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Incest बहन के साथ यादगार यात्रा (Completed)

Pinky

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भाग 9

संगीता दीदी ने मुझे ऊपर की बर्थ से बैग उतारने को कहा | मैंने बैग उतार दिया | दीदी अपने पर्स में बैग की चाबी तलाश करने लगी | उसने बहुत ढूंढी लेकिन नहीं मिली।

मैंने संगीताई से कहा, "कहीं आप चाबी घर पे तो नहीं भूल आये?"

"नहीं भाई, मैंने अभी तो कपडे चेंज किये हैं| साडी भी बैग में रखी थी। उसके बाद बैग लॉक करके शायद से चाबी पर्स में ही तो रखी थी|," उसने जवाब दिया ।

मैंने कहा, "फिर कहाँ जा सकती है? मैं ढूंढ़ता हूँ, शायद सीट के नीचे ना गिर गयी हो |"

मैं नीचे झुक गया और सीट के नीचे झाँकने लगा । जमीन पर बहुत गंदगी पड़ी थी लेकिन चाबी कहीं नहीं दिख रही थी । मैं थोड़ा और झुक के ध्यान से देखने लगा । अचानक से मुझे सीट के निचे, एक कोने में चाबी दिखाई दी | मैंने सोचा की अगर मैं दीदी को चाबी दे देता हूँ तो संगीता दीदी कपडे चेंज कर लेंगी और इतना सेक्सी शो ख़तम | ना ना ।

मैंने उठ के दीदी से कहा," दीदी, चाबी तो नहीं मिल रही | अभी कुछ काम चला लो, जब घर आने वाला होगा तब दोनों मिल के चाबी अच्छे से ढून्ढ लेंगे, अभी छोड़ो, गर्मी से वैसे भी कुछ काम करने का मन नहीं हो रहा |"

"ओके", फिर से हम दोनों वापस सीट पर बैठ गए।

"भाई, सीरियसली, बहुत गर्मी लग रही है | मैं इस गर्मी और पसीने से मरी जा रही हूँ? " संगीता दीदी बोली ।

"अब मैं क्या कहूं दीदी, मुझे थोड़ा ना पता था की AC ख़राब हो जायेगा | तुम्हारे ससुराल वालों ने प्लेन की टिकट की तो ऐसी-तैसी कर दी ।" मैंने कहा | मन ही मन सोच रहा था की अगर AC ख़राब ना होता तो अपनी जवान बहन के सेक्सी बदन का जलवा कैसे देखने को मिलता |

"ओह्ह्ह्हह ..... | मुझे पूरा सफर इस पसीने से भीगी ड्रेस में ही करना होगा | अब क्या कर सकते हैं ..... एक ये फैन, चल रहा है की हिल रहा है ..... जब ठीक से चलता ही नहीं तो लगाने की भी क्या ज़रुरत थी |", दीदी ने परेशान होते हुए कहा |

फैन की बात सुनते ही मुझे एक जोक याद आया | दीदी की थोड़ा मूड ठीक करने के लिए मैंने पुछा,"दीदी, क्या तुमने वो फैन वाला जोक सुना है ?,

"कोनसा जोक भाई, मुझे नहीं पता यार ।" दीदी ने झुंझलाते हुए कहा |

"एक बार एक बहुत ही फेमस हीरोइन थी | वह अपनी कुर्सी पर बैठी हुई अगले शूट का इंतज़ार कर रही थी | बहुत गर्मी थी | वो बहुत परेशान हो रही थी | वो बोली, कितनी गर्मी है यहाँ .... ऐसे मौसम में तो सारे कपड़े उतार के फैन के नीचे फ़ैल के सो जाना चाहिए | साथ खड़े स्पॉटबॉय ने तुरंत कहा, मैडम, मैं तो शुरू से ही आपका फैन हूँ |”

"हा हा .... very फनी, हुंह" दीदी ने बड़े बेमन से कहा |

"दीदी, उस स्पॉटबॉय की तरह मैं भी आपका फैन हूँ ..... मेरा मतलब है ..... अगर आप कहो तो मैं सीलिंग से बेताल की तरह लटक के आपको ठंडी-२ हवा दे सकता हूँ |", मैंने हँसते हुए कहा |

अब जाके दीदी थोड़ा सा मुस्करायी | मेरे दिल की समझी या नहीं, ये तो पता नहीं | मैं दीदी को अपने नीचे सुलाने के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था |

