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Adultery बहुरानी,,,,एक तड़प

Bittoo

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Bhut shandaar update
कपड़े की दुकान में क्या हुआ था इसका जिक्र रमा देवी ना तो अपनी बेटी आरती से कर पाई थी और ना ही अपने पति रूपलाल से,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था वह रमादेवी के लिए अचंभित कर देने वाला था,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कपड़े की दुकान में उसके साथ ऐसा कुछ हो जाएगा लेकिन इसमें गलती उसी की थी इस बारे में भी वह जानती थी इसका एहसास उसे अच्छी तरह से था जल्दबाजी में उसने चेंजिंग रूम के दरवाजे की कड़ी बंद करना भूल गई थी,,,। नहीं ब्रा और पेंटी का माप जांचने के चक्कर में वह इतना मशगूल हो गई थी कि भूल गई थी कि वह कपड़े की दुकान के चेंजिंग रूम में है वह चेंजिंग रूम को अपना ही कमरा समझ रही थी,, और इसी वजह से उससे गलती हुई थी,,,।

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कड़ी बंद करने की बात भी दरवाजे पर खड़ा लड़का ही बोला था और उसके जाते ही उसे लड़के की बात मानते हुए औपचारिक रूप से रमादेवी तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दी थी,,, हालांकि यह सब होने के बावजूद भी वह ब्रा और पेटी को पहनकर उसके मन को परखना नहीं भूली थी,,, राहत इस बात से थी कि उसे समय वहां पर कोई नहीं था ना तो इस बारे में किसी को पता ही चला था नहीं तो हल्ला मच जाता और बेज्जती हो जाती उस लड़के का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन,, रमादेवी शर्मिंदा हो जाती,,,।

रमा देवी का मन आज किसी काम में नहीं लग रहा था,, बार-बार उनकी आंखों के सामने वही चेंजिंग रूम वाला दृश्य किसी फिल्म के सीन की तरह चल रहा था,, वह अपने मन में यह सोचकर एक तरफ शर्मिंदगी का एहसास भी कर रही थी और दूसरी तरफ ना जाने क्यों उनके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी अपने मन में सोच रही थी कि जिस समय दरवाजा एकाएक खुला था उसे समय वह ठीक उस लड़के के सामने थी,,, कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी,, हैंगर पर ब्लाउज पेंटी दोनों लटकी हुई थी,,, वह अपने मन में यह सोचकर उत्तेजित भी हो रही थी परेशान भी हो रही थी कि उसे लड़के ने जरूर उसकी बुर को देखा होगा,, और बुर को देखकर अपने मन में न जाने कैसे कैसे ख्याल लाया होगा न जाने उसके बारे में क्या सोच रहा होगा,,, अगर उसमें ऐसी कोई बात ना होती तो वह लड़का दरवाजा खोलते ही उसे अंदर देखकर तुरंत दरवाजा बंद कर देता लेकिन वह दरवाजा खुला रखकर उसे ही घुर रहा था,,, ऊपर से नीचे तक उसके बदन को देख रहा था और ऐसी हालत में उसने जरूर उसकी बुर को देखा होगा उसके दर्शन की होगी और उसकी बुर को देखकर ना जाने क्या सोच रहा होगा,,, यह ख्याल मन में आते ही,,, उसका ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच चला गया वह अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार के बारे में सोचने लगी जिस पर हल्के हल्के बालों लगे हुए थे 15 दिन हो गए थे उसने अपनी बुर की सफाई नहीं की थी,,, और यह उसकी आदत भी थी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच जाने के बावजूद भी वह जवानी की तरह अभी भी अपने बदन की सफाई अच्छी तरह से करती थी वह चाहे बगल के बाल हो या बुर के ऊपर के झांट के बाल,,,, समय-समय पर उसे पर क्रीम लगाकर साफ करती रहती थी,, उसका यह मानना था कि बदन की सफाई से उम्र का कोई लेना-देना नहीं होता हर औरत को अपनी बदन की सफाई रखनी चाहिए,,, लेकिन 15 दिन जैसे गुजर गए थे उसने अपनी बर पर क्रीम लगाकर उसे चिकनी नहीं की थी,,,।

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और इस बात से वह परेशान थी कि,,, उस जवान लड़के ने उसकी बुर की तरफ देखा होगा,,, उसकी बुर पर बाल देखा होगा तो अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, यही सोच रहा होगा की औरतें अपनी बुर की सफाई नहीं रखती या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उसे औरत के बुर पर बाल अच्छे लगते हो,,, जो भी हो जो कुछ भी हुआ बहुत गजब हुआ,,, रूपलाल की बीवी अपने कमरे में बिस्तर पर बैठे-बैठे यही सब सोच रही थी रात की तकरीबन 10:00 बज रहे थे,,, और रूपलाल घर की छत पर टहल रहे थे,,,, कपड़े की दुकान में जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में सोच कर रूप लाल की बीवी कामांध होते जा रही थी,,, उसकी नस-नस में जवानी का रस घुलता चला जा रहा था,, चेंजिंग रूम में हुई अपनी एक गलती उसे याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि एक तरह से तो वह उस लड़के को अपनी बर के दर्शन करा ही चुकी थी लेकिन उस समय अपनी आंखों के सामने एक जवान लड़के को देखकर उसे कुछ समझ में नहीं आया और अपनी बर छुपाने के चक्कर में घूम गई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी गांड एकदम से उस लड़के के सामने आ गई थी और इस बात को तो वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी औरतों की बड़ी-बड़ी गांड होती है सबसे पहले मर्दों का आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है,,,। और अनजाने में ही उसने अपनी गांड के दर्शन भी उसे समान लड़के को कर चुकी थी जो की पूरी तरह से अपरिचित था न जाने उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर वह क्या सोच रहा होगा,,,, यह सोचकर अपनी मन में मुस्कुराने लगी कि आज जो नजर उसे जवान लड़के देखा है अगर जुगाड़ हुआ तो ठीक करना आज हुआ जरूर अपने हाथ से हिला कर अपनी जवानी की गर्मी शांत करेगा,,,,।

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इस तरह का ख्याल अपने मन में रहकर वह खुद उत्तेजित हो जा रही थी और देखते ही देखते वहां बिस्तर पर पेट के बल लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़कर पर को इधर-उधर खिलने लगी जिसके चलते उसकी साड़ी उसकी जामुन तक आ गई और उसकी बड़ी-बड़ी कम एकदम से बिस्तर पर छितरा गई,,, वह जानबूझकर इस तरह की अठखेलियां बिस्तर पर कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पति किसी भी वक्त कमरे में दाखिल हो जाएगा और उसे इस तरह से देखेगा तो जरूर उसके मन में काम भावना जागेगी और वह उसके साथ संभोग करेगा,,,।

