• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery बाबा ठाकुर (ब्लू मून क्लब- भाग 2)

कहानी का कथानक (प्लॉट)

  • अच्छा

    Votes: 2 12.5%
  • बहुत बढ़िया

    Votes: 13 81.3%
  • Could ठीक-ठाकbe better

    Votes: 2 12.5%

  • Total voters
    16

naag.champa

Active Member
655
1,790
139
बाबा ठाकुर
BBT-Hindi2-Cover-Ok22.jpg


(ब्लू मून क्लब- भाग 2)
~ चंपा नाग ~
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय १ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ // अध्याय १८ // अध्याय १९ // अध्याय २०
अध्याय २१ // अध्याय २२ // अध्याय २३ // अध्याय २४ // अध्याय २५
अध्याय २६ // अध्याय २७ // अध्याय २८ // अध्याय २९ // अध्याय ३०
अध्याय ३१ // अध्याय ३२ (समाप्ति)


प्रिय पाठक मित्रों,

बड़ी उत्साह के साथ और बड़ी खुशी के साथ मैं आपके लिए एक नई कहानी प्रस्तुत करने करने जा रही हूं| इस कहानी को मैंने बहुत ही धैर्य से और बड़े ही विस्तार से लिखा है| आशा है कि यह कहानी आप लोगों को मेरी लिखी हुई बाकी कहानियों की तरह ही पसंद आएगी क्योंकि इस कहानी को लिखने का मेरा सिर्फ एकमात्र ही उद्देश्य है वह है कि अपने पाठक बंधुओं का मनोरंजन करना|

मुझे आप लोगों के सुझाव, टिप्पणियां, कॉमेंट्स और लाइक्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा|
PS और अगर अभी तक आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा| पहले भाग का लिंक नीचे दिया हुआ है
ब्लू मून क्लब (BMC)

~ चंपा नाग ~



यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
 
Last edited:

manu@84

Well-Known Member
8,524
11,921
174
अध्याय १३


मैंने एक राहत की सांस लेते हुए जैसे ही बाबा ठाकुर के बिस्तर पर बैठी वैसे ही मेरी सांस बीच में ही अटक गई|

मैं जब से यहां आई हूं तब से एक बार भी मैंने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा को एक बार भी फोन नहीं किया था और मेरा फोन मेरे बैग के अंदर ही था|

और जैसे ही मैंने फोन को फोन किया टिंग टिंग टिंग टिंग करते हुए फोन के अंदर कई सारे मैसेजेस घुसे| यह सब के सब मिसकॉल वाले मैसेज थे| कितनी देर में एक बार तुमने मुझे फोन किया था तो 4 बार मैरी डिसूजा ने|

मैंने जल्दी-जल्दी मैरी डिसूजा का नंबर लगाया|

"क्या बात हो गई री लड़की, आखिर मामला क्या है? पहुंचने के बाद तुम्हें एक बार भी फोन नहीं किया मुझे?"

"माफ करना मैडम... मेरा मतलब है मम्मी, यहां आकर के वक्त का पता ही नहीं चला इसलिए मैं आपको फोन नहीं कर पाई"

"... और मैं सारा दिन तेरी चिंता के मारे घुल- घुल कर मर रही थी... तुझे नहीं मालूम मैंने तुझे एक ग्राहक के घर भेजा है| हालांकि यह ग्राहक मेरी जान पहचान का जरूर है लेकिन ग्राहक के घर तो जैसे किसी जवान लड़की को भेजना भी एक बहुत बड़ा जोखिम भरा काम है- भले ही तू वहां एक पार्ट टाइम लवर गर्ल बन कर गई है... तू जानती है ना, कि यह दुनिया कितनी जालिम है?... कम से कम एक फोन तो कर लेती मुझे?" मैरी डिसूजा की आवाज के लहजे से ही मुझे लग गया कि वह वास्तव में मेरे लिए बहुत ही चिंतित थी|

"माफ करना मम्मी, अब मैं आपको रह रह कर समय पर जरूर फोन करूंगी"

"अच्छा यह बता आखिर इतनी देर तू कर क्या रही थी?"

मैंने शरमाते हुए कहा, " अब तक सिर्फ एक बार मैं बाबा ठाकुर के बिस्तर पर अपनी टांगे फैला चुकी हूँ..." उसके बाद मैंने उन्हें बाकी की दिनचर्या के बारे में बताया कि कैसे मैं उनके सत्संग में शामिल हुई और फिर दान दक्षिणा की रसीदें काटती है और फिर विदेशियों के सामने बैठकर एक दुभाषिये की भूमिका भी निभाई... लेकिन मैंने यह नहीं बताया कि उनके यहां रहने वाली लड़की- आरती भी मेरे अंदर दिलचस्पी लेने लगी है|

"ठीक है... ठीक है... सत्संग में तूने जो भी किया अच्छा किया और हां लाख टके की लड़की है इसलिए तूने अगर विदेशियों के सामने बैठकर एक दुभाषिये की भूमिका भी निभाई है- तो मैं इसे अपनी सफलता मानती हूं कि मेरी हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड में तू जैसी पढ़ी लिखी और कार्य कुशल लड़कियां भी शामिल है... इसीलिए यहां मैंने सब से कह दिया है कि तू मेरी ही बेटी है और हां पर अच्छी बात याद आई अब मेरी बात ध्यान से सुन, तू अपनी दवाएं बिल्कुल नियमित रूप से लेती रहना... क्योंकि मैं नहीं चाहती कि तू इतनी जल्दी प्रेग्नेंट हो जाए... मैंने यहां एक नर्सिंग होम की नर्स दीदी से भी बात कर रखी है... मैं तेरे अंदर एक copper-t डलवा दूंगी... लेकिन यह सब तेरे यहां वापस आने के बाद ही होगा... लेकिन पीयाली, मेरी बच्ची धंधे के नियम और शर्तों के मुताबिक तुझे अपने क्लाइंट से बिना कंडोम की चुदना होगा... मैं नहीं चाहती कि मुझे तेरा अबॉर्शन (गर्भपात) करवाना पड़े इसलिए इस बीच अपनी दवाइयां बिल्कुल नियमित रूप से लेती रहना... "

मेरी डिसूजा की बातों में दम था इसलिए मैंने कहा, "जी मम्मी, अच्छा"

कि इतने में नीचे से आरती ने आवाज लगाई रात का खाना लग चुका था|

***

खाना शाकाहारी होने के बावजूद काफी लाजवाब था| आरती के हाथों में मानो जादू था|

खाना खाने के बाद जूठे बर्तनों को वापस किचन में ले जाने के लिए मैंने आरती की थोड़ी मदद की लेकिन आरती ने कहा कि मुझे बाबा ठाकुर के कमरे में जाना होगा|

बाबा ठाकुर अपने बिस्तर पर केवल लुंगी पहने बैठे हुए थे| कमरे में सिर्फ एक नाइट लैंप जल रहा था| मुझे कमरे में आते देखकर उन्होंने अपनी लूंगी को ऊपर सरकाई और अपनी नंगी जाँघ को थपथपा कर मुझे वहां आकर बैठने का इशारा किया|

मैं सर झुकाए चुपचाप उनकी जाँघ पर बैठ गई|

फिर मैंने अपनी नजरें नीची करके उसे पूछा, "बाबा ठाकुर, आशा करती हूं कि अब तक उससे कोई गलती नहीं हुई है"

बाबा ठाकुर ने मुस्कुराते हुए मेरी साड़ी का आंचल मेरे बदन से हटा दिया और मेरी नंगे स्तनों पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोले, "नहीं, पीयाली- तुझ से कोई गलती नहीं हुई बल्कि तू मेरी हर उम्मीद पर खरी उतरी है... लेकिन मेरी प्यास नहीं बुझी है, पीयाली..."

"बाबा ठाकुर, मैं तो एक अबला नारी हूं... और यहां मैं आपको खुश करने के लिए आई हूं... अगर आप आज्ञा दे अपनी साड़ी उतार कर नंगी हो जाती हूं..."

"हां पीयाली, तू बिल्कुल नंगी हो जा... ईश्वर ने तुझे बड़ी फुर्सत से तराशा है... और मुझे ऐसा लगता है तू जो अपना बदन... साड़ी से टक्कर रखी हुई है, इससे तेरी सुंदरता का अपमान हो रहा है... तेरा शरीर दूसरी औरतों और लड़कियों से काफी सुंदर है और आकर्षक भी... तेरे कोमल अंगों में भी जरा भी बाल नहीं है- बिल्कुल छोटी लड़कियों की तरह- तेरा पूरा बदन एकदम मखमली और चिकना चिकना है... तेरे बाल लंबे और घने है और रेशमी भी... तेरे स्तन कितने सुडौल और बड़े-बड़े और तने तने से हैं... तेरी कमर पतली और मांसल कूल्हे... जा पीयाली उठ अपनी साड़ी उतार कर मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो जा..."

मैं धीमे से उनकी गोद से उठी और फिर उनके सामने खड़ी होकर कमर में बंधी साड़ी की गांठ खोलकर साड़ी की लपेटन को ढीला किया और अपने हाथों से उसे धीरे-धीरे उतारने लगी| बाबा ठाकुर मेरी इस हरकत के पल पल का मजा ले रहे| आखिरकार जमे साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी उनके सामने खड़ी हो गई तो बिस्तर से उठ कर बिल्कुल मेरे पीछे आकर खड़े हो गए और उन्होंने मेरे बालों को मेरी गर्दन के पास समेट कर अपने हाथ की मुट्ठी में एक पोनीटेल की तरह पकड़ा... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे बालों को इस तरह से पकड़ना उनके लिए मेरे ऊपर अपने अधिकार प्रकट करने का एक चेतन मन का या फिर अवचेतन मन का आवेग था...

