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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Nevil singh

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कजरी नहा धोकर तैयार होती उससे पहले ही शालू ने खाना बना कर तैयार कर दी,,,, कजरी नहाकर धुले हुए कपड़ों को वहीं पास में रस्सी पर टांग कर रसोई घर में आ गई,,, आते ही छोटे से आईने में अपने खूबसूरत चेहरे को निहारने लगी,,, आईना इतना छोटा था कि उसमें केवल उसका चेहरा ही नजर आ रहा था और वह भी एकदम चांद सा खिला हुआ था अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,, अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर शालू बोली,,

क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,

क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,

अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,

नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)

ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,

नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,

मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)

तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)

तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,

आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।

हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)

क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)

अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,

क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)

जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)

तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,

क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,

तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,

हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,
Nice update bhai
 

Nevil singh

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कजरी रघु के साथ हमेशा खाना खाती थी भले ही कितनी भी देर हो जाए इसी आदत बस वह अपनी बेटी के साथ खाना नहीं खाई और घर से बाहर निकल गई,,, कजरी खेतों में पहुंचकर हरी हरी घास काट रही थी,,, अपने पालतू जानवर के लिए,,,,सूरज सर पर चढ़ा हुआ था जिससे धूप काफी लग रही थी,,। कजरी अकेले ही अपने खेतों में बैठकर हरी हरी घास काट रही थी और उसे उखाड़ रही थी,,, तभी दूर कच्चे रास्ते से लाला गुजर रहा था और उसकी नजर खेतों में बैठकर घास काटती हुई कजरी पर पड़ गई,,, लाला के मन में हजारों अरमान एक साथ मचलने लगे,, गांव के बाकी मर्दों की तरह ही लाला भी कजरी की तरफ पूरी तरह से आकर्षित था खास करके उसकी गोल-गोल चुचियों की तरफ जो कि अक्सर ब्लाउज में पूरी तरह से कैद नहीं हो पाती थी और आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झलकती रहती थी,,, जिसे देखकर लाला के मुंह में पानी आ जाता था,,,, कजरी को देखकर लाला अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधा खेतों में घुस गया,,, उसके हाथ में छतरी थी जो कि वह छतरी को खोल कर अपने आप को कड़ी धूप में ठंडक देने की कोशिश, कर रहा था,,, कजरी इस बात से अनजान की लाला उसे देखकर उसके पीछे पीछे खेतों में आ गया है वह अपनी मस्ती में गीत गुनगुनाते हुए हरी हरी घास को काट रही थी,,, तभी कड़ी धूप में उसे अपने ऊपर ठंडी छांव का अहसास हुआ तो वह अपने पीछे देखने लगी,,, जो कि ठीक उसके पीछे खड़े होकर लाला उसकी चिकनी नंगी पीठ को नजर भर कर देख रहा था और पीठ के नीचे का नजारा तो उसे जन्नत का नजारा लग रहा था,, क्योंकि जिस तरह से खेत में घासो के ढेर के बीच में बैठी हुई थी,,, उस वजह से उसकी पेटीकोट का वो हिस्सा जिसमें से डोरी गुजरती है वह थोड़ा सा नीचे की तरफ सरक गया था,,, जिसकी वजह से कजरी के घेराव दार गांड का ऊपरी हिस्सा हल्की-हल्की दरारों के साथ नजर आ रहा था,,, बस उतना नजारा देखते ही लाला का दिल हरा हो गया उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, पल भर में ही उसकी धोती में उसका तंबू तनना शुरू हो गया,,,, क्योंकि मात्र कजरी की मदमस्त गांड की ऊपरी हिस्से की हल्की सी दरार देखते ही,,, लाला पलभर में ही यह कल्पना करने लगा कि,, बिना पेटीकोट की कजरी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड कैसी दिखती होगी,,,ऊफफ,,, मजा आ जाता होगा,,,,, लाला यह सब सोचकर अपने मन में ही बड़बड़ा रहा था,,, कई बार तो कजरी की भारी-भरकम घेराव दार गांड को मात्र कसी हुई साड़ी में उसका हलन चलन कामुकता भरा मटकना देखकर ही लाला का पानी निकल चुका था,,, कचरी की मादकता भरी गांड की हल्की सी दरार के दर्शन करके लाला कुछ और कल्पना के घोड़े दौड़ाता इससे पहले ही अपने ऊपर कड़ी धूप में ठंडक भरी छांव का अहसास होते ही कजरी पलटकर पीछे देखी तो पीछे लाला खड़ा था,,, उस पर नजर पड़ते ही कजरी एकदम क्रोध से भर गई लेकिन वह अपने क्रोध को अपने चेहरे पर लाना नहीं चाहती थी इसलिए उसे देखते ही मुस्कुरा दि क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी,, के लाला चोरी-छिपे उसके खूबसूरत अंगों को ताडता रहता है,,,। और लाला काफी धनवान व्यक्ति होने के साथ-साथ बहुत ही हरामी इंसान भी था यह बात पूरा गांव जानता था,,, और लाला गांव वालों की मजबूरी का फायदा उठाकर नहीं पैसे उधार में देता था और ना चुकाने पर उनकी जमीन हथिया लेता था,, और अगर कोई गांव वाला ऐसा करने से इंकार कर देता था तो अपने भाड़े के पालतू गुंडों से उन्हें पिटवाता था,,, और तो और कजरी ने तो यहां तक सुन रखी थी कि कई बार जब पैसे नहीं मिलते थे तो उधार लेने वाले की बहू बेटि यां ऊसकी बीवी के साथ रात गुजारता था,,, जिसका विरोध चाह कर भी कोई गांव वाला नहीं कर पाता था,,,। यह सब बातें जानकर कजरी लाला से नफरत करती थी उससे डरती भी थी कि कहीं लाला उसके साथ जोर जबरदस्ती ना करने लगे,,, इसलिए लाला को इस तरह से अपने पीछे खाना हुआ देखकर भी वहां गुस्से को दबा ले गई और मुस्कुराते हुए उसकी तरफ घूम गई,,,।

क्या बात है लाला जी इतनी कड़ी धूप में आप यहां खेतों में क्या कर रहे हैं,,

कुछ नहीं कजरी मैं तो यह देखने आया था कि प्रताप सिंह के फैसले से आप लोग खुश तो हो ना,,

खुश क्यों नहीं होंगे लाला,,, आखिर सब गांव वाले यही तो चाहते थे,, प्रताप सिंह जी के फैसले पर पूरा गांव खुश है,,,

सच कहूं तो कजरी मुझे भी अच्छा ही लग रहा है कि फैसला तुम गांव वालों के पक्ष में चला गया,,,, मुझे भी इस बात का एहसास हुआ कि मेरी वह 10 बीघा जमीन गांव वालों के उद्धार के लिए ही बनी हुई है,,,(लाला अपने चेहरे पर बनावटी खुशी लाता हुआ कजरी से बोला।)

लाला यह तो आपका बड़प्पन है कि अपनी इतनी ढेर सारी जमीन गांव वालों के उद्धार के काम में लगा दिए हैं वरना आजकल कोई अपनी 1 इंच जमीन भी नहीं छोड़ता,,,(कजरी फिर से घास को काटते हुए बोली लेकिन लाला को देखकर हड़बड़ाहट में कजरी अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक से अपने कंधे पर रख नहीं पाई जिसकी वजह से कजरी के छोटे से ब्लाउज में से उसकी भारी भरकम गोलाकार चूचियां बाहर छलकती हुई नजर आने लगी,, जिस पर लाला की नजर पड़ते ही उसकी आंखें चौंधिया गई उसके मुंह में पानी आ गया,,, लाला आंखें फाड़े कजरी की भारी-भरकम दूधिया चुचियों को देखने लगा,,,, लाला को अपने बेहद करीब खड़ा हुआ देखकर कजरी अंदर ही अंदर घबरा गई थी और अपनी सी घबराहट को दूर करने के लिए वह अपना ध्यान घास ऊखाडने में लगा रही थी,,,
लेकिन वो इस बात से बेखबर थी की उसकी इस हड़बड़ाहट की वजह से उसकी साड़ी का पल्लू उसकी चौड़ी छातियों से नीचे गिर गया था जिसकी वजह से उसकी मनमोहक गोलाईयां नजर आ रही थी,,, जिसको देखकर लाला अपनी आंख सेंक रहा था और लार टपका रहा था,,,।)

यह मेरा बड़प्पन नहीं कजरी यह तो एक तरह से भगवान का ही फैसला है,, बस तुम लोगों की मदद करने के लिए भगवान ने मुझे जरिया बनाया है,,,(इतना कहते हुए लाला नजर भर कर कजरी की मदमस्त चुचियों का दीदार कर रहा था,,, धोती में उसका लंड मचल रहा था,,, और वह अपनी छतरी से उसकी छाया बराबर कजरी पर छाया हुआ था,,, कड़ी धूप में घास काटने की वजह से कजरी के बदन पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी जो कि उसके खूबसूरत अंगों पर मोती की तरह चमक रही थी,, पसीने की कुछ बूंदे उसकी मदमस्त चुचियों की गोलाईयो पर भी उपसी हुई थी,,, जोकि कजरी की गोलाइयों को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, कजरी लाला की बात का जवाब देने के लिए अपनी नजरों पर की ही थी कि लाला की बेधक नजरों को अपनी छातीयों पर धंसता हुआ पाकर वह एकदम शर्म से लाल हो गई और वह तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू उठा कर अपनी छातियों पर रखकर बेहतरीन नजारे पर परदा गिरा दी,,,, कजरी की इस हरकत की वजह से लाला अपना मन मसोसकर रह गया,,,, और कजरी लाला की इस हरकत पर शर्म और घबराहट का मिलाजुला असर दिखाते हुए लड़खड़ाते स्वर में बोली,,,)

लललल,,,,लाला,,जी,, अब बड़े आदमी हैं,, इसलिए ऐसा कह रहे हैं,,,,(कटी हुई घास को अपने दोनों हाथों से इकट्ठा करते हुए कजरी माहौल को संभालते हुए बोली,, लेकिन कजरीमाहौल को जितना संभालने की कोशिश कर रही थी उसकी हरकतों की वजह से माहौल पूरी तरह से और बिगड़ता जा रहा था बिगड़ता क्या जा रहा था पूरी तरह से घर माता जा रहा था और वह भी लाला के लिए,,, क्योंकि अपनी साड़ी के पल्लू को जल्दी से कजरी ने अपनी छातियों पर डाल दी थी लेकिन,, घुटने मोड़ के वह कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ गई थी जिसकी वजह से उसकी टांगों के बीच काफी जगह बन चुकी थी जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था और लाला का ध्यान तुरंत कजरी के साड़ी के बीचो-बीच चला गया। लाला तो उस गरमा गरम नजारे को देखकर एकदम से पागल हो गया उसकी सांसो की गति तेज हो गई क्योंकि लाला को कजरी की साड़ी के अंदर का कुछ दूरी तक का हिस्सा नजर आ रहा था जिसमें उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें नजर आ रही थी,, कजरी की गोरी गोरी जाओगे एकदम सुडौल थी मांसल थी,, जिसे देखते ही लाला की धोती मैं हाहाकार मच गया,,,,कजरी दोनों हाथों से कटी हुई खास समेटने में लगी हुई थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी जवानी का मद मस्त छलकता हुआ वह हिस्सा नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए गांव का हर मर्द नजरे बिछाए बैठा था,,,लाला पागलों की तरह अपनी नजरों को ऊपर नीचे आगे पीछे करते हुए साड़ी के अंदर की गहराई को देखने की पूरी कोशिश कर रहा था,,, लाला की किस्मत खराब थी और कजरी की किस्मत जोरों पर थी,,, क्योंकि लाला कजरी की साड़ी के अंदर झांकने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन वह खूबसूरत अंग नजर नहीं आ रहा था इसे देखने की चाह लाला अपने मन में दबाए हुए था,, क्योंकि साड़ी के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,, और कजरी की मदमस्त जवानी का वह बेहतरीन खूबसूरत अनमोल अंग इतना सस्ता नहीं था कि बिना कोशिश किए ही वह किसी को भी नजर आ जाए,,, ऐसा लग रहा मानो कजरी की मदमस्त जवानी से लगता हुआ वह खारे पानी का झरना घनघोर घाटियों से घिरा हुआ था, जहां पर पहुंचना आम इंसान के बस की बात नहीं थी,,,
लाला अभी भी पूरी कोशिश में था कि जरा सा ही सही पर कजरी का वह खूबसूरत अंग नजर आ जाए,,, ऊतने से ही वह काम चला लेगा,,, लेकिन लाला की किस्मत खराब थी मोटी मोटी जांघों के आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,,,
कुछ देर तक खामोशी छाई रही तो कजरी अपनी नजर एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठाई और इस बार तो उसका दिल धक से करके रह गया वह पूरी तरह से घबरा गई,,जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि इस बार लाला की नजरें उसकी साड़ी के अंदर कुछ ढुंढ रही हैं तो वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई,,, अब कजरी के लिए वहां एक पल भी रुकना अच्छा नहीं था,, कजरी तुरंत कटी हुई घास के ढेर को उठाई और वहां से चलती बनी,, कजरी को युं अपनी गांड मटकाते हुए जाते देखकर लाला पागल हुआ जा रहा था,,, लाला के सांसो की गति तेज चल रही थी,, वह वहीं पर खड़े हुए ही कजरी को आवाज देकर उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोला।

