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Achha haiसेठ मनोहर लाल की बंगले पर मेहमानों का जमावड़ा शुरू हो चुका था धीरे-धीरे करके शहर के माने जाने लोग आ रहे थे सेट मनोहर लाल दरवाजे पर ही खड़े होकर उन लोगों का स्वागत कर रहे थे,,, इसी से पता चल रहा था कि मनोहर लाल की इस शहर में कितनी इज्जत है,,, सेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे,,,, क्योंकि उनके घर पर नामी जानी हस्तियां जो धीरे-धीरे आ रही थी जैसे-जैसे लोग आ रहे थे वैसे-वैसे उनका स्वागत किया जा रहा था और उन्हें मेहमान कच्छ में बिठाकर शरबत पिलाया जा रहा था,,,, मेहमानों में कुछ नए जोड़े भी थे जिन्हें देखकर सेठ मां और लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि काश उसके बेटे की भी शादी हो जाती तो उसकी भी जोड़ी बन जाती कहीं भी आते जाते तो दोनों साथ में आते जाते,,, कितना अच्छा लगता देखने में,,,।
लेकिन मनोहर लाल अपने मन में ठान लिए थे कि अपनी इस इच्छा को जरूर पूरी करके रहेंगे भले ही उनका बेटा कितना ही ना नुकुर करें,,, बाकी के नौकर मेहमान की सेवा व्यवस्था में लगे हुए थे,,, सभी नौकरों को ठीक से समझा दिया गया था कि उन्हें क्या करना है और किसी भी शिकायत का मौका किसी को भी ना मिले इसका खास ध्यान रखा गया था आखिरकार शेठ मनोहर लाल की इज्जत का सवाल था,,, पार्टी बंगले के बगीचे में ही रखी हुई थी बाकी पूरे घर को रोशनी से सजाया गया था,,,,। सड़क से गुजरा हुआ हर शख्स कुछ देर के लिए सड़क पर ही रुक जाता था और सेठ मनोहर लाल के बंगले की लालिमा को देखकर प्रसन्न हो जाता था और मन में ही सोचता था कि काश वह भी इस पार्टी का हिस्सा होता तो कितना अच्छा होता,,,।
देखते ही देखते 10:00 बज गए थे अब किसी भी मेहमान के आने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए सेठ मनोहर लाल दरवाजे से हटकर पार्टी में आए मेहमानों की देखरेख में लग गए थे सेठ मनोहर लाल सभी मेहमानों को खुद पूछ पूछ कर उनके मुताबिक खाने पीने की व्यवस्था कर रहे थे,,, खाने पीने की व्यवस्था तो थी ही सेठ मनोहर लाल यह भी जानते थे कि उनके कुछ मित्र पीने के भी शौकीन हैं इसलिए शराब की भी व्यवस्था की गई थी,,, सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए सेठ मनोहर लाल की आंख एक जगह टिक रही थी जब उनके परम मित्र रूप लाल उनके घर प्रवेश किए थे तब उनकी नजर एक खूबसूरत नवयुवती पर टिकी टिकी रह गई थी जो की साड़ी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसे समय मौके की नजाकत को देखते हुए सेठ मनोहर लाल उसे लड़की के बारे में पूछ नहीं पाए थे कि वह कौन है कहां से आई है किसके साथ आई है लेकिन उन्हें अंदाजा था कि वह लड़की रूपलाल के ही साथ आई थी क्योंकि वह रूप लाल के पीछे खड़ी थी जब वह लोग पार्टी के लिए दरवाजे से प्रवेश कर रहे थे,,,।
पार्टी शुरू हो चुकी थी लोग अपने-अपने हिसाब से खाने पीने का सामान लेकर खा रहे थे,,, तभी आरती को उसके ही कॉलेज की एक सहेली मिल गई थी और वहां अपनी सहेली के साथ कपड़े लड़ाने में लग गई थी,,,।
बाप रे आरती तू तो ऐसी लग रही है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो पहली बार तुझे साड़ी में देख रही हूं नहीं तो पहली बार पहचान ही नहीं पाई थी कि तू आरती,,,
क्यों मैं तुझे पहले खूबसूरत नहीं लगती थी क्या,,,.(अपने बाल की लटो को अपनी उंगली से कान के पीछे ले जाते हुए आरती बोली,,,)
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं आती तो पहले से ही भला की खूबसूरत है लेकिन आज तो बिजली गिरा रही है पता नहीं आज तुझे देख कर कौन-कौन घायल होने वाला है,,,,
चल अब रहने भी दे,,,, वैसे तू बता तू किसके साथ आई है,,,
मम्मी पापा के साथ आई हूं,,,,
और तू,,,
मैं भी मम्मी पापा के ही साथ आई हूं,,,, लेकिन तू तो कभी पार्टी में आती जाती नहीं है फिर आज कैसे,,,
अरे यार आरती मैं तो यहां भी नहीं आना चाहती थी लेकिन मम्मी पापा जबरदस्ती लेकर आ गए,,,
वह क्यों भला,,,?
कहते हैं कि शेठ मनोहर लाल का लड़का राकेश इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर वापस आया है उसकी शादी की तैयारी होनी है,,,,(उसका इतना कहना था की आरती उसके कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ गई थी वह समझ गई थी कि उसके मम्मी पापा शादी का सोचकर ही उसे साथ में लेकर आए थे लेकिन आरती कुछ बोली नहीं बस उसकी बात सुनती रही,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) और मेरे मम्मी पापा चाहते हैं कि उसके पापा मुझे पसंद कर ले,,,।
तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,(बेमन से आरती औपचारिकता निभाते हुए बोली) कर लेना चाहिए ना तुझे शादी मनोहर लाल शहर के माने जाने हस्ती है,,,
अब वह चाहे जो भी हो आरती तुझे तो मालूम है कि मैं दूसरे से प्यार करती हूं वह तो मम्मी पापा के जिद के कारण यहां आ गई वरना आती भी नहीं,,, ।
चल कोई बात नहीं किस्मत में अगर लिखा होगा तो तेरी शादी तू चाहती है वही होगी और अगर नहीं तो फिर जहां होनी है वहां तो होनी ही है,,,
तो ठीक कह रही है आरती,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी उसकी मम्मी पापा उसे आवाज देकर अपने पास बुलाए वह लोग राकेश से उसके पिताजी से उसे मिलाना चाहते थे,,, वैसे तो आरती भी शादी के लिए तैयार नहीं वह भी अपनी मम्मी पापा के जीद के कारण ही यहां आई थी और उसे भी साफ पता चल रहा था कि यहां पर बहुत सारी लड़कियां आई थी ,, एकदम सज धज कर,,, और उन लोगों का इरादा भी यही था,,,, आरती सोच में पड़ गई की इतनी सारी लड़कियां ,, सभी मां-बाप अपनी लड़कियों की शादी राकेश के साथ कराना चाहते हैं तो जरूर कुछ बात होगी,,,,अब आरती के मन में राकेश को देखने की अभिलाषा जागने लगी,,वह देखना चाहती थी कि राकेश कैसा दिखता है कैसा लगता है,,, और वह वापस अपनी मम्मी पापा के पास जाने लगी,,,।
पार्टी में खाने-पीने के साथ-साथ शराब और शरबत का भी जुगाड़ था इसलिए कुछ लोग शराब पीकर स्पीकर पर बज रहे गाने को सुनकर झुमने लगे थे,,, महफ़िल पूरी तरह से जमने लगी थी,,, महफिल का रंग बनने लगा था,,, पार्टी में आए सभी मेहमान खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दिया गया था सिर्फ मनोहर लाल अच्छा बंदोबस्त किए थे और सभी के मुंह से उनकी तारीफ सुनने कोई मिल रही थी क्योंकि कुछ लोग तो यह कह रहे थे कि आज तक उन्होंने इस तरह की पार्टी नहीं देखी,,,,,।
सभी बड़ा सा गोलाकार आकार में और 5 मंजिला वाला केक बंगले के बगीचे के बीचो-बीच रख दिया गया था और यह केक शेठ मनोहर लाल की दुकान पर ही बनाया गया था,,, केक को देखकर मेहमान समझ गई थी केक काटने का समय आ गया है उसके बाद खाना पीना का आनंद लिया जाएगा,, अभी तक तो सिर्फ शरबत शराब और नाश्ता ही चल रहा था,,,, तभी रूप लाल अपनी बीवी से बोले,,,।
देखो भाग्यवान केक आ चुका है अब कुछ ही देर में राकेश भी आ जाएगा ,, तुम आरती को लेकर सबसे आगे खड़ी रहना,,, ताकि राकेश और उसके पिताजी की नजर आरती पर ही पड़े,,,।
मैं सब जानती हूं मुझे क्या करना है,,,,,, तुम बस शेठ मनोहर लाल के साथ रहना ,,,, लेकिन मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मुझे जाना होगा,,,,
लेकिन जाओगी कहां,,,?(रूपलाल परेशान होते हुए बोले)
मैं वेटर से पूछ लेती हूं कुछ तो इंतजाम होगा ही,,,
ठीक है,,,
(रूपलाल की बीवी के पास पहुंच गए हो वहीं पर एक वेटर से पूछी,,,)
वॉशरूम कहां है,,,,?
