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Romance बात एक रात की(Completed)

The Immortal

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Update 36

भोलू नगमा के बूब्स को मसल्ने लगा और खड़े खड़े उसकी गान्ड पर धक्के मारने लगा.

"आअहह हटो ना."

"चलती है कि यही या यही मारु तेरी गान्ड."

"आअहह ठीक है चलती हूँ...मुझे घर को ताला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चूत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह"

"जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि" भोलू हसणे लगा.

नगमा ने ताला लगाया और भोलू के साथ चल दी.

भोलू ने कमरे में आते ही नगमा को गोदी में उठा लिया और बोला,"आज रात तू कही नही जाएगी...सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी"

"फिर वही बात कहा ना चूत में लूँगी गान्ड में नही."

"अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है."

"तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे."

"कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती...लेनी पड़ती है."

"पर 2 मिनट की बजाए 2 घंटे मारते रहे तुम मेरी गान्ड...अभी तक दर्द है मुझे. परसो राज ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं"

"बिल्कुल बिल्कुल.." भोलू ने कहा और नगमा को बिस्तर पर पटक दिया.

"आहह इतनी ज़ोर से क्यों गिराया."

"गद्दा मखमली है सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा." भोलू ने कहा.

भोलू नगमा की छाती पर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. लंड नगमा के मूह के बिल्कुल सामने था.

"ये क्या कर रहे हो."

"लंड चूस चुपचाप."

"मैं ये काम नही करती."

"तो अब करले चल मूह में डाल"

"मैं सच कह रही हूँ मैं लंड नही चूस्ति...मैने कभी राज का भी नही चूसा."

भोलू नगमा के होंटो पर अपना लंड रगड़ने लगा.

"नही हटो..."

"मेरी जान चूस के तो देख गन्ने से भी मीठा लगेगा तुझे."

भोलू लगातार नगमा के बंद मूह पर लंड रगड़ता रहा. "जब तक तू मूह नही खोलेगी ये यही रहेगा."

"तूने चूत में डालना है की नही."

"चूत में भी डालूँगा मेरी जान पहले थोडा चूस तो ले."

"उफ्फ क्या मुसीबत है...चल थोड़ी देर चूस लेती हूँ...पर दुबारा नही करूँगी ठीक है."

"ठीक है...हे..हे..हे."

"दाँत मत दीखाओ वरना दाँत मार दूँगी तुम्हारे लंड पे."

"नही ऐसा मत करना वरना..."

नगमा ने मूह खोला और भोलू के लंड को मूह में ले लिया. वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी.

"मुझे पता था कि तू बहुत अच्छे से चूसेगी...आअहह."

नगमा लोली पोप की तरह लंड चूस रही थी और भोलू आहें भर रहा था. कुछ देर बाद नगमा ने लंड मूह से बाहर निकाल दिया और बोली, "चल बस बहुत हो गया...फटाफट मेरी चूत में डाल दे."

भोलू ने नगमा की सलवार उतारी और अपनी पॅंट उतार कर उसकी टाँगो के बीच बैठ गया. उसने नगमा की टांगे अपने कंधो पर रखी और एक झटके में नगमा की चिकनी चूत में लंड डाल दिया.

"आअहह भोलू....आआहह आज बस मेरी चूत की प्यास भुजा दे आहह"

"चिंता मत कर सारी रात छोड़ूँगा तुझे मैं" भोलू ने कहा और नगमा की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड अंदर बाहर करने लगा. उसके आँड हर धक्के के साथ नगमा की चूत के मूह से टकरा रहे थे.

"उुउऊहह भोलू....आआहह और तेज आअहह"

"तेरी चूत बहुत मस्त है नगमा सच बता कितने लंड खा चुकी है ये."

"ये वेजिटेरियन है....आआहह एक भी लंड नही खाया इसने आअहह"

"हा..हा..हा..हे..हे...बहुत खूब कही....मज़ा आता है तेरी चूत मारने में."

"तो मार ना और तेज़ी से मार आअहह.... मेरा भी आज बहुत मन था आहह."

भोलू ने थोड़ी स्पीड और बढ़ा दी और नगमा की चूत में लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी. नगमा 2 बार झाड़ चुकी थी.

"ऊओह बस मैं अब पानी छोड़ने वाला हूँ."

"नही रूको थोड़ी देर और करो आआहह." नगमा एक और ऑर्गॅज़म के करीब थी.

भोलू के धक्के चालू रहे और नगमा चीन्ख कर एक बार और झाड़ गयी. भोलू भी उसी के साथ उसके उपर ढेर हो गया.

"आअहह अब नींद आएगी मुझे" नगमा ने कहा.

"तू यहा सोने आई है क्या...अभी तो तेरी गान्ड भी मारनी है"

"ऐसा सोचना भी मत वरना दुबारा नही दूँगी समझे."

..............................

.........................

राज और पद्‍मिनी एएसपी शालिनी के घर के बाहर पहुँच गये.

"क्या सोच रहे हो बेल बजाओ."

"बहुत कड़क मेडम हैं डर लगता है."

"तुम हटो पीछे मुझे बेल बजाने दो."

पद्‍मिनी ने बेल बजाई. पर किसी ने दरवाजा नही खोला.

"लगता है मेडम सो रही हैं" राज ने कहा.

पद्‍मिनी ने फिर से बेल बजाई. किसी के आने की आहट सुनाई दी.

राज का दिल बैठ गया वो डर रहा था की ना जाने एएसपी साहिबा उनकी बात को किस तरह से लेंगी. उसे विस्वास तो था कि वो उनकी बात समझेंगी लेकिन फिर भी उनके गरम मिज़ाज से घबरा रहा था.

दरवाजा खुलता है.

"जी कहिए क्या काम है?" शालिनी की मैड ने पूछा.

"क्या शालिनी जी घर पे हैं?" राज ने कहा.

"हां हैं...क्या काम है?" मैड ने कहा.

"मेडम की तो मैड भी कड़क है" राज सोचने लगा.

"हमे उनसे मिलना है" पद्‍मिनी ने कहा.

"ये वक्त है मिलने का...सुबह आना...जाओ यहा से" मैड ने कहा.

"हमे क्या भीकारी समझ रखा है, मैं सब इनस्पेक्टर राज शर्मा हूँ ...हमारा मेडम से मिलना बहुत ज़रूरी है...जाओ मेडम को मेसेज दे दो."

"मेडम मुझे गुस्सा करेंगी" मैड ने कहा.

"कौन है माला?" घर के अंदर से आवाज़ आई.

"मेम्साब आपसे मिलना चाहते हैं ये लोग."

"ये मिलने का वक्त है क्या रात के सादे ग्यारा हो रहे हैं." शालिनी बोलते बोलते दरवाजे पर आ गयी.

"राज तुम...और ये लड़की कौन है? शालिनी ने कहा.

"मेडम बात ज़रा कॉंप्लिकेटेड है...अगर हम बैठ कर बात करें तो ठीक होगा" राज ने कहा.

"हां-हां आओ अंदर आ जाओ...माला जाओ इनके लिए चाय पानी का इंतज़ाम करो"

मैड ने राज और पद्‍मिनी को घूर कर देखा और अपना नाक शिकोड कर वाहा से चली गयी.

राज और पद्‍मिनी एक ही सोफे पर बैठ गये...शालिनी दूसरे सोफे पर बैठ गयी.

"इन्हे कहीं देखा है" शालिनी ने पद्‍मिनी की तरफ इशारा करते हुए कहा.

"यही पद्‍मिनी है...जिन्हे पूरा पोलीस डिपार्टमेंट ढूँढ रहा है" राज ने कहा.

"क्या?" शालिनी फ़ौरन खड़ी हो गयी. "ये तुम्हारे साथ क्या कर रही है?"

"मेडम इन्होने किसी का खून नही किया...बल्कि सच तो ये है कि सिर्फ़ यही जानती हैं कि किल्लर कौन है"

राज डीटेल में सारी कहानी शालिनी को सुनाता है. शालिनी उसकी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनती है.

"ह्म्म अगर ये सच है तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ पद्‍मिनी...पर तुम्हे पहले ही पोलीस को सच बता देना चाहिए था." शालिनी ने कहा.

"कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करें....टीवी पर अपनी फोटो देख कर डर गयी थी मैं. पोलीस कातिल समझ कर मुझे ढूँढ रही थी ऐसे में कैसे आती पोलीस के पास मैं" पद्‍मिनी ने कहा.

"आज जब उस ने ये काग़ज़ पत्थर में लपेट कर फेंका तो मुझे आइडिया आया कि मुझे आपसे बात करनी चाहिए. देखिए सिर्फ़ ये जानती हैं कि कातिल कौन है...इसलिए वो इनके पीछे पड़ा है...अब आप ही डिसाइड कीजिए कि क्या किया जाए."

"तुम्हारे पास चौहान का नंबर है." शालिनी ने कहा.

"जी मेडम है" राज ने जवाब दिया.

"उसे तुरंत यहा आने को कहो"

"जी मेडम"

राज ने चौहान को फोन मिलाया, "अब तो मिल गया पहले नही मिल रहा था."

राज ने चौहान को वाहा आने को बोल दिया.

"क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ?" पद्‍मिनी ने पूछा.

"हां बिल्कुल...पर पूरी सुरक्षा के साथ जाओगी तुम अपने घर. 2 पोलीस वाले तो वाहा पहले से हैं 2 और लगाने पड़ेंगे....अच्छा एक बात बताओ." शालिनी ने कहा.

"जी पूछिए"

"क्या तुम उस किलर का स्केच बनवा सकती हो."

"कोशिस करूँगी...पर मेरे लिए उसके चेहरे को डिस्क्राइब करना थोड़ा मुस्किल है" पद्‍मिनी ने कहा.

"चलो बाद में देखते हैं ये सब"

तभी चौहान भी वाहा आ गया. उसने राज और पद्‍मिनी को घूर कर देखा.

"मिस्टर चौहान किस तरह से हॅंडल कर रहे हैं आप इस केस को"

"क्या हुआ मेडम?" चौहान गिड़गिदाया.

"क्या कोई और सबूत था तुम्हारे पास पद्‍मिनी के खिलाफ उस विटनेस के सिवा."

"जी नही मेडम बस वही काफ़ी था."

"कैसे काफ़ी था..राजवीर जो तुमने मुझे बताया इनको भी बताओ"

राज चौहान को भी सारी कहानी बता देता है.

"कुछ समझ में आया की क्या हो रहा है?"

"हां मेडम पर अगर कोई पोलीस को आके बताएगा ही नही तो हमे कैसे पता चलेगा" चौहान ने कहा.

"जो भी हो तुम ठीक से हॅंडल नही कर रहे हो इस केस को."

"मुझे एक और मोका दीजिए मेडम...असली कातिल जल्द से जल्द पोलीस की हिरासत में होगा."

"ठीक है दिया एक और मोका...पहले पद्‍मिनी को इनके घर छ्चोड़ने का इंतज़ाम करो और इनके घर पर सुरक्षा बढ़ा दो."

"मेडम मीडीया वालो को क्या कहेंगे."

"अभी किसी को कुछ नही कहना...ये बात पोलीस डिपार्टमेंट से बाहर नही जाएगी."

"जी मेडम." चौहान ने कहा.

पद्‍मिनी और राज उसी जीप में बैठ गये जिस में आए थे. साथ में चौहान की जीप थी. अंधेरी रात में दोनो जीपे पद्‍मिनी के घर की ओर बढ़ रही थी. पद्‍मिनी की ख़ुसी का ठीकाना नही था. उसे ऐसा लग रहा था कि वो वरसो बाद घर जा रही है.
 
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Update 37

जब घर पहुँच कर पद्‍मिनी ने घर की बेल बजाई तो उसके पिता जी ने दरवाजा खोला. उन्हे विस्वास ही नही हुआ कि सामने पद्‍मिनी खड़ी है.

"पापा ऐसे क्या देख रहे हैं मैं हू पद्‍मिनी."

"बेटा" बस इतना ही कह पाए पद्‍मिनी के पिता जी और पद्‍मिनी को गले लगा लिया.

"ये सब क्या हो रहा है बेटा"

"पापा सब बताती हूँ...इनसे मिलिए ये है राज...इन्होने मेरी बड़ी मदद की है."

राज ने पद्‍मिनी के पिता जी के पाँव छुए और कहा, "ठीक है पद्‍मिनी जी अब आप अपने घर पहुँच गयी हैं...मुझे बहुत ख़ुसी है."

"आओ बेटा कुछ चाय पानी लो."

"नही अंकल रात बहुत हो चुकी है फिर कभी."

चौहान दूर खड़ा सब सुन रहा था. "ये तो साला हीरो बन गया पोलीस में आते ही अच्छी किस्मत पाई है"

पद्‍मिनी को छ्चोड़ कर राज और चौहान वापिस चल दिए. चौहान ने चार कॉन्स्टेबल पद्‍मिनी की सुरक्षा के लिए वाहा छ्चोड़ दिए.

..............................

..........................

नगमा भोलू के बिस्तर पर सो चुकी थी. भोलू की भी आँख लग गयी थी. भोलू को टाय्लेट का प्रेशर हुआ तो उसकी आँख खुल गयी.

"नींद ही आ गयी थी" भोलू ने आँखे मलते हुए कहा.

भोलू टाय्लेट से वापिस आया तो उसकी नज़र नगमा पर गयी. वो पेट के बल पड़ी थी. उसकी नंगी गान्ड भोलू पर अजीब सा असर कर रही थी.

भोलू के लंड में हरकत होने लगी.

"क्या करूँ...कैसे सेक्सी पोज़ में लेटी हुई है ये...अब कोई गान्ड ना मारे तो क्या करे."

भोलू का लंड पूरा तन गया. भोलू नगमा के उपर लेट गया. उसका लंड नगमा की गान्ड पर लेट गया.

