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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

rohnny4545

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रघु प्रताप सिंह के दोनों आदमी के साथ थोड़ी देर में उनके घर पहुंच गया रघु के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे कि आखिरकार प्रताप सिंह उसे क्यों बुला रहा है थोड़ी घबराहट भी मन में थी,,,।थोड़ी देर में बात प्रताप सिंह के सामने खड़ा था उसके अगल-बगल उसके दोनों आदमी हाथ में लट्ठ लिए खड़े थे,,। प्रताप सिंह सामने अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था और हुक्का को मुंह से लगाए गुडगुडा रहा था,,,। रघु प्रताप सिंह को नमस्कार किया और बोला,,।

मालिक आप मुझे किस लिए बुलाए हैं,,,?

बताता हूं पहले बैठ जाओ बड़ी दूर से चलकर आए हो थोड़ा हवा ले लो,,,
(इतना सुनकर वह वहीं पर बैठ गया और घर की नौकरानी तुरंत पानी का गिलास लेकर उसके पास आई और रघु पानी का गिलास लेकर एक सांस में पानी का गिलास खाली कर दिया वैसे भी इसे प्यास बड़ी तेज लगी थी,,, वह दोनों आदमी वही उसके पास ही खड़े थे,, तभी प्रताप सिंह रघु से बोला,,,)

लाला जी बता रहे थे कि तुम तांगा बहुत अच्छा चलाते हो,,,

जी मालिक थोड़ा बहुत ,,,,(रघु खुश होता हुआ बोला,,)

हम तो यह सुनकर एकदम खुश हो गए,,, तुम हमारे काम के आदमी हो,,,,
(प्रताप सिंह की बात सुन कर रखो इतना तो समझ ही गया था कि तांगा चलाने के सिलसिले में ही उसे यहां लाया गया है,,,तभी प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

हमारी पत्नी का कुछ दिनों से यहां मन नहीं लगता उसे अपने मायके जाना है मैं चाहता हूं कि तुम उसे अपने साथ थाना में लेकर उसके मायके लेकर जाओ और दो-तीन दिन वहां रुक कर वापस लेकर चले आना,,,।
(प्रताप सिंह की बात सुनकर रघु सोच में पड़ गया था उसे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था क्योंकि बिना चुदाई किए अब उसका मन नहीं मानता था पहले तो चल जाता था क्योंकि उसके पास जुगाड़ नहीं था लेकिन अब तो घर में ही खूबसूरत बड़ी बहन का जुगाड़ हो चुका था जिसकी बुर के अंदर वह अपने बदन की सारी गर्मी डाल देता था और उसकी बहन भी उसके बिना नहीं रह सकती थी वह भी उसी से चुदवाए बिना जल बिन मछली की तरह तड़पती रहती थी,,,, रघु यह सब छोड़कर जाने का बिल्कुल भी इच्छुक नहीं था,,, यही सब सोचकर वह हैरान था,,, कि वह प्रताप सिंह से ना कैसे कहे,, रघु यही सब सोच रहा था कि प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।)
देखो रघु मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम इंकार नहीं करोगे,,,

लेकिन मेरी मां,,,,

तुम अपनी मां की चिंता बिल्कुल भी मत करो हम तुम्हारी मां से बात कर लेंगे और ऐसा नहीं है कि तुम्हें तांगा चलाने के बाद में कुछ नहीं मिलेगा तुम्हें तुम्हारी पूरी मजदूरी मिलेगी खाना-पीना और साथ ही कपड़े लत्ते भी,,,,
(प्रताप सिंह की बात सुन कर रघु का मन खुश हो गया,,, लेकिन अपनी बड़ी बहन की बुर चोदने की आदत से वह मजबूर था और प्रताप सिंह की बात को ना मानना उचित नहीं था,,,, इसलिए वह अपना मन मार कर बोला,,,)

ठीक है मालिक जैसा आप उचित समझे,,,, लेकिन निकलना कब है,,,

अभी थोड़ी देर बाद ही निकलना है,,,,तुम चाहो तो अपने घर पर जाकर यह बात बता सकते हो और किसी भी प्रकार की दिक्कत हो तो मुझे जरूर बताना,,,,


