Update 55
"पछदे में तो तू पड़ ही चुका है. तेरा दिल पद्मिनी ले गयी मेरा दिल पूजा ले गयी. हम दोनो ही फँस गये यार."
"तेरा तो कुछ हो भी सकता है. मेरा तो दिल ऐसी जगह लगा है जहा कोई चान्स नही है. अच्छा मैं चलता हूँ. 9 बज रहे हैं, ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ. अरे हां एक बात और करनी थी."
"हां बोलो."
"मुझे लगता है जंगल में कुछ गड़बड़ है. वो साइको जंगल के पास ही वारदात करता है अधिकतर. तुझे क्या लगता है क्या कारण हो सकता है."
"बात तो सही कह रहे हो...हो सकता है कि कुछ राज छुपा हो जंगल में." मोहित ने कहा.
तभी मोहित के रूम का दरवाजा खड़का. मोहित ने आकर देखा. वो तो भोंचक्का रह गया.
"तुम! यहाँ कैसे."
"पूजा से अड्रेस लिया तुम्हारा और पहुँच गयी." कविता ने कहा और कमरे में घुस्स गयी. उसने राज शर्मा को पहचान लिया. वो बोली, "ओह आप भी यहाँ है, कल आप ना आते वक्त पर तो ये हमें मार डालते."
राज शर्मा फ़ौरन खड़ा हो गया और चल दिया, "अच्छा गुरु मैं चलता हूँ."
"राज शर्मा रूको यार अकेला छोड़ कर मत जाओ मुझे." मोहित ने कहा.
"हन रुक जाओ ना आप...मेरे आते ही क्यों भाग रहे हैं." कविता ने कहा.
"मोहतार्मा अभी हमारा मन ज़रा व्यथित है वरना आपका वो हाल करते कि आप हमें कभी रुकने को ना कहती. गुरु सम्भालो इस जंजाल को मैं लेट हो रहा हूँ." राज शर्मा कह कर कमरे से निकल जाता है.
"तुम्हारा दोस्त तो बड़ा आरोगेंट है. तमीज़ ही नही बात करने की." कविता बोली.
"यहाँ क्यों आई हो अब मेरी मा. ले तो ली थी कल तुम्हारी मैने. अड्रेस भी पूजा से लेकर आई हो. क्यों बिगाड़ने पे तूलि हो मेरा काम तुम. तुम्हे क्या कमी है लड़को की जो मेरे पीछे पड़ गयी."
"लड़के तो बहुत हैं पर आप जैसा शायर नही मिला कोई."
"मैं कोई शायर नही हूँ...वो तो यू ही बोल दी थी कुछ लाइन्स मैने."
दरवाजा खुला ही था. नगमा आ गयी अंदर.
"अरे नगमा तुम आओ...आओ बहुत अच्छे वक्त पर आई हो." मोहित तो खुस हो गया नगमा को देख कर.
"ये कौन है?" कविता ने पूछा. कविता पूजा की बहन से मिली नही थी इसलिए नगमा को नही जानती थी.
"ये मेरी गर्ल फ्रेंड है...नगमा"
"गुड फिर तो बहुत अच्छी ऑपर्चुनिटी है. लेट्स हॅव आ फन टुगेदर."
"क्या बकवास कर रही हो. मेरी गर्ल फ्रेंड के सामने ऐसी बाते मत करो." मोहित ने कहा और नगमा के पास आकर उसके कान में कहा,"इस से छुटकारा दिलवा तो नगमा, मेरे पीछे पड़ी है."
नगमा कविता के पास आई और बोली, "चली जाओ यहाँ से, मेरे बॉय फ्रेंड को अकेला छोड़ दो."
"तू भी यहाँ मस्ती करने आई है ना. साथ में मस्ती करते हैं. हम आपस में भी कुछ....." कविता नगमा की तरफ बढ़ी.
"एक साथ मस्ती, ये क्या बकवास है. दफ़ा हो जाओ यहाँ से." नगमा ने पीछे हट-ते हुए कहा.