वह मुझे मेरे बालों उसे पकड़कर वैसे ही बिस्तर तक ले गए और उन्होंने फिर मुझे बिस्तर पर लेटा दिया| मैं जानती थी मुझे क्या करना है इसलिए मैंने अपने दोनों हाथ दोनों तरफ फैला दी है और अपनी दोनों टांगों को जितना फैला सकती थी उतना मैंने फैला दिया ताकि मैं उन्हें संभोग का निमंत्रण दे सकूं|

बाबा ठाकुर अभी तक बिस्तर पर चढ़े नहीं थे और ना ही उन्होंने अपनी लूंगी उतारी थी| अब उन्होंने अपनी लूंगी उतार दी और मैंने देखा उनका लिंग बिल्कुल सख्त और खड़ा हो चुका था वह बिल्कुल मेरे चेहरे के पास आ गए और फिर दोबारा उन्होंने मेरे बालों को पकड़कर मेरा सर अपने यौनांग के पास ले आए...

मैंने इस बार कुछ अलग किया मैंने सबसे पहले उनके अंडकोष को चाटा और फिर इशारा समझ कर उनका लिंग अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... मेरे शरीर, ग्रुप लावण्या और यौवन पर उनका फिलहाल पूरा अधिकार था और वह अपना ही अधिकार बखूबी वसूल रहे थे मैं जानती थी... मैं जानती थी कि मेरा उनके लिंग को चूसना उन्हें बहुत ही अच्छा लग रहा था वह सिर्फ संभोग के लिए अपने लिंग पर मेरे मुंह की लार से तैलीय नहीं बनाना चाहते थे बल्कि उससे पहले जितना हो सके लुफ्त उठाना चाहते थे....

यह सब मुझे भी काफी रोमांचकारी सा लग रहा था... एक नए आदमी के साथ इतनी घनिष्ठता... उसके शरीर का गंध... उसकी छुवन मुझे बहुत रोमांचकारी लग रहा था... ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा...

बाबा ठाकुर जल्दी ही मेरे ऊपर लेट गए... उनके वजन से दबकर मारो मेरे अंदर कामना की आग और भड़क उठी... उन्होंने ज्यादा देर नहीं की उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया मैंने हल्के दर्द की एक सिसकी ली और उधर बाबा ठाकुर ने भी ठंडी सी आह भरी.... और फिर मुझे जी भर के चूमने और चाटने लगे...

आ हा हा हा हा... यह सब कितना अच्छा लग रहा है....

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ बदन के नीचे मेरा कोमल शरीर दबा हुआ था... और उनका लिंग मेरी योनि के अंदर घुसा हुआ था... उन्होंने और देर नहीं की और वह मैथुन लीला मैं मगन हो गए और मेरा शरीर उनके मैथुन के धक्कों से हिलने लगा... इस बार मानो बाबा ठाकुर कुछ ज्यादा ही जोश में थे इसलिए उनकी मैथुन की गति भी काफी तेज थी...

मैंने अपने दोनों हाथों से बाबा ठाकुर को जकड़ कर रखा था क्योंकि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और अनजाने में ही मैं दबी दबी आवाज में कराह रही थी

आ-आ-आ- उम्मम्मम.... ऊ-ऊ-ऊ- उह-उह-उह... आ-आ-आ- उम्मम्मम.... ऊ-ऊ-ऊ- उह-उह-उह

मेरे कराहने की आवाज से मानो बाबा ठाकुर का जोश को और बढ़ावा मिल रहा था और उनकी मैथुन लीला को इंधन... इसलिए वह मुझ पर लगे रहे... लगे रहे... लगे रहे... मेरे अंदर कामवासना का लगभग दो बार विस्फोट हुआ... उसके बाद मैंने महसूस किया शायद बाबा ठाकुर की वासना का ज्वालामुखी भी अब फूट पड़ा है और मुझे एहसास हुआ कि मेरी योनि उनके गर्म वीर्य के सैलाब से से भर गई है....

बाबा ठाकुर कुछ देर तक मेरे ऊपर चुपचाप लेट कर सुस्ताने लगे लेकिन उन्होंने अपने शीतल पढ़ते हुए लिंग को मेरी योनि के अंदर से बाहर नहीं निकाला फिर कुछ देर बाद वह मुझे फिर से चूमने और चाटने लग गए... मैं जानती थी वह मुझसे दोबारा संभोग करने वाले हैं और मैंने महसूस किया कि उनका शीतल पड़ता हुआ लिंग दोबारा मेरी योनि के अंदर ही खड़ा और सख्त होने लग गया है...

मैं यहां आई तो थी एक पार्ट टाइम लवर गर्ल बनके अपने ग्राहक को यौन संतुष्टि देने के लिए लेकिन यहां तो मजा मुझे ही आ रहा था इसलिए मैं भी हर पल का लुफ्त उठाने लगी जल्दी ही बाबा ठाकुर ने दोबारा अपनी मैथुन लीला शुरू कर दी...

मुझे अच्छी तरह मालूम था… रात अभी बाकी है और सुबह होने में काफी देर है...

क्रमशः
औरते... औरतों पर अच्छा लिख सकती है, क्योकि उन्होंने भोगा है दर्द.... मर्द...औरतो पर औरतो से बेहतर लिख सकते है, क्योकि उन्होंने रची है साजिश.....!!!! बहुत बहुत बहुत खुशी मिलती है जब स्त्री एक स्त्री के चरित्र को बया करती हैं,


प्रिय लेखिका चंपा जी आपके ऊपर जो अन्य चूतिये रीडर जो आपकी आइंडेंटि को लेकर टिप्पड़ी कर रहे हैं उनके ऊपर अपने विचार से शुरुआत करता हू।

इस फोरम पर जब मै नया दाखिल हुआ तो मेरे अंदर भी बहुत संशय था कि यहाँ स्त्रियों के वेश में मर्द छिपे बैठे हैं....और उनकी कृतियों, टिप्पड़ियों पर हमेशा शक करता था। लेकिन जब यहाँ UCC contest २०२३ हुआ और मेरी winner candidate की कहानी पर की गयी विरोधी प्रतिक्रिया के बाद जब इस फोरम की महिला शक्ति प्रति उत्तर के साथ उभर कर आई तब मुझे समझ आया यहाँ वास्तविक स्त्रियाँ भी लिखती पढ़ती है।

लेकिन ये मेरी समझ से परे है यहाँ कुछ मर्द ऐसे भी है जो वाकई स्त्री का रूप धरे बैठे हैं, उन्हे ये कोई बताये इस तरह वेश वदलनेसे उन्हें ऐसा क्या सुख मिलता है जो बेहरूपिया बन कर बैठे हैं। भाई लोग यहाँ हम सभी रिश्तों नातो को बहुत दूर छोड़ कर यहाँ आते हैं, जिसका प्रमाण है यहाँ लिखी गई incest सेक्स कहानिया जब हम अपनी माँ बहनो की चुदाई की कल्पना कर लिखते पढ़ते है तो फिर बचता ही क्या है??? स्त्री का वेश धर इनबॉक्स में सेक्सी चैट ब्रा पैंटी का रंग पूछने से पानी निकालने से क्या होने वाला है। अगर जो सोचते है यहाँ जो स्त्रियाँ कहानी लिख पढ़ रही है वो छिनार, रांड है जो तुम्हारे वेश बदलने से तुम्हारी बातों में आकर चुद जायेगी ये सरासर गलत है। सबसे पहले अपने दिमाग से ये निकाल दो कि ये स्त्रियाँ छिनर रांड है, ये भी मर्दों की तरह लिखने पढ़ने की शौकीन हैं बस।


अब आता हू update पर...
आपके latest लिखे गए दोनों अध्याय पिछले अध्यायों की तरह अद्भुत काम कला के साथ साथ कामवासना, काम पिपासा से पूर्ण थे। पियाली के योनान्गो पर योनक्रिया के उपरांत कामरस् की बूंदे अपनी छाप उसके मन में छोड़ रही है। पियाली के बीते हुए जीवन को जानने के लिए मुझे इस कहानी का पहला भाग पढ़ना होगा जिससे मै ठीक से समझ सकता हूँ कि एक शादीशुदा स्त्री देनिक संभोगी वेश्या क्यों और किन हालातों में बनी। तब ठीक से आपके समक्ष अपनी प्रति क्रिया प्रस्तुत करता हूँ।

धन्यवाद
 

vickyrock

Active Member
610
1,581
139

अध्याय १४



सुबह जब मेरी नींद खुली तब मुझे एहसास हुआ कि मैं बिस्तर पर अकेली ही लेटी हुई थी और मेरा बदन एक चादर से अच्छी तरह से ढका हुआ था| मैंने मुड़कर बगल में देखा बाबा ठाकुर बिस्तर पर नहीं थे| फिर मैंने धीरे धीरे उठने की कोशिश की है मेरा पूरा बदन एक मीठे दर्द से भरा हुआ था खासकर मेरी योनि और कमर में दर्द ज्यादा था... इससे पहले कि दोबारा आरती फिर से फुल स्पीड में एक स्टीम इंजन की तरह धड़धड़ाती हुई अंदर आ जाए मैं जमीन पर अपनी साड़ी ढूंढने लगी| फिर मैंने देखा कि मेरी साड़ी बिस्तर के सिरहाने में टंकी हुई थी| शायद बाबा ठाकुर ने उसे उठाकर वहां रख दिया होगा| मैंने जल्दी-जल्दी साड़ी पहनी और उसी के साथ ही दोबारा झटके के साथ कमरे के किवाड़ खुले और और जैसे ट्रेन का इंजन धुआं छोड़ता है वैसे ही उत्सुकता अदृश्य बुलबुले फैलाती हुई आरती कमरे में दाखिल हुई लेकिन इस वक्त उसके हाथों में चाय की प्याली थी|

