता था इसलिए उसे आवारागर्दी अच्छी तरह से मालूम थी और वह औरतों के मन में चल रहे भाव से अच्छी तरह से वाकिफ था वह हलवाई की बीवी के मन में क्या चल रहा है यह भी समझ गया था लेकिन यह उसका पहली बार था इसलिए घबराहट हो रही थी लेकिन जिस तरह से हलवाई की बीवी एकदम सहज भाव से उसे बातें कर रही थी और सब कुछ धीरे-धीरे खोल दी चली जा रही थी उसे देखते हुए रघु अपने आप से ही बातें करते हुए बोला यह क्या कर रहा है रघु यही सब तो तू चाहता था औरतों के साथ मस्ती करने की कल्पना में ही दिन रात खोया रहता था जब मौका ढूंढता था तब मौका तुझे नहीं मिलता था आज अपने आप से मौका मिल रहा है तो जो आंख क्यों चुरा रहा है कर दे जो तेरे मन में है हलवाई की बीवी पकवान से भरी हुई थाली है और उसे देखकर अगर मुंह चुरायेगा तो तो कभी भी अपना पेट नहीं भर पाएगा आज नहीं तो कभी नहीं,,,। यही सब सोचते हुए पल भर में ही रघु ने यह निर्णय कर लिया कि आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ है उसे देखते हुए अगर आज वह हलवाई की बीवी को चोद नहीं पाया तो वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए वह मन में ठान लिया था कि आज की रात जमकर हलवाई की बीवी को चोदेगा और चुदाई के अध्याय में अपना खाता खोलेगा,,,। यही सोचकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

मुझे तुमसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता चाची,,,

फिर किस से डर लगता है,,,

तुम्हारी( इतना कहने के साथ ही रघु अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर हलवाई की बीवी की मोटे मोटे पेट के नीचे अपनी हथेली ले जाते हुए सीधा अपनी हथेली को उसकी गरम-गरम बुर पर रखते हुए उसे हल्के से दबाव देते हुए उसे रगड़ते हुए बोला,,,) इस बुर से,,,,,,

( जैसे ही रघु अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की बुर पर रखा वैसे ही हलवाई की बीवी अपनी बुर पर रघु की हथेली को महसूस करते हैं एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।)

ससससहहहह,,,आहहहहह,,, रघु,,,,।

इस से डर लगता है चाची मुझे तुम्हारी बुर से,,,,( रघु एकदम बेशर्म की तरह हल्के हल्के हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से रगड़ ते हुए बोला,,,, जिंदगी में उसका यह पहला मौका था जब वह अपने हाथ से किसी औरत की बुर को स्पर्श कर रहा था,,, उसे यह स्पर्श बेहद उन्माद से भरा हुआ और बेहद अद्भुत महसूस हुआ था जिंदगी में किसी भी चीज को छूने में इतना आनंद उसे नहीं आया था जितना आनंद उसे हलवाई की बीवी की गुलाबी रंग की बुर को छूने में आ रहा था,,, रघु को अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि रघु उसकी बुर को लगातार अपनी हथेली को जोर-जोर से रगड़ रहा था,,,,। पल भर में ही रघु के साथ-साथ हलवाई की बीवी मदहोश होने लगी,,,, वह लंबी सांसे लेते हुए वापस पीठ के बल हो गई लेकिन रघु अपनी हथेली को उसकी दोनों टांगों के बीच से बाहर नहीं खींच पाया उसे मजा आ रहा था,,,।

ओहहहह,,, रघु तुझे ईससे डर क्यों लगता है जबकि तेरे जैसे छोकरे तो इसके पीछे पड़े रहते हैं,,,,( रघु की हथेली की रगड़ को अपनी बुर पर महसूस करते हुए वहां मस्ती भरी आवाज में बोली,,,।)

मैं भी हमेशा से बुर के ही सपने देखा करता था लेकिन कभी हकीकत में उसे नजर भर कर देखा नहीं था और ना ही उसे स्पर्श किया था,,,,। तुम्हारे इतने करीब आकर मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी जिसके लिए मैं तड़पता था मुझे उस बुर के दर्शन जरूर हो जाएंगे,,,।( रघु होले होले से अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर मसलते हुए बोला,,,।)

क्या तुम्हें पूरा यकीन था कि आज तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी,,,,( हलवाई की बीवी रघु की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,।)

यकीन तो नहीं था लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था,,,( वह रघु के मोटे खड़े लंड को जो कि अभी भी टावर के अंदर तंबू सा शकल लिए खड़ा था उसे देखते हुए बोली,,,।)

धीरे-धीरे दोनों को मजा आ रहा है पहली बार रहो किसी औरत की बुर को अपनी हथेली से मसल रहा था और सच पूछो तो उसे बुर मसलने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था कि वह बयां नहीं कर सकता था बुर की नरमाहट और गर्माहट दोनों काबिले तारीफ थी,,, औरत की बुर छूने में मर्दों को इतना आनंद आता है इस बात का पता रघु को आज ही चल रहा था,,,। हलवाई की बीवी आनंदित होकर अपना मदन रस धीरे-धीरे बुर में से बहा रही थी जिसकी वजह से रघु की हथेलियां गीली होने लगी थी,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखता चला जा रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था ऐसे में पूरा गांव चैन के लिए सो रहा था लेकिन हलवाई की बीवी और रघु दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों एक ही खटिया पर सोते हुए एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे,, दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी बस दोनों की गरम सिस कारीयो की आवाज उस घर में गूंज रही थी,,,।
पेट के बल लेट होने की वजह से हलवाई की बीवी की भारी-भरकम साथिया उसकी सांसों की गति के साथ होले होले ऊपर नीचे हो रही थी जो कि बेहद मादकता का अनुभव करा रही थी यह सब देख कर रघु के तन बदन में नशा सा छाने लगा था हालांकि अभी तक बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी वह अभी अपनी आंखों से बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, रघु अब तक बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था अच्छे से अपनी हथेलियों से स्पर्श करने के बावजूद भी उसके आकार की प्रतीति उसे बिल्कुल भी नहीं हो पा रही थी उसमें से निकल रहे चिपचिपी पदार्थ से वह पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,,। उस स्थिति पर बाजार की वजह से वह अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की बुर के दर्शन करना चाहता था वह अपने आप को धन्य करना चाहता था दिन-रात औरतों के बदन को भरने के बावजूद भी वह औरतों के बदन से उनके अंगों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था आज की रात उसके लिए औरतों के बदन के भूगोल को समझने की रात थी आज के दिन वह पूरी तरह से मर्द बनना चाहता था,,, वह साफ तौर पर देखता रहा था कि उसके द्वारा बुर को रगड़ने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना खेल रही थी क्योंकि जब जब वह अपनी हथेली को जोर से उसकी बुर पर रगड़ता तब तब हलवाई की बीवी का बदन कसमसा ने लग रहा था बार-बार बाहर अपने गले को अपने ही थूक से गीला कर रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से बदल चुके थे उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,। और वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी रघु को इतना तो पता चल ही गया था अब अगर वह उसके साथ कुछ भी करेगा तो वह उसका विरोध बिल्कुल भी नहीं करेगी क्योंकि वह खुद जा रही थी कि रघु सब कुछ उसके साथ करें इसलिए रघु की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,।
इसलिए सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी चूची ऊपर उसका ध्यान पूरी तरह से केंद्रित हो चुका था ब्लाउज के अंदर के अनमोल खजाने को वह अपने हाथ में पकड़ कर उसे टटोलना चाहता था दबाना चाहता था उसके रस को रसगुल्ले की तरह अपने मुंह में भर कर निचोड़ना चाहता था,,,। रखो पूरी तरह से मदहोश हो चुका था औरत के अंगों के बारे में जानने की उत्सुकता है उसकी बढ़ती जा रही थी उसकी रसीली बुर के साथ वह बहुत देर से अपनी हथेली से खेल रहा था लेकिन अभी तक उसके दर्शन नहीं कर पाया था और अब जाकर उसका ध्यान पूरी तरह से हलवाई की बीवी की खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूची पर केंद्रित हो चुकी थी इसलिए वह धीरे से उठ कर बैठ गया उसे यू उठ कर बैठता हुआ देखकर हलवाई की बीवी बोली,,,।

क्या हुआ रघु,,,,

कुछ नहीं चाची तुम्हारी चूचियां परेशान कर रही है,,,।

( रघु के मुंह से चूचियां शब्द सुनकर वो एकदम से मंत्रमुग्ध हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि रघु इतनी जल्दी ओर इतना खुलकर बोल देगा,,, रघु की बातों के साथ ही उसका ध्यान अपनी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ गई थी जोकि अपनी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन को वह खुद अपने हाथों से ही खोल चुकी थी जिसकी वजह से लेटे होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर बिखरने के लिए बेताब थी लेकिन ब्लाउज में कैसे होने की वजह से बेहद कम सीन लग रही थी रघु की बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा के साथ-साथ होठों पर मुस्कुराहट भी तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मेरी चूचियां तुझे इतनी परेशान कर रही है तो अपने हाथों से आजाद कर दे इन्हें,,,,( हलवाई की बीवी एकदम मादक स्वर में बोली साथ ही इन सब बातों के साथ वातावरण में हलवाई की बीवी की कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक की आवाज भी गूंज रही थी जिसकी वजह से वातावरण में मादकता का असर और ज्यादा फैलता चला जा रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से यह प्रस्ताव सुनते ही उत्तेजना के मारे रघु के रोंगटे के साथ-साथ उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया रघु अपनी जिंदगी में इस तरह का मादकता और उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं किया था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर हलवाई की खटिया पर लेटी हुई थी रघु के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी लेकिन आगे तो बढ़ना ही था एक औरत के द्वारा दिए गए प्रस्ताव को एक मर्द होने के नाते अगर वह पूरा नहीं करता तो एक औरत के सामने उसकी नजरों में वह गिर जाता उसकी मर्दानगी पर सवाल उठने खड़े हो जाते,,, लेकिन रघु के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था वह तो मचल रहा था अपने हाथों से हलवाई की बीवी के ब्लाउज के बटन खोलने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिया लेकिन जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की ब्लाउज को उतारने जा रहा था उसके बटन को खोलने जा रहा था इसलिए लाजमी था कि उसके हाथों में कंपन हो रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन खुश हो रही थी,,,, रखो अपने कांपते हाथों से अपनी उंगलियों का सहारा लेकर जैसे ही अपने हाथ को ब्लाउज के बटन खोलने के लिए उसके ऊपर रखा,,, हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचियों की नरमाहट ऊसे अपनी उंगलियों पर महसूस हुई ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नरम नरम रूई पर अपने हाथ रख रहा हो,,, एक जबरदस्त सुखद एहसास पूरी तरह से रघु के तन बदन में फैल गया और यही हाल हलवाई की बीवी का भी हो रहा था,,, रघु की उंगलियों को अपनी मदमस्त चुचियों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,। रघु हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर देते हुए उसके ब्लाउज के बाकी के बटन खोलना शुरू कर दिया लेकिन लगातार उसके हाथों में कंपन हो रहा था जिसे देखकर हलवाई की बीवी बोली,,।

लगता है तो पहली बार किसी औरत के कपड़े उतार रहा है,,

ऐसा ही समझ लो चाची मैं सच में जिंदगी में पहली बार किसी औरत के ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।

और तुझे कैसा लग रहा है कि औरत के ब्लाउज के बटन खोलने में,,,

पूछो मत चाची पूरे बदन में शोले फूट रहे हैं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या कर रहा हूं मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया है,,, मुझे आज ऐसा महसूस हो रहा है कि जिंदगी में औरतों के कपड़े उतारने से बेहतरीन काम और कोई नहीं है,,,( ऐसा कहते हुए रघु हलवाई की बीवी के बटन खोलने लगा,,, रघु की बातें सुनकर हलवाई की बीवी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और वह उसे बड़े गौर से देख रही थी क्योंकि जैसे जैसे वह ब्लाउज के बटन खोलता जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे के हाव भाव बदलते जा रहे थे देखते ही देखते रघु हलवाई की बीवी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और जैसे ही ब्लाउज का आखरी बटन खुला हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी मस्त मस्त खरबूजे जैसी चूचियां एकदम से पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा गई हलवाई की बीवी की छातियां काफी बड़ी थी और ऊपर से उसकी दोनों मदमस्त चूचियां ऐसा लग रहा था कि तालाब में दो बत्तख छोड़ दिए गए हो और दोनों इधर उधर भाग रहे हो,,,, हलवाई की बीवी की लहराती हुई चुचियों को देखकर रघु के मुंह में पानी आ गया जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की चूची को इतने करीब से देख रहा था,,,। उत्तेजना के मारे रघु का गला सूख रहा था बड़ी बड़ी चूची को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी,,,, सांसे इतनी गहरी चल रही थी कि उसके नथूनों से निकल रही सांसो की गर्माहट सीधे हलवाई की बीवी के चेहरे तक पहुंच रही थी,,, रघु अपने पूरे होशो हवास को बैठा था एक बेहतरीन नजारा उसकी आंखों के सामने था जिसकी अब तक वह सिर्फ कल्पना ही करता रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को ढेर सारी दुआएं दे रहा था कि उसकी वजह से ही उसकी जिंदगी में आज ऐसा पल आया था कि आधी रात के समय पर किसी खूबसूरत गैर औरत की खटिया पर बैठकर उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसकी चूचियों को देख रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर धीरे-धीरे रघु की हिम्मत बढ़ने लगी थी इसलिए वह हलवाई की बीवी की इजाजत पाए बिना ही अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को समेटने लगा हलवाई की बीवी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि उसके दोनों हथेली में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, चूची को छूने पर कैसा महसूस होता है रघु को अब जाकर महसूस हुआ वह पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी चूचियों को हाथों में पकड़ने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि बाहर से कड़क दिखने वाली चूचियां वास्तव में रुई की तरह नरम होती है जिसे वह अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया था,,, उसकी चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर दबाने में रघु को इतना आनंद आ रहा था कि वह मस्ती में आकर अपनी आंखों को मुंद लिया,,,,

जिस तरह से रघु उसकी चूचियों को दबा रहा था हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी थी रघु काफी ताकतवर है वह बड़ी ताकत लगाकर उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था दबा क्या रहा था उबले हुए आलू की तरह मसल रहा था लेकिन उसके इस तरह से मसलने से हलवाई की बीवी की आनंद की पराकाष्ठा बढ़ती जा रही थी,,।

ओहहहह,,,, रघु कितना जोर जोर से दबा रहा है रे तू,,आहहहहह,,, मेरी तो जान ही निकली जा रही है,,,।

क्या करूं जाती जिंदगी में पहली बार किसी औरत की चूची को हाथ से पकड़ रहा हूं इसलिए मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,( रघु जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ बोला,,)

तो क्या दवा दवा का जान निकाल लेगा क्या,,,

जान नहीं निकलेगी चाची मैं तो सुना हूं कि औरतों की चूचियों को जोर-जोर से जितना ज्यादा दबावों उतना ज्यादा मजा औरतों को आता है,,


हारे तुम्हें ठीक ही सुना है लेकिन तो कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा है देख तूने मेरी चूची को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया है,,,।( हलवाई के बीवी गर्म आहें भरते हुए बोली)

यह सब छोड़ो चाची बस मजे लो,,,( इतना कहने के साथ ही फिर से रघु जोर-जोर से हलवाई की बीवी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी की चुचियों का कद इतना ज्यादा था कि उसकी हथेली में ठीक से आ नहीं पा रहा था तो वह रह रह कर एक ही चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर जोर से दबा रहा था मानो किसी का गला घोट रहा हो लेकिन रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी का तन बदन एकदम मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी इसीलिए तो इस तरह से रगड़ रगड़ कर चूची को दबाने के बाद वह मस्ती में आकर आंखों को बंद कर ली थी,,

