शाम धीरे धीरे ढल रही थी,,, रघु एकदम बेसुध होकर चारों खाने चित बिस्तर पर ढेर पड़ा था,,,, प्रताप सिंह की बीवी सुमन अपनी छोटी बहन रानी को उसे जगाने के लिए भेज दी थी,,, थोड़ी ही देर में रानी रघु जहां पर सो रहा था उस कमरे के पास पहुंच गई,,, दरवाजा खुला हुआ था रानी को लगा कि शायद रघू जाग गया होगा,,, वह दरवाजे पर खड़ी होकर आवाज लगाई,,,
ओ तांगे वाले भैया,,,, उठ गए कि अभी तक सो रहे हो,,,,(रानी कमरे के अंदर देखे बिना ही बोली क्योंकि वह बहुत ही सीधी-सादी और नेक दिल की लड़की थी इस तरह से किसी के कमरे में झांकना उसकी फितरत में बिल्कुल भी नहीं था,,,दो तीन बार आवाज लगाई लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी तब उसे ऐसा लगा कि शायद वह सो रहा होगा इसलिए उसे जगाने के लिए कमरे में दाखिल होते हुए बोली,,,)
ओ तांगे वाले भैया सुनते हो,,,(कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़े रघु पर पड़ी क्योंकि पीठ के बल चारों खाने चित होकर सो रहा था दोनों हाथ पहले हुए और पैर भी फैला हुआ है ऐसा लग रहा था कि जैसे नशा करके सोया हो,,,, रानी उसे जगाने ही वाली थी कि उसकी नजर उसके पजामे में बनेतंबू पर पड़ा और वह उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गई इस तरह का नजारा वह पहली बार देख रही थी शादी लायक हो चुकी थी इसलिए उसे इतना तो पता ही था कि पजामें मैं बना तंबू क्या होता है,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया वह उसे एकटक देखती ही रह गई,,, पल भर में ही रानी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोरने लगा,,,अब ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में रघु को जगाना चाहिए कि नहीं जगाना चाहिए,,,, और वह झट से फैसला ले ली,, इस हालत में उसे वह करीब से जगाना नहीं चाहती थी,,,,,, क्योंकि वह यह सोच रही थी कि अगर इस हालत में वह उसे चलाती है तो जागने के बाद उसे अपने स्थिति का एहसास होगा और वह जानकर ना जाने उसके बारे में क्या क्या सोचेगा इसलिए वह कमरे से बाहर निकल गई और दरवाजे पर दस्तक देने लगी थोड़ी ही देर में दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज को सुन कर रखो कि नींद टूट गई और वह दरवाजे की तरफ देखा तो बहुत ही खूबसूरत लड़की खड़ी थी जिसका नाम रानी था यह बात उसे यहां पहुंचने पर ही पता चल चुकी थी उसे देखते हैं उसके फोटो पर मुस्कान आ गई और वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,,,,
किस लिए,,,,
मुझे जगाने के लिए,,,,
कोई बात नहीं नीचे आ जाओ दीदी बुला रही थी,,,,
ठीक है आप चलो मैं आता हूं,,,,
(रानी जा चुकी थी बिस्तर पर बैठा बैठा रघु उसके बारे में सोच रहा था,,,, रानी को वह भोगने की फिराक में था,,,वैसे भी अब रघू की फितरत बन चुकी थी कि जिस औरत के संगत में वह आता था उसे चोदने का पूरा मन बना लेता था,,, फिर चाहे वह हलवाई की बीवी हो या अपने ही दोस्त रामू की मां या फिर अपनी खुद की सभी बड़ी बहन इन तीनों को तो वह चोद चुका था लेकिन अब उसका मन रामू की दोनों बहने उनके साथ साथ अपनी खूबसूरत मां कजरी को चोदने की फिराक में था,,,, प्रताप सिंह की बीवी को तो वह अपने नीचे ले चुका था,,,, अब उसका दिन उसकी छोटी बहन रानी पर आ चुका था,,, अब देखना यह था कि रानी को अपने नीचे लाने मे रघू को कितना समय लगता है,,,।