जी मालिक,,,,,


तुम जल्दी जाओ और अपने घर से होकर आ जाओ तब तक हम अपनी बीवी को तैयार होने के लिए कहते हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही प्रताप कुर्सी पर से उठ कर कमरे में चले गए और रघु अपने घर की तरफ,,,,जब तक वह घर पर पहुंच नहीं गया तब तक उसके मन में अपनी बहन का ही ख्याल उठ रहा था,,, उसे अब अपनी बहन की आदत सी पड़ गई थी,,,, कजरी अंदर कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का खड़ा लंबा लंड नाच रहा था जब से उसने अपने बेटे के लंड का दीदार की थी तब से अपने होशो हवास में बिल्कुल नहीं थी,,, बरसों के बाद उसने शायद पहली बार अपनी आंखों से नंगे और बेहद जबरदस्त लंड देखी थीतभी तो उसका मन किसी काम में नहीं लग रहा था और खेतों में जाने के बजाय वह अंदर कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी,,,,,, उसकी आंखों के सामने तो केवल उसके बेटे का बमपिलाट लंड ही नजर आ रहा था,,,जिंदगी में उसने कभी भी अपने बेटे जैसा लैंड नहीं देखी थी जिसमें बिल्कुल भी ढीलापन नहीं था एकदम खड़ा का खड़ा था ऐसा लग रहा था कि जैसे लंड ना होकर गाय भैंस को काबू में रखके बांधने वाला खूंटा हो,,, वह बेसुध होकर बिस्तर पर लेटी हुई थी उसके कपड़े अस्त-व्यस्त हो चुके थे यहां तक कि वह घुटनों को मोड़कर हल्का सा घुटनों को खोल कर लेटी हुई थी जिससे उसकी साड़ी एकदम ऊपर चढ़कर घुटनों से नीचे गिर गई थी और कजरी को इतना भी भान नहीं था कि जिस स्थिति में वह सोई हुई थी उसकी साड़ी एकदम जांघों तक आ गई थी और उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार नजर आने लगी थी,,,,, उसकी आंखें बंद थी वह अपने बेटे के ख्यालों में खोई हुई थी,,,, उसकी आंखों के सामने बार-बार वही दृश्य दोहराते हुए नजर आ रहा था जब वह लकड़ी के दोनों के बीच की जगह में से गुसल खाने के अंदर चोरी-छिपे देख रही थी और रघु लोटे का पानी की धार को अपनी खड़े लंड पर डाल रहा था और पानी के दबाव में उसका लंड ऊपर नीचे बेहद कामुक स्थिति में हील रहा था,,, कजरी एकदम से मदहोश हो चुकी थी उसके दोनों हाथ कब उसके ब्लाउज के ऊपर पहुंच गए उसे खुद नहीं पता चला और वह उसे हल्के हल्के दबा रही थी,,,कजरी के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था जैसा कि आज हो रहा था और वह भी अपने ही बेटे के कल्पना में जो कि वह खुद सपने में भी कभी नहीं चाहती थी लेकिन उसकी सोच के विरुद्ध सब कुछ वैसा ही हो रहा था जैसा कि एक कामुक काम भावना से ग्रस्त औरत के साथ होता है,,,