मैंने उसे देखकर मुस्कुरा कर कहा, "गुड मॉर्निंग"

"गुड मॉ-र्निं-ग पीयाली दीदी" उसने बिल्कुल वैसे ही कहा जैसे स्कूल में बच्चे टीचर को गुड मॉर्निंग बोलते हैं| इसका मतलब कभी ना कभी आरती स्कूल भी गई है पर अब शायद नहीं जाती|

"बाबा ठाकुर कहां है... नहा धोकर पूजा पाठ में लग गए हैं... बस कुछ ही देर में आते होंगे... आज दोपहर 12:30 उन्हें शहर के लिए निकलना है... कल जो गोरे लोग आए हुए थे उनके लिए... ग्रह रत्नों को जांच परख कर उनके लिए अंगूठी बनवानी है"

"तो क्या उन्होंने शहर जाने के लिए कोई टैक्सी या गाड़ी ठीक की है" क्योंकि जब मैं इनके घर आई थी तो इनके घर के बाहर मुझे कोई गाड़ी खड़ी दिखाई नहीं दी थी|

आरती ने अपने मुंह के अंदर अपनी जुबान चटका कर "चक्ख、" की आवाज निकाली- उसके कहने का मतलब था 'नहीं'

"तो क्या फिर विदेशी उन्हें लेने आ रहे हैं"

आरती ने फिर से अपने मुंह के अंदर अपनी जुबान चटका कर "चक्ख、" की आवाज निकाली- मतलब नहीं

"तो फिर वह जाएंगे कैसे"

"ट्रेन से... यहां से शहर तक के लिए टैक्सी वाले काफी पैसे लेते हैं... और बस का कोई भरोसा नहीं है"

अब मैं क्या बोलती? मैं चुप ही रही|

"पीयाली दीदी, फिर से तुम्हारे बाल अस्त व्यस्त हो गए हैं, तुम्हारी लिपस्टिक बिगड़ गई है... और सिंदूर भी घिस गया है..."

"हां जानती हूं... मैं जल्दी से नहा धो कर आती हूं, यह कहकर मैं अपने बैग से शैंपू और साबुन निकालने लगी"

इतने में आरती बोली, "पीयाली दीदी, पहले यह चाय पी लो इसमें अदरक, लौंग, इलायची और तेजपत्ता मिला हुआ है... इससे तुम्हारी रात की थकान दूर हो जाएगी उसके बाद तुम नहा लेना मैं तुम्हारे बाल बना दूंगी..."

"ठीक है, लेकिन तुझे और कोई काम तो नहीं है मैं यह नहीं चाहती कि मेरी देखभाल करते हुए तू बाबा ठाकुर को कोई शिकायत का मौका दें... उनका कोई काम रुकना नहीं चाहिए"

"उसकी चिंता तुम मत करो पीयाली दीदी, बाबा ठाकुर को पूजा पाठ करके उठने में अभी थोड़ी देर लगेगी कितने में सब काम हो जाएगा" यह कहकर आरती थोड़ा शरारत से मुस्कुराए और फिर थोड़ा सा हिचकते हुए उसने कहा, " पीयाली दीदी अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें नहला दूं"

अब मुझे पक्का यकीन हो गया था कि आरती की मेरे ऊपर दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी|

मैंने कहा "धत पगली"

मुझे नहा धोकर आने दे उसके बाद तू मेरे बालों में कंघी कर देना... यह कहकर मैंने अपने बैग से एक नई साड़ी निकाली औरअपने टॉयलेट पाउच से तेल साबुन शैंपू वगैरा लेकर बाथरूम में घुस गई...

बाथरूम में घुसकर मैंने अपनी साड़ी उतार दी और बिल्कुल नंगी हो गई फिर मुझे तो ख्याल आया कि एक बार आरती से पूछ लूँ, "आरती एक बात बता क्या इस घर में कोई वाशिंग मशीन है?"

आरती ने बड़े हर्ष के साथ जवाब दिया, "हां है ना... एकदम ऑटोमेटिक वाला... और उस में तरह-तरह की सेटिंग भी है जो सब कुछ मैंने सीख लिया है... तुम्हारी साड़ियां बहुत महीन है.... उसकी सेटिंग भी अलग है... मैं जानती हूं क्या करना है... बस ढक्कन खोलो, कपड़े डालो, साबुन वाले खोखे में साबुन डालो... और फिर मशीन ऑन करके सेटिंग करके... ढक्कन बंद करो और फिर बटन दबा दो... मशीन जरूरत के मुताबिक पानी भरेगा... फिर उसके अंदर का ड्रम घौं - घौं करके चलेगा... फिर वह अपने आप पानी छोड़ेगा फिर से वह पानी भरेगा और उसके बाद उसके अंदर का ड्रम घौं - घौं करके चलेगा... और फिर अंत में उसका ड्रम बहुत तेज घूमने लगेगा कपड़ों से पानी निचोड़ने के लिए के लिए... और उसके बाद टिंग टोंग टिंग टांग टिंग टांग... आवाज करेगा सारे के सारे कपड़े धुल गए... और लगभग सूख भी गए| फिर मैं उन्हें मशीन में से निकाल कर के छत पर सुखाने के लिए दे आऊंगी..."

आरती ने मुझे सब कुछ समझाया जैसे कि मैं ऑटोमेटिक वाशिंग मशीन के बारे में कुछ नहीं जानती| ऐसी गलती उसकी नहीं है क्योंकि गांव की जो औरतें अब तक बाबा ठाकुर के यहां आती होंगी उन्हें शायद आटोमेटिक वाशिंग मशीन के बारे में कुछ पता ही नहीं होगा...

मैं आरती की बनाई हुई चाय पीने लगी... सचमुच चाय बहुत ही बढ़िया थी|

मुझे याद आया कि मैंने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा से वादा किया था हर रोज उन्हें फोन करूंगी... इसलिए मैंने अपना फोन उठाया और चाय पीते पीते मेरे डिसूजा का नंबर लगाया, "हां, गुड मॉर्निंग मम्मी..." और फिर मैंने आरती की तरफ तिरछी नजर से देखा|

वह समझ गई कि शायद मुझे एकांत की जरूरत है इसलिए वह कमरे से बाहर जाते हुए बोल कर गई, "मैं नीचे जा कर देखती हूं अगर बाबा ठाकुर को किसी चीज की जरूरत पड़ जाए.... पर आप मुझे बुला लेना"

उसके जाने के बाद मैं मैरी डिसूजा से यूं ही अनायास बातें करती रही... वह मेरा हालचाल पूछती रही है और फिर उन्होंने पिछली रात का ब्यौरा भी मेरे से लिया... यह सब बोल सुनकर हम दोनों ही हंसने लगे थे...

बातें खत्म होने के बाद मैंने फोन रखा तो मेरी नजर नीचे बगीचे में एक बच्चे के ऊपर गई| वह लड़का करीब 4 या 5 साल का होगा वह अपनी पैंट उतार कर दोनों हाथों से अपने नन्हे से लिंग को पकड़कर बड़े मजे से गुलाब के फूल के पौधे पर पेशाब कर रहा था| न जाने उसे ऐसा करते हुए क्या मजा आ रहा था- लेकिन वह ऐसा कर रहा था इसलिए मैंने ऊपर से ही उसे डांटते हुए चिल्लाई, "ओए लड़के! क्या कर रहा है तू?"

मेरी आवाज सुनकर उस लड़के ने गर्दन घुमा कर नजर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर डर के मारे जल्दी जल्दी से अपनी पैंट चढ़ाकर अंदर की तरफ भाग आया| शायद उसकी मां भी उसके साथ आई हुई थी|

इतने में पीछे से मुझे आरती की हंसने की आवाज आई, "ही ही ही ही ही ही- पीयाली दीदी तुमने तो बच्चे को डरा ही दिया"

"अरी पगली... तू कब से मेरे पीछे ऐसे हाथ लगाए खड़ी है?"

"उसी वक्त से जब से तुमने अपनी मम्मी से बात करना खत्म किया था... वैसे एक बात बताऊं पीयाली दीदी; तुम्हारी मम्मी ने बहुत समझदारी दिखाते हुए तुम्हें बाबा ठाकुर के पास भेजा है- मैं तो उठते बैठते यह प्रार्थना करती रहती हूं कि बाबा ठाकुर तुम्हारी चुत में अपना लण्ड डालकर लगातार चोदते रहें और जितना हो सके उससे भी ज्यादा अपना सड़का तुम्हारी चुत बहाते रहे... ताकि जल्दी से जल्दी तुम्हारे पेट में बच्चा आ जाए..."

आरती अभी भी यह सोच रही है कि मैं गर्भवती होने के लिए बाबा ठाकुर के पास आई हूं| इसलिए वह मेरी मंगल कामना ही कर रही है| लेकिन उसे असलियत का पता नहीं; और उसे पता भी कैसे हो? उसने आज तक यही देखा है कि निसंतान महिलाएं परिवार में अपना स्थान बनाए रखने के लिए बाबा ठाकुर के पास गर्भवती होने के लिए चली आती है- ताकि उन्हें मातृत्व का सुख मिल सके और ससुराल और समाज से स्वीकृति|

यह गांव है| हमारा समाज इतना विकसित हो चुका है पर फिर भी गांव के इलाके में हर सुहागन का मां होना बहुत जरूरी होता है|

और सब कुछ जानते बुझते हुए भी कोई किसी से कुछ नहीं कहता| यही इस इलाके की गुप्त परंपरा है- क्योंकि यहां के लोग बाग आईवीएफ ट्रीटमेंट करवाने के या तो सक्षम नहीं है या फिर उन्हें इन सब का वैज्ञानिक उपचारों में विश्वास नहीं है|

और इसी बीच बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ भी अपनी वासना की कामना की पूर्ति कर लिया करते हैं इसलिए जो भी औरतें यहां आती हैं उन्हें अपने बालों को खुला ही रखना पड़ता है... लेकिन हैरत की बात यह है कि अभी तक मैंने आरती को अपने बालों में चोटी तो क्या जुड़ा भी बांधते हुए नहीं देखा... आखिर चक्कर क्या है?