नगमा गहरी नींद में थी और वो यू ही पड़ी रही.

भोलू ने हाथ पे थूक लगाया और नगमा की गान्ड फैला कर उसके होल को चिकना कर दिया. थोड़ा सा थूक उसने अपने लंड पर भी रगड़ लिया. फिर उसने दोनो हाथो से गान्ड को फैलाया और लंड को नगमा की गान्ड के छेद पर टीका दिया. नगमा की गान्ड पीछले 2 दिन की थुकाइ से थोड़ा खुली हुई थी. जैसे ही भोलू ने धक्का मारा आधा लंड नगमा की गान्ड में घुस्स गया.

"उूउऊययययययीीईईईई मा कौन है...कौन है." नगमा की आँख खुल गयी.

"मैं हूँ भोलू...हे..हे..हे"

"आआहह क्या कर रहे हो तुम ऊओ."

"सोती हुई लड़की की गान्ड मार रहा हूँ...आअहह.. ऊऊहह"

"आआहह....ऊऊहह ऐसा क्यों कर रहे हो तुम."

भोलू ने पूरा लंड नगमा की गान्ड में घुस्सा दिया और बोला,"तुम्हारी गान्ड अछी लगती है इसलिए."

"ऊओह मुझे उठा कर नही डाल सकते थे...मुझे डरा दिया."

"तेरी गान्ड देख कर कुछ होश ही नही रहा.... थूक लगा कर घुस्सा दिया"

"तुम हमेशा चालाकी से गान्ड मारते हो आआहह"

भोलू ने लंड बाहर की और खींचा और दुबारा अंदर डाल दिया, "तेरी गान्ड के लिए कुछ भी करूँगा आअहह."

भोलू तेज तेज नगमा की गान्ड ठोकने लगा. कमरे में नगमा की सिसकिया गूंजने लगी.

"कुतिया बन जा और ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे क्या बोलती है आअहह"

"किसी कुतिया की ले ले जाके मैं कुतिया नही बनूँगी आअहह"

"कुतिया तो तू है ही बन-ने की क्या ज़रूरत है आअहह" भोलू नगमा की गान्ड में लंड अंदर धकेलते हुए बोला.

"तो तू कौन सा कुत्ते से कम है...आअहह"

भोलू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. हर धक्के के साथ नगमा की गान्ड चालक रही थी. नगमा ने मद-होशी में बिस्तर की चादर को मुथि में कश लिया था.

भोलू नगमा की गान्ड में झाड़ गया. दोनो यू ही पड़े रहे. कब दोनो को नींद आ गयी पता ही नही चला. भोलू का लंड नगमा की गान्ड की गहराई में ही सो गया.

.............................................................................................

इधर पद्‍मिनी अपने पेरेंट्स को पूरी कहानी सुनाती है.

"उस लड़के मोहित को भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए...ऐसा तो कोई पागल ही कर सकता है"

"छोड़िए पापा जो हो गया सो हो गया...अब बस यही दुवा कीजिए कि वो कातिल पकड़ा जाए."

पद्‍मिनी अपने पेरेंट्स के साथ काफ़ी देर तक बैठी रही. सभी खुस थे.

"चलो बेटा सो जाओ आँखे लाल लग रही हैं तुम्हारी ठीक से सोई भी नही शायद" पद्‍मिनी की मदर ने कहा.

"ठीक है...मुझे बहुत गहरी नींद आ रही है."

सभी अपने-अपने बेडरूम में चले गये. पद्‍मिनी ने खिड़की से झाँक कर देखा. बाहर रात का सन्नाटा था. 3 पोलीस वाले सो रहे थे और एक अपने मोबाइल पे कुछ देख रहा था.

"ऐसी सुरक्षा से तो सुरक्षा ना होना बेहतर है. कम से कम इंसान अपने भरोसे तो रहे." पद्‍मिनी ने सोचा.

पद्‍मिनी अपने बेडरूम में आ गयी और अपने बिस्तर में घुस गयी. "मुझे अलर्ट रहना होगा" पद्‍मिनी ने कहा.

पद्‍मिनी घर तो पहुँच गयी पर रह रह कर उसका दिल घबरा रहा था. वो डर रही थी कि कही वो कातिल वाहा ना पहुँच जाए.

..............................................................

"यार बस और नही...बहुत पी ली" मोहित ने कहा.

"पी ना यार रोज रोज कहा हम पीते हैं...आज पी रहे हैं तो क्यों ना जी भर के पिए."

"वो तो ठीक है...पर यार बहुत नशा हो रहा है."

"दूसरे नशे की जगह बाकी है कि नही"

"दूसरा नशा...कौन सा दूसरा नशा."

"मेरे पड़ोसी की बीवी बड़ी मस्त है कहे तो बुला लू...बोल क्या कहता है...अभी आ जाएगी वो."

"नया माल फ़साया है क्या...बताया नही तूने कामीने."

"तू मिला ही कहा इतने दिन से बस अभी 2 हफ्ते पहले ही फ़साई है."

"बबलू तू शादी भी करेगा या फिर यू ही काम चलाता रहेगा."

"तुझे शादी करके क्या मिल गया...कहाँ है तेरी बीवी."

"यार तू उसकी बात मत कर वो अलग ही कहानी है."

"बता दे हमे भी...हमे भी तो पता चले."

"छ्चोड़ यार मूड खराब हो जाएगा"

"बता फिर बुलाउ क्या पड़ोसन को...मस्त आइटम है."

"साले रात के दो बज रहे हैं...वो क्यों आएगी इस वक्त."

"आएगी...आएगी क्यों नही उसकी दुखती रग मेरे हाथ में है."

"ब्लॅकमेल कर रहा है क्या बे...मुझे ज़बरदस्ती किसी की लेना अच्छा नही लगता."

"अरे नही...उसका एक लोंडे से चक्कर था. मैने एक दिन उन्हे छत पर पकड़ लिया. बस तभी से मुझे भी मिल रही है उसकी. बस मैं डराता रहता हूँ उसे कि तेरे पति को सब बता दूँगा...डर कर बहुत अच्छे से देती है वो."

"जो भी हो है तो ये एक तरह की ब्लॅकमेलिंग ही."

"वो क्या सती सावित्री है कोई...ऐसा मोका कोई गवाता है क्या."

"देख यार इतनी रात को उसे मत बुला...सहर में वैसे ही का आतंक फैला हुआ है."

"अरे उसे कौन सा सड़क से आना है...छत टाप कर आ जाएगी यहा."

"वैसे सच कहु तो मेरा अभी मन नही है...एक लड़की पे दिल आ गया है यार."

"भाई मुझे तो शराब के साथ शबाब भी चाहिए अभी फोन करता हूँ साली को"

मोहित नशे में टल्ली हो रहा था. उसे सॉफ सॉफ दीखाई भी नही दे रहा था. पर वो बात ठीक से कर रहा था.

बबलू ने फोन किया, "साली उठा नही रही है...कहा मर गयी."

"रहने दे यार क्यों इतनी रात को परेशान करता है. सो रही होगी बेचारी."

"उसे परेशान करना मेरा हक है यार...मेरी बात नही मानेगी तो कल ही फँसा दूँगा साली को."

मोहित खड़ा हुआ और फोन बबलू के हाथ से छीन लिया.

"समझा कर मेरा बिल्कुल मन नही है." मोहित ने कहा.

"अच्छा तू रहने देना...पर मैं तो लूँगा साली की आज फिर...वैसे ये बता कौन है वो लड़की जो तेरा दिल ले उड़ी...और तेरा मन खराब कर दिया."

"है एक लड़की...पहले पटा लू फिर उसके बारे में बताउन्गा."

बबलू ने मोहित से फोन वापिस ले लिया और बोला, " मुझे तो मज़ा करने दे भाई मेरे...मेरा बहुत मन है अभी."

"उसका पति नही है क्या घर में जो वो इस वक्त आएगी."

"पति पोलीस में है और अक्सर अपनी ड्यूटी के कारण बाहर ही रहता है. नाइट ड्यूटी ज़्यादा रहती है उसकी."

"सेयेल तू पोलीस वाले की बीवी ठोक रहा है..किसी दिन पकड़ा गया ना तो वो तुझे ठोक देगा."

"देखा जाएगा यार...ऐसा माल क्या रोज मिलता है...तू देखेगा ना तो तेरा भी मन हो जाएगा हे..हे..हे."

"तू सच में पागल है...तेरा कुछ नही हो सकता." मोहित ने कहा.

बबलू ने फिर से फोन मिलाया, "सरिता जी क्या बात है फोन क्यों नही उठा रही"

"क्या है इतनी रात को क्यों फोन किया." सरिता ने कहा.

"फोन कब करता हूँ मैं तुझे हे..हे..हे."

"देखो मैं इस वक्त नही आ सकती...मुझे रात को घर से निकालने में डर लगता है."

"मैं तुझे रिक्वेस्ट नही कर रहा हूँ... ऑर्डर दे रहा हूँ तुझे समझी जल्दी आजा यहा वरना कल तेरे पति को तेरे कारनामे सुना दूँगा."

"देखो बाहर बहुत हलचल हो रही है आज...मुझे डर लग रहा है...कही वो कातिल यहा आस पास हुई तो."

"तुझे कौन सा सड़क पार करके आना है...छत क्रॉस करके आजा...भाने मत बना वरना मेरा दीमाग घूम जाएगा."

"ठीक है बाबा मैं 10 मिनट में आ रही हूँ."

"ये हुई ना बात...और सुन सारी पहन के आना मुझे तेरी साड़ी उतारनी अछी लगती है...हे..हे..हे."

"आधा घंटा लगेगा सारी पहन-ने में कोई मज़ाक है क्या."

"मुझे कुछ नही पता... सारी पहन कर जल्दी आ जा." बबलू ने फोन काट दिया.

"तू तो बहुत हुकुम चलाता है बेचारी पे." मोहित ने कहा.

"हुकुम चलाना पड़ता है यार वरना वो क्यों देगी मुझे...तेरे जैसा स्मार्ट तो हू नही मैं हे..हे..हे."

...................................................

"उफ्फ क्या करूँ इस कामीने का मैं...किसी भी वक्त बुला लेता है...मैं तो तंग आ गयी हूँ इस से." सरिता ने सोचा.

सरिता अपनी आल्मिरा खोल कर सारी ढूँढने लगी.

"कौन सी पहनु....क्या मुसीबत है." सरिता झल्ला कर बोली और आल्मिरा का दरवाजा पटक दिया.

"ये वक्त है किसी को बुलाने का...कितनी अछी नींद आ रही थी...उफ्फ क्या करूँ"

जैसे तैसे सरिता ने सारी पहनी और अपने बॉल-वाल सेट करके अपने घर की छत पर आ गयी.

"कितना सन्नाटा है बाहर...और ये कुत्ते पता नही क्यों भोंक रहे हैं आज. कुछ ज़्यादा ही शोर मच्चा रहे हैं."

सरिता अपने घर की छत से बबलू के घर की छत पर आ गयी.

"कही ये आ गये तो...नही नही उनकी नाइट ड्यूटी है सुबह से पहले नही आएँगे और आएँगे भी तो भी बबलू के घर से बेल तो सुन ही जाएगी...भाग कर छत के रास्ते वापिस आ जाउन्गि." सरिता चलते चलते सोच रही थी.

सरिता बबलू के घर की सीढ़ियों से नीचे आ गयी और उसने पीछे का दरवाजा खड़काया.

"लो आ गया मेरा माल...देखता जा...उसे देख कर डिसाइड करना की मन है कि नही..हे..हे..हे."

बबलू सरिता के लिए दरवाजा खोलने चल दिया. उसके कदम नशे की वजह से लड़खड़ा रहे थे.
 

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Update 38

बबलू ने दरवाजा खोला. सामने स्काइ ब्लू साड़ी में लिपटी सरिता खड़ी थी.

"वाउ क्या मस्त साड़ी पहन के आई है...आजा आजा मेरा दोस्त तुझे देखेगा तो मर मिटेगा तुझपे."

"क्या!.... तुम्हारा दोस्त साथ में है क्या?"

"हां...आजा मिलवाता हूँ...बहुत स्मार्ट है तुझे पसंद आएगा." बबलू ने सरिता का हाथ पकड़ कर कहा.

"रूको...मुझे नही मिलना किसी से...मुझे बदनाम करवाओगे क्या?"

"आबे चुप कर तुझ से पूछा है किसी ने चुपचाप मेरे साथ चल." बबलू ने कहा.

बबलू सरिता को घसीट कर उस कमरे में ले आया जहा मोहित बैठा था.

"ये देख...ये है मेरी मस्त आइटम...बीवी से भी ज़्यादा काम की है...जब चाहे बुला लेता हू इसे." बबलू ने कहा.

सरिता ने किसी तरह अपना हाथ बबलू के हाथ से छुड़ा लिया. सरिता को देखते ही मोहित लड़खड़ाते कदमो से खड़ा हो गया.

"क्या हुआ...अब बता कैसी लगी मेरी आइटम...मस्त है ना...इसकी छाती की गोलाई देख...है ना जबरदस्त. अब बता मन है कि नही तेरा." बबलू ने कहा.

सरिता की आँखो में शरम, डर और गुस्सा तीनो एक साथ नज़र आ रहे थे. मोहित भाँप गया था कि उसे उसका वहाँ होना अच्छा नही लग रहा. हालाँकि उसका लंड उसकी पॅंट में कूदने लगा था फिर भी वो बबलू को ऐसे ही सो कर रहा था जैसे की उसका कोई इंटेरेस्ट नही है. शायद पूजा के लिए उसके दिल में उठी हलचल भी इसका कारण था. पर जो भी हो सरिता कि खूबसूरती को वो बड़े गौर से निहार रहा था.

"क्या सोच रहा है यार आगे बढ़ और थाम ले इसके गोल गोल सन्तरो को." बबलू ने कहा.

