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Adultery बहुरानी,,,,एक तड़प

Motaland2468

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कपड़े की दुकान में क्या हुआ था इसका जिक्र रमा देवी ना तो अपनी बेटी आरती से कर पाई थी और ना ही अपने पति रूपलाल से,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था वह रमादेवी के लिए अचंभित कर देने वाला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कपड़े की दुकान में उसके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा लेकिन इसमें गलती उसी की थी इस बारे में भी वह जानती थी इसका एहसास उसे अच्छी तरह से था जल्दबाजी में उसने चेंजिंग रूम के दरवाजे की कड़ी बंद करना भूल गई थी,,,। नहीं ब्रा और पेंटी का माप जांचने के चक्कर में वह इतना मशगूल हो गई थी कि भूल गई थी कि वह कपड़े की दुकान के चेंजिंग रूम में है वह चेंजिंग रूम को अपना ही कमरा समझ रही थी,, और इसी वजह से उससे गलती हुई थी,,,।

कड़ी बंद करने की बात भी दरवाजे पर खड़ा लड़का ही बोला था और उसके जाते ही उसे लड़के की बात मानते हुए औपचारिक रूप से रमादेवी तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी थी,,, हालांकि यह सब होने के बावजूद भी वह ब्रा और पेटी को पहनकर उसके मन को परखना नहीं भूली थी,,, राहत इस बात से थी कि उसे समय वहां पर कोई नहीं था ना तो इस बारे में किसी को पता ही चला था नहीं तो हल्ला मच जाता और बेज्जती हो जाती उस लड़के का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन,, रमादेवी शर्मिंदा हो जाती,,,।

रमा देवी का मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था,, बार-बार उनकी आंखों के सामने वही चेंजिंग रूम वाला दृश्य किसी फिल्म के सीन की तरह चल रहा था,, वह अपने मन में यह सोचकर एक तरफ शर्मिंदगी का एहसास भी कर रही थी और दूसरी तरफ ना जाने क्यों उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जिस समय दरवाजा एकाएक खुला था उसे समय वह ठीक उस लड़के के सामने थी,,, कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,, हैंगर पर ब्लाउज पेंटी दोनों लटकी हुई थी,,, वह अपने मन में यह सोचकर उत्तेजित भी हो रही थी परेशान भी हो रही थी कि उसे लड़के ने जरूर उसकी बुर को देखा होगा,, और बुर को देखकर अपने मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल लाया होगा न जाने उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,, अगर उसमें ऐसी कोई बात ना होती तो वह लड़का दरवाजा खोलते ही उसे अंदर देखकर तुरंत दरवाजा बंद कर देता लेकिन वह दरवाजा खुला रखकर उसे ही घुर रहा था,,, ऊपर से नीचे तक उसके बदन को देख रहा था और ऐसी हालत में उसने जरूर उसकी बुर को देखा होगा उसके दर्शन की होगी और उसकी बुर को देखकर ना जाने क्या सोच रहा होगा,,, यह ख्याल मन में आते ही,,, उसका ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच चला गया वह अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार के बारे में सोचने लगी जिस पर हल्के हल्के बालों लगे हुए थे 15 दिन हो गए थे उसने अपनी बुर की सफाई नहीं की थी,,, और यह उसकी आदत भी थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी वह जवानी की तरह अभी भी अपने बदन की सफाई अच्छी तरह से करती थी वह चाहे बगल के बाल हो या बुर के ऊपर के झांट के बाल,,,, समय-समय पर उसे पर क्रीम लगाकर साफ करती रहती थी,, उसका यह मानना था कि बदन की सफाई से उम्र का कोई लेना-देना नहीं होता हर औरत को अपनी बदन की सफाई रखनी चाहिए,,, लेकिन 15 दिन जैसे गुजर गए थे उसने अपनी बर पर क्रीम लगाकर उसे चिकनी नहीं की थी,,,।

और इस बात से वह परेशान थी कि,,, उस जवान लड़के ने उसकी बुर की तरफ देखा होगा,,, उसकी बुर पर बाल देखा होगा तो अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, यही सोच रहा होगा की औरतें अपनी बुर की सफाई नहीं रखती या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उसे औरत के बुर पर बाल अच्छे लगते हो,,, जो भी हो जो कुछ भी हुआ बहुत गजब हुआ,,, रूपलाल की बीवी अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोच रही थी रात की तकरीबन 10:00 बज रहे थे,,, और रूपलाल घर की छत पर टहल रहे थे,,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोच कर रूप लाल की बीवी कामांध होते जा रही थी,,, उसकी नस-नस में जवानी का रस घुलता चला जा रहा था,, चेंजिंग रूम में हुई अपनी एक गलती उसे याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि एक तरह से तो वह उस लड़के को अपनी बर के दर्शन करा ही चुकी थी लेकिन उस समय अपनी आंखों के सामने एक जवान लड़के को देखकर उसे कुछ समझ में नहीं आया और अपनी बर छुपाने के चक्कर में घूम गई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी गांड एकदम से उस लड़के के सामने आ गई थी और इस बात को तो वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड होती है सबसे पहले मर्दों का आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है,,,। और अनजाने में ही उसने अपनी गांड के दर्शन भी उसे समान लड़के को कर चुकी थी जो की पूरी तरह से अपरिचित था न जाने उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर वह क्या सोच रहा होगा,,,, यह सोचकर अपनी मन में मुस्कुराने लगी कि आज जो नजर उसे जवान लड़के देखा है अगर जुगाड़ हुआ तो ठीक करना आज हुआ जरूर अपने हाथ से हिला कर अपनी जवानी की गर्मी शांत करेगा,,,,।

