अध्याय २०
बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को शायद पता था कि ब्लू मून क्लब से मेरे लिए जो दूसरा बैग भेजा गया था उसके अंदर शराब की बोतले भी है और उनका अंदाजा बिल्कुल सही निकला| उन्होंने वह खोल करके जींन (Gin) की एक बोतल निकाली और फिर जल्दी-जल्दी अपनी लुंगी पहनकर रसोई से कांच का गिलास लाने के लिए कमरे से बाहर निकले|
उनके बाहर जाते ही मैंने बैग अंदर झांक कर देखा- बैग के अंदर 'अफ़रोडिसियक' (कामोत्तेजक दवाई) की गोली वाली एक स्ट्रिप भी थी| एक गोली तो मैं खा चुकी थी और ऊपर से नशा भी कर रखा था इसलिए दूसरी गोली की शायद जरूरत नहीं पड़ेगी और उसके साथ दर्द की दवाई एक स्ट्रिप भी थी और उसके साथ कुछ गर्भनिरोधक गोलियां भी|
इन गर्भनिरोधक गोलियों को मेरी कामवाली गोपा मौसी- पेट साफ करने की दवाई कहा करती थी|
मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी- ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा अपनी हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्लस का बहुत ख्याल रखती हैं|
यही सब सोच रही थी कि मुझे बाहर से बाबा ठाकुर की आवाज सुनाई दी, वह आरती से पूछ रहे थे, "क्या हुआ सोई नहीं अभी तक?"
"जी सुसु करने के लिए उठी थी, - इतने में मैंने देखा कि आप कमरे से बाहर आ रहे हैं तो मैं ऊपर चली आई- यह देखने के लिए कि आपको किसी चीज की जरूरत तो नहीं?"
मुझे पक्का यकीन था कि आरती ने चुपके चुपके जरूर मुझे और बाबा ठाकुर को रतिक्रिया में मगन जरूर देख लिया होगा|
"ठीक है नीचे से तो कांच के गिलास लेकर आ" बाबा ठाकुर ने आरती से कहा|
मैं मन ही मन सोच रही थी अगर थोड़ी सी कोल्ड्रिंक मिल जाती है तो बहुत ही अच्छा होता है|
बाबा ठाकुर अपने कमरे में आकर शायद भूल गए थे की आरती गिलास लेकर आते ही होगी इसलिए वह अपनी लूंगी उतारने लगे कि इतने में एक रेलगाड़ी की तरह धड़धड़ती हुई सिर्फ एक साड़ी पहनी हुई आरती दो कांच के गिलास और 2 बोतल पानी लेकर लेकर कमरे में दाखिल हुई| बाबा ठाकुर के बिस्तर पर मुझे बिल्कुल नंगी हालत में देखकर मानो आरती एकदम चौंक उठी| मैं भी जल्दी जल्दी अपने हाथों से अपनी शरमाया ढकने की कोशिश करने लगी क्योंकि मैं भी इस चीज के लिए तैयार नहीं थी|
बाबा ठाकुर में जैसे तैसे मिलूंगी संभाली और फिर बड़े ही गुस्से में आरती से बोल पड़े,"मैंने कहा था ना, मेरे कमरे में जब कोई औरत रहेगी तो बिना दरवाजा खटखटाय इस तरह से कमरे में दाखिल मत होना?"