आलस मरोड़ करवा बिस्तर पर से खड़ा हुआ है और सीढ़ियों से होता हुआ नीचे की तरफ आ गया,,, उसे हाथ मुंह धोना था इसलिए हेड पंप के पास चला गया,,, हेडपंप के थोड़ी ही दूर पर रानी अपना काम कर रही थी,,, उसकी पीठ रघू की तरफ थी लोगों की प्यासी नजर उसके गोल गोल नितंबों पर घूमने लगे उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, वह हेडपंप चलाने के बहाने रानी को बुलाया और रानी भी उसकी मदद करते हुए हेडपंप चलाने लगी,,,, जैसे ही रानी थोड़ा सा नीचे झुककर हेड पंप के हत्थे को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू की वैसे ही रघु की प्यासी नजरें झुकने की वजह से उसके दोनों नारंगी ऊपर चली गई जो कि कुर्ती में से थोड़ी थोड़ी नजर आ रही थी,,,,,, रानी के संतरे अभी पूरी तरह से तैयार नहीं थे,,, इस बात का अंदाजा रघु को लग गया था क्योंकि वह तो उसकी बड़ी बहन के खरबूजे से खेलता आ रहा था,,,,फिर भी रघु को इस बात से संतोष था कि जो कुछ भी हो रानी की गर्म जवानी से खेलने में बहुत मजा आने वाला है लेकिन कैसे अभी इसका प्लान उसके पास बिल्कुल भी नहीं था,,,,
हाथ मुंह धोकर रघु बरामदे में पहुंच गया जहां पर प्रताप सिंह की बीवी और उसके माता-पिता बैठे हुए थे जोकी रघु को देखते ही,,,, उसका स्वागत करते हुए बोले,,,,।
आओ आओ बेटा,,,, आओ इधर कुर्सी पर बैठो,,,,
रघु जमीदार के बीवी के माता-पिता को नमस्कार करके कुर्सी पर जाकर बैठ गया,,,,।
अरे रानी,,,, पानी और मिठाई लेते आना तो,,,,
इसकी क्या जरूरत है बाबूजी,,,,
अरे नहीं नहीं बेटा पहली बार तुम यहां पर आए हो और वह भी हमारे दामाद के घर से तो इतनी तो सेवा भाव बनता ही है,,,,।
(सुमन अपने माता-पिता की बातें सुनकर रघु की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, उसके मन में कुछ और ही चल रहा था शाम ढल चुकी थी रात अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ती जा रही थी तो कुछ ही घंटों में सबसे नजरें बचाकर वह रघु से एकाकार होना चाहती थी,,, थोड़ी ही देर में रानी एक हाथ में मिठाई की प्लेट और ठंडा पानी का भरा जग लेकर हाजिर हो गई,,,।)
लीजिए बाबूजी,,,(टेबल पर पानी का जग और मिठाई की प्लेट रखते हुए बोली,,,)
अरे मुझे नहीं खाना है मिठाई मेहमान को खिलाओ,,,,
(इतना सुनते ही रानी टेबल के ऊपर झुके हुए ही मिठाई की प्लेट उठाकर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली)
लीजिए मेहमान जी,,, मुंह मीठा कीजिए,,,,(मिठाई को उठाते हुए रघु की नजर एक बार फिर से झुकने की वजह से उसकी कुर्ती में से झांक रहे उसके दोनों संतरो पर चली गई,, लेकिन इस बार रघु की किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी थी क्योंकि इस बार रघु की नजरे रानी के संतरो के साथ-साथ ऊसमें लगी डुट्टी को भी देख ली थी,,,, उस पर नजर पड़ते ही रघू एकदम से मचल उठा,,,, प्लेट में से एक मिठाई का टुकड़ा उठाकर वह खाने लगा,,, और रानी मिठाई के प्लेट को अपनी बड़ी बहन के आगे करते हुए बोली,,,)
लो सुमन दीदी तुम भी अपना मुंह मीठा करो,,,
किस बात के लिए,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली)
अरे यहां आने के लिए और किस बात के लिए तुम तो मुझे मौसी बनाने से रही,,,, ना जाने कब मैं मौसी बन पाऊंगी,,,
(रानी की बात सुनते ही,,, सुमन के चेहरे पर उदासी छा गई और सुमन की मा यह देखकर रानी को डांटते हुए बोली)
भाग यहां से कुछ भी बोलती रहती है ईतनी बड़ी हो गई लेकिन जरा भी अब तक नहीं कहां पर क्या बोलना चाहिए,,,,।
जाने दो मां बच्ची है,,,,
(रानी को भी इस बात का एहसास हुआ कि उसके मुंह से कुछ गलत निकल गया इसलिए वहां से चली गई,,
रात को भोजन करने के बाद,,, सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए,,, रघु भी अपने कमरे में चला गया जो कि सुमन के कमरे से सटा हुआ था,,, सुमन अपने कमरे में जैसे भी प्रवेश की वैसे ही उसके पीछे पीछे उसकी छोटी बहन रानी आ धमकी,,,)
