• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery बाबा ठाकुर (ब्लू मून क्लब- भाग 2)

कहानी का कथानक (प्लॉट)

  • अच्छा

    Votes: 2 12.5%
  • बहुत बढ़िया

    Votes: 13 81.3%
  • Could ठीक-ठाकbe better

    Votes: 2 12.5%

  • Total voters
    16

naag.champa

Active Member
661
1,804
139
बाबा ठाकुर
BBT-Hindi2-Cover-Ok22.jpg


(ब्लू मून क्लब- भाग 2)
~ चंपा नाग ~
अनुक्रमणिका

अध्याय १ // अध्याय १ // अध्याय ३ // अध्याय ४ // अध्याय ५
अध्याय ६ // अध्याय ७ // अध्याय ८ // अध्याय ९ // अध्याय १०
अध्याय ११ // अध्याय १२ // अध्याय १३ // अध्याय १४ // अध्याय १५
अध्याय १६ // अध्याय १७ // अध्याय १८ // अध्याय १९ // अध्याय २०
अध्याय २१ // अध्याय २२ // अध्याय २३ // अध्याय २४ // अध्याय २५
अध्याय २६ // अध्याय २७ // अध्याय २८ // अध्याय २९ // अध्याय ३०
अध्याय ३१ // अध्याय ३२ (समाप्ति)


प्रिय पाठक मित्रों,

बड़ी उत्साह के साथ और बड़ी खुशी के साथ मैं आपके लिए एक नई कहानी प्रस्तुत करने करने जा रही हूं| इस कहानी को मैंने बहुत ही धैर्य से और बड़े ही विस्तार से लिखा है| आशा है कि यह कहानी आप लोगों को मेरी लिखी हुई बाकी कहानियों की तरह ही पसंद आएगी क्योंकि इस कहानी को लिखने का मेरा सिर्फ एकमात्र ही उद्देश्य है वह है कि अपने पाठक बंधुओं का मनोरंजन करना|

मुझे आप लोगों के सुझाव, टिप्पणियां, कॉमेंट्स और लाइक्स का बेसब्री से इंतजार रहेगा|
PS और अगर अभी तक आप लोगों ने इस कहानी का पहला भाग नहीं पड़ा हो तो जरूर पढ़िएगा| पहले भाग का लिंक नीचे दिया हुआ है
ब्लू मून क्लब (BMC)

~ चंपा नाग ~



यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं पर आधारित है और इसका जीवित और मृत किसी भी शख्स से कोई वास्ता नहीं। इस कहानी में सभी स्थान और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक है, अगर किसी की कहानी इससे मिलती है, तो वो बस एक संयोग मात्र है| इस कहानी को लिखने का उद्देश्य सिर्फ पाठकों का मनोरंजन मात्र है|
 
Last edited:

manu@84

Well-Known Member
8,641
12,095
174
दोनों ही अध्याय पिछले अध्याय की तरह कामुक्, सेक्स से लबालब थे.... अफ़रोडिसियक' (कामोत्तेजक दवाई) इसका राज क्या है, क्या ये दवाई सच में बाजार में उपलब्ध है, क्या ये महिला को खिलाने से वो सेक्स के लिए आतुर हो जाती हैं..... कृपा उचित मार्ग दर्शन करे।

स्त्री का स्त्री के साथ देहिक मिलन का वरन अद्भुत लेखनी का रूप धारण किये हुए था।
"मेरा हाथ थोड़ा नीचे चला गया... मैं उसके मलद्वार और यौनांग के बीच के हिस्से को हल्का हल्का दबा दबा कर और फिर हिला हिला कर उकसाने लगी..." इतनी गहराई से एक स्त्री के साथ दूसरी स्त्री की संभोग की व्याख्या मेरे मन में लेखिका के प्रति शंका एवं सवालों के भाव पैदा कर रहे हैं। किंतु पाठक के इस तरह सवाल खड़े करना राइटर की सोच पर शक होगा। जिसे वेबजह छेड़ना उचित नहीं है।

धन्यवाद
 
  • Like
Reactions: Tiger 786

naag.champa

Active Member
661
1,804
139
Superb hot
आदरणीय Janu002 जी,

आपके मंतव्य के लिए बहुत धन्यवाद! काफी दिनों बाद पुराने पाठक मित्र से मिलकर बड़ी खुशी हुई|
 

naag.champa

Active Member
661
1,804
139
दोनों ही अध्याय पिछले अध्याय की तरह कामुक्, सेक्स से लबालब थे....
आदरणीय manu@84 जी,
मेरी कहानी के दिए हुए दोनों अपडेट सबको अच्छी लगी इस बात कि मुझे बड़ी खुशी है| आप जैसे पाठक को के मंतव्य, टिप्पणियां एवं इंटरेक्शन मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है|

