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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Gul Ahmed

Naresh
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Aadmi ke khub mze hai kitni hi chut maaro koi dikkat ni jo aurat ek se jyada se mze kar le to wo randi aur bjaru ho jati hai incest story adlutery ho jati hai aurat ka dusro se sex karne se ab ye khani adlutery hi hui hai jo incest hi rakhna to hero ki keval heroine se chudai karte dusro se kyon krawya
 

Nevil singh

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अपनी मां का सवाल सुनते हो रघु एकदम से चौंक उठा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह का सवाल पूछ बैठेगी,,, लेकिन यह सवाल उसकी मां के मन में आया कैसे इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान और परेशान भी था,,, फिर भी निश्चिंत होकर वह अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,।

कैसी बातें कर रही हो मां बिरजू का और किसका,,,, और यह बात तो तुमने ही मुझे बताई थी,,,,,,।


लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता की शालू ऐसा कर सकती है,,,।


सब कुछ तुम्हारे सामने ही तो था मां,,,( वह अभी भी पूरी तरह से नंगा अपनी मंकी मां पर लेटा हुआ था लेकिन ऐसा कहते हुए वह अपनी मां के ऊपर से उठने लगा और खटिया के पाटी पर बैठ गया,,,)

नहीं नहीं सब कुछ मेरी आंखों के सामने नहीं था यह तो मेरी आंखों के सामने बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है,,,।


कैसी बातें कर रही हो मां,,,,,, क्या हो गया है तुम्हें आज बहकी बहकी बातें कर रही हो,,,,(रघु अपनी मां से नजरे चुराता हुआ बोला,,, उसके मन में शंका हो रही थी कि कहीं उसकी मां को कुछ पता तो नहीं चल गया इसलिए वह इस समय अपनी मां से कतरा रहा था लेकिन कजरी सब कुछ जानती थी वह बस अपने बेटे के मुंह से सुनना चाहती थी,,,)




बहकी बहकी बातें नहीं कर रही हूं लेकिन मैं तेरे मुंह से सच सुनना चाहती हूं,,,, तुम दोनों भाई बहन मिलकर मुझे क्या पट्टी पढ़ा गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन कुछ तो हुआ है,,, ,,,(कजरी भी खटिया पर बैठते हुए अपने बदन पर चादर डालते हुए बोली,,,)

अब क्या बताऊं बिरजू और शालू दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे और दोनों के बीच कब क्या हो गया पता ही नहीं चला,,,


चल यह बात तो मैं मानती हूं,,, कि उन दोनों में प्यार था और वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,,,,,, लेकिन रघू मैं तेरी मां हूं तुम दोनों की मां हु मुझे इतना तो पता चलता ही है कि मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं,,,,(रघु की आंखों में झांकते हुए बोली रघु एकदम से सकपका गया,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां को पता चल गया है कि उसके और उसकी बहन के बीच में कुछ चल रहा है,,,, फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,,,)

क्या बात तुम भी बे मतलब की बातें कर रही हो,,,


बेमतलब की नहीं बेटा मैं सच कह रही हुं,,,, क्योंकि मैंने तुम दोनों को छत पर चुदाई करते हुए देख ली थी,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही रघु की आंखें चौड़ी हो गई क्योंकि वह अभी तक ही समझ रहा था कि उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर रघु दिन से हैरान हो गया था,,,बात को बदलने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह बिल्कुल सच था,,,, कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,,,)
लेकिन उस समय में कुछ नहीं बोली क्योंकि बहुत बड़ी जो हमारे सर पर भी पता थी वह माथे से दूर होने वाली थी और सिर्फ तेरी वजह से इसलिए मैं खामोश रही लेकिन आज मैं तुझसे यह कह रही हूं,,,,,,(रघु के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था बस शर्म से अपना सर नीचे झुकाए खटिया के पाटी पर बैठा था,,,) अब इंकार करने से कोई फायदा नहीं मैं अपनी आंखों से देखी थी तू अपनी बड़ी बहन को चोद रहा था और वह भी खूब मजे ले रही थी,,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि सालु इतनी समझदार और भोली भाली होने के बावजूद ऐसे कदम क्यों उठा ली,,, (रघु शर्म से नजरे झुकाए बैठा हुआ था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,,,यह बात कजरी भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया उसी तरह से उन दोनों भाई-बहन के बीच की सारी संबंध स्थापित हो गया होगा इसमें कुछ गलत कजरी को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि वह खुद मां होने के बावजूद भी अपनी बेटे के साथ ही चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,,।)
तू कुछ बताएगा भी कि ईसी तरह से खामोश बैठा रहेगा,,,


मममम,,, मैं क्या बोलूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,,


जो कुछ भी हुआ वह सब मुझे बता दे मैं तुझे मारने पीटने वाली या तुझे भला बुरा कहने वाली नहीं हूं क्योंकि अब हम तीनों एक ही कश्ती पर सवार, है,,,।(इतना कहने के साथ ही कचरी अपने बदन पर डाले हुए चादर को हटा दी और एक बार फिर से निर्वस्त्र हो गई क्योंकि वह रघु को यह बताना चाहती थी कि अब उसे शर्म करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है,,,खास करके तब जब एक बेटा खुद अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना देता है और एक मां खुद अपने बेटे से संतुष्ट होती है,,,। चादर के हटते ही रघु की नजर अपनी मां की छातियों पर चली गई जो कि सुबह-सुबह और भी ज्यादा खूबसूरत और उत्तेजक नजर आ रही थी,,,, कचरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

शालू के पेट में तेरा ही बच्चा है ना,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुन कर रखो अपनी मां की आंखों में देखने लगा लेकिन उसे अपनी मां की आंखों में जरा भी गुस्सा क्रोध नजर नहीं आ रहा था बल्कि सच जानने की उत्सुकता नजर आ रही थी और जैसा कि उसकी मां ने बताया कि वह तीनों एक ही कश्ती पर सवार है तो रघू को इस बात से थोड़ी हिम्मत मिलने लगी,,,, वह भी अपनी मां को सब सच बताने का ठान लिया था और अपनी मां का यह सवाल सुनते ही बोला,,,,)

तुम ठीक कह रही हो मां,,,, दीदी के पेट में मेरा ही बच्चा है,,,।
(यह सुनते ही कजरी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया हालांकि उसे पूरी तरह से शक हो चुका था कि उसकी बेटी के पेट में उसके ही बेटे का बच्चा है,,,,)


लेकिन यह सब हुआ कैसे क्योंकि शालु जैसी लड़की सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हुआ था,,, वहीं सच था,,, मैं अंदर कमरे में इसी कमरे में सोया हुआ था,,, और सुबह सुबह शालू मुझे जगाने के लिए आई थी,,,, तुम तो जानती हो मा कि मैं तोलिया लपेट कर सकता हूं नींद में इधर-उधर तोलिया हो गया था,,,, और मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था मैं गहरी नींद में था शालू मुझे जगाने आई और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई,,,, और वह ना जाने क्यों बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली और हीलाने लगी,,,, मेरी नींद खुली तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था वह मुझे नहीं देख पाई थी कि मैं जाग गया हूं मैं उसी तरह से आंखें बंद कर लिया क्योंकि तुम तो अच्छी तरह से जानती हो मां की उस तरह का पल एक जवान लड़के के लिए कैसा होता है,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर और वह भी अपनी बेटी के बारे में उसकी गंदी हरकत के बारे में सुनकर ही कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह शालू को कभी भी गंदा काम करते हुए सोची नहीं थी और अपने बेटे के मुंह से सुनकर यह पहली मर्तबा था जब वह सालु के बारे में पूरी तरह से कल्पना कर रही थी की उस दिन क्या क्या हुआ होगा कैसा लग रहा होगा रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