जी मैडम ऊपर सीढियो से जाईएगा वहीं बाईं और पर है,,,।
थैंक,,, यू,,,,
यू वेलकम मैडम,,,,
(रास्ता बता कर बैठा अपने काम में लग गया और रूपलाल की बीवी रमा देवी,, बंगले के अंदर पहुंच गई और सीढीओ से ऊपर की तरफ जाने लगी,,,,,, यह पहली मर्तबा उसके साथ ऐसा हुआ था कि किसी पार्टी में जाने पर उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी,,, इसलिए उसे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही थी वह बंगले में तो आ चुकी थी और सीढ़ियां चढ़ते हुए वह पूरे बंगले को देख रही थी वाकई में शेठ मनोहर लाल कितने रईस है ये उनका बंगला देखने पर ही पता चल रहा था,,,, और यह सब देखते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि भगवान करे उसकी बेटी इस घर की बहू बन जाए तो जिंदगी भर राज करेगी,,,।
एक तरफ वह अपनी बेटी को इस घर की बहू बने के बारे में सोच रही थी वह दूसरी तरफ उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसी अफरा तफरी में उसे समझ में नहीं आया कि वेटर ने उसे दाएं जाने के लिए बोला था या बाएं,,,, पल भर के लिए बस सीढ़ियां चढ़कर वहीं खड़ी होकर दाएं बाएं देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की जाए तो जाए कहां और यहां पर कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,, जिस तरह की महफिल घर के बाहर सजी हुई थी अंदर उतना ही सन्नाटा फैला हुआ था और रमा देवी को थोड़ी घबराहट भी हो रही थी,,, क्योंकि वह पेशाब करने के लिए दूसरे के बंगले पर जो आ गई थी,,, यह स्थिति सिर्फ रमादेवी के लिए नहीं बल्कि हर एक औरत के लिए शर्मिंदगी का एहसास कराने वाला हो जाता है,,,। क्योंकि इस तरह की जगह पर जाकर पेशाब करने के लिए जगह छोड़ने वाकई में एक औरत के लिए शर्मसार कर देने वाला होता है और यही अनुभव इस समय रमादेवी महसूस कर रही थी,,,।
उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, और पेशाब की तीव्रता उन्हें परेशान कर रही थी इसलिए आखिरी निष्कर्ष पर उतरते हुए वह दाएं तरफ घूम गई,,, और आगे जाने पर उन्हें कमरे का दरवाजा खुला हुआ मिला घर में कोई मौजूद नहीं था इसका आभास रमा देवी को हो चुका था ,,, इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए वह कमरे में प्रवेश कर गई और उन्हें तुरंत सामने ही बाथरूम खुला हुआ दिखाई दिया,,,, और इस समय जिस तरह की उनकी हालत थी खुले हुए बाथरूम को देखकर उनके चेहरे पर चमक आ गई और वह तुरंत बाथरूम में प्रवेश कर गई,,,,।
उसे बड़े जोरों की लगी हुई थी वह बाथरूम में घुसते ही ,,, अपनी साड़ी कमर तक उठे और चड्डी घुटनों का खींचकर बैठ गई पेशाब करने के लिए,,, जैसे ही उसकी गुलाबी छेद से पेशाब के बाहर निकली उसे राहत महसूस होने लगी और वहीं दूसरी तरफ कमरे में मौजूद राकेश को किसी के कमरे में घुसने की आहट हुई और वह तुरंत देखने के लिए उसे जगह पर आकर और इधर देखने लगा,,, जिस कमरे में रूपलाल की बीवी पेशाब करने के लिए खुशी थी वह कमरा राकेश का ही इसलिए रूपलाल की बीवी के सैंडल की आवाज और उनको चूड़ियों की खनक कमरे में साफ सुनाई दे रही थी,,,, राकेश को लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था उसी को समझ में नहीं आ रहा था की आहट आई तो ए किसकी तभी उसे बाथरूम के अंदर से हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई दे रही थी,,।
राकेश पार्टी में जाने के लिए तैयार हो चुका था अब उसकी वहां पर जरूरत थी और वह निकलने वाला था कि कमरे में किसी की आहट आ गई थी और वह रुक गया था,,, लेकिन वह समझ गया था उसके बाथरूम से ही आवाज आ रही है,,, इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह नहीं जानता था कि कमरे के अंदर कोई औरत है और उसके बाथरूम में ही है उसे लग रहा था कि कोई और है लेकिन कौन है यह नहीं जानता इसलिए धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास भी है वहां से अभी भी बड़ी जोरों की सीटी की आवाज आ रही थी और अनुभवहीन राकेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार यह सिटी की आवाज किस चीज की,,,, इसलिए उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया,,,।
और दरवाजा खोलते ही बाथरूम के अंदर का जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उसे देख करके उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसके कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा एक तरह से उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,.। आखिर वह भी क्या कर सकता था उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत ठीक राकेश की तरह ही होती,,,,,,, नजर ही कुछ ऐसा था बाथरूम के अंदर का,,,, जिसे देखकर राकेश की सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,।
उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर एक औरत पेशाब कर रही थी,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम चमक रही थी और उसकी बुर से लगातार सिटी की आवाज आ रही थी देख कर ही राकेश समझ गया था कि वह औरत पेशाब कर रही है,,, लेकिन उसके कमरे में उसके ही बाथरूम में क्यों उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसने दरवाजा खोला था दरवाजा खुलते ही,,, रमादेवी एकदम से चौंक गई थी और चौक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी थी और जब उन्होंने देखा कि दरवाजे पर वही कपड़े की दुकान वाला लड़का है तो उसके होश उड़ गए,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आया और वह भी राकेश को ही देखने लग गई,,, कुछ पल के लिए राकेश को भी कुछ समझ में नहीं आया उसकी नजर सबसे पहले उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर ही गई थी एकदम नंगी एकदम गोरी कैसी हुई उम्र का जरा भी असर उसकी गांड पर नहीं पड़ा था गांड को देखने पर लगता ही नहीं था कि एक जवान औरत की मां है,,,, लेकिन जैसे ही वह औरत राकेश की तरफ देखने लगी तो राकेश के भी होश उड़ गए राकेश उसे औरत को पहचानने में जरा भी समय नहीं लिया हुआ पहचान गया था कि यह औरत तो वही है चेंजिंग रूम में जिसे अर्धनग्न अवस्था में देखा था,,, यह देखकर राकेश के भी होश उड़ गए उसे इस समय भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दरवाजा बंद कर दे या वहीं खड़ा रहे,,,,
राकेश दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह तुरंत अपनी संस्कारों का असर दिखाते हुए अपने हाथों से दरवाजा बंद कर दिया और वहां से हट गया अंदर पेशाब करने बैठी रमादेवी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,, उनके चेहरे पर शर्म की लालिमा छानी लगी थी वह अपनी मम्मी सो रही थी की अजब इत्तेफाक है यही लड़का चेंजिंग रूम के बाहर भी था और इस समय भी कमरे के अंदर भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार हो क्या रहा है,,, यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,।
थोड़ी देर में पेशाब करके वह खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी,, शर्म के मारे चेहरे पर उपस आए पसीने की बूंदों को पानी के छीटे मारकर अपने रुमाल से अपने चेहरे को साफ की और फिर दरवाजे के पास पहुंच गई दरवाजे को खोलने में उसे समय महसूस हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि वह लड़का यही खड़ा होगा क्योंकि उसके पैरों की आवाज ज्यादा दूर तक जाती हुई उसे सुनाई नहीं देती उसके इर्द-गिर्द ही सुनाई दे रही थी इसलिए उसे अंदाजा लगाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई कि वह लड़का कमरे में ही है लेकिन कमरे में क्या कर रहा है यह उसके लिए एक बड़ा सवाल था।
आखिरकार धीरे से वह दरवाजे को खुली और दो कदम आगे गई तो वही बाय और बड़े से बेड पर वह बैठा हुआ था रमादेवी की उस नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या चली जाए,,,, लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए बोली।
मैं माफी चाहती हूं मुझे बाथरूम युज करना पड़ा,,,
कोई बात नहीं लेकिन आप वही चेंजिंग रूम वाली लेडी होना,,,
जी हां मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा है,,,।(अपने सर को झुकाए हुए ही वह बोली)
क्योंकि वहां की तरह यहां भी आप दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी,,,, और इस गलती को जितनी जल्दी हो सके सुधार लो क्योंकि गड़बड़ हो सकती है,,,।