अफ़रोडिसियक' (कामोत्तेजक दवाई) इसका राज क्या है, क्या ये दवाई सच में बाजार में उपलब्ध है, क्या ये महिला को खिलाने से वो सेक्स के लिए आतुर हो जाती हैं..... कृपा उचित मार्ग दर्शन करे।
जी हां सुनने में ऐसा आया है की बाजार में ऐसी दवाइयां जरूर उपलब्ध है जैसे की भी Viagra जो मर्दों के लिए बाजार में आसानी से उपलब्ध है और कुछ ऐसी दवाइयां भी हैं जिन्हें डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है| ऐसी दवाइयां औरतों के लिए भी उपलब्ध है... बाकी उनके बारे में मैंने इंटरनेट में ही पढ़ रखा है इसलिए मैं इनके बारे में ज्यादा नहीं जानती; लेकिन जितनी जानकारी मुझे अपनी लिखने के लिए अर्जित करनी थी वह मैंने कर ली... अब इससे ज्यादा मार्गदर्शन में आपका क्या करूं?
स्त्री का स्त्री के साथ देहिक मिलन का वरन अद्भुत लेखनी का रूप धारण किये हुए था।
"मेरा हाथ थोड़ा नीचे चला गया... मैं उसके मलद्वार और यौनांग के बीच के हिस्से को हल्का हल्का दबा दबा कर और फिर हिला हिला कर उकसाने लगी..." इतनी गहराई से एक स्त्री के साथ दूसरी स्त्री की संभोग की व्याख्या मेरे मन में लेखिका के प्रति शंका एवं सवालों के भाव पैदा कर रहे हैं। किंतु पाठक के इस तरह सवाल खड़े करना राइटर की सोच पर शक होगा। जिसे वेबजह छेड़ना उचित नहीं है।

धन्यवाद
एक स्त्री ही स्त्री के शरीर और तन और मन को अच्छी तरह समझ सकती है... इसलिए कहानी दिखाते वक्त जो मैंने कल्पना की उसी को लेखन का रूप दे दिया... उम्मीद है आप और मेरे बाकी पाठक बंधु इसे पढ़कर मनोरंजित जरूर हुए होंगे|
 
Last edited:

naag.champa

Active Member
661
1,804
139

अध्याय १९


"पीयाली" बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की आवाज काँप रही थी, वह आश्चर्य से कभी अपने हाथ को और कभी मुझे देख रहे थे, " मुझे माफ कर देना... न जाने मुझे क्या हो गया था... न जाने में क्यों इतना बहक गया था... कि मैंने तुझे अनजाने में ही इतनी जोर से थप्पड़ मारा... तूने मुझे आज उस जन्नत की सैर करवा दी जिसका मुझे शायद पता ही नहीं था.... और मैंने तेरे पर ही हाथ उठाया.. मुझे माफ कर देना मेरी कामधेनु..."

यह कहकर वह मुझे अपनी बाहों में लेकर बहुत प्यार करने लगे और चूमने लगे| उनकी छुअन पाते ही मेरे अंदर की कामवासना की अग्नि जो कि कुछ देर के लिए शायद बुझ सी गई थी फिर से भड़कने लगी... उनके थप्पड़ से बस एक फायदा हुआ मुझे जो हल्के हल्के चक्कर आ रहे थे और झपकी आ रही थी... वह सर दूर सा हो गया...

इतने में बाबा ठाकुर अचानक बिस्तर से उठे और वह कमरे में कुछ सूंघने लगे... फिर उन्होंने उससे पूछा, "यह खुशबू किस चीज की है जो पूरे कमरे में फैली हुई है..."

फिर उनका ध्यान सुगंधित मोमबत्ती की तरफ गया जिसे मैंने उनके कमरे में आने से पहले से ही चला रखा था...

"लगता है हम लोगों ने जो नशा कर रखा है और इसमें बत्ती की खुशबू... कुछ ज्यादा ही असर दिखा रही है..." उनका कहना बिल्कुल सही था और यह कहकर उन्होंने कमरे की सारी खिड़कियां खोल दी... और बाहर से ठंडी हवाओं के झोंके आकर हम दोनों के बदन को मानो और जलाने लगे...

उसके बाद बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ मेरी तरफ मुस्कुराकर देखते हुए बोले, "पीयाली, तू बहुत ही सुंदर लड़की है... मैं तेरी योनि को एक बार परख कर देखना चाहता हूं..."

परख कर देखना चाहता हूं? क्या मतलब है उनका? उन्होंने तो मुझे पूरी नंगी हालत में देख ही लिया है और उन्होंने मेरे साथ सहवास करके मेरी योनि में अपना वीर्य स्खलित भी किया है; आखिर वह कहना क्या चाहते हैं?