वह मेरा लंड हीलाना शुरू कर दी थी मुझे अच्छा लग रहा था,,, मैं देखना चाहता था कि वह और क्या करती है और तभी बाहर किसी की आवाज आई और वो तुरंत भाग खड़ी हुई,,,, इसी तरह से दूसरे दिन भी हुआ लेकिन मेरी हालत एकदम खराब हो गई मुझसे रहा नहीं गया और मैं दीदी का हाथ पकड़ लिया और उसके बाद वह सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था,,,। और यह सिलसिला रोज का हो क्या एक तरह से कहूं तो दीदी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी बिना मेरे लंड को अपनी बुर में लिए उनका मन नहीं मानता था,,,,(रघु बिना रुके बोले जा रहा था साथ ही अपनी बहन के बारे में और खुद के बारे में इतनी गंदी बात बताते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी साथ ही अपनी मां की नंगी चूची को देखकर उसकी उत्तेजना और पढ़ रही थी और वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हाथ से अपनी मां की चूची को दबा भी रहा था और बात को आगे भी बढ़ा रहा था,,,) हम दोनों रोज चुदाई करते हैं छत पर तुम्हारे सो जाने के बाद हमें हमेशा दीदी के पास चला जाता था और दीदी की जमकर चुदाई करता था और ऐसे ही किसी दिन तुम्हारी नजर हम दोनों पर पड़ गई होगी,,,,।

हां रात को मेरी नींद खुल गई थी तो तुम दोनों पर मेरी नजर पड़ गई थी लेकिन तब तक तो शालू पेट से हो चुकी थी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि तुम दोनों ने मिलकर अपनी गलती उस बिरजू के मत्थे क्यों चढ़ दीए और कैसे,,,,,,,(कजरी को अपने बेटे के हाथों से स्तन मर्दन कराना अच्छा लग रहा था,,,कजरी के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी आगे की कहानी सुनने के लिए क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि साल और उसका बेटा मिलकर कैसे अपनी करनी को दूसरे के मत्थे की लकीर बना दिए थे,,,,रघु जवाब देता हुआ बोला लेकिन अपनी मां की चूची दबाते दबाते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और कजरी की भी नजर अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच झूलते हुए उस लंड पर पड़ चुकी थी जो कि रात भर उसकी बुर के अंदर शरण लिए हुए था,,,, और उसे देख कर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,)

मैं अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू सालु से प्यार करता है और उसके साथ हीविवाह करना चाहता है चालू नहीं बताई थी कि उसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था लेकिन सालु आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी,,,।

फिर क्या हुआ,,,?(इस बार कजरी से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रघु के लंड को अपने हाथ में पकड़ लि और उसे हिलाना शुरू कर दी,,,, जिससे रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।)

फिर क्या था हम दोनों ने षड्यंत्र रचाया,,,, बिरजू को फंसाने का क्योंकि वह पहले से ही शालु पर मरता था और वह आलू को चोदना भी चाहता था और इसी का फायदा उठाकर मैं दीदी को सारी पट्टी पढ़ा दिया और पट्टी पढ़ाने के बादशालू से बोला कि वह आम वाले बगीचे में उसे बुलाया और वहां पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और ऐसा ही हुआ शालू बिरजू को आम वाले बगीचे में बुलाई और उसके साथ चुदवाई,,,, उस बेचारे को तो मालूम ही नहीं था कि उसके चोदने से पहले ही शालू पेट से हो चुकी है और शालू यह बात जानती थी कि वह इस मामले में पूरी तरह से गिरते हुए उसे समय का बिल्कुल भी भाग नहीं होता और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने बड़ी मालकिन से इस बारे में बात किया था और तब जाकर शालू की शादी बिरजू से हुई,,,।


अपने बेटे की बात सुनते ही आश्चर्य और खुशी से कजरी की आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रखो को क्या बोले उसे डांटे फटकारे मारे या भला बुरा कहे,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसमें रघु की गलती सरासर थी लेकिन एक बड़ी समस्या से निकालकर चालू की अच्छे घर में विवाह भी उसी ने ही संपन्न करवाया था,,,, अगर कजरी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे से चुदवाने का हनन देना लूट रही होती तो शायद अपनी बेटी और अपनी बेटी के पीछे सारी संबंध को लेकर कजरी बवाल मचा चुकी होती या तो फिर उसे दिल का दौरा पड़ चुका होता लेकिन अब वह इस रिश्ते से खुश थी ,,,,


बाप रे मेरी पीठ पीछे तुम दोनों ने इतना बड़ा षड्यंत्र रचा दिया और मुझे इसकी भनक तक नहीं लगी वह तो अच्छा हुआ था कि मैं रात को छत पर तुम दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी थी वरना मुझे जिंदगी में कभी भी पता नहीं चलता कि मेरे ही घर में मेरे बेटे और बेटी आपस में चुदाई का मजा लूट रहे है,,,।


जैसे कि हम दोनों,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी अपनी मां की चूची पर रख कर दबातें हुए बोला,,, और रघु ने इतनी मस्ती भरी अदा सेअपनी मां की चूची दबाया था कि उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, और अपनी मां की उत्तेजना का रघु पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी बहन के बीच 4 दिसंबर को लेकर उसकी मां उसे भला-बुरा का है इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेना चाहता था ताकि वह भी सब कुछ भूल कर उन दोनों के रिश्ते पर अपनी सम्मति की मुहर लगा दे,,,, और इसीलिए रघू तुरंत अपनी मां पर झुकता हुआ अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया और खटिए पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर उसे अच्छी तरह से अपनी मां की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद पर लगाकर हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड फिर से कजरी की बुर में समा गया,,,, हल्की सी आह की आवाज के साथकजरी ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में समा लेने के लिए आमंत्रण दिया,,, और फिर क्या था एक बार फिर से रघु अपनी मां की बुर में समा गया था,,,उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों में पकड़ कर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, पर एक बार फिर से कजरी अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की आगोश में अपनी जवानी को समेट कर उसे सौंप चुकी थी,,, और गर्म सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लूट रही थी,,,,

थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों पर जा रहे थे इसलिए कजरी अपने ऊपर से अपने बेटे को हटाते हुए बोली,,,,।

चल हट अब उठ जा घर का काम भी करना है खेतों में भी जाना है,,, शालू अपने ससुराल में है इसलिए मुझे ही ढेर सारा काम करना पड़ता है,,,,।


तुम कहो तो मा,, मै शालु को कुछ दिनों के लिए ले आऊ,,,।


क्यों क्या करने के लिए उसकी चुदाई करने के लिए,,,


अरे नहीं मा,,,(रघु अपनी मां के ऊपर से उठता हुआ बोला,,) पहली बार है ना शालू के बिना यह घर अच्छा नहीं लगता,,,(नीचे जमीन पर गिरी अपने पजामे को उठाकर पांव में डालते हुए बोला,,, कजरी भी खटिया के नीचे गिरी अपनी साड़ी को नीचे छुपकर उठाते हुए बोली,,,)