रघु इस बात से अनजान की कमरे में उसकी मां बिस्तर पर सो रही है सो नहीं रही थी बल्कि कल्पनाओं की दुनिया में अपने आप को लेकर उड़ रही थी,, रघु प्रताप सिंह से हुई बातचीत को अपनी मां से बताने के लिए उसे ढूंढता हुआ अंदर के कमरे तक आ गया और जैसे ही दरवाजे पर पहुंचा वह अपनी मां को बिस्तर पर लेटा हुआ देखकर एकदम से दंग रह गया उसके होश उड़ गए,,उसकी मां बेसुध होकर बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगें घुटनों से मुड़ी हुई थी,, जिससे उसकी साड़ी जांघों तक आ चुकी थी और जब रघु की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंची तो वह एकदम से मदहोश हो गया,,रघु को साफ-साफ अपनी मां की बुर नजर आ रही थी जिस पर हल्के हल्के घुंघराले रेशमी बाल थे,,। रघु अपनी मां की बुर देखकर एकदम मस्त हो गया रघु को तो ऐसा ही लग रहा था कि उसकी मां सो रही है ,,, लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी मां उसके ख्यालों में मदहोश होकर कल्पना मैं खोई हुई है जिसकी वजह से उत्तेजित अवस्था में उसकी बुर गरम रोटी की तरफ फूल चुकी थी,,, और तभी रघु को अपनी मां की बुर फुली हुई नजर आ रही थी,,,,, इसलिए तो रघू जितनी भी वह बुर को देख चुका था,,ऊन सबमे सबसे खूबसूरत बुर उसे अपनी मां की लग रही थी,,, रघु तो अपनी मां की दोनों टांगों के बीच देखता ही रह गया,,, रघु के लिए तो उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का वह अंग दुनिया का सबसे खूबसूरत अंग था,,, साड़ी के अंदर दोनों टांगों के बीच छुपा हुआ दुनिया का बेहतरीन खजाना जो कि आज अनजाने में ही बेपर्दा होकर अपनी चमक बिखेर रहा था,,।
अपनी मां की बुर पर नजर पड़ते ही रघू के लंड को खड़ा होने में पल भर की भी देरी नहीं लगी,,,, होश खो बैठा था रघु अपनी बहन की चुदाई करके जिस तरह के अद्भुत आनंद को महसूस किया था इससे उसे साफ पता चल गया था कि परिवार के सदस्य में किसी भी औरत की चुदाई करने का सुख दुनिया के हर एक सुख से सबसे बेहतरीन सुख है,,,इसके लिए उसके मन में यह ख्याल चल रहा था कि जब बहन को चोदने में इतना मजा आया तो जब वह अपनी मां को चोदेगा तो उसे कितना मजा आएगा,,,,,, यही सोच कर रघु को इस समय अपनी मां के ऊपर चढ़ने की इच्छा हो रही थी,,, लेकिन उसे डर भी लग रहा था,,,कजरी एकदम मदहोश होकर अपने बेटे के ख्याल में खोई हुई थी उसे तो इस बात का आभास तक नहीं था कि दरवाजे पर उसका बेटा खड़ा होकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी बुर को झांक रहा है,,,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था रघू अपनी मां की बुर को अपने हाथ से छूना चाहता था स्पर्श करना चाहता था,,, उसे अपनी मुट्ठी में लेकर दबाना चाहता था उसके रस को पूरी तरह से नीचोड डालना चाहता था,, जैसा कि वह अपनी बहन की बुर के साथ करता था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उत्सुकता के साथ साथ डर की परत उसके मन पर चढ़ी हुई थी,,, उसे अपनी मां से डर लगता था क्योंकि एक बार वह उसका गुस्सा देख चुका था जब वह उसे पेशाब करते हुए प्यासी आंखों से देख रहा था,,,लेकिन आज उसकी मां नींद में थी ऐसा हुआ सोच रहा था जबकि उसकी मां पूरी तरह से मदहोशी के आलम में मस्त हो चुकी थी अगर इस समय रघु खटिया पर सोई हुई अपनी मां की दोनों टांगें फैला कर अपना लंड उसकी बुर में डाल भी देता तो शायद उसकी मां उसे मना नहीं कर पाती बल्कि गर्मजोशी के साथ अपने बेटे को अपनी बाहों में लेकर उसके लंड का अपनी बुर के अंदर स्वागत करती,,, लेकिन यह तो मन की बात थी भला मन की बात कौन समझ सकता था अगर रघू समझ पाता तो अब तक अपनी मां पर चढ़ गया होता,,, कजरी के दोनों हाथ अभी भी उसके दोनों दशहरी आम पर थे लेकिन इस समय वह अपनी चूचियों को दबा नहीं रही थी बल्कि वैसे ही अपनी हथेली उस पर रखे हुए थी,,,,बेहद मनमोहक मादक दृश्य देखकर रघु का पैजामा पूरी तरह से तनकर तंबू की शक्ल धारण कर चुका था,,,,,, इस समय निश्चित तौर पर अगर कजरी की आंख खुली होती तो अपनी दोनों बाहें फैलाकर अपने बेटे को अपने ऊपर बुला ली होती,,,,

रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपनी मां के बेहद करीब जाना चाहता था अपनी खुली आंखों से अपनी मां की खुली बुर को देखना चाहता था उसके मनमोहक आकार को उसकी रचना को अपनी आंखों में बसा लेना चाहता था,,, लेकिन अपनी मां के पास जाने से उसे डर लग रहा था,,, फिर भी मादकता के एहसास तले वह अपने कदम आगे बढ़ाने से अपने आप को रोक नहीं सका वह अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया था लेकिन कजरी एकदम बेशुध थी मदहोश थी अपने बेटे के मदमस्त बलवंत मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के ख्याल में पूरी तरह से खोई हुई थी,,,इसलिए उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि जिसके ख्याल में वह अपने आप को पूरी तरह से डूबो ली है वह रघु उसके बेहद करीब खड़ा होकर उसकी दोनों टांगों के बीच के छिपे हुए खजाने को देखकर मस्त हो रहा है,,, रघु के लिए यह पहला मौका था जब वह अपनी मां की बुर को बेहद करीब से देख रहा था हालांकि इससे पहले भी अपनी मां को पेशाब करते हुए देख चुका था लेकिन उस समय उसकी बुर ऊसे ठीक तरह से नजर नहीं आई थी,,,,,।उत्तेजना के मारे बार-बार उसका गला सूख रहा था और वह अपने थुक से अपने गले को गिला कर रहा था,,,। रघु के मन में उसी तरह की हलचल थी अपनी मां की बुर को देखकर जिस तरह की हलचल उसकी बहन सालु के मन में थी उसके खड़े लंड को नंगा देखकर,,,,,,लेकिन सालु की तरह वह हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था सालु तो हिम्मत करके उसके लंड को अपने हाथ में लेकरउसे छूकर उसकी गर्माहट को अपने अंदर मैसेज करके उसे हिलाने तक का सुख प्राप्त कर चुकी थी लेकिन तेरे को इतनी हिम्मत दिखा पाने में असमर्थ साबित हो रहा था हालांकि उसका दिल जोरोंसे धड़क रहा था मन मचल रहा था अपनी मां की बुर को अपनी उंगलियों से अपनी हथेली से स्पर्श करने के लिए उसकी गर्माहट को अपने अंदर महसूस करने के लिए,,,,, रघु गहरी गहरी सांसे ले रहा था और यही स्थिति कजरी की भी थी अपने अंदर अजीब सी हलचल को महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,, रघु हैरान था इस बात से कि उसकी मां की बुर से पानी की बूंदें टपक रही थी जिससे उसकी बुर के नीचे वाला हिस्सा गीला होता जा रहा था रघु को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी मां नींद में होने के बावजूद भी उसकी बुर गीली क्यों हो रही है,,,, बुर से निकल रही मदन रस बुंद की शक्ल में मोती की तरह चमक रही थी,,,, जो कि बेहद कीमती और अनमोल थी,,,
अपनी मां की बुर से निकल रहे मदनरस को देखकर रघु का मन और ज्यादा तड़प उठा जिस तरह से वह हलवाई की बीवी रामू की मां और अपनी बड़ी बहन की बुर को अपने होठों से लगाकर अपनी जीभ से उसके मदन रस को चाट कर तृप्त हुआ था उसी तरह से वह अपनी मां की बुर को भी चाटना चाहता था,,,, लेकिन इतनी हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी तभी वह हिम्मत जुटाकर अपनी मां की पूर्व को अपने हाथों से अपनी उंगलियों से स्पर्श करने की सोच कर अपना हाथ धीरे-धीरे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच बढ़ाने लगा लेकिन उसका हाथ बुरी तरह से कांप रहा था पूरा शरीर थरथर कांप रहा था,,, धीरे धीरे रघु कहा था अपनी मां की बुर के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि उसकी बुर और उसके हाथ के बीच केवल तीन चार अंगुल का ही फासला रह गया,, रघु की आंखें पूरी तरह से उत्तेजना से लाल हो चुकी थी सांस बड़ी तेजी से चल रही थी,,, रघु की नजर अपनी मां की ऊपर नीचे हो रही चूचियों पर भी बराबर टिकी हुई थी छाती के ऊपर से उसके साड़ी का पल्लू एक तरफ हो चुका था जिससे कजरी की बड़ी बड़ी चूची और उसके बीच की दरार रघू को साफ नजर आ रही थी,,। रघु को अपनी उंगलियों में कंपन साफ महसूस हो रही थी,,, रघु अपनी मां की बुर को उंगलियों से स्पर्श करने ही वाला था कि,, कजरी मदहोशी के आलम में ही कल्पना में सराबोर होकर,,, अपने हाथ को जरा सी हरकत दी की रघु एकदम से घबरा कर खड़ा हो गया और तुरंत,,, बिना रुके घर के बाहर निकल गया वह पीछे पलट कर देखा भी नहीं कि उसकी मां जाग गई है या नींद में अपना हाथ हीलाई थी,,,लेकिन जैसे ही रघु घर के बाहर निकलने लगा वैसे ही कजरी की आंख खुल गई और वह अपने बेटे रघु को घर से बाहर निकल कर जाते हुए देख ली,,, रघु को और अपनी स्थिति को देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे भी साफ पता चल रहा था किसकी दोनों टांगे फैली हुई थी और उसकी साड़ी जांघों तक चढ़ी हुई थी ,, जिससे दोनों टांगों के बीच की उसकी बुर साफ नजर आ रही थी,,, कजरी के तो होश उड़ गए उसे समझते देर नहीं लगी कि रघु ने उसे इस स्थिति में देख लिया,,, वो शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी वह नहीं चाहती थी कि उसका बेटा उसे इस हाल में देखें,,,, लेकिन जो नहीं होना था वह हो चुका था रघु अपनी आंखों से अपनी मां की रसीली कचोरी जैसी फूली हुई बुर को देख लिया था और अपनी मां की मद मस्त मोटी बुर को देखकर समझ गया था कि, उसकी मां की बुर हलवाई की बीवी रामू की मां और उसकी खुद की बड़ी बहन की बुर से कहीं ज्यादा खूबसूरत और रसीली थी,,,
कजरी के होश उड़े हुए थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसे इस हाल में देखकर क्या सोच रहा होगा,,, वह एकदम से परेशान थी,,, कि तभी उसे अपने बेटे के खड़े लंड के बारे में यादआ गया जिसके बारे में कल्पना करके ही वह इतना मदहोश हो चुकी थी कि उसके बेटे के कमरे में आने की आहट भी ऊसे नहीं मिली,,, जो कुछ भी हुआ कुछ देर पहले उसे चिंतित किए जा रहा था लेकिन अब उसके होठों पर मुस्कुराहट आने लगी थी यह सोच कर कि उसके बेटे ने उसकी दोनों टांगों के बीच की छुपी हुई उसकी बुर को देख लिया होगा,,, और उसे देखने के बाद जरूर ऊतेजीत हो गया होगा,,,,,क्योंकि पहले भी वह अपने बेटे की प्यासी नजरों को भाग चुकी थी तभी तो उसे डांट फटकार लगाई थी जब वह उसे पेशाब करते हुए प्यासी नजरों से देखता हुआ पाई थी,,,उसे पक्का यकीन था कि आज जरूर उसके बेटे ने उसकी बुर को देखकर मस्त हो गया होगा पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया होगा जो कि कुछ देर पहले गुसल खाने में अपनी पूरी औकात में एकदम नंगा था,,,,, यह सोचकर ही वह मस्त हुए जा रही थी,,,, ना जाने क्यों उसका दिल रघू के पास जाने को कर रहा था,,, लेकिन वह अपने मन पर काबू कर ले गई,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि इस समय कमरे से बाहर निकल कर रखो के पास जाना ठीक नहीं था क्योंकि उसका बेटा उसे गहरी नींद में सोया हुआ जानकर ही उसके पास आया था और अगर अभी वह बाहर चली गई तो उसके बेटे को शक हो जाएगा कि उसकी मां सो नहीं रही थी बल्कि सोने का नाटक कर रही थी जो कि वह नाटक नहीं बल्कि खुद अपने ही बेटे के मदमस्त खड़े लंड की कल्पना में पूरी तरह से मस्त होकर मदहोश हो चुकी थी,,,,,, कजरी फिर से अपनी आंखों को बंद करके रघु के ख्यालों में खो गई,,,,