इस बारे में मुझे ज्यादा सरका पाने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि इससे पहले मैं कुछ और सोच पाती है वह मेरे पैरों को घुटनों के नीचे से पकड़ कर मुझे खींचकर बिल्कुल बिस्तर के किनारे तक ले आए... और सिर्फ मेरे कूल्हे बिस्तर पर टिके हुए थे और मेरे पैर जमीन को छू रहे थे... ऐसी हालत में मैंने अपने बॉयफ्रेंड टॉम के साथ कई बार संभोग किया था... इसलिए मुझे इसकी आदत पड़ी हुई थी और शायद इसीलिए अनजाने में ही मैंने अपनी दोनों टांगे फैला दी और मैं सोच रही थी कि शायद बाबा ठाकुर पंडित देखना अपना लिंग मेरी योनि में डाल देंगे... लेकिन नहीं उन्होंने अपना सर मेरे दो टांगों के बीच में घुसा दिया और फिर मेरी योनि को चाट चाट कर चूसते हुए मेरे यौवन का रस पीने लगे|

मेरे पूरे बदन में मानव बिजली सी दौड़ गई और मेरे अंदर कंपकंपी सी होने लगी... मेरी योनि से मेरी यौवन सुधा का कुछ देश स्वाद लेने के बाद वह मुझे अपने हाथों से किसी गुड़िया की तरह उठाकर बिस्तर पर ठीक से लिटा दिया... मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा पूरा का पूरा शरीर शायद एक अनजाने असर के बस में है... मैंने दोबारा अपनी दोनों टांगे बिल्कुल फैला दी... और मन ही मन में सोच रही थी कि अब सिर्फ चाटने या चूसने से काम नहीं चलेगा इसलिए अनजाने में ही मैंने अपनी दोनों हाथों की उंगलियों से अपने योनि के अधरों को खोल दिया... अगर कोई मेरी योनि को इस हालत में देखता तो शायद सोचता है कि मेरे अंदर की कामवासना अपना मुंह खोले किसी लिंग को निमंत्रित कर रही है|

बाबा ठाकुर को मेरा इशारा समझ में आ गया वह मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गए और अपने लिंग का सुपाड़ा मेरे खुले हुए योनि के अधरों से छुआया... मैंने अनजाने में ही अपनी कमर ऊपर उठा दी और फिर क्या था बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने अपना सुडौल खड़ा और सख्त लिंग मेरी योनि के अंदर घुसा दिया... मुझे ऐसा लग रहा था कि उनका लिंग शायद इस बार और भी दृढ़ हो गया है और शायद उन्होंने पहले के मुकाबले और ज्यादा ही उसको अंदर डाल दिया है... मुझे पूरा यकीन है कि वह जरूर वायग्रा (Viagra) जैसी कोई दवाई खा कर आए हैं... उन्होंने ज्यादा देर नहीं की... वह मेरे ऊपर चढ़कर लेट गए और अपनी पूरी ताकत के साथ मेरे खाने वालों के अंदर अपनी उंगलियां चला चला कर मुझे प्यार करने लगे... मेरे होंठ गाल माथा आंखों की पलकें नाक कानों की लौ चुन-चुन कर चाट चाट कर मुझे भी मजे देने लगे... न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा पूरा बदन शायद किसी अनजानी मदहोशी के बस में है... शायद इसीलिए कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ कि हालांकि वह सब कुछ भूल कर मेरे ऊपर लेट कर मुझे प्यार करने में बिल्कुल मदमस्त हो रहे थे और उन्होंने अभी तक अपनी मैथुन लीला शुरू नहीं की थी लेकिन मैं अनजाने में अपनी कमर बार-बार ऊपर कुछ उचकने की कोशिश कर रही थी|

आखिरकार बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ में अपनी मैथुन लीला शुरू की... इस बार उनकी रतिक्रिया की गति बहुत ही जोरदार और तेज थी... एक जानी पहचानी ताल में मेरा पूरा शरीर डोलने लगा... लेकिन मुझे थोड़ा फर्क महसूस हो रहा था... मेरे पति जयऔर बॉयफ्रेंड टॉम की तुलना में बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की छाती पर काफी सादाबाद थे... उनके बालों का स्पर्श मेरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ा रहा था... और मैं मन ही मन सोच रही थी... आखिरकार में ब्लू मून क्लब की हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल क्यों बनी? यौन आचरण की विविधता का एहसास करने के लिए... और मैंने जो निर्णय लिया था वह शायद आज अपने फल दे रहा है... इसलिए मैंने भी अपनी सारी शर्मो हया छोड़कर पूरे मन से बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की... की छठी हुई दाढ़ी में अपने कोमल गालो को कैसे रखें... उनके हर चुंबन और लेहन कब मजा लेने लगी... मैंने कुछ देर के लिए अपने दिमाग से वह सारी बातें निकाल दी जो शायद किसी भी औरत को किसी पराए मर्द के साथ कामलीला में मगन होने में रोक सकती थी... मैं जानबूझकर यह भूलने का कोशिश कर रही थी कि मैं शादीशुदा हूं... मेरा एक पति है... और इसके अलावा मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है- जो मुझे पागलों की तरह प्यार करता है- फिलहाल में एक नारी हूँ और बाबा ठाकुर पंडितएकनाथ एक पुरुष और हम दोनों इस वक्त रतिक्रिया में मगन है... हे भगवान मेरी कामना का ज्वालामुखी फटने वाला था... लेकिन मानो मेरी आस ही नहीं मिट रही थी... मुझे और भी चाहिए... नहीं... नहीं... नहीं... मैं तो फट पड़ने वाली थी... बाबा ठाकुर अपने पूरे पौरुष के साथ मेरी कामना के समंदर का मंथन कर रहे थे... मुझे और थोड़ी देर टिककर रहना पड़ेगा... नहीं- नहीं- नहीं- इतनी जल्दी नहीं... लेकिन मैं क्या करती बाबा ठाकुर के पुरुष के आगे मैं टिक नहीं पाई... और मेरी कामना की ज्वालामुखी का विस्फोट हो गया... मैं अनजाने में ही चीख, "ना..!"

