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Romance बात एक रात की(Completed)

The Immortal

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Update 75


रीमा ने ड्व्ड, द्वड प्लेयर में डाल दी और प्ले करके रोहित के साथ बिस्तर पर आ कर बैठ गयी.

“अजीब बात है कोई नंबरिंग नही आई और मूवी शुरू हो गयी. पिक्चर क्वालिटी भी कुछ ज़्यादा अछी नही लग रही है. क्या साइको ऐसी ही है…फिर क्यों चर्चा है इसकी इतनी.”

“एक मिनिट…रीमा वो साइको 1960 की बनी हुई थी. इसे देखने से लगता है कि रीसेंट्ली बनी हुई है. तुम्हे ये सड़क कुछ जानी पहचानी सी नही लगती.”

“अरे हां ये सड़क ये मार्केट…देखी हुई सी लगती है.”

मूवी में बस सड़क दिखाई जा रही थी और मार्केट दिखाई जा रही थी. कोई आवाज़ नही आ रही थी. अचानक कॅमरा एक सुनसान सी जगह घूम गया. कॅमरा अब एक लड़की को फॉलो कर रहा था.”

“ओह माइ गॉड….ये तो रागिनी है.”

“रागिनी कौन रागिनी?

“हमारे कॉलेज मैं पढ़ती थी. उसका खून हुआ था साइको के हाथो. तुम्हे तो पता होना चाहिए…कैसे बेख़बर पोलीस वाले हो तुम?”

“ओह हां याद आया, मैं भूल गया था आज दिमाग़ इतना घुमा हुआ है की पूछो मत. कही ये उसके मर्डर की वीडियो तो नही बना रखी साइको ने.”

तभी वीडियो में दिखाया गया कि अचानक किसी ने रागिनी को आकर पीछे से दबोच लिया और उसे कुछ सूँघा दिया. फिर उसे घसीट कर कार की डिकी में डाल दिया.

“ऑम्ग ये तो रागिनी के मर्डर की ही वीडियो है. रोहित बंद करो इसे मैं नही देख सकती.” रीमा ने कहा.

“रीमा मुझे ये देखनी पड़ेगी. प्लीज़ तुम दूसरे कमरे में चली जाओ…जैसे ही ये ख़तम होगी मैं तुम्हे बुला लूँगा.”

“हॉरर मुझे अच्छी लगती है पर ये तो रियल है.”

“मेरी मानो मेरे साथ रहो. इसे देख कर अनॅलिसिस करेंगे, क्या पता साइको के खिलाफ कुछ मिल जाए.”

मूवी में अगला सीन एक घर का था. रागिनी नंगी पड़ी हुई थी फर्श पर और गिड़गिदा रही थी, “प्लीज़ मुझे जाने दो…प्लीज़.”

“हाहाहा….यहाँ से तुम कही नही जा सकती. यहाँ से अब तुम्हारी लाश ही बाहर जाएगी. घबराओ मत तुम्हे ऐसी मौत दूँगा की फकर होगा तुम्हे कि तुम मेरे हाथो मारी गयी.”

मूवी में साइको का चेहरा नही दिख रहा था. पूरा फोकस रागिनी पर ही था.

“दो चाय्स हैं तुम्हारे पास. ये चाकू देख रही हो. इसे अपनी चूत में डाल लो. जिध तरह से लंड लेती हो चूत में उसी तरह से ये चाकू भी डाल लो. अगर तुम चुपचाप चाकू डाल लोगि तो तुम्हे कुछ नही करूँगा. और अगर नही डाला चाकू तुमने तो मैं डाल दूँगा. मेरे डालने से दर्द ज़्यादा होगा. खुद ही डाल लो तो अच्छा है.”

रागिनी फूट-फूट कर रोने लगी और बोली, “प्लीज़ मैं ये नही कर सकती…प्लीज़.”

“रोहित ये साइको तो बहुत ख़तरनाक है.”

“ये घर जहा ये वीडियो बनी है…कहाँ होगा ये घर…कुछ अजीब सा नही है ये कमरा. ऐसे कमरे कौन बनाता है आज कल. बहुत ही पुराना घर लगता है.”

“हां रोहित ऐसे घर तो गाँव में देखे थे कभी. अब ऐसी कन्स्ट्रक्षन कोई नही करवाता.”

अचानक मूवी रुक जाती है.

“ये क्या हुआ…इतनी ही है क्या ये.” रोहित ने कहा.

“अच्छा है जो इतनी ही है….आगे उसका मर्डर ही किया होगा उसने.”

“मुझे लग रहा था कि शायद साइको की शकल देखने को मिलेगी…पर ये तो यही रुक गयी.”

बहुत ट्राइ करते हैं वो दोनो मूवी को आगे बढ़ाने की मगर मूवी आगे नही बढ़ती. वो वही तक थी.

“ये द्वड तुम्हे कहा मिली रोहित.” रीमा ने पूछा.

“ये मुझे विजय के घर पर मिली. विजय को गोली मारी थी मैने. वही साइको लग रहा था मुझे. पर अब बात और भी उलझ गयी है. इस ड्व्ड का मतलब है कि विजय असली साइको से मिला हुआ था.” रोहित रीमा को अपने घर पर घटी सारी बात बताता है.

“ये भी तो हो सकता है कि उसे ये द्वड कही मिली हो और इस से प्रेरित हो कर उसने भी साइको जैसा करने की सोची हो. वो कॉपीकॅट भी हो सकता है.”

“कॉपीकॅट तो वो था ही. इसमे कोई शक नही मुझे. बस ये पता लगाना है कि क्या वो साइको से मिला हुआ था. इस ड्व्ड का विजय के घर से मिलना काफ़ी सारे सवाल खड़े करता है. जिनका जवाब मुझे ढूँढना होगा. मुझे जाना होगा रीमा…सॉरी…आज तुम्हे कोई सुख नही दे पाया.”

“अच्छा ही है मैं बच गयी. वरना आज जाने क्या हाल करते मेरा.”

“कब तक बचोगी…आज वैसे भी मूड ठीक नही था. अब ये द्वड देख कर दिमाग़ और ज़्यादा उलझ गया है.

ऐसी हालत में संभोग में परवेश मूर्खता है. धैर्या से फिर कभी आनंद लेंगे हम…और आपकी खूब रेल बनाएँगे”

“बना लीजिएगा हमें इंतेज़ार रहेगा.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.

“आपकी इन्ही बातों से बहक जाता हूँ मैं. ट्रेन में भी आपने मुझे बहका दिया था इन अदाओ से.”

“ट्रेन में ऐसा कुछ नही किया था मैने..वो सब आपका किया धरा था.”

“चलिए कोई बात नही मेरा किया धरा ही सही…मज़ा तो खूब मिला था ना आपको.”

“हां वो तो मिला था…तभी तो तरसते हैं आपके लिए.” रीमा ने नज़रे झुका कर कहा.

“उफ्फ क्या शर्मा रही हैं आप. मिलूँगा जल्दी ही आपसे. आज वो बात नही बन पाएगी…जिसकी आपको चाहत है. दिमाग़ बहुत सारी बातों से घिरा हुआ है.”

“मैं समझ सकती हूँ…आप जाओ अभी फिर मिलेंगे आराम से.” रीमा ने कहा.

“कूल…वी विल मीट सून आंड विल मेक ए ब्लास्ट.”

“अब ये ब्लास्ट क्या है रेल से ज़्यादा ख़तरनाक है क्या …”

“हां कुछ ऐसा ही समझ लो..”

रोहित ड्व्ड लेकर बाहर आ गया और वापिस विजय के घर की तरफ चल दिया, “क्या पता ऐसी और भी ड्व्ड हो विजय के पास…देखता हूँ जाकर.”

रास्ते में रोहित को एक सुनसान सड़क पर एक कार खड़ी मिली. उसमे हलचल हो रही थी. रोहित ने अपनी जीप रोकी और कार के शीसे का दरवाजा खड़काया.

“क्या है…क्या दिक्कत है.” एक लड़का शीसा खोल कर बोला.

“यहाँ सुनसान में क्या कर रहे हो. रात भी हो चुकी है. क्या तुम्हे साइको का डर नही.”

“तुम्हे क्या लेना देना…दफ़ा हो जाओ.”

“बड़े बाप की औलाद लगता है. पोलीस की वर्दी का कोई डर नही इसे.” रोहित ने मन में सोचा.

रोहित ने अंदर झाँक कर देखा तो पाया कि एक लड़की बैठी सूबक रही है. वो अपनी आँखो से आँसू पोंछ रही थी.

“कौन है ये लड़की…और ये रो क्यों रही है.”

“तेरी बहन है ये…तेरी बहन चोद रहा हूँ मैं. चल अब दफ़ा हो जा यहाँ से.”

“अच्छा ऐसी बात है क्या…बहना चलो बाहर आ जाओ” रोहित ने कहा.

रोहित ने ये बोला ही था कि उस लड़के ने बंदूक निकाल कर रोहित पर तान दी.

“एक बार समझ नही आता तुझे…चल निकल यहाँ से.”

अगले ही पल रोहित वो बंदूक छीन कर वापिस उस लड़के पर तान दी. “इन खिलोनो से खेलना ख़तरनाक है मुन्ना. चल चुपचाप बाहर निकल वरना तेरा भेजा उड़ा दूँगा अभी.”

“रूको…रूको निकलता हूँ… तुम जानते नही मुझे की मैं कौन हूँ. मैं गौरव मेहरा का भाई हूँ. पूरा डेप्ट खरीद सकता हूँ तुम्हारा.”

“गौरव मेहरा… इंट्रेस्टिंग. जल्द मुलाकात होगी तुमसे मुन्ना. चल अब ये कार यही छ्चोड़ और पैदल निकल यहाँ से.”

“देख लूँगा तुम्हे मैं.” वो लड़का चलते हुए बोला.

“अबे सुन तेरे भाई के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है क्या?”

“हां है क्यों…”

“मुझे रेंट पर लेनी थी. कल आउन्गा तुम्हारे घर. सोच लेना अच्छी कमाई हो जाएगी तुम लोगो की ..”

“मेरे भैया के आगे बोलते ना ये तो अभी लाश गिरी होती तुम्हारी यहाँ.”

“लाश तो तेरी भी गिर सकती है चुपचाप निकल ले यहाँ से.”

वो लड़का भाग गया वहाँ से कार छ्चोड़ कर.

“आओं बाहर…अब चिंता की कोई बात नही है.”

लड़की डरते-डरते बाहर आती है.

“क्या नाम है तुम्हारा ?”

“सुमन..”

“चलो आओ तुम्हे घर छ्चोड़ देता हूँ.”

“मैं हॉस्टिल में रहती हूँ. कॉलेज छ्चोड़ दीजिए मुझे.”

“हां-हां छ्चोड़ दूँगा बैठो तो सही”

समान चुपचाप जीप में बैठ गयी.

“क्यों आई थी इसके साथ जब पता है की ऐसे लड़के अच्छा बर्ताव नही करते.”

“कुछ दिनो से ही ये बदल गया. पहले तो ऐसा नही था.”

“समझा कर उसे अब दूसरी लड़की मिल गयी होगी.”

“पता है मुझे. तभी नही आना चाहती थी उसके साथ. ज़बरदस्ती बंदूक दिखा कर लाया मुझे वो.”

“ह्म्म… कंप्लेंट लिखवा दे उसकी…अभी जैल में डाल दूँगा साले को.”

“छ्चोड़िए…बदनामी मेरी ही होगी और उसका कुछ नही बिगड़ेगा.”

“संभोग किया आपने उसके साथ..?”

“एक्सक्यूस मी…”

“छ्चोड़िए वैसे ही पूछ रहा था.”

“जी हां किया है…”

“ऐसे लोगो के साथ आपको इन लोगो से संभाल कर रहना चाहिए. ये अमीर बाप के बिगड़ैल लड़के भावनाओ को नही समझते. बस शोसन करते हैं. सब ऐसे नही होते मगर अधिकतर ऐसे ही होते हैं …”
 

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Update 76


“आप फ्लर्ट ना कीजिए मेरे साथ. अभी मेरा मन ठीक नही है.”

“मतलब किसी और वक्त चलेगा कूल कल मिलूँगा आपको.”

“फ़ायडा होगा नही कुछ आपको…फिर भी मिल लीजिएगा.” सुमन हल्का सा मुस्कुरा दी.

“वैसे मैं फ्लर्ट नही कर रहा था…पता नही क्यों लगा ऐसा आपको. लीजिए कॉलेज आ गया आपका. वैसे नाम क्या था उसका.”

“संजीव मेहरा.”

“ह्म…ठीक है चलिए आप.”

“शुक्रिया आपका. आज वो मुझे मार पीट रहा था. पहली बार किया उसने ऐसा. बहुत बुरा लग रहा था मुझे. बहुत चोट पहुँची दिल को.”

“कोई बात नही जायें आप. गुड नाइट. अब उस से दूर ही रहना.”

रोहित चल दिया वहाँ से जीप लेकर विजय के घर की तरफ. “सरिता जी कही सो ना गयी हो.”

रोहित जब सरिता के घर पहुँचा तो रात के 11 बज चुके थे.

"घर की सारी लाइट्स बंद हैं, लगता है सरिता जी शो गयी हैं. उन्हे उठाना ठीक नही होगा. सुबह मिलूँगा उनसे."

रोहित अपनी जीप मोड़ कर वहाँ से चलने वाला ही था कि उसे एक चींख सुनाई दी. चींख घर के अंदर से ही आई थी. रोहित ने तुरंत अपनी पिस्टल निकाली और घर की तरफ भागा.उसने घर की बेल बजाई और दरवाजे को ज़ोर-ज़ोर से पीटा. मगर कुछ रेस्पॉन्स नही मिला. दुबारा कोई चींख तो नही आई घर के अंदर से कुछ-कुछ आवाज़े आ रही थी.

रोहित ने तुरंत फोन करके और पोलीस वालो को वहाँ बुलवा लिया.

"सरिता जी दरवाजा खोलिए...मैं हूँ इनस्पेक्टर रोहित."

मगर अंदर से कोई रेस्पॉन्स नही आया.

"ये दरवाजा तौड़ना होगा मुझे." रोहित ने कहा और डोर लॉक पर फाइयर किया.

दरवाजा खुल गया और रोहित हाथ में बंदूक ले कर तुरंत अंदर घुस गया. वो दीवार से चिपक गया और ध्यान से देखने की कोशिस की. अंधेरा था कमरे में पूरी तरह. रोहित कुछ भी नही देख पा रहा था. उसने दीवार पर लाइट्स के बटन्स ढूँढे और उन्हे ऑन किया. मगर कुछ भी नही जला.

"लाइट काट रखी है शायद." रोहित ने सोचा.

"सरिता जी आप कहाँ हो. मैं इनस्पेक्टर रोहित .... मिला था ना शाम को आपको. वहेरे आर यू."

"अफ टॉर्च भी नही है आज. क्या करूँ इस अंधेरे में." रोहित ने सोचा.

