रघु सालु को कुछ ही देर में घर पर लेकर आ गया शालू को देखते हुए उसकी मां बहुत खुश हुई,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि भले ही उसकी बेटी कैसी भी हो लेकिन उसके लिए थी तो उसके जिगर का टुकड़ा है इसलिए तो उसके दूर रहने पर उसका मन कचोट रहा था लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने देखते ही वह फिर से खुश हो चुकी थी और उसे गले लगा कर रोने लगी थी,,,,। शालू के मायके वापस लौटने की खबर सुनते ही उसकी सहेलियां भी उससे मिलने के लिए आ गई और हाल-चाल पूछने के बाद वापस अपने अपने घर लौट गई,,,
शालू के मन में अभी भी ससुराल वाला दृश्य घूम रहा था जहां पर उसकी सास अपने कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने उसके भाई का लंड अपनी बुर में ले रही थी,,, शालू ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह उसके लिए बेहद अजीब था,,,क्योंकि बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि उसके परिवार में और जमीदार के परिवार में जमीन आसमान का फर्क था तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि जमीदार की परिवार की बहू बन चुकी थी लेकिन यह बात उससे अभी भी हजम नहीं हो रही थी,,, कि जमींदार की बीवी उसके भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाती है,,, क्योंकि वह बड़े घर की बहू थी मालकिन थी,,,, लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,और उसके भाई ने भी तो खुद ही बताया था कि जब उसके मायके ले जा रहा था तभी यह संबंध स्थापित हुआ था,,,, शालू अपनी भाई की बातों पर गौर कर रही थी पर अच्छी तरह से इन बातों को समझ रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके भाई ने बताया था वह बिल्कुल सच ही था क्योंकि उसकी सास अभी भी पूरी तरह से जवान थी और उसके ससुर बूढ़े और बिस्तर पकड़ लिया था ऐसे में औरतों का अरमान उनकी खुशियां भी मायने रखती है,,,,और इसीलिए जमीदार की बीवी और बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी खुशी पूरी कर रही है,,, और इस कार्य में उसकी जेठानी राधा भी शामिल थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई सच ही कह रहा था कि वह दोनों उसके लंड की दीवानी हो चुकी हैं जैसे कि वह खुद हो चुकी थी और अभी भी है,,, एक बार रघु का लंड कोई भी औरत अपनी बुर में ले ले तो दोबारा लिए बिना उसका मन नहीं मानता और यही सब कुछ हो गया था इस बात पर वह खुद मुस्कुरा दी,,, और घर के काम में हाथ बटाने लगी,,, उसकी मां खेतों पर जा चुकी थी,,, रघु इधर-उधर घूम कर मटरगश्ती कर रहा था सॉरी इस बात से अनजान थे कि उसकी और उसके भाई के बीच की हकीकत को उसकी मां अच्छी तरह से जान चुकी थी और रघु से कबूल भी करवा ली थी,,, इसलिए वहइस संबंध में पूरी तरह से निश्चित की और अपने भाई का ही इंतजार कर रही थी क्योंकि शादी के बाद बिरजू उसे रोज चोदता तो था लेकिन उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था,,,,दिन-रात बिरजू के साथ होने के बावजूद भी वहां अपने भाई का ही सपना देखती रहती थी और आज अपने घर पर पहुंचने के बाद वह अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती थी,,,, घर का सारा काम करने के बाद वह,,, घर में चारपाई पर लेट कर आराम कर रही थी कि तभी उसका ध्यान आगे के द्वार पर लगे दरवाजे पर गया तो उसे थोड़ा अजीब लगा और वह अपने मन में सोचने लगी ईतने वर्षों में तो कभी भी दरवाजा नहीं लगा था तो उसके जाने के बाद ही दरवाजा क्यों लग गया इसका जवाब शायद उसे नहीं मिल पा रहा था,,,,।
थोड़ी देर बाद रघु घर पर वापस आ गया और सीधा अंदर के कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, शालू साड़ी पहने लेटी हुई थी,,,, विवाह के बाद शालू की मदमस्त जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,, जिसका अंदाजा रघू उसके ब्लाउज के उठाव को देखकर ही लगा लिया था,,,,,, वह जानता था कि कभी भी अपनी बहन की चुदाई कर सकता था इसलिए इत्मीनान से उसके खूबसूरत यौवन को खटिया के पास खड़ा होकर देखता रह गया,,,, जरा सी आहट मिलते ही सालु की नींद खुल गई तो उसकी नजर रघू पर पड़ी जो कि उसे ही घूर रहा था,,,।
ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं क्या,,,
देखा तो बहुत बार हो और वह भी बिना कपड़ों के लेकिन विवाह के बाद आज पहली बार देख रहा हूं तू तो और ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,) लगता है जीजा दिन रात तेरी ले रहा है,,,,।
ओ मुआ लेता तो है लेकिन तेरे जितना मजा नहीं दे पाता,,,
क्यों मेरा लंड ज्यादा मजा देता है क्या,,,?( पजामें को नीचे सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाते हुए बोला,,,)
बहुत ज्यादा तभी तो झट से तेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई,,,,,,,,
और सच कहूं तो मैं भी तुझे इसीलिए यहां लेकर आया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खटिया पर बैठ गयाऔर अपना एक हाथ आगे जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सालु की चूची को दबाते हुए बोला,,,)
वाह,,,,, दीदी शादी के बाद तेरा दूध और बड़ा हो गया है,,, मुझे दिखा मैं देखना चाहता हूं,,,।
अपने हाथों से ही खोल कर देख ले,,,,
(इतना सुनते ही रघू अपने दोनों हाथों से शालू के ब्लाउज के बटन खोलने लगा तो उसे रोकते हुए शालू बोली,,,)
अभी नहीं बाद में अभी रहने दे मां आ गई तो,,,
तो क्या हुआ मा आ गई तो,,, वह भी हम दोनों के साथ मजा लेगी,,,(ब्लाउज का पहला बटन खोलते हुए बोला,,,)
धत्त,,,,कैसी बात कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मां के बारे में ऐसी बात कर रहा है,,,।
तो क्या हुआ,,,,, तू भी तो मेरी बहन है हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ ना जरूरत के मुताबिक,,,,,,,,
कुछ भी हो लेकिन तु मां के बारे में यह सब गंदी बातें मत कर मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,,,
लेकिन मुझे तो पसंद है ना,,,(ब्लाउज के दूसरे बटन पर हाथ रखते हुए) देखी नही है मां की गांड कितनी खूबसूरत लगती है एकदम बड़ी बड़ी तेरे से भी बड़ी है,,, मेरा तो अब देखते ही खडा हो जाता है,,,,।
तू सच में पागल हो गया क्या,,,,
पागल नहीं दीवाना हो गया मां की मदमस्त गांड का,,, मेरा तो मन करता है कि मां को नंगी करके उनकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ,,,(शालू के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोलते हुए,,,)
सच में रघु तू पागल होता जा रहा है मां के बारे में इस तरह की बातें नहीं करते,,,।
बहन के बारे में भी तो नहीं किया जाता लेकिन देखो मैं तुम्हारा ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।
मेरी बात कुछ और है,,,
क्या कुछ और है,,, तेरे पास चूची नहीं है कि बुर नहीं है,,,,,
रघु तू समझ नहीं रहा है,,,, मां के बारे में ऐसी बातें करना गंदी बात है,,,,।
मैं तो सब कुछ समझ रहा हूं लेकिन तू नहीं समझ रही है,,, तू ही बता जमीदार की बीवी के बारे में तु कभी सोची थी लेकिन उनकी भी कुछ जरूरते थी,,, भुख थी जिस्म की भूख,,,, जो कि तू तो अच्छी तरह से जानती है कि,,, जमीदार साहब बूढ़े हो चुके हैं और मालकिन जवानी के जोश से भरी और मालकिन की उफान मारती जवानी को संभाल पाना जमीदार के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,, उन्हें एक मुस्टंडा नौजवान लड़का चाहिए था,,, और सही समय पर मैं मिल गया,,,, वैसे भी मा भी जमीदार की बीवी की तरह जवान है जवानी के जोश से भरी हुई है,,, तुझे नहीं लगता कि उन्हें भी जरूरत पड़ती होगी,,, और सही कहु तो मा की बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,,।
धत्त,,,,, तू पागल हो गया तू अच्छे बुरे सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा है,,,।
देख दीदी इसमें सही क्या है गलत क्या है यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना चाहता हूं कि मां बहुत खूबसूरत है मा की गांड बहुत खूबसूरत है मा की बुर,,,आहहहहहह,,, उसमें से तो अमृत की धारा हहती होगी,,,(रघु अपनी बहन के ब्लाउज का अंतिम बटन भी खोलते हुए बोला,,, अब उसकी बहन की चुचीया रघु की आंखों के सामने नंगी थी शादी के बाद उसकी चूचियां और भी ज्यादा निखर गई थी,,