और ऐसा ही हुआ रूप लाल जैसे ही कमरे में दाखिल हुआ तो सामने बिस्तर पर अंगड़ाई लेती हुई अपनी बीवी की जवानी को देखा तो उसके भी सोए हुए अरमान जाग गए और वह तुरंत अपने कपड़े उतार कर अपने लंड को खड़ा करने की कोशिश करने लगा लेकिन शायद अब उसके बस की बात नहीं था रूपलाल की बीवी तुरंत घुटनों के बल चलते हुए बिस्तर के एकदम किनारे आगे और उसके लंड को पड़कर धीरे से उसे मुंह में लेली जो कि अभी भी पूरी तरह से ढीला था लेकिन धीरे-धीरे उसकी कोशिश रंग लाने लगी और एक बार रूप लाल के लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया,,, अपने लंड को खड़ा हुआ देखकर रूपलाल खुश हुआ और अपनी बीवी से बोला,,,।

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क्या बात है आरती की मम्मी आज कुछ ज्यादा ही मन कर रहा है क्या तुम्हारा,,,

आज तो पूछो मत बहुत मन कर रहा है लेकिन तुम ही हो कि मेरे अरमान को समझ नहीं पाते,,,,(ऐसा कहते हुए बाद तुरंत बिस्तर के किनारे अपनी बड़ी-बड़ी गांड रखकर साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी टांगों को खोल दी वह जानती थी कि अपने पति से ज्यादा देर तक बात करने का मतलब था लंड के तनाव को खत्म करना,, और फिर मौके की नजाकत को देखते हुए रूप लाल भी अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, रूपलाल की बीवी की मेहनत कुछ देर तक रंग लाई थी लेकिन रंग पूरी तरह से शबाब पर चढ़ता इससे पहले ही रूपलाल पूरी तरह से ढेर हो गया,,,।
रूपलाल की बीवी एकदम से निराश हो गई क्योंकि अभी अभी तो उसे मजा आना शुरू हुआ था,,,
लेकिन यह तो ऐसा ही हो गया कि रास्ता दिखाने के साथ ही मंजिल पर पहुंच जाना,,, सफर का मजा तो मिला ही नहीं था इसलिए मंजिल पर पहुंचने पर भी कुछ खास उत्सुकता नहीं हुई थी रूपलाल की बीवी को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी पत्नी ने बीच मझदार में ही छोड़कर किनारा कर लिया हो,,,

कुछ देर बाद पति-पत्नी दोनों करवट लेकर सो रहे थे लेकिन रूप लाल की बीवी अपनी किस्मत पर रो रही थी,,।

दूसरी तरफ राकेश की भी आंखों में नींद नहीं थी खाना खाकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा लेटा,,, कपड़े की दुकान वाली घटना के बारे में ही सोच रहा था जीवन में दूसरी बार वह उत्तेजित हुआ था पहली बार अपने दोस्त के साथ हाईवे के किनारे एक जवान लड़की के साथ शरीर संबंध बनाते समय और दूसरा कपड़े की दुकान में,,,, चेंजिंग रूम में वह भी अपना सूट पहन कर देखने के लिए ही जाने वाला था लेकिन उसे क्या मालूम था कि चेंजिंग रूम में पहले से ही एक औरत कपड़े बदल रही थी पर जाने में ही दरवाजा खोल दिया था और अंदर का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए थे वैसे तो राकेश चरित्रवान लड़का था लेकिन अपनी आंखों के सामने अर्धनग्नवस्था में औरत को देखकर उसकी भी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसे जगह से चले जाने की बजाय वह वहीं पर खड़े होकर उसे औरत की जवानी को अपनी आंखों से देख रहा था,,,, चेंजिंग रूम की एक-एक घटना उसे अच्छी तरह से याद थी दरवाजा खोलते ही उसे एक औरत दिखाई दी थी जिसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह कमर के नीचे कुछ भी नहीं पहनी हुई थी उसकी मोटी मोटी केले के तनेके समान चिकनी जांघें से साफ दिखाई दे रही थी लेकिन अफरा तफरी में उसने उस औरत की बुर को नहीं देख पाया था,, इस बात का मलाल उसे अभी भी हो रहा था क्योंकि वह कुछ देर तक दरवाजे पर खड़ा ही रह गया था इतने में उसे उसे औरत की बुर के दर्शन कर लेना चाहिए थी लेकिन न जाने क्यों उसे समय उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर उसकी नजर ही नहीं गई थी,,,,।

उस औरत के बारे में सोचते हुए राकेश उसकी उम्र के बारे में अर्थ गठन कर रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी उम्र लगभग 40 से 45 के बीच में ही होगी उसके बदन का कसाव बता रहा था कि उसकी जवानी अभी भी बरकरार थी क्योंकि राकेश ने उसकी बड़ी-बड़ी और कई हुई गांड को अच्छी तरह से देखा था जब वह एकदम से पलट गई थी अपना एक अंगद छुपाने के चक्कर में वह अपना दूसरा कीमती अंग भी राकेश की आंखों के सामने परोस दी थी,,, उसकी बड़ी-बड़ी गांड के बारे में सोच कर ही राकेश का लंड खड़ा होने लगा था,,, यह पहली बार था जब किसी औरत के बारे में सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,, उस औरत के बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी और वह अपने मन में कल्पना करने लगा था,,, और यह कल्पना उसके जीवन की लगभग पहले ही कल्पना थी जब वह किसी औरत के बारे में इतनी गहराई से सोचता होगा उसके बारे में गंदी बातें विचार कर रहा था,,,।

चेंजिंग रूम वाली औरत के बारे में सोते हुए वह धीरे से अपने पजामे को नीचे सरका कर बिस्तर पर लेटे-लेटे अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया और फिर अपनी आंखों को बंद करके सोने लगा कि वह भी चेंजिंग रूम में उसे औरत के होने के बावजूद भी अंदर घुस गया और अपने हाथों से चेंजिंग रूम का दरवाजा बंद कर दिया वह औरत की साड़ी अभी भी कमर के ऊपर तक की और नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह तुरंत उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया क्योंकि उसे समय उसका ब्लाउज भी उतरा हुआ था और वह केवल ब्रा पहनी हुई थी,,,। कल्पना करते हुए राकेश अपने लंड को जोर-जोर से दबाते हुए कल्पना में उसे औरत की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबा रहा था पागल हुआ जा रहा था और वह अपनी कल्पनाओं का घोड़ा इतनी तेजी से दौड़ा रहा था की कल्पना में उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से औरत पूरी तरह से उत्तेजित होकर अपनी गांड को बार-बार उसके लंड पर मार रही थी,,,।
Rakesh ki kalnpA

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खड़े-खड़े कल्पना में उसे औरत की हरकत से राकेश पूरी तरह से पागल हो गया और उसकी नंगी गांड की दोनों फांकों को अपने हाथ से फैलाते हुए उसके गुलाबी छेद में अपना लंड डाल दिया उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, कल्पना में भी राकेश को अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पागलों की तरह अपने लंड को हीरा रहा था और देखते ही देखते कल्पना में उसे औरत की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए अपने लंड से पिचकारी फेंक दिया,,,,।

और जब वह होश में आया तो वह झड़ चुका था,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी बिस्तर पर बिजी हुई चादर उसकी पिचकारी से गीली हो चुकी थी वह धीरे से उठा और फिर कुछ देर तक बिस्तर पर पर लटका कर बैठे हुए आनंदित क्षण का आनंद लेने लगा,,,, और जैसे-जैसे उसके सर पर से वासना का भूत उतारने लगा हुआ होश में आने लगा उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह हस्तमैथुन किया था,,, वह अपनी मन में पछताने लगा और फिर दोबारा न करने की कसम खाकर वह चादर को हाथों में तेरी और बाथरूम में जाकर उसे धोने लगा और धोने के बाद उसे बाहर हैंगर पर टांग दिया।