सरिता ने बबलू को घूर के देखा.

"अबे देख क्या रही है...अपना बहुत ख़ास दोस्त है...इसे भी जलवे दिखा अपने."

"देखो तुम ये ठीक नही कर रहे" सरिता ने कहा.

"अच्छा अब तू मुझे बताएगी कि क्या ठीक है और क्या ग़लत...तू बड़ा ठीक कर रही थी उस दिन छत पर. बहुत बेशर्मी से पिलवा रही थी अपनी हा भूल गयी."

सरिता कुछ नही बोल पाई.

बबलू सरिता के पीछे गया और उसे पीछे से जाकड़ लिया. उसके दोनो हाथ सरिता के बूब पर थे और उसका लंड साड़ी के उपर से सरिता की गान्ड को महसूस कर रहा था.

"छ्चोड़ो मुझे...इनके सामने ये सब मत करो." सरिता ने छटपटाते हुए कहा.

"बहुत गर्मी दिखा रही है आज हा... देख ले तेरे पति को कल सब कुछ बता दूँगा..फिर देखते हैं तेरी गर्मी."

"बबलू आराम से यार...मेरे सामने ज़बरदस्ती मत कर...मुझे अच्छा नही लगता." मोहित ने कहा.

"तुझे नही पता ये इसी तरह काबू में आती है" बबलू ने कहा.

बबलू ने सरिता के बूब्स को ज़ोर से दबाया उसका इरादा उसे दर्द देने का था.

"आआहह...नही..." सरिता कराह उठी.

"मैं जा रहा हूँ भाई यहा से मुझसे ये सब नही देखा जाता" मोहित ने कहा.

"अरे तुझे क्यों बुरा लग रहा है...अच्छा बैठ अब नही करूँगा ऐसा" बबलू ने कहा.

ये सुन कर सरिता ने भी राहत की साँस ली.

बबलू अब सरिता की गान्ड को सहलाने लगा. "साड़ी में ये गान्ड अच्छी लगती है खि...खि..खि." बबलू हँसने लगा.

"क्या हम दूसरे कमरे में चलें यहा मुझे शरम आ रही है इनके सामने" सरिता ने कहा.

मोहित ने सरिता की बात सुन ली. "ऐसा करता हूँ मैं ही दूसरे कमरे में चला जाता हूँ." मोहित ने कहा और लड़-खड़ाते हुए वहाँ से चल दिया.

"अरे यार तू कहा जा रहा है...रुक ना देख मैं कैसे लेता हूँ इस आइटम की" बबलू सरिता की गान्ड पर चुटकी मार कर बोला.

"आउच.." सरिता कराह उठी.

मोहित बबलू की बात अनसुनी करके वहाँ से चला गया. दूसरे कमरे में आ कर वो बिस्तर पर गिर गया. नशे के कारण उसका सर घूम रहा था. वो आँखे बंद करके चुपचाप लेट गया.

"तुझे आज हो क्या गया है क्यों इतने नखरे कर रही है...पता है ना तुझे मुझे ये सब पसंद नही." बबलू ने सरिता को पीछे से ज़ोर से जाकड़ के उसके कान में कहा.

"एक तो इतनी रात को बुलाते हो मुझे...उपर से अपने दोस्त के सामने ये सब हरकते करते हो..किसे अच्छा लगेगा." सरिता ने कहा.

"बहुत बोल रही है आज हा रुक अभी मज़ा चखाता हूँ" बबलू ने कहा.

बबलू ने एक स्केल उठाया और सरिता को बोला, "चल झुक."

सरिता को समझ नही आया कि आख़िर वो करना क्या चाहता है.

बबलू ने सरिता को फोर्स्फुली झुकाया और उसकी साड़ी पेटिकोट सहित उपर उठा दी. सरिता ने ब्लू पॅंटी पहनी हुई थी बबलू ने वो भी नीचे सरका दी. अब सरिता की नंगी गान्ड बबलू के सामने थी.

बबलू ने स्केल को हवा में हिलाया और ज़ोर से सरिता की गान्ड पर मार दिया.

"आअहह ये क्या कर रहे हो?" सरिता कराह उठी.

"तेरा नखरा उतार रहा हूँ... अब बोल" बबलू ने कहा और स्केल को एक बार फिर सरिता की गान्ड पर जड़ दिया.

सरिता की गान्ड लाल हो गयी. "क्या बात है...बस दो बार की पीटाई में ही ये गान्ड लाल हो गयी...अभी तो बहुत पीटाई बाकी है...हे..हे..हा..हा."

"तुम पागल हो गये हो आज आआहह" सरिता की गान्ड पर एक और वार हुआ.

"क्या बात है...क्या चलकती है तेरी गान्ड स्केल पड़ने से...मज़ा आ गया...वाउ." बबलू ने कहा और एक बार फिर से सरिता की गान्ड पर स्केल दे मारा.

"ऊओह.... यू आर सिक आहह."

सरिता के कराहने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दे रही थी. "क्या कर रहा है ये" मोहित बड़बड़ाया.

"अब मज़ा आएगा तेरी मारने में." बबलू ने कहा.

बबलू ने अपनी पॅंट की चैन खोली और अपने तने हुए लंड को बाहर खींच लिया. सरिता को बबलू का लंड अपनी गान्ड पर महसूस हुआ.

बबलू ने हल्का सा थूक अपने लंड पे लगाया और सरिता की चूत पर लंड को टीका दिया.

"वाउ आज तो अलग ही मज़ा आ रहा है तेरे साथ ऊओ." बबलू ने कहा.

बबलू ने लंड सरिता की चूत में घुसेड दिया.

"आआहह अभी मैं तैयार नही थी ऊओ." सरिता फिर से कराह उठी.

"उस से क्या फरक पड़ता है खि...खि..खि.."

"तुम एक नंबर के कामीने हो आअहह."

"तू क्या है फिर...अपने पति को धोका दे रही है...क्यों आई है यहा हे..हे..हे."

"मैं अपनी मर्ज़ी से नही आई आअहह."

बबलू ने सरिता की चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया. कुछ ही देर में सरिता भी बहकने लगी. उसके दर्द की आहें अब मज़े की आआहएं बन गयी.

"तेरे उस बाय्फ्रेंड से अच्छा मज़ा देता हूँ ना मैं आअहह."

"ऐसा कुछ नही है आअहह"

"अच्छा ऐसी बात है साली अभी बताता हूँ" बबलू ने सरिता के बॉल नोच लिए और तेज तेज उसकी चूत में लंड अंदर बाहर करने लगा.

"आआहह मेरे बाल छ्चोड़ दो...आअहह"

"क्या हुआ अब साली रंडी."

"आआहह मुझे गाली मत दो प्लीज़."

बबलू लगातार सरिता को झुकाए हुए उसके पीछे से धक्के मारता रहा.

अचानक उसने सरिता की चूत से लंड निकाल लिया और सरिता की गान्ड को फैला कर गान्ड के के छेद पर रख दिया.

"ये क्या कर रहे हो तुम्हे कहा था ना मैने मुझे अनल पसंद नही है"

"आज तेरी गान्ड भी रागडूंगा चुप कर..." बबलू ने कहा.

बबलू ने सरिता को कंधे से जाकड़ लिया ताकि वो हिले नही और लंड को उसकी गान्ड में घुसा दिया. सरिता छटपताई पर लंड आधा गान्ड में घुस चुका था.

"उूउऊययययीी निकालो...आआहह" सरिता ने बबलू को ज़ोर से धक्का मारा. बबलू का लंड सरिता की गान्ड से निकल गया और बबलू सर के बल लड़खड़ा कर पीछे गिर गया. उसका सर सोफे की लकड़ी से टकराया और उसका सर खून से लत्पथ हो गया.

सरिता ने मूड कर देखा तो पाया कि बबलू ज़मीन पर बेहोश पड़ा है और उसके सर से खून बह रहा है.

"ओह माइ गॉड...क्या ये मर गया."

सरिता ने बबलू को हिलाया पर उसके शरीर में कोई हरकत नही हुई.

"हे भगवान अब मेरा क्या होगा?" सरिता सर पकड़ कर बैठ गयी.

बबलू के नीचे गिरने की आवाज़ मोहित को भी सुनाई दी.

"उफ्फ अब क्या कर दिया इस बबलू ने."

मोहित बिस्तर से उठा और लड़खदाता हुआ वापिस वही आ गया.

वहाँ पहुँच कर मोहित के होश उड़ गये. बबलू ज़मीन पर पड़ा था और उसके पास सरिता सर पकड़े बैठी थी.

"ये सब कैसे हुआ.?" मोहित ने पूछा.

सरिता ने मोहित की तरफ देखा. वो कुछ भी बोलने की हालत में नही थी.

मोहित का तो जैसे नशा ही उतर गया. वो बबलू के पास आया और उसकी साँसे चेक की.

"हे भगवान ये तो मर चुका है...क्या किया तुमने इसके साथ." मोहित ने कहा.

सरिता फूट फूट कर रोने लगी. उस से कुछ भी बोले नही बन रहा था.

"अरे मेरी मा कुछ बोलेगी भी या यू ही रोती रहेगी...अफ कहा फँस गया मैं."

"य...य..ये मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहा था...मैने इसे धक्का दिया था बस. इसका सर सोफे की लकड़ी से टकरा गया शायद और...." सरिता फिर रोने लगी.
 

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Update 39

"अच्छा...अच्छा ठीक है चुप हो जाओ" मोहित ने कहा.

"मैं बर्बाद हो गयी मेरा ये इरादा नही था."

"तेरे साथ पहले कर तो रखा था इसने...दुबारा करवाने में क्या हर्ज़ था." मोहित ने पूछा.

"ये ज़बरदस्ती अनल कर रहा था." सरिता ने सुबक्ते हुए कहा

"तो क्या हुआ अनल ईज़ ए नॉर्मल सेक्स" मोहित ने कहा.

"पर मैने कभी नही किया" सरिता ने अपनी नज़रे झुका कर कहा. उसे ये बाते करते हुए शरम आ रही थी.

"ह्म्म...फिर तो तुम्हारे लिए अबनॉर्मल है." मोहित ने कहा.

"अब मेरा क्या होगा....मुझे तो जैल जाना पड़ेगा." सरिता सुबक्ते हुए बोली.

"मुझे सोचने दो...मैं कुछ ना कुछ करता हूँ."

"तुम क्या कर सकते हो इस में" सरिता ने हैरानी में पूछा.

"थोड़ा सोचने तो दो." मोहित ने कहा.

"मिल गया एक काम कर सकते हैं हम." मोहित ने कहा.

"क्या बोलो."

"आजकल साइको किल्लर का ख़ौफ़ है शहर में...क्यों ना इस कतल का इल्ज़ाम हम उस पर डाल दे."

"क्या ऐसा हो सकता है?"

"बिल्कुल हो सकता है." मोहित ने कहा.

"तुम ऐसा क्यों करोगे...तुम्हारे दोस्त को मारा है मैने."

"देखो ये हादसा है...बबलू तो मर ही चुका है तुम्हारी जिंदगी क्यों बर्बाद हो." मोहित ने कहा.

"पर ये सब कैसे होगा." सरिता ने कहा.

"यही सोचने वाली बात है." मोहित ने कहा.

मोहित ने लाइट बंद कर दी और खिड़की से बाहर झाँक कर देखा. "बबलू की लाश को हमें बाहर कही फेकना होगा." मोहित ने कहा.

"बाहर पर कैसे?"

"तुम्हारे पास कार है?"

"हां है."

"चाबी है इस वक्त तुम्हारे पास."

"नही वो तो घर पड़ी है."

"जाओ जा कर ले आओ...ये काम जल्द से जल्द करना होगा." मोहित ने कहा.

"ठीक है मैं अभी चाबी लेकर आती हूँ" सरिता वहाँ से चल पड़ी.

मोहित ने बबलू की लाश को चादर में लपेट लिया. "माफ़ करना दोस्त पर ये सब करना ज़रूरी है. किसी की जिंदगी का सवाल है," मोहित ने धीरे से कहा.

सरिता कार की चाबी ले आई.

"कार ले आओ यहा." मोहित ने कहा.

"मुझे बाहर जाने से डर लग रहा है...प्लीज़ कार तुम ले आओ मेरे घर के बाहर ही खड़ी है." सरिता ने कहा.

"लाओ चाबी मुझे दो."

सरिता ने चाबी मोहित के हाथ में थमा दी. मोहित फ़ौरन कार घर के बाहर ले आया.

मोहित ने बबलू की लाश को उठाया और लाश को चुपचाप बाहर ले आया. उसने लाश डिकी में डाल दी.

"तुम यही रूको मैं लाश को ठिकाने लगा कर आता हूँ." मोहित ने कहा.

सरिता दरवाजा बंद करके वही सोफे पर बैठ गयी. उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था.

मोहित कुछ ही दूरी पर लाश को सुनसान सी जगह देख कर छ्चोड़ आया. वापिस आ कर उसने फर्श पर खून के निशान सॉफ किए.

"मैं आपका अहसान कभी नही भूलूंगी....बोलिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूँ" सरिता ने कहा.

"आप जैसी खूबसूरत विमन मेरे लिए एक ही काम कर सकती है." मोहित शरारती अंदाज में कहा.

पहले तो सरिता को समझ नही आया. लेकिन जब उसे मोहित की बात समझ आई तो वो शर्मा गयी.

"बबलू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा था...मुझे ग़लत मत समझना..मैं ऐसी औरत नही हूँ."

"किस लड़के के साथ पकड़ा था बबलू ने तुम्हे."

"मैं उसे प्यार करती हूँ...शादी से पहले का प्यार है मेरा उस से."

इसका मतलब मेरा कोई चांस नही." मोहित ने निराशा भरे शब्दो में कहा.

"नही मेरा वो मतलब नही था." सरिता नज़रे झुका कर बोली.