रुको कहां जा रही हो,,, रुको कजरी रानी,,,,, कहां जा रही हो इतनी कड़ी धुप में,,,,

लाला पीछे से आवाज देता रहा लेकिन कजरी पलट कर पीछे देखी भी नहीं वह सीधा अपने घर पर जाकर रुकी,,,
Hasheen update bhai
 

Nevil singh

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घर पर पहुंचते ही कजरी बहुत जोरों से हांफ रही थी,,, लाला के बारे में उसने दूसरे औरतों से इतना तो सुन रखी थी कि लाला का चाल चलन ठीक नहीं है लेकिन उसे कभी विश्वास नहीं हुआ कि जो औरतें उसे कहती है वह सच है क्योंकि लाला उसे शुरू से ही बहुत ही सीधा साधा इंसान लगता था बस जमीन के मामले में थोड़ा सा अड़ा हुआ था जो कि प्रताप सिंह के कहने पर वह भी अपनी 10 बीघा जमीन छोड़ने के लिए मान गया था लेकिन आज जो उसने लाला का रूप देखी थी उसे देख कर उसे यकीन हो गया कि गांव की औरतें जो लाला के बारे में कहती है वह बिल्कुल सच है,,, वह मन ही मन सोच रही थी कि कैसे वह उसके ब्लाउज में झांक रहा था इतना सोचते हुए उसकी नजर खुद अपने ब्लाउज पर चली गई जो कि वास्तव में उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को संभाल पाने में बिल्कुल तरह से असमर्थ थी से पहली बार ऐसा हुआ कि उसकी चुचियों के मुकाबले उसके ब्लाउज का कद छोटा है,, जिसमें से उसकी आधे से ज्यादा चुचीया नजर आती थी,,,, अपनी इस गलती का एहसास उसे हो रहा था उसे यही लग रहा था कि लाला को उसके ब्लाउज में झांकने का मौका उसी ने दी थी और ना अगर सही ढंग का ब्लाउज में नहीं होती तो ऐसा कभी नहीं होता,,, लेकिन फिर भी मन में वह सोचने लगी कि मर्दों की फितरत यही है भले ही कुछ दिखता हो या ना दीखता हो मर्दों की तो आदत ही होती है इधर उधर झांकना,,, लेकिन फिर भी जो हुआ वह सब गलत था तभी उसे और गुस्सा आने लगा उसकी सांसे तेज चलने लगी जब से वह पल याद आया जब वह उसके पेटीकोट के अंदर देख रहा था जो की पूरी तरह से उसकी घुटनों पर चढ़ी हुई थी और दोनों घुटने फेले हुए थे । जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था वह मन ही मन सोच रही थी कि लाला जरूर उसकी साड़ी के अंदर जागते हुए उसकी बुर को देख लिया होगा तभी तो पागल हुआ जा रहा था तभी तो वह ऊसके पीछे पड़ा हुआ था,,, कजरी मन ही मन में यह सोच कर खबर आने लगी उसके अंदर डर के भाव पैदा होने लगे क्योंकि आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ था कि किसी ने उसकी साड़ी के अंदर युं नजर गाड़ कर देखा हो,,, जैसा कि लाला देख रहा था उसकी आंखों में वासना साफ नज़र आ रही थी,,, फिर भी उसके मन में शंका हो रही थी कि क्या सच में लाला ने साड़ी के अंदर नजर डालकर उसकी रसीली बुर को देख लिया होगा,,, अगर ऐसा हुआ होगा तो यह तो सच में शर्म वाली बात है अगर लाला ने यह बात सबको बता दिया अब तो वह पूरी तरह से बदनाम हो जाएगी लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे लाला का क्या भरोसा लाला तो सबसे झूठ ही बोल देगा कि वह जानबूझकर उसे अपनी बुर दिखा कर उसे बहका रही थी यह ख्याल मन में आते ही उसके माथे से पसीना छूटने लगा बदनाम होने के डर से उसके बदन में कपकपी सी उठने लगी,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, मान मर्यादा इज्जत संस्कार यही तो उसका कहना था और वह कैसे अपने इस दौलत को लुटा दे मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था बार-बार लाला का ख्याल है उसके मन में आ रहा था जिससे वह काफी घबराई हुई सी हो गई थी,,, उसे यही डर बार-बार सताए जा रहा था कि अगर लाला ने उसकी साड़ी में नजर गाड़ कर उस की बुर को देख लिया होगा तो गजब हो जाएगा क्योंकि आज तक उसके पति के सिवा उसकी बुर के दर्शन किसी ने भी नहीं किए थे,,, और ना ही उसने आज तक किसी को भी ऐसा मौका दि थी कि ऐसी नौबत आ जाएगी कोई भी उसके नंगे बदन का दर्शन कर सके उसके अंग अंग को अपनी आंखों से नजर भर कर देख सके आज तक दुनिया की नजरों से उसने अपनी खूबसूरत अंगों को छुपाते चली आई थी और लाला पागलों की तरह उसकी खूबसूरत रंगों को घेरने की कोशिश कर रहा था यह बात उसे बहुत ही खराब लग रही थी इसी वजह से वह शर्मिंदा हुए जा रही थी कि तभी पीछे से शालू की आवाज आई और वह पूरी तरह से चौक ,गई,,,,,

क्या हुआ मां तुम इतनी जल्दी आ गई,,,,

ओ,,,हां,,, थोड़ा सा सर में दर्द हो रहा था इसलिए मैं वापस आ गई,,,,( कजरी थोड़ा सोचने के बाद बोली,)

लाओ में तुम्हारे सिर में तेल लगा कर थोड़ी मालिश कर देती हूं आराम हो जाएगा,,,,

नहीं नहीं तो रहने दे थोड़ा आराम कर लूंगी तो ठीक हो जाएगा कड़ी धूप है ना इसकी वजह से सर में दर्द हो रहा है,,, और तू तैयार होकर कहां जा रही है,,,,

मममम,,,, में,,,, कहीं तो नहीं ,,,,कहीं तो नहीं जा रही हूं,,,
( शालू अपनी मां से घबराते हुए बोली,,,।)

अच्छा ठीक है मैं थोड़ा आराम करने जा रही हूं ,,,(इतना कहकर कजरी अपने घर में गई हो नीचे चटाई बिछा कर लेट गई,,, थोड़ी ही देर में उसे नींद लग गई और सालों अपनी मां के सोने का इंतजार कर रही थी जैसे वह सो गई वैसे ही वह दबे पांव घर से बाहर निकल गई,,,।)

खड़ी दुपहरी का समय हो रहा था सूरज एकदम आसमान मैं सर के ऊपर तप रहा था,,, ऐसे में रघुवर रामू दोनों दिन भर गांव मेरा करते हुए गांव की दूसरी तरफ जा रहे थे जहां पर घनी झाड़ियों और वह जगह पहाड़ियों से घिरी हुई थी,,,
पर वहां पर बेहद हरियाली छाई हुई थी जहां पर अक्सर रघु और रामू दोनों जाया करते थे और झरने में से नीचे गिर रहे पानी में नहा कर कुछ देर वही बिताया करते थे,,,
यार रामू कसम से आज तो बहुत मजा आ गया मैंने आज तक तेरी दोनों बहनों को कपड़ों में ही देखा था लेकिन आज मैं बिना कपड़ों के देख कर उनको नंगी देखकर मेरा मन डोलने लगा है यार,,,,( रघु उसे हरियाली वाले जगह पर जाते हुए रामू के साथ मस्ती भरी बातें करता हुआ जा रहा था लेकिन रातों को अपनी बहनों के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन उसे मज़ा भी आ रहा था यह बात रघु भी अच्छी तरह से जानता था कि जब भी वह रामू की मां बहन के बारे में गंदी बातें करता है तो रामू थोड़ा बहुत गुस्सा जरूर करता है लेकिन उसे भी मजा आता है इसलिए तो रघु की हिम्मत बढ़ती जाती थी राम इस तरह की बात सुनकर झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोला।


देख रामु इस तरह की बातें करेगा तो मैं यहां कभी नहीं आऊंगा तेरे साथ और हम दोनों की दोस्ती टूट जाएगी,,,

अरे नाराज क्यों होता है मेरे दोस्त जब तू भी अच्छी तरह से जानता है की तेरी दोनों बहने एकदम खूबसूरत है और साले क्या तुझे मजा नहीं आ रहा था अपनी बहन को नंगी देखने में,,,,

नहीं मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था भला किसी भाई को अपनी ही बहनों को नंगी देखने मजा आएगा क्या,,,

वाह बच्चु मुझसे झूठ अगर तुझे मजा नहीं आ रहा था तो तेरे लंड से पानी क्यों निकल गया,,,,बता,,,,,

ओ ,,,ओ,,,, मैं नहीं जानता,,,

लेकिन मैं जानता हूं क्योंकि तो अपनी प्यासी नजरों से अपनी बहनों की गोल गोल गांड देख रहा था,,, और तेरी दोनों बहनों की गोल-गोल गांड देखकर तेरा लंड खड़ा हो गया था वह सच कहूं तो तो अपनी बहनों को चोदना चाहता था इसलिए तेरा पानी निकल गया,,,

नहीं यह सच नहीं है यह झूठ है,,,

यही सच है बेटा मेरी आंखों के सामने सब कुछ हुआ है,,,

अब ज्यादा मत बन मैं अच्छी तरह से जानता हूं की तू भी अपनी बहनों को चोदना चाहता है जैसा कि मैं तेरी बहनों को चोदना चाहता हूं,,,

तेरे से बातें अच्छी नहीं लगती मैं देखना अपनी मां से बता दूंगा,,,,

बता देना मैं तेरी मां को भी चोद दूंगा,,,,

रघु थोड़ा तो शर्म कर वो मेरी मां है,,,, और वह दोनों मेरी बहन है फिर भी तु ईतनी गंदी गंदी बातें करता है,,,,

देख रहा हूं मैं जानबूझकर यह सब बातें नहीं करता और करना भी नहीं चाहता लेकिन सच बताऊं तो मैं जानता हूं कि वह तेरी मां है और दोनों तेरी बहने है,,, कि साला जिले में नहीं जानता ना कि वह तेरी मां बहन है मेरे दोस्त की मां बहन है इसे तो कोई भी रिश्तेदारी से किसी भी प्रकार का मतलब नहीं है यह तो बस चूत और गांड देखता है जहां गांड और बुर की खुशबू ईसे लगती है तो तुरंत खड़ा होने लगता है,,,,

तब तो तू अपनी मां और अपनी बड़ी बहन शालू के बारे में भी यही सोचता होगा क्योंकि उस दोनों के पास भी तो खूबसूरत बुर और गांड है,,,( रामू की बात सुनकर रघु को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से माहौल को संभालते हुए बोला,,,।)


नहीं मैं उन दोनों के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं सोचता सच कहूं तो उन दोनों को देखने पर मेरे मन में सिर्फ ख्याल आता ही नहीं क्योंकि वह दोनों ही खूबसूरत नहीं है जितना कि तेरी मां और तेरी बहने है,,,,( रामू की यह बात एकदम सौ प्रतिशत सच है कि वह अपनी मां और बहन को देखकर कभी भी अपने मन में इस तरह के गंदे ख्याल नहीं लाया था और ना ही उसे इस तरह के ख्याल आते थे लेकिन यह बात सरासर झूठ थी कि वह दोनों खूबसूरत नहीं थी रघु की मां और बहन दोनों बला की खूबसूरत थी,,, रघु जिस तरह का ख्याल गांव की दूसरी औरतों और बहनों के प्रति रखता था उसी तरह से गांव के दूसरे मर्द भी रघु की मां और बहन के बारे में उसी की तरह ही गंदे विचार रखते थे।)

अच्छा चल अब जल्दी कर मुझे बहुत धुप लग रही है,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर धीरे-धीरे रामू का लंड खड़ा होने लगा था और वह रघु की नजरों से अपनी पजामे में बने तंबू को छुपाता हुआ आगे बढ़ रहा था जो कि प्रभु से यह बात छुपी नहीं रह पाई थी वह तिरछी नजरों से रामू के पजामे में बने तंबू को देख ले रहा था,,, और उसे जैसा पता चल रहा था कि रामू को भी अपनी मां बहन की गंदी बातें सुनने में मजा आ रहा था इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाता हुआ और आगे बढ़ता चला गया,,।)

हां चल तो रहा हूं लेकिन एक बात तुझे बता दूं कि देखना एक दिन तेरी आंखों के सामने में तेरी दोनों बहनों के साथ-साथ तेरी मां की भी चुदाई करूंगा,,,

तू पागल हो गया है रघु जल्दी आ मैं तो जा रहा हूं ,,,(इतना कहकर रामू जल्दी-जल्दी आगे बढ़ने लगा और रघु उसे पीछे से आवाज देता हुआ उसके पीछे पीछे जाने लगा)

