Update 36
भोलू नगमा के बूब्स को मसल्ने लगा और खड़े खड़े उसकी गान्ड पर धक्के मारने लगा.
"आअहह हटो ना."
"चलती है कि यही या यही मारु तेरी गान्ड."
"आअहह ठीक है चलती हूँ...मुझे घर को ताला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चूत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह"
"जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि" भोलू हसणे लगा.
नगमा ने ताला लगाया और भोलू के साथ चल दी.
भोलू ने कमरे में आते ही नगमा को गोदी में उठा लिया और बोला,"आज रात तू कही नही जाएगी...सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी"
"फिर वही बात कहा ना चूत में लूँगी गान्ड में नही."
"अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है."
"तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे."
"कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती...लेनी पड़ती है."
"पर 2 मिनट की बजाए 2 घंटे मारते रहे तुम मेरी गान्ड...अभी तक दर्द है मुझे. परसो राज ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं"
"बिल्कुल बिल्कुल.." भोलू ने कहा और नगमा को बिस्तर पर पटक दिया.
"आहह इतनी ज़ोर से क्यों गिराया."
"गद्दा मखमली है सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा." भोलू ने कहा.
भोलू नगमा की छाती पर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. लंड नगमा के मूह के बिल्कुल सामने था.
"ये क्या कर रहे हो."
"लंड चूस चुपचाप."
"मैं ये काम नही करती."
"तो अब करले चल मूह में डाल"
"मैं सच कह रही हूँ मैं लंड नही चूस्ति...मैने कभी राज का भी नही चूसा."
भोलू नगमा के होंटो पर अपना लंड रगड़ने लगा.
"नही हटो..."
"मेरी जान चूस के तो देख गन्ने से भी मीठा लगेगा तुझे."
भोलू लगातार नगमा के बंद मूह पर लंड रगड़ता रहा. "जब तक तू मूह नही खोलेगी ये यही रहेगा."
"तूने चूत में डालना है की नही."
"चूत में भी डालूँगा मेरी जान पहले थोडा चूस तो ले."
"उफ्फ क्या मुसीबत है...चल थोड़ी देर चूस लेती हूँ...पर दुबारा नही करूँगी ठीक है."
"ठीक है...हे..हे..हे."
"दाँत मत दीखाओ वरना दाँत मार दूँगी तुम्हारे लंड पे."
"नही ऐसा मत करना वरना..."
नगमा ने मूह खोला और भोलू के लंड को मूह में ले लिया. वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी.
"मुझे पता था कि तू बहुत अच्छे से चूसेगी...आअहह."
नगमा लोली पोप की तरह लंड चूस रही थी और भोलू आहें भर रहा था. कुछ देर बाद नगमा ने लंड मूह से बाहर निकाल दिया और बोली, "चल बस बहुत हो गया...फटाफट मेरी चूत में डाल दे."
भोलू ने नगमा की सलवार उतारी और अपनी पॅंट उतार कर उसकी टाँगो के बीच बैठ गया. उसने नगमा की टांगे अपने कंधो पर रखी और एक झटके में नगमा की चिकनी चूत में लंड डाल दिया.
"आअहह भोलू....आआहह आज बस मेरी चूत की प्यास भुजा दे आहह"
"चिंता मत कर सारी रात छोड़ूँगा तुझे मैं" भोलू ने कहा और नगमा की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड अंदर बाहर करने लगा. उसके आँड हर धक्के के साथ नगमा की चूत के मूह से टकरा रहे थे.
"उुउऊहह भोलू....आआहह और तेज आअहह"
"तेरी चूत बहुत मस्त है नगमा सच बता कितने लंड खा चुकी है ये."
"ये वेजिटेरियन है....आआहह एक भी लंड नही खाया इसने आअहह"
"हा..हा..हा..हे..हे...बहुत खूब कही....मज़ा आता है तेरी चूत मारने में."
"तो मार ना और तेज़ी से मार आअहह.... मेरा भी आज बहुत मन था आहह."