पहली बार औरतों की चूची हाथ में आते ही रघु के अरमान जागने लगे थे आज पूरी तरह से वह औरत के हर अंग से मजे लेने के इरादे से हलवाई की बीवी की चूचियों से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में चूची नहीं फुटबॉल आ गया हो,,,, धीरे धीरे हलवाई की बीवी पूरी तरह से स्तन मर्दन के कारण उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में होने के कारण उसकी चूची की निप्पल एकदम कड़क होने लगी थी जिसका एहसास रघु को बराबर हो रहा था यह चूची में आए बदलाव को देखकर रघु उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना का भी अनुभव करने लगा उससे रहा नहीं गया चॉकलेट की शक्ल की कड़ी निप्पल को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा उसे मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए वह अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अपने मुंह को चूची की तरफ आगे बढ़ाया और देखते ही देखते,,, पूरी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को यह एहसास हुआ कि उसकी निप्पल को रघु अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया है तो इस अहसास से ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई उसके मुंह से हल्की सी गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, रघु,,,,,,
( हलवाई की बीवी एकदम मस्ती भरे सिसकारी लेते हुए अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रख कर उसे हल्के से अपनी चूची पर दबाने लगी यह उसकी तरफ से ही सारा था कि पूरा मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दें और रघु ने वही किया क्योंकि उसकी भी ललक बढ़ती जा रही थी उसकी चूची को पूरी तरह से मुंह में लेकर चूसने की जितना हो सकता था उतना वह मुंह में भर कर उसकी चूची के निप्पल को चुची सहित चूसना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही रघु के तन बदन में गर्माहट भर गई,,, जैसे जैसे वह औरतों के अंगों के बारे में समझता चला जा रहा था वैसे वैसे उनके साथ खेलने की युक्ति भी अपने आप ही उसके दिमाग में भर्ती चली जा रही थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों की हर अंग से अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती है वह एक हाथ से चूची को दबाते हुए और दूसरे हाथ में चूची को भरकर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,,। लेकिन हलवाई की बीवी की एक चूची से उसका मन नहीं भर रहा था वह कभी दाईं चूची को तो कभी भाई चूची को बारी-बारी से अपनी मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी रघु कि इसका मुख हरकत से पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई,,, उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी साथ ही उसकी कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,।
बाहर ढेर सारे सीयारो का चिल्लाना जारी था लेकिन अपनी मादकता भरी सिसकारी और रघु की हरकतों की वजह से बदन में फैल रही उत्तेजना के कारण वह अब सब कुछ भूल चुकी थी,,,,, वह अपनी दोनों हथेली को रघु की नंगी पीठ पर ऊपर से नीचे घुमाते हुए उसके हौसले को बढ़ा रही थी,,, इस कशमकश में रघु केतन से उसका तो लिया कब छूट कर नीचे जमीन पर गिर गया उसे पता ही नहीं चला वह पूरी तरह से नंगा था उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था,,, इधर-उधर हाथ घुमाते हुए हलवाई की बीवी की उत्सुकता बढ़ने लगी तो वह अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर जैसे ही रघु की टांगों के बीच अपना हाथ ले गई वैसे ही उसका खड़ा लंड उसके हाथ में आ गया और जैसे ही है उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हलवाई की बीवी की नरम नरम हथेली में आया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उत्तेजना अवश्य जोर से रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दी,,,, इस तरह से दबाए जाने से रघु को अपने लंड में हल्के दर्द का एहसास हुआ तो वह उत्तेजना में आकर अपने दांत से हलवाई की बीवी की कड़ी निप्पल को हल्के से काट लिया और हलवाई की बीवी सिसक पड़ी,,,,।
हलवाई की बीवी के हाथों में उसकी मुंह मांगी मुराद आ गई थी जिंदगी में पहली बार हुआ इतने मोटे तगड़े लंड से मुखातिब हो रही थी भले ही वह अपनी जवानी के दिनों में ढेर सारी लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन रघु के लंड में जो बात थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह बात किसी के लंड में नहीं थी इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड वह जिंदगी में पहली बार देख रही थी और उसे अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी,,,
रघु पागल हुआ जा रहा था पहली बार उसका लंड किसी औरत के हाथ में जो आया था हलवाई की बीवी होले होले से रघु के लंड को मुठिया रही थी और इस क्रिया को एक औरत के हाथों होता देख और उसे महसूस करके रघु सातवें आसमान में उड़ने लगा था वह जोर-जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर जोर-जोर से पीना शुरू कर दिया था हलवाई की बीवी की हालत पर फल खराब होती जा रही थी वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटक रही थी और साथ ही रघु के लंड को जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में दबा कर हिला रही थी उसे इस बात का आभास हो चुका था कि कुछ देर बाद उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाने वाला है और इस बात से वह बेहद खुश थी आज की रात उसके लिए बेहतरीन रात होने वाली थी अपनी पति की गैरमौजूदगी में जिस तरह का कदम उसने उठाई थी उससे उसकी शरीर की भूख मिटने वाली थी ऐसा उसे ज्ञात हो चुका था वरना अब तक अपने पति की की हरकतों से केवल वह गर्म होती थी उसे ठंडा करने की ताकत उसके पति में बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

खटिया पर हलवाई की बीवी और रघु का घमासान मचा हुआ था दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे रघु पूरी तरह से नंगा था और हलवाई की बीवी के बदन पर अभी भी पेटीकोट बंधी हुई थी,,,। जिसे रघु अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दिया था और रघु की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी की ब्लाउज के बटन खोलने वाला रघु अब उसके पेटीकोट को खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर देगा,,, और नंगी होने के अहसास से ही वह पूरी तरह से मस्त होने लगी उसके बदन में कसमसाहट होने लगी,,।
हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन तेज हो गई रघु की एक-एक हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,, संपूर्ण रूप से नंगी होकर हलवाई की बीवी बहुत ही कम बार चुदवाई थी अक्सर वह कपड़े पहने हुए हालत में ही चुदवाती आ रही थी ज्यादा से ज्यादा ब्लाउज के बटन खुल जाते थे लेकिन ब्लाउज पूरी तरह से बदन से अलग नहीं होता था और चोदने के लिए बस काम भर की जगह ,,,बस साड़ी को कमर तक उठाकर शुरू पड़ जाता था उसका आदमी,,,। और जवानी के दिनों में भी बहुत ही कम कार ही ऐसा मौका मिला था जब वह निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर चुदाई का आनंद ली थी वरना इतना समय ही नहीं मिलता था कहीं खेत में तो कहीं छत पर तो कहीं पेड़ के पीछे बस सलवार की डोरी खोल कर उसे जांघों तक नीचे गिरा कर थोड़ा सा झुक जाती थी,,, और चुदाई हो जाती थी,,,। लड़कों में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि उसके सारे कपड़े उतार कर चुदाई का मजा ले क्योंकि उनके पास भी समय का अभाव होता था समय का अभाव का मतलब की यह डर की कोई देख ना ले इसलिए जल्दी काम खत्म करने के चक्कर में हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन के दर्शन भी नहीं कर पाते थे बस उसकी बुर में लंड पेल कर,,, और ज्यादा कुछ हुआ तो कुर्ती के ऊपर से दोनों नारंगीयो को दबाकर मजा ले लिए,,, लेकिन हलवाई की बीवी को एहसास हो गया कि रघु उनमें से बिल्कुल ही अलग है,,, क्योंकि वह उसके साथ एकदम इत्मीनान से आनंद ले रहा था और आनंद दे भी रहा था,,,।
चूचियों को तो पहले से ही वह दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था,,, पहली बार हलवाई की बीवी को स्तन मर्दन में इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि जिस शिद्दत से वह उसकी चुचियों पर डटा हुआ था उस तरह से आज तक उसके पति ने भी उसकी चुचियों से नहीं खेला था,,,।
रघु भी अपने आप को पूरी तरह से हलवाई की बीवी के हर एक अंग से खेल कर अपने आप को तृप्त कर लेना चाहता था इसलिए उसके हर एक अंग पर कुछ ज्यादा ही समय देते हुए उससे पूरा रस निचोड़ रहा था क्या करें रघु की कल्पना जो साकार होती नजर आ रही थी जिंदगी में पहली बार वह खरबूजे जैसी चुचियों को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा था,,,।

लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी के हालात पूरी तरह से बिगड़ते जा रहे थे लेकिन आनंद की परी काष्ठा बढ़ती जा रही थी क्योंकि अब रघु धीरे-धीरे करके उसकी पेटीकोट की डोरी को खोल चुका था,,, डोरी के खुलते ही नितंबों के घेराव के इर्द-गिर्द कसी हुई पेटीकोट एकदम ढीली हो गई,,, डोरी के खुलते ही रघु की भी हालत खराब होने लगी हलवाई की बीवी की मदमस्त भरी हुई जवानी की गर्मी उसके तन बदन से पसीने छुड़ा रही थी,,, हलवाई की बीवी इस बात से और ज्यादा खुश थी कि इस उम्र के दौरान भी वह जवान होते मर्दों के भी पसीने छुड़ाने में सक्षम थी,,, रह रह कर दोनों का गला उत्तेजना के मारे सूख जा रहा था और दोनों अपने थुक से अपने सूखे गले को गिला करने की कोशिश कर रहे थे,,, डोरी को खोल कर रखो हलवाई की बीवी के चेहरे की तरफ देखा तो वह उत्तेजना के मारे पूरी मदहोश हो चुकी थी उत्सुकता कामोत्तेजना और शर्म की लालिमा साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी,,, लेकिन इन सब के दौरान भी उसके हाथ में रघु का लंड बरकरार था वह उत्तेजना के मारे जोर जोर से रघु के लंड को दबा रही थी,,, उसे भी आश्चर्य हो रहा था क्योंकि काफी देर से वह रघु के लंड से खेल रही थी लेकिन उसके लंड नहीं अभी तक पानी नहीं फेंका था वरना उसके पति का होता तो बस थोड़ा सा सहलाने पर ही पानी फेंक देता था,,, हलवाई की बीवी की पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी करने के लिए रघु पूरी तरह से तैयार हो चुका था लेकिन इससे पहले वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के खुले हुए ब्लाउज पर रखकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा तो हलवाई की बीवी समझ गई कि रघु क्या करना चाहता है इसलिए खुद हल्के से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और उसे अपना ब्लाउज अपनी दोनों बांहों में से निकलवाने में मदद करने लगी और देखते ही देखते रघु उसके दोनों बांहों में से उसके ब्लाउज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर हलवाई की बीवी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,, उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज की कैद से संपूर्ण रूप से आजाद हो चुकी थी और अपने पंख फड़फड़ा ते हुए उन्नत पहाड़ियों की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,
उसकी गहरी नाभि बेहद खूबसूरत लग रही थी रघु उसकी गहरी नाभि को देखा कर उसे चुंबन लेने की अपनी लालसा और लालच को रोक नहीं पाया और धीरे से झुक कर उसकी नाभि पर अपने होंठ रख दिए,,, जैसे ही रखो उसकी नाभि ऊपर अपने प्यासे होंठ को रखा वैसे ही हलवाई की बीवी उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,, रघु,,,,,,ओहहहहहह,,,

हलवाई की बीवी का इतना कहना था कि रखो अपनी जीत को बाहर निकाल कर उसकी नाभि की गहराई में उतार कर उसे गोल गोल घुमा कर चाटने का आनंद लेने लगा इससे पहले रघु को इस तरह के ज्ञान का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी की संगत में वह अपने आप से ही सब कुछ सीखता चला जा रहा था हलवाई की बीवी रघु की इस हरकत से बेहद कामुक सिसकारियां लेने लगी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने उसकी गहरी नाभि पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन किया था और उसमें अजीब डालकर उसे चाटने की एक अद्भुत प्रयास किया था जिससे हलवाई की बीवी पूरी तरह से काम विह्वल हो चुकी थी,,,, रघु को मजा आ रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने दोनों हाथ एली को हलवाई की बीवी के कमर के इर्द गिर्द रखकर उसे जोर से दबाते हुए उसकी नाभि को चाटने का आनंद ले रहा था,,,। हलवाई की बीवी की हालत पर्पल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुरे से उत्तेजना के मारे मदन रस बह रहा था जिससे उसकी पेटीकोट नीचे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,।

ससससहहहह,,,आहहहहहहह, रघु में पागल हो जाऊंगी तू यह क्या कर रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,आहहहहहहह,,,, रघु,,,,ऊमममममम,,,


हलवाई की बीवी की गर्म से इस कार्यों की वजह से रघु अपने तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन उसका भी लंड पूरी तरह से टन्नाया हुआ था,,, जो कि अभी भी हलवाई की बीवी के हाथ में ही था ना जाने कैसा आकर्षण था कि वहां रखो के मोटे तगड़े लंड को किसी भी हालत में छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थी पहली बार हुआ इतनी देर तक किसी बंद को अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी और ताज्जुब इस बात की थी कि अभी तक उसकी नरम नरम उंगलियों की गर्माहट पाकर भी उसका लंड अपना लावा पिलाया नहीं था बल्कि ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी नरम नरम उंगलियों का सहारा पाकर उसमें और ज्यादा मर्दाना जोश भरता चला जा रहा था,,,, कुछ देर तक रघु उसकी नाभि में ही डाटा रहा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नाभि के सहारे उसके पेट में उतर जाएगा उसका बस चलता तो वह अपनी लंड को उसकी नाभि में डालकर उसकी चुदाई कर देता क्योंकि वैसे भी हलवाई की बीवी के मोटे पेट के कारण उसकी नाभि की गहराई काफी गहरी थी,, रघु के लंड में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। अब वह हलवाई की बीवी को पूरी तरह से नंगी करना चाहता था इसलिए वह अपने दोनों हाथों को उसकी पेटीकोट पर रखकर नीचे खींचने वाला था कि एक नजर हलवाई की बीवी की तरफ डाला वह उसे ही बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और जैसे रघु की आंखों की भाषा व आंखों से ही पढ़ ली हो इस तरह से वह रघु के इशारे को समझते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, उसकी यह अदा पर रघु पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया,,,, यही एक खास अदा होती है औरतों में अगर वह किसी मर्द के साथ संभोग नहीं करना चाहती है तो वह कभी भी उसे इस तरह से अपनी पेटीकोट या कपड़ा उतारने नहीं देगी लेकिन जब उस की हानि होगी तो खुद ब खुद उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर की तरफ उठ जाएगी ताकि उसका साथी है उसका पेटीकोट या उसका कपड़ा उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर सके,,,। और हलवाई की बीवी पूरी तरह से तैयार थे इसलिए जैसे ही हो अपनी गांड उठा कर रखो का सहकार देने की कोशिश की है सही मौके का फायदा उठाकर रघु उसकी पेटिकोट को उसकी बड़ी बड़ी गांड से नीचे की तरफ खींच कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,। अब रघु की आंखों के सामने हलवाई की बीवी खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, लेकिन एक अनजान लड़के के सामने वह पूरी तरह से सर में से गाड़ी जा रही थी वह बार-बार शर्म के मारे अपने चेहरे को इधर-उधर घुमा ले रही थी ना जाने क्यों इस समय वह रघु से आंखें मिलाने से कतरा रही थी,,,, उसका शर्माना रघु के कलेजे पर छुरियां चला रही थी जितना भी शर्म आ रही थी उतना ज्यादा उत्तेजना का अनुभव रघु अपने बदन में कर रहा था उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें लालटेन की पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,, हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन को देखकर रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था जिंदगी में पहली बार में किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था हालांकि पहले भी वह औरतों के नंगी गांड और कभी कबार उनकी चुचियों के दर्शन कर चुका था लेकिन उसका यह पहला मौका था जब वह संपूर्ण रूप से एक औरत को नंगी देख रहा था,,,। पेटिकोट को उतारते समय हलवाई की बीवी के हाथ से रघु का लंड छूट गया था जिससे वो और ज्यादा तड़प उठी थी हलवाई की बीवी अपनी मोटी मोटी जागो को आपस में सटाकर अपने अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी,,,, और वही देखने के लिए रघु के तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, इस समय दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी क्योंकि दोनों की बातें केवल इशारों में ही हो रही थी,,,।
रघु अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों पर हाथ रखते हुए उसे एक दूसरे से दूर करने की कोशिश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी शर्म के मारे कसके अपनी दोनों टांगों को आपस में सट आए हुए थे और घुटनों से मोड़ें हुए थी,,,,

