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Romance बात एक रात की(Completed)

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Update 46

देखिए मैं किसी मुसीबत में नही फासना चाहती थी. आपसे फोन पर बात करने के बाद मुझे पता चला था कि सुरिंदर मर गया. अब मैं उस रात उसके साथ थी. मुझे डर लग रहा था कि मैं बेकार में मुसीबत में फँस जाउन्गि और मेरी बदनामी होगी. इसलिए मैने मोबाइल फेंक दिया था."

"देखिए साइको किल्लर बाहर में सारे आम घूम रहा है. आपको कुछ भी पता हो तो बता दो. मैं यकीन दिलाता हूँ आपको कि आपकी प्राइवसी का ध्यान रखा जाएगा."

"जब मैं सुरिंदर के घर में थी तो मुझे घर के पीछे कुछ आहट सुनाई दी थी. मैने इस बारे में सुरिंदर को बताया भी था. लेकिन उसने ध्यान नही दिया. सब कुछ मेरे जाने के बाद हुआ."

"क्या आपने किसी को देखा वहाँ."

"नही मैने बस दो पोलीस वालो को देखा था."

"वो बेचारे तो खुद मारे गये."

"हां...न्यूज़ पर देखा सब."

"आपको क्या लगता है. सुरिंदर ने झूठी गवाही क्यों दी पोलीस को."

"मुझे खुद यकीन नही था कि वो लड़की खूनी है. और वही हुआ भी. मैने सुरिंदर से इस बारे में पूछा था. लेकिन उसने यही कहा कि उसने खुद उस लड़की को खून करते देखा है. मैने और ज़्यादा इस बारे में उस से बात नही की."

"थॅंक यू वेरी मच मोनिका जी. अब मैं चलता हूँ."

"जो मुझे पता था बता दिया सर. प्लीज़ इस केस में मेरा नाम ना आए. मेरी शादी शुदा जिंदगी का सवाल है."

"मैं समझ रहा हूँ...आप बेफिकर रहें."

राज शर्मा उठ कर चल देता है. लेकिन दरवाजे पर आकर पाता है कि बाहर बहुत तेज बारिश हो रही है.

"उफ्फ मैं तो अपनी जीप भी पीछे छोड़ आया. बहुत तेज बारिश हो रही है."

"थोड़ी देर रुक जाइए आप."

"मैं तो रुक जाउन्गा लेकिन ऐसे मौसम में मैं कही बहक ना जाऊ...आप बहुत सुंदर हो."

मोनिका शर्मा जाती है और नज़रे झुका कर कहती है, मज़ाक मत कीजिए."

"मज़ाक नही कर रहा हूँ. आप सच में सुंदर हैं. ऐसे मौसम में कोई भी बहक जाएगा आपको देख के."

मोनिका हस्ने लगती है. "बस...बस आप तो फ्लर्ट कर रहे हैं."

यही दिक्कत है आदमी के मूह से निकला हर सच औरत को फ्लर्ट ही लगता है.

"आपने मेरा डर ही भगा दिया. अगर आपकी जगह कोई और पोलीस वाला आता तो मेरी जान निकल जाती अब तक. मैं वैसे ही कयि दिनो से परेशान थी इस बात को लेकर."

राज शर्मा मोनिका को बड़े प्यार से देखता है और कहता है, "मोनिका जी ये सच है कि मैं फ्लर्ट हूँ. आदत से थोड़ा मज़बूर हूँ. लेकिन ये बिल्कुल सच है कि आप बहुत ही क्यूट हो. सुरिंदर जैसे लोगो के हाथो में मत पड़ा कीजिए. देखिए ना कितनी बड़ी मक्कारी की है उसने पोलीस डेप्ट के साथ. सोच समझ कर दिल लगाया कीजिए."

"मेरा आगे से ऐसा कोई इरादा नही है. मुझे अपनी ग़लती का अहसास है."

"ऐसा ना कहिए मेरे जैसो का दिल टूट जाएगा." राज शर्मा की बात पर मोनिका शर्मा गयी.

"लगता है मेरा फ्लर्ट काम कर रहा है. आप तो मेरे जाल में फस्ति जा रही हैं." राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

"ऐसा कुछ नही है. आपको वेहम हो रहा है."

"आप मेरे चक्कर में मत फासना मेरा तो यही काम है"

"आप अपने खिलाफ ही बोल रहे हैं."

"आपको चेतावनी देना मेरा फ़र्ज़ है."

"यू आर वेरी इंट्रेस्टिंग पर्सन."

"आप ऐसी बाते करेंगी तो मेरा हॉंसला बढ़ेगा और फ्लर्ट करने का. कभी किसी को ऐसा मोका मत दीजिए."

"आप घबराओ मत आपका कोई चान्स नही है यहाँ."

"अच्छा ऐसा है क्या?" राज शर्मा कहता है और मोनिका की तरफ बढ़ता है. वो अपने होंठो पर जीभ फ़ीरा कर अपनी इंटेन्षन क्लियर कर देता है कि वो किस करने वाला है. ज़्यादा दूर नही थी मोनिका राज शर्मा से. बस दो कदम का फांसला था.

"आप क्या करने वाले हैं दूर रहिए." मोनिका पीछे कदम बढ़ाती है.

"चेक करना चाहता हूँ की मेरा चान्स है कि नही." राज शर्मा आगे बढ़ते हुए बोलता है.

मोनिका पीछे हटती चली जाती है और फाइनलि दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है. राज शर्मा मोनिका की आँखो में देखता हुआ आगे बढ़ता रहता है. मोनिका के बिल्कुल पास पहुँच कर वो मोनिका के सर के दोनो तरफ देवार पर अपने हाथ रख लेता है और मोनिका की आँखो में झाँक कर देखता है.

"आप ये क्या कर रहे हैं." मोनिका शर्मा कर पूछती है.

राज शर्मा बिना कुछ कहे अपने होन्ट मोनिका के होंठो पर टिका देता है. मोनिका चुपचाप खड़ी रहती है. राज शर्मा उसके रश भरे होंठो को चूमता रहता है. अचानक वो हट जाता है और वापिस दरवाजे पर आ जाता है और बोलता है, "मेरा चान्स तो बहुत तगड़ा है. आप झूठ बोल रही थी."

मोनिका दिल पर हाथ रखे दीवार के सहारे खड़ी रहती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.

"उफ्फ ये बारिश तो रुकने का नाम ही नही ले रही. और तेज होती जा रही है. चाय ही पीला दीजिए थोड़ी, मौसम ठंडा हो रहा है" राज शर्मा ने कहा.

"लाती हूँ अभी आप वेट कीजिए...चीनी कितनी लेंगे."

"बहुत थोड़ी...आपके होंठो का मीठा रस पीकर बहुत मिठास भर गयी है दिल में."

मोनिका नज़रे झुका कर, शर्मा कर वहाँ से किचन की ओर चली जाती है.

"फँस चुकी है ये तो. पर रहने देता हूँ. उसे कही ये ना लगे कि मैं इस केस का दबाव बना कर फ्लर्ट कर रहा हूँ. ऐसे अच्छा नही लगेगा. रहने दो खुस अपनी जिंदगी में. मुझे लड़कियों की क्या कमी है. ये भी हो सकता है कि वो सिर्फ़ नाटक कर रही हो. आख़िर वो परेशान थी. यही ठीक रहेगा रहने देता हूँ इसके साथ. ऐसी बातो से पोलीस की बदनामी होती है."

बारिश बढ़ती ही जा रही थी और राज शर्मा दरवाजे पर खड़ा खड़ा कशमकश में खोया था.
 

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Update 47

इधर चौहान अपनी आदत से मजबूर, मोका हाथ से गवाना नही चाहता था. जैसे उसने पूजा पर दबाव बना कर उसकी ली थी ऐसे ही वो सोनिया के साथ भी करना चाहता था.

"क्या हुआ सोनिया जी आप तो गहरी चिंता में खो गयी. मेरे स्वाल का जवाब नही दिया आपने. वैसे कहा जाता है की खामोशी का मतलब हां ही होता है. मैं हां समझू क्या"

अब सोनिया कहे भी तो क्या. हां उसका नरेश से संबंध था पर इसका मतलब ये नही था कि वो किसी को भी दे देगी.

चौहान सोनिया के पास आया और उसकी गान्ड पर फिर से हाथ रख दिया. "आओ तुम्हारे बेडरूम में चलते हैं. तुम्हे अच्छा लगेगा."

"आप क्या यहाँ ये सब करने आए थे." सोनिया ने कहा.

"चलिए ये सब नही करते...कल मिलते हैं. मुझे इस केस के बारे में आपके पति से भी तो मिलना होगा." चौहान फिर से चलने का नाटक करता है.

"रुकिये...कर लीजिए जो करना है."

"ये हुई ना बात. तुझे क्या फरक पड़ेगा. अपने पति को एक धोका और सही हे..हे...हे." चौहान आगे बढ़ कर सोनिया को गोदी में उठा लेता है.

"ऐसी चूत मारूँगा तेरी की उस नरेश को भूल जाएगी तू." चौहान बेडरूम की तरफ बढ़ते हुए बोलता है.

चौहान सोनिया को उसके बेडरूम में ले आया और उसे बिस्तर पर लेटा दिया. वो खुद बिस्तर के किनारे खड़े हो कर अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा. सोनिया हैरानी भरी नज़रो से उसे देख रही थी.

"ऐसे क्या देख रही है...बहुत बेचैन हो रही है क्या...हे..हे..हे?" चौहान ने कहा.

"यू आर बॅड कॉप."

"आंड यू अरे बाद वाइफ. इट विल बी गुड कॉंबिनेशन इस्न'ट इट...लेट्स एंजाय टुगेदर खि...खि...खि."

चौहान अपनी शर्ट उतार कर बिस्तर पर चढ़ गया.

"मूह में लेगी क्या पहले?" चौहान ने पूछा.

"आइ डोंट गिव हेड"

"ओके...थ्ट्स कूल बेबी...बट आइ लाइक पटिंग माइ डिक इन दा माउत. सो यू बेटर सक इट टुडे."

"आइ डोंट नो हाउ टू सक. आइ कॅंट डू इट."

"कोई बात नही...मूह में लंड डालूँगा तो चूसना सीख ही जाओगी." चौहान ने कहा.

चौहान ने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और अपने लंड को बाहर निकाल लिया. सोनिया की नज़र चौहान के लंड पे पड़ी तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी.

"क्या देख रही है. इस्न'टी इट ए गुड कॉक."

चौहान सोनिया की छाती पर चढ़ गया. उसका लंड सोनिया के मूह के बिल्कुल पास था.

"मूह खोलिए कोई बड़ी बेसब्री से आपका इंतजार कर रहा है." चौहान ने कहा.

"यू आर ए सिक कॉप."

"आंड यू आर आ सिक वाइफ. अब मूह खोल और चुपचाप चूस इसे."

"ठीक है मैं सक कारूगी. पर तुम मेरे पति से नही मिलोगे."

"अगर तुम मेरा साथ दोगि तो मुझे क्या करना है तुम्हारे पति से मिल के."

"थ्ट्स कूल."

"तू चिंता मत कर एक बार मेरे साथ एंजाय करेगी ना तो अपने नरेश को भूल जाएगी."

"एक बात तो है."

"क्या बोलो."

"तुम्हारा नरेश से थोड़ा बड़ा है."

"मज़ा भी ये बड़ा ही देगा मेरी जान तू मूह में तो ले."

"सोनिया चौहान के लंड के उपरी हिस्से को मूह में ले लेती है."

"आअहह मार डाला जालिम ने...आअहह क्या पकड़ा है मेरे लंड को अपने होंठो से. यू आर गुड सकर."

सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाला और बोली,"इट्स माइ फर्स्ट टाइम."

"पहली बार में ही धमाका. वाउ सक इट बेबी."

सोनिया ने चौहान के लंड को फिर से मूह में डाल लिया और चूसने लगी.

"बहुत अच्छे से चूस रही हो. लगता है अच्छा लग रहा है तुम्हे मेरा लंड."

"तुम चुसवा रहे हो मैं चूस रही हूँ. इस से ज़्यादा और कुछ नही है" सोनिया ने चौहान के लंड को मूह से निकाल कर कहा.

"कोई बात नही तुम चूसो...एक आध बार अपनी जीभ मेरी बॉल्स पर भी फिरा दो."

सोनिया ने चौहान के लंड को वापिस मूह में ले लिया.

"आआहह यस सक इट बेबी." चौहान ने सोनिया के सर को पकड़ लिया और उसके मूह में धक्के लगाने लगा.

चौहान ने अचानक अपने लंड को सोनिया के मूह से बाहर खींच लिया और और सोनिया की छाती से हट कर उसकी टाँगो को फैला कर उनके बीच बैठ गया. उसने सोनिया की सलवार का नाडा पकड़ा और उसे एक झटके में खोल दिया. सोनिया पॅंटी भी नही पहने थी इसलिए उसकी नंगी चूत तुरंत चौहान की आँखो के सामने आ गयी.

"वाह क्या चिकनी चूत है. एक भी बाल नही है." चौहान ने कहा.

सोनिया ने शर्मा कर अपनी आँखे बंद कर ली. चौहान सोनिया के उपर झुक गया और उसके होंठो को चूम लिया. उसका लंड खुद-ब-खुद सोनिया की चूत के उपर पोज़िशन ले चुका था. एक्सपर्ट लंड था होल को ढूँढने में उसे ज़्यादा परेशानी नही हुई. चौहान का लंड जब सोनिया की चूत में घुसा तो वो कराह उठी.

"आआहह...म्‍म्म्मममममम"

चौहान ने एक ही झटके में पूरा लंड सोनिया की चूत में उतार दिया था. लंड अंदर घुसाते ही वो धक्के भी मारने लगा. सोनिया की तो हालत पतली ही गयी. कुछ देर तक वो सोनिया की चूत उसी पोज़िशन में ठोकता रहा. कुछ देर बाद उसने लंड बाहर निकाला और सोनिया को कहा कि घूम जाओ. सोनिया चौहान के नीचे घूम गयी और चौहान ने उसकी गान्ड फैला कर चूत में लंड डाल दिया.

"आआआहह ये पोज़िशन पहली बार लगाई मैने आअहह." सोनिया ने कहा. उसको इस पोज़िशन में अलग ही मज़ा आ रहा था.

चौहान सोनिया की चूत यू ही रगड़ता रहा. सोनिया इतने में 2 बार झाड़ गयी.

चौहान ने अचानक लंड बाहर निकाला और सोनिया की गान्ड के छेद पर टीका दिया. इस से पहले की सोनिया कुछ समझ पाती उसकी गान्ड में आधा लंड घुस्स चुका था.

"उउऊययययीीई मा ये क्या किया...नही....ऊओह."