तभी अचानक कुछ हलचल हुई और कोई टकरा गया रोहित से.

"क...क...कौन है..."

"सरिता जी मैं हूँ रोहित पांडे."

"आप क्यों कर रहे हैं मेरे साथ ऐसा..?"

रोहित को कुछ समझ नही आया. उसने फ़ौरन सरिता को दबोच लिया और उसके मूह पर हाथ रख दिया और उसके कान में बोला, "सस्शह...बिल्कुल चुप रहिए. कोई आपके घर में घुसा है शायद."

तभी घर के पिछली तरफ कुछ आवाज़ हुई.

"आपके पास कोई टॉर्च है?" रोहित ने पूछा.

"है...मगर वो किचन में पड़ी है और वही से ये आवाज़ आ रही है शायद."

"आप चिंता मत करो मैं हूँ यहाँ...बाकी पोलीस भी आ रही है. ये जो कोई भी घुसा है आपके घर में...पकड़ा जाएगा जल्दी ही."

तभी घर के पीछे ज़ोर की आहट हुई"

"आप रुकिये यही मैं देखता हूँ की कौन है"

रोहित हाथ में बंदूक ताने आगे बढ़ता है. पहुँच जाता है धीरे-धीरे घर के पीछे. रोहित अंजान था बिल्कुल की दीवार से एक साया चिपका खड़ा है बिल्कुल उसके पीछे. कदमो की हल्की से आहट सुनाई दी उसे और वो तुरंत मुड़ा मगर जब तक वो समझ पाता उसके सर पर एक वार हुआ और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया. तभी पोलीस के साइरन की आवाज़ गूँज उठी. भाग गया वो साया रोहित को छ्चोड़ कर.

रोहित का सर घूम रहा था. खून बह रहा था उसके सर से. उतना मुस्किल हो रहा था. मगर फिर भी वो हिम्मत करके उठा और बंदूक हाथ में ले कर लड़खड़ाते कदमो से आगे बढ़ा. पोलीस ने चारो तरफ से घेर लिया था घर को. हर तरफ देखा गया मगर वो साया नही मिला.

"निकल गया हाथ से साला. ये ज़रूर साइको ही था. पता नही क्या मारा मेरे सर पर कमिने ने, अभी तक सर घूम रहा है." रोहित ने कहा.

घर की बिजली ठीक कर दी गयी और रोशनी में फिर से पूरे घर को एक बार फिर से चेक किया गया. कुछ नही मिला.

"ह्म्म किचन की खिड़की से घुसा था वो अंदर...यही से भागा भी होगा शायद" रोहित ने कहा.

रोहित सरिता के पास आया. वो ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर बैठ कर सूबक रही थी.

"सरिता जी माफी चाहता हूँ आपसे मगर एक बात पूछनी थी आपसे." रोहित ने कहा.

"जी पूछिए."

"जो ड्व्ड मैं ले गया था यहाँ से, क्या वैसी ड्व्ड और भी हैं."

"जी नही वो एक ही थी..."

"आर यू शुवर?"

"एस आइ आम शुवर."

"सरिता जी प्लीज़ अगर आपको कुछ भी पता है तो बता दीजिए. इस साइको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है."

"मुझे कुछ नही पता...मैं कोई भी मदद नही कर सकती हूँ आपकी."

"अगर आपको बुरा ना लगे तो आपके घर की तलासी लेना चाहता हूँ. क्या पता कुछ मिल जाए."

"बे-शक लीजिए तलासी. मुझे कोई ऐतराज नही है."

"थॅंक यू वेरी मच सरिता जी."

पूरे घर को अतचे से चेक किया जाता है. रोहित को उम्मीद थी और ड्व्ड मिलने की. मगर निराशा ही हाथ लगी."

रोहित ने 2 पोलीस वाले लगा दिए सरिता की प्रोटेक्षन के लिए. और जीप में बैठ कर चल दिया.

"थोड़ी मरहम-पट्टी करवा लेता हूँ.पता नही क्या मारा था कम्बख़त ने.

..............................

............................................

मोहित अपनी बाइक पर जा रहा था ड्यूटी पर. दिख गयी पूजा उसे बस स्टॉप पर. आँखे चमक उठी उसकी.

पहुँच गया उसके पास और रोक दी बाइक उसके आगे. पूजा हल्का सा मुस्कुरा दी उसे देख कर.

"कैसी हो पूजा?"

"मैं ठीक हूँ मोहित. तुम कैसे हो?"

"ठीक हूँ मैं भी...लगता है कॉलेज से छुट्टी ले रखी थी. रोज देखता था तुम्हे यहाँ पर तुम नही दिखी."

"हां मन नही होता था कॉलेज जाने का. लेकिन कितनी छुट्टी लूँ, अब जाना ही होगा."

तभी पूजा की बस आ गयी.

"मोहित बस आ गयी मेरी मैं जाउ." पूजा ने कहा.

"अगर रोकुंगा तो क्या रुक जाओगी?"

"रुक जाउन्गि तुम कहोगे तो...पर क्यों रोकना चाहते हो मुझे."

"प्यार करता हूँ तुम्हे...जानती तो हो तुम...फिर भी पूछती हो क्यों. आओ बैठ जाओ तुम्हे घुमा कर लाता हूँ."

"कयि दिनो बाद कॉलेज जा रही हूँ मोहित...आज नही."

"बाद में चलोगि क्या...किसी और दिन."

"हां देख लेंगे...तुम जाओ अपनी ड्यूटी पर लेट हो जाओगे."

"निकल गयी बस तुम्हारी आओ तुम्हे छ्चोड़ देता हूँ."

"कोई बात नही 20 मिनिट में दूसरी आ जाएगी. तुम जाओ लेट हो जाओगे."

"बैठ जाओ ना प्लीज़. मेरी खातिर."

एक हल्की सी मुस्कान बिखर गयी पूजा के चेहरे पर और वो बैठ गयी मोहित की बाइक पर.

"क्या तुम्हे पता है कि तुम मुझे प्यार करने लगी हो?"

"मुझे तो ऐसा कुछ नही पता."

"पर मुझे पता है."

"अच्छा...तुम्हे कैसे पता."

"बस पता है मुझे."

पूजा ने अपना सर टिका दिया मोहित के कंधे पर और बोली,"शायद तुम ठीक कह रहे हो. मैं कुछ नही कह सकती क्योंकि मेरा दिमाग़ उलझन में फँसा हुआ है."

"उलझन दूर हो जाएगी सारी एक बार मेरे प्यार के शुरूर में डूब कर देखो"

"मोहित वैसे कहाँ घुमाना चाहते थे मुझे."

"मसूरी ले चलता तुम्हे बाइक पर ही...चलोगि."

"कल चलें...आज कॉलेज में देख लेती हूँ कि क्या चल रहा है."

मोहित ने तुरंत बाइक रोक दी सड़क के किनारे और बोला, "पूजा...मेरी खातिर बोल रही हो या सच में जाना चाहती हो."

"मुझे कुछ नही पता. तुम ले चलना मुझे बस. ख़ुसी ख़ुसी चलूंगी तुम्हारे साथ."

"ये तो सपना सा लग रहा है मुझे..."

"चलूंगी मैं मोहित...तुम्हारे साथ कही भी चलूंगी. फिलहाल लेट हो रही हूँ...कॉलेज ले चलो ना जल्दी"

"ओह हां बिल्कुल" मोहित ने दौड़ा दी बाइक सड़क पर. कुछ ही देर में उसने पूजा को कॉलेज के बाहर उतार दिया.

"बाइ...कल मिलते हैं." पूजा ने प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा.

"ध्यान रखना अपना पूजा."

"ओके जाओ अब लेट हो जाओगे." पूजा ने कहा.

"ओह हां...आज जल्दी पहुँचना था बाइ-बाइ. कल मिलते हैं."

...................................................................

रोहित डॉक्टर के पास से मरहम पट्टी करवाने के बाद सीधा घर पहुँचा.

“भैया ये क्या हुआ, ये सर पे पट्टी क्यों बँधी है..?” पिंकी ने पूछा.

“सर पे पता नही क्या मार दिया जालिम ने. पिंकी एक बात सुनो मेरी. जब तक ये साइको पकड़ा नही जाता तुम देल्ही चली जाओ चाच्चा जी के पास. मम्मी दादी तो वहाँ गये ही हुए हैं. तुम तीनो वही रुक जाओ कुछ दिन.”

“भैया मेरा कॉलेज है यहाँ…मैं देल्ही कैसे जा सकती हूँ.”

“अरे छुट्टी ले लो ना. मगर तुम एक पल भी यहाँ नही रुकोगी. साइको ने चेतावनी दी है मुझे कि मेरे लिए प्लान बना रखा है उसने. मैं नही चाहता कि तुम लोगो पर कोई आँच आए.”
 

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Update 77


“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”

“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”

पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. रोहित उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”

रोहित आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”

12 बजे बैठा था रोहित और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.

सुबह 6 बजे उठ गया रोहित. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर रोहित के आगे उसकी एक नही चली.

सुबह 11 बजे रोहित समशान घाट में था. पद्‍मिनी के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.

रोहित चुपचाप खड़ा हो गया पद्‍मिनी के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. राज शर्मा कुछ दूरी पर खड़ा था. पद्‍मिनी को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. मोहित को भी बुला लिया था राज शर्मा ने फोन करके. वो भी राज शर्मा के पास ही खड़ा था.

अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए पद्‍मिनी की आँखे टपक रही थी. पद्‍मिनी की नज़र मोहित पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”

मोहित ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.

“मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” पद्‍मिनी फूट फूट कर रोने लगी. पद्‍मिनी की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस पद्‍मिनी बस.”

बहुत ही दुख भरा माहॉल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कयि सारी ख़ुसीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था पद्‍मिनी के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.

पद्‍मिनी की हालत ना राज शर्मा देख पा रहा था और ना ही रोहित. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.

शालिनी भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. रोहित उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”

“ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” शालिनी ने कहा.

“थॅंक यू मेडम.” रोहित ने कहा

हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुस्किल से ले गये पद्‍मिनी को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. राज शर्मा हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.

………………………………………………………………………………

रोहित जब घर पहुँचा तो उसे रीमा का फोन आया, “कैसे हो रोहित.”

“ठीक हूँ मैं तुम कैसी हो.”

“मैं भी ठीक हूँ. मिस कर रही हूँ तुम्हे.”

“मेरे घर आ सकती हो.”

“क्यों नही आ सकती…तुम बुलाओ तो सही.”

“आ जाओ फिर.”

“मैं कॉलेज में हूँ. बस अभी 20 मिनिट में आती हूँ तुम्हारे पास.”

“हां आ जाओ. आइ आम वेटिंग फॉर यू.”

रीमा पहुँच गयी घर 20 मिनिट में.

“ये सर पे क्या हुआ… …” रीमा हैरान रह गयी.

रोहित ने सरिता के घर की घटना सुनाई रीमा को.

“ऑम्ग क्या वो साइको था सरिता के घर में.”

“कुछ कह नही सकते अभी….मैने अपनी छ्होटी बहन को देल्ही भेज दिया है. पेरेंट्स तो पहले से ही वही हैं. मैं नही चाहता की उन्हे कुछ नुकसान पहुँचे. तुम भी कुछ दिन दूर रहना मुझसे. मैं नही चाहता की तुम्हे कुछ नुकसान पहुँचे.”

“मैं तुमसे दूर नही रह सकती. अपने बॉय फ्रेंड से भी ब्रेकप कर लिया मैने तुम्हारे लिए. तुम्हारी अडिक्षन हो गयी है मुझे.”

“ऐसा क्या हो गया रीमा”

“तुम खुद से पूछो.”

“पता है मैने छोटी सी भूल पूरी पढ़ ली रात”

“वाउ..थ्ट्स रियली ग्रेट….अब अपने व्यूस बताओ.”

“बेडरूम में चलते हैं आराम से लेट कर बात करेंगे.”

“हां बिल्कुल…वैसे आज घर पर कैसे हो?”

“यार शंसान से आया हूँ अभी. पद्‍मिनी को देख कर दिल व्यथित हो गया. कुछ करने का मन नही था. छुट्टी ले ली मैने एक दिन की.”

“अच्छा किया रोहित. कभी-कभी छुट्टी भी लेनी चाहिए.”

रीमा और रोहित बेडरूम में आ गये और एक दूसरे के सामने लेट गये.

“हां तो जानेमन अब बताओ कैसी लगी छोटी सी भूल. मैं जान-ना चाहती हूँ की मेरी फेवोवरिट स्टोरी के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं.”

“वाहियात स्टोरी थी पूछो मत.”

“क्या ऐसा कैसे कह सकते हो तुम.”

“और नही तो क्या… ऐसी कोई बात नही थी उसमे जो कि वो हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पर हिट हुई.”

“मुझे तो बहुत अच्छी लगी थी खैर जाने दो …” रीमा का चेहरा उतर गया.

“रीमा मज़ाक कर रहा हूँ.. …छोटी सी भूल मेरी भी फेवोवरिट बन गयी है.”

“हद करते हो तुम भी ….”

“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”

“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”

“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.

ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.

ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.

ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.

प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.

पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.

प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.

छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.

आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”

रोहित जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.

“अरे क्या हुआ तुम्हे?” रोहित ने पूछा.

“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”

“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”

“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”

“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”

“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी रोहित से.

“क्या तुमने सच में छ्चोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”

“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”

“ऐसा क्यों किया तुमने पर”

“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”

“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”

“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”

“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”

“आइ लव यू रोहित.”

“क्या … क्या कहा तुमने.”

“आइ लव यू”

“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
 

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Update 78

रीमा ने रोहित की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”

रोहित रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”

“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”

“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”

रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. रोहित ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फ़ायडा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”

“कोई बात नही रोहित. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाइ-बाइ करके चलते बने.”

“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”

“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”

“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”

“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”

रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.

“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”

रोहित मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउन्गि.”

“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”

“बस अभी छ्चोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”

“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”

रोहित रीमा को कॉलेज छ्चोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. रोहित की जीप से उतर कर उसने रोहित को एक दर्द भारी मुस्कान से बाइ किया था.

“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”

सोचते-सोचते रोहित की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो. शाम के 8 बजे उसे डोर बेल ने जगा दिया.

रोहित ने घड़ी में टाइम देखा, “ऑम्ग 8 बाज गये. इतनी देर तक शोता रहा मैं. कौन है इस वक्त.”

रोहित ने दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ मिला. रोहित ने दायें बायें देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.

रोहित ने लिफ़ाफ़ा खोला उसने जो देखा उसे देख कर उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. रीमा की फोटो थी उसमें. रीमा के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था और उसे बेड पर बाँध रखा था. एक चिट्ठी भी थी लिफाफे में. उसमें लिखा था.

“हेलो मिस्टर पांडे,

मिलने का वक्त आ गया है. आपके किसी करीबी को ढूँढ रहा था मैं. इस लड़की को आप कॉलेज छ्चोड़ कर गये और मैं इसे उठा लाया. ऐसा कीजिए आप उसी खंदार में आ जाइए चुपचाप जहा आपको निसा और रामू की खूबसूरत डेड बॉडीस मिली थी. कोई चालाकी दिखाई तो रीमा का जो हाल करूँगा वो तो तुम जानते ही हो. और घबराना मत. मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो तुम. तुम्हे फकर होगा कि तुम मेरे हाथो मारे गये. जल्दी आइए आपके लिए एक गेम तैयार है. तुम्हारे घर से बस आधे घंटे का रास्ता है. तुरंत पहुँच जाओ वरना अंजाम तुम जानते ही हो.”

रोहित के पास कुछ भी सोचने का वक्त नही था. उसे हर हाल में टाइम से खंदार पहुँचना था. उसने सोचा भी नही था की साइको रीमा को उठा लेगा उसे अपने जाल में फँसाने के लिए. रोहित ने मोबाइल निकाला एएसपी साहिबा को फोन करने के लिए. मगर तभी उसका फोन बज उठा.

“हेलो” रोहित ने कहा.

“किसे फोन कर रहे हो मिस्टर रोहित पांडे. आप से ऐसी उम्मीद नही की थी मैने. आपकी हर हरकत पर नज़र है मेरी.”

रोहित ने चारो तरफ देखा नज़रे दौड़ा कर पर कोई दिखाई नही दिया. “ज़रूर कोई कॅमरा लगा रखा है कामीने ने.” रोहित ने सोचा.

“क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे. लगता है रीमा कि कोई चिंता नही तुम्हे. ये मोबाइल एक तरफ फेंक दो और बिना किसी चालाकी के खंदार आ जाओ. ”

“ओके आ रहा हूँ. मेरी जीप की चाबी अंदर पड़ी है. वो तो उठा सकता हूँ ना.”

“हां उठा लो. मगर कोई चालाकी मत करना. तुम्हारे हर मूव पर नज़र है मेरी”

रोहित घर के अंदर गया और थोड़ी देर में बाहर आ गया. मगर बाहर आते ही उसने देखा कि मिनी रिपोर्टर माइक लिए खड़ी है.

“इनस्पेक्टर रोहित पांडे जी क्या आप बता सकते हैं कि ये साइको कौन हो सकता है.” मिनी ने पूछा.

“देखिए मैं इस वक्त बहुत जल्दी में हूँ. प्लीज़ अभी कुछ मत पूछिए.” रोहित अपनी जीप की तरफ बढ़ा.

“देखिए लोगो को साइको के बारे में जान-ने का पूरा हक़ है ताकि वो सतर्क रह सकें..” मिनी ने कहा.

रोहित ने आगे बढ़ कर मिनी को गले लगा लिया और बोला, “तुम्हारी जेब में एक चिट्ठी डाल रहा हूँ. एएसपी साहिबा से कॉंटॅक्ट करना. यहाँ मत पढ़ना.”

मिनी को कुछ समझ नही आया. रोहित फ़ौरन जीप ले कर निकल गया वहाँ से.

“क्यों किया उसने ऐसा …. कुछ गड़बड़ है. चिट्ठी कही और जा कर पढ़ती हूँ.” मिनी ने मन ही मन कहा.

………………………………………………………………………

रोहित फुल स्पीड से 20 मिनिट में ही पहुँच गया खंदार पर. बड़ी सावधानी से उतरा वो जीप से. हाथ में गन तान कर खंदार में घुस गया. कोई हलचल, कोई आवाज़ नही हो रही थी वहाँ. बिल्कुल सुनसान पड़ा था वो खंदार.

रोहित पूरी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था. खंदार के हर कोने में ध्यान से देख रहा था. जब वो उसी टूटे हुए कमरे में पहुँचा जिसमे की निसा और रामू की लाश मिली थी तो उसके होश उड़ गये.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

रीमा नही थी वो. कोई और थी. पीठ में खंजर गाड़ कर उसे दीवार के सहारे खड़ा कर रखा था. उसकी पीठ थी रोहित की तरफ. पहली नज़र में वो उसे रीमा ही लगी.

रोहित भाग कर आया उसके पास. उसने उस लड़की के कंधे पर हाथ रखा ही था कि उसके गले पर कोई नुकीली चीज़ आ कर गढ़ गयी. उसने तुरंत पीछे मूड कर देखा तो पाया कि एक नकाब पोश बिल्कुल उसके पीछे खड़ा है. ज़्यादा कुछ नही देख पाया वो. कुछ ही देर में वो बेहोश हो गया.

………………………………………………………………………………

मिनी ने रोहित के घर से थोड़ा दूर जाकर पढ़ी वो चिट्ठी. “ऑम्ग…साइको ने इनस्पेक्टर की गर्ल फ्रेंड को किडनॅप कर लिया …..और इनस्पेक्टर को बुलाया है खंदार में.”

मिनी के पास एएसपी साहिबा का नंबर नही था. वो तुरंर कॅमरमन को साथ लेकर थाने पहुँची और शालिनी को वो चिट्ठी दिखाई.

“ओह नो….” शालिनी ने तुरंत बेल बजाई.

एक कॉन्स्टेबल अंदर आया.

“चौहान को भेजो जल्दी अंदर…और सभी को इक्कथा होने के लिए बोलो. हमें एक ऑपरेशन पे निकलना है.”

“जी मेडम”

चौहान अंदर आया तो शालिनी ने उसे वो चिट्ठी दिखाई.

“ये रीमा कौन है…मेडम.” चौहान ने पूछा.

“ये सोचने का वक्त नही है…जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो. 2 मिनिट में निकलना है हमें.”

चौहान ने कुछ ध्यान नही दिया शालिनी की बात पर और अपनी बहन रीमा को फोन मिलाया. मगर फोन स्विच्ड ऑफ मिला.

“कही ये मेरी बहन रीमा तो नही….रोहित का उस से क्या लेना देना… …”

“ये सब बाद में सोचेंगे बेवकूफ़. जल्दी से ऑपरेशन के लिए रेडी करो सबको. ये साइको बचके नही जाना चाहिए आज.” शालिनी ने दृढ़ता से कहा. “थॅंक यू मिनी. प्लीज़ अभी कुछ मत दिखना टीवी पर. और हमारे साथ भी मत आना. बहुत ख़तरा है वहाँ.”

“ख़तरा माल लेना ही हमारी जॉब है मेडम. डॉन’ट वरी अबौट मी.”

“ओक आस यू विस”

5 मिनिट बाद शालिनी पोलीस की बहुत बड़ी पार्टी ले कर निकल पड़ी खंदार की ओर.

मगर जब वो वहाँ पहुँचे तो वहाँ उन्हे बस एक लड़की की लाश मिली. जिसकी पीठ में खंजर गढ़ा था.

“ओह शूकर है ये मेरी बहन नही है.” चौहान लड़की के चेहरे को देख कर बोला.

“मगर रोहित कहा है?” शालिनी ने कहा.

“डर कर भाग गया होगा वो मेडम” चौहान ने कहा.

“पागल हो गये हो क्या तुम. बिना सोचे समझे कुछ भी बोले जा रहे हो. अच्छे से हर तरफ देखो.” शालिनी ने चौहान को डाँट दिया.

खंदार में कर तरफ देखा गया. खंदार के पीछे जो जंगल था वहाँ भी हर तरफ देखा गया. मगर रोहित का कुछ पता नही चला.

“ऐसा करो पूरा जंगल छान मारो. लगता है हमें आने में देरी हो गयी. कुछ अनहोनी की आशंका हो रही है मुझे.” शालिनी ने कहा.

पूरा जंगल भी छान लिया पोलीस ने मगर उन्हे रोहित का कुछ शुराग नही मिला. मगर फिर भी पोलीस की तलाश जारी रही.

“खंदार में बुलाया उसने रोहित को. खंदार बिल्कुल जंगल के पास है. इस जंगल में ही गड़बड़ लगती है. पर कुछ मिल क्यों नही रहा.” शालिनी प्रेशान हो रही थी.

…………………………………………………………………………….

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रोहित की जब आँख खुली तो उसने खुद को एक बंद कमरे में पाया. तुरंत उसकी नज़र कमरे में बिछे बेड पर गयी. रीमा निर्वस्त्र पड़ी थी उसके उपर. उसके हाथ पाँव बँधे हुए थे. बिस्तर पर ही उसके कपड़े भी पड़े थे.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

“रोहित प्लीज़ मुझे बचा लो. मैं मरना नही चाहती.” रीमा रोते हुए बोली.

रोहित तुरंत उठ कर रीमा के पास आया और उसके हाथ पाँव खोल दिए.

“रीमा तुम बिल्कुल चिंता मत करो…मैं हूँ ना”

“ये वही कमरा लग रहा है जो कि हमने उस ड्व्ड में देखा था.”

“हां वही है ये. बिल्कुल वही है.” रोहित ने कहा.

“बहुत खूब मिस्टर पांडे…तुमने तो मेरे कहे बिना ही गेम शुरू कर दी. मैं भी तुम्हे यही बोलना चाहता था कि रीमा के हाथ पाँव खोलो पहले.” कमरे में आवाज़ गूँज उठी. आवाज़ एक छोटे से स्पीकर से आ रही थी जो कि दीवार पर टंगा था.

“तुम चाहते क्या हो?” रोहित ने कहा.

“बहुत ही सिंपल सी गेम है. हाथ तुमने खोल ही दिए हैं रीमा के. अब इसकी गर्दन काट कर उस डब्बे में रख दो जो कि बिस्तर के पास रखा है.”
 

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Update 79

रोहित का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, “अच्छा क्यों ना तुम्हारी गर्दन काट कर रख दूं इस डब्बे में. अगर हिम्मत है तो आ जाओ यहाँ. खंदार में भी तुमने एक नपुंसक की तरह पीछे से वार किया. सच बता है ना तू नमार्द?”

“मिस्टर पांडे समझ सकता हूँ मैं. तुम्हारी गर्ल फ्रेंड को उठा लाया मैं. तुम गुस्से में हो. पर मैं एक आर्टिस्ट हूँ. शांति से काम करता हूँ. वैसे तुम्हारे पास इसका सर काटने के अलावा कोई चारा नही है. टीवी ऑन करके देखो समझ जाओगे….हाहहाहा”

रोहित ने टीवी ऑन किया तो उसके होश उड़ गये. “पिंकी!... कमिने तुझे मैं जिंदा नही छ्चोड़ूँगा.”

रोहित ने देखा कि पिंकी एक बंद कमरे में खड़ी है. उसके साथ एक आदमी भी खड़ा है.

“तुम्हारी बहन के साथ जो आदमी बंद है उस कमरे में वो रेपिस्ट है. कयि रेप कर चुका है. तुम तो इसे जानते ही होंगे. पोलीस इनस्पेक्टर हो तुम तो.”

रोहित उस आदमी को देखते ही पहचान गया. उसके उपर रेप के 2 केस चल रहे थे पर सज़ा नही मिल पाई थी.

“ये आदमी रेप करेगा तुम्हारी बहन का. अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी बहन रेप से बच जाए तो तुरंत काट डालो गला रीमा का. अगर ऐसा नही किया तो 5 मिनिट के बाद ये आदमी टूट पड़ेगा तुम्हारी बहन पिंकी पर. चाय्स तुम्हारी है. तुम्हे बहन की इज़्ज़त प्यारी है या अपनी गर्ल फ्रेंड की जान.”

“कमिने इसे तू गेम कहता है. साले तू इंसान है या जानवर. आजा यहाँ और आमने सामने बात कर. तेरा ये गेम खेलने का शॉंक ना भुला दिया तो मेरा नाम भी रोहित नही.”

“हाहहाहा…मज़ा आएगा. इंट्रेस्टिंग. एक मिनिट बर्बाद कर दिया तुमने. कुछ करो वरना बहन की लुट-ती हुई इज़्ज़त देखोगे.”

रोहित और रीमा दोनो ही गहरे शॉक में थे. दोनो कुछ भी नही बोल पाए. 5 मिनिट बीत गये तो उस आदमी ने पिंकी को दबोच लिया.

“कामीने छ्चोड़ उसे….”रोहित चिल्लाया.

मगर उस कमरे तक रोहित की आवाज़ कहा पहुँच सकती थी. साइको ने उस आदमी को कहा था, “अगर रेप नही कर पाए इस लड़की का तो तुम्हारी लाश जाएगी यहाँ से बाहर.” और पिंकी को उसने कहा, “अगर तुमने रेप होने दिया तो तुम्हे काट डालूँगा.”

जैसा कि उसने निसा के साथ किया था, वैसा ही वो पिंकी के साथ कर रहा था.

रीमा ने रोहित के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “काट दो मेरा सर रोहित और रुकवा दो ये ब्लात्कार. बलात्कार मौत से भी ज़्यादा भयानक होता है.”

“चुप रहो तुम. ऐसा कुछ नही करूँगा मैं.” अचानक रोहित की नज़र रूम में लगे कॅमरा पर गयी. कॅमरा दीवार पर बहुत उपर लगा हुआ था. रोहित ने टेबल से टीवी को उठाया और उसे नीचे रख दिया.

टेबल पर चढ़ कर उसने कॅमरा को उतार लिया और पाँव के नीचे रख कर कुचल दिया.

साइको ये देख कर तिलमिला उठा और तुरंत उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे रोहित और रीमा थे. उसके एक हाथ में बहुत बड़ा चाकू था और एक हाथ में बंदूक थी.

रोहित ने कॅमरा तोड़ने के बाद कमरे में जल रहे बल्ब को भी फोड़ दिया. “रीमा तुम कपड़े पहन लो और इस बेड के नीचे छुप जाओ. आता ही होगा वो साइको. पागल हो गया होगा वो ये देख कर कि मैने कॅमरा तोड़ दिया.”

रीमा फ़ौरन कपड़े पहन कर बेड के नीचे छुप गयी. टीवी पर पिंकी उस आदमी से संघर्ष कर रही थी. रोहित ने टीवी भी बंद कर दिया.

कमरे के दरवाजे के बाहर आहट हुई तो रोहित तुरंत दरवाजे के साथ दीवार से चिपक गया. अगर दरवाजा खुलता तो वो दरवाजे के पीछे रहता. कमरे में बिल्कुल अंधेरा हो गया.

दरवाजा खुला तो बाहर से कुछ रोशनी आई. बाहर भी एक बल्ब जल रहा था. साइको जैसे ही अंदर आया रोहित ने उसे दबोच लिया. मगर साइको ने तुरंत छुड़ा लुया खुद को और रोहित के पेट पर चाकू से वार किया. चाकू हल्का सा चीर कर निकल गया रोहित के पेट को.

साइको ने फाइयर किया रोहित पर मगर रोहित ने नीचे झुक कर उसकी टाँग पकड़ कर कुछ इस तरह से खींची कि वो धदाम से गिर गया फार्स पर. बहुत तेज आवाज़ हुई उसके गिरने से. सर भी टकराया था साइको का फर्श से.

