Update 65
रोहित ने थूक लगा लिया अपने लंड पर और उसे अच्छे से चिकना कर लिया.
“मैने सुना है की बहुत पेनफुल होता है अनल सेक्स.”
“होता होगा दूसरो के लिए आपके लिए नही होगा ट्रस्ट मी.” रोहित ने कहा और गान्ड को चोडा करके लंड टिका दिया रीमा के छेद पर.
“मज़ा आएगा आपको. डिफरेंट मज़ा.” रोहित ने कहा और खुद को धकैल दिया रीमा के अंदर.
“ऊऊओह….नूऊऊऊऊ पुल इट आउट…पुल इट आउट….नो”
“एंट्री में हिप्रोब्लम है थोड़ी सी. ज़रा रुकिये सब ठीक हो जाएगा…खि…खि..खि.”
“मेरी जान निकल रही है और आपको हँसी आ रही है. आआहह”
रोहित ने एक और धक्का मारा और लंड थोड़ा सा और उतर गया गान्ड में. रीमा फिर से कराह उठी, “ऊऊहह…नो मुझे नही लगता इस काम में कुछ मज़ा है. इसे निकाल कर सही जगह डालिए. ये अच्छा नही लग रहा मुझे.”
“अच्छा भी लगेगा थोड़ा सबर तो कीजिए” रोहित ने एक और धक्का मारा. पर इस बार बहुत ज़ोर का धक्का था. तेज धक्के के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड रीमा की गान्ड में उतर गया.
“रीमा दा गोल्डन गिर बना दूँगा आज आपको.” रोहित ने कहा.
“मुझे रीमा ही रहने दो…आआहह.” रीमा कराहते हुए बोली.
“अब देखिए नज़ारे अनल सेक्स के. उफ्फ क्या गान्ड है आपकी.”
रोहित अब तैयार था अनल सेक्स के लिए. रीमा का दर्द भी कम हो गया था. धीरे धीरे शुरू हुआ शिल्षिला गान्ड में लंड के घर्षण का और रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी. पहले पहले तो रीमा शांत पड़ी रही रोहित के नीचे. मगर जल्दी ही लंड के घर्षण उसे बहकाने लगे और कमरे में उसकी शिसकियाँ गूंजने लगी.
“आअहह रोहित…फास्टर.” रीमा ने मदहोशी में कहा.
“आने लगा स्वाद आपको अब. गुड.”
“फास्टर रोहित…प्लीज़.”
“बिल्कुल रीमा जी फिकर ना करें आप. तूफान आएगा अब संभालिएगा आप.”
रोहित इतने जोरो से धक्के लगाने लगा रीमा कि गान्ड में कि पूरा का पूरा बेड हिलने लगा. रीमा अपनी टांगे इधर उधर पटक रही थी. बहुत ही उत्तेजना में थे दोनो. रोहित लगा रहा रीमा की गान्ड में तूफान मचाने में मगर अब रीमा की हालत पतली होने लगी थी.
“बस…बस…बस रोहित और नही सह पाउन्गि…बस रुक जाओ”
“कैसी बात करती है आप…अभी तो आपकी रेल बनेगी…ज़रा रुकिये ना…खि…खि…खि.”
“रेल बन चुकी है रोहित….अब और बर्दास्त नही कर सकती प्लीज़ रुक जाओ आआअहह.”
“मज़ा नही आ रहा आपको”
“नही कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा है. बर्दास्त के बाहर है सब प्लीज़ रुक जाओ…आअहह.”
रुकने वाला कहा था रोहित. उसे तो पूरी रेल बनानी थी रीमा की. रीमा आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. पर थक गयी थी अब गोते लगाते लगाते. और उस से अब लंड का घर्षण बर्दास्त भी नही हो रहा था.
“रुक भी जाइए अब. मार डालेंगे क्या हमें.”
“अफ क्या बात है…लीजिए ये तूफान थमने ही वाला है.”
रोहित ने और ज़्यादा स्पीड बढ़ा दी. रीमा की तो सांसो ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया. अचानक ज़ोर-ज़ोर से हांपते हुए रोहित रीमा के उपर ढेर हो गया. भर दिया उसने रीमा की गान्ड को अपने वीर्य से.
“उफ्फ क्यों लाई तुम्हे मैं साथ. फिर से छोटी सी भूल हो गयी मुझसे.”
“कोई भूल नही हुई है आपसे. बिल्लू की तरह आपके साथ कोई मक्कारी नही कर रहा हूँ मैं. ये एक सुंदर संभोग था.” रोहित ने बोलते हुए लंड बाहर खींच लिया रीमा की गान्ड से और उसे घुमा कर उस से लिपट गया. दोनो के होन्ट खुद-ब-खुद मिल गये और एक डीप किस में खो गये दोनो.
