नैना देवी भले ही एक जवान लड़की की मां हो चुकी थी और सास बनने की तैयारी में थी लेकिन अभी भी उनके अंदर जवानी पूरी तरह से बरकरार थी अभी भी उनकी बुर पानी छोड़ती थी अभी भी वह मोटे तगड़े लंड के लिए तरसती थी,,, उन्हें अपने पति पर वैसे तो बिल्कुल भी भरोसा नहीं था क्योंकि बरसों से वह देखते आ रही थी महसूस करती आ रही थी लेकिन फिर भी पूरी उम्मीद अपने पति से ही होती थी लेकिन हर बार नैना का पति असफल हो जाता था अपनी बीवी को ना उम्मीद कर देता था,,,, और वह तड़पती तरसती प्यासी बिस्तर पर करवट बदलते बदलती नींद की आगोश में चली जाती थी,,,।
दूसरी तरफ राकेश की आंखों की नींद गायब हो चुकी थी वह जिस लड़की से टकराया था बार-बार उसी का खूबसूरत चेहरा उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था पहली बार वह किसी खूबसूरत लड़की से मिला था ऐसा उसे महसूस हो रहा था,,, अपने आप से ही बातें करते हुए कह रहा था की कितनी खूबसूरत लड़की थी मैंने आज तक किसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा टकराने के बावजूद उसकी मदद करने के बावजूद भी मैं उसका नाम तक नहीं पूछ पाया कहां रहती है भी नहीं जान पाया सब मेरा ही दोस्त है मैं भी अगर अपने दोस्तों की तरह होता तो शायद उसे लड़की का नाम पता मालूम कर लेता लेकिन न जाने क्यों शुरू से ही मुझे लड़कियों से दूरी बनाए रखना ही पसंद है लेकिन आज न जाने क्यों उसे लड़की को देखकर मेरा दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा है कितनी खूबसूरती उसकी आंखों में थी ऐसा लग रहा था कि,,, उसकी आंखों में डूब जाऊं,,,, एक अजीब सी आकर्षक खुशबू उसके बदन से आ रही थी जिसकी खुशबू में मैं पूरी तरह से डुब गया था काश वह लड़की मुझे फिर मिल जाती तो इस बार उसका नाम पता सब कुछ पूछ लेता,,,, लड़कियों के मामले में सबसे तेज आकाश था,,,,।
आकाश के बारे में सोचकर वह पुराने ख्यालों में डूब गया,,, उसे वह दिन अच्छी तरह से याद था,, जब हॉस्टल में दोनों साथ में पढ़ा करते थे और एक दिन हॉस्टल से बाहर निकल कर आकाश उसे घूमाने के बहाने,,, शहर से थोड़ी दूर हाईवे पर ले गया था जहां पर एक झुग्गी बनी हुई थी राकेश को तो कुछ समझ में नहीं आया कि यह शहर से दूर इतनी दूर झोपड़ी के पास क्या करने लेकर आया,,,,।
हाईवे के किनारे आकाश और राकेश दोनों ऑटो से उतारकर थोड़ा नीचे की तरफ एक झोपड़ी के पास गए,,,।
अरे यार आकाश ये कहां लेकर आ गया तू,,,
अरे चल तो सही तुझे सब कुछ बताता हूं,,,,
हॉस्टल से निकलने के बाद से ही तु इतना ही कह रहा है चल तो सही तुझे बताता हूं और इतनी दूर आ गया,,, लेकिन अभी भी बोल रहा है अभी बताता हूं,,,
(इतना कहने के साथ ही राकेश एकदम से रुक गया था तो आकाश उसका हाथ पकड़ कर आगे ले जाते हुए बोला,,,)
चल तो सही तुझे जन्नत दिखता हूं,,,,
जन्नत यहां पर पागल हो गया क्या तू,,,,
अरे यहां पर नहीं उसे झोपड़ी के अंदर है जन्नत वह देख रहा है ना झोपड़ी,,,(हाथ के इशारे से झोपड़ी की तरफ दिखाते हुए)
हां मुझे दिख रहा है लेकिन झोपड़ी में जन्नत पागल तो नहीं हो गया तु,,,
अरे बुद्धू में सच कह रहा हूं तो चल तो सही,,,,
(ऐसा कहते हुए आकाश उसका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती झोपड़ी की तरफ ले जाने लगा चारों तरफ सुन सान था,,, चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ नजर आ रहे थे केवल दूर से हाईवे दिखाई दे रहा था और उस पर आती-जाती गाड़ियों का शोर नहीं दे रहा था ,,,, राकेश के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह आकाश उसे कहां ले जा रहा है,,, यही सब सोचते हुए दोनों झोपड़ी के पास पहुंच गए,,,,)
तू यही खडे रह में बुला कर लाता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही आकाश झोपड़ी के द्वार पर गया और वहां से आवाज लगाने लगा,,,)
शालिनी चाची,,,, ओ शालिनी चाची,,,,
(राकेश हैरान इस बात से की इतनी सुनसान जगह पर शहर से दूर आकाश की रिश्तेदार कहां इस झोपड़ी में रहने लगी,,,, वह हैरान था और उत्सुक था आकाश के रिश्तेदार को देखने के लिए,,,, थोड़ी देर में एक मोटी सी औरत बाहर निकली,,,,)
क्या है,,,,?