रीमा बेड के नीचे से निकल आई और रोहित उसका हाथ पकड़ कर फ़ौरन कमरे से बाहर आ गया. साइको ने फाइयर किया रोहित पर मगर गोली दरवाजे पर लगी. रोहित ने बाहर आते ही दरवाजा बंद कर दिया था. कुण्डी लगा दी बाहर से रोहित ने ताकि साइको निकल ना सके.

“रोहित कैसे निकलेंगे यहाँ से.”

“चिंता मत करो…पिंकी को ढूँढते हैं पहले”

वो दोनो बात कर ही रहे थे कि उन्हे पिंकी की चींख सुनाई दी.

रोहित तुरंत दौड़ा उस कमरे की तरफ जिसमे की पिंकी बंद थी. क्योंकि उस कमरे से पिंकी के चीखने चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी इसलिए वो कमरा ढूँढने में ज़्यादा दिक्कत नही हुई.

वो कमरा बाहर से बंद था. ताला लगा था उस पर. चाबी कमरे के बाहर पड़े टेबल पर ही पड़ी थी. एक बड़ा सा चाकू भी पड़ा था टेबल पर. रोहित ने ताला खोला और चाकू उठा लिया.

रोहित अंदर आया तो देखा कि वो आदमी पिंकी को मार रहा है, “खोल टांगे साली…खोल टांगे.”

रोहित ने एक हाथ से उसकी टाँग पकड़ी और खींच लिया उसे पिंकी के उपर से. फिर बिना सोचे समझे चाकू गाढ दिया उसके सीने में.

“रेप करना तेरी हॉबी है क्यों … आज तेरा खेल ख़तम” रोहित ने कहा.

“रोहित चलो जल्दी…यहाँ से निकलते हैं.” रीमा ने कहा.

पिंकी ने फ़ौरन अपने कपड़े पहन लिए.

तुम दोनो इसी कमरे में रूको. कुण्डी लगा लो अंदर से. मैं उस साइको का काम तमाम करके आता हूँ.

“रोहित उसके पास गन है…प्लीज़ अभी निकलते हैं यहाँ से.”

“नही रीमा, आज उसे मार कर ही जाउन्गा यहाँ से. नही बचेगा अब वो”

रोहित हाथ में चाकू लेकर उस कमरे की तरफ बढ़ा जिसमे उसने साइको को बंद किया था. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया. वहाँ कोई नही था.

“ऐसा कैसे हो सकता है…कहा गया वो कमीना साइको. कमरा तो बाहर से बंद था.” रोहित ने वक्त गँवाना ठीक नही समझा. उसके साथ 2 जवान लड़किया थी.

उसने फ़ौरन उस कमरे का दरवाजा बंद किया और वापिस रीमा और पिंकी के पास आ गया. उसने दरवाजा खड़काया, “जल्दी खोलो हमें निकलना होगा यहाँ से तुरंत.”

रीमा ने दरवाजा खोला और बोली, “क्या हुआ?”

“वो कमीना साइको कमरे में नही है…चलो जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”

तभी उन्हे कदमो की आहट सुनाई दी.

“कौन है वहाँ अपने हाथ उपर करो”

“अरे ये तो एएसपी साहिबा की आवाज़ है” रोहित ने कहा.

“मेडम मैं हूँ रोहित….” रोहित चिल्लाया.

शालिनी के साथ पूरी पोलीस घुस आई थी वहाँ.

“तुम ठीक तो हो ना रोहित?” शालिनी ने पूछा.

“हां मैं ठीक हूँ पर वो साइको हाथ से निकल गया आज फिर … पोलीस को आस पास चारो तरफ फैला दीजिए…वो ज़रूर कही आस पास ही होगा.” रोहित ने कहा.

चौहान थोड़ा पीछे था इसलिए अपनी बहन को नही पहचान पाया. जब वो वहाँ पहुँचा तो हैरान रह गया. रीमा तुम.. …तुम यहाँ क्या कर रही हो .”

रीमा की तो साँस अटक गयी. कुछ भी नही बोल पाई.

“सर रीमा को साइको उठा लाया था…इसलिए ये यहाँ है.” रोहित ने बात को संभालने की कोशिस की.

“तुम कैसे जानते हो रीमा को .. … …”

“ट्रेन में मुलाक़ात हुई थी इनसे. आप घबराए मत हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं.” रोहित ने मुस्कुराते हुए कहा.

“ये वक्त है क्या ये सब बाते करने का.” शालिनी ने दोनो को डाँट दिया.

“सॉरी मेडम” रोहित ने कहा.

चौहान बस दाँत भींच कर रह गया. उसने रीमा को गुस्से से घूर कर देखा. रीमा ने डर के मारे नज़रे झुका ली.

“चौहान तुम एक पार्टी लेकर तुरंत जंगल को कवर करो. ये साइको यही कही होना चाहिए.”

“जी मेडम” चौहान ने कहा और रोहित को घूरता हुआ वहाँ से चला गया. उसकी आँखो से आग बरस रही थी.

“मेडम मैने साइको को कमरे में बंद कर दिया था. मगर अब वो वहाँ नही है. चलिए उसी कमरे को ठीक से देखते हैं.”

“हां बिल्कुल” शालिनी ने 2 कॉन्स्टेबल रीमा और पिंकी के साथ छ्चोड़ दिए और रोहित के साथ उस कमरे की तरफ चल दी जिसमे की रोहित ने साइको को बंद किया था. साथ में 4 गन्मन भी थे.

वो दरवाजे की कुण्डी खोल कर अंदर घुसे तो उन्हे कमरा खाली मिला.

“ऐसा कैसे हो सकता है, वो बंद कमरे से गायब कैसे हो गया. ज़रूर कोई ख़ुफ़िया रास्ता या शुरंग है यहाँ.” शालिनी ने कहा.

“सही कहा मेडम मुझे भी यही लगता है.” रोहित ने कहा.

“ये बेड एक तरफ सरकाओ” शालिनी ने कॉन्स्टेबल्स को कहा.

बेड एक तरफ सरकाया गया तो उन्हे एक ख़ुफ़िया रास्ता मिला. “हटाओ ये पत्थर” शालिनी ने कहा.

पत्थर हटाया गया तो उनका शक यकीन में बदल गया, “ये कोई शुरंग लगती है. तहखाना भी हो सकता है.”

“मेडम आप मुझे अपनी पिस्टल दीजिए. मैं जा कर देखता हूँ.”

शालिनी ने अपनी पिस्टल रोहित को दे दी और वो उतर गया उस छोटी सी खिड़की में एक टॉर्च ले कर. अंदर झाँक कर वो बोला, “मेडम ये तो बहुत बड़ी शुरंग लगती है.” रोहित ने कहा.

रोहित के पीछे पीछे काफ़ी पोलीस वाले अंदर घुस गये. शालिनी भी अंदर घुस गयी. वो आगे बढ़ते गये शुरंग में पर उन्हे साइको का कोई शुराग नही मिला. वो जंगल के बीचो-बीच घनी झाड़ियों में जाकर बाहर निकले.

“बहुत शातिर दिमाग़ है ये साइको. क्या ठिकाना बना रखा है. जंगल में ये घर कब और किसने बनाए होंगे वो भी अंडरग्राउंड.”

“क्या जहा से हम आए है क्या वो जगह अंडरग्राउंड है.” रोहित ने कहा.

“हां…बहुत मुस्किल से मिली वो हमें. घनी झाड़ियों में एक छोटी सी गुफा में एक छोटा सा दरवाजा था जहा से हम सब वहाँ पहुँचे.”

“मतलब कि हमारा शक सही था. हम सही सोच रहे थे कि जंगल में कुछ गड़बड़ है.”

“हां पर वो साइको तो निकल गया ना हाथ से फिर से.” शालिनी ने कहा.

“मुझसे ही ग़लती हो गयी. पर मैं क्या करता. मेरा पूरा ध्यान पिंकी और रीमा को शूरक्षित रखने पर था.”

शालिनी ने गहरी साँस ली और बोली, “लीव इट.”

वहाँ हर तरफ तलास की गयी मगर साइको का कुछ पता नही चला. रोहित और शालिनी शुरंग के ज़रिए वापिस उसी कमरे में पहुँच गये. उस जगह को अच्छे से देखा गया. पर वहाँ ऐसा कोई शुराग नही मिला जिस से उन्हे साइको को ढूँढने में मदद मिले. उस जगह को शील बंद कर दिया गया. जंगल को पूरी तरह छाना गया पर वहाँ भी साइको का कुछ पता नही चला.

“वो भाग गया होगा पोलीस को देख कर.” रोहित ने कहा.

“हां यही लगता है.” शालिनी ने कहा.

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चौहान रीमा को लेकर घर पहुँचा. रात के 2 बज गये थे. रास्ते भर उसने रीमा से कोई बात नही की.

घर आ कर उसने रीमा के मूह पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, “बता क्या रिश्ता है तेरा उस रोहित पांडे से. कैसे जानता है वो तुझे.”

“हम अच्छे दोस्त हैं, भैया.” रीमा गिड़गिडाई.

“कब बने दोस्त तुम दोनो.”

“कुछ दिन पहले ट्रेन में मिला था वो मुझसे जब मैं बुवा के घर से आ रही थी.”

“अच्छा इतनी जल्दी वो फ्रेंड भी बन गया तेरा. इतनी आज़ादी दे रखी है मैने तुझे और तू फ़ायडा उठा रही है.”

रीमा कुछ नही बोल पाई.

“चल दफ़ा हो जा मेरी नज़रो के सामने से. जल्दी तेरी शादी करके तुझे यहाँ से दफ़ा कर दूँगा. अगले हफ्ते तुझे देखने आ रहे हैं लड़के वाले.”

“भैया अभी तो मैं पढ़ रही हूँ.”

“हां देख रहा हूँ कि कितना पढ़ रही है. चल जा अपने कमरे में. एक ,दो महीने के अंदर ही शादी करवा दूँगा तुम्हारी.”

रीमा सुबक्ते हुए अपने कमरे में आ गयी और गिर गयी बिस्तर पर. दिल घबरा रहा था उसका शादी के नाम से.

…………………………………………………………………………

रोहित भी पिंकी के साथ लेकर घर की तरफ चल दिया.

रास्ते में पिंकी ने रोहित को बताया कि कैसे साइको उसे जंगल में ले गया था.

“सुबह सुबह सड़क सुन्शान थी. अचानक हमारी कार के आगे उसने अपनी कार लगा दी और हमें रुकने पर मजबूर कर दिया. नकाब पहन रखा था उसने. ड्राइवर को गोली मार दी उसने और मुझे कुछ सूँघा कर वहाँ जंगल ले गया.”

“इसीलिए मैं तुझे यहाँ से दूर भेज रहा था. कोई बात नही जो हुआ सो हुआ. मैं कल खुद छ्चोड़ कर आउन्गा देल्ही. अब अकेला नही भेजूँगा तुझे. ” रोहित ने कहा.

अगले दिन सुबह 8 बजे रोहित पिंकी को लेकर देल्ही चल दिया. आने, जाने की टॅक्सी बुक कर ली थी उसने.

………………………………………………………………………

पद्‍मिनी के चाचा चाची सुबह सेवेरे ही निकल दिए देल्ही के लिए. पद्‍मिनी के चाचा का देल्ही में किड्नी का ऑपरेशन होना था जिसके लिए उन्हे वहाँ पहुँचना ज़रूरी था. गब्बर को भी उनके साथ ही जाना था. क्रिटिकल सिचुयेशन थी, ऑपरेशन में डेले नही कर सकते थे. वो बोल रहे थे पद्‍मिनी को भी साथ चलने के लिए और उनके साथ ही रहने के लिए. मगर उसने मना कर दिया, “मैं इस घर को छ्चोड़ कर नही जाउन्गि. मम्मी पापा की यादें हैं यहाँ. और वैसे भी भागने से फ़ायडा क्या है. मौत अगर लिखी है तो कही भी आ सकती है.”

सुबह 8 बजे निकले थे वो लोग और पद्‍मिनी उन्हे सी ऑफ करने बाहर तक आई थी. उन्हे सी ऑफ करने के बाद जैसे ही पद्‍मिनी वापिस मूडी घर में जाने के लिए राज शर्मा ने पद्‍मिनी को आवाज़ दी, “पद्‍मिनी जी!”

पद्‍मिनी रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. राज शर्मा उसकी तरफ बढ़ रहा था. राज शर्मा उसके पास पहुँच कर बोला, “कैसी हैं आप अब?”

“जिंदा हूँ”

“समझ नही आता कि क्या करूँ आपके लिए.”

“तुम्हे कुछ करने की ज़रूरत नही है.” पद्‍मिनी ने कहा और अपने घर में घुस कर कुण्डी लगा ली और दरवाजे पर खड़ी हो कर सुबकने लगी, “तुमने कौन सा कसर छ्चोड़ी है मुझे परेशान करने की.”

राज शर्मा खड़ा रहा चुपचाप. कर भी क्या सकता था. “मैं भी पागल हूँ. जब पता है कि वो मेरी बात से परेशान ही होती हैं फिर क्यों…और परेशान करता हूँ उन्हे.” राज शर्मा वापिस जीप में आकर बैठ गया चुपचाप.

………………………………………………………………………………

….

सुबह 9 बजे ही तैयार हो गया मोहित आज. पूजा के साथ घूमने जो जा रहा था वो.

“कहाँ मिलना है, इस बारे में तो बात ही नही हुई पूजा से. सीधा घर चला जाउ क्या उसे लेने.” मोहित ने सोचा.

“नही..नही..कही नगमा कोई पंगा ना कर दे. शायद पूजा वही बस स्टॉप पर ही मिलेगी.”

जैसा की मोहित ने सोचा था, पूजा उसे बस स्टॉप पर ही मिली.

मोहित को बाइक पर आते देख उसके होंटो पर मुस्कान बिखर गयी. पर अगले ही पल वो उदास भी हो गयी.

मोहित ने उसके सामने बाइक रोकी और बोला, “क्या हुआ पहले मुस्कुराइ और फिर चेहरा लटका लिया.कोई प्राब्लम है क्या पूजा.”

“हां वो पिता जी की तबीयत खराब है कल शाम से. दीदी अकेली परेशान हो रही है. ऐसे में घूमने कैसे जाउ तुम्हारे साथ.”

“ओह…इसमे परेशान होने की कौन सी बात है पूजा. घूमने फिर कभी चलेंगे. तुम घर जाओ और पिता जी की सेवा करो.”

“कॉलेज में एक इंपॉर्टेंट लेक्चर है वो अटेंड करके आ जाउन्गि.”

“गुड, आओ बैठ जाओ, छ्चोड़ देता हूँ तुम्हे कॉलेज मैं.” मोहित ने कहा.

“नही मैं चली जाउन्गि…तुम ड्यूटी के लिए लेट हो जाओगे.”