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दूसरे दिन उसके आने की खुशी में पार्टी थी जिसकी तैयारी तो कुछ दिनों से चली रही थी लेकिन सुबह से ही घर की सजावट में घर के नौकर लगे हुए थे वैसे तो घर पर सिर्फ एक ही नौकर थी जो सिर्फ खाना बनाती थी बाकी दुकान के सभी कारीगर जो इस समय हाथ बताने के लिए उपस्थित थे।
बहुत ही सुंदर कहानी का प्लॉट
आज ही कहानी देखी और अब तक के सारे अपडेट एक बार में पढ़ डाले
रोनी भई तुम्हारी लेखनी वैसे भी ग़ज़ब ही है
लिखते रहिए
पर जरा अपडेट थोड़ा जल्दी जल्दी दीजिए
 

rohnny4545

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बहुत ही सुंदर कहानी का प्लॉट
आज ही कहानी देखी और अब तक के सारे अपडेट एक बार में पढ़ डाले
रोनी भई तुम्हारी लेखनी वैसे भी ग़ज़ब ही है
लिखते रहिए
पर जरा अपडेट थोड़ा जल्दी जल्दी दीजिए
बहुत-बहुत धन्यवाद दोस्त ,,,रुपलाल की बीवी की जवानी जोर मरते हुए
 

rohnny4545

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सुबह के 9:00 बज रहे थे और सेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान के सभी कारीगर घर की सजावट में लगे हुए थे,,, सेठ मनोहर लालनी अपनी मिठाई की दुकान के कारीगरों को पैसा बचाने के लिए घर के काम में नहीं लगाया था बल्कि कारीगरों का अपने शेठ से इतना लगाव था वालों खुद ही अपने सेठ के काम में हाथ बटा रहे थे,,, अपने कारीगरों का अपने प्रति प्रेम देखकर सेठ मनोहर लाल भाव विभोर हो गए थे,,, सब लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सेठ मनोहर लाल भी सबको हिदायत दे रहे थे कि क्या कैसा करना है,,,, तभी मनोहर लाल का बेटा राकेश शर्ट की बटन को बंद करते हुए,,, अपने पिताजी के पास आया और बोला,,,।

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नमस्ते पापा,,,

खुश रहो बेटा नहा लिए हो,,,, और थोड़ा चाय नाश्ता कर लो,,,,(इतना कहने के साथ ही सेठ मनोहर लाल आगे बढ़े और लोन पर बीझी घास पर लगाई गई टेबल के इर्द-गिर में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गए टेबल पर चाय नाश्ता दोनों तैयार था,,, वैसे भी नाश्ता करने का समय हो गया था इसलिए राकेश भी अपने पिताजी के बगल में जाकर बैठ गया,,,, सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से इतना प्यार करते थे कि खुद ही,,, चाय के मग में से कप में चाय निकालने लगै,,, यह देखकर राकेश तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने पिताजी के हाथ से चाय का मग लेते हुए बोला,,,।



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यह क्या कर रहे हैं पिताजी मेरे होते हुए मेरे लिए चाय निकल रहे हो,,,(इतना कहने के साथ ही राकेश खुद अपने लिए और अपने पिताजी के लिए चाय निकलने लगा राकेश की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए शेठ मनोहर लाल बोले,,)

इसमें क्या हो गया बेटा तू भले दुनिया के लिए बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो वही छोटा सा मुन्ना है और तेरे लिए चाय निकालने में खाना परोसने में मुझे बिल्कुल भी खराब नहीं लगता बल्कि मुझे तो अच्छा लगता है,,,।

बात ठीक है पिताजी लेकिन मेरे होते हुए सब काम आपको करना पड़े यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,(चाय का कप हाथ में लेकर अपने पिताजी की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला और मनोहर लाल अपने बेटे के हाथ से चाय का कप लेकर चुस्की लेते हुए बोले)

अच्छा बेटा राकेश अपने दोस्तों को तो बुलाया है ना,, क्योंकि मैं तो जानता नहीं हूं तेरे दोस्तों को उन्हें निमंत्रण देने का अधिकार तुझे ही है,,,


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जी पापा,, मैं अपने सभी दोस्तों को निमंत्रण दे दिया हूं समय पर वह लोग पहुंच जाएंगे,,,,,(निमंत्रण की बात आई तो राकेश को वह लड़की याद आ गई जो उसे से टकराई थी वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे लड़की का नाम पता पता होता तो उसे भी निमंत्रण दे दिया होता लेकिन अफसोस ना तो उसका नाम मालूम है ना तो उसका पता बस दिन रात भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि एक बार फिर से कहीं दिख जाए तो उसका नाम और पता दोनों पूछ लुं,,, चाय की चुस्की लेते हुए और कुछ लड़की के बारे में सोचते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


एक बात है पापा अपने इंतजाम बहुत बढ़िया किया है,,,



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इंतजाम बढ़िया तो करना ही पड़ेगा बेटा शहर के बड़े-बड़े लोग जो आ रहे हैं,,,, मैं तो चाहता था कि कोई अच्छी सी लड़की मिल जाती तो लगे हाथ तेरी सगाई भी कर देता,,,,

क्या पापा आप भी,,,,(राकेश शर्माते हुए बोला,,,)

अब मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला बरसों से इंतजार कर रहा हूं कि घर में कोई सदस्य बढे ,, लेकिन अब तेरी मनमानी नहीं चलने वाली,,,,

क्या पापा,,,

पापा वापा कुछ नहीं,,, अब मैं तेरी एक नहीं सुनने वाला,, मैं चाहता हूं कि तेरी जल्दी से शादी हो जाए इस घर में बहु आए नाती पोता खेलें बस अब यही मेरी अंतिम इच्छा है क्या तू इसे भी पूरा नहीं करेगा,,,,



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समय आने पर सब सही हो जाएगा पापा,,,।
(इतना कहकर राकेश वहां से उठकर दूसरे काम में लग गया उसके पिताजी अपने मन में सोचने लगे और निश्चय करने वालों की चाहे कुछ भी हो जाए इस बार तेरी शादी करा के रहूंगा,,, और इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों से अपने रिश्तेदारों से चर्चा भी करना शुरू कर दिया था,,,,।)

धीरे-धीरे समय आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते शाम ढलने लगी 9:00 बजे से कार्यक्रम शुरू होना था घर की तैयारी पूरी हो चुकी थी घर की सजावट भी पूरी हो चुकी थी शाम ढलते ही रोशनी से पूरा बंगला जगमगाने लगा,,, बंगले को दुल्हन की तरह सजाया गया था,,, जिसे दूर दराज से आना था वह धीरे-धीरे पहुंचना शुरू कर दिए थे और सेठ मनोहर लाल सब का अभिवादन करते हुए उन्हें बैठा रहे थे और शरबत पिला रहे थे,,,।



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दूसरी तरफ रूपलाल के घर में भी तैयारी हो रही थी तैयार होने की,,, रूपलाल और उनकी बीवी एक ही कमरे में सज धज रहे थे,,, रूपलाल की बीवी रमा देवी अपने पति के सामने नए कपड़े पहनने के लिए अपने पुरानए वस्त्रो का त्याग कर रही थी,,, देखते ही देखते वह रूपलाल की आंखों के सामने ही पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी,,, रमादेवी के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह आदमकद आईने के सामने खड़ी थी और उसके बगल में रूपलाल खड़े थे जो कि अपने बीवी को निर्वस्त्र अवस्था में देखकर उसे देखते ही रह गए थे,,, रूपलाल की बीवी अपने हाथ में अपनी नई पेंटिं को लेकर उसे इधर-उधर करके देख रही थी,,, और रुपलाल उसके रूप यौवन को निहार रहे थे,,, अपने पति को इस तरह से देखता हुआ पाकर रमादेवी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?



