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Romance बात एक रात की(Completed)

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Update 65


रोहित ने थूक लगा लिया अपने लंड पर और उसे अच्छे से चिकना कर लिया.


“मैने सुना है की बहुत पेनफुल होता है अनल सेक्स.”

“होता होगा दूसरो के लिए आपके लिए नही होगा ट्रस्ट मी.” रोहित ने कहा और गान्ड को चोडा करके लंड टिका दिया रीमा के छेद पर.

“मज़ा आएगा आपको. डिफरेंट मज़ा.” रोहित ने कहा और खुद को धकैल दिया रीमा के अंदर.

“ऊऊओह….नूऊऊऊऊ पुल इट आउट…पुल इट आउट….नो”

“एंट्री में हिप्रोब्लम है थोड़ी सी. ज़रा रुकिये सब ठीक हो जाएगा…खि…खि..खि.”

“मेरी जान निकल रही है और आपको हँसी आ रही है. आआहह”

रोहित ने एक और धक्का मारा और लंड थोड़ा सा और उतर गया गान्ड में. रीमा फिर से कराह उठी, “ऊऊहह…नो मुझे नही लगता इस काम में कुछ मज़ा है. इसे निकाल कर सही जगह डालिए. ये अच्छा नही लग रहा मुझे.”

“अच्छा भी लगेगा थोड़ा सबर तो कीजिए” रोहित ने एक और धक्का मारा. पर इस बार बहुत ज़ोर का धक्का था. तेज धक्के के कारण इस बार पूरा का पूरा लंड रीमा की गान्ड में उतर गया.

“रीमा दा गोल्डन गिर बना दूँगा आज आपको.” रोहित ने कहा.

“मुझे रीमा ही रहने दो…आआहह.” रीमा कराहते हुए बोली.

“अब देखिए नज़ारे अनल सेक्स के. उफ्फ क्या गान्ड है आपकी.”

रोहित अब तैयार था अनल सेक्स के लिए. रीमा का दर्द भी कम हो गया था. धीरे धीरे शुरू हुआ शिल्षिला गान्ड में लंड के घर्षण का और रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती गयी. पहले पहले तो रीमा शांत पड़ी रही रोहित के नीचे. मगर जल्दी ही लंड के घर्षण उसे बहकाने लगे और कमरे में उसकी शिसकियाँ गूंजने लगी.

“आअहह रोहित…फास्टर.” रीमा ने मदहोशी में कहा.

“आने लगा स्वाद आपको अब. गुड.”

“फास्टर रोहित…प्लीज़.”

“बिल्कुल रीमा जी फिकर ना करें आप. तूफान आएगा अब संभालिएगा आप.”

रोहित इतने जोरो से धक्के लगाने लगा रीमा कि गान्ड में कि पूरा का पूरा बेड हिलने लगा. रीमा अपनी टांगे इधर उधर पटक रही थी. बहुत ही उत्तेजना में थे दोनो. रोहित लगा रहा रीमा की गान्ड में तूफान मचाने में मगर अब रीमा की हालत पतली होने लगी थी.

“बस…बस…बस रोहित और नही सह पाउन्गि…बस रुक जाओ”

“कैसी बात करती है आप…अभी तो आपकी रेल बनेगी…ज़रा रुकिये ना…खि…खि…खि.”

“रेल बन चुकी है रोहित….अब और बर्दास्त नही कर सकती प्लीज़ रुक जाओ आआअहह.”

“मज़ा नही आ रहा आपको”

“नही कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा है. बर्दास्त के बाहर है सब प्लीज़ रुक जाओ…आअहह.”

रुकने वाला कहा था रोहित. उसे तो पूरी रेल बनानी थी रीमा की. रीमा आनंद के सागर में गोते लगा रही थी. पर थक गयी थी अब गोते लगाते लगाते. और उस से अब लंड का घर्षण बर्दास्त भी नही हो रहा था.

“रुक भी जाइए अब. मार डालेंगे क्या हमें.”

“अफ क्या बात है…लीजिए ये तूफान थमने ही वाला है.”

रोहित ने और ज़्यादा स्पीड बढ़ा दी. रीमा की तो सांसो ने जैसे काम ही करना बंद कर दिया. अचानक ज़ोर-ज़ोर से हांपते हुए रोहित रीमा के उपर ढेर हो गया. भर दिया उसने रीमा की गान्ड को अपने वीर्य से.

“उफ्फ क्यों लाई तुम्हे मैं साथ. फिर से छोटी सी भूल हो गयी मुझसे.”

“कोई भूल नही हुई है आपसे. बिल्लू की तरह आपके साथ कोई मक्कारी नही कर रहा हूँ मैं. ये एक सुंदर संभोग था.” रोहित ने बोलते हुए लंड बाहर खींच लिया रीमा की गान्ड से और उसे घुमा कर उस से लिपट गया. दोनो के होन्ट खुद-ब-खुद मिल गये और एक डीप किस में खो गये दोनो.

जब होन्ट हटे तो रीमा ने पूछा, “तुमने कभी किसी से प्यार किया है.”

“क्यों पूछ रही हो”

“तुम मुझे ऐसे किस कर रहे थे जैसे की प्यार करते हो मुझसे.”

“पता नही क्या मतलब होता है प्यार का. हमारे बीच एक खुब्शुरत संभोग हुआ है. उसके बाद एक प्यारा सा चुंबन नॅचुरल है. कुछ भी कह सकती हो इसे. हम दोनो ने एक अच्छा वक्त बीताया साथ. दो इंसान आपस में जुड़े. बेसक सेक्स के लिए ही जुड़े, फिर भी दो लोग जुड़े तो. हां शायद, दो पल का ही सही प्यार तो शामिल है ही इस संबंध में. ज़्यादा कुछ नही कह सकता. मूरख और अग्यानि हूँ मैं प्यार के मामले में वरना पद्‍मिनी को नही खोता.”

“पद्‍मिनी? कौन पद्‍मिनी… …”

“कॉलेज में थे हम दोनो साथ में.”

“बताओ ना उसके बारे में मैं सुन-ना चाहती हूँ.”

“नही रहने दो. मेरे जखम ही हरे होंगे.”

“बताओ ना प्लीज़. बताओगे तो एक बार फिर से अपनी रेल बनाने का मोका दूँगी तुम्हे.”

“अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिर……………..

पद्‍मिनी एक ऐसी हसीना है जिसे देख कर किसी का भी दिल बहक सकता है. कॉलेज में कौन सा ऐसा लड़का था जो की उसके उपर मरता नही था. मगर पद्‍मिनी जितनी सुंदर थी उसका चरित्र भी उतना ही सुंदर था. कभी किसी को मोका नही दिया उसने. किसी की तरफ नही देखती थी. बस अपने काम से काम रखती थी. पद्‍मिनी के चाहने वालो में मैं भी शामिल था. रोज देखता था उसे चुप-चुप कर. मगर उसे पता नही चलने देता था.

पद्‍मिनी का एक कज़िन ब्रदर भी उसी कॉलेज में पढ़ता था. उसका नाम हेमंत था. वैसे हम लोग उसे गब्बर कह कर बुलाते थे. उसके पापा पोलीस में थे. अक्सर अपने पापा की खाली बंदूक से खेलता रहता था वो. पर इस कारण एक अजीब आदत बन गयी थी उसकी. बात बात पर गोली मारने की बात करता था. कोई भी बात हो, उसे गोली मारने की बात तो करनी ही है. एक बार चाय गिर गयी मुझसे उसके उपर. तुरंत बोला, रोहित तुझे गोली मार दूँगा मैं.”

दिमाग़ खिसका हुआ था गब्बर का. पर पद्‍मिनी का भाई था इसलिए बर्दास्त करते थे उसे हम. वही तो रास्ता था पद्‍मिनी तक पहुँचने का. पद्‍मिनी अक्सर गब्बर के साथ आती थी बाइक पर बैठ कर. मैं गब्बर को ही बोलने के बहाने पद्‍मिनी से भी कुछ बात कर लेता था.

पद्‍मिनी तो कुछ भी बोलो, ही…हेलो से ज़्यादा कुछ बोलती ही नही थी. मैने भी ठान ली कि पद्‍मिनी को पटा कर रहूँगा.

ये बात बताई मैने फ.ज.बडी को, जावेद को और मनीस को. तीनो लौटपोट हो गये मेरी बात सुन कर

“तुम और पद्‍मिनी को पटाओगे. भूल जाओ बेटा और पढ़ाई पर ध्यान दो. गब्बर को पता चला तो गोली मार देगा तुम्हे.” जावेद भाई ने कहा.

फ.ज.बडी ने तो मुझे गले लगा लिया पता नही क्यों. उन्हे गले लगाने की बहुत आदत है. गले लगा कर बोले, “रोहित भाई…रहने दो…फ्री फंड में मारे जाओगे. पद्‍मिनी ने किसका दिल नही तोड़ा जो तुम बचोगे…वो लड़की प्यार-व्यार में इंटेरेस्ट नही रखती”

पर मैं कहा मान-ने वाला था मैने कहा, “नही मैं पटा कर रहूँगा पद्‍मिनी को चाहे कुछ हो जाए.”

“तुम नही पता सकते समझ लो ये बात. हम शर्त लगा सकते हैं तुमसे.”

“बेट लगाते हो मुझे चॅलेंज करते हो. अब तो मैं ये काम कर के रहूँगा.” मैं कह कर चल दिया वहाँ से.

पास ही विवेक भी सब सुन रहा था. हंसते हुए बोला, “पहले गब्बर से निपटना पड़ेगा तुम्हे…गोली मार देगा वो तुम्हे…ध्यान रखना.”

“क्या विवेक भाई आप भी शुरू हो गये. वैसे मैं गब्बर को ही सीधी बना कर बढ़ुंगा आगे. बेचारे को पता भी नही चलेगा ” मैने कहा

रोज गब्बर को मैं चारा डालने लगा. ताकि अच्छी दोस्ती बन जाए. काई बार उसे रेस्टोरेंट में खाना खिलाया. मैने किसी तरह से उसे राज़ी किया की तुम रोज सुबह मेरे साथ कॉलेज जाया करोगे. वो बोला की पद्‍मिनी साथ होती है. मैने कहा तो रहने दो. उसके रहने से क्या फरक पड़ता है. हम कौन सा अश्लील बाते करते जाएँगे.

खैर किसी तरह शील्षिला शुरू हुआ. रोज हितक्श और पद्‍मिनी के साथ जाने लगा मैं कॉलेज. एक बार मैने गब्बर का टाइयर पंक्चर कर दिया कॉलेज में. पद्‍मिनी को जल्दी घर जाना था कुछ काम था उसे. मुझे पता थी ये बात. गब्बर तो आग बाबूला हो गया, “किसने किया टाइयर पंक्चर मेरा मैं उसे गोली मार दूँगा.”

मैने कहा शांति रखो गब्बर भाई. मैं छ्चोड़ आता हूँ पद्‍मिनी को. पद्‍मिनी ये सुनते ही बोली, “नही…नही…मैं ऑटो लेकर चली जवँगी.”

“कैसी बात करती है आप. हमारे होते हुए ऑटो पर क्यों जाएँगी आप.” मैने कहा.

बड़ी मुस्किल से मानी पद्‍मिनी पर बैठ ही गयी मेरे पीछे मेरी बाइक पर. पूछो मत मैं तो ख़ुसी से पागल हो गया. फ.ज.बडी, जावेद, और मनीस ने जब ये देखा तो बड़े परेशान हो गये. बेट हारने की चिंता सताने लगी उन्हे. मुझे क्या था मैं पद्‍मिनी को लेकर आगे बढ़ गया. जानबूझ कर एक जगह अचानक ब्रेक लगाया मैने और टकरा गया पद्‍मिनी का जिस्म मेरे जिस्म से. मेरे बदन में तो आग लग गयी.

“पद्‍मिनी ऐसे नज़दीक मत आओ. मुझे कुछ-कुछ होता है.” मैने कहा

“मुझे शॉंक नही है तुम्हारे नज़दीक आने का. ध्यान से चलाओ तुम”

वाह क्या गुस्सा था उसकी बात में. ऐसा लग रहा था जैसे कि फूल बरसा रही हो.
 

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Update 66


पद्‍मिनी को बिके पर बैठा कर ऐसा लग रहा था जैसे जन्नत मिल गयी मुझे. कुछ ही दूर चले थे की दो गुंडे पीछे पड़ गये हमारे. वो दोनो बाइक्स पर थे. एक हमारे दाईं तरफ था ओर एक बाईं तरफ. गुंडे वैसे मैने ही बुलाए थे पद्‍मिनी को इंप्रेस करने के लिए

वो कामीने अपनी आदत से मजबूर छेड़ने लगे पद्‍मिनी को. जितना मैने कहा था उस से कुछ ज़्यादा ही बोल रहे थे. इस से पहले मैं कुछ कहता पद्‍मिनी बोली, “रोहित बिके रोको इन्हे अभी बताती हूँ मैं. हे मिस्टर रूको ज़रा.”

ये काम तो मुझे करना था पर पद्‍मिनी करने लगी. खेल बिगड़ता दीख रहा था. खैर पद्‍मिनी की बात कैसे टालता मैं. रोक दी बाइक मैने.उन दोनो गुणडो को तो रुकना ही था प्लान के मुताबिक.

पद्‍मिनी ने तो अपनी सैंडल निकाल ली और एक के सर पर दे मारी. मैं क्या कहता. वो गुंडा चिल्लाया गुस्से में और अनाप सनाप बकने लगा. लोग इक्कथा हो गये वहाँ. खूब मारा लोगो ने उन दोनो गुणडो को. मुझे तो कुछ भी करने का मोका नही मिला . सारा प्लान धारसाई हो गया.

छोड़ दिया चुपचाप पद्‍मिनी को घर. थॅंक्स तक नही किया उसने. चली गयी चुपचाप अंदर. कुछ भी वैसा नही हुआ जैसा मैने सोचा था. पद्‍मिनी को पटाना बहुत मुस्किल काम था.

बताया मैने ये वाक़या फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई को. खूब हँसे सब मिल कर पता नही क्यों बताया इन लोगो को मैने. शायद दोस्ती के कारण. पर उन्हे तो हँसने से मतलब था.

खैर अभी कुछ बिगड़ा नही था. रोज सुबह बाइक ले कर मैं गब्बर और पद्‍मिनी के साथ चलता था. अपनी बाइक मैं गब्बर की बाइक से थोड़ा पीछे रखता था जान-बुझ कर ताकि पद्‍मिनी पर लाइन मार सकूँ. पर वो ना लाइन देती थी ना लेती थी. यही उसकी सबसे बेकार बात थी. पता नही अपना हुसन किसके लिए बचा कर रखना चाहती थी. खैर इन बातों के कारण ही मन में इज़्ज़त भी थी मेरे उसके लिए. ऐसी लड़कियाँ कम ही होती हैं दुनिया में.

खैर एक और पासा फेंका मैने. इस बार मैने गुणडो से कहा कि गब्बर को रास्ते में रोक कर खूब पीटना शुरू कर देना. मैं बीच में पड़ कर उसे बचा लूँगा और पद्‍मिनी की आँखो में हीरो बन जाउन्गा.

पर रीमा इस बार भी पासा उल्टा ही पड़ा. वो गुंडे तो क्या पीट-ते गब्बर को. गब्बर ने इतनी रेल बनाई उनकी कि गुंडा पाना भूल गये वो दोनो. माफी माँग कर गये गब्बर से. जाते जाते गब्बर ने उन्हे कहा, “दुबारा मेरे सामने आए तो गोली मार दूँगा.”

गुंडे तो घबरा गये और सर पर पाँव रख कर भागे. मैने निक्कम्मे गुंडे चूस कर लिए थे

ये प्लान तो फैल हो गया अब कुछ नया सोचना था. दुबारा गुणडो का उसे नही कर सकता था. शक हो जाता मुझ पर. पद्‍मिनी बिल्कुल भी नही देखती थी मेरी तरफ. समझ में नही आता था कि क्या करू.

एक दिन मैने पद्‍मिनी को कॉलेज की लाइब्ररी में एक बुक पढ़ते देखा. बुक का टाइटल था ‘पवर ऑफ नाउ’ ईकार्ट टोल ने लिखी थी किताब ये. मैने 1-2 दिन नोट किया की पद्‍मिनी रोज ये किताब पढ़ रही है. फिर क्या था पद्‍मिनी को इंपरेससे करने के लिए एक कॉपी मैने भी इश्यू करवा ली. पूरी रात उल्लू की तरह जाग कर पढ़ता रहा किताब. सर के उपर से निकल गया सब कुछ. अगले दिन मैं कॉलेज नही गया. सारा दिन लगा कर पूरी किताब ख़तम कर दी मैने. कुछ कुछ समझ में आने लगा मेरे. अब मैं पद्‍मिनी से डिस्कशन के लिए तैयार था

अगले दिन गब्बर और पद्‍मिनी के साथ कॉलेज जाते वक्त मैं बोला, “यार क्या किताब लिखी है एकखर टोल ने. पवर ऑफ नाउ पढ़ी है क्या तुमने गब्बर भाई.”