यह क्या कर रही है चाची अपनी टांगे खोलो मुझे देखना है,,,।

क्या देखना है तुझे मुझे शर्म आ रही है ऐसे ही रहने दें,,,


शर्म किस बात की चाची मैंने अपने हाथों से ही तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी किया हूं और अब शर्म कैसी,,,

पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,।

यह शर्म भी जाती रहेगी चाची बस एक बार अपनी दोनों टांगों को खोल दो मुझे अपने अनमोल खजाने को देखने दो मैं अपनी नजरों से तुम्हारे खजाने को लूटना चाहता हूं,,,,


नजरों से लूटकर कुछ नहीं होगा ना मेरा ना तुम्हारा इसे लूटने के लिए तुम्हें अपना हाथ लगाना होगा,,,
( हलवाई की बीवी शर्मा भी रही थी और इशारों में ऐसे अपनी अंदरूनी अंगों को छूने की इजाजत भी दे रही थी,,।)

तो देर किस बात की है चाची खोलो अपनी टांगों को मैं अपने हाथ से नहीं बल्कि अपने होठों से टटोलकर तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,।( इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से अपनी दोनों हथेली को हलवाई की बीवी की नंगी जांघों पर रख दिया।)


ससससहहहह,,, रघु,,,,,, तेरे हाथों में जादू है रे,,,,

तो इस जादू को बढ़ जाने दो चाची,,, तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारी बुर को देखने के लिए कितने तड़प रहा हूं,,,
( रघु के मुंह से बुरे शब्द सुनते ही हलवाई की बीवी का पूरा बदन उत्तेजना के मारे कसमस आने लगा उसकी यह बात सुनते ही वह भी अपनी दोनों टांगों को खोल देना चाहती थी,,।)

क्यों अभी तक किसी की बुर नहीं देखा क्या,,,।

तुम पहली औरत हो चाची जिसकी बुर और जिस के नंगे बदन को मैं आज मैं देख रहा हूं,,,, बस चाची अब मत तड़पाओ,,, खोल दो अपनी टांगों को और समा जाने दो मुझे अपनी टांगों के बीच में,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे ही रघु हलवाई की बीवी की मोटी मोटी टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर लगाते हुए एक दूसरे से अलग करने की कोशिश किया वैसे ही हलवाई की विधि संपूर्ण रूप से अपनी इच्छा दर्शाते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी और जैसे ही हलवाई की बीवी की दोनों टांगे खुली रघु उसकी टांगों के बीच के दृश्य को देखता ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी की रसीली बुर की गुलाबी फांकें बेहद साफ नजर आ रही थी,,,, एक चीज और उसकी नजर में आई थी जो कि उसे बेहद आश्चर्य कर गई थी उसे अब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि औरतों के गुप्त अंग पर भी बाल होते हैं जैसे कि उसके लड़के इर्द-गिर्द थे वह हलवाई की बीवी की बुर के ऊपर के घुंघराले रेशमी बालों को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया उससे रहा नहीं गया और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी उंगलियों से छूने लगा रघु की इस हरकत पर हलवाई की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, ।

ओहहहह रघु,,,,, अब देख ले तेरी आंखों के सामने तुझे जो करना है कर ले,,,।
( हलवाई की बीवी की तरफ से यह कहना एकदम साफ इशारा था कि अब वह उसे चोदने के लिए कह रही थी,,, और आमतौर पर यही होता भी था उसके साथ जैसे ही वह थाने खोल दी थी उसका आदमी उस पर चढ़कर उसकी बुर में लंड डालकर बस दो-चार धक्के नहीं झड़ जाता था,, उसका आदमी क्या शादी के पहले जवानी के दिनों में जिसके लिए भी अपनी दोनों टांगे खोली थी वह सीधा उसकी बुर में लंड पेन देता था लेकिन शायद रघु उन मर्दों में से बिल्कुल भी नहीं था वह हलवाई की बीवी की बुर के आकार का पूरी तरह से मुआयना कर रहा था उसे बड़ा ही ताज्जुब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह बड़े गौर से अपनी उंगलियों से टटोल टटोलकर उसकी बुर को उसकी रूपरेखा को देख रहा था उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था जिससे उसकी उंगलियां गीली होती चली जा रही थी लंड में ऐसा महसूस हो रहा था कि उस की नसें फट जाएंगे इतना अत्यधिक वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,।
रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह दोनों टांगों के बीच आ गया और धीरे से अपने चेहरे को उसकी बुर के करीब ले जाने लगा,,,। जैसे-जैसे उसका चेहरा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच के एकदम करीब आता जा रहा था वैसे वैसे बउर से उठा रही मादक खुशबू उसके नथुने से होकर उसकी छातियों में भर रही थी एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में छा रहा था और देखते ही देखते उसके होंठ कब उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श कर गए यह ना तो रघु को पता चला और ना ही हलवाई की बीवी को जब इस बात का आभास हुआ तब काफी देर हो चुकी थी रघु भी बेहद ताज्जुब में था कि यह कैसे हो गया,,, उसके होंठ औरतों के उस अंग पर कैसे पहुंच गए जहां से वह पेशाब करती है लेकिन अब रखो मैं इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने होठों को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से जुदा कर सके क्योंकि उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी ना जाने यह कैसा सुख था जिसे वह महसूस तो कर रहा था लेकिन समझ नहीं पा रहा था,,,। देखते ही देखते उसके होंठों के बीच से उसकी जीभ बाहर निकल कर उसकी बुर में समा गई वह थोड़ी ही देर में अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया एक अद्भुत सुख का अहसास हलवाई की बीवी को अपने आगोश में ले लिया वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है,,, उसे तो आज तक उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी पता नहीं था कि औरतों की बुर चाटी भी जाती है और उसमें औरत को बेहद सुख की अनुभूति होती है,,,। हलवाई की बीवी पागल हुए जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,। उसकी गरम शिसकारियों की आवाज छोटा कमरा होने के नाते उसे बाहर भी जाती होगी लेकिन आधी रात के समय उसे सुनने वाला कोई नहीं था,,,। रघु तो पागल हुआ जा रहा था वह पूरी तरह से हलवाई की बीवी की रसीली बुर को चाट रहा था जो कि इस समय फुल कर एकदम कचोरी जैसी हो चुकी थी वह अपनी हथेली की उंगलियों को भी उस पर रगड़ रहा था लेकिन अभी तक उसे बउर के गुलाबी छेद के बारे में पता नहीं था,,, इतनी देर से हलवाई के बीवी के रंगों से खेलने के बावजूद भी उसे इस बात का पता अब तक नहीं चला था कि अपने लंड को औरत की बुर में कैसे डालते हैं,,, लेकिन इस बात का पता उसे जल्द ही चल गया क्योंकि वह हलवाई की बीवी की बुर को चाटने के साथ-साथ अपनी उंगलियों को उस पर रगड़ भी रहा था जिससे उसकी एक उंगली झट से उसकी बुर की गुलाबी छेद में उतर गई और वह उस समय एकदम से घबरा गया उसका दिल धक से कर गया लेकिन उसे इस बात का आभास हो गया कि इसी क्षेंद में लंड को डाला जाता है,,,
गुलाबी छेद के बारे में पता चलते ही रघु से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर उसको चोदना चाहता था और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था वह पागल हुए जा रही थी,,,। अपनी बुर के अंदर रघु की उंगली को महसूस करते ही उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था और उत्तेजना बस रघु अपनी घुसी हुई उंगली को जोर-जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, हलवाई की बीवी के माथे से पसीना छूटने लगा बड़ी तेजी से रघु की उंगली उसकी बुर के अंदर बाहर हो रही थी वैसे तो लुगाई की बीवी के मोटे तगड़े शरीर के हिसाब से छोटी सी उंगली की कोई भी साथ नहीं थी लेकिन कई महीनों से उसकी बुर के अंदर अच्छी तरह से लंड प्रवेश नहीं किया था इसलिए लोगों की उंगली से भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, रघु की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,,ओहहहहहह, रघु,,,,, मेरे राजा तूने तो कमाल कर दिया है रे,,,। तेरी मुरली से जब इतना मजा आ रहा है तो जब तेरा लंड मेरी बुर में जाएगा तब कितना मजा आएगा,,,,।

ओहहहह, चाची यह क्या कह रही हो चाची,,,, तुम्हारी बातों से तो मुझे नशा चढ़ने लगा है,,,आहहहहहहह,,,,, चाची,,,,, बहुत गरम बुर है तुम्हारी,,,,,,
( हलवाई की बीवी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर हो पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह जोर-जोर से अपनी उंगली को चाची की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते वह अपनी दूसरी वाली को भी उसकी बुर के अंदर सरका दिया,,,, दूसरी उंगली के बुर में घुसते ही हलवाई की बीवी एकदम मदहोश होने लगी,,,, अब उसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अब वह चाहती थी कि रघु अपनी उंगली बाहर निकाल कर इतना मोटा तो बड़ा लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे और रघु भी यही चाह रहा था,,,। हलवाई की बीवी कुछ बोलती इससे पहले ही वह अपनी उंगली को बाहर निकाल कर कुछ पल के लिए गहरी गहरी सांसे लेने लगा,,,, दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था हलवाई की बीवी का तो पानी निकल चुका था लेकिन वह असली सुख के लिए तड़प रही थी और रघु अभी तक पूरी तरह से बरकरार था उसके लंड में उत्तेजना चिंगारियां फूट रही थी लेकिन अभी तक उसका ज्वाला फूटा नहीं था,,,, लेकिन अब वक्त आ गया था असली खेल का जो कि आज तक रघु ने नहीं खेला था,,,, रघु को शांत होता देखकर हलवाई की बीवी हल्के से अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी और अपने हाथों की कहानी का सहारा लेकर थोड़ा सा ऊपर उठी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच दौड़ाने लगी हलवाई की बीवी अपनी बुर का मुआयना कर रही थी वह देखना चाहती थी कि रघु की उंगली से चुदकर उसकी बुर का क्या हाल है,,,,, और अपनी बुर को देखते ही उसे एहसास हो गया कि उसकी बुर का बुरा हाल था,,, उत्तेजना और लंड की लालच में उसकी बुर फूल कर एकदम कचोरी जैसी हो गई थी,,,, रेशमी बालों के झुरमुट के बीच उसकी गुलाबी रंग की पत्तियां बेहद मोहक लग रही थी,,,, आज बरसों के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर का आकर्षण अभी भी पहले की ही तरह है भले ही थोड़ा सा खुल गई हो तो क्या हुआ अभी भी उस में इतना जोश भरा हुआ है कि वह इस जवान लड़के को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही है,,,।

आज की रात हलवाई की बीवी कुछ ज्यादा ही बेशर्मी दिखा रही थी,,,, वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी अपने बदन की उत्तेजना उससे दब नहीं रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,। हलवाई की बीवी की मदहोशी को देखकर रघु बोला,,,।

कैसा लगा चाची,,,,( रघु अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हलवाई की बीवी को दिखा कर हिलाते हुए बोला,,,)

बहुत मजा आया लेकिन में चाहती हूं कि तू अपने इस,,( एक हाथ की उंगली से रघु टैलेंट की तरफ इशारा करते हुए और दूसरी हथेली को अपनी गुलाबी बुर पर रगड़ ते हुए,,) मोटे तगड़े लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,, रघु,,,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,।

तुम मुझसे ही कहां रहा जा रहा है चाचा मैं तो तुम्हारी आज्ञा का इंतजार कर रहा था,,,,।


आज की रात तुझे मेरी तरफ से पूरी छूट है तू जो चाहे वह मेरे साथ कर सकता है,,,, बस मुझे मस्त कर दे मुझे तृप्त कर दे प्यासी मत छोड़ना अधूरी मत छोड़ना,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाचा मेरा यह लंड तुम्हारी बुर में जाकर ऐसा गदर मचाएगा की तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,, आज तुम्हारी बुर को चोद कर भोसड़ा बना दूंगा,,,,( रघु अपने टन टनाए हुए लंड को हिलाते हुए बोला,,,,।)

कहने और करने में बहुत फर्क होता है रघु मैंने अच्छे-अच्छे को बीच मझधार में डूबते हुए देखी हूं,,,,, मुझे नहीं लगता कि तू मेरी बुर की प्यास बुझा पाएगा,,,,,( हलवाई की बीपी लगातार रघु को उकसाने हुए अपने गुलाबी बुर को जोर जोर से मसल रही थी और यह देखकर और उसकी बातें सुनकर रघु का पाना चढ़ने लगा था,,,,, वह उसकी बातें सुनकर एकदम जोस से भर चुका था और वह खटिया पर से खड़ा हो गया और एक तरह से अपने लंड को अच्छी तरह से हलवाई की बीवी को दिखाते हुए बोला,,,।)

अगर आज चाची मैं तुम्हारी बुर का भोसड़ा ना बना दिया तो मैं कभी अपनी शक्ल तुम्हें नहीं दिखाऊंगा,,,,।


बोल मत कर के दिखा,,,,

यह बात है तो रुको आज मैं तुम्हें दिखा देता हूं कि यह रघु क्या चीज है,,,,।( इतना कहने के साथ ही रखो कटोरी में रखे हुए सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिरा कर उसे अच्छे से अपने लंड पर लगाकर मालिश करने लगा,,, रघु अक्सर अपने घर में सरसों के तेल से अपने लंड की मालिश किया करता था,,, तभी तो सरसों के तेल को पी पी कर उसका लंड एकदम मुसल की तरह हो गया था,,, आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था,,, केवल कुत्तों के भौंकने और सियार के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी,,,, गांव में कजरी अपने बेटे रघु का इंतजार कर कर के थक हार कर सो गई उसे क्या पता था कि आज रघु घर से बाहर निकल कर हलवाई की बीवी के साथ अपनी मर्दानगी का खाता खुलवा रहा है,,,, और हलवाई की बीवी का आदमी दूर किसी गांव में नदी में पकोड़े छानने में व्यस्त था और उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि वह उधर शादी में पकौड़ी छान रहा है और उसकी बीवी घर में गैर मर्द से अपनी कचोरी पर चटनी गिरवानी के लिए आतुर है,,,,।

छोटे से कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी का नंगा बदन पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,,। रघु बड़े अच्छे से सरसों तेल से अपने लंड की मालिश कर रहा था जैसे कि एक सैनिक युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपने बंधु को मैं तेल पानी देकर उसे एकदम दुरुस्त कर लेता है ताकि गोली ठीक समय पर फूटे,,,,,,

आप अपने लंड की मालिश करते करते सुबह कर दोगे या इधर भी आओगे मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,।

चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर की आग में ही बुलाऊंगा मुझे ऐसा लग रहा है कि आज मेरी मां ने मुझे घर से मेरा उद्धार करने के लिए ही निकाली थी साथ में तुम्हारा भी उद्धार मेरे ही लंड से होगा,,,
( हलवाई की बीवी रघु के मुंह से कितनी खुली बातें सुनकर एकदम मस्त होने लगी मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी वह पूरी तरह से नशे में हो गई थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी पुर में चीटियां रेंग रही हो वह जल्द से जल्द रघु के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी वह उसकी मोटाई को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करना चाहती थी,,,। वह जिस तरह से अपनी हथेली से लगातार अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी उसे देखते हुए रघु के सब्र का बांध टूटने लगा,,,, और वह अपने सरसों में सने हुए लंड को एक हाथ से हिलाते हुए सीधे खटिए पर बैठकर अपने लिए हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों के बीच जगह बनाने लगा,,, खटिया पर आते ही हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी,,,,। सही मायने में औरतों का यही रूप सबसे ज्यादा कामुक होता है उनकी यह हरकत बेहद कामाोतेजना और कामुकता से भरी होती है,,,, कितना मोहक और बेहद आकर्षक लगता है और कितना अतुल्य पल होता है जब एक औरत एक मर्द के लिए अपनी दोनों टांगों को खुद ब खुद खोलती है यह उसकी तरफ से पूरी तरह से समर्पण की स्वीकृति होती है,,,, और औरत का यही रूप देखने के लिए हर मर्द लालायित रहता है,,,, रघु को भी हलवाई की बीवी की यह अदा और हरकत बेहद मनमोहक और आकर्षक लगी थी,,,, और उसकी यही हरकत पर रघु का लंड अपना मुंह उठाकर उसकी मदमस्त जवानी को सलामी भर रहा था,,,,।