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नहीं देख रहा हूं कि जवान लड़की की मां होने के बावजूद ,,ईस उम्र में भी तुम देखने लायक हो,,,

नजर मत लगाना मेरी जवानी पर,,,

मेरी नजर नहीं लगने वाली,,,

क्यों नहीं लगने वाली तुम्हारी नजर,,,,(अपनी पैंटी को दोनों हाथों में लेकर अपने एक पैर को पेटी के एक छोर में डालते हुए,,,)
रूपलाल की बीवी तैयार होती हुईं

क्योंकि तुम्हारे खूबसूरत बदन पर मेरा ही हक है,,,

हमम,, होता तो तुमसे कुछ है नहीं और हक जताने चले हो,,,

अरे भूल गई मेरी रानी जवानी के दिन रात भर सोने नहीं देता था,,,

हां भूल गई,,, क्योंकि औरतों को रोज जरूरत पड़ती है,,, पहले तुम रात भर सोने नहीं देती थी और आप रात भर सोते ही रहते हो तुमसे होता कुछ नहीं है,,,

क्या कह रही हो भाग्यवान,,,(इतना कहते हुए रूपलाल पीछे से अपनी बीवी को बाहों में भर लिया,,, और वह पेटी को,, अपनी आधी जांघो पर अटकाते हुए आईने में देखने लगी आईने में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसका पति उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए था पेंटिं के बावजूद भी वह पूरी तरह से नंगी ही थी,,, वह अपने पिछवाड़े पर अपने पति के लंड को महसूस करना चाहती थी उसकी अकड़न भरी रगड़ को अपने नितंबों पर महसुस करना चाहती थी,,, लेकिन कुछ देर खड़े रहने के बावजूद भी ऐसा कुछ भी उसे महसूस नहीं हुआ आईना में एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि आज सुबह ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर के बाल को साफ की थी,,, रूपलाल अपनी नंगी बीवी की जवानी में मदहोश हो रहा था लेकिन टांगों के बीच उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था,,, रुप लाल की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उम्रकेश पडाव में भी उसका बदन एकदम कसा हुआ है और ऐसे में कोई भी जवां मर्द अगर उसे देख भर ले तो भी उसका लंड खड़ा हो जाए लेकिन उसके पति में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वहपरेशान होते हुए बोली,,,।

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आईने में देख रहे हो,,,

देख रहा हूं मेरी जान,,,

क्या देख रहे हो बताओ तो जरा,,,,?


तुम्हारी नशीली जवानी,,,(बाहों में भरे हुए ही वह बोला)

जवानी में क्या देख रहे हो,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां,,,

और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,



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और तो बहुत कुछ है मेरी जान लेकिन तुम्हारी चूचियां बहुत मस्त है,,,

बस हो गया ना,,,, तुम जानते हो मैं अपनी पैंटी को जांघों पर अटका कर क्यों रखी हुं ,,,,

क्यों रखी हो,,,

ताकि तुम्हारी नजर मेरी बुर पर जा सके,,, लेकिन तुम्हारी नजर तो सिर्फ चुची पर जा रही है,, काम की जगह पर तो जा ही नहीं रही है यही फर्क होता है इस उम्र में,,, अब तुमसे कुछ नहीं होने वाला,,,,(निराश होते हुए रुपलाल की बीवी अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली,,,,)




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ऐसा नहीं है मेरी जान,,,

चलो अब दूर हटो मुझे कपड़े पहनने दो,,, तुम्हारी जगह और कोई होता तो उसकी नजर सिर्फ मेरी बुर पर जाती उसके काम की जगह पर जाती,, लेकिन तुम्हारी,,,,,।

(अपनी बीवी की बातें सुनकर रूप लाल भी निराश हो चुका था वह अपनी कमजोरी को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए अपनी बीवी से दूर हो गया,,, और इसके बाद दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों अपने-अपने तरीके से तैयार हो गए,,, इसमें रमा देवी की कोई गलती नहीं थी,,, शरीर सुख पाने की कोई उम्र नहीं होती,,, व्यस्क होने से ढलती उम्र तक तन के जरूरत के मुताबिक मर्द और और दोनों को शरीर सुख की भूख रहती है लेकिन धीरे-धीरे रूप लाल इसमें अपवाद होता जा रहा था,, उसकी शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ती जा रही थी और इसके विरुद्ध उसकी बीवी की काम क्षमता बढ़ती जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ चुके थे और बाहर आकर रमा देवी अपनी बेटी को आवाज लगाती हुई बोली,,,)


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आरती,,,अरे ओ आरती,,, तैयार हुई कि नहीं,,,

जी मम्मी आई,,,,(ऐसा कहते हुए अपने कमरे से आरती बाहर आने लगी वह अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक कर रही थी उसे साड़ी में देखकर उसके मम्मी पापा एकदम दंग रह गए दोनों के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि इस समय आरती परी लग रही थी उसे देखकर रमा देवी अपने मन में ही सोचने लगी,,, जरूर इसको देखकर सेठ मनोहर लाल अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगे,,,,)

मैं भी तैयार हो गई मम्मी कैसी लग रही हूं,,,।

बहुत खूबसूरत मेरी बच्ची,,,(इतना कहते हुए माथे पर हल्का सा काजल का टीका लगा दी जो की बहुत ही मामूली था,,,) किसी की नजर ना लगे आज तो तो जरूर से मनोहर लाल की घर की बहू बन जाएगी,,,


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क्या मम्मी,,, फिर से शुरू पड़ गई, ,(आरती शर्माते हुए बोली,,,)

अरे जल्दी चलो 8:30 बज चुके हैं 9:00 वहां पहुंचना है,,,,(रूपलाल हाथ में बंधी हुई घड़ी को देखते हुए बोले)

अरे मालूम है उनका घर कौन सा दूर है पैदल चलेंगे तो भी 15 मिनट में पहुंच जाएंगे,,,(रमादेवी रूपलाल की तरफ देखते हुए बोली ,,)

अरे वह तो ठीक है लेकिन थोड़ा पहले पहुंच जाओगी तो क्या बिगड़ जाएगा मनोहर को भी अच्छा लगेगा कि समय से पहले आ गए,,,

