शालू की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे उसकी आंखों के सामने उसका छोटा भाई अपनी मां की बुर को मुट्ठी में दबोचे हुए थे और उसकी इस हरकत पर उसकी मां उसे डांटने के वजाय,,, खुश हो रही थी,,,,,,, शालू के लिए नजारा बेहद आश्चर्य से भरा हुआ था लेकिन पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था,,, जो कुछ भी हो रहा था वह सब शालू के सोच के परे था,,, और रघु और ज्यादा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी बहन शालू की आंखों के सामने ही अपनी मां की बुर में एक उंगली डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा,,,,,,,, शालू की आंखें फटी की फटी रह गई थी और अपने बेटे की हरकत पर कजरी के तन बदन में,,, अपनी ही बेटी के सामने बुर में उंगली करने की वजह से वह काफी उत्तेजित हो गई थी,,,।
देख दीदी,,, मैं कहता था ना बहुत कुछ बदल गया है,,, देख ध्यान से देख मां की बुर में मेरी उंगली कितने आराम से जा रही है,,।,,,
(रघु एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था और शालू अपनी खुली आंखों से पूरी सच्चाई देख रही थी उसकी शादी के बाद वाकई में सब कुछ बदल गया था रिश्तो के मायने भी बदल चुके थे,,,, शालू एकदम साहब देख पा रही थी कि उसके भाई की उंगली उसकी मां की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी,,, जिसे देख कर उसे अजीब तो लग रहा था लेकिन काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था शालू कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,।)
आहहहहह क्या कर रहा है रे तु,,,, अब बाहर निकाल,,,।
(अपनी मां के मुंह से बाहर निकालने वाली बात सुनकर शालु स्तब्ध रह गई,,,,, 4 दिनों में वह अपनी मां का बदला हुआ रूप देख रही थी,,, उसे अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह अपनी मां को संस्कारों में ढली हुई एक नारी के रूप में देखती आ रही थी कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसे अपनी आंखों से अपनी मां का यह रंडीपन वाला रूप देखने को मिलेगा,,,,, शालू को अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था कि रघु की उंगली की वजह से उसकी मा कसमसा जा रही थी और अपनी कमर को दाएं बाएं घुमा दे रही थी,,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघू बोला,,,)
अभी थोड़ा और मा ,,,,मजा आ रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दूसरी ऊंगली भी बुर में डाल दिया,,, यह देखकर शालू की आंखें चमक खा गई रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि पीछे खड़े होने की वजह से उसकी मां की गांड पर रखा जा रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,दो अलीपुर में जाने की वजह से कजरी की आंखें उत्तेजना में बंद होने लगी उसके चेहरे का हाव भाव बदलने लगा,,, कजरी के गोरे मुखड़े पर उत्तेजना की लाली छाने लगी थी,,, शालू अपनी मां के चेहरे को उत्तेजना में दमकता हुआ देख रही थी,,,।)
क्यों दीदी कैसा लग रहा है,,?
यह सब क्या हो रहा है रघु मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम दोनों,,,,।
क्यों क्या हुआ तुम दोनों भी तो वही करते हो तुम दोनों की चुदाई में अपनी आंखों से छत पर देख चुकी थी लेकिन उस समय कुछ बोली नहीं,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही शालू एकदम से चौंक उठी,,,)
मुझे तुम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उससे कोई एतराज नहीं है क्योंकि मैं भी खुद उसी कश्ती में सवार हूं जिसमें तुम दोनों में हम दोनों की जरूरत है एक औरत होने के नाते तो यह बात अच्छी तरह से जानती है अगर तेरे बदन में हो जरूरत ना होती तो तुम अपने भाई के साथ चुदवाती नही और उसके बच्चे की मां नहीं बनती,,
यह क्या कह रही हो मां,,,,?(बच्चे वाली बात सुनते ही शालू चौक ते हुए बोली,,,)
चल चौकने की जरूरत नहीं है मुझे सब मालूम है,,,, मुझे उसी दिन से शंका हो रही थी जिस दिन अपनी आंखों से तुझे अपने भाई से चुदवाते हुए देखी थी,,,,,,,
(बाकी बातें सुनकर शालू कभी रघु की तरह देखती तो कभी अपनी मां की तरफ शालू के चेहरे पर उड़ती हवाईयो को देखकर रघु बोला,,,)