क्या मालकिन उसे आने के लिए राजी होंगी,,,।


यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो तुमसे इजाजत तो मैं इस रविवार को ही जाकर ले जाऊंगा,,,


ठीक है जैसी तेरी मर्जी वैसे भी उसके बिना अच्छा तो नहीं लगता लेकिन उसके आ जाने पर हम दोनों के बीच यह मधुर मिलन नहीं हो पाएगा,,,,।


कैसे नहीं हो पाएगा मां,,,,,(पजामा पहन कर फिर से खटिया के पाटी पर बैठता हुआ बोला)

पागल हो गया क्या शालू की मौजूदगी में मैं तेरे लिए अपनी टांगे खोलने वाली नहीं हूं,,,,(खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी पांव में डालकर उसे अपनी कमर की तरफ खींचते हुए बोली,,,)

तुम अकेले अपनी दोनों टांगे नहीं खोल सकती लेकिन सोचो अगर तुम दोनों मिलकर अपनी दोनों टांगे मेरे लिए खोलो तो,,,
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से सन्न रह गई ,,)

क्या पागल हो गया है क्या शालू और मैं दोनों एक साथ,,, तू सच में पागल हो गया है,,( खटिया से नीचे उतरकर अपने पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए बोली)


अरे हो सकता है क्यो नहीं हो सकता क्या तुम दोनों की चुदाई में एक साथ नहीं कर सकता,,,, मेरे लंड में बहुत दम है मेरा लंड एक साथ तुम दोनों मां बेटी की बुर में जाकर तुम दोनों का पानी निकाल सकता है,,,।

चल रहने दे अपने लंड की बढ़ाई करने के लिए,,,,(साड़ी को अपनी कमर से बांधते हुए बोली,,,,)


अरे मां जरा तुम भी सोचो कितना मजा आएगा,,, हम तीनों एक साथ एकदम नंगे तुम भी नंगी दीदी भी और मैं भी,,, मैं कभी तुम्हारी बुर चाट रहा हूं तो कभी दीदी की कभी तुम्हारे मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही है तो कभी दीदी के और कभी तो मेरा लंड चाट रही हो तो कभी दीदी और वह भी एक दूसरे के सामने कितना मजा आएगा सोचो चल मेरा लंड तुम्हारी बुर से निकलकर दीदी की बुर में जाएगा एक साथ हम तीनों कितना मजई आएगा मां जरा सोचो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी खुद कल्पनाओ कि दुनिया में खोने लगी जैसा जैसा रघु बता रहा था वैसा वैसा वह अपने मन में कल्पना कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ऊलझन भी हो रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े कैसे उतार पाएगी,,,। हालांकि अपनी बेटी की बात सुनकर उसके भी मन में अपनी बेटी की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर अपने ही बेटे के साथ चुदाई का सुख भोगने के लिए उत्सुकता बढ़ती जा रही थी लेकिन अपने मुंह से खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,)

तेरी मर्जी में जो आए वह कर,,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर जाने लगी तो रखो खुश होता हुआ बोला)

तो ठीक है मैं ऐसी रविवार को दीदी को लेने के लिए जा रहा हूं,,,,।

(कजरी यह सोचकर ही मदहोश हुए जा रही थी कि,,,कितना बजे आएगा जब उसका बेटा और उसकी बेटी और वह खुद नंगी होकर एक दूसरे के साथ मजा लेंगे,,,, देखते-देखते रविवार का दिन आ गया और बड़े सवेरे ही रघु तैयार होकर जमीदार के घर पहुंच गया,,, जमीदार की बीवी रघु को देखते ही एकदम खुश हो गई,,, और उसका आवभगत करते हुए बोली,,,,)

आओ रघू तुम्हारा इंतजार में हमेशा करती रहती हूं लेकिन तुम हो की यहां का रास्ता ही भूल गए हो,,


नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तो रोज ही यहां आना चाहता हूं लेकिन अब यह मेरी दीदी का ससुराल है इसलिए थोड़ा सबर करता हूं,,,,


हर यह तुम्हारा ही घर है यहां जब चाहो तब आ सकते हो कोई पाबंदी नहीं है,,,,


जमीदार कैसे हैं,,,(पलंग पर लेटे हुए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,,)

जैसा छोड़ कर गए थे वैसे ही है,,,,

(रघु को देखते ही जमीदार की आंखें तन गई उसका गुस्सा बढ़ गया आखिर बढ़ता भी कि नहीं उसकी हालत का जिम्मेदार भी तो वही था उसकी आंखों के सामने ही उसकी औरत की चुदाई करता था,,,, एक नजर जमीदार के ऊपर डाल कर वह मालकिन से बोला,,,।)

बड़ी मालकिन बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।

कहो रघु इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,,।

पहली बार सालु घर से इतना दूर गई है,,, मतलब कि यह उसका ही घर है लेकिन मां बहुत परेशान रहती है मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों के लिए चालू कर घर ले जाता तो मां को थोड़ी शांति मिल जाती और मैं वापस आकर छोड़ जाऊंगा,,,,।


क्यों नहीं रघू मैं समझ सकती हूं,,,, लेकिन जो आग मेरे अंदर लगी है शायद तुम नहीं समझ पा रहे हो,,,, अपनी बहन को तुम ले जा सकते हो लेकिन उससे पहले मेरी आग बुझाना होगा,,,,(रघु कुछ कह पाता इससे पहले ही जमीदार की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और रघु के सामने अपनी नंगी बुर परोश,,,दी,,, रघु बड़ी मालकिन की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था,,,, और वह जमीदार की आंखों के सामने ही आगे बढ़ा और जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर कर के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया जमीदार अपनी आंखों से देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था,,, और देखते ही देखते रघु अपनी बहन के सास की चुचियों से खेलता हुआ,,, उसे जमीदार के पलंग पर ही झुका दिया उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए अपने मुसल को जमीदार की बीवी की ओखली में डाल दिया,,,, जमीदार के कमरे में जमीदार की बीवी की गरम सिसकारी बुझने लगी जिसे सुनकर जमीदार गुस्से से भरता चला जा रहा था,,। लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था जमीदार की बीवी को कितना मजा मिल रहा है उसके चेहरे को देख कर ही पता चल रहा था और रघु भी कस कस के धक्के लगा रहा था उसी समय जमीदार की दूध पीने का समय हो रहा था,,, और दूध पिलाने का जिम्मा शालू का था इसलिए वह रोज की तरह गिलास लेकर जमीदार की कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कमरे में से अजीब अजीब लेकिन जानी पहचानी आवाज सुनाई देने लगी उस आवाज को सुनकर वह एकदम से चौक गई,,,, जमीदार की बीवी अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के चक्कर में दरवाजा बंद करना भूल गई थी दरवाजा थोड़ा सा खुला था और जब शालू थोड़े से खुले दरवाजे में अंदर की तरफ झांककर देखी तो दंग रह गई,,,

उसकी सास अपने पति के सामने पलंग के ऊपर झुकी हुई थी और गांड उपर की तरफ उठाई हुई थी और चुदवा रही थी,,, लेकिन किस से लेकिन यह उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन ध्यान से देखने पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी सांस के पीछे उसका भाई रघु खड़ा था जोकि उसकी सास को चोद रहा था शालू वहां खड़ी नहीं रह सकी और वापस रसोई घर की तरफ चली गई,,,, थोड़ी देर बाद लौटी तो सब कुछ शांत हो चुका था,,,लेकिन यह खबर सुनते ही की रघू उसे लेने आया है तो वह खुश हो गई,,, सब से आशीर्वाद लेकर चालू अपने घर की तरफ निकल गई लेकिन उसकी सास नहीं रघु को तांगा ले जाने के लिए बोली और रघु तांगे में अपनी बहन को बैठा कर अपने घर की तरफ ले जाने लगा ,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके भाई से क्यों चुदवा रही थी,,,। यही जानने के लिए वह बोली,,,।


क्यों रे अंदर क्या हो रहा था,,,


कहां,,,?