(राकेश के द्वारा गड़बड़ वाली बात सुनकर रमादेवी के बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,, वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह लड़का किस लिए गड़बड़ हो सकती है बोल रहा है,,, क्योंकि वह जिस तरह से पेशाब कर रही थी पैसे में कोई और लड़का उसे देखा तो वह भी बाथरुम में आ जाता है और अभद्र व्यवहार करने लगता,,,, राकेश की बात सुनकर बहुत ज्यादा कुछ बोली नहीं बस इतना ही बोली,,,)
आइंदा ख्याल रखूंगी,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई और राकेश दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर बिस्तर पर टिकाकर अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगा,, जो की बेहद खराब स्थिति से गुजर रहा था उसके पेंट के आगे वाले भाग में तंबू बना हुआ था,,,, उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड देखकर और इस पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था किसी औरत को पेशाब करते हुए जो देख रहा था इसीलिए वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,। उसे पहले से ही देर हो रही थी और अब पेट में तंबू बना हुआ था और इस हालत में वह पार्टी में जा नहीं सकता था,,, इसलिए अपने उत्तेजना पर काबू करने के लिए वह कुछ देर तक अपने बिस्तर पर ही बैठा रहा और जब उससे भी काम नहीं बना तो उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम में जाकर खुद अपने पेट में से लंड को बाहर निकाला,,, जो कुछ भी अब तक हुआ था उसके बारे में सोच कर उसका मन तो यहीं कर रहा था कि अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत कर ले,, लेकिन किसी तरह से अपने मां पर काबू करके पेशाब करने लगा,,,,।
अभी-अभी इसी बाथरूम में वह खूबसूरत औरत पेशाब करके गई थी इसके पेशाब की गंध उसके नथुनों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी,,, लेकिन इस गंध का असर उसे कमांध कर रहा था,,, वह और भी ज्यादा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिसके चलते उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा,,, और यह क्रिया करते हुए अनजाने में उसे मजा आने लगा और फिर उसे औरत को याद करके वह पूरी तरह से अपने लंड को अपने मुट्ठी में भर लिया और मुठ मारने लगा,,,।
वासना का तूफान शांत होते ही वह हाथ मुंह धोकर बाथरूम से बाहर निकला तब तक उसका मन हल्का हो चुका था और पेंट के आगे वाला भाग भी सही हो गया था और फिर वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकल गया,,,, काफी देर हो जाने की वजह से उसके पिताजी उसे लेने के लिए आ रहे थे और सीढ़ियों पर ही उनकी मुलाकात हो गई,,,।
राकेश क्या कर रहे थे बहुत देर हो रही है मेहमान इंतजार कर रहे हैं,,,
वो वो क्या है ना पापा की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या पहनु इसलिए देर हो गई,,,
तुम्हारे ऊपर तो सब कुछ जंचता है जो पहन लोगे सब अच्छा लगेगा,,,।
(और ऐसा कहते हुए अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर वह जहां पर केक रखा हुआ था वहां तक अपने बेटे को लेकर आया और सभी से मिलाते हुए बोला,,)
लेडीज एंड जैंटलमैन यह पार्टी में अपने बेटे के घर आने की खुशी में दिया हूं और वह इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर आया है,,, राकेश,,,, मेरे बेटे का नाम है राकेश,,,,।
(सेठ मनोहर लाल को इतना कहते ही तालिया बजने लगी और रमादेवी,,, यह देखकर हैरान थी कि दो-दो बार उसे अर्धनग्नवस्था में देखने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि शेठ मनोहर लाल का ही बेटा है जिसके साथ वह अपनी बेटी का विवाह तय करवाना चाहती है,,,, यह देखते ही रूपलाल की बीवी के होश उड़ने लगे थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
पार्टी पूरी होने तक रमा देवी अपनी बेटी को साथ लिए हुए सेठ मनोहर लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही,,,, पार्टी खत्म हो चुकी थी सारे मेहमान जा चुके थे शेठ मनोहर लाल भी थक कर अपने कमरे में चले गए थे,,, लेकिन राकेश की हालत खराब थी बार-बार उसकी आंखों के सामने बाथरूम वाला दृश्य नजर आ जा रहा था वाकई में बेहद कामुकता से भरा हुआ दृश्य जो था,,,, वह कभी सोचा भी नहीं था कि बाथरूम का दरवाजा खोलते ही उसे खूबसूरत औरत पेशाब करते हुए दिखाई देगी और यही सोचता हुआ वह अपने बिस्तर पर करवट बदल रहा था,,,।
अद्भुत कथानक रोनी भाईसेठ मनोहर लाल की बंगले पर मेहमानों का जमावड़ा शुरू हो चुका था धीरे-धीरे करके शहर के माने जाने लोग आ रहे थे सेट मनोहर लाल दरवाजे पर ही खड़े होकर उन लोगों का स्वागत कर रहे थे,,, इसी से पता चल रहा था कि मनोहर लाल की इस शहर में कितनी इज्जत है,,, सेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे,,,, क्योंकि उनके घर पर नामी जानी हस्तियां जो धीरे-धीरे आ रही थी जैसे-जैसे लोग आ रहे थे वैसे-वैसे उनका स्वागत किया जा रहा था और उन्हें मेहमान कच्छ में बिठाकर शरबत पिलाया जा रहा था,,,, मेहमानों में कुछ नए जोड़े भी थे जिन्हें देखकर सेठ मां और लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि काश उसके बेटे की भी शादी हो जाती तो उसकी भी जोड़ी बन जाती कहीं भी आते जाते तो दोनों साथ में आते जाते,,, कितना अच्छा लगता देखने में,,,।
लेकिन मनोहर लाल अपने मन में ठान लिए थे कि अपनी इस इच्छा को जरूर पूरी करके रहेंगे भले ही उनका बेटा कितना ही ना नुकुर करें,,, बाकी के नौकर मेहमान की सेवा व्यवस्था में लगे हुए थे,,, सभी नौकरों को ठीक से समझा दिया गया था कि उन्हें क्या करना है और किसी भी शिकायत का मौका किसी को भी ना मिले इसका खास ध्यान रखा गया था आखिरकार शेठ मनोहर लाल की इज्जत का सवाल था,,, पार्टी बंगले के बगीचे में ही रखी हुई थी बाकी पूरे घर को रोशनी से सजाया गया था,,,,। सड़क से गुजरा हुआ हर शख्स कुछ देर के लिए सड़क पर ही रुक जाता था और सेठ मनोहर लाल के बंगले की लालिमा को देखकर प्रसन्न हो जाता था और मन में ही सोचता था कि काश वह भी इस पार्टी का हिस्सा होता तो कितना अच्छा होता,,,।
देखते ही देखते 10:00 बज गए थे अब किसी भी मेहमान के आने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए सेठ मनोहर लाल दरवाजे से हटकर पार्टी में आए मेहमानों की देखरेख में लग गए थे सेठ मनोहर लाल सभी मेहमानों को खुद पूछ पूछ कर उनके मुताबिक खाने पीने की व्यवस्था कर रहे थे,,, खाने पीने की व्यवस्था तो थी ही सेठ मनोहर लाल यह भी जानते थे कि उनके कुछ मित्र पीने के भी शौकीन हैं इसलिए शराब की भी व्यवस्था की गई थी,,, सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए सेठ मनोहर लाल की आंख एक जगह टिक रही थी जब उनके परम मित्र रूप लाल उनके घर प्रवेश किए थे तब उनकी नजर एक खूबसूरत नवयुवती पर टिकी टिकी रह गई थी जो की साड़ी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसे समय मौके की नजाकत को देखते हुए सेठ मनोहर लाल उसे लड़की के बारे में पूछ नहीं पाए थे कि वह कौन है कहां से आई है किसके साथ आई है लेकिन उन्हें अंदाजा था कि वह लड़की रूपलाल के ही साथ आई थी क्योंकि वह रूप लाल के पीछे खड़ी थी जब वह लोग पार्टी के लिए दरवाजे से प्रवेश कर रहे थे,,,।
पार्टी शुरू हो चुकी थी लोग अपने-अपने हिसाब से खाने पीने का सामान लेकर खा रहे थे,,, तभी आरती को उसके ही कॉलेज की एक सहेली मिल गई थी और वहां अपनी सहेली के साथ कपड़े लड़ाने में लग गई थी,,,।
बाप रे आरती तू तो ऐसी लग रही है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो पहली बार तुझे साड़ी में देख रही हूं नहीं तो पहली बार पहचान ही नहीं पाई थी कि तू आरती,,,
क्यों मैं तुझे पहले खूबसूरत नहीं लगती थी क्या,,,.(अपने बाल की लटो को अपनी उंगली से कान के पीछे ले जाते हुए आरती बोली,,,)
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं आती तो पहले से ही भला की खूबसूरत है लेकिन आज तो बिजली गिरा रही है पता नहीं आज तुझे देख कर कौन-कौन घायल होने वाला है,,,,
चल अब रहने भी दे,,,, वैसे तू बता तू किसके साथ आई है,,,
मम्मी पापा के साथ आई हूं,,,,
और तू,,,
मैं भी मम्मी पापा के ही साथ आई हूं,,,, लेकिन तू तो कभी पार्टी में आती जाती नहीं है फिर आज कैसे,,,
अरे यार आरती मैं तो यहां भी नहीं आना चाहती थी लेकिन मम्मी पापा जबरदस्ती लेकर आ गए,,,
वह क्यों भला,,,?