मां को सब पता है सालू,,,,,अब हम तीनों में किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं है हमें बस मजा लूटना है जिंदगी का मजा,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना दूसरा हाथ ब्लाउज के ऊपर सही अपनी मां के चूची पर रखकर दबाने लगा,,,)
आऊच्च ,,,, क्या कर रहा है अभी रहने दे,,, बाद में हम तीनों मज़ा लूटेंगे,,,,
( इतना सुनते ही रघू अपनी मां की बुर में से अपनी ऊंगली को बाहर निकाल दिया,,, और उस ऊंगली में लगी अपनी मां की मदद रस को जमीन पर टपकाते हुए उसे अपनी बहन को दिखाते हुए बोला,,)
देख रही है दीदी मां कितना पानी छोड़ती है,,,( यह देखकर कजरी शरमाते हुए बोली)
धत्त,,,, पागल हो गया है तू,,, चलो तुम दोनों हाथ मुंह धोकर आओ मैं खाना निकालती हूं,,,,(इतना कहकर कजरी बाहर चली गई रघु का लंड अभी भी उसके पजामे से बाहर था और झूल रहा था,,,, वह उसी तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए झुलाते हुए अपनी बहन के ठीक सामने लेकर गया और बोला,,,)
देखी ना दीदी ने क्या कहा था ना सब कुछ बदल गया है अब बस जिंदगी के मजे लो इसीलिए मैं तुम्हें तुम्हारे ससुराल से यहां रह कर आया हूं कि कुछ दिन यहां पर जिंदगी का और अत्यधिक मजा लूट लो,,,
(शालू अभी भी आंखें पानी कभी रघु की तरफ तो कभी उसके लंड की तरफ देख रही थी,,, )
चल हटा ईसे सब इसी की वजह से हुआ है,,,(शालू अपने हाथ से रघु के लंड को बड़े प्यार से एक चपत मारते हुए बोली और खटिया से उठकर अपने कपड़ों को दुरुस्त करके मुस्कुराते हुए बाहर चली गई,,,, और रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,,।
तीनों के बीच घमासान चुदाई होने वाली थी जिसको लेकर तीनों का उत्साह बढ़ता जा रहा था और उत्सुकता चरम सीमा पर थी,,, रघु बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रहा था वह पूरा का पूरा बेशर्म बन चुका था क्योंकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि अगर जिंदगी का असली मजा लेना है तो बेशर्म बनना पड़ेगा,,,, शालू को अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि क्या होने वाला है,,,, ,,, और उस पल को लेकर वहां अपने अंदर शर्म महसूस कर रही थी और यह सोच कर परेशान हो रही थी कि अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतार कर कैसे नंगी होगी कैसे अपनी मां के सामने अपने भाई का लंड अपनी बुर में लेगी,,,,,,, यह सोचकर ही उसकी बुर पसीज रही थी,,,।
और इस बात को लेकर कजरी भी हैरान थी कि सब कुछ कैसे होगा,,, हालांकि थोड़ी बहुत अच्छा झलक वह अपनी बेटी को दिखा चुकी थी जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में उंगली पेल रहा था,,,।
सोनू तो उस पल के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसे क्या करना है और वह बड़े अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा विश्वास था,,,,लेकिन इस बात को लेकर उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि वह एक साथ अपनी मां और बहन दोनों की चुदाई करेगा उसकी आंखों के सामने दो दो औरतें एकदम नंगी होंगी जिनके नाजुक बदन से वह जी भर कर खेलेगा,,, वह अपने मन में यह सोच कर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था कि आज उसके सर पर दो दो औरतों को खुश करने की जिम्मेदारी आ पड़ी थी,,,, उन दोनों औरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करना था और उसे अपने लगने पर पूरा भरोसा था,,,।
जैसे तैसे करके दिन का समय बीत गया और शाम ढलने लगी शालू रसोई में अपनी मां की मदद करने लगी,,,,,,, और रघू टहलते हुए रामू के घर पहुंच गया,,,,,, जहां पर उसकी दोनों बहने खाना बना रही थी लेकिन रामू और ललिया का अता पता नहीं था,,,, रघु ने ललिया के बारे में पूछा तो रानी उसे बताई कि उसका भाई राम और उसकी मां दोनों तबेले में गाय को चारा देने के लिए गई है जोकि घर के पीछे ही था,,,, रामू की साथ में ही है बात जानते ही रघु का मन बैठ गया क्योंकि वहां चाहता था कि एक साथ अपनी बहन और अपनी मां की चुदाई करने से पहले अपने लंड की वर्जिस ललिया की रसीली बुर से कर लेना चाहता था,,,। लेकिन फिर भी मन में एक आस लेकर वह घर के पीछे बने तबेले की तरफ जाने लगा जो कि उसके तबेले से सटा हुआ ही था,,,,,
हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था लेकिन अभी भी सब कुछ साफ नजर आ रहा था रघु घर के पीछे खड़ा होकर चारों तरफ दौड़ाने लगा लेकिन दोनों मां-बेटे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, वह सोचा कि तभी लेकर आखिरी छोड़कर हो सकते हैं इसलिए व धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ने लगा,,,, आखिर में पहुंचने पर भी रामु और ललीया उसे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, इसलिए वह सोचा कि हो सकता है दोनों कहीं और गए हो,,,इसलिए वापस आने के लिए जैसे ही कदम पीछे दिया था कि तभी उसे चूड़ियों की खनक ने की आवाज सुनाई दी जो कि तबेले की दीवार के पीछे से आ रही थी वह वहीं रुक गया,,,, और आवाज की दिशा में देखने लगा जो कि तबेले के ठीक पीछे से ही आ रही थी,,,, वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा,,, धीरे-धीरे उसे पीछे की आवाज सुनाई देने लगी थी,,,, जिसे सुनते ही उसे पूरा यकीन हो गया कि तबेले के दीवाल की पीछे रामू और उसकी मां ही है,,,, लेकिन दोनों के बीच की हो रही बात को सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया,,,,।
अरे मां क्या कर रही है थोड़ा नीचे तो झुको,,,
अरे झुक रही हु थोड़ा सब्र तो कर,,,,,
क्या करूं तेरी गांड देखकर सब्र नहीं होता,,,,। रघु के साथ तो मचलती रहती है चुदवाने के लिए मेरे साथ ही नखरा करती है,,,।
तु ठीक से कर ही नहीं पाता,,, मैं कहती हूं कि सीधे-सीधे मेरे ऊपर आकर कर ले लेकिन तुझे तो पीछे से लेना है,,,।
रघु को तो बहुत पीछे से देती हो,,, और मेरे साथ नखरा दिखाती हो,,,
उसका तो पीछे से भी बड़े आराम से अंदर तक चला जाता है,,,,
(दीवार के पीछे से आ रही बातों को सुनकर रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, उसे समझ में आ गया कि उसकी तरह रामु भी अपनी मां को चोद रहा है,,,, और उसकी मां बात ही बात मेंउसकी पढ़ाई कर रही थी जो कि लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक था उसे विश्वास हो गया था कि अपनी मां और बहन को एक साथ चोदने से पहले उसे ललिया की तरफ से मानसिक ताकत प्राप्त हो चुकी थी,,,, वह अभी का लगा कर सो ही रहा था कि तभी उसके कानों में रामू की बात सुनाई दी,,,।)
बस बस हो गया मा,,,, जा रहा है थोड़ा सा बस नीचे हो जाओ,,,, हां बस ऐसे ही,,,, देखो चला गया ना,,,,आहहह आहहहह आहहहहहह,,,,,
(रघु के कानों में केवल रामू कि ही आह की आवाज सुनाई दे रही थी उसकी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी,,,, जिससे रघु समझ गया कि रामू से चुदवाने में उसकी मां को जरा भी मजा नहीं आ रहा था,,,, और रघु इस खेल में कूदना चाहता था इसलिए तुरंत दीवार के पीछे जाकर खड़ा हो गया,,,, रघु को देखते ही ललिया और रामु के होश उड़ गए,,,,,,, रामू और ललिया दोनों घबरा चुके थे,,,,,,रामू के लिए घर ले लिया की जगह कोई और औरत होती तो शायद वह इतना ना घबराता ललिया के लिए भी उसके पीछे खड़ा लड़का उसका बेटा ना होता तो उसे भी उस शायद रघु के सामने कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दोनों मां बेटे थे इसलिए तुम दोनों के बीच के बारे में आज रखो को पता चल गया था अपनी आंखों से देख लिया था इसलिए दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,।)
यह क्या हो रहा है रामू,,, तू तो अपनी मां को ही चोदने में मस्त हो गया,,,, और क्या चाची मुझे कही होती तो मैं आ जाता अपने ही बेटे से चुदवाने की क्या जरूरत थी,,,।(रघु ललिया की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला,,,, ललिया एकदम से खड़ी हो गई,,,)
देख रघू तु किसी से कुछ भी मत बताना,,,,,,
हां यार तुझे अपनी दोस्ती की कसम अगर किसी को कुछ भी बताया तो,,,,,,,,
जो कुछ भी हो रहा है ना रघू यह सब तेरी वजह से ही हो रहा है,,,,(ललिया अपनी साड़ी को नीचे करते हुए बोली,,)
मेरी वजह से,,, मेरी वजह से क्यों,,,?