दूसरी तरफ झरना बह रहा था वो थोड़ी ऊंचाई से नीचे गिर रहा था और गिरने के बाद छोटा सा तालाब की शक्ल में आगे बढ़ता हुआ चला जा रहा था बेहद सुहावना दृश्य था चारों तरफ ऊंची नीची पहाड़ियां उस पर गिरता हुआ झरना का पानी और हरियाली से घिरा हुआ यह जगह पूरी तरह से कुदरत की बनाई हुई किसी चित्रकारी की तरह ही लग रही थी,,,, ऐसे में झरने के गिरने से इकट्ठा हुआ पानी तालाब की शक्ल में कुछ दुरी तक फैला हुआ था,,, वही बड़े-बड़े पत्थर और साथ ही घनी झाड़ियों से खिले हुए उस जगह पर शालू प्रताप सिंह के छोटे लड़के बिरजू के साथ गांव वालों की नजर बचाकर यहां आकर चोरी चोरी मिला करती थी और ऐसे ही आज भी वह घनी झाड़ियों के बीच बड़े पत्थर के पीछे उसे से प्यार भरी बातें कर रही थी और प्रताप सिंह का छोटा लड़का बिरजू उसी पत्थर के ओट में उस का सहारा लेकर बैठा हुआ था,,, और शालू उसकी चौड़ी छाती से अपनी पीठ सटाए आराम से बैठी हुई थी,,,, दोनों प्यार भरी बातें कर रहे थे बिरजू अपने हाथ शालू के बदन पर इधर-उधर फेर रहा था,,,,, तभी शालू के मुंह से हल्की कराहने की आवाज निकल गई,,,।

ससससहहहह,,,,आहहहहह,,,,, क्या कर रहे हो दर्द हो रहा है,,,,

क्या करूं जानू मेरी रानी तुम इतने करीब रहते हो तो मुझसे रहा नहीं जाता,,,,( बिरजू अपने दोनों हाथों से सालों कि दोनों चुचियों को कुर्ती के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था और कुर्ती के ऊपर से ही सालों की चूचियों को दबा कर उसे इस बात का अहसास हो गया था कि शालू की दोनों चूचियां नारंगी के आकार की थी जिनमें बेहद आनंद ही आनंद भरा हुआ था,,, बिरजू जोर-जोर से चालू की दोनों चूचियों को दबा रहा था लेकिन शालू उसे अपना हाथ हटाने के लिए बिल्कुल भी नहीं बोल रही थी,,,)

अच्छा शालू जब मैं तुम्हारी दोनों चूचियों को दबाता हूं तो तुम्हें मजा आता है या दर्द होता है,,,

दोनों होता है,,, दर्द भी होता है और मजा भी आता है,,,

मुझे भी शालू बहुत मजा आता है लेकिन इतने से मेरा मन नहीं भरता,,,,

तो इसमें मैं क्या कर सकती हु,?( शालू अपनी दुपट्टे को दोनों उंगलियों में फंसाकर गोल-गोल घुमाते हुए बोली,,,)

शालू तुम तो बहुत कुछ कर सकती हो लेकिन करने नहीं देती,,,,( इतना कहते हुए बिरजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी सलवार की डोरी खोलने के लिए उसकी सलवार की डोरी को पकड़ा ही था कि शालू उसका हाथ पकड़कर झटकते हुए बोली,,,)

इसके बारे में सोचना भी नहीं एक बार शादी हो जाएगी तो जो तुम्हारे मन में आए वह कर लेना लेकिन अभी कुछ भी नहीं,,,,

क्या शालू इतना नखरा करती हो पिछले 6 महीने से तुम मुझे इस तरह से परेशान करके रखी हो,,,

बिरजू हम दोनों धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं ना और ऐसा कैसे कह रहे हो कि मैं कुछ करने नहीं देती,,,,,

क्रमशः
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Nevil singh

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पिछले 6 महीने से मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रही हूं बल्कि तुम्हारे प्यार में और पागल होते जा रही हूं,,,, धीरे-धीरे तुम्हें इतनी तो छूट दी हूं कि देख लो कि तुम क्या कर रहे हो,,,,।

क्या कर रहा हूं मैं,,,,,( बिरजू कुर्ती के ऊपर से ही सालों की मदमस्त नारंगी जैसी चुचियों को दबाते हुए बोला,,,।)

इसे दबा तो रहे हो अब क्या चाहिए तुम्हें,,,,,

मुझे कम से कम एक बार यह (उंगली के इशारे से शालू की टांगों के बीच उसकी बुर की तरफ इशारा करते हुए।) खोल कर दिखा तो दो कि कैसी है,,,,

धत्,,,,, यह सब शादी के बाद और हां मेरे पास भी वैसी ही जैसा कि सबके पास है तुम्हारी बड़ी भाभी के पास भी ऐसी ही है,,,,

बड़ी भाभी से मुझे क्या लेना देना और थोड़ी ना मुझे अपना खोल कर दिखा देंगी,,,,

अगर दिखाएंगे तो क्या तुम देख लोगे,,,

हां इसमें हर्ज ही क्या है देखने वाली चीज है तो जरूर देख लूंगा,,,,

अरे तुम्हारी बड़ी भाभी है तुम्हारी मां के समान ,,,,तो भी,,,,

शालू तुम बात को गोल-गोल घुमा रही है सच कहूं तो सोने नहीं देती कम से कम सलवार उतार कर अपनी बुर ही दिखा दो,,,,
( बिरजू के मुंह से बुर शब्द सुनकर शालू के बदन में झुनझुनी सी फैल गई पहली बार वह किसी पराए मर्द के मुंह से अपने लिए यह शब्द सुन रही थी जिससे उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी साथ ही बिरजू जिस तरह,, से उसकी दोनों नारंगीयो से खेल रहा था,,, धीरे-धीरे उसके तन बदन में मदहोशी छाने लगी थी,,,, फिर भी बहुत बिरजू के आगे किसी भी तरह से कमजोर होना नहीं चाहती थी वह कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहती जिससे उसकी बदनामी हो इसलिए वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।)

नहीं बिरजू मैं तुमसे पहले ही कह चुकी हूं कि यह सब शादी के बाद में अभी कुछ भी नहीं दिखाऊंगी,,,, और हां अब मुझे छोड़ो मुझे नहाना है,,,।( इतना कहने के साथ है यह शालू बिरजू की बाहों से अलग होते हुए उठ खड़ी हुई है,,,।)

अच्छा चलो कोई बात नहीं जैसा तुम कहो कि सबको शादी के बाद ही लेकिन आज इतनी तो कृपा कर दो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर तालाब में उतर कर नहाओ मैं मां कसम खाकर कहता हूं कि तुम्हें हाथ तक नहीं लगाऊंगा,,,
( बिरजू की यह बात सुनकर एक बार फिर से शालू के बदन में झनझनाहट फैल गई वह उसे नजरें तेरा ते हुए देखने लगी और कुछ सोचने के बाद बोली।)

अच्छा ठीक है तो मां कसम खा रहे हो इसलिए मैं तुम्हारी बात मानने के लिए तैयार हूं लेकिन इसके बाद अगर तुम अपनी कसम तोड़े तो याद रखना मुझे फिर तुम अपने सामने कभी नहीं देख पाओगे मुझे भूल जाना,,,,

नहीं नहीं सालों में कसम खाता हूं मैं अपना वादा निभाऊंगा आखिरकार में मां कसम खा रहा हूं,,,

ठीक है,,,, लेकिन तुम अपना मुंह दूसरी तरफ करके खड़े हो जाओ मुझे शर्म आती है,,,।

ठीक है मेरी शालू रानी जैसा तुम कहो ,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके तन बदन में भी उत्तेजना का असर हो रहा था यह मदहोशी का ही आलम था कि वह बिरजू की बात मानते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर तालाब में उतरने के लिए तैयार हो गई थी,,,, वह सोच विचार कर यह कदम उठाने जा रही थी,,,, क्योंकि वह जानती थी कि अगर वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो भी जाएगी तो बिरजू के सिवा वहां कोई तीसरा शख्स नहीं है जो उसे इस हालत में देख सकें वैसे भी यह जगह हमेशा सुनसान रहती यहां कोई नहीं आता क्योंकि पिछले 6 महीने से वह इधर लगातार आ रही है लेकिन आज तक ऐसा कभी भी नहीं हुआ कि कोई भी वहां नजर आया हो और तो और वह धीरे-धीरे बिरजू पर विश्वास करने लगी थी इसलिए वह यह कदम उठाने जा रही थी,,,,
यह जानते हुए भी कि इधर कोई नहीं आता फिर भी वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख लेना चाहती थी कि कोई है कि नहीं आखिरकार वह एक लड़की थी और एक लड़की के लिए उसकी इज्जत ही सब कुछ होती है इसलिए ऐसा कोई भी काम नहीं करना चाहती थी जिसे उसकी इज्जत पर बात बन आए,,, दूसरी तरफ नजर घुमा कर खड़ा था शालू धीरे-धीरे अपने सलवार की डोरी खोल कर अपनी सलवार को नीचे गिरा दी सलवार के अंदर वह किसी भी प्रकार का वस्त्र नहीं पहनी हुई थी इसलिए सलवार के नीचे आते ही वह पूरी तरह से नंगी हो गई और वह कुर्ती को भी निकाल कर उस बड़े से पत्थर के करीब रख दी,,, पैरों में फंसी हुई सलवार को अपने हाथों के सहारे बाहर निकाल कर वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,

हुआ कि नहीं हुआ,,,,( बिरजू अपने वादे के मुताबिक दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़े हुए ही बोला।)

अभी रुक जाओ बस होने वाला है,,,( शालू नहीं चाहती थी कि बिरजू उसे तालाब के बाहर एकदम नग्न अवस्था में देखे इसलिए वह धीरे धीरे तालाब में अपने पैर डालते हुए बोली पानी की आवाज सुनते ही बिरजू को समझ में आ गया के शालू तालाब के अंदर जा रही है और वह जैसे ही अपनी नजर फिर कर शालू की तरफ देखा तब तक शालू तालाब में उतर चुकी थी और तालाब का पानी उसके नितंबों के निचले हिस्से तक आ चुका था,,,, शालू की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर बिरजू की आंखें फटी की फटी रह गई ऐसा लग रहा था कि मानो जिंदगी में पहली बार बिरजू किसी खूबसूरत चीज को देख रहा था उसी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था बस वह एकटक शालू की मदमस्त मस्त उभरी हुई गांड को ही देख रहा था,,,, शालू अच्छी तरह से जानती थी कि बिरजू पीछे से उसके नंगे बदन को देखकर अपनी आंख सेंक रहा होगा,,, इसलिए वह जल्द से जल्द तालाब की गहराई में उतरकर अपने नितंबों को छुपा लेना चाहती थी इसलिए देखते ही देखते वह आगे बढ़ने लगी और अगले ही पल उसकी गोलाकार गांड पानी की परत के नीचे गायब हो गई,,,, बिरजू के लिए इतना काफी था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, और वह उसी स्थिति में तालाब में उतर गया,,, लेकिन जैसे ही बता लाभ में उतरना शुरू किया वैसे ही शालू ने उसे अपने करीब आने से बिल्कुल भी मना कर दिया,,,,

बस बिरजू दूर दूर से ही मेरे करीब बिल्कुल भी मत आना,,,

चलो ठीक है लेकिन मेरी तरफ घूम तो जाओ पिछवाड़ा तो दिखा दी आगे का दिखा दो,,,

नहीं अब कुछ भी नहीं इतना काफी है मैं तुम्हारी इतनी बात मानी वही बहुत है,,,,( शालू बिरजू की तरफ घूमे बिना ही बोली,,,, वह बिरजू की तरफ घूम कर अपनी मस्त कर देने वाली दोनों नारंगी ओके दर्शन उसे कराना नहीं चाहती थी बिरजू अपना मन मसोसकर रह गया,,,, दोनों नहाने का आनंद लेने लगे तालाब के अंदर बिरजू का लंड उसके पजामे में पूरी तरह से खड़ा हो गया था और शालू पराए मर्द के इतने करीब और वह भी नग्न अवस्था में नहाते हुए एकदम मदहोश होने लगी थी उत्तेजित होने लगी थी उसकी टांगों के बीच की हलचल उसे साफ महसूस हो रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है देखते ही देखते दोनों नहाने का मजा ले रहे थे शुभम पीछे से उसके ऊपर तालाब का पानी अपने दोनों हथेली में लेकर उसके ऊपर फेंक रहा था तो शालू उसकी तरफ देखे बिना ही अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ करके उसके ऊपर पानी फेंक रही थी दोनों इस समय एकदम जल क्रीड़ा में मग्न हो गए थे दोनों इस बात से अनजान की रघु और रामू दोनों ऊसी तरफ आ रहे थे,,,,

तभी अचानक जल क्रीड़ा करते करते शालू एकदम से शांत हो गए क्योंकि दूर से किसी के आने की पदचाप उसे सुनाई दे रही थी और साथ में हंसने की एकदम से घबरा गई उसे समझते देर नहीं लगी कि वहां पर कोई और भी आ रहा है,,,,