कहते हैं कि शेठ मनोहर लाल का लड़का राकेश इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर वापस आया है उसकी शादी की तैयारी होनी है,,,,(उसका इतना कहना था की आरती उसके कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ गई थी वह समझ गई थी कि उसके मम्मी पापा शादी का सोचकर ही उसे साथ में लेकर आए थे लेकिन आरती कुछ बोली नहीं बस उसकी बात सुनती रही,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) और मेरे मम्मी पापा चाहते हैं कि उसके पापा मुझे पसंद कर ले,,,।
तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,(बेमन से आरती औपचारिकता निभाते हुए बोली) कर लेना चाहिए ना तुझे शादी मनोहर लाल शहर के माने जाने हस्ती है,,,
अब वह चाहे जो भी हो आरती तुझे तो मालूम है कि मैं दूसरे से प्यार करती हूं वह तो मम्मी पापा के जिद के कारण यहां आ गई वरना आती भी नहीं,,, ।
चल कोई बात नहीं किस्मत में अगर लिखा होगा तो तेरी शादी तू चाहती है वही होगी और अगर नहीं तो फिर जहां होनी है वहां तो होनी ही है,,,
तो ठीक कह रही है आरती,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी उसकी मम्मी पापा उसे आवाज देकर अपने पास बुलाए वह लोग राकेश से उसके पिताजी से उसे मिलाना चाहते थे,,, वैसे तो आरती भी शादी के लिए तैयार नहीं वह भी अपनी मम्मी पापा के जीद के कारण ही यहां आई थी और उसे भी साफ पता चल रहा था कि यहां पर बहुत सारी लड़कियां आई थी ,, एकदम सज धज कर,,, और उन लोगों का इरादा भी यही था,,,, आरती सोच में पड़ गई की इतनी सारी लड़कियां ,, सभी मां-बाप अपनी लड़कियों की शादी राकेश के साथ कराना चाहते हैं तो जरूर कुछ बात होगी,,,,अब आरती के मन में राकेश को देखने की अभिलाषा जागने लगी,,वह देखना चाहती थी कि राकेश कैसा दिखता है कैसा लगता है,,, और वह वापस अपनी मम्मी पापा के पास जाने लगी,,,।
पार्टी में खाने-पीने के साथ-साथ शराब और शरबत का भी जुगाड़ था इसलिए कुछ लोग शराब पीकर स्पीकर पर बज रहे गाने को सुनकर झुमने लगे थे,,, महफ़िल पूरी तरह से जमने लगी थी,,, महफिल का रंग बनने लगा था,,, पार्टी में आए सभी मेहमान खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दिया गया था सिर्फ मनोहर लाल अच्छा बंदोबस्त किए थे और सभी के मुंह से उनकी तारीफ सुनने कोई मिल रही थी क्योंकि कुछ लोग तो यह कह रहे थे कि आज तक उन्होंने इस तरह की पार्टी नहीं देखी,,,,,।
सभी बड़ा सा गोलाकार आकार में और 5 मंजिला वाला केक बंगले के बगीचे के बीचो-बीच रख दिया गया था और यह केक शेठ मनोहर लाल की दुकान पर ही बनाया गया था,,, केक को देखकर मेहमान समझ गई थी केक काटने का समय आ गया है उसके बाद खाना पीना का आनंद लिया जाएगा,, अभी तक तो सिर्फ शरबत शराब और नाश्ता ही चल रहा था,,,, तभी रूप लाल अपनी बीवी से बोले,,,।
देखो भाग्यवान केक आ चुका है अब कुछ ही देर में राकेश भी आ जाएगा ,, तुम आरती को लेकर सबसे आगे खड़ी रहना,,, ताकि राकेश और उसके पिताजी की नजर आरती पर ही पड़े,,,।
मैं सब जानती हूं मुझे क्या करना है,,,,,, तुम बस शेठ मनोहर लाल के साथ रहना ,,,, लेकिन मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मुझे जाना होगा,,,,
लेकिन जाओगी कहां,,,?(रूपलाल परेशान होते हुए बोले)
मैं वेटर से पूछ लेती हूं कुछ तो इंतजाम होगा ही,,,
ठीक है,,,
(रूपलाल की बीवी के पास पहुंच गए हो वहीं पर एक वेटर से पूछी,,,)
वॉशरूम कहां है,,,,?
जी मैडम ऊपर सीढियो से जाईएगा वहीं बाईं और पर है,,,।
थैंक,,, यू,,,,
यू वेलकम मैडम,,,,
(रास्ता बता कर बैठा अपने काम में लग गया और रूपलाल की बीवी रमा देवी,, बंगले के अंदर पहुंच गई और सीढीओ से ऊपर की तरफ जाने लगी,,,,,, यह पहली मर्तबा उसके साथ ऐसा हुआ था कि किसी पार्टी में जाने पर उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी,,, इसलिए उसे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही थी वह बंगले में तो आ चुकी थी और सीढ़ियां चढ़ते हुए वह पूरे बंगले को देख रही थी वाकई में शेठ मनोहर लाल कितने रईस है ये उनका बंगला देखने पर ही पता चल रहा था,,,, और यह सब देखते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि भगवान करे उसकी बेटी इस घर की बहू बन जाए तो जिंदगी भर राज करेगी,,,।
एक तरफ वह अपनी बेटी को इस घर की बहू बने के बारे में सोच रही थी वह दूसरी तरफ उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसी अफरा तफरी में उसे समझ में नहीं आया कि वेटर ने उसे दाएं जाने के लिए बोला था या बाएं,,,, पल भर के लिए बस सीढ़ियां चढ़कर वहीं खड़ी होकर दाएं बाएं देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की जाए तो जाए कहां और यहां पर कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,, जिस तरह की महफिल घर के बाहर सजी हुई थी अंदर उतना ही सन्नाटा फैला हुआ था और रमा देवी को थोड़ी घबराहट भी हो रही थी,,, क्योंकि वह पेशाब करने के लिए दूसरे के बंगले पर जो आ गई थी,,, यह स्थिति सिर्फ रमादेवी के लिए नहीं बल्कि हर एक औरत के लिए शर्मिंदगी का एहसास कराने वाला हो जाता है,,,। क्योंकि इस तरह की जगह पर जाकर पेशाब करने के लिए जगह छोड़ने वाकई में एक औरत के लिए शर्मसार कर देने वाला होता है और यही अनुभव इस समय रमादेवी महसूस कर रही थी,,,।
उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, और पेशाब की तीव्रता उन्हें परेशान कर रही थी इसलिए आखिरी निष्कर्ष पर उतरते हुए वह दाएं तरफ घूम गई,,, और आगे जाने पर उन्हें कमरे का दरवाजा खुला हुआ मिला घर में कोई मौजूद नहीं था इसका आभास रमा देवी को हो चुका था ,,, इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए वह कमरे में प्रवेश कर गई और उन्हें तुरंत सामने ही बाथरूम खुला हुआ दिखाई दिया,,,, और इस समय जिस तरह की उनकी हालत थी खुले हुए बाथरूम को देखकर उनके चेहरे पर चमक आ गई और वह तुरंत बाथरूम में प्रवेश कर गई,,,,।
उसे बड़े जोरों की लगी हुई थी वह बाथरूम में घुसते ही ,,, अपनी साड़ी कमर तक उठे और चड्डी घुटनों का खींचकर बैठ गई पेशाब करने के लिए,,, जैसे ही उसकी गुलाबी छेद से पेशाब के बाहर निकली उसे राहत महसूस होने लगी और वहीं दूसरी तरफ कमरे में मौजूद राकेश को किसी के कमरे में घुसने की आहट हुई और वह तुरंत देखने के लिए उसे जगह पर आकर और इधर देखने लगा,,, जिस कमरे में रूपलाल की बीवी पेशाब करने के लिए खुशी थी वह कमरा राकेश का ही इसलिए रूपलाल की बीवी के सैंडल की आवाज और उनको चूड़ियों की खनक कमरे में साफ सुनाई दे रही थी,,,, राकेश को लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था उसी को समझ में नहीं आ रहा था की आहट आई तो ए किसकी तभी उसे बाथरूम के अंदर से हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई दे रही थी,,।