लेकिन नगमा दीवार से टकरा कर रुक गयी. कविता उसके बहुत करीब आ गयी. इतना करीब की दोनो के बूब्स आपस में टकरा रहे थे. नगमा की तो हालत पतली हो गयी. इस से पहले की वो कुछ कर पाती कविता ने उसके होंठो पर अपने होन्ट टिका दिए. नगमा तो सकपका गयी और उसने कविता को ज़ोर से धक्का मारा. कविता फर्श पर गिर गयी.
"उफ्फ ये क्या बला है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये करने की." नगमा ने कहा और टूट पड़ी कविता पर. बाल नोच लिए उसने उसके.
"बच्चाओ मुझे आअहह." कविता मोहित की तरफ देख कर गिड़गिडाई.
"भुग्तो अब...मेरी गर्ल फ्रेंड को लेज़्बीयन आक्ट बिल्कुल पसंद नही है" मोहित ने कहा.
"छोड़ तो मुझे आअहह." कविता ने कहा.
"मेरी किस क्यों ली तूने बता मुझे. जींदा नही छोड़ूँगी तुझे मैं." नगमा ने कहा.
नगमा तो छोड़ ही नही रही थी कविता को. मामला गंभीर होता देख मोहित ने नगमा को पकड़ कर कविता के उपर से खींच लिया. "छोड़ दो बहुत हो गया. सारे बाल नोच लोगि
क्या बेचारी के."
कविता फ़ौरन उठी और वहाँ से रफू चक्कर हो गयी. उसने पीछे मूड कर भी नही देखा. कविता नाम की बला मोहित के सर से शायद टल गयी थी.
"बहुत बहुत शुक्रिया तुम्हारा नगमा. वो तो पीछे ही पड़ गयी थी मेरे."
"तुम ना हटाते मुझे तो जान से मार देती कुतिया को. सारा मूड खराब कर दिया मेरा."
मोहित ने दरवाजा बंद किया और नगमा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर ले आया. "अब शांत हो जाओ...पानी दू क्या?"
"नही मैं ठीक हूँ. कौन थी वैसे ये छिनाल."
"छोड़ो उसे ये बताओ आज मेरी याद कैसे आई तुम्हे."
"बापू घर पर नही है. तुम्हे वादा कर रखा था कभी..इसलिए आई थी...पर सारा मूड खराब कर दिया उसने."
"उसे गोली मारो तुम...आओ हम अपना काम करते हैं. वैसे आजकल मेरा दिल एक लड़की में अटका है...इसलिए मन नही होता किसी के साथ कुछ करने का. लेकिन अपनी बहुत पहले बात हुई थी इसलिए उसे पूरा करते हैं आज."
"राज शर्मा का दिल भी कही अटका है, तुम्हारा भी अटका है...हो क्या रहा है. राज शर्मा तो पद्मिनी के जाल में फँस गया. तुम्हारा दिल कौन ले उड़ी." नगमा ने पूछा.
अब मोहित कैसे बताए पूजा का नाम. दिक्कत हो जाएगी. "छोड़ ना ये बाते मूड ही खराब होगा."
"शूकर है...मतलब कि तुम्हारा मूड है."
"और नही तो क्या?"
"मैं तो डर ही गयी थी...एक काम करने का मन है...करू"
"हां-हां करो."
"सीधे लेट जाओ फिर." नगमा ने कहा.
मोहित लाते गया और नगमा उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी. उसने मोहित की पॅंट की ज़िप खोली और मोहित का लंड बाहर निकाल लिया. वो काले नाग की तरह फन-फ़ना रहा था.नगमा ने लंड को मूह में ले लिया और चूसने लगी.
"कहा तो ब्लो जॉब मिलती नही थी अब लड़किया खुद मेहरबान हो रही हैं. वाउ बहुत अच्छा चूस रही हो नगमा. लगी रहो."
नगमा कुछ देर तक यू ही चूस्ति रही लंड और मोहित उसके सर को सहलाता रहा. कुछ देर बाद नगमा ने अपनी सलवार का नाडा खोला और लंड को सीधा पकड़ कर उस पर अपनी चूत टिका दी.