बिरजू जल्दी निकलो यहां से कोई जा रहा है,,,,

कोई नहीं आ रहा है शालू तुम्हारा भ्रम है,,,

नहीं बिरजू कोई आ रहा है मुझे हंसने की और उनके पैरों की आवाज सुनाई दी है,,,

लेकिन मुझे तो ऐसा कुछ भी सुनाई नहीं दिया,,,,


तुम रुको यही मैं तो जा रही हूं,,,, अगर मुझे कोई इस हाल में देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,( शालू तालाब से बाहर निकलने लगे जैसे जैसे वह बाहर निकलने के लिए अपने कदम आगे बढ़ा रही थी वैसे वैसे दूर से आ रही आवाज एकदम करीब होती जा रही थी,,,, शालू एकदम घबरा गई थी,,, बिरजू की भी हालत खराब होने लगी थी उसे भी सब समझ में आ गया था कि सालु जो कुछ भी कह रही थी एक दम सच कह रही थी,,,, वह भी जल्दी जल्दी तालाब से बाहर निकलने लगा क्योंकि वह भी नहीं चाहता था कि शालू जिस हालात में थी उस हालात में कोई उन दोनों को देख ले,,,,
शालू तालाब से बाहर निकल चुकी थी वह एकदम हडबड़ाई हुई थी,,, वह एकदम नंगी थी,,,, वह जल्द से जल्द अपने कपड़े पहनकर नंगे बदन को छुपा लेना चाहती थी,,, रघु और रामू दोनों एकदम करीब पहुंच चुके थे रघु की तो नजर बिरजू पर पड़ चुकी थी और शालू बड़े पत्थर के करीब रखे हुए अपने कपड़े को उठा रही थी तभी रघु की नजर शालू पर पड़ी जोकी झुकी होने की वजह से केवल उसकी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड ही नजर आ रही थी,,,, उसके चेहरे को देखने की कोशिश करी रहा था कि तब तक शालू कोई एहसास हो गया कि जो कोई भी था वह बेहद करीब पहुंच गया है और वह नहीं चाहती थी कि वह उसका चेहरा देखें,,, इसलिए अपने कपड़े उठाकर घनी झाड़ियों में भागकर अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करने लगी तब तक रघु फिर से बिरजू को आवाज देता हुआ बोला,,,

अरे वो बिरजू बाबू कौन लड़की है रे तुम्हारे साथ,,,,( शालू के कानों में यह आवाज पड़ते ही वह एकदम से सन हो गई क्योंकि वह इस आवाज से पूरी तरह से वाकिफ थी यह आवाज उसके भाई की थी,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा और वहां घनी झाड़ियों के बीच कपड़े पहने बिना ही अपने कपड़े लेकर भागने लगी और थोड़ी दूर जाकर जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहन कर गांव की तरफ भाग गई,,,,, तब तक रख और रामू दोनों धीरे-धीरे उतर कर नीचे की तरफ पहुंच गए जहां पर बिरजू खड़ा था,,,


क्या बात है बिरजू बाबू गांव से दूर आकर इस वीराने में गुलछर्रे उड़ाया जा रहा है,,, कौन थी यह लौंडिया जोकि लाज शर्म सब छोड़ कर तुम्हारे साथ एकदम नंगी होकर तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,,

ककककक,, कोई भी तो नहीं था रघु,,,,

देखो छोटे बाबू हमारी आंख में धूल ना झोंका करो रामू ने भी वही देखा जो मैंने देखा हूं बता रे रामू तूने क्या देखा,,,

मैंने भी सब कुछ अपनी आंखों से देखा हूं छोटे बाबू तुम और ओ लड़की जो कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी तुम्हारे साथ तालाब में नहाने का मजा लूट रही थी,,,

अब तो तुम्हें यकीन हुआ छोटे बाबू कि हम लोगों ने क्या देखा है तुम इससे घने जंगल के बीच झरने के नीचे तालाब में एक गांव की भोली भाली लड़की के साथ एकदम नग्न अवस्था में गुलछर्रे उड़ा रहे हो,,,, अगर यह बात मालिक को पता चल जाए तो क्या होगा,,,

नहीं नहीं रामू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो गजब हो जाएगा पहले से ही बाबू जी मुझसे नाराज रहते हैं अगर यह बात नहीं पता चल गई तो मुझे तो हवेली से ही निकाल देंगे,,,,( कुछ देर सोचने के बाद वह अपने पहचाने में इधर-उधर जेब में हाथ डालकर कुछ टटोलने लगा और उसे तभी ₹1 का सिक्का हाथ में पकड़ाया और वह सिक्के को बाहर निकाल कर,,, रामू की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

देखो रामू यह ले लो लेकिन यह बात किसी को कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए,,,,

रघु तो काफी दिन हो गए थे ₹1 का सिक्का नहीं देखा था इसलिए झट से हाथ आगे बढ़ा कर बिरजू के हाथ से एक का सिक्का लेकर उसे गोल गोल घुमा कर इधर-उधर करके देखने लगा वह काफी खुश नजर आ रहा था और सिक्के को देखते हुए बोला,,,

छोटे बाबू तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो अगर तुम उस लड़की की गांड मार लेते तो भी मैं यह बात किसी को नहीं कहता,,,, आखिरकार तुमने कीमत जो चुकाई है।

( रघु की बात सुनकर फिर जो मन ही मन खुश होने लगा क्योंकि रघु की बात से साफ पता चल रहा था कि रघु ने उस लड़की को देखकर उसे पहचान नहीं पाया था कि वह उसी की बहन है इसीलिए अनजाने में ही अपनी बहन के बारे में गंदी गंदी बातें बोल रहा है,,,,।)

अच्छा रघु मैं चलता हूं,,,

जाते जाते यह तो बताते जाइए छोटे बाबू की वह लड़की थी कोन,,,

दूसरे गांव की थी अपने गांव की नहीं (इतना कहकर बिरजू वहां से चलता बना।)

यार रामू आज तो मजा आ गया पैसा भी मिल गया और खूबसूरत लड़की की गांड देखने को मिल गई देख नहीं रहा उसकी गांड देख कर मेरा यह हाल है कि अभी तक यह लगा नाराज खड़े के खड़े हैं बैठ नहीं रहे हैं,,,

हां यार रघु सच कह रहा है तू बहुत खूबसूरत लड़की थी,,,

साले बिरजू की किस्मत बहुत अच्छी है इतनी खूबसूरत लड़की को रोज चोद रहा है और एक हम हैं की,,, रोज हिला हिला कर काम चला रहे हैं लेकिन यार रामू आज तो हिलाने में भी बहुत मजा आएगा उसी लड़की के खूबसूरत गांड के ख्यालों में आज हिला हिला कर पानी निकालूंगा,,,,

( इसके बाद दोनों वहां से गांव की तरफ चल दिए दोनों को एक रुपैया जो मिल गया था आज उसी रुपए से समोसा कचोरी जलेबी का लुफ्त उठाना था और सीधे जाकर हलवाई की दुकान पर ही रुके,,,।)
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Nevil singh

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रघु और रामू दोनों सीधा पहुंचे हलवाई के पास जहां पर गरमा गरम जलेबीया छन रही थी,,,, गरमा गरम जलेबी को जानते देख रामू और रघु दोनों के मुंह में पानी आ गया लेकिन रघु के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आना शुरू हो गया था क्योंकि,,,, जलेबियां छानने वाली हलवाई की बीवी थी,,, दोपहर का समय था और दुकान पर कोई भी ग्राहक नहीं था,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था शाम की ग्राहकी की तैयारी के लिए जलेबियां छानी जा रही थी,,,, बड़ा सा चूल्हा जल रहा था उसके ऊपर बड़ी सी कड़ाही रखी हुई थी जिसमें गरमा गरम तेल में जलेबी छन रही थी,,, गर्मी का महीना था ऊपर से गरम चूल्हा और आग फूंक रही थी,,, ऐसे में हलवाई की बीवी पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो चुकी थी और वह अपनी दोनों टांगे फैलाकर जलेबी छान रही थी उसकी साड़ी घुटनों तक उठी हुई थी जिससे उसकी गोरी गोरी पिंडलिया,,, साफ नजर आ रही थी,,,, जिसे देख कर रघु के मुंह में पानी आ रहा था और साथ ही उसके ब्लाउज के खुले हुए दो बटन और उसमें से झांकते हुए उसके दोनों बड़े-बड़े कबूतर को देखकर उसके लंड में पानी आ रहा था,,,,। रघु तो हलवाई की बीवी को देखता ही रह गया,,, तुम गोरी चिट्टी माथे पर बड़ी सी बिंदी गोल मटोल मो शरीर से थोड़ी मोटी थोड़ी मोटी नहीं थोड़ा सा ज्यादा मोटी थी लेकिन एक नंबर की करारा माल लगती थी,,,, हलवाई की बीवी हर जगह से लेने लायक थी कोई भी मर्द दुकान पर मिठाई लेने आता तो सबसे पहले मिठाई नहीं बल्कि उसे देखकर ही उसके मुंह में पानी आ जाता,,,,
रामू तो उतावला हुआ जा रहा था गरम गरम जलेबी को मुंह में डालकर लकने के लिए,,, रघु हलवाई की बीवी को निहार रहा था कि तभी वह कढ़ाई में बड़े चमचे को हिलाते हुए बोली,,,,

क्या लोगे बबुआ,,,,( रघु की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)

चाची आज तो घर में गरम जलेबी और समोसे दे दो आज की जलेबी कुछ ज्यादा ही गोल गोल और रस से भरी हुई दिखाई दे रही,,, है,,,

ये हमारी जलेबी है बबुआ इसका रस कम नहीं होने वाला और गोल तो हम ऐसा बनाते हैं जैसे खेत में उगा हुआ खरबूजा,,,

सच कह रही हो चाची वह तो दिखाई दे रहा है,,,,( रघु ऐसा कहते हुए मन ही मन में सोच रहा था कि काश ये अपना तीसरा बटन भी खोल देती तो मजा आ जाता,,, पर बनाता हुआ कबूतर कैद से आजाद हो जाता,,,, यही सब सोचते हुए रघु के तन बदन में आग लग रही थी,,,)

दूर-दूर से आते हैं यहां पर जलेबी लेने,,,,( वह बड़े से जानने वाले चमचे में ढेर सारी जलेबी छानते हुए बोली,,,)

लेने जैसी है तभी तो लोग दूर-दूर से आते हैं,,,( रघु उसकी बड़ी बड़ी चूचियों की गहरी दरार में से चु रहे पसीने की बूंद को ललचाए आंखों से देखता हुआ बोला,,, उसका बस चलता है तो उस पसीने की बूंद को अपनी चीज से चाट डालता,,,)



तुम भी लोगे बबुआ,,,,,,


ककककक, क्या चाची,,,?( रघु एकदम से सकपकाते हुए बोला,,,,)

जलेबी और क्या,,,,

हां हां दे दो,,,,,, दे दो चाची,,,,,

( हलवाई की बीवी गरम गरम जलेबी को तराजू में तौल कर देने लगी और साथ में दो दो समोसे भी रघु आगे हाथ बढ़ाकर जलेबी और समोसे को थामते हुए बोला,,,।)

चाचा जी नजर नहीं आ रहे हैं,,,,

अरे वह बाजार गए हैं सामान लेने,,,,( वह उसी तरह से जलेबी को कड़ाही में छानते हुए बोली,, उसे अभी भी इस बात का आभास तक नहीं था कि रघु जलेबी के साथ-साथ उसके खरबूजा पर भी आंख गड़ाए हुए था,,,, वह पागलों की तरह ब्लाउज में से झांकते उसके दोनों गोलाईयों को ललचाए आंखों से देखे जा रहा था,,,, हाथों से भले ही वह उसकी चुचियों को स्पर्श नहीं कर पा रहा था लेकिन अपनी आंखों से बराबर उसे छु भी रहा था वह पी भी रहा था,,,। आंखों के जरिए अपने तन की प्यास बुझाने की कोशिश करते हुए रघु पागल की तरह हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचीयओ को ब्लाउज के ऊपर से ही देख देख कर अपनी प्यास बुझाता रहा,,,, रघु रामू दोनों जलेबी और समोसे का स्वाद बराबर ले चुके थे,,,,।)

चाची कुछ पीने को मिलेगा,,,,( रघु उसकी चुचियों को भरते हुए बोला,,,)

हां हां क्यों नहीं,,,, पीछे चला जा वही हैंड पंप से चला कर पानी पी लेना,,,,( वह उसी तरह से अपना काम करते हुए बोली,,,)

ठीक है चाची,,,,( इतना कहकर वह पीछे की तरफ जाने लगा,,, तो रामू से भी पूछा,,) तू भी पानी पीने चलेगा,,,

नहीं नहीं तू ही जा,,,,

ठीक है मैं ही चला जाता हूं तु यहीं बैठ,,,, ( इतना क्या कर रहा है हलवाई के घर के पीछे चला गया खड़ी दुपहरी होने की वजह से इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था,,, चारों तरफ खेत ही खेत नजर आ रहे थे,,,, चार पांच कदम की दूरी पर ही हैंडपंप था,,, जैसे ही रघु हैंडपंप की तरफ कदम आगे बढ़ाया उसके पैर वहीं के वहीं ठिठक गए,,, हेड पंप के लग का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए वहां पर एक लड़की नहा रही थी जो कि पूरी तरह से पानी में भीगी हुई थी,,, उसके बदन पर मात्र टॉवल ही था जिसे वह अपने नितंबों और गोलाकार संतरो को छुपाते हुए अपने बदन पर बांधी हुई थी,,,,, बेहद उत्तेजना से भरपूर नजारा था वैसे तो यह दृश्य बेहद सहज था लेकिन रघु जैसे नौजवान होते लड़के के लिए तो यह नजारा बेहद कामुकता से भरा हुआ था,,,, वह अपने आप को छुपा कर उससे दृश्य का भरपूर रसपान कर पाता इससे पहले ही सूखे हुए पत्तों पर उसके पैर पड़ने की वजह से उसकी आवाज से हुई हलचल की वजह से उस लड़की का ध्यान पीछे की तरफ चला गया,,, पर जैसे ही बार रघु को अपने पीछे खड़ा पाई वो एकदम से हड़बड़ा गई,,,, और हेड पंप के करीब रखे हुए अपने कुर्ती को एक झटके से उठाकर अपने बाकी के नंगे बदन को ढकने की कोशिश करने लगी,,, वह काफी गुस्से में थी और गुस्से में बोली,,,।

पागल हो गए हो क्या तुम्हें इतना भी समझ में नहीं आता कि यहां पर कोई नहा रहा है और चले आए मुंह उठा के,,,

देखो हमसे इस तरह की बातें ना किया करो हम कोई अपने मन से नहीं आए हैं,,,, तुम्हारी अम्मा हमको पीछे भेजी पानी पीने के लिए समझी,,,,

हां तो पानी पीने के लिए आए थे तो पानी पीकर चले जाना चाहिए था जो पीछे से खड़े होकर चोरी छुपे हमको देख रहे हो,,,,

तुम पगला गई हो क्या हमें यहां कितना देर हुआ दो-चार सेकंड ही तो हुआ है,,,,।

तो क्या हमें घंटे ताकते रहोगे क्या,,,,?