"बदमाश लड़की... लगता है तेरी बेरी के बेर वक्त से पहले ही पक गए हैं और यह क्या भाषा है? चुत - लण्ड – सड़का??"

आरती जानबूझकर भोली और अनजान बनती हुई बोली, "चुत को चुत, लण्ड को लण्ड और सड़का को सड़का नहीं तो और क्या बोलूं?"

मैंने भी उससे प्यार से डांटने के अंदाज से कहा, "आ हा हा हा... तू तो पक्की बुढ़िया बन गई है| लगता है तुझे सब कुछ मालूम चल चुका है"

"हां पीयाली दीदी, मैंने तो यहां सब कुछ देखा है, सुना है और जाना भी है.... ही ही ही ही ही"

"बदमाश लड़की, जीतो कर रहा है तेरे बालों में टाइट कर के दो दो चुटिया कस दूं"

"वह तुम्हें जो मर्जी करना है करो ना जी... किसने मना किया है..." फिर मेरे वह पास आई और एक लंबी और गहरी सांस लेकर उसने मुझे सुंघा, "पीयाली दीदी, तुम्हारे बदन और बालों से मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है और तुम्हारा फिगर भी कितना अच्छा है... तुम्हारे मम्मे भी कितने बड़े बड़े और सुंदर सुंदर से हैं काश मेरे भी ऐसे होते..."

इतने में बाबा ठाकुर के आने की आहट हुई| जिसे समझ कर आरती थोड़ा संभल गई नहीं तो वह जरूर कुछ शरारत भरी बातें करने जा रही थी|

बाबा ठाकुर हफ्ते में एक बार सत्संग करते थे|

आज तो वैसे भी ही उन्हें शहर जाना था विदेशी लोगों के लिए ग्रह रत्न परखने के लिए| और मुझे मालूम था, कि किसी ज्वेलरी में जाकर ग्रह रत्नों को परखना और विदेशी लोगों के लिए अंगूठियां बनवाना सिर्फ उनकी मदद करना ही नहीं बल्कि इसके बदले उन्हें उस ज्वेलरी से कमीशन भी मिलने वाला था|

और यह ज्वेलरी की दुकान शहर के सबसे बड़े और मशहूर दुकानों में से एक थी जिसका नाम था कोर डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी (Core Diamond and Jewellery)

बाबा ठाकुर को अंदर आते देखकर आरती शरारत भरी निगाहों से मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराकर मेरे पुराने कपड़े लेकर नीचे चली गई|

जानती थी कि आज बाबा ठाकुर शहर के लिए निकलने वाले हैं| शायद जाने से पहले वह अपने मन की इच्छा को शांत करने के लिए मेरे पास आए थे| इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने तो मुझे किसी काम के लिए भेजा था|



अभी वह मेरे बगल में बैठे ही थे कि उनका मोबाइल फोन जो की टेबल पर रखे रखे चार्ज हो रहा था वह बज उठा|

जब उन्होंने फोन उठाकर उसका नंबर देखा तो मैंने गौर किया क्योंकि भौंयें सिकुड़ गई| जाहिर सी बात है किसी ऐसे इंसान का फोन था जिन्हें बाबा ठाकुर शायद उतना पसंद नहीं करते|

फोन से मुझे किसी आदमी की अस्पष्ट आवाजें आ रही थी और वह कुछ ऐसा कह रहा था जिसकी वजह से मैंने देखा कि बाबा ठाकुर के चेहरे का रंग बदल रहा था और मुझे ऐसा लगा कि शायद उन्हें काफी गुस्सा आ रहा हो|

इसलिए मैं चुपचाप बिस्तर के कोने में बैठी रही; बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ बड़े ही गुस्से और कुंठाग्रस्त स्वर में किसी से कह रहे थे, "साले हरामजादे! मैंने तुमसे क्या कहा था? कि अगले हफ्ते तक मैं पूरी तरह से छुट्टी पर हूं... यहां तक कि मैंने अपने टीवी के प्रोग्राम भी पहले से ही रिकॉर्ड करवा दिए| अब तू यह कहना चाहता है कि मुझे पूरे हफ्ते उनके यहां जाकर के अपनी उपस्थिति देनी होगी?"

उसके बाद ना जाने उस आदमी ने क्या कहा तो मैंने गौर किया कि शायद बाबा ठाकुर का गुस्सा थोड़ा सा शांत हुआ है, "वैसे तेरा कहना तो ठीक है... आजकल मार्केट में जितनी कंपटीशन है... और खासकर मैं नहीं चाहता कि मेरा प्रतिद्वंदी ज्योतिष केवलराम भाटिया कोई कॉन्ट्रैक्ट मिलेगा... लेकिन तूने जब इतना किया तो तू यह नहीं कह सकता कि मैं अगले हफ्ते तक फ्री नहीं हूं.... अच्छा अच्छा हां हां ठीक है केवलराम भाटिया... समझ गया... और वैसे भी आज मैं वही जाने वाला था... फिर मैं अपनी फीस और कमीशन की बात उनसे कर लूंगा... लेकिन हफ्ते के सातों दिन मुझे वहां बैठना पड़ेगा?... क्या कहा? त्यौहार आने वाला है इसलिए अगले कुछ हफ्तों तक मुझे ज्वेलरी के शोरूम में एक अलग केबिन में 7 दिन बैठना होगा और वहां आने वाले क्लाइंट्स को अपना ज्योतिष का परामर्श देना होगा और उसके बाद हफ्ते के किसी भी 2 दिन मैं छुट्टी ले सकता हूं?..."

इतना सुनते ही मुझे सब कुछ समझ में आ गया| शहर के मशहूर और बड़ी-बड़ी ज्वेलरी की दुकाने अक्सर अपने यहां मशहूर और काबिल ज्योतिषियों को अपने आप बुलाते हैं| ताकि ग्राहक लोग उसे ज्योतिष का परामर्श ले सकें और साथ ही उन्हीं की दुकान से महंगे महंगे ग्रह रत्न भी खरीद सके... ठीक वैसे ही जैसे कुछ दवाइयों की दुकानों में डॉक्टर लोग बैठते हैं| और मैं यह भी समझ गई कि बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ यह नहीं चाहते थे कि उनका प्रतिद्वंदी ज्योतिष केवलराम भाटिया को यह काम मिले|

जब इतनी सारी बातें हो रही थी उस वक्त आरती बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ के घर में चली आई|

मुझे तो पहले ही लगा था कि मामला कुछ गड़बड़ है इसलिए मैं उसके पीछे पीछे नहीं गई मैं जानबूझकर कमरे के बाहर चली गई थी लेकिन बाहर से मुझे उन दोनों की बातें सुनाई दे रही थी|

"क्या हुआ बाबा ठाकुर?" आरती ने उनसे पूछा

"अब मैं तुझे क्या बताऊं, आरती? मैंने अपने मैनेजर गुप्ता जी को ज्वेलरी की दुकान में इसलिए भेजा था ताकि वह मेरे लिए यह कॉन्ट्रैक्ट पक्का कर सके कि मैं कोर डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी (Core Diamond and Jewellery) मैं बैठकर लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकूं और उन्हें ग्रह रत्न वगैरा-वगैरा दिलवा सकूँ| लेकिन साथ में मैंने उससे यह भी कहा था कि मैं अगले हफ्ते से थोड़ा फुर्सत में रहूंगा- और तब से मैं यह काम शुरू करना चाहता था... लेकिन उस गधे इतना भी नहीं हो सका| मुझे कल से ही जाकर ज्वेलरी की दुकान में बैठना पड़ेगा"

"तो अच्छी बात है ना, आप वहां बैठेंगे; लोगों का उपकार करेंगे- इससे तो आपकी मान और प्रतिष्ठा और भी बढ़ेगी..." आरती ने मासूमियत से कहा|

इस पर बाबा ठाकुर एकदम झुनझुना उठे, "अरे तू समझती क्यों नहीं? हमारे घर एक पराई औरत आई हुई है... उसे मेरी जरूरत है वह कौन देखेगा?"

आरती ने फिर मासूमियत से कहा, "आप चिंता मत कीजिए बाबा ठाकुर, मैं हूं ना? मैं पीयाली दीदी का ख्याल रखूंगी"

इस बार बाबा ठाकुर ने कुछ जवाब नहीं दिया| अब वह उसे यह तो नहीं बता सकते थे कि वह मुझे शहर से एक लाख प्रतिदिन के हिसाब से मुझे यहां लेकर आए थे| आरती अब तक यही सोच रही थी कि मैं दूसरी औरतों की तरह उनके यहां गर्भवती होने के लिए आई हुई हूं... लेकिन उनका मुझे यहां लाने का मकसद कुछ और ही था... वह दिनकर लाख रुपया खर्च करके मुझे जब चाहे तब भोगना चाहते थे...