पर चौहान कहा रुकने वाला था. उसने तो पूरा लंड सोनिया की गान्ड में उतार दिया और धक्के भी मारने शुरू कर दिए.

"ये मखमली गान्ड तो मारनी ज़रूरी थी....खि...खि..खि."

"यहाँ टाइम ज़्यादा मत लगाना दर्द हो रहा है....आआहह"

चौहान सोनिया की गान्ड में ज़ोर ज़ोर से लंड को रगड़ रहा था और मज़े की शिसकिया ले रहा था. चौहान के हर धक्के के साथ सोनिया की गान्ड छलक उठी थी.

"वाउ सच आ नाइस पीस ऑफ बट."

जल्दी ही चौहान ने सोनिया की गान्ड को अपने वीर्य से भर दिया.

"ओह व्हाट आ फक." चौहान हांप रहा था.

"निकाल लीजिए अब तो." सोनिया भी हांपते हुए बोली.

"ओह हां बिल्कुल...ये लो" चौहान ने सोनिया की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया. लंड के निकलने पर ग्लूप की आवाज़ हुई.

सोनिया तुरंत टाय्लेट की तरफ भागी. जब वो वापिस आई तो चौहान कपड़े पहन चुका था. उसने भी अपने कपड़े पहन लिए.
 

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Update 48


"धन्यवाद सोनिया जी...भूल चूक माफ़ करना. आपको अगर कोई भी नयी जानकारी मिले तो मुझे तुरंत इस नंबर पर फोन करना." चौहान ने अपना कार्ड सोनिया को दे दिया.

जाते जाते चौहान ने सोनिया को बाहों मे भरा और बोला,"दोनो होल एक से बढ़ कर एक हैं. गान्ड में पहले भी लिया है क्या कभी."

"पहले ना किया होता तो जाता तुम्हारा इतना मोटा." सोनिया हंस दी.

"दुबारा मेरी सेवा की ज़रूरत हो तो बताना." चौहान ने सोनिया को किस किया और वहाँ से चल दिया.

"अफ बारिश हो रही है...शूकर है गाड़ी नज़दीक खड़ी की मैने." चौहान ने कहा और सोनिया के घर से निकल गया.

चौहान के जाते ही सोनिया ने अपना मोबाइल उठाया और नरेश को फोन लगाया.

"आ जाओ तुम...इनस्पेक्टर चला गया."

............................................................

.

मोनिका चाय लाई और राज शर्मा ने चुपचाप दरवाजे पर खड़े खड़े चाय पी बारिश की बूँदो को देखते हुए.

"मोनिका जी मुझे लगता है कि मुझे निकलना चाहिए. मेरा यहाँ रुकना ठीक नही."

" जैसी आपकी मर्ज़ी."

"मेरा नंबर रख लीजिए आपको कुछ और याद आए तो प्लीज़ ज़रूर बताना. उस साइको को पकड़ना बहुत ज़रूरी है."

"जी बिल्कुल"

राज शर्मा बारिश में ही निकल पड़ा. जीप तक पहुँचते-पहुँचते राज शर्मा पूरी तरह भीग गया. जैसे ही वो जीप में बैठा उसका मोबाइल बज उठा.

"हेलो"

"मैं मोनिका बोल रही हूँ...एक बात बताना भूल गयी आपको."

"कुछ इंपॉर्टेंट है क्या."

"हां."

"रूको मोबाइल में आवाज़ सॉफ नही आ रही मैं जीप लेकर वही आता हूँ."

राज शर्मा ने जीप घुमाई और वापिस मोनिका के घर के बाहर आ गया.

राज शर्मा बुरी तरह से भीगा हुआ मोनिका के घर में परवेश करता है.

"एयेए चाइयीयियी....कहिए क्या बात है?" राज शर्मा को छींक आ गयी.

"आप तो पूरे भीग गये हैं...मैं तोलिया लाती हूँ." मोनिका ने कहा.

"वो मेरी जीप ज़रा दूर खड़ी थी. वहाँ तक पहुँचते-पहुँचते पूरा भीग गया."

मोनिका ने टोलिया ला कर राज शर्मा के हाथ में दे दिया, "लीजिए आप अपना सर सूखा लीजिए"

राज शर्मा ने तोलिया पकड़ा और बोला, "थॅंक यू सो मच. आप बहुत अच्छी हैं"

मोनिका नज़रे झुका कर हल्का सा मुस्कुरा दी और बोली,"आप भी बहुत अच्छे हैं."

"हां तो बोलिए अब. क्या बताना भूल गयी थी आप?" राज शर्मा सर पर तोलिया रगड़ते हुए बोला.

तभी अचानक बहुत ज़ोर की बिजली कदकी. बहुत ही भयानक आवाज़ हुई. मोनिका इतनी डर गयी कि वो फ़ौरन राज शर्मा से चिपक गयी.

"मुझे कोई प्राब्लम नही है आपको गले लगाने में लेकिन आपके कपड़े गीले हो जाएँगे." राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.

मोनिका तुरंत राज शर्मा से दूर हो गयी और नज़र झुका कर बोली, "ओह सॉरी मैं बिजली की आवाज़ से डर गयी थी."

राज शर्मा मोनिका के करीब आता है और कहता है, "कोई बात नही मोनिका जी. मुझे अच्छा लगा कि आपने मुझे इस काबिल समझा. आप नज़दीक आई तो सर्दी दूर भाग गयी. एक बात कहु अगर बुरा ना माने तो"

"जी कहिए."

"हमारे बीच बहुत सुंदर संभोग की संभावना बन रही है. मैं आपके लिए बहक रहा हूँ. इस से पहले कि कुछ हो जाए आप मुझे वो बात बता दो ताकि मैं चुपचाप जल्द से जल्द यहाँ से चला जाऊ."

"वही बताने जा रही थी कि कदक्ति बिजली ने डरा दिया."

"कोई बात नही ऐसी बिजली किसी को भी डरा सकती है. एक पल को तो मैं भी डर गया था. लगता है कही नज़दीक ही गिरी है बिजली."

"हां शायद...अच्छा मैं ये बताना चाहती थी कि उस रात भी मैं सुरिंदर के साथ ही थी."

"किस रात की बात कर रही हैं आप" राज शर्मा ने उत्शुक हो कर पूछा.

"जिस रात सुरिंदर ने पोलीस में जाकर झूठी गवाही दी थी."

"ओह...डीटेल में बताओ. ये तो बहुत काम की बात लगती है"

मोनिका विस्तार में बताना शुरू करती है :-

मैं कोई रात के दस बजे पहुँची थी सुरिंदर के घर. मेरे पति घर नही थे इसलिए मैने सारी रात सुरिंदर के घर ही रहने का प्लान बनाया था. डिन्नर भी मैने वही बनाया और हम दोनो ने एक साथ खाया. कुछ देर हम टीवी देखते रहे और फिर बिस्तर पर आ गये. हमने खूब बाते की. अभी हमारे बीच कुछ भी शुरू नही हुआ था. बातो बातो में रात का एक बज गया था. हमारे पास खुला वक्त होता था तो हम अक्सर यू ही मस्ती करते थे. हमारे बीच कामुक पल शुरू होने ही वाले थे कि घर की डोर बेल बज उठी. हम दोनो हैरान थे कि इतनी रात को एक बजे कौन हो सकता है. सुरिंदर ने कपड़े पहने और लाइट बंद कर दी. मैं रज़ाई में दुबक गयी. मुझे कुछ बहुत ही अजीब लग रहा था. मुझे सबसे ज़्यादा ये डर था कि जिसने भी बेल बजाई है वो अंदर ना आ जाए. लेकिन फिर भी मैं चुपचाप मूह ढके पड़ी रही. सुरिंदर दरवाजा खोलने चला गया. बेडरूम ड्रॉयिंग रूम के बिल्कुल नज़दीक था इसलिए मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी. सुरिंदर ने दरवाजा खोलते ही कहा, "अब के के तू. इतनी रात को यहाँ क्या कर रहा है." मुझे बस सुरिंदर की ही आवाज़ सुनाई दी थी. ये के के शायद बहुत धीरे बोल रहा था या फिर हो सकता है की वो सुरिंदर को दरवाजे से दूर बाहर की ओर ले गया हो. जो भी हो मुझे इस के के की कोई आवाज़ सुनाई नही दी.

थोड़ी देर बाद सुरिंदर वापिस आया और दूसरे कपड़े पहन-ने लगा. मैने पूछा कि क्या बात है तो वो बोला कि अभी किसी ज़रूरी काम से बाहर जाना है, थोड़ी देर में लौट अवँगा. मुझे बहुत हैरानी हुई.मैने पूछा सुरिंदर से कि कौन आया था उस से मिलने लेकिन उसने कोई जवाब नही दिया. उसने यही कहा कि वापिस आ कर सब बताएगा. वो चला गया. शायद उसी केके के साथ गया था. मैने बहुत वेट किया सुरिंदर का. वेट करते-करते सुबह के 6 बज गये लेकिन सुरिंदर वापिस नही आया. तक हार कर मैं वापिस अपने घर आ गयी. अगले दिन टी वी पर देखा कि सुरिंदर विटनेस बना हुआ है. मुझे कुछ समझ नही आया. वैसे सुरिंदर मुझसे अपनी जिंदगी की काफ़ी बाते शेर करता था लेकिन ये विटनेस बन-ने वाली बात के बारे में उसने कुछ नही बताया. मैं खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हुआ. सुरिंदर तो केके के साथ गया था फिर वो मर्डर सीन पर कैसे पहुँच गया. मैने अगले दिन इस बारे में पूछा भी. मुझे वो पद्‍मिनी किसी भी आंगल से कातिल नही लगी. लेकिन सुरिंदर ने यही कहा की सब कुछ उसने अपनी आँखो से देखा है और वो सच बोल रहा है. मैने और ज़्यादा इस बारे में बात नहिकी. बाकी मैं बता ही चुकी हूँ. अगले दिन मेरे सुरिंदर के घर से जाने के बाद उसका कतल हो गया.

ये थी वो बात जो आपको बताना चाहती थी. शायद इस से आपको इस केस में कुछ मदद मिले.

राज शर्मा ने बड़े ध्यान से एक एक बात बड़े गौर से सुनी थी. "ह्म्म बहुत ही काम की बात बताई है मोनिका जी आपने. ये सब आपने पहले क्यों नही बताया."

"मैं इस पचदे में नही पड़ना चाहती थी. आपको पता ही है पोलीस के मामलो में अक्सर लोगो को परेशानी ही परेशानी मिलती है. और मैं अपनी मॅरीड लाइफ में कोई ट्रबल नही चाहती. आप मुझे नेक इंसान लगे इसलिए आपको बता दिया. प्लीज़ मेरा नाम कही नही आना चाहिए. पूरे वाक्येसे मेरी इज़्ज़त जुड़ी है."

"मैं समझ सकता हूँ. आपके विस्वास को नही तोड़ूँगा. वैसे आपको क्या लगता है ये के के कौन हो सकता है.?"

"मुझे बिल्कुल आइडिया नही है. पता होता तो आपके पूछने से पहले बता देती. सुरिंदर ने कभी मेरे सामने किसी के के का जीकर नही किया."

"कोई बात नही इस सीसी को भी जल्दी ढूँढ निकालूँगा. हो ना हो वही साइको किल्लर है."

"बिल्कुल मुझे भी ऐसा ही लगता है. जिस तरह से पूरा वाक़या हुआ है उस से तो यही लगता है कि के के ही साइको है."

बारिश और भी ज़्यादा तेज होती जा रही थी और बाहर घने बादलो के कारण अंधेरे जैसी हालत हो गयी थी. अचानक फिर से बिजली कदक्ति है और मोनिका काँप उठती है.

"क्या हुआ मोनिका जी इस बार आप मेरे करीब नही आई. नाराज़ हैं क्या?"

मोनिका शर्मा उठी और बोली, "कैसी बात करते हैं आप."

राज शर्मा मोनिका के नज़दीक आता है और उसकी आँखो में झाँक कर बोलता है.

"मोनिका जी बहुत प्यारा मौसम हो रहा है. बहुत ही सुंदर संभावना बन रही है हमारे बीचसंभोग की. अगर ये संभावना सच हो जाए तो कसम खा कर कहता हूँ बहुत ही भयंकर संभोग होगा हमारे बीच जिसे हम दोनो चाह कर भी नही भूल पाएँगे. मुझे बस आपकी इज़ाज़त की ज़रूरत है. कोई दबाव नही है आप पर. हमारा संभोग बहुत ही सुंदर रहेगा ये यकीन है मुझे. बाकी सब आपके उपर है."

मोनिका ने राज शर्मा की आँखो में झाँक कर देखा. राज शर्मा तो जैसे मोनिका की झील सी आँखो में खो गया. दोनो चुपचाप खड़े खड़े एक दूसरे को देखते रहे. मोनिका ने राज शर्मा के सवाल का कोई जवाब तो नही दिया लेकिन उसकी आँखे बहुत कुछ कह रही थी जिसे राज शर्मा शायद समझ नही पा रहा था.

"क्या हुआ आपने कुछ जवाब नही दिया." राज शर्मा ने पूछा.

"इन सवालो के जवाब नही होते एक औरत के पास." मोनिका प्यार से बोली.

"चलिए छोड़िए एक चाय ही दे दीजिए ठंड लग रही है."

मोनिका मुस्कुराइ और बोली, "अभी लाती हूँ."

"शायद कुछ संभावनाए, संभावनाए ही रहती हैं" राज शर्मा ने कहा.

"शायद" मोनिका ने कहा और हंसते हुए किचन की तरफ चली गयी.

मोनिका मुस्कुराते हुए हाथ में ट्रे लिए हुए राज शर्मा की तरफ आ रही थी.

राज शर्मा ने उसे मुस्कुराते हुए देख लिया और बोला, "क्या बात है आप मुस्कुरा क्यों रही हैं"

"कुछ नही लीजिए चाय लीजिए"

राज शर्मा ने चाय पकड़ी और चाय का कप ले कर वो दरवाजे पर आ गया.

"उफ्फ ये बारिश तो थमने का नाम ही नही ले रही." राज शर्मा ने चाय की घूँट भर कर कहा.

मोनिका राज शर्मा की बात सुन कर उसके बाजू में आ गयी और बोली," बहुत दिनो बाद ऐसी बारिश हुई है."

"सही कह रही हैं आप. आप अपने लिए चाय नही लाई." राज शर्मा ने पूछा.

"मैं चाय कम ही पीती हूँ."

"अच्छी बात है, कोई हेल्ती चीज़ तो है नही ये." राज शर्मा ने चाय ख़तम की और कप को एक तरफ रख दिया.

"बिल्कुल सही कहा."

"मोनिका जी आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया" राज शर्मा ने मोनिका की आँखो में झाँक कर पूछा.