बिना अनुभव के बिना किसी दिशानिर्देश के रघु खटिया पर अपने घुटनों के बल होकर हलवाई की बीवी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए अपने लिए जगह बना लिया था आज तक उसे पता नहीं था कि औरत की बुर की अंदर कौन से स्थान पर रखकर अपने लंड को प्रवेश कराया जाता है लेकिन जैसे-जैसे हलवाई की बीवी के अंगों से खेलने के बाद पल बीतता जा रहा था वैसे वैसे उसका अनुभव बढ़ता जा रहा था और उसका दिमाग भी बहुत तेजी से चल रहा था,,,, रघु एक बार हलवाई की बीवी की बुर गुलाबी छेद के प्रवेश द्वार को अपनी उंगलियों से टटोलकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए एक बार फिर से वह अपनी अंगुली से उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को टटोल ते हुए उस में उंगली डालकर अपनी सही दिशा पर ध्यान केंद्रित कर चुका था वह एक हाथ की उंगली से उसकी गुलाबी बुर की पत्तियों को टटोल ते हुए अपनी दूसरे हाथ में अपनी खड़े लंड को लेकर उसे धीरे से उसके सुपारी को उस गुलाबी छेद के ऊपर रख दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती के ऊपर रघु के मोटे तगड़े गरम लंड का एहसास हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना में आकर सिहर उठी,,,,,आहहहहहहह रघु,,,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी के साथ रघु का नाम निकल गया,,,,,।

जिंदगी में पहली बार अपने लंड को किसी औरत की बुर के ऊपर रखकर रघु पूरी तरह से जोश में आ गया था उसकी उत्तेजना और प्रसन्नता समाए नहीं समा रही थी वो बेहद खुश था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो उसे जन्नत का मज़ा मिलने लगा था लेकिन अभी तो उसका लंड केवल पुर के प्रवेश द्वार पर ही दस्तक दे रहा था अभी तो अंदर घुसकर पूरी तरह से तसल्ली करना बाकी था,,,। रघु को इतना तो पता ही था कि चोदने के लिए बुर के अंदर लंड डालना बेहद जरूरी होता है और बुर के अंदर लंड कैसे घुसता है ये भी वह जान चुका था,,, हालांकि अभी तक वह अपनी जिंदगी में किसी भी बुर के अंदर अपने लंड को डाला नहीं था लेकिन उसे एहसास हो गया था कि बुर के अंदर लंड को कैसे डाला जाता है,,,, हलवाई की बीवी अपने दोनों हाथों की कहानी का सहारा लेकर अपने गर्दन को ऊपर उठाकर अपनी नजरों को सीधा अपनी टांगों के बीच स्थिर किए हुए थी वह अपनी आंखों से देखना चाहती थी कि रघु क्या करता है अपनी बुर के ऊपर लेटे हुए लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रखो का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा है जो कि बड़े आराम से उसकी बुर के ऊपर रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटा हुआ था,,,,, हलवाई की बीवी को अपनी रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटे हुए रघु का लंड काले नाग की तरह लग रहा था जो कि उसकी गुलाबी बिल में जाने के लिए बेताब था,,,,।
रघु की सांसे बेहद गहरी चल रही थी उसका चौड़ा सीना लालटेन की रोशनी में बेहद मोहक लग रहा था उसकी चौड़ी छाती को देखकर हलवाई की बीवी समझ गई थी कि रघु पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ जवान लड़का है जिसकी बाहों में अपने आप को छुपाकर वह चुदाई के मजे को भरपूर तरीके से लूटेगी।

रघु अपने हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को जोर-जोर से हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा,,,,

आहहहहह,,, रघु,,,,, क्या कर रहा है मुझे चोट लग रही है,,,
( हलवाई की बीवी मस्ती के साथ गर्म आहे लेते हुए बोली,,,।)

सससससससहहहहह,,,चोट लग रही है चाची,,,,सससहहहह,,,,, बस इतने से ही तुम्हें चोट लग रही है जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से गुलाबी छेद में घुसेगा तब क्या होगा,,,,( रघु एकदम मस्ती में आकर बोला रघु की बात सुनकर हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में रघु जो कह रहा था वह बिल्कुल सच था रघु के मोटे लंड की मुकाबले उसकी बुर का छेद छोटा था,,, क्योंकि उसके पति का लंड रघु के लंड से आधा ही था,,,,, लेकिन फिर भी वह रघु के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए बेताब थी,,,।)

कुछ नहीं होगा बस तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल दें,,,,

( हलवाई की बीवी के उतावलापन को देखकर रघु से भी रहा नहीं गया और वह अपने लंड को कपड़े को अच्छी तरह से उसके गुलाबी छेद पर रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा पहले से ही हलवाई की बीवी की बुर से ढेर सारा नमकीन मदन रस बह रहा था जिसकी चिकनाहट पाकर उसका लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करने लगा,,,। और जैसे-जैसे उसके मोटे लंड का छोटा टुकड़ा उसकी बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे हलवाई की बीवी के चेहरे पर दर्द की आवाज साफ नजर आ रही थी उसके चेहरे के हाव भाव पल पल बदलता हुआ नजर आ रहा था,,,, हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया कि उसके सोचने के मुताबिक रघु के लंड का सुपाड़ा काफी मोटा है अब तो उसे दर्द भी होने लगा था लेकिन दर्द के बाद मिलने वाले अद्भुत सुख को महसूस करने के लिए वह इस दर्द को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,, रघु अपने लंड को हलवाई की बीवी की बुर में डालने के प्रयास में जुटा हुआ था वह पूरा जोर लगा दे रहा था लेकिन उसके लंड का मोटा से बड़ा हलवाई की बीवी की बुर के गुलाबी से छोटे से छेद को भेद पाने में असमर्थ लग रहा था,,,। इसका एक कारण यह भी था कि रघु अनुभव ही न था अगर उसे औरत की बुर में लंड डालने का अनुभव होता तो अब तक वह उसकी बुर को फाड़ चुका होता है,,,। उसे लगने लगा कि उसका प्रयास सफल नहीं हो पाएगा तो वह वापस अपने लंड को उसकी बुर से बाहर खींच लिया और इस बार वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर अपने लंड की सुपाड़े पर अच्छे से लगाने लगा,,, थूक लगाने से उसका लंड पूरी तरह से लिसलिशा हो गया,,, अब उसे पूरा यकीन हो गया कि इस बार उसका लंड पूरी तरह से अपना झंडा बुर में गाड़ कर ही आएगा,,,,

यह सब हलवाई की बीवी बड़ी उत्सुकता बस देख रही थी और बोली,,,

मैं कह रही थी ना कहने और करने में बहुत फर्क होता है,,, तुझसे भी नहीं होगा,,,,

आज तक कोई ऐसा काम नहीं है चाची जो मुझसे ना हुआ हो यह भी होगा और बराबर होगा,,,,( रघु अपने लंड पर अच्छे से थुक को लगाते हुए बोला। वह एक बार फिर से अपनी जगह लेते हुए अपने लंड की सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,, इस बार रघु ने कोई भी गलती नहीं किया और देखते ही देखते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी का दर्द बरकरार था जिंदगी में पहली बार वह इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में जो ले रही थी,,,, जैसे-जैसे उसका लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को चीरता हुआ अंदर धंस रहा था वैसे वैसे दर्द की रेखाएं हलवाई की बीवी के सुंदर चेहरे पर अपना असर दिखा रही थी,,,, रघु को काफी मेहनत लग रही थीं वह पसीने से तरबतर हो चुका था साथ ही दर्द के मारे हलवाई की बीवी अपने दातों को दबाए हुए थी,,,। रघु अभी तक थोड़ा एहतियात बरत रहा था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि थोड़ा कठोर बंद दिखाना जरूरी है तभी वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकेगा इसलिए वह अपने दोनों हाथों से हलवाई की बीवी की मांसल कमर को दबोच लिया और इस बार वह कचकच आ गए जबरदस्त धक्का लगाया और उस धक्के के साथ ही उसका मोटा तगड़ा लंड का मोटा सुपाड़ा सरकते हुए सीधे बुर के द्वार के भीतर प्रवेश कर गया,,,,, रघु चुदाई की पहली सीढ़ी को पार कर गया था लेकिन इस सीडी को पार करते हुए हलवाई की बीवी को बेहद दर्द भी दे रहा था वह दर्द से कराह उठी धक्का इतना जबरदस्त और तेज था कि फिर भाई की बीवी के मुंह से चीख निकल गई लेकिन उस चीज को उस सन्नाटे में उस वीराने में सुनने वाला इस समय कोई नहीं था,,,।

बाप रे बाप ओ मोरी दैया,,,,, मेरी तो जान निकल जाएगी,,, यह क्या किया रघु तूने,,,,,( इतना जबरदस्त दर्द हो रहा था कि हलवाई की भी एकदम से डर गई थी कहीं उसकी बुर फट जाएगी इसलिए वह गर्दन उठाकर अपनी बुर की तरफ देख रही थी हलवाई की बीवी का इस तरह से अपने बुर को आश्चर्य से देखना शायद रघु समझ गया था इसलिए वह उसकी कमर था में हुए ही बोला,,,)

चिंता मत करो चाची बुर फटी नहीं है अभी सलामत है,,,,।

आहहहहहहह,,,, हाय राम तूने तो मेरी हालत खराब कर दी रे मैं तो समझी कि मेरी बुर आज गई,,,,,आहहहहहहह,,,, मैं मर जाऊंगी बहुत दर्द कर रहा है निकाल ले तू इसे तेरा लैंड है कि मुसल है निकाल इसे ,,,,,

( हलवाई की बीवी दर्द से छटपटा रही थी वह जानती थी कि शुभम के लंड की मोटाई उसकी बुर की छेद से काफी बड़ा था इसलिए उसे इस तरह का दर्द हो रहा था,,,, लेकिन रघु पहली बार किसी औरत की बुर में अपना लंड मिल रहा था इसलिए उस में से निकालने की उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी,,,, वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के दोनों खरबूजे को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।)

नहीं चाची अब यह मुमकिन नहीं है,,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है तुम्हारी बुर से अपने लंड को बाहर निकालने का अब तो मन कर रहा है कि तुम्हें ऐसा पेलु के जिंदगी भर याद रखो,,,,

हलवाई की बीवी की बुर में दर्द भी हो रहा था लेकिन ट्रकों की बातें सुनकर उसका हौसला भी बढ़ रहा था उसे एहसास हो रहा था कि रघु उसे सबसे अच्छा सुख देने वाला है उसे तृप्त कर देने वाला है इसलिए वह भले ऊपर से बोल रही थी कि अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन अंदर से यही चाहती थी कि वह अपने लंड को बाहर ना निकालें,,,, ना जाने कैसे रघु पहली बार में ही औरतों के साथ कैसा व्यवहार उसके अंगों से कैसे खेला जाता है सब कुछ सीखता चला जा रहा था वह होले होले से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था जिससे स्तन मर्दन की वजह से एक बार फिर से हलवाई की बीवी के तन बदन में काम भावना जागृत होने लगी थी,,,,

ससससहहहह,,,आआहहहरह,,,, रघु,,,,,ओहहहहहह,,, मेरे राजा मजा आ रहा है बहुत मजा आ रहा है,,,,

हलवाई की बीवी की यह बातें सुनते ही रहो को लगने लगा कि अब आगे बढ़ना जरूरी है क्योंकि लोहा एक बार फिर से गर्म होने लगा था रघु का लंड टस से मस नहीं हो रहा था वह धीरे-धीरे सुपारी को ही अंदर बाहर करके हलवाई की बीवी को चोदना शुरू कर दिया अंदर की चिकनाहट पाकर उसका लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,। हलवाई की बीवी के चेहरे की रंगत एक बार फिर से फीकी पड़ने लगी क्योंकि जैसे जैसे रखूं करेंगे अंदर घुस रहा था वैसे वैसे फिर से उसे दर्द का एहसास हो रहा था,,,
काफी मशक्कत करने के बाद रघु आधे से ज्यादा लंड को हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करा चुका था,,,, रघु के माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी जो कि हलवाई की बीवी के गोरे चिकने पेट पर गिर रही थी,,, अपने पेट पर गिरते हुए पसीने की बूंदों को देखकर हलवाई की बीवी को एहसास हो गया था कि उसकी चुदाई करना बच्चों का खेल नहीं था,,, वैसे भी उसका पेट काफी निकला हुआ था और जिस तरह से रघु उसे चोद रहा था उसकी बुर में लंड पर रहा था इस तरह से सामान्य तौर पर आम इंसान ही नहीं कर पाते क्योंकि इसके लिए लंबा मोटा तगड़ा लंड की जरूरत होती है और ऐसा अब तक हलवाई की बीवी ने किसी के पास नहीं देखी थी लेकिन रघु की बात अलग थी रघु का आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में घुस चुका था लेकिन हलवाई की बीवी को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई गरम रोड उसकी बुर में पूरी तरह से घुस गया हो और उसमें बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी अंदर लेने के लिए,,,, इसलिए तो हलवाई की बीवी आश्चर्य से बोली,,,

पूरा घुस गया क्या,,,?

नहीं चाची अभी थोड़ा बाकी है,,,,

कितना बाकी है रे मेरी बुर में तो जगह ही नहीं बची,,,( इतना कहकर वो फिर से अपनी गर्दन उठा कर अपनी टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने के लिए अपनी नजर वहां पर दौड़ आने लगी तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पूरी तरह से घुसा हुआ था और अभी भी लगभग 3 इंच जैसा बाकी था,,,,,)

बाप रे बाप तेरा लंड तो लगता है मेरी बुर फाड़ देगा मेरी बुर में करे लंड को लेने के लिए जगह नहीं बची है,,,

जगह तो बनाई जाती है चाची इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से हलवाई की बीवी की कमर को अपनी दोनों हथेलियों में कस के दबोच कर एक जबर्दस्त प्रहार किया और इस बार उसका लंड का सुपाड़ा बुर की अंदरूनी अड़चनों को चीरता हुआ सीधा जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,,

आहहहहहहह,,,,, मर गई रे,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह छटपटाने लगी जो दर्द से बिलबिला उठी थी उसे यह दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था अब वह सच में यही चाहती थी कि रघु अपने लंड को उसकी बुर से बाहर निकाल ले,,,, रघु कहां मानने वाला था जवानी के जोश से भरा हुआ था पहली बार उसे चोदने के लिए मलाईदार बुर जो मिली थी वह अपने लिंग को उसकी बुर से निकालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था बस थोड़ा सा ठहर गया था और पहले की ही तरह एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए इस बार उसे मुंह भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, जिससे थोड़ी ही देर में एक बार फिर से हलवाई की बीवी को मजा आने लगा और उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी ,,, रघु पूरी तरह से उसके ऊपर लेटा हुआ था और हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को छीतराए हुए थी,,, उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु का हौसला बढ़ने लगा और वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अब बड़े आराम से उसका लंड बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,,

पूरी तरह से आनंद में डूबकर हलवाई की बीवी रघु की नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी उसे मजा आने लगा देखते ही देखते रघु की कमर जोर से ही ना शुरू कर दी,,,।
कमर को हिलाते होगे कब वह धक्के लगाने लगा या उसे पता ही नहीं चला उसके धक्के बढ़ने लगे वह बड़ी तेजी से हलवाई की बीवी की बुर में धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ पूरी खटिया चरमराने लगी थी,,, चररर मरररर,,,चररर,,,मरररर,,,, की आवाज और गर्म सिसकारियों से पूरा घर गूंजने लगा,,,

ओहहहहहह,,, मेरी राजा बहुत मजा आ रहा है तेरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा,,,, और जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,आहहहहहहह,,,,
( उसकी यह सब बातें सुनकर रघु का जोश बढ़ता जा रहा था और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिला रहा था हलवाई की बीवी के बच्चेदानी से टकराने वाली बातों से समझ में नहीं आई थी और ना ही वह कुछ जानना चाहता था लेकिन वह इतना जरूर जानता था कि अगर वह और जोर जोर से धक्के लगाएगा तो खटिया टूट जाएगी इसलिए वह शंका जताते हुए बोला,,,,।)