जिसे देख कर रघू कि मुंह में पानी आ रहा था ,,। रघु से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों में अपनी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया रघु की हरकत से शालू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, उसके तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी,,,,।
सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,।
मजा आ रहा है ना दीदी,,,,इसी तरह से मां को भी मजा आएगा जब उनकी दोनों नंगी चूचियों को मैं अपने हाथों को पकड़कर दबाऊंगा,,,,।
आहहहहहह,,,,, मां के साथ यह सब अच्छा नहीं लगेगा,,,,।
क्यों नहीं अच्छा लगेगा,,, सब कुछ अच्छा लगेगा जब में मा की चूची को मुंह में भरकर पीऊंगा तो उनके तन बदन में लहर उठने लगेगी,,,। जैसे तुम्हारी पुर से पानी निकलता है वैसे मां की बुर से भी पानी निकलने लगेगा,,,,।(शालू की दोनों चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए रघु बोला रघु की हरकत और उसकी गंदी बातों की वजह से और वह भी अपनी मां के बारे में यह सुनकर शालू के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी उसे अपने भाई की बातें अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हुए अच्छा लगने लगा था,,,, इसलिए वह भी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)
सहहहह आहहहहहह,,,,, तो क्या तु मां को चोदना चाहता है,,,,
हां दीदी मैं तो ना जाने कब से मां को चोदने का सपना देख रहा हूं,,, उनकी बड़ी बड़ी गांड,,,,आहहहहह बहुत मजा देगी,,,, मां की बुर में जब मेरा मोटा लंड जाएगा तो देखना वो कैसे मस्त हो जाएगी,,,।
(यह बात सुनते ही शालू की बुर में खुजली होने लगी अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसकी मां उसके भाई से चुदवाएगी,,,शालू को पूरा यकीन था कि एक बार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लेने के बाद उसकी मां अपने बेटे की दीवानी हो जाएगी,,,, यह कल्पना करके शालू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)
क्या ऐसा हो पाएगा,,,,
जरूर हो पाएगा मेरी रानी जब तुम मेरे नीचे आ गई तो क्या मां नहीं आएगी,,,,, फिर देखना हम तीनों एक साथ चुदाई का मजा लेंगे,,,,मैं मा की बुर चाटुगा और मा तुम्हारी बुर चाटेगी देखना मजा आ जाएगा,,,,।
ओहहहहह,,,,, रघू,,,, तु तो मुझे पागल कर देगा,,,,,
ओहहहहह दीदी,,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शालू की हालत खराब होने लगी टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,,। और रघु अपनी बहन के साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगाजानता था कि उसकी मां की आने का समय हो गया है लेकिन सालु मदहोशी में पूरी तरह से भूल चुकी थी,, रघू, अपनी मां को दिखाना चाहता था,,,, शालू की चुदाई करते हुए,,,, और ऐसा ही हुआ रघु अपनी बहन की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसकी चिकनी जांघों को अपनी जांघों पर रख कर अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,। शालू एकदम मस्त हो गई बिरजू का लंड उसकी बुर में जाता जरूर था लेकिन इतना मजा नहीं देता था जितना उसे अपने भाई के लंड से आता था,,,, शालू पूरी तरह से मस्त हो गई और रघु उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,,
और तभी कजरी खेतों का काम पूरा करके वापस घर पर लौट आई और सीधा अंदर वाले कमरे के द्वार पर पहुंचकर अंदर से आ रही गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही,,, उसके कान खड़े हो गए,,,,दरवाजे पर लगे परदे को धीरे से हटाकर अंदर की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, रघु अपनी बड़ी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी बुर में था,,,, यह देखते ही पल भर में ही कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,,,, वह तुरंत कमरे के अंदर दाखिल होकर कटनी के पास दोनों हाथों को कमर पर रख कर बोली,,,,।
यह क्या हो रहा है,,,?