पापा ठीक कह रहे मम्मी,,,(आरती भी अपने पापा के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

चलो अच्छा ठीक है,,,(इतना कहकर तीनों घर में ताला लगाकर बाहर आ गए और रूप लाल अपनी कार स्टार्ट कर दिया,,, कार के स्टार्ट होते ही आरती और उसकी मम्मी दोनों कर में बैठ गए,,, और वह लोग सेठ मनोहर लाल के घर की तरफ निकल गए,,,)
 
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Ajju Landwalia

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सुबह के 9:00 बज रहे थे और सेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान के सभी कारीगर घर की सजावट में लगे हुए थे,,, सेठ मनोहर लालनी अपनी मिठाई की दुकान के कारीगरों को पैसा बचाने के लिए घर के काम में नहीं लगाया था बल्कि कारीगरों का अपने शेठ से इतना लगाव था वालों खुद ही अपने सेठ के काम में हाथ बटा रहे थे,,, अपने कारीगरों का अपने प्रति प्रेम देखकर सेठ मनोहर लाल भाव विभोर हो गए थे,,, सब लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सेठ मनोहर लाल भी सबको हिदायत दे रहे थे कि क्या कैसा करना है,,,, तभी मनोहर लाल का बेटा राकेश शर्ट की बटन को बंद करते हुए,,, अपने पिताजी के पास आया और बोला,,,।

नमस्ते पापा,,,

खुश रहो बेटा नहा लिए हो,,,, और थोड़ा चाय नाश्ता कर लो,,,,(इतना कहने के साथ ही सेठ मनोहर लाल आगे बढ़े और लोन पर बीझी घास पर लगाई गई टेबल के इर्द-गिर में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गए टेबल पर चाय नाश्ता दोनों तैयार था,,, वैसे भी नाश्ता करने का समय हो गया था इसलिए राकेश भी अपने पिताजी के बगल में जाकर बैठ गया,,,, सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से इतना प्यार करते थे कि खुद ही,,, चाय के मग में से कप में चाय निकालने लगै,,, यह देखकर राकेश तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने पिताजी के हाथ से चाय का मग लेते हुए बोला,,,।

यह क्या कर रहे हैं पिताजी मेरे होते हुए मेरे लिए चाय निकल रहे हो,,,(इतना कहने के साथ ही राकेश खुद अपने लिए और अपने पिताजी के लिए चाय निकलने लगा राकेश की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए शेठ मनोहर लाल बोले,,)

इसमें क्या हो गया बेटा तू भले दुनिया के लिए बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो वही छोटा सा मुन्ना है और तेरे लिए चाय निकालने में खाना परोसने में मुझे बिल्कुल भी खराब नहीं लगता बल्कि मुझे तो अच्छा लगता है,,,।

बात ठीक है पिताजी लेकिन मेरे होते हुए सब काम आपको करना पड़े यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,(चाय का कप हाथ में लेकर अपने पिताजी की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला और मनोहर लाल अपने बेटे के हाथ से चाय का कप लेकर चुस्की लेते हुए बोले)

अच्छा बेटा राकेश अपने दोस्तों को तो बुलाया है ना,, क्योंकि मैं तो जानता नहीं हूं तेरे दोस्तों को उन्हें निमंत्रण देने का अधिकार तुझे ही है,,,


जी पापा,, मैं अपने सभी दोस्तों को निमंत्रण दे दिया हूं समय पर वह लोग पहुंच जाएंगे,,,,,(निमंत्रण की बात आई तो राकेश को वह लड़की याद आ गई जो उसे से टकराई थी वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे लड़की का नाम पता पता होता तो उसे भी निमंत्रण दे दिया होता लेकिन अफसोस ना तो उसका नाम मालूम है ना तो उसका पता बस दिन रात भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि एक बार फिर से कहीं दिख जाए तो उसका नाम और पता दोनों पूछ लुं,,, चाय की चुस्की लेते हुए और कुछ लड़की के बारे में सोचते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


एक बात है पापा अपने इंतजाम बहुत बढ़िया किया है,,,

इंतजाम बढ़िया तो करना ही पड़ेगा बेटा शहर के बड़े-बड़े लोग जो आ रहे हैं,,,, मैं तो चाहता था कि कोई अच्छी सी लड़की मिल जाती तो लगे हाथ तेरी सगाई भी कर देता,,,,

क्या पापा आप भी,,,,(राकेश शर्माते हुए बोला,,,)

अब मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला बरसों से इंतजार कर रहा हूं कि घर में कोई सदस्य बढे ,, लेकिन अब तेरी मनमानी नहीं चलने वाली,,,,

क्या पापा,,,

पापा वापा कुछ नहीं,,, अब मैं तेरी एक नहीं सुनने वाला,, मैं चाहता हूं कि तेरी जल्दी से शादी हो जाए इस घर में बहु आए नाती पोता खेलें बस अब यही मेरी अंतिम इच्छा है क्या तू इसे भी पूरा नहीं करेगा,,,,

समय आने पर सब सही हो जाएगा पापा,,,।
(इतना कहकर राकेश वहां से उठकर दूसरे काम में लग गया उसके पिताजी अपने मन में सोचने लगे और निश्चय करने वालों की चाहे कुछ भी हो जाए इस बार तेरी शादी करा के रहूंगा,,, और इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों से अपने रिश्तेदारों से चर्चा भी करना शुरू कर दिया था,,,,।)

धीरे-धीरे समय आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते शाम ढलने लगी 9:00 बजे से कार्यक्रम शुरू होना था घर की तैयारी पूरी हो चुकी थी घर की सजावट भी पूरी हो चुकी थी शाम ढलते ही रोशनी से पूरा बंगला जगमगाने लगा,,, बंगले को दुल्हन की तरह सजाया गया था,,, जिसे दूर दराज से आना था वह धीरे-धीरे पहुंचना शुरू कर दिए थे और सेठ मनोहर लाल सब का अभिवादन करते हुए उन्हें बैठा रहे थे और शरबत पिला रहे थे,,,।

दूसरी तरफ रूपलाल के घर में भी तैयारी हो रही थी तैयार होने की,,, रूपलाल और उनकी बीवी एक ही कमरे में सज धज रहे थे,,, रूपलाल की बीवी रमा देवी अपने पति के सामने नए कपड़े पहनने के लिए अपने पुरानए वस्त्रो का त्याग कर रही थी,,, देखते ही देखते वह रूपलाल की आंखों के सामने ही पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी,,, रमादेवी के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह आदमकद आईने के सामने खड़ी थी और उसके बगल में रूपलाल खड़े थे जो कि अपने बीवी को निर्वस्त्र अवस्था में देखकर उसे देखते ही रह गए थे,,, रूपलाल की बीवी अपने हाथ में अपनी नई पेंटिं को लेकर उसे इधर-उधर करके देख रही थी,,, और रुपलाल उसके रूप यौवन को निहार रहे थे,,, अपने पति को इस तरह से देखता हुआ पाकर रमादेवी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?