"पहली बार तुम्हारा लंड चूत में ले रही हूँ...देखते हैं कैसा लगता है."
नगमा ने अपनी गान्ड को नीचे की तरफ पुश किया और मोहित का लंड नगमा की चूत में घुसता चला गया.
"अच्छी चूत है तुम्हारी...पकड़ अच्छी है लंड पर...गुड...पूरा घुसा लो अंदर आआहह." मोहित कराह उठा. नगमा ने पूरा अंदर ले लिया था.
अब वो धीरे धीरे मोहित के लंड को चूत में फँसाए हुए अपनी गान्ड को उछालने लगी.
"आआअहह अच्छा लग रहा है ये लंड चूत में. गांद में तो बहुत दर्द दिया था इसने आअहह." नगमा आँखे बंद किए हुए मोहित के उपर उछल रही थी.
जल्दी ही मोहित ने नगमा को पकड़ा और उसे अपने नीचे ले आया. इस दौरान लंड चूत में ही फँसा रहा. नगमा को नीचे लाकर मोहित ने उसकी टाँगो को कंधे पर रखा और धक्को की बोछार शुरू कर दी नगमा की चूत में.
नगमा तो लगातार काई बार झड़ी. उसकी शिसकिया कमरे में गूँज रही थी. अचानक मोहित ने स्पीड बहुत तेज बढ़ा दी. और वो कुछ देर बाद ढेर हो गया नगमा के उपर.
"कैसा लगा मेरा लंड तुम्हारी चूत को."
"बहुत अच्छा लगा. एक बार फिर से करना पड़ेगा तुम्हे."
"करूँगा ज़रूर करूँगा. एक बात कहु"
"हां कहो."
"काश तुम पर ही दिल आ जाता मेरा. तुम अच्छी लड़की हो." मोहित ने कहा.
"अगर ऐसा होता तो मैं सब कुछ छोड़ देती तुम्हारे लिए. पर प्यार कहा अपनी किस्मत में. अपनी किस्मत में तो लंड के धक्के लिखे हैं."
"शादी कब कर रही हो तुम."
"शादी और मैं, ये सवाल मत पूछो तुम."
"क्यों क्या हुआ, शादी की उमर तो है तुम्हारी. शादी नही करना चाहती क्या. या फिर यू ही मज़े लोगि तुम"
"तुम नही समझोगे रहने दो"
"क्या बात है बताओ तो" मोहित ने उत्शुकता से पूछा.
"दहेज के लिए पैसा कहाँ है बापू के पास जो शादी होगी. वैसे भी मेरा मन नही है शादी करने का. मेरी बहन पूजा की शादी हो जाए बस कही अच्छी जगह. उसी के लिए दुवा करती हूँ. बापू हम दोनो का बोझ नही उठा सकते मोहित. एक की ही शादी हो सकती है. और मैं चाहती हूँ कि पूजा का घर बस जाए. मेरा क्या है...मेरा चरित्र तो बीवी बन-ने लायक रहा भी नही है. क्यों किसी को धोका दू." कहते-कहते नगमा की आँखे भर आई थी.
मोहित नगमा के उपर था और अभी भी उसमें समाया हुआ था. वो तो नगमा को देखता ही रह गया. उसने नगमा के होंठो को किस किया और बोला, "मुझे नही पता था कि नगमा ऐसी बाते भी कर सकती है."
"मैं क्या इंसान नही हूँ" नगमा ने सवाल किया.
"मेरा वो मतलब नही है."
"निकाल लो बाहर मोहित. थोड़ा सा भावुक हो गयी हूँ. मन हुआ तो थोड़ी देर में करेंगे." नगमा ने कहा.
"ओह हां सॉरी...." मोहित ने लिंग बाहर खींच लिया.
"मुझे गर्व है खुद पे की मैने तुम्हारे साथ संभोग किया नगमा." मोहित ने कहा.