(इतना सुनते ही शालू कि तो सिटी पट्टी गुम हो गई,,,चुदवाने के चक्कर में वह भूल गई थी कि उसकी मां कभी भी घर पर वापस आ सकती हैं,,,। शालू की तो हालत खराब हो गई शालू घबरा गई थी लेकिन रघू उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया था,, उसकी कमर बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी उत्तेजना इस अहसास से और ज्यादा बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की मौजूदगी में अपनी बहन को चोद रहा था,,,, शालू घबरा गई थी क्योंकि जिस हाल में उसकी मां ने उन दोनों को देख ली थी शायद इस बारे में सालु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, इसलिए वह शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, वह रघू को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रघूयह जानते हुए भी कि उसकी मां उसकी पास खड़ी होकर उन दोनों को देख रही है फिर भी वह अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाते हुए अपनी मां के सामने ही अपनी बड़ी बहन की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,,,।
रघु,,,, मां आ गई,, है,,, रघू,,,,
(लेकिन रघु रुकने का नाम नहीं ले रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपना पानी अपनी बहन की बुर में डाल देना चाहता था,,,, इसलिए अपनी बहन की बात को अनसुना करते हुए वह धक्के लगाता रहा,,, और शालु उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वह हट नहीं रहा था तो वह जोर से धक्का लगाई और इस बार रघू खटिया पर से नीचे गिर गया और अपनी आंखों के सामने अपनी मां को देखकर वह जानबूझकर डरने का नाटक करने लगा और वहां से अपने कपड़े लेकर भाग खड़ा हुआ लेकिन अंदर वाले कमरे से निकलकर बाहर वाले कमरे में जाकर कोने में खड़ा हो गया था शालू तुरंत शालू तुरंत कमर तक उठी हुई अपनी साड़ी को नीचे की तरफ कर दी और अपनी ब्लाउज के बटन बंद करने लगी तो कजरी गुस्से में बोली,,,।
यह सब क्या हो रहा है सालु,,,,
(शालू क्या बोले उसे तो कुछ सूझ नहीं रहा था आज उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह शर्मिंदा हो गई थी और रोने लगी,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर उसे डराने की कोशिश कर रही थी और सालु डर के मारे रोए जा रही थी,,,, और बाहर वाले कमरे में खड़ा होकर रघु हंस रहा था,,,,, शालू के मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस रो रही थी आंखों को नीचे झुकाएवह अपने आप को ही कोश रही थी कि बेवजह वह अपने ससुराल से यहां आ गई,,,, कजरी कुछ देर तक खड़ी रहकर शालू को डराती रही धमकाती रही उसे भला-बुरा कहती रही,,,, वह अपने दोनों हाथ से चेहरे को ढक कर रो रही थी और यही मौका रघु को ठीक लग रहा था वह वापस अंदर वाले कमरे में आ गया और,,,, अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी बहन से बोला,,,।
रो मत इधर देखो दीदी,,,(शालू फिर भी रोए जा रही थी) अरे मैं कह रहा हूं रो मत तुमने कोई पाप नहीं किया है एक बार यहां तो देखो दीदी,,,,।
(बार-बार मनाने पर शालू रोते हुए ऊपर की तरफ नजर उठाकर रघु की तरफ देखने लगी जो कि ठीक है उसकी मां के पीछे खड़ा था और वह भी बिल्कुल नंगा सालु को थोड़ी हैरानी हुई,,,, तो उसकी यह शंका भी दूर करते हुए रघू बोला,,,)
अब ध्यान से देखना दीदी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह धीरे से नीचे की तरफ झुका और पीछे से ही अपनी मां की साड़ी को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर शालू की आंखें हैरानी से फटी जा रही थी,,,,और देखते ही देखते रखो अपनी बहन को दिखाते हुए अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी बुर नंगी टांगे मोटी मोटी जांघें सब कुछ सालु की आंखों के सामने चमकने लगी,,,शालू को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था,,,। वह बस आंखें फाड़े देखी जा रही थी,,,, रघू अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा होकर मुस्कुराए जा रहा था और बोला,,,।
मैं बोला था ना दीदी घर पर चलो,,,(इतना कहते हुए अपना एक हाथ अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भींचते हुए) बहुत कुछ बदल गया है,,,,.
(शालू को अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह आंखें फाड़े बस देखे जा रही थी,,।