आरती सकपका के बोली, "बाबा ठाकुर मुझे माफ करना मैं तो आपके कमरे में पानी रखना भूल ही गई थी"
आरती के चले जाने के बाद मैंने खुद उठकर बाबा ठाकुर की लूंगी की गांठ खोल कर उनकी लूंगी उतारने में उनकी सहायता की और उसके बाद उनको बिस्तर पर बिठाकर उनके होठों को चूमती हुई मैं बोली, "बाबा ठाकुर, उस बच्ची को माफ कर दीजिएगा... उसे शायद यह सब कुछ नहीं मालूम... लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगी आपकी लड़की अब बड़ी हो चुकी है... अगर आपकी आज्ञा हो तो कल सुबह मैं उसको लेकर थोड़ा मार्केट की तरफ जाऊंगी"
"क्यों"
"जी, बाबा ठाकुर; आपके घर एक सयानी लड़की है... उसके लिए कुछ अंतर्वास खरीदने की जरूरत है"
"हे भगवान; अगर तेरी मां (बाबा ठाकुर की बीवी) अगर इस दुनिया में रहती तो यह सब समझ पाती है... मेरे अंदर इतनी समझ कहां जो मैं लड़कियों की बातों को समझ सकूं... खैर जो भी हो कल उसे अपने साथ लेकर तू मार्केट में निकलना, उसके लिए जो चाहिए वह खरीद लेना मैं सारे पैसे तेरे को चुका दूंगा"
"आपको तो लड़कियों वाली बातें जाननी ही होंगी... आखिर मैं भी तो एक लड़की ही हूं" इतने में मैंने बाबा ठाकुर का लिंग अपने हाथों में लेकर अपनी उंगलियों से बड़े ही प्यार से मल रही थी|
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दो- तीन घूंट जिन (gin) पीने के बाद मैंने नशीली आंखों से बाबा ठाकुर की तरफ देखा और बैग से जेल निकालकर अपने मलद्वार पर लगाने लगी|
मुझे नशा चढ़ चुका था, मेरी जुबान थोड़ी लड़खड़ा रही थी, मैंने बाबा ठाकुर से कहा, “ बाबा ठाकुर, इससे पहले मैं कभी अपनी गांड नहीं मरवाई, लेकिन अब मैं खुद को पूरी तरह से आपके हवाले कर देती हूं... देखिए बाबा ठाकुर मुझे देखिए मैं बिल्कुल नंगी हूं, मेरे बाल भी पूरे खुले हुए हैं लेकिन हां... गांड मरवाने का यह मेरा पहला तजुर्बा होगा इसलिए मुझे मालूम नहीं कि मुझे कितना दर्द होगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सकते...इसलिए मैं आपसे कहती हूं कि आप मेरे हाथ, पैर और मुंह बांध दें, ताकि मैं चाहकर भी आपको रोक न सकूं…”
मेरी इन बातों को सुनकर बाबा ठाकुर की आंखों में एक अजीब सी चमक से आ गई और उनके चेहरे पर एक अनजानी मुस्कान खिल उठी- यह एक रसभरी कामुकता की मुस्कान थी- उन्होंने मुझसे कहा,"तू तो शहर की रहने वाली एक लड़की है; लेकिन तेरा रूप रंग और तेरे कूल्हे तक लंबे बालों को देखकर कोई भी यह सोचेगा कि तू बिल्कुल एक 'गाइयाँ की माइया' (पैतृक गांव की लड़की) है... पर तू बड़ी सहजता से लगी रहती है... और अपने और तेरी चाल ढाल में एक अजीबसा मादकपन है... मेरे पास जो औरतें या फिर लड़कियां आती हैं... उन्हें काफी समझाना बुझाना पड़ता है... कुछ को तो डराना या फिर डांटना फटकारना भी पड़ता है... लेकिन तुझ जैसी एक अति सुंदर कामधेनु को देखकर मुझे ऐसा लगता है कि तू अपनी मर्जी से ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा के हाथ के नीचे आई है... तो पैसों के लिए या फिर बच्चा पैदा करने के लिए तो मेरे पास आई नहीं... मैं तुझे यहां लाया हूं... और यह बात मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू किसी बड़े और अच्छे खानदान की लड़की है"