इस तरह का ख्याल अपने मन में रहकर वह खुद उत्तेजित हो जा रही थी और देखते ही देखते वहां बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़कर पर को इधर-उधर खिलने लगी जिसके चलते उसकी साड़ी उसकी जामुन तक आ गई और उसकी बड़ी-बड़ी कम एकदम से बिस्तर पर छितरा गई,,, वह जानबूझकर इस तरह की अठखेलियां बिस्तर पर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति किसी भी वक्त कमरे में दाखिल हो जाएगा और उसे इस तरह से देखेगा तो जरूर उसके मन में काम भावना जागेगी और वह उसके साथ संभोग करेगा,,,।

और ऐसा ही हुआ रूप लाल जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ तो सामने बिस्तर पर अंगड़ाई लेती हुई अपनी बीवी की जवानी को देखा तो उसके भी सोए हुए अरमान जाग गए और वह तुरंत अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद अब उसके बस की बात नहीं था रूपलाल की बीवी तुरंत घुटनों के बल चलते हुए बिस्तर के एकदम किनारे आगे और उसके लंड को पड़कर धीरे से उसे मुंह में लेली जो कि अभी भी पूरी तरह से ढीला था लेकिन धीरे-धीरे उसकी कोशिश रंग लाने लगी और एक बार रूप लाल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया,,, अपने लंड को खड़ा हुआ देखकर रूपलाल खुश हुआ और अपनी बीवी से बोला,,,।

क्या बात है आरती की मम्मी आज कुछ ज्यादा ही मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,

आज तो पूछो मत बहुत मन कर रहा है लेकिन तुम ही हो कि मेरे अरमान को समझ नहीं पाते,,,,(ऐसा कहते हुए बाद तुरंत बिस्तर के किनारे अपनी बड़ी-बड़ी गांड रखकर साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी टांगों को खोल दी वह जानती थी कि अपने पति से ज्यादा देर तक बात करने का मतलब था लंड के तनाव को खत्म करना,, और फिर मौके की नजाकत को देखते हुए रूप लाल भी अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, रूपलाल की बीवी की मेहनत कुछ देर तक रंग लाई थी लेकिन रंग पूरी तरह से शबाब पर चढ़ता इससे पहले ही रूपलाल पूरी तरह से ढेर हो गया,,,।
रूपलाल की बीवी एकदम से निराश हो गई क्योंकि अभी अभी तो उसे मजा आना शुरू हुआ था,,,
लेकिन यह तो ऐसा ही हो गया कि रास्ता दिखाने के साथ ही मंजिल पर पहुंच जाना,,, सफर का मजा तो मिला ही नहीं था इसलिए मंजिल पर पहुंचने पर भी कुछ खास उत्सुकता नहीं हुई थी रूपलाल की बीवी को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी पत्नी ने बीच मझदार में ही छोड़कर किनारा कर लिया हो,,,

कुछ देर बाद पति-पत्नी दोनों करवट लेकर सो रहे थे लेकिन रूप लाल की बीवी अपनी किस्मत पर रो रही थी,,।

दूसरी तरफ राकेश की भी आंखों में नींद नहीं थी खाना खाकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा लेटा,,, कपड़े की दुकान वाली घटना के बारे में ही सोच रहा था जीवन में दूसरी बार वह उत्तेजित हुआ था पहली बार अपने दोस्त के साथ हाईवे के किनारे एक जवान लड़की के साथ शरीर संबंध बनाते समय और दूसरा कपड़े की दुकान में,,,, चेंजिंग रूम में वह भी अपना सूट पहन कर देखने के लिए ही जाने वाला था लेकिन उसे क्या मालूम था कि चेंजिंग रूम में पहले से ही एक औरत कपड़े बदल रही थी पर जाने में ही दरवाजा खोल दिया था और अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए थे वैसे तो राकेश चरित्रवान लड़का था लेकिन अपनी आंखों के सामने अर्धनग्नवस्था में औरत को देखकर उसकी भी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसे जगह से चले जाने की बजाय वह वहीं पर खड़े होकर उसे औरत की जवानी को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, चेंजिंग रूम की एक-एक घटना उसे अच्छी तरह से याद थी दरवाजा खोलते ही उसे एक औरत दिखाई दी थी जिसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह कमर के नीचे कुछ भी नहीं पहनी हुई थी उसकी मोटी मोटी केले के तनेके समान चिकनी जांघें से साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अफरा तफरी में उसने उस औरत की बुर को नहीं देख पाया था,, इस बात का मलाल उसे अभी भी हो रहा था क्योंकि वह कुछ देर तक दरवाजे पर खड़ा ही रह गया था इतने में उसे उसे औरत की बुर के दर्शन कर लेना चाहिए थी लेकिन न जाने क्यों उसे समय उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर उसकी नजर ही नहीं गई थी,,,,।