नहीं देख रहा हूं कि जवान लड़की की मां होने के बावजूद ,,ईस उम्र में भी तुम देखने लायक हो,,,

नजर मत लगाना मेरी जवानी पर,,,

मेरी नजर नहीं लगने वाली,,,

क्यों नहीं लगने वाली तुम्हारी नजर,,,,(अपनी पैंटी को दोनों हाथों में लेकर अपने एक पैर को पेटी के एक छोर में डालते हुए,,,)

क्योंकि तुम्हारे खूबसूरत बदन पर मेरा ही हक है,,,

हमम,, होता तो तुमसे कुछ है नहीं और हक जताने चले हो,,,

अरे भूल गई मेरी रानी जवानी के दिन रात भर सोने नहीं देता था,,,

हां भूल गई,,, क्योंकि औरतों को रोज जरूरत पड़ती है,,, पहले तुम रात भर सोने नहीं देती थी और आप रात भर सोते ही रहते हो तुमसे होता कुछ नहीं है,,,

क्या कह रही हो भाग्यवान,,,(इतना कहते हुए रूपलाल पीछे से अपनी बीवी को बाहों में भर लिया,,, और वह पेटी को,, अपनी आधी जांघो पर अटकाते हुए आईने में देखने लगी आईने में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसका पति उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए था पेंटिं के बावजूद भी वह पूरी तरह से नंगी ही थी,,, वह अपने पिछवाड़े पर अपने पति के लंड को महसूस करना चाहती थी उसकी अकड़न भरी रगड़ को अपने नितंबों पर महसुस करना चाहती थी,,, लेकिन कुछ देर खड़े रहने के बावजूद भी ऐसा कुछ भी उसे महसूस नहीं हुआ आईना में एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि आज सुबह ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर के बाल को साफ की थी,,, रूपलाल अपनी नंगी बीवी की जवानी में मदहोश हो रहा था लेकिन टांगों के बीच उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था,,, रुप लाल की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उम्रकेश पडाव में भी उसका बदन एकदम कसा हुआ है और ऐसे में कोई भी जवां मर्द अगर उसे देख भर ले तो भी उसका लंड खड़ा हो जाए लेकिन उसके पति में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वहपरेशान होते हुए बोली,,,।

आईने में देख रहे हो,,,

देख रहा हूं मेरी जान,,,

क्या देख रहे हो बताओ तो जरा,,,,?


तुम्हारी नशीली जवानी,,,(बाहों में भरे हुए ही वह बोला)

जवानी में क्या देख रहे हो,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां,,,

और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,

और तो बहुत कुछ है मेरी जान लेकिन तुम्हारी चूचियां बहुत मस्त है,,,

बस हो गया ना,,,, तुम जानते हो मैं अपनी पैंटी को जांघों पर अटका कर क्यों रखी हुं ,,,,

क्यों रखी हो,,,

ताकि तुम्हारी नजर मेरी बुर पर जा सके,,, लेकिन तुम्हारी नजर तो सिर्फ चुची पर जा रही है,, काम की जगह पर तो जा ही नहीं रही है यही फर्क होता है इस उम्र में,,, अब तुमसे कुछ नहीं होने वाला,,,,(निराश होते हुए रुपलाल की बीवी अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली,,,,)



ऐसा नहीं है मेरी जान,,,

चलो अब दूर हटो मुझे कपड़े पहनने दो,,, तुम्हारी जगह और कोई होता तो उसकी नजर सिर्फ मेरी बुर पर जाती उसके काम की जगह पर जाती,, लेकिन तुम्हारी,,,,,।

(अपनी बीवी की बातें सुनकर रूप लाल भी निराश हो चुका था वह अपनी कमजोरी को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए अपनी बीवी से दूर हो गया,,, और इसके बाद दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों अपने-अपने तरीके से तैयार हो गए,,, इसमें रमा देवी की कोई गलती नहीं थी,,, शरीर सुख पाने की कोई उम्र नहीं होती,,, व्यस्क होने से ढलती उम्र तक तन के जरूरत के मुताबिक मर्द और और दोनों को शरीर सुख की भूख रहती है लेकिन धीरे-धीरे रूप लाल इसमें अपवाद होता जा रहा था,, उसकी शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ती जा रही थी और इसके विरुद्ध उसकी बीवी की काम क्षमता बढ़ती जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ चुके थे और बाहर आकर रमा देवी अपनी बेटी को आवाज लगाती हुई बोली,,,)


आरती,,,अरे ओ आरती,,, तैयार हुई कि नहीं,,,

जी मम्मी आई,,,,(ऐसा कहते हुए अपने कमरे से आरती बाहर आने लगी वह अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक कर रही थी उसे साड़ी में देखकर उसके मम्मी पापा एकदम दंग रह गए दोनों के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि इस समय आरती परी लग रही थी उसे देखकर रमा देवी अपने मन में ही सोचने लगी,,, जरूर इसको देखकर सेठ मनोहर लाल अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगे,,,,)

मैं भी तैयार हो गई मम्मी कैसी लग रही हूं,,,।

बहुत खूबसूरत मेरी बच्ची,,,(इतना कहते हुए माथे पर हल्का सा काजल का टीका लगा दी जो की बहुत ही मामूली था,,,) किसी की नजर ना लगे आज तो तो जरूर से मनोहर लाल की घर की बहू बन जाएगी,,,


क्या मम्मी,,, फिर से शुरू पड़ गई, ,(आरती शर्माते हुए बोली,,,)

अरे जल्दी चलो 8:30 बज चुके हैं 9:00 वहां पहुंचना है,,,,(रूपलाल हाथ में बंधी हुई घड़ी को देखते हुए बोले)

अरे मालूम है उनका घर कौन सा दूर है पैदल चलेंगे तो भी 15 मिनट में पहुंच जाएंगे,,,(रमादेवी रूपलाल की तरफ देखते हुए बोली ,,)

अरे वह तो ठीक है लेकिन थोड़ा पहले पहुंच जाओगी तो क्या बिगड़ जाएगा मनोहर को भी अच्छा लगेगा कि समय से पहले आ गए,,,

पापा ठीक कह रहे मम्मी,,,(आरती भी अपने पापा के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

चलो अच्छा ठीक है,,,(इतना कहकर तीनों घर में ताला लगाकर बाहर आ गए और रूप लाल अपनी कार स्टार्ट कर दिया,,, कार के स्टार्ट होते ही आरती और उसकी मम्मी दोनों कर में बैठ गए,,, और वह लोग सेठ मनोहर लाल के घर की तरफ निकल गए,,,)

Bahut hi badhiya update he rohnny4545 Bhai,

Ruplal ka meter ab hamesha ke liye hi down ho chuka he............itnu khubsurat aur garam biwi hone ke baad bhi uske bas me kuch nahi he...............

Ab kavita aur uski maa ka samna rakesh se hoga................ye scene bhi bada hi majedar hone wala he.......