इसलिए जितना हो सके उन्होंने अपने सारे जरूरी काम पहले से ही निपटा रखे थे लेकिन सबसे पहले उनके मंसूबों पर पहला धक्का तब लगा जब उन्हें आज विदेशियों के ग्रह रत्न चुनने के लिए उनके साथ ज्वेलरी की दुकान पर जाना था और दूसरा जबरदस्त झटका तब लगा जब उनका बताओ एक ज्वेलरी की दुकान पर बैठने वाले ज्योतिष का कॉन्ट्रैक्ट अगले हफ्ते की जगह इसी हफ्ते पक्का हो गया|

इसका मतलब वह सिर्फ सुबह-सुबह और रात का समय ही मेरे साथ बिता सकते थे|

मैंने गौर किया कि बहुत ही खीज भरी निगाहों से आरती की तरफ देखने के बाद बाबा ठाकुर अपने कमरे से बाहर निकल गए|

मैं समझ गई कि मुझे यहां जाना उनके लिए अब घाटे का सौदा हो गया था और न जाने क्यों उनकी यह हालत देखकर मुझे बहुत जोर की हंसी आ रही थी| इसलिए मैं चुपचाप बाथरूम में चली गई और वहां जाकर मुंह दबा कर हंसने लगी|

लेकिन आरती बहुत खुश थी क्योंकि अब उसे मेरे साथ अकेले वक्त बिताने का मौका मिल गया था|

आज तक उसे कोई ऐसी सहेली नहीं मिली थी जिससे वह खुलकर बातें कर सके, लेकिन मुझसे मिलने के बाद उसने ऐसा लग रहा था कि वह मेरे साथ वह सब कुछ साझा कर सकती है जो पता नहीं कितने दिनों से उसके दिलो-दिमाग में दबी हुई थी|

बाथरूम में जाकर मैं दरवाजा बंद करके पेशाब करने लगी और मैंने गौर किया मेरे पेशाब के साथ हल्का चिपचिपा सा कुछ तरल पदार्थ सा भी बह निकल रहा है... मैं यह समझ गई यह तरल पदार्थ और कुछ नहीं बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ का स्खलित किया हुआ वीर्य का कुछ हिस्सा है... पैसा एक आद बार मेरे साथ पहले भी हो चुका है अपने पति जैसे संभोग करने के बाद और खासकर अपने बॉयफ्रेंड टॉम से संभव करने के बाद... और आज यह तीसरे किसी पुरुष का वीर्य का वह हिस्सा था जो शायद मेरे मूत्र के साथ बह निकल रहा था... पता नहीं क्यों मुझे थोड़ा घमंड सा महसूस होने लगा था| कुछ भी हो मैं एक नारी हूं और आज इस लायक हूं कि तीन तीन मर्द लोग मेरे रूप लावण्य और सौंदर्य के दीवाने हो चुके हैं... और मेरे मूत्र के साथ बहता हुआ यह चिपचिपा सा तरल पदार्थ उसी का प्रतीक है|

इतने में नीचे बैठक खाने से बाबा ठाकुर ने मुझे आवाज लगाई, "पीयाली, ओ पीयाली..."


क्रमशः
बहुत ही बेहतरीन अपडेट
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

manu@84

Well-Known Member
8,524
11,921
174
विगत कुछ दिनों से आपकी कोई प्रतिक्रिया नही आई thread पर, जो हर रोज आपकी शब्दों की बारिश से इस ब्लू मून क्लब की गागर छालक्ति थी....! क्या हुआ सब खैरियत तो है, जो भी हो अपने पाठकों और शुभ चिंतकों को अपनी लेखनी से अहसास तो करा दीजिये 🙏🙏✍️✍️
 
Last edited:
  • Like
Reactions: Tiger 786

naag.champa

Active Member
655
1,790
139
औरते... औरतों पर अच्छा लिख सकती है, क्योकि उन्होंने भोगा है दर्द.... मर्द...औरतो पर औरतो से बेहतर लिख सकते है, क्योकि उन्होंने रची है साजिश.....!!!! बहुत बहुत बहुत खुशी मिलती है जब स्त्री एक स्त्री के चरित्र को बया करती हैं,


प्रिय लेखिका चंपा जी आपके ऊपर जो अन्य चूतिये रीडर जो आपकी आइंडेंटि को लेकर टिप्पड़ी कर रहे हैं उनके ऊपर अपने विचार से शुरुआत करता हू।

इस फोरम पर जब मै नया दाखिल हुआ तो मेरे अंदर भी बहुत संशय था कि यहाँ स्त्रियों के वेश में मर्द छिपे बैठे हैं....और उनकी कृतियों, टिप्पड़ियों पर हमेशा शक करता था। लेकिन जब यहाँ UCC contest २०२३ हुआ और मेरी winner candidate की कहानी पर की गयी विरोधी प्रतिक्रिया के बाद जब इस फोरम की महिला शक्ति प्रति उत्तर के साथ उभर कर आई तब मुझे समझ आया यहाँ वास्तविक स्त्रियाँ भी लिखती पढ़ती है।

लेकिन ये मेरी समझ से परे है यहाँ कुछ मर्द ऐसे भी है जो वाकई स्त्री का रूप धरे बैठे हैं, उन्हे ये कोई बताये इस तरह वेश वदलनेसे उन्हें ऐसा क्या सुख मिलता है जो बेहरूपिया बन कर बैठे हैं। भाई लोग यहाँ हम सभी रिश्तों नातो को बहुत दूर छोड़ कर यहाँ आते हैं, जिसका प्रमाण है यहाँ लिखी गई incest सेक्स कहानिया जब हम अपनी माँ बहनो की चुदाई की कल्पना कर लिखते पढ़ते है तो फिर बचता ही क्या है??? स्त्री का वेश धर इनबॉक्स में सेक्सी चैट ब्रा पैंटी का रंग पूछने से पानी निकालने से क्या होने वाला है। अगर जो सोचते है यहाँ जो स्त्रियाँ कहानी लिख पढ़ रही है वो छिनार, रांड है जो तुम्हारे वेश बदलने से तुम्हारी बातों में आकर चुद जायेगी ये सरासर गलत है। सबसे पहले अपने दिमाग से ये निकाल दो कि ये स्त्रियाँ छिनर रांड है, ये भी मर्दों की तरह लिखने पढ़ने की शौकीन हैं बस।


अब आता हू update पर...
आपके latest लिखे गए दोनों अध्याय पिछले अध्यायों की तरह अद्भुत काम कला के साथ साथ कामवासना, काम पिपासा से पूर्ण थे। पियाली के योनान्गो पर योनक्रिया के उपरांत कामरस् की बूंदे अपनी छाप उसके मन में छोड़ रही है। पियाली के बीते हुए जीवन को जानने के लिए मुझे इस कहानी का पहला भाग पढ़ना होगा जिससे मै ठीक से समझ सकता हूँ कि एक शादीशुदा स्त्री देनिक संभोगी वेश्या क्यों और किन हालातों में बनी। तब ठीक से आपके समक्ष अपनी प्रति क्रिया प्रस्तुत करता हूँ।

धन्यवाद
मेरे प्रिय पाठक मित्र जी,

आपका मंतव्य पढ़कर मुझे सचमुच बहुत खुशी हुई| आपने बिल्कुल सही फरमाया एक स्त्री ही एक स्त्री के चरित्र को अच्छी तरह से समझ सकती है और मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं- कि मैं अपने विचारों को इस फॉर्म में खुलकर व्यक्त करने में सक्षम हूं|

कहानी लिखना एक कला है जो सबके बस की बात नहीं है... और ईश्वर ने मुझे यह आशीर्वाद दिया है कि मैं अपने विचारों को व्यक्त करके उन्हें कहानियों का रूप दे सकती हूं|

और साथ ही आप जैसे पाठक मित्र मेरे लिए मेरी प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है|

आप लोगों के मंतव्य, सराहनाऔर सबसे जरूरी फीडबैक... मेरे लिए सिरोधार्य है|

आपने बिल्कुल सही से फरमाया... "औरते... औरतों पर अच्छा लिख सकती है, क्योकि उन्होंने भोगा है दर्द.... मर्द...औरतो पर औरतो से बेहतर लिख सकते है, क्योकि उन्होंने रची है साजिश.....!!!! बहुत बहुत बहुत खुशी मिलती है जब स्त्री एक स्त्री के चरित्र को बया करती हैं"

अब यह आप ही बताइए- और यह मेरा प्रश्न मेरे सभी पाठक मित्रों के लिए है, अगर इस दुनिया में औरतें नहीं होती तो फिर सृष्टि का विकास कैसे होता है और साथ ही कामसूत्र कहां से आता?

आप मेरी इस कहानी का पहला भाग जरूर पढ़िए वहां आपको पता चलेगा कि पीयाली जैसी लड़की सिर्फ पैसों के लिए ब्लू मून क्लब की दुनिया में नहीं आई... क्योंकि मेरी कहानी की किरदार शीला चौधरी उर्फ पीयाली के पास पैसों की कोई कमी नहीं है...
 

naag.champa

Active Member
655
1,790
139

अध्याय १५



"मैरी डिसूजा, तेरे साथ कॉन्फ्रेंस में बात करना चाहती है" बाबा ठाकुर ने नीचे से ही आवाज लगाई|

"जी बहुत अच्छा" मेरे इतना कहने के साथ ही मेरा फोन बजे उठा। अब मैं समझ गई कि बाबा ठाकुर में नीचे जाकर सबसे पहले ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा को फोन लगाया था... और शायद मुझे इस बात का भी अंदाजा हो गया था कि उन्होंने ऐसा क्यों किया था...

"पीयाली, क्या तू लाइन पर है?" मैरी डिसूजा ने पूछा|

"जी, हां"

"बाबा ठाकुर, क्या आप भी लाइन पर हैं?"