अरे चाची तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे पहचानती ही नहीं हो,,
अरे तू है मैं समझी कोईऔर है,,(अपनी अस्त व्यस्त साड़ी को ठीक करते हुए वह बोली,,,, यह देखकर राकेश एकदम से आगे बढ़ा और उस महिला के पैर छूकर बोला,,,)
प्रणाम चाची,,,,,
(राकेश कि इस हरकत पर वह महिला एकदम से हैरान हो गई,,, और उसे आशीर्वाद देने की जगह पीछे हट गई थी आकाश भी राकेश की हरकत पर एकदम हैरान था लेकिन थोड़ी ही देर में सब मामला उसे समझ में आ गया और दोनों जोर-जोर से हंसने लगे लेकिन वह दोनों किस लिए हंस रहे हैं यह राकेश के बिल्कुल भी परे था,,, वह आश्चर्य से दोनों की तरफ देखते हुए बोला,,,)
क्या हुआ,,,?
(राकेश के ईस सवाल पर आकाश हंसते हुए जवाब दिया,,,)
कुछ नहीं मुझे मालूम नहीं था कि तू इतना ज्यादा संस्कारी है,,,,
(राकेश को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था वह हैरान होकर आकाश की तरफ और उस औरत की तरफ देख रहा था,,, जो अभी भी राकेश को देखकर मुस्कुरा रही थी,,,, राकेश हैरान होकर दोनों की तरफ देख रहा था,,, वाकई में उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,,, थोड़ी ही देर में आकाश उसे औरत से बोल भाव करने लगा जो कि अभी भी राकेश को समझ में नहीं आ रहा था कि वह दोनों क्या बात कर रहे हैं और थोड़ी ही देर में वह औरत बोली,,,,)
देख में पहले ही बोल देता हूं झोपड़ी में जगह नहीं है तुम दोनों में से केवल एक ही झोपड़ी में जा सकता है और दूसरे को पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,
पेड़ केपीछे,,,,(आकाश हैरान होते हुए बोला,,,)
तो क्या हो गया डरने की कोई जरूरत नहीं है यहां दूर-दूर तक कोई नहीं आता जिसे पता है वही आता है समझ गया ना,,,
ठीक है मैं समझ गया,,,, मैं झोपड़ी में अंदर जाऊंगा,,,,
तो इसे पेड़ के पीछे जाना पड़ेगा,,,,
(दोनों की बातों को सुनकर राकेश हैरान था राकेश धीरे से आकाश से बोला)
मैं कुछ समझ नहीं रहा हूं पेड़ के पीछे क्या यह चाची क्या कह रही है,,,?