दोनो एक दूसरे से लिपट गये और खो गये कही अपने बीच उभरे जज्बातो में. दोनो लिपटे ही रहे कुछ कर नही पाए बाद में. शायद एक दूसरे से लिपटे रहना ज़्यादा अच्छा लग रहा था दोनो को.
"नगमा मैं तो तुम्हे बहुत बुरी समझता था. लेकिन आज मेरा नज़रिया बदल गया." मोहित ने कहा.
"बुरी तो मैं हूँ ही. तुम ठीक ही समझते थे. जानते तो हो ही मेरे बारे में सब." नगमा ने कहा.
"हां जानता हूँ. पर तुम्हारा ये जज्बाती रूप नही देखा था मैने. तुम उतनी बुरी नही हो जितना मैं समझता था. तुम अच्छी लड़की हो."
"अच्छी हूँ तो क्या प्यार कर सकते हो मुझसे" नगमा ने मोहित की आँखो में झाँक कर पूछा.
"चाहने लगा हूँ किसी और को वरना कर लेता तुझे प्यार." मोहित ने कहा.
"अच्छा छोड़ो उसका नाम तो बताओ, कौन है वो, कहा रहती है, क्या करती है. कुछ तो बताओ."
"अभी कुछ नही बता सकता...सॉरी...अच्छा ये बता तेरा बापू कहाँ चला जाता है बार-बार...काम पर ध्यान देगा वो तो अच्छा कमा लेगा."
"छोटी सी पान की दुकान है बापू की. क्या कमाएँगे. गाँव में खेत है छोटा सा उसकी देख रेख के लिए जाते रहते हैं वो."
"ह्म्म...चल चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा."
"तुम्हारे लंड में हरकत हो रही है, कुछ करने का मन है क्या?" नगमा ने मोहित से पूछा.
"मन कैसे नही होगा तू इतने पास जो पड़ी है." मोहित ने कहा.
"आ जाओ फिर. मुझे गम भुलाने के लिए एक तूफान की ज़रूरत है. मचा दो तूफान मेरे अंदर." नगमा ने कहा.
"पछदे में तो तू पड़ ही चुका है. तेरा दिल पद्मिनी ले गयी मेरा दिल पूजा ले गयी. हम दोनो ही फँस गये यार."
"तेरा तो कुछ हो भी सकता है. मेरा तो दिल ऐसी जगह लगा है जहा कोई चान्स नही है. अच्छा मैं चलता हूँ. 9 बज रहे हैं, ड्यूटी के लिए लेट हो रहा हूँ. अरे हां एक बात और करनी थी."
"हां बोलो."
"मुझे लगता है जंगल में कुछ गड़बड़ है. वो साइको जंगल के पास ही वारदात करता है अधिकतर. तुझे क्या लगता है क्या कारण हो सकता है."
"बात तो सही कह रहे हो...हो सकता है कि कुछ राज छुपा हो जंगल में." मोहित ने कहा.
तभी मोहित के रूम का दरवाजा खड़का. मोहित ने आकर देखा. वो तो भोंचक्का रह गया.
"तुम! यहाँ कैसे."
"पूजा से अड्रेस लिया तुम्हारा और पहुँच गयी." कविता ने कहा और कमरे में घुस्स गयी. उसने राज शर्मा को पहचान लिया. वो बोली, "ओह आप भी यहाँ है, कल आप ना आते वक्त पर तो ये हमें मार डालते."
राज शर्मा फ़ौरन खड़ा हो गया और चल दिया, "अच्छा गुरु मैं चलता हूँ."
"राज शर्मा रूको यार अकेला छोड़ कर मत जाओ मुझे." मोहित ने कहा.
"हन रुक जाओ ना आप...मेरे आते ही क्यों भाग रहे हैं." कविता ने कहा.
"मोहतार्मा अभी हमारा मन ज़रा व्यथित है वरना आपका वो हाल करते कि आप हमें कभी रुकने को ना कहती. गुरु सम्भालो इस जंजाल को मैं लेट हो रहा हूँ." राज शर्मा कह कर कमरे से निकल जाता है.