Ruplal ab seth manohar se kavita aur rakesh ki shadi ki baat karega..............jo manohar turant hi man jana chahiye

Agli dhamakedar update ki pratiksha rahegi Bhai
 

sunoanuj

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Bahut hi behtarin updates hai…
 

Bittoo

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सुबह के 9:00 बज रहे थे और सेठ मनोहर लाल की मिठाई की दुकान के सभी कारीगर घर की सजावट में लगे हुए थे,,, सेठ मनोहर लालनी अपनी मिठाई की दुकान के कारीगरों को पैसा बचाने के लिए घर के काम में नहीं लगाया था बल्कि कारीगरों का अपने शेठ से इतना लगाव था वालों खुद ही अपने सेठ के काम में हाथ बटा रहे थे,,, अपने कारीगरों का अपने प्रति प्रेम देखकर सेठ मनोहर लाल भाव विभोर हो गए थे,,, सब लोग अपना-अपना काम कर रहे थे सेठ मनोहर लाल भी सबको हिदायत दे रहे थे कि क्या कैसा करना है,,,, तभी मनोहर लाल का बेटा राकेश शर्ट की बटन को बंद करते हुए,,, अपने पिताजी के पास आया और बोला,,,।

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नमस्ते पापा,,,

खुश रहो बेटा नहा लिए हो,,,, और थोड़ा चाय नाश्ता कर लो,,,,(इतना कहने के साथ ही सेठ मनोहर लाल आगे बढ़े और लोन पर बीझी घास पर लगाई गई टेबल के इर्द-गिर में रखी कुर्सी पर जाकर बैठ गए टेबल पर चाय नाश्ता दोनों तैयार था,,, वैसे भी नाश्ता करने का समय हो गया था इसलिए राकेश भी अपने पिताजी के बगल में जाकर बैठ गया,,,, सेठ मनोहर लाल अपने बेटे से इतना प्यार करते थे कि खुद ही,,, चाय के मग में से कप में चाय निकालने लगै,,, यह देखकर राकेश तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपने पिताजी के हाथ से चाय का मग लेते हुए बोला,,,।



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यह क्या कर रहे हैं पिताजी मेरे होते हुए मेरे लिए चाय निकल रहे हो,,,(इतना कहने के साथ ही राकेश खुद अपने लिए और अपने पिताजी के लिए चाय निकलने लगा राकेश की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए शेठ मनोहर लाल बोले,,)

इसमें क्या हो गया बेटा तू भले दुनिया के लिए बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो वही छोटा सा मुन्ना है और तेरे लिए चाय निकालने में खाना परोसने में मुझे बिल्कुल भी खराब नहीं लगता बल्कि मुझे तो अच्छा लगता है,,,।

बात ठीक है पिताजी लेकिन मेरे होते हुए सब काम आपको करना पड़े यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,(चाय का कप हाथ में लेकर अपने पिताजी की तरफ आगे बढ़ते हुए बोला और मनोहर लाल अपने बेटे के हाथ से चाय का कप लेकर चुस्की लेते हुए बोले)

अच्छा बेटा राकेश अपने दोस्तों को तो बुलाया है ना,, क्योंकि मैं तो जानता नहीं हूं तेरे दोस्तों को उन्हें निमंत्रण देने का अधिकार तुझे ही है,,,


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जी पापा,, मैं अपने सभी दोस्तों को निमंत्रण दे दिया हूं समय पर वह लोग पहुंच जाएंगे,,,,,(निमंत्रण की बात आई तो राकेश को वह लड़की याद आ गई जो उसे से टकराई थी वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर उसे लड़की का नाम पता पता होता तो उसे भी निमंत्रण दे दिया होता लेकिन अफसोस ना तो उसका नाम मालूम है ना तो उसका पता बस दिन रात भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि एक बार फिर से कहीं दिख जाए तो उसका नाम और पता दोनों पूछ लुं,,, चाय की चुस्की लेते हुए और कुछ लड़की के बारे में सोचते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


एक बात है पापा अपने इंतजाम बहुत बढ़िया किया है,,,



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इंतजाम बढ़िया तो करना ही पड़ेगा बेटा शहर के बड़े-बड़े लोग जो आ रहे हैं,,,, मैं तो चाहता था कि कोई अच्छी सी लड़की मिल जाती तो लगे हाथ तेरी सगाई भी कर देता,,,,

क्या पापा आप भी,,,,(राकेश शर्माते हुए बोला,,,)

अब मैं तेरी एक भी नहीं सुनने वाला बरसों से इंतजार कर रहा हूं कि घर में कोई सदस्य बढे ,, लेकिन अब तेरी मनमानी नहीं चलने वाली,,,,

क्या पापा,,,

पापा वापा कुछ नहीं,,, अब मैं तेरी एक नहीं सुनने वाला,, मैं चाहता हूं कि तेरी जल्दी से शादी हो जाए इस घर में बहु आए नाती पोता खेलें बस अब यही मेरी अंतिम इच्छा है क्या तू इसे भी पूरा नहीं करेगा,,,,



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समय आने पर सब सही हो जाएगा पापा,,,।
(इतना कहकर राकेश वहां से उठकर दूसरे काम में लग गया उसके पिताजी अपने मन में सोचने लगे और निश्चय करने वालों की चाहे कुछ भी हो जाए इस बार तेरी शादी करा के रहूंगा,,, और इसके लिए उन्होंने अपने दोस्तों से अपने रिश्तेदारों से चर्चा भी करना शुरू कर दिया था,,,,।)

धीरे-धीरे समय आगे बढ़ रहा था और देखते ही देखते शाम ढलने लगी 9:00 बजे से कार्यक्रम शुरू होना था घर की तैयारी पूरी हो चुकी थी घर की सजावट भी पूरी हो चुकी थी शाम ढलते ही रोशनी से पूरा बंगला जगमगाने लगा,,, बंगले को दुल्हन की तरह सजाया गया था,,, जिसे दूर दराज से आना था वह धीरे-धीरे पहुंचना शुरू कर दिए थे और सेठ मनोहर लाल सब का अभिवादन करते हुए उन्हें बैठा रहे थे और शरबत पिला रहे थे,,,।



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दूसरी तरफ रूपलाल के घर में भी तैयारी हो रही थी तैयार होने की,,, रूपलाल और उनकी बीवी एक ही कमरे में सज धज रहे थे,,, रूपलाल की बीवी रमा देवी अपने पति के सामने नए कपड़े पहनने के लिए अपने पुरानए वस्त्रो का त्याग कर रही थी,,, देखते ही देखते वह रूपलाल की आंखों के सामने ही पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी,,, रमादेवी के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह आदमकद आईने के सामने खड़ी थी और उसके बगल में रूपलाल खड़े थे जो कि अपने बीवी को निर्वस्त्र अवस्था में देखकर उसे देखते ही रह गए थे,,, रूपलाल की बीवी अपने हाथ में अपनी नई पेंटिं को लेकर उसे इधर-उधर करके देख रही थी,,, और रुपलाल उसके रूप यौवन को निहार रहे थे,,, अपने पति को इस तरह से देखता हुआ पाकर रमादेवी बोली,,,।

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?