दूसरी तरफ रघु एकदम उत्तेजित हो चुका था वह तो यह भी भूल चुका था कि वह क्या बताने के लिए घर पर आया था वह अपनी बहन को ढूंढता हुआ घर के पीछे गाय भैंस बकरी ओ को बांधने की जगह पर चला गया,,,, जहां पर उसकी बहन जानवरों को चारा पानी दे रही थी,,,,उसके बदन में पूरी तरह से वासना की गर्मी चढ़ चुकी थी उसे निकालना बेहद जरूरी था और इस समय सिर्फ उसकी बड़ी बहन ही ऊसकी गर्मी को शांत कर सकती थी,,,। रघु के पजामे में तंबू बना हुआ था,,,,अपनी मां की रसीली बुर को देखकर उसका लंड पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा हो गया था,,,रघु अपने चारों तरफ नजर घुमाकर पूरी तसल्ली कर लिया कि कोई दूसरा वहां है तो नहीं और तसल्ली कर लेने के बाद अपनी बहन की तरफ आगे बढ़ा जोकि झुक झुक कर जानवरों को चारा दे रही थी और झुकने की वजह से उसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर को निकली हुई थी यह देख कर रघु के वासना का पारा और ज्यादा चढ गया और पीछे से जाकर अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया,,,