बाबूजी के कमरे में उनकी आंखों के सामने ही,,,,।


अच्छा तो तुझे पता चल गया,,,,(रघु हंसते हुए बोला)


हंस मत यह सब कैसे हो गया मुझे बता,,,


अरे यह सब बहुत पहले से चल रहा है तुझे याद है ना मैं मालकिन को उनके मायके लेकर गया था वही रास्ते में ही हम दोनों के बीच जुदाई का खेल शुरू हो गया,,, तू तो जानती ही है कि तेरी सांस कितनी जवान है और तेरे बाबूजी तेरे ससुर बूढ़े हो चुके हैं और अब तो बिस्तर ही पकड़ लिए है,,,, जवान औरतों की अपनी ख्वाहिश होती है खास करके चुदवाने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही थी तो रास्ते में ही मेरे लंड से चुदवाना शुरू कर दी,,,, और यह सिलसिला अभी तक जारी है,,,,।


बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है वह सभ्यता की मूरत इतनी शालीनता से रहती है इतनी संस्कारों वाली है,,,वह ऐसी होंगी उनके बारे में तो मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकती थी,,,,


अरे दीदी तू नहीं जानती जो सीधी सादी होती हैं खास करके उन में ही जवानी की आग भरी होती है,,, तेरी जेठानी राधा वह क्या कम है,,,


क्या मतलब,,,?(आश्चर्य जताते हुए शालू बोली)



मतलब यही कि तेरी जेठानी भी मेरे लंड का स्वाद अच्छा हो चुकी है,,,,।

क्या,,,?


तो क्या दोनों की चुदाई करने के बाद ही तो तेरा उस घर में जाने का रास्ता साफ हुआ है,,, क्योंकि उन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी है मेरा लंड,,, जब तक मेरा लंड समय-समय पर उन दोनों की बुर में ज्यादा रहेगा तब तक तो उस घर में रानी की तरह राज करेगी इसलिए मुझे समय समय पर उन दोनों की सेवा करनी ही पड़ेगी,,,।
(तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता चला जा रहा था और साथ में एक के बाद एक राज पर से पर्दा खुलता चला जा रहा था,,,)

और यह भी सुन तेरे बाद ही तेरी जिठानी और तेरी सास दोनों मां बनेंगी जिसका बाप मैं ही हूं,,,,,

(शालू की तो आंखें आश्चर्य से चोडा होती चली जा रही थी,,उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह बिल्कुल सच था और जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच होने वाला था,,,)

बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता नहीं चला,,,।


अरे दीदी बहुत कुछ बदल गया है घर चलोगी तो सब पता चल जाएगा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु और जोर से तांगा हांकने लगा,,,)
Khubsurat update dost
 

rohnny4545

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रघु सालु को कुछ ही देर में घर पर लेकर आ गया शालू को देखते हुए उसकी मां बहुत खुश हुई,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि भले ही उसकी बेटी कैसी भी हो लेकिन उसके लिए थी तो उसके जिगर का टुकड़ा है इसलिए तो उसके दूर रहने पर उसका मन कचोट रहा था लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने देखते ही वह फिर से खुश हो चुकी थी और उसे गले लगा कर रोने लगी थी,,,,। शालू के मायके वापस लौटने की खबर सुनते ही उसकी सहेलियां भी उससे मिलने के लिए आ गई और हाल-चाल पूछने के बाद वापस अपने अपने घर लौट गई,,,

शालू के मन में अभी भी ससुराल वाला दृश्य घूम रहा था जहां पर उसकी सास अपने कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने उसके भाई का लंड अपनी बुर में ले रही थी,,, शालू ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह उसके लिए बेहद अजीब था,,,क्योंकि बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि उसके परिवार में और जमीदार के परिवार में जमीन आसमान का फर्क था तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि जमीदार की परिवार की बहू बन चुकी थी लेकिन यह बात उससे अभी भी हजम नहीं हो रही थी,,, कि जमींदार की बीवी उसके भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाती है,,, क्योंकि वह बड़े घर की बहू थी मालकिन थी,,,, लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,और उसके भाई ने भी तो खुद ही बताया था कि जब उसके मायके ले जा रहा था तभी यह संबंध स्थापित हुआ था,,,, शालू अपनी भाई की बातों पर गौर कर रही थी पर अच्छी तरह से इन बातों को समझ रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके भाई ने बताया था वह बिल्कुल सच ही था क्योंकि उसकी सास अभी भी पूरी तरह से जवान थी और उसके ससुर बूढ़े और बिस्तर पकड़ लिया था ऐसे में औरतों का अरमान उनकी खुशियां भी मायने रखती है,,,,और इसीलिए जमीदार की बीवी और बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी खुशी पूरी कर रही है,,, और इस कार्य में उसकी जेठानी राधा भी शामिल थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई सच ही कह रहा था कि वह दोनों उसके लंड की दीवानी हो चुकी हैं जैसे कि वह खुद हो चुकी थी और अभी भी है,,, एक बार रघु का लंड कोई भी औरत अपनी बुर में ले ले तो दोबारा लिए बिना उसका मन नहीं मानता और यही सब कुछ हो गया था इस बात पर वह खुद मुस्कुरा दी,,, और घर के काम में हाथ बटाने लगी,,, उसकी मां खेतों पर जा चुकी थी,,, रघु इधर-उधर घूम कर मटरगश्ती कर रहा था सॉरी इस बात से अनजान थे कि उसकी और उसके भाई के बीच की हकीकत को उसकी मां अच्छी तरह से जान चुकी थी और रघु से कबूल भी करवा ली थी,,, इसलिए वहइस संबंध में पूरी तरह से निश्चित की और अपने भाई का ही इंतजार कर रही थी क्योंकि शादी के बाद बिरजू उसे रोज चोदता तो था लेकिन उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था,,,,दिन-रात बिरजू के साथ होने के बावजूद भी वहां अपने भाई का ही सपना देखती रहती थी और आज अपने घर पर पहुंचने के बाद वह अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती थी,,,, घर का सारा काम करने के बाद वह,,, घर में चारपाई पर लेट कर आराम कर रही थी कि तभी उसका ध्यान आगे के द्वार पर लगे दरवाजे पर गया तो उसे थोड़ा अजीब लगा और वह अपने मन में सोचने लगी ईतने वर्षों में तो कभी भी दरवाजा नहीं लगा था तो उसके जाने के बाद ही दरवाजा क्यों लग गया इसका जवाब शायद उसे नहीं मिल पा रहा था,,,,।

थोड़ी देर बाद रघु घर पर वापस आ गया और सीधा अंदर के कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, शालू साड़ी पहने लेटी हुई थी,,,, विवाह के बाद शालू की मदमस्त जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,, जिसका अंदाजा रघू उसके ब्लाउज के उठाव को देखकर ही लगा लिया था,,,,,, वह जानता था कि कभी भी अपनी बहन की चुदाई कर सकता था इसलिए इत्मीनान से उसके खूबसूरत यौवन को खटिया के पास खड़ा होकर देखता रह गया,,,, जरा सी आहट मिलते ही सालु की नींद खुल गई तो उसकी नजर रघू पर पड़ी जो कि उसे ही घूर रहा था,,,।