गब्बर इरिटेट सा हो गया, “मैं वक्त बेकार नही करता अपना बेकार की बातों में.”

“नही भैया पवर ऑफ नाउ बहुत अच्छी किताब है. सभी को पढ़नी चाहिए.” पद्‍मिनी ने कहा.

बस ऐसा ही मोका तो चाहिए था मुझे, “मैं कल कॉलेज भी नही आया क्योंकि वो किताब पूरी पढ़नी थी मुझे. मैने पूरी पढ़ ली वो एक दिन में”

“बहुत बेकार रीडर हो तुम. एकखार्त टोल ने खुद कहा है की आराम से पढ़ो हर एक पॅरग्रॅफ और तुमने एक दिन में पूरी किताब पढ़ ली. तुम्हारे तो सर के उपर से निकल गयी होगी वो.”

मैं चारो खाने चित्त. समझ में नही आया कि क्या बोलूं. खैर किताब मैने पढ़ी बहुत ध्यान से थी. कुछ बाते याद थी उसकी मैं बोला, “आज में, इस पल में जीने के लिए बोला है लेखक ने. सिंपल सी बात है. पास्ट और फ्यूचर को भुला कर आज में जीना चाहिए इंसान को. किताब सर के उपर से ज़रूर निकल गयी मगर लेखक की बात दिल की गहराई से समझ गया मैं.”

पद्‍मिनी तो देखती ही रह गयी मुझे. पहली बार देखा उसने मुझे. उसके चेहरे पर आश्चर्या के भाव थे. मैं तो खो ही गया उन म्रिग्नय्नि सी आँखो में. मेरा ध्यान ही नही रहा सड़क पर. बस देखता रहा उसे. वैसे बस कुछ सेकेंड की ही बात थी ये. पर ध्यान भटकने से मैं एक कार से टकरा गया. बहुत बुरी तरह गिरा सड़क पर. हाथ पाँव चिल गये मेरे. सर से भी खून बहने लगा. पर मुझे कोई परवाह नही थी. मैं बस पद्‍मिनी को देखता रहा फिर भी. वो आई गब्बर के साथ मुझे उठाने. “कहाँ देख रहे थे. ध्यान सड़क पर रखा करो.” पद्‍मिनी ने कहा.

“आपको पता तो है कहा देख रहा था. कैसे ध्यान जाएगा सड़क पर.”

गब्बर तो सर खुजाने लगा अपना . उसे कुछ समझ नही आया. ये बात तो सिर्फ़ मैं और पद्‍मिनी जानते थे कि मैं कहा देख रहा था. उसकी म्रिग्नय्नि आँखो में ही तो डूब गया था.

मरहम पट्टी करवाई एक क्लिनिक जा कर. गब्बर और पद्‍मिनी भी साथ ही थे. पद्‍मिनी के चेहरे पर मेरे लिए चिंता नज़र आ रही थी. मैं मन ही मन खुस हो रहा था.

“तुम घर जाओ रोहित अब. छुट्टी ले लो 4-5 दिन की.” गब्बर ने कहा.

“नही-नही मैं छुट्टी नही लूँगा. बहुत नाज़ुक वक्त है ये.”

“नाज़ुक वक्त…कैसा नाज़ुक वक्त.” पद्‍मिनी ने हैरानी में पूछा.

“मैं पवर ऑफ नाउ पढ़ कर हटा हूँ. सभी को कॉलेज में उसके बारे में बताउन्गा.”

“मेरे से बात मत करना उसके बारे में. मैं सिर्फ़ गन की पवर पर विस्वास रखता हूँ.” गब्बर ने कहा.

कुछ अजीब नही लगा ये सुन के मुझे. गब्बर का दिमाग़ सच में सरका हुआ था. खैर गया मैं कॉलेज किसी तरह. कॉलेज पहुँच कर मैने पद्‍मिनी से कहा, “पद्‍मिनी पवर ऑफ नाउ के बारे में कुछ बात करें.”

“हां-हां बिल्कुल. मुझे वो किताब बहुत अच्छी लगी.” पद्‍मिनी ने कहा.

“तुम लोग पवर ऑफ नाउ की बाते करो…मेरे पास फालतू वक्त नही है. मैं गिल्ली डंडा खेलने जा रहा हूँ.” गब्बर ने कहा

“गिल्ली डंडा इस उमर में. कुछ और खेलो भाई.” मैं तो हैरान ही रह गया.

“ज़्यादा मत बोलो गोली मार दूँगा तुम्हे.” गब्बर चिल्लाया

मैं किसी बहस में नही पड़ना चाहता था. वैसे भी मेरे लिए तो ये अच्छा ही था. गब्बर गिल्ली डंडा खेले और मैं पद्‍मिनी पर लाइन मारु इस से अच्छा और क्या हो सकता था

गब्बर के जाने के बाद हम दोनो कॅंटीन में आ गये. मेरे दोस्त लोगो के शीने पर तो साँप लेट गया पद्‍मिनी को मेरे साथ देख कर . फ.ज.बडी, जावेद, मनीस और विवेक भाई दूर खड़े जल रहे थे मुझसे. खैर मुझे क्या था. मुझे बेट भी जीतनी थी और पद्‍मिनी का दिल भी जितना था

पवर ऑफ नाउ के बारे में खूब बाते की हमने.पद्‍मिनी इंप्रेस्ड नज़र आ रही थी.

“तुमने इतनी जल्दी पढ़ कर ये सब समझ भी लिया. इट्स अमेज़िंग.”

“मैं जब पढ़ता हूँ तो ऐसे ही पढ़ता हूँ. बिल्कुल रवि भाई की तरह.”

“ह्म्म, अच्छी बुक है. मैने आधी पढ़ी है अभी.” पद्‍मिनी ने कहा.

इस तरह बातो का शील्षिला शुरू हुआ. पद्‍मिनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये. मैं पद्‍मिनी को इंप्रेस करने के लिए पहले से किताब के बारे में कोई अच्छी बात सोच कर रखता था. और वो बड़े प्यार से सुनती थी मेरी बातो को. अब उसकी नज़रे मुझे ढूँढ-ती रहती थी कॉलेज में पता नही क्यों . जब मैं उसके सामने आता था तो चेहरा खील उठ-ता था उसका. बड़े प्यार से देखती थी और बड़े प्यार से हल्का मुस्कुराती थी. बहुत प्यारा अहसास होता था वो मेरे लिए. प्यार हो गया था मुझे उस से. सच्चा प्यार. पर कहने की हिम्मत नही होती थी.

पहले मेरा प्लान उसे प्यार के झाँसे में फँसा कर किसी तरह बिस्तर तक ले जाने का था. मगर उसके चेहरे की मासूमियत और आँखो की सच्चाई देख कर कभी मन नही हुआ उसके बारे में ऐसा सोचने का. शायद प्यार नज़रिया बदल देता है इंसान का. ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ भी. एक अनकहा सा प्यार हो गया था हमें. ना मैं कुछ बोलता था और ना ही पद्‍मिनी कुछ बोलती थी.

‘पवर ऑफ नाउ’ पढ़ ली थी पद्‍मिनी ने. पर हम रोज डिस्कशन करते रहते थे. उस से बाते करते करते मैं उस किताब की गहराई को समझ पाया. मैने दुबारा इश्यू करवाई किताब और इस बार सच्चे मन से पढ़ी. एक हफ़्ता लगाया इस बार मैने ‘पवर ऑफ नाउ’ पर.

और फिर जो बाते हुई हमारे बीच पूछो मत. घंटो बैठे रहते थे हम साथ और खो जाते थे. ऐसा लगता था मुझे कि प्यार करने लगी है पद्‍मिनी मुझे. बड़े प्यार से देखती थी वो मुझे बीच बीच में बाते करते हुए. यही लगता था मुझे जैसे की कह रही हो ‘आइ लव यू रोहित’.

मैं कहना चाहता था अब उसे अपने दिल की बात. पर कैसे कहु समझ नही पा रहा था. उसका रिक्षन क्या होगा यही सोच कर परेशान था. आँखो में दीखता था उसकी प्यार मुझे. लगता था प्यार करती है मुझे. पर ये मैं यकीन से नही कह सकता था.

एक दिन कॅंटीन में चाय पीते वक्त मैने कहा, “पद्‍मिनी कुछ कहना चाहता हूँ तुमसे. समझ नही आ रहा कि कैसे कहूँ.”

पद्‍मिनी के चेहरे पर मुस्कान बिखर गयी. ऐसा लगा मुझे जैसे की वो समझ गयी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ. मेरी आँखो में झाँक कर बोली, “बोल दो जो बोलना है. मैं सुन रही हूँ.”

मैने देखा बहुत प्यार से उसकी तरफ पर कुछ बोल नही पाया. पता नही क्या हो गया मुझे.

“बोलो ना रोहित. क्या बात है. वैसे तो बहुत बोलते हो तुम.” पद्‍मिनी ने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं अब बोलने ही वाला था कि गब्बर आ गया वहाँ, “चलो पद्‍मिनी चलते हैं.”

बहुत गुस्सा आया मुझे गब्बर पर, पर मैने कुछ नही कहा

शूकर है पद्‍मिनी नही उठी वहाँ से. उसने गब्बर से कहा, “भैया आ रही हूँ अभी, बस थोड़ी देर रूको.”

दिल को राहत मिली मेरे. पर गब्बर नही माना. आ गया वही और बैठ गया एक चेर ले कर हमारे पास. इतना गुस्सा आया की पूछो मत. पर क्या कर सकता था मैं. पद्‍मिनी के चेहरे पर भी गुस्सा दिखा मुझे गब्बर की इस हरकत पर. वो उठ खड़ी हुई और बोली, “चलो भैया. रोहित बाद में बताना ये बात ओके.”

“कौन सी बात बता रहा था ये. मुझे भी बता दो” गब्बर ने कहा.

“चलो भी अब. अभी तो तूफान मचा रहे थे. बाइ रोहित कल मिलते हैं.”

दुखी मन से बाइ की मैने पद्‍मिनी को. कामीने गब्बर ने सारा खेल बिगाड़ दिया. बड़ी मुस्किल से तो दिल की बात होंठो तक आई थी. कमीना कहीं का .
 
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Update 67

फिर वो दर्दनाक दिन आया जिसे मैं कभी नही भूल सकता.

अगले दिन कॉलेज के एक कमरे में मैं अपने दोस्तो, रवि,जावेद,मनीष और विवेक के साथ बैठा था. हँसी मज़ाक चल रहा था. पद्‍मिनी के बारे में बाते हो रही थी.

“कहा पहुँची तुम्हारी स्टोरी रोहित भाई.” मनीष ने पूछा.’

“बस पूछो मत यार. कल इस कम्बख़त गब्बर ने आकर काम खराब कर दिया वरना कल सब कुछ बोल देता मैं.”

“मतलब अभी तुम शर्त जीते नही हो.” जावेद भाई ने चुस्की ली

“शर्त तो मैं जीत ही जाउन्गा, ज़्यादा देर नही है उसमे. बात अब पद्‍मिनी का दिल जीतने की है. प्यार हो गया यार मुझे उस से मज़ाक मज़ाक में. बुरा हाल है मेरा.” मैने कहा.

“बुरा हाल तो गब्बर करेगा तुम्हारा, जब उसे पता चलेगा कि कितना अच्छा यूज़ किया तुमने उसका .” विवेक भाई ने कहा.

“हम तो लगता है शर्त हार गये भाई, आओ गले लग जाओ, पद्‍मिनी मुबारक हो तुम्हे.” रवि भाई ने कहा.

“इतना बड़ा धोका…….” हम सब चोंक गये पद्‍मिनी की आवाज़ सुन कर.

हमने मूड कर देखा तो पाया कि रूम के दरवाजे पर पद्‍मिनी खड़ी थी. साथ में गब्बर भी था.

“देख लो इस मक्कार को अपनी आँखो से. इसी ने गुंडे भी भेजे थे. कितना गिरा हुआ इंसान है ये.” गब्बर ने कहा.

मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी पद्‍मिनी को देख कर. उसकी आँखो में खून उतर आया था. बहुत गुस्से में थी. शायद सारी बाते सुन ली थी उसने हमारी. मैं भाग कर गया पद्‍मिनी के पास. “पद्‍मिनी कुछ ग़लत मत समझना, हां शर्त लगाई थी मैने पर मैं सच में…………” नही बोल पाया आगे कुछ भी क्योंकि थप्पड़ जड़ दिया था पद्‍मिनी ने मेरे गाल पर.

“एक और मारो इस कामीने को.” गब्बर ने आग उगली.

चली गयी पद्‍मिनी वहाँ से और मैं वही खड़ा रहा. कर भी क्या सकता था. पद्‍मिनी कुछ सुन-ने को तैयार ही नही थी. प्यार शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया. अपने प्यार का इज़हार भी नही कर पाया मैं. मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीती. मेरे दोस्तो ने मुझे संभाल लिया वरना मैं बिखर गया था.

“बहुत दुख हुआ ये सब जान कर. तुम्हारी आँखो में आँसू आ गये हैं. पद्‍मिनी को एक तो मौका देना चाहिए था.” रीमा ने कहा.

“उसने एक बार भी मुझसे बात नही की बाद में. देखती थी मुझे मगर कभी भी बात नही की. इस से बड़ी सज़ा नही मिल सकती थी मुझे. मर जाने को जी चाहता था. अफ प्यार बड़ी अजीब चीज़ है.” रोहित ने अपनी आँखो के आँसू पोंछते हुए कहा.

“अभी कहा है पद्‍मिनी?”

“यही देहरादून में ही है. शादी हो चुकी है उसकी. मगर अपने मायके में है. कुछ झगड़ा चल रहा है उसका अपने पति से. ज़्यादा डीटेल नही पता मुझे. मिला था अभी कुछ दिन पहले उस से. गुस्सा अभी तक बरकरार था उसका. इतने दिनो बाद भी वही नाराज़गी थी चेहरे पर. चलो छोड़ो….मेरे अधूरे प्यार की दास्तान यही ख़तम होती है.”

“मुझे नही लगता कि अब रेल बना पाओगे तुम मेरी. पद्‍मिनी की बाते करके दीवाने से लग रहे हो.”

“पद्‍मिनी के अलावा किसी से प्यार नही किया मैने रीमा. लेकिन उसने मेरे प्यार को समझा ही नही. एक मौका भी नही दिया. चलो छोड़ो अब और बात नही करूँगा.”

“कुछ खाओगे ?”

“नेकी और पूछ-पूछ…ले आओ कुछ.”

“हटो फिर मेरे उपर से…लाती हूँ कुछ.” रीमा ने कहा.

रोहित हट गया रीमा के उपर से. रीमा ने अपने कपड़े उठाए और पहन-ने लगी. रोहित ने कपड़े छीन लिए.

“ये सितम मत करो रीमा जी, ये सुंदरता अगर इन कपड़ो में ढक लोगि तो हमारा क्या होगा. हम तड़प-तड़प कर मर जाएँगे. उफ्फ यू आर डॅम हॉट” रोहित ने कहा.

“अच्छा ऐसा है क्या?”

“बिल्कुल जी.”

“मैं तुम्हारे सामने नंगी नही घूमूंगी. तुम्हारा कोई भरोसा नही कब रेल बना दो मेरी.”

“देखिए रेल तो बन-नी ही है आपकी. चाहे आप कपड़े पहनो या ना पहनो. निर्वस्त्र रहेंगी तो हमारी आँखो को आराम मिलेगा.”

रीमा मुस्कुराइ और कमर मत्काति हुई चल दी वहाँ से.

“उफ्फ क्या चाल है. ये धरती ना हिल जाए, ऐसे ना चलिए मटक-मटक कर.” रोहित ने हंसते हुए कहा.

“चुप रहिए आप. एक तो हमें नंगा घुमाया जा रहा है हमारे ही घर में उपर से ये अश्लील बाते हम ये बर्दास्त नही करेंगे.” राइम चलते-चलते बोली.

रोहित दौड़ कर आया रीमा के पास और उसे दबोच लिया पीछे से. “उफ्फ क्या अदा है आपकी. रुका नही जाएगा अब कसम से.”

“क्या .......कुछ खा तो लो पहले.”

“कुछ खाने की इच्छा नही है बस आप साथ रहो मेरे.” रोहित ने कहा.

“ओह नो अब मेरा क्या होगा तुम तो फिर से उत्तेजित हो गये .” रीमा ने कहा.

रीमा को अपने नितंबो पर रोहित का ताना हुआ लिंग महसूस जो रहा था.

“अब तुम्हारी चूत की रेल बनाई जाएगी. चलो वापिस बिस्तर पर.” उठा लिया रोहित ने रीमा को गोदी में और ले आया उसे वापिस बिस्तर पर.

“कुछ खा लेते तो एनर्जी मिलती. आचे से रेल बना सकते थे फिर.”

“मेरा एंजिन खाली पेट भी बहुत अच्छा चलता है. घबराओ मत कोई कमी नही छोड़ूँगा.”