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नहीं देख रहा हूं कि जवान लड़की की मां होने के बावजूद ,,ईस उम्र में भी तुम देखने लायक हो,,,

नजर मत लगाना मेरी जवानी पर,,,

मेरी नजर नहीं लगने वाली,,,

क्यों नहीं लगने वाली तुम्हारी नजर,,,,(अपनी पैंटी को दोनों हाथों में लेकर अपने एक पैर को पेटी के एक छोर में डालते हुए,,,)
रूपलाल की बीवी तैयार होती हुईं

क्योंकि तुम्हारे खूबसूरत बदन पर मेरा ही हक है,,,

हमम,, होता तो तुमसे कुछ है नहीं और हक जताने चले हो,,,

अरे भूल गई मेरी रानी जवानी के दिन रात भर सोने नहीं देता था,,,

हां भूल गई,,, क्योंकि औरतों को रोज जरूरत पड़ती है,,, पहले तुम रात भर सोने नहीं देती थी और आप रात भर सोते ही रहते हो तुमसे होता कुछ नहीं है,,,

क्या कह रही हो भाग्यवान,,,(इतना कहते हुए रूपलाल पीछे से अपनी बीवी को बाहों में भर लिया,,, और वह पेटी को,, अपनी आधी जांघो पर अटकाते हुए आईने में देखने लगी आईने में उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसका पति उसे पीछे से अपनी बाहों में भरे हुए था पेंटिं के बावजूद भी वह पूरी तरह से नंगी ही थी,,, वह अपने पिछवाड़े पर अपने पति के लंड को महसूस करना चाहती थी उसकी अकड़न भरी रगड़ को अपने नितंबों पर महसुस करना चाहती थी,,, लेकिन कुछ देर खड़े रहने के बावजूद भी ऐसा कुछ भी उसे महसूस नहीं हुआ आईना में एकदम साफ दिखाई दे रहा था कि आज सुबह ही उसने क्रीम लगाकर अपनी बुर के बाल को साफ की थी,,, रूपलाल अपनी नंगी बीवी की जवानी में मदहोश हो रहा था लेकिन टांगों के बीच उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था,,, रुप लाल की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उम्रकेश पडाव में भी उसका बदन एकदम कसा हुआ है और ऐसे में कोई भी जवां मर्द अगर उसे देख भर ले तो भी उसका लंड खड़ा हो जाए लेकिन उसके पति में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी इसलिए वहपरेशान होते हुए बोली,,,।

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आईने में देख रहे हो,,,

देख रहा हूं मेरी जान,,,

क्या देख रहे हो बताओ तो जरा,,,,?


तुम्हारी नशीली जवानी,,,(बाहों में भरे हुए ही वह बोला)

जवानी में क्या देख रहे हो,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां,,,

और कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,



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और तो बहुत कुछ है मेरी जान लेकिन तुम्हारी चूचियां बहुत मस्त है,,,

बस हो गया ना,,,, तुम जानते हो मैं अपनी पैंटी को जांघों पर अटका कर क्यों रखी हुं ,,,,

क्यों रखी हो,,,

ताकि तुम्हारी नजर मेरी बुर पर जा सके,,, लेकिन तुम्हारी नजर तो सिर्फ चुची पर जा रही है,, काम की जगह पर तो जा ही नहीं रही है यही फर्क होता है इस उम्र में,,, अब तुमसे कुछ नहीं होने वाला,,,,(निराश होते हुए रुपलाल की बीवी अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली,,,,)




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ऐसा नहीं है मेरी जान,,,

चलो अब दूर हटो मुझे कपड़े पहनने दो,,, तुम्हारी जगह और कोई होता तो उसकी नजर सिर्फ मेरी बुर पर जाती उसके काम की जगह पर जाती,, लेकिन तुम्हारी,,,,,।

(अपनी बीवी की बातें सुनकर रूप लाल भी निराश हो चुका था वह अपनी कमजोरी को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए अपनी बीवी से दूर हो गया,,, और इसके बाद दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और दोनों अपने-अपने तरीके से तैयार हो गए,,, इसमें रमा देवी की कोई गलती नहीं थी,,, शरीर सुख पाने की कोई उम्र नहीं होती,,, व्यस्क होने से ढलती उम्र तक तन के जरूरत के मुताबिक मर्द और और दोनों को शरीर सुख की भूख रहती है लेकिन धीरे-धीरे रूप लाल इसमें अपवाद होता जा रहा था,, उसकी शारीरिक क्षमता कमजोर पड़ती जा रही थी और इसके विरुद्ध उसकी बीवी की काम क्षमता बढ़ती जा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आ चुके थे और बाहर आकर रमा देवी अपनी बेटी को आवाज लगाती हुई बोली,,,)


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आरती,,,अरे ओ आरती,,, तैयार हुई कि नहीं,,,

जी मम्मी आई,,,,(ऐसा कहते हुए अपने कमरे से आरती बाहर आने लगी वह अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक कर रही थी उसे साड़ी में देखकर उसके मम्मी पापा एकदम दंग रह गए दोनों के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि इस समय आरती परी लग रही थी उसे देखकर रमा देवी अपने मन में ही सोचने लगी,,, जरूर इसको देखकर सेठ मनोहर लाल अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगे,,,,)

मैं भी तैयार हो गई मम्मी कैसी लग रही हूं,,,।

बहुत खूबसूरत मेरी बच्ची,,,(इतना कहते हुए माथे पर हल्का सा काजल का टीका लगा दी जो की बहुत ही मामूली था,,,) किसी की नजर ना लगे आज तो तो जरूर से मनोहर लाल की घर की बहू बन जाएगी,,,


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क्या मम्मी,,, फिर से शुरू पड़ गई, ,(आरती शर्माते हुए बोली,,,)

अरे जल्दी चलो 8:30 बज चुके हैं 9:00 वहां पहुंचना है,,,,(रूपलाल हाथ में बंधी हुई घड़ी को देखते हुए बोले)

अरे मालूम है उनका घर कौन सा दूर है पैदल चलेंगे तो भी 15 मिनट में पहुंच जाएंगे,,,(रमादेवी रूपलाल की तरफ देखते हुए बोली ,,)

अरे वह तो ठीक है लेकिन थोड़ा पहले पहुंच जाओगी तो क्या बिगड़ जाएगा मनोहर को भी अच्छा लगेगा कि समय से पहले आ गए,,,

पापा ठीक कह रहे मम्मी,,,(आरती भी अपने पापा के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

चलो अच्छा ठीक है,,,(इतना कहकर तीनों घर में ताला लगाकर बाहर आ गए और रूप लाल अपनी कार स्टार्ट कर दिया,,, कार के स्टार्ट होते ही आरती और उसकी मम्मी दोनों कर में बैठ गए,,, और वह लोग सेठ मनोहर लाल के घर की तरफ निकल
बहुत सुंदर अपडेट। रमा देवी के मन की उलझन, रूपलाल की मज़बूरी, आरती और राकेश तथा अन्य पात्रों की भावनाओं का सटीक वर्णन
 

rohnny4545

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Bahut hi badhiya update he rohnny4545 Bhai,

Ruplal ka meter ab hamesha ke liye hi down ho chuka he............itnu khubsurat aur garam biwi hone ke baad bhi uske bas me kuch nahi he...............

Ab kavita aur uski maa ka samna rakesh se hoga................ye scene bhi bada hi majedar hone wala he.......

Ruplal ab seth manohar se kavita aur rakesh ki shadi ki baat karega..............jo manohar turant hi man jana chahiye

Agli dhamakedar update ki pratiksha rahegi Bhai
धन्यवाद दोस्त

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