"जोक छोड़ो दीदी, सच में अगर आप कहो तो मैं इस मेगज़ीन से आपको हवा कर देता हूँ," में पास पड़ी एक मैगज़ीन उठाते हुए कहा ।

"ओहो, क्या बात है, बहन की इतनी सेवा ......... अभी रहने दे भाई .... बता दूंगी जब सेवा करवाने का मन होगा," उसने हँसते हुए कहा |
 

Pinky

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भाग 10

"कम से कम इस मुई नायलॉन की ब्रा को तो उतार देती हूँ, ये मेरे बदन को काट रही है।", वो बोली |

"ब्रा ही क्यों, पूरी नंगी हो जा ना दीदी", मैंने मन में सोचा |

"ब्रा उतारने के लिए अब कोन जायेगा टॉयलेट में, ऐसा कर भाई, थोड़ी देर के लिए तू प्लीज अपनी आँखें बंद कर ले | ज़्यादा समय नहीं लगेगा । जब मैं बोलूं तभी खोलना ... पक्का |"

मैंने ईमानदारी से अपनी आँखें बंद कर लीं ! मन में सोच रहा था की संगीता दीदी नंगी होकर कैसी दिखाई देंगी |

"ठीक है भाई | खोल ले आँखें |" उसने संक्षेप में कहा और मैंने अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा।

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, क्या नज़ारा था | संगीता दीदी के सीने से ब्रा गायब हो गई थी | उसके गोरे-२, बड़े-२ विशाल मुम्मे उसकी पारदर्शी, थोड़ी गीली शिफॉन शर्ट से साफ़-२ दिखाई दे रहे थे | ब्रा के बिना उसके मुम्मे और भी बड़े लग रहे थे | गोरे गोरे मुम्मे के बीच में डार्क चॉकलेट रंग का निप्पल साफ दिखाई दे रहा था । उसके निप्पल बिलकुल कड़क लग रहे थे और उनकी शेप ऊपर से साफ़-२ दिखाई दे रही थी ।

मैं अपनी जवान बहन को लगभग ऊपर से नंगा देख कर बुरी तरह से मदहोश हो गया | ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कड़क लंड किसी भी पल में झड़ जाएगा । ये नज़ारा देख के मेरा पूरा शरीर गरम हो गया और मुझे पहले से भी ज़्यादा पसीना आने लगा | मेरा दिल कर रहा था की अभी लंड बाहर निकाल के उसके मुम्मे पे मुठ गिरा दूँ | लेकिन, क्या कर सकता था, आखिर बहन-भाई का रिश्ता था | मैं मन को समझा के बैठ गया |

संगीता दीदी मेरी हालत से बेखबर दिख रही थी, उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, बस हल्का सा मुस्कुरा रही थी|

कुछ समय बाद दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा, "तुझे कितना पसीना आ रहा है भाई | देख कैसे पसीने से भीग गया है |"

मैं: तो कर भी क्या सकता हूँ दीदी?

दीदी: उतार दे तू भी

मैं: क्या उतार दूँ? मैंने तो ब्रा पहन भी नहीं रखी |

दीदी: हा हा ... very funny ... क्यों इतनी मोटी कमीज पहन रखी है? उतार दे कमीज को |

सच पूछो तो मैं भी यही सोच रहा था और अब तो दीदी ने भी कह दिया | बढ़िया था, दीदी सही लाइन पे जा रही थी | मैंने जल्दी से शर्ट निकाल दी। मुझे खेल-कूद का बहुत शोक है | मैं अपने कॉलेज में कबाड़ी की टीम का कप्तान भी था | थोड़ा बहुत जिम भी कर लेता था |

मेरे हष्ट-पुष्ट शरीर देखकर संगीता दीदी की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, "क्या बात है भाई, बॉडी तो मस्त बना रखी है | एकदम मरदाना, वाह"

मैं: चलो अच्छा है, आपको मेरी बॉडी पसंद आयी | कुछ तो फायदा हुआ जिम जाने का |

दीदी: मुझे फिट लोग ही पसंद हैं | एक तेरे जीजा जी हैं, तोंद फुलाए पूरे दिन गद्दी पे बैठे रहते हैं |

मैं: तो आप बोला करो ने उन्हें जिम जाने के लिए

दीदी (धीमी आवाज़ में): हाँ, वो और जिम, कुछ होता-हवाता तो है नहीं उनसे ....

दीदी: चल अब बातें छोड़, सोने दे मुझे
 
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