“हो जाने दो लेट. तुम्हे कॉलेज छ्चोड़े बिना कही नही जाउन्गा. बैठ जाओ प्लीज़ और आज फिर अपना सर रख लेना मेरे कंधे पर. बहुत अतचा लगा था कल जब तुमने सर रखा था मेरे कंधे पर. बहुत रोमॅंटिक फील हो रहा था मुझे.”

“अच्छा…वो तो यू ही रख दिया था मैने, सर में दर्द हो रहा था कल.”

“अच्छा बैठो तो”

पूजा बैठ गयी और जैसे ही मोहित बाइक ले कर आगे बढ़ा पूजा ने सर टिका दिया उसके कंधे पर.

“सर में दर्द हो रहा है ?” मोहित ने पूछा.

“हां, तुम्हे कैसे पता.”

“क्योंकि जैसा कल फील हो रहा था मुझे वैसा ही आज भी फील हो रहा है. हटाना मत सर अपना कॉलेज तक”

“मोहित, तुम्हे बुरा तो नही लगा ना कि मैं आज भी नही चल रही तुम्हारे साथ.”

“पागल हो क्या बुरा क्यों लगेगा. वैसे मेरा मन भी कल से खराब है. कल शमसान गया था पद्‍मिनी के पेरेंट्स के अंतिम संस्कार पर. कल से मन बहुत खराब हो रहा है. बहुत बुरी तरह से कतल किया साइको ने उनका.”

“आख़िर ये साइको पकड़ा क्यों नही जा रहा मोहित.”

“बहुत चालाक है ये साइको पूजा. मगर पकड़ा जाएगा एक ना एक दिन वो. कब तक बचेगा. ”

“हां वो तो है.

बातो बातो में कॉलेज आ गया. मोहित ने बाइक रोक दी गेट के बाहर और पूजा उतर गयी बाइक से.

“पूजा हमेशा ख्याल रखना अपना. सुनसान जगह पर कभी मत जाना. हमेशा ग्रूप में रहना. मेरे लिए अपना ख्याल रखना.”

“तुम्हारे लिए क्यों.”

“क्योंकि मेरी जिंदगी हो तुम.”

“हटो जाओ तुम.” पूजा शर्मा गयी.

“अरे सच कह रहा हूँ. तुम सच में मेरी जिंदगी हो. तुम्हारे बिना नही जी सकता मैं.”

“अच्छा…जाओ लेट हो जाओगे. मेरे भी लेक्चर का टाइम होने वाला है.”

“ओह हां तुम निकलो. बाइ. टेक केर.”

पूजा कॉलेज के अंदर चली गयी और मोहित अपने ऑफीस की तरफ चल दिया.

जब वो ऑफीस पहुँचा तो उसके कमरे के बाहर एक खुब्शुरत लेडी बैठी थी कुर्सी पर.

“आप का परिचाय.”

“मेरा नाम दीपिका है. मुझे आपके बॉस ने आपसे मिलने को कहा है. मैं गौरव मेहरा की बीवी हूँ.”

“ओह हां याद आया. प्लीज़ कम इन.” मोहित ने कहा.

मोहित कमरे में घुस गया. पीछे पीछे दीपिका भी आ गयी.

मोहित के बैठते ही वो उसके सामने बैठ गयी. दीपिका ने जीन्स और टॉप पहना हुआ था. टॉप कुछ इस तरह का था कि उसके बूब्स को वो बहुत अच्छे से बाहर की हवा दे रहा था . ना चाहते हुए भी मोहित की निगाह चली गयी उसके बूब्स पर. बस निपल्स छुपे हुए थे अंदर वरना तो सब कुछ बाहर ही था .

“ठर्कि लगती है ये एक नंबर की. जानबूझ कर दिखा रही है अपना समान. सुबह सुबह इसे ही आना था ऑफीस.”

“आपके बॉस ने आपको बता ही दिया होगा सब कुछ.” दीपिका ने कहा.

“जी हां बता दिया है. तो आपको लगता है कि आपके पति के किसी लड़की के साथ नज़ायज़ संबंध हैं और आपको सबूत चाहिए ताकि आप तलाक़ के लिए कोर्ट में जा सकें. ईज़ दट राइट.”

“यस आब्सोल्यूट्ली.”

“ठीक है आज से ही काम शुरू हो जाएगा.”

“टोटल कितनी पेमेंट करनी होगी मुझे.”

“उसके बारे में आप बॉस से बात कर लीजिए. मैं वो मॅटर्स हॅंडल नही करता.” मोहित ने कहा.

“थॅंक यू वेरी मच. मुझे जल्द से जल्द कुछ सबूत चाहिए. मैं उस वहशी के साथ नही रह सकती. आप मेरे कपड़े देख रहे हैं. बहुत रिवीलिंग हैं ना.”

मोहित के समझ में नही आया कि वो क्या कहना चाहती है. “क्या मतलब ..”

“मेरा पति मुझे रिवीलिंग कपड़े पहनाता है. उसे अच्छा लगता है जब दुनिया मुझे ऐसे कपड़ो में देखती है. ये टॉप जो आप देख रहे हैं कल ही लाकर दिया उन्होने. उनकी चाय्स के अनुसार कपड़े पहन-ने होते हैं मुझे.”

“ओह..वेरी बॅड.”

“आपको ये सब बताया क्योंकि आप मेरी छाती को देख रहे थे और शायद मुझे ग़लत समझ रहे थे. मेरे पास कोई भी चारा नही होता है ये कपड़े पहन-ने के सिवा. मुझे उनसे तलाक़ चाहिए और बिना सबूत के तलाक़ मिलेगा नही. उनके काई औरतो से संबंध हैं लेकिन अधिकतर वो कामिनी के साथ रहते हैं. आप इन्वेस्टिगेशन करेंगे तो सब जान जाएँगे. मैं चलती हूँ.” दीपिका उठ कर चली गयी.

मोहित तो देखता ही रह गया उसे. बहुत ही अजीब सा कुछ कहा था उसने. “क्या ऐसा हो सकता है शायद हो भी सकता है. एक से बढ़कर एक नमूने हैं दुनिया में.”

मोहित अपने सीक्रेट इंत्रुएमेंट्स लेकर निकल पड़ा. एक तो बड़ा कॅमरा था उसके पास जो कि विज़िबल था. एक सीक्रेट कॅमरा उसकी पेन में भी था जो कि किसी को दिखता नही था .

मोहित ने इंक्वाइरी की तो पता चला की दीपिका सही कह रही थी. गौरव मेहरा अमीर था और खूब पैसे वाला था. बहुत सारे शॉंक पाल रखे थे उसने. उसका ज़्यादा तर कामिनी से ही मिलना जुलना रहता था. मोहित ने कामिनी का अड्रेस पता किया और पहुँच गया उसके घर. वो एक बड़े से फ्लॅट में अकेली रहती थी. फ्लॅट उसे गौरव मेहरा ने ही लेकर दिया था. मोहित उसके घर पहुँचा. दरवाजे पर कान लगा कर देखा तो पाया कि अंदर से कुछ आवाज़े आ रही हैं. आवाज़े कुछ इस तरह की थी जिस तरह कि काम-क्रीड़ा के वक्त निकलती हैं

लॉक खोलने में तो मोहित माहिर था ही. खोल कर घुस गया चुपचाप अंदर.

“आअहह चूस ये लंड. अच्छे से चूस.”

मोहित उस बेडरूम की तरफ बढ़ा जहा से आवाज़ आ रही थी. कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला था. क्योंकि मैं दरवाजा बंद था इसलिए बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गये थे शायद वो लोग.

मोहित ने झाँक कर देखा तो दंग रह गया. अंदर कामिनी के साथ गौरव मेहरा नही बल्कि उसका छोटा भाई संजीव मेहरा था. दीपिका मोहित को परिवार के लोगो की फोटो दे गयी थी इसलिए उसने संजीव को पहचान लिया था.

“भैया की रखैल को चोदने का मज़ा ही कुछ और है.” संजीव ने कहा.
 

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मोहित वहाँ से जाने ही वाला था कि उसे कुछ हलचल सुनाई दी अपने पीछे. उसने मूड कर देखा तो पाया कि एक लड़की बिल्कुल नंगी उसकी तरफ बढ़ रही है.

उसने इसारो में पूछा, “कौन हो तुम.”

मोहित थोड़ा घबरा गया फिर उस लड़की के पास आया और बोला, “कामिनी जी से मिलने आया था पर वो अभी बिज़ी है. बाद में आउन्गा.”

“मैं तो बिज़ी नही हूँ. मुझे बता दीजिए.”

“आप कौन हैं.”

“मेरा नाम कुमकुम है.” उस लड़की ने कहा और मोहित का लिंग पकड़ लिया.

“देखिए मैं इस काम के लिए नही आया था.”

“कोई बात नही आ गये हैं तो ये काम भी हो जाए.”

“जी नही माफ़ कीजिए.” मोहित उसे झटका दे कर वहाँ से बाहर आ गया.

“उफ्फ क्या मुसीबत है. इन्वेस्टिगेशन करनी कितनी मुस्किल होती है .” मोहित वहाँ से झटपट निकल लिया.

कुमकुम उस बेडरूम में घुस गयी जिसमे कामिनी और कुमकुम थे.

“कुमकुम तू कहाँ घूम रही है. चल कामिनी के साथ मिल कर तू भी सक कर.”

“तुम्हारे भैया को पता चल गया ना तो हमारा खून सक कर लेंगे वो.” कुमकुम ने मुस्कुराते हुए कहा.

“भैया तो अपनी दुनिया में खोए रहते हैं आजकल. उन्हे कुछ पता नही चलेगा.”

कुमकुम पास आ गयी और कामिनी के पास बैठ कर वो संजीव की बॉल्स को सक करने लगी. कामिनी उसके लिंग को चूस रही थी और कुमकुम उसकी बॉल्स को.

“आअहह गुड डबल धमाका” संजीव ने कहा

कुछ देर तक वो यू ही सक करते रहे.

“पहले कौन डलवाएगा.” संजीव ने पूछा.

“हम दोनो तैयार हैं. तुम ही तैय करो किसके अंदर डालना है.” कामिनी ने हंसते हुए कहा.

संजीव ने कामिनी को बिस्तर पर पटका और चढ़ गया उसके उपर. एक झटके में उसने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया.

“आअहह” कामिनी कराह उठी.

“तुम भी पास में लेट जाओ. एक साथ दोनो की लूँगा” संजीव ने कहा.

कुमकुम लेट गयी कामिनी के बाजू में. कुछ देर संजीव कामिनी के अंदर धक्के मारता रहा. फिर उसने अचानक लंड निकाला बाहर और कुमकुम के उपर चढ़ गया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

“आअहह एस…ऊओह संजीव.” कुमकुम कराह उठी.

संजीव का एक हाथ कामिनी के उनहारो को मसल रहा था और एक हाथ कुमकुम के उभारो को मसल रहा था. पर कुमकुम की चूत में लंड पूरी रफ़्तार से घूम रहा था.

कुछ देर कुमकुम की चूत का आनंद लेने के बाद संजीव वापिस कामिनी पर चढ़ गया और पूरी रफ़्तार से फक्किंग करने लगा. जल्दी ही वो ढेर हो गया कामिनी के उपर. कामिनी भी बह गयी उसके साथ ही.

“मेरा क्या होगा अब. तुम दोनो का तो ऑर्गॅज़म हो गया. मेरे ऑर्गॅज़म का क्या.”

“बस अभी थोड़ी देर में तैयार हो जाउन्गा.”

मोहित भाग कर अपनी बाइक स्टार्ट करने लगा तो उसने देखा कि फ्लॅट के बाहर एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आकर रुकी है. उसमे से गौरव मेहरा निकला और सीधा कामिनी के फ्लॅट की तरफ बढ़ा.

“कुछ गड़बड़ होने वाली है इस फ्लॅट में आज.” मोहित ने मन ही मन सोचा.

गौरव मेहरा के पास मास्टर की थी फ्लॅट की. लॉक खोल कर सीधा बेडरूम में आ गया. जब वो वहाँ पहुँचा तो संजीव के साथ कामिनी और कुमकुम आँखे मिचे पड़ी थी.

“बहुत बढ़िया.” गौरव मेहरा ने कहा.

“गौरव …” कामिनी और कुमकुम दोनो ने एक साथ कहा.

गौरव ने बंदूक तान दी कामिनी की तरफ.

“गौरव प्लीज़..मेरी बात……”

आगे कुछ नही बोल पाई कामिनी क्योंकि गोली उसके सर में लगी सीधी. गजब का निशाना था गौरव का.

“भैया प्लीज़…” संजीव गिड़गिदाया.

गौरव ने कामिनी को शूट करने के बाद कुमकुम पर बंदूक तान दी.

“नही गौरव मेरी बात….”

गोली उसके भी सर के आर-पार हो गयी.

“चल निकल यहाँ से वरना तुझे भी मार डालूँगा.” गौरव ने कहा.

संविव ने फ़ौरन कपड़े पहने और चुपचाप वहाँ से निकल गया. गौरव भी फ्लॅट को लॉक करके वहाँ से निकल गया.

मोहित संजीव और गौरव के जाने के बाद चुपचाप फ्लॅट में घुसा. जब वो बेडरूम में पहुँचा तो दंग रह गया.

“ओह माइ गॉड… दोनो को मार दिया उसने. अपने भाई को क्यों नही मारा.” मोहित ने कहा.

मोहित ने ज़्यादा देर वहाँ रुकना ठीक नही समझा और फ़ौरन वहाँ से निकल गया. उसने ये बात फ़ौरन रोहित को फोन करके बताई.

“दोनो लड़कियों को गोली मार दी उसने. ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है उसके पास.”

“ह्म्म मुझे पता है कि ब्लॅक स्कॉर्पियो है उसके पास. मैं अभी देल्ही पहुँचा हूँ. अपनी बहन को यहाँ छ्चोड़ने आया था. आ कर देखता हूँ कि क्या माजरा है.”

रोहित देल्ही से लौट-ते ही उस फ्लॅट पर गया. मगर उसे वहाँ कोई लाश नही मिली. मोहित भी उसके साथ ही था.

“सर मैने अपनी आँखो से देखी थी दोनो लड़कियों की लाश”

“इसका मतलब गायब कर दी उसने डेड बॉडीस. इस घटना के बाद ये गौरव मेहरा प्राइम सस्पेक्ट बन गया है.”

“बिल्कुल सर. और उसके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो भी है.” मोहित ने रोहित को दीपिका की कही बाते भी बता दी.

“ये सब सुन के तो ये गौरव मेहरा ही साइको लगता है.”

रोहित को कतल का कोई नामो निशान तक नही मिला था उस फ्लॅट में.

"मोहित, तुम्हारे पास गौरव मेहरा और उसके भाई की फोटो है ना?"

"जी हां हैं."

"एक-एक कॉपी मुझे दे दो. पद्‍मिनी से सिनाक्त करवा लेता हूँ. ये दोनो भाई किसी साइको से कम नही हैं."