“पता है मुझे तभी तो डर रही हूँ .”

रोहित ने पटक दिया रीमा को बिस्तर पर

“आअहह….ये क्या किया.”

“गुस्सा देखना था तुम्हारे चेहरे पे. इसी की कमी थी वाह क्या बात है. ट्रेन में बड़ी प्यारी लग रही थी गुस्से में.”

“गुस्सा देखने के लिए हाथ-पैर तौड दो किसी के .”

“सॉरी रीमा जी. ज़्यादा ज़ोर से गिरा दिया शायद.”

“शायद मेरी कमर टूट गयी है. मेरी रेल बनाते-बनाते अब तुम मेरी जान ले लोगे लगता है .” रीमा के चेहरे पर गुस्सा था.

रोहित रीमा के उपर आ गया और उसके होंटो को किस करने लगा पर रीमा ने चेहरा घुमा लिया, “हट जाओ तुम बस अब, मुझे कुछ नही करना तुम्हारे साथ.”

“गुस्सा थूक दीजिए. बहुत प्यारी लग रही हैं आप कसम से. पर ये गुस्सा ज़्यादा देर तक नही होना चाहिए.” रोहित ने कहा और रीमा के बायें उभार के निपल को मूह में लेकर चूसने लगा.

“आअहह ये क्या कर रहे हो हटो. मैं तुमसे नाराज़ हूँ और तुम……हटो….आआअहह.”

“हटाना पड़ेगा धकैल कर आपको खुद ही. इन सुंदर उभारो से खुद नही हटूँगा.”

रीमा हंस पड़ी इस बात पर, “बदमास हो तुम पक्के.”

“जैसा भी हूँ तुम्हारे सामने हूँ. मेरी बदमासी अपने भैया को मत बताना. बहुत चिदते हैं वो मुझसे. आग बाबूला हो जाएँगे वो.”

“पागल हो क्या. ये बातें क्या किसी को बताने की होती हैं.”

रोहित ने अब रीमा के दूसरे उभर को थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगा. बारी बारी से वो दोनो उभारो से खेल रहा था. कमरे में शिसकियाँ गूँज-ने लगी रीमा की.

“टांगे खोलो अपनी” रोहित ने कहा.

“ज़्यादा देर मत लगाना इस बार. पहले ही थॅकी हुई हूँ मैं .”

“ओके जी कम वक्त में बड़ा काम कर देंगे. आप टांगे खोल कर अपनी चूत के लिए रास्ता तो दीजिए” रोहित ने कहा.

रीमा ने हंसते हुए टांगे खोल दी. रोहित ने टांगे अपने कंधो पर रख ली और समा गया एक ही झटके में रीमा के अंदर.

“ऊऊऊओह…..म्‍म्म्ममम…..एक ही बार में डाल दिया क्या पूरा .”

“जी हां बिल्कुल आपको जल्दी निपटाना था काम मैने सोचा क्यों एक-एक इंच सरकाए. वक्त की कमी के कारण पूरा डाल दिया जी.”

“यू आर टू मच…..आआहह…अब जल्दी कीजिएगा हमें बाजार भी जाना है शाम को.”

“बिल्कुल जी ये लीजिए काम शुरू भी हो गया.” रोहित ने पहला धक्का मारा

“ऊऊहह एस.” रीमा कराह उठी.

फिर तो धक्को की बोचार हो गयी रीमा के अंदर. हर धक्के पर रीमा पागलो की तरह कराह रही थी.

अचानक रोहित का फोन बज उठा. उसने हाथ बढ़ा कर फोन उठाया और बोला, “हेलो”

“कहाँ हो तुम रोहित.” शालिनी की आवाज़ आई

“जी रेल बना रहा हूँ….म..मेरा मतलब अभी आ रहा हूँ मेडम. कोई ख़ास बात है क्या?”

“जल्दी आओ, कुछ अर्जेंट है.” शालिनी ने ये बोल कर फोन काट दिया.

रोहित तो बिल्कुल थम गया था.

“तुम तो रुक गये बिल्कुल. फोन करते वक्त भी एक-दो बार तो हिल ही सकते थे.”

“ऐसी कयामत है ये, इसकी आवाज़ सुन कर तो दुनिया थम जाए, मेरी तो औकात ही क्या है. मुझे जाना होगा.”

“क्या अधूरा काम छोड़ कर जाओगे…वेरी बॅड .”

“कोई चारा नही है रीमा. नही पहुँचा तुरंत तो मेरी नौकरी चली जाएगी. बड़ी मुस्किल से तो वापिस मिली है. तुम चिंता मत करो हमारी काम-क्रीड़ा जारी रहेगी.”

“फिर कब मिलोगे?”

“बाद में बताउन्गा, तुम नंबर फ़ीड कर दो मेरे फोन में अपना, मैं कपड़े पहनता हूँ.”

रोहित ने जल्दी से कपड़े पहने और रीमा को किस करके फ़ौरन निकल दिया वहाँ से.20 मिनिट में वो थाने पहुँच गया. थाने पहुँचते ही वो सीधा एएसपी साहिबा के कमरे की तरफ बढ़ा.

"यस मेडम, आपने याद किया."

"हां बैठो, क्या प्रोग्रेस है?"

"मेडम ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट लाया हूँ. 4 लोगो के पास है ब्लॅक स्कॉर्पियो शहर में." रोहित ने पेपर शालिनी की तरफ बढ़ाया.

"ह्म्म गुड, इस लिस्ट में विजय का नाम भी होगा." शालिनी ने पेपर पकड़ते हुए कहा.

"आपको कैसे पता ....." रोहित हैरान रह गया.

"चौहान ने बताया मुझे कि 6 महीने पहले विजय ने ब्लॅक स्कॉर्पियो खरीदी थी."

"पर चौहान तो यहाँ नही है, वो तो आउट ऑफ स्टेशन है"
 

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Update 68

"बेवकूफ़ फोन पे बात की मैने. मुझे विजय पर शक था. वो अक्सर ड्यूटी से गायब रहता है. मैने चौहान से फोन करके पूछा कि क्या विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है, तो उसका जवाब हां था. नज़र रखो विजय पर. इसीलिए बुलाया तुम्हे यहाँ."

"मैं खुद यही सोच रहा था मेडम."

"अब सोचो कम और काम ज़्यादा करो. मुझे कुछ नतीजा चाहिए जल्दी समझे वरना...."

"समझ गया मेडम, इज़ाज़त दीजिए मुझे."

"हां जाओ और विजय के साथ साथ बाकी तीनो पर भी नज़र रखो. साइको इन चारो में से ही कोई है."

"बिल्कुल मेडम ऐसा ही करूँगा. वैसे विजय कल से गायब है फिर से. आज भी ड्यूटी पर नही आया वो." रोहित ने कहा.

"तभी तो मुझे शक है उस पर. नाउ डोंट वेस्ट युवर टाइम."

"जी मेडम" रोहित ने कहा और उठ कर बाहर आ गया.

"उफ्फ जान निकाल देती हैं मेडम." रोहित ने बाहर आ कर कहा.

..............................

.....................................................

शाम के 6 बज रहे हैं. हल्का-हल्का अंधेरा होने लगा है.

सरिता विजय की पत्नी, बाजार से कुछ समान ले कर लौट रही है. घर पहुँच कर वो पाती है की उनके घर के बाहर कोई खड़ा है बाइक ले कर. वो उसे पहचान जाती है. "ये तो मोहित है."

मोहित सरिता को देखते ही बोला, आपका ही इंतेज़ार कर रहा था मैं. कैसी हैं आप."

"मैं ठीक हूँ, अंदर आइए."

सरिता ने दरवाजे का ताला खोला और मोहित को अंदर इन्वाइट किया.

"मेरे पति घर पर नही हैं. आप अच्छे वक्त पर आयें हैं. मैं बिना किसी चिंता के अपना क़र्ज़ उतार सकती हूँ."

"कहाँ हैं आपके पति देव."

"देल्ही गये हैं कल से किसी काम से. अब कल ही लोटेंगे"

"ह्म्म..."

"वैसे मुझे डर लग रहा है, पर अपना क़र्ज़ मैं चुकाना चाहती हूँ. आपके सामने हूँ आप जैसा चाहें कर सकते हैं."

"आप हर क़र्ज़ से आज़ाद हैं सरिता जी. मुझे आपसे कुछ नही चाहिए. मैं तो वैसे ही मिलने आया था. बस एक बात बता दीजिए अगर हो सके तो."

"जी पूछिए." सरिता ने कहा.

"आपके पति के पेट पर निशान क्यों है, बहुत बड़ा लंबा सा."

"आप क्यों जान-ना चाहते हैं?"

"प्लीज़ हो सके तो बता दीजिए...मुझसे कारण मत पूछिए."

"उस रात आपके जाने के बाद मेरे पति घर आए थे. उन पर साइको ने हमला किया था. उनके पेट पर वार किया. किसी तरह से बच गये वो. बड़ी मुस्किल से घर पहुँचे थे."

"ह्म्म तो आप कौन से हॉस्पिटल में ले गयी थी उन्हे."

"उन्होने मना कर दिया हॉस्पिटल जाने से. कह रहे थे की सबको पता चलेगा तो पोलीस की बदनामी होगी. वैसे मैं खुद एक डॉक्टर हूँ. मैने घर पर ही जैसे तैसे ऑपरेट किया. थॅंक गॉड सब कुछ ठीक रहा."

"ह्म्म....."

"आप ये सब क्यों जान-ना चाहते थे."

"कोई ख़ास बात नही वैसे ही. अब मैं चलता हूँ. टेक केर."

सरिता को तो कुछ भी समझ नही आ रहा था

मोहित आ गया चुपचाप बाहर और बाइक पर बैठ कर घर की तरफ चल दिया.

मोहित घर पहुँचा तो उसे अपने घर के बाहर पूजा खड़ी मिली.

"तुम यहाँ क्या कर रही हो पूजा. लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे"

"क्यों कर रहे हो ये सब. कुछ बदल नही जाएगा खून ख़राबे से."

"मैं कुछ समझा नही." मोहित ने हैरानी भरे शब्दो में कहा.

"मैने अभी अभी देखा कल का न्यूज़ पेपर. विक्की और परवीन को किसी ने बेरहमी से मार दिया."

"अच्छा हुआ वो लोग इसी लायक थे. पर उन्हे किसी ने नही बल्कि साइको ने मारा है."

"मेरी आँखो में देख कर बोलो क्यों कर रहे हो ये सब."

"अंदर चल कर बात करते हैं, लोग देख रहे हैं." मोहित ने कहा और कमरे का ताला खोल दिया. "आओ बैठ कर आराम से बातें करते हैं."

"कोई बात नही करूँगी जब तक ये सब बंद नही करोगे." पूजा ने कहा.

"तुम्हे कुछ ग़लत-फ़हमी हो गयी है. मैने कुछ नही किया ऐसा."

"मतलब की तुम रुकोगे नही, खून की होली खेलते रहोगे. मेरी चिंता नही तुम्हे बिल्कुल भी क्या."

"क्या मतलब.... आओ आओ अंदर आओ अब काम की बात की तुमने. पहली बार तुम्हारी आँखो में मेरे लिए प्यार दिखाई दे रहा है."

"ये प्यार नही तुम्हारे लिए चिंता है. रोक दो ये सब वरना तुमसे कभी बात नही करूँगी."

"2 लोग बाकी हैं अभी पूजा. न्याय पूरा करूँगा मैं अधूरा नही."

"मतलब तुम नही रुकोगे."

"नही."

पूजा चल पड़ी मूड कर अपने घर की तरफ. मोहित ने उसे रोकने की कोशिस नही की.

"तुम समझ नही रही हो पूजा. अगर ये लोग जिंदा रहे तो परेशान करते रहेंगे तुम्हे. इनका मारना ज़रूरी है. तभी तुम शांति से जी पाओगि.

पूजा चल तो पड़ी थी मूह फेर कर अपने घर की ओर पर उसके कदम आगे ही नही बढ़ रहे थे. बहुत धीरे-धीरे बढ़ रही थी वो आगे. वो किसी उधेड़बुन में थी. अचानक वो रुक गयी और अपने कदम वापिस मोहित के घर की तरफ मोड़ दिए. "मैं नही करने दूँगी मोहित को ये सब, उसे मेरी बात मान-नी पड़ेगी." पूजा ने ध्रिद निस्चय से कहा और तेज कदमो से चल पड़ी.

2 मिनिट में ही पूजा वापिस मोहित के घर के बाहर थी. मोहित ने पूजा के जाने के बाद दरवाजा बंद कर लिया था. वो नहाने की तैयारी कर रहा था. सारे कपड़े निकाल कर बस अंडरवेर में था. कंधे पर तोलिया टाँग रखा था.दरवाजा खड़का तो हड़बड़ा गया वो. फुर्ती से टोलिया लपेट कर दरवाजा खोला उसने.

"पूजा तुम रूको...रूको मैं कपड़े पहन लूँ" मोहित ने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया.

पूजा हंस पड़ी मोहित को ऐसी हालत में देख कर. मोहित ने तुरंत कपड़े पहन कर दरवाजा खोला, "आओ पूजा, मुझे लगा तुम चली गयी. मैं नहाने जा रहा था. सॉरी."

पूजा अंदर आ गयी और बोली, "मेरी खातिर रुक जाओ मोहित. मुझे ये सब ठीक नही लग रहा. तुम्ही बताओ क्या हाँसिल होगा मुझे उनके मरने से. कुछ भी तो नही. मेरे साथ जो होना था हो ही चुका है. कुछ भी तो बदल नही जाएगा. तुम बेकार में उनके गंदे खून से अपने हाथ रंग रहे हो."

"क्या तुम्हे नही लगता कि उन्हे उनके किए की सज़ा मिलनी चाहिए." मोहित ने कहा.

"सज़ा तो मुझे भी मिलनी चाहिए उस हिसाब से. मेरी खुद की कम ग़लतियाँ नही हैं. आँख मिच कर अपना सब कुछ सोन्प दिया था मैने विक्की को. क्या मैने ग़लत नही किया. चौहान और परवीन को मैने भी थोड़ा ही सही सहयोग तो दिया. क्या मैं पापी नही हूँ. मुझे मारो सबसे पहले. तुम मेरे लिए कर रहे हो ना ये सब. प्यार करते हो मुझसे तुम. लेकिन मोहित जिसे तुम प्यार करते हो उसके दामन पर दाग है. मैं तुम्हारे प्यार के लायक नही हूँ. मुझे भी तो मारो. मैं भी उतनी ही पापी हूँ जीतने की ये लोग जिन्हे तुम मारने पर उतारू हो." पूजा ने भावुक शब्दो में कहा.

"पूजा मुझे पता है किसकी कितनी ग़लती है. तुम्हारे साथ प्यार का नाटक हुआ, तुम्हारी वीडियो बनाई गयी. तुम्हे ब्लॅकमेल किया गया. चौहान ने तुम्हारी मजबूरी का फ़ायडा उठाया और अपने कुकर्म में परवीन को भी सामिल किया. मानता हूँ मैं कि थोड़ा सहयोग दिया होगा तुमने उन्हे. पर शायद वो सहयोग तुम्हारी मजबूरी थी. तुम्हारी कहानी सुन कर तो यही लगा था मुझे. तुम पापी हो ही नही सकती. पापी वो लोग हैं जिन्होने तुम्हारे मासूम चरित्र की धज्जियाँ उड़ाई. नही छोड़ूँगा मैं बाकी के 2 लोगो को भी."

"नही मोहित प्लीज़. कहने को प्यार करते हो मुझसे और मेरी एक बात भी मान-ने को तैयार नही. क्या यही प्यार है तुम्हारा. तुम ये भी नही सोच रहे हो कि अगर तुम्हे ही साइको समझ लिया गया तो फिर क्या होगा."

"क्या तुम प्यार करने लगी हो मुझसे पूजा जो कि इतनी चिंता कर रही हो मेरी."

"प्यार मेरे लिए एक कन्फ्यूषन बन गया है. प्यार नही कर पाउन्गि जिंदगी में दुबारा. इंसानियत के नाते तुम्हारी चिंता है मुझे."

"तुमने बाहर कहा था की क्या मेरी चिंता नही तुम्हे, क्यों कहा था ऐसा तुमने"

"तुम अगर मेरे लिए खून ख़राबा करोगे तो क्या ख़ुसी मिलेगी मुझे. परेशान ही तो रहूंगी. जब प्यार करते हो मुझसे तो क्या मुझे परेशानी में डालोगे. तुम ऐसा करोगे तो क्या मैं चिंता नही करूँगी तुम्हारी. ख़तरनाक खेल खेल रहे हो तुम जिसमे तुम्हारी जान भी जा सकती है."

"वाउ...तुम्हे मेरी फिकर हो रही है. यही तो प्यार है. देखा पटा ही लिया मैने तुम्हे." मोहित ने हंसते हुए कहा.