आहहहहह,,,,,(अपनी गांड के बीचो बीच रघु के लंड की चुभन को महसूस करते हैं एकदम से चौक कर उछल पड़ी,,लेकिन रखो पूरी तरह से अपनी बहन को काबू करने में सक्षम था इसलिए वह तुरंत उसकी बाहों को पकड़कर अपनी तरफ दबोच लिया,,, जब सालु को पता चला कि उसे अपनी बाहों में भरने वाला उसका छोटा भाई है तो जाकर उसका मन शांत हुआ और वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,) पागल हो गया क्या माने अगर देख लिया तो,,,

मां नहीं देखेगी दीदी वह तो गहरी नींद में अपने कमरे में सो रही है,,,,(रघु अपनी बहन की गांड पर पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाता हुआ बोला)

आहहहह,,, छोडना चुभ रहा है,,,,,


क्या चुभ रहा है दीदी,,,,,(रघु अपनी बहन की दोनों बांहे पकड़ कर उसे अपने लंड से सटाए हुए बोला,,,)

छोड़ना रे तुझे मालूम है फिर भी तेरे शरीर में चुभने वाला अंग और क्या हो सकता है,,,,


मैं तुम्हारे मुंह से सुनना चाहता हूं दीदी,,,,

तेरा लंड,,,,(सालु एक पल की भी देर किए बिना फट से बोली,,)

आहहहह दीदी तुम्हारे मुंह से सुनने में कितना मजा आता है,,,(रघु सलवार के ऊपर से ही अपनी बहन को चोदना शुरू कर दिया अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया शालू के बदन में भी सुरूर चढने लगा था,,, वह चारों तरफ नजरें दौड़ा कर देख रही थी कि कहीं कोई वहां आ ना जाए उसे अपने भाई की हरकत बेहद रोमांचकारी लग रही थी उसे मजा आ रहा था पर अपने भाई के लंड को सलवार के ऊपर से अपनी गांड पर महसूस करते ही उसकी गुलाबी बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,,)

तेरा तो आज दिन में ही खड़ा हो गया है रे,,,

क्या करूं तेरी तुम्हें देखता हूं तो खड़ा हो जाता है,,,


पहले भी ऐसे ही खड़ा होता था क्या,,,?