लेकिन बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ रुके नहीं... उन्होंने मेरे कोमल बदन पर अपना समुद्र मंथन जारी रखा... अब मेरी सांस फूलने लगी थी... लेकिन वो रुके नहीं... कम से कम और तीन बार मैंअपने यौन आनंद के सुख सागर का सीमा पार कर गई|

हर बार मेरे कामना की ज्वालामुखी जैसे कि मानो एक जबरदस्त धमाकेदार तरीके से विस्फोट करता गया... मैं अब बिल्कुल निढाल हो चुकी थीऔर उसके बाद अंततः मुझे थोड़ी सांत्वना देने के लिए शायद मेरे जलते हुए बदन पर शांति केजल का छिड़काव करते हुए बाबा ठाकुर ने अपना वीर्य मेरे अंदर स्खलित किया... मुझे लगाकि उनके गरम गरम वीर्य से मेरी पूरी योनि भर गई... हां इस बार उनकी वीर्य की मात्रा काफी ज्यादा थी... अगर मैं दूसरी औरतों की तरह यहां मां बनने के लिए आई हुई होती तो शायद यह संभोग मुझे मातृत्व अशोक देने के लिए पूरी तरह पर्याप्त था...

मैंने कॉल किया कि बाबा ठाकुर मेरे से अलग नहीं हुए और ना ही उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि के अंदर से निकाला... उनका लिंग धीरे-धीरे शिथिल पड़ रहा था लेकिन ऐसा ज्यादा देर तक नहीं रहा... मैंने महसूस किया कि उनका लिंग फिर से खड़ा और शक हो रहा है मैं सोच रही थी कि शायद वह दोबारा मेरे साथ संभोग करेंगे...

लेकिन उन्होंने दबे दबे स्वर मेंउससे कुछ और ही कहा, "पीयाली, अब तुझे उल्टा होकर लेटना पड़ेगा..."

तो बाबा ठाकुर क्या आप मेरे पीछे...?

“हां पीयाली”

मैं तो बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की खरीदी हुई लड़की हूं... इस वक्त वह मेरेतन मन और आत्मा और हां मेरे नंगे बदन के मालिक हैं| ब्लू मून क्लब की मालकिन मेरी डिसूजा ने मुझे जो तालीम दी है; उसके मुताबिक मुझे अपने नारीत्व के धर्म का पालन कर रहा था... बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ की हर ख्वाहिश मेरे लिए एक हुक्म के बराबर था...

इसलिए मैंने बड़ी ही नम्रता से उनसे कहा, "बाबा ठाकुर, यह मेरे लिए भाइयों काम की गुदामैथुन पहला तजुर्बा होगा... मैं अपने साथ कुछ क्रीम वगैरह लेकर आई हूं... वह मुझे लगा लेने दीजिए... और साथ ही मैं अपने साथ थोड़ा जेल भी लाई हूं... और इसके साथ ही आप कृपा करके मेरे हाथ पैर और मुंह बांध दीजिएगा...”

“तेरी मालकिन ने भी मुझसे यही कहा था... कि तेरे लिए गुदामैथुन का यह पहला तजुर्बा होगा... ठीक है, मैं तेरे हाथ पर जरूर बांध दूंगा और साथ ही मैं तुझे थोड़ा नशा भी करवा दूंगा ताकि तुझे ज्यादा तकलीफ ना हो...”

क्रमशः
 

naag.champa

Active Member
661
1,804
139

अध्याय २०


बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ को शायद पता था कि ब्लू मून क्लब से मेरे लिए जो दूसरा बैग भेजा गया था उसके अंदर शराब की बोतले भी है और उनका अंदाजा बिल्कुल सही निकला| उन्होंने वह खोल करके जींन (Gin) की एक बोतल निकाली और फिर जल्दी-जल्दी अपनी लुंगी पहनकर रसोई से कांच का गिलास लाने के लिए कमरे से बाहर निकले|

उनके बाहर जाते ही मैंने बैग अंदर झांक कर देखा- बैग के अंदर 'अफ़रोडिसियक' (कामोत्तेजक दवाई) की गोली वाली एक स्ट्रिप भी थी| एक गोली तो मैं खा चुकी थी और ऊपर से नशा भी कर रखा था इसलिए दूसरी गोली की शायद जरूरत नहीं पड़ेगी और उसके साथ दर्द की दवाई एक स्ट्रिप भी थी और उसके साथ कुछ गर्भनिरोधक गोलियां भी|

इन गर्भनिरोधक गोलियों को मेरी कामवाली गोपा मौसी- पेट साफ करने की दवाई कहा करती थी|

मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी- ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा अपनी हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्लस का बहुत ख्याल रखती हैं|

यही सब सोच रही थी कि मुझे बाहर से बाबा ठाकुर की आवाज सुनाई दी, वह आरती से पूछ रहे थे, "क्या हुआ सोई नहीं अभी तक?"