"दुबारा प्यार मेरे लिए असंभव है. प्यार नही है ये. तुम्हारी चिंता है मुझे और कुछ नही...मोहित. कर बैठती प्यार तुमसे इस दीवाने पन के लिए अगर प्यार में धोका ना खाया होता मैने. प्यार नही कर पाउन्गि तुम्हे, मजबूर हूँ अपने दिल के हातो. लेकिन तुम अगर मुझे सच में प्यार करते हो तो तुम्हे तुरंत ये खून ख़राबा बंद करना पड़ेगा."

मोहित ने गहरी साँस ली और बोला, "ठीक है पूजा, एनितिंग फॉर यू. लेकिन कम से कम इस विजय का खेल तो ख़तम करने दो. वही है वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा है."

"कौन विजय?"

"वही पोलीस वाला जो तुम्हे ज़बरदस्ती घर ले गया था. उसका नाम विजय है"

"अगर ऐसा भी है तो तुम क्यों क़ानून अपने हाथ में लेते हो. मेरे जीते जी तुम कुछ नही करोगे ऐसा समझ लो. मुझे मार दो फिर कर लेना जो करना है"

"अच्छा ठीक है बाबा. मैं ये बात इनस्पेक्टर रोहित को बता देता हूँ. देख लेंगे आगे वो खुद."

"थॅंक यू मोहित. बहुत शुकून मिला मेरे दिल को ये सुन कर. काश तुम मुझे पहले मिले होते." पूजा ने गहरी साँस ली.

"पूजा इंतेज़ार करूँगा तुम्हारा. मुझे यकीन है कि तुम मेरे प्यार से दूर नही रह पाओगि. मेरा प्यार सच्चा है तो तुम्हे भी प्यार हो ही जाएगा."

पूजा की आँखे भी भर आई और वो मुस्कुरा भी पड़ी मोहित की बात पर. एक साथ दो भावनाए जाग गयी थी पूजा के अंदर. "मैं चलती हूँ मोहित. दीदी मेरे लिए परेशान हो रही होगी."

"मिलती रहना मुझसे, एक आचे दोस्त तो हम रह ही सकते हैं."

"हां बिल्कुल" पूजा मोहित की आँखो में देख कर मुस्कुराइ और धीरे से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गयी.

"कितना प्यार है तुम्हारी आँखो में मेरे लिए, पर तुम स्वीकार नही करना चाहती इस प्यार को. देखता हूँ मैं भी कब तक धोका दोगि खुद को." मोहित ने कहा.
 
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Update 69


रोहित ने भोलू को बुलाया और कहा, "सब-इनस्पेक्टर विजय की फोटो चाहिए मुझे."

"उनकी फोटो का क्या करेंगे सर."

"है कुछ काम, तुम फोटो लाओ."

"जी सर."

रोहित ने भोलू के जाने के बाद राज शर्मा को फोन मिलाया, "हेलो राज शर्मा, एक बात बताओ क्या पद्‍मिनी ने सब-इनस्पेक्टर विजय को देखा है क्या"

"नही सिर विजय उसके सामने नही आया कभी." राज शर्मा ने जवाब दिया.

"ह्म्म कल सुबह मैं विजय की फोटो लेकर आउन्गा पद्‍मिनी को दिखाने के लिए. मुझे लग रहा है कि विजय ही साइको है."

रोहित ने अचानक फोन काट दिया. उसके दरवाजे पर विजय खड़ा था.

"गुड ईव्निंग सर कैसे हैं आप." विजय ने कहा.

"विजय तुम आओ...आओ." रोहित ने कहा.

"अभी अभी देल्ही से आया हूँ सर. जल्द मिलूँगा आपसे." विजय कह कर चला गया वहाँ से.

"वेरी स्ट्रेंज. मैं उसका सीनियर हूँ, अंदर बुला रहा हूँ और वो टाल कर चला गया. शायद उसने फोन पर मेरी बाते सुन ली." रोहित सोच में पड़ गया.

तभी रोहित का फोन बाज उठा. फोन उसकी छोटी बहन पिंकी का था.

"भैया मेरे बर्तडे पर तो वक्त से आ जाओ. मम्मी, पापा भी नही हैं आज यहाँ. ऐसा बर्तडे कभी नही मना मेरा कभी ." पिंकी ने कहा.

"आ रहा हूँ बस थोड़ी देर में. बता क्या गिफ्ट लाउ तेरे लिए."

"मुझे कॅश दे देना मैं खुद खरीद लूँगी. तुम्हारा लाया गिफ्ट कभी अच्छा नही लगता ."

"जैसी तेरी मर्ज़ी.... आ रहा हूँ थोड़ी देर में."

कुछ देर रोहित यू ही बैठा रहा और विजय के बारे में सोचता रहा. "इसे रंगे हाथ पकड़ना होगा तभी बात बनेगी....फिलहाल घर चलता हूँ वरना पिंकी जान ले लेगी."

रोहित चल दिया अपनी जीप में घर की तरफ. रास्ते से उसने एक शोरुम से जीन्स खरीद ली पिंकी के लिए. घर पहुँच कर रोहित ने चुपचाप दरवाजा खोला. "ये अंधेरा क्यों कर रखा है पिंकी ने." रोहित ने तुरंत लाइट जलाई.

मगर लाइट जला कर जैसे ही वो मुड़ा उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. ड्रॉयिंग रूम के बीचो बीच एक कुर्सी पर पिंकी बैठी थी बिना कपड़ो के. उसके हाथ बँधे हुए थे. उसके बिल्कुल पीछे एक नकाब पोश खड़ा था जिसने की पिंकी के सर पर बंदूक तान रखी थी.

"मैने सोचा बर्तडे पर मैं भी शामिल हो जाउ...हहहे. अपनी पिस्टल मुझे दे दो और हाथ उपर करके खड़े हो जाओ." नकाब पोश ने कहा.

"विजय यू बस्टर्ड...तुम्हारी इतनी हिम्मत"

"मेरे पीछे पड़े हो हा. आज पता चलेगा तुम्हे...हाहाहा. जल्दी से अपनी पिस्टल मुझे दो वरना तुम्हारी बहन का भेजा उड़ा दूँगा."

रोहित के पास कोई चारा नही था. उसने बंदूक निकाल कर ज़मीन पर रख दी और पाँव से ठोकर मार कर नकाब पोश की तरफ धकैल दी.

"गुड.... अब अपने हाथ उपर करो. कोई भी हरकत की तो अंजाम बहुत बुरा होगा सर हाहाहा."

“मिस्टर रोहित पांडे सामने सोफे पर देखो एक इंजेक्षन पड़ा है. वो लगा लो अपने हाथ में. और कोई भी होशियारी की तो भेजा उड़ा दूँगा तुम्हारी बहन का.”

“तुम चाहते क्या हो?”

“चुपचाप वो इंजेक्षन लगाओ…वरना देर नही करूँगा इसका भेजा उड़ाने में.”

रोहित ने इंजेक्षन उठाया और बोला, “मुझे ये इंजेक्षन लगाना नही आता. मैं कोई डॉक्टर नही हूँ जो इंजेक्षन ठोक लूँ अपने हाथ में.”

“ज़्यादा बकवास मत करो…कुछ ज़्यादा नही करना तुम्हे…बस इंजेक्षन घुसा लो कही भी हहहे.”

“तुम पागल हो.”

“हाहाहा…जल्दी करो वरना…”

रोहित सोच में पड़ गया. “

“क्या सोच रहे हो जल्दी करो….वरना.”

“तुम ये सब क्यों कर रहे हो.”

“ज़्यादा बाते मत करो जो कहा है वो करो…वरना” नकाब पोश ने पिंकी के मूह पर चाँटा मारा. उसका मूह पहले से सूजा हुआ था. वो रोने लगी चाँटा पड़ते ही.

“चुप कर साली, अपने भैया को बोल जो कहा है वो करे वरना तेरा वो हाल करूँगा कि तेरी रूह काँप उठेगी.

“कामीने दूर रह मेरी बहन से वरना जिंदा नही छोड़ूँगा तुझे.” रोहित चिल्लाया.

“अच्छा ये ले एक और मारा साली को.”

“भैया……मुझे बचा लो….”

“तुम चाहते क्या हो सॉफ-सॉफ बोलो. ये इंजेक्षन मैं क्यों लगाउ.”

“क्योंकि मैं कह रहा हूँ इसलिए. अब मैं दुबारा नही कहूँगा. ज़रा भी देर की तो इसका भेजा उड़ा दूँगा.”

रोहित असमंजस में पड़ गया की क्या करे क्या ना करे. “देखो एक बात ध्यान से सुनो. तुम मुझे गोली मार दो बेसक पर मेरी बहन को कुछ मत करो. उसे इस सब से दूर रखो. वो ये सब नही सह सकती. प्लीज़.”

“आया तो मैं तुम्हे मारने ही था. ये मिल गयी तो मज़ा और भी ज़्यादा आएगा. बर्तडे के लिए घर सज़ा रखा है पर किसी को बुलाया ही नही. ऐसा क्यों. अच्छा किया जो मैं आ गया. हहहे.”

“तुम आख़िर चाहते क्या हो.”

“मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी बहन मेरा लंड चूसे और तुम चुपचाप बैठ कर देखो. बोलो करोगे ऐसा.”

“विजय तुम्हे शरम आनी चाहिए…ये सब बोलते हुए. क्या तुम्हारी कोई बहन नही.”

“अब तुम पहचान ही गये हो मुझे तो ये नकाब उतार देता हूँ हहहे.” विजय ने नकाब उतार दिया.

“विजय मार दो मुझे अभी…क्योंकि अगर मैं बच गया तो बहुत बुरी मौत दूँगा तुम्हे.”

“हाहाहा, अगर तुम मेरे पीछे ना पड़ते तो ये नौबत नही आती. रहीं बात तुम्हारे मरने की तो वो तो तुम्हे मारना ही है. तुम्हारे साथ तुम्हारी बहन भी मरेगी हाहाहा.”

“तो फिर मारो गोली ये इंजेक्षन का नाटक किसलिए कर रहे हो. चलाओ गोली किस बात का इंतेज़ार कर रहे हो.” रोहित चिल्लाया.

“तुम्हारी बहन बहुत सेक्सी है सिर, सोच रहा था कि आप बेहोश हो जाते तो कुछ मौज मस्ती कर लेता और फिर तुम दोनो का काम ख़तम कर देता. पर नही मुझे लगता है तुम अपनी बहन को चुद-ते हुए देखना चाहते हो.”

रोहित सुन नही पाया ये सब और उसने इंजेक्षन फेंक कर मारा विजय की तरफ. विजय ने फाइयर किया रोहित की तरफ मगर निशाना चूक गया. तब तक रोहित ने आगे बढ़ कर विजय को दबोच लिया. दोनो ज़मीन पर गिर गये. विजय के हाथ में इंजेक्षन आ गया और उसने वो रोहित के गले में गाढ दिया. रोहित के हाथ गन तो आ गयी थी मगर वो चला नही पाया. बेहोश हो कर वो वही गिर गया.

“अब तुम्हारा बर्तडे अच्छे से मनाएँगे हम हाहहाहा.”

“प्लीज़….क्यों कर रहे हो तुम ऐसा.”

“चुप कर साली. मुझे तेरे जैसी कॉलेज गर्ल्स बहुत पसंद है. अभी कुछ दिन पहले एक कॉलेज गर्ल की अच्छे से ली थी. वाह क्या मज़ा दिया था उसने. तू भी मज़े कर आज अपने जनमदिन पर. मरने से पहले थोड़ा मज़ा कर लेगी तो तेरी आत्मा को शांति मिलेगी हाहाहा.”

विजय ने रोहित को एक कुर्सी ले कर उस पर रस्सी से बाँध दिया काश कर और उसके गले पर एक इंजेक्षन लगा दिया. “जल्दी ही होश आ जाएगा इसे और ये खुद तुझे चुद-ते हुए देखेगा. एक बार बहुत डांटा था इसने मुझे एक बात पर पिछले साल. वो भी दो लोगो के सामने. आज तक मैं चुपचाप रहा. पर ये तो मेरे पीछे ही पड़ गया. आज मेरा बदला पूरा होगा.हाहाहा”

“प्लीज़ ऐसा अनर्थ मत करो.” पिंकी सुबक्ते हुए बोली.

“कुछ भी बोलो, मैं तुम्हारी ले कर रहूँगा वो भी तेरे इस भाई के सामने हहहे.”

“तुम सच में साइको हो.”

“हाहहाहा…बहुत खूब….देख देख तेरे भाई को होश आ गया. वेलकम बॅक सर. कैसे हैं आप.”

“विजय तुम्हे तुम्हारे गुनाहो की सज़ा ज़रूर मिलेगी. मैं नही दे पाया तो कोई और देगा मगर तू मरेगा ज़रूर. मैं तो हैरान हू कि तुम्ही हो वो साइको जिसने शहर में आतंक मचा रखा था.”

“ज़्यादा बकवास मत करो और देखो तुम्हारी बहन कैसे मज़े देती है मुझे.”

विजय ने अपनी ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और उसे पिंकी के मूह के आगे झुलाने लगा, “ले अपने बर्तडे के दिन ब्लो जॉब का मज़ा ले हाहाहा.”

“कमिने दूर हटो उस से वरना खून पी जाउन्गा तुम्हारा मैं.”

विजय ने अपनी बंदूक एक तरफ रख दी और पिंकी के उभारो को पकड़ लिया दोनो हाथो से.

कमरे में चींख गूँज उठी पिंकी की. बहुत दर्दनाक चींख. बहुत ज़ोर से दबाया था विजय ने उसके उभारो को.

“कमिने हट जा वरना तेरा वो हाल करूँगा की तेरी रूह काँप उठेगी.”

“अगर तुमने अपना मूह खोल कर ये लंड चूसना शुरू नही किया तो मैं ये बूब्स और ज़ोर से दबाउन्गा.”

पिंकी ने मूह खोलने की बजाए मूह और कस कर बंद कर लिया और अपनी आँखे बंद कर ली.

“अच्छा ये बात है. मैं भी देखता हूँ कि तुम मूह कैसे नही खोलती.” विजय ने अपनी बंदूक उठा ली और रोहित की तरफ तान दी.

“अगर तुरंत मूह खोल कर ये लंड तुमने मूह में नही लिया तो मैं तेरे भाई का भेजा उड़ा दूँगा.”

“पिंकी…कुछ मत करना ऐसा. मर जाने दो मुझे बेसक. मगर इसकी कोई बात मत मान-ना.” रोहित ने भावुक हो कर कहा.

“वाह भाई वाह…क्या बात है. देखता हूँ मैं भी कि ये किसकी बात मानती है. मेरी या तुम्हारी.”

विजय ने अपने लिंग को पिंकी के बंद मूह पर रगड़ना शुरू कर दिया, “जल्दी खोल ये मूह वरना तेरा भाई मारा जाएगा. बिल्कुल चिंता नही है क्या तुझे अपने भाई की. अपने भाई के लिए इतना भी नही कर सकती . कैसी बहन है तू. ठीक है फिर देख अपने भाई को मरते हुए.”

“नही रूको…”

“नही पिंकी…नही…ओह नो…” रोहित ने आँखे बंद कर ली.

पिंकी ने मूह खोल दिया था और विजय ने झट से अपने लिंग को उसके मूह में डाल दिया था. पिंकी की आँखो से आँसुओ की बरसात होने लगी. रोहित छटपटा रहा था कुर्सी पर. आँख खोल कर नही देख पाया कि उसकी छोटी बहन के साथ क्या हो रहा है. आँखे भर आई उसकी ऐसी हालत में. खुद को बहुत ही असहाय महसूस कर रहा था वो. बहुत कोशिस की उसने रस्सी से आज़ाद होने की मगर विजय ने उसे बहुत मजबूती से बाँध रखा था.

विजय ने पिंकी के बॉल खींचे ज़ोर से और बोला, “अच्छे से चूस साली ये क्या मज़ाक लगा रखा है. बिल्कुल मज़ा नही आ रहा.”

इतनी ज़ोर से बॉल खींचे थे विजय ने कि पिंकी ज़ोर से कराह उठी थी. विजय ने उसके मूह से लिंग निकाल लिया और बोला, “कोई फ़ायडा नही तेरे मूह में लंड रखने का. तेरी चूत में डालता हूँ.”

विजय ने बहुत ज़ोर से दबाया फिर से पिंकी के उभारो को. इस बार वो और भी ज़्यादा ज़ोर से चीखी. विजय ने पिंकी के हाथ पाँव खोल दिए कुर्सी से और उसे फर्श पर पटक दिया. कराह उठी पिंकी.

“विजय!” रोहित बहुत ज़ोर से चिल्लाया.

“क्या बात है सर, खोल ही ली आपने आँखे. अब देखिए मैं कैसे लेता हूँ आपकी बहन की हहहे.”

तभी अचानक धदाम की आवाज़ हुई.

“ये कैसी आवाज़ थी.” विजय ने हैरानी में कहा.

रोहित समझ गया कि आवाज़ घर के पीछे से आई है. मगर वो कुछ नही बोला.