अरे पागल तू अभी भी नहीं समझा यह चाची तुझे जवान बनाना चाहती है,,,, जैसा वह कहेंगी वैसा ही करना ,,,, मैं झोपड़ी में जा रहा हूं,,,,।
(राकेश को समझ पाता या कुछ बोल पाता है इससे पहले ही आकाश झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया झोपड़ी में दो लड़कियां बैठी हुई थी,,, उनमें से एक मुस्कुरा कर उठकर खड़ी हुई और झोपड़ी से बाहर निकल गई वह सलवार और कमीज पहनी थी और जो अंदर बैठी थी वह जींस और शर्ट पहनी थी,,,, अंदर से खूबसूरत लड़की को बाहर निकलता हुआ देखकर राकेश उसे देखा ही रह गया सलवार कमीज में वह बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी तभी वह औरत बोली,,,)
सन्नो इसे पेड़ के पीछे ले जा,,,।
ठीक है चाची,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली और राकेश की तरफ आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ ली,,,, जैसे ही उसने राकेश का हाथ पकड राकेश के बदन में हलचल सी बचाने लगी पहली बार कोई जवान लड़की उसका इस तरह से हाथ पकड़ी थी,,, वह कुछ बोल पाता या पूछ पाता इससे पहले ही वह लड़की उसका हाथ पकड़ कर झोपड़ी के पीछे घनी झाड़ियो के पास ले जाने लगी,,,, राकेश से रहा नहीं गया तो वह बोला,,,)
कहां ले जा रही हो मुझे,,,,
तुम्हें जन्नत दिखाने,,,,
जन्नत दिखाने मे कुछ समझा नहीं,,,,
वाकई में भोले हो या भोला बनने की कोशिश कर रहे हो,,,,
देखो मुझे सच में नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है मेरा दोस्त मुझे यहां लेकर आया अपनी चाची से मिलाने,,,
चाची कौन चाची,,,?
अरे वही जो झोपड़ी के बाहर खड़ी थी,,,,।
(इस बार हंसने की बारी उसे लड़की की थी और वह जोर-जोर से हंसने लगी उसे हंसता हुआ देखकर राकेश फिर आश्चर्य में पड़ गया और बोला,,)
तुम हंस क्यों रही हो,,,!
हंसु नहीं तो और क्या करूं ,,,,
मतलब,,,,
तुम सच में भोले हो,,,, वह औरत तुम्हारे दोस्त की चाची नहीं है बल्कि धंधा करने वाली है और तुम्हारा दोस्त उसे औरत के ऊपर ना जाने कितनी बार चढ़ चुका है,,,
धंधा करने वाली,,,,(राकेश फिर से आश्चर्य से बोला)
हां चुदवाने वाली पैसा लेकर,,,,।
(उस लड़की के मुंह से इतना सुनते ही,,, राकेश एकदम से सन्न हो गया,,,, उसे सारा माजरा समझ में आ गया था और यह भी समझ में आ गया था कि जब वह उसे औरत के पैर छुए थे तब वह दोनों क्यों हंस रहे थे,,,,। देखते ही देखते वह लड़की राकेश को लेकर घनी झाड़ियों के पीछे बड़े से पेड़ के पीछे पहुंच चुकी थी,,, सारा मामला समझ में आते ही राकेश शर्म से पानी पानी हुए जा रहा था,,, कभी सपने में भी यहां आने की सोच नहीं सकता था और उसका दोस्त उसे यहां लेकर आ चुका था और उसके हिस्से में एक लड़की भी दे दिया था,,,,)
इससे पहले कभी किसी लड़की की चुदाई किया है,,,,(ऐसा कहते हुए वह लड़की जिसका नाम सन्नो था वह अपने गले में से दुपट्टा निकाल कर पेड़ की डाली पर टांग दी,,, दुपट्टा के सीने से हटते हैं इसकी भारी भरकम छातिया एकदम से उजागर होने लगी उसके बीच की पसली दरार एकदम साफ नजर आने लगी और राकेश उसकी चूचियों की पतली दरार को देखता ही रह गया,,,,)
क्या हुआ जवाब क्यों नहीं दे रहे हो पहले कभी किसी लड़की की चुदाई कीए,,, हो क्या,,,!