"जी सुसु करने के लिए उठी थी, - इतने में मैंने देखा कि आप कमरे से बाहर आ रहे हैं तो मैं ऊपर चली आई- यह देखने के लिए कि आपको किसी चीज की जरूरत तो नहीं?"

मुझे पक्का यकीन था कि आरती ने चुपके चुपके जरूर मुझे और बाबा ठाकुर को रतिक्रिया में मगन जरूर देख लिया होगा|

"ठीक है नीचे से तो कांच के गिलास लेकर आ" बाबा ठाकुर ने आरती से कहा|

मैं मन ही मन सोच रही थी अगर थोड़ी सी कोल्ड्रिंक मिल जाती है तो बहुत ही अच्छा होता है|

बाबा ठाकुर अपने कमरे में आकर शायद भूल गए थे की आरती गिलास लेकर आते ही होगी इसलिए वह अपनी लूंगी उतारने लगे कि इतने में एक रेलगाड़ी की तरह धड़धड़ती हुई सिर्फ एक साड़ी पहनी हुई आरती दो कांच के गिलास और 2 बोतल पानी लेकर लेकर कमरे में दाखिल हुई| बाबा ठाकुर के बिस्तर पर मुझे बिल्कुल नंगी हालत में देखकर मानो आरती एकदम चौंक उठी| मैं भी जल्दी जल्दी अपने हाथों से अपनी शरमाया ढकने की कोशिश करने लगी क्योंकि मैं भी इस चीज के लिए तैयार नहीं थी|

बाबा ठाकुर में जैसे तैसे मिलूंगी संभाली और फिर बड़े ही गुस्से में आरती से बोल पड़े,"मैंने कहा था ना, मेरे कमरे में जब कोई औरत रहेगी तो बिना दरवाजा खटखटाय इस तरह से कमरे में दाखिल मत होना?"

आरती सकपका के बोली, "बाबा ठाकुर मुझे माफ करना मैं तो आपके कमरे में पानी रखना भूल ही गई थी"

आरती के चले जाने के बाद मैंने खुद उठकर बाबा ठाकुर की लूंगी की गांठ खोल कर उनकी लूंगी उतारने में उनकी सहायता की और उसके बाद उनको बिस्तर पर बिठाकर उनके होठों को चूमती हुई मैं बोली, "बाबा ठाकुर, उस बच्ची को माफ कर दीजिएगा... उसे शायद यह सब कुछ नहीं मालूम... लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगी आपकी लड़की अब बड़ी हो चुकी है... अगर आपकी आज्ञा हो तो कल सुबह मैं उसको लेकर थोड़ा मार्केट की तरफ जाऊंगी"

"क्यों"

"जी, बाबा ठाकुर; आपके घर एक सयानी लड़की है... उसके लिए कुछ अंतर्वास खरीदने की जरूरत है"

"हे भगवान; अगर तेरी मां (बाबा ठाकुर की बीवी) अगर इस दुनिया में रहती तो यह सब समझ पाती है... मेरे अंदर इतनी समझ कहां जो मैं लड़कियों की बातों को समझ सकूं... खैर जो भी हो कल उसे अपने साथ लेकर तू मार्केट में निकलना, उसके लिए जो चाहिए वह खरीद लेना मैं सारे पैसे तेरे को चुका दूंगा"

"आपको तो लड़कियों वाली बातें जाननी ही होंगी... आखिर मैं भी तो एक लड़की ही हूं" इतने में मैंने बाबा ठाकुर का लिंग अपने हाथों में लेकर अपनी उंगलियों से बड़े ही प्यार से मल रही थी|

---

दो- तीन घूंट जिन (gin) पीने के बाद मैंने नशीली आंखों से बाबा ठाकुर की तरफ देखा और बैग से जेल निकालकर अपने मलद्वार पर लगाने लगी|

मुझे नशा चढ़ चुका था, मेरी जुबान थोड़ी लड़खड़ा रही थी, मैंने बाबा ठाकुर से कहा, “ बाबा ठाकुर, इससे पहले मैं कभी अपनी गांड नहीं मरवाई, लेकिन अब मैं खुद को पूरी तरह से आपके हवाले कर देती हूं... देखिए बाबा ठाकुर मुझे देखिए मैं बिल्कुल नंगी हूं, मेरे बाल भी पूरे खुले हुए हैं लेकिन हां... गांड मरवाने का यह मेरा पहला तजुर्बा होगा इसलिए मुझे मालूम नहीं कि मुझे कितना दर्द होगा लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी इच्छा पूरी नहीं कर सकते...इसलिए मैं आपसे कहती हूं कि आप मेरे हाथ, पैर और मुंह बांध दें, ताकि मैं चाहकर भी आपको रोक न सकूं…”

