Bhut shandaar update
बहुत ही सुंदर कहानी का प्लॉटकपड़े की दुकान में क्या हुआ था इसका जिक्र रमा देवी ना तो अपनी बेटी आरती से कर पाई थी और ना ही अपने पति रूपलाल से,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था वह रमादेवी के लिए अचंभित कर देने वाला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कपड़े की दुकान में उसके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा लेकिन इसमें गलती उसी की थी इस बारे में भी वह जानती थी इसका एहसास उसे अच्छी तरह से था जल्दबाजी में उसने चेंजिंग रूम के दरवाजे की कड़ी बंद करना भूल गई थी,,,। नहीं ब्रा और पेंटी का माप जांचने के चक्कर में वह इतना मशगूल हो गई थी कि भूल गई थी कि वह कपड़े की दुकान के चेंजिंग रूम में है वह चेंजिंग रूम को अपना ही कमरा समझ रही थी,, और इसी वजह से उससे गलती हुई थी,,,।
कड़ी बंद करने की बात भी दरवाजे पर खड़ा लड़का ही बोला था और उसके जाते ही उसे लड़के की बात मानते हुए औपचारिक रूप से रमादेवी तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी थी,,, हालांकि यह सब होने के बावजूद भी वह ब्रा और पेटी को पहनकर उसके मन को परखना नहीं भूली थी,,, राहत इस बात से थी कि उसे समय वहां पर कोई नहीं था ना तो इस बारे में किसी को पता ही चला था नहीं तो हल्ला मच जाता और बेज्जती हो जाती उस लड़के का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन,, रमादेवी शर्मिंदा हो जाती,,,।
रमा देवी का मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था,, बार-बार उनकी आंखों के सामने वही चेंजिंग रूम वाला दृश्य किसी फिल्म के सीन की तरह चल रहा था,, वह अपने मन में यह सोचकर एक तरफ शर्मिंदगी का एहसास भी कर रही थी और दूसरी तरफ ना जाने क्यों उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जिस समय दरवाजा एकाएक खुला था उसे समय वह ठीक उस लड़के के सामने थी,,, कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,, हैंगर पर ब्लाउज पेंटी दोनों लटकी हुई थी,,, वह अपने मन में यह सोचकर उत्तेजित भी हो रही थी परेशान भी हो रही थी कि उसे लड़के ने जरूर उसकी बुर को देखा होगा,, और बुर को देखकर अपने मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल लाया होगा न जाने उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,, अगर उसमें ऐसी कोई बात ना होती तो वह लड़का दरवाजा खोलते ही उसे अंदर देखकर तुरंत दरवाजा बंद कर देता लेकिन वह दरवाजा खुला रखकर उसे ही घुर रहा था,,, ऊपर से नीचे तक उसके बदन को देख रहा था और ऐसी हालत में उसने जरूर उसकी बुर को देखा होगा उसके दर्शन की होगी और उसकी बुर को देखकर ना जाने क्या सोच रहा होगा,,, यह ख्याल मन में आते ही,,, उसका ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच चला गया वह अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार के बारे में सोचने लगी जिस पर हल्के हल्के बालों लगे हुए थे 15 दिन हो गए थे उसने अपनी बुर की सफाई नहीं की थी,,, और यह उसकी आदत भी थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी वह जवानी की तरह अभी भी अपने बदन की सफाई अच्छी तरह से करती थी वह चाहे बगल के बाल हो या बुर के ऊपर के झांट के बाल,,,, समय-समय पर उसे पर क्रीम लगाकर साफ करती रहती थी,, उसका यह मानना था कि बदन की सफाई से उम्र का कोई लेना-देना नहीं होता हर औरत को अपनी बदन की सफाई रखनी चाहिए,,, लेकिन 15 दिन जैसे गुजर गए थे उसने अपनी बर पर क्रीम लगाकर उसे चिकनी नहीं की थी,,,।
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और इस बात से वह परेशान थी कि,,, उस जवान लड़के ने उसकी बुर की तरफ देखा होगा,,, उसकी बुर पर बाल देखा होगा तो अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, यही सोच रहा होगा की औरतें अपनी बुर की सफाई नहीं रखती या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उसे औरत के बुर पर बाल अच्छे लगते हो,,, जो भी हो जो कुछ भी हुआ बहुत गजब हुआ,,, रूपलाल की बीवी अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोच रही थी रात की तकरीबन 10:00 बज रहे थे,,, और रूपलाल घर की छत पर टहल रहे थे,,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोच कर रूप लाल की बीवी कामांध होते जा रही थी,,, उसकी नस-नस में जवानी का रस घुलता चला जा रहा था,, चेंजिंग रूम में हुई अपनी एक गलती उसे याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि एक तरह से तो वह उस लड़के को अपनी बर के दर्शन करा ही चुकी थी लेकिन उस