ओहहहहहह,,, चाची कहीं तुम्हें पेलने में तुम्हारी खटिया ना टूट जाए,,,,,

नहीं टूटेगी मेरे राजा शीशम की लकड़ी से जो बनवाई है तेरे हर धक्के को मेरे साथ साथ मेरी खटिया भी झेल जाएगी बस तो धक्के लगाता रे,,,,

( हलवाई की बीवी के मुंह से हौसला अफजाई वाली बात सुनकर रघु दुगने जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया वह बड़ी जोर जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसल ता हुआ अपनी कमर हिला रहा था,,,ठप्प ठप्प,,, की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों से जब जब रघु की जान रख रही थी तब तब उसमें से मधुर संगीत की आवाज गूंज रही थी साथ ही उसकी गरम सिसकारियां और उसकी चूड़ी की खनक पूरे माहौल को मादकता प्रदान कर रही थी,,,।
रघु पागल हुए जा रहा था आज उसे पता चला था कि जुदाई में कितना आनंद मिलता है जो दुनिया में कहीं नहीं मिलता वह हर धक्के के साथ हलवाई की बीवी की चुचियों को जोर से मसल दे रहा था जिससे उसकी आह निकल जा रही थी,,,,,

देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगे हलवाई की बीवी की सिसकारियां तेज होती जा रही थी और रघु पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था वह अपनी दोनों हाथों को हलवाई की बीवी के पेट के नीचे से लाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह उसे अपने सीने से लगा लिया उसकी निर्धन धर्म चूचियां उसके सीने पर ठोकर मारने लगी और इस बार रघु अपनी हिम्मत दिखाते हुए,,, अपने होठों को हलवाई की बीवी के गुलाबी रखते हुए होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया यह भी हलवाई की बीवी के लिए बिल्कुल नया था आज तक उसके होठों को उसके पति ने भी नहीं चुसा था,,, एक तरह से उसका आदमी इतनी खूबसूरत बेबी होने के बावजूद भी संभोग कला से बिल्कुल विमुख था,,, वहीं पर रघु पहली बार में ही औरतों को कैसे खुश किया जाता है इस कला में निपुण होने लगा था देखते ही देखते जिस तरह से रघु उसके गुलाबी होठों को चूस रहा था उसी तरह से वह भी रघु के होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दी थी यह उसके लिए पहला अनुभव था और बेहद आनंददायक था,,, उसे इस तरह के चुंबन में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह भी पागलों की तरह उसका साथ दे रही थी,,,,।
काम भावना के वशीभूत होकर हलवाई की बीवी पूरी तरह से मदहोश होकर रघु के पूरे तन पर अपना हाथ फेर रही थी,,,। देखते ही देखते चरम सुख के बेहद करीब पहुंचकर वह अपने दोनों हाथों से लोगों के नितंबों को पकड़कर उसे अपनी बुर पर दबाना शुरू कर दी,,,,

ओहहहहह,, रघु मेरे राजा ऐसे ही चोद ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,,,, फाड़ दे मेरी बुर को रघु मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरा होने वाला है मेरा होने वाला है रघु,,,,,,,,ओहहहहहहह, रघु,,,,,आहहहहहहह,,,,
( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी चरम सुख के अंतिम क्षण में रघु के जबरदस्त धक्कों के आगे ठहर नहीं पाई और भल भला कर झड़ने लगी,,,,,)
ऊऊऊमममम,,,ऊमममममम,,,,,( इतना कहते हुए वह जोर से रघु को अपनी बाहों में कस ली,,, उसकी बुर से मदन रहने लगा था लेकिन अभी भी रघु बरकरार था,,, इसलिए वह हलवाई की बीवी के ऊपर से उठा और घुटनों के बल बराबर बैठ कर हलवाई की बीवी को कमर से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,,, और बिना रुके चुदाई करना शुरू कर दिया अब उसे खटिया टूटने का डर बिल्कुल भी नहीं था और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 15 धक्कों के बाद वह भी झड़ने लगा,,,, रघु कैलेंडर से निकले हुए गरम लावा को अपनी बुर के अंदरूनी दीवारों पर महसूस करके हलवाई की बीवी एकदम तृप्त होने लगे और एकदम से मस्त हो गई,,,,
झड़ने के बाद रघु हलवाई की बीवी के ऊपर ही लेटा रहा,,,,

वासना का तूफान शांत हो चुका था जिंदगी में पहली बार अद्भुत तृप्ति का अहसास से पूरी तरह से भर चुकी थी हलवाई की बीवी चुदाई का असली मजा उसे रघु के साथ आया था,,,, और रघु की जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके इतना मस्त हो चुका था कि उस पर मदहोशी अभी तक छाई हुई थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि औरत की चुदाई से ज्यादा सुख और कहीं नहीं मिलता वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था हलवाई की बीवी पूरी तरह से थक चुकी थी उसकी आंखों में नींद भरी हुई थी और वह सोने लगी थी लेकिन सूचियों की गर्माहट और रसीली बालू अलीपुर देखकर एक बार फिर से रघु गर्म होने लगा,,,,। खटिया पर लेटी हुई हलवाई की नंगी बीवी को देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा और वह एक बार फिर से हलवाई की बीवी की टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,।
हलवाई की बीवी पूरी तरह से नींद में थी लेकिन अपनी बुर के अंदर मोटा लंड प्रवेश करते ही उसकी नींद खुल गई और वह एक बार फिर से रघु को अपनी बाहों में ले ली,,, एक बार फिर से रघु की कमर चलने लगी एक बार फिर हलवाई की बीवी तृप्ति के एहसास में डूबने लगी सुबह होने तक रघु उसके तीन बार जमकर चुदाई कर चुका था और उजाला होने से पहले युवा उसके घर से बाहर निकल गया हलवाई की बीवी उसी तरह से निर्वस्त्र हालत खटिया पर बेसुध होकर होती रही,,, पंछियों की कलकलाहट की आवाज से जब उसकी नींद खुली तो अपनी हालत देखकर वह शर्म से पानी पानी हो गई कोई जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,,।
Garmagarm update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
रघु की जिंदगी की सबसे बेहतरीन रात गुजर चुकी थी,,,। आज की रात के बाद से उसकी जिंदगी की नई शुरुआत हो रही थी इस रात ने रघु को एकदम से बदल कर रख दिया था,,, उसके सोचने समझने का तरीका एकदम से बदल गया था,,,। जिंदगी में पहली बार वह औरत के बदन के हर एक पन्ने को अपने हाथ से एक-एक करके खोल कर उनका अध्ययन जो कर चुका था स्कूल की किताबों से शायद उसका कोई वास्ता नहीं था लेकिन औरत के जिस्मानी शब्दों को वह भली-भांति समझ गया था,,, रघु काफी खुश नजर आ रहा था वह अपने खेतों में इधर से उधर घूम रहा था,,, हालांकि अभी भी वह अपने घर नहीं गया था,,।
हलवाई की बीवी ने अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन और संतुष्टि भरी रात गुजारी थी,, जिसकी कसक अभी तक उसके बदन में महसूस हो रही थी,,। रघु के एक-एक जबरदस्त धक्के को याद करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,। उसने कभी जिंदगी में नहीं सोची थी कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसे इस तरह से एक अद्भुत सुख का अनुभव होगा,,,। रघु के साथ रात गुजारने का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था,,। भले ही वह अपने पति को धोखा दे चुकी थी लेकिन जिंदगी का बेहतरीन सुख उसने प्राप्त की थी,,,।

कजरी काफी परेशान थी सुबह हो चुकी थी लेकिन रघु का कहीं भी अता पता नहीं था,,,। उसके मन में बहुत घबराहट हो रही थी सालों में बार-बार रघु के बारे में कजरी से पूछना चाहे लेकिन कजरी बात को टाल ले गई आखिरकार उसके पास शालू को बताने लायक बात ही नहीं थी बताती भी तो क्या बताती कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था सोच कर ही उसे बहुत बुरा लग रहा था अगर वह यह बात अपनी बड़ी बेटी शालू से बताती तो वह उसके बारे में क्या सोचते हैं इसलिए वह बात को आई गई कर गई,,,। रघु के प्रति वह काफी चिंतित नजर आ रही थी इसलिए उसे खेतों पर जाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन जानवरों के चारे के लिए घास तो लाना ही था। इसलिए इच्छा ना होने के बावजूद भी वह खेतों की तरफ निकल गई,,,

अरे कजरी कहां जा रही है घास करने रुक जा मैं भी आती हूं,,,,( कजरी जैसे ही ललिया के घर के सामने से गुजरी वैसे ही पीछे से ललिया उसे आवाज देकर रोकने लगे क्योंकि उसे भी घास काटने जाना था वह जल्दी से घर में से टोकरी और घास काटने का औजार लेकर निकल पड़ी,,,। कजरी रघु के बारे में ही सोच रही थी इसलिए ललिया के इस तरह से आवाज देने के बावजूद वह उस पर गौर नहीं की और चलती रही और ललिया लगभग भागते हुए कजरी के करीब पहुंच गई और हांफते हुए बोली,,,।)

क्या हुआ कजरी तुम्हारी आवाज सुने नहीं क्या मैं तेरा इंतजार कर रही थी और तू है की भागी चली जा रही है,,।

नहीं कुछ नहीं बस थोड़ा सा तबीयत ठीक नहीं है,,,।

अरे क्या हुआ तेरी तबीयत को,,,( कजरी के माथे पर अपना हाथ लगाकर,,,।) बुखार तो बिल्कुल भी नहीं है,,,।

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है ललिया बस थोड़ा सा सर दर्द कर रहा था,,,।

तो तुझे घर पर आराम करना चाहिए था ना शालू को भेज दी होती,,,।

कोई बात नहीं मैं कर लूंगी,,,।

अच्छा रामू कहां है आज सुबह से नजर नहीं आया रघु के साथ तो नहीं है,,,
( कजरी जानबूझकर रामू के बारे में पूछ रही थी ताकि अगर रघु उसके साथ हो तो पता चल सके,,,।)

नहीं रामू तो सो रहा है,,,।

चल कोई बात नहीं ,,,,(इतना कहकर कजरी अपने कदम खेतों की तरफ बड़ा ही चली जा रही थी और साथ में ललिया भी उसके साथ हो चली थी,,, कजरी का मन उदास था लेकिन मनके उदास होने के बावजूद भी वह अपनी चाल में उदास पन ला नहीं पा रही थीं,,,, उसकी चाल मतवाली थी,,, उसकी मतवाली चाल पर उसके मन के उदासपन का बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा था,,, कजरी के बदन का हर एक ऐसा निश्छल और चंचल था जिस पर किसी भी प्रकार का लगाम नहीं था इस तरह से कजरी की मद मस्त जवानी भरा संपूर्ण बदन बेलगाम था,, और शायद इसीलिए इस उम्र में भी कजरी के बदन के हर एक अंग से जवानी की मधुर धारा फूट पड़ती थी,,। यही कारण था कि इस समय आते जाते सबकी नजर कजरी की मद मस्त जवानी पर टिकी हुई थी,,, उसके नितंबों का उठाव और घेराव इतना जबरदस्त था कि ना चाहते हुए भी उस पर सब की नजर पड़ ही जाती थी और कजरी की चूचियां तो कमाल की थी मानो उच्च किस्म की बड़ी-बड़ी दशहरी आम उसके ब्लाउज में भर दी गई हो,,,, जिसे अपने हाथों में लेकर दबा दबा कर पीने का मन गांव के हर मर्द का करता था और उनका यह सपना भी था,,,,।

चिंताओं से घिरे होने के बावजूद भी कजरी की चाल में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आ रही थी,,, कच्ची सड़क पर चलते हुए वह दूर-दूर तक नजर घुमाकर रघु को ही तलाश कर रही थी,,। ललिया भी अपनी ही मस्ती में चली जा रही थी तभी उसका खेत आ गया और वह कच्ची सड़क से नीचे उतर गई,,, तकरीबन 20 30 कदम की दूरी पर कजरी का खेत था और वह भी कच्ची सड़क उतरकर अपने खेत में हरी हरी घास काटने के लिए उतर गई,,,,
वह टोकरी लेकर हरी हरी घास के बीच बैठ गई और घास काटने लगी लेकिन घास काटते समय भी वह अपनी नजरों को इधर-उधर दौड़ाकर रघु को देखने की कोशिश कर ले रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार रात भर से रघु गायब था कहां चला गया इस बारे में उसे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,। वह अपने मन में सोचने लगी कि उसने अपने बेटे को इस तरह से डांट कर बहुत बड़ी गलती कर दी है कहीं कुछ हो गया तो वह अपनी ही नजरों में गिर जाएगी इस कल्पना से ही उसका दिल दहल उठा रहा था,,,। अपने मन को तसल्ली देते हुए अपने आप को ही बोल रही थी कि अगर वह देख भी लिया तो क्या हो गया,,,। इस तरह से तो कई लोग की नजर पड़ जाती होगी वह दुनिया में अकेला नहीं था जो अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया था पैसे कहीं लड़के होंगे जो अपनी मां को जानबूझकर या अनजाने में पेशाब करते हुए देखे ही लेते होंगे या कपड़े पहनते हुए नहाते हुए किसी भी प्रकार से नग्न अवस्था में उनकी नजर पड़ी जाती होगी तो इसका मतलब यह तो नहीं कि अपने ही बेटे को इस तरह से डांट फटकार कर घर से निकाल दिया जाए,,,,। नहीं नहीं अब वह आ गया तो मैं उससे माफी मांग लूंगी और ऐसी गलती दोबारा मुझसे नहीं होगी यह भी कह कर उसे मना लूंगी आखिर वह मेरा राजा बेटा है उसी का तो सहारा है,,,। कजरी यही सब अपने आप से बातें करते हुए अपने मन को तसल्ली दे रही थी कि तभी रघु नदी की तरफ से उसे आता हुआ नजर आया,,,, और वह रघु को देखते ही खुश हो गई और जोर जोर से रखो को आवाज देने लगी,,,, रघु भी अपनी मां की आवाज को सुन रहा था वह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके बिना नहीं रह सकती और वह भी अपनी मां के बिना नहीं रह सकता था आखिरकार गुस्सा कर कितने दिन वह दूर रह सकता है एक न एक दिन तो उसे लौटकर घर पर आना ही था,,,, लेकिन वह यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि अगर उसकी मां उसे डांट फटकार कर दूर नहीं भगाई होती तो कल की रात वह हलवाई की बीवी के खूबसूरत बदन से खेलते हुए उसकी चुदाई नहीं कर पाता,,, आखिरकार उसे यह बात अच्छी तरह से समझ में आ रही थी कि मां की डांट फटकार भी बच्चे के लिए फायदेमंद होती है,,,। और यह देख भी लिया था कि उसकी मां की डांट फटकार उसके लिए आशीर्वाद साबित हुई थी वरना वह अपनी जवानी का खाता ना खुलवा चुका होता,,।
अभी भी कजरी उसे आवाज देकर बुला रही थी और रघु उसकी तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था लेकिन जैसे-जैसे अपनी मां की तरफ आगे बढ़ता चला जा रहा था वैसे वैसे उसके जेहन में बसा वह दृश्य उसके मन मस्तिष्क पर उधर ने लगा था,,,,। हलवाई की बीवी के साथ पहली बार संभोग सुख भोगने के बाद से उसका नजरिया हर औरत के लिए बदलने लगा था,,, वैसे तो पहले भी उसका यही हाल था लेकिन जब से वह हलवाई की बीवी के नंगे बदन को देखकर उसके नंगे बदन के हर एक अंग से खेल कर उसकी चुदाई किया था तब से अब हर औरत के प्रति उसका नजरिया बदलता जा रहा था इसलिए तो वह जैसे जैसे अपनी मां के करीब बढ़ता जा रहा था जैसे वैसे उसकी आंखों के सामने,,, उसकी मां की नंगी गांड और उसकी बुर में से निकलती हुई पेशाब की तेज धार नजर आने लगी थी और यह दृश्य उसके मन में उभरते ही उसके लंड का तनाव बढ़ना शुरू हो गया था,,, बार-बार वह अपने मन को दूसरी तरफ भटकाने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा उसके लिए शायद मुमकिन नहीं हो पा रहा था,,,, पहली बार में ही वह अपनी मां की नंगी गांड के आकर्षण में पूरी तरह से बंध चुका था।