"कौन सा सवाल" मोनिका ने हंसते हुए कहा.

"सुंदर संभोग की संभावना है हमारे बीच. क्या आप इस संभावना को हक़ीकत करना चाहेंगी."

"आपको क्या लगता है?" मोनिका ने हंसते हुए पूछा.

राज शर्मा ने मोनिका की तरफ कदम बढ़ाए और मोनिका पीछे हटने लगी.

"क्या कर रहे हैं आप." मोनिका दीवार से टकरा कर रुक गयी.

राज शर्मा फिर से उसी पोज़िशन में था जिसमे उसने पहले मोनिका के होंठो को चूमा था.

"मुझे पता नही क्यों ऐसा लगता है कि आप का जवाब हां है लेकिन आप कहना नही चाहती."

"एक बात कहना चाहती हूँ आपसे"

"हां बोलिए."

"मैं हमेशा सुरिंदर के साथ रिस्ते को लेकर व्यथीत रही हूँ. मेरे मन में हमेशा कसंकश रही है. मुझे हमेशा ये अहसास रहा है की मैं अपने पति को धोका दे रही हूँ. मैं सुरिंदर के साथ संबंध ख़तम करना चाहती थी. पर पता नही क्यों कर नही पाई. अब जबकि वो मर चुका है तो ये संबंध अपने आप ख़तम हो गया है. मुझे पता है और यकीन है कि आप मुझे संभोग की असीम गहराईयों में ले जाएँगे. और शायद इस सफ़र में मैं भी जाना चाहती हूँ. लेकिन दिल के एक कोने में मेरे ये अहसास भी है कि ये संभोग हर हाल में ग़लत होगा. मैं दुबारा भटकना नही चाहती. अब आपके सामने हूँ. आप कोशिस करेंगे तो आपको रोकूंगी नही. आप मुझे अच्छे लगे. लेकिन आप भी सच्चे मन से सोचिए की क्या ये सब ठीक है. सुरिंदर से नाता जोड़ के हर पल मैने घुट घुट कर जिया है. अब दुबारा शायद ऐसा हुआ तो मेरा चरित्र पूरी तरह बिखर जाएगा. हालाँकि ये बात बिल्कुल सही है कि हमारे बीच बहुत सुंदर संभोग की संभावना है. लेकिन मेरी परिस्थितियों के कारण ये सुंदरता मुझे नर्क के समान लगती है. यही कारण था कि मैने आपके सवाल का जवाब नही दिया."

.

राज शर्मा ये सब सुन कर मोनिका से दूर हट जाता है.
 

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Update 49


"आपको बुरी तो नही लगी मेरी बात."

"नही मोनिका जी. दिल से कही हुई बात कभी बुरी नही लगती. बहुत कम लोग ऐसे हैं दुनिया में जिन्हे ग़लत काम करते वक्त ये अहसास रहता है कि वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. यही अहसास इंसान को इंसान बनाता है. यू आर ए गुड वुमन. मेरे दिल में हमेशा आपके लिए इज़्ज़त रहेगी. आपका एक एक बोल मेरे दिल को छू गया. ये सब स्वीकार करना कोई आसान बात नही है. बहुत बड़ा जिगर चाहिए. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा."

"हां बोलिए."

"मैं भी हमेशा से ऐसा नही था. मेरी तमन्ना थी कि बस एक लड़की से प्यार करू. एक लड़की से अफेर हुआ भी कॉलेज में. बहुत खुस रहता था उन दिनो मैं. हम घूमते फिरते थे साथ और काई बार सिनिमा भी गये. मैने कभी उसे छुआ तक नही. बस प्यार करता था उसे...बहुत प्यार. लेकिन उसने मेरे प्यार को ठुकरा दिया. एक साल तक मेरे साथ घूमी फिरी फिर अचानक एक अमीर बाप के बेटे के साथ उठने बैठने लगी. मुझसे मिलना ही बंद कर दिया उसने. मुझे बताया तक नही कि मैं तुम्हे छोड़ रही हूँ. फैल होते होते बचा मैं. बहुत मुस्किल से पास हुआ. दिल पर बड़ी भारी चोट लगी. दिल में पता नही कहा से ये ख्याल आने लगे की काश इसे ठोक देता तो अच्छा रहता. प्यार का कोई मोल नही है दुनिया में ऐसा लगा मुझे. उसके बाद तो जो सामने आई मैने ज़्यादा देर नही लगाई ठोकने में. मैं एक प्रेमी से कब फ्लर्ट बन गया मुझे पता ही नही चला. किसी ने मुझसे ऐसी बात नही बोली जैसी आज आपने कही. खुस रहें आप अपनी जिंदगी में. मेरी कभी भी ज़रूरत हो तो याद करना. मुझे अपना एक अच्छा दोस्त समझना."

"मुझे पता था की आप अच्छे इंसान हैं तभी आपको सारी बाते बताई मैने."

"अच्छा मोनिका जी मैं चलता हूँ. मुझसे जो ग़लती हुई है उसके लिए मुझे माफ़ करना. गॉड ब्लेस्स यू. टेक केर."

दोनो ने प्यारी से मुस्कान दी एक दूसरे को और राज शर्मा वहाँ से चल पड़ा. राज शर्मा और मोनिका दोनो के चरित्र के कुछ और ही पहलू सामने आ रहे थे जो की जीवन की सुंदरता लिए हुए थे.

राज शर्मा ने जीप में बैठ कर चौहान को फोन लगाया.

"सर मोबाइल वाला काम हो गया है. आप कहाँ हैं?"

"मैं थाने में हूँ बर्खुरदार यही आ जाओ." चौहान ने कहा.

............................................................

.....

पद्‍मिनी अपने रूम की खिड़की में खड़ी हुई बारिश का आनंद ले रही है. बारिश की छम-छम से वो उद्वेलित हो रही है. वो चाहती है कि बारिश में निकल कर बारिश की बूँदो में भीगा जाए पर ठंड का मौसम इसकी इज़ाज़त नही देता था. गर्मियों की बारिश में वो खूब झूम झूम कर बारिश का आनंद लेती थी ठंड में ऐसा नही हो सकता था. हां पर बारिश की बूँदो को देख कर हल्की हल्की मुस्कान पद्‍मिनी के होंठो पर बिखर रही थी.

"बेटा कब से खड़ी हो यहाँ...चलो कुछ खा लो."

"नही मम्मी अभी नही...आपको पता है ना मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है. मुझे यही रहने दीजिए अभी."

"जैसी तेरी मर्ज़ी...पागल हो जाती हो बारिश को देख कर."

पद्‍मिनी की मम्मी चली गयी और पद्‍मिनी खिड़की पर ही खड़ी रही.

"मैं कब तक घर में क़ैद रहूंगी मुझे कल से ऑफीस जाना चाहिए. बॉस से बात भी हो गयी है. डर कर घर में बैठने से क्या फ़ायडा. इनस्पेक्टर या फिर राज शर्मा से बात करनी पड़ेगी इस बारे में."

पद्‍मिनी का सोचना सही ही था. उसकी जॉब सफर हो रही थी और अच्छी जॉब रोज रोज नही मिलती. और ये भी था की जॉब के कारण पद्‍मिनी को ये नही लगता था कि वो अपने मा बाप पर बोझ है.

..............................................................

राज शर्मा चौहान को के के के बारे में बताता है. वो तुरंत सोनिया को फोन मिलाता है.

सोनिया तो नरेश के उपर चढ़ि हुई थी और उसके उपर राइड कर रही थी.

"आअहह नरेश तुम भी तो पुश करो नीचे से आआहह."

"कर तो रहा हूँ...और कितना पुश करू."

सोनिया का फोन बजा तो वो इरिटेट हो गयी.

"उफ्फ अब कौन है?"

"लगता है आज लोग हमें चैन से नही करने देंगे कुछ." नरेश ने कहा.

"तुम हाथ बढ़ाओ और फोन पकड़ाओ मैं तुम्हारे उपर से उतरने वाली नही हूँ आअहह"

"कह कौन रहा है उतरने को....ये लो फोन."

सोनिया ने कॉल रिसीव की. "हेलो"

"हां सोनिया जी मैं चौहान बोल रहा हूँ."

"आआहह हां बोलिए."

"आप कराह क्यों रही हैं. ठीक तो हैं आप."

"हां मैं ठीक हूँ...बोलिए आप."

"क्या आप सुरिंदर के किसी ऐसे दोस्त को जानती हैं जिसे वो केके कहता हो."

"ऊऊहह मैं...मैं किसी केके को नही जानती. देखिए मुझे जो पता था बता दिया. मेरी रिक्वेस्ट है कि मुझे बार बार परेशान ना किया जाए आअहह. मुझे और भी ज़रूरी काम हैं."

"आपके ज़रूरी काम मुझे समझ आ गये. सच बताना नरेश का लंड है ना इस वक्त तेरी चूत में."

"उस से आपको क्या लेना देना." सोनिया ने फोन काट दिया.

"क्या हुआ?" नरेश ने पूछा.

"कुछ नही उस इनस्पेक्टर को पता नही कैसे पता चल गया कि तुम्हारा डिक मेरी पुश्सी में है."

"पता कैसे नही चलेगा आअहह ऊओह करके बाते जो कर रही थी."

"लीव इट....फक मी हार्डर आआहह."

नरेश ने नीचे से अपनी स्पीड बढ़ा दी और सोनिया की आहें कमरे में गूंजने लगी.

..........................................................

मोहित की हालत सुधर रही थी. मोहित आँखे बिछाए पूजा का इंतजार करता रहा लेकिन वो नही आई. राज शर्मा ने पूजा को रिक्वेस्ट भी की लेकिन वो नही मानी. उसने कहा मुझे मोहित से कुछ लेना देना नही है. बात काफ़ी हद तक सही भी थी.

राज शर्मा और चौहान के के को ढूँढने में लग गये. लेकिन उन्हे केके का कोई भी सुराग नही मिला. एक हफ़्ता बीत गया यू ही भागते दौड़ते. एक शुकून की बात ये थी की पूरा हफ़्ता कोई वारदात नही हुई. ये सब शायद मोहित का कमाल था. उसी ने तो साइको के पेट में चाकू मारा था. कारण कुछ भी हो एक हफ्ते से बाहर में शांति थी. लेकिन एक हफ़्ता बहुत कम वक्त होता है डर को दूर भगाने में. बाहर के लोगो में साइको का ख़ौफ़ बरकरार था.

मोहित घर वापिस आ गया. उसके घाव अभी पूरी तरह भर रहे थे .

धीरे धीरे एक महीना बीत गया. साइको का कुछ सुराग नही मिला. लेकिन इस एक महीने के दौरान बाहर में कोई वारदात नही हुई. मगर पोलीस फिर भी दबाव में थी, क्योंकि साइको अभी पकड़ा नही गया था.

सुबह के 10 बज रहे थे और चौहान चेहरे पर तनाव लिए इधर उधर घूम रहा था. राज शर्मा थाने में घुसा तो उसने चौहान को देख लिया.

"क्या बात है सर, आप कुछ परेशान लग रहे हैं." राज शर्मा ने पूछा.

"पूछो मत शामत आने वाली है शामत. मेडम साहिबा ने अर्जेंट मीटिंग बुलाई है. खूब डाँट पड़ने वाली है आज."

"हम जो कर सकते थे कर रहे है और क्या करें."

"उसके सामने मत बोल देना ये बात. ज़ुबान खींच लेगी तुम्हारी."

"नही सर उनके सामने भला मैं क्यों बोलूँगा...मेरा क्या दिमाग़ खराब है. पर सर मुझे लगता है कि शायद वो साइको अब अंडर ग्राउंड हो गया है. मैने हॉलीवुड की फ़िल्मो में देखा है की ऐसे साइको अचानक गायब हो जाते हैं और अचानक ही वापिस भी आ जाते हैं."

"ये फिल्म नही चल रही, ये हक़ीकत है बर्खुरदार. क्या पता क्या हो रहा है...साला ये के के का भी कुछ पता नही चला.."

"सर एक बात और हो सकती है?"

"क्या?" चौहान उत्शुक हो गया.

"मेरे दोस्त ने चाकू मारा था उस साइको के पेट में. हमनें सभी हॉस्पिटल और क्लिनिक छान मारे लेकिन वो कही अड्मिट नही हुआ था. शायद उसने अपना पेट अपने घर पर ही शीलवाया हो. अगर उसे कोई ठीक ठाक डॉक्टर नही मिला होगा तो दिक्कत तो हुई होगी सेयेल को. कही वो साइको मर ना गया हो."

"हो भी सकता है और नही भी. इस बात से हमारा केस तो सॉल्व नही होता ना."

तभी सब इनस्पेक्टर विजय भी वहाँ आ जाता है.

"क्या बात है सर...कुछ गंभीर सी बाते हो रही है. चलिए मीटिंग का वक्त हो गया."

"ओह हां मुझे ध्यान ही नही रहा. चलो जल्दी कही इसी बात बार बरस पड़े वो कयामत."

तीनो मीटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं. ए एस पी शालिनी वहाँ पहले से मौज़ूद थी. उन्हे देखते ही चौहान का गला सूख गया.

"मिस्टर चौहान क्या स्टेटस है साइको वाले केस का."

"चौहान बगले झाँकने लगा. उस से कुछ बोले नही बन रहा था."

"हम पूरी कोशिस कर रहे हैं मेडम. वो साइको शायद अंडरग्राउंड हो गया है" राज शर्मा बीच में बोल पढ़ा.

"मैने तुमसे पूछा कुछ. जिस से पूछा जाए वही जवाब दे." शालिनी ने राज शर्मा को डाँट दिया.

"मेडम हम पूरी कोशिस कर रहे हैं. दिन रात हम इसी केस में लगे रहते हैं" चौहान हिम्मत करके बोला.

"क्या फ़ायडा इस दिन रात की मेहनत का कोई रिज़ल्ट भी तो आना चाहिए. मीडीया में रोज पोलीस की किरकिरी हो रही है. जवाब तो मुझे देना पड़ता है ना उपर. अच्छा मैं थोड़ी देर में राउंड लगाना चाहती हूँ बाहर का कौन चलेगा मेरे साथ."

"सब इनस्पेक्टर विजय को ले जाए मेडम." चौहान ने कहा.

"सर वो मुझे अपनी बीवी को डॉक्टर के पास ले जाना था. बताया था ना आपको. मैं तो मीटिंग की वजह से आया था आज." विजय ने कहा.

चौहान खुद जाना नही चाहता था. डरता जो था मेडम से. उसने कहा, "राज शर्मा चला जाएगा फिर आपके साथ मेडम."

राज शर्मा ने तुरंत चौहान को घूरा. चौहान उसकी तरफ मुस्कुरा दिया.