"तुम्हारा दोस्त तो बड़ा आरोगेंट है. तमीज़ ही नही बात करने की." कविता बोली.
"यहाँ क्यों आई हो अब मेरी मा. ले तो ली थी कल तुम्हारी मैने. अड्रेस भी पूजा से लेकर आई हो. क्यों बिगाड़ने पे तूलि हो मेरा काम तुम. तुम्हे क्या कमी है लड़को की जो मेरे पीछे पड़ गयी."
"लड़के तो बहुत हैं पर आप जैसा शायर नही मिला कोई."
"मैं कोई शायर नही हूँ...वो तो यू ही बोल दी थी कुछ लाइन्स मैने."
दरवाजा खुला ही था. नगमा आ गयी अंदर.
"अरे नगमा तुम आओ...आओ बहुत अच्छे वक्त पर आई हो." मोहित तो खुस हो गया नगमा को देख कर.
"ये कौन है?" कविता ने पूछा. कविता पूजा की बहन से मिली नही थी इसलिए नगमा को नही जानती थी.
"ये मेरी गर्ल फ्रेंड है...नगमा"
"गुड फिर तो बहुत अच्छी ऑपर्चुनिटी है. लेट्स हॅव आ फन टुगेदर."
"क्या बकवास कर रही हो. मेरी गर्ल फ्रेंड के सामने ऐसी बाते मत करो." मोहित ने कहा और नगमा के पास आकर उसके कान में कहा,"इस से छुटकारा दिलवा तो नगमा, मेरे पीछे पड़ी है."
नगमा कविता के पास आई और बोली, "चली जाओ यहाँ से, मेरे बॉय फ्रेंड को अकेला छोड़ दो."
"तू भी यहाँ मस्ती करने आई है ना. साथ में मस्ती करते हैं. हम आपस में भी कुछ....." कविता नगमा की तरफ बढ़ी.
"एक साथ मस्ती, ये क्या बकवास है. दफ़ा हो जाओ यहाँ से." नगमा ने पीछे हट-ते हुए कहा.
लेकिन नगमा दीवार से टकरा कर रुक गयी. कविता उसके बहुत करीब आ गयी. इतना करीब की दोनो के बूब्स आपस में टकरा रहे थे. नगमा की तो हालत पतली हो गयी. इस से पहले की वो कुछ कर पाती कविता ने उसके होंठो पर अपने होन्ट टिका दिए. नगमा तो सकपका गयी और उसने कविता को ज़ोर से धक्का मारा. कविता फर्श पर गिर गयी.
"उफ्फ ये क्या बला है...तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये करने की." नगमा ने कहा और टूट पड़ी कविता पर. बाल नोच लिए उसने उसके.
"बच्चाओ मुझे आअहह." कविता मोहित की तरफ देख कर गिड़गिडाई.
"भुग्तो अब...मेरी गर्ल फ्रेंड को लेज़्बीयन आक्ट बिल्कुल पसंद नही है" मोहित ने कहा.
"छोड़ तो मुझे आअहह." कविता ने कहा.
"मेरी किस क्यों ली तूने बता मुझे. जींदा नही छोड़ूँगी तुझे मैं." नगमा ने कहा.
नगमा तो छोड़ ही नही रही थी कविता को. मामला गंभीर होता देख मोहित ने नगमा को पकड़ कर कविता के उपर से खींच लिया. "छोड़ दो बहुत हो गया. सारे बाल नोच लोगि
क्या बेचारी के."
कविता फ़ौरन उठी और वहाँ से रफू चक्कर हो गयी. उसने पीछे मूड कर भी नही देखा. कविता नाम की बला मोहित के सर से शायद टल गयी थी.
"बहुत बहुत शुक्रिया तुम्हारा नगमा. वो तो पीछे ही पड़ गयी थी मेरे."
"तुम ना हटाते मुझे तो जान से मार देती कुतिया को. सारा मूड खराब कर दिया मेरा."
मोहित ने दरवाजा बंद किया और नगमा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर पर ले आया. "अब शांत हो जाओ...पानी दू क्या?"