समय अपनी आंखों के सामने एक जवान लड़के को देखकर उसे कुछ समझ में नहीं आया और अपनी बर छुपाने के चक्कर में घूम गई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी गांड एकदम से उस लड़के के सामने आ गई थी और इस बात को तो वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड होती है सबसे पहले मर्दों का आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है,,,। और अनजाने में ही उसने अपनी गांड के दर्शन भी उसे समान लड़के को कर चुकी थी जो की पूरी तरह से अपरिचित था न जाने उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर वह क्या सोच रहा होगा,,,, यह सोचकर अपनी मन में मुस्कुराने लगी कि आज जो नजर उसे जवान लड़के देखा है अगर जुगाड़ हुआ तो ठीक करना आज हुआ जरूर अपने हाथ से हिला कर अपनी जवानी की गर्मी शांत करेगा,,,,।
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इस तरह का ख्याल अपने मन में रहकर वह खुद उत्तेजित हो जा रही थी और देखते ही देखते वहां बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़कर पर को इधर-उधर खिलने लगी जिसके चलते उसकी साड़ी उसकी जामुन तक आ गई और उसकी बड़ी-बड़ी कम एकदम से बिस्तर पर छितरा गई,,, वह जानबूझकर इस तरह की अठखेलियां बिस्तर पर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति किसी भी वक्त कमरे में दाखिल हो जाएगा और उसे इस तरह से देखेगा तो जरूर उसके मन में काम भावना जागेगी और वह उसके साथ संभोग करेगा,,,।
और ऐसा ही हुआ रूप लाल जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ तो सामने बिस्तर पर अंगड़ाई लेती हुई अपनी बीवी की जवानी को देखा तो उसके भी सोए हुए अरमान जाग गए और वह तुरंत अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद अब उसके बस की बात नहीं था रूपलाल की बीवी तुरंत घुटनों के बल चलते हुए बिस्तर के एकदम किनारे आगे और उसके लंड को पड़कर धीरे से उसे मुंह में लेली जो कि अभी भी पूरी तरह से ढीला था लेकिन धीरे-धीरे उसकी कोशिश रंग लाने लगी और एक बार रूप लाल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया,,, अपने लंड को खड़ा हुआ देखकर रूपलाल खुश हुआ और अपनी बीवी से बोला,,,।
क्या बात है आरती की मम्मी आज कुछ ज्यादा ही मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,
आज तो पूछो मत बहुत मन कर रहा है लेकिन तुम ही हो कि मेरे अरमान को समझ नहीं पाते,,,,(ऐसा कहते हुए बाद तुरंत बिस्तर के किनारे अपनी बड़ी-बड़ी गांड रखकर साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी टांगों को खोल दी वह जानती थी कि अपने पति से ज्यादा देर तक बात करने का मतलब था लंड के तनाव को खत्म करना,, और फिर मौके की नजाकत को देखते हुए रूप लाल भी अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, रूपलाल की बीवी की मेहनत कुछ देर तक रंग लाई थी लेकिन रंग पूरी तरह से शबाब पर चढ़ता इससे पहले ही रूपलाल पूरी तरह से ढेर हो गया,,,।
रूपलाल की बीवी एकदम से निराश हो गई क्योंकि अभी अभी तो उसे मजा आना शुरू हुआ था,,,
लेकिन यह तो ऐसा ही हो गया कि रास्ता दिखाने के साथ ही मंजिल पर पहुंच जाना,,, सफर का मजा तो मिला ही नहीं था इसलिए मंजिल पर पहुंचने पर भी कुछ खास उत्सुकता नहीं हुई थी रूपलाल की बीवी को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी पत्नी ने बीच मझदार में ही छोड़कर किनारा कर लिया हो,,,
कुछ देर बाद पति-पत्नी दोनों करवट लेकर सो रहे थे लेकिन रूप लाल की बीवी अपनी किस्मत पर रो रही थी,,।
दूसरी तरफ राकेश की भी आंखों में नींद नहीं थी खाना खाकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा लेटा,,, कपड़े की दुकान वाली घटना के बारे में ही सोच रहा था जीवन में दूसरी बार वह उत्तेजित हुआ था पहली बार अपने दोस्त के साथ हाईवे के किनारे एक जवान लड़की के साथ शरीर संबंध बनाते समय और दूसरा कपड़े की दुकान में,,,, चेंजिंग रूम में वह भी अपना सूट पहन कर देखने के लिए ही जाने वाला था लेकिन उसे क्या मालूम था कि चेंजिंग रूम में पहले से ही एक औरत कपड़े बदल रही थी पर जाने में ही दरवाजा खोल दिया था और अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए थे वैसे तो राकेश चरित्रवान लड़का था लेकिन अपनी आंखों के सामने अर्धनग्नवस्था में औरत को देखकर उसकी भी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसे जगह से चले जाने की बजाय वह वहीं पर खड़े होकर उसे औरत की जवानी को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, चेंजिंग रूम की एक-एक घटना उसे अच्छी तरह से याद थी दरवाजा खोलते ही उसे एक औरत दिखाई दी थी जिसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह कमर के नीचे कुछ भी नहीं पहनी हुई थी उसकी मोटी मोटी केले के तनेके समान चिकनी जांघें से साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अफरा तफरी में उसने उस औरत की बुर को नहीं देख पाया था,, इस बात का मलाल उसे अभी भी हो रहा था क्योंकि वह कुछ देर तक दरवाजे पर खड़ा ही रह गया था इतने में उसे उसे औरत की बुर के दर्शन कर लेना चाहिए थी लेकिन न जाने क्यों उसे समय उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर उसकी नजर ही नहीं गई थी,,,,।