"ठीक है. हम थोड़ी देर में निकलेंगे. मीटिंग समाप्त होती है. और हन और ज़्यादा मेहनत करो इस साइको वाले केस पर."

"बिल्कुल मेडम आप चिंता ना करो." चौहान ने कहा.

शालिनी उठ कर चली गयी. उसके जाते ही राज शर्मा बोला, "सर मुझे क्यों फँसा दिया."

"कोई बात नही बर्खुरदार तुम्हे ऑफीसर से डील करना भी आना चाहिए. बस ज़रा अपनी ज़ुबान कम खोलना उनके सामने. बाकी तुम सब संभाल लोगे मुझे पूरा यकीन है."

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Update 50

मोहित अब बिल्कुल ठीक था. लेकिन उसका दिल बीमार हो गया था शायद. बिके लेकर वो पूजा के कॉलेज के सामने खड़ा था. कॉलेज की लड़किया अंदर बाहर जा रही थी लेकिन पूजा उसे कही नज़र नही आ रही थी. उसके चेहरे पर निराशा उभरने लगी थी.

"कहाँ हो पूजा तुम. हर वक्त क्लास में बैठी रहती हो क्या." मोहित ने सोचा.

तभी उसे दो लड़कियों के साथ कॉलेज के गेट से पूजा निकलती हुई दिखाई दी. मोहित का चेहरा खिल उठा. उसने तुरंत बाइक स्टार्ट की और पूजा के आगे रोक दी. अचानक अपने सामने बाइक देख कर लड़किया थीतक गयी. पूजा की आँखो में खून उतर आया.

"तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" पूजा ने पूछा.

"तुम जानती हो इसे." एक लड़की ने पुछस.

"हां हमारे पड़ोस में रहता है."

"दिल में भी तो नही रहता कहीं...हे...हे...हे." दूसरी लड़की ने चुस्की ली.

"ऐसा कुछ नही है. आइ हटे हिं."

मोहित सब सुन रहा था. "नफ़रत में भी उनकी प्यार नज़र आता है, मैं लाख संभालू दिल को ये उनकी ओर खींचा जाता है."

"ये तो कोई शायर लगता है हे..हे..हे." दोनो लड़किया हँसने लगी.

"चलो यहाँ से ये पागल है." पूजा दोनो को लेकर आगे बढ़ गयी. लेकिन दोनो लड़किया पीछे मूड के मोहित को देखती रही.

"हमें छोड़ के जा रही हो, हम तड़प कर रह जाएँगे

तुम्हारे साथ तो दो कलियाँ हैं हम अकेले रह जाएँगे."

"वाउ सो रोमॅंटिक. देखा वो हमें कलियाँ कह रहा है. रूको ना यार अच्छा बंदा लगता है." एक लड़की ने कहा.

"बहुत बड़ा फ्लर्ट है वो. चलो हमें मूवी के लिए देर हो जाएगी." पूजा ने कहा.

ये बात मोहित ने भी सुन ली. उन तीनो ने एक ऑटो पकड़ा और थियेटर के लिए निकल पड़ी. पीछे पीछे मोहित ने भी अपनी बाइक लगा दी.

"अगर तुम्हे पटा नही पाया तो जिंदगी बेकार है मेरी." मोहित ने सोचा.

थियेटर पहुँच कर तीनो लड़किया अंदर घुस्स गयी. उन्होने मोहित को नही देखा. मोहित भी टिकेट ले करूके पीछे पीछे आ गया.

"हाई...ये तो दीवाना लगता है. तुम्हारे पीछे यहाँ तक आ गया."

"मज़ाक कर रही हो ना कविता?" पूजा ने पूछा.

"मूड के तो देख वो बिल्कुल तेरे पीछे बैठा है." कविता ने कहा.

अभी पिक्चर शुरू नही हुई थी. इसलिए लाइट जली हुई थी.

पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा, "तुम यहाँ भी आ गये. क्या चाहते हो तुम."

मोहित पूजा की ओर झुका और बोला, "मुझे जो चाहिए वो तुम्हे पता है. इनके सामने कैसे कहु समझा करो."

"शट उप." पूजा ने डाँट दिया.

"क्या कह रहा था वो चुपके से तुझे?" कविता ने पूछा.

"कुछ नही...तू उस पर ज़्यादा ध्यान मत दे...पागल है वो." पूजा ने कहा.

लाइट बंद हो गयी और पिक्चर शुरू हो गयी. मोहित पूजा की तरफ झुका और बोला, "हम दोनो साथ में देखे ये रोमॅंटिक पिक्चर तो ज़्यादा अच्छा लगेगा. पीछे आ जाओ ना मेरे साथ. मेरे साथ की सीट खाली पड़ी है."

"क्या समझते हो खुद को तुम. तुम बुलाओगे और मैं आ जाउन्गि हा. तुम्हारे पास आएगी मेरी जुत्ति. चुपचाप बैठे रहो वरना चप्पल मारूँगी निकाल के."

"नही नही ऐसा काम मत करना. आज तक मैने चप्पल नही खाई." मोहित ने कहा.

"नही खाई तो अब खाओगे. मुझे गुस्सा मत दिलाओ चुपचाप बैठे रहो"

मोहित वापिस चुपचाप सीट पर बैठ गया.

"क्या करू ये तो आग उगल रही है?" मोहित बड़बड़ाया.

कुछ देर बाद कविता को पता नही क्या सूझी, वो अपनी सीट से उठ कर मोहित के पास आ कर बैठ गयी. पूजा भी ये देख कर हैरान रह गयी. लेकिन वो कुछ नही बोली. मोहित तो हैरान था ही.

"तुम्हारा शायराना अंदाज मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरा नाम कविता है. क्या मुझपे कविता लिखोगे." कविता मोहित के घुटने पर हाथ रख कर बोली.

"मैं कोई शायर नही हूँ देवी जी. वो तो मैं यू ही कुछ जोड़-तोड़ कर बोल रहा था आपकी सहेली के लिए. पूजा से मेरा टांका भिड़वा दो ना." मोहित ने कहा.

"मुझे लगता है उसका तुम्हारे में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम किसी और पर ट्राइ क्यों नही करते."

"किस पर ट्राइ करू आप ही बता दो."

"मैं हूँ ना. तुम शायर हो. मैं तुम्हारी कविता बन जाउन्गि." कविता का हाथ धीरे धीरे मोहित की जाँघ की तरफ बढ़ रहा था.

"ये आप क्या कह रही है." मोहित तो भोंचक्का रह गया. लेकिन उसने कविता का हाथ नही हटाया. हटाता भी क्यों. ऐसा रोज रोज थोडा होता है किसी के साथ.

"आपका हाथ ग़लत जगह पर पहुँच रहा है. आपकी सहेली ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी."

"छोड़िए ना उसे अपनी बात कीजिए." कविता का हाथ मोहित के लंड पर पहुँच गया. लंड पर कविता का हाथ पड़ते ही वो तुरंत हार्ड हो गया.

"आअहह आप तो शीतम ढा रही हैं मुझ पर." मोहित ने कहा.

कविता ने मोहित की पॅंट की ज़िप खोल दी और उसके तने हुए मोटे लंड को बाहर खींच लिया.

"ओह माइ गॉड इट्स आ वंडरफुल कॉक. इट्स ह्यूज. मैने इतना बड़ा नही देखा आज तक."

"देवी जी कितने देखे हैं आप ने ये भी बता दीजिए."

"मेरे अब तक तीन बाय्फ्रेंड रहे हैं और मैने तीनो के देखे हैं."

"बहुत खूब. देखे ही हैं या लिए भी हैं आपने." मोहित ने चुस्की ली.

"तुम्हे क्या लगता है?"

"नही लिए होंगे. आप सिर्फ़ देखती होंगी उन्हे हैं ना." मोहित ने मज़ाक में कहा.

"नही जनाब तीनो पूरे के पूरे लिए हैं. तुम्हारा क्या विचार है. मुझसे दोस्ती करोगे?"

"मैं पूजा को चाहता हूँ." मोहित ने कहा.

कविता ने मोहित के लंड को ज़ोर से दबाया और बोली, "पूजा को मारिए गोली. वहाँ तुम्हे कुछ नही मिलेगा. देखा नही वो तुमसे बात भी नही कर रही. वो तुम्हे पागल कह रही थी. खुद पागल है वो."

पूजा और दूसरी लड़की रीमा पिक्चर देखने में मगन थे. उन्हे इस बात का अंदाज़ा भी नही था की उनके पीछे कविता मोहित का लंड हाथ में लिए बैठी है.

"मैं तुम्हे वो ख़ुसी दूँगी कि भूल जाओगे सब कुछ." कविता ने कहा और आगे झुक कर मोहित के लंड को अपने होंठो में दबा लिया.

"आअहह पहली बार ये किसी के मूह में गया है."

कविता ने मोहित के लंड से मूह हटाया और बोली, "क्या? इतने सेक्सी डिक को अभी तक ब्लो जॉब नही मिली. आइ कॅंट बिलीव इट."

"नही मिली तो नही मिली अब क्या कर सकते हैं. हर लड़की मूह में नही लेती है."

"मुझसे दोस्ती करोगे तो मज़े में रहोगे. आइ लव टू सक. कोई शायरी कहो ना."

"मेरे लंड को लिया आपने मूह में तो मच्छल उठा हूँ मैं

मगर अगर पूजा ने देख लिया तो बर्बाद हो जाउन्गा."

"ये कैसी शायरी है. पूजा को बीच में क्यों लाते हो." कविता ने कहा और फिर से मोहित के लोंड को मूह में घुसा लिया.

वो दोनो धीरे धीरे बोल रहे थे लेकिन फिर भी डिस्टर्बेन्स हो रही थी पूजा को. उसे समझ तो कुछ नही आ रहा था लेकिन ख़ुसर फुसर से परेशान हो रही थी.

"क्यों बाते कर......" पूजा पीछे मूड कर बोली लेकिन बोलते बोलते रुक गयी क्योंकि वो भोंचक्की रह गयी थी.

मोहित का लंड तो पूजा को नही दिखा. वो तो कविता के मूह में छिपा था. वैसे भी अंधेरा था. पूजा को समझने में देर नही लगी कि उसके बिल्कुल पीछे ब्लो जॉब दी जा रही है. मोहित की आँखे बंद थी. वो तो पहली ब्लो जॉब के सरूर में खोया था. लेकिन कोयिन्सिडेन्स था कि जब पूजा पीछे मूडी उसकी आँखे खुल गयी.

"अरे हटो क्या कर रही हो. मेरी तो आँख ही लग गयी थी. ये सब क्या हो रहा है यहाँ." मोहित ने कविता के सर को धक्का दिया.

कविता ने लंड को मूह से निकाल दिया और बोली, "ये क्या बोल रहे हो?"

तभी उसकी नज़र पूजा पर गयी, "अच्छा पूजा ने देख लिया ह्म्म. हे..हे...हे...पूजा तुम्हे तो कोई दिक्कत नही है ना."

"तुम दोनो भाड़ में जाओ मुझे कुछ नही लेना देना." पूजा वापिस मूड गयी.

"करवा दिया मेरा काम खराब तुमने. अब दुबारा ऐसा मत करना लीव मी अलोन."

"मैं बाहर टाय्लेट में जा रही हूँ. आ जाओ पूरा अंदर ले लूँगी." कविता ने कहा.

"तू तो मुझे भी अंदर ले लेगी पूरा. मुझे माफ़ करो मेरा कोई इंटेरेस्ट नही है. आपने बहुत मनोरंजन कर दिया मेरा अब प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ दो. मुझे मूवी देखनी है."

"मूवी देखने तो नही आए थे तुम. झूठ बोल रहे हो."

मोहित ने अपने लंड को वापिस पॅंट में डाल लिया और चुपचाप बैठ गया. कविता भी चुपचाप वही बैठी रही.

"पूजा सॉरी, ये सब कविता ने किया. सच में मेरी कोई मर्ज़ी नही थी." मोहित ने पूजा की तरफ झुक कर कहा.

"आइ डोंट गिव ए डॅम अबौट इट. लीव मी अलोन." पूजा ने गुस्से में कहा.

कविता ये देखते हुए भी की मोहित उसमे कोई इंटेरेस्ट नही ले रहा है फिर भी उसके पास से नही उठी. मोहित तो हैरान और परेशान बैठा था. पूजा के सामने उसकी छवि और खराब हो गयी थी.

"लगता है कोई चान्स नही है मेरा अब. अब तो और भी मुस्किल हो गयी है. क्या करू अब?" मोहित सोच में डूबा था.

"तुम कहा खो गये? इस पूजा की चिंता आप मत कीजिए, ये ऐसी ही है तुनक मिज़ाज़."

"फिर किसकी चिंता करू अगर उसकी नही करू तो" मोहित इरिटेटेड टोन में बोला.

"मुझमे क्या कमी है. मुझे तुम्हारा शायराना अंदाज़ पसंद आया. मुझे लगा कि हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं. लेकिन तुम तो खफा ही हो गये."

"देखो मैं सिर्फ़ पूजा के लिए यहाँ बैठा हूँ वरना कब का चला जाता. मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज़."

"मज़ा तो तुम्हे खूब आ रहा था जब मैं सक कर रही थी. पूजा ने देख लिया तो तुम अपना मज़ा भूल गये. मैं हर किसी को ब्लो जॉब नही देती हूँ. रही बात पूजा की तो सुनो उसका अफेर है एक लड़के से. खूब अच्छे से देती है ये उसे. तुम उस पर वक्त बर्बाद मत करो. मेरा ब्रेकप हो चुका है और मैं अभी फ्री हूँ. मुझे यकीन है कि हमारी खूब जमेगी."

"किसके साथ अफेर है पूजा...विक्की के साथ?" मोहित ने पूछा.

"हां हां, तुम्हे कैसे पता?"

"तुम्हे उस से कोई लेना देना नही है."

"उफ्फ यही अदा तुम्हारी जान ले रही है. जालिम हो एक नंबर के तुम तो."

"मेरी मा छोड़ दे अकेला मुझे तू अब. मुझे पूजा के साथ सेट्टिंग करनी है जो कि तुम्हारे होते नही हो पाएगी."

"पूजा के चक्कर में तुम वेट आंड हॉट पुश्सी से हाथ धो बैठोगे. आइ आम रेडी फॉर यू. टेक मी."

"माइ गॉड...तुम्हारे जैसी लड़की नही देखी मैने आज तक जो खुद अपनी चूत पारोष दे बिना माँगे."

"अब पारोष दी है तो ये बताओ कि खाओगे की नही."

ना चाहते हुए भी इन बातो से मोहित के अंदर बेचैनी होने लगी थी. उसका लंड हरकत करने लगा था. कविता शायद ये समझ रही थी. उसने मोहित के घुटने पर हाथ रख कर धीरे धीरे हाथ को मोहित के लंड तक सरका लिया था. उसके उत्तेजित लंड को वो महसूस कर रही थी.
 

