Episode 5 : Part V
“जी मैडम, बस हाथ से छुएंगे, मुंह नहीं लगाएंगे।” बुढ्ढे ने नीता की पीठ पर हाथ रख कर उसकी पीठ को अपनी तरफ घुमाने की कोशिश की। बुढ्ढा ये समझ चूका था की नीता गिरफ्त में है, बस उसके झूठे शराफत का कपड़ा उतारने में थोड़ा वक़्त लग सकता है पर आज उसके लण्ड की प्यास इस कुलीन नारी के चूत से ही बुझेगी। उसके व्यवहार में निवेदन नहीं था, एक आदेश था। और नीता उसके आदेश को न जाने क्यों मान रही थी। नीता ने अपने पीठ को फिर बुढ्ढे की तरफ घुमा दिया। बुढ्ढे ने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके ब्रा के हुक को खोल दिया और दोनों हाथों की हथेली को उसके पीठ पर रख कर धीरे धीरे दोनों तरफ उसकी बाजुओं की तरफ बढ़ा। नीता ज़ोर ज़ोर से सांस ले रही थी और सांस के साथ लयबद्ध तरीके से उसकी पीठ ऊपर नीचे हो रही थी। पीठ के दोनों तरफ से नीता की चूची का कुछ हिस्सा दिख रहा था। बुढ्ढे ने अपने दोनों हाथ को धीरे धीरे दोनों तरफ सरकाते हुए नीता की चूचियों पर ले गया। हुक खुला हुआ काला ब्रा, ब्रा के अंदर बुढ्ढे के काले कठोर हाथ, और हाथ के नीचे नीता की प्यारी, कोमल, गोल, पुष्ट, सफ़ेद चूचियां। बुढ्ढे ने दोनों हाथों में नीता की चूची को जकड़ कर ज़ोर से मसला। साली! रंडी! नंगी होकर बैठी है और शराफत का ढोंग कर रही है? शादीशुदा है, इज्जतदार घर की बहु है? भोंसड़ी वाली, आज सारी इज्जत को अपने लौड़ा से मसल देंगे! बुढ्ढे रात की शुरुआत से ही अपने अंदर दबायी हुई सारि वासना से नीता के चूचियों को भींच रहा था।
“आउच! इतना ज़ोर से मत दबाओ न! दर्द होता है।” जैसे ही बुढ्ढे ने नीता की चूची को दबाई, एक पिचकारी की तरह नीता के चूत से रस की फुहार निकल पड़ी। दर्द में इतना मज़ा नीता को कभी नहीं आया था। नीता की पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी। वो अपने चूत से चिपकते पैंटी को महसूस कर रही थी।
“बहुत खेल लिए! अब बताओ क्या अलग है मेरे आम में?”
“आप तो छुपा कर बैठी हैं, ठीक से देखेंगे तब न बताएँगे?” बुढ्ढे ने चूची को मसलते हुए कहा।
“मुझे शर्म आती है।”
बुढ्ढे ने नीता के दोनों निप्पल को ऊँगली में दबा कर मसलते हुए कहा - “हमसे कैसा शर्म मैडम जी? हम तो आपके बाप के उमर के हैं न?”
“इस्सस!” किसी ने नीता के निप्पल को पहली बार छुआ था। और बुढ्ढा केवल उसे छू ही नहीं रहा था, मसल रहा था। मीठे मीठे दर्द और नशीले आनंद में नीता मदहोश हुई जा रही थी। बुढ्ढे ने नीता के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया। नीता मानो बुढ्ढे के सम्मोहन में फंस चुकी हो। वो चुप चाप अपने नज़रों को नीचे किये हुए बुढ्ढे की तरफ घूम गयी। बुढ्ढे ने नीता के कंधे पर से ब्रा के फीता को नीचे सरकाया और फिर ब्रा को खोल कर नीता के बदन से अलग कर दिया। नीता ने अपनी चूचियों को दोनों हाथों से ढक लिया। बुढ्ढे ने नीता की ब्रा को दोनों हाथों में ले अपने मुंह से लगा लिया।
“हम्म! मैडम जी, आपके आम तो खुशबूदार और बहुत मीठे हैं।” बुढ्ढा ब्रा को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था।