"फिर ठीक है...देख मेरा आज मन नही है...फिर कभी चलेगा."

"मेरे लिए भी ये ठीक रहेगा...पर प्लीज़ मेरे बारे में किसी को मत बताना."

"भरोसा रखो मुझ पे...जाओ तुम अपने घर जाओ...फिर कभी मिलते हैं."

"ओके...थॅंक यू वेरी मच फॉर हेल्पिंग मी इन दिस सिचुयेशन."

"गुड नाइट." मोहित ने कहा.

सरिता छत के रास्ते से ही अपने घर वापिस आ गयी. मोहित बबलू के घर का ताला लगा कर वहाँ से चल दिया.

"उफ्फ इतनी रात को कुछ नही मिलेगा. बबलू की बाइक ले जाना ठीक नही था."

मोहित पैदल ही अंधेरी सड़क पर चल पड़ा.

रात का सन्नाटा बहुत भयानक था. रह रह कर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ आ रही थी. मोहित को बार-बार ऐसा लग रहा था जैसे की कोई उसका पीछा कर रहा है. उसने काई बार पीछे मूड कर देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.

"अच्छा ख़ासा पूजा को छ्चोड़ कर वापिस जा रहा था...ना जाने कहा से ये बबलू आ गया. बहुत बुरा हुआ बेचारे के साथ पर. गान्ड मारने के चक्कर में खुद ही मारा गया बेचारा. भगवान उसकी आत्मा को शांति दे."

मोहित आगे बढ़ा जा रहा था. अचानक उसकी नज़र सड़क किनारे पेड़ का सहारा ले कर खड़े एक साए पर गयी. मोहित के दिल की धड़कन तेज हो गयी. "इतनी रात को कौन खड़ा है, पेड़ के सहारे ये." मोहित ने सोचा.

मोहित ने थोड़ा गोर से देखा तो पाया कि वो साया सिगरेट पी रहा था.

"पागल है क्या ये बंदा जो कि इतनी रात को यहा खड़ा हुआ सिगरेट पी रहा है."

अंधेरा इतना था कि मोहित को उस आदमी का चेहरा सॉफ दिखाई नही दे रहा था. पर जब मोहित चलते चलते थोड़ा और नज़दीक पहुँचा तो उसके होश उड़ गये. उस साए के कदमो में कोई आदमी पड़ा था और उस साए ने उसकी छाती पर पाँव रख रखा था. उस साए के चेहरे पर नकाब था.

मोहित को समझते देर नही लगी कि वो साया कौन है. मुस्किल वाली बात ये थी कि उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे.

"कहा जा रहे हो इतनी रात को." साइको ने पूछा.

"तेरी मा चोद्ने जा रहा हूँ...तू है कौन एक बार शकल तो दिखा दे."

"हा...हा..हा..हे..हे तुझे मारने से पहले तेरी ज़ुबान काटुंगा"

"यार तू है कौन तेरी शकल तो दिखा दे...बाद में मुझे आराम से मारते रहना."

"तेरे पीछे कोई है मूड के देख." साइको चिल्लाया.

मोहित ने पीछे मूड के देखा. वो साइको की चाल में फँस गया था. पूरा का पूरा चाकू मोहित के पेट में घुस गया था.

"आअहह बहुत मक्कार हो तुम आहह" मोहित दर्द से कराह उठा. लेकिन उसने हिम्मत करके साइको को ज़ोर से एक तरफ धक्का दे दिया और एक झटके में अपने पेट में घुसा चाकू बाहर निकाल लिया.

"आआहह..." मोहित चाकू निकलने पर कराह उठा.

अब मोहित के हाथ में चाकू था और साइको उसके सामने गिरा पड़ा था. मोहित आगे बढ़ा. पर साइको ने मोहित की आँख में मिट्टी डाल दी. मोहित ने आँखे बंद कर ली. पर चाकू को हाथ में तान लिया. साइको दबे पाँव मोहित के पीछे गया और उसके सर पर बंदूक तान दी.

"जो चाकू से बच जाता है...उसे मैं गोली मार देता हूँ"

मोहित ने फुर्ती से घूम कर चाकू का वार किया. साइको के पेट पर चाकू ने गहरा घाव बना दिया. साइको लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर गया.

मोहित को साइको गिरता हुआ दिखा. अगले ही पल मोहित के कंधे में एक गोली आ कर गढ़ गयी.

"आअहह" मोहित फिर से कराह उठा.

मोहित ने पाँव से ढेर सारी मिट्टी साइको की तरफ उछाल दी और भाग कर सड़क किनारे पेड़ के पीछे छुप गया. इतने में पोलीस के सायरन की आवाज़ वहाँ गूंजने लगी.

साइको फ़ौरन वहाँ से भाग निकला. रात के अंधेरे में वो कहा गायब हो गया पता ही नही चला. पोलीस की जीप आगे बढ़ गयी.

मोहित ने जैसे तैसे अपने पेट पर अपनी शर्ट को बाँध लिया ताकि खून का बहाव कम हो जाए. उसके कंधे से भी खून बह रहा था.

"यहा आस पास कोई भी क्लिनिक या हॉस्पिटल नही है...मेरा मोबाइल ओह कहा गया. शायद कही गिर गया. उफ्फ आज क्या हो रहा है मेरे साथ."

मोहित लड़खड़ाते हुए दर्द से कराहते हुए अपनी कॉलोनी के पास पहुँच गया. उसे सामने भोलू का घर दिखाई दिया.

"भोलू को ही उठाता हूँ राजू तक पहुँचते पहुँचते कही मेरी जान ना चली जाए."

मोहित ने ज़ोर ज़ोर से दरवाजा खड़काया. नगमा गहरी नींद में सोई थी. पर दरवाजे पर ज़ोर की आहट सुन कर वो जाग गयी और फ़ौरन उठ कर बैठ गयी.

"ये भोलू कहा गया और ये दरवाजे पर कौन है."

नगमा ने फ़ौरन कपड़े पहने और दरवाजा खोला. दरवाजे पर मोहित बेहोश पड़ा था.

"हे भगवान इसे क्या हो गया..क्या करू मैं...ये भोलू भी ना जाने कहाँ मर गया. "?" नगमा ने कहा.

नगमा भाग कर अंदर आई और घर में हर तरफ भोलू को ढूँढा पर वो नही मिला.

"कहा गया ये...कुण्डी तो अंदर से बंद थी...ओह शायद पीछे के दरवाजे से बाहर गया है"

नगमा की नज़र टेबल पर पड़े मोबाइल पर गयी. उसने फ़ौरन राज को फोन मिलाया. राज पोलीस स्टेशन में चौहान के साथ था.

नगमा की बात सुनते ही राज फ़ौरन एक जीप ले कर वहाँ से निकल दिया. उसने आंब्युलेन्स को भी बुला लिया."

नगमा मोहित के पास बैठी रही. मोहित दरवाजे पर पड़ा रहा. शायद कुछ साँसे अभी भी चल रही थी.

मोहित को फ़ौरन हॉस्पिटल ले जाया जाता है.
 

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Update 40


"डॉक्टर ये बच तो जाएगा ना?" राज ने पूछा.

"खून काफ़ी बह गया है...ही ईज़ इन क्रिटिकल सिचुयेशन..तुरंत ऑपरेशन करना होगा."

"कुछ भी कीजिए डॉक्टर साहब पर मेरे दोस्त को बचा लीजिए."

मोहित को तुरंत ऑपरेशन थियेटर में ले जाया जाता है. बाहर नगमा और राज बेसब्री से ऑपरेशन ख़तम होने का वेट करते हैं.

"तुम आज रात फिर भोलू के पास गयी...कभी तो चैन से बैठा करो." राज ने कहा.

"नही राज मैं उसके पास नही गयी थी...वही मुझे ले गया था." नगमा राज को पूरी बात बताती है.

"भोलू आख़िर गया कहा तुझे छ्चोड़ कर." राज ने पूछा.

"वही सोच कर मैं भी परेशान हूँ...मैं तो गहरी नींद में सोई थी...पता नही कब गया वो."

"ह्म्म...भोलू पर मुझे फिर से शक हो रहा है" राज ने कहा.

"मुझे भी उस पर पहले से ही शक है."

"तभी खूब मस्ती की तूने रात उसके साथ हूँ."

"सॉरी राज..वो मुझे ले आया तो...पर तुमसे ज़्यादा मुझे किसी के साथ अच्छा नही लगता." नगमा ने कहा.

"सब कहने की बाते हैं."

तभी ऑपरेशन थियेटर से डॉक्टर बाहर आया और बोला, "मैं जो कर सकता था मैने कर दिया...अभी वो बेहोश है...होश आने पर ही क्लियर हो पाएगा कि वो बचेगा की नही."

"ऑपरेशन तो ठीक हो गया ना डॉक्टर?" राज ने पूछा.

"ऑपरेशन बिल्कुल ठीक हो गया है...पर अभी वो अनकनसियस है. देखते है अब सब भगवान के उपर है."

डॉक्टर वहाँ से चला गया. मोहित को आइक्यू में शिफ्ट कर दिया गया.

"तुम चिंता मत करो उसे होश आ जाएगा." नगमा ने कहा.

"तुमने बहुत अच्छा काम किया नगमा आज...मुझे वक्त पर फोन ना करती तो गुरु का बचना और भी मुस्किल हो जाता."

"ये तो मेरा फ़र्ज़ था राज...मैं इतनी बुरी भी नही हूँ."

"मैने कब तुम्हे बुरा कहा पगली कही की...चल थोड़ी चाय पी कर आते हैं"

राज और नगमा चाय पी कर वापिस आइक्यू के बाहर बैठ जाते हैं. रात बीत जाती है. सुबह के कोई 6:30 बजे एक नर्स बाहर आती है.

"सिस्टर क्या मेरे दोस्त को होश आ गया." राज ने पूछा.

"हां...थोड़ी देर पहले ही उसने आँखे खोली है मैं डॉक्टर को बुलाने जा रही हूँ."

राज और नगमा की खुशी का ठीकना नही रहा. राज ने नगमा को बाहों में भर लिया और बोला,"तुम्हारी वजह से गुरु की जान बच गयी...तू घर चल अच्छे से लूँगा तेरी."

"सस्शह सिस्टर सुन रही है." नगमा ने कहा.

"ओह सॉरी ध्यान ही नही रहा." राज सर खुजाने लगा.

नर्स सर हिलाते हुए वहाँ से चली गयी.

डॉक्टर मोहित को देखता है और बाहर आकर कहता है, "अब तुम्हारा दोस्त ख़तरे से बाहर है."

"क्या मैं उस से मिल सकता हूँ"

"नही पोलीस केस है ये...पहले पोलीस उसका बयान लेगी तभी तुम मिल सकते हो."

"मैं सब इनस्पेक्टर राज शर्मा हूँ...मैं खुद उसका बयान लूँगा."

"ईज़ दट सो...अगर ऐसा है तो गो अहेड...मुझे कोई ऐतराज नही है...पोलीस वाले ही बाद में आकर ऐतराज़ करते हैं."

"डोंट वरी डॉक्टर...ऐसा कुछ नही होगा." राज ने कहा.

राज नगमा को साथ लेकर मोहित के पास आ गया.

"गुरु दारू पीते पीते किस चक्कर में फँस गये." राज ने कहा.

"पूछ मत यार बहुत बुरी रात थी ये मेरे लिए...एक मिनिट ज़रा नगमा को बाहर भेज दो." मोहित ने कहा.

"नगमा ने ही तुम्हारी जान बच्चाई है पहले उसे धन्यवाद तो कर दो." राज ने मोहित को पूरी बात बताई.

मोहित ने नगमा को पास बुलाया और बोला, "थॅंक यू नगमा तुमने बड़ी समझदारी दिखाई."

"थॅंक यू किस बात का ये तो मेरा फ़र्ज़ था. तुम दोनो बात करो मैं बाहर वेट करती हूँ" नगमा ने कहा.

नगमा बाहर आ गयी.

मोहित राज को बबलू के घर से लेकर साइको से भिड़ंत तक पूरी कहानी सुनाता है.

"गुरु एक-एक करके तुम्हारे दोस्त टपक रहे हैं...मेरा क्या होगा."

"अबे सब इत्तेफ़ाक है."

"अच्छा किया जो उस कामीने साइको को चाकू मारा."

"बहुत गहरा घाव हुआ होगा साले को...वो भी किसी हॉस्पिटल में पड़ा होगा अभी."

मोहित की बात सुनते ही राज ने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन किया. उसने चौहान को मोहित और साइको की भिड़ंत के बारे में बता दिया.

"सर उसे भी चाकू लगा है..हो ना हो वो भी किसी हॉस्पिटल या क्लिनिक में होगा...हमें शहर के सभी क्लिनिक और हॉस्पिटल चेक करने चाहिए." राज ने कहा.

"वाह बर्खुरदार तुम तो अभी से काम सीख गये...मैं तुरंत अलग अलग टीम्स भेजता हूँ. तुम उस हॉस्पिटल में चेक करो."

"जी सर... एक-दो कॉन्स्टेबल यहा भी भेज दो जो यहा मेरे दोस्त के कमरे के बाहर रहे." राज ने कहा.

"ठीक है भेजता हूँ...पर एक ही मिल पाएगा."

"एक ही भेज दो सर...मैं तो हूँ ही यहा...मैं हॉस्पिटल में चेक करूँगा तो वो यहा खड़ा रहेगा."

राज ने मोबाइल वापिस जेब में डाल लिया.

"गुरु तुम आराम करो मैं इस हॉस्पिटल को चेक करता हूँ क्या पता वो साइको भी यही आया हो." राज ने कहा.

"पद्‍मिनी कैसी है?" मोहित ने पूछा.

"ओह...पद्‍मिनी जी के बारे में बताना तो भूल ही गया. वो अपने घर चली गयी है." राज मोहित को पूरी बात बताता है.