नहीं दीदी पहले तो नहीं होता था लेकिन जब से तुमने मेरे लिए अपनी दोनों टांगे खोली हो तब से तुम्हें देखते ही मेरा खड़ा हो जाता है,,,, बस इतना कर दो दीदी ,,,,,अपनी सलवार की डोरी खोल दो ताकि मैं अपने खड़े लंड को तुम्हारी बुर में डालकर तुम्हारी चुदाई कर सकूं,,,


पागल हो गया क्या यहां पर कोई देख लिया तो,,,,(शालू का भी मन करने लगा था इसलिए वह इधर उधर नजर घुमाकर कोई अच्छी सी जगह ढूंढ रही थी,,,)

कोई नहीं देखेगा दीदी मुझसे रहा नहीं जा रहा है बस अपनी सलवार खोल दो,,,(इतना कहते हुए रघु खुद अपने दोनों हाथ उसके सलवार के नाडे पर रखकर उसे खोलने की कोशिश करने लगा तो सालु ऊसे रोकते हुए बोली,,)

रुक रुक चल वहां चलते हैं,,,,(शालू छोटी सी घाश फुश की बनी झोपड़ी की तरफ इशारा करते हुए बोली,,, जिसमें भैंस बांधी जाती थी,,, रघु को भी वही जगह ठीक लगी,,,, और शालू रखो को लेकर एक छोटी सी झोपड़ी में घुस गई जिसके आगे लकड़ी का दरवाजा भी बना हुआ था उसे बंद करके दोनों झोपड़ी में घुस गए,,,,एक तरफ भेंस बंधी हुई थी और दूसरी तरफ सूखी हुई खास का ढेर पड़ा हुआ था,,, शालू घास के ढेर के पास खड़ी होकर अपनी सलवार के नाड़े को खोलने लगी,,,, रघु अपने पजामे को उतार करअपने लंड को पकड़ कर ही जा रहा था यह देखकर शालू का दिल जोर से धड़क रहा था वह जल्दी से अपनी सलवार उतार कर एक तरफ रख दी और सूखी हुई घास के ढेर पर पीठ के बल लेटते हुए अपनी दोनों टांगों को फैला दी,,,। वह भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह अपनी हथेली से अपनी गुलाबी बुर को रगडते हुए बोली,,,।

सससहहहहहह७ ,,,,,, आजा मेरे प्यारे भैया अपनी दीदी की बुर में अपना लंड डाल दे,,,,,(शालू एकदम से मदहोश होते हुए बोली और रघु अपनी बहन की मादक अदा देख अगर हमसे उतावला हो गया अपनी बहन की बुर में लंड डालने के लिए,,, और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाते हुए अपनी बहन के दोनों टांगों के बीच में आ गया और पहले झटके में ही अपना पूरा लंड अपनी बहन की बुर की गहराई में उतारता हुआ बोला,,,)