अब क्या है रानी जाकर सो जाओ आराम करो,,,
नहीं दीदी मुझे नींद नहीं आ रही है मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी है,,,,
अरे कल कर लेना मैं चली थोड़ी जा रही हूं,,(सुमन किसी भी तरह से रानी को अपने कमरे से बाहर निकालना चाहती थी,,, क्योंकि उसके जाने के बाद हीं तो वह रघु के कमरे में जा सकती थी,, आखिरकार सुमन जमीदार की बीवी समझा-बुझाकर अपनी छोटी बहन को उसके कमरे में भेज दी,,,,और कुछ समय तक इंतजार करने के बाद वह कमरे में से धीरे से बाहर निकली और तुरंत रघु के कमरे में दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई जो कि पहले से ही वो रघु से दरवाजा खुला रखने के लिए बोल दी थी,,,,, कमरे में घुसते ही जमीदार की बीवी तुरंत दरवाजा बंद करके सिटकनी लगा दी,,, रघु उसका ही इंतजार कर रहा था,, सुमन को कमरे में आकर दरवाजा बंद करते हुए उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसकी टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गई,,,। सुमन दरवाजा बंद करते ही,,, रघू के ऊपर चढ गई और उसको चुंबनों से नहलाने लगी,,,,, रघु भी पूरी तरह से उत्तेजित होकर जवाबी कार्रवाई में उसके ऊपर पूरी तरह से चढ़ी हुई जमीदार की बीवी की बड़ी-बड़ी कहां को साड़ी के ऊपर से ही दबाते हुए वह भी उसे चूमने चाटने लगा,,,,,,
ओहहहहह,,,, रघू मैं कब से रात होने का इंतजार कर रही थी,,,,
और मे भी मालकिन,,,(इतना कहने के साथ ही रघू दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ खींचने,,लगा,,,पर देखते ही देखते उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और कमर के नीचे से जमीदार की बीवी पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,, सुमन की नंगी गांड पर जोर जोर से चपत मारते हुए रघु अपनी हथेली में जितना हो सकता था उतना गांड के मांस को भर भर कर दबा रहा था,,,, इस तरह से नंगी गांड पर चपत लगने पर सुमन को भी मजा आ रहा था,,। दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,,,दोनों एक दूसरे के बदन वपर से कब वस्त्र उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिए इस बात का पता दोनों को भी नहीं चला,,,,दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे हो चुके थे,,,,
एक बार फिर से रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड,,, जमीदार की बीवी की गुलाबी बुर में प्रवेश कर गया,,, एक बार फिर से दोनों का जिस्म एक हो गया,,,, दोनों की सांसे तेज होने लगी,,, रघू अपनी कमर ऊपर से तो जमींदार की बीवी अपनी कमर नीचे से ऊछाल रही थी,,, दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भी कम नहीं थे,,, या फिर एक दूसरे से हार मानना नहीं चाहते थे,,,,, रघु के हर एक धक्के का जवाब जमीदार की बीवी अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल कर दे रही थी,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, तकरीबन आधा घंटा की जबरदस्त चुदाई के बाद रघू अपना दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के जमीदार की बीवी को एकदम से अपनी बाहों में ले लिया और कस के अपने बदन से सटाते हुए,,, बड़ी तेजी से धक्का लगाने लगा क्योंकि उसका लावा निकलने वाला था और यही हाल जमीदार की बीवी का भी था वह भी लोगों को अपनी बाहों में कस के पकड़े हुए थी और जोर-जोर से सांसे ले रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों का गर्म लावा एक साथ फूट पड़ा,,, जमीदार की बीवी को अपनी बुर के अंदर अपनी बच्चेदानी पर रघू,,, के लंड से