उस औरत के बारे में सोचते हुए राकेश उसकी उम्र के बारे में अर्थ गठन कर रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी उम्र लगभग 40 से 45 के बीच में ही होगी उसके बदन का कसाव बता रहा था कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार थी क्योंकि राकेश ने उसकी बड़ी-बड़ी और कई हुई गांड को अच्छी तरह से देखा था जब वह एकदम से पलट गई थी अपना एक अंगद छुपाने के चक्कर में वह अपना दूसरा कीमती अंग भी राकेश की आंखों के सामने परोस दी थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर ही राकेश का लंड खड़ा होने लगा था,,, यह पहली बार था जब किसी औरत के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, उस औरत के बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में कल्पना करने लगा था,,, और यह कल्पना उसके जीवन की लगभग पहले ही कल्पना थी जब वह किसी औरत के बारे में इतनी गहराई से सोचता होगा उसके बारे में गंदी बातें विचार कर रहा था,,,।

चेंजिंग रूम वाली औरत के बारे में सोते हुए वह धीरे से अपने पजामे को नीचे सरका कर बिस्तर पर लेटे-लेटे अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया और फिर अपनी आंखों को बंद करके सोने लगा कि वह भी चेंजिंग रूम में उसे औरत के होने के बावजूद भी अंदर घुस गया और अपने हाथों से चेंजिंग रूम का दरवाजा बंद कर दिया वह औरत की साड़ी अभी भी कमर के ऊपर तक की और नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह तुरंत उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे समय उसका ब्लाउज भी उतरा हुआ था और वह केवल ब्रा पहनी हुई थी,,,। कल्पना करते हुए राकेश अपने लंड को जोर-जोर से दबाते हुए कल्पना में उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहा था पागल हुआ जा रहा था और वह अपनी कल्पनाओं का घोड़ा इतनी तेजी से दौड़ा रहा था की कल्पना में उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से औरत पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी गांड को बार-बार उसके लंड पर मार रही थी,,,।

खड़े-खड़े कल्पना में उसे औरत की हरकत से राकेश पूरी तरह से पागल हो गया और उसकी नंगी गांड की दोनों फांकों को अपने हाथ से फैलाते हुए उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डाल दिया उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, कल्पना में भी राकेश को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पागलों की तरह अपने लंड को हीरा रहा था और देखते ही देखते कल्पना में उसे औरत की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए अपने लंड से पिचकारी फेंक दिया,,,,।

और जब वह होश में आया तो वह झड़ चुका था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बिस्तर पर बिजी हुई चादर उसकी पिचकारी से गीली हो चुकी थी वह धीरे से उठा और फिर कुछ देर तक बिस्तर पर पर लटका कर बैठे हुए आनंदित क्षण का आनंद लेने लगा,,,, और जैसे-जैसे उसके सर पर से वासना का भूत उतारने लगा हुआ होश में आने लगा उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह हस्तमैथुन किया था,,, वह अपनी मन में पछताने लगा और फिर दोबारा न करने की कसम खाकर वह चादर को हाथों में तेरी और बाथरूम में जाकर उसे धोने लगा और धोने के बाद उसे बाहर हैंगर पर टांग दिया।

दूसरे दिन उसके आने की खुशी में पार्टी थी जिसकी तैयारी तो कुछ दिनों से चली रही थी लेकिन सुबह से ही घर की सजावट में घर के नौकर लगे हुए थे वैसे तो घर पर सिर्फ एक ही नौकर थी जो सिर्फ खाना बनाती थी बाकी दुकान के सभी कारीगर जो इस समय हाथ बताने के लिए उपस्थित थे।
Mast update bhai
 

Rajizexy

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नैना देवी भले ही एक जवान लड़की की मां हो चुकी थी और सास बनने की तैयारी में थी लेकिन अभी भी उनके अंदर जवानी पूरी तरह से बरकरार थी अभी भी उनकी बुर पानी छोड़ती थी अभी भी वह मोटे तगड़े लंड के लिए तरसती थी,,, उन्हें अपने पति पर वैसे तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं था क्योंकि बरसों से वह देखते आ रही थी महसूस करती आ रही थी लेकिन फिर भी पूरी उम्मीद अपने पति से ही होती थी लेकिन हर बार नैना का पति असफल हो जाता था अपनी बीवी को ना उम्मीद कर देता था,,,, और वह तड़पती तरसती प्यासी बिस्तर पर करवट बदलते बदलती नींद की आगोश में चली जाती थी,,,।