मैं मन ही मन सोचने लगी कि बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ का कहना बिल्कुल सही है| एक अच्छे खानदान की लड़की हूं और मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है- लेकिन यह किस्मत का खेल है कि मैं ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर तक जा पहुंची और वहां मैरी डिसूजा कि बहलाने और समझाने के बाद मैं उनकी हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड की प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल बन गई|
मैंने दोबारा एक नशीली मुस्कान के साथ उनकी तरफ देखा और फिर बोलिए, " मेरा रूप रंग और मेरे बाल आपको अच्छे लगे इस बात की मुझे खुशी है... कल मैं अपने बालों में तेल नहीं लगाऊंगी और अच्छी तरह शैंपू करूंगी ताकि मेरे बाल फूले फूले से होकर रहे... आशा है मेरा यह रूप आपको बहुत अच्छा लगेगा"
"मैं देखूंगा, जरूर देखूंगा... मैं तेरा यह रूप जरूर देखूंगा" फिर वह मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोले, " तू लड़की होकर सिगरेट क्यों पीती है, पीयाली- मैंने तेरे बैग के अंदर एक बहुत ही महंगे सिगरेट का पैकेट भी देखा"
"जी कॉलेज में मैं सिगरेट पिया करती थी, उसके बाद मैंने बड़ी मुश्किल से छोड़ दिया था... अब कभी कबार अपने बॉयफ्रेंड के साथ बैठकर पी लेती हूं"
"और तेरा पति?"
"वह मर्चेंट नेवी में काम करते हैं... और मेरी अपेक्षा करते हैं... साल- छह महीने में मुझे अभी घर आते हैं छोटी-छोटी बातों को लेकर मुझसे झगड़ा करते हैं... एक आद बार उन्होंने तो मेरे साथ मारपीट भी की है... उन्होंने मुझे अपने 4 BHK फ्लैट में एक जिंदा गुड़िया की तरह रख रखा है... और वह खुद समंदर में महीनों बिताते रहते हैं"
"मुझे उस हरामजादेका पूरा नाम, जन्म की तारीख और जन्म का समय मुझे एक लाल कलम से लिख कर दे... मैं ऐसा मंत्र जाप करूंगा कि वह बाप बाप बोल कर तेरे पैरों पर आकर गिरेगा... मुझे मेरे गुरुदेव की सौगंध"
मैं भाव हीन होकर कुछ देर तक फर्श की तरफ देखती रही और उसके बाद मैंने कहा, "मुझे नहीं मालूम है आगे क्या करूंगी बाबा ठाकुर... बहुत ही कम उम्र में मेरे मां-बाप ने मेरी शादी करवा दी- वह भी जबरदस्ती| लेकिन अब मैं जो जिंदगी जी रही हूं- पराए मर्दों को थोड़ी संतुष्टि दे करके... वह मुझे अच्छा ही लग रहा है... और वैसे भी आपने तो मुझे एक स्त्री की मर्यादा दी है... आपने मुझसे जितना प्यार किया... और जितनी बार भी मेरे साथ सहवास किया... सच में नहीं है मुझे बहुत ही अच्छा लगा... और मुझे इस बात का गर्व है कि आपके वीर्य से मेरी योनि बिल्कुल लबालब भरी हुई है... बस और मुझे क्या चाहिए? लेकिन फिर भी मुझे अगर आपकी जरूरत पड़ी तो मैं आपको जरूर बताऊंगी"
शायद मेरी बातें बाबा ठाकुर को बहुत अच्छी लगी; वह मुस्कुराते हुए मुझसे बोले, " तू तो सिगरेट पीती है... आज थोड़ा बाबा के प्रसाद का स्वाद भी लेगी?"
"बाबा का प्रसाद? क्या मतलब?"