"अच्छा किया यार तूने मेरे सर पर बोझ बना हुआ था."

"हां गुरु बहुत अच्छा हुआ...मैं अभी चलता हूँ बाद में बात करते हैं." राज ने कहा.

राज ने नगमा को घर जाने को बोल दिया. नगमा ऑटो पकड़ कर घर आ गयी.

नगमा ने घर आ कर अपने घर का ताला खोला और चुपचाप अंदर आ गयी.

"बहुत बढ़िया... मुझे यहा बंद करके बहुत अच्छा किया आपने दीदी" पूजा ने कहा.

"ओह तुम उठ गयी...सॉरी मुझे बाहर से ताला लगा कर जाना पड़ा." नगमा ने कहा.

"किसके साथ गयी थी आप ताला लगा कर राज के साथ या मोहित के साथ."

"भोलू ले गया था मुझे.." नगमा ने कहा.

"च्ीी वो भोलू हवलदार...उसकी शकल देखी है च्ीी...अब आप किसी के साथ भी चल देती हैं?"

"मेरे मामलो में टाँग ना अड़ाओ समझी मेरी जो मर्ज़ी होगी मैं करूँगी...तुम अपने काम से काम रखो...और मैं अभी हॉस्पिटल से आ रही हूँ."

"हॉस्पिटल...क्यों?"

नगमा पूजा को मोहित के बारे में बताती है.

"ह्म्म...चलो छ्चोड़ो...मुझे कॉलेज के लिए तैयार होना है" पूजा कह कर बाथरूम में घुस गयी.

"कॉलेज के लिए तैयार होना है हा...खुद पता नही क्या क्या करती होगी कॉलेज में...मुझे नसीहत देती है." नगमा गुस्से में बड़बड़ाई.

............................................................

..

राज ने पूरा हॉस्पिटल छान मारा उसने पेशेंट रिजिस्टर भी चेक किया. पर वहाँ कोई भी ऐसा व्यक्ति नही मिला जो की अपने पेट के ऑपरेशन के लिए वहाँ आया हो. बाकी पोलीस वालो को भी किसी हॉस्पिटल, क्लिनिक में कुछ नही मिला.

"अगर उसे चाकू लगा था तो वो गया कहाँ? क्या घर पर ही ऑपरेट करवा रहा है. बहुत शातिर है ये साइको." राज ने सोचा.

पूरा दिन बीत गया. मोहित की हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा था. एक हफ़्ता उसे हॉस्पिटल में ही रहना था.

"तुम घर जा कर आराम करो राज कब तक यहा बैठे रहोगे...सादे दस हो गये हैं."

"साइको का कुछ पता नही चला गुरु पता नही साला कहा गया होगा अपना पेट सीलवाने."

"कुछ दिन अब वो किसी को मारने की हिम्मत नही करेगा...पेट फाड़ दिया है मैने उसका."

"ये तो हैं बैठा होगा कही साला सर पकड़ के...उसे भी तो पता चला कि चाकू लगने से कैसा लगता है."

"आआहह."

"क्या हुआ गुरु?"

"यार ये सरिंज जो हाथ में लगा रखी है बहुत दर्द हो रहा है इसमें"

"ग्लूकोस के लिए है ना ये?"

"हां"

"रूको मैं किसी नर्स को बुलाता हूँ." राज ने कहा.

राज बाहर आया. उसने चारो तरफ देखा कोई नही था. वो ढूँढते ढूँढते थोड़ा आगे आ गया.

"शायड इस कमरे में होगी नर्स." राज ने सोचा क्योंकि कमरे पे लिखा था 'रेस्टरूम फॉर स्टाफ'

राज कमरे के नज़दीक गया तो उसे अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़ सुनाई दी. उसने दरवाजा खोला तो दंग रह गया.

टेबल का सहारा ले कर एक नर्स झुकी हुई थी और एक सेक्यूरिटी गार्ड उसकी चूत में लंड पेल रहा था. सेक्यूरिटी गार्ड ने नर्स की स्कर्ट उसकी गान्ड तक उठा रखी थी. एक हाथ में उसे स्कर्ट थी और एक हाथ उसने नर्स की गान्ड पर टिका रखा था.

"आअहह स्नेहा जी जब भी आपकी नाइट ड्यूटी होती है मेरे मज़े लग जाते हैं." गार्ड ने कहा.

"जल्दी जल्दी कर मुझे पेशेंट भी अटेंड करने हैं."

"और कितना जल्दी करूँ स्नेहा जी कभी तो टाइम दिया कीजिए."

"सुना था कि हॉस्पिटल में सिस्टर्स खूब देती हैं आज देख भी लिया....क्या करूँ किसी और को ढूंडू क्या...पर यही नर्स मोहित को शुरू से अटेंड कर रही है. वैसे मेरी बात सुन कर तो बड़ा सर हिला कर गयी थी...यहा खुद मज़े से चूत मरवा रही है...करने दो मज़े इन्हे मैं किसी दूसरी नर्स को देखता हूँ"

राज मुड़ने लगा तो स्नेहा की नज़र उस पर पड़ गयी.

"हटो कोई देख रहा है." स्नेहा ने कहा.

सेक्यूरिटी गार्ड की पीठ राज की तरफ थी. वो अपने धक्को को रोक कर पीछे मुड़ा.

"क्या काम है...ये स्टाफ का कमरा है जाओ यहा से."

स्नेहा ने गार्ड को झटका दिया. गार्ड का लंड स्नेहा की चूत से निकल गया. स्नेहा ने अपने कपड़े ठीक किए और बोली, "क्या बात है यहा क्यों आए हो."
 

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Update 41


"मेरे दोस्त के हाथ में जो सरिंज लगी है... दर्द कर रही है आकर ज़रा देख लीजिए."

"ठीक है मैं आती हूँ जाओ."

"अभी चलिए वो परेशान है."

"ओये बोला ना इन्होने...जाओ यहा से."

राज आगे बढ़ा और गार्ड की गर्दन पकड़ ली. "साले जैल में डाल दूँगा...ज़्यादा बकवास की तो."

"आप क्या पोलीस में हो." गार्ड गिड़गिदाया.

"और नही तो क्या...मेरा इरादा तुम दोनो को डिस्टर्ब करने का नही था...मैं तो जा ही रहा था कि इन्होने मुझे देख लिया."

"सॉरी सर चलिए आपके दोस्त को देख लेती हूँ ." स्नेहा के तेवर भी ढीले हो गये.

स्नेहा राज के साथ चल दी.

"कुण्डी तो लगा लिया कीजिए कोई भी झाँक सकता है."

"सॉरी सर...ग़लती हो गयी किसी को बताना मत प्लीज़ मेरी नौकरी चली जाएगी."

राज ने चलते चलते स्नेहा की गान्ड पर हाथ मारा और बोला, "कोई बात नही आप मेरे दोस्त की केर कीजिए बस...आप उसे छ्चोड़ कर यहाँ वहाँ रहेंगी तो कैसे चलेगा."

"सॉरी सर...मैं उनका पूरा ध्यान रखूँगी" स्नेहा ने कहा.

स्नेहा ने सरिंज चैक की.

"दर्द तो इसमे रहेगा...आप हाथ ज़्यादा मत हिलाओ." स्नेहा ने मोहित को कहा.

"क्या इसे निकाल नही सकते." मोहित ने कहा.

"नही ग्लूकोस ज़रूरी है आपके लिए"

"कोई बात नही गुरु...हाथ का थोड़ा ध्यान रखो दर्द कम हो जाएगा."

मोहित ने राज को इशारे से अपने पास बुलाया और बोला, "इस नर्स की लेने के चक्कर में तो नही है तू...बड़ा घूर रहा है इसकी गान्ड को."

"गुरु कोशिस तो पूरी है...शायद काम बन जाए."

"चल मज़े कर तू...मुझे नींद आ रही है"

"गुरु बाहर एक कॉन्स्टेबल है...चिंता मत करना मैं इस नर्स का काम निपटा कर जल्दी आ जाउन्गा."

"जाओ ऐश करो." मोहित हंस कर बोला.

"थॅंक यू स्नेहा जी...आओ बाहर चलते हैं. मेरे दोस्त को नींद आ रही है."

राज स्नेहा के साथ बाहर आ जाता है.

"सर मुझे दूसरे पटेंट भी देखने हैं मैं चलती हूँ....कोई ज़रूरत हो तो बुला लीजिएगा" स्नेहा ने कहा.

"ज़रूरत तो आपकी हर वक्त रहेगी...कहा मिलेंगी आप." राज ने कहा.

"मैं उसी कमरे में मिलूंगी" स्नेहा ने नज़रे झुका कर कहा.

"कितना वक्त लगेगा आपको सभी पेशेंट्स को अटेंड करने में"

"यही कोई एक घंटा."

"एक घंटा!" राज के चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये.

"हां सर इतना वक्त तो लगता ही है." सनेहा ने कहा और वहाँ से चली गयी.

राज स्नेहा को जाते हुए घूरता रहा. स्नेहा की गान्ड चलते हुए कामुक अंदाज़ में चालक रही थी .राज तो बस देखता ही रह गया.

"यार मामला कुछ जमता नज़र नही आ रहा...मैने इसकी गान्ड पर हाथ तो मारा था....शायद मेरा सिग्नल समझी नही ये." राज सोच में पड़ गया.

"चलो कोई बात नही पेशेंट्स को अटेंड करना भी ज़रूरी है . वापिस आएगी तो फिर से ट्राइ करूँगा...मानेगी तो ठीक है वरना रहने देंगे." राज वापिस मोहित के पास आ गया. पर मोहित तब तक सो चुका था.

राज मोहित के पास ही बैठ जाता है. कुछ देर तक तो वो जागा रहता है लेकिन धीरे धीरे नींद उसे घेर ही लेती है और वो बैठा बैठा कुर्सी पर झूलने लगता है. कुर्सी के लिए उसे संभालना मुस्किल हो जाता है. आख़िर कार वो लूड़क जाता है और उसकी आँख खुल जाती है.

"12:30 हो गये...देखता हूँ एक बार ट्राइ करके क्या पता बात बन जाए...अब तो वो उसी कमरे में होगी."

राज उसी कमरे पर पहुँच जाता है. वो दरवाजा खोल कर देखता है पर स्नेहा वहाँ नही मिलती.

"कहा गयी ये...छोड़ो यार क्यों अपना वक्त खराब कर रहा हू इसके लिए...छाए पी कर आता हूँ वरना फिर नींद आ जाएगी."

राज हॉस्पिटल की कॅंटीन में आकर चाय ऑर्डर करता है. वही उसे स्नेहा दीख जाती है. स्नेहा के साथ एक नर्स और थी और वो भी चाय पी रहे थे.

राज चाय लेकर स्नेहा के पास आ जाता है. राजू को देख कर स्नेहा कहती है,"मैं थोड़ी देर पहले आई तो आपके दोस्त को देखने. ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा कर आई हूँ. आप सो रहे थे."

"ओह हां मुझे नींद आ गयी थी...मुझे आपसे ज़रूरी बात करनी है"

"हां बोलिए"

"अकेले में बात करनी है."

"ओके...मैं चाय पी लू क्या?" स्नेहा मुस्कुरा कर बोली.

"हां-हां बिल्कुल मेरी भी चाय बाकी है"राज भी मुस्कुरा दिया.

"लाइन क्लियर लगती है...यही मोका है पासा फेकने का...इसकी चाय कब ख़तम होगी कप है या बाल्टी मेरी तो ख़तम भी हो गयी."

"आप मेरे कप को क्यूँ घूर रहे हैं"स्नेहा ने पूछा.

"अच्छा कप है काफ़ी चाय आ जाती है इसमे...वही देख रहा था."

स्नेहा हँसने लगती है और बोलती है, "आपके पास भी सेम कप था...चलिए मेरी चाय ख़तम हो गयी."

"शूकर है." राज ने कहा.

स्नेहा ने अपने साथ आई नर्स को बाइ किया और राज के साथ चल दी.

"कहिए क्या ज़रूरी बात थी."

"कोई ज़रूरी बात नही है...आपके साथ कुछ पल बिताने थे बस."

"ह्म्म...चाय कैसी लगी आपको इस कॅंटीन की चाय बहुत अच्छी है."

"चाय पी कौन रहा था...मेरी नज़र तो बस आप पर थी."

स्नेहा शर्मा जाती है और बोलती है, "छोड़िए ऐसी बाते मत कीजिए."

"इतनी खूबसूरत हैं आप और उस सेक्यूरिटी गार्ड के साथ च्ीी...आपके लायक नही है वो ना शकल ना सूरत."

स्नेहा ने राज की बात का कोई जवाब नही दिया.

"मैने कुछ ग़लत कहा क्या?"

"नही सर ऐसी बात नही है आप ये सब क्यों बोल रहे हैं"

राज और स्नेहा बाते करते करते कॅंटीन से काफ़ी दूर आ गये थे. वो अब अंधेरी सड़क पर चल रहे थे.

"वैसे ही बोल रहा हूँ."

"सर इस सड़क पर रोशनी नही है वापिस चलते हैं...अंधेरे से मुझे डर लगता है." स्नेहा ने कहा.

राज ने स्नेहा का हाथ थाम लिया और बोला, "डरने की कोई ज़रूरत नही है मैं हू ना साथ."

"मुझे लगता है आप मुझे ब्लॅकमेल करने की कोशिस कर रहे हैं. छोड़िए मेरा हाथ."

राज ने हाथ छोड़ दिया. "आप मुझे ग़लत समझ रही हैं."

"पहले आपने मेरी बॅक पर हाथ मारा था...मैने कुछ नही कहा अब आप ये सब घुमा फिरा कर बोल रहे हैं."

"मैं आपको ब्लॅकमेल नही कर रहा हूँ...पटा रहा हूँ इतना भी नही समझती..तुम जाना चाहो तो जा सकती हो मैं तो यही घूमूंगा अभी."