भोलू ने थोड़ी स्पीड और बढ़ा दी और नगमा की चूत में लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी. नगमा 2 बार झाड़ चुकी थी.
"ऊओह बस मैं अब पानी छोड़ने वाला हूँ."
"नही रूको थोड़ी देर और करो आआहह." नगमा एक और ऑर्गॅज़म के करीब थी.
भोलू के धक्के चालू रहे और नगमा चीन्ख कर एक बार और झाड़ गयी. भोलू भी उसी के साथ उसके उपर ढेर हो गया.
"आअहह अब नींद आएगी मुझे" नगमा ने कहा.
"तू यहा सोने आई है क्या...अभी तो तेरी गान्ड भी मारनी है"
"ऐसा सोचना भी मत वरना दुबारा नही दूँगी समझे."
..............................
.........................
राज और पद्मिनी एएसपी शालिनी के घर के बाहर पहुँच गये.
"क्या सोच रहे हो बेल बजाओ."
"बहुत कड़क मेडम हैं डर लगता है."
"तुम हटो पीछे मुझे बेल बजाने दो."
पद्मिनी ने बेल बजाई. पर किसी ने दरवाजा नही खोला.
"लगता है मेडम सो रही हैं" राज ने कहा.
पद्मिनी ने फिर से बेल बजाई. किसी के आने की आहट सुनाई दी.
राज का दिल बैठ गया वो डर रहा था की ना जाने एएसपी साहिबा उनकी बात को किस तरह से लेंगी. उसे विस्वास तो था कि वो उनकी बात समझेंगी लेकिन फिर भी उनके गरम मिज़ाज से घबरा रहा था.
दरवाजा खुलता है.
"जी कहिए क्या काम है?" शालिनी की मैड ने पूछा.
"क्या शालिनी जी घर पे हैं?" राज ने कहा.
"हां हैं...क्या काम है?" मैड ने कहा.
"मेडम की तो मैड भी कड़क है" राज सोचने लगा.
"हमे उनसे मिलना है" पद्मिनी ने कहा.
"ये वक्त है मिलने का...सुबह आना...जाओ यहा से" मैड ने कहा.
"हमे क्या भीकारी समझ रखा है, मैं सब इनस्पेक्टर राज शर्मा हूँ ...हमारा मेडम से मिलना बहुत ज़रूरी है...जाओ मेडम को मेसेज दे दो."
"मेडम मुझे गुस्सा करेंगी" मैड ने कहा.
"कौन है माला?" घर के अंदर से आवाज़ आई.
"मेम्साब आपसे मिलना चाहते हैं ये लोग."
"ये मिलने का वक्त है क्या रात के सादे ग्यारा हो रहे हैं." शालिनी बोलते बोलते दरवाजे पर आ गयी.
"राज तुम...और ये लड़की कौन है? शालिनी ने कहा.
"मेडम बात ज़रा कॉंप्लिकेटेड है...अगर हम बैठ कर बात करें तो ठीक होगा" राज ने कहा.
"हां-हां आओ अंदर आ जाओ...माला जाओ इनके लिए चाय पानी का इंतज़ाम करो"
मैड ने राज और पद्मिनी को घूर कर देखा और अपना नाक शिकोड कर वाहा से चली गयी.
राज और पद्मिनी एक ही सोफे पर बैठ गये...शालिनी दूसरे सोफे पर बैठ गयी.
"इन्हे कहीं देखा है" शालिनी ने पद्मिनी की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"यही पद्मिनी है...जिन्हे पूरा पोलीस डिपार्टमेंट ढूँढ रहा है" राज ने कहा.
"क्या?" शालिनी फ़ौरन खड़ी हो गयी. "ये तुम्हारे साथ क्या कर रही है?"
"मेडम इन्होने किसी का खून नही किया...बल्कि सच तो ये है कि सिर्फ़ यही जानती हैं कि किल्लर कौन है"
राज डीटेल में सारी कहानी शालिनी को सुनाता है. शालिनी उसकी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनती है.