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Update 51


"मैने जो तुम्हे पारोशा है उसे देख कर मूह में पानी तो आ गया है तुम्हारे लेकिन पूजा के कारण खाने से डर रहे हो. खाना ठंडा हो जाए इस से पहले खा लो. किस्मत वाले हो तुम जो तुम्हे पारोष रही हूँ. हर किसी को नही परोसती मैं."

"यहाँ कैसे खाउ मेरी मा. पूजा ने देख लिया तो रहा सहा चान्स भी ख़तम हो जाएगा. मुझे बहकाओ मत, अगर मैं बहक गया तो बुरा हाल कर दूँगा मैं तुम्हारा."

"थियेटर खाली ही है. पीछे की तरफ चलते हैं...वहाँ तक पूजा की नज़र नही जाएगी." कविता ने कहा.

मोहित फ़ौरन सीट से उठ जाता है. उसे ऐसा लगता है कि अगर कविता के साथ वो बहक गया तो पूजा को पटाना बहुत ही मुस्किल हो जाएगा. वो पूजा के सर के पास झुका और बोला, "कैसी-कैसी थर्कि सहेलिया बना रखी है तुमने. परेशान कर दिया मुझे. जा रहा हूँ मैं ये अच्छी ख़ासी पिक्चर छोड़ के."

"तो जाओ ना हू केर्स." पूजा ने कहा.

"अपने आशिक़ की कभी तो चिंता किया करो." मोहित ने कहा.

"गो टू हेल"

"ओके गोयिंग, मैं हाथ में फूल ले कर इंतज़ार कारूगा वहाँ तुम्हारा. तुम कब आओगी."

"हेल ईज़ फॉर यू, नोट फॉर मी...गेट लॉस्ट."

"बहुत गरम हो भाई, कसम से बदन जल जाएगा मेरा जब मैं तुमसे लिपटुँगा."

"जाते हो कि नही तुम. मुझे पिक्चर देखने दो."

"जा रहा हूँ जी. बहुत बहुत धन्यवाद आपका."

कविता लगातार मोहित को ही देख रही थी. लेकिन वो उसे इग्नोर करके सीधा बाहर आ गया. उसने अपनी बाइक पर बैठ कर बाइक स्टार्ट की ही थी के उसे कविता आती दिखाई थी.

"आ गयी चूत परोसने वाली क्या करू इसका. जल्दी निकलता हूँ यहाँ से"

लेकिन कविता तो तेज़ी से आकर उसके पीछे बैठ गयी.

"अच्छा किया तुमने जो बाहर आ गये. चलो कही और चलते हैं जहा सिर्फ़ हम तुम हो"

"तुम ऐसे नही मानोगी. चल तेरी चूत की आग बुझाता हूँ आज." मोहित बाइक स्टार्ट करते हुए बोला.

"मैं तो कब से तड़प रही हूँ...बुझाओ ना."

"आज तुझे पता चलेगा कि तूने ग़लत बंदे को पारोष दी चूत अपनी. बहुत बुरी तरह खाता हूँ मैं."

"हाई राम मैं तो मर ही जाउन्गि. जैसे भी खाना खाना ज़रूर."

"थर्कि हो तुम...थर्कि"

"ये थर्कि क्या होता है?" कविता ने पूछा.

"खुद को समझ लॉगी तो थर्कि का मतलब जान जाओगी"

"बहुत अकेली थी मैं कुछ दिनो से. तुम मिले तो बहार आ गयी."

"क्या हुआ तुम्हारे बॉय फ्रेंड का?"

"ब्रेक अप हो गया बताया ना."

"ओह हां तो कोई और बॉय फ्रेंड ढूँढ लो."

"ढूँढ तो लिया... तुम हो ना"

"मैं बिल्कुल नही हूँ समझ लो अच्छे से"

"कोई बात नही आज के लिए तो हो ही."

"बिल्कुल बिल्कुल ये ठीक है"

मोहित का घर वैसे खाली था. लेकिन वो कविता को घर नही ले जाना चाहता था. क्योंकि उसे डर था कि कही रोज ना टपक पड़े वो उसके घर. इसलिए मोहित ने बाइक घने जुंगलो की तरफ मोड़ ली.

"जंगल में मंगल करोगे तुम?" कविता ने पूछा.

"बिल्कुल तुम्हारे जैसी वाइल्ड नेचर की लड़की के लिए ये जंगल ही ठीक है."

मोहित ने बाइक जंगल में घुसा दी और रोक दी. "ज़्यादा अंदर नही जाएँगे यही सड़क के नज़दीक ठीक रहेगा."

"थोड़ा तो आगे चलो...सड़क के किनारे डर लगेगा मुझे."

मोहित ने बाइक वही खड़ी कर दी और कविता का हाथ पकड़ कर थोड़ा और आगे आ गया जंगल में.

"कुछ भयानक सा सन्नाटा है यहाँ. तुम मुझे अपने घर नही ले जा सकते थे क्या? डर लग रहा है मुझे यहाँ." कविता ने कहा.

"डरने की क्या बात है. मैं हूँ ना साथ में."

"फिर भी डर लग रहा है मुझे. प्लीज़ मुझे कही और ले चलो."

"पहले तो बड़ी बेचैन हो रही थी चूत ठुकवाने के लिए...अब तुम्हे डर लग रहा है."

"देखो मुझे पता नही क्यों कुछ अहसास हो रहा है कि यहाँ कुछ गड़बड़ है. देखो ना अजीब सी खामोसी और सन्नाटा है यहाँ. मेरी बात मानो चलो यहाँ से."

"जंगल ऐसे ही होते हैं. यहाँ कोई बॅंड बाजा तो लेकर घूमेगा नही तुम्हारे लिए. अब यहाँ आ गये हैं तो काम करके ही जाएँगे. भड़का दिया है तुमने मुझे अब भुग्तो."

"वो तो मैं भुगत लूँगी पर मेरा यकीन करो यहाँ कुछ अजीब लग रहा है मुझे."

"कुछ अजीब नही है. जल्दी से ये जीन्स नीचे सरकाओ और जो पोज़िशन तुम्हे कंफर्टबल लगे लगा लो. मेरा लंड तैयार है आपके लिए." मोहित ने लंड बाहर खींच लिया.

"इतना प्यारा लंड दिखाओगे तो कोई कैसे थामेगा खुद को. मुझे डर तो लग रहा है. तुम कहते हो तो ठीक है. लेट्स डू इट क्विक्ली."

"क्विक्ली नही देवी जी. अब जब आपने भड़का दिया है मुझे तो बहुत तसल्ली से लूँगा तुम्हारी मैं...जल्दी फ्री नही होने वाली तुम."

"तो फिर घर ले जाते ना मुझे यहाँ क्यों लाए हो. ये जंगल क्या तसल्ली से करने की जगह है."

"तू ख़ामा खा डर रही है. पूरी तरह सेफ है ये .."

"तुम इतने विस्वास से कैसे कह सकते हो."

मोहित के पास कोई जवाब नही था.

.........................................................

राज शर्मा शालिनी के साथ जीप में निकल चुका था. वो ड्राइव कर रहा था और शालिनी साथ बैठी थी.

"ट्रैनिंग कैसी चल रही है तुम्हारी."

"जी मेडम बिल्कुल ठीक चल रही है. चौहान जी बहुत अच्छे से सीखा रहे हैं मुझे." राज शर्मा ने कहा.

"गुड. पद्‍मिनी को मेरे पास ला कर अच्छा किया था तुमने."

"हां मेडम. मुझे यकीन था कि आप सच को समझेंगी. आप ही के कारण तो ये नौकरी मिली है मुझे. मैं तो चक्कर लगा लगा कर थक गया था. आप ना आती तो मेरी जाय्निंग कभी ना होती."

"ईमानदारी से ड्यूटी करना हमेशा. पोलीस में आकर बिगड़ जाते हैं लोग अक्सर."

"आपको शिकायत का मोका नही दूँगा मेडम. वैसे बाहर में कहाँ जाना चाहेंगी आप"

"वैसे ही राउंड लेने का मन था. पूरे बाहर का चक्कर लगाना है मुझे."

"मेडम जी एक बात पुँच्छू बुरा ना माने तो."

"हां पूछो?"

"आप पोलीस में कैसे आ गयी."

"कैसे आ गयी मतलब. सिविल सर्विस का एग्ज़ॅम पास करके आई हूँ."

"सॉरी मेडम मेरा मतलब ये था कि क्या आपका इंटेरेस्ट था पोलीस में या फिर...."

"आइ एफ एस बन-ना चाहती थी मैं तो बन गयी आइ पी एस पर कोई बात नही दिस ईज़ गुड सर्विस."

"मेरी तो हमेशा से इच्छा थी पोलीस में आने की आपके कारण सपना साकार हुआ मेरा. आपका अहसान जिंदगी भर नही भूलूंगा मैं."

"ये कहाँ आ गये हम ये तो दोनो तरफ जंगल है." शालिनी ने कहा.

"हां मेडम ये बहुत बड़ा जंगल है. इसी रोड पर हादसा हुआ था पद्‍मिनी जी के साथ."

"ओह हां याद आया. पहली बार आई हूँ मैं इस तरफ."

"बहुत बड़ा जंगल है मेडम ये बाहर के बीच में. क्रिमिनल लोग अच्छा फ़ायडा उठाते होंगे इसका."

"बिल्कुल सही कह रहे हो. ऐसे सुनसान जंगल अक्सर क्राइम का अड्डा बन जाते हैं. वो...वो...कौन हैं जंगल में."

राज शर्मा फ़ौरन जीप रोक देता है.

"कहाँ मेडम...मुझे कुछ दिखाई नही दिया."

"नही मैने देखा अभी एक साए को इस तरफ. शायद उसने भी हमें देखा. वो छुप गया है शायद. चलो देखते हैं." शालिनी जीप से उतर जाती है.

"क्या देख लिया इन मेडम साहिबा ने मुझे कुछ दिखाई नही दिया." राज शर्मा जीप से उतरते वक्त बड़बड़ाया.

शालिनी ने अपनी सर्विस पिस्टल निकाल ली और बोली, "कौन है वहाँ बाहर आ जाओ वरना गोली मार दूँगी."

"किसी जुंगली जानवर को ना मार दे ये कयामत. बैठे बिठाये मुसीबत हो जाएगी."

"मेडम शायद कोई जानवर होगा?"

"शट अप यू ईडियट. मेरी आँखे धोका नही खा सकती. मैने देखा था किसी को....हे कौन हो तुम बाहर आओ."

बाहर तो कोई नही आया लेकिन एक गोली तेज़ी से शालिनी की और आई और उसके सर के बिल्कुल बाजू से निकल गयी. शालिनी फ़ौरन ज़मीन पर लेट गयी. राज शर्मा के पास तो कुछ था नही. वो जीप के पीछे छुप गया."मेडम सही कह रही थी. कौन है ये बंदा जो सारे आम पोलीस पर गोली चला रहा है."

शालिनी धीरे धीरे झुके झुके हाथ में पिस्टल लिए आगे बढ़ रही थी. शालिनी ने फाइयर किया. फाइयर होते ही किसी के भागने की आहट हुई. राज शर्मा भी नीचे झुक कर धीरे धीरे शालिनी के पास आ गया.

"आप सही कह रही थी मेडम"

"मैं हमेशा सही कहती हूँ. आगे से मेरी स्टेट्मेंट पर डाउट किया तो सस्पेंड कर दूँगी"

"नही करूगा मेडम. बिल्कुल नही कारूगा. लगता है वो भाग गया."

"मेरे उपर गोली चलाने वाले को मैं छोड़ूँगी नही...चलो पकड़ते हैं उसे."

"मेडम हम सिर्फ़ 2 हैं. और लोगो को बुला लूँ क्या."

"हां चौहान को फोन करो...तब तक हम कोशिस करते हैं उसे पकड़ने की."

"मेडम देख लो ये जंगल है. वो छुपा बैठा होगा कही और हमें निसाने पर ले लेगा. मेरे पास तो कुछ भी नही है. अभी तक सर्विस पिस्टल नही मिली मुझे."

"तुम मेरे पीछे पीछे आओ मैं हूँ ना साथ"

राज शर्मा चौहान को फोन करता है और उसे सारी सिचुयेशन बता देता है. वो कहता है कि 20 मिनिट में पोलीस की 2 पार्टीस पहुँच जाएँगी वहाँ.

"मेडम कही ये साइको ही तो नही है. बिना सोचे समझे पोलीस पर गोली चला दी इसने. ऐसा कोई पागल ही कर सकता है. उसे बाहर आने को ही तो बोल रही थी आप. कुछ और तो नही कहा था उसे."

"सही कह रहे हो शायद ये साइको ही है." शालिनी का ध्यान बोलते वक्त भटक जाता है और वो एक . से टकरा कर गिरने लगती है. राज शर्मा उसे संभालने की कोशिस करता है लेकिन उसका बॅलेन्स भी डगमगा जाता है और वो शालिनी को संभालने की बजाए उसको साथ लेकर उसके उपर गिरता है. बहुत ही चिंता ज़नक और नाज़ुक स्थिति बन जाती है. ए एस पी साहिबा नीचे पड़ी है और अपना राज शर्मा उसके उपर.
 
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very nice story bhai
 
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Update 52


"मेडम आपको चोट तो नही आई."

"उतरो तो सही पहले मेरे उपर से तुम."

राज शर्मा फ़ौरन एक तरफ़ लूड़क जाता है.

"क्या करना चाह रहे थे एग्ज़ॅक्ट्ली तुम."

"सॉरी मेडम आप गिरने लगी थी. आपको थामने के चक्कर में मैं भी गिर गया."

"आअहह कमर तोड़ दी तुमने मेरी. वैसे मैं बच जाती शायद.... स्टुपिड"

"सॉरी मेडम मैं तो बस....."

"शूट अप... मुझे किसी की मदद की ज़रूरत नही कभी भी समझे तुम. आगे से ऐसा किया तो सस्पेंड कर दूँगी तुम्हे."

"मेरी तो नौकरी हर वक्त तलवार की धार पर लटकी है." राज शर्मा धीरे से बड़बड़ाया.

"क्या कहा तुमने?"

"कुछ नही मैं सोच रहा था कि किस तरफ गया होगा वो पोलीस पर गोली चलाने वाला. जंगल तो बहुत बड़ा है ये. हमें किस तरफ जाना चाहिए."

"जिस तरफ मैं चलूंगी तुम उस तरफ चलोगे बस. बाकी बाते भूल जाओ."

"कयामत से भी कुछ ज़्यादा है मेडम साहिबा संभाल कर रहना होगा इनसे वरना नौकरी गयी समझो." राज शर्मा ने सोचा.