"मतलब गांजा"
यह सुनकर मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, "ठीक है बाबा ठाकुर जैसी आपकी आज्ञा, आपने सही फरमाया मुझे सिगरेट पीने का तजुर्बा है लेकिन आज से पहले मैंने कभी गांजा नहीं चखा"
बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने झट से उठकर कमरे में रखी अलमारी खोली और वहां से गांजा की चिलम निकाली लेकिन दिक्कत की बात यह थी कि कमरे में रखी माचिस की तीलियां खत्म हो चुकी थी|
मैंने बाबा ठाकुर से कहा आप कमरे में ही बैठी है मैं झट से नीचे रसोई से माचिस लेकर आती हूं| यह कहकर में कमरे से निकल पड़ी और मारे उत्सुकता के मुझे यह ध्यान ही नहीं था कि मैं बिल्कुल नंगी हूं|
कमरे से निकलने के बाद में दो चार कदम सीढ़ी नीचे उतरी ही थी कि मैं आरती को देख कर चौक गई- वह भी मुझे बड़ी अजीब सी निगाहों से देख रही थी|
"हाय दैया; पीयाली दीदी, तुम तो बिल्कुल नंगी हो" आरती फुसफुसाई|
मैं अप्रस्तुति में पड़ गई थी; लेकिन मेरे पास अब करने को कुछ था ही नहीं इसलिए मैं भी फुसफुसाई, "हां तू तो जानती है, मैं बाबा ठाकुर के साथ अपने नारीत्व के धर्म का पालन कर रही हूं... संभोग कर रही हूं उनके साथ... आज सारी रात मुझे उनके साथ नंगी होकर ही बिताना है... पर तूने तो मुझे नंगा देख ही लिया है- और मेरे साथ खुद नंगी होकर सो भी चुकी है... इतना हैरान क्यों हो रही है?"
"पता नहीं क्यों पीयाली दीदी- दोपहर को तो सिर्फ हम और तुम थे... लेकिन इस वक्त बाबा ठाकुर तुमको भोग रहे हैं| मुझे पता नहीं क्यों बड़ा अजीब सा लग रहा है... न जाने क्यों तुम बिल्कुल अलग से लग रही हो... तुम्हारी ठुड्डी पर, गले पर सड़का (वीर्य) लगा हुआ है... और तुम्हारी दो टांगों के बीच में भी चिपचिपा सफेद सफेद सड़के के धब्बे... मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी कि तुम्हें जुड़वा बच्चे हो"
"ठीक है- ठीक है| अब जल्दी से मुझे एक माचिस लाकर दे"
आरती के हाथ से माचिस लेकर के मैं वापस बाबा ठाकुर के कमरे की तरफ जाने को लगी कि मैंने पीछे मुड़ कर आरती की तरफ देखा और फिर मैं बोली, "आरती इतनी रात को तूने अपने बाल खोल रखे हैं और सिर्फ एक साड़ी रिपीट कर बिल्कुल अध नंगी हालत में घर में घूम रही है... अगर तेरे सर कोई भूत प्रेत का साया आ गया तो?"
"नहीं पियाली दीदी; हमारे घर भूत प्रेत नहीं आते क्योंकि बाबा ठाकुर एक सिद्ध पुरुष है- भूत प्रेतों से डरते हैं... और मैं जानती हूं कि तुम सारी रात बाबा ठाकुर के कमरे में बिल्कुल नंगी होकर रहोगी... इसलिए मैंने भी ठान ली है मैं भी अपने कमरे में जाकर बिल्कुल नंगी रहूंगी... और अगर मौका मिले तो मैं थोड़ी ताका झांकी करके आप दोनों का खेल भी देखूंगी... ही ही ही ही ही ही ही"
"लेकिन तू सोएगी कब?"
"कल दोपहर को, तुम्हारे साथ बिल्कुल नंगी होकर... ही ही ही ही ही ही"
मैंने हार कर अपना सर हिलाया और बाबा ठाकुर के कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया| मैं जानती थी कि आरती कमरे की खिड़की और दरवाजे में जो छोटे-छोटे छेद हैं उसमें से हम लोगों को जरूर देखेगी... इस लड़की के कच्चे आम पक चुके हैं|
आज की रात इस बड़े से घर में हम सिर्फ तीन लोग थे... और तीनों ही तीनों बिल्कुल नंगे|
क्रमशः