"ह्म्म अगर ये सच है तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ पद्मिनी...पर तुम्हे पहले ही पोलीस को सच बता देना चाहिए था." शालिनी ने कहा.
"कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करें....टीवी पर अपनी फोटो देख कर डर गयी थी मैं. पोलीस कातिल समझ कर मुझे ढूँढ रही थी ऐसे में कैसे आती पोलीस के पास मैं" पद्मिनी ने कहा.
"आज जब उस ने ये काग़ज़ पत्थर में लपेट कर फेंका तो मुझे आइडिया आया कि मुझे आपसे बात करनी चाहिए. देखिए सिर्फ़ ये जानती हैं कि कातिल कौन है...इसलिए वो इनके पीछे पड़ा है...अब आप ही डिसाइड कीजिए कि क्या किया जाए."
"तुम्हारे पास चौहान का नंबर है." शालिनी ने कहा.
"जी मेडम है" राज ने जवाब दिया.
"उसे तुरंत यहा आने को कहो"
"जी मेडम"
राज ने चौहान को फोन मिलाया, "अब तो मिल गया पहले नही मिल रहा था."
राज ने चौहान को वाहा आने को बोल दिया.
"क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ?" पद्मिनी ने पूछा.
"हां बिल्कुल...पर पूरी सुरक्षा के साथ जाओगी तुम अपने घर. 2 पोलीस वाले तो वाहा पहले से हैं 2 और लगाने पड़ेंगे....अच्छा एक बात बताओ." शालिनी ने कहा.
"जी पूछिए"
"क्या तुम उस किलर का स्केच बनवा सकती हो."
"कोशिस करूँगी...पर मेरे लिए उसके चेहरे को डिस्क्राइब करना थोड़ा मुस्किल है" पद्मिनी ने कहा.
"चलो बाद में देखते हैं ये सब"
तभी चौहान भी वाहा आ गया. उसने राज और पद्मिनी को घूर कर देखा.
"मिस्टर चौहान किस तरह से हॅंडल कर रहे हैं आप इस केस को"
"क्या हुआ मेडम?" चौहान गिड़गिदाया.
"क्या कोई और सबूत था तुम्हारे पास पद्मिनी के खिलाफ उस विटनेस के सिवा."
"जी नही मेडम बस वही काफ़ी था."
"कैसे काफ़ी था..राजवीर जो तुमने मुझे बताया इनको भी बताओ"
राज चौहान को भी सारी कहानी बता देता है.
"कुछ समझ में आया की क्या हो रहा है?"
"हां मेडम पर अगर कोई पोलीस को आके बताएगा ही नही तो हमे कैसे पता चलेगा" चौहान ने कहा.
"जो भी हो तुम ठीक से हॅंडल नही कर रहे हो इस केस को."
"मुझे एक और मोका दीजिए मेडम...असली कातिल जल्द से जल्द पोलीस की हिरासत में होगा."
"ठीक है दिया एक और मोका...पहले पद्मिनी को इनके घर छ्चोड़ने का इंतज़ाम करो और इनके घर पर सुरक्षा बढ़ा दो."
"मेडम मीडीया वालो को क्या कहेंगे."
"अभी किसी को कुछ नही कहना...ये बात पोलीस डिपार्टमेंट से बाहर नही जाएगी."
"जी मेडम." चौहान ने कहा.
पद्मिनी और राज उसी जीप में बैठ गये जिस में आए थे. साथ में चौहान की जीप थी. अंधेरी रात में दोनो जीपे पद्मिनी के घर की ओर बढ़ रही थी. पद्मिनी की ख़ुसी का ठीकाना नही था. उसे ऐसा लग रहा था कि वो वरसो बाद घर जा रही है.
भोलू नगमा के बूब्स को मसल्ने लगा और खड़े खड़े उसकी गान्ड पर धक्के मारने लगा.
"आअहह हटो ना."
"चलती है कि यही या यही मारु तेरी गान्ड."