मेरी इन बातों को सुनकर बाबा ठाकुर की आंखों में एक अजीब सी चमक से आ गई और उनके चेहरे पर एक अनजानी मुस्कान खिल उठी- यह एक रसभरी कामुकता की मुस्कान थी- उन्होंने मुझसे कहा,"तू तो शहर की रहने वाली एक लड़की है; लेकिन तेरा रूप रंग और तेरे कूल्हे तक लंबे बालों को देखकर कोई भी यह सोचेगा कि तू बिल्कुल एक 'गाइयाँ की माइया' (पैतृक गांव की लड़की) है... पर तू बड़ी सहजता से लगी रहती है... और अपने और तेरी चाल ढाल में एक अजीबसा मादकपन है... मेरे पास जो औरतें या फिर लड़कियां आती हैं... उन्हें काफी समझाना बुझाना पड़ता है... कुछ को तो डराना या फिर डांटना फटकारना भी पड़ता है... लेकिन तुझ जैसी एक अति सुंदर कामधेनु को देखकर मुझे ऐसा लगता है कि तू अपनी मर्जी से ब्लू मून क्लब की मालकिन मैरी डिसूजा के हाथ के नीचे आई है... तो पैसों के लिए या फिर बच्चा पैदा करने के लिए तो मेरे पास आई नहीं... मैं तुझे यहां लाया हूं... और यह बात मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तू किसी बड़े और अच्छे खानदान की लड़की है"

मैं मन ही मन सोचने लगी कि बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ का कहना बिल्कुल सही है| एक अच्छे खानदान की लड़की हूं और मेरे पास पैसों की कोई कमी नहीं है- लेकिन यह किस्मत का खेल है कि मैं ब्लू मून क्लब की लूनर डैज़ी (Lunar Daisy) ब्यूटी पार्लर तक जा पहुंची और वहां मैरी डिसूजा कि बहलाने और समझाने के बाद मैं उनकी हॉट गर्ल्स की फायर ब्रिगेड की प्रीमियम पार्ट टाइम लवर गर्ल बन गई|

मैंने दोबारा एक नशीली मुस्कान के साथ उनकी तरफ देखा और फिर बोलिए, " मेरा रूप रंग और मेरे बाल आपको अच्छे लगे इस बात की मुझे खुशी है... कल मैं अपने बालों में तेल नहीं लगाऊंगी और अच्छी तरह शैंपू करूंगी ताकि मेरे बाल फूले फूले से होकर रहे... आशा है मेरा यह रूप आपको बहुत अच्छा लगेगा"

"मैं देखूंगा, जरूर देखूंगा... मैं तेरा यह रूप जरूर देखूंगा" फिर वह मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोले, " तू लड़की होकर सिगरेट क्यों पीती है, पीयाली- मैंने तेरे बैग के अंदर एक बहुत ही महंगे सिगरेट का पैकेट भी देखा"

"जी कॉलेज में मैं सिगरेट पिया करती थी, उसके बाद मैंने बड़ी मुश्किल से छोड़ दिया था... अब कभी कबार अपने बॉयफ्रेंड के साथ बैठकर पी लेती हूं"

"और तेरा पति?"

"वह मर्चेंट नेवी में काम करते हैं... और मेरी अपेक्षा करते हैं... साल- छह महीने में मुझे अभी घर आते हैं छोटी-छोटी बातों को लेकर मुझसे झगड़ा करते हैं... एक आद बार उन्होंने तो मेरे साथ मारपीट भी की है... उन्होंने मुझे अपने 4 BHK फ्लैट में एक जिंदा गुड़िया की तरह रख रखा है... और वह खुद समंदर में महीनों बिताते रहते हैं"

"मुझे उस हरामजादेका पूरा नाम, जन्म की तारीख और जन्म का समय मुझे एक लाल कलम से लिख कर दे... मैं ऐसा मंत्र जाप करूंगा कि वह बाप बाप बोल कर तेरे पैरों पर आकर गिरेगा... मुझे मेरे गुरुदेव की सौगंध"

मैं भाव हीन होकर कुछ देर तक फर्श की तरफ देखती रही और उसके बाद मैंने कहा, "मुझे नहीं मालूम है आगे क्या करूंगी बाबा ठाकुर... बहुत ही कम उम्र में मेरे मां-बाप ने मेरी शादी करवा दी- वह भी जबरदस्ती| लेकिन अब मैं जो जिंदगी जी रही हूं- पराए मर्दों को थोड़ी संतुष्टि दे करके... वह मुझे अच्छा ही लग रहा है... और वैसे भी आपने तो मुझे एक स्त्री की मर्यादा दी है... आपने मुझसे जितना प्यार किया... और जितनी बार भी मेरे साथ सहवास किया... सच में नहीं है मुझे बहुत ही अच्छा लगा... और मुझे इस बात का गर्व है कि आपके वीर्य से मेरी योनि बिल्कुल लबालब भरी हुई है... बस और मुझे क्या चाहिए? लेकिन फिर भी मुझे अगर आपकी जरूरत पड़ी तो मैं आपको जरूर बताऊंगी"

शायद मेरी बातें बाबा ठाकुर को बहुत अच्छी लगी; वह मुस्कुराते हुए मुझसे बोले, " तू तो सिगरेट पीती है... आज थोड़ा बाबा के प्रसाद का स्वाद भी लेगी?"