मोहित ने स्नॅप्स रोहित को दे दी.

"गौरव मेहरा से बाद में मिलूँगा पहले ये स्नॅप्स पद्‍मिनी को दिखा कर आता हूँ."

"आज़ यू विस" मोहित ने कहा.

रोहित वो स्नॅप्स ले कर सीधा पद्‍मिनी के घर पहुँच गया. उसने वो स्नॅप्स राज शर्मा को थमा दी और बोला,"ये स्नॅप्स पद्‍मिनी को दिखाओ और पूछो कि क्या इनमे से कोई साइको है."

"सर वो अभी बहुत परेशान है. किसी से कोई भी बात नही करना चाहती वो."

"मैं समझ रहा हूँ पर हम हाथ पर हाथ रख कर नही बैठ सकते. पद्‍मिनी से रिक्वेस्ट करो वो मान जाएगी. उसे बस ये स्नॅप्स देख कर हां या ना में ही तो जवाब देना है. जाओ ट्राइ करो जा कर."

राज शर्मा स्नॅप्स ले कर घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे. राज शर्मा को डर लग रहा था दरवाजा खड़काते हुए. मगर उसने खड़का ही दिया.

"क्या है अब?" पद्‍मिनी ने पूछा

"रोहित सर कुछ स्नॅप्स लाए हैं. देख लीजिए हो सकता है इनमे से कोई साइको हो." राज शर्मा ने स्नॅप्स पद्‍मिनी की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

पद्‍मिनी ने स्नॅप्स पकड़ ली और गौर से देखने लगी. कुछ कन्फ्यूज़्ड सी हो गयी वो गौरव मेहरा की स्नॅप्स देखते हुए. रोहित दूर से पद्‍मिनी के रिक्षन को अब्ज़र्व कर रहा था. पद्‍मिनी को कन्फ्यूज़्ड अवस्था में देख कर वो तुरंत पद्‍मिनी के पास आया और बोला, क्या हुआ पद्‍मिनी, क्या यही साइको है"

"मैं ठीक से कुछ नही कह सकती. मुझे लगता है अब मैं उसका चेहरा भूल चुकी हूँ."

"क्या ... ...ऐसा कैसे हो सकता है."

"मुझे जो लग रहा है मैने बोल दिया. वैसे भी डरी हुई थी मैं उस वक्त. उसका चेहरा मुझे हल्का हल्का याद रहा. मगर अब सब धुंधला धुंधला हो गया है."

"ओह नो पद्‍मिनी ...अगर ऐसा है तो हमारा काम और भी मुस्किल हो जाएगा." रोहित ने कहा.

"मेरा दिमाग़ मेरे बस में नही है. सब खो गया है...बिखर गया है. अब इंतेज़ार है तो बस इस बात का कि वो साइको मुझे भी मार दे आकर ताकि मुझे इस जिंदगी से छुटकारा मिले." ये कह कर दरवाजा पटक दिया उसने.

रोहित और राज शर्मा एक दूसरे को देखते रह गये.

"अब क्या होगा सर"

"पद्‍मिनी ट्रौमा में है. ऐसे में मेमोरी लॉस हो जाना स्वाभाविक है. वैसे भी एक झलक ही तो देखी थी उसने साइको की. कोई बात नही. अब कुछ और सोचना होगा."

वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि एक कार रुकी घर के बाहर. उसमे से एक व्यक्ति निकला और घर की तरफ बढ़ा.

मगर गन्मन ने उसे पीछे ही रोक लिया. रोहित और राज शर्मा उसके पास आ गये. रोहित ने पूछा, "किस से मिलना है आपको."

"मुझे पद्‍मिनी से मिलना है."

"क्यों मिलना है?"

"शी ईज़ माइ वाइफ. आपको बताने की ज़रूरत नही है कि क्यों मिलना है."

“क्या …” राज शर्मा और रोहित एक साथ बोले.

राज शर्मा और रोहित दोनो ही शॉक्ड हो गये पद्‍मिनी के हज़्बेंड को देख कर.

वो देखते रहे और वो घर की तरफ बढ़ गया.

“एक मिनिट…तुम्हारे पास क्या सबूत है की तुम पद्‍मिनिन के पति हो.” रोहित ने पूछा.

“पद्‍मिनी बता देगी अभी. उस से मिल तो लेने दो.”

“ह्म्म ठीक है…आओ.” रोहित ने कहा.

सुरेश रोहित और राज शर्मा के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ा.
 

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do.”

“hmm thik hai…aao.” Rohit ne kaha.

Suresh rohit aur Raj sharma ke saath darvaaje ki taraf badha.

Kramashah..............................
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rajaarkey
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Re: बात एक रात की
Unread post 12 Dec 2014 10:09

बात एक रात की--81

गतान्क से आगे.................

रोहित ने बेल बजाई.

“अब क्या है. मुझे परेशान क्यों…..” पद्‍मिनी बोलते बोलते रुक गयी.

“कैसी हो पद्‍मिनी.” सुरेश ने कहा.

पद्‍मिनी ने कोई जवाब नही दिया.

“पद्‍मिनी क्या ये तुम्हारा पति है.” रोहित ने पद्‍मिनी से पूछा.

“पति नही है…पति था. चले जाओ यहाँ से. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है.” पद्‍मिनी ने दरवाजा वापिस बंद कर दिया.

“पद्‍मिनी रूको.” सुरेश चिल्लाया और दरवाजा पीटने लगा.

“बहुत खूब. पद्‍मिनी के पेरेंट्स के बाद अब सारी जायदाद पद्‍मिनी की है. सब कुछ तुम्हे मिल सकता है, है ना. वाह. हेमंत सही कहता था. तुम सच में राइडर हो. तुम्हारी हर बात में एक राइडर छुपा होता है.”

“बकवास मत करो…मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ. हमारे बीच मतभेद हैं, पर हम वो मिल जुल कर सुलझा लेंगे.”

“सुलझा लेना मगर अभी यहाँ से दफ़ा हो जाओ. पद्‍मिनी की सुरक्षा के लिए पोलीस लगी हुई है यहाँ. यहाँ कोई तमासा नही चाहता मैं. वो अभी तुमसे बात नही करना चाहती. बाद में ट्राइ करना मिस्टर राइडर.”

“मेरा नाम सुरेश है. मैं कोई राइडर नही हूँ .”

“ पता है मुझे. पर क़ानूनी भासा में आपने जो हरकत की यहाँ आकर उस से आपको राइडर ही कहा जाएगा. पद्‍मिनी के प्रति अचानक ये प्यार एक राइडर लिए हुए है. पद्‍मिनी की दौलत मिल रही है आपको…इस प्यार के नाटक के बदले…हर्ज़ ही क्या हैं क्यों ..”

“मैं तुम्हारी बकवास सुन-ने नही आया हूँ यहाँ. मिल लूँगा मैं बाद में पद्‍मिनी से. ये मेरे और उसके बीच की बात है तुम अपनी टाँग बीच में मत अड़ाओ.”

“सर ठीक कह रहे हैं मिस्टर राइडर, चले जाओ यहाँ से वरना तुम्हे साइको समझ कर एनकाउंटर कर देंगे तुम्हारा.” राज शर्मा ने कहा.

“देख लूँगा तुम दोनो को मैं.” सुरेश पाँव पटक कर चला गया.

“राज शर्मा तुम यहाँ पूरा ध्यान रखना. जब तक साइको पकड़ा नही जाता हमें पद्‍मिनी की सुरक्षा में कोई कमी नही रखनी.”

रोहित चल दिया वहाँ से थाने की तरफ अपनी जीप ले कर.

“ये पिंकी का फोन क्यों नही मिल रहा.” रोहित ने कहा.

रोहित ने एक बार फिर से ट्राइ किया. इस बार फोन मिल गया.

“हेलो पिंकी…कैसी हो तुम.”

“ठीक हूँ भैया.”

“देखो…देल्ही में माहॉल ठीक नही है आजकल. ज़्यादा इधर-उधर मत घूमना. घर पर ही रहना.”

“जी भैया मैं घर पर ही रहूंगी. आप अपना ख्याल रखना.”

पिंकी को फोन करने के बाद रोहित ने रीमा को फोन मिलाया.

“हाई जानेमन कैसी हो. अब तुम्हारे भैया को पता चल गया है. अब कैसे रेल बनाउन्गा मैं तुम्हारी… .”

फोन के दूसरी तरफ रीमा नही चौहान था. ये सुनते ही पागल हो गया वो

“साले कामीने…कुत्ते…रख फोन. आ रहा हूँ अभी थाने मैं. आज तुझे जिंदा नही छ्चोड़ूँगा. …”

रोहित के तो हाथ से फोन ही छूट गया. बात ही कुछ ऐसी थी

“अब थाने जाना ठीक नही होगा. प्राइवेट बाते सुन ली कमिने ने. चल कर इस गौरव मेहरा की खबर लेता हूँ.”

रोहित गौरव मेहरा के घर की तरफ चल दिया.

गौरव मेहरा के घर पहुँच कर उसने बेल बजाई.

एक नौकर ने दरवाजा खोला.

“यस?”

“गौरव मेहरा है घर पे.”

“जी हां हैं है.”

“बुलाओ उसे. कहो कि इनस्पेक्टर रोहित आया है. कुछ पूछताछ करनी है उस से.” रोहित ने कहा.

“आपने अपायंटमेंट ली है क्या.”

“क्या बकवास कर रहे हो. मैं इनस्पेक्टर हूँ. उस से मिलने के लिए मुझे अपायंटमेंट की कोई ज़रूरत नही है. उस से कहो की चुपचाप आ जाए मुझसे मिलने वरना घसीट कर ले जाउन्गा उसे यहाँ से.”

नौकर चला गया वहाँ से. कुछ देर बाद गौरव मेहरा आया. उसके चेहरे पर गुस्सा था.

“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई बिना मेरी इज़ाज़त के यहाँ तक आने की.”

“ज़्यादा बकवास मत कर. ये बता कि कामिनी और कुमकुम कहाँ हैं.”

“कौन कामिनी और कौन कुमकुम…मैं इन्हे नही जानता.”

“अच्छा…जब थाने में ले जा कर गान्ड पे डंडे मारूँगा ना तो सब याद आ जाएगा तुझे.”

गौरव मेहरा ने तुरंत पिस्टल तान दी रोहित पर और फाइयर किया उसके सर पर. लेकिन रोहित पहले से तैयार था इस बात के लिए. झुक गया नीचे फ़ौरन और दबोच लिया गौरव मेहरा को और पिस्टल रख दी उसके सर पर.

“बाकी की बाते तो होती रहेंगी. फिलहाल तुझे पोलीस वाले पर गोली चलाने के जुर्म में गिरफ्तार करता हूँ मैं.”

रोहित गौरव मेहरा को गिरफ्तार करके थाने ले आया.

"इनस्पेक्टर बहुत बड़ी भूल कर रहे हो तुम. तुम्हे बर्बाद कर दूँगा मैं."

"अपनी चिंता कर तू, मेरी चिंता छ्चोड़ दे. और हां तैयार करले अपनी गान्ड को. डंडा ले कर आ रहा हूँ मैं. मार-मार कर लाल कर दूँगा."

"तुझे ऐसी मौत दूँगा कि तू याद रखेगा."

"याद तो तू रखेगा मुझे...चल अंदर." रोहित ने गौरव मेहरा को सलाखों के पीछे धकैल दिया और ताला लगा दिया.

"20 मिनिट हैं तुम्हारे पास. याद कर्लो कि कामिनी और कुमकुम कौन हैं और उन्हे मार कर कहाँ गायब किया है तुमने. 20 मिनिट में याद नही कर पाए अगर तो फिर मुझे मत बोलना बाद में कि क्यों डंडे मार रहे हो गान्ड पे." रोहित ये बोल कर चला गया वहाँ से.

गौरव मेहरा दाँत भींच कर रह गया.

रोहित अपने कॅबिन कें आ गया. जैसी ही वो कुर्सी पर बैठा भोलू भागता हुआ कॅबिन में आया.

"सर अभी-अभी चौहान सिर आए थे. आपको पूछ रहे थे. बहुत गुस्से में लग रहे थे वो."

"ह्म्म...अब तो नही हैं ना वो यहाँ."

"नही तभी चले गये थे."

"गुड...छोड़ो चौहान को चौहान को देख लेंगे बाद में. तुम फिलहाल अपने रेकॉर्ड्स में चेक करो. इस गौरव मेहरा का ज़रूर कोई पोलीस रेकॉर्ड होगा."

"जी सर अभी चेक करता हूँ."

भोलू ये बोल कर वहाँ से निकला ही था कि एक लेडी कमरे में घुस गयी.

"क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आपने गौरव मेहरा को क्यों गिरफ्तार किया है."

"हू आर यू, बाइ दा वे" रोहित ने पूछा.

"मैं स्वेता गुप्ता हूँ, गौरव की वकील."

"खून किए हैं उसने, वो भी 2. ये वजह काफ़ी है उसे गिरफ्तार करने की."

"शो मी अरेस्ट वॉरेंट" स्वेता गुप्ता ने कहा.

"उसने मुझ पर फाइयर किया. इसलिए उठा लाया उसे मैं यहाँ."

"ये इल्लीगल डिटेन्षन है इनस्पेक्टर."

"लीगल ओर इल्लीगल वो बाद में देखेंगे. आप यहाँ से जायें अभी."

तभी रोहित का फोन बज उठा. फोन शालिनी का था.

"यस मेडम?" रोहित ने कहा.

"रोहित, क्या तुमने गौरव मेहरा को गिरफ्तार किया है?"

"जी हां मेडम."

"क्यों अरेस्ट वॉरेंट के बिना तुम कैसे गिरफ्तार कर सकते हो उसे."

"मेडम, उसने मुझ पर फाइयर किया."

"ओह"

"इसलिए मुझे उसे उसी वक्त गिरफ्तार करना पड़ा."

"फिलहाल उसे छ्चोड़ दो. चीफ मिनिस्टर का फोन आया था मुझे अभी अभी. दुबारा पकड़ लेना उसे...मगर पूरे प्रोसीजर से."

"ठीक है मेडम, जैसा आप कहें." रोहित ने कहा.

फोन रखने के बाद रोहित ने भोलू को आवाज़ दी.

"जी सर."

"छ्चोड़ दो गौरव मेहरा को फिलहाल."

"ओके सर."

"स्वेता जी अब तो खुश हैं ना आप. पर उम्मीद है कि जल्द मुलाक़ात होगी. घसीट कर लाउन्गा मैं गौरव मेहरा को उसके घर से. वो भी वॉरेंट के साथ."

"तब की तब देखेंगे." स्वेता ने कहा.

भोलू, गौरव मेहरा को ले आया.

"क्या हुआ मिस्टर पांडे निकल गयी सारी हेकड़ी" गौरव मेहरा ने कहा.

"हाहहाहा... हेकड़ी तो तेरी निकली है बेटा...मुझे सबूत मिल जाने दे...घसीट कर लाउन्गा तुझे वापिस यही" रोहित ने कहा.