"आअहह ठीक है चलती हूँ...मुझे घर को ताला मार देने दो. और मैं गान्ड में नही चूत में लूँगी कहे देती हूँ. आहह"
"जैसी तेरी मर्ज़ी खि..खि" भोलू हसणे लगा.
नगमा ने ताला लगाया और भोलू के साथ चल दी.
भोलू ने कमरे में आते ही नगमा को गोदी में उठा लिया और बोला,"आज रात तू कही नही जाएगी...सारी रात गान्ड मारूँगा तेरी"
"फिर वही बात कहा ना चूत में लूँगी गान्ड में नही."
"अरे एक ही बात है कहने में क्या जाता है."
"तूने बड़ी चालाकी से डाला था कल गान्ड में हा शरम नही आई तुम्हे."
"कोई भी लड़की गान्ड आसानी से नही देती...लेनी पड़ती है."
"पर 2 मिनट की बजाए 2 घंटे मारते रहे तुम मेरी गान्ड...अभी तक दर्द है मुझे. परसो राज ने ली थी कल तुमने ले ली. अब नही दूँगी मैं"
"बिल्कुल बिल्कुल.." भोलू ने कहा और नगमा को बिस्तर पर पटक दिया.
"आहह इतनी ज़ोर से क्यों गिराया."
"गद्दा मखमली है सोचा तुम्हे अच्छा लगेगा." भोलू ने कहा.
भोलू नगमा की छाती पर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया. लंड नगमा के मूह के बिल्कुल सामने था.
"ये क्या कर रहे हो."
"लंड चूस चुपचाप."
"मैं ये काम नही करती."
"तो अब करले चल मूह में डाल"
"मैं सच कह रही हूँ मैं लंड नही चूस्ति...मैने कभी राज का भी नही चूसा."
भोलू नगमा के होंटो पर अपना लंड रगड़ने लगा.
"नही हटो..."
"मेरी जान चूस के तो देख गन्ने से भी मीठा लगेगा तुझे."
भोलू लगातार नगमा के बंद मूह पर लंड रगड़ता रहा. "जब तक तू मूह नही खोलेगी ये यही रहेगा."
"तूने चूत में डालना है की नही."
"चूत में भी डालूँगा मेरी जान पहले थोडा चूस तो ले."
"उफ्फ क्या मुसीबत है...चल थोड़ी देर चूस लेती हूँ...पर दुबारा नही करूँगी ठीक है."
"ठीक है...हे..हे..हे."
"दाँत मत दीखाओ वरना दाँत मार दूँगी तुम्हारे लंड पे."
"नही ऐसा मत करना वरना..."
नगमा ने मूह खोला और भोलू के लंड को मूह में ले लिया. वो धीरे धीरे लंड चूसने लगी.
"मुझे पता था कि तू बहुत अच्छे से चूसेगी...आअहह."
नगमा लोली पोप की तरह लंड चूस रही थी और भोलू आहें भर रहा था. कुछ देर बाद नगमा ने लंड मूह से बाहर निकाल दिया और बोली, "चल बस बहुत हो गया...फटाफट मेरी चूत में डाल दे."
भोलू ने नगमा की सलवार उतारी और अपनी पॅंट उतार कर उसकी टाँगो के बीच बैठ गया. उसने नगमा की टांगे अपने कंधो पर रखी और एक झटके में नगमा की चिकनी चूत में लंड डाल दिया.
"आअहह भोलू....आआहह आज बस मेरी चूत की प्यास भुजा दे आहह"
"चिंता मत कर सारी रात छोड़ूँगा तुझे मैं" भोलू ने कहा और नगमा की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड अंदर बाहर करने लगा. उसके आँड हर धक्के के साथ नगमा की चूत के मूह से टकरा रहे थे.
"उुउऊहह भोलू....आआहह और तेज आअहह"
"तेरी चूत बहुत मस्त है नगमा सच बता कितने लंड खा चुकी है ये."
"ये वेजिटेरियन है....आआहह एक भी लंड नही खाया इसने आअहह"
"हा..हा..हा..हे..हे...बहुत खूब कही....मज़ा आता है तेरी चूत मारने में."