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं क्या,,,

देखा तो बहुत बार हो और वह भी बिना कपड़ों के लेकिन विवाह के बाद आज पहली बार देख रहा हूं तू तो और ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,) लगता है जीजा दिन रात तेरी ले रहा है,,,,।

ओ मुआ लेता तो है लेकिन तेरे जितना मजा नहीं दे पाता,,,


क्यों मेरा लंड ज्यादा मजा देता है क्या,,,?( पजामें को नीचे सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाते हुए बोला,,,)


बहुत ज्यादा तभी तो झट से तेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई,,,,,,,,


और सच कहूं तो मैं भी तुझे इसीलिए यहां लेकर आया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खटिया पर बैठ गयाऔर अपना एक हाथ आगे जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सालु की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

वाह,,,,, दीदी शादी के बाद तेरा दूध और बड़ा हो गया है,,, मुझे दिखा मैं देखना चाहता हूं,,,।


अपने हाथों से ही खोल कर देख ले,,,,

(इतना सुनते ही रघू अपने दोनों हाथों से शालू के ब्लाउज के बटन खोलने लगा तो उसे रोकते हुए शालू बोली,,,)


अभी नहीं बाद में अभी रहने दे मां आ गई तो,,,


तो क्या हुआ मा आ गई तो,,, वह भी हम दोनों के साथ मजा लेगी,,,(ब्लाउज का पहला बटन खोलते हुए बोला,,,)

धत्त,,,,कैसी बात कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मां के बारे में ऐसी बात कर रहा है,,,।


तो क्या हुआ,,,,, तू भी तो मेरी बहन है हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ ना जरूरत के मुताबिक,,,,,,,,


कुछ भी हो लेकिन तु मां के बारे में यह सब गंदी बातें मत कर मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,,,


लेकिन मुझे तो पसंद है ना,,,(ब्लाउज के दूसरे बटन पर हाथ रखते हुए) देखी नही है मां की गांड कितनी खूबसूरत लगती है एकदम बड़ी बड़ी तेरे से भी बड़ी है,,, मेरा तो अब देखते ही खडा हो जाता है,,,,।


तू सच में पागल हो गया क्या,,,,


पागल नहीं दीवाना हो गया मां की मदमस्त गांड का,,, मेरा तो मन करता है कि मां को नंगी करके उनकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ,,,(शालू के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोलते हुए,,,)

सच में रघु तू पागल होता जा रहा है मां के बारे में इस तरह की बातें नहीं करते,,,।


बहन के बारे में भी तो नहीं किया जाता लेकिन देखो मैं तुम्हारा ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।


मेरी बात कुछ और है,,,




क्या कुछ और है,,, तेरे पास चूची नहीं है कि बुर नहीं है,,,,,


रघु तू समझ नहीं रहा है,,,, मां के बारे में ऐसी बातें करना गंदी बात है,,,,।


मैं तो सब कुछ समझ रहा हूं लेकिन तू नहीं समझ रही है,,, तू ही बता जमीदार की बीवी के बारे में तु कभी सोची थी लेकिन उनकी भी कुछ जरूरते थी,,, भुख थी जिस्म की भूख,,,, जो कि तू तो अच्छी तरह से जानती है कि,,, जमीदार साहब बूढ़े हो चुके हैं और मालकिन जवानी के जोश से भरी और मालकिन की उफान मारती जवानी को संभाल पाना जमीदार के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,, उन्हें एक मुस्टंडा नौजवान लड़का चाहिए था,,, और सही समय पर मैं मिल गया,,,, वैसे भी मा भी जमीदार की बीवी की तरह जवान है जवानी के जोश से भरी हुई है,,, तुझे नहीं लगता कि उन्हें भी जरूरत पड़ती होगी,,, और सही कहु तो मा की बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,,।


धत्त,,,,, तू पागल हो गया तू अच्छे बुरे सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा है,,,।


देख दीदी इसमें सही क्या है गलत क्या है यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना चाहता हूं कि मां बहुत खूबसूरत है मा की गांड बहुत खूबसूरत है मा की बुर,,,आहहहहहह,,, उसमें से तो अमृत की धारा हहती होगी,,,(रघु अपनी बहन के ब्लाउज का अंतिम बटन भी खोलते हुए बोला,,, अब उसकी बहन की चुचीया रघु की आंखों के सामने नंगी थी शादी के बाद उसकी चूचियां और भी ज्यादा निखर गई थी,,
जिसे देख कर रघू कि मुंह में पानी आ रहा था ,,। रघु से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों में अपनी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया रघु की हरकत से शालू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, उसके तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,।


मजा आ रहा है ना दीदी,,,,इसी तरह से मां को भी मजा आएगा जब उनकी दोनों नंगी चूचियों को मैं अपने हाथों को पकड़कर दबाऊंगा,,,,।


आहहहहहह,,,,, मां के साथ यह सब अच्छा नहीं लगेगा,,,,।


क्यों नहीं अच्छा लगेगा,,, सब कुछ अच्छा लगेगा जब में मा की चूची को मुंह में भरकर पीऊंगा तो उनके तन बदन में लहर उठने लगेगी,,,। जैसे तुम्हारी पुर से पानी निकलता है वैसे मां की बुर से भी पानी निकलने लगेगा,,,,।(शालू की दोनों चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए रघु बोला रघु की हरकत और उसकी गंदी बातों की वजह से और वह भी अपनी मां के बारे में यह सुनकर शालू के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी उसे अपने भाई की बातें अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हुए अच्छा लगने लगा था,,,, इसलिए वह भी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)

सहहहह आहहहहहह,,,,, तो क्या तु मां को चोदना चाहता है,,,,


हां दीदी मैं तो ना जाने कब से मां को चोदने का सपना देख रहा हूं,,, उनकी बड़ी बड़ी गांड,,,,आहहहहह बहुत मजा देगी,,,, मां की बुर में जब मेरा मोटा लंड जाएगा तो देखना वो कैसे मस्त हो जाएगी,,,।
(यह बात सुनते ही शालू की बुर में खुजली होने लगी अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसकी मां उसके भाई से चुदवाएगी,,,शालू को पूरा यकीन था कि एक बार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लेने के बाद उसकी मां अपने बेटे की दीवानी हो जाएगी,,,, यह कल्पना करके शालू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

क्या ऐसा हो पाएगा,,,,


जरूर हो पाएगा मेरी रानी जब तुम मेरे नीचे आ गई तो क्या मां नहीं आएगी,,,,, फिर देखना हम तीनों एक साथ चुदाई का मजा लेंगे,,,,मैं मा की बुर चाटुगा और मा तुम्हारी बुर चाटेगी देखना मजा आ जाएगा,,,,।


ओहहहहह,,,,, रघू,,,, तु तो मुझे पागल कर देगा,,,,,


ओहहहहह दीदी,,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शालू की हालत खराब होने लगी टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,,। और रघु अपनी बहन के साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगाजानता था कि उसकी मां की आने का समय हो गया है लेकिन सालु मदहोशी में पूरी तरह से भूल चुकी थी,, रघू, अपनी मां को दिखाना चाहता था,,,, शालू की चुदाई करते हुए,,,, और ऐसा ही हुआ रघु अपनी बहन की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसकी चिकनी जांघों को अपनी जांघों पर रख कर अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,। शालू एकदम मस्त हो गई बिरजू का लंड उसकी बुर में जाता जरूर था लेकिन इतना मजा नहीं देता था जितना उसे अपने भाई के लंड से आता था,,,, शालू पूरी तरह से मस्त हो गई और रघु उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,,


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और तभी कजरी खेतों का काम पूरा करके वापस घर पर लौट आई और सीधा अंदर वाले कमरे के द्वार पर पहुंचकर अंदर से आ रही गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही,,, उसके कान खड़े हो गए,,,,दरवाजे पर लगे परदे को धीरे से हटाकर अंदर की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, रघु अपनी बड़ी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी बुर में था,,,, यह देखते ही पल भर में ही कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,,,, वह तुरंत कमरे के अंदर दाखिल होकर कटनी के पास दोनों हाथों को कमर पर रख कर बोली,,,,।


यह क्या हो रहा है,,,?