जब होन्ट हटे तो रीमा ने पूछा, “तुमने कभी किसी से प्यार किया है.”
“क्यों पूछ रही हो”
“तुम मुझे ऐसे किस कर रहे थे जैसे की प्यार करते हो मुझसे.”
“पता नही क्या मतलब होता है प्यार का. हमारे बीच एक खुब्शुरत संभोग हुआ है. उसके बाद एक प्यारा सा चुंबन नॅचुरल है. कुछ भी कह सकती हो इसे. हम दोनो ने एक अच्छा वक्त बीताया साथ. दो इंसान आपस में जुड़े. बेसक सेक्स के लिए ही जुड़े, फिर भी दो लोग जुड़े तो. हां शायद, दो पल का ही सही प्यार तो शामिल है ही इस संबंध में. ज़्यादा कुछ नही कह सकता. मूरख और अग्यानि हूँ मैं प्यार के मामले में वरना पद्मिनी को नही खोता.”
“पद्मिनी? कौन पद्मिनी… …”
“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”
“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”
“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”
“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”
“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..
पद्मिनी एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर पद्मिनी जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. पद्मिनी के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.
पद्मिनी का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलाते थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, रोहित तुझे गोली मार दूँगा मैं.”
दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर पद्मिनी का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था पद्मिनी तक पहुँचने का. पद्मिनी अक्सर गब्बर के साथ आती थी बाइक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने पद्मिनी से भी कुछ बात कर लेता था.
पद्मिनी तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि पद्मिनी को पटा कर रहूँगा.
ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर
“तुम और पद्मिनी को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.
फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “रोहित भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. पद्मिनी ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”
पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा पद्मिनी को चाहे कुछ हो जाए.”
“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”
“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.
पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”
“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा
रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की पद्मिनी साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फरक पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.
खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और पद्मिनी के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. पद्मिनी को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”
मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छ्चोड़ आता हूँ पद्मिनी को. पद्मिनी ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”
“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.
बड़ी मुस्किल से मानी पद्मिनी पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बाइक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुसी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं पद्मिनी को लेकर आगे बढ़ गया. जानबूझ कर एक जगह अचानक ब्रेक लगाया मैने और टकरा गया पद्मिनी का जिस्म मेरे जिस्म से. मेरे बदन में तो आग लग गयी.
“पद्मिनी ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा
“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”
वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.
रोहित ने थूक लगा लिया अपने लंड पर और उसे अच्छे से चिकना कर लिया.
“मैने सुना है की बहुत पेनफुल होता है अनल सेक्स.”
“होता होगा दूसरो के लिए आपके लिए नही होगा ट्रस्ट मी.” रोहित ने कहा और गान्ड को चोडा करके लंड टिका दिया रीमा के छेद पर.
“मज़ा आएगा आपको. डिफरेंट मज़ा.” रोहित ने कहा और खुद को धकैल दिया रीमा के अंदर.
“ऊऊओह….नूऊऊऊऊ पुल इट आउट…पुल इट आउट….नो”
“एंट्री में हिप्रोब्लम है थोड़ी सी. ज़रा रुकिये सब ठीक हो जाएगा…खि…खि..खि.”
“मेरी जान निकल रही है और आपको हँसी आ रही है. आआहह”
रोहित ने एक और धक्का मारा और लंड थोड़ा सा और उतर गया गान्ड में. रीमा फिर से कराह उठी, “ऊऊहह…नो मुझे नही लगता इस काम में कुछ मज़ा है. इसे निकाल कर सही जगह डालिए. ये अच्छा नही लग रहा मुझे.”
“अच्छा भी लगेगा थोड़ा सबर तो कीजिए” रोहित ने एक और धक्का मारा. पर इस बार बहुत ज़ोर का धक्का था. तेज धक्के के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड रीमा की गान्ड में उतर गया.
“रीमा दा गोल्डन गिर बना दूँगा आज आपको.” रोहित ने कहा.
“मुझे रीमा ही रहने दो…आआहह.” रीमा कराहते हुए बोली.
“अब देखिए नज़ारे अनल सेक्स के. उफ्फ क्या गान्ड है आपकी.”
रोहित अब तैयार था अनल सेक्स के लिए. रीमा का दर्द भी कम हो गया था. धीरे धीरे शुरू हुआ शिल्षिला गान्ड में लंड के घर्षण का और रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी. पहले पहले तो रीमा शांत पड़ी रही रोहित के नीचे. मगर जल्दी ही लंड के घर्षण उसे बहकाने लगे और कमरे में उसकी शिसकियाँ गूंजने लगी.
“आअहह रोहित…फास्टर.” रीमा ने मदहोशी में कहा.
“आने लगा स्वाद आपको अब. गुड.”