"क्या सोच रहे हो चलो अब या फिर इन्विटेशन देना पड़ेगा तुम्हे"

"चलिए मेडम...आप मुझे पिस्टल दिलवा दीजिए एक ऐसे मोको पर ज़रूरत पड़ जाती है."

"देखेंगे वापिस जा करो अभी चुपचाप आगे बढ़ो"

..............................

..........................

"मेरा यकीन करो मैने गोली की आवाज़ सुनी अभी."

"मुझे क्यों नही सुनी यार तुम थियेटर में तो बड़ी गर्मी दिखा रही थी यहाँ तुम्हारी चूत ठंडी पड़ गयी. अब देनी है तो दो वरना मैं चला. जीन्स भी नही सर्कायि अब तक तुमने."

"एक तो ऐसी जगह ले आए मुझे उपर से ऐसी बाते बोलते हो हा लाओ पहले तुम्हारा लंड चूस्ति हूँ मूड ठीक हो जाएगा मेरा. तुम आस पास नज़र रखना."

कविता मोहित के आगे बैठ जाती है और उसका लंड मूह में ले लेती है.

"आआहह फाइनलि आइ आम गेटिंग आ नाइस ब्लो जॉब इन कंप्लीट प्राइवसी."

जंगल में कितनी प्राइवसी थी वो तो कुछ देर में पता लगने वाला था मोहित को

मोहित आँखे बंद किए पूरा पूरा मज़ा ले रहा था चुसाई का.

"मुझे नही पता था कि ब्लो जॉब इतनी मस्त होती है. वाउ यू आर ग्रेट कविता...आआहह सक इट बेबी." मोहित ने कविता के सर पर हाथ रख दिया.

कविता ने मोहित का लंड मूह से निकाला और बोली, "कुछ शायरी ही कह दो मेरे लिए पूजा के लिए तो खूब कह रहे थे."

"मैं कोई शायर नही हूँ. वो तो बस पूजा को पटाने की कोशिस कर रहा था. कोई रास्ता सुझाओ ना तुम. तुम तो फ्रेंड हो उसकी."

"मैं कुछ नही कर सकती इसमें ये तो उसी पर निर्भर है."

"चलो छोड़ो यू डू युवर ब्लो जॉब."

"मुझसे दोस्ती रखोगे तो ऐसी ब्लो जॉब रोज मिलेगी तुम्हे." कविता ने कहा और मोहित के लंड को मूह में ले लिया.

"यस आअहह कीप सकिंग."

..............................................................

शालिनी पिस्टल ताने आगे बढ़ रही थी. राज शर्मा उसके पीछे पीछे था.

"कहाँ गया वो?" शालिनी ने कहा.

"इतना बड़ा जंगल है मेडम कही भी जा सकता है वो."

"हर तरफ नज़र रखो तुम वो यही कही छुपा हो सकता है."

"ठीक है मेडम मैं नज़र रखे हुए हूँ." राज शर्मा ने कहा.

अचानक कुछ हलचल होती है और शालिनी थम जाती है. राज शर्मा का ध्यान दूसरी तरफ रहता है वो सीधा ए एस पी साहिबा से टकराता है. उनका सर पेड़ की एक डाली से टकराता है और उनका पारा चढ़ जाता है. राज शर्मा के तो पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन निकल जाती है. उस से कुछ कहे नही बनता. चेहरा लटक जाता है बेचारे का.

"ध्यान कहाँ है तुम्हारा कभी मेरे उपर गिर जाते हो कभी पीछे से टकराते हो. ये सारी की सारी गोलिया तुम्हारे भेजे में उतार दूँगी अभी. पता नही किस लंगूर को साथ ले आई मैं."

"सॉरी मेडम मेरा ध्यान दूसरी तरफ था डाँट लीजिए मुझे जितना भी पर लंगूर मत कहिए."

"क्यों ना कहु?"

"लंगूर मुझे अच्छे नही लगते किसी और जानवर का नाम दे दीजिए." राज शर्मा ने गंभीर मुद्रा में कहा.

"जीसस...चुप रहो अभी तुम. क्या तुम्हे कुछ हलचल सुनाई दी सामने की झाड़ियों में."

"हां सुनाई तो दी मेडम"

"बिल्कुल चुपचाप दबे कदमो से चलो आवाज़ मत करना कोई."

"आवाज़ निकालने लायक छोड़ा है आपने जो आवाज़ कारूगा." राज शर्मा धीरे से फुसफुसाया.

"कुछ कहा तुमने?"

"नही नही कुछ नही कहा..चलिए देखते हैं क्या हैं इन झाड़ियों में." राज शर्मा ने धीरे से कहा.

शालिनी दबे पाँव पिस्टल ताने झाड़ियों की और बढ़ी राज शर्मा बिल्कुल उसके पीछे था. झाड़ियों को हटाते हुए शालिनी आगे बढ़ रही थी. झाड़ियों के पीछे कुछ और नही बल्कि एक जुंगली बिल्ली थी शालिनी को देखते ही वो भाग खड़ी हुई. बस दिक्कत ये रही कि वो शालिनी के पाँव के बिल्कुल करीब से भागी. सब कुछ इतनी जल्दी हुआ की शालिनी और राज शर्मा थोड़ा सकपका गये. शालिनी से तो थमा ही नही गया और वो बिल्ली को देखते ही राज शर्मा की तरफ घूमी और कब वो राज शर्मा को लेकर गिर गयी उसे पता ही नही चला. इस बार अपना राज शर्मा नीचे था और ए एस पी साहिबा उपर. "खड़े खड़े देख रहे थे कुछ कर नही सकते थे तुम." शालिनी फ़ौरन उठ खड़ी हुई.

"आप ही ने तो कहा था कि आपको किसी की मदद की ज़रूरत नही. मैने इस लिए नही थामा आपको कि कही मैं सस्पेंड ना हो जाऊ."

"शट अप चलो आगे बढ़ते हैं."

"सॉरी मेडम...चलिए."

.....................................................................

इधर मोहित जन्नत के नज़ारे ले रहा था. कविता के गरम गरम होंठो के बीच उसे अपना लंड बहुत खुसकिस्मत लग रहा था.

"बस कविता बस बहुत हो गया. अब जल्दी से ये जीन्स उतारो तुम्हारी चूत की गर्मी उतारनी है मुझे."

"वो गर्मी कोई नही उतार पाया आज तक." कविता ने हंसते हुए कहा.

"मैं उतारूँगा अब चलो उतारो ये जीन्स."

"यहाँ जंगल में जीन्स नही उतारुँगी मैं. थोड़ा सरका लेती हूँ."

"जो भी करो जल्दी करो. मैं भड़क रहा हूँ."

कविता जीन्स नीचे सरका कर मोहित के आगे घूम जाती है.

"लेट जाओ ना नीचे कमर के बल." मोहित ने कहा.

"नही नही कपड़े गंदे हो जाएँगे...ऐसे आराम से हो जाएगा तुम करो तो."

"वो तो हो जाएगा लेकिन लेटा कर लेने का मन था मेरा. चलो कोई बात नही डॉगी स्टाइल ईज़ ऑल्वेज़ गुड."

कविता झुकी हुई थी मोहित के आगे. बाकी का काम मिहित को करना था. मोहित ने लंड चूत पे रखा और ज़ोर से पुश किया. एक झटके में लंड चूत में सरक गया.

"रास्ता कुछ ज़्यादा ही स्मूद हैं तुम्हारी चूत का. लगता है बहुत लोग घूम चुके हैं यहाँ हे..हे..हे."

"सिर्फ़ तीन घूमे हैं. हां वैसे वो तीनो बहुत बार घूमे हैं आअहह फक." मोहित ने काम शुरू कर दिया था.

"एनीवे इट्स ए नाइस जुवैसी पुश्सी फॉर आ गुड फक." मोहित ने लंड धकेलते हुए कहा.

"आंड यू गॉट सुपर्ब डिक फॉर आ ड्रीम फक."

"ऐसा है क्या तो ये ले आअहह." और मोहित ने अपने आगे झुकी कविता के अंदर लंड के धक्को की बोछार शुरू कर दी.

"आअहह यू आर आ डॅम गुड फकर."

"आंड यू आर डॅम हॉट स्लट."

"ऑफ कोर्स...आआहह फक मी हार्डर."

मोहित कुछ देर तक कविता की चूत ठोकता रहा. अचानक उसने सोचा, "इसे कोई मज़ा तो चखाया ही नही. ऐसा करता हूँ इसकी गान्ड में डालता हूँ. फिर पता चलेगा कि मुझसे पंगा लेने का क्या मतलब है. सारा मामला बिगाड़ दिया आज इसने."

मोहित ने लंड चूत से निकाला और तुरंत गान्ड के छेद पर रख कर ज़ोर से पुश किया. इस से पहले कविता कुछ समझ पाती मोहित के लंड का मूह गान्ड में घुस्स चुका था.

"नहियीईईईईईईईईई मैं अनल नही करती अफ आअहह निकालो."

"अब नही निकलेगा फँस गया है." मोहित ने थोड़ा और पुश किया और आधा इंच और गान्ड में घुस्स गया.

"नो...ओह....नो प्लीज़ निकाल लो. बहुत पेन हो रहा है नहियीईईईई आआआययययीीई." मोहित ने थोड़ा और पुश कर दिया.

..................................

"तुमने ये चीन्ख सुनी लगता है कोई मुसीबत में है." शालिनी ने कहा.

"हां मेडम सुनी...किसी लड़की की चीन्ख लगती है चलिए मेडम देखते हैं."

दोनो आवाज़ की दिशा में बढ़ते हैं.

"नही प्लीज़ रहने दो आआहह."

"आवाज़ नज़दीक से ही आ रही है." शालिनी ने सामने की झाड़ियों को हटाया तो दंग रह गयी. मोहित की पीठ थी उसकी तरफ इसलिए शकल दिखाई नही दी. राज शर्मा भी मोहित को पहचान नही पाया. उन दोनो को यही लगा कि रेप हो रहा है.

शालिनी बिना वक्त गवाए दबे पाँव से आगे बढ़ी और मोहित के सर के पीछे बंदूक रख दी.

"छोड़ दो उसे वरना भेजा उड़ा दूँगी...अपने हाथ उपर करो." शालिनी ने कड़क आवाज़ में कहा.

मोहित की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी. उसने हाथ खड़े कर लिए. लेकिन उसका लंड अभी भी कविता की गान्ड में फँसा था.

राज शर्मा आगे बढ़ता है और कविता से कहता है, हट जाओ आप एक तरफ झुकी ही रहेंगी क्या. हम आ गये हैं अब." कह कर वो मोहित की तरफ देखता है.
 

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Update 53


"गुरु तुम! रेप कब्से करने लगे तुम?"

"जानते हो तुम इसे?" शालिनी ने पूछा.

"हाँ मेडम ये मेरा दोस्त है. लेकिन अब बहुत शर्मिंदगी हो रही है इसे दोस्त कहते हुए."

"ऐसा कुछ नही है जो तुम समझ रहे हो ये यू ही चिल्ला रही थी."

"अच्छा यू ही क्यों चिल्लाउन्गि मैं. ज़बरदस्ती डाल रहे थे गान्ड में तुम."

"आप हट तो जाओ पहले यहाँ से." राज शर्मा ने कहा.

"ये बाहर निकॅलेगा तभी ना."

"गुरु तमासा बंद करो हमारी ए एस पी साहिबा हैं साथ में. जल्दी से अपनी हालत ठीक करो." राज शर्मा ने कहा.

"मेरे सर से बंदूक तो हटा ओ." मोहित ने कहा.

राज शर्मा शालिनी की तरफ देखता है. शालिनी बंदूक हटा कर घूम जाती है ताकि उसे कुछ अश्लील द्रिस्य ना दीखे.

मोहित कविता की गान्ड से लंड बाहर निकालता है.

"उफ्फ बहुत टाइट है भाई ग़लती करली फँसा कर इसमे." मोहित ने कहा.

"कुछ बोलो मत मेडम गोली मार देंगी तुम्हे गुस्सा आ गया तो." राज शर्मा ने कहा.

"मज़ाक कर रहे हो."

"नही सच बोल रहा हूँ. बहुत कड़क ऑफीसर हैं."

"ओके"

मोहित और कविता दोनो अपने कपड़े ठीक करते हैं. शालिनी घूमती है और कहती है, "हे लड़की सच सच बताओ क्या ये रेप कर रहा था तुम्हारा. इसे अभी जैल में डाल दूँगी."

"नही मेडम रेप तो नही कर रहा था. मैं खुद इसके साथ आई थी."

"फिर इतना चिल्ला क्यों रही थी."

"मैने कभी अनल नही किया इसलिए दर्द हो रहा था."

"ठीक है...ठीक है...राज शर्मा इन दोनो से कहो दफ़ा हो जायें यहाँ से बेकार में हमारा वक्त बर्बाद किया"

"नहियीईईईईईईईईई कोई है वहाँ बंदूक तान रखी है इस तरफ उसने." कविता चिल्लाई.

राज शर्मा ने तुरंत देखा उस तरफ. एक नकाब पोश ने शालिनी को निशाना बना रखा था. गोली उसकी बंदूक से निकल चुकी थी. राज शर्मा फ़ौरन शालिनी की तरफ कुदा और उसे ले कर ज़मीन पर गिर गया. एक बार फिर राज शर्मा शालिनी के उपर था. शालिनी ने तुरंत उसी दिशा में फाइयर किया. लेकिन नकाब पोश भाग चुका था.

"हटो भी अब. मेरे उपर ही पड़े रहोगे क्या तुम." शालिनी ने राज शर्मा को धक्का दिया.

"सॉरी मेडम अगर मैं वक्त पर आपको ना गिराता तो गोली लग जाती आपको." राज शर्मा ने कहा.

शालिनी ने राज शर्मा की तरफ देखा लेकिन कुछ कहा नही.

"एक बार फिर बच गया कमीना." शालिनी ने इरिटेटेड टोन में कहा.

तब तक पोलीस पार्टीस भी वहाँ पहुँच गयी. पूरे जंगल को छान मारा गया. लेकिन वो नकाब पोश कही नही मिला.

मोहित और कविता बाइक पर जंगल से निकल गये. शालिनी राज शर्मा के साथ ही पोलीस स्टेशन की तरफ चल दी.

"एक दम निक्कमि पोलीस फोर्स है हमारी. एक तो देर से पहुँचे उपर से कुछ नही ढूँढ पाए जंगल में." शालिनी ने कहा.

"पर एक बात है मेडम. वो नकाब पोश ज़रूर साइको ही है. वो वापिस आ गया है अब. जैसे बेखौफ़ हो कर वो गोली चला रहा था उस से तो यही लगता है कि ये साइको ही है."