(इतना सुनते ही शालू कि तो सिटी पट्टी गुम हो गई,,,चुदवाने के चक्कर में वह भूल गई थी कि उसकी मां कभी भी घर पर वापस आ सकती हैं,,,। शालू की तो हालत खराब हो गई शालू घबरा गई थी लेकिन रघू उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया था,, उसकी कमर बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी उत्तेजना इस अहसास से और ज्यादा बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की मौजूदगी में अपनी बहन को चोद‌ रहा था,,,, शालू घबरा गई थी क्योंकि जिस हाल में उसकी मां ने उन दोनों को देख ली थी शायद इस बारे में सालु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, इसलिए वह शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, वह रघू को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रघूयह जानते हुए भी कि उसकी मां उसकी पास खड़ी होकर उन दोनों को देख रही है फिर भी वह अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाते हुए अपनी मां के सामने ही अपनी बड़ी बहन की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,,,।

रघु,,,, मां आ गई,, है,,, रघू,,,,
(लेकिन रघु रुकने का नाम नहीं ले रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपना पानी अपनी बहन की बुर में डाल देना चाहता था,,,, इसलिए अपनी बहन की बात को अनसुना करते हुए वह धक्के लगाता रहा,,, और शालु उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वह हट नहीं रहा था तो वह जोर से धक्का लगाई और इस बार रघू खटिया पर से नीचे गिर गया और अपनी आंखों के सामने अपनी मां को देखकर वह जानबूझकर डरने का नाटक करने लगा और वहां से अपने कपड़े लेकर भाग खड़ा हुआ लेकिन अंदर वाले कमरे से निकलकर बाहर वाले कमरे में जाकर कोने में खड़ा हो गया था शालू तुरंत शालू तुरंत कमर तक उठी हुई अपनी साड़ी को नीचे की तरफ कर दी और अपनी ब्लाउज के बटन बंद करने लगी तो कजरी गुस्से में बोली,,,।

यह सब क्या हो रहा है सालु,,,,

(शालू क्या बोले उसे तो कुछ सूझ नहीं रहा था आज उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह शर्मिंदा हो गई थी और रोने लगी,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर उसे डराने की कोशिश कर रही थी और सालु डर के मारे रोए जा रही थी,,,, और बाहर वाले कमरे में खड़ा होकर रघु हंस रहा था,,,,, शालू के मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस रो रही थी आंखों को नीचे झुकाएवह अपने आप को ही कोश रही थी कि बेवजह वह अपने ससुराल से यहां आ गई,,,, कजरी कुछ देर तक खड़ी रहकर शालू को डराती रही धमकाती रही उसे भला-बुरा कहती रही,,,, वह अपने दोनों हाथ से चेहरे को ढक कर रो रही थी और यही मौका रघु को ठीक लग रहा था वह वापस अंदर वाले कमरे में आ गया और,,,, अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी बहन से बोला,,,।


रो मत इधर देखो दीदी,,,(शालू फिर भी रोए जा रही थी) अरे मैं कह रहा हूं रो मत तुमने कोई पाप नहीं किया है एक बार यहां तो देखो दीदी,,,,।
(बार-बार मनाने पर शालू रोते हुए ऊपर की तरफ नजर उठाकर रघु की तरफ देखने लगी जो कि ठीक है उसकी मां के पीछे खड़ा था और वह भी बिल्कुल नंगा सालु को थोड़ी हैरानी हुई,,,, तो उसकी यह शंका भी दूर करते हुए रघू बोला,,,)

अब ध्यान से देखना दीदी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह धीरे से नीचे की तरफ झुका और पीछे से ही अपनी मां की साड़ी को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर शालू की आंखें हैरानी से फटी जा रही थी,,,,और देखते ही देखते रखो अपनी बहन को दिखाते हुए अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी बुर नंगी टांगे मोटी मोटी जांघें सब कुछ सालु की आंखों के सामने चमकने लगी,,,शालू को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था,,,। वह बस आंखें फाड़े देखी जा रही थी,,,, रघू अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा होकर मुस्कुराए जा रहा था और बोला,,,।

मैं बोला था ना दीदी घर पर चलो,,,(इतना कहते हुए अपना एक हाथ अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भींचते हुए) बहुत कुछ बदल गया है,,,,.

(शालू को अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह आंखें फाड़े बस देखे जा रही थी,,।
 
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Sirajali

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रघु सालु को कुछ ही देर में घर पर लेकर आ गया शालू को देखते हुए उसकी मां बहुत खुश हुई,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि भले ही उसकी बेटी कैसी भी हो लेकिन उसके लिए थी तो उसके जिगर का टुकड़ा है इसलिए तो उसके दूर रहने पर उसका मन कचोट रहा था लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने देखते ही वह फिर से खुश हो चुकी थी और उसे गले लगा कर रोने लगी थी,,,,। शालू के मायके वापस लौटने की खबर सुनते ही उसकी सहेलियां भी उससे मिलने के लिए आ गई और हाल-चाल पूछने के बाद वापस अपने अपने घर लौट गई,,,