वह धीरे-धीरे खेतों में खड़ी अपनी मां के करीब पहुंच गया और उसकी मां एक पल की भी देरी किए बिना उसे अपने गले से लगा ली,,,,,। पल पल भर में ही उसके पूरे चेहरे पर चुंबनों की बारिश कर दी,,, हलवाई की बीवी के नंगे बदन का मजा चख चुका रघु अपनी मां के इस तरह से चुंबन लेने पर पल भर में ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, एक पल के लिए तो उसके जी में आया कि वह भी अपनी मां को बाहों में लेकर उसे चुंबन से नहला दे और उसकी गदर आई जवानी को खेतों में लेटा कर निचोड़ ले,,,,। लेकिन अभी इतनी हिम्मत उसके में नहीं थी कि वह इस तरह की मनमानी अपनी मां के साथ कर सके वह बूत बना अपनी मां के चुंबन होता मजा ले रहा था और चुंबनो के बाद कजरी उसे अपने गले से अपने सीने से लगा ली,,,, कजरी के सीने से लगते ही रघु के तन बदन में शोले भड़क में लगे उसका पूरा वजूद उत्तेजना की लहर में कांप गया,,,, क्योंकि जिस तरह से कजरी ने उसे अपने सीने से भींचते हुए गले लगाई थी,,, उससे कजरी की भारी-भरकम चूचियां रघु के सीने से रगड़ खा रही थी और उसकी तनी हुई निप्पल उसके सीने में चुप रही थी जिसकी चुभन को वह अच्छी तरह से अपनी छातियों पर महसूस कर रहा था,,,, उत्तेजना के बारे में पूरी तरह से गनगना गया था,,,, पर अपनी मां की इस हरकत की वजह से उसे अपने पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होता हुआ महसूस हो रहा था,,, और उसे यह भी साथ महसूस हो रहा था कि उसके भेजा मैंने उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल लेकर उसकी मां की टांगों के बीच ठीक उसकी बुर वाली जगह पर ठोकर मार रहा था,,,। उसे इस बात का पता तो नहीं था कि उसकी मां को उसके तंबू के कठोर पन का एहसास अपनी बुर पर हो रहा है कि नहीं लेकिन,,, इतने से ही रघु का पूरा वजूद हिल गया था उसका ईमान डोल ने लगा था,,,,। कजरी अभी भी रघु को अपने गले से लगाए उसे दुलार कर रही थी,,, व खेतों के बीचो बीच खड़ी थी लेकिन लंबी लंबी जंगली झाड़ियां होने की वजह से,, उन दोनों को कोई भी नहीं देख पा रहा था रघु तो एकदम मस्त हुआ जा रहा था वाशी तरह से समझ गया था कि औरत की चुदाई का सुख क्या होता है तभी तो वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के आकर्षण में पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था उसे बराबर महसूस हो रहा था कि उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की टांग के बीच उसकी गुरु पर ही दस्तक दे रही है लेकिन अपने बेटे को दुलार करने में कजरी को शायद इस बात का अहसास तक नहीं हो पा रहा था कि उसके गुप्तांगों को उसके बेटे का गुप्त अंग स्पर्श कर रहा है एक तरह से कपड़ों के ऊपर से ही शुभम का मोटा तगड़ा लंड अपनी मां की कसी हुई बुर का चुंबन कर रहा था,,,,।

रघु पूरी तरह से उत्तेजना के आवेश में आ चुका था और वह भी अपने हाथ को अपनी मां की पीठ पर रखकर अपना प्यार दर्शा रहा था,,,,।

कहां चला गया था बेटा तू तुझे देखने के लिए मेरी आंखें तरस गई थी,,,( कजरी अपने बेटे को पाकर एकदम से रोते हुए बोली,,,।)

यही था मां तु मुझसे नाराज थी ना इसलिए,,,,( इतना कहते हुए रघु अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली को फेर रहा था,,,।)

अगर आज तो नहीं आता बेटा तुम्हें मर जाते मैं तुझसे बिछड़ना नहीं चाहते मैं तुझसे गुस्से में बोल गई थी इसका मतलब यह नहीं था कि तू मुझसे दूर चला जाए,,,,।


नहीं मम्मी कहीं नहीं जाऊंगा तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा,,,,( रघु पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था वह अपनी मां को बाहों में समाया हुआ था,,,, उसके तन बदन को उसकी मां की खूबसूरत बदन से उठती हुई मादक खुशबू बेहाल कर रही थी,,,,।)

मुझसे वादा कर रघु तु मुझे छोड़कर कभी नहीं जाएगा भले मैं तुझे कितना भी डाटु या मारु तुम मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगा,,,,,( इतना कहते हुए कजरी लगातार रोए जा रही थी और दूसरी तरफ रघु पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा,,, था,,,)

मैं कहीं नहीं जाऊंगा मैं तुमसे वादा करता हूं कहीं नहीं जाऊंगा,,,,( इतना कहते हुए रघु पूरी तरह से मदहोश हो चुका था और वह अपने दोनों हथेली को अपनी मां की चिकनी कमर से होता हुआ उसे नीचे की तरफ उसके नितंबों के उभार पर ले गया और उसे अपने हथेली में भरकर हल्के से दबाता हुआ अपनी तरफ खींच लिया जिससे इस बार उसके लंड की ठोकर कजरी को अपनी बुर की नर्म दीवारों पर एकदम बराबर महसूस हुई और वह एकदम से सकते में आ गई,,, रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपनी मां को कहीं ना जाने का दिलासा देते हुए एक बार फिर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपनी हथेली में लेकर उसे दबाता हुआ फिर से अपनी तरफ खींच लीया,,,। इस बार कजरी एकदम से घबरा गई क्योंकि अपनी दूर पर लगने वाली ठोकर को वह समझ नहीं पाई थी कि यह चुभन कैसा है,,, लेकिन दूसरी बार जब रघु ने उसके नितंबों को अपनी हथेली में दबोच ते हुए अपनी तरफ खींचा तब जाकर उसे साफ महसूस हुआ कि उसकी टांगों के बीच होने वाली चुभन किसी और चीज की नहीं बल्कि उसके बेटे के खड़े लंड की है,,,,। पल भर में ही कजरी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी शर्म के मारे उसका चेहरा लाल हो गया,,,, वह अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग करते हुए बोली,,,।)

रघु तू पहले घर पर जाकर नहा ले और खाना खा ले कल से तू कुछ नहीं खाया नहीं है,,,।

नहीं मां मैं तुम्हारे साथ चलूंगा मैं भी कुछ देर यही काम कर लेता हूं,,,।

नहीं रघु तू मेरी बात मान पहले जाकर के अच्छे से नहा ले खाना खाकर फिर मेरे लिए भी तू खाना लेकर आ जाना तब तक मैं यही हुं।
Mast update mitr
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
रघु घर जाने के लिए तैयार हो गया,,, वैसे उसे भूख भी लगी थी,,,, वह घर की तरफ निकल गया आज पहली बार हुआ है अपनी मां के नितंबों पर हाथ लगाया था जिसकी गर्माहट का अहसास उसे अभी तक अपने हथेली के साथ-साथ संपूर्ण बदन में हो रहा था,,, और तो और पहली बार उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां की टांगों के बीच की मखमली बुर के ऊपर ठोकर लगाई थी जिसकी वजह से वह अपने तन बदन में अत्याधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे यह तो पता नहीं चला कि उसकी मां को इस बात का एहसास हुआ कि नहीं लेकिन इतने में ही उसे पूरी तरह से मस्ती छा गई थी,,,। इतना तो रखो समझ ही गया था कि हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड से उसकी मां की गांड छोटी ही थी,,, लेकिन बेहद भरावदार और सुडोल थी,,, एक खूबसूरत और भरे हुए बदन की औरत के पास जिस तरह की मदमस्त गांड होनी चाहिए थी ठीक वैसे ही गांड उसकी मां के पास थी जिसकी वजह से रघु पूरी तरह से लालायित हो गया था अपनी मां की नंगी गांड को देखने के लिए लेकिन शायद अब यह बिल्कुल मुमकिन नहीं था,,,। इतना उसके लिए काफी था कि आज गले मिलने के बहाने ही सही वह अपनी मां के नितंबों को साड़ी के ऊपर से स्पर्श तो कर पाया था,,, साथ ही उसकी नरम नरम खरबूजे जैसी चूचियों की चुभन को अपने सीने पर महसूस भी किया था,,,।


कजरी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि पल भर में ही यह क्या हो गया जिस तरह की चुभन वह अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस की थी क्या सच में उसके बेटे का लंड बेहद तगड़ा है,,,। क्या रघु ने अपनी हथेली को जानबूझकर उसकी गांड पर रखकर दबाया था या अनजाने में हो गया था,,, कजरी यही सब अपने मन में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रघु की हरकत का क्या निष्कर्ष निकाला जाए,,। कजरी को अच्छा तो नहीं लग रहा था रघु के द्वारा इस तरह की हरकत करना लेकिन जो कुछ भी हुआ था ना जाने क्यों उसके तन बदन में आग सी लग गई थी,,,। वह अपने बेटे को दुलार करते हुए गले से तो लगाई थी लेकिन उसके बाद जिस तरह की हरकत रघु ने किया था वह उसे सोचने पर मजबूर कर गया था क्योंकि एक तरह से रघु उसे अपनी बाहों में भर लिया था और अपनी हथेली को उसके संपूर्ण बदन पर इधर से उधर घुमा भी रहा था और दुलार करते समय ना जाने कब उसकी हथेली उसकी बड़ी बड़ी गांड पर आ गई यह उसे पता भी नहीं चला लेकिन अगर यह सब अनजाने में हुआ तो रघु ने उसके नितंबों पर अपनी हथेली का दबाव बनाकर अपनी तरफ क्यों खींचा और तो और वह अपनी टांगों के बीच की चुभन को बराबर महसूस की थी और अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह कठोर चीज उसकी मखमली द्वार पर ठोकर मारने वाली कौन सी चीज थी कजरी अच्छी तरह से जानती थी की साड़ी के ऊपर से भी एकदम बराबर अपनी ठोकर को महसूस कराने वाली चीज उसके बेटे का खड़ा लंड था,,, पर एक औरत होने के नाते वह यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब और किस कारण से खड़ा होता है और यही बात समझ में नहीं पा रही थी कि क्या वाकई में उसका बेटा उसके गले लगते ही पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जो उसका लैंड खड़ा हो गया और उसी उत्तेजना बसवा उसके नितंबों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा था नहीं नहीं यह गलत है मेरा बेटा ऐसा नहीं हो सकता यह सब अनजाने में हुआ था,,, और कजरी अपने मन को झूठी दिलासा देते हुए उस और से अपना ध्यान हटाकर काम में लगा दी और वापस घास काटने लगी,,,


दूसरी तरफ रघु घर पर पहुंच चुका था उसे बहुत जोरों की भूख लगी थी,,,। नहाने से पहले वह खाना खा लेना चाहता था,,,। इसलिए वह अपनी बहन को ढूंढता हुआ अंदर के कमरे में जा पहुंचा,,, जहां पर कजरी अपने ही मस्ती में मगन होकर अपने गीले बालों को कंघी से सवार रही थी,,,। और दरवाजे पर पहुंच कर रघु के पांव वहीं के वहीं जम गए और वह अपनी बहन को आंख फाड़े देखता ही रह गया,,,, क्या करें सामने का नजारा ही कुछ इतना जबरदस्त और गर्म था कि वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाया वैसे तो सालों के लिए बेहद औपचारिक ही था लेकिन जवान हो रहे रघु के लिए पूरी तरह से उत्तेजना से भर देने वाला दृश्य था क्योंकि अभी अभी शालू नहाकर घर में आई थी और सिर्फ अपने बदन पर कुर्ती ही पहन रखी थी बाकी नीचे सलवार नहीं पहनी थी नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और कुर्ती भी उसकी कमर से बस 2 इंच तक ही आती थी जिससे शालू के समस्त नितंबों का भूगोल रघु की आंखों के सामने उजागर हो रहा था,,। क्योंकि शालू की पीठ रघु की तरफ थी रघु तो अपनी बहन की मदमस्त गोरी गोरी गांड और उसकी चिकनी लंबी टांगों को देखकर एकदम मस्त हो गया वह भी भूल गया कि उसकी आंखों के सामने कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन है,,,। लेकिन यह आखों को कहा पता चलता है कि सामने अर्धनग्न अवस्था में कौन है बस उसे तो अपने अंदर गर्माहट महसूस करने से ही मतलब रहता है और वही हो भी रहा था,,,।
हलवाई की बीवी की चुदाई के बाद उसे रघु का नजरिया एकदम से बदल गया था वरना वह इस तरह से आंख पानी अपनी बहन को अर्धनग्न अवस्था में नहीं देखता रहता बल्कि वहां से चला जाता,,। वैसे भी कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के गले लग कर उसके नितंबों को अपनी हथेली में दबा दिया था जिसकी गर्माहट को वह अभी तक अपने तन बदन में महसूस कर रहा था। उस पल की सनसनाहट अभी तक उसके बदन से दूर हुई नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से बेहद गर्म नजारा देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,।
आज पहली बार वह अपनी बहन को इस अवस्था में देख रहा था पूरा जाकर पता चला था कि उसकी बहन कितनी खूबसूरत और मादक जिस्म की मालकिन है,,,। अपनी बहन की गोरी गोरी गांड और उसकी बीच की गहरी फांक को देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,। उसकी चीन में तो आ रहा था कि कमरे में जाकर पीछे से अपनी बहन को अपनी बाहों में भर ले और अपना खड़ा लैंड उसकी मुंह में डालकर उसकी चुदाई कर दे क्योंकि एक बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके उसे अब पता चल गया था कि औरत को कैसे चोदा जाता है और उन्हें कैसे खुश किया जाता है लेकिन अभी वह अपनी बहन के साथ यह नहीं कर सकता था हालांकि करने का मन करने लगा था,,,।

तभी अपनी ही मस्ती में बालों को संभाल रही सालू को इस बात का एहसास हुआ कि उसके पीछे कोई खड़ा है तो वह पीछे नजर घुमा कर देखी तो दरवाजे पर रघु खड़ा था और उसे देखते ही वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई और अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, तभी बिस्तर पर से चादर को खींचकर व अपने नंगे तन को छुपा ली,,,,। अपनी बहन की हड़बड़ाहट देखकर रघु समझ गया कि ज्यादा देर तक खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह वहां से वापस लौटते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से खाना निकाल दो मैं नहा कर आता हूं और मां के लिए खाना भी ले जाना है,,,। ( इतना कह कर रघु नहाने के लिए चला गया और शालू जल्दी से अपनी सलवार ढूंढ कर उसे पहन ली,,,। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह भी पहली बार अपने छोटे भाई की आंखों के सामने इस अवस्था में खड़ी थी उसे इस बात का एहसास तो हो ही गया था कि जिस तरह से वह दरवाजे की तरफ पीठ करके अपने बालों को संभाल रही थी उसका भाई जरूर उसकी गोरी गोरी गांड को देख ही लिया होगा,,, और यह एहसास उसके तन बदन को पूरी तरह से झकझोर गया,,,। आईने में अपनी शक्ल को देखकर वह शरमा गई,,,। लेकिन तभी उसे वह पल याद आ गया जब वह अपने भाई को जगाने के लिए उसके कमरे में गई थी और उसका भाई बेसुध होकर सो रहा था जिसकी वजह से उसका लंड बाहर निकल कर पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था और उसके खड़े मोटे तगड़े लंड को देखकर शालू के तन बदन में आग लग गई थी,,,,। उस पल के बारे में सोच कर शालू को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके भाई ने उस दिन वाली बात का उससे बदला ले लिया हो उस दिन उसने उसके नंगे लंड को देखी थी और आज वह उसकी नंगी गांड को देख लिया था,,