दूसरी तरफ राकेश की आंखों की नींद गायब हो चुकी थी वह जिस लड़की से टकराया था बार-बार उसी का खूबसूरत चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था पहली बार वह किसी खूबसूरत लड़की से मिला था ऐसा उसे महसूस हो रहा था,,, अपने आप से ही बातें करते हुए कह रहा था की कितनी खूबसूरत लड़की थी मैंने आज तक किसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा टकराने के बावजूद उसकी मदद करने के बावजूद भी मैं उसका नाम तक नहीं पूछ पाया कहां रहती है भी नहीं जान पाया सब मेरा ही दोस्त है मैं भी अगर अपने दोस्तों की तरह होता तो शायद उसे लड़की का नाम पता मालूम कर लेता लेकिन न जाने क्यों शुरू से ही मुझे लड़कियों से दूरी बनाए रखना ही पसंद है लेकिन आज न जाने क्यों उसे लड़की को देखकर मेरा दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा है कितनी खूबसूरती उसकी आंखों में थी ऐसा लग रहा था कि,,, उसकी आंखों में डूब जाऊं,,,, एक अजीब सी आकर्षक खुशबू उसके बदन से आ रही थी जिसकी खुशबू में मैं पूरी तरह से डुब गया था काश वह लड़की मुझे फिर मिल जाती तो इस बार उसका नाम पता सब कुछ पूछ लेता,,,, लड़कियों के मामले में सबसे तेज आकाश था,,,,।

आकाश के बारे में सोचकर वह पुराने ख्यालों में डूब गया,,, उसे वह दिन अच्छी तरह से याद था,, जब हॉस्टल में दोनों साथ में पढ़ा करते थे और एक दिन हॉस्टल से बाहर निकल कर आकाश उसे घूमाने के बहाने,,, शहर से थोड़ी दूर हाईवे पर ले गया था जहां पर एक झुग्गी बनी हुई थी राकेश को तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह शहर से दूर इतनी दूर झोपड़ी के पास क्या करने लेकर आया,,,,।

हाईवे के किनारे आकाश और राकेश दोनों ऑटो से उतारकर थोड़ा नीचे की तरफ एक झोपड़ी के पास गए,,,।

अरे यार आकाश ये कहां लेकर आ गया तू,,,

अरे चल तो सही तुझे सब कुछ बताता हूं,,,,

हॉस्टल से निकलने के बाद से ही तु इतना ही कह रहा है चल तो सही तुझे बताता हूं और इतनी दूर आ गया,,, लेकिन अभी भी बोल रहा है अभी बताता हूं,,,
(इतना कहने के साथ ही राकेश एकदम से रुक गया था तो आकाश उसका हाथ पकड़ कर आगे ले जाते हुए बोला,,,)

चल तो सही तुझे जन्नत दिखता हूं,,,,

जन्नत यहां पर पागल हो गया क्या तू,,,,

अरे यहां पर नहीं उसे झोपड़ी के अंदर है जन्नत वह देख रहा है ना झोपड़ी,,,(हाथ के इशारे से झोपड़ी की तरफ दिखाते हुए)

हां मुझे दिख रहा है लेकिन झोपड़ी में जन्नत पागल तो नहीं हो गया तु,,,


अरे बुद्धू में सच कह रहा हूं तो चल तो सही,,,,
(ऐसा कहते हुए आकाश उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती झोपड़ी की तरफ ले जाने लगा चारों तरफ सुन सान था,,, चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ नजर आ रहे थे केवल दूर से हाईवे दिखाई दे रहा था और उस पर आती-जाती गाड़ियों का शोर नहीं दे रहा था ,,,, राकेश के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह आकाश उसे कहां ले जा रहा है,,, यही सब सोचते हुए दोनों झोपड़ी के पास पहुंच गए,,,,)

तू यही खडे रह में बुला कर लाता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही आकाश झोपड़ी के द्वार पर गया और वहां से आवाज लगाने लगा,,,)

शालिनी चाची,,,, ओ शालिनी चाची,,,,
(राकेश हैरान इस बात से की इतनी सुनसान जगह पर शहर से दूर आकाश की रिश्तेदार कहां इस झोपड़ी में रहने लगी,,,, वह हैरान था और उत्सुक था आकाश के रिश्तेदार को देखने के लिए,,,, थोड़ी देर में एक मोटी सी औरत बाहर निकली,,,,)

क्या है,,,,?