राकेश पार्टी में जाने के लिए तैयार हो चुका था अब उसकी वहां पर जरूरत थी और वह निकलने वाला था कि कमरे में किसी की आहट आ गई थी और वह रुक गया था,,, लेकिन वह समझ गया था उसके बाथरूम से ही आवाज आ रही है,,, इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह नहीं जानता था कि कमरे के अंदर कोई औरत है और उसके बाथरूम में ही है उसे लग रहा था कि कोई और है लेकिन कौन है यह नहीं जानता इसलिए धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास भी है वहां से अभी भी बड़ी जोरों की सीटी की आवाज आ रही थी और अनुभवहीन राकेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार यह सिटी की आवाज किस चीज की,,,, इसलिए उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया,,,।
और दरवाजा खोलते ही बाथरूम के अंदर का जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उसे देख करके उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसके कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा एक तरह से उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,.। आखिर वह भी क्या कर सकता था उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत ठीक राकेश की तरह ही होती,,,,,,, नजर ही कुछ ऐसा था बाथरूम के अंदर का,,,, जिसे देखकर राकेश की सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,।
उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर एक औरत पेशाब कर रही थी,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम चमक रही थी और उसकी बुर से लगातार सिटी की आवाज आ रही थी देख कर ही राकेश समझ गया था कि वह औरत पेशाब कर रही है,,, लेकिन उसके कमरे में उसके ही बाथरूम में क्यों उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसने दरवाजा खोला था दरवाजा खुलते ही,,, रमादेवी एकदम से चौंक गई थी और चौक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी थी और जब उन्होंने देखा कि दरवाजे पर वही कपड़े की दुकान वाला लड़का है तो उसके होश उड़ गए,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आया और वह भी राकेश को ही देखने लग गई,,, कुछ पल के लिए राकेश को भी कुछ समझ में नहीं आया उसकी नजर सबसे पहले उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर ही गई थी एकदम नंगी एकदम गोरी कैसी हुई उम्र का जरा भी असर उसकी गांड पर नहीं पड़ा था गांड को देखने पर लगता ही नहीं था कि एक जवान औरत की मां है,,,, लेकिन जैसे ही वह औरत राकेश की तरफ देखने लगी तो राकेश के भी होश उड़ गए राकेश उसे औरत को पहचानने में जरा भी समय नहीं लिया हुआ पहचान गया था कि यह औरत तो वही है चेंजिंग रूम में जिसे अर्धनग्न अवस्था में देखा था,,, यह देखकर राकेश के भी होश उड़ गए उसे इस समय भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दरवाजा बंद कर दे या वहीं खड़ा रहे,,,,
Pesaab karti huyi rooplaal ki bibi or darwaje par Rakesh
राकेश दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह तुरंत अपनी संस्कारों का असर दिखाते हुए अपने हाथों से दरवाजा बंद कर दिया और वहां से हट गया अंदर पेशाब करने बैठी रमादेवी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,, उनके चेहरे पर शर्म की लालिमा छानी लगी थी वह अपनी मम्मी सो रही थी की अजब इत्तेफाक है यही लड़का चेंजिंग रूम के बाहर भी था और इस समय भी कमरे के अंदर भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार हो क्या रहा है,,, यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,।
थोड़ी देर में पेशाब करके वह खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी,, शर्म के मारे चेहरे पर उपस आए पसीने की बूंदों को पानी के छीटे मारकर अपने रुमाल से अपने चेहरे को साफ की और फिर दरवाजे के पास पहुंच गई दरवाजे को खोलने में उसे समय महसूस हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि वह लड़का यही खड़ा होगा क्योंकि उसके पैरों की आवाज ज्यादा दूर तक जाती हुई उसे सुनाई नहीं देती उसके इर्द-गिर्द ही सुनाई दे रही थी इसलिए उसे अंदाजा लगाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई कि वह लड़का कमरे में ही है लेकिन कमरे में क्या कर रहा है यह उसके लिए एक बड़ा सवाल था।
आखिरकार धीरे से वह दरवाजे को खुली और दो कदम आगे गई तो वही बाय और बड़े से बेड पर वह बैठा हुआ था रमादेवी की उस नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या चली जाए,,,, लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए बोली।
मैं माफी चाहती हूं मुझे बाथरूम युज करना पड़ा,,,
कोई बात नहीं लेकिन आप वही चेंजिंग रूम वाली लेडी होना,,,
जी हां मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा है,,,।(अपने सर को झुकाए हुए ही वह बोली)
क्योंकि वहां की तरह यहां भी आप दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी,,,, और इस गलती को जितनी जल्दी हो सके सुधार लो क्योंकि गड़बड़ हो सकती है,,,।
(राकेश के द्वारा गड़बड़ वाली बात सुनकर रमादेवी के बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,, वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह लड़का किस लिए गड़बड़ हो सकती है बोल रहा है,,, क्योंकि वह जिस तरह से पेशाब कर रही थी पैसे में कोई और लड़का उसे देखा तो वह भी बाथरुम में आ जाता है और अभद्र व्यवहार करने लगता,,,, राकेश की बात सुनकर बहुत ज्यादा कुछ बोली नहीं बस इतना ही बोली,,,)
आइंदा ख्याल रखूंगी,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई और राकेश दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर बिस्तर पर टिकाकर अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगा,, जो की बेहद खराब स्थिति से गुजर रहा था उसके पेंट के आगे वाले भाग में तंबू बना हुआ था,,,, उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड देखकर और इस पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था किसी औरत को पेशाब करते हुए जो देख रहा था इसीलिए वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,। उसे पहले से ही देर हो रही थी और अब पेट में तंबू बना हुआ था और इस हालत में वह पार्टी में जा नहीं सकता था,,, इसलिए अपने उत्तेजना पर काबू करने के लिए वह कुछ देर तक अपने बिस्तर पर ही बैठा रहा और जब उससे भी काम नहीं बना तो उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम में जाकर खुद अपने पेट में से लंड को बाहर निकाला,,, जो कुछ भी अब तक हुआ था उसके बारे में सोच कर उसका मन तो यहीं कर रहा था कि अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत कर ले,, लेकिन किसी तरह से अपने मां पर काबू करके पेशाब करने लगा,,,,।