"नही मैं ठीक हूँ. कौन थी वैसे ये छिनाल."
"छोड़ो उसे ये बताओ आज मेरी याद कैसे आई तुम्हे."
"बापू घर पर नही है. तुम्हे वादा कर रखा था कभी..इसलिए आई थी...पर सारा मूड खराब कर दिया उसने."
"उसे गोली मारो तुम...आओ हम अपना काम करते हैं. वैसे आजकल मेरा दिल एक लड़की में अटका है...इसलिए मन नही होता किसी के साथ कुछ करने का. लेकिन अपनी बहुत पहले बात हुई थी इसलिए उसे पूरा करते हैं आज."
"राज शर्मा का दिल भी कही अटका है, तुम्हारा भी अटका है...हो क्या रहा है. राज शर्मा तो पद्मिनी के जाल में फँस गया. तुम्हारा दिल कौन ले उड़ी." नगमा ने पूछा.
अब मोहित कैसे बताए पूजा का नाम. दिक्कत हो जाएगी. "छोड़ ना ये बाते मूड ही खराब होगा."
"शूकर है...मतलब कि तुम्हारा मूड है."
"और नही तो क्या?"
"मैं तो डर ही गयी थी...एक काम करने का मन है...करू"
"हां-हां करो."
"सीधे लेट जाओ फिर." नगमा ने कहा.
मोहित लाते गया और नगमा उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी. उसने मोहित की पॅंट की ज़िप खोली और मोहित का लंड बाहर निकाल लिया. वो काले नाग की तरह फन-फ़ना रहा था.नगमा ने लंड को मूह में ले लिया और चूसने लगी.
"कहा तो ब्लो जॉब मिलती नही थी अब लड़किया खुद मेहरबान हो रही हैं. वाउ बहुत अच्छा चूस रही हो नगमा. लगी रहो."
नगमा कुछ देर तक यू ही चूस्ति रही लंड और मोहित उसके सर को सहलाता रहा. कुछ देर बाद नगमा ने अपनी सलवार का नाडा खोला और लंड को सीधा पकड़ कर उस पर अपनी चूत टिका दी.
"पहली बार तुम्हारा लंड चूत में ले रही हूँ...देखते हैं कैसा लगता है."
नगमा ने अपनी गान्ड को नीचे की तरफ पुश किया और मोहित का लंड नगमा की चूत में घुसता चला गया.
"अच्छी चूत है तुम्हारी...पकड़ अच्छी है लंड पर...गुड...पूरा घुसा लो अंदर आआहह." मोहित कराह उठा. नगमा ने पूरा अंदर ले लिया था.
अब वो धीरे धीरे मोहित के लंड को चूत में फँसाए हुए अपनी गान्ड को उछालने लगी.
"आआअहह अच्छा लग रहा है ये लंड चूत में. गांद में तो बहुत दर्द दिया था इसने आअहह." नगमा आँखे बंद किए हुए मोहित के उपर उछल रही थी.
जल्दी ही मोहित ने नगमा को पकड़ा और उसे अपने नीचे ले आया. इस दौरान लंड चूत में ही फँसा रहा. नगमा को नीचे लाकर मोहित ने उसकी टाँगो को कंधे पर रखा और धक्को की बोछार शुरू कर दी नगमा की चूत में.
नगमा तो लगातार काई बार झड़ी. उसकी शिसकिया कमरे में गूँज रही थी. अचानक मोहित ने स्पीड बहुत तेज बढ़ा दी. और वो कुछ देर बाद ढेर हो गया नगमा के उपर.
"कैसा लगा मेरा लंड तुम्हारी चूत को."
"बहुत अच्छा लगा. एक बार फिर से करना पड़ेगा तुम्हे."
"करूँगा ज़रूर करूँगा. एक बात कहु"
"हां कहो."
"काश तुम पर ही दिल आ जाता मेरा. तुम अच्छी लड़की हो." मोहित ने कहा.
"अगर ऐसा होता तो मैं सब कुछ छोड़ देती तुम्हारे लिए. पर प्यार कहा अपनी किस्मत में. अपनी किस्मत में तो लंड के धक्के लिखे हैं."