"चलो स्वेता..." गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता को लेकर बाहर आ गया.

"सारा मूड खराब कर दिया साले ने. तुझे अब मेरा मूड ठीक करना होगा." गौरव ने कहा.

"सर मुझे एक केस के सिलसिले में देल्ही निकलना है तुरंत."

ये सुनते ही गौरव ने बाल पकड़ लिए स्वेता के और बोला, "बहाना बनाती है साली. तुझे कहा था ना कि जब मेरा मन होगा तुझे देनी पड़ेगी."

"आअहह....सॉरी सर...प्लीज़ बॉल छ्चोड़ दीजिए आअहह" स्वेता कराह उठी.

“चल बैठ जल्दी अपनी कार में. तेरे साथ ही चलूँगा मैं और खुद ड्राइव करूँगा. तेरी कार में भी राइड करूँगा और तुझे भी राइड करूँगा, साली कुतिया.”

स्वेता चुपचाप अपनी कार में बैठ गयी. गौरव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और कार स्टार्ट कर दी.

“तूने आने में इतनी देर क्यों की. तुझे पता है ना मुझे लापरवाही बिल्कुल पसंद नही है.”

“सर जैसे ही मेडम ने फोन किया मैं थाने आ गयी.”

“वो साली तो चाहती ही है कि मैं जैल चला जाउ. मुझसे छुटकारा चाहती है वो. पर मुझसे छुटकारा आसान नही. ये तो तुम भी समझ ही गयी होगी अब.” गौरव ने कहा.

“सर कहा ले जा रहे हैं आप मुझे.”

“अपने घर”

“पर घर पर तो मेडम हैं …”

“तो रहने दो. आज उसके सामने ही लूँगा तेरी. देखता हूँ कैसे रिक्ट करती है.”

गौरव स्वेता को अपने घर ले आया.
 

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Update 83


गौरव को देखते ही दीपिका उसके पास आई और बोली, “सब ठीक तो है ना.”

“नाटक बंद कर और जल्दी से बेडरूम में आजा.” गौरव ने कहा.

गौरव स्वेता का हाथ पकड़ कर बेडरूम की तरफ चल दिया. दीपिका हैरानी में देखती रही. स्वेता और दीपिका की नज़रे टकराई. दीपिका समझ गयी कि गौरव उसे ज़बरदस्ती लाया है वहाँ. दीपिका भी गौरव के पीछे पीछे बेडरूम में आ गयी.

“आप क्या करना चाहते हैं.” दीपिका ने पूछा.

“चुपचाप सोफे पर बैठ जा और कुछ सीख स्वेता से. बहुत अच्छे से देती है चूत ये. तू भी कुछ सीख ले.”

स्वेता चुपचाप खड़ी थी.

“स्वेता सोच क्या रही है. चल निकाल मेरा लंड बाहर और चूसना शुरू कर. मेरी बीवी को सकिंग नही आती. सिखा दे इसे कि सकिंग कैसे की जाती है.” गौरव ने कहा.

“सर इनके सामने मैं कैसे……” स्वेता गिड़गिडाई.

दीपिका वहाँ से जाने लगी तो गौरव ने उसे दबोच लिया और बोला, “स्वेता की चुदाई देखे बिना तू कही नही जाएगी. ”

गौरव ने दीपिका को ज़बरदस्ती वही बिठा दिया, “अगर तू यहाँ से हिली तो तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

गौरव ने स्वेता को आवाज़ दी, “इधर आ साली. यही इसकी नज़रो के बिल्कुल सामने सक कर.”

स्वेता नज़रे झुका कर चुपचाप गौरव के पास आ गयी.

“जल्दी से लंड निकाल मेरा बाहर और दिखा इसे कि लंड कैसे चूसा जाता है.” गौरव ने कहा.

स्वेता चुपचाप गौरव के सामने बैठ गयी और उसकी पॅंट की ज़िप खोल कर गौरव के लिंग को बाहर निकाल लिया.

“गुड अब अपने स्टाइल से इसे चूसना शुरू करो.” गौरव ने कहा.

स्वेता ने मूह खोल कर गौरव के लंड को मूह में घुसा लिया और धीरे धीरे चूसने लगी.

“दीपिका देखो किस तरह से चूस रही है ये. इस तरह से चूसना चाहिए तुम्हे लंड को.” गौरव ने कहा.

गौरव ने स्वेता के बाल पकड़ लिए और उसके मूह में धक्के मारने लगा. स्वेता की हालत पतली हो गयी.

कुछ देर तक गौरव यू ही उसके मूह में धक्के मारता रहा. दीपिका ने तो अपनी आँखे बंद कर ली थी.

अचानक गौरव ने अपने लिंग को स्वेता के मूह से निकाल लिया और बोला, “चल अब दीपिका के घुटनो पर हाथ रख कर झुक जा. मेरी बीवी तुझे सपोर्ट देगी और मैं पीछे से तेरी चूत मारूँगा…हाहाहा.”

दीपिका और स्वेता की नज़रे टकराई. बहुत से सवाल थे दोनो की आँखो में. जिनका जवाब दोनो में से किसी के पास नही था.

गौरव ने स्वेता की सलवार का नाडा खोल कर उसे अपने आगे झुका दिया. स्वेता को ना चाहते हुए भी दीपिका के घुटनो पर हाथ रखना पड़ा. एक झटके में लंड डाल दिया गौरव ने स्वेता की चूत में.

“आअहह….सर मेडम के सामने मैं एंजाय नही कर पाउन्गि.” स्वेता ने कराहते हुए कहा.

“ये चुदाई तेरे लिए नही बल्कि मेडम को दिखाने के लिए ही है…हाहहाहा.”

गौरव ने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिया स्वेता के अंदर. शिसकियाँ गूंजने लगी बेडरूम में स्वेता की. गौरव के तेज तेज धक्को के कारण स्वेता के हाथ बार बार दीपिका के घुटनो से हट जाते थे. मगर वो बार बार वापिस घुटनो पर हाथ रख देती थी. दीपिका आँखे बंद किए बैठी थी.

“दीपिका आँखे बंद क्यों कर रखी है. देख कैसे चुदवा रही है ये रंडी…तुझे भी ऐसे ही चुदवाना चाहिए. हाहहाहा”

स्वेता की शिसकियाँ और तेज होती जा रही थी. वो अपने चरम के नज़दीक थी.

“सर…आआहह प्लीज़ रुक जाओ….आअहह.”

“वेरी गुड स्वेता. दीपिका को समझाओ ये सब. कितना मज़ा कर रही हो तुम. इतना मज़ा ये क्यों नही कर सकती.”

गौरव भी झाड़ गया स्वेता के अंदर. उसने फ़ौरन स्वेता की चूत से लंड निकाल लिया और उसे ज़ोर से धक्का दिया एक तरफ, “चल दफ़ा हो जा यहाँ से रंडी कही की. तुझे शरम नही आती हज़्बेंड वाइफ के बीच आकर अपनी चूत मरवाते हुए. जा जहाँ जाना है तुझे. देल्ही जा रही थी ना तू. जा जाकर देल्ही में गान्ड मरवा अपनी. साली रंडी.”

स्वेता ने अपने कपड़े ठीक किए और चुपचाप वहाँ से निकल गयी.

“सन ऑफ आ बिच…” स्वेता ने घर से निकलते हुए कहा.

……………………………………………………………………….

रोहित अपने कॅबिन में ही बैठा था. भोलू अंदर आया तो उसने पूछा, “कुछ पता चला क्या?”

“हां सर 2006 में एक एफआइआर दर्ज हुई थी गौरव मेहरा के खिलाफ. एक शॉपकीपेर ने कंप्लेंट की थी कि गौरव मेहरा ने उसके भाई को उसके ही सामने क्रिकेट बेट से इतना मारा कि वो मर गया. बात सिर्फ़ इतनी थी कि वो कह रहा था कि इंडिया जीतेगा और गौरव मेहरा बेट लगा रहा था कि पाकिस्तान जीतेगा. उन दिनो कोई सीरीस चल रही थी.”

“कोई हैरानी नही हुई मुझे. जैसा उसका बिहेवियर है वो कुछ भी कर सकता है.”

“पर सर बाद में उस केस का कुछ नही बना. गौरव मेहरा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नही मिले. और हां सर उस वक्त सब इनस्पेक्टर विजय ज़्यादा ही इंटेरेस्ट ले रहे थे इस केस में.”

“क्या विजय जानता था गौरव को?”

“शायद. मुझे अब याद आ रहा है कि विजय सर ने गौरव के लिए उस वक्त के एएसपी से काफ़ी रिक्वेस्ट की थी. शायद एएसपी साहिब को मोटी रकम भी दी गयी थी केस को रफ़ा दफ़ा करने के लिए.

“उस वक्त तो चौहान भी था ना यहाँ.”

“जी हां वो भी थे. वही तो केस को हॅंडल कर रहे थे.”

“तुम्हे क्या लगता है, क्या चौहान भी गौरव और विजय के साथ मिला हुआ था उस वक्त.” रोहित ने भोलू से पूछा.

“मुझे नही लगता सर कि वो मिले हुए थे. क्योंकि अगर ऐसा होता तो उन्हे एएसपी साहिब की सिफारिस लगाने की ज़रूरत ना पड़ती. हां शायद उन पर दबाव बनाया गया और दबाव में आकर उन्होने कोई आक्षन नही लिया.” भोलू ने कहा.

“ह्म्म…ठीक है तुम जाओ” रोहित ने कहा.

भोलू के जाने के बाद रोहित गहरी सोच में डूब गया.

अगली सुबह रोहित को शालिनी से खूब डाँट पड़ रही थी.

“ये क्या नॉनसेन्स है रोहित. तुम क्या किसी के भी घर में घुस कर उसे थाने उठा लाओगे. इन्ही बातों से पोलीस की छवि खराब होती है.”

“मेडम मुझे शक था कि गौरव ही साइको है. इसलिए उसके घर गया था पूछताछ करने.मगर उसने फाइयर किया मेरे उपर. और मेडम उसने दो लड़कियों का खून करके उनकी डेड बॉडीस कही गायब कर दी हैं. और सस्पेक्ट तो वो था ही पहले से. ब्लॅक स्कॉर्पियो में जो घूमता है वो.”

“वो सब ठीक है, मगर क़ानून नाम की भी कोई चीज़ होती है. हमें लॉ आंड प्रोसीजर को ध्यान में रखते हुए ही अपनी ड्यूटी करनी है.”

“फिर तो 1000 साल वेट कीजिएगा मेडम. फिर भी शायद ही हाथ आए वो साइको.”

“शट उप. मैं कुछ नही सुन-ना चाहती.”

“सॉरी मेडम.”

“यू कॅन गो नाउ.” शालिनी ने कहा.

रोहित मूह लटका कर बाहर आ गया. “अब मेडम को कैसे सम्झाउ कि क्रिमिनल्स को पकड़ने के लिए उनके ही तरीके आज-माने पड़ते हैं.”

रोहित जंगल में साइको की अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन की इंक्वाइरी पे निकल दिया. मगर उसे कोई जानकारी नही मिली. वो एस्टेट ऑफीस गया, ड्म ऑफीस गया मगर कोई सुराग नही मिला उस कन्स्ट्रक्षन के बारे में.

“अजीब बात है, जंगल में अंडरग्राउंड कन्स्ट्रक्षन किसने की, कब की, कही भी कोई रेकॉर्ड नही है इसका. साइको ने बहुत सोच समझ कर अपना ठिकाना बनाया था. अगर मान लिया जाए कि गौरव मेहरा ही साइको है तो मुझे उसके आस पास के लोगो से ही इंक्वाइरी करनी चाहिए. सबसे पहले उसकी बीवी से मिलता हूँ. मोहित से उसका नंबर लेता हूँ.”

रोहित मोहित से दीपिका का नंबर ले कर उसे फोन करता है. वो मिलने के लिए तैयार हो जाती है.

“कल मैं मोहित के ऑफीस जा रही हूँ. सुबह 11 बजे आप वही मिल सकते हैं मुझे” दीपिका ने कहा.”

“ओके थॅंक यू दीपिका जी.” रोहित ने कहा.

“गौरव मेहरा पर पूरी तरह फोकस करने से पहले, ब्लॅक स्कॉर्पियो के बाकी 2 ओनर्स की भी जाँच पड़ताल कर लूँ. दीपिका से कल ही मुलाक़ात होगी, तब तक ये काम निपटा लेता हूँ. केस इतना पेचीदा है कि जल्दबाज़ी में गौरव मेहरा को साइको मान-ना भूल होगी. हालाँकि सबसे बड़ा सस्पेक्ट अभी वही है.”

रोहित पहले देवेंदर सिंग (आर्मी कर्नल) के घर पहुँचता है. उसके घर के बाहर ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो खड़ी थी. रोहित उसे बड़े गौर से देखता है.

“ह्म्म…कही इसी कार में तो नही घूमते हो तुम मिस्टर साइको” रोहित ने मन ही मन सोचा.

रोहित कार को अच्छी तरह से देखने के बाद घर के दरवाजे की तरफ बढ़ा. उसने डोर बेल बजाई तो एक बुजुर्ग ने दरवाजा खोला.

“क्या मैं कर्नल देवेंदर सिंग से मिल सकता हूँ.” रोहित ने कहा.

“साहब तो मुंबई गये हुए हैं.”

“कब तक लौटेंगे वो.”

“कुछ कह नही सकता, उनका आने जाने का कोई टाइम फिक्स नही होता.”

“ह्म्म आप कौन हैं.”

“मैं इस घर का नौकर हूँ.”

“क्या एक गिलास पानी मिलेगा काका.”

“हां हां बिल्कुल आओ अंदर आओ…मैं अभी लाता हूँ पानी.”

रोहित अंदर आया तो उसने देवार पर एक पैंटिंग लगी देखी. पैंटिंग बहुत ही अजीब थी. उसमें एक घोड़े की पीठ पर आदमी का कटा हुआ सर रखा था. आस पास घाना जंगल था.

“ये कैसी अजीब सी पैटिंग है. ऐसी पैटिंग किसने बनाई. और कर्नल ने इसे अपने ड्रॉयिंग रूम में लगा रखा है. कुछ बहुत ही अजीब सा महसूस हो रहा है इस पैंटिंग को देख कर.”

“ये लीजिए पानी”

रोहित ने पानी पिया और बोला, “ये कैसी अजीब सी पैंटिंग है काका.”

“पता नही कहा से ले आए साहिब इसे. हो सकता है कि उन्होने खुद बनाई हो. मुझे भी ये यहाँ तंगी अजीब सी लगती है.”

“क्या वो पैटिंग का शॉंक रखते हैं.”

“हां पैंटिंग बनाते भी हैं और खरीद खरीद कर इकट्ठा भी करते रहते हैं. पर इस पैंटिंग का मुझे नही पता कि उन्होने ये खरीदी है या खुद बनाई है.”