हम तुम्हें कहा कि नहीं रहे बस हमारी नजर पड़ गई,,, और वैसे भी हम कुछ देखे ही नहीं है तुम्हारे बदन पर तो यह टावल पड़ा हुआ है,,,,


तो तुम्हें क्या लगता है क्या तुम्हारे सामने नंगी होकर नहाए,,,
( एक लड़की के मुंह से नंगी शब्द सुनकर रघु के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,।)

हम एेसा थोड़ी कह रहे हैं तुम जो कह रही हो इसके लिए कह रहे हैं,,,,,, पानी पीने दोगी या ऐसे ही चले जाएं,,,,।

आ जाओ पी लो आइंदा से देख कर आना,,,,,

( उसकी आवाज में जादू था वह मंत्रमुग्ध सा आगे बढ़ा और हेडपंप एक हाथ से चला कर पीने की कोशिश करने लगा तो वह खुद ही अपना एक हाथ ऊपर की तरफ करके हैंडपंप पकड़ ली और उसे चलाने लगी,,, रघु तिरछी नजर से उस लड़की को देखते हुए पानी पीने लगा वह लड़की भी बार-बार तिरछी नजर से रघु को देख ले रही थी जो कि उसे बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी,,, रघु पानी पीकर चला गया और उसके जाते हैं वह लड़की मुस्कुरा दी और वापस नहाने लगी,,,। रघु अपने घर के लिए भी जलेबी और समोसे बंधवा लिया,,,,, और जाते जाते हलवाई की बीवी से बोला,,,।)

चाची आज तो मजा आ गया तुम्हारी गोल गोल चु्ं,,,,,, मेरा मतलब है कि जलेबी खाकर,,,,, बहुत अच्छा बनाती हो चाची मैं रोज आता रहूंगा,,,,,( इतना कह कर रखो और रामू दोनों गांव की तरफ जाने लगी,,,, हलवाई की बीवी को उसके कहने का मतलब समझ में आते ही वह अपनी नजर को अपनी चूचियों की तरफ की तो उसके गाल शर्म से लाल हो गए,,, उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके ब्लाउज के दो बटन खुले हुए हैं और उनमें से उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर नजर आ रही थी,,, रघु के बात का मतलब समझते हैं उसे रघु के ऊपर गुस्सा तो बहुत आया,,, लेकिन ना जाने क्यों उसके होंठों पर मुस्कान भी आ गई,,,, वह जल्दी से अपने ब्लाउज के खुले दो बटनो को बंद करके वापस अपने काम में लग गई,,,,।)

रामू आज तो बहुत मजा आ गया आज का दिन बहुत अच्छा है सुबह-सुबह तेरी दोनों बहनों को नंगी देखने के बाद आज सब कुछ मस्त मस्त नजर आ रहा है,,,, सुबह सुबह में तेरी बहनों जो अपनी सलवार का नाड़ा खुल कर अपनी गोल गोल गांड को दिखा कर मेरा दिन बनाई है तो अब तक सब कुछ वैसा ही नजर आ रहा है,,,, झरने के नीचे तालाब में बिरजू बाबू के साथ उस नंगी लड़की की बड़ी बड़ी गांड का नजारा और हलवाई की बीवी की मस्त मस्त चूचियां,,,आहहहहहहा,,,,, साली की चूचियां इतनी बड़ी बड़ी है कि लगता है कि जैसे ब्लाउज के बटन तोड़कर बाहर आ जाएंगी,,,, तू देखा था ना रामू,,,,

नहीं यार मैं कहां देखा था मेरा ध्यान तो समोसे और जलेबी पर ही था,,,,

साला तू एकदम झांटु ही है,,,, ब्लाउज में से रसमलाई टपक रही थी और तू समोसे और जलेबी के पीछे पड़ा था और उसके बाद क्या हुआ तुझे पता है जब मैं पानी पीने उसके घर के पीछे गया,,

नहीं नहीं यार बता ना क्या हुआ,,,

साले पीछे उसकी लड़की नहा रही थी और सिर्फ टावल पहन कर,,

क्या बात कर रहा है रघु,,,

एक दम सच कह रहा हूं,,,

यार मुझे भी तो बुला लिया होता,,,,


बोला था तो तुझे चल पानी पीने लेकिन तू ही इंकार कर दिया,,,, यार उसकी बेटी भी उसी की तरह एकदम गोरी चिट्टी है,,, यार कसम से अगर आज वह बिना टावल के नहाती तो मजा आ जाता उसके नंगे बदन को देखने में,,,,
आहहहहह,,,, आज तो मजा आ गया रामू काश आज रात को कोई चोदने के लिए मिल जाती तो मजा आ जाता,,, यार रामू मुझे एक बार तेरी बहनों की दिलवा दें तो मजा आ जाएगा,,,, कसम से तेरे दोनों बहनों को देखता हूं तो अपने आप ही मेरा लंड खड़ा होने लगता है,,,

देख रामु अब ज्यादा हो रहा है,,,,,

यार तू नाराज क्यों होता है मैं तो मजाक कर रहा हूं चल बहुत देर हो गई है,,,,

( आज सुबह से ही रघु की आंखों के सामने ऐसे ऐसे कामोत्तेजना से भरपूर नजारे आ रहे थे कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने सुबह से लेकर शाम तक का नजारा घूम रहा था,,,, इधर उधर भटकते हुए एकदम रात हो गई,,, घर पर शालू खाना खा चुकी थी और बार-बार अपनी मां को खाना खाने के लिए बोल रही थी लेकिन उसकी आदत के अनुसार बिना रघु को खिलाए नहीं खाती थी और रात को तो उसके साथ ही खाती थी,,, गर्मी का महीना था इसलिए शालू और उसकी मां छत पर ही सोते थे,,,, शालू अपनी मां और अपने भाई के हिस्से का खाना छत पर लाकर उसे बर्तन से ढक दी और अपना एक किनारे पर चटाई बिछाकर सो गई उससे 5 कदम की दूरी पर कजरी चटाई बिछाकर रघु का इंतजार करते करते सो गई,,,,,

रात के करीब 10:00 बज रहे थे सारागांव गहरी नींद में सो रहा था और रघु अपने दोस्तों से गप्पे लगाकर अपने घर पर पहुंचा,,,, वह यह भी भूल गया था कि अपने घर के लिए वह जलेबी और समोसे भी खरीद कर रखा हुआ था जो कि अभी भी उसके हाथ में ही था वह जानता था कि इस समय सब लोग छत पर होंगे,,, सो रहे होंगे कि जाग रहे होंगे यह उसे बिल्कुल भी पता नहीं था,,, लेकिन यह जरूर जानता था कि उसकी मां बिना उसके खिलाए खाना नहीं खाई होगी इसलिए वह थोड़ा चिंतित हो गया क्योंकि रात काफी हो गई थी,,, गांव के हिसाब से तो 10:00 का समय बहुत ज्यादा था,,,,।
रघु दवे पांव सीढ़ियां चढ़ते हुए छत पर पहुंच गया,,,,,,,,,, चांदनी रात होने की वजह से छत पर चांदनी छिटकी हुई थी सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था,,, छत पर पहुंचते ही वह इधर उधर नजरे घुमा कर अपनी मां को ढूंढने लगा,,, जैसे ही उसकी नजर अपनी मां पर गई उसके तो होश उड़ गए,,,,
Badhiya update mitr
 

Nevil singh

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रात पूरी तरह से गहरा चुकी थी चांदनी रात होने की वजह से छत पर चांदनी अपनी आभा बिखेरे हुए थी,,, रघु छत पर पहुंचकर अपनी मां को भी इधर उधर नजर घुमाकर ढूंढ रहा था,,, तभी उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी लेकिन अपनी मां पर नजर पड़ते ही उसका दिल धक्क से कर गया,,,, अपनी मां को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,
उसकी मां उससे 5 कदम की दूरी पर ही चटाई बिछाकर सोई हुई थी,,, लेकिन जिस तरह से वह सोई हुई थी उसे देख कर रघु की हालत खराब होने लगी,,,, कजरी के दोनों पर घुटनों से जुड़े हुए थे और वह सीधा रघु की तरफ ही थे नींद में होने की वजह से उसकी साड़ी पूरी कमर तक चढ़ गई थी और उसने अपने दोनों टांगों को घुटनों से मोड़कर फैला रखी थी ऐसा वह जानबूझकर नहीं की थी नींद की वजह से हो गया था,,,,, लेकिन इस समय रखो की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों टांगे खुली हुई थी भरी बदन की औरत होने के नाते उसकी टांगे एकदम सुडोल और चिकनी नजर आ रही थी उसकी मोटी मोटी जांगे केले के पेड़ के तने की तरह एकदम चिकनी और मांसल थी,,,, इस तरह के हालात में रघु ने अपनी मां को कभी भी नहीं देखा था,,, इसलिए जैसे उसकी नजर अपनी मां पर पड़ी थी वैसे उसकी निगाहें उस पर गड़ी की गड़ी रह गई थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था चांदनी रात होने की वजह से छत पर उजाला फैला हुआ था और उजाले में उसकी मां की नंगी गोरी चिकनी टांग एकदम साफ नजर आ रही थी,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह धीरे-धीरे दबे पांव आगे बढ़ने लगा वह नहीं चाहता था कि किसी भी तरह की आहट हो और उसकी मां की नींद खुल जाए और वह एक खूबसूरत नजारे को देखने से वंचित हो जाए,,,, जवान होते हर लड़कों के मन में जिस तरह की इच्छा होती है उसी तरह की चाह इस समय रघु के मन में भी उठ रही थी,,, जवान होते लड़कों के मन में एक ही ख्वाइश होती है औरत के गुप्त अंगो को नजर भर कर देखना, सबसे ज्यादा लड़कों और मर्दों की चाह औरतों की बुर देखने की ही होती है,,, रघु भी उनमें से अछूता नहीं था,,,, अपनी मां की नंगी गोरी चिकनी टांगों को देखकर ना चाहते हुए भी उसके मन की लालच बढ़ती जा रही थी वह चोरी-छिपे ही सही अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन करना चाहता था जो कि जिस हालत में वह सो रही थी मुमकिन था कि उसे उसकी मां की बुरी नजर आ जाए,,, क्योंकि अब तक तो उसने यदा-कदा जाने अनजाने में लड़की है और गांव की औरतों के नंगे बदन के दर्शन कर ही चुका था उनकी गोल गोल चूचियां और मदमस्त गांड देखकर अपने लंड की गर्मी को अपने हाथ से हिला कर शांत भी कर चुका था लेकिन अब तक उसने औरतों के सबसे अमूल्य अतुल्य और कामुकता से भरे हुए उस अंग के दर्शन नहीं कर पाया था जिसे देसी लहजे में बुर कहा जाता है और यह शब्द हर जवान होते हुए लडको के लिए एक अनमोल शब्द होता है जिसे वह अपनी जबान पर लाकर ही मस्त हो जाते हैं और मन में कल्पना करने लगते हैं कि वास्तविक बुर्का आकार क्या होता होगा,,, कैसी दिखती होगी कैसा लगता होगा उसका पूरा भूगोल जानने की ख्वाहिश और उत्सुकता हमेशा उन में पनपती रहती है,,,।