"शादी कब कर रही हो तुम."
"शादी और मैं, ये सवाल मत पूछो तुम."
"क्यों क्या हुआ, शादी की उमर तो है तुम्हारी. शादी नही करना चाहती क्या. या फिर यू ही मज़े लोगि तुम"
"तुम नही समझोगे रहने दो"
"क्या बात है बताओ तो" मोहित ने उत्शुकता से पूछा.
"दहेज के लिए पैसा कहाँ है बापू के पास जो शादी होगी. वैसे भी मेरा मन नही है शादी करने का. मेरी बहन पूजा की शादी हो जाए बस कही अच्छी जगह. उसी के लिए दुवा करती हूँ. बापू हम दोनो का बोझ नही उठा सकते मोहित. एक की ही शादी हो सकती है. और मैं चाहती हूँ कि पूजा का घर बस जाए. मेरा क्या है...मेरा चरित्र तो बीवी बन-ने लायक रहा भी नही है. क्यों किसी को धोका दू." कहते-कहते नगमा की आँखे भर आई थी.
मोहित नगमा के उपर था और अभी भी उसमें समाया हुआ था. वो तो नगमा को देखता ही रह गया. उसने नगमा के होंठो को किस किया और बोला, "मुझे नही पता था कि नगमा ऐसी बाते भी कर सकती है."
"मैं क्या इंसान नही हूँ" नगमा ने सवाल किया.
"मेरा वो मतलब नही है."
"निकाल लो बाहर मोहित. थोड़ा सा भावुक हो गयी हूँ. मन हुआ तो थोड़ी देर में करेंगे." नगमा ने कहा.
"ओह हां सॉरी...." मोहित ने लिंग बाहर खींच लिया.
"मुझे गर्व है खुद पे की मैने तुम्हारे साथ संभोग किया नगमा." मोहित ने कहा.
दोनो एक दूसरे से लिपट गये और खो गये कही अपने बीच उभरे जज्बातो में. दोनो लिपटे ही रहे कुछ कर नही पाए बाद में. शायद एक दूसरे से लिपटे रहना ज़्यादा अच्छा लग रहा था दोनो को.
"नगमा मैं तो तुम्हे बहुत बुरी समझता था. लेकिन आज मेरा नज़रिया बदल गया." मोहित ने कहा.
"बुरी तो मैं हूँ ही. तुम ठीक ही समझते थे. जानते तो हो ही मेरे बारे में सब." नगमा ने कहा.
"हां जानता हूँ. पर तुम्हारा ये जज्बाती रूप नही देखा था मैने. तुम उतनी बुरी नही हो जितना मैं समझता था. तुम अच्छी लड़की हो."
"अच्छी हूँ तो क्या प्यार कर सकते हो मुझसे" नगमा ने मोहित की आँखो में झाँक कर पूछा.
"चाहने लगा हूँ किसी और को वरना कर लेता तुझे प्यार." मोहित ने कहा.
"अच्छा छोड़ो उसका नाम तो बताओ, कौन है वो, कहा रहती है, क्या करती है. कुछ तो बताओ."
"अभी कुछ नही बता सकता...सॉरी...अच्छा ये बता तेरा बापू कहाँ चला जाता है बार-बार...काम पर ध्यान देगा वो तो अच्छा कमा लेगा."
"छोटी सी पान की दुकान है बापू की. क्या कमाएँगे. गाँव में खेत है छोटा सा उसकी देख रेख के लिए जाते रहते हैं वो."
"ह्म्म...चल चिंता मत कर सब ठीक हो जाएगा."
"तुम्हारे लंड में हरकत हो रही है, कुछ करने का मन है क्या?" नगमा ने मोहित से पूछा.
"मन कैसे नही होगा तू इतने पास जो पड़ी है." मोहित ने कहा.
"आ जाओ फिर. मुझे गम भुलाने के लिए एक तूफान की ज़रूरत है. मचा दो तूफान मेरे अंदर." नगमा ने कहा.