"बाबा का प्रसाद? क्या मतलब?"

"मतलब गांजा"

यह सुनकर मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, "ठीक है बाबा ठाकुर जैसी आपकी आज्ञा, आपने सही फरमाया मुझे सिगरेट पीने का तजुर्बा है लेकिन आज से पहले मैंने कभी गांजा नहीं चखा"

बाबा ठाकुर पंडित एकनाथ ने झट से उठकर कमरे में रखी अलमारी खोली और वहां से गांजा की चिलम निकाली लेकिन दिक्कत की बात यह थी कि कमरे में रखी माचिस की तीलियां खत्म हो चुकी थी|

मैंने बाबा ठाकुर से कहा आप कमरे में ही बैठी है मैं झट से नीचे रसोई से माचिस लेकर आती हूं| यह कहकर में कमरे से निकल पड़ी और मारे उत्सुकता के मुझे यह ध्यान ही नहीं था कि मैं बिल्कुल नंगी हूं|

कमरे से निकलने के बाद में दो चार कदम सीढ़ी नीचे उतरी ही थी कि मैं आरती को देख कर चौक गई- वह भी मुझे बड़ी अजीब सी निगाहों से देख रही थी|

"हाय दैया; पीयाली दीदी, तुम तो बिल्कुल नंगी हो" आरती फुसफुसाई|

मैं अप्रस्तुति में पड़ गई थी; लेकिन मेरे पास अब करने को कुछ था ही नहीं इसलिए मैं भी फुसफुसाई, "हां तू तो जानती है, मैं बाबा ठाकुर के साथ अपने नारीत्व के धर्म का पालन कर रही हूं... संभोग कर रही हूं उनके साथ... आज सारी रात मुझे उनके साथ नंगी होकर ही बिताना है... पर तूने तो मुझे नंगा देख ही लिया है- और मेरे साथ खुद नंगी होकर सो भी चुकी है... इतना हैरान क्यों हो रही है?"

"पता नहीं क्यों पीयाली दीदी- दोपहर को तो सिर्फ हम और तुम थे... लेकिन इस वक्त बाबा ठाकुर तुमको भोग रहे हैं| मुझे पता नहीं क्यों बड़ा अजीब सा लग रहा है... न जाने क्यों तुम बिल्कुल अलग से लग रही हो... तुम्हारी ठुड्डी पर, गले पर सड़का (वीर्य) लगा हुआ है... और तुम्हारी दो टांगों के बीच में भी चिपचिपा सफेद सफेद सड़के के धब्बे... मैं भगवान से प्रार्थना करूंगी कि तुम्हें जुड़वा बच्चे हो"

"ठीक है- ठीक है| अब जल्दी से मुझे एक माचिस लाकर दे"

आरती के हाथ से माचिस लेकर के मैं वापस बाबा ठाकुर के कमरे की तरफ जाने को लगी कि मैंने पीछे मुड़ कर आरती की तरफ देखा और फिर मैं बोली, "आरती इतनी रात को तूने अपने बाल खोल रखे हैं और सिर्फ एक साड़ी रिपीट कर बिल्कुल अध नंगी हालत में घर में घूम रही है... अगर तेरे सर कोई भूत प्रेत का साया आ गया तो?"

"नहीं पियाली दीदी; हमारे घर भूत प्रेत नहीं आते क्योंकि बाबा ठाकुर एक सिद्ध पुरुष है- भूत प्रेतों से डरते हैं... और मैं जानती हूं कि तुम सारी रात बाबा ठाकुर के कमरे में बिल्कुल नंगी होकर रहोगी... इसलिए मैंने भी ठान ली है मैं भी अपने कमरे में जाकर बिल्कुल नंगी रहूंगी... और अगर मौका मिले तो मैं थोड़ी ताका झांकी करके आप दोनों का खेल भी देखूंगी... ही ही ही ही ही ही ही"

"लेकिन तू सोएगी कब?"