निकला हुआ गरम लावा की पिचकारी की बौछार साफ महसूस हो रही थी,,,,, जमीदार की बीवी एकदम तृप्त हो चुकी थी,,,, गर्म पिचकारी को अपनी पुर की गहराई में महसूस करके जमीदार की बीवी कि मातृत्व की झंकना एकाएक तीव्र हो गई,,,,अपने मन में यह सोच रही थी कि जमीदार से ना सही रघू के बच्चे की मां बन जाए तो उसके जीवन में हरियाली आ जाए,,,, और यही सोचकर वह रघु को और कस के अपनी छाती से लगा ली,,, और तब तक रघू के लंड को अपनी बुर से बाहर निकलने नहीं दी जब तक कि उसके लंड का पानी पूरी तरह से उसकी बुर के अंदर उतर नहीं गया,,,, रघु जमीदार की बीवी के ऊपर निढाल होकर गिरा हुआ था,,,, दोनों अपनी तेज चल रही सांसो को दुरुस्त करने में लगे हुए थे,,,, थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया,,, रघु जमीदार की बीवी के ऊपर से उठा और उसके बगल में लेट गया दोनों मस्त हो चुके थे एक अजीब सा सुख दोनों के तन बदन में अपना असर दिखा रहा था जमीदार की बीवी बहुत खुश थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह अपने मायके में गैर मर्द के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी,,,,,, सुमन के चेहरे पर तृप्ति का अहसास साफ साफ झलक रहा था,, वह अपने होठों पर माधव मुस्कान लाते हुए बोली,,,।
अब मुझे लगता है कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती रघू,,,
ऐसा क्यों मालकिन,,,? (रघु छत की तरफ देखते हुए बोला)
ऐसा ही है रघू,,,, मुझे तुम्हारी आदत पडती जा रही है,,,
(जमीदार की बीवी भी छत की तरफ देखती हुई बोली,,, रघु को यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि जिस औरत की चुदाई और अपने लंड से कर दे वह औरत उसकी गुलाम बन जाती है और यही जमीदार की बीवी के साथ भी हो रहा था,, रघु ऊसके मन की बात जानने के लिए बोला।)
लेकिन मालकिन यहां से जाने के बाद मैं शायद आपसे कभी मिल ना पाऊं,,,,, क्योंकि आप से मिलने का कोई बहाना ही नहीं होगा,,,
नहीं नहीं रघू ऐसा मत बोलो मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी,,,(रघु की बात सुनकर उसकी सच्चाई को जानकर घबराते हुए जमीदार की बीवी उसे अपनी बाहों में लेते हुए लगभग रोते हुए बोली)
लेकिन यह कैसे मुमकिन है मालकीन,,,,(रघु अपने हाथों से सुमन के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोला,,,)
तुम हमारा तांगा चलाना,,,, अपने पति से बोल कर तुम्हें नौकरी पर रख लूंगी,,,,।
लेकिन मालकिन तांगा चलाने से घर में और कमरे में आना जाना तो मुमकिन नहीं हो पाएगा ना,,,,
( रघु की बात सुनकर जमीदार की बीवी सोच में पड़ गई क्योंकि रघु सच कह रहा था वह कुछ देर सोचने के बाद बोली,,,)
रघु तुम ही कोई रास्ता निकालो,,,, क्योंकि अब सच में मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती,,,,
मैं भी मालकिन आपके बिना नहीं रह सकता,,,,, हमें कुछ ऐसा रास्ता सोचना पड़ेगा जिससे हम दोनों एक दूसरे से बेझिझक कभी भी मिल सकते हैं,,,,
तो क्या कोई ऐसा रास्ता है,,,,।
(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु सोच में पड़ गया अपने मन में यही सोच रहा था कि अपनी बहन की शादी बिरजू से कराने में मालकिन ही काम आएगी,,, अगर मालकिन मान गई तो शालू जरूर प्रताप सिंह के घर की बहू बन जाएगी,,और, यही मौका सही है,,,,, रघू यह विचार करने के बाद जमीदार की बीवी से बोला,,,)
एक रास्ता हे मालकिन अगर आप चाहे तो ही संभव हो सकता है,,,,
कौन सा रास्ता है रघू तुम मुझे बताओ,,,,
आपके बेटे बिरजू और मेरी बड़ी बहन शालू का घर विवाह हो जाए तो मेरा आपके घर में आना-जाना बेझिझक हो जाएगा,,,
क्या,,,, ?