“क्या कोई और भी है तुम दोनो के अलावा घर में.” विजय ने पिंकी के बॉल खींचते हुए कहा

“कोई और नही है, बस हम दोनो ही हैं. साथ वाले घर में बच्चे धूम मचाते रहते हैं. वही से आवाज़े आती रहती हैं ऐसी.”

“ह्म्म ठीक है सर, अब आप अपनी बहन को चुद-ते हुए देखिए. आपके घर में भी खूब आवाज़े होंगी अब.”

विजय बंदूक एक तरफ रख कर पिंकी के उपर चढ़ गया. पिंकी ने अपनी आँखे बंद कर ली. “क्या बात है, सो क्यूट. मज़ा आएगा तेरी लेने में.”

“विजय!” रोहित चिल्लाया और बहुत छटपटाया कुर्सी पर.

“हां सर बोलिए क्या बात है…आप बता दीजिए कि कौन सी पोज़िशन में लूँ मैं आपकी बहना की. ये ठीक रहेगी या दोगि स्टाइल लगा लूँ. हाहाहा.”

“कमिने तुझे भगवान कभी माफ़ नही करेंगे” रोहित चिल्लाया.

“हाहहाहा….क्या बात है सर….बस आप माफ़ कर देना, भगवान को मैं संभाल लूँगा.”

पिंकी बहुत छटपटा रही थी विजय के नीचे मगर विजय ने उसे पूरी तरह काबू में कर रखा था. “एक बार घुस्वा लो मेरी जान क्यों छटपटा रही हो. मरने से पहले एक चुदाई तुम्हे अच्छी लगेगी..सच कह रहा हूँ हहहे….क…क…कौन है.” विजय हंसते हंसते अचानक हैरानी में बोला.

“तेरा बाप हूँ बेटा.” मोहित ने विजय को पिंकी के उपर से खींच लिया और उसे ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया और टूट पड़ा उस पर.

विजय जल्दी ही संभाल गया और दोनो के बीच जबरदस्त हाथापाई शुरू हो गयी. कभी मोहित हावी होता था तो कभी विजय.

मोहित के हाथ बंदूक आ गयी किसी तरह. और उसने रख दी विजय के सर पर, “बस खेल ख़तम होता है तुम्हारा. किसी को वादा किया है खून ना बहाने का वरना अभी उड़ा देता भेजा तुम्हारा.”

मगर अचानक विजय ने मोहित की गर्दन पर इंजेक्षन गाढ दिया. मोहित दर्द से कराह उठा. उसकी आँखो के आगे अंधेरा छाने लगा और वो गिर गया विजय के उपर बेहोश हो कर. मगर इस दौरान पिंकी ने एक अच्छा काम किया. उसने रोहित के हाथ, पाँव खोल दिए. “पिंकी तुम अपने कमरे में जाओ…और कुण्डी लगा लो.”

पिंकी तुरंत भाग गयी वहाँ से और अपने कमरे में आ गयी.

विजय ने मोहित को एक तरफ धकेला और उसके हाथ से बंदूक ले कर रोहित की तरफ तान दी. मगर रोहित आगे ही बढ़ता गया रुका नही.
 

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“क्या हुआ चलाओ गोली…रुक क्यों गये.”

“गोली तो तुम्हे मारूँगा ही मैं.” विजय करूरता से बोला.

मगर अगले ही पल बंदूक उसके हाथ से छ्छूट गयी. रोहित ने वार ही कुछ ऐसा किया था. विजय के हाथ पर ही मुक्का मारा था ज़ोर से रोहित ने.

अगला मुक्का विजय के मूह पे लगा. मुक्का इतनी ज़ोर का था कि विजय के 2 दाँत बाहर आ गये और उसका मूह खून से लथपथ हो गया.

उसके बाद तो वो पिता रोहित ने विजय को कि पूछो मत. बहुत ज़्यादा गुस्से में था रोहित. विजय ने हरकत ही कुछ ऐसी की थी. बहुत प्यार करता था रोहित अपनी बहन को और उसने उसके साथ इतनी गंदी हरकत की थी. रोहित रुका नही एक भी बार.

“मेरी बहन को छुआ तूने कामीने, ये हाथ काट डालूँगा मैं. साइको है तू हां, आज तेरा साइको पना निकालता हूँ.” रोहित ने घूँसो की बोचार शुरू कर दी विजय पर.

विजय को खूब पीट कर रोहित ने अपनी बंदूक उठा ली और विजय के सर पर रख दी.

“मुझे जैल में डाल दो. मैने ग़लती की है. मुझे माफ़ कर दो. क़ानून जो सज़ा देगा मुझे मंजूर होगी.”

“क़ानून नही, सज़ा मैं दूँगा तुझे. तेरे पाप का घड़ा भर चुका है अब. न्याय अभी और इसी वक्त होगा.”

“देखो मैं साइको किल्लर नही हूँ.”

“अच्छा फिर कौन हो तुम, उसके भाई हो या बेटे हो…कौन हो.”

“मैं सच कह रहा हूँ. मैं साइको नही हूँ. हां मैने ग़लत किया तुम्हारी बहन के साथ. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था. मुझे जैल में डाल दो…मैं भुगत लूँगा चुपचाप अपनी सज़ा.”

“हर मुजरिम पकड़े जाने पर यही कहता है. तुम तो एस.आइ. हो ये बात तो तुम जानते ही होंगे.”

“हां पर मैं सच बोल रहा हूँ. मैं साइको नही हूँ.” विजय गिड़गिडया.

“मुझे आज कम सुन रहा है. और मेरा दिमाग़ भी खराब हो रखा है. मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि तुम क्या कह रहे हो. एनीवे हॅव ए नाइस जर्नी टू दा हेल…गुड बाइ.” रोहित ने कहा और विजय का भेजा उड़ा दिया. उसके खून की छींटे उसके मूह पर भी पड़ी.

रोहित ने तुरंत अपनी जेब से फोन निकाला और एएसपी साहिबा को फोन किया, “मैने गोली मार दी है साइको को मेडम…मेरे घर पर लाश पड़ी है उसकी…नही रोक सका खुद को सॉरी.”

बस इतना कह कर फोन काट दिया रोहित ने.

शालिनी 20 मिनिट में पहुँच गयी रोहित के घर. रोहित गुमशुम चुपचाप बैठा था सोफे पर पिंकी के साथ.

दरवाजा खुला ही रख छोड़ा था रोहित ने. मोहित को भी होश आ गया था. रोहित ने शालिनी को फोन करने के बाद डॉक्टर को फोन करके बुला लिया था. डॉक्टर के इंजेक्षन के बाद मोहित को होश आ गया था.

“कौन था ये…रोहित.” शालिनी ने पूछा. शालिनी खून से लटपथ चेहरे को पहचान नही पाई.

“वही जिस पर हमें शक था मेडम, विजय.”

“तुम्हे ये नही करना चाहिए था. अब मुझे मजबूर हो कर तुम्हारे खिलाफ कुछ आक्षन लेना पड़ेगा.”

“ले लीजिए जो आक्षन लेना है…मगर मैं इसे किसी भी हालत में जिंदा नही छ्चोड़ सकता था…मेरे सामने इसने मेरी बहन के साथ…….” आंशु भर आए रोहित की आँखो में.

“बस भैया….बस.” पिंकी ने रोहित के सर पर हाथ रखा.

“ह्म्म…रोहित, ये गोली तुमने सेल्फ़ डिफेन्स में मारी है, ईज़ दट क्लियर.”

“जैसा आप कहें मेडम, मैने आपको सब सच बता दिया.” रोहित ने शालिनी की आँखो में देख कर कहा.

“ये बात हम दोनो के बीच रहेगी. धिंडोरा मत पीटना कि तुमने साइको को गोली मार दी. समझे.” शालिनी ने कहा.

“समझ गया मेडम, समझ गया.” रोहित ने कहा.

“चलो ये केस आख़िर कार क्लोज़ हो गया, कंग्रॅजुलेशन रोहित, गुड जॉब.”

रोहित ने शालिनी की आँखो में देखा और बोला, “थॅंक योउ मेडम…सब आपकी डाँट का नतीजा है.”

शालिनी हंस पड़ी इस बात पर, “वो तो है, और ये मत सोचना कि आगे डाँट नही पड़ेगी. अभी और भी बहुत केसस पड़े हैं जिन्हे तुम्हे हॅंडल करना है. ईज़ दट क्लियर.” हँसी के बाद शालिनी की बात में थोड़ी कठोरता आ गयी थी.

“बिल्कुल मेडम…सब क्लियर है.”

शालिनी की नज़र मोहित पर पड़ी तो वो बोली, "ये यहाँ क्या कर रहा है?"

"ये अगर वक्त पे ना आता तो मेरे सामने ही मेरी बहन का रेप हो जाता. हां मोहित पर तुम यहाँ आए कैसे " रोहित ने कहा.

"मैं आपको बताना चाहता था कि विजय ही साइको है. मैं विजय की बीवी से मिला था. उसने मुझे बताया कि विजय उस रात घायल अवस्था में घर लोटा था जिस रात मेरी साइको से झड़प हुई थी. विजय के पेट को उसकी बीवी ने घर पर ही शिया. इतना क्लू काफ़ी था मुझे समझने के लिए कि विजय ही साइको है. बस ये बात बताने मैं थाने पहुँचा आपसे मिलने. वहाँ पता चला कि आप घर चले गये हैं. आपके घर का अड्रेस ले कर यहाँ आ गया. जब मैं दरवाजे की बेल बजाने लगा तो मुझे अंदर से किसी के चीखने की आवाज़ आई. मैं समझ गया कि कुछ गड़बड़ है. मैने खिड़की से झाँक कर देखा तो मेरे होश उड़ गये. मैं आपके घर के पीछे गया और पीछे का दरवाजा तौड दिया. वही से अंदर आया मैं. बाकी तो आपको पता ही है."

"ह्म्‍म्म....आवाज़ तो हुई थी पीछे, पर ये नही सोचा था मैने कि तुम आए हो." रोहित ने कह कर मोहित को गले लगा लिया "तुम वक्त पर ना आते तो अनर्थ हो जाता. मैं खुद को कभी माफ़ नही कर पाता कि मेरे सामने......"

"अपना फ़र्ज़ निभाया मैने और कुछ नही. मैं चलता हूँ अब." मोहित ने कहा.

विजय की डेड बॉडी को वहाँ से हटा लिया गया. सबके जाने के बाद रोहित ने पिंकी से कहा, "कितना कुछ सहना पड़ा तुम्हे मेरे होते हुए. मुझे माफ़ कर दे."

"भैया ऐसा मत बोलो. उसने हालात ही कुछ ऐसे पैदा कर दिए थे. चलो अब मेरा गिफ्ट दो."

रोहित ने गले लगा लिया पिंकी को और बोला, "दुनिया में सबसे ज़्यादा प्यार करता हूँ मैं तुम्हे."

"मुझे पता है भैया, पता है मुझे."

दोनो भाई बहन भावुक हो रहे थे. उनके रिस्ते में और ज़्यादा गहराई आ गयी थी इस वाकये के बाद.

..............................

...........................................

अगले दिन सुबह से ही हर न्यूज़ चॅनेल पर एक ही ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी. विजय की तस्वीर दिखाई जा रही थी और बताया जा रहा था कि कैसे एक पोलीस वाला ही साइको निकला. विजय की बीवी का इंटरव्यू दिखाया जा रहा था जो कि मान-ने को तैयार नही थी कि उसका पति साइको था.

राज शर्मा को ये बात रात को ही पता चल गयी थी. मोहित ने फोन करके उसे सब कुछ बता दिया था. वो ये सुनते ही पद्‍मिनी के घर के दरवाजे की तरफ लपका. रात के 11 बज रहे थे तब. उसने बेल बजाई तो पद्‍मिनी के डेडी ने दरवाजा खोला.

"मुझे अभी अभी पता चला कि साइको मारा गया, क्या मैं पद्‍मिनी जी से मिल सकता हूँ."

"मारा गया वो.....बहुत अच्छा हुआ...अब मेरी बेटी शकुन से जी पाएगी."

"क्या मैं मिल सकता हूँ पद्‍मिनी जी से." राज शर्मा ने कहा.

"वो अभी सोई है गोली ले कर. उसे उठाना ठीक नही होगा."

"चलिए कोई बात नही मैं उनसे कल सुबह मिल लूँगा."

"हां बेटा कल सुबह मिल लेना...."

राज शर्मा तड़प रहा था ये न्यूज़ पद्‍मिनी को सुनने के लिए. मगर कोई चारा नही था उसके पास. जब वो वापिस जीप में आया तो उसे शालिनी का फोन आया, "राज शर्मा साइको विजय ही था आंड ही ईज़ डेड नाउ."

"हां पता चला मुझे मेडम."

"तुम्हारी वहाँ की ड्यूटी ख़तम होती है. तुम अब घर जा सकते हो. कल सुबह थाने आ जाना. और हां बाकी जो भी हैं तुम्हारे साथ उन सब की भी छुट्टी कर दो और कल सुबह थाने आने को बोल दो."

"जी मेडम."

राज शर्मा ने बाकी सभी को भेज दिया मगर खुद अपनी जीप में वही बैठा रहा. उसे पद्‍मिनी से एक बार बात जो करनी थी. बैठा रहा बेचैन दिल को लेकर चुपचाप जीप में. अचानक उसे पता नही क्या सूझी पद्‍मिनी के कमरे की खिड़की को देखते वक्त कि वो उठा और चल दिया उस खिड़की की तरफ.

"ह्म्म चढ़ा जा सकता है उपर." राज शर्मा ने सोचा.

पता नही उसे क्या हो गया था. बिना सोचे समझे चढ़ गया किसी तरह वो दीवार के सहारे और पहुँच गया उस खिड़की तक जिसमे से पद्‍मिनी झँकति थी. खिड़की के सीसे को खड़काया उसने. पद्‍मिनी वाकाई सोई हुई थी. मगर खिड़की के उपर हो रही ठप-ठप से उसकी आँख खुल गयी.

"कौन दरवाजा पीट रहा है इस वक्त" पद्‍मिनी ने आँखे खुलते ही कहा. मगर जल्दी ही वो समझ गयी कि आवाज़ दरवाजे से नही खिड़की से आ रही है. पद्‍मिनी हैरान रह गयी. वो उठी डरते-डरते और खिड़की का परदा हटाया, "राज शर्मा तुम ..........तुम यहाँ क्या कर रहे हो."

"पद्‍मिनी जी साइको मारा गया, अब आपको चिंता की कोई ज़रूरत नही है"

पद्‍मिनी को समझ नही आया कि वो कैसे रिक्ट करे.

"क्या हुआ ख़ुसी नही हुई आपको. मुझे तो बहुत ख़ुसी मिली ये जान कर की अब आपकी जान को कोई ख़तरा नही है."

"राज शर्मा तुम गिर गये तो, ऐसे यहाँ आने की क्या ज़रूरत थी."

"मैने आपके डेडी को बताई ये बात. आपसे मिलने की रिक्वेस्ट भी की मैने. पर उन्होने कहा कि आप गोली ले कर सो रही हैं. रहा नही गया मुझसे और मैं यहाँ आ गया."

"ठीक है, जाओ अब वरना गिर जाओगे."

"आपसे बात करना चाहता हूँ कुछ क्या आप रुक सकती हैं थोड़ी देर."

"पागल हो गये हो क्या, यहाँ खिड़की में टँगे हुए बात करोगे. जाओ अभी बाद में बात करेंगे."

"ठीक है जाता हूँ अभी मगर आप भूल मत जाना मुझे. मेरी यहाँ की ड्यूटी ख़तम होती है. मगर फिर भी मैं सुबह ही जाउन्गा यहाँ से. पूरी रात रोज की तरह आपके घर के बाहर ही गुज़ारुँगा."

"क्यों कर रहे हो ऐसा तुम?"

"फिर से कहूँगा तो आप थप्पड़ मार देंगी."

"नही मारूँगी बोलो तुम."

"प्यार करते हैं आपसे, कोई मज़ाक नही."

"एक बात करना चाहती थी तुमसे मगर अभी नही बाद में. तुम अभी जाओ किसी ने देख लिया तो मेरी बदनामी होगी. क्या तुम्हे अच्छा लगेगा ये."

"नही नही पद्‍मिनी जी मुझे ये बिल्कुल अच्छा नही लगेगा. मैं जा रहा हूँ. मगर मैं सुबह तक यही रहूँगा."

पद्‍मिनी हंस पड़ी राज शर्मा की बात पर और बोली, "जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"

"बुरा ना माने तो एक बात कहूँ, थप्पड़ मत मारिएगा."

"हां-हां बोलो."

"आपके चेहरे पर हँसी बहुत प्यारी लगती है, आप हमेशा हँसती रहे यही दुवा करता हूँ."

तभी पद्‍मिनी के रूम का दरवाजा खड़का, "तुम जाओ अब, शायद मम्मी आई हैं. दुबारा मत आना."

"ठीक है, सुबह आपसे मिल कर ही जाउन्गा." राज शर्मा ने कहा.