अभी-अभी इसी बाथरूम में वह खूबसूरत औरत पेशाब करके गई थी इसके पेशाब की गंध उसके नथुनों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी,,, लेकिन इस गंध का असर उसे कमांध कर रहा था,,, वह और भी ज्यादा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिसके चलते उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा,,, और यह क्रिया करते हुए अनजाने में उसे मजा आने लगा और फिर उसे औरत को याद करके वह पूरी तरह से अपने लंड को अपने मुट्ठी में भर लिया और मुठ मारने लगा,,,।
वासना का तूफान शांत होते ही वह हाथ मुंह धोकर बाथरूम से बाहर निकला तब तक उसका मन हल्का हो चुका था और पेंट के आगे वाला भाग भी सही हो गया था और फिर वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकल गया,,,, काफी देर हो जाने की वजह से उसके पिताजी उसे लेने के लिए आ रहे थे और सीढ़ियों पर ही उनकी मुलाकात हो गई,,,।
राकेश क्या कर रहे थे बहुत देर हो रही है मेहमान इंतजार कर रहे हैं,,,
वो वो क्या है ना पापा की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या पहनु इसलिए देर हो गई,,,
तुम्हारे ऊपर तो सब कुछ जंचता है जो पहन लोगे सब अच्छा लगेगा,,,।
(और ऐसा कहते हुए अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर वह जहां पर केक रखा हुआ था वहां तक अपने बेटे को लेकर आया और सभी से मिलाते हुए बोला,,)
लेडीज एंड जैंटलमैन यह पार्टी में अपने बेटे के घर आने की खुशी में दिया हूं और वह इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर आया है,,, राकेश,,,, मेरे बेटे का नाम है राकेश,,,,।
(सेठ मनोहर लाल को इतना कहते ही तालिया बजने लगी और रमादेवी,,, यह देखकर हैरान थी कि दो-दो बार उसे अर्धनग्नवस्था में देखने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि शेठ मनोहर लाल का ही बेटा है जिसके साथ वह अपनी बेटी का विवाह तय करवाना चाहती है,,,, यह देखते ही रूपलाल की बीवी के होश उड़ने लगे थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
पार्टी पूरी होने तक रमा देवी अपनी बेटी को साथ लिए हुए सेठ मनोहर लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही,,,, पार्टी खत्म हो चुकी थी सारे मेहमान जा चुके थे शेठ मनोहर लाल भी थक कर अपने कमरे में चले गए थे,,, लेकिन राकेश की हालत खराब थी बार-बार उसकी आंखों के सामने बाथरूम वाला दृश्य नजर आ जा रहा था वाकई में बेहद कामुकता से भरा हुआ दृश्य जो था,,,, वह कभी सोचा भी नहीं था कि बाथरूम का दरवाजा खोलते ही उसे खूबसूरत औरत पेशाब करते हुए दिखाई देगी और यही सोचता हुआ वह अपने बिस्तर पर करवट बदल रहा था,,,।
सेठ मनोहर लाल की बंगले पर मेहमानों का जमावड़ा शुरू हो चुका था धीरे-धीरे करके शहर के माने जाने लोग आ रहे थे सेट मनोहर लाल दरवाजे पर ही खड़े होकर उन लोगों का स्वागत कर रहे थे,,, इसी से पता चल रहा था कि मनोहर लाल की इस शहर में कितनी इज्जत है,,, सेठ मनोहर लाल बहुत खुश नजर आ रहे थे,,,, क्योंकि उनके घर पर नामी जानी हस्तियां जो धीरे-धीरे आ रही थी जैसे-जैसे लोग आ रहे थे वैसे-वैसे उनका स्वागत किया जा रहा था और उन्हें मेहमान कच्छ में बिठाकर शरबत पिलाया जा रहा था,,,, मेहमानों में कुछ नए जोड़े भी थे जिन्हें देखकर सेठ मां और लाल अपने मन में यही सोच रहे थे कि काश उसके बेटे की भी शादी हो जाती तो उसकी भी जोड़ी बन जाती कहीं भी आते जाते तो दोनों साथ में आते जाते,,, कितना अच्छा लगता देखने में,,,।
लेकिन मनोहर लाल अपने मन में ठान लिए थे कि अपनी इस इच्छा को जरूर पूरी करके रहेंगे भले ही उनका बेटा कितना ही ना नुकुर करें,,, बाकी के नौकर मेहमान की सेवा व्यवस्था में लगे हुए थे,,, सभी नौकरों को ठीक से समझा दिया गया था कि उन्हें क्या करना है और किसी भी शिकायत का मौका किसी को भी ना मिले इसका खास ध्यान रखा गया था आखिरकार शेठ मनोहर लाल की इज्जत का सवाल था,,, पार्टी बंगले के बगीचे में ही रखी हुई थी बाकी पूरे घर को रोशनी से सजाया गया था,,,,। सड़क से गुजरा हुआ हर शख्स कुछ देर के लिए सड़क पर ही रुक जाता था और सेठ मनोहर लाल के बंगले की लालिमा को देखकर प्रसन्न हो जाता था और मन में ही सोचता था कि काश वह भी इस पार्टी का हिस्सा होता तो कितना अच्छा होता,,,।
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देखते ही देखते 10:00 बज गए थे अब किसी भी मेहमान के आने की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए सेठ मनोहर लाल दरवाजे से हटकर पार्टी में आए मेहमानों की देखरेख में लग गए थे सेठ मनोहर लाल सभी मेहमानों को खुद पूछ पूछ कर उनके मुताबिक खाने पीने की व्यवस्था कर रहे थे,,, खाने पीने की व्यवस्था तो थी ही सेठ मनोहर लाल यह भी जानते थे कि उनके कुछ मित्र पीने के भी शौकीन हैं इसलिए शराब की भी व्यवस्था की गई थी,,, सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए सेठ मनोहर लाल की आंख एक जगह टिक रही थी जब उनके परम मित्र रूप लाल उनके घर प्रवेश किए थे तब उनकी नजर एक खूबसूरत नवयुवती पर टिकी टिकी रह गई थी जो की साड़ी में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही थी उसे समय मौके की नजाकत को देखते हुए सेठ मनोहर लाल उसे लड़की के बारे में पूछ नहीं पाए थे कि वह कौन है कहां से आई है किसके साथ आई है लेकिन उन्हें अंदाजा था कि वह लड़की रूपलाल के ही साथ आई थी क्योंकि वह रूप लाल के पीछे खड़ी थी जब वह लोग पार्टी के लिए दरवाजे से प्रवेश कर रहे थे,,,।
पार्टी शुरू हो चुकी थी लोग अपने-अपने हिसाब से खाने पीने का सामान लेकर खा रहे थे,,, तभी आरती को उसके ही कॉलेज की एक सहेली मिल गई थी और वहां अपनी सहेली के साथ कपड़े लड़ाने में लग गई थी,,,।
बाप रे आरती तू तो ऐसी लग रही है कि जैसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा हो पहली बार तुझे साड़ी में देख रही हूं नहीं तो पहली बार पहचान ही नहीं पाई थी कि तू आरती,,,
क्यों मैं तुझे पहले खूबसूरत नहीं लगती थी क्या,,,.(अपने बाल की लटो को अपनी उंगली से कान के पीछे ले जाते हुए आरती बोली,,,)
नहीं नहीं ऐसी बात नहीं आती तो पहले से ही भला की खूबसूरत है लेकिन आज तो बिजली गिरा रही है पता नहीं आज तुझे देख कर कौन-कौन घायल होने वाला है,,,,
चल अब रहने भी दे,,,, वैसे तू बता तू किसके साथ आई है,,,
मम्मी पापा के साथ आई हूं,,,,
और तू,,,
मैं भी मम्मी पापा के ही साथ आई हूं,,,, लेकिन तू तो कभी पार्टी में आती जाती नहीं है फिर आज कैसे,,,
अरे यार आरती मैं तो यहां भी नहीं आना चाहती थी लेकिन मम्मी पापा जबरदस्ती लेकर आ गए,,,
वह क्यों भला,,,?