हां मालकिन अगर यह हो गया तो फिर सब कुछ सही हो जाएगा,,,,
लेकिन यह कैसे मुमकिन है,,,, मालिक को तो मैं समझा लूंगी लेकिन बिरजू,,,,
बिरजू की चिंता बिल्कुल भी मत करो मालकिन,,, बिरजू और सालु एक दूसरे को चाहते हैं एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी भी करना चाहते हैं,,,,
क्या तुम सच कह रहे हो रघु,,,,(रघु की बात सुनते ही जमीदार की बीवी के चेहरे पर प्रशंसा के भाव नजर आने लगे वह बेहद खुश हो गई थी)
हां मालकिन मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,।
अगर तुम वाकई में सच कह रहे हो तो फिर तो हम दोनों का काम एकदम आसान हो जाएगा,,,,
आप दोनों की शादी करवा देंगी ना मालकिन,,,,
हां रघु जरूर,,,,,आखिरकार इस शादी से सबसे ज्यादा फायदा तो हम दोनों को होने वाला है,,,,
(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु को पूरी तसल्ली हो गई कि उसकी बड़ी बहन की शादी बिरजू से जरूर होगी और इस बात से खुश होकर वह जमीदार की बीवी को एक बार फिर से गले लगा लिया,,,, और जमीदार की बीवी भी मारे खुशी के अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर रघु के मुरझाए लंड को पकड़ कर हिलाने लगी,,,, रघु जमीदार की बीवी की हरकत को देख कर उसे आश्चर्य से देखने लगा तो जमीदार की बीवी बोली,,,)
मेरा मन फिर से कर रहा है तुम्हारा लंड लेने का,,,
अभी अभी तो चुदवाई हो मालकिन,,,,
छिनार बोले थे ना मुझे,,,, और छिनार तो बार-बार चुदवाती है,,,
वह जोश में मेरे मुंह से निकल गया था मालकीन,,, मैं उसके लिए माफी चाहता हूं,,,,
माफी किस बात के लिए रघू मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,,,(वह मुस्कुराते हुए पूरी और उसको मुस्कुराता हुआ देख कर रघु बोला,,,)
क्या सच में तुम्हें बुरा नहीं लगा मालकिन,,,,
नहीं रे मैं सच कह रही हूं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,,, अब तो चोदेगा ना अपनी छिनार को,,,
औहहहह,,, मेरी प्यारी छीनार,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से जमीदार की बीवी के दोनों खरबुजो को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,, और जमीदार की बीवी वाकई में छिनारपन दीखाते हुए,,, रघु के ढीले लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दि,, देखते ही देखते एक बार फिर से रघू का लंड अपनी औकात में आ गया,,, और एक बार फिर से रघु जमीदार की बीवी में समा गया,,,,।
रघु का दिन अच्छे से गुजरने लगा वह जमींदार के बीवी के गांव घर में सारा दिन घूमता रहता था,,,, देखते ही देखते 2 दिन ही रह गए उसे वापस लौटने में लेकिन अब तक रानी उसके हाथ नहीं लगी थी,,,,,।