उसने आज तक अपनी मां को इस नजरिए से नहीं देखा था लेकिन आज ना जाने क्या हो गया था कि वह अपनी मां की नंगी टांगों को देखकर उसकी तरफ और ज्यादा आकर्षित होने लगा था,,,, कजरी सुगठित मांसल देह वाली थी जिसकी वजह से उसका बदन बेहद आकर्षक और गठीला था यही वजह था कि हर मर्दों की नजर उस पर पड़ी जाती है और उसे देखकर उसकी तरफ आकर्षित हुए बिना उनका मन नहीं मानता था,,,, वही हाल रघु का भी था हालांकि उसने अब तक अपनी मां को गलत नजरिए से कभी नहीं देखा था,,, लेकिन आज अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसका मन देखने लगा था उसके सोचने की दिशा भटक चुकी थी वह किसी भी हाल में अपनी मां की बुर के दर्शन करना चाहता था और अपनी इच्छा को पूरी करना चाहता था,,,, वह देखना चाहता था बुर की बनावट उसकी भूगोल उसकी संरचना को पूरी तरह से समझना चाहता था भले ही उसे छू ना सके लेकिन अपनी आंखों से देख कर उसे से भलीभांति होना चाहता था,,, इसलिए धीरे-धीरे दबे पांव आगे बढ़ रहा था,,, खुली चांदनी में कजरी एकदम साफ नजर आ रही थी,,, देखते ही देखते रहो अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया वह भी भी अपनी मां के पैरों की तरफ खड़ा था जहां से उसकी मां एकदम साफ नजर आ रही थी उसकी साड़ी पूरी तरह से कमर तक चढ़ चुकी थी,,,,, कजरी के कमर के नीचे का पूरा हाल बयां हो रहा था लेकिन जिस पन्ने को रघु अपने होठों से पढ़ना चाहता था अपनी आंखों से देखना चाहता था वह पन्ना खुला ही नहीं था,,, रघु के अरमानों पर पानी फिर गया था क्योंकि कजरी की साड़ी पूरी तरह से कमर तक चली गई थी लेकिन उसकी साड़ी के नीचे की किनारी दोनों टांगों के बीच कजरी के बुर वाली जगह को अपनी आगोश में लिए हुए थी ऐसा लग रहा था कि जैसे,,, यह सब रघु के लिए ही था कजरी की साड़ी नहीं चाहती थी कि रघु उस अनमोल अंग को देखें जिसे वह खुद अपनी आगोश में लेकर दुनिया वालों की नजरों से छुपाए हुए होती है,,,, रघु पूरी तरह से निराश हो चुका था उसे ऐसा लग रहा था कि आज वह बुर के दर्शन कर लेगा और शुरुआत अपनी ही मां की बुर से करेगा,,,,
रघु बार बार इधर उधर नजर करके ऊपर नीचे हो कर किसी भी तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करना चाहता था जो कि बस हल्का सा साड़ी ऊपर उठ जाने से उसके अरमान पूरे हो जाते हैं लेकिन ऐसा हो सकना इस समय संभव नहीं लग रहा था या तो फिर उसे अपने ही हाथों से अपनी मां की साड़ी को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसके रसीले गुलाबी बुर के दर्शन कर सकता था,,, लेकिन ऐसा करने की उसके में हिम्मत नहीं थी फिर भी जितना भी अपनी मां के नंगे बदन को भले ही कमर के नीचे की मोटी चिकनी जांघों को देखा था उसने भर मात्र से ही वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसके पजामे में उसका लंड गदर मचाया हुआ था,,,,। उसे इस तरह से अपनी मां को चोरी-छिपे देखना खराब भी लग रहा था लेकिन वह नजारा इतना ऊन्मादक था कि वह चाह कर भी अपनी नजरों को अपनी मां के ऊपर से हटा नहीं पा रहा था,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था बार-बार अपनी मां की नंगी चिकनी टांगो को देखकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दे रहा था,,,, यह सब करते हुए अपने मन में सोच रहा था कि नहीं यह सब गलत है यह सब से नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उसकी मां है मां को इस नजरिए से नहीं देखा जाता पाप लगेगा यह सब भावना उसके मन में आ रही थी लेकिन रघु जवान हो रहा था अरमान मचल रहे थे ऐसे में औरतों के नंगे बदन का दीदार मात्र जवानी की आग भड़काने के लिए काफी होता है,,, रघु तो पहले से ही इधर-उधर इसी ताक में रहता है कि कब किस औरत या लड़की के नंगे बदन के दर्शन हो जाए ऐसे में उसकी मां का इस तरह से टांगे खोल कर गहरी नींद में सोना रघु की उफान मारती जवानी पर लगाम कस पाने में असमर्थ साबित हो रही थी रघु अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर बेलगाम होता जा रहा था,,,
रघु लगभग 20 मिनट से इस हालात में अपनी मां के नंगे बदन के दर्शन कर रहा था जो कि केवल कमर के नीचे से ही नंगी थी ऊपर से वह पूरी तरह से दुरुस्त थी लेकिन शायद अभी तक रघु ने ठीक से अपनी मां के कमर के ऊपर वाले बदन पर गौर नहीं किया था,,,, जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ उसके बदन में करंट सा लगने लगा उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की छातियां काफी बड़ी है साड़ी छातियों से नीचे सरक गई थी जिससे कजरी के ब्लाउज में कसी हुई जवानी से भरपूर गोलाइयां किसी तूफान की तरह नजर आ रही थी,,,, कजरी के ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे और पीठ के बल लेट होने की वजह से उसके ब्लाउज में कैद दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह ऊपर की तरफ लुढ़के हुए थे जिससे उसकी आधी से ज्यादा चूचियां बाहर नजर आ रही थी,,,,।
उत्तेजना के मारे रघु का गला सूखता चला जा रहा था,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था बाहर जाकर दोनों चुचियों के बीच की गहरी लकीर जंगल में से गुजरती हुई गहरी नदी की तरह लग रही थी,,, जो कि बेहद मनमोहक प्रतीत हो रहा था,,, रघु का मन कभी-कभी ग्लानि से भर जा रहा था तो कभी-कभी अपनी मां के मनमोहक अंगों को देखकर मन बहक ने लग रहा था,,,, अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर उसकी इच्छा हो रही थी कि दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर उसे जोर जोर से दबाए,,,, उसे मुंह में लेकर पी जाए,,,, लेकिन ऐसा करने के लिए हिम्मत होनी चाहिए जो कि इस समय रघु में बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अपनी मां की मौत हो चुकी हो को देखते हुए उसकी नजर जैसे ही एक बार फिर से कमर के नीचे की तरफ पहुंची तो एक बार फिर से उसके मन की लालसा अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन करने के लिए बढ़ने लगी,,, वह बड़े गौर से अपनी मां को बेसुध सोया हुआ देख रहा था,,, और जिस तरह से उसके तन बदन में बिल्कुल भी हलचल नहीं थी उसे देखते हुए रघु की हिम्मत थोड़ी बढ़ने लगी थी वह मन में ऐसा सोचा था क्या करो अपने हाथ से अपनी मां की साड़ी की किनारी को उठाकर थोड़ा सा ऊपर कर दे तो उसकी मां की बुर उसे देखने को नसीब हो जाएगी,,, और यही करने के लिए वह मन में ठान लिया था एक बार फिर से वह अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चल भाव से एकदम गहरी नींद में सो रही थी रघु समझ गया कि अगर वह अपने हाथ से अपनी मां की साड़ी थोड़ा सा ऊपर उठाएगा तो ऐसे में उसकी मां की नींद नहीं खुलेगी,,,, और वह अपनी मां की साड़ी उठाने के लिए थोड़ा सा नीचे की तरफ झुके कर अपने दो कदम पीछे लेकर उसकी कमर तक पहुंचने की कोशिश कर ही रहा था कि उसके पैर से टकराकर पास में रखा बर्तन गिर गया और वह झट से उस बर्तन को उठाने के लिए पीछे की तरफ घूम गया लेकिन बर्तन गिरने से उसकी आवाज से कजरी की नींद खुल गई और वह छटपटाते उठ कर बैठ गई,,, उसकी नजर शुभम पर गई तो वह नीचे गिरी बर्तन को उठा रहा था उसकी पीठ कजरी की तरफ थी और कचरी झट से अपने अस्त-व्यस्त कपड़ों को दुरुस्त करने लगी,,,
अपनी पीठ पीछे हो रही चूड़ी और पायल की खनक इनकी आवाज सेवा इतना तो समझ गया कि उसकी मां जाग गई है इसलिए बहुत तेजी से अपना दिमाग घुमाते हुए मां अपनी मां की तरफ देखे बिना ही बोला,,,

क्या करती हो मैं इधर उधर बर्तन रख देती हो जैसे ही मैं छत पर आया वैसे ही मेरे पैर से बर्तन टकरा गया,,,, और यह गिलास में रखा हुआ पानी गिर गया,,,,

यह शालू भी ना इधर उधर रख देती है,,,,( इतना कहकर वो उठने लगी अभी भी रघु अपनी मां की तरफ नहीं देख रहा था उसके अंदर अंदर बैठ गया था कि कहीं उसकी मां को पता ना चल जाए कि वह सोते हुए उसे देख रहा था।) तू ही रुक मैं तेरे लिए पानी लेकर आती हूं तूने सुबह से आज कुछ नहीं खाया है तेरे इंतजार करते-करते मैं भी सो गई,,,

तू खाना नहीं खाई हो मां,,,,

नहीं रे क्या ऐसा कभी हुआ है कि मैं तेरे बगैर खाना खाकर आराम से सो गई हूं,,,, तू यहीं रुक मैं पानी लेकर आती हूं फिर हम दोनों खाना खाते हैं,,,,( इतना कहकर कजरी छत से नीचे चली गई और प्रभु उसे ज्यादा हुआ देखता रहा वह अपनी मां का वात्सल्य देख रहा था उसकी ममता देख रहा था कि उसको खिलाई भी ना वह खुद नहीं खाई है और वह कितना बड़ा पाप कर रहा था कि अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उत्तेजित हो रहा था और तो और अपने हाथ से उसकी साड़ी उठाने जा रहा था उसकी बुर देखने के लिए वो कितना गंदा है कितना कमीना है पापी है अपनी मां को ही गंदी नजर से देख रहा था,,,, यह सब सोचकर रघु एकदम ग्लानि से भर गया और आइंदा कभी भी अपनी मां को गंदी नजर से नहीं देखेगा यह कसम मन ही मन खा लिया,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मां पानी लेकर आई और दोनों बैठ कर खाना खाने लगे,,,, तभी रघु अपने साथ लाया हुआ जलेबी और समोसा अपनी मां की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,, मां मैं आज हलवाई के वहां गरमा गरम जलेबी छन रही थी तो जलेबी और समोसे लेकर आया था,,,

अच्छा-अच्छा शालू को भी जगा दें वह भी खा ले वरना सुबह तक खराब हो जाएगा,,,( कजरी अपने होठों पर मुस्कुराहट लाते हुए बोली और रघु जाकर अपनी बहन शालू को जगा कर ले आया और उसे भी समय से और जलेबी या दिया,,,, तीनों बहुत खुश थे लेकिन रखो अंदर ही अंदर घुटता सा महसूस कर रहा था क्योंकि आज जो उसने किया था वह बिल्कुल गलत था बात था और उसके प्रायश्चित के रूप में वह कसम खाकर आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी ऐसा मन में मान कर खाना खाकर सो गया,,,)
Damdaar update dost
 

Nevil singh

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धीरे-धीरे दिन गुजरने लगा कजरी के मन में से लाला की हरकत की दहशत धीरे-धीरे मिटने लगी,,, लेकिन अब ना चाहते हुए भी रघु के मन में बदलाव आना शुरू हो गया था जिस दिन से वह छत पर अपनी मां के नंगे हुस्न का दीदार अपनी आंखों से किया था तब से वह रोज कसम खाकर उस तरह की गलती दोबारा ना करने के बारे में सोचता था लेकिन जल्दी कजरी उसकी आंखों के सामने आ जाती थी तब उसकी सारी कसम हवा में फुर्र हो जाती थी,,, रघु आप अपनी मां को कामुक नजरों से देखना शुरू कर दिया था कपड़ों में से उसके अंगों के कटाव और उभार को नजर भर देख कर अंदर ही अंदर उत्तेजित होने लगा था। हालांकि अपनी गलती पर उसे अपराध बोध होता जरूर था लेकिन जिस उम्र की रेखा से वह गुजर रहा था,,, उससे इस तरह की गलती होना स्वाभाविक ही था,,,। रघु रे रे कर अपने आप को उस पल के लिए कोसता रहता था जब वह रात के समय छत पर पहुंच गया था और अपनी नजरों से अपनी मां के नंगे हुस्न को देखकर काम भावना से ग्रस्त हो गया था। जब कभी भी वह अकेले में बैठता या सोता तो उसकी आंखों के सामने वही दृश्य घूमने लगता था जिसे देखकर उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी। बार-बार वह अपने मन से उस बात को भूलाने की पूरी कोशिश करता था लेकिन रघु जैसे नौजवान होते लड़के के चंचल मन में इस तरह का कामुक दृश्य बहुत ही गहरी छवि छोड़ देता है और उसी हालात से रघु जुझ रहा था,,,,
धीरे-धीरे परीस्थिति सामान्य होने लगी थी,,, लेकिन फिर भी छत वाले कामुक दृश्य में रघु के मन में अमिट छाप छोड़ रखी थी,,,

शालू तू खाना बना देना मैं खेतों में जा रही हूं आज सब्जियों में पानी देना है अगर नहीं दूंगी तो सारे पौधे खराब हो जाएंगे।

ठीक है माफ तुम चिंता मत करो मैं खाना बना लूंगी,,,

और हां जरा अपने साहेबजादे को भी जगा देना ,,,,सारा दिन लाड साहब बन कर इधर-उधर घूमता रहता है जरा भी जिम्मेदारी का एहसास ही नहीं है,,,