"तो मार ना और तेज़ी से मार आअहह.... मेरा भी आज बहुत मन था आहह."
भोलू ने थोड़ी स्पीड और बढ़ा दी और नगमा की चूत में लंड के धक्को की बोचार शुरू कर दी. नगमा 2 बार झाड़ चुकी थी.
"ऊओह बस मैं अब पानी छोड़ने वाला हूँ."
"नही रूको थोड़ी देर और करो आआहह." नगमा एक और ऑर्गॅज़म के करीब थी.
भोलू के धक्के चालू रहे और नगमा चीन्ख कर एक बार और झाड़ गयी. भोलू भी उसी के साथ उसके उपर ढेर हो गया.
"आअहह अब नींद आएगी मुझे" नगमा ने कहा.
"तू यहा सोने आई है क्या...अभी तो तेरी गान्ड भी मारनी है"
"ऐसा सोचना भी मत वरना दुबारा नही दूँगी समझे."
..............................
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राज और पद्मिनी एएसपी शालिनी के घर के बाहर पहुँच गये.
"क्या सोच रहे हो बेल बजाओ."
"बहुत कड़क मेडम हैं डर लगता है."
"तुम हटो पीछे मुझे बेल बजाने दो."
पद्मिनी ने बेल बजाई. पर किसी ने दरवाजा नही खोला.
"लगता है मेडम सो रही हैं" राज ने कहा.
पद्मिनी ने फिर से बेल बजाई. किसी के आने की आहट सुनाई दी.
राज का दिल बैठ गया वो डर रहा था की ना जाने एएसपी साहिबा उनकी बात को किस तरह से लेंगी. उसे विस्वास तो था कि वो उनकी बात समझेंगी लेकिन फिर भी उनके गरम मिज़ाज से घबरा रहा था.
दरवाजा खुलता है.
"जी कहिए क्या काम है?" शालिनी की मैड ने पूछा.
"क्या शालिनी जी घर पे हैं?" राज ने कहा.
"हां हैं...क्या काम है?" मैड ने कहा.
"मेडम की तो मैड भी कड़क है" राज सोचने लगा.
"हमे उनसे मिलना है" पद्मिनी ने कहा.
"ये वक्त है मिलने का...सुबह आना...जाओ यहा से" मैड ने कहा.
"हमे क्या भीकारी समझ रखा है, मैं सब इनस्पेक्टर राज शर्मा हूँ ...हमारा मेडम से मिलना बहुत ज़रूरी है...जाओ मेडम को मेसेज दे दो."
"मेडम मुझे गुस्सा करेंगी" मैड ने कहा.
"कौन है माला?" घर के अंदर से आवाज़ आई.
"मेम्साब आपसे मिलना चाहते हैं ये लोग."
"ये मिलने का वक्त है क्या रात के सादे ग्यारा हो रहे हैं." शालिनी बोलते बोलते दरवाजे पर आ गयी.
"राज तुम...और ये लड़की कौन है? शालिनी ने कहा.
"मेडम बात ज़रा कॉंप्लिकेटेड है...अगर हम बैठ कर बात करें तो ठीक होगा" राज ने कहा.
"हां-हां आओ अंदर आ जाओ...माला जाओ इनके लिए चाय पानी का इंतज़ाम करो"
मैड ने राज और पद्मिनी को घूर कर देखा और अपना नाक शिकोड कर वाहा से चली गयी.
राज और पद्मिनी एक ही सोफे पर बैठ गये...शालिनी दूसरे सोफे पर बैठ गयी.
"इन्हे कहीं देखा है" शालिनी ने पद्मिनी की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"यही पद्मिनी है...जिन्हे पूरा पोलीस डिपार्टमेंट ढूँढ रहा है" राज ने कहा.
"क्या?" शालिनी फ़ौरन खड़ी हो गयी. "ये तुम्हारे साथ क्या कर रही है?"