थोड़ी ही देर में शालू रसोई के पास आकर अपने भाई के लिए खाना परोस कर वहीं बैठी रही और रघु नहाने के लिए लकड़ी के बने झुग्गी जैसे स्नानघर में घुस गया था अंदर पहले से ही दो बाल्टी पानी भर के रखा हुआ था,,। रात भर हलवाई की बीवी की चुदाई और सुबह अपनी मां के नितंबों का गर्माहट भरा स्पर्श और घर में अपनी बहन की मदमस्त नंगी गांड को देख कर रघु पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और स्नान घर में घुसते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर अपनी खड़े लंड पर साबुन लगा कर ऊसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,,। और अपने लंड को हिलाते हुए रघु रात भर और अभी तक के सारे दृश्य के बारे में सोचने लगा था बार-बार उसकी आंखों के सामने हलवाई की बीवी का नंगा बदन उसकी मां की बड़ी-बड़ी नितंब और शालू की गोरी गोरी गाना नजर आ रही थी जिसमें कल्पना करते हुए बारी-बारी से अपना लंड पल रहा था काफी उत्तेजना का अनुभव करते हुए थोड़ी ही देर में रघु के लंड ने पानी का फव्वारा फेंक दिया,,,, अपनी गर्मी शांत करते हुए वह जल्दी से नहा कर स्नान घर से बाहर आ गया।

जल्दी से कपड़े पहन करवा खाने के लिए बैठ गया,,, और उसके खाना खाने के लिए बैठते ही शर्म के मारे शालू वहां से उठकर अंदर कमरे में चली गई,,,, अपने भाई के द्वारा अपनी नंगी गांड देखे जाने की वजह से उसके तन बदलने में तेज ना की लहर दौड़ रही थी शर्मिंदगी का अहसास तो हो ही रहा था लेकिन साथ में उत्तेजना की आगोश में वह अपने आप को पूरी तरह से डुबोती चली जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में रघु ने खाना खा लिया और शालू को आवाज देते हुए बोला,,,।

दीदी जल्दी से मां के लिए खाना बांध दो मुझे खेतों पर जाना है,,,।
( इतना सुनते ही शालू अंदर से निकलकर बाहर रसोई के पास आई और अपनी मां के लिए रोटी सब्जी और प्याज काट कर रखने लगी,,, शालू अपने भाई से नजर नहीं मिला पा रही थी उसे बहुत ज्यादा शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी मां के लिए खाना बांधते हुए रघु की तरफ देखे बिना ही बोली,,,,)

रात भर कहां गया था तुझे मालूम है मां कितनी परेशान हो रही थी,,,।


कहीं नहीं दीदी बस दोस्तों के साथ था,,,। ज्यादा रात हो गई तो उन्हीं के घर सो गया,,,,।

कहीं भी जाया कर तो मां को बता कर जाया कर,,, ले जल्दी से खेतों पर जाना वरना मां भूखी रह जाएगी,,,( रघु को खाने की पोटली थमाते हुए शालू बोली,,,)

ठीक है दीदी तुम चिंता मत करो मैं समय पर खेत पर पहुंच जाऊंगा,,,,( इतना कहते हुए रघु खाने की पोटली को हाथ में लेकर खड़ा हुआ और जाते-जाते बोला) दीदी कुछ देर पहले जो कुछ भी हुआ उसे मां से मत बताना मैं अनजाने में दरवाजे पर पहुंच गया था मुझे मालूम नहीं था कि तुम कपड़े नहीं पहनी हो,,,,( रघु के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम से झेंप गई लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह गलती से हुआ इस में तेरी कोई गलती नहीं है इसलिए तू जा मैं मां से कुछ नहीं कहूंगी,,,,( शालू की बात सुनते ही रखो मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और सालू वहीं खड़ी तब तक उसे देखती रही जब तक कि वह आंखों से ओझल नहीं हो गया,,, वह खड़ी खड़ी यही सोच रही थी कि क्या सच में यह सब अनजाने में हुआ था क्या रखूं सच में अनजाने में ही दरवाजे तक आ गया था लेकिन अगर अनजाने में हुआ था तो वह तुरंत चला क्यों नहीं किया खड़े होकर देख क्यों रहा था,,,। रघु कि मुझे अभी की बात सुनकर और कुछ देर पहले की हरकत को देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या समझे क्या फैसला ले,,,, शालू भी यह सब अनजाने में हुआ होगा ऐसा झूठी दिलासा आपने आपको देकर काम में व्यस्त हो गई,,,। रघु कल रात से लेकर के अबतक के वाकए के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, उसे एहसास होने लगा था कि किस्मत उसके ऊपर पूरी तरह से मेहरबान हो चुकी थी,,,, कल रात से ही उसके साथ वह सब हो रहा था जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना ही कर पा रहा था,,, कल रात से क्यों दोपहर से ही जब से वह अपनी मां को पेशाब करते हुए देखा था तब से उसकी जिंदगी में सब कुछ बदलता चला जा रहा था अगर वह अपनी मां को पेशाब करते हुए ना देखता तो उसकी मां यह देख कर उस पर डांट फटकार ना लगाते और उस डांट फटकार को दिल पर ले कर रघु घर से दूर गांव के किनारे रात को नहीं रुकता और वहां रघु नहीं रुकता तो हलवाई की बीवी उसे घर में नहीं बुलाती और हलवाई की बीवी के साथ जिंदगी में पहली बार संभोग सुख का सुख नहीं भोग पाता,,,, फिर सुबह उसकी मां परेशान होकर उसे गले नहीं लगाती और ना ही फिर रघु अपनी मां के भारी-भरकम नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श कर पाता,,,, और ना ही वह घर पर खाना खाने के लिए जाता और ना ही किस्मत के जोर पर चलती वह अपनी खूबसूरत बहन की खूबसूरत गांड के दर्शन कर पाता यही सब सोचकर वह मस्त हुआ जा रहा था और अपनी किस्मत पर इठला भी रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसे बहुत सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना है कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है वरना कहीं खेत में जिस तरह से उसकी मां उसे गले लगाई थी और वह उसी का फायदा उठाते हुए उसके नितंबों को अपनी हथेली से स्पर्श करके अपनी तरफ खींच कर उसकी जवानी को अपने अंदर समाने की कोशिश किया था अगर फिर से वह गलती करेगा तो उसकी मां हो सकता है फिर से उसे घर से निकाल दे उस पर नाराज हो जाए ओर ऐसा रघु बिल्कुल भी नहीं चाहता था,,,।


थोड़ी ही देर में खाना लेकर रघु खेतों पर पहुंच गया उसकी मां अभी भी खेतों के बीच बैठकर बड़ी-बड़ी घास को काट रही थी सूरज एकदम सर पर तप रहा था,,,। और कजरी की नजर जैसे ही रघु पर पड़ी एक बार फिर से उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, क्योंकि रघु को देखते ही कुछ देर पहले का वाकया उसे याद आ गया,,,। शर्मिंदगी का अहसास उसे अंदर तक हो रहा था इसलिए वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,। रघु भी अब थोड़ा सा अपनी मां से कन्नी काट रहा था क्योंकि वह अपनी मां को एहसास नहीं होने देना चाहता था कि जो कुछ भी हुआ था वह जानबूझकर हुआ था वह यही दिखाना चाहता था कि गले लगते समय जो भी हरकत उसकी तरफ से हुई थी वह अनजाने में हुई थी इसलिए वह एकदम सहज बना रहा,,,।

मां खाना खा लो नहीं तो खाना ठंडा हो जाएगा और धूप भी बहुत है थोड़ी देर आराम कर लो,,,,। ( इतना कहते हुए वह भी खेतों के बीचो बीच पहुंच गया जहां पर उसकी मां घास काट कर घास का ढेर लगा चुकी थी,,, कजरी भी थक चुकी थी इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए खाना खाने के लिए तैयार हो गई,,,, पास में ही खेतों मैं पानी जाने के लिए मेड बनाई गई थी उसमें से एक दम साफ पानी बह रहा था जिसमें कजरी हाथ धोकर पेड़ की छांव के नीचे आ गई,,,। खाली की पोटली रघु अपनी मां को थमा कर वहीं खड़ा हो गया और कजरी नीचे बैठकर खाने की पोटली खोलते हुए बोली,,,।

रघु जाकर ललिया को बुला दे तो पास में अपने खेतों में वह भी घास काट रही हैं अगर वह भी दो रोटी खा लेगी तो उसे भी थोड़ा सुकून मिल जाएगा,,,।

ठीक है मां मैं अभी बुला कर लाता हूं,,,,( इतना कहकर रघु पास वाले खेत में चला गया जहां पर ललिया भी घास काट रही थी,,,)

चाची चलो खाना खा लो मां बुला रही है,,,।

मैं अभी घर नहीं जाऊंगी रघु काम खत्म करने के बाद ही जाऊंगी,,,।


अरे घर नहीं जाना है मैं खाना लेकर आया हूं चलो खा लो,,,


यह तो तूने बहुत अच्छा काम किया मुझे भी बहुत जोरों की भूख लगी है,,।

तो चलो जल्दी चल कर खा लो,,,,

तू चल मैं आती हूं,,,

( रघु चला गया और उसके पीछे पीछे थोड़ी ही देर में ललिया भी वही पहुंच गई,,, तीनों आपके घने पेड़ के नीचे बैठे हुए थे और कजरी रोटी और सब्जी ललिया को भी दे रहे थे रघु घर से खाना खाकर आया था,,,, दोनों खाना खाने लगी तो रघु पानी लेने के लिए चला गया जो कि पास में ही हेडपंप बना हुआ था,,,,। गर्मी बड़े जोरों की पड़ रही थी फिर तुम के करीब पहुंचकर रघु हेंडपंप चलाकर पहले खुद पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लिया,,,, तो फिर बर्तन में पानी भरने लगा,,, पानी लेकर जब रघु पेड़ के नीचे पहुंचा दो ललिया निश्चिंत होकर रोटी सब्जी खा रही थी वह एक टांग मोड कर रिप्लाई फैलाकर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उसके घुटनों के ऊपर तक चढ गई थी,,,,। जिसकी वजह से उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया साफ नजर आ रही थी पर यह देख कर रघु का मन ललिया के ऊपर डोलने लगा,,,। वह चोर नजरों से बार-बार ललिया की चिकनी टांग को देख ले रहा था,,, और ललिया काम में इतना मशगूल होकर घास की कटाई कर रही थी कि उसके ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ है इसका उसे आभास तक नहीं था,,, जिसमें से उसकी गदराई चूचियां नजर आ रही थी,,,, जो देखते ही रघु एकदम से मस्त होने लगा लेकिन वह अपनी नजरें अपनी मां और ललिया दोनों से बचाकर चोरी-छिपे इस नजारे का आनंद ले रहा था,,,, घुटनों तक की खुली नंगी चिकनी टांग देखकर रखो मन में यही कल्पना कर रहा था कि ललिया के दलों के बीच भी हलवाई की बीवी की तरह रसीली बुर होगी,,, और यह ख्याल मन में आते ही रघु के पजामे में उसका लंड हिलोरे लेने लगा,,, लेकिन रघु नहीं चाहता था कि उसके पेंट में बना तंबू उसकी मां और ललिया देखें इसलिए वह वहीं पर बैठ गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों खाना खा चुके थे धूप बड़ी तेज थी गर्मी का महीना होने की वजह से इस तरह की धूप में काम करना मुमकिन नहीं था,,,। इसलिए रघु उन दोनों से बोला,,,।


तुम दोनों खाना खा चुके हैं इसलिए आराम कर लो तो अच्छा होगा,,, और इस पेड़ के नीचे आराम करना ठीक रहेगा,,,।

तो सही कह रहा है रघु हम दोनों इतनी धूप में काम करके थक चुके हैं और खाना खाने के बाद आराम करना भी जरूरी है इसलिए हम दोनों यहीं आराम कर लेते हैं थोड़ी देर,,,। ( ललिया कजरी की तरफ देखते हुए बोली जिस में दोनों की सहमति थी इसलिए दोनों आराम करने लगे और रघु इधर-उधर घूमने लगा,,, इधर-उधर घूमते हुए थोड़ा दूर निकल गया तो उसे वहां रामू मिल गया और उसे देखते ही रामू बोला,,,।)

कल तू कहां चला गया था,,,, ना घर पर मैं खेतों में कहीं दिखा ही नहीं,,,,।

हां कल जरूरी काम था मुझे एक रिश्तेदार के घर जाना था इसलिए कल मैं घर पर नहीं मिला,,,। और बता क्या चल रहा है,,,। धीरे-धीरे तेरी बहने तो बहुत खूबसूरत होती जा रही है,,,,।

देख रघु तू ऐसी बातें मत किया कर मुझे गुस्सा आ जाता है,,,।

रामू तू पागल हो गया है मैं तो सिर्फ सच कहता हूं तुझे बुरा लग जाता है सच बताना क्या तेरी बहने खूबसूरत नहीं है,,,।
( रघु की यह बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं पाया,,,।) और तो और रामू तेरी बहन को तो छोड़ो तेरी मां कितनी खूबसूरत है अभी अभी देख कर आया हूं,,,।

क्या क्या क्या देख कर आया है रघु तो देख उल्टी-सीधी बातें मत किया करो वरना तेरी और मेरी दोस्ती टूट जाएगी,,,।


अरे पागल जो मैं कहता हूं वह सच कहता हूं अभी अभी देख कर आ रहा हूं तेरी मां और मेरी मां दोनों साथ बैठकर खाना खा रही थी,,,।


कहां खाना खा रही थी,,,?

अरे खेतों में मैं ही तो खाना लाया था दोनों के लिए,,,, सच यार रामू तेरी मां बेफिक्र होकर जिस तरह से एक टांग मोड़ कर बेफिक्र होकर खाना खा रही थी ना तेरी मां की साड़ी घुटनों तक चड़ गई थी जिसकी वजह से तेरी मा की चिकनी चिकनी टांगें मुझे नजर आ रही थी,,, मैं तो देख कर एक दम मस्त हो गया यार रामू मेरा तो मन कर रहा था कि तेरी मां की साड़ी कमर तक उठाकर दोनों टांगें फैलाकर अपना लंड तेरी मां की बुर में डालकर चोद दु,,, लेकिन पता नहीं तेरी मां तैयार होगी कि नहीं,,,, अच्छा तू बता रामू अगर में तेरी मां को चोद ना चाहु तो क्या तेरी मां मुझसे चुदवाएगी,,,
( रघु की बात सुनकर रामू कुछ बोल नहीं रहा था बस गुस्से में उसे देखता जा रहा था,,,।)

देख रहा हूं यह सब अच्छी बात नहीं है मैं अपनी मां से बता दूंगा,,,,।

यार तू नाराज क्यों होता है तू तो मेरा दोस्त है और दोस्त की मां पर इतना तो हक बनता ही है,,,। ( इतना कहते हुए रघु उसके कंधे पर हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींचकर उसे मनाने की कोशिश करने लगा और रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की गंदी बातें भले ही वह उसकी मां के बारे में करता हूं यह सब बातें रामू को भी अच्छी लगती है तभी तो वह अपनी मां को अभी तक कुछ भी नहीं बताया अगर उसे बुरी लगती तो आप तक वह अपनी मां को सब कुछ बता भी दिया होता और उससे दोस्ती तोड़ दिया होता,,। रामू शांत हो गया था और रघु इधर उधर की बातें करने लगा था,,,, मज़ाक मजाक में रघु अपने मन की बात कह गया था यह बात सच है कि ललिया को लेकर रघु हमेशा कल्पना किया करता था और उसे चोदने का ख्वाब देखा करता था और आज उसकी नंगी चिकनी टांग देखकर उसका मन डोलने लगा था,,,,। इधर उधर की बात और खेतों में घूमते हुए धीरे-धीरे दिन गुजरने लगा और शाम होने लगी तो रघु को ख्याल आया कि उसे तो खेतों पर जाना है और वह तुरंत रामू को लेकर खेत पर पहुंच गया जहां पर अभी तक उसकी मां और ललिया दोनों आराम कर रही थी रघु जल्दी से उन दोनों को जगाया,,,। दोनों हड़बड़ाहट में उठी दोनों को देर हो चुकी थी लेकिन अभी शाम ढलने में कुछ वक्त बाकी था इसलिए दोनों फिर से खेत में उतर गई और घास काटने लगी इस बार रघु और रामू दोनों अपनी अपनी मां का हाथ बंटाने लगे,, थोड़ी ही देर में दोनों का काम निपट गया और अंधेरा होने लगा,,, रघु कटी हुई खास का ढेर सारा ढेर बना कर उसे माथे पर उठा लिया और खेतों से बाहर आ गया,,,, दोनों घर की तरफ जा रहे थे,,, लेकिन अभी भी ललिया का काम खत्म नहीं हुआ था,,,। अंधेरा हो रहा था और रघु के दिमाग में कुछ और चल रहा था वाह रामू जो कि अपनी मां के साथ उसका हाथ बटा रहा था उसे आवाज देकर बुलाया,,,,। रघु की आवाज सुनते ही रामू दौड़ता हुआ उसके पास आया और बोला,,।