कहते हैं कि शेठ मनोहर लाल का लड़का राकेश इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर वापस आया है उसकी शादी की तैयारी होनी है,,,,(उसका इतना कहना था की आरती उसके कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ गई थी वह समझ गई थी कि उसके मम्मी पापा शादी का सोचकर ही उसे साथ में लेकर आए थे लेकिन आरती कुछ बोली नहीं बस उसकी बात सुनती रही,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) और मेरे मम्मी पापा चाहते हैं कि उसके पापा मुझे पसंद कर ले,,,।
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तो इसमें हर्ज ही क्या है,,,(बेमन से आरती औपचारिकता निभाते हुए बोली) कर लेना चाहिए ना तुझे शादी मनोहर लाल शहर के माने जाने हस्ती है,,,
अब वह चाहे जो भी हो आरती तुझे तो मालूम है कि मैं दूसरे से प्यार करती हूं वह तो मम्मी पापा के जिद के कारण यहां आ गई वरना आती भी नहीं,,, ।
चल कोई बात नहीं किस्मत में अगर लिखा होगा तो तेरी शादी तू चाहती है वही होगी और अगर नहीं तो फिर जहां होनी है वहां तो होनी ही है,,,
तो ठीक कह रही है आरती,,,,
(उसका इतना कहना था कि तभी उसकी मम्मी पापा उसे आवाज देकर अपने पास बुलाए वह लोग राकेश से उसके पिताजी से उसे मिलाना चाहते थे,,, वैसे तो आरती भी शादी के लिए तैयार नहीं वह भी अपनी मम्मी पापा के जीद के कारण ही यहां आई थी और उसे भी साफ पता चल रहा था कि यहां पर बहुत सारी लड़कियां आई थी ,, एकदम सज धज कर,,, और उन लोगों का इरादा भी यही था,,,, आरती सोच में पड़ गई की इतनी सारी लड़कियां ,, सभी मां-बाप अपनी लड़कियों की शादी राकेश के साथ कराना चाहते हैं तो जरूर कुछ बात होगी,,,,अब आरती के मन में राकेश को देखने की अभिलाषा जागने लगी,,वह देखना चाहती थी कि राकेश कैसा दिखता है कैसा लगता है,,, और वह वापस अपनी मम्मी पापा के पास जाने लगी,,,।
पार्टी में खाने-पीने के साथ-साथ शराब और शरबत का भी जुगाड़ था इसलिए कुछ लोग शराब पीकर स्पीकर पर बज रहे गाने को सुनकर झुमने लगे थे,,, महफ़िल पूरी तरह से जमने लगी थी,,, महफिल का रंग बनने लगा था,,, पार्टी में आए सभी मेहमान खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दिया गया था सिर्फ मनोहर लाल अच्छा बंदोबस्त किए थे और सभी के मुंह से उनकी तारीफ सुनने कोई मिल रही थी क्योंकि कुछ लोग तो यह कह रहे थे कि आज तक उन्होंने इस तरह की पार्टी नहीं देखी,,,,,।
सभी बड़ा सा गोलाकार आकार में और 5 मंजिला वाला केक बंगले के बगीचे के बीचो-बीच रख दिया गया था और यह केक शेठ मनोहर लाल की दुकान पर ही बनाया गया था,,, केक को देखकर मेहमान समझ गई थी केक काटने का समय आ गया है उसके बाद खाना पीना का आनंद लिया जाएगा,, अभी तक तो सिर्फ शरबत शराब और नाश्ता ही चल रहा था,,,, तभी रूप लाल अपनी बीवी से बोले,,,।
देखो भाग्यवान केक आ चुका है अब कुछ ही देर में राकेश भी आ जाएगा ,, तुम आरती को लेकर सबसे आगे खड़ी रहना,,, ताकि राकेश और उसके पिताजी की नजर आरती पर ही पड़े,,,।
मैं सब जानती हूं मुझे क्या करना है,,,,,, तुम बस शेठ मनोहर लाल के साथ रहना ,,,, लेकिन मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है मुझे जाना होगा,,,,
लेकिन जाओगी कहां,,,?(रूपलाल परेशान होते हुए बोले)
मैं वेटर से पूछ लेती हूं कुछ तो इंतजाम होगा ही,,,
ठीक है,,,
(रूपलाल की बीवी के पास पहुंच गए हो वहीं पर एक वेटर से पूछी,,,)
वॉशरूम कहां है,,,,?
जी मैडम ऊपर सीढियो से जाईएगा वहीं बाईं और पर है,,,।
थैंक,,, यू,,,,
यू वेलकम मैडम,,,,
(रास्ता बता कर बैठा अपने काम में लग गया और रूपलाल की बीवी रमा देवी,, बंगले के अंदर पहुंच गई और सीढीओ से ऊपर की तरफ जाने लगी,,,,,, यह पहली मर्तबा उसके साथ ऐसा हुआ था कि किसी पार्टी में जाने पर उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी,,, इसलिए उसे थोड़ी शर्म भी महसूस हो रही थी वह बंगले में तो आ चुकी थी और सीढ़ियां चढ़ते हुए वह पूरे बंगले को देख रही थी वाकई में शेठ मनोहर लाल कितने रईस है ये उनका बंगला देखने पर ही पता चल रहा था,,,, और यह सब देखते हुए वह अपने मन में सोच रही थी कि भगवान करे उसकी बेटी इस घर की बहू बन जाए तो जिंदगी भर राज करेगी,,,।
एक तरफ वह अपनी बेटी को इस घर की बहू बने के बारे में सोच रही थी वह दूसरी तरफ उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसी अफरा तफरी में उसे समझ में नहीं आया कि वेटर ने उसे दाएं जाने के लिए बोला था या बाएं,,,, पल भर के लिए बस सीढ़ियां चढ़कर वहीं खड़ी होकर दाएं बाएं देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था की जाए तो जाए कहां और यहां पर कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,, जिस तरह की महफिल घर के बाहर सजी हुई थी अंदर उतना ही सन्नाटा फैला हुआ था और रमा देवी को थोड़ी घबराहट भी हो रही थी,,, क्योंकि वह पेशाब करने के लिए दूसरे के बंगले पर जो आ गई थी,,, यह स्थिति सिर्फ रमादेवी के लिए नहीं बल्कि हर एक औरत के लिए शर्मिंदगी का एहसास कराने वाला हो जाता है,,,। क्योंकि इस तरह की जगह पर जाकर पेशाब करने के लिए जगह छोड़ने वाकई में एक औरत के लिए शर्मसार कर देने वाला होता है और यही अनुभव इस समय रमादेवी महसूस कर रही थी,,,।
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उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, और पेशाब की तीव्रता उन्हें परेशान कर रही थी इसलिए आखिरी निष्कर्ष पर उतरते हुए वह दाएं तरफ घूम गई,,, और आगे जाने पर उन्हें कमरे का दरवाजा खुला हुआ मिला घर में कोई मौजूद नहीं था इसका आभास रमा देवी को हो चुका था ,,, इसलिए इस मौके का फायदा उठाते हुए वह कमरे में प्रवेश कर गई और उन्हें तुरंत सामने ही बाथरूम खुला हुआ दिखाई दिया,,,, और इस समय जिस तरह की उनकी हालत थी खुले हुए बाथरूम को देखकर उनके चेहरे पर चमक आ गई और वह तुरंत बाथरूम में प्रवेश कर गई,,,,।
उसे बड़े जोरों की लगी हुई थी वह बाथरूम में घुसते ही ,,, अपनी साड़ी कमर तक उठे और चड्डी घुटनों का खींचकर बैठ गई पेशाब करने के लिए,,, जैसे ही उसकी गुलाबी छेद से पेशाब के बाहर निकली उसे राहत महसूस होने लगी और वहीं दूसरी तरफ कमरे में मौजूद राकेश को किसी के कमरे में घुसने की आहट हुई और वह तुरंत देखने के लिए उसे जगह पर आकर और इधर देखने लगा,,, जिस कमरे में रूपलाल की बीवी पेशाब करने के लिए खुशी थी वह कमरा राकेश का ही इसलिए रूपलाल की बीवी के सैंडल की आवाज और उनको चूड़ियों की खनक कमरे में साफ सुनाई दे रही थी,,,, राकेश को लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था उसी को समझ में नहीं आ रहा था की आहट आई तो ए किसकी तभी उसे बाथरूम के अंदर से हल्की-हल्की सीटी की आवाज सुनाई दे रही थी,,।
राकेश पार्टी में जाने के लिए तैयार हो चुका था अब उसकी वहां पर जरूरत थी और वह निकलने वाला था कि कमरे में किसी की आहट आ गई थी और वह रुक गया था,,, लेकिन वह समझ गया था उसके बाथरूम से ही आवाज आ रही है,,, इसलिए उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह नहीं जानता था कि कमरे के अंदर कोई औरत है और उसके बाथरूम में ही है उसे लग रहा था कि कोई और है लेकिन कौन है यह नहीं जानता इसलिए धीरे-धीरे बाथरूम के दरवाजे के पास भी है वहां से अभी भी बड़ी जोरों की सीटी की आवाज आ रही थी और अनुभवहीन राकेश समझ नहीं पा रहा था कि आखिरकार यह सिटी की आवाज किस चीज की,,,, इसलिए उसने तुरंत दरवाजा खोल दिया,,,।
और दरवाजा खोलते ही बाथरूम के अंदर का जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उसे देख करके उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसके कमरे में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा एक तरह से उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,.। आखिर वह भी क्या कर सकता था उसकी जगह कोई और होता तो उसकी भी हालत ठीक राकेश की तरह ही होती,,,,,,, नजर ही कुछ ऐसा था बाथरूम के अंदर का,,,, जिसे देखकर राकेश की सिट्टी पीट्टी गुम हो गई थी,,,।