“फास्टर रोहित…प्लीज़.”
“बिल्कुल रीमा जी फिकर ना करें आप. तूफान आएगा अब संभालिएगा आप.”
रोहित इतने जोरो से धक्के लगाने लगा रीमा कि गान्ड में कि पूरा का पूरा बेड हिलने लगा. रीमा अपनी टांगे इधर उधर पटक रही थी. बहुत ही उत्तेजना में थे दोनो. रोहित लगा रहा रीमा की गान्ड में तूफान मचाने में मगर अब रीमा की हालत पतली होने लगी थी.
“बस…बस…बस रोहित और नही सह पाउन्गि…बस रुक जाओ”
“कैसी बात करती है आप…अभी तो आपकी रेल बनेगी…ज़रा रुकिये ना…खि…खि…खि.”
“रेल बन चुकी है रोहित….अब और बर्दास्त नही कर सकती प्लीज़ रुक जाओ आआअहह.”
“मज़ा नही आ रहा आपको”
“नही कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा है. बर्दास्त के बाहर है सब प्लीज़ रुक जाओ…आअहह.”
रुकने वाला कहा था रोहित. उसे तो पूरी रेल बनानी थी रीमा की. रीमा आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. पर थक गयी थी अब गोते लगाते लगाते. और उस से अब लंड का घर्षण बर्दास्त भी नही हो रहा था.
“रुक भी जाइए अब. मार डालेंगे क्या हमें.”
“अफ क्या बात है…लीजिए ये तूफान थमने ही वाला है.”
रोहित ने और ज़्यादा स्पीड बढ़ा दी. रीमा की तो सांसो ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया. अचानक ज़ोर-ज़ोर से हांपते हुए रोहित रीमा के उपर ढेर हो गया. भर दिया उसने रीमा की गान्ड को अपने वीर्य से.
“उफ्फ क्यों लाई तुम्हे मैं साथ. फिर से छोटी सी भूल हो गयी मुझसे.”
“कोई भूल नही हुई है आपसे. बिल्लू की तरह आपके साथ कोई मक्कारी नही कर रहा हूँ मैं. ये एक सुंदर संभोग था.” रोहित ने बोलते हुए लंड बाहर खींच लिया रीमा की गान्ड से और उसे घुमा कर उस से लिपट गया. दोनो के होन्ट खुद-ब-खुद मिल गये और एक डीप किस में खो गये दोनो.
जब होन्ट हटे तो रीमा ने पूछा, “तुमने कभी किसी से प्यार किया है.”
“क्यों पूछ रही हो”
“तुम मुझे ऐसे किस कर रहे थे जैसे की प्यार करते हो मुझसे.”
“पता नही क्या मतलब होता है प्यार का. हमारे बीच एक खुब्शुरत संभोग हुआ है. उसके बाद एक प्यारा सा चुंबन नॅचुरल है. कुछ भी कह सकती हो इसे. हम दोनो ने एक अच्छा वक्त बीताया साथ. दो इंसान आपस में जुड़े. बेसक सेक्स के लिए ही जुड़े, फिर भी दो लोग जुड़े तो. हां शायद, दो पल का ही सही प्यार तो शामिल है ही इस संबंध में. ज़्यादा कुछ नही कह सकता. मूरख और अग्यानि हूँ मैं प्यार के मामले में वरना पद्मिनी को नही खोता.”
“पद्मिनी? कौन पद्मिनी… …”
“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”
“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”
“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”
“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”
“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..
पद्मिनी एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर पद्मिनी जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. पद्मिनी के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.
पद्मिनी का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलाते थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, रोहित तुझे गोली मार दूँगा मैं.”
दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर पद्मिनी का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था पद्मिनी तक पहुँचने का. पद्मिनी अक्सर गब्बर के साथ आती थी बाइक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने पद्मिनी से भी कुछ बात कर लेता था.
पद्मिनी तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि पद्मिनी को पटा कर रहूँगा.
ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर
“तुम और पद्मिनी को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.
फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “रोहित भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. पद्मिनी ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”
पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा पद्मिनी को चाहे कुछ हो जाए.”
“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”
“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.
पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”
“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा
रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की पद्मिनी साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फरक पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.
खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और पद्मिनी के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. पद्मिनी को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”
मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छ्चोड़ आता हूँ पद्मिनी को. पद्मिनी ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”
“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.
बड़ी मुस्किल से मानी पद्मिनी पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बाइक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुसी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं पद्मिनी को लेकर आगे बढ़ गया. जानबूझ कर एक जगह अचानक ब्रेक लगाया मैने और टकरा गया पद्मिनी का जिस्म मेरे जिस्म से. मेरे बदन में तो आग लग गयी.
“पद्मिनी ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा
“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”
वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.