उस औरत के बारे में सोचते हुए राकेश उसकी उम्र के बारे में अर्थ गठन कर रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी उम्र लगभग 40 से 45 के बीच में ही होगी उसके बदन का कसाव बता रहा था कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार थी क्योंकि राकेश ने उसकी बड़ी-बड़ी और कई हुई गांड को अच्छी तरह से देखा था जब वह एकदम से पलट गई थी अपना एक अंगद छुपाने के चक्कर में वह अपना दूसरा कीमती अंग भी राकेश की आंखों के सामने परोस दी थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर ही राकेश का लंड खड़ा होने लगा था,,, यह पहली बार था जब किसी औरत के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, उस औरत के बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में कल्पना करने लगा था,,, और यह कल्पना उसके जीवन की लगभग पहले ही कल्पना थी जब वह किसी औरत के बारे में इतनी गहराई से सोचता होगा उसके बारे में गंदी बातें विचार कर रहा था,,,।
चेंजिंग रूम वाली औरत के बारे में सोते हुए वह धीरे से अपने पजामे को नीचे सरका कर बिस्तर पर लेटे-लेटे अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया और फिर अपनी आंखों को बंद करके सोने लगा कि वह भी चेंजिंग रूम में उसे औरत के होने के बावजूद भी अंदर घुस गया और अपने हाथों से चेंजिंग रूम का दरवाजा बंद कर दिया वह औरत की साड़ी अभी भी कमर के ऊपर तक की और नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह तुरंत उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे समय उसका ब्लाउज भी उतरा हुआ था और वह केवल ब्रा पहनी हुई थी,,,। कल्पना करते हुए राकेश अपने लंड को जोर-जोर से दबाते हुए कल्पना में उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहा था पागल हुआ जा रहा था और वह अपनी कल्पनाओं का घोड़ा इतनी तेजी से दौड़ा रहा था की कल्पना में उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से औरत पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी गांड को बार-बार उसके लंड पर मार रही थी,,,।
Rakesh ki kalnpA
खड़े-खड़े कल्पना में उसे औरत की हरकत से राकेश पूरी तरह से पागल हो गया और उसकी नंगी गांड की दोनों फांकों को अपने हाथ से फैलाते हुए उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डाल दिया उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, कल्पना में भी राकेश को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पागलों की तरह अपने लंड को हीरा रहा था और देखते ही देखते कल्पना में उसे औरत की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए अपने लंड से पिचकारी फेंक दिया,,,,।
और जब वह होश में आया तो वह झड़ चुका था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बिस्तर पर बिजी हुई चादर उसकी पिचकारी से गीली हो चुकी थी वह धीरे से उठा और फिर कुछ देर तक बिस्तर पर पर लटका कर बैठे हुए आनंदित क्षण का आनंद लेने लगा,,,, और जैसे-जैसे उसके सर पर से वासना का भूत उतारने लगा हुआ होश में आने लगा उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह हस्तमैथुन किया था,,, वह अपनी मन में पछताने लगा और फिर दोबारा न करने की कसम खाकर वह चादर को हाथों में तेरी और बाथरूम में जाकर उसे धोने लगा और धोने के बाद उसे बाहर हैंगर पर टांग दिया।
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दूसरे दिन उसके आने की खुशी में पार्टी थी जिसकी तैयारी तो कुछ दिनों से चली रही थी लेकिन सुबह से ही घर की सजावट में घर के नौकर लगे हुए थे वैसे तो घर पर सिर्फ एक ही नौकर थी जो सिर्फ खाना बनाती थी बाकी दुकान के सभी कारीगर जो इस समय हाथ बताने के लिए उपस्थित थे।
आज ही कहानी देखी और अब तक के सारे अपडेट एक बार में पढ़ डाले
रोनी भई तुम्हारी लेखनी वैसे भी ग़ज़ब ही है
लिखते रहिए
पर जरा अपडेट थोड़ा जल्दी जल्दी दीजिए