“क्या ऐसी अजीब सी पैटिंग और भी हैं या फिर ये एक ही है.”

“ऐसी अजीब पैंटिंग और तो कोई नही देखी मैने.”

“ह्म्म…वैसे कैसा स्वाभाव है आपके साहिब का”

“अच्छा स्वाभाव है. सभी से बहुतब शालीनता से पेश आते हैं.”

“अच्छा काका…मैं बाद में मिलूँगा उनसे. फिर किसी दिन आउन्गा.”

रोहित निकल आया वहाँ से बाहर.

“साइको खुद को आर्टिस्ट बोलता है. कर्नल पैटिंग का शॉंक रखते हैं. बहुत ही अजीबो ग़रीब पैटिंग टाँग रखी है उन्होने घर में. क्या कर्नल को सस्पेक्ट माना जा सकता है. काका के अनुसार उनका स्वाभाव अच्छा है. क्या साइको ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसकी समाज में इज़्ज़त हो. मेरे ख्याल से बिल्कुल हो सकता है. अगर ऐसा ना होता तो वो अब नकाब लगा कर नही घूमता. विजय चिल्ला चिल्ला कर खुद को साइको बता रहा था. मगर वो सिर्फ़ कॉपी कॅट था. गौरव मेहरा भी खुद को साइको साबित करने पे तुला हुआ है. साइको जैसा शातिर दिमाग़ ऐसा कभी नही करेगा. फिर भी अभी किसी नतीज़े पर नही पहुँच सकते. गौरव के साथ साथ अब कर्नल पर भी कड़ी नज़र रखनी होगी मुझे. फिलहाल सिमरन से भी मिल आता हूँ. उसके पास भी तो ब्लॅक स्कॉर्पियो है.” रोहित ने मन ही मन सोचा.
 

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Update 84

रोहित अपनी जीप में बैठा और सिमरन के घर की तरफ चल दिया. घर जा कर पता चला कि वो बॅंक में है. इcइcइ में ब्रांच मॅनेजर थी वो. रोहित इcइcइ बॅंक पहुँच गया.

जब वो सिमरन के ऑफीस में घुसा तो बोला, “अरे तुम”

“व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़. आओ-आओ बैठो” सिमरन ने कहा.

सिमरन और रोहित एक दूसरे को जानते थे. देल्ही में एक मॅरेज रिसेप्षन के दौरान मुलाक़ात हुई थी उन दोनो की. रोहित ने उस दिन थोड़ा-थोड़ा फ्लर्ट भी किया था उस दिन सिमरन से… …. फँस ही गयी थी सिमरन जाल में मगर पता नही कहाँ से उसका भाई आ गया अच्छानक और सारा मामला बिगड़ गया …

“मुझे नही पता था कि आप देहरादून में हो.”

“8 महीने पहले ही आई हूँ यहाँ. आप क्या पोलीस में हैं.”

“जी हां ये वर्दी किसी नाटक में भाग लेने के लिए नही पहनी मैने ……”

“अरे हां याद आया आपने बताया था कि आप पोलीस में हैं. कहिए कैसे आना हुआ यहाँ.”

“चलिए पहले काम की बात करते हैं. बाकी बाते तो अब होती ही रहेंगी …”

“बाकी बाते मतलब … …”

“वो सब बाद में. पहले ये बतायें कि क्या आपके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है.”

“हां है…क्यों?”

“आपको पता ही होगा कि शहर में साइको का आतंक है.”

“हां बिल्कुल पता है. मैं खुद शाम ढलते के बाद कभी घर से बाहर नही जाती. ऑफीस से घर भी जल्दी चली जाती हूँ. पर इस सबका मेरी ब्लॅक स्कॉर्पियो से क्या लेना देना.”

“दरअसल साइको ब्लॅक स्कॉर्पियो में ही घूमता है.”

“तो क्या मैं तुम्हें साइको नज़र आती हूँ …”

“अरे नही सिमरन, कैसी बात करती हो. मुझे पता लगा था कि एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आप के पास भी है. मुझे नही पता था कि आप वही ब्यूटिफुल सिमरन हैं जिन्हे मैं देल्ही में मिला था.”

“अच्छा.”

“जी हां…आइ मिस्ड यू आ लॉट. आपने अपना नंबर भी नही दिया था वरना आप से बात चीत होती रहती”

“अच्छा नंबर दे कर क्या मैं आपके फ्लर्ट को बढ़ावा देती.”

“फूल भंवरे को बढ़ावा नही देगा तो कैसे चलेगा. हम तो आपके दीवाने हो गये थे आपको देखते ही.”

“हम बाद में मिलें. अभी मैं थोड़ा बिज़ी हूँ. लिख लो मेरा नंबर अब.”

“लिखने की ज़रूरत नही है, आप बोल दीजिए नंबर…दिल की गहराई में उतर जाएगा वो.”

“अच्छा.” सिमरन शर्मा गयी ये सुन कर.

“आप बिल्कुल नही बदली. आज भी वैसे ही शर्मा रही हैं.”

“प्लीज़…ऐसी बातें ना करें अभी. बॅंक के काम में मन उलझा हुआ है अभी.”

सिमरन ने अपना नंबर बता दिया रोहित को. रोहित ने उसे दिल में छाप लिया

सिमरन से मिलने के बाद रोहित सीधा थाने पहुँचा. वो शालिनी से मिल कर केस को डिसकस करना चाहता था.

“मेडम कुछ नयी बाते सामने आईं हैं, सोचा आप से डिसकस कर लूँ.”

“हां बोलो…क्या बात है?”

“मेडम एक उलझन पैदा हो गयी है. मैं आज कर्नल देवेंदर सिंग के यहाँ गया था. उनके ड्रॉयिंग रूम में एक बहूत ही अजीब पैंटिंग देखी मैने.” रोहित ने डीटेल में पूरी बात बताई.

“ह्म्म…एक और ओनर था ना ब्लॅक स्कॉर्पियो का, क्या नाम था उसका ..”

“हां मेडम सिमरन नाम है उसका, उस से भी मिल आया हूँ मैं. उस पर शक का कोई कारण नही है. वैसे भी हमारा सस्पेक्ट एक मेल है और सिमरन फीमेल है. और मैं उसे जानता भी हूँ.”

“ह्म्म…तुम गौरव और देवेंदर दोनो पर कड़ी नज़र रखो…साइको इन दोनो में से ही एक होना चाहिए.”

“जी मेडम”

रोहित जैसे ही शालिनी के कमरे से बाहर निकला उसे चौहान दिखाई दिया. रोहित को देखते ही वो आग बाबूला हो गया, “साले कब से ढूँढ रहा हूँ तुझे मैं. आज तेरी खैर नही.”

चौहान आग बरसाता हुआ रोहित की तरफ बढ़ा. रोहित के कुछ समझ नही आया कि वो अब क्या करे. भागने का रास्ता भी नही था . शूकर है तभी एएसपी साहिबा बाहर आ गयीं.

“रोहित तुम मेरे साथ चलो, एसपी साहिब ने बुलाया है. वैसे मैं अकेली ही जा रही थी मगर अभी-अभी वहाँ से फोन आया है कि एसपी साहिब तुमसे भी मिलना चाहते हैं.”

रोहित ने शालिनी के आने से राहत की साँस ली. वो चौहान के कहर से बच गया था.

“जाओ बेटा आज तुम्हारी खैर नही. खूब खाल उधेड़ेंगे आज एसपी साहिब तुम्हारी.” चौहान ने धीरे से रोहित को कहा.

रोहित ने चौहान को कुछ भी कहना ठीक नही समझा. वो चुपचाप शालिनी के साथ चल दिया.

जैसी की उम्मीद थी शालिनी और रोहित को खूब डाँट पड़ी.

“जंगल में अंडरगाउंड कन्स्ट्रक्षन बहुत बड़ा शुराग है पर तुम दोनो कुछ नही कर पा रहे. अरे पता करो उसके बारे में. ऐसे ही चलता रहा तो मेरी नौकरी चली जाएगी. रोज डाँट मुझे सुन-नी पड़ती है. कितना वक्त और चाहिए तुम्हे इस हराम्खोर साइको को पकड़ने के लिए.”

“सर हमें कुछ इंपॉर्टेंट क्लू मिलें हैं. हमें उम्मीद है कि हम जल्द साइको को पकड़ लेंगे.”

“दट ईज़ गुड न्यूज़. बट आइ निड सम्तिंग इन रियल डियर. जिंदा या मुर्दा चाहिए मुझे वो साइको. अपनी पूरी ताक़त लगा दो. जल्दी से मुझे कुछ रिज़ल्ट दो.”

एसपी साहिब के रूम से निकल कर शालिनी ने कहा, “ गौरव और देवेंदर पर 24 घंटे निगरानी रखो. हमें कुछ ना कुछ हाथ ज़रूर लगेगा.”

“जी मेडम आप चिंता ना करें. आइ विल टेक केर ऑफ एवेरितिंग.”

एएसपी साहिबा अपनी जीप में बैठ कर अपने घर चली गयी. रोहित ने गौरव और कर्नल देवेंदर सिंग की निगरानी के लिए 2-2 कॉन्स्टेबल्स लगा दिए और उनके हिदायत दे दी कि पल-पल की खबर वो उसे देते रहें.

रोहित शहर के राउंड पर निकल पड़ा. काफ़ी देर तक वो यहाँ वहाँ घूमता रहा. अचानक उसे रीमा का ख्याल आया. उसने अपना मोबाइल निकाला जेब से और रीमा का नंबर डाइयल किया. मगर डाइयल करते ही तुरंत काट दिया, “उफ्फ फोन तो उस कामीने चौहान के पास. लगता है रीमा पर पाबंदियाँ लगा दी हैं चौहान ने. लगता है ये अफेर यही ख़तम हो गया है. अचानक ही हम मिले और अचानक ही बिछड़ गये. टेक केर रीमा. हम चाहे मिले ना मिले पर हमारी दोस्ती बनी रहेगी.”

अचानक रोहित को सिमरन का ख़याल आया. “अरे सिमरन को फोन करता हूँ. उसके साथ भी तो कुछ संभावनायें हैं ..”

रोहित ने सिमरन को फोन मिलाया.

“हाई सिमरन…सो गयी क्या?”

“हू ईज़ तीस?”

“अरे मैं रोहित बोल रहा हूँ.”

“ओह तुम. सॉरी तुम्हारा नंबर नही था ना मोबाइल में इसलिए तुम्हे पहचान नही पाई.”

“कोई बात नही सिमरन जी. अब तो पहचान लिया ना. कहा हैं आप इस वक्त.”

“मैं अपने घर पर हूँ.”

“अकेली हैं क्या …”

“क्यों .. …”सिमरन ने पूछा.

“अगर आप अकेली हैं तो हम आपके पास आ जाते हैं आपका मन बहलाने के लिए.”

“अच्छा…”

“जी हां…बोलिए क्या कहती हैं आप. बड़े दिनो बाद मिलें हैं हम आज. क्यों ना आज के दिन को यादगार बना दे हम.”

“यादगार कैसे बनाएँगे वो भी बता दीजिए.”

“आप मिलिए तो सही…हमारी मुलाक़ात खुद-ब-खुद यादगार बन जाएगी.”

सिमरन मुस्कुरा कर बोली, “आप कहाँ हैं इस वक्त?”

“मैं शहर का राउंड ले रहा हूँ. आप कहेंगी तो तुरंत आपके पास आ जाउन्गा.”

“क्यों आ जाएँगे, साइको को नही पकड़ना क्या आपको.”

“पकड़ना है बिल्कुल पकड़ना है. दिन रात इसी चक्कर में रहता हूँ. आज रात आपको पकड़ लेता हूँ, साइको को बाद में देख लूँगा.”

“ह्म्म…मुझे पकड़ कर क्या कीजिएगा. जैल में तो नही डाल देंगे कही.”

“हाहाहा, जैल में नही आपको पकड़ कर अपने दिल में डालने का इरादा है. आ जाउ क्या आपको अपने दिल में डालने के लिए.”

“ह्म्म आ जाओ…”

“अपना अड्रेस दे दीजिए. मैं अभी तुरंत आ जाउन्गा आपके पास.”

सिमरन ने अपना अड्रेस दे दिया रोहित को. रोहित बिना वक्त गवाए कोई 20 मिनिट में पहुँच गया सिमरन के घर.

रोहित ने सिमरन के घर पहुँच कर गौर किया की उसके घर के बाहर ब्लॅक स्कॉर्पियो नही है. “हो सकता है कि उसने गॅरेज में खड़ी की हो स्कॉर्पियो.”

रोहित ने कन्फ्यूज़्ड माइंड से सिमरन के घर की बेल बजाई. सिमरन ने दरवाजा खोला.

“हाई सिमरन…एक बात बताओ, तुम्हारी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ खड़ी करती हो तुम.”

“छ्चोड़ो भी…यहाँ इन्वेस्टिगेशन करने आए हो या फिर…..”

“पोलीस वाला हूँ ना कोई ना कोई सवाल घूमता रहता है दिमाग़ में. बताओ ना, कहा खड़ी करती हो अपनी कार तुम.”

“हद करते हो. आते ही सवाल जवाब शुरू. पहले अंदर तो आओ.”

ना जाने क्यों रोहित का माथा कुछ ठनक रहा था. “बड़ी जल्दी मान गयी वैसे सिमरन. इतनी जल्दी मुझे घर इन्वाइट कर लेगी, सोचा नही था मैने. अपनी स्कॉर्पियो के बारे में भी कुछ नही बता रही. कही कुछ गड़बड़ तो नही.”

“आओ ना रोहित सोच क्या रहे हो?”

“नही कुछ नही…अच्छा लगा मुझे जो कि आपने मुझे इन्वाइट किया अपने घर.”

“फिर झीजक क्यों रहे हैं. आइए ना.” सिमरन ने कहा.

सिमरन रोहित को अंदर इन्वाइट कर रही थी मगर, रोहित के मान में काई सवाल घूम रहे थे. वो सोच रहा था कि आख़िर सिमरन साफ-साफ ये क्यों नही बता रही कि उसकी ब्लॅक स्कॉर्पियो कहाँ हैं. क्योंकि हर सवाल का जवाब उसे सिमरन से ही मिलना था इसलिए वो मुस्कुराता हुआ सिमरन के घर में घुस गया.

“क्या लेंगे आप चाय या कॉफफी या कुछ ठंडा.”

“फिलहाल हो सके तो अंगूर खिला दीजिए. आपके टॉप से बाहर निकले जा रहे हैं ये. क्या कीजिएगा इन्हे संभाल कर, दे दीजिए हमें हम संभाल लेंगे इन्हे.”

“बहुत बेशरम हैं आप…ऐसा कहता है क्या कोई. …”

“अब आप पूछ रही थी कि क्या लूँगा तो अपनी चाय्स बता दी.”

“घर में घुसते ही क्या आपको बस अंगूर नज़र आए.” सिमरन ने पूछा.
 
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