"अब जाओ भी." पद्‍मिनी ने दाँत भींच कर कहा.

राज शर्मा झट से नीचे उतर गया. उसके चेहरे पर हल्की हल्की मुस्कान थी. "पद्‍मिनी जी कितने प्यार से मिली. थप्पड़ भी नही मारा. कितनी बदल गयी हैं वो."

पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला. उसकी मम्मी ही थी. "कैसी तबीयत है"

"ठीक है मम्मी, सर में दर्द है हल्का सा अभी."

"तुम फोन पे बात कर रही थी क्या?"

पद्‍मिनी सोच में पड़ गयी. झूठ बोला पड़ा उसे, "ओह हां मैं फोन पर थी."

"सो जाओ बेटा, आराम करो... तभी तबीयत जल्दी ठीक होगी" पद्‍मिनी की मम्मी कह कर चली गयी.

"क्या ज़रूरत थी राज शर्मा को खिड़की में आने की. बेवजह झूठ बोलना पड़ा." पद्‍मिनी लेट गयी बिस्तर पर वापिस और सो गयी.
 

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Update 71

अगली सुबह पद्‍मिनी जल्दी उठ गयी और अपने कमरे का टीवी ऑन किया. वो साइको की न्यूज़ सुन-ना चाहती थी. उसे पता था कि टीवी पर ज़रूर साइको की न्यूज़ चल रही होगी.

जब उसने न्यूज़ देखनी शुरू की तो राहत मिली दिल को कि साइको सच में मारा गया. मगर जब टीवी पर विजय की तस्वीर दिखाई गयी तो उसके पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

" ये साइको नही है" पद्‍मिनी बड़बड़ाई.

उसने तुरंत खिड़की से परदा हटा कर बाहर देखा. राज शर्मा जीप में बैठा सो रहा था. वो तुरंत भाग कर सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आई और दरवाजा खोल कर राज शर्मा की जीप की तरफ बढ़ी.

उसने राज शर्मा का कंधा पकड़ कर हिलाया.

"क...क...कौन है." राज शर्मा हड़बड़ा कर उठ गया. "पद्‍मिनी जी आप"

"वो जो मारा गया वो साइको नही है."

"क्या आपको कैसे पता चला." राज शर्मा ने हैरानी में पूछा.

"मैने अभी-अभी न्यूज़ देखी. मरने वाला साइको नही कोई और है."

"ओह नो." राज शर्मा जीप से बाहर आता है और तुरंत एएसपी साहिबा को फोन लगाता है.

"मेडम विजय साइको नही था, पद्‍मिनी जी ने अभी न्यूज़ देख कर बताया कि विजय साइको नही है."

"क्या " शालिनी भी हैरान रह गयी.

"राज शर्मा फोन दो ज़रा पद्‍मिनी को." शालिनी ने कहा.

राज शर्मा ने फोन पद्‍मिनी को पकड़ा दिया, एएसपी साहिबा बात करना चाहती हैं"

"हां पद्‍मिनी क्या राज शर्मा जो बोल रहा है वो ठीक है?"

"जी हां मेडम....जिसे मारा गया है वो साइको नही है."

"जीसस...फोन दो राज शर्मा को."

"राज शर्मा ये लो बात करो." पद्‍मिनी ने फोन वापिस थमा दिया राज शर्मा को.

"हां राज शर्मा तुम वही रूको. बाकी की तुम्हारी टीम कहाँ है."

"उन्हे तो मैने भेज दिया था रात ही आपसे बात करने के बाद."

"ठीक है मैं सभी को वापिस भेजती हूँ, तुम वही रूको और सतर्क रहो."

"आप चिंता ना करें मेडम, मेरे होते हुए यहाँ कुछ नही होगा."

"गुड." शालिनी ने फोन काट दिया.

"पद्‍मिनी जी आप अंदर जाओ, यहाँ बाहर ख़तरा है."

"हां जा रही हूँ, तुम भी ख्याल रखना अपना राज शर्मा." पद्‍मिनी कह कर वापिस अंदर आ गयी.

शालिनी ने राज शर्मा से बात करने के बाद तुरंत रोहित को फोन मिलाया.

“गुड मॉर्निंग मेडम. ”

“गुड मॉर्निंग कैसे हो.”

“ठीक हूँ मेडम , आज ड्यूटी नही आ पाउन्गा मेडम.”

“आना पड़ेगा तुम्हे, साइको अभी भी आज़ाद घूम रहा है.”

“क्या ऐसा कैसे हो सकता है.”

“ऐसा ही है, पद्‍मिनी के अनुसार विजय साइको नही था. अभी अभी बात की मैने उस से.”

“ऐसा कैसे हो सकता है ….”

“ऐसा ही है, तुम जल्दी से पहुँचो थाने, मैं भी पहुँच रही हूँ. अब सब कुछ नये सिरे से सोचना पड़ेगा.”

“आ रहा हूँ मेडम…. ……” रोहित ने मायूसी में कहा.

………………………………………………………………………………

…………………………………

“अच्छा हुआ जो कि मैं रात यही रहा. अगर विजय साइको नही था तो फिर कौन है साइको. ये बात तो और ज़्यादा उलझती जा रही है. अब टीवी पर आ रही न्यूज़ के कारण साइको और ज़्यादा चोक्कन्ना हो जाएगा.” राज शर्मा सोच में डूबा था.

पद्‍मिनी के मम्मी, डेडी कही जा रहे थे किसी काम से सुबह 10 बजे. पद्‍मिनी के दादी ने राज शर्मा से कहा, “किसी और को ही मार दिया तुम लोगो ने. क्या ऐसे ही काम करते हो तुम लोग. असली मुजरिम आज़ाद घूम रहा और एक बेकसूर को मार डाला. मेरा तो विस्वास उठ चुका है पोलीस के उपर से.”

“आप शायद ठीक कह रहे हैं मगर हम लोग भी इंसान ही हैं. ग़लती हो सकती है हम लोगो से भी.”

“तुम लोगो की ग़लती के कारण कोई बेकसूर मारे जाए, उसका क्या.”

राज शर्मा ने चुप रहना ही ठीक समझा.

“अगर मान लो ये झूठी बात सुन कर पद्‍मिनी बाहर निकलती और साइको का शिकार हो जाती तो क्या होता. वो तो शूकर है उसने टीवी पर देख लिया. वरना तो मुसीबत तो मेरी बेटी के गले पड़नी थी.”

“मैं समझ सकता हूँ…” राज शर्मा ने कहा.

“अब तुम अकेले ही हो यहाँ, कैसी सुरक्षा दे रहे हो मेरी बेटी को.”

“बाकी लोग आ रहे हैं आप चिंता ना करें. मेरे होते हुए पद्‍मिनी जी को कुछ नही होगा.” राज शर्मा ने कहा.

“हमें ज़रूरी काम से बाहर जाना पड़ रहा है. हम शाम तक लौटेंगे.”

“आप निसचिंत हो कर जायें.” राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी के डेडी और मम्मी कार में बैठ कर चले गये. उनके जाते ही 2 गन्मन और 4 कॉन्स्टेबल्स आ गये.

राज शर्मा ने 2 कॉन्स्टेबल्स और एक गन्मन घर के पीछे लगा दिए और 2 कॉन्स्टेबल्स और एक गन्मन घर के आगे. “बिल्कुल सतर्क रहना तुम लोग.” राज शर्मा ने सभी को हिदायत दी.

“रात कुछ कहते-कहते रुक गयी थी पद्‍मिनी जी. अच्छा मौका है, उनके मम्मी, पापा घर नही है. अब बात हो सकती है.” राज शर्मा ने सोचा और पद्‍मिनी के घर के दरवाजे की तरफ चल दिया. गहरी साँस ले कर उसने बेल बजाई. पद्‍मिनी ने दरवाजा खोला.

“राज शर्मा तुम…बोलो क्या बात है.” पद्‍मिनी ने गहरी साँस ले कर कहा.

“पद्‍मिनी जी आप कुछ कहना चाहती थी कल. अगर आपका मन हो तो बता दीजिए अब.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा को घर के अंदर नही बुलाया बल्कि खुद बाहर आ कर दरवाजा अपने पीछे बंद कर लिया. वो घर में अकेली थी इसलिए राज शर्मा को अंदर नही बुलाना चाहती थी.

“राज शर्मा एक बात बताओ.”

“हां पूछिए.” राज शर्मा ने उत्शुकता से पूछा.

“तुमने कल दूसरी बार कहा मुझे कि ‘प्यार करते हैं हम आपसे, कोई मज़ाक नही’ . क्या मैं जान सकती हूँ कि इस बात का मतलब क्या है.” पद्‍मिनी की बात में थोड़ी कठोरता थी.

“मतलब नही बता पाउन्गा पद्‍मिनी जी.” राज शर्मा ने धीरे से कहा.

“अच्छा…तुम कुछ कहते हो अपने मूह से और उसका मतलब तुम नही जानते. कितनी अजीब बात है, है ना.”

“मैं बस इतना जानता हूँ कि आपको चाहने लगा हूँ. अब इस चाहत का मतलब कैसे बताउ मैं आपको. मुझे खुद कुछ नही पता.”

“बस इतनी ही बात करनी थी मैने. जान-ना चाहती थी कि क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग़ में. कल रात तुम खिड़की में आ गये. क्या पूछ सकती हूँ कि क्यों किया तुमने ऐसा. तुमने ज़रा भी नही सोचा कि कोई देख लेता तो कितनी बदनामी होती मेरी.”

“सॉरी पद्‍मिनी जी. मैं बस आपको बताना चाहता था साइको के बारे में. एग्ज़ाइटेड था आप तक ये खबर पहुँचाने के लिए.”

“पता नही क्यों मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे मन में हवस है मेरे लिए और प्यार का दिखावा कर रहे हो. याद है तुम्हे क्या-क्या बोल रहे थे तुम उस दिन मोहित के घर पर मेरे बारे में. कुछ अश्चर्य नही हुआ था मुझे वो सुन कर. ज़्यादा तर लड़को ने मेरे शरीर को ही देखा है. किसी ने मेरी आत्मा में झाँकने की कोशिस नही की. आज तुम प्यार की बात कर रहे हो. तुम्हे पता भी है कि प्यार क्या होता है. सच-सच बताओ अब तक कितनी लड़कियों से संबंध रह चुके हैं तुम्हारे और कितनो को तुम ये डाइलॉग बोल चुके हो कि ‘प्यार करते हैं आपसे हम, कोई मज़ाक नही. मुझे झुत बिल्कुल पसंद नही है. सच-सच बताना.”

“अगर सेक्स को ही संबंध कहा जा सकता है तो 10 लड़कियों से संबंध रहे हैं मेरे.”

“10 लड़कियाँ ….ग्रेट….मैने 2-3 का अंदाज़ा लगाया था. तुम तो उम्मीद से भी ज़्यादा आगे निकले मेरी. दूर हो जाओ मेरी नज़रो से.”

“पद्‍मिनी जी मगर मैने कभी किसी के लिए ऐसा प्यार महसूस नही किया जैसा आपके लिए कर रहा हूँ. मेरे दिल में कोई हवस नही है आपके लिए. आपको यकीन बेशक ना हो पर प्यार करता हूँ आपसे, कोई मज़ाक नही.”

“बंद करो अपनी बकवास तुम. 10-10 लड़कियों से तुम्हारी प्यास नही बुझी अब मेरे उपर नज़र है तुम्हारी. ये प्यार नही हवस है. सब जानती हूँ मैं. देख रही हूँ तुम्हे कुछ दिनो से. जान-ना चाहती थी की तुम्हारी मंशा क्या है. कैसे प्यार कर सकते हो तुम किसी से. तुम्हे तो बस शरीर से खेलना आता है. मेरे से बात मत करना आगे से. दुख हुआ मुझे तुमसे बात करके. मुझे नही पता था कि इतनी लड़कियाँ आ चुकी हैं तुम्हारी जिंदगी में.” आँखे नम हो गयी पद्‍मिनी की बोलते-बोलते और उसने अंदर आ कर दरवाजा बंद कर लिया.

राज शर्मा को समझ नही आया कि वो क्या करे. दरवाजा पीटा उसने, “पद्‍मिनी जी सच बोल दिया आपसे. झूठ नही बोल सकता था. प्लीज़ मेरे प्यार को हवस का नाम मत दीजिए. बात बेशक मत कीजिएगा मगर मुझे ग़लत मत समझिएगा.”

“चले जाओ तुम. एक नंबर के मक्कार हो तुम. झूठ ही बोल देते मुझसे…इतना कड़वा सच बोलने की ज़रूरत क्या थी. मुझे तुमसे कोई भी बात नही करनी है. आइन्दा मेरी तरफ मत देखना वरना आँखे नोच लूँगी तुम्हारी.” पद्‍मिनी को बहुत दुख हुआ था.

“सच बोलने की इतनी बड़ी सज़ा मत दीजिए पद्‍मिनी जी. मुझे एक मौका दीजिए.”

“मेरा 11 नंबर होगा, फिर 12 नंबर भी होगा किसी का. ये हवस का सिलसिला चलता रहेगा. दूर हो जाओ मेरी नज़रो से तुम. मुझे तुमसे कुछ लेना देना नही है. दफ़ा हो जाओ.”

“ठीक है पद्‍मिनी जी…आपकी कसम मैं दुबारा नही कहूँगा आपको कुछ भी. पर आप ऐसे परेशान मत हो. जा रहा हूँ मैं. अब आपको नही देखूँगा…ना ही कुछ कहूँगा आपको. हां मुझे नही पता कि प्यार क्या होता है. शायद हवस को ही प्यार बोल रहा हूँ मैं. मुझे सच में नही पता. पता होता तो भटकता नही अपनी जिंदगी में. आपके लायक नही था मैं फिर भी आपके खवाब देख रहा था. पागल हो गया हूँ शायद. माफ़ कीजिएगा मुझे आज के बाद आपको कभी परेशान नही करूँगा. खुश रहें आप अपनी जिंदगी में और हर बाला से दूर रहें. गॉड ब्लेस्स यू.”

“तुम ऐसे क्यों हो राज शर्मा..क्यों हो ऐसे…नही कर सकती तुमसे प्यार मैं. नही कर सकती…………” पद्‍मिनी फूट-फूट कर रोने लगी.

राज शर्मा ने सुन लिया सब कुछ मगर कुछ कहने की हिम्मत नही हुई. चल दिया चुपचाप आँखो में आँसू लिया वहाँ से. “काश आप समझ पाती मेरे दिल की बात. पर आपसे शिकायत भी क्या करूँ. मैं खुद भी अपने आप को समझ नही पाया आज तक. बहुत समझाया अपने दिल को की प्यार मत करो और फिर वही हुआ जिसका डर था. मेरी किस्मत में प्यार लिखा ही नही भगवान ने. नही कहूँगा कुछ भी अब. आपको बिल्कुल परेशान नही करूँगा. मुझे आपकी आँखो में कुछ लगता था जिसके कारण मेरी हिम्मत बढ़ गयी. वरना मैं कहा हिम्मत कर पाता आपकी खिड़की तक पहुँचने की. खुश रहें आप और क्या कहूँ….मेरी उमर लग जाए आपको……….”

पद्‍मिनी बंद रही कमरे में सारा दिन और बिल्कुल दरवाजा नही खोला. ना ही उसने खिड़की से झाँक कर देखा बाहर. राज शर्मा भी चुपचाप आँखे मिचे जीप में बैठा रहा.

शाम के कोई 7 बजे एक आदमी आया. उसके हाथ में 2 डब्बे थे. उसने राज शर्मा से पूछा, “क्या पद्‍मिनी जी यही रहती हैं.”

“हां यही रहती हैं. क्या काम है?”

“उनका कौरीएर है.” आदमी ने कहा.

राज शर्मा ने एक कॉन्स्टेबल से कहा कि तलासी लेकर इसके साथ जाओ तुम. कॉन्स्टेबल ने आचे से तलासी ली उसकी और उसके साथ चल दिया.
 

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Update 72

पद्‍मिनी ने बड़ी मुस्किल से दरवाजा खोला. उसे लग रहा था कि दरवाजे पर राज शर्मा ही होगा. मगर जब उस आदमी ने चिल्ला कर कहा कि आपका कौरीएर है तो उसने दरवाजा खोल कर साइन करके दोनो डब्बे ले लिए.

“किसने भेजे हैं ये डब्बे.”

पद्‍मिनी ने फ़ौरन एक डब्बा खोला और जो उसने अंदर देखा उसे देख कर वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि पूरा आस पदोष में उसकी चींख गूँज गयी. चींख के बाद वो फूट-फूट कर रोने लगी….पापा…नही………”

राज शर्मा फ़ौरन पिस्टल हाथ में लेकर घर की तरफ भागा. दरवाजा बंद था अंदर से. राज शर्मा ने दरवाजा खड़काया. मगर पद्‍मिनी ऐसी हालत में नही थी कि वो दरवाजा खोल पाए. राज शर्मा ने दरवाजे को ज़ोर से धक्का मारा. पर दरवाजा बहुत मजबूत था. पर राज शर्मा रुका नही. उसने बार-बार कोशिस की. कॉन्स्टेबल्स और गन्मन ने भी राज शर्मा का साथ दिया. आख़िरकार दरवाजा टूट गया. राज शर्मा अंदर आया तो देखा की पद्‍मिनी फूट-फूट कर रो रही है खुले हुए डब्बे के पास. राज शर्मा करीब आया तो देख नही पाया, “ओह माइ गॉड…..नही…ये सब कैसे…पद्‍मिनी जी….”