"मुझे पता रहे हैं पर क्यों?"

"क्योंकि मुझे आपकी चूत लेनी है इसलिए...अब सॉफ सॉफ बोल दिया फिर मत कहना."

"ओह गॉड आप कैसी बाते करते हैं."

"देखो मैने तुम्हे डिस्टर्ब किया था...आपका काम अधूरा रह गया था. मेरा फ़र्ज़ बनता है कि आपका काम पूरा किया जाए."

"आप बहुत अश्लील बाते करते हो."

"अब जल्दी से ऐसी जगह बताओ जहा मैं आराम से तुम्हारी चूत में लंड घुसा सकूँ"

"ऐसी कोई जगह नही है यहा हे..हे" स्नेहा हँसने लगती है.

"कोई बात नही ये सड़क काम करेगी चलो उस पेड़ के पीछे चलते हैं." राज ने कहा.

"यहा नही नही आप पागल हो गये हैं."

राज ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और बोला,"अरे आओ ना कब से तड़प रहा हूँ तुम्हारे लिए और तुम हो की नखरे कर रही हो."

राज स्नेहा को खींच कर पेड़ के पीछे ले आया.

"आप समझ नही रहे हैं...यहा ख़तरा है...कोई भी कभी भी आ सकता है."

"कितनी देर से हम यहा घूम रहे हैं...अभी तक तो कोई आया नही...कोई नही आएगा यहा."

राज ने अपनी पॅंट की चैन खोली और अपने भीमकाय लंड को बाहर खींच लिया.

"थामिये अपने हाथ में कोई आपका इंतेज़ार कर रहा है.

"आप ये ठीक नही कर रहे."

राज ने स्नेहा का हाथ पकड़ा और अपने तने हुए लंड पर रख दिया.

"ओह माइ गॉड ये क्या है."

"लंड है भाई...ऐसे कह रही हो जैसे पहली बार देख रही हो...वो गुआर्द लंड ही तो पाले रहा था तुम्हारी चूत में. भूल जाती हो क्या लंड लेकर लंड को.?"

"पर ये कुछ ज़्यादा ही बड़ा है."

"मज़ाक अच्छा कर लेती हो अब ये मत कहना कि तुम इसे गान्ड में नही ले पाओगि क्योंकि मैने ये पूरा का पूरा तुम्हारी सेक्सी गान्ड में डालना है."

"ओह नो...आप कैसी बाते करते हैं."

राज स्नेहा को बाहों में जाकड़ लेता है और उसके होंठो को चूसने लगता है.

"वाउ यू आर वंडरफुल क्या होंठ है तुम्हारे...तुम्हारी चूत के होंठ भी ऐसे ही हैं क्या."

"मुझे नही पता...आहह" राजू ने उसके बूब्स को मसल दिया था.

राज ने स्नेहा के बूब्स को बाहर निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.

"आअहह सर कोई आ गया तो."

"कोई नही आएगा...तुम बस मज़े करो."

राज ने अब स्नेहा की गान्ड को थाम लिया और गान्ड के दोनो पुतो को मसल्ने लगा.

"अयाया आराम से."

"गान्ड में लिया हैं ना आपने पहले"

"हां पर इतना बड़ा नही आआहह."

"घूम जाओ और घूम कर झुक जाओ...वक्त बर्बाद करना ठीक नही है...तुम्हे अपनी ड्यूटी भी करनी है"
 

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Update 42

स्नेहा पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी. वो बिना किसी झीजक के राज के आगे घूम गयी और झुक गयी. राज ने उसकी स्कर्ट उपर उठाई और उसकी पॅंटी नीचे सरका दी.

"सर मुझे बस यही डर है कि कही कोई आ ना जाए."

राज अपने लंड पर थूक रगड़ रहा था. "आप चिंता मत करो कोई आएगा भी तो मैं संभाल लूँगा."

"आप वहाँ तो नही डालेंगे ना?"

"कहा?" राज ने पूछा.

"वही गान्ड में."

"नही पहले आपकी चूत को रागडूंगा. जब उसकी तसल्ली हो जाएगी फिर गान्ड में डालूँगा."

"इतना बड़ा मेरे वहाँ नही जाएगा सर आगे की बात और है हालाँकि वहाँ भी मुस्किल होने वाली है."

"आप बिल्कुल चिंता मत करो मुझे अब गान्ड मारनी आती है...हे..हे."

राज ने स्नेहा की गान्ड को पकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा लंड स्नेहा की चूत में उतार दिया.

"ऊऊऊहह म्‍म्म्ममममममम मैं चिल्ला भी नही सकती आआहह बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है"

"थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा हे..हे..हे" राज हँसने लगा.

"आप हँसो मत कोई सुन लेगा...आअहह"

"ओह हां.... सॉरी."

कुछ देर बाद राज ने अपने लंड को स्नेहा की चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके आँड बार बार स्नेहा की चूत की पंखुड़ियों से टकरा रहे थे.

"आआहह ऊऊऊहह एस..." स्नेहा जल्दी ही झाड़ गयी.

लेकिन राज रुका नही और स्नेहा की गान्ड को पकड़ कर लगातार उसकी चूत में लंड को घुमाता रहा.

"ऊऊहह नो प्लीज़ स्टॉप आआआहह" स्नेहा एक और ऑर्गॅज़म में डूब गयी.

"कैसा लग रहा है?" राज ने पूछा.

"इतनी गहराई तक कोई नही पहुँचा आज तक आअहह बर्दास्त

के बाहर हो रहा है...प्लीज़ अब रुक जाओ......आआआहह नो.....ओह....यस." स्नेहा एक बार फिर झाड़ जाती है.

राज स्नेहा की चूत से लंड बाहर निकाल लेता है और उसकी गान्ड फैला कर उसकी गान्ड के छेद पर थूक लगा देता है. "अब आपकी गान्ड मारी जाएगी."

"मुझे डर लग रहा है इतना बड़ा कैसे घुसेगा वहाँ."

"घुस जाएगा आप धीरज रखो...ऐसा करो अपने दोनो हाथो से गान्ड को फैला लो...लंड घुसने में आसानी होगी."

स्नेहा मरती क्या ना करती. उसने अपनी गान्ड राजू के लंड के लिए फैला ली. राज ने गान्ड के छेद पर लंड टिका दिया और बोला, "तैयार हो ना मैं घुसा रहा हूँ."

स्नेहा कुछ नही बोली. पर राजू ने धक्का लगा दिया और लंड का उपरी हिस्सा स्नेहा की गान्ड में घुस गया.

"उफ्फ बहुत टाइट गान्ड है...किसी ने ली भी है ये या झूठ बोल रही थी..ये तो घुस ही नही रहा."

"तुम्हारा इतना बड़ा है तो मैं क्या करूँ....वो गुआर्द तो आराम से घुसा देता है."

"मूँगफली तो आराम से जाएगी ही असली बात तो मेरे जैसे लंड की है."

"आप रहने दीजिए....आआअहह नो....म्‍म्म्मममम" राज ने लंड थोड़ा और अंदर सरका दिया था.

"जा रहा है धीरे धीरे...आआहह" राजू ने कहा.

धीरे धीरे राजू ने स्नेहा की गान्ड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया.

"अब तो खुस होंगे आप डाल दिया ना पूरा आआहह कितना दर्द हो रहा है."

"थोड़ी देर में जैसे चूत का दर्द गया था गान्ड का भी चला जाएगा"

राज कुछ देर तक स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा. स्नेहा भी चुपचाप गान्ड में लिए पेड़ का सहारा ले कर झुकी रही. कुछ देर बाद राज हल्का हल्का हिलने लगा.

"आआहह व्हाट ए बट यू हॅव आआहह फक इट आआहह"

"ऊऊओह आआहह युवर लंड ईज़ गोयिंग सो डीप आआहह"

"डीप तो जाएगा ही बड़ा जो है....हे..हे..हे."

"प्लीज़ हँसिए मत."

"ओह सॉरी...आप चिंता मत करो...खो जाओ मेरे लंड के धक्को में...आआहह"

"मैं कब से झुकी हुई हूँ...कमर दुखने लगी है मेरी आआहह."

"खड़ी हो जाओ फिर....और पेड़ से चिपक जाओ मैं खड़े खड़े मार लूँगा गान्ड तुम्हारी."

स्नेहा लंड को गान्ड में लिए-लिए खड़ी हो गयी और पेड़ से चिपक गयी. राज अब स्नेहा को खड़े खड़े ठोक रहा था.

"कब तक करेंगे आप मैं थक गयी हूँ."

"कर दू क्या ख़तम?"

"और नही तो क्या मुझे ड्यूटी भी करनी है अपनी और मैं थक भी गयी हूँ."

"पेड़ को कस के पकड़ लो अब ज़ोर ज़ोर से मारूँगा मैं आआहह"

राज अब अपने ऑर्गॅज़म के लिए स्नेहा की गान्ड पर पिल जाता है.

"आआआहह ऊऊऊहह थोड़ा धीएरे कीजिए अयाया दर्द हो रहा है फिर से आआहह"

पर राज अपने चरम के नज़दीक था. उसके धक्को की स्पीड और बढ़ती गयी.

"ऊऊओह ये लो छोड़ रहा हूँ मैं अपना वीर्य तुम्हारी सेक्सी गान्ड में आआअहह ऊओह"

और आख़िर कार राज का ऑर्गॅज़म हो ही गया. कुछ देर तक राजू यू ही स्नेहा की गान्ड में लंड फ़साए खड़ा रहा.

"निकालिए भी अब ...मुझे जाना है...ड्यूटी भी करनी है." स्नेहा ने कहा.

"ओह सॉरी...अभी निकालता हूँ." राज स्नेहा की गान्ड से लंड बाहर खींच लेता है.

"आआहह." स्नेहा लंड के निकालने पर कराह उठती है.

दोनो वापिस हॉस्पिटल की ओर चल देते हैं.

"आप से एक बात पूछनी थी." राज ने कहा.

"मेरे दोस्त ने साइको किल्लर के पेट में चाकू मारा था. पर किसी भी हॉस्पिटल या क्लिनिक में ऐसा व्यक्ति नही आया जिसके पेट में चाकू लगा हो."

"हो सकता है वो अपना इलाज़ घर पर करवा रहा हो." स्नेहा ने कहा

"ओह हां...ऐसा हो सकता है इस बात पर तो मेरा ध्यान ही नही गया."

"क्या इस से कुछ मदद मिलेगी."

"बिल्कुल मिलेगी"

स्नेहा मोहित को एक और ग्लूकोस की बॉटल लगा देती है. मोहित अभी भी गहरी नींद में सोया है.

जब स्नेहा जाने लगती है तो राज उसका हाथ पकड़ लेता है.

"थॅंक यू.... मुझे आपके अंदर लगाया हर धक्का याद रहेगा."

"बहुत स्टॅमिना है आप में... आपने तो जान निकाल दी मेरी"

"मोका मिला तो फिर लूँगा तुम्हारी मेरा दोस्त यहा हफ्ते के लिए है."

"ह्म्म सोचूँगी की आपको दुबारा दी जाए या नही आप तो जान निकाल देते हो."

"मज़ा भी तो उतना ही देता हूँ."

"वो तो है...इतने ऑर्गॅज़म एक बार में आज तक नही हुए मुझे जालिम हो तुम तो."

"आपके साथ जो चाय पी रही थी...वो भी सुंदर थी...उस से भी मिलवाओ ना."

"वो आपके बस में नही आएगी...रहने दीजिए."

"ट्राइ करने में हर्ज़ क्या है...आप बस मेरे साथ का एक्सपीरियेन्स सुना देना उसे...बाकी मैं संभाल लूँगा."

"यू आर टू मच..." स्नेहा वहाँ से हंसते हुए चली जाती है

..............................................

रात बीत जाती है. सुबह होने पर राज चौहान को फोन करता है.

"सर ये भोलू हवलदार आया था क्या ड्यूटी पर आज."

"नही वो नही आया क्यों?"

"वैसे ही पूछ रहा हूँ."

"अच्छा सुनो तुम फ़ौरन थाने आ जाओ...सब इनस्पेक्टर विजय अपनी बहन की शादी में मुंबई गये हैं...काम कुछ ज़्यादा है तुम जल्दी आ जाना."

"ठीक है सर मैं अभी आ रहा हूँ." राज ने कहा.

राज थाने पहुँचता है.

"राज हमें किसी भी तरह उस लेडी का पता लगाना होगा जो कि उस रात सुरिंदर के साथ थी" चौहान ने कहा.

"बिल्कुल सर...बोलिए मुझे क्या करना है."

"ये नंबर था तो सुरिंदर के नाम पर उसे तो वो लेडी करती थी. वो कही ना कही से टॉक टाइम भी दल्वाति होगी. और हो ना हो उसने टॉक टाइम घर के आस पास ही किसी से करवाया होगा."

"समझ गया सर अभी इस नंबर के मोबाइल ऑपरेटर से सारी जानकारी इक्कथा करता हूँ"

"तुम अच्छा काम कर रहे हो तभी तुम्हे ये काम दे रहा हूँ"

"आप चिंता ना करो सर आपको निराश नही करूँगा." राज ने कहा.

राज की फोन की बाते मोहित भी सुन लेता है.

"यार राज तू तो पक्का पोलीस वाला बन गया." मोहित ने कहा.

"अच्छा ऐसा है क्या...मैं तो बस...." राज एक दूसरी नर्स को अंदर आते देखता है और बोलते बोलते रुक जाता है.

मोहित ने राज को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, "क्या हुआ बोलती क्यों बंद हो गयी"

"गुरु तुम्हे तो एक से बढ़कर एक नर्स मिल रही है अटेंड करने को...क्या किस्मत पाई है तुमने."

"किस्मत मेरी है या तेरी...ये बता क्या बना कल रात उस दूसरी नर्स का."