"मेडम इन्होने किसी का खून नही किया...बल्कि सच तो ये है कि सिर्फ़ यही जानती हैं कि किल्लर कौन है"
राज डीटेल में सारी कहानी शालिनी को सुनाता है. शालिनी उसकी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनती है.
"ह्म्म अगर ये सच है तो बहुत बुरा हुआ तुम्हारे साथ पद्मिनी...पर तुम्हे पहले ही पोलीस को सच बता देना चाहिए था." शालिनी ने कहा.
"कुछ समझ नही आ रहा था की क्या करें....टीवी पर अपनी फोटो देख कर डर गयी थी मैं. पोलीस कातिल समझ कर मुझे ढूँढ रही थी ऐसे में कैसे आती पोलीस के पास मैं" पद्मिनी ने कहा.
"आज जब उस ने ये काग़ज़ पत्थर में लपेट कर फेंका तो मुझे आइडिया आया कि मुझे आपसे बात करनी चाहिए. देखिए सिर्फ़ ये जानती हैं कि कातिल कौन है...इसलिए वो इनके पीछे पड़ा है...अब आप ही डिसाइड कीजिए कि क्या किया जाए."
"तुम्हारे पास चौहान का नंबर है." शालिनी ने कहा.
"जी मेडम है" राज ने जवाब दिया.
"उसे तुरंत यहा आने को कहो"
"जी मेडम"
राज ने चौहान को फोन मिलाया, "अब तो मिल गया पहले नही मिल रहा था."
राज ने चौहान को वाहा आने को बोल दिया.
"क्या मैं अब अपने घर जा सकती हूँ?" पद्मिनी ने पूछा.
"हां बिल्कुल...पर पूरी सुरक्षा के साथ जाओगी तुम अपने घर. 2 पोलीस वाले तो वाहा पहले से हैं 2 और लगाने पड़ेंगे....अच्छा एक बात बताओ." शालिनी ने कहा.
"जी पूछिए"
"क्या तुम उस किलर का स्केच बनवा सकती हो."
"कोशिस करूँगी...पर मेरे लिए उसके चेहरे को डिस्क्राइब करना थोड़ा मुस्किल है" पद्मिनी ने कहा.
"चलो बाद में देखते हैं ये सब"
तभी चौहान भी वाहा आ गया. उसने राज और पद्मिनी को घूर कर देखा.
"मिस्टर चौहान किस तरह से हॅंडल कर रहे हैं आप इस केस को"
"क्या हुआ मेडम?" चौहान गिड़गिदाया.
"क्या कोई और सबूत था तुम्हारे पास पद्मिनी के खिलाफ उस विटनेस के सिवा."
"जी नही मेडम बस वही काफ़ी था."
"कैसे काफ़ी था..राजवीर जो तुमने मुझे बताया इनको भी बताओ"
राज चौहान को भी सारी कहानी बता देता है.
"कुछ समझ में आया की क्या हो रहा है?"
"हां मेडम पर अगर कोई पोलीस को आके बताएगा ही नही तो हमे कैसे पता चलेगा" चौहान ने कहा.
"जो भी हो तुम ठीक से हॅंडल नही कर रहे हो इस केस को."
"मुझे एक और मोका दीजिए मेडम...असली कातिल जल्द से जल्द पोलीस की हिरासत में होगा."
"ठीक है दिया एक और मोका...पहले पद्मिनी को इनके घर छ्चोड़ने का इंतज़ाम करो और इनके घर पर सुरक्षा बढ़ा दो."
"मेडम मीडीया वालो को क्या कहेंगे."
"अभी किसी को कुछ नही कहना...ये बात पोलीस डिपार्टमेंट से बाहर नही जाएगी."
"जी मेडम." चौहान ने कहा.
पद्मिनी और राज उसी जीप में बैठ गये जिस में आए थे. साथ में चौहान की जीप थी. अंधेरी रात में दोनो जीपे पद्मिनी के घर की ओर बढ़ रही थी. पद्मिनी की ख़ुसी का ठीकाना नही था. उसे ऐसा लग रहा था कि वो वरसो बाद घर जा रही है.