शालू के मन में अभी भी ससुराल वाला दृश्य घूम रहा था जहां पर उसकी सास अपने कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने उसके भाई का लंड अपनी बुर में ले रही थी,,, शालू ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह उसके लिए बेहद अजीब था,,,क्योंकि बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि उसके परिवार में और जमीदार के परिवार में जमीन आसमान का फर्क था तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि जमीदार की परिवार की बहू बन चुकी थी लेकिन यह बात उससे अभी भी हजम नहीं हो रही थी,,, कि जमींदार की बीवी उसके भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाती है,,, क्योंकि वह बड़े घर की बहू थी मालकिन थी,,,, लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,और उसके भाई ने भी तो खुद ही बताया था कि जब उसके मायके ले जा रहा था तभी यह संबंध स्थापित हुआ था,,,, शालू अपनी भाई की बातों पर गौर कर रही थी पर अच्छी तरह से इन बातों को समझ रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके भाई ने बताया था वह बिल्कुल सच ही था क्योंकि उसकी सास अभी भी पूरी तरह से जवान थी और उसके ससुर बूढ़े और बिस्तर पकड़ लिया था ऐसे में औरतों का अरमान उनकी खुशियां भी मायने रखती है,,,,और इसीलिए जमीदार की बीवी और बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी खुशी पूरी कर रही है,,, और इस कार्य में उसकी जेठानी राधा भी शामिल थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई सच ही कह रहा था कि वह दोनों उसके लंड की दीवानी हो चुकी हैं जैसे कि वह खुद हो चुकी थी और अभी भी है,,, एक बार रघु का लंड कोई भी औरत अपनी बुर में ले ले तो दोबारा लिए बिना उसका मन नहीं मानता और यही सब कुछ हो गया था इस बात पर वह खुद मुस्कुरा दी,,, और घर के काम में हाथ बटाने लगी,,, उसकी मां खेतों पर जा चुकी थी,,, रघु इधर-उधर घूम कर मटरगश्ती कर रहा था सॉरी इस बात से अनजान थे कि उसकी और उसके भाई के बीच की हकीकत को उसकी मां अच्छी तरह से जान चुकी थी और रघु से कबूल भी करवा ली थी,,, इसलिए वहइस संबंध में पूरी तरह से निश्चित की और अपने भाई का ही इंतजार कर रही थी क्योंकि शादी के बाद बिरजू उसे रोज चोदता तो था लेकिन उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था,,,,दिन-रात बिरजू के साथ होने के बावजूद भी वहां अपने भाई का ही सपना देखती रहती थी और आज अपने घर पर पहुंचने के बाद वह अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती थी,,,, घर का सारा काम करने के बाद वह,,, घर में चारपाई पर लेट कर आराम कर रही थी कि तभी उसका ध्यान आगे के द्वार पर लगे दरवाजे पर गया तो उसे थोड़ा अजीब लगा और वह अपने मन में सोचने लगी ईतने वर्षों में तो कभी भी दरवाजा नहीं लगा था तो उसके जाने के बाद ही दरवाजा क्यों लग गया इसका जवाब शायद उसे नहीं मिल पा रहा था,,,,।

थोड़ी देर बाद रघु घर पर वापस आ गया और सीधा अंदर के कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, शालू साड़ी पहने लेटी हुई थी,,,, विवाह के बाद शालू की मदमस्त जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,, जिसका अंदाजा रघू उसके ब्लाउज के उठाव को देखकर ही लगा लिया था,,,,,, वह जानता था कि कभी भी अपनी बहन की चुदाई कर सकता था इसलिए इत्मीनान से उसके खूबसूरत यौवन को खटिया के पास खड़ा होकर देखता रह गया,,,, जरा सी आहट मिलते ही सालु की नींद खुल गई तो उसकी नजर रघू पर पड़ी जो कि उसे ही घूर रहा था,,,।


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं क्या,,,

देखा तो बहुत बार हो और वह भी बिना कपड़ों के लेकिन विवाह के बाद आज पहली बार देख रहा हूं तू तो और ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,) लगता है जीजा दिन रात तेरी ले रहा है,,,,।

ओ मुआ लेता तो है लेकिन तेरे जितना मजा नहीं दे पाता,,,


क्यों मेरा लंड ज्यादा मजा देता है क्या,,,?( पजामें को नीचे सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाते हुए बोला,,,)


बहुत ज्यादा तभी तो झट से तेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई,,,,,,,,


और सच कहूं तो मैं भी तुझे इसीलिए यहां लेकर आया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खटिया पर बैठ गयाऔर अपना एक हाथ आगे जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सालु की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

वाह,,,,, दीदी शादी के बाद तेरा दूध और बड़ा हो गया है,,, मुझे दिखा मैं देखना चाहता हूं,,,।


अपने हाथों से ही खोल कर देख ले,,,,

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अभी नहीं बाद में अभी रहने दे मां आ गई तो,,,


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धत्त,,,,कैसी बात कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मां के बारे में ऐसी बात कर रहा है,,,।


तो क्या हुआ,,,,, तू भी तो मेरी बहन है हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ ना जरूरत के मुताबिक,,,,,,,,


कुछ भी हो लेकिन तु मां के बारे में यह सब गंदी बातें मत कर मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,,,


लेकिन मुझे तो पसंद है ना,,,(ब्लाउज के दूसरे बटन पर हाथ रखते हुए) देखी नही है मां की गांड कितनी खूबसूरत लगती है एकदम बड़ी बड़ी तेरे से भी बड़ी है,,, मेरा तो अब देखते ही खडा हो जाता है,,,,।


तू सच में पागल हो गया क्या,,,,


पागल नहीं दीवाना हो गया मां की मदमस्त गांड का,,, मेरा तो मन करता है कि मां को नंगी करके उनकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ,,,(शालू के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोलते हुए,,,)

सच में रघु तू पागल होता जा रहा है मां के बारे में इस तरह की बातें नहीं करते,,,।


बहन के बारे में भी तो नहीं किया जाता लेकिन देखो मैं तुम्हारा ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।


मेरी बात कुछ और है,,,


क्या कुछ और है,,, तेरे पास चूची नहीं है कि बुर नहीं है,,,,,


रघु तू समझ नहीं रहा है,,,, मां के बारे में ऐसी बातें करना गंदी बात है,,,,।


मैं तो सब कुछ समझ रहा हूं लेकिन तू नहीं समझ रही है,,, तू ही बता जमीदार की बीवी के बारे में तु कभी सोची थी लेकिन उनकी भी कुछ जरूरते थी,,, भुख थी जिस्म की भूख,,,, जो कि तू तो अच्छी तरह से जानती है कि,,, जमीदार साहब बूढ़े हो चुके हैं और मालकिन जवानी के जोश से भरी और मालकिन की उफान मारती जवानी को संभाल पाना जमीदार के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,, उन्हें एक मुस्टंडा नौजवान लड़का चाहिए था,,, और सही समय पर मैं मिल गया,,,, वैसे भी मा भी जमीदार की बीवी की तरह जवान है जवानी के जोश से भरी हुई है,,, तुझे नहीं लगता कि उन्हें भी जरूरत पड़ती होगी,,, और सही कहु तो मा की बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,,।


धत्त,,,,, तू पागल हो गया तू अच्छे बुरे सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा है,,,।


देख दीदी इसमें सही क्या है गलत क्या है यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना चाहता हूं कि मां बहुत खूबसूरत है मा की गांड बहुत खूबसूरत है मा की बुर,,,आहहहहहह,,, उसमें से तो अमृत की धारा हहती होगी,,,(रघु अपनी बहन के ब्लाउज का अंतिम बटन भी खोलते हुए बोला,,, अब उसकी बहन की चुचीया रघु की आंखों के सामने नंगी थी शादी के बाद उसकी चूचियां और भी ज्यादा निखर गई थी,,
जिसे देख कर रघू कि मुंह में पानी आ रहा था ,,। रघु से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों में अपनी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया रघु की हरकत से शालू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, उसके तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,।


मजा आ रहा है ना दीदी,,,,इसी तरह से मां को भी मजा आएगा जब उनकी दोनों नंगी चूचियों को मैं अपने हाथों को पकड़कर दबाऊंगा,,,,।


आहहहहहह,,,,, मां के साथ यह सब अच्छा नहीं लगेगा,,,,।


क्यों नहीं अच्छा लगेगा,,, सब कुछ अच्छा लगेगा जब में मा की चूची को मुंह में भरकर पीऊंगा तो उनके तन बदन में लहर उठने लगेगी,,,। जैसे तुम्हारी पुर से पानी निकलता है वैसे मां की बुर से भी पानी निकलने लगेगा,,,,।(शालू की दोनों चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए रघु बोला रघु की हरकत और उसकी गंदी बातों की वजह से और वह भी अपनी मां के बारे में यह सुनकर शालू के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी उसे अपने भाई की बातें अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हुए अच्छा लगने लगा था,,,, इसलिए वह भी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)