क्योंकि रामू जान गया था कि,,, तु मुझे चोदता है,,,,,, और रामू किसी को कुछ भी ना कहे इस एवज में अपना मुंह बंद रखने के लिए उसने भी,,,,,,( इतना क्या कर ले लिया खामोश हो गई रघु समझ चुका था सारा मामला और रामू की तरफ देखते हुए बोला,,,)
ओहहह बच्चु उस दिन जब मैं बोला कि अपनी मां को चोदा कर तो मुझ पर बिगड़ उठा और अभी यहां पर खुली जगह पर ही अपनी मां की चुदाई कर रहा है,,,।
देख रघू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं इस बारे में किसी को कुछ भी मत बताना,,,
नहीं बताऊंगा,,,, लेकिन मेरा मन इस समय तेरी मां को चोदने को कर रहा है,,,। अगर मेरा मुंह बंद रखना है तो,,,।
(रामू समझ गया था कि अपना मुंह बंद करने के एवज में रघु अपनी मनमानी करके ही रहेगा,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पहले भी तो वह उसकी मां की चुदाई करते आ रहा है,,, तो अभी कर लेगा तो इसमें क्या बिगड़ जाएगा,,,, ऐसा करके वह अपना मुंह बंद है तो रखेगा वरना इस बारे में अगर किसी को पता चल गया तो और आप मच जाएगा,,,,,,,,,, इसलिए वह हां में सिर हिला दिया इस बात के लिए अपनी मां से पूछना जरूरी नहीं समझा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी थी,,,। रघु खुश हो गयाक्योंकि रात में अपनी मां बहन दोनों के साथ घमासान चुदाई के पहले वह अपने लंड की ताकत को आजमाना चाहता था जो कि अब वह अच्छी तरह से आजमा सकता था,,,। वह तुरंत ललिया के पीछे खड़ा हो गया और उसे झुकने के लिए बोला ललिया बिना देर लगाए झुक गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ कर दी,,,, रघू अपने ही हाथों से उसकी साड़ी को उठाकर कमर तक कर दिया,,,दीवार के पीछे खड़े होकर ही उन दोनों मां-बेटे की बातें सुनकर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि रामू की मां की बुर में जाने के लिए तैयार था,,,, और उसकी पुर में धीरे-धीरे अपने लंड को डालते हुए रामु से बोला,,,,)
देख रामु ऐसे डाला जाता है पीछे से,,,,( और इतना कहने के साथ ही रखो अपना पूरा लंड रामू की मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में ललीया की गरम सिसकारी गुजने लगी,,, रामू भी अपनी मां की मादक आवाज को सुनकर हैरान था,,, क्योंकि जब भी वह अपनी मां की चुदाई करता था तब उसके मुंह से आवाज निकलती थी उसके बाद के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलता था पहले रामु इस बात को समझ नहीं पा रहा था लेकिन आज समझ गया था और हैरान भी था रघू की ताकत को देखकर,,,,,रघु ठाप पर ठाप लगाए जा रहा था,,,। बिना रुके,, रघु रामू की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था मानो कि उसे कह रहा हो कि देख ऐसे करते हैं पीछे से चुदाई,,,। रामू अपनी मां की तरफ भी देख रहा था जिसे बहुत मजा आ रहा था,,,, तकरीबन 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों का पानी निकल गया लेकिन इस दौरान अपनी मां की चुदाई देख कर ही रामु का पानी निकल गया था,,,,।
रघु अपने पजामे को ऊपर करता हुआ बोला,,,।
देख रहा हूं तो बिल्कुल भी चिंता मत कर यह राजा राजा ही रहेगा बस मुझे समय-समय पर तेरी मां की लेना पड़ेगा जिसमे तुझे अब कोई भी एतराज होना नहीं चाहिए,,,।
(अगर आज रघु ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया ना होता तो रामू से कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन उसकी मजबूरी थी इसलिए हम इसे हिला दिया और रघु जाते-जाते ब्लाउज के ऊपर से ही ललिया की चूची को दबाते हुए बोला,,,।)
हाय मेरी रानी बहुत मजा देती है,,,।
(इतना कहकर वह हंसते हुए वहां से चला,,गया,,, घर पर पहुंचने पर थोड़ी देर बाद खाना भी तैयार हो गया था जिसे तीनों ने मिलकर साथ साथ खा लिए और थोड़ी देर बाहर बैठकर बात करने के बाद तीनों अंदर कमरे में जाने लगे तो कजरी रघु से बोली,,,।)
दरवाजा बंद कर लेना,,,,
हा मा तुम दोनों चलो मैं बंद करके आता हूं,,,।
अब शालू अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसके जाने के तुरंत बाद ही द्वार पर दरवाजा लगाने की जरूरत क्यों पड़ गई,,,।