अरे चाची तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे पहचानती ही नहीं हो,,

अरे तू है मैं समझी कोईऔर है,,(अपनी अस्त व्यस्त साड़ी को ठीक करते हुए वह बोली,,,, यह देखकर राकेश एकदम से आगे बढ़ा और उस महिला के पैर छूकर बोला,,,)

प्रणाम चाची,,,,,
(राकेश कि इस हरकत पर वह महिला एकदम से हैरान हो गई,,, और उसे आशीर्वाद देने की जगह पीछे हट गई थी आकाश भी राकेश की हरकत पर एकदम हैरान था लेकिन थोड़ी ही देर में सब मामला उसे समझ में आ गया और दोनों जोर-जोर से हंसने लगे लेकिन वह दोनों किस लिए हंस रहे हैं यह राकेश के बिल्कुल भी परे था,,, वह आश्चर्य से दोनों की तरफ देखते हुए बोला,,,)

क्या हुआ,,,?
(राकेश के ईस सवाल पर आकाश हंसते हुए जवाब दिया,,,)

कुछ नहीं मुझे मालूम नहीं था कि तू इतना ज्यादा संस्कारी है,,,,
(राकेश को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था वह हैरान होकर आकाश की तरफ और उस औरत की तरफ देख रहा था,,, जो अभी भी राकेश को देखकर मुस्कुरा रही थी,,,, राकेश हैरान होकर दोनों की तरफ देख रहा था,,, वाकई में उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,,, थोड़ी ही देर में आकाश उसे औरत से बोल भाव करने लगा जो कि अभी भी राकेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह दोनों क्या बात कर रहे हैं और थोड़ी ही देर में वह औरत बोली,,,,)

देख में पहले ही बोल देता हूं झोपड़ी में जगह नहीं है तुम दोनों में से केवल एक ही झोपड़ी में जा सकता है और दूसरे को पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,

पेड़ केपीछे,,,,(आकाश हैरान होते हुए बोला,,,)

तो क्या हो गया डरने की कोई जरूरत नहीं है यहां दूर-दूर तक कोई नहीं आता जिसे पता है वही आता है समझ गया ना,,,

ठीक है मैं समझ गया,,,, मैं झोपड़ी में अंदर जाऊंगा,,,,

तो इसे पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,,
(दोनों की बातों को सुनकर राकेश हैरान था राकेश धीरे से आकाश से बोला)

मैं कुछ समझ नहीं रहा हूं पेड़ के पीछे क्या यह चाची क्या कह रही है,,,?

अरे पागल तू अभी भी नहीं समझा यह चाची तुझे जवान बनाना चाहती है,,,, जैसा वह कहेंगी वैसा ही करना ,,,, मैं झोपड़ी में जा रहा हूं,,,,।
(राकेश को समझ पाता या कुछ बोल पाता है इससे पहले ही आकाश झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया झोपड़ी में दो लड़कियां बैठी हुई थी,,, उनमें से एक मुस्कुरा कर उठकर खड़ी हुई और झोपड़ी से बाहर निकल गई वह सलवार और कमीज पहनी थी और जो अंदर बैठी थी वह जींस और शर्ट पहनी थी,,,, अंदर से खूबसूरत लड़की को बाहर निकलता हुआ देखकर राकेश उसे देखा ही रह गया सलवार कमीज में वह बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी तभी वह औरत बोली,,,)

सन्नो इसे पेड़ के पीछे ले जा,,,।

ठीक है चाची,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और राकेश की तरफ आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ ली,,,, जैसे ही उसने राकेश का हाथ पकड राकेश के बदन में हलचल सी बचाने लगी पहली बार कोई जवान लड़की उसका इस तरह से हाथ पकड़ी थी,,, वह कुछ बोल पाता या पूछ पाता इससे पहले ही वह लड़की उसका हाथ पकड़ कर झोपड़ी के पीछे घनी झाड़ियो के पास ले जाने लगी,,,, राकेश से रहा नहीं गया तो वह बोला,,,)

कहां ले जा रही हो मुझे,,,,

तुम्हें जन्नत दिखाने,,,,

जन्नत दिखाने मे कुछ समझा नहीं,,,,

वाकई में भोले हो या भोला बनने की कोशिश कर रहे हो,,,,


देखो मुझे सच में नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है मेरा दोस्त मुझे यहां लेकर आया अपनी चाची से मिलाने,,,

चाची कौन चाची,,,?

अरे वही जो झोपड़ी के बाहर खड़ी थी,,,,।

(इस बार हंसने की बारी उसे लड़की की थी और वह जोर-जोर से हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर राकेश फिर आश्चर्य में पड़ गया और बोला,,)

तुम हंस क्यों रही हो,,,!

हंसु नहीं तो और क्या करूं ,,,,


मतलब,,,,

तुम सच में भोले हो,,,, वह औरत तुम्हारे दोस्त की चाची नहीं है बल्कि धंधा करने वाली है और तुम्हारा दोस्त उसे औरत के ऊपर ना जाने कितनी बार चढ़ चुका है,,,

धंधा करने वाली,,,,(राकेश फिर से आश्चर्य से बोला)