सहहहह आहहहहहह,,,,, तो क्या तु मां को चोदना चाहता है,,,,


हां दीदी मैं तो ना जाने कब से मां को चोदने का सपना देख रहा हूं,,, उनकी बड़ी बड़ी गांड,,,,आहहहहह बहुत मजा देगी,,,, मां की बुर में जब मेरा मोटा लंड जाएगा तो देखना वो कैसे मस्त हो जाएगी,,,।
(यह बात सुनते ही शालू की बुर में खुजली होने लगी अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसकी मां उसके भाई से चुदवाएगी,,,शालू को पूरा यकीन था कि एक बार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लेने के बाद उसकी मां अपने बेटे की दीवानी हो जाएगी,,,, यह कल्पना करके शालू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

क्या ऐसा हो पाएगा,,,,


जरूर हो पाएगा मेरी रानी जब तुम मेरे नीचे आ गई तो क्या मां नहीं आएगी,,,,, फिर देखना हम तीनों एक साथ चुदाई का मजा लेंगे,,,,मैं मा की बुर चाटुगा और मा तुम्हारी बुर चाटेगी देखना मजा आ जाएगा,,,,।


ओहहहहह,,,,, रघू,,,, तु तो मुझे पागल कर देगा,,,,,


ओहहहहह दीदी,,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शालू की हालत खराब होने लगी टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,,। और रघु अपनी बहन के साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगाजानता था कि उसकी मां की आने का समय हो गया है लेकिन सालु मदहोशी में पूरी तरह से भूल चुकी थी,, रघू, अपनी मां को दिखाना चाहता था,,,, शालू की चुदाई करते हुए,,,, और ऐसा ही हुआ रघु अपनी बहन की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसकी चिकनी जांघों को अपनी जांघों पर रख कर अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,। शालू एकदम मस्त हो गई बिरजू का लंड उसकी बुर में जाता जरूर था लेकिन इतना मजा नहीं देता था जितना उसे अपने भाई के लंड से आता था,,,, शालू पूरी तरह से मस्त हो गई और रघु उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,,

और तभी कजरी खेतों का काम पूरा करके वापस घर पर लौट आई और सीधा अंदर वाले कमरे के द्वार पर पहुंचकर अंदर से आ रही गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही,,, उसके कान खड़े हो गए,,,,दरवाजे पर लगे परदे को धीरे से हटाकर अंदर की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, रघु अपनी बड़ी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी बुर में था,,,, यह देखते ही पल भर में ही कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,,,, वह तुरंत कमरे के अंदर दाखिल होकर कटनी के पास दोनों हाथों को कमर पर रख कर बोली,,,,।


यह क्या हो रहा है,,,?

(इतना सुनते ही शालू कि तो सिटी पट्टी गुम हो गई,,,चुदवाने के चक्कर में वह भूल गई थी कि उसकी मां कभी भी घर पर वापस आ सकती हैं,,,। शालू की तो हालत खराब हो गई शालू घबरा गई थी लेकिन रघू उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया था,, उसकी कमर बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी उत्तेजना इस अहसास से और ज्यादा बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की मौजूदगी में अपनी बहन को चोद‌ रहा था,,,, शालू घबरा गई थी क्योंकि जिस हाल में उसकी मां ने उन दोनों को देख ली थी शायद इस बारे में सालु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, इसलिए वह शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, वह रघू को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रघूयह जानते हुए भी कि उसकी मां उसकी पास खड़ी होकर उन दोनों को देख रही है फिर भी वह अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाते हुए अपनी मां के सामने ही अपनी बड़ी बहन की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,,,।

रघु,,,, मां आ गई,, है,,, रघू,,,,
(लेकिन रघु रुकने का नाम नहीं ले रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपना पानी अपनी बहन की बुर में डाल देना चाहता था,,,, इसलिए अपनी बहन की बात को अनसुना करते हुए वह धक्के लगाता रहा,,, और शालु उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वह हट नहीं रहा था तो वह जोर से धक्का लगाई और इस बार रघू खटिया पर से नीचे गिर गया और अपनी आंखों के सामने अपनी मां को देखकर वह जानबूझकर डरने का नाटक करने लगा और वहां से अपने कपड़े लेकर भाग खड़ा हुआ लेकिन अंदर वाले कमरे से निकलकर बाहर वाले कमरे में जाकर कोने में खड़ा हो गया था शालू तुरंत शालू तुरंत कमर तक उठी हुई अपनी साड़ी को नीचे की तरफ कर दी और अपनी ब्लाउज के बटन बंद करने लगी तो कजरी गुस्से में बोली,,,।

यह सब क्या हो रहा है सालु,,,,

(शालू क्या बोले उसे तो कुछ सूझ नहीं रहा था आज उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह शर्मिंदा हो गई थी और रोने लगी,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर उसे डराने की कोशिश कर रही थी और सालु डर के मारे रोए जा रही थी,,,, और बाहर वाले कमरे में खड़ा होकर रघु हंस रहा था,,,,, शालू के मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस रो रही थी आंखों को नीचे झुकाएवह अपने आप को ही कोश रही थी कि बेवजह वह अपने ससुराल से यहां आ गई,,,, कजरी कुछ देर तक खड़ी रहकर शालू को डराती रही धमकाती रही उसे भला-बुरा कहती रही,,,, वह अपने दोनों हाथ से चेहरे को ढक कर रो रही थी और यही मौका रघु को ठीक लग रहा था वह वापस अंदर वाले कमरे में आ गया और,,,, अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी बहन से बोला,,,।


रो मत इधर देखो दीदी,,,(शालू फिर भी रोए जा रही थी) अरे मैं कह रहा हूं रो मत तुमने कोई पाप नहीं किया है एक बार यहां तो देखो दीदी,,,,।
(बार-बार मनाने पर शालू रोते हुए ऊपर की तरफ नजर उठाकर रघु की तरफ देखने लगी जो कि ठीक है उसकी मां के पीछे खड़ा था और वह भी बिल्कुल नंगा सालु को थोड़ी हैरानी हुई,,,, तो उसकी यह शंका भी दूर करते हुए रघू बोला,,,)

अब ध्यान से देखना दीदी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह धीरे से नीचे की तरफ झुका और पीछे से ही अपनी मां की साड़ी को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर शालू की आंखें हैरानी से फटी जा रही थी,,,,और देखते ही देखते रखो अपनी बहन को दिखाते हुए अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी बुर नंगी टांगे मोटी मोटी जांघें सब कुछ सालु की आंखों के सामने चमकने लगी,,,शालू को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था,,,। वह बस आंखें फाड़े देखी जा रही थी,,,, रघू अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा होकर मुस्कुराए जा रहा था और बोला,,,।

मैं बोला था ना दीदी घर पर चलो,,,(इतना कहते हुए अपना एक हाथ अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भींचते हुए) बहुत कुछ बदल गया है,,,,.

(शालू को अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह आंखें फाड़े बस देखे जा रही थी,,।
beautiful update.......... lagta hai ab threesom hoga kajri shaalu aur raghu ...... kahani bahot hi romanchak mod pe aa chuki hai .......... superb and nice update
 

Mahakaal

The Destroyer
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Ab maa beti dono ko ek sath chodega Raghu
 
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