क्या हुआ रघु,,,


लगता है चाची का काम अभी तक खत्म नहीं हुआ है एक काम कर तू यह घास का ढेर माथे पर रखकर मेरी मां के साथ घर पर चला जा मैं जल्दी से काम खत्म करके चाची के साथ आ जाता हूं,,,,,

हां रामू रघु ठीक कह रहा है तुझसे जल्दी नहीं हो पाएगा और रघु जल्दी जल्दी काम खत्म कर देगा,,,

( रघु अपने माथे पर का बोझा रामू के सर पर रख दिया और रामू कजरी के साथ घर की तरफ चला गया और रघु कच्ची सड़क से खेत में उतर गया,,,,,।)
Jaandaar update mitr
 
  • Like
Reactions: Sameer and Napster

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
रामू रघु का बोझ सर पर उठाकर कजरी के पीछे पीछे घर चला गया,,, रघु ललिया की मदद करने के लिए खेत में उतर गया,,,, ललिया जल्दी-जल्दी कटी हुई घास का ढेर बना रही थी,,,।

क्या हुआ चाची इतनी देर क्यों लगा दी,,,।

इसकी वजह से ही हुआ है ना तुम मुझे खाना खाने के लिए बुलाता और ना मैं खाना खा कर आराम करने बैठ गई और ना मेरी आंख लग जाती तो इतनी देर ना होती,,,।

अरे कोई बात नहीं चाची मैं आ गया हूं ना अब जल्दी हो जाएगा,,,।


अच्छा हुआ तू आ गया रघु अब जल्दी से घास का ढेर रस्सी से बांधकर मेरे सर पर रख दे,,,,।( ललिया एकदम सीधी खड़ी होते हुए और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखकर बड़ी ही मादक अदा दिखाते हुए बोली हालांकि यह बिल्कुल उसके लिए सहज था उसने कोई जानबूझकर इस तरह की अदा नहीं दिखाई थी लेकिन रघु के देखने का रवैया पूरी तरह से बदल चुका था इसलिए ललिया के इस तरह से खड़े होने पर भी ऐसे ललिया के अंदर मादकता नजर आ रही थी,,, रघु घास के ढेर को रस्सी से बांधते बांधते ललिया के खूबसूरत यौवन का रस अपनी आंखों से पीने लगा,,,, ललिया की दोनों चूचियां कसे हुए ब्लाउज में और भी ज्यादा उछाल मार रहे थे,,,। उनको देखते ही रघु के मुंह में पानी आ गया,,,,,

रघु घास के ढेर के बोझ को रस्सी से अच्छी तरह से बांध चुका था,,,। वैसे तो इस बोझ को रघु को ही उठाना था लेकिन रघु के मन में कुछ और चल रहा था,,,। इसलिए वह घास के ढेर को उठाकर ललिया के सर पर रखने की तैयारी करने लगा और ललिया भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अपने लिए जगह बना कर अच्छी तरह से खड़ी हो गई ताकि रघु आराम से उसके सर पर घास का ढेर रख सके,,, घास के बोझ को उठाकर रघु ललिया के सर पर रखने लगा,,, घास का ढेर कुछ ज्यादा ही था,,, रघु ललिया के ठीक सामने से उसके सर पर बोझ रखने लगा,,, वह बोझ उसके सर पर रखने के बहाने धीरे-धीरे ललिया के एकदम करीब आने लगा इतना करीब के देखते ही देखते ललिया की मदमस्त जवान चूचियां रघु के सीने से स्पर्श होने लगी,,, ललिया कीमत मस्त चूचियों की कड़ी निकल जैसे ही रघु के सीने में स्पर्श करते हुए चुभने लगी वैसे ही तुरंत रघु के तन बदन में आग लग गई उसका पूरा शरीर उत्तेजना के मारे गनगना गया,,,,, पल भर में ही रघु को लगने लगा कि जैसे वह उछल कर चांद को छू लिया हो,,, अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से भर गया,,,, पर यही हाल ललिया का भी होगा भोज उसके सर पर रखने के बहाने खरगोश के बेहद करीब आ गया था और उसे भी अपनी मदमस्त चूचियां रघु की चौड़ी छाती पर स्पर्श के साथ-साथ रगड़ होती हुई भी महसूस होने लगी थी,,,, ललिया के तन बदन में भी उत्तेजना का संचार होने लगा,,,। पल भर में ही उसे भी ना जाने क्या अपने तन बदन में हलचल महसूस होने लगी थी,,,,। रघु के इतने करीब होते हुए ललिया अपने आप को असहज महसूस करने लगी थी,,,। रघु अभी भी उसके माथे पर घास के बोझे को ठीक तरह से रखने की कोशिश कर रहा था,,,, और इसी कोशिश में वह ललिया के और ज्यादा करीब आ गया अब वह इतना ज्यादा करीब आ गया था कि उसके पजामे में बना तंबू देखते ही देखते ललिया की दोनों टांगों के बीच स्पर्श होने लगी,,,, और देखते ही देखते रघु के पजामे का तंबू लग जा की दोनों टांगों के बीच के मखमली द्वार पर ठोकर मारने लगा,,, ललिया तीन बच्चों की मां थी और अभी जवान बच्चे इसलिए उसे समझते देर नहीं लगेगी इसके दोनों टांगों के बीच की है ठोकर रघु के बदन के कौन से अंग की है पर यह एहसास ललिया को होते ही वह पूरी तरह से कसमसाने लगी और वह पूरी तरह से लाचार और असहज हो गई जिसकी वजह से वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पीछे की तरफ गिर गई साथ ही वह गिरते-गिरते अनजाने में ही अपने दोनों हाथ को रघु के कमर पर रखकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए उसको भी लेकर गिर गई,,,, रघु ठीक उसके दोनों टांगों के बीच गिरा हुआ था और ललिया उसके ठीक नीचे थी,,,। वह तो अच्छा हुआ था कि ललिया घास के ढेर पर गिरी थी वरना उसे चोट लग जाती,,,,
लेकिन ललिया के होश उड़ गए जब उसे साफ महसूस होने लगा कि शुभम का लंड जोकि पजामे में होने के बावजूद भी तंबू की तरह खड़ा था वह ठीक उसकी बुर के ऊपर ठोकर लगा रहा था रघु का लंड तो पजामे के अंदर था लेकिन गिरने की वजह से ललिया की साड़ी पूरी तरह से कमर के ऊपर चढ़ चुकी थी जिससे वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी हो गई थी और इस समय ललिया की नंगी बुर पर रघु के पजामे मैं बना तंबू पूरी तरह से छा चुका था,,,। रघु के लंड के कठोरपन को अपनी मखमली बुर के ऊपर महसूस करते ही ललिया एकदम से गनगना गई,,,, रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसके लंड की ठोकर लगी या की नंगी बुर के ऊपर हो रही है इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था उसने जानबूझकर और अपनी कमर को हल्के से नीचे की तरफ दबा दिया जिससे इस बार रघु के पजामे के तंबू का घेराव ललिया की मखमली बुरके गुलाबी पत्तियों को हल्का सा खोल कर अंदर की तरफ जाने का प्रयास करने लगी,,। और ललिया को इसका एहसास हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बड़ी गर्मजोशी के साथ वह शुभम को अपने आप में समाने की इजाजत दे दे या उसे रोक दें इसी कशमकश में वह,,, दर्द के मारे कराह उठी,,,,


आहहहहह,,,,,,


क्या हुआ चाची तुम्हें चोट तो नहीं लगी,,,,


मेरे ऊपर गिरा पड़ा है और कहता है कि चोट नहीं लगी अच्छा हुआ कि मैं घास के ऊपर गिरी वरना आज तो तेरी वजह से मेरी कमर टूट जाती,,,


क्या चाहती मेरी वजह से तुमसे यह पूछा नहीं संभल रहा है है और तुम उसे उठाने की कोशिश कर रही हो तो गिरोगी ही,,,( रघु अभी भी बातें करता हुआ अपने कमर का दबाव ललिया कि दोनों टांगों के बीच उसकी मखमली बुर पर बनाया हुआ था,,,। सच पूछो तो रघु का मन ललिया के ऊपर से उठने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसका मन तो कर रहा था कि पैजामा थोड़ा नीचे करके अपने नंगे लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दें लेकिन इस तरह से करना अभी उचित नहीं था,,,।)

चल अब उठेगा भी या इसी तरह से पड़ा रहेगा,,,,

हां चाची उठता हूं मुझे तो तुम्हारी फिक्र थी,,,,( रघु अच्छी तरह से जानता था कि कमर के नीचे से ललिया पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए उसके मखमली बदन को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं सका,,, और उसने के बहाने वह ललिया की नंगी चिकनी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करते हुए उठा जिस तरह से वह अपनी हथेली उसकी जांघों पर रखकर उसे हल्का सा दबाया था,,,, ललिया पूरी तरह से उत्तेजना में सिहर उठी थी उसका संपूर्ण बदन अपना वजूद होता हुआ महसूस कर रहा था,,,,। अपने मन के अरमान को पूरा करते हुए रखो ललिया के ऊपर से उठा तो लग जा झट से अपनी साड़ी को अपनी कमर के नीचे फेंक कर अपने नंगे जिस्म को ढक ली,,,, रघु उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, पल भर में ही ललिया के लिए सब कुछ बदला बदला सा हो गया था,,,, शराबी पति की चुदाई का सुख ना के बराबर था और रघु के जवान लंड ने जिस तरह का स्पर्श कराकर उसे पूरी तरह से झकझोर दिया था उस तरह का एहसास उसके पति के द्वारा कभी नहीं उसे हुआ था,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूख गया था जिसे वह अपने थूक से गीला करने की कोशिश कर रही थी,,,। रघु भी समझ रहा था कि कुछ ज्यादा ही हो गया था,,,। इसलिए वह ज्यादा छूट छूट लेने की कोशिश नहीं कर रहा था कहीं लेने के देने न पड़ जाए यही सोचकर वह बोला,,,।

चाची तुम एक काम करो यह बोजा में ही उठाकर ले चलता हूं तुमसे नहीं होने वाला,,,,( और वहां पहुंचा उठाकर अपने सर पर रख लिया और आगे आगे चलने लगा क्योंकि उसका काम हो चुका था,,, ललिया की नंगी जांघों को अपनी हथेली से स्पर्श करके उसके तन बदन में आग लग गई थी और तो और उसके पिज्जा में बना तंबू का स्पर्श उसकी मखमली बुर के द्वार पर होते ही हलवाई की बीवी उसे याद आ गई थी,,,, जिस की चुदाई का अद्भुत सुख अभी तक उसके रगों में दौड़ रहा था,,,,। थोड़ी ही देर में रखो घर पर पहुंच गया और घास के ढेर को ललिया के घर पर रखकर अपने घर जाने ही वाला था कि उसे कुछ याद आ गया और वह रामू को आवाज देकर बुलाने लगा रामू जो कि घर के अंदर था वह बाहर आ गया और रघु उसे घर पर थोड़ी दूर ले जाकर उसे बोला,,,।

रामू जन्नत का नजारा देखना है,,,।( रामू अच्छी तरह से जानता था कि रघु किस बारे में बात कर रहा है,,, वह खुश होता हुआ बोला,,,।)

हां जरूर देखूंगा,,,।


तो जब मैं तुझे आवाज दूं तू जल्दी से आ जाना मैं तुझे ले चलूंगा जन्नत का नजारा दिखाने,,,
( इतना कह कर रखो अपने घर चला गया हाथ मुंह धोने के लिए और रामू अपने घर चला गया वह काफी उत्सुक था रघु के साथ जाने के लिए,,,,। रघु अपने घर से ललिया के उपर बराबर नजर रखे हुए था,,,, वह उसके मैदान जाने का इंतजार कर रहा था और थोड़ी देर बाद जब हैंडपंप चलने की आवाज आने लगी तो वह सकते में आ गया वह समझ गया कि अब ललिया सोच करने के लिए मैदान जाएगी और वह हैंडपंप पर डिब्बा भर रही थी,,,,। वह बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहता था क्योंकि ललिया से पहले उसे वहां पहुंचना था,,,, वह रामू को आवाज दिया रघु की आवाज सुनते ही रामू तुरंत घर से बाहर आ गया और बिना कुछ सोचे समझे सवाल किए रघु उसे जहां ले जाने लगा वह लगभग दौड़ते हुए वहां जाने लगा,,,।

थोड़ी ही देर में रघु रामू को झाड़ियों के पीछे लेकर गया,,
वह दोनों जाकर बैठ गए दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर सोच करने के लिए कौन आने वाला है लेकिन इस बात का भाई रामू को बिल्कुल भी नहीं था उसे यही लग रहा था कि कोई औरत वहां पर आएगी लेकिन वह यह नहीं जानता था कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी ही मां होगी,

थोड़ी ही देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था और रघु और रामू दोनों खली झाड़ियों के पीछे बैठे हुए थे जहां से सामने का खाली मैदान एकदम अच्छी तरह से नजर आ रहा था,,,, कुछ दिन का यह मेहनत का ही फल था जो रघु और रामू दोनों को प्राप्त होने वाला था रघु ने इस पर काफी मेहनत किया था वह शाम ढलने के बाद ले लिया कौन सी जगह मैदान जाती है इसके बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लिया था,,,। तभी तो वह बड़े आत्मविश्वास से रामू का हाथ पकड़ कर उधर लाया था वह जानबूझकर रामू को अपने साथ लाया था क्योंकि वह रामू को उसकी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड दिखाना चाहता था,,,। और देखना चाहता था कि रामू अपनी ही आंखों से अपनी मां की मदमस्त गोरी गोरी गांड देखकर क्या करता है,,, क्योंकि रघु को इससे यह पता चलने वाला था कि अगर आगे वह है रामू की मां से शारीरिक संबंध बनाता है तो इसका असर रामू पर किस तरह से पड़ेगा अगर आज वह उठकर नाराज होकर वहां से चला जाएगा तो इसका मतलब साफ था कि उसकी मां के साथ चुदाई करने के बाद उसे एक अच्छा दोस्त खोना पड़ेगा और अगर अपनी मां की मस्त गांड देखकर रामू भी मस्त हो जाता है तो रघु के लिए उसका रास्ता एकदम साफ हो जाएगा इसके बाद वह रामू की मां से रामू की उपस्थिति में भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना सकता है,,,।

थोड़ी देर में दोनों की उत्सुकता खत्म हो गई,,, क्योंकि हाथ में डब्बा लिए ललिया ठीक उन दोनों की आंखों के सामने खाली मैदान में जमीन पर नीचे डब्बा रखकर खड़ी हो गई,,, ललिया का चेहरा रघु और रामू दोनों के ठीक सामने था,,,।
ललिया चारों तरफ नजर घुमाकर जाकर पकड़ देख ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है,,, रामू अपनी आंखों के ठीक सामने अपनी मां को खड़ी देखकर एकदम मदहोश हो गया,,, उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया था क्योंकि अब उसे इस बात का एहसास हुआ था कि रघु उसे यहां क्या दिखाने के लिए लाया था लेकिन रामू रघु की तरफ बिल्कुल भी नहीं देख रहा था वह आंखें फाड़े अपनी मां को भी देखे जा रहा था जो उसे से 5 मीटर की दूरी पर खुले मैदान में खड़ी थी और किसी भी वक्त अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठने वाली थी,,,। रघु का भी दिल जोरों से धड़क रहा था।
Jaandaar update mitr
 
Top