(उसके इस सवाल पर अभी भी राकेश उसकी चूचियों की तरफ देख रहा था जिंदगी में पहली बार कोई लड़की इतने करीब से उसे अपना बदन दिखा रही थी वह मदहोश होने लगा था,,, जब उसे लड़की को पता चला कि वह उसकी चूचियों की तरफ देख रहा है तो मुस्कुराते हुए अपनी कुर्ती को दोनों हाथों से पकड़कर ऊपर उठा दि और उसे भी उतार कर पेड़ पर टांग दी,,,, अब राकेश पूरी तरह से हैरान था क्योंकि उसकी आंखों के सामने वह लड़की केवल ब्रा में खड़ी थी ब्रा में से झांकी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्रा को फाड़ कर बाहर आने के लिए आतुर नजर आ रही थी राकेश पूरी तरह से मजबूत होने लगा था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी पहली बार किसी लड़की को इस अवस्था में देख रहा था,,,, वह लड़की मर्दों को रीझाना अच्छी तरह से जानती थी इसलिए जब दूसरी बार भी राकेश की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हुई उसे अपना जवाब नहीं मिला तो वह राकेश की तरफ हाथ बढ़ाकर उसके दोनों हाथ को पकड़ लिया और उसकी हथेलियां को सीधे अपनी ब्रा के ऊपर रख दी ब्रा के ऊपर रखते हैं राकेश के तो होश उड़ गई और वह डर के मारे अपने हाथों को जल्दी से पीछे की तरफ खींच लिया,,,, खेली खाई वह लड़की अच्छी तरह से समझ गई थी कि राकेश इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी था अगर उसकी जगह कोई और होता तो अब तक सन्नो उसे भगा दी होती या जल्दी से काम खत्म करके वापस आ जाती है लेकिन जिंदगी में पहली बार उसके जीवन में भी कोई सीधा-साधा जवान लड़का आया था जो इन सब चीजों से बिल्कुल अनजान था इसलिए वह मजा लेने की सोच रही थी,,,, जैसे ही हाथ पीछे की तरफ खींचा सन्नो अपने हुस्न का जलवा अपनी मादक अदा भी खेलते हुए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले गई और अपनी ब्रा का हुक एकदम से खोल दी और ब्रा का हक खुलते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर से ब्रा की कटोरी एकदम से ढीली हो गई और संतरे के छिलके की तरह एकदम से अलग होने लगी जिसे खुद सन्नो अपने हाथों से अलग करते हुए कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो गई पहली बार जीवन में राकेश अपनी आंखों के सामने एक अर्धनग्न लड़की को देख रहा था उसकी मदद कर देने वाली चूचियों को देख रहा था,,,, डर के मारा उसका बदन कांप रहा था,,,।
सन्नो इस खेल में पुरानी खिलाड़ी थी,,, वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से राकेश के हाथ थामली और उसकी हथेलियां को अपनी नंगी चूचियों पर रखी इस बार तो मानो जैसे राकेश के बदन में करंट दौड़ रहा हो वह एकदम से गनगना गया,,,। नंगी चूचियों का स्पर्श उसकी गर्माहट उसकी नरमाहट पूरी तरह से अद्भुत और अतुलनीय था राकेश के लिए जिंदगी में पहली बार में किसी खूबसूरत लड़की की चूची को अपने हाथों में पकड़ा हुआ था,,, वह लड़की खुद राकेश की हथेलियां के ऊपर अपना हाथ रखकर अपनी चूची को दबवा रही थी और मादक भरे स्वर में बोली,,,)
इससे पहले किसी औरत से प्यार नहीं किया क्या किसी औरत को नंगी नहीं देखे क्या,,,?
(उसे लड़की की हरकत से राकेश पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था बोलने लायक उसके पास शब्द नहीं थे वह पूरी तरह से मदहोशी के सागर में डूब गया था वह शब्दों से नहीं बल्कि इशारे से अपना कर ना में हिला कर जवाब दिया,,,,)
इसका मतलब तो कभी चुदाई भी नहीं किए होगे,,,,
(इस बार भी वह नाम मे सिर हिला दिया,,,, वह लड़की मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
कोई बात नहीं तुम मेरे पास आए हो और यह जगह तुम जैसे हो के लिए ही है जैसे स्कूल होता है ना वह सीखना है अपने कदमों पर खड़ा होना इस तरह से हम लोग का भी है स्कूल है हम लोग मर्द बनाते हैं उनका खड़ा होना सीखाते हैं मैं तुम्हें भी सिखाऊंगी,,,