"सही कह रहे हो राज शर्मा तुम. पर एक अहसान कर दिया तुमने हम पर आज."

"वो क्या मेडम?"

"हमारी जान बचाई तुमने आज शुक्रिया तुम्हारा. उस वक्त मैं कुछ बोल नही पाई थी."

"मेरे होते हुए आपका कोई बॉल भी बांका नही कर सकता मेडम. इस साइको की तो वाट लगानी है मुझे."

राज शर्मा की बाते सुन कर एक हल्की सी मुस्कान शालिनी के होंठो पे बिखर गयी. राज शर्मा ने उसके होंठो पर मुस्कान देख ली और बोला, "पहली बार आपको हंसते हुए देख रहा हूँ मेडम."

"मैं भी इंसान ही हूँ कोई पत्थर नही हूँ."

"मेडम अगर ये साइको ही है तो हमें चोककन्ना रहना होगा अब. इस बार ये हाथ से निकलना नही चाहिए."

"तुम्ही लोगो को करना है ये काम."

"मेडम वो सर्विस रेवोल्वेर ज़रूर दिला दीजिए. आज मेरे हाथ में भी होती तो भेजा उड़ा देता मैं उसका."

"मिल जाएगी आज शाम तक तुम्हे" शालिनी ने कहा.

राज शर्मा को रेवोल्वेर मिल गयी थी. शालिनी जो कहती है कर देती है. राज शर्मा रेवोल्वेर ले कर थाने से निकल पड़ा. उसके दिमाग़ में कुछ उधेड़बून चल रही थी.

"पद्‍मिनी जी से मिलना होगा तुरंत मुझे. अगर आज जंगल में साइको ही था तो वो ज़रूर कोशिस करेगा पद्‍मिनी जी को रास्ते से हटाने की. वही तो जानती है कि वो कौन है. लेकिन एक बात है. इस जंगल में ज़रूर कुछ गड़बड़ है. मॅग्ज़िमम खून जंगल के आस पास ही हुए हैं एक आध को छोड़ कर. उस रात पद्‍मिनी जी के साथ जो वाक़या हुआ था वो भी तो जंगल के बीच की सड़क पर ही हुआ था. आज वो दिन में ही जंगल में घूम रहा था बंदूक लेकर. कुछ गड़बड़ ज़रूर है जंगल में. ये बात ए एस पी साहिबा को बतानी होगी. पहले पद्‍मिनी जी से मिल आता हूँ. वो निकल ना जाए कही ऑफीस से. रास्ता भी वो जंगल का ही लेंगी."

ये सब सोचता हुआ राज शर्मा जीप में बैठ गया और पद्‍मिनी के ऑफीस की तरफ चल पड़ा. जब वो ऑफीस पहुँचा तो पद्‍मिनी अपने ऑफीस से बाहर आ रही थी. उसने ब्लू जीन्स और वाइट टॉप पहना हुआ था. राज शर्मा तो पद्‍मिनी को देखता ही रह गया. पहली बार राज शर्मा ने पद्‍मिनी को जीन्स में देखा था. वो तो दूर से पद्‍मिनी को पहचान ही नही पाया.

"जो भी हो भगवान ने जो रूप और सुंदरता पद्‍मिनी जी को बख्सि है वो अनमोल है. मेरी नज़र ना लग जाए इन्हे." राज शर्मा सोचता हुआ पद्‍मिनी की ओर बढ़ा.

पद्‍मिनी तो अपनी ही धुन में थी. वो सीधा अपनी कार के पास पहुँची और दरवाजा खोला. उसने देखा ही नही कि राज शर्मा पीछे है और उसकी तरफ बढ़ रहा है.

"पद्‍मिनी जी रुकिये." राज शर्मा ने कहा.

पद्‍मिनी अचानक आवाज़ सुन कर चोंक गयी और तुरंत पीछे मूडी. उसने अपने सीने पे हाथ रखा और बोली, "राज शर्मा तुम! तुमने तो मुझे डरा दिया."

"मैं तो आपको पहचान ही नही पाया." राज शर्मा ने कहा.

"क्या बात है राज शर्मा तुम यहाँ कैसे?" पद्‍मिनी ने पूछा.

"आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी."

"किस बारे में."

"शायद साइको किल्लर लौट आया है." राज शर्मा जंगल की बात बताता है. मोहित वाली बात छोड़ कर सब बता देता है क्योंकि वो जानता है कि पद्‍मिनी वो सब नही सुनेगी.

"ये सब कब ख़तम होगा. मुझे लगा सब ठीक है अब. लेकिन अब फिर वही."

"जब तक ये साइको पकड़ा नही जाएगा या फिर उसका एनकाउंटर नही होगा तब तक वो यू ही वारदात करता रहेगा...मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि आप ध्यान रखना अपना. हर वक्त पोलीस साथ नही रहेगी आपके. कोई भी बात हो तो मुझे तुरंत फोन करना."

"थॅंक यू फॉर युवर क्न्सर्न मैं ध्यान रखूँगी."

"एक बात और है."

"क्या?"

"उस जंगल से आपका निकलना ठीक नही है. पता नही क्यों मुझे लग रहा कि वहाँ कुछ गड़बड़ है."

"मुझे भी वो रास्ता पसंद नही पर कोई और रास्ता भी तो नही है. घर जाने के लिए मुझे वही से गुज़रना होगा."

"आप बुरा ना माने तो मैं आपके साथ चलता हूँ पद्‍मिनी जी. आपका अकेले वहाँ से गुज़रना ठीक नही होगा."

"नही..नही मैं चली जाउन्गि तुम रहने दो."

"वैसे अब तक आपने मेरे सवाल का जवाब नही दिया. आप मुझसे दूर क्यों भागती है. कोई डर है क्या आपको मुझसे."

"नही...नही ऐसा कुछ नही है"

अब पद्‍मिनी कैसे बताए अपने सपने का राज. वो तो हर हाल में राज शर्मा से दूरी बनाए रखना चाहती है.

"पद्‍मिनी जी रोज याद करता हूँ उस दिन को जब आप आग बाबूला हो कर मेरे सामने आई थी और मेरी हालत पतली हो गयी थी. पता नही कैसे पॅंट गीली हो गयी."

पद्‍मिनी के होंठो पे मुस्कान बिखर आई और वो बोली, "तुम याद करते हो उस वाकये को. तुम्हे तो भूल जाना चाहिए हे...हे..हे."

"बस ये प्यारी सी हँसी देखनी थी आपकी इसलिए ये सब बोल रहा था."

पद्‍मिनी फ़ौरन चुप हो गयी. "अच्छा मैं चलती हूँ."

"पद्‍मिनी जी बुरा मत मानीएगा आप बहुत सुंदर लग रही हैं इन कपड़ो में." राज शर्मा ने कहा.

"मुझे फ्लर्ट पसंद नही है राज शर्मा, दुबारा ऐसा मत बोलना."

"पर मैं फ्लर्ट नही कर रहा मैं तो...."

"मैं तो क्या राज शर्मा...मैं खूब जानती हूँ कि तुम्हारा मकसद क्या है?"

"कैसी बाते कर रही हैं आप. मैं तो आपकी यू ही प्रशन्षा कर रहा था. आपको मेरी बात बुरी लगी है तो माफ़ कर दीजिए."

"राज शर्मा मैं सब समझ रही हूँ. पागल नही हूँ मैं. मैं जा रही हूँ. शुक्रिया तुम्हारा कि तुमने मुझे अलर्ट किया." पद्‍मिनी कार में बैठी और चली गयी.

"मेरी छवि कितनी कराब हो रखी है दुनिया में. पता नही नगमा ने क्या क्या बताया होगा पद्‍मिनी जी को. मेरी भी ग़लती है. उस दिन बहुत अश्लील बाते बोल दी थी पद्‍मिनी जी के बारे में. शायद वो भूली नही वो बाते. कुछ करना होगा अपनी छवि सुधारने के लिए. फिलहाल जीप ले कर पीछे चलता हूँ इनके. ये समझ नही रहीं है कि उनकी जान को ख़तरा है."

राज शर्मा अपनी जीप पद्‍मिनी की कार के पीछे लगा देता है. ना पद्‍मिनी ने ध्यान दिया ना ही राज शर्मा ने पास ही एक ब्लॅक स्कॉर्पियो कार में एक शक्स बैठा उन्हे लगातार घूर रहा था. उसका हाथ बाजू की सीट पर पड़े चाकू पर था. वो चाकू पर हल्का हल्का हाथ घुमा रहा था. "कोई बात नही पद्‍मिनी का पेट चीर्ने को भी मिलेगा तुझे. कुछ दिन और जी लेने दो बेचारी को हे..हे...हे. चल किसी और को काट-ते हैं."

पद्‍मिनी ने देख लिया कि राज शर्मा उसके पीछे जीप लेकर आ रहा है. "साइको से ज़्यादा तो मुझे इस से डर लगता है. वो गंदा सपना कभी सच नही हो सकता. ना मैं राज शर्मा से प्यार करूगि और ना ही वो सब होने दूँगी."

पद्‍मिनी शांति से घर पहुँच गयी. घर पहुँचते ही वो राज शर्मा को इग्नोर करते हुए घर के दरवाजे की तरफ लपकी.

"पद्‍मिनी जी रुकिये."

"क्या बात है क्यों आए तुम पीछे मेरे."

"आपको अकेले कैसे आने देता मैं. कल से 2 कॉन्स्टेबल लगवा दूँगा आपके साथ जो आपके साथ रहेंगे आते जाते वक्त. घर पर तो 4 पहले से हैं ही."

"बहुत बहुत शुक्रिया इस सब के लिए. अब मैं जाऊ."

"पद्‍मिनी जी मैं इतना बुरा भी नही हूँ जैसा आपने शायद सोच लिया है. हां मैं मानता हूँ की मैं फ्लर्ट हूँ. लेकिन मेरी तारीफ़ में फ्लर्ट नही था. वो तो मुझे आप बहुत सुंदर लगी आज इसलिए बोल दिया. फिर भी अगर आपको दुख हुआ है तो मुझे माफ़ कर दीजिए. मैं सच कह रहा हूँ मेरा आपके प्रति कोई ग़लत इरादा नही है."

"इरादे रखना भी मत" पद्‍मिनी ने कहा.

"आपके चेहरे पे गुस्सा और मुस्कान दोनो बहुत प्यारे लगते हैं. अब ये इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि आपको देख कर ये ख्याल आता है मुझे और मैं बोल देता हूँ. इसमें फ्लर्ट शामिल नही रहता. और मैं आपसे फ्लर्ट क्यों करूँगा. कहाँ आप कहाँ मैं. मुझे पता है की मेरा कोई चान्स ही नही है. बहुत किरकिरी हो चुकी है आपके सामने मेरी अब बस यही चाहता हूँ की आप मुझे ग़लत ना समझे. आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ मैं. आइ नेवेर एवर सीन वुमन लाइक यू. आप सुंदर भी हैं और आपका चरित्र भी उँचा है. दोनो एक कॉंबिनेशन में कम ही मिलते हैं."

"जनाब कुछ ज़्यादा नही हो रहा अब. तुम्हे चलना चाहिए अब."

"ओह हां बिल्कुल...गुड नाइट पद्‍मिनी जी. स्वीट ड्रीम्स."

राज शर्मा चला गया. पद्‍मिनी सर हिलाते हुए घर में घुस गयी.
 

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Update 54

रात के कोई 2 बजे आँख खुल गयी बेचारी पद्‍मिनी की. स्वीट ड्रीम्स की जगह वेट ड्रीम्स हो गया था. इस बार फिर कारण राज शर्मा ही था. सपने में पद्‍मिनी ने देखा कि राज शर्मा उसके उभारो को चूम रहा है और उसने राज शर्मा के सर को थाम रखा है. वो राज शर्मा को बार बार कह रही थी 'आइ लव यू....आइ लव यू'

"उफ्फ फिर से वही भयानक सपना. पर ये सच नही होगा. रात के 2 बजे हैं. सुबह के सपने ही सच होते हैं. पर पहले वाला सपना सुबह आया था. नही नही राज शर्मा के साथ ये सब च्ीी....कभी नही. पता नही ये राज शर्मा मेरे पीछे क्यों पड़ गया है. मैं उसके इरादे कभी कामयाब नही होने दूँगी.

राज शर्मा पद्‍मिनी को घर छोड़ कर सीधा घर पहुँचा था. घर पहुँचते ही उसे नगमा का फोन आया. "पोलीस वाला बनके तू तो भूल ही गया मुझे."

"नही नगमा तुझे कैसे भूल सकता हूँ. बताओ क्या बात है."

"बापू गये फिर से किसी काम से बाहर आ रही हूँ मैं तेरे पास."

"नही नगमा सुन." पर नगमा फोन काट चुकी थी.

राज शर्मा तो पद्‍मिनी जी के ख़यालो में खोया था. वो परेशान हो रहा था कि पता नही क्यों पद्‍मिनी जी उस से ऐसा बर्ताव करती हैं जबकि उसकी इंटेन्षन तो हमेशा उनकी मदद करने की रहती है. बार-बार पद्‍मिनी जी का चेहरा उसकी आँखो में घूम जाता है. वो कुछ हैरान सा है कि ऐसा क्यों हो रहा है. लेकिन पद्‍मिनी जी के रूप का जादू कुछ अजीब सा असर कर रहा था राज शर्मा के दिलो दीमाग पर. हालाँकि अपना राज शर्मा इन बातों से बिल्कुल बेख़बर था.

नगमा ने दरवाजा खड़काया तो राज शर्मा परेशान हो गया. दरअसल पता नही क्यों वो अकेला रहना चाहता था. खूबसूरत ख़यालो में जो खोया था.

"खोलता हूँ बाबा."

दरवाजा खुलते ही नगमा राज शर्मा से लिपट गयी.

"बहुत दिन हो गये तुमसे मिले राज शर्मा. तुमसे मिलने आई हूँ मैं आज."

"ग़लत वक्त पर आई है तू. थोड़ा परेशान सा था मैं."

"क्या हुआ मेरे राज शर्मा को?"

"कुछ नही बस यू ही."

"अभी इलाज़ करती हूँ मैं तेरा. चल बिस्तर पर."

"नही नगमा आज कुछ मूड नही है."

"बहुत दिन हो गये तू मुझसे एक बार भी नही मिला और आज मूड नही है तेरा. कोई बहाना नही चलेगा तेरा. और हां मुझे कुछ नही चाहिए तुझसे. कुछ देना ही चाहती हूँ तुझे."

"क्या देना चाहती हो नगमा?"

"चलो तो सही बिस्तर पे बताती हूँ."

नगमा राज शर्मा को पीछे धक्का देते हुए बिस्तर के नज़दीक ले आती है और फिर उसे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा देती है. वो राज शर्मा की टाँगो के बीच बैठ जाती है और उसकी ज़िप खोलने लगती है.