"जबरदस्त थी वो गुरु....खूब मज़ा आया उसके साथ पूरी डीटेल बाद में बताउन्गा कही इस नर्स को सुन जाए."

"हां और कहीं ये तेरे से पहले से ही चोकन्नि है जाए हे..हे..हे."

"आपके लिए हसना ठीक नही है." नर्स ने कहा.

"गुरु क्या करते हो तुम भी....स्नेहा की जगह क्या आप आई हैं.?" राज ने कहा.

"हां..." नर्स ग्लूकोस की नयी बॉटल लगा देती है.

"क्या नाम है आपका?" राज ने पूछा.

नर्स ने राजू को घूर के देखा और बोली, "माला...क्यों."

"अगर कोई ज़रूरत हुई तो आपको बुलाना होगा ना." राज ने कहा.

"सब नाम की बजाए हमे सिस्टर कहते है...आप नाम की बजाए सिस्टर कह कर बुला सकते हैं."

"वो तो है पर आप जैसी को सिस्टर कहना ग़लत लगता है." राज ने कहा.

"क्या मतलब मैं...समझी नही."

"कुछ नही जाने दीजिए." राज ने कहा.

नर्स कन्फ्यूज़ सी होकर वहाँ से चली गयी.
 

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Update 43

"राज ध्यान रखना कभी चप्पल भी पड़ सकती है तुझे...हे..हे..हे."

"गुरु हँसने को मना किया है उसने...चुप रहो...ये नर्स तो बड़ी कठोर दिल की है शायद."

"तभी कह रहा हूँ बच के रहना कही चप्पल खाओ...एक हसीना के आगे तुम वैसे ही मूत चुके हो"

"गुरु वो याद मत दिलाओ वो हालत ही कुछ ऐसे थे. मैं पद्‍मिनी जी के बारे में कुछ भी बोले जा रहा था. जब वो अचानक सामने आ गयी, वो भी आग बाबूला हो कर तो मेरे होश उड़ गये, मुझे लगा मैं गया अब. ऐसी हालत सिर्फ़ पद्‍मिनी जी ही कर सकती थी मेरी और कोई नही कर सकता"

"पद्‍मिनी जी की बड़ी इज़्ज़त करता है तू क्यों....अच्छा ये बता तुझे प्यार हुआ है कभी"

"प्यार व्यार के झांजाट में मैं नही पड़ता अब...एक बार हुआ था कॉलेज में. दिल तोड़ दिया था लड़की ने. इतना सदमा लगा था कि पूछो मत. फैल होने की नौबत आ गयी थी मेरी. उसके बाद प्यार व्यार से दूर ही रहा मैं. करना क्या है प्यार करके. बेकार की सिरदर्दी मौल लेने वाली बात है. प्यार के बिना लड़कियों की कमी है क्या मुझे जो मैं प्यार के पचदे में पदू."

"बस...बस भाई...तू तो बुरा ही मान गया...मैं तो वैसे ही पूछ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि तू पद्‍मिनी जी से प्यार कर बैठा है."

"पद्‍मिनी जी प्यार करने लायक हैं पर उनके साथ मेरा कोई स्कोप नही है."

"मतलब की अगर पद्‍मिनी जी तैयार हो जाए तो तुम उनसे लव अफेर चला सकते हो."

राज के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और वो गहरे ख़यालो में खो जाता है.

"अरे क्या हुआ...मैं कुछ पूछ रहा हूँ."

"गुरु एक रिक्वेस्ट है...पद्‍मिनी जी के बारे में ऐसी बाते मत किया करो...मुझे कुछ कुछ होता है."

"ये कुछ..कुछ प्यार तो नही." मोहित ने पूछा.

"गुरु क्यों बातो में उलझा रहे हो मुझे...मैं लेट हो रहा हूँ"

"बस एक बात और कहूँगा."

"हां बोलो...क्या है?"

"मुझे ऐसा लगता है कि मुझे प्यार हो गया है."

राज तो लोटपोट हो जाता है मोहित की बात सुन कर.

"प्यार और तुम्हे...कौन बदनसीब है वो."

"जाओ राज तुम लेट हो रहे हो."

"गुरु मज़ाक कर रहा हूँ...बताओ ना कौन है वो."

"पूजा."

"पूजा!"

"हां पूजा. दिल में अब बस वही है यार. उसे किसी तरह मेसेज दे दो मेरे बारे में क्या पता देखने आ जाए मुझे."

"तुम तो सच में सीरीयस हो गये गुरु...ऐसा कैसे हो गया. तभी कहु क्यों प्यार व्यार की बाते हो रही हैं."

"यार बहुत याद आ रही है सुबह से उसकी कुछ कर ना...वो मुझे देखने आएगी तो अच्छा लगेगा."

"अच्छा ट्राइ करूँगा...मैं चलता हूँ अब बाइ... अपना ख्याल रखना...बाहर कॉन्स्टेबल है...कोई भी ज़रूरत हो तो उसे बता देना."

"पूजा की ज़रूरत है बस तू उसे भिजवा दे किसी तरह."

"ठीक है गुरु मैं पूरी कोशिस करूँगा." राजू वहाँ से चल दिया.

राज पोलीस की जीप ले के हॉस्पिटल से निकल पड़ा.

"थाने जाने से पहले इस भोलू की खबर लेता हूँ...गुरु का काम भी करता आउन्गा." राज ने कहा.

कोई 20 मिनिट में राज भोलू के घर पहुँच गया.

"दरवाजा अंदर से बंद है अभी.... शायद भोलू अंदर ही है." राज ने दरवाजा खड़काया.

भोलू ने आँखे मलते हुए दरवाजा खोला. उसने अपने चारो तरफ़ चादर लपेट रखी थी.

"ओह राज सर."

"ज़्यादा नाटक मत कर...ये बता तू था कहाँ...नगमा को छ्चोड़ के कहाँ गया था तू इतनी रात को...सच सच बताना वरना मुजसे बुरा कोई नही होगा."

"मैं एक दोस्त के पास गया था...ज़रूरी काम था कुछ."

"इतनी रात को जाने की क्या ज़रूरत थी...ये चादर हटाओ और मुझे अपना पेट दिखाओ."

"बात क्या है राज सर."

"जैसा कहा है वैसा करो."

भोलू ने चादर हटाई और अपनी बन्यान उपर उठा कर अपना पेट दिखाया.

"मा की आँख...एक भी निशान नही है तेरे पेट पे तो...फिर चूतिया कट गया मेरा."

"बात क्या है राज सर कुछ बताओ तो" भोलू ने पूछा.

"कुछ नही तुम तैयार हो कर जल्दी थाने आओ इनस्पेक्टर साहिब कह रहे थे कि बहुत काम है आज."

"ठीक है राज सर."

राज अब पूजा के घर की तरफ चल दिया. नगमा राज को घर के बाहर ही मिल गयी.

"नगमा तुम्हारी बहन पूजा है क्या घर में."

"क्यों उस से क्या काम पड़ गया तुम्हे." नगमा ने पूछा.

"है कुछ काम अभी नही बता सकता."

"मेरी बहन से दूर रहो."

"वैसी बात नही है नगमा...कुछ और काम है."

"वो कॉलेज चली गयी."

"पूजा से बाद में मिलूँगा...पहले थाने चलता हूँ." राज सोचता है.

"क्या बात है बताओ तो?" नगमा ने पूछा.

"कोई ख़ास बात नही है...मैं चलता हूँ अभी ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ"

राज सीधा थाने पहुँचता है और चौहान के कमरे की तरफ बढ़ता है. चौहान उसे बाहर ही मिल जाता है.

"अच्छा किया जो तुम आ गये...देखो मेडम साहिबा आग बाबूला हो रही हैं...बार बार मुझे डाँट पड़ रही है. हमें इस केस को जल्द से जल्द सॉल्व करना होगा."

"मैं आपके साथ हूँ सर...एक बात पूछनी थी आपसे."

"हां पूछो?"

"सुरिंदर ने झूठा बयान क्यों दिया सर."

"वही तो नही समझ आ रहा...वो रात के कोई ढाई बजे थाने आया था और उसने खुद कहा कि मैने एक लड़की को खून करते देखा है. उसने ये भी बताया कि लड़की के साथ एक नकाब पॉश था. उसका कहना था कि उसने लड़की और नकाब पोश को आवाज़ लगाई लेकिन दोनो कार छोड़ कर जंगल में भाग गये. उसने हमें जगह दिखाई और हमने कार जब्त कर ली. कार में पद्‍मिनी के पर्स से पता चला कि कार पद्‍मिनी चला रही थी. इस तरह से सारा इल्ज़ाम पद्‍मिनी पर आ गया. पता नही मीडीया वालो को कैसे खबर लग गयी और ये बात फैलती चली गयी. ये थी सारी बात."

"ह्म्म...सारे तार सुरिंदर से ही जुड़े हैं मतलब...फिर तो उस लेडी को ढूँढना बहुत ज़रूरी है क्या पता उसे कुछ पता हो."

"सुरिंदर की एक बहन भी है सोनिया...उस से भी पूछताछ करनी होगी."

"बिल्कुल सर ये जान-ना बहुत ज़रूरी है की उसने झूठा ब्यान क्यों दिया और किसके कहने पे दिया. जिसके कहने पे उसने ये सब किया...वही साइको है."

"बिल्कुल सही जा रहे हो बर्खुरदार...जाओ तुम वो मोबाइल वाला काम करो मैं सोनिया से पूछताछ करने जा रहा हूँ. अपने पति के साथ यही देहरादून में ही रहती है वो."

"ऑल दा बेस्ट सर...हम ये केस जल्दी सॉल्व करेंगे." राजू ने कहा.

"बिल्कुल बर्खुरदार...इस से पहले की वो कयामत मेरी जान ले ले ये केस हमें सॉल्व करना ही होगा."

राजू और चौहान केस की बाते कर रहे थे. एक कॉन्स्टेबल वहाँ आता है और कहता है,"सर टीवी पर साइको की न्यूज़ आ रही है."

"क्या दिखा रहे हैं ये अब." चौहान ने कहा.

"उस लड़की से बात चित दिखा रहे हैं सिर...जिनकी पहले हमें तलाश." कॉन्स्टेबल ने कहा.

"अच्छा पद्‍मिनी जी से बात कर रहे हैं ये मीडीया वाले." राजू ने कहा.

"चलो पहले ये खबर देखते हैं फिर निकलते हैं...अपने अपने काम पर." चौहान ने कहा.

"जी सर चलिए." राजू ने कहा.

टीवी न्यूज़ : "हम इस वक्त सीधे पद्‍मिनी अरोरा के घर की . तस्वीरे दिखा रहे हैं. जी हां ये वही पद्‍मिनी अरोरा है जिस पर की साइको किल्लर होने का इल्ज़ाम लगा था. मगर अब मामला और पेचीदा हो गया है. हमारे सूत्रो के मुताबिक असली विटनेस सुरिंदर नही बल्कि पद्‍मिनी अरोरा है. पद्‍मिनी अरोरा ने खुद अपनी आँखो से मर्डर होते देखा है. ये भी खबर मिली है की इस वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ पद्‍मिनी अरोरा ही ये जानती हैं की साइको किल्लर कौन है क्योंकि उन्होने साइको को बड़े नज़दीक से देखा है. हम अभी आपसे हमारे सवान्द दाता से हुई पद्‍मिनी अरोरा की बात चीत दिखाएँगे.

"हां तो पद्‍मिनी जी क्या ये सच है कि आपने साइको को देखा है."

"देखिए मुझे जो कुछ पता था मैने पोलीस को बता दिया है." पद्‍मिनी ने कहा.

"आपके घर के बाहर चार पोलीस वाले मोज़ूद हैं...क्या आपको डर है कि साइको आपको मार सकता है...क्योंकि सिर्फ़ आप ही ने उसे देखा है."

"आप ये सब बाते पोलीस से जाके पूछिए मैं कुछ नही कह सकती."

बस इतना ही इंटरव्यू दिखाया जाता है पद्‍मिनी का.

"पता नही ये मीडीया वाले कहा से ये सब ख़बरे निकाल लेते हैं. चलो राजू हम अपना काम करते हैं. ये सब तो चलता ही रहेगा." चौहान ने कहा.

"बिल्कुल सर...चलिए." राज ने कहा.

चौहान सुरिंदर की बहन सोनिया के घर की तरफ निकल पड़ता है. राज भी अपनी इन्वेस्टिगेशन के लिए निकल देता है.

चौहान कुछ ही देर में सोनिया के घर पहुँच जाता है. सुबह के दस बाज चुके हैं. चौहान डोर बेल बजाता है.

अंदर डोर बेल सुनते ही सोनिया हड़बड़ाहत में सोवर बंद करती है. वो आनन फानन में कपड़े पहनती है और बेडरूम की तरफ भागती है.

"उठो...कोई बेल बजा रहा है...जल्दी उठो." सोनिया कहती है.

"तुम्हारा घर है तुम जा कर देखो मैं देखूँगा तो दिक्कत हो जाएगी."

"बेवकूफ़ मैं दरवाजा खोलने को नही कह रही हूँ...जल्दी कही छुप जाओ."

"तुम तो कह रही थी की पूरी रात और पूरा दिन मस्ती करेंगे. काम वाली की भी छुट्टी कर रखी थी तुमने अब ये कौन आ गया."

"देख कर ही बताउन्गि ना नरेश...तुम कही छुप जाओ."

"ठीक है यार जो कोई भी हो जल्दी से रफ़ा दफ़ा करो सारा दिन मस्ती करनी है हमें आज." नरेश ने कहा.

चौहान बेल बजा बजा कर थक गया है.

"कहा है घर के सब लोग कोई दरवाजा क्यों नही खोल रहा." चौहान इरिटेट हो गया.