(राकेश पहली बार किसी औरत के मुंह से इस तरह की बातें सुन रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो रहा था पहली बार की तरह ही इस बार भी वह अपनी हथेलियां को उसकी चूचियों से वापस खींच लेना चाहता था लेकिन नंगी चूचियों का स्पर्श उसे पूरी तरह से मजबूर कर दी थी उसके दिल और दिमाग पर पूरी तरह से काबू पा चुकी थी इसलिए वह चाहकर भी अपनी हथेलियों को हटा नहीं पा रहा था,,, और मौके की नजाकत को समझते हुए लड़की अपनी हथेली को राकेश की हथेली पर से हटा दी और वह मुस्कुराने लगी क्योंकि राकेश खुद ही अपने आप से ही उसकी चूचियों को दबा रहा था,,,, अपनी चुचियों में उलझा हुआ देखकर वह लड़की अपनी हथेली को राकेश की पेंट के ऊपर देखकर उसके लंड को दबाने लगी जो की धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था लेकिन उसकी हरकत से राकेश अपनी कमर को पीछे की तरफ खींच लिया था लेकिन वह लड़की पेट के ऊपर से ही उसके लंड को पकड़ ली थी अपने काबू में ले ली थी और इशारे से ही उसे ऐसा न करने के लिए कहने लगी,,, राकेश रुक गया और इस बीच उसकी हथेली उस लड़की की चूची पर से बिल्कुल भी नहीं हटी और एक लड़की के द्वारा पेट के ऊपर से अपने लंड को पकड़े जाने पर वह बेहद उत्तेजना का अनुभव करने लगा जिंदगी में पहली बार वह इस तरह का अनुभव कर रहा था और देखते ही देखते वहां लड़की उसके पेट की बटन खोलकर लंड को बाहर निकाल ली,,, राकेश हैरान था क्योंकि पहली बार हुआ इस तरह का अनुभव कर रहा था और एक लड़की को इस तरह की गंदी हरकत करते हुए देख रहा था पूरी तरह से मदहोश हो चुका राकेश भी उत्तेजित अवस्था में उस लड़की की चूची को जोर-जोर से दबाने लगा,,,)
थोड़ी ही देर में वह लड़की घुटनों के बल बैठ गई और राकेश के लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगी,, राकेश मदहोश हो जा रहा था पागल हुआ जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में उड़ रहा हो वह लड़की अगर कुछ और पैसे मिले होते तो राकेश के लंड को मुंह में लेकर चुसती लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी क्योंकि इसके पैसे अलग से नहीं मिले थे,,,,।
समय ज्यादा हो रहा था और राकेश तैयार था,,, इसलिए वह लड़की भी देर करना उचित नहीं समझी क्योंकि समय ज्यादा हो चुका था,,, वह लड़की अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और यह देखकर राकेश का दिल जोरो से धड़कने लगाक्योंकि पहली बार वह किसी लड़की को नंगी होता हुआ देखने जा रहा था उसका दिन जोरों से तड़प रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह पति आंखों से उसे लड़की की तरह देख रहा था वह लड़की राकेश की आंखों के सामने ही अपनी सलवार की डोरी खोलकर सलवार को उतार कर उसी डाली पर टांग दी,,,, सन्नो उसकी आंखों के सामने केवल पेंटिं में खड़ी थी,,।
हाईवे से तकरीबन 5 मिनट की दूरी पर घनी झाड़ियों के बीच राकेश एक जवान लड़की के साथ जो कि अपने कपड़े उतार कर लगभग नंगी हो चुकी थी केवल उसके बदन पर एक छोटी सी पेंटिं ही थी और उसे उतारने से पहले वह लड़की मुस्कुराते हुए राकेश से बोली,,,
कभी किसी की बुर देखे हो,,,
और इस बार भी राकेश का जवाब ना था,,,
मतलब कि आज पहली बार सब कुछ देखने जा रहे हो और करने जा रहे हो,,,
जी,,,
तुम चिंता मत करो सब सीख जाओगे,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी पेंटिं उतार कर घनी झाड़ियां में एकदम से नंगी हो गई,,,, राकेश का दील जोरों से धड़कने लगा एक खूबसूरत नंगी लड़की को देखकर उसके होश उड़ रहे थे और लंड बेकाबू हो रहा था,,, वह लड़की अपने दोनों टांगों को खोलकर राकेश को अपनी बुर दिखा रही थी,,, राकेश उसे देख भी रहा था पहली बार हुआ किसी औरत की बुर से रूबरू हो रहा था पहली बार वह किसी बुर के भूगोल के बारे में समझ रहा था लेकिन उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,, दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर वह आश्चर्य से वस्मी भूत हो रहा था,,,, वह लड़की उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर हल्के से मसलने लगी,,, यह देखकर राकेश की हालत और ज्यादा खराब होने लगे और इस बार वह लड़की अपना हाथ आगे बढ़कर राकेश का हाथ पकड़ ली और उसकी हथेली को अपनी बुर पर रख दी,,,,।