"हां मैरी (मैरी डिसूजा) ... मैं भी लाइन पर हूं"

"Good (अच्छी बात है) मैं चाहती हूं कि पीयाली भी हमारी बातें सुन सके इसीलिए मैंने उसको भी कॉन्फ्रेंस में ले लिया है..." मैरी डिसूजा ने बोलना शुरू किया, "बाबा ठाकुर, आपने मुझसे कहा था कि मेरे घर एक जवान, सुंदर, और कमसिन सी लड़की भेज दो जिसे मैं 7 दिन अपने पास रखना चाहता हूं और जी भर के भोगना चाहता हूं... और वह भी बिना किसी प्रोटेक्शन यानी के कंडोम के... वह लड़की सिर्फ मेरे यहां साड़ी पहन के रहेगी... ब्लाउज, ब्रा, पैंटी, पेटिकोट वगैरह पहनना उसके लिए मना है... आपको एक ऐसी लड़की चाहिए थी जो अपने आप को गांव के परिवेश में ढाल सके और आपको मनचाही खुशी दे सके... इसीलिए मैंने चुन के आपके लिए एक ऐसी लड़की भेजी जो आपके हर उम्मीद पर खरी उतर सके... और यह लड़की और कोई नहीं मेरी ही बेटी है... और मैंने उससे अपने यहां से इतनी दूर आपके गांव में इसलिए भेजा क्योंकि मैं आपके ऊपर भरोसा करती हूं और मैं आपको बहुत दिनों से जानती हूं... इसके अलावा मैं जानती थी कि आपके लिए बिल्कुल ठीक रहेगी... क्योंकि भले ही वह शहर की लड़की हो लेकिन वह आपके यहां जाकर दिखने में बिल्कुल एक आम गांव की लड़की की तरह ही लगेगी... क्योंकि मेरी बेटी पीयाली के लंबे लंबे बाल है. वह कमसिन है, पतली कमर, मांसल कूल्हे और उसके स्तन बड़े-बड़े खड़े-खड़े और सुडौल है... ऐसे सुंदर लड़की को देखकर कोई भी मुंह मांगी कीमत देने को तैयार है... और मैं यह अच्छी तरह जानती हूं कि जब से पीयाली आपके यहां रह रही है, तब से लेकर अभी तक आपने न जाने कितनी बार उसे चोदा होगा इसका हिसाब तो आपके पास भी नहीं है... और पीयाली कोई ऐसी वैसी लड़की नहीं है... वह मेरी बेटी है और बिल्कुल ताजी टाइट और फ्रेश है... अब तक वह सिर्फ 2 लोगों से जुड़ी है... एक उसका पति और दूसरा उसका बॉयफ्रेंड... और तीसरे व्यक्ति आप है... जिन्होंने न जाने मेरी बेटी को तक कितनी बार चोदा होगा... बताइए क्या मैं गलत कह रही हूं?

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ बोले, "वह बात तो तुम सही कह रही हो... लेकिन तुम मेरी समस्या को भी तो समझो..."

"मैं आपकी समस्या समझ सकती हूं... लेकिन आप ही बताइए कि मैं क्या करूं? आपने कहा था कि आप यह भी चाहते हैं- कि जिस लड़की को मैं आपके यहां पर हूं वह आपसे अपनी गाँड़ तक मरवाने के लिए राजी हो जाए... है कि नहीं? इसलिए मैंने पीयाली को सब कुछ समझा बुझा कर ही भेजा था... और साथ ही मैंने बहुत ही सोच समझकर पीयाली जैसी लड़की को इसलिए आपके पास भेजा था कि वह किसी दूसरे प्रोफेशनल पार्ट टाइम लवर गर्ल की तरह आपके साथ पेश ना आए... बल्कि आपको यौन संतुष्टि के साथ-साथ एक मानसिक संतुष्टि भी दे सके... मेरे इतना सब कुछ करने के बावजूद... आप कह रहे हैं कि मैं अपनी रेट में थोड़ा डिस्काउंट करूं? यानी मैंने जो पीयाली को आपके पास भेजा है... मैं उसकी कम कीमत लूं?"

"तुम्हारा कहना बिल्कुल सही है..."बाबा ठाकुर कुछ कहने जा रहे थे लेकिन मेरी डिसूजा ने उन्हें मौका नहीं दिया, वह बोलती गई, "आपने जैसी लड़की मांगी थी मैंने बिल्कुल वैसी ही लड़की आपके घर भेजी... अब आप यह सोचिए कि वह भी किसी के घर की बहू है... उसका भी एक परिवार है अगर सही में उसके पेट में आपका बच्चा आ गया तो क्या आप उसकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार है? उसके अलावा क्या आप आजकल के मार्केट में लड़कियों की गाँड़ मारने का रेट जानते हैं?... आपने तो अपनी समस्या के बारे में बता दिया... लेकिन अभी आप मेरे बारे में सोचिए... मैंने फुल टाइम के लिए आपके घर एक घरेलू लड़की भेजी है... और हां आप मेरे लिए खास है... मेरे लिए मायने रखते हैं, इसलिए मैंने खुद अपनी ही बेटी को आपके पास भेजा है... किसी रंडी या सड़क की वैश्या को नहीं... और आप अपनी समस्या के अनुसार मुझे समझा रहे हैं कि आप अपने नए काम की वजह से दिन में घर में नहीं रहेंगे सिर्फ रात को आप पीयाली के साथ रह पाएंगे... तो दिन में मैं पीयाली का क्या करूं? आपको डिस्काउंट देकर अपना नुकसान पूरा करने के लिएकिसी और के यहां भेज दूं? उसके बाद रात को आपके घर वापस भेज दूं ताकि आप अपनी सहूलियत और अपनी इच्छा से आप उसकी गाँड़ और चूत मार सके? माफ कीजिएगा बाबा ठाकुर... मैं किसी रंडी खाने की मौसी नहीं हूं... मेरी लड़कियां अपनी इच्छा से मेरे क्लब में आती हैं... और अपनी मर्जी से ही क्लाइंट के साथ अपना वक्त बताती हैं... मैंने आपसे पहले ही कहा था मैं जो लड़की आपके पास भेज रही हूं उसकी कीमत होगी दिन का एक लाख... आप मेरे साथ कॉन्ट्रैक्ट पक्का कर चुके हैं... और मैं वह औरत हूं जो अपने बिजनेस में बिल्कुल उसूलों के खिलाफ नहीं जाती... इसलिए मैंने बार-बार आपसे कहा था... मेरी लड़की की कीमत दिन का एक लाख है... यानी कि सात दिन के सात लाख... और आपने खुद ही कहा था... कि आप इस कॉन्ट्रैक्ट को नहीं तोड़ेंगे अगर आप ने तोड़ा तो आपको पूरे पैसे देने होंगे... हमारे बीच कोई दिखा पढ़िए जरूर ना हुई हो लेकिन आप जानते हैं कि हमारा मार्केट समझौते और जुबान पर चलता है... अगर आपको ऐसा लगता है कि आपकी मनोकामना नहीं पूरी हो रही है तो आप लड़की वापस भेज दीजिए... लेकिन आपने खुद पूछे वादा किया था कि कुछ भी हो आप मुझे पूरे पैसे देंगे... यानी के सात दिन के सात लाख... यह पैसे आपको देने ही होंगे"

मेरी डिसूजा के स्वर में ऐसी दृढ़ता थी जिसे सुनकर मैं भी थोड़ा सहम गई थी और जाहिर सी बात है जुबान देने के बाद स्वयं बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ भी अब मुकरने से कतरा रहे थे...

"ओहो... तुम तो बड़ी जल्दी नाराज हो जाती हो” बाबा ठाकुर ने परिस्थिति को संभालने की कोशिश की और ऐसा लग रहा था कि वह ब्लू मून क्लब की मालकिन जिसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है उसे नाराज भी नहीं करना चाहते थे|

"मैंने आपसे कहा ना... मैंने आपके घर एक ताजा फूल भेजा है... आप दिन में काम पर चले जाएंगे मैं समझ सकती हूं लेकिन आप यकीन मानिए, मेरी बेटी पीयाली रात को आपकी पूरी की पूरी भरपाई कर देगी... आप उसे अपने घर में सिर्फ साड़ी पहनाकर कर रात को उसे अपने कमरे में बिल्कुल नंगी करके रखो... कोई दिक्कत नहीं है... आप जितनी बार चाहो उसे उतनी बार चोदो वह कभी मना नहीं करेगी... आखिर वह मेरे ब्लू मून क्लब की सिर्फ एक प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल ही नहीं- बल्कि मेरी अपनी बेटी है-कोई सड़क की भाड़े की लौंडिया नहीं| मैंने उसे ऐसी तालीम दी है कि मेरा कोई भी क्लाइंट उससे ना खुश नहीं होगा... और यहां तो बात आपकी है आप तो मेरे खास है... पीयाली आपकी हर वासना पूरी कर देगी वह बहुत ही आज्ञाकारी लड़की है”

मैं चुपचाप सर झुकाए कान में फोन लगाएं सब कुछ सुनती रही और समझती रही|

न जाने कैसे मैंने ऐसी वास्तविक और अप्रत्याशित स्थिति के लिए खुद को मानसिक रूप से अंदर ही अंदर तैयार कर लिया था- मैं जानती थी कि मैं अपनी मर्जी से ब्लूमून क्लब की एक प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल बनी थी- और इस वक्त मुझे ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा ने एक ग्राहक के घर उसके यौन मनोरंजन के लिए मुझे भेजा था- और इस वक्त हालांकि मैं गांव के इस माहौल और इसके नए पन में अपने आप को बहुत खुशी महसूस कर रही थी लेकिन शायद इस फोन पर भी बातचीत में मुझे इस हकीकत का भी एहसास दिला दिया कि फिलहाल मैं एक कॉन्ट्रैक्ट में बंधी हुई हूं|

***

बाबा ठाकुर बी कॉन्ट्रैक्ट में बने हुए थे और वह भी कोर डायमंड एंड गोल्ड ज्वेलरी (Core Diamond and Jewellery) के कॉन्ट्रैक्ट में इसलिए शहर की ट्रेन पकड़ने के लिए वह तैयार होकर स्टेशन के लिए निकल पड़े|

मैं सुबह से नहाई हुई नहीं थी| इसलिए मैंने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े उतार कर शावर के नीचे खड़ी होकर शावर चला दिया और मेरा पूरा शरीर शहर के ठंडे पानी से भीग गया... यहां एक बात में जरूर कहूंगी गांव के पानी में और शहर के पानी में बहुत फर्क है... मुझे मालूम था कि बाबा ठाकुर को घर आते आते शाम ढल जाएगी.. और मुझे उम्मीद है कि मैंने बाबा ठाकुर को वह आनंद दिया है जो मुझसे चाहते थे...