उसके ही कमरे में उसके ही बाथरूम के अंदर एक औरत पेशाब कर रही थी,,, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम चमक रही थी और उसकी बुर से लगातार सिटी की आवाज आ रही थी देख कर ही राकेश समझ गया था कि वह औरत पेशाब कर रही है,,, लेकिन उसके कमरे में उसके ही बाथरूम में क्यों उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसने दरवाजा खोला था दरवाजा खुलते ही,,, रमादेवी एकदम से चौंक गई थी और चौक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी थी और जब उन्होंने देखा कि दरवाजे पर वही कपड़े की दुकान वाला लड़का है तो उसके होश उड़ गए,,, उसे भी कुछ समझ में नहीं आया और वह भी राकेश को ही देखने लग गई,,, कुछ पल के लिए राकेश को भी कुछ समझ में नहीं आया उसकी नजर सबसे पहले उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर ही गई थी एकदम नंगी एकदम गोरी कैसी हुई उम्र का जरा भी असर उसकी गांड पर नहीं पड़ा था गांड को देखने पर लगता ही नहीं था कि एक जवान औरत की मां है,,,, लेकिन जैसे ही वह औरत राकेश की तरफ देखने लगी तो राकेश के भी होश उड़ गए राकेश उसे औरत को पहचानने में जरा भी समय नहीं लिया हुआ पहचान गया था कि यह औरत तो वही है चेंजिंग रूम में जिसे अर्धनग्न अवस्था में देखा था,,, यह देखकर राकेश के भी होश उड़ गए उसे इस समय भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें दरवाजा बंद कर दे या वहीं खड़ा रहे,,,,
Pesaab karti huyi rooplaal ki bibi or darwaje par Rakesh
राकेश दूसरे लड़कों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह तुरंत अपनी संस्कारों का असर दिखाते हुए अपने हाथों से दरवाजा बंद कर दिया और वहां से हट गया अंदर पेशाब करने बैठी रमादेवी के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,, उनके चेहरे पर शर्म की लालिमा छानी लगी थी वह अपनी मम्मी सो रही थी की अजब इत्तेफाक है यही लड़का चेंजिंग रूम के बाहर भी था और इस समय भी कमरे के अंदर भी समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार हो क्या रहा है,,, यह लड़का यहां क्या कर रहा है,,,,।
थोड़ी देर में पेशाब करके वह खड़ी हो गई और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी,, शर्म के मारे चेहरे पर उपस आए पसीने की बूंदों को पानी के छीटे मारकर अपने रुमाल से अपने चेहरे को साफ की और फिर दरवाजे के पास पहुंच गई दरवाजे को खोलने में उसे समय महसूस हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि वह लड़का यही खड़ा होगा क्योंकि उसके पैरों की आवाज ज्यादा दूर तक जाती हुई उसे सुनाई नहीं देती उसके इर्द-गिर्द ही सुनाई दे रही थी इसलिए उसे अंदाजा लगाने में बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हुई कि वह लड़का कमरे में ही है लेकिन कमरे में क्या कर रहा है यह उसके लिए एक बड़ा सवाल था।
आखिरकार धीरे से वह दरवाजे को खुली और दो कदम आगे गई तो वही बाय और बड़े से बेड पर वह बैठा हुआ था रमादेवी की उस नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह वहीं खड़ी रहे या चली जाए,,,, लेकिन फिर भी औपचारिकता निभाते हुए बोली।
मैं माफी चाहती हूं मुझे बाथरूम युज करना पड़ा,,,
कोई बात नहीं लेकिन आप वही चेंजिंग रूम वाली लेडी होना,,,
जी हां मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा कि आखिरकार मेरे साथ यह सब क्यों हो रहा है,,,।(अपने सर को झुकाए हुए ही वह बोली)
क्योंकि वहां की तरह यहां भी आप दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी,,,, और इस गलती को जितनी जल्दी हो सके सुधार लो क्योंकि गड़बड़ हो सकती है,,,।
(राकेश के द्वारा गड़बड़ वाली बात सुनकर रमादेवी के बदन में सिहरन सी दौड़ गई,,, वह अच्छी तरह से समझ रही थी कि वह लड़का किस लिए गड़बड़ हो सकती है बोल रहा है,,, क्योंकि वह जिस तरह से पेशाब कर रही थी पैसे में कोई और लड़का उसे देखा तो वह भी बाथरुम में आ जाता है और अभद्र व्यवहार करने लगता,,,, राकेश की बात सुनकर बहुत ज्यादा कुछ बोली नहीं बस इतना ही बोली,,,)
आइंदा ख्याल रखूंगी,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर निकल गई और राकेश दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर बिस्तर पर टिकाकर अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगा,, जो की बेहद खराब स्थिति से गुजर रहा था उसके पेंट के आगे वाले भाग में तंबू बना हुआ था,,,, उसे औरत की बड़ी-बड़ी गांड देखकर और इस पेशाब करता हुआ देखकर उसका लंड खड़ा हो गया था किसी औरत को पेशाब करते हुए जो देख रहा था इसीलिए वह अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पा रहा था,,,। उसे पहले से ही देर हो रही थी और अब पेट में तंबू बना हुआ था और इस हालत में वह पार्टी में जा नहीं सकता था,,, इसलिए अपने उत्तेजना पर काबू करने के लिए वह कुछ देर तक अपने बिस्तर पर ही बैठा रहा और जब उससे भी काम नहीं बना तो उठकर खड़ा हो गया और बाथरूम में जाकर खुद अपने पेट में से लंड को बाहर निकाला,,, जो कुछ भी अब तक हुआ था उसके बारे में सोच कर उसका मन तो यहीं कर रहा था कि अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी को शांत कर ले,, लेकिन किसी तरह से अपने मां पर काबू करके पेशाब करने लगा,,,,।
अभी-अभी इसी बाथरूम में वह खूबसूरत औरत पेशाब करके गई थी इसके पेशाब की गंध उसके नथुनों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी,,, लेकिन इस गंध का असर उसे कमांध कर रहा था,,, वह और भी ज्यादा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिसके चलते उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, अब उससे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा,,, और यह क्रिया करते हुए अनजाने में उसे मजा आने लगा और फिर उसे औरत को याद करके वह पूरी तरह से अपने लंड को अपने मुट्ठी में भर लिया और मुठ मारने लगा,,,।
वासना का तूफान शांत होते ही वह हाथ मुंह धोकर बाथरूम से बाहर निकला तब तक उसका मन हल्का हो चुका था और पेंट के आगे वाला भाग भी सही हो गया था और फिर वह धीरे से अपने कमरे से बाहर निकल गया,,,, काफी देर हो जाने की वजह से उसके पिताजी उसे लेने के लिए आ रहे थे और सीढ़ियों पर ही उनकी मुलाकात हो गई,,,।
राकेश क्या कर रहे थे बहुत देर हो रही है मेहमान इंतजार कर रहे हैं,,,
वो वो क्या है ना पापा की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या पहनु इसलिए देर हो गई,,,
तुम्हारे ऊपर तो सब कुछ जंचता है जो पहन लोगे सब अच्छा लगेगा,,,।
(और ऐसा कहते हुए अपने बेटे के कंधे पर हाथ रख कर वह जहां पर केक रखा हुआ था वहां तक अपने बेटे को लेकर आया और सभी से मिलाते हुए बोला,,)
लेडीज एंड जैंटलमैन यह पार्टी में अपने बेटे के घर आने की खुशी में दिया हूं और वह इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर घर आया है,,, राकेश,,,, मेरे बेटे का नाम है राकेश,,,,।
(सेठ मनोहर लाल को इतना कहते ही तालिया बजने लगी और रमादेवी,,, यह देखकर हैरान थी कि दो-दो बार उसे अर्धनग्नवस्था में देखने वाला लड़का कोई और नहीं बल्कि शेठ मनोहर लाल का ही बेटा है जिसके साथ वह अपनी बेटी का विवाह तय करवाना चाहती है,,,, यह देखते ही रूपलाल की बीवी के होश उड़ने लगे थे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
पार्टी पूरी होने तक रमा देवी अपनी बेटी को साथ लिए हुए सेठ मनोहर लाल के इर्द-गिर्द घूमती रही,,,, पार्टी खत्म हो चुकी थी सारे मेहमान जा चुके थे शेठ मनोहर लाल भी थक कर अपने कमरे में चले गए थे,,, लेकिन राकेश की हालत खराब थी बार-बार उसकी आंखों के सामने बाथरूम वाला दृश्य नजर आ जा रहा था वाकई में बेहद कामुकता से भरा हुआ दृश्य जो था,,,, वह कभी सोचा भी नहीं था कि बाथरूम का दरवाजा खोलते ही उसे खूबसूरत औरत पेशाब करते हुए दिखाई देगी और यही सोचता हुआ वह अपने बिस्तर पर करवट बदल रहा था,,,।