हां चुदवाने वाली पैसा लेकर,,,,।

(उस लड़की के मुंह से इतना सुनते ही,,, राकेश एकदम से सन्न हो गया,,,, उसे सारा माजरा समझ में आ गया था और यह भी समझ में आ गया था कि जब वह उसे औरत के पैर छुए थे तब वह दोनों क्यों हंस रहे थे,,,,। देखते ही देखते वह लड़की राकेश को लेकर घनी झाड़ियों के पीछे बड़े से पेड़ के पीछे पहुंच चुकी थी,,, सारा मामला समझ में आते ही राकेश शर्म से पानी पानी हुए जा रहा था,,, कभी सपने में भी यहां आने की सोच नहीं सकता था और उसका दोस्त उसे यहां लेकर आ चुका था और उसके हिस्से में एक लड़की भी दे दिया था,,,,)

इससे पहले कभी किसी लड़की की चुदाई किया है,,,,(ऐसा कहते हुए वह लड़की जिसका नाम सन्नो था वह अपने गले में से दुपट्टा निकाल कर पेड़ की डाली पर टांग दी,,, दुपट्टा के सीने से हटते हैं इसकी भारी भरकम छातिया एकदम से उजागर होने लगी उसके बीच की पसली दरार एकदम साफ नजर आने लगी और राकेश उसकी चूचियों की पतली दरार को देखता ही रह गया,,,,)

क्या हुआ जवाब क्यों नहीं दे रहे हो पहले कभी किसी लड़की की चुदाई कीए,,, हो क्या,,,!
(उसके इस सवाल पर अभी भी राकेश उसकी चूचियों की तरफ देख रहा था जिंदगी में पहली बार कोई लड़की इतने करीब से उसे अपना बदन दिखा रही थी वह मदहोश होने लगा था,,, जब उसे लड़की को पता चला कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है तो मुस्कुराते हुए अपनी कुर्ती को दोनों हाथों से पकड़कर ऊपर उठा दि और उसे भी उतार कर पेड़ पर टांग दी,,,, अब राकेश पूरी तरह से हैरान था क्योंकि उसकी आंखों के सामने वह लड़की केवल ब्रा में खड़ी थी ब्रा में से झांकी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी राकेश पूरी तरह से मजबूत होने लगा था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी पहली बार किसी लड़की को इस अवस्था में देख रहा था,,,, वह लड़की मर्दों को रीझाना अच्छी तरह से जानती थी इसलिए जब दूसरी बार भी राकेश की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हुई उसे अपना जवाब नहीं मिला तो वह राकेश की तरफ हाथ बढ़ाकर उसके दोनों हाथ को पकड़ लिया और उसकी हथेलियां को सीधे अपनी ब्रा के ऊपर रख दी ब्रा के ऊपर रखते हैं राकेश के तो होश उड़ गई और वह डर के मारे अपने हाथों को जल्दी से पीछे की तरफ खींच लिया,,,, खेली खाई वह लड़की अच्छी तरह से समझ गई थी कि राकेश इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी था अगर उसकी जगह कोई और होता तो अब तक सन्नो उसे भगा दी होती या जल्दी से काम खत्म करके वापस आ जाती है लेकिन जिंदगी में पहली बार उसके जीवन में भी कोई सीधा-साधा जवान लड़का आया था जो इन सब चीजों से बिल्कुल अनजान था इसलिए वह मजा लेने की सोच रही थी,,,, जैसे ही हाथ पीछे की तरफ खींचा सन्नो अपने हुस्न का जलवा अपनी मादक अदा भी खेलते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले गई और अपनी ब्रा का हुक एकदम से खोल दी और ब्रा का हक खुलते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर से ब्रा की कटोरी एकदम से ढीली हो गई और संतरे के छिलके की तरह एकदम से अलग होने लगी जिसे खुद सन्नो अपने हाथों से अलग करते हुए कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो गई पहली बार जीवन में राकेश अपनी आंखों के सामने एक अर्धनग्न लड़की को देख रहा था उसकी मदद कर देने वाली चूचियों को देख रहा था,,,, डर के मारा उसका बदन कांप रहा था,,,।

सन्नो इस खेल में पुरानी खिलाड़ी थी,,, वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से राकेश के हाथ थामली और उसकी हथेलियां को अपनी नंगी चूचियों पर रखी इस बार तो मानो जैसे राकेश के बदन में करंट दौड़ रहा हो वह एकदम से गनगना गया,,,। नंगी चूचियों का स्पर्श उसकी गर्माहट उसकी नरमाहट पूरी तरह से अद्भुत और अतुलनीय था राकेश के लिए जिंदगी में पहली बार में किसी खूबसूरत लड़की की चूची को अपने हाथों में पकड़ा हुआ था,,, वह लड़की खुद राकेश की हथेलियां के ऊपर अपना हाथ रखकर अपनी चूची को दबवा रही थी और मादक भरे स्वर में बोली,,,)

इससे पहले किसी औरत से प्यार नहीं किया क्या किसी औरत को नंगी नहीं देखे क्या,,,?
(उसे लड़की की हरकत से राकेश पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था बोलने लायक उसके पास शब्द नहीं थे वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूब गया था वह शब्दों से नहीं बल्कि इशारे से अपना कर ना में हिला कर जवाब दिया,,,,)