नहा धोकर कमरे से निकलने के बाद मैंने अपना बैग खोला और सीधे एक रम की बोतल निकाल कर मैं दो घूंट घटक गई| उसके बाद मैंने बिना कंघी किए अपने बालों को एक जुड़े में बाँधा और मैंने ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा फोन लगाया|

"हां पीयाली बोल"

मैंने कहा," मम्मी मुझे आपकी सलाह की जरूरत है"

"हां बोल"

"मुझे उस तरह की संतुष्टि नहीं मिल रही है जैसा कि मैं चाहती हूं"

"ऐसा क्यों? बाबा ठाकुर तुझे ठीक तरह से चोद नहीं रहे हैं क्या? अगर ऐसी बात है तो मां चुदाये दुनिया और हम बजाए हरमोनिया... मैं तेरे को वापस बुला लूंगी.. भाड़ में गए सात लाख रुपए मैं तेरे को वापस बुला लेती हूं... तू एक बात ठीक ठीक बता बाबा ठाकुर तुझे ठीक से चोद नहीं रहे हैं क्या?"

"नहीं मम्मी. ऐसी बात नहीं है..."

"तो फिर बात क्या है? मैंने जो तुझे तालीम दी है उसमें कोई कमी रह गई है क्या? क्या तू उन्हें ठीक से संतुष्टि नहीं दे पा रही है क्या?"

"नहीं मम्मी. ऐसी बात नहीं है..."

"फिर क्या बात है?"

"जी, तो ऐसी कुछ नहीं है... पहली बार जो हुआ सो हुआ लेकिन बहुत जल्दी हुआ… दूसरी बार मैंने उनका लिंग चूस चूस कर एकदम तैयार कर दिया था उसके बाद उन्होंने मुझे चोदा था..."

"मुझे तुझ से यही उम्मीद थी... लेकिन एक बार बता... वह तेरे साथ बिना कंडोम के सेक्स कर रहे हैं... है ना?"

"जी हां"

"फिर तो मुझे लगता है कि सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा है, उन्हें एक मासूम सी लड़की चाहिए थी... जो मैंने उन्हें भेज दी... लेकिन तू तो जानती है कि मर्द लोग कैसे होते हैं, इसलिए उनके खेल में तुझे भी थोड़ा बहुत भाग लेना पड़ेगा... लेकिन जो भी करना धीरे-धीरे और उनकी अनुमति से ही शुरु करना| मैं जानती हूं कि तू एक आजाद पंछी है... लेकिन यह मामला गांव वाला है इसलिए तू अगर चाहे तो वह सब कुछ कर सकती है जो तू टॉम के साथ करती है... मैं जानती हूं कि तुझे अपना जीभ चुसवाना अच्छा लगता है... पता नहीं हमारे क्लाइंट बाबा ठाकुर एकनाथ को यह कैसा लगेगा? पर तू कोशिश कर सकती है...लेकिन जरा ध्यान से और हां... मुझे पूरी उम्मीद है तू भी इस कॉन्ट्रैक्ट के पूरे मजे लेगी... and take your pills on time or you will end up with a belly (और अपनी गर्भनिरोधक गोलियां समय पर देती रहना वरना तो पेट से हो जाएगी)... उफ़्फ़! यह कॉन्ट्रैक्ट इतनी जल्दी पक्का हो गया... कि मुझे दम मारने की भी फुर्सत नहीं मिली... इसलिए मुझे मौका ही नहीं मिला वरना मैं तेरे अंदर copper-t डलवा देती उसके बाद मुझे कोई चिंता नहीं रहती..."

"जी मम्मी”

“(गर्भनिरोधक) गोलियों से मुझे याद आया मेरे क्लाइंट बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को गुदामैथुन भी पसंद है... लेकिन इससे तुझे थोड़ी तकलीफ होगी इसलिए मैं चाहती हूं कि तू कुछ नशीली दवाओं को भी ले ले... मैं अनवर मियां को तेरे यहां भेज रही हूं... मैंने जानबूझकर थोड़े बहुत फल फूल और साथ में जिंदगी दो बोतलें और कुछ कामोत्तेजक गोलियां भी भेजूंगी... जिन पीने से बदबू नहीं आएगी और कामोत्तेजक गोलियों की वजह से तू नशे में रहेगी और गुदामैथुन के वक्त तुझे इतना दर्द भी नहीं होगा...”

“जी मम्मी”

“और हां एक बात तो मैं बताना ही भूल गई... वह आज शहर आकर तेरा पूरा पेमेंट करके जाएंगे... और यह मत भूल- दुनिया तो यह समझती है कि तू मेरी बेटी है- लेकिन यकीन मान, मैंने तुझको सचमुच का गोद ले लिया है... या फिर अडॉप्ट कर लिया है... यह बात और है कि तू हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड की प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल है... तू अगर चुदने गई है तो दिल खोल कर चुद के आ...”

“जी मम्मी”

फोन रखने के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं कमरे में अकेली नहीं हूं... शायद कोई मेरे पीछे चुपके चुपके आ करके खड़ा हुआ है...

क्रमशः
 

naag.champa

Active Member
655
1,790
139

अध्याय १६



मैं हड़बड़ा कर उठने को गई लेकिन साड़ी में मेरा पैर उलझ गया और मैं जमीन पर धड़ाम से गिर गई... और फिर जब मैंने नजर उठा कर देखा तो पता चला कि कमरे में चुपके चुपके खुद आरती दाखिल हुई थी और मेरे पीछे खड़ी होकर मेरी बातें सुन रही थी|

मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था और हंसी भी आ रही थी| आरती में मुझे उठने में मदद की, "पीयाली दीदी, तुम तो गिर ही गई- ही ही ही" वह हंसने लगी|

मैंने खेल खेल में आरती के कूल्हों पर दो-तीन चाँटे मार कर कहा, "बदमाश लड़की! तू यहां कब से भूतों की तरह खड़ी खड़ी मेरी बातें सुन रही है...? तूने तो मुझे डरा ही दिया था"

"ही ही ही, पीयाली दीदी, तुम तो गिर ही गई"

"हां, तूने मुझे गिरा दिया"

“मैं अकेली नीचे बैठी बैठी बोर हो रही थी... इसलिए मैंने सोचा कि आकर तुम्हारे साथ थोड़ी बहुत बातें कर लूँ" यह कहते कहते आरती एक कंघी लेकर आई| अच्छा ही है नहाने के बाद मैंने अपने बालों में कंघी नहीं की थी इसलिए मैं उसकी तरफ पीठ करके बैठ गई और फिर मैंने कहा, "ठीक है, लेकिन एक बात याद रख लड़की; इस तरह से ताका झांकी करना बुरी बात है..."



"ही ही ही ही ही ही ही", आरती हंस पड़ी, " एक बात बताओ पीयाली दीदी, क्या तुम अपनी मां से बात कर रही थी"

"हां" लगता है इस बदमाश लड़की ने सब कुछ सुन लिया था |

"मैं जानती हूं, कि तुम्हारी मां चाहती हैं कि तुम जल्दी से जल्दी गर्भवती हो जाओ... और मेरी भी यही प्रार्थना है... इसलिए तुम चिंता मत करो बाबा ठाकुर बहुत ही जल्द तुमको मां बनने का मौका देंगे..."

मैं खिड़की के बाहर देखती हुई सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई| इस बिचारी को क्या मालूम कि मैं यहां क्यों आई हुई हूं| बाकी घर की बहुएं यहां मां बनने के लिए आती हैं लेकिन मेरे यहां आने का मकसद कुछ और ही है| अगर मैं इतनी जल्दी प्रेगनंट हो गई तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी...

"क्या सोच रही हो, पीयाली दीदी?"

"कुछ नहीं..."

"अगर बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?"

"क्या?"

"... क्या तुम अपना आंचल उतार के एक बार मुझे अपने मम्मे दिखा सकती हो?"

"क्यों?" मैंने बड़ी हैरानी के साथ पूछा|

"तुम्हारा फिगर बहुत अच्छा है पीयाली दीदी... मैंने एक बार तो देखा था पर मेरा जी नहीं भरा..."