तभी सोनिया ने दरवाजा खोला. पोलीस की वर्दी में चौहान को देख कर वो सकपका गयी.

"कहिए क्या बात है?"

"क्या आप ही सोनिया हैं?" चौहान ने पूछा.

"जी हां...बोलिए क्या बात है."

"मुझे आपके भाई के बारे में कुछ पूछताछ करनी है आपसे क्या मैं अंदर आ सकता हूँ."

"जी बिल्कुल आईए."

चौहान अंदर आ गया. उसने घर को पूरे गौर से देखा.

"बहुत देर लगाई आपने दरवाजा खोलने में."

"वो...वो मैं नहा रही थी."

"आप घबराओ मत मैं तो यू ही पूछ रहा था."

"क्या जान-ना चाहते हैं आप मुझसे?" सोनिया ने कहा.

चौहान बोलने ही वाला होता है कि बेडरूम से नरेश बाहर आता है. वो सिर्फ़ चढ़ि और बनियान पहने था. उसे लगा कि सोनिया ने अब तक जो कोई भी आया होगा उसे रफ़ा दफ़ा कर दिया होगा.
 

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Update 44

नरेश की चौहान को देखते ही फूँक सरक गयी. सोनिया की तो हालत ही पतली हो गयी.

"ये कौन है सोनिया जी." चौहान ने पूछा.

"ये मेरे पति के दोस्त है." सोनिया ने किसी तरह हिम्मत जुटा कर कहा.

"क्या नाम है तुम्हारा?" चौहान ने पूछा.

"जी नरेश." नरेश ने जवाब दिया.

"अच्छा...आपके पति कहा हैं...उन्हे बुलाओ." चौहान ने सोनिया से कहा.

"वो किसी काम से बाहर गये हैं...कल शाम को लोटेंगे." सोनिया ने कहा.

"वाह भाई वाह मिया घर नही आपको किसी का डर नही...मस्ती हो रही है पति की पीठ पीछे हा....हा...हा...हा" चौहान हस्ने लगता है.

नरेश फ़ौरन बेडरूम में जाकर कपड़े पहनकर बाहर आता है और कहता है, "थॅंक यू सोनिया जो तुमने मुझे कल रात यहाँ रुकने दिया...अब मैं चलता हूँ....बाद में मिलते हैं."

"ठीक है...कुछ खा कर जाते तो अच्छा था." सोनिया ने कहा.

"नही अभी लेट हो रहा हूँ...मैं चलता हूँ." नरेश वहाँ से चला जाता है.

"क्या नाटक कर रहे हो मेरे सामने." चौहान ने कहा.

"ये नाटक नही है...वो मेरे पति का बहुत अच्छा दोस्त है. कल देर रात मुंबई से आया था. उसे नही पता था कि मेरे पति घर पे नही है. मैने उसे यही सोने के लिए अपना बेडरूम दे दिया."

"आप भी अपने बेडरूम में ही सोई." चौहान ने कहा.

"आप जो जान-ना चाहते हैं वो पूछिए मेरी निजी जिंदगी से आपको कोई मतलब नही होना चाहिए."

"मतलब निकल आता है सोनिया जी...कभी भी कही भी कोई मतलब निकल सकता है."

"आप क्या जान-ना चाहते हैं मुझसे." सोनिया ने कहा.

"एक गिलास पानी मिलेगा पहले बहुत प्यास लगी है." चौहान ने कहा.

सोनिया ने चौहान को घूर के देखा और बोली,"अभी लाती हूँ."

सोनिया किचन की तरफ बढ़ती है. चौहान सोनिया को जाते हुए देखता है. उसकी नज़रे सोनिया की चलकती गान्ड पर पड़ती है और वही फिक्स हो जाती है.

"उफ्फ व्हाट आ शेकिंग बट शी हॅज़...गुड वन."

सोनिया पानी लाती है. इस बार चौहान सोनिया के फ्रंट का नज़ारा लेता है. सोनिया जब हाथ में पानी की ट्रे लिए आगे बढ़ रही थी तो उसके बूब्स उपर नीचे छलक रहे थे. दरअसल जल्दबाज़ी में सोनिया ब्रा पहन-ना भूल गयी थी...जिसके कारण उसके फ्री बूब्स कुछ ज़्यादा ही उछल रहे थे.

"उफ्फ व्हाट आ जंपिंग टिट्स शी हॅज़...गुड वन." चौहान ने कहा.

"लीजिए पानी पीजिए." सोनिया ने कहा.

"सब कुछ ऐसे ही हिलता है क्या यहाँ.?"

"क्या हिलता है...मैं कुछ समझी नही." सोनिया ने कहा.

"ओह रहने दीजिए आपकी समझ में नही आएगा...अच्छा ये बताए कि आपके भाई ने पद्‍मिनी अरोरा के खिलाफ झूठी गवाही क्यों दी...क्या दुश्मनी थी सुरिंदर की पद्‍मिनी से."

"वो सब मुझे नही पता...मेरी इस बारे में ज़्यादा बात नही हुई सुरिंदर से."

"कुछ तो मालूम होगा आपको. देखिए सुरिंदर ने ये सब किसी के कहने पे किया है. क्या आप हमें बता सकती हैं कि कौन ऐसा शक्स है जो सुरिंदर से ये काम करवा सकता है."

"देखिए मैं सच कह रही हूँ...मुझे इस बारे में कुछ नही पता. आप अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं."

"अच्छा एक काम कीजिए मुझे सुरिंदर के सभी दोस्तो के नाम पते दे दीजिए...शायद कुछ बात बन जाए."

"देखिए मैं उसके सभी दोस्तो को नही जानती...कुछ का मुझे पता है लेकिन उनके भी अड्रेस मेरे पास नही हैं."

"सुरिंदर का किसी लड़की से अफेर था क्या."

"मेरी जानकारी में तो नही था" सोनिया ने कहा.

"ह्म्म...लेकिन आपका अफेर अच्छा चल रहा है क्यों...क्या आपके पति से बात हो सकती है अभी."

"किस बारे में?"

"जान-ना चाहता हूँ कि ये नरेश उनका कितना अच्छा दोस्त है."

"उसका आपके केस से क्या लेना देना."

"लेना देना है सोनिया जी आप नही समझेंगी...चलिए आज नही तो कल बात कर लेंगे उनसे."

"देखिए आप नरेश के बारे में उनसे कुछ ना कहे उन्हे बुरा लगेगा. मैने उनसे पूछे बिना नरेश को यहाँ रोक लिया था."

"अच्छा ऐसा है क्या...कहीं उनसे पूछे बिना कुछ और तो नही किया आपने, नरेश के लिए?"चौहान ने शरारती अंदाज़ में पूछा.

"मैं समझी नही आपका मतलब." सोनिया ने कहा.

"जैसे कि कही आप नरेश के उपर तो नही चढ़ि या फिर कही नरेश तो आपके उपर नही चढ़ा....हे..हे..हे...ऐसा ही कुछ कुछ"

"कैसी बाते करते हैं आप...नही ऐसा कुछ नही था."

"फिर आपके पति से बात करने में क्या हर्ज़ है...मैं कल शाम को आउन्गा." चौहान सोफे से उठ जाता है.

सोनिया भी फ़ौरन उठ जाती है. "देखिए आप उनसे मिलिए ज़रूर लेकिन नरेश के बारे में कुछ ना बोले तो सही रहेगा. आप नही जानते वो बहुत शक्की किस्म के हैं. बेकार में मेरी शादी शुदा जिंदगी में दिक्कत आ जाएगी."
 

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Update 45

चौहान सोनिया के पास आता है और उसकी मखमली गान्ड पर हाथ रख कर बोलता है, "सच बोलोगि तो मैं तुम्हारे पति से कोई बात नही कारूगा. कितनी बार ठोका नरेश ने तुझे कल रात."

"आप ये क्या बोल रहे हैं.? ऐसा कुछ नही है."

चौहान सोनिया की गान्ड से हाथ हटा लेता है और चलने लगता है, "ठीक है फिर कल शाम को तुम्हारे पति को सब कुछ बताया जाएगा."

"नही रुकिये...एक बार." सोनिया ने अपनी नज़रे झुका कर कहा.

"बस एक बार...इतनी मदमस्त जवानी को तो सारी रात ठोकना था...बेवकूफ़ है ये नरेश."

चौहान वापिस सोनिया के पास आया और फिर से उसकी गान्ड पर हाथ रखा. इस बार वो हाथ से गान्ड के पुतो को सहलाने लगा.

"मज़ा आया था तुझे."

"हाथ हटा लो प्लीज़."

"जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दे."

"हां आया था."

"गुड...और मज़ा लेना चाहोगी."

"हाथ हटा लीजिए."

"क्यों अच्छा नही लग रहा तुम्हे. ऐसी मखमली गान्ड पर तो खूब हाथ फिराने चाहिए और तुझे खूब मज़े लेने चाहिए."

सोनिया चौहान का हाथ पकड़ कर अपनी गान्ड से हटा देती है और कहती है, "कल शाम को मेरे पति से मिल लेना."

"वो तो मिलूँगा ही...तुमने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. और मज़ा लेना चाहोगी क्या?"

सोनिया किसी गहरी सोच में डूब गयी. चौहान खड़े खड़े सोनिया के जवाब का इंतजार करता रहा.

……………………………………………………….

राज शर्मा मोबाइल ऑपरेटर रोडफोने के ऑफीस से उस मोबाइल नंबर की सारी डीटेल्स निकलवाता है.

"सर इस नंबर में जिन जिन जगह से पैसे डलवाए गये हैं वो सारी डीटेल इस पेज में है."

"ओह थॅंक यू, शायद इस से काम बन जाएगा"

"माइ प्लेषर सर."

राज शर्मा रोडफोने के ऑफीस से बाहर आता है और उस पेज को ध्यान से देखता है,

"ह्म्म मॅग्ज़िमम टाइम एक ही वेंडर से पैसे डलवाए गये हैं. सबसे पहले इसे ही चेक करता हूँ." राज शर्मा सोचता है.

राज शर्मा जल्दी ही उस वेंडर के पास पहुँच जाता है. ये एक मेडिकल स्टोर था जहा पर की मोबाइल में टॉक टाइम भरने का काम भी होता था.

"एक्सक्यूस मी ये नंबर किसका है" राज शर्मा ने पूछा.

"आप नंबर ले कर घूम रहे हैं आपको पता होगा." स्टोर वाले ने कहा.

"देखो मैं पोलीस से हू. जल्दी इस नंबर के बारे में बताओ वरना..." राज शर्मा ने कहा.

"सॉरी सर पहले बताना था ना...ये नंबर उँ...अरे हां ये तो मोनिका जी का है."

"कौन मोनिका और कहा रहती है ये.?"

"कोई सीरीयस बात है क्या सर?"

"तुम उसका अड्रेस बताओ सीरीयस है या नही उस से तुम्हे क्या लेना देना."

"सॉरी सर वैसे ही पूछ रहा था. मोनिका जी का घर यही नज़दीक ही है. मैं आपको दिखा देता हूँ."

"ठीक है जल्दी चलो."

स्टोर वाला राज शर्मा के साथ चल कर राज शर्मा को मोनिका का घर दिखा देता है.

राज शर्मा डोर बेल बजाता है. मोनिका दरवाजा खोलती है.

"जी कहिए."

"क्या आप ही मोनिका हैं."

"हां क्यों? क्या काम है."

"आप ने मुझे पहचाना नही..."

"नही...कौन हैं आप. मैं आपको नही जानती"

"कुछ दिन पहले फोन पे बात हुई थी. आप ने सुरिंदर को फोन मिलाया था. ग़लती से मैने उठा लिया. आइ आम सब इनस्पेक्टर राज शर्मा . कुछ याद आया."

मोनिका के तो पाँव के नीचे से जैसे ज़मीन ही निकल गयी. लेकिन फिर भी वो बोली,"आप क्या कह रहे हैं मुझे कुछ समझ नही आ रहा."

"आप झूठ बोल कर अपनी ही दिक्कत बढ़ा रही हैं. पहले आपने मोबाइल सिम सहित जंगल में फेंक दिया और अब आप झूठ बोल रही हैं. इस सब से तो यही लगता है कि आप बहुत कुछ छुपा रही हैं. अगर आप यहाँ सच नही बताएँगी तो पोलीस स्टेशन में बताएँगी. सच तो आपको बोलना ही पड़ेगा. मर्ज़ी आपकी है."

मोनिका घबरा जाती है और बोलती है, "सर आप अंदर आईए"

"अंदर तो आ जाउन्गा पहले आप सच स्वीकार कीजिए."

"क्या चाहिए आपको मुझसे?"

"ये हुई ना बात...चलिए बैठ कर बात करते हैं." राज शर्मा ने कहा.

"आप कुछ लेंगे चाय...ठंडा." मोनिका ने पूछा.

"बस एक गिलास पानी दे दीजिए."

मोनिका पानी का गिलास लाती है. "आप काफ़ी यंग ऑफीसर हैं."

"हां बस अभी भरती हुआ हूँ...आप भी काफ़ी यंग हैं...आर यू मॅरीड." राज शर्मा ने कहा.

"यस आइ आम मॅरीड."

"आपके हज़्बेंड कहा हैं....जॉब पे गये होंगे शायद"

"हां...वो बाहर गये हैं."

"बाहर मतलब घर से बाहर या बाहर से बाहर."

"देल्ही गये हैं वो. उनके अक्सर टूर लगते रहते हैं."

"तभी आपने सुरिंदर के साथ एक्सट्रा मेरिटल रिश्ता बना लिया."

"उस बारे में मैं बात नही करना चाहती. आप काम की बात कीजिए."

"सॉरी अगर आपको बुरा लगा तो. मेरे मूह से वैसे ही निकल गया."

"इट्स ओके."

"आपने क्यों किया ऐसा. मोबाइल सिम सहित फेंक दिया. क्या डर था आपको."
 
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