इसका मतलब तो कभी चुदाई भी नहीं किए होगे,,,,

(इस बार भी वह नाम मे सिर हिला दिया,,,, वह लड़की मुस्कुराने लगी और बोली,,,)

कोई बात नहीं तुम मेरे पास आए हो और यह जगह तुम जैसे हो के लिए ही है जैसे स्कूल होता है ना वह सीखना है अपने कदमों पर खड़ा होना इस तरह से हम लोग का भी है स्कूल है हम लोग मर्द बनाते हैं उनका खड़ा होना सीखाते हैं मैं तुम्हें भी सिखाऊंगी,,,

(राकेश पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो रहा था पहली बार की तरह ही इस बार भी वह अपनी हथेलियां को उसकी चूचियों से वापस खींच लेना चाहता था लेकिन नंगी चूचियों का स्पर्श उसे पूरी तरह से मजबूर कर दी थी उसके दिल और दिमाग पर पूरी तरह से काबू पा चुकी थी इसलिए वह चाहकर भी अपनी हथेलियों को हटा नहीं पा रहा था,,, और मौके की नजाकत को समझते हुए लड़की अपनी हथेली को राकेश की हथेली पर से हटा दी और वह मुस्कुराने लगी क्योंकि राकेश खुद ही अपने आप से ही उसकी चूचियों को दबा रहा था,,,, अपनी चुचियों में उलझा हुआ देखकर वह लड़की अपनी हथेली को राकेश की पेंट के ऊपर देखकर उसके लंड को दबाने लगी जो की धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था लेकिन उसकी हरकत से राकेश अपनी कमर को पीछे की तरफ खींच लिया था लेकिन वह लड़की पेट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली थी अपने काबू में ले ली थी और इशारे से ही उसे ऐसा न करने के लिए कहने लगी,,, राकेश रुक गया और इस बीच उसकी हथेली उस लड़की की चूची पर से बिल्कुल भी नहीं हटी और एक लड़की के द्वारा पेट के ऊपर से अपने लंड को पकड़े जाने पर वह बेहद उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिंदगी में पहली बार वह इस तरह का अनुभव कर रहा था और देखते ही देखते वहां लड़की उसके पेट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल ली,,, राकेश हैरान था क्योंकि पहली बार हुआ इस तरह का अनुभव कर रहा था और एक लड़की को इस तरह की गंदी हरकत करते हुए देख रहा था पूरी तरह से मदहोश हो चुका राकेश भी उत्तेजित अवस्था में उस लड़की की चूची को जोर-जोर से दबाने लगा,,,)

थोड़ी ही देर में वह लड़की घुटनों के बल बैठ गई और राकेश के लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगी,, राकेश मदहोश हो जा रहा था पागल हुआ जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में उड़ रहा हो वह लड़की अगर कुछ और पैसे मिले होते तो राकेश के लंड को मुंह में लेकर चुसती लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी क्योंकि इसके पैसे अलग से नहीं मिले थे,,,,।

समय ज्यादा हो रहा था और राकेश तैयार था,,, इसलिए वह लड़की भी देर करना उचित नहीं समझी क्योंकि समय ज्यादा हो चुका था,,, वह लड़की अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और यह देखकर राकेश का दिल जोरो से धड़कने लगाक्योंकि पहली बार वह किसी लड़की को नंगी होता हुआ देखने जा रहा था उसका दिन जोरों से तड़प रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह पति आंखों से उसे लड़की की तरह देख रहा था वह लड़की राकेश की आंखों के सामने ही अपनी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को उतार कर उसी डाली पर टांग दी,,,, सन्नो उसकी आंखों के सामने केवल पेंटिं में खड़ी थी,,।

हाईवे से तकरीबन 5 मिनट की दूरी पर घनी झाड़ियों के बीच राकेश एक जवान लड़की के साथ जो कि अपने कपड़े उतार कर लगभग नंगी हो चुकी थी केवल उसके बदन पर एक छोटी सी पेंटिं ही थी और उसे उतारने से पहले वह लड़की मुस्कुराते हुए राकेश से बोली,,,

कभी किसी की बुर देखे हो,,,

और इस बार भी राकेश का जवाब ना था,,,

मतलब कि आज पहली बार सब कुछ देखने जा रहे हो और करने जा रहे हो,,,

जी,,,

तुम चिंता मत करो सब सीख जाओगे,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी पेंटिं उतार कर घनी झाड़ियां में एकदम से नंगी हो गई,,,, राकेश का दील जोरों से धड़कने लगा एक खूबसूरत नंगी लड़की को देखकर उसके होश उड़ रहे थे और लंड बेकाबू हो रहा था,,, वह लड़की अपने दोनों टांगों को खोलकर राकेश को अपनी बुर दिखा रही थी,,, राकेश उसे देख भी रहा था पहली बार हुआ किसी औरत की बुर से रूबरू हो रहा था पहली बार वह किसी बुर के भूगोल के बारे में समझ रहा था लेकिन उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,, दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर वह आश्चर्य से वस्मी भूत हो रहा था,,,, वह लड़की उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलने लगी,,, यह देखकर राकेश की हालत और ज्यादा खराब होने लगे और इस बार वह लड़की अपना हाथ आगे बढ़कर राकेश का हाथ पकड़ ली और उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी,,,,।