"ठीक है, लेकिन वादा कर कि तू भी मुझे अपना ब्लाउज खोलकर दिखाएगी"

"लेकिन मेरे स्तन तुम्हारे जितने भरे पूरे से और बड़े बड़े नहीं हैं... और तुम तो बहुत ही सुंदर हो, दीदी| मुझे पता नहीं तुम्हें अभी तक बच्चा क्यों नहीं हुआ... शायद तुम्हारे पति में ही कोई गलती है"

हां उसने यह बात सही कही| मेरे पति कि गलती तो है ही- वह मुझे इतनी अहमियत नहीं देता- काफी पैसा होने की वजह से उसने शहर के एक रिहायशी इलाके में एक बड़ा सा फ्लैट खरीद लिया... तरह-तरह के उपकरण खरीद लिए, बड़ा सा टीवी अच्छा सा साउंड सिस्टम, फ्रिज सोफा सेट वगैरा-वगैरा... यह सब उसका सामान है... और एक ठहरी मैं... उसकी सुंदर जवान पत्नी... लेकिन उसने भी मुझे अपने फ्लैट में एक सामान की तरह सिर्फ रख छोड़ा है... आरती सोचती है कि मैं बाबा ठाकुर के पास आने वाली एक ऐसी ग्रहणी हूं जब तक मां नहीं बन पाई... लेकिन उसे क्या मालूम कि मैं ब्लू मून क्लब की हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड की एक प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल हूँ| बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने एक मोटी रकम खर्च करके मेरी योनि में अपना वीर्य स्खलन करने के लिए मुझे यहां बुलाया है... क्योंकि आजकल उनके पास उतनी औरतें नहीं आती है जितना पहले आया करती थी... आरती एक जवान लड़की है... इसलिए उसको भी किसी औरत का साथ चाहिए था... और उसकी यह कमी शायद काफी दिनों बाद मैं पूरी कर रही थी... लेकिन मुझे यकीन है वह जितना खुलकर और घुलमिल कर मुझसे बात कर रही है ऐसा शायद ही उसने किसी और के साथ किया होगा|

आरती मेरे बालों में कंघी करना खत्म कर चुकी थी और इतनी देर तक मैं पालती मारे उसकी तरफ पीठ करके बैठी हुई थी| अब मैं उसकी तरफ मुंह करके घुटनों के बल बैठकर और मैंने अपना आंचल अपनी छाती से हटा दिया|

आरती ने बड़ी बड़ी आंखों से मेरे स्तनों को देखते हुए एक लंबी सी आंख भरी और अपने दोनों हाथों से बड़े प्यार से मेरे स्तनों को सहलाने लगी| मैंने कुछ देर तक उसे ऐसा करने दिया और उसके बाद मैंने उसका आंचल हटाया और उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगी| उसने आंखें बंद करके अपनी छाती को थोड़ा आगे कर दिया और जब मैंने उसका ब्लाउज पूरी तरह से उतार दिया तो मैंने गौर किया कि उसकी सांसे गहरी होती जा रही थी जिसकी वजह से उसके स्तनों का जोड़ा सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहा था|

"पीयाली दीदी, तुम मुझे शर्मिंदा कर रही हो"

"क्यों?" मैंने भी प्यार से उसके स्तनों को सहला सहला कर हल्का-हल्का दबाकर और उसकी जवानी की गर्माहट और कोमल स्तनों की छुअन का एहसास करते हुए; उससे बड़े प्यार से पूछा|

"तुम्हारे मम्मे वास्तव में बड़े-बड़े, भरे और पूरे और खड़े-खड़े से हैं..."

अपनी तारीफ सुनकर मैं मुस्कुराई, और बोली, "तेरे मम्मों का साइज भी तो अच्छा खासा है... पर एक बात तू पेनी (ब्रा) क्यों नहीं पहनती?"

"मैंने कहा था ना पुरानी वाली फट चुकी है... और ना जाने क्यों नया अंतर्वास लाने के लिए मुझे मौका नहीं मिला क्योंकि बाबा ठाकुर मुझे अकेले और मुझे उनसे यह सब कहने में शर्म आती है..." आरती तब भी मेरे स्तनों से खेल रही थी|

आरती ने अपने बालों में जुड़ा बांध के रखा था मैंने उसे खोल कर उसके बालों को उसके पीठ के ऊपर फैला दिए और फिर अपनी हथेलियों में उसका चेहरा प्यार से भरकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए मैंने कहा, "देख लड़की, तुझे तो अब पेनी (ब्रा) पहनना पड़ेगा नहीं तो तेरे मम्मे लटक जाएंगे"

उस वक्त उस कमरे में हम दोनों नारियां अर्धनग्न थी| हम दोनों के लंबे लंबे बाल खुले हुए थे बाहर से आती हुई ठंडी हवाओं के झोंके हम दोनों के शरीरों को छू रहे थे|

मैंने आरती को एक बार अच्छी तरह से देखा इसकी उम्र अट्ठारह- उन्नीस साल से बिल्कुल ज्यादा नहीं होगी... लेकिन इसके अंदर जवानी का फूल खिल उठा है... आरती के चेहरे के हाव-भाव, खासकर जिस नजरों से मुझे देख रही थी उससे मैंने भाँप लिया उसके मन में वासना की आग लग चुकी है... और मुझे पक्का यकीन है कि उसने मुझे और बाबा ठाकुर को सहवास करते हुए जरूर देखा होगा... न जाने क्यों मुझे यह पक्का यकीन था जब से आरती ने मुझे पहली बार देखा था, तब से ही वह मुझे पसंद करने लगी थी और उसके अंदर मेरे लिए एक अजीब तरह का आकर्षण पैदा हो गया था... जिसकी व्याख्या करना शायद मुश्किल है|

इसीलिए वह मुझ में इतनी दिलचस्पी लेने लगी है... मेरे बालों में कंघी करने के बहाने वह मुझे छूना चाहती है... वह चाहती है कि मैं उसी के सामने कपड़े बदलो ताकि वह मुझे नंगी देख सके... आज वह आई तो थी मेरे बालों में कंघी करने के बहाने लेकिन मैं जानती थी उसके मन में क्या चल रहा है... मैंने अभी तक उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भर रखा था और उसकी आंखों में आंखें डाल कर मैं यह सब बातें सोचे जा रही थी... तब मैंने महसूस किया कि उसने अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को पकड़ रखा था और और उनका दबाव बढ़ता जा रहा था...

मैंने आरती को सीने से लगाकर उसके होठों को एक बार चूम लिया...

PAAA.jpg

क्रमशः
 

manu@84

Well-Known Member
8,524
11,921
174
मेरे प्रिय पाठक मित्र जी,

आपका मंतव्य पढ़कर मुझे सचमुच बहुत खुशी हुई| आपने बिल्कुल सही फरमाया एक स्त्री ही एक स्त्री के चरित्र को अच्छी तरह से समझ सकती है और मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं- कि मैं अपने विचारों को इस फॉर्म में खुलकर व्यक्त करने में सक्षम हूं|

कहानी लिखना एक कला है जो सबके बस की बात नहीं है... और ईश्वर ने मुझे यह आशीर्वाद दिया है कि मैं अपने विचारों को व्यक्त करके उन्हें कहानियों का रूप दे सकती हूं|

और साथ ही आप जैसे पाठक मित्र मेरे लिए मेरी प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है|

आप लोगों के मंतव्य, सराहनाऔर सबसे जरूरी फीडबैक... मेरे लिए सिरोधार्य है|

आपने बिल्कुल सही से फरमाया... "औरते... औरतों पर अच्छा लिख सकती है, क्योकि उन्होंने भोगा है दर्द.... मर्द...औरतो पर औरतो से बेहतर लिख सकते है, क्योकि उन्होंने रची है साजिश.....!!!! बहुत बहुत बहुत खुशी मिलती है जब स्त्री एक स्त्री के चरित्र को बया करती हैं"

अब यह आप ही बताइए- और यह मेरा प्रश्न मेरे सभी पाठक मित्रों के लिए है, अगर इस दुनिया में औरतें नहीं होती तो फिर सृष्टि का विकास कैसे होता है और साथ ही कामसूत्र कहां से आता?

आप मेरी इस कहानी का पहला भाग जरूर पढ़िए वहां आपको पता चलेगा कि पीयाली जैसी लड़की सिर्फ पैसों के लिए ब्लू मून क्लब की दुनिया में नहीं आई... क्योंकि मेरी कहानी की किरदार शीला चौधरी उर्फ पीयाली के पास पैसों की कोई कमी नहीं है...
आज कल फोरम पर चल रहे चुनाव में थोड़ा समय ज्यादा दे रहा हूँ, अपनी प्रतिक्रिया आपको बहुत जल्द दूंगा। आप भी आइये चुनाव महोत्सव में.... ✍️
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

manu@84

Well-Known Member
8,524
11,921
174
"शीघ्रता में शादी करने पर हम हम फुर्सत से पश्चताप करते है " पियाली उर्फ शीला की जिंदगी के पन्ने जब उलटकर मैने पढ़े तो यही समझ आता है। एक शादीशुदा स्त्री की रात की तन्हाई का अकेलापन, एक कुंवारी लड़की के रात की तन्हाई के अकेलेपन से ज्यादा खतरनाक होता है। शीला भी उसी अकेलेपन से झूझती रही, और उस रात जब उसने रात की तन्हाई का इलाज ढूढा तो मैरी डिसऊजा के चकरव्यूः में फँस गयी। शीला जैसी शादीशुदा स्त्रियाँ आजाद हुयी तो मुझे पता चला कि समाज स्त्रियों को घर में कैद क्यों रखता था। ये आजादी पसंद स्त्रियाँ अक्सर रिश्तों में हार जाती है। ये स्त्रियाँ जिन्हे रिश्तों में जगह जगह मुह मारने की लत लग जाती है, तो फिर इन्हे संसार में कही सुकून नही मिलता। पति के अलावा किसी अन्य की हमदर्दी आजादी पसंद स्त्रियों को हमेशा तबाही की ओर ले जाती है।

ये पूरी प्रतिक्रिया मेरी आपकी कहानी के पहले भाग को पढ़ कर लिखी गई है। अभी के अध्याय की प्रतिक्रिया शीघ्र लेकर आपके समक्ष आऊंगा।
 
  • Like
Reactions: Tiger 786
Top