"कल दोपहर को, तुम्हारे साथ बिल्कुल नंगी होकर... ही ही ही ही ही ही"

मैंने हार कर अपना सर हिलाया और बाबा ठाकुर के कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया| मैं जानती थी कि आरती कमरे की खिड़की और दरवाजे में जो छोटे-छोटे छेद हैं उसमें से हम लोगों को जरूर देखेगी... इस लड़की के कच्चे आम पक चुके हैं|

आज की रात इस बड़े से घर में हम सिर्फ तीन लोग थे... और तीनों ही तीनों बिल्कुल नंगे|

क्रमशः
 

manu@84

Well-Known Member
8,641
12,095
174
"जानबूझकर यह भूलने का कोशिश कर रही थी कि मैं शादीशुदा हूं... मेरा एक पति है... और इसके अलावा मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है- जो मुझे पागलों की तरह प्यार करता है-"

एक रण्डी के लिए लिए इन सब बातों का क्या मतलब है, ये मेरी समझ के बाहर है, पियाली एक certified रण्डी है, वे वजह शराफत की बातों से अपने पिता पति की कहानी बताने की क्या जरूरत है, शांति से लंड ले अपनी गांड में। पिता, पति पर आरोप साबित कर खुद को सती सावित्री सिद्ध करना चाहती है। दुनिया में लाखों पति मजबूरी या हालातों में फंस कर अपनी पत्नियों को समय नही दे पाते है तो क्या उनकी पत्नियाँ रण्डी बन कर धंधा करने लगती हैं....???? पियाली जैसी लड़किया शुरु से सिग्रेट, शराब्, लंड की शौकीन होती है। उन्हे तो बस बहाना और आजादी की तलाश रहती है। जैसे पियाली अब अपने नेवि में कार्यरत पति को नामर्द साबित करने की कोशिस करते हुए मादरचोद बुड्ढे बाबा से गांड में लंड लेने के लिए गांड खोल कर बैठी है। वो शौक से अपने मुह और गांड में लंड ले बस अपनी रण्डी बनने का दोष अपने पति पर ना मढ़े। और अपना रण्डी रोना बंद करे।

अच्छा लिख रही है लिखते रहिये ✍️
धन्यवाद.....
 

naag.champa

Active Member
661
1,804
139
"जानबूझकर यह भूलने का कोशिश कर रही थी कि मैं शादीशुदा हूं... मेरा एक पति है... और इसके अलावा मेरा एक बॉयफ्रेंड भी है- जो मुझे पागलों की तरह प्यार करता है-"

एक रण्डी के लिए लिए इन सब बातों का क्या मतलब है, ये मेरी समझ के बाहर है, पियाली एक certified रण्डी है, वे वजह शराफत की बातों से अपने पिता पति की कहानी बताने की क्या जरूरत है, शांति से लंड ले अपनी गांड में। पिता, पति पर आरोप साबित कर खुद को सती सावित्री सिद्ध करना चाहती है। दुनिया में लाखों पति मजबूरी या हालातों में फंस कर अपनी पत्नियों को समय नही दे पाते है तो क्या उनकी पत्नियाँ रण्डी बन कर धंधा करने लगती हैं....???? पियाली जैसी लड़किया शुरु से सिग्रेट, शराब्, लंड की शौकीन होती है। उन्हे तो बस बहाना और आजादी की तलाश रहती है। जैसे पियाली अब अपने नेवि में कार्यरत पति को नामर्द साबित करने की कोशिस करते हुए मादरचोद बुड्ढे बाबा से गांड में लंड लेने के लिए गांड खोल कर बैठी है। वो शौक से अपने मुह और गांड में लंड ले बस अपनी रण्डी बनने का दोष अपने पति पर ना मढ़े। और अपना रण्डी रोना बंद करे।

अच्छा लिख रही है लिखते रहिये ✍️
धन्यवाद.....
आदरणीय पाठक मित्र manu@84 जी,

लगता है कि आप पीयाली से नाराज हो गए हैं... कहानी की शुरुआत (ब्लू मून क्लब भाग 1) में पीयाली एक साधारण सी जवान और शादीशुदा औरत थी जिसको की उसका पति, जो की मर्चेंट नेवी में कार्यरत है- उतना ध्यान नहीं देता है यहां तक की उसकी अपेक्षा भी करता है|

पीयाली अभी इस हाई क्लास और ग्लैमर से भरी दुनिया उन्मुक्त यौनाचार की दुनिया में उसने नया-नया कदम रखा है... शायद इसलिए उसके अंतर्मन में अभी भी यह द्वंद कभी कबार जाग उठता है...

किसी अन्य शादीशुदा अप्पर मिडल क्लास की औरत की तरह अपनी जिंदगी जीना चाहती थी... लेकिन उसका अकेलापन अंदर ही अंदर से खाये जा रहा था...

इसलिए जब भाग्य चक्र ने उसे ब्लू मून क्लब तक लाकर छोड़ा- तो उसने यह मौका नहीं गंवाया|

वैसे मैं आपके मंतव्य का सम्मान करती हूं और मुझे इस बात की खुशी है कि आपने खुलकर अपने मन की बात यहां रख दी है|

आप जैसे पाठक मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है| कृपया कहानी के साथ बने रहिएगा 🙏🙏🙏
 

naag.champa

Active Member
661
1,804
139
Nice update
आदरणीय Janu002 जी,

मेरी कहानी पढ़ कर आपको अच्छी लगी, इस बात कि मुझे बड़ी खुशी है| इस कहानी में आपको क्या अच्छा लगा और कहां सुधार हो सकता है? इस बारे में अगर आप कुछ मंतव्य करें तो मुझे खुशी होगी, ताकि मैं आगे की कहानियों में इन सब चीजों को शामिल कर सकूं|
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia
Top