राकेश को उस लड़की की बुर की तपन बेहद गरम कर रही थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि,,, औरत का यह अंग इतना गर्म हो सकता है,,,, थोड़ी देर में वह लड़की राकेश के हाथ को हटाकर अपनी उंगली गुलाबी बुर के छेद में डालते हुए बोली,,,,।
देखो राजा ईसी मे अपना लंड डालना और इसी में लंड डालकर चुदाई होती है,,,,।
(उसे खूबसूरत लड़की के दिशा निर्देश को समझ कर राकेश हां में सिर हिला दिया और सन्नो अपने साथ लाए हुए कंडोम को अपने हाथों से राकेश के लंड पर चढ़ा दे,,,फिर वह लड़की राकेश की तरफ गांड करके पेड़ का सहारा लेकर झुक गई और अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा दी और अपने हाथ को अपने दोनों टांगों के बीच लाकर अपनी एक उंगली को अपने गुलाबी छेद में डालकर अंदर बाहर करते हुए फिर से उसे बोली की ईसी में डालना है,,,, और राकेश उसके पीछे खड़ा होकर तैयार हो चुका था पहले तो वह उसे लड़की की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड को देखकर पागल होने लगा लेकिन उसे भी चोदने की इच्छा जाग चुकी थी,,, अपने लंड को पकड़कर वह धीरे से आगे बढ़ा और उसे लड़की के बेहद करीब आकर अपने लंड को पकड़े हुए उसके गुलाबी छेद में सटाने लगा लेकिन वह इस तरह से तय नहीं कर पा रहा था कि उसका गुलाबी छेद कहां पर है क्योंकि उसे ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था क्योंकि उसे लड़की की गांड बड़ी थी थोड़ी देर मसक्कत करने के बाद वह लड़की समझ गई कि राकेश से नहीं हो पाएगा इसलिए वहां धीरे से अपना हाथ दोनों टांगों के पीछे से बाहर की तरफ ले गई और अपने हाथ में राकेश का लंड पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपने गुलाबी छेद से सटा दी और बोली,,,)
अब लगा धक्का,,,,
(अपने लंड को बुर से स्पर्श होता हुआ महसूस करते ही राकेश के दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसके बदन में उत्तेजना का सैलाब उठने लगा और वहां दोनों हाथों से उसे लड़की की कमर पकड़ कर अपनी कमर को जोरदार धक्का देते हुए आगे की तरफ लेकर आओ पहली बार में ही राकेश का लंडड सन्नो की बुर में समा गया,,,, सन्नो धंधे वाली लड़की थी इसलिए झेल गई थी और बड़े आराम से घुस भी गया था,,,, सन्नों के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई,, थी,,,,।
पहली बार अपने लंड को बुर में डालने की खुशी राकेश के चेहरे पर साफ झलक रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था और जोर-जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया था वह लड़की जानती थी इसलिए वह राकेश को आराम से करने के लिए बोल रही थी और चेतावनी भी दे रही थी कि अगर इसी तरह से करते रहेगा तो पानी निकल जाएगा जल्दी लेकिन सर पर वासना का भूत सवार हो जाने के बाद रखे से रहा नहीं जा रहा था तो जीवन में पहली बार वह बुर पाया था,,, और आखिरकार वही हुआ जिसका डर था,,, जल्दी से राकेश का पानी निकल गया और खेल खत्म।
वह लड़की अपने कपड़े पहनते हुए मुस्कुराकर राकेश से बोली,,,,।
आते रहोगे तो जल्दी सब सीख जाओगे,,,,
(लेकिन उसे दिन के बाद से राकेश कभी भी उसे और नहीं दिया और नहीं किसी लड़की और औरत के करीब गया वह अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगाए रह गया और वैसे भी वह आकाश के साथ अनजाने में गया था अगर उसे मालूम होता तो चाहता भी नहीं और आकाश को बोल भी दिया था कि मैं अब कभी भी ऐसी जगह पर नहीं जाऊंगा अपने घर से अपने पिताजी से दूर रहकर जिंदगी में पहली बार राकेश इस तरह की गलती किया था और वह भी उसकी पहली गलती उसकी आखरी गलती थी,,,,।
उसे दिन के बारे में सोच कर राकेश आज बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और अपने आप से ही कह रहा था कि अगर वह उसके दोस्त आकाश की तरह होता तो शायद उसे लड़की का आता पता सब जान जाता ,,,। लेकिन फिर भी उसे उम्मीद थी कि उसकी मुलाकात उस लड़की से जरूर होगी,,। लेकिन उसकी मुलाकात नहीं हुई ,,,पर पार्टी का दिन आगे जिसका राकेश को भी बड़ी बेसब्री से इंतजार है और उसके पिताजी को भी,,,,।