ले मेरी प्यारी दीदी अपने भैया का लंड,,(फिर क्या था दोनों एकदम मस्त हो गए कुछ ही देर में रघू की कमर पड़ी रफ्तार से ऊपर नीचे होने लगी,,, वह बड़ी तेजी से अपनी बहन को चोद रहा था और शालू एकदम मस्त हुए जा रही थी,,, उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल रही थी जिसको सुनकर उस झोपड़ी में बंधी भैंस भी उन दोनों की तरफ ही देख रही थी,,,, रघू के ऊपर तो वासना का भूत सवार था अपनी मां की बुर जो उसने देख लिया था इसलिए वह अपनी बहन को आज कुछ ज्यादा ही बेरहमी से चोद रहा था जिसका एहसास शालू को भी अच्छी तरह से हो रहा था लेकिन उसे तो और ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि औरतों को मजा तभी आता है जब मर्द बेरहम हो कर उसकी चुदाई करता है उसकी ओखली में मुसल डालकर जोर-जोर से कुटता है,, तकरीबन 15:20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद रघु अपनी बहन को अपनी बाहों में कस लिया और जोर जोर से अपना लंड उसकी बुर में डालना शुरू कर दिया,,, शालू भी मस्त होकर अपने छोटे भाई को अपनी बाहों में ले ली,,, झोपड़ी में बंधी भैंस बड़ी उत्सुकता से उन दोनों की क्रियाकलाप को देख रही थी,,, आखिरकार दोनों की जवानी का गरम लावा फूट पड़ा दोनों एक दूसरे को अपने काम रस में भिगोने लगे,,,, अपना पूरा गरम लावा अपनी बहन की बुर में डालने के बाद रघु हांफता हुआ उसके बगल में घास के ढेर पर ही ढेर हो गया,,, थोड़ी देर में अपनी सांसो को दुरुस्त करने के बाद वह अपनी बहन से बोला,,,।

दीदी मुझे दो-तीन दिन के लिए बाहर जाना होगा,,,।

बाहर कहां जाना होगा मैं कुछ समझी नहीं,,,,(शालू हैरान होते हुए बोली)

वह अपने प्रताप सिंह जी है ना जमीदार,,, उनकी बीवी को लेकर उनके मायके जाना है,,,,


लेकिन तू कैसे,,, जाएगा,,,,


तांगा लेकर और कैसे,,,,,,


तांगा लेकर मैं अभी भी नहीं समझ पा रही हूं तु क्या कह रहा है,,,(इतना कहते हुए शालू खड़ी हुई और अपनी सरकार को अपनी दोनों टांगों में बारी-बारी से डालकर उसे पहनने लगी,,,)

प्रताप सिंह जी की बीवी अपने मायके जाना चाहती हैं और उन्हें लेकर मुझे जाना होगा,,,,(रघु भी खड़ा होकर अपना पजामा पहने लगा)

लेकिन तू कैसे जाएगा उनके साथ,,,

तांगा लेकर और कैसे,,,
(शालू एकदम हैरान थी वह रघु की बात को समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह फिर से बोली,,,)

तो दूसरा कोई लेकर चला जाएगा तु क्यों जाएगा,,(चालू अपने सलवार के नाड़े को बांधते हुए बोली,,,)

दीदी तांगा तो मैं ही चलाऊंगा ना,,,,।

क्या तू तांगा चलाएगा तुझे चलाना आता है,,,

तभी तो प्रताप सिंह जी ने मुझे बुलाया है वरना मुझे क्यों बुलाते,,,,

(अपने भाई की यह बात सुनकर शालू खुश थी लेकिन परेशान की थी कि दो-तीन दिन के लिए वह बाहर जा रहा है तब तक उसका क्या होगा,,,)

लेकिन मैं कैसे रहूंगी तेरे बिना अब तो मेरी आदत पड़ गई है जब तक तेरा लंड अपनी बुर में नहीं लेती तब तक तो मुझे नींद भी नहीं आती,,,

मैं भी तो परेशान हूं लेकिन क्या करूं जाना पड़ेगा और वैसे प्रताप सिंह जी मुझे तांगा चलाने के एवज में पैसे भी देंगे,,, देखो दीदी मैं तो भूल ही गया समय बहुत गुजर गया हूं मुझे तो तुरंत जाना था मैं अभी जा रहा हूं तुम मां को सब बात बता देना मैं जल्द ही आ जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु चला गया,, और शालू उसे जाता हुआ देखती रह गई,,)
 

Desi Man

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बहुत मस्त अपडेट हैं दोस्त
 
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