डब्बे में पद्‍मिनी के डेडी का कटा हुआ सर था. साथ में एक काग़ज़ का टुकड़ा भी था. राज शर्मा ने काँपते हाथो से वो उठाया उसमे लिखा था, “पद्‍मिनी ये तोहफा भेज रहा हूँ तुम्हारे लिए. उम्मीद है तुम्हे पसंद आएगा. जो डर तुम्हारे चेहरे पर आएगा इसे देख कर वो बहुत ही खूबसूरत होगा. ये डर बनाए रखना क्योंकि बहुत जल्द मिलूँगा तुमसे मैं. और याद रखना, ‘यू कॅन रन, बट यू कॅन नेवेर हाइड. जल्द मिलते हैं.”

दूसरे डब्बे में क्या होगा ये सोच कर ही रूह काँप गयी राज शर्मा की. उसने खोला वो डब्बा और जैसा शक था उसे उसमें पद्‍मिनी की मम्मी का सर था. पद्‍मिनी ये बात पहले ही समझ गयी थी शायद. इसलिए उसने आँखे खोल कर नही देखा. वैसे उसकी हालत थी भी नही की वो कुछ देखे. पागल सी हो गयी थी ये सब देख कर.

राज शर्मा ने तुरंत शालिनी को फोन लगाया, “मेडम अनर्थ हो गया.”

“क्या हुआ राज शर्मा.”

“दो डब्बे आए कौरीएर से अभी पद्‍मिनी जी के घर उनमे पद्‍मिनी के मम्मी, पापा के कटे हुए सर है. मैं तो समझ ही नही पा रहा हूँ कि क्या करूँ.”

“ओह गॉड इतना घिनोना काम किया उसने.” शालिनी ने कहा.

शालिनी के सामने ही रोहित बैठा था , “क्या हुआ मेडम.”

“साइको ने दो डब्बो में पद्‍मिनी के मम्मी, दादी के कटे हुए सर भेजे हैं.” शालिनी ने रोहित से कहा.

“ओह..नो…” रोहित स्तब्ध रह गया.

“राज शर्मा हम अभी आते हैं वहाँ..तुम चिंता मत करो.” शालिनी ने कहा.

शालिनी ने फोन रखा ही था कि कमरे में भोलू आया भागता हुआ. “मेडम जी अनर्थ हो गया.”

“क्या हुआ?” शालिनी ने पूछा.

“थाने के बिल्कुल सामने 2 लाश गिरा गया कोई. उनके सर गायब हैं.”

“क्या …” रोहित और शालिनी एक साथ चिल्लाए.

दोनो बाहर आए फ़ौरन. थाने के बिल्कुल बाहर 2 लाश पड़ी थी.

“दिन दहाड़े गिरा गया वो लाश और किसी ने देखा भी नही…वाह” शालिनी ने गुस्से में कहा.

रोहित को एक काग़ज़ दिखाई दिया लाश की जेब में. रोहित ने काग़ज़ निकाला. उस पर लिखा था, “मिस्टर रोहित पांडे. आज न्यूज़ में छाए हुए थे. कंग्रॅजुलेशन टू यू. तुम्हारे लिए भी एक आर्टिस्टिक प्लान तैयार है. जल्दी मिलेंगे.”

“तुम मिलो तो सही वो हाल करूँगा की याद रखोगे.” रोहित ने दाँत भींच कर कहा.

“क्या लिखा है काग़ज़ में रोहित.” शालिनी ने पूछा.

“मेरे लिए भी एक आर्टिस्टिक प्लान बनाया है साइको ने. चेतावनी दी है मुझे.” रोहित ने कहा.

“चेतावनी तुम्हे ही नही पूरे पोलीस डेप्ट को दी है उसने. बहुत ज़्यादा गट्स हैं उसमें. पोलीस स्टेशन के बाहर दो लाशें फेंक गया वो. वक्त आ गया है अब उसे उसके किए की सज़ा देने का. डू वॉटेवर यू कॅन बट आइ वॉंट दिस बस्टर्ड बिहाइंड बार्स.” शालिनी ने कहा.

“हो जाएगा मेडम हो जाएगा. ज़्यादा दिन नही चलेगा खेल इसका.” रोहित ने कहा.

तभी अचानक एक तेज तर्रार रिपोर्टर आन धमकी वहाँ और रोहित के मूह के आगे माइक लगा कर बोली, “क्या मैं पूछ सकती हूँ की पोलीस स्टेशन के बाहर ये लाशें किसकी हैं.”

रोहित ने टालने के लिए बोला,”देखिए अभी कुछ नही कह सकता मैं. तहकीकात चल रही है.”

“तहकीकात करते रहना आप, एक दिन वो साइको हमें सबको मार देगा और आप हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहेंगे… ….”

“क्या नाम है आपका?”

“मेरे नाम से कोई मतलब नही है आपको मगर फिर भी बता देती हूँ मैं. मिनी नाम है मेरा. मैं भी साइको के केस को क्लोस्ली फॉलो कर रही हूँ. कल आपने जिसे मारा वो साइको नही था. साइको जिंदा है अभी. उसका सबूत ये लाशें हैं जो यहाँ पड़ी हैं.”

“क्या जान सकता हूँ कि कहा से पता चली ये सब बातें?” रोहित ने पूछा.

“मैं न्यूज़ रिपोर्टर हूँ. मेरा अपना तरीका है जानकारी इक्कथा करने का. आपको क्यों बताउ.”

“कूल… देखिए केस की इन्वेस्टिगेशन चल रही है. अभी कुछ भी कहना ठीक नही होगा.” रोहित कह कर चल दिया.

रोहित के बाद मिनी ने शालिनी को घेर लिया, “कब तक चलेगा ये दरिंदगी का दौर. आख़िर पोलीस कुछ कर क्यों नही पा रही है.”

“हम पूरी कोशिस कर रहे हैं. पोलीस हाथ पर हाथ रख कर नही बैठी है. यकीन दिलाती हूँ आपको की साइको जल्दी पकड़ा जाएगा.”

शालिनी से बात करने के बाद मिनी खड़ी हो गयी माइक ले कर कॅमरा के सामने और बोली, “अभी हमने आपको पोलीस का रावय्या दिखाया. पोलीस स्टेशन के बाहर 2 डेड बॉडीस फेंक गया कोई और इन्हे खबर भी नही लगी. अगर पोलीस स्टेशन के बाहर ही पोलीस अलर्ट नही है तो बाकी शहर की स्तिथि आप खुद समझ सकते हैं. साइको शहर में आज़ाद घूम रहा है और पोलीस सो रही है. ओवर टू यू……..”

शालिनी और रोहित पद्‍मिनी के घर की तरफ चल दिए. मिनी भी कॅमरमन के साथ उनके पीछे चल पड़ी, “अगर हम मीडीया वाले पोलीस पर दबाव नही डालेंगे तो ये कुछ नही करेंगे. एक नंबर की निकम्मी पोलीस है ये.”

रोहित और शालिनी एक ही जीप में जा रहे थे. अच्छानक शालिनी का मोबाइल बज उठा. शालिनी ने मोबाइल उठाया और बात की. बात करने के बाद वो बोली, “रोहित जंगल में मेरे उपर गोलिया चलाने वाला भी विजय ही था. जो गोली मुझपे चली थी वो विजय की उस बंदूक से मॅच हो गयी जो कल उसके पास थी. पता नही विजय ऐसा क्यों कर रहा था. सारा केस उलझा दिया उसने.”

“जहा तक मैं समझ पा रहा हूँ मेडम साइको ही था वो भी. हो सकता है कॉपीकॅट हो वो और असली साइको से परभावित हो. ये भी हो सकता है कि विजय असली साइको से मिला हुआ हो.”

“सही कह रहे हो. तहकीकात करो इस बात की. और हां बाकी तीन लोग जिनके पास ब्लॅक स्कॉर्पियो है उनके बारे में अच्छे से तहकीकात करो.”

“जी मेडम….वही करूँगा.”
 

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Update 73

रोहित ने अपना मोबाइल निकाला और एक नंबर डाइयल किया, “हेलो हेमंत भाई…कैसे हो……………”

रोहित ने हेमंत को पद्‍मिनी के मा-बाप की मौत की खबर सुना दी. वो भी तुरंत पद्‍मिनी के घर की तरफ निकल दिया.

“कौन है ये हेमंत?” शालिनी ने पूछा.

“पद्‍मिनी का कज़िन है. वैसे हम उसे गब्बर कहते हैं. मुझे लगा उसे बता देता हूँ. पद्‍मिनी अकेली होगी अब. किसी घर वाले को तो होना चाहिए उसके पास. मुस्सूरी में रहता है वो. ”

“ह्म्म… गुड.”

………………………………………………………………………………

…………..

“कितने आँसू बहायें हम, अब इंतेहा हो चुकी है

वक्त की ऐसी करवट से, जिंदगी तबाह हो चुकी है

क्या गुनाह था मेरा, जो ये सज़ा दी मुझको

जीने की चाहत भी अब फ़ना हो चुकी है.”

राज शर्मा को समझ नही आ रहा था की कैसे संभाले पद्‍मिनी को. वो पागलो की तरह रोए जा रही थी. बिल्कुल उस डब्बे के पास ही बैठी थी जिसमे उसके पापा का सर था. पद्‍मिनी को ऐसी हालत में देख कर राज शर्मा की आँखे भी नम हो गयी. बिल्कुल नही देख पा रहा था वो पद्‍मिनी को ऐसी हालत में. प्यार जो करता था उसे.

बहुत ही मुस्किल होता है उसे तड़प्ते हुए देखना जिसे आप बहुत प्यार करते हैं. और जब पता हो कि आप बस देख ही सकते हैं उसे तड़प्ते हुए कुछ कर नही सकते तो दिल पर क्या बीत-ती है उसे सबदो में नही कहा जा सकता. राज शर्मा बिल्कुल ऐसी ही स्तिथि में था. कुछ भी तो नही कर पा रहा था पद्‍मिनी के लिए. और अगर वो कुछ करता भी तो उसे डर था कि कही पद्‍मिनी उसे डाँट ना दे. और परेशान नही करना चाहता था राज शर्मा पद्‍मिनी को. मगर फिर भी उसने सोचा की कुछ तो करना ही चाहिए उसे.

राज शर्मा ने दोनो डब्बे वहाँ से हटवा दिए और सभी को बाहर भेज दिया, “तुम लोग बाहर नज़र रखो. कुछ भी ऐसा वैसा हो तो मुझे बताना.”

“जी सर”

राज शर्मा बैठ गया वही पद्‍मिनी के पास और बोला, “पद्‍मिनी जी आपकी कसम खा कर कहता हूँ मैं तडपा-तडपा कर मारूँगा इस साइको को. आप प्लीज़ चुप हो जाओ.”

“कैसे चुप हो जाउ. अपने मा-बाप को खो दिया मैने. कितनी दर्दनाक मौत मिली है उन्हे. तुम मेरा गम नही समझ सकते. चले जाओ यहाँ से.”

“मैने बचपन में ही खो दिया था अपने मा-बाप को. बस 7 साल खा था जब वो आक्सिडेंट में मारे गये. अनाथ हूँ तभी से. मा-बाप को खोने का गम क्या होता है मुझसे बहतर कोई नही समझ सकता. आपके गम को अच्छे से समझ सकता हूँ मैं.” राज शर्मा ने भावुक हो कर कहा.

पद्‍मिनी ने अपने आँसू पोंछे और बोली, “तुमने पहले क्यों नही बताया.” एक अजीब सी मासूमियत थी पद्‍मिनी के चेहरे पर बोलते हुए.

“बात ही कहाँ होती है आपसे. वैसे भी मैं बताता नही हूँ किसी को ये बात. आप प्लीज़ चुप हो जाओ, मुझसे देखा नही जा रहा.”

“मैं नही रोक सकती खुद को राज शर्मा. तुम नही समझ सकते. ये आँसू खुद-ब-खुद आ रहे हैं.” पद्‍मिनी सुबक्ते हुए बोली.

“समझ सकता हूँ. मैं भी 2 दिन लगातार रोता रहा था. कर लीजिए मन हल्का अपना. मैं बस आपको देख नही पा रहा इस हालत में इसलिए चुप होने को बोल रहा था. और मेरी तरफ से परेशान मत होना आप अब. मैं अपनी ग़लती समझ गया हूँ.”

तभी रोहित और पद्‍मिनी भी वहाँ पहुँच गये. रोहित तो कुछ नही बोल पाया उसे रोते देख. शालिनी उसके पास बैठ गयी और बोली, “बहुत ही बुरा हुआ है ये. मुझे बहुत दुख है पद्‍मिनी. हम कुछ भी नही कर पाए. पूरा पोलीस डेप्ट तुम्हारा दोषी है. लेकिन यकीन दिलाती हूँ तुम्हे कि इस पाप की सज़ा जल्द मिलेगी उसे.”

“मुझे उसे सौप दीजिए. ये सब मेरे कारण हुआ है. अगर वो मारना चाहता है मुझे तो वही सही. वैसे भी अब जी कर करना भी क्या है. कुछ नही बचा मेरे पास. मेरी मौत से ये सिलसिला रुकता है तो मुझे मर जाने दीजिए.”

इस से पहले की शालिनी कुछ बोल पाती राज शर्मा ने तुरंत कहा, “ये क्या बोल रही हैं आप. आपको कुछ नही होने दूँगा मैं. मरना उस साइको को है अब.”

शालिनी, रोहित और पद्‍मिनी तीनो ने राज शर्मा की तरफ देखा. “मैं सही कह रहा हूँ. आप क्यों मरेंगी. मरेगा अब वो जो की इतने घिनोने काम कर रहा है.”

“राज शर्मा सही कह रहे हो तुम. यही जज़्बा चाहिए हमें पोलीस में.” रोहित ने कहा.

“चुप करो तुम. ग़लत बाते मत सिख़ाओ उसे. तुमसे ये उम्मीद नही रखती हूँ मैं… …..” शालिनी ने रोहित को डाँट दिया.

“सॉरी मेडम ….” रोहित ने मायूस स्वर में कहा.

“राज शर्मा भावनाओ को काबू करना सीखो. और दुबारा ऐसी बात मत करना मेरे सामने. हां सज़ा मिलेगी उसे, ज़रूर मिलेगी.”

“बिल्कुल…उसे सज़ा मिलेगी काई सालो केस चलने के बाद. वो ऐसो-आराम से जैल की रोटिया तोड़ेगा. और हो सकता है…क़ानूनी दाँव पेंच लगा कर वो बच जाए.” रोहित ने कहा.

“स्टॉप दिस नॉनसेन्स आइ से.” शालिनी चिल्लाई.

रोहित ने कुछ नही कहा. बस चुपचाप खड़ा रहा. राज शर्मा भी कुछ बोलने की हिम्मत नही कर पाया.

“ये सब बकवास करने की बजाए उन डब्बो का मूवायना करो और देखो कि कौरीएर कहाँ से आया था और किसने भेजा था. स्टुपिड.” शालिनी ने गुस्से में कहा.

“जी मेडम अभी देखता हूँ.” रोहित ने कहा. “राज शर्मा कहा हैं वो डब्बे.”

“पद्‍मिनी जी के सामने से हटवा दिए थे मैने. दूसरे कमरे में रखे हैं.”

“चलो देखते हैं.” रोहित ने कहा और राज शर्मा के साथ उस कमरे में आ गया जहाँ डब्बे रखे थे.

“जीसस…” रोहित से देखा नही गया और उसने आँखे बंद कर ली.

“फर्स्ट फ्लाइट से आया था कौरीएर सर ये.”

“ह्म्म…कौन दे कर गया?”

“था एक आदमी सर?”

“क्या नाम था उसका?”

“नाम नही पूछा सर”

“चलो कोई बात नही फर्स्ट फ्लाइट के ऑफीस से सब पता चल जाएगा.”

जब रोहित बाहर आया तो शालिनी ने पूछा, “कुछ पता चला.”

“फर्स्ट फ्लाइट वालो से ही पता चलेगा सब कुछ मेडम.”

“ह्म्म तो पता करो जाकर.” शालिनी ने कहा.

पद्‍मिनी को विस करके शालिनी बाहर की तरफ चल दी, “चलो रोहित.”

“आता हूँ अभी मेडम, पद्‍मिनी से ज़रा बात कर लूँ.” रोहित ने कहा.

मगर राज शर्मा वही खड़ा रहा.