हो जाएगा मां,,,, तुम चाहो अगर हो जाएगी तो मैं खेत पर ही खाना भेज दूंगी,,,,


ठीक है मैं जाती हूं,,,,(इतना कहकर कजरी खेतों की तरफ चली गई और शालू खाना बनाने लगी मन में गीत गुनगुना रही थी,,,, गीत गुनगुनाते हुए उसे उस दिन की बात याद आ गई जब वह बिरजू के साथ झरने के नीचे तालाब में नहाने के लिए गई हुई थी,,, उस पल के बारे में सोच कर हीं सालु मन ही मन एकदम गनगना गई,,,,,, उसे अच्छी तरह से याद था कि उस दिन झरने के नीचे बिरजू जिस तरह से उसकी दोनों चूचियों को कुर्ती के ऊपर से जोर जोर से दबा रहा था वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी और साथ ही बिरजू के लंड के कड़क पन का एहसास उसे अपने नितंबों के ऊपरी सतह पर बराबर हो रहा था जिससे वह उस समय काफी चुदवासी हो चुकी थी,, उसे भी उस समय अपनी बुर के अंदर चिंटीया रेंगती हुई महसूस हो रही थी,, शालू अपनी बुर के अंदर बिरजु के लंड को लेना चाहती थी,,, लेकिन 6 महीने से बिरजू के साथ रहकर वह इतना समझ गई थी कि बिरजू एकदम निकम्मा इंसान था वरना जिस तरह के वीराने में वह उससे 6 महीने से मिल रही थी अब तक दूसरा कोई होता तो अब तक उसकी बुर में लंड डालकर उसका उद्घाटन कर दिया होता,,,, यही बात बिरजू कि उसे पसंद नहीं आ रही थी क्योंकि वह पहल कर पाने में एकदम असमर्थ थी,,, वह नहीं चाहती थी की चुदवाने के लिए उसे अपने मुंह से बोलना पड़े इसलिए तो पिछले 6 महीने से वह प्यासी तड़प रही थी,,,वह मन में यह भी सोच कर रखी थी क्या कर भेजी उसके साथ जबरदस्ती करेगा तो भी वह बाद में ना नूकुर के नाटक के बाद मान ही जाएगी,,, वह तो सिर्फ बिरजू के सामने ऊपरी मन से दिखावा करती थी,,, बिरजू जो उसके साथ कपड़ों के ऊपर से ही मस्ती करता था,,,कपड़ों के ऊपर से ही उसके गोल गोल अंगो को अपनी हथेली में भरकर दबाता था उससे शालू पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती थी उसकी बुर की पतली दरार से नमकीन रस अपने आप बहने लगता था,,, लेकिन सब कुछ बेकार था बिरजू में हिम्मत नहीं थी कि वह उसके साथ जबरदस्ती कर सके,,,, यहां तक कि उस दिन का बिरजू को पूरी तरह से उत्तेजित करने के लिए वह उसके सामने अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी सिर्फ इसलिए कि बिरजू उसके नंगे बदन को देखकर अपनी मनमानी करने पर उतारू हो जाए और उसमें सालु पूरी तरह से सहभागी भी हो जाती,,,ं उस दिन वह पूरी तरह से तैयार थी बिरजू से चुदवाने की लिए,,, इसलिए तो वह जानबूझकर अपनी बड़ी-बड़ी गोलाकार गांड को दिखा रही थी लेकिन साला बिरजू इतना निकम्मा था कि उसकी गोलाकार गांड को देखकर बस अपने पजामे के ऊपर से अपनी खडे लंड को मसल रहा था,,, इससे ज्यादा कुछ कर सकने की हिम्मत उसने बिल्कुल भी नहीं थी,,। यही सब सोचते हुए शालू खाना बना रही थी,,,, कि तभी उसे वह वाली बात याद आ गई जब वह एकदम नंगी होकर तालाब में कर कर नहाने का मजा ले रही थी तभी,,, उसका भाई वहां आ गया था,,, हालांकि शालू ने उसे अपनी आंखों से देखी नहीं थी लेकिन उसकी आवाज को पहचानती थी वह काफी घबरा गई थी इसलिए अपनी इज्जत खराब ना हो जाए और वह भी अपने ही भाई की आंखों के सामने इसलिए वह अपने कपड़े पहनने के लिए भी वहां नहीं रुकी थी और भागकर झाड़ियों में छुपकर कपड़े पहन कर गांव की तरफ भाग गई थी,,शालू इस बात से बेहद खुश थी कि उसके भाई को इस बात का आभास तक नहीं था कि जिससे लड़की को वह तालाब में नहाता हुआ देखा था वह उसकी बहन थी,,, वरना अब तक घर में हंगामा मच गया होता,,,,
वह खाना बना ही रही थी कि तभी उसे याद आया कि उसे तो अपने भाई को जगाना है,, वह जल्दी से उठी और भागकर अंदर के कमरे में रघु को जगाने के लिए चली गई,,, अंदर के कमरे में थोड़ा अंधेरा था लेकिन खिड़की से आ रही तेज धूप की रोशनी में कमरे के अंदर कुछ कुछ नजर आ रहा है कमरे में प्रवेश करते ही उसे रखो खाट पर बेसुध होकर सोता हुआ नजर आया कदम आगे बढ़ा कर उसे उठाने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाई ही थी कि उसके मुंह से निकलने वाले सब मुंह में ही अटक कर ले गए उसके हाथ जैसे जम गए,,,क्योंकि उसकी आंखों ने जो नजारा देखा था उसने जा रहे के बारे में वह बिरजू को लेकर उसकी कल्पना करके मस्त हो जाया करती थी लेकिन यहां तो उसकी कल्पना से भी बेहद अद्भुत नजारा था,,,, रघु तौलिया लपेटे सो रहा था तोलिया के नीचे उसने कुछ भी नहीं पहन रखा था,,, और इस वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड पूरी तरह से खड़ा था छत की तरफ मुंह उठाए,, अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को देखकर शालू का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,, क्योंकि रखो का लंड उसकी कल्पना से भी काफी दमदार और तगड़ा था,,, उत्तेजना के मारे शालू का गला सूखने लगा उसकी तेज चलती सांसों के साथ-साथ उसकी छोटी-छोटी नारंगीया ऊपर नीचे हो रही थी,,, उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी थी,, शालु को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,, उसकी हथेली रघु के खाने लंड से महज 1 फीट की दूरी पर ही ठिठक कर रहे गए थे,,,, महीनों से जिस लंड की कल्पना करते वो आ रही थी,,, वह मनमोहक लंड उसकी पहुंच से महज 1 फीट की दूरी पर ही था,,,, शालू कभी अपने भाई की तरफ तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ देख रही थी रघु अभी भी बेसुध होकर सोया हुआ उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि उसका लंड पूरी तरह से खड़ा है और इस समय उसकी बहन ऊसे नजर भर कर देख रही है,,।
शालू का मन ललच रहा था,,, अपने भाई के खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ना चाहती थी उसे छुना चाहती थी उसे स्पर्श करके उसकी गर्माहट को अपने अंदर महसूस करना चाहती थी,,,, वह पागल हुए जा रही थी,,, अब तक उसे चुदवाने का किसी भी प्रकार का अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी उसका मन कर रहा था कि खाट पर चढ़ जाए और खुद ही अपने भाई के लंड पर चढ़कर चुदाई का आनंद ले ले,,,, लेकिन जिस तरह की स्थिति उसके इतने नजदीक होने के बावजूद भी पूछ चुकी होती थी वही स्थिति इस समय सालु की थी,,,, वह चाह कर भी ऊससे कुछ नहीं कर सकती थी,,,

शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था बहुत देर से रघु के बदन में किसी भी प्रकार की हलचल नहीं हुई थी इसलिए सालों का मन बहक ने के साथ साथ आगे बढ़ने की भी सोच रहा था ,,,वह रघु के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर देखने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाने लगी,,, कि तभी रघु के बदन में कसमसाहट हुई और वह दूसरी तरफ अपना गर्दन घुमा दिया,,,, लेकिन अब सालु की हिम्मत जवाब दे गई,,,,अब उसमें रघु को उठाने की भी हिम्मत नहीं रह गई वह तुरंत अपने कदम पीछे करके कमरे से बाहर निकल गई,,,, वह पूरी तरह से पागल हो गई थी अपने भाई के मोटे तगड़े लंड के दर्शन करने के बाद उसके दिमाग पर उसके भाई का लंड हीं छाया हुआ था,,,, जैसे तैसे करके वह खाना बना ली,,,, उसके बदन में गर्मी छाई हुई थी वह तुरंत कुशल खाने में जाकर ठंडे पानी से नहाने लगी ताकि उसकी बदन की गर्मी शांत हो जाए,,,, थोड़ी देर बाद मुझे अब नहा कर गुसल खाने से बाहर आई तो देखी उसका भाई कमरे से बाहर निकल रहा था और अच्छे से तोलियो को अपनी कमर पर लपेट रहा था,,,, हालांकि अभी भी तौलिए के नीचे कुछ ना पहनने की वजह से तोलिया के ऊपर अच्छा खासा उभार बना हुआ था जोकि शालू की नजरों से बच नहीं पाया,,,,

दीदी तुमने मुझे जगाई नहीं काफी देर हो चुकी है,,,

हह,, हां,,, मैं तुम्हें जगाने ही वाली थी लेकिन नहाने चली गई,,,, (शर्म के मारे अपने भाई से नजर नहीं मिला पा रही थी इसलिए अपनी नजर इधर उधर घुमा कर बातें कर रही थी ०/) अच्छा रघु एक काम करना,,, मां खेतों पर गई है सब्जियों को पानी देना और लगता है मां को आने में देर हो जाएगी तू ऐसा कर जल्दी से नहा धो कर तैयार हो जा और खाना खाकर,,,, खाना खाकर नहीं तो अपना और मां का खाना लेकर खेतों पर चला जा वहीं पर खा लेना और बाकी काम में हाथ भी बंटा देना,,,,

ठीक है दीदी ,,,,,(इतना कहकर रघुकुल सर खाने में चला गया और थोड़ी देर बाद नहाकर वापस आ गया,, अभी भी शालू के दिलो-दिमाग पर उसके भाई का लंड छाया हुआ था जोकि लाख अपना मन इधर-उधर भड़काने की कोशिश करने के बावजूद भी वह अपने मन को बहला नहीं पा रही थी ,,,, वह रसोई के पास बैठकर अपने भाई के लंड के बारे में ही सोच रही थी,,,,। तभी उसका भाई रखो अपनी चौड़ी छाती को कपड़े से पोछता हुआ शालू के करीब आया और बोला।

दीदी खाना तैयार है,,
(शालू अपने भाई की चौड़ी छाती को देखकर उसके ख्यालों में खोई हुई थी ,,, वैसे तो वह पहले भी अपने भाई कोई समझता में देख चुकी थी ना कि मैं आज उसके देखने का रवैया पूरी तरह से बदला हुआ था ,,,, तब एक बार और पूछने पर शालू की तंद्रा भंग हुई और वह तुरंत रघु और उसकी मां के हिस्से का खाना निकाल कर उसे थमी दी,,, रघु खाना लेकर खेतो की तरफ निकल गया,,,
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Nevil singh

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अपने भाई के मोटे तगड़े के दर्शन करने से पहले उसने अब तक किसी दिन मर्द के जवान लंड को नहीं देखी थी इसलिए उसके मन की धारणा मर्दों के लंड को लेकर कुछ और ही थी,,, वह कल्पना में भी नहीं सोची थी कि मर्दों के लंड का वास्तविक आकार उसके भाई रघु के लंड की तरह होता है,,,, शालू के कोमल मन पर उसके भाई के मोटे तगड़े लंड की अमिट छाप बन चुकी थी,,,,, जो कि उसके लिए मिटा पाना असंभव साबित होता जा रहा था,,,, अपने भाई के लंड के बारे में सोच कर अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी,,,,।


रघु खाना लेकर खेतों पर जा चुका था,, चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे,, बाकी के मुकाबले कजरी के पास कुछ खेत ज्यादा ही थे जिसमें वह सब्जियां भी ऊगा लेती थी जिससे उसका जीवन निर्वाह अच्छे से हो रहा था,,,

रास्ते में गीत गुनगुनाता हुआ रघु चला जा रहा था,,, थोड़ी ही देर में वहां कच्चे रास्ते से नीचे उतर कर अपने खेतों में घुस गया जहां पर चारों तरफ धान लहरा रहे थे,,, रघु से भी अधिक ऊंचाई मैदान पूरे खेतों में दूर-दूर तक छाया हुआ था एक तरह से उन धानों के बीच में रघु खो सा गया था,, ।

रघु धीरे-धीरे खेतों के बीच में चला जा रहा था,,, देखते ही देखते रघु खेत के एकदम बीचो-बीच बने अपने झोपड़ी में पहुंच गया,,, यह झोपड़ी यहां पर खेतों में काम करते-करते थक जाने पर आराम करने के लिए ही बनाई गई थी,,, खेतों के बीच में यह बनी झोपड़ी बेहद खूबसूरत लगती थी झोपड़ी के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे जिसकी वजह से उसकी छाया झोपड़ी पर बराबर पडती थी,, और उसकी वजह से ठंडक भी रहती थी पास में ही हैंडपंप भी था।