"क्या कर रही है. मेरा सच में मूड नही है."

"रुक तो सही देखता जा मैं क्या करती हूँ."

नगमा राज शर्मा का लंड निकाल लेती है बाहर. "ये तो शोया पड़ा है. पहले तो मेरा हाथ लगते ही उठ जाता था. चलो कोई बात नही अभी जाग जाएगा ये."

नगमा शोए हुए, मुरझाए हुए लंड को मूह में ले लेती है और चूसने लगती है.

"तू तो कभी नही लेती थी मूह में. आज क्या हो गया."

"वो कमीना भोलू काई बार चुस्वा चुका है मुझसे. जब उसका चूस लिया तो क्या मेरे राज शर्मा का नही चुसुन्गि क्या?"

"ग़लत टाइम पे आई तू ये करने आज थोड़ा व्यथित हूँ मैं."

नगमा राज शर्मा के लंड को मूह से निकाल कर उसके उपर लेट जाती है और उसकी आँखो में झाँक कर पूछती है, "क्या हुआ मेरे राज शर्मा को. बताओ मुझे."

"कुछ नही तू नही समझेगी."

"समझूंगी क्यों नही तू बता तो."

"आज पद्‍मिनी जी से मिला था. पता नही क्यों. वो मुझसे सीधे मूह बात ही नही करती." राज शर्मा पूरी बात बताता है नगमा को.

"बस इतनी सी बात है. अरे वो डरती होगी कि कही तुम किसी दिन झुका कर उसे उसकी गान्ड ना मार लो. सब बता रखा है मैने उसे की कैसे झुका कर लेते हो तुम...हा...हा...हा...हे...हे."

"क्या! कैसी कैसी बाते बता रखी हैं तूने मेरे बारे में पद्‍मिनी जी को. तभी कहु वो इतना दूर क्यों भागती है मुझसे."

"छोड़ ना उसे तू. क्यों बेकार में परेशान हो रहा है उसके लिए. मैं तेरे लिए कुछ अलग करने आई थी और तू ये रोना लेकर बैठ गया. चल मुख मैथुन का आनंद ले." नगमा वापिस आ कर राज शर्मा के लंड पर झुक गयी और उसे मूह में लेकर चूसने लगी.

"और क्या बता रखा है मेरे बारे में तूने?"

नगमा राज शर्मा का लंड मूह से निकालती है और कहती है, "तेरे लंड का साइज़, तेरे प्यार करने का तरीका सब बता रखा है. ये भी बता रखा है कि कैसे गान्ड पकड़ कर तुम चूत में लंड घुसाते हो. और ये भी बता रखा है कि तुम चुचियों को बहुत अच्छे से चूस्ते हो. तुम्हारे बारे में बातो बातो में सब बता रखा है."

"मतलब कि बहुत अच्छे तरीके से मिट्टी पलीट कर रखी है तूने मेरी. तुझे शरम नही आई उनसे ये बाते करते हुए. वो तो ये बाते सुनती ही नही होंगी. तूने ज़बरदस्ती सुनाई होंगी."

"मुझे बोलने की आदत है. बोल दिया सब बातो बातो में. क्यों परेशान हो रहे हो."

"परेशान होने की बात ही है. मेरी छवि खराब हो रखी है उनकी नज़रो में.. सीधे मूह बात भी नही करती वो मुझसे. आज बहुत दुख हुआ मुझे तू नही समझेगी."

"मैं सब समझ गयी. तेरा मन मुझसे भर गया है और अब तू पद्‍मिनी जी की लेना चाहता है. हां मानती हूँ बहुत सुंदर है वो लेकिन जैसा मज़ा मैं देती हूँ तुझे वो सात जनम भी नही दे सकती."

"नगमा! चुप रहो." राज शर्मा चिल्लाता है. "कुछ भी बोल देती हो. मैं बहुत इज़्ज़त करता हूँ उनकी. ऐसा कुछ नही है जो तू समझ रही है."

"बस अब यही कमी रह गयी थी. अब पद्‍मिनी के लिए मुझे डाँट भी पड़ रही है. ऐसा क्या जादू कर दिया है उसने तुझ पर. सच सच बता तू कही प्यार तो नही करने लगा पद्‍मिनी जी को."

"प्यार नाम के शब्द से भी कोसो दूर रहता हूँ मैं तू ये अच्छे से जानती है. मैने पद्‍मिनी जैसी लड़की नही देखी दुनिया में कही. मैं उनकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ बस."

"राज शर्मा मैने कभी प्यार नही पाया किसी का. कोई मिला ही नही जो मुझे प्यार करे. सब मेरे शरीर के पीछे थे. मैने भी कोशिस नही की प्यार पाने की. पर प्यार के अहसास को समझती हूँ मैं. हिन्दी फ़िल्मो में खूब देखा है प्यार का जलवा मैने. तुम्हारी बातो से यही लगता है कि तुम पद्‍मिनी को चाहने लगे हो. वरना तुम भला क्यों परवाह करोगे कि वो तुम्हारे बारे में क्या सोचती है. जिस तरह से तुम बाते कर रहे हो, कोई भी बता सकता है कि तुम पद्‍मिनी के प्रेम-जाल में फँस चुके हो. मेरा अब यहाँ कोई काम नही है. मैं चलती हूँ. अपना ख्याल रखना."

नगमा उठ कर चल देती है.

राज शर्मा अपने लिंग को वापिस पंत में डालता है और उठ कर नगमा का हाथ पकड़ लेता है.

"तू तो नाराज़ हो गयी. बहुत बड़ी बड़ी बाते कर रही है पगली कही की. चल आ बैठ तो सही."

"नही राज शर्मा, तुम्हारी आँखो में अब पद्‍मिनी का चेहरा दीख रहा है मुझे. तुम खुद सोच कर देखो. क्यों करते हो इतनी परवाह और चिंता पद्‍मिनी की तुम."

"शायद इंसानियत के नाते."

"आज क्यों गये थे पद्‍मिनी के ऑफीस तुम."

"मुझे उनकी चिंता हो रही थी. मुझे डर था की कही साइको उन्हे नुकसान ना पहुँचा दे."

"पूरे पोलीस महकमे में तुम्हे ही ये ख़याल आया. क्या कोई और नही है पोलीस में जिसे पद्‍मिनी की चिंता हो."

"कैसी बाते करती है. मुझे उनका ख़याल आया और मैं चला गया. हर कोई पद्‍मिनी जी की चिंता क्यों करेगा."

"वही तो मैं कहना चाहती हूँ. दिल में बस चुकी है पद्‍मिनी तुम्हारे. अपने आप को धोका मत दो."

राज शर्मा का सर घूमने लगता है और वो वापिस बिस्तर पर आकर सर पकड़ कर बैठ जाता है. नगमा राज शर्मा के पास आती है और उसके सर पर हाथ रखती है.

"क्या हुआ राज शर्मा?"

"सर घूम रहा है मेरा. कुछ समझ में नही आ रहा कि क्या कह रही हो तुम."

"मुझे जो लगा मैने बोल दिया. मैं ग़लत भी हो सकती हूँ. असली बात तो तुम ही जानते हो."

"मुझे कुछ नही पता नगमा, सच में कुछ नही पता."

"क्या मैं यही रुक जाऊ तेरे पास. मुझे तेरी चिंता हो रही है. परेशान नही कारूगी बिल्कुल भी. आओ तुम्हारे सर की मालिस किए देती हूँ. अभी ठीक हो जाएगा."

"नगमा बुरा मत मान-ना. तुम्हारी बातो ने मुझे झकझोर दिया है. मैं अकेला रहना चाहता हूँ."

"मुबारक हो. मैं बिल्कुल सही थी. तुम्हे सच में प्यार हो गया है. प्यार में डूबे आशिक अक्सर ऐसी बाते बोलते हैं. ठीक है अपना ख़याल रखना. कोई भी बात हो मुझे फोन कर देना मैं तुरंत आ जाउन्गि."

"मैं तुम्हे छोड़ आउ."

"नही मैं चली जवँगी. अभी तो 9 ही बजे हैं."

नगमा चली गयी और राज शर्मा किन्ही गहरे ख़यालो में खो गया. कब उसने बाहों में तकिया दबोच लिया उसे पता ही नही चला. "पद्‍मिनी जी ठीक से कुछ कह नही सकता. पर हां शायद आपसे प्यार हो गया है. भगवान भली करें अब मेरी. फिर से कही मैं बर्बाद ना हो जाऊ प्यार में."

राज शर्मा को तो नींद ही नही आई सारी रात. ताकिया बाहों में दबाए कभी इस करवे कभी उस करवट. "राज शर्मा सो जा आराम से कुछ मिलने वाला नही है प्यार में. पहले जब ये आया था जिंदगी में तो बहुत गहरी चोट दे गया था. अब क्या सितम ढाएगा पता नही. पद्‍मिनी जी तुझे पसंद नही करती हैं समझ ले. तू उनके लायक भी नही है. ऐसे में क्यों सर दर्द मोल लेते हो. जिंदगी जैसी चल रही है चलने दो. कोई ख़तरनाक एक्सपेरिमेंट करने की ज़रूरत नही है, जान पर बन सकती है. सो जाओ कल को ड्यूटी पर भी जाना है. रात के 2 बज गये हैं....उफ्फ."

राज शर्मा ये सब सोच रहा था और उसी वक्त पद्‍मिनी फिर से एक वेट ड्रीम के कारण उठ बैठी थी अपने बिस्तर पर. सपने में राज शर्मा उसके उभारो का रस पान कर रहा था और वो उसका सर पकड़ कर आइ लव यू कह रही थी.

पद्‍मिनी दिल पर हाथ रख कर बैठी थी. उसकी हालत देखने वाली थी. "क्या हो रहा है मेरे साथ ये. क्यों आ रहे हैं ये गंदे और भयानक सपने मुझे. राज शर्मा को तो मैं कभी माफ़ नही कारूगी. बदतमीज़ कही का. उसे कोई हक़ नही है मुझे छूने का चाहे वो हक़ीकत हो या सपना."" पद्‍मिनी ने कहा.

पद्‍मिनी उठी और पानी पिया. पानी पी कर वो खिड़की पर आ गयी. उसने बाहर झाँक कर देखा. बहुत भयानक सन्नाटा था बाहर. एक ही कॉन्स्टेबल नज़र आ रहा था उसे अपने घर के बाहर. "एक ही खड़ा है ये तो. बाकी के तीन कही दिखाई नही दे रहे. पता नही कैसी शूरक्षा है ये."

पद्‍मिनी वापिस आ कर लेट गयी. लेकिन दुबारा उसे नींद नही आई.

..............................

..................................

रात बीत गयी और सुबह ने दस्तक दी. राज शर्मा तो एक पल भी नही शोया था. वो नहा धो कर वर्दी पहन कर मोहित के घर की तरफ निकल पड़ा. दिल जब बहुत बेचैन हो किसी बात को लेकर तो अक्सर एक अच्छे दोस्त की याद आती है जिसके साथ अपना गम बाँटने की इच्छा रहती है.

"राज शर्मा तू...सुबह सुबह आज कैसे याद आ गयी मेरी." मोहित ने पूछा.

"पहले ये बता कल क्या तमासा लगा रखा था जंगल में. शूकर मनाओ की मैं साथ था ए एस पी साहिबा के वरना तुम जैल मे पड़े होते अभी. कौन थी वो लड़की और उसे जंगल में क्यों ले गये थे तुम."

"पूछ मत यार. आ बैठ. वर्दी बहुत जच रही है तुझ पे."

राज शर्मा कुर्सी पर बैठ जाता है और मोहित अपने बिस्तर पर.

"हां बताओ अब गुरु क्या मामला था."

"कल पूजा के कॉलेज गया था. अब यार कुछ तो करना होगा ना पूजा को पटाने के लिए. पूजा के साथ दो लड़किया थी. उनमे से एक कविता थी. उसने सारा मामला बिगाड़ दिया मेरा." मोहित पूरी बात डीटेल में बताता है.

"बस मैं उस कविता को मज़ा चखाने के लिए उसकी गान्ड में डाल रहा था. बस फिर तुम लोग आ गये. बहुत अच्छी फ़ज़ीहत हुई मेरी. कही मूह दिखाने लायक नही रहा."

"शूकर मना उस कविता ने बोल दिया कि तुम रेप नही कर रहे थे वरना ए एस पी साहिबा जैल में डाल देती तुम्हे."

"ये तो है...बाल-बाल बचा हूँ मैं. शुक्रिया तेरा दोस्त. अच्छा ये बता कैसा चल रहा है. कल से मैं भी जा रहा हूँ जॉब पर."

"कौन सी जॉब?" राज शर्मा ने पूछा.

"एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी जाय्न कर ली है मैने. कल से मैं भी बिज़ी रहूँगा."

"बहुत अच्छी बात है ये तो गुरु. मैं पोलीस तुम डीटेक्टिव."

"और बताओ क्या चल रहा है." मोहित ने कहा

"पूछ मत गुरु, एक अजीब मुसीबत में पड़ गया हूँ मैं. कल सारी रात सो भी नही पाया."

"ऐसा क्या हो गया राज शर्मा." मोहित ने पूछा

"लगता है फिर से प्यार हो गया है मुझे."

"क्या बात कर रहा है, कौन है वो बदनसीब?"

"मज़ाक मत करो गुरु. ये मज़ाक की बात नही है." राज शर्मा के चेहरे पर गंभीर भाव थे.

"तूने भी तो मुझे यही कहा था जब मैं हॉस्पिटल में था. कुछ याद आया. अच्छा चल छोड़. बताओ कौन है वो हसीना जो तेरा दिल ले उड़ी."

"पद्‍मिनी जी...पर किसी को बताना मत." राज शर्मा ने कहा.

"क्या! तुझे पद्‍मिनी से प्यार हो गया...... क्यों अपनी जान जोखिम में डाल रहा है."

"मैं पहले ही परेशान हू गुरु अब और परेशान मत करो."

"तूने कुछ कहा अभी तक उसे?"

"पागल हो क्या, ज़ुबान खींच लेंगी वो मेरी. कुछ कहूँगा नही कभी. बस अपने दिल तक ही शिमित रखूँगा इस प्यार को मैं."

"फिर तो परेशानी की कोई बात ही नही है, क्यों परेशान हो फिर."

"कल रात नींद नही आई भाई इस चक्कर में. बताओ मैं क्या करू."

"ऐसा है तो बोल दो जाके अपने दिल का हाल पद्‍मिनी को. दिक्कत क्या है."

"नही गुरु उन्हे कुछ नही कह पाउन्गा. मैं तो बस तुम्हे बता रहा था. मेरा कोई इरादा नही है कि लव के पछदे में पडू फिर से."
 
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