राकेश को उस लड़की की बुर की तपन बेहद गरम कर रही थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि,,, औरत का यह अंग इतना गर्म हो सकता है,,,, थोड़ी देर में वह लड़की राकेश के हाथ को हटाकर अपनी उंगली गुलाबी बुर के छेद में डालते हुए बोली,,,,।

देखो राजा ईसी मे अपना लंड डालना और इसी में लंड डालकर चुदाई होती है,,,,।
(उसे खूबसूरत लड़की के दिशा निर्देश को समझ कर राकेश हां में सिर हिला दिया और सन्नो अपने साथ लाए हुए कंडोम को अपने हाथों से राकेश के लंड पर चढ़ा दे,,,फिर वह लड़की राकेश की तरफ गांड करके पेड़ का सहारा लेकर झुक गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा दी और अपने हाथ को अपने दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी एक उंगली को अपने गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर करते हुए फिर से उसे बोली की ईसी में डालना है,,,, और राकेश उसके पीछे खड़ा होकर तैयार हो चुका था पहले तो वह उसे लड़की की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड को देखकर पागल होने लगा लेकिन उसे भी चोदने की इच्छा जाग चुकी थी,,, अपने लंड को पकड़कर वह धीरे से आगे बढ़ा और उसे लड़की के बेहद करीब आकर अपने लंड को पकड़े हुए उसके गुलाबी छेद में सटाने लगा लेकिन वह इस तरह से तय नहीं कर पा रहा था कि उसका गुलाबी छेद कहां पर है क्योंकि उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि उसे लड़की की गांड बड़ी थी थोड़ी देर मसक्कत करने के बाद वह लड़की समझ गई कि राकेश से नहीं हो पाएगा इसलिए वहां धीरे से अपना हाथ दोनों टांगों के पीछे से बाहर की तरफ ले गई और अपने हाथ में राकेश का लंड पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी छेद से सटा दी और बोली,,,)

अब लगा धक्का,,,,

(अपने लंड को बुर से स्पर्श होता हुआ महसूस करते ही राकेश के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसके बदन में उत्तेजना का सैलाब उठने लगा और वहां दोनों हाथों से उसे लड़की की कमर पकड़ कर अपनी कमर को जोरदार धक्का देते हुए आगे की तरफ लेकर आओ पहली बार में ही राकेश का लंडड सन्नो की बुर में समा गया,,,, सन्नो धंधे वाली लड़की थी इसलिए झेल गई थी और बड़े आराम से घुस भी गया था,,,, सन्नों के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,, थी,,,,।

पहली बार अपने लंड को बुर में डालने की खुशी राकेश के चेहरे पर साफ झलक रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था और जोर-जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया था वह लड़की जानती थी इसलिए वह राकेश को आराम से करने के लिए बोल रही थी और चेतावनी भी दे रही थी कि अगर इसी तरह से करते रहेगा तो पानी निकल जाएगा जल्दी लेकिन सर पर वासना का भूत सवार हो जाने के बाद रखे से रहा नहीं जा रहा था तो जीवन में पहली बार वह बुर पाया था,,, और आखिरकार वही हुआ जिसका डर था,,, जल्दी से राकेश का पानी निकल गया और खेल खत्म।

वह लड़की अपने कपड़े पहनते हुए मुस्कुराकर राकेश से बोली,,,,।

आते रहोगे तो जल्दी सब सीख जाओगे,,,,

(लेकिन उसे दिन के बाद से राकेश कभी भी उसे और नहीं दिया और नहीं किसी लड़की और औरत के करीब गया वह अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाए रह गया और वैसे भी वह आकाश के साथ अनजाने में गया था अगर उसे मालूम होता तो चाहता भी नहीं और आकाश को बोल भी दिया था कि मैं अब कभी भी ऐसी जगह पर नहीं जाऊंगा अपने घर से अपने पिताजी से दूर रहकर जिंदगी में पहली बार राकेश इस तरह की गलती किया था और वह भी उसकी पहली गलती उसकी आखरी गलती थी,,,,।

उसे दिन के बारे में सोच कर राकेश आज बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और अपने आप से ही कह रहा था कि अगर वह उसके दोस्त आकाश की तरह होता तो शायद उसे लड़की का आता पता सब जान जाता ,,,। लेकिन फिर भी उसे उम्मीद थी कि उसकी मुलाकात उस लड़की से जरूर होगी,,। लेकिन उसकी मुलाकात नहीं हुई ,,,पर पार्टी का दिन आगे जिसका राकेश को भी बड़ी बेसब्री से इंतजार है और उसके पिताजी को भी,,,,।
Super sexy story dear Rony
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sunoanuj

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