रघु झोपड़ी पर पहुंचकर इधर-उधर अपनी मां को ढूंढने लगा,,, लेकिन उसकी मां उसे कहीं नजर नहीं आ रही थी,,, उसे लगा शायद उसकी मां झोपड़ी के अंदर आराम कर रही होगी और वह अंदर झांक कर देखा तो झोपड़ी में भी उसकी मां नहीं थी,,, रघु झोपड़ी के अंदर ही खाट पर खाना रखकर अपनी मां को ढूंढने लगा,,, तभी उसे याद आया कि उसकी मां खेतों में सब्जियों में पानी देने के लिए ही आई थी इसलिए सोचा कि उसकी मां जहां सब्जी लगाई गई है वही होगी इसलिए झोपड़ी के पीछे जाने लगा जहां पर दोनों तरफ धानों के बीच में से पतली सी पगडंडी बनी हुई थी उस पर जाने लगा,,, कुछ ही देर में जहां सब्जियां लगाई गई थी वहां पर रघु पहुंच गया,,,, बहुत परेशान हो गया कि आखिर उसकी मां गई कहां,,,, तभी उसे पास में घनी झाड़ियों के पास पत्तों के चरमराने की आवाज सुनाई दी,,,,, और उस दिशा में देखने लगा उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो वह थोड़ा सा अपना कदम आगे बढ़ाकर और नजदीक से देखने की कोशिश करने लगा,,,, उसे अब तक ऐसा ही लग रहा था कि कोई जानवर कंदमूल खाने के लिए आया होगा इसलिए वह उसे भगाना चाहता था,,,,,, पर जैसे ही वह घनी झाड़ियों को अपने दोनों हाथों से अलग करते हुए अंदर की तरफ नजर दौर आया तो वह अंदर का नजारा देखकर दंग रह गया,,,, बड़ी मुश्किल से वह अपनी मां की मादकता भरी छलकती जवानी के दर्शन करके ऊस नजारे को भुला पाया था कि,, इस समय जिस नजारे से उसकी आंखें चार हुई थी उसे देखते ही उसके पजामे में उसका सोया हुआ लंड़ गदर मचाने लगा,,,,,,, बस तीन चार कदम की ही दूरी पर कजरी अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर बैठकर मुत रही थी,,, और उसकी बुर में से आ रही मादकता भरी सिटी की मधुर ध्वनि साफ-साफ रघु के कानों में पड रही थी,,,,

बड़ी मुश्किल से वह अपनी मां की छलकती हुई जवानी के मंदिर दृश्य को अपने दिमाग से निकाला था लेकिन एक बार फिर से अपनी मां की नंगी गांड को देखकर उसके तन बदन में आग लग गई,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, पहली बार वह अपनी मां की मदमस्त गोलाकार गांड के भरपूर घेराव को देख रहा था,,, उसे जो कि नहीं नहीं हो रहा था कि यह गांड उसकी मां की,,, क्योंकि रघु ने अभी तक अपनी मां की जोशीले बदन को वस्त्र के ऊपर से ही देखा था वह तो उस दिन गलती से अपनी मां के नंगे बदन का दीदार हो गया लेकिन फिर भी उस दिन वह अपनी मां की गांड और उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था लेकिन आज इस तरह से खेतों में झाड़ियों के बीच उसे बैठकर पेशाब करता हुआ देखकर उसके तमन्नाओं की लड़ी बरसना शुरू हो गई थी,,, रघु प्यासी आंखों से अपनी मां की नंगी खूबसूरत माता-पिता से भरपूर गांड को देख रहा था,,,

यह कामुक नजारा देखने के बाद रखो को एहसास हो रहा है कि औरतों के पास अपना हर एक अंग अंग दिखाने के लिए होता है और औरतों के हर एक अंग को देखने के लिए दुनिया का हर मर्द आतुर रहता है जैसा कि इस समय वह खुद अपनी मां के नंगे बदन को देख कर व्याकुल और उत्तेजित हो रहा था,,,,।

अभी भी उसके कानों में अपनी मां की बुर से निकल रही सिटी की मधुर आवाज गूंज रही थी,,, ओरिया मधुर आवाज केवल उसके कानों तक नहीं बल्कि सुनसान खेतों के हर एक कोने में पहुंच रही थी लेकिन उसे सुनने वाला उस समय केवल उसका बेटा रघु ही था जोकि दुनिया से बेखबर औरत के नंगे बदन के आकर्षण में वह यह भी भूल गया कि जिसे वो प्यासी नजरों से देख रहा है वह उसकी खुद की मां है,,, जो कि यह एकदम गलत बात थी लेकिन जवानी से भरपूर मर्द यह सब कहां देखते हैं उसे तो बस अपनी आंख सेंकने का बहाना चाहिए,,, अगर दिमाग ऐसा करने से रोकता भी है तो उसे मादकता भरे दृश्य को देखकर तन बदन में जो हलचल होती है वह हलचल उस मर्द को उस मादकता भरे एहसास में मैं पूरी तरह से बांध लेता है और उससे आजाद होने की इजाजत नहीं देता,,,


रघु के साथ भी यही हो रहा था वह लाख कसमें खाकर अपनी मां को गंदी नजरों से ना देखने का अपने आप से ही वादा कर चुका था लेकिन उसकी आंखों के सामने बेहद कामोत्तेजना से भरपूर द्श्य नजर आते ही सारे कसमे वादे हवा में फुर्र हो गए,,, वह सब कुछ भूल कर अपनी मां की बड़ी-बड़ी नंगी गोलाकार गांड को देख रहा था उसे साफ नजर आ रहा था,,, कि उसकी मां झाड़ियों के बीच बैठकर मुतने का आनंद ले रही है,,, कजरी की बड़ी बड़ी गांड के बीच की दरार रघु को साफ नजर आ रही थी,,, रघु इस समय अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर उसकी गहरी पतली लकीर के अंदर अपने आप को पूरी तरह से डूबा देना चाहता था,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था।
ऐसा लगता था जैसे की कजरी को बहुत देर से और बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई थी क्योंकि अभी तक उसकी बुर में से मधुर सिटी की ध्वनि सुनाई दे रही थी।,,, रघु को चुदाई का अनुभव बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी इस तरह का कामुकता भरा दृश्य देखकर उसका मन हो रहा था कि पीछे जाकर अपनी मां की बुर में पूरा लंड डालकर चुदाई कर दे,,, रघु के पजामे में काफी हलचल मची हुई थी।।। लंड बार-बार अपना मुंह उठाकर पर जाने से बाहर आने की कोशिश कर रहा था और रघु बार-बार उसकी इस कोशिश को नाकाम करते हुए उसे पजामे के ऊपर से पकड़कर नीचे की तरफ दबा दे रहा था,,,,

इस तरह से पेशाब करके कजरी को बेहद राहत का अनुभव रहा था क्योंकि सब्जियों में पानी देते देते कब उसकी बुर में नमकीन पानी का जमाव हो गया उसे पता ही नहीं चला,,, अधिकतर चोर देने पर उसे एहसास हुआ कि उसे पेशाब लगी है और खेतों में उसके सिवा दूसरा कोई भी ना होने से वह बड़े आराम से झाड़ियों के बीच बैठकर पेशाब कर रही थी,,,, लेकिन अब उसकी टंकी पूरी तरह से खाली हो चुकी थी वह उठने ही वाली थी कि तभी उसे अपने पीछे हलचल सी महसूस हुई और वह पलट कर पीछे देखी तो अपने बेटे पर नजर पड़ते ही वह एकदम सकपका गई,,, अपनी बेटी को ठीक अपने पीछे खड़ा हुआ देखकर और वह भी इस तरह से आंखें फाड़े अपनी तरफ ही देखता हुआ पाकर वह एकदम सन्न रह गई,,,, और झट से खड़ी होकर अपनी साड़ी को तुरंत कमर से नीचे छोड़ दी और किसी रंगमंच के पर्दे की तरह उसकी साड़ी बेहतरीन दृश्य को छुपाते हुए सीधे उसके पैरों तक पहुंच गई,,,
रघु भी एकदम से घबरा गया,,, वह सोच रहा था कि अपनी मां को पेशाब करने से पहले ही वह इस बेहतरीन दृश्य को नजर भर के देख लेने के बाद वह वहां से दबे पांव चला जाएगा,,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। कजरी के इस तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दिखाकर मुतने में जो आकर्षण था उसमें उसका बेटा पूरी तरह से बंध चुका था,,, और वहां से अपनी नजरें हटा नहीं पा रहा था और ना तो अपने कदम ही पीछे ले पा रहा था लेकिन एकाएक अपनी मां को इस तरह से पीछे मुड़कर देखने की वजह से उसकी चोरी पकड़ी गई थी।
कजरी अपनी साड़ी को दुरुस्त करके अपनी जगह पर खड़ी हो चुकी थी,,, अपने बेटे की ईस हरकत पर वह काफी क्रोधित नजर आ रही थी,,, पर वह गुस्से में बोली।

यह क्या हो रहा था रघु,,,? तुम्हें शर्म नहीं आती चोरी छुपे इस तरह से मुझ को पेशाब करते हुए देख रहे हो,,,

नहीं नहीं मैं ऐसी कोई बात नहीं मैं तो बस तुम्हें ढूंढते हुए यहां पहुंच गया था और,,

और,,,,, और क्या मुझे इस तरह से पेशाब करता हुआ देखकर तु चोरी छुपे मुझे देखने लगा,,,, यही ना,,,

नहीं नहीं यह गलत है,,,, ये सब अनजाने में हुआ,,,,


मैं सब अच्छी तरह से समझती हूं अगर अनजाने में होता तो तू यहां से चला जाता युं आंखें फाड़े,,, मेरी,,,,(कचरे के मुंह से गांड शब्द निकल नहीं पाया,,) देता नहीं,,,,

नहीं नहीं ऐसा क्यों कह रही हो मां,,,,

मुझे तेरी कोई सफाई नहीं सुनना,,,,, तू चला जा यहां से,,, मुझे यकीन नहीं होता कि तु इस तरह की हरकत करेगा,,

लेकिन मां मेरी एक बार,,,,,बा,,,,,,(अपने बेटे की बात सुने बिना ही पर उसकी बात को बीच में ही काटते हुए गुस्से में बोली)

मुझे कुछ नहीं सुनना है बस तू यहां से चला जा,,,,
(रघु समझ गया कि उसकी मां ज्यादा गुस्से में है आखिरकार उसने गलती भी तो इतनी बड़ी की थी... वह मुंह लटका कर उदास होकर वहां से चला गया,,, कजरीअभी भी पूरी तरह से गुस्से में थी,,, वह शायद अपने बेटे रघु के द्वारा दी गई सफाई पर विश्वास भी कर लेती अगर उसकी नजर उसके पजामी में बने तंबू पर ना गई होती तो,,, अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देखकर वह समझ गई कि वह काफी देर से उसे पेशाब करता हुआ देख रहा था,, और उसे देखकर काफी उत्तेजित भी हो चुका था,,,,इस बारे में सोच कर कजरी को काफी शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा इस तरह की हरकत कर सकता है,,,

वह खाना भी नहीं खाई,,, और वही बैठी रह गई,,, जब शाम ढलने लगी तो वह खेतों से बाहर निकल कर अपने घर कि तरफ जाने लगी,,, अभी भी वह अपने बेटे की शर्मनाक हरकत के बारे में सोचकर एकदम शर्मिंदा हुए जा रही थी,,, वह बार-बार अपने बेटे की तुलना लाला से करने लगी थी क्योंकि अपने बेटे की हरकत और लाना की हरकत में कोई ज्यादा फर्क नहीं था दोनों की आंखों में कामवासना साफ नजर आ रही थी,, दोनों औरतों के अंगों को देख कर मदहोश हो रहे थे,,,,कजरी है बात सोच कर और भी ज्यादा परेशान और शर्मिंदगी महसूस कर रही थी कि लाला तो चलो पराया गैर आदमी था उसकी इस तरह की हरकत को वह अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसका बेटा रघु तो अपना था अपना ही बेटा था,,, उसे तो समझना चाहिए और देख भी किसी रहा था अपनी ही मां को और वह भी पेशाब करते हुए,,,,छी,,,,,, ।

कजरी को अपने बेटे की हरकत बेहद शर्मनाक लग रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने वही तेरे से नजर आ रहा था जब वह पलट कर पीछे देखने लगी थी और उसे अपने पीछे रघु खड़ा नजर आया था जोकि पूरी तरह से आंख फाड़े उसे ही देख रहा था,,, और तो और उसे पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड भी खडा हो गया था,, जो कि यह बात कजरी अच्छी तरह से जानती थी कि एक मर्द का लंड कब खड़ा होता है,,, इसलिए तो यह सोच सोच कर हैरान थी कि क्या उसका बेटा उसे पेशाब करते हुए देख कर उसे चोदने की इच्छा रखता,, था,,, क्या सच में रघु चोदना चाहता है,,,,अगर ऐसा नहीं होता तो उसका लंड खड़ा क्यों होता ,,,,,

यही सब सोचकर कजरी एकदम हैरान थी और काफी परेशान भी नजर आ रही थी धीरे-धीरे वह अपने घर पर पहुंच गई,,,।
Anterdavand se jujhti update mitr
 
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