“राज शर्मा तुम घर के चारो तरफ राउंड ले कर आओ. देखो सब ठीक है की नही.”

राज शर्मा को अजीब सा तो लगा मगर फिर भी वो चला गया.

राज शर्मा के जाने के बाद रोहित पद्‍मिनी के पास आया. वो अब सोफे पर गुमशुम बैठी थी.

“सब से बड़ा गुनहगार तो मैं हूँ तुम्हारा पद्‍मिनी. मेरे होते हुए ते सब हो गया. खुद को माफ़ नही कर पाउन्गा. मगर मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ. जिंदा नही बचेगा वो…बस एक बार आ जाए मेरे सामने.”

पद्‍मिनी कुछ नही बोली.

“जिंदगी भर नाराज़ रहोगी क्या. मुझे इस काबिल भी नही समझती की मैं तुमसे तुम्हारे गम बाँट सकूँ. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. कितनी बाते करते थे हम प्यारी-प्यारी…पता नही किसकी नज़र लग गयी हमारी दोस्ती को.”

“मैं कुछ नही सुन-ना चाहती. मेरा सर फटा जा रहा है. प्लीज़ चले जाओ…प्लीज़. मैं पहले ही बहुत परेशान हूँ…..” पद्‍मिनी फिर से फूट-फूट कर रोने लगी.

राज शर्मा ने ये सुन लिया. वो समझ नही पाया कि हो क्या रहा है. रोहित चुपचाप चल दिया वहाँ से. आँखे नम थी उसकी. राज शर्मा ने देख लिया रोहित की आँखो की नमी को. असमंजस में पड़ गया और भी ज़्यादा. उसकी कुछ हिम्मत नही हुई रोहित से कुछ पूछने की.

राज शर्मा पद्‍मिनी के पास आया और बोला, “क्या बात थी पद्‍मिनी जी. क्या आप जानती हैं रोहित को.”

“हां…बहुत अच्छे दोस्त थे हम. एक साथ पढ़ते थे कॉलेज में.” पद्‍मिनी ने कहा.

“उनकी आँखो में आँसू थे यहाँ से जाते वक्त. मैं समझ नही पा रहा हूँ की क्या बात है.”

“राज शर्मा प्लीज़ मुझे अकेला छ्चोड़ दो. अभी मैं इस हालत में नही हूँ की कुछ कह पाउ…प्लीज़…”

“सॉरी पद्‍मिनी जी. मैं बाहर ही हूँ. कोई भी बात हो तो बस एक आवाज़ देना तुरंत आ जाउन्गा.” राज शर्मा ये कह कर बाहर आ गया.

रोहित पद्‍मिनी के घर से सीधा फर्स्ट फ्लाइट के ऑफीस गया. मगर वहाँ कोई सुराग नही मिला उसे. यही पता चला की एक रिक्शे वाला आया था दो डब्बे लेकर और कोरियर करवा कर चला गया.

“क्या कुछ बता सकते हो उस रिक्शे वाले के बारे में.”

“अब क्या बताउ सर. बहुत लोग आते हैं यहाँ. कुछ नही पता मुझे.”

“बहुत ही चालक है ये साइको. किसी रिक्शे वाले को पकड़ के दो डब्बे पकड़ा दिए और कौरीएर करवा दिए पद्‍मिनी के घर. बहुत शातिर दिमाग़ है.”

फर्स्ट फ्लाइट के ऑफीस से रोहित सीधा विजय के घर पहुँचा. उसने दरवाजा खड़काया. सरिता ने दरवाजा खोला.

“मैं इनस्पेक्टर रोहित पांडे हूँ. कुछ बात करनी थी आपसे.” रोहित ने कहा.

रोहित बोल कर हटा ही था कि उसके मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया सरिता ने. “तुम्हे कैसे भूल सकती हूँ. तुम्ही ना मारा है ना मेरे पति को.”

थप्पड़ खाने के बाद एक पल को रोहित कुछ नही बोल पाया. मगर थप्पड़ मारने के बाद सरिता थोड़ी नरम पड़ गयी.

"बतायें अब मैं क्या मदद कर सकती हूँ आपकी?" सरिता ने कहा.

"मार लीजिए एक थप्पड़ और, फिर आराम से बात करेंगे. थप्पड़ मारने के बाद आप शांत सी हो गयी हो. मार लीजिए एक और...बुरा नही मानूँगा." रोहित ने कहा.

"आइए अंदर" सरिता ने कहा

रोहित अंदर आ कर चुपचाप सोफे पर बैठ गया. सरिता भी उसके सामने बैठ गयी.

"मेरी आँखो के सामने रेप अटेंप्ट किया विजय ने मेरी बहन का. आपको बता नही सकता कि क्या-क्या किया उसने. मुझे यही लगा कि वही साइको है. गुस्से में मार दी गोली मैने उसे. नही रोक पाया खुद को...सॉरी."

"मैने आपको थप्पड़ एक पत्नी के रूप में मारा. एक औरत होने के नाते कह सकती हूँ कि आपने ठीक ही किया. मेरी आँखो के सामने रेप किया था मेरी छोटी बहन का उन्होने. मार देना चाहती थी मैं भी उन्हे पर अपने पत्नी धरम के कारण चुप थी."

"कितने साल हुए आपकी शादी को." रोहित ने पूछा.

"3 साल"

"सरिता जी मुझे शक है कि आपके पति साइको के साथ मिले हुए थे. इसलिए यहाँ आया हूँ. उस साइको ने शहर में आतंक मचा रखा है. उसको पकड़ना बहुत ज़रूरी है वरना वो यू ही खून बहाता रहेगा. क्या आप कुछ ऐसा बता सकती हैं जो कि मेरी मदद कर सके."
 
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"कुछ दिनो से वो सारा-सारा दिन बाहर रहते थे. रात को काई बार घर ही नही आते थे. कुछ पूछती थी तो मुझे मारने-पीटने लगते थे. एक दिन पेट पर चाकू खा कर आए थे. मैने यही घर पर ही पेट सिया था उनका. ज़्यादा कुछ नही जानती मैं. वो मेरे लिए हमेशा एक रहस्या ही रहे."

"ह्म्म्म माफ़ कीजिए मुझे मैने आपको बेवजह तकलीफ़ दी...मैं चलता हूँ." रोहित ने कहा और सोफे से खड़ा हो गया.

अचानक उसकी नज़र टीवी के उपर पड़ी एक मूवी की सीडी पर पड़ी. उसका टाइटल देख कर रोहित ने कहा,"ह्म्‍म्म....साइको...क्या ये मूवी आपके हज़्बेंड देखते थे."

"हां....बार बार इसे ही देखते थे वो. पता नही क्या है ऐसा इसमे. मैने कभी नही देखी."

"देखी तो मैने भी नही ये मूवी, हां पर नाम बहुत सुना है इसका. अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या मैं ये सीडी ले सकता हूँ. लौटा दूँगा आपको जल्द."

"ले जाइए मुझे नही चाहिए ये वैसे भी. वापिस करने की भी कोई ज़रूरत नही है." सरिता ने कहा.

"थॅंक्स सरिता जी. मैं चलता हूँ अब."

जैसे ही रोहित घर से बाहर निकला मिनी ने उसे घेर लिया, "क्या आप माफी माँगने आए थे विजय की पत्नी से. क्या आपको अब अहसास हो रहा है कि आपने ग़लत आदमी को मार दिया."

"देखिए इन्वेस्टिगेशन चल रही है. मैं कुछ नही कह सकता अभी."

"वैसे थप्पड़ क्यों पड़ा आपके गाल पे. कुछ बता सकते हैं."

"तुम्हे कैसे पता ..." रोहित सर्प्राइज़्ड रह गया.

"मैने खुद देखा अपनी आँखो से. रेकॉर्ड भी हो गया कॅमरा में"

"मुझे आपसे कोई बात नही करनी है...जो करना है करिए." रोहित बोल कर जीप में बैठ कर वहाँ से निकल गया.

"एक पत्नी ने आज अपने मन की भादास निकाली. एक करारा थप्पड़ मिला इनस्पेक्टर साहिब को. शायद ये थप्पड़ अब उनकी नींद तौड दे और वो और ज़्यादा सतर्क हो कर अपनी ड्यूटी करें....ओवर टू यू....." मिनी ने कॅमरा के सामने खड़े हो कर कहा.

रोहित सीधा थाने पहुँचा. थाने के बाहर ही उसे भोलू मिल गया. वो कुछ परेशान सा लग रहा था.

"भोलू एएसपी साहिबा हैं क्या" रोहित ने पूछा.

"एक घंटा पहले निकल गयी मेडम...और उनके जाते ही अनर्थ हो रहा है."

"क्या हुआ भोलू...क्या अनर्थ हो रहा है?"

"चौहान सर एक औरत को मजबूर करके उसके साथ.....उसका पति एक छोटे से जुर्म में जैल में बंद है. दरखास्त करने आई थी वो अपने पति के लिए मगर चौहान सर मोके का फ़ायडा उठा रहे हैं."

"मैं खबर लेता हूँ इस चौहान की."

"सर मेरा नाम मत लेना कि मैने बताया."

रोहित सीधा चौहान के कमरे की तरफ बढ़ा. दरवाजा झुका हुआ था...बंद नही था. रोहित ने झाँक कर देखा तो दंग रह गया. चौहान ने उस औरत को झुका रखा था और ज़ोर-ज़ोर से आगे पीछे हिल रहा था.

"आपसे ऐसी उम्मीद नही थी सर." रोहित ने कहा.

चौहान चोंक गया और रुक गया, "तुम....ज़बरदस्ती नही कर रहा मैं. ये खुद तैयार हुई है मेरे आगे झुकने के लिए. बदले में इसका पति आज़ाद हो रहा है और क्या चाहिए इसे."

चौहान फिर से हिलने लगा.

"आप जैसे लोगो के कारण पोलीस बदनाम है.लीव हर."

"लीव हेर....दफ़ा हो जाओ यहाँ से. ये अपनी मर्ज़ी से दे रही है. तुझे क्या तकलीफ़ है."

रोहित ने उस औरत की आँखो में देखा. उसकी आँखे नम थी. वो शरम और ग्लानि के कारण आँखे नही उठा पा रही थी.

"लीव हर....अदरवाइज़."

"अदरवाइज़ क्या ? .गोली मारोगे मुझे विजय की तरह?"

"बिल्कुल मारूँगा." रोहित ने बंदूक तान दी चौहान पर."

"पागल हो गये हो तुम ........बंदूक नीचे करो."

"बंदूक भी नीचे हो जाएगी पहले जो कहा है वो करो" रोहित ने दृढ़ता से कहा.

चौहान हट गया उस औरत के पीछे से और बोला, देख लूँगा तुझे."

उस औरत ने झट से कपड़े ठीक किए और बोली, "धन्यवाद साहिब."

"क्या नाम है तुम्हारे पति का और किस जुर्म में जैल में है वो."

"माधव प्रसाद. चोरी के झुटे इल्ज़ाम में फँसाया गया है उन्हे."

"ठीक है अभी जाओ तुम और कल मिलना मुझे 10 बजे. देखते हैं क्या हो सकता है.

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हेमंत (गब्बर) पहुच गया पद्‍मिनी के घर. उसे देखते ही पद्‍मिनी लिपट गयी उस से और फिर से फूट-फूट कर रोने लगी.

"भैया सब ख़तम हो गया. कुछ नही बचा."

"बस चुप हो जाओ. रोने से कोई फ़ायडा नही है."

"पर मैं क्या करूँ. बहुत ही दर्दनाक मौत मिली है मम्मी,दादी को."

"मुझे रोहित ने बताया सब कुछ. तुम तो फोन ही नही करती हो कभी"

"अभी किसी को भी फोन नही किया मैने."

"कोई बात नही अब कर देंगे. अंतिम संस्कार पे तो सबको आना ही है."

"चाच्चा, चाची नही आए."

"आ रहे हैं वो भी. वो देल्ही गये थे परसो. रास्ते में ही हैं वो." हेमंत ने कहा.

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रोहित थाने से निकला ही था कि उसका फोन बज उठा.

"कहा हो जानेमन."

"हाई रीमा....कैसी हो..."

"आपको अगर याद हो तो कुछ काम अधूरे छ्चोड़ गये थे आप. आ जाइए हम तड़प रहे हैं तभी से."

"उफ़फ्फ़ ऐसे बुलाएँगी आप तो मना नही कर पाएँगे. वैसे आपको अपने भैया का डर नही क्या."

"अभी-अभी भैया का फोन आया था. वो आज रात घर नही आएँगे."

"अच्छा....देख लो कही मरवा दो मुझे."

"तुम आओ ना. अच्छा छोटी सी भूल कहा तक पढ़ी. अब तक तो ख़तम हो गयी होगी."

"अरे नही यार. पढ़ ही रहा हूँ. परसो रात ख़तम करना चाहता था मगर कुछ लोगो से पंगा हो गया. फिर मन नही किया पढ़ने का. शांति से पढ़ुंगा मैं क्योंकि बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर है कहानी अब."

"ह्म्म्म....आ रहे हो कि नही."

"आ रहा हूँ जी...आप बिस्तर सज़ा कर रखो...."

"सजाने की क्या ज़रूरत है आपने उथल-पुथल तो कर ही देना है.... ......"

"हाहहाहा.... आ रहा हूँ मैं बस थोड़ी देर में तुम्हारी रेल बनाने."

"नहियीईईईईई....... अच्छा चलो आ जाओ... वेटिंग फॉर यू." रीमा ने कहा और फोन काट दिया.

"तुम बन ही गयी रीमा दा गोल्डन गिर ....... ....अच्छी बात है और ज़्यादा मज़ा आएगा संभोग में ... ...." रोहित सोच कर मुस्कुरआया और जीप में बैठ कर रीमा के घर की तरफ चल दिया.

रोहित पहुँच गया रीमा के पास कोई 30 मिनिट में. पहुच कर उसने बेल बजाई. रीमा ने दरवाजा खोला.

“बहुत जल्दी आ गये आप. मुझे लगा एक दो घंटे में आएँगे.”

“अब आपने कुछ इस तरीके से बुलाया की खुद को रोक नही पाए. खींचे चले आए आपके पास.”

रीमा हल्का सा मुस्कुराइ और बोली, “आइए जल्दी अंदर, कही कोई देख ना ले.”

“ओह हां…बिल्कुल”

रोहित अंदर आ गया और रीमा ने मुस्कुराते हुए कुण्डी बंद कर ली.

“तुम्हारे होंटो पे जो ये सेडक्टिव स्माइल रहती है वो बुरा हाल कर देती है मेरा. ऐसे ना सताया कीजिए हमें…पछताना आपको ही पड़ेगा.”

“अच्छा क्या पछताना पड़ेगा. हमें कुछ समझ नही आया.”

“वैसे आज हमारा मन खराब है. आपने याद किया तो आना पड़ा मुझे…वरना सीधा घर जा रहा था.”

“क्या हुआ ऐसा?”

“पद्‍मिनी के साथ बहुत बुरा हुआ. उसके मा-बाप का सर काट कर डब्बे में सज़ा कर घर भेज दिया उसके उस साइको ने.”

“ऑम्ग ….. बस आगे मत बताना कुछ. मैं सुन नही पाउन्गि. ये तो हद हो गयी दरिंदगी की.” रीमा ने मूह पर हाथ रख कर कहा.

“मैं बहुत परेशान हूँ पद्‍मिनी के लिए. मगर कुछ कर नही सकता. वो मुझसे बोलने तक को राज़ी नही है.”

“ह्म्‍म्म… इसका मतलब आज मूड नही है जनाब का. कोई बात नही आपके आने से ही रोनक बढ़ गयी है यहाँ की. मेरे पास कुछ नयी मूवीस की द्वड पड़ी हैं….दोनो मिल कर देखते हैं.” रीमा ने कहा.

“ओह हां मूवी से याद आया. मेरे पास एक सीडी है साइको वो देखे.”

“वाउ क्या अल्फ़्रेड हिचकॉक की साइको की बात कर रहे हो. बहुत सुना है उसके बारे में.” रीमा ने उत्शुकता से कहा.

“अब ये तो नही पता कि ये वही है कि नही. सुना तो मैने भी है उसके बारे में. उसके उपर साइको लिखा ज़रूर है.”

“कहा है ड्व्ड आओ चला कर देखते हैं.”

“डीवीडी जीप में पड़ी है अभी लेकर आता हूँ”

“ठीक है ले आओ..तब तक मैं पॉपकॉर्न तैयार करती हूँ.”

रोहित जीप से ड्व्ड ले आया, “तुम्हारे कमरे में ही देखेंगे ना.”

“हां वही देखनेगे…तुम चलो मैं आ रही हूँ.”

रीमा स्नॅक्स ले कर आ गयी जल्दी ही. “लगा दी क्या ड्व्ड.”

“तुम खुद लगाओ ये लो.” रोहित ने ड्व्ड रीमा को पकड़ा दी.

“ह्म्म हां वही मूवी तो है…मज़ा आएगा. बहुत दिन से देखना चाह रही थी मैं.”
 
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