भोर मे चार बजे....
मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो चल जल्दी खेत की तरफ जाना है (मीना सुधिया को शौच के लिए जगाने आई थी )
मीना की आवाज सुनकर सुधिया की नींद खुलती है और वह लालटेन लेकर बाहर को आती है बरामदे मे जैसे ही वो कल्लू के खटिया के पास से गुजरती है उसकी ऑखे फटी की फटी रह जाती है और पैर वही जम जाते है
वह देखती है कि उसका बेटा कल्लू गहरी नींद मे सो रहा है और उसकी लुंगी हट चुकी है और उसका घोड़े जैसा मोटा लंड मुरझाया पडा बाहर झांक रहा है, यह देखकर सुधिया हतप्रभ रह गई
सुधिया-मन मे (कल्लू ने कच्छा काहे नहीं पहना .... अरे कैसे पहनेंगा इतनी गर्मी है..इसका लंड तो इसके बापू से दोगुना है ...छी ये मै क्या सोच रही हू ...बेटा है वो मेरा)
और सुधिया कल्लू के लुंगी को सही करने लगती है
तभी फिर मीना की पुकार सुनाई देती है
मीना- अरी बन्नो जल्दी चल ...सूरज निकल आएगा
और मुझे बहुत तेज लगी है
सुधिया - आई भाभी ( लालटेन वही बरामदे मे छोडकर बाहर चली जाती है )
दोनो ननद भाभी खेतों की ओर शौच के लिए चल देते है
आगे चलते चलते आम के बगीचे मे दोनो की नजर पडती है दोनो देखती है कि एक साॅड एक बूढ़ी गाय पर चढने की कोशिश कर रहा है यह देखकर दोनो विधवाओं की चुत मे चीटियां रेंगने लगती है ...तभी मीना एक बडा सा ईट का टुकडा उठाती है और उस सांड को मार कर भगाने लगती है
सुधिया- रहने दिजिए ना भाभी, क्यू मार रही है उसे हमे पाप लगेगा , करने दिजिए ना भाभी
मीना- अरी बन्नो पाप हमे क्यू लगेगा ? मै तो पाप होने से रोक रही हू
सुधिया - क्या मतलब भाभी
मीना- ये दीनू काका की गाय है और यह सांड इसी गाय का बेटा है और यह अपनी माॅ पर ही चढ रहा है
( यह सुनकर सुधिया को झटका लगता है और उसे कल्लू के मुरझाए लंड की तस्वीर दिखने लगती है और उसकी बूर फुलकर कुप्पा हो जाती है ......कुछ देर बाद वह अपना सिर ग्लानि के भाव से झटक देती है )
सुधिया - मन मे ( छी ये मै क्या सोच रही हू वह मेरा बेटा है एकलौता सहारा है मेरा )
मीना- अरी बन्नो कहा खो गई
सुधिया - कही नही भाभी, चलिए जल्दी
फिर दोनो औरते खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी साडी अपने कमर तक उठाकर शौक करने के लिए बैठ जाती है
मीना- बन्नो, तुझे बेचन बाबू की याद नही आती
सुधिया - आती है भाभी उनके बिना जीवन काटने को दौड़ता है ,,आपको भी ती भईया की याद आती होगी
मीना- आती तो है पर वक्त के साथ धुंधला हो गया सबकुछ और राजू की परवरिश मे मै अपने सुख चैन को भूल गई और राजू मेरा बहुत ख्याल रखता है
सुधिया - भाभी क्या आपको किसी मर्द की जरूरत महसूस नही हुई
मीना - होती है मेरी बन्नो लेकिन मै अपने आप को रोकती हू अपने पति की जगहसाई नही होने दे सकती .....और वैसे एक मर्द है जो मुझे घूरता रहता है बन्नो लेकिन मै असमंजस मे हू
सुधिया - कौन है भाभी वो इसी गाॅव का है
मीना - है तो इसी गाॅव का ...और सही वक्त पर मै तुझे बताऊंगी अभी तो मै भी नही पकड पाती हू उसकी नजरों को उसके मन की भावना को
दोनो घोड़ीया शौच कर चुकी थी
सुधिया- चलिए भाभी घर ।
आगे....
शौच करके दोनो अपने अपने घर चुकी थी ।
सूरज निकल आया था , और कल्लू भी जाग चुका था
सुधिया- उठ गया बेटवा, आज दोपहर मे कही बाहर ना जाना , हमलोगों को कही जाना है बेटवा
कल्लू- कहा जाना है अम्मा?
सुधिया- उ बगल के जंगल मे कोई बंगाली बाबा आए है , उन्ही का आशीर्वाद लेना है बेटवा , तेरी मीना मामी है ना ...उन्ही के साथ चलना है
कल्लू- राजू भईया भी चलेंगे क्या अम्मा
सुधिया- पता नही , जल जा शौच होकर आ मै नाश्ता बना देती हू आज काम जल्दी खत्म करना है खाना भी अभी बनाकर निपटा लेती हू ताकी जल्दी जाए और जल्दी लौट आए मौसम का कौनो भरोसा नाही है जंगल मा फस गये तो बहुत बुरा होगा ।
कल्लू- ठीक है अम्मा, मै अभी आता हू
( इतना कहकर कल्लू बाहर खेतों की तरफ चल देता है तभी उसे मीना का बेटा राजू दिखाई देता है, राजू भी हाथ मे लोटा लिए खेतों की तरफ जा रहा था )
कल्लू- राजू भईया , ओ राजू भइया रूको मै भी वही चल रहा हू
राजू- का रे छोटे , जल्दी उठ गया है
कल्लू- हा भईया, आप कुछ परेशान लग रहे हो
राजू- छोटे परेशान नही हू रे लेकिन बात ही कुछ ऐसी है
कल्लू - का बात है भईया हमे बताओ ।
राजू - बताने लायक तो ना है पर तू अपनी माई की कसम खा जो मै बताने जा रहा हू वह तू किसी से नही कहेगा
कल्लू- माई कसम भईया मै किसी से ना कहूंगा, आखिर बात क्या है भईया
राजू- देख छोटे जो मै बता रहा हू उसमे मेरी कोई गलती ना है शायद मेरी जगह तू होता तो तू भी वही करता जो मैने किया है
(कल्लू और राजू खेत मे थोडी थोडी दूरी पर अपनी अपनी धोती खोलकर बैठ जाते है )
कल्लू- ऐसा क्या कर दिया है भईया आपने
राजू- बात ये है छोटे मै रोज सोता हू छत पर बिस्तर लगाकर , आज जब मै उठा और जैसै ही अंगडाई ली मैने मेरी नजर रोशनदान पर पडी , और मेरे घर का रोशनदान बिल्कुल आंगन पर बना है
कल्लू- तो क्या बात हुई भईया जल्दी बताओ
राजू- छोटे , जल्दी मे ही गडबड होता है मैने जैसे ही रोशनदान से नीचे देखा मेरे होश उड गये मुझसे वो हो गया छोटे जो ना होना चाहिए था
कल्लू- भईया ऐसा का हो गया , बोलो ना
राजू - छोटे मैने देखा, मेरी माई पूरी नंगी होकर नहा रही है बडी बडी चूचियाॅ उभरा हुआ पेट और बाहर निकली हुई गांड देखकर मै ये भूल गया की ये पाप है माई को ऐसे नही देखना चाहिए
कल्लू- छी भईया, ये का किया आपने, मीना मामी को ऐसे हालत मे देख लिए आप वो आपकी अम्मा है
राजू- अबे साले बात पूरी सुन, माई को ऐसे देखकर मुझसे राहा नही गया और मै वही अपना लंड निकालकर हिलाने लगा और खूदको शांत किया, तभी से अपराधी जैसी भावना आ रही है , माई के सामने जाने पर उका नंगा शरीर ऑखों के सामने आता है
कल्लू- पाप तो हो गया भईया, लेकिन भूल जाइए आपकी क्या गलती है
राजू- गलती ना है छोटे लेकिन हमरा मन माई को देखकर वही सोचने लगता है
कल्लू- सब ठीक हो जाएगा भईया, चलिए घर अब अम्मा इंतजार कर रही होगी। आज दोपहर को आप भी चल रहे हो ?
राजू- कहा चलना है ?
कल्लू- मामी ने बताया नही आपको वो किसी बंगाली बाबा के पास ले जा रही है मुझे और अम्मा को
राजू- मुझे नही पता छोटे , ठीक है तूम लोग जाओ शाम को चौपाल पर मिलते है
( दोनो दोस्त अपने अपने घर को चले जाते है और धीरे धीरे दोपहर होने लगती है सुधिया और कल्लू तैयार होकर मीना का इंतजार करते है )
मीना- बन्नो, अरी ओ बन्नो, तैयार है कि नाही ?
सुधिया - हम लोग तो कबसे आपही का इंतजार कर रहे है भाभी
मीना - चल चल जल्दी चल
( बंगाली बाबा सुधिया पर आए दुखो के निवारण का रास्ता बताएंगे, तीनो इसी उम्मीद से घने जंगल मे चले जा रहे थे )
सुधिया- और कितनी दूर चलना पडेगा भाभी? मै तो थक गयी हू
मीना- बस बन्नो कुछ दूर और है
सुधिया - थोडी देर ठहरो भाभी
मीना- हा बन्नो थोडा आराम कर लेते है
(तीनो एक बडे पेड के नीचे सुस्ताने लगे)
कुछ देर बाद..
सुधिया- भाभी मुझे पेशाब लगी
(यह सुनकर कल्लू के शरीर मे अजीब सी भावना का संचार हुआ)
मीना- यो इसमे पूछने वाली कौन सी बात है इतना बडा जंगल है बैठ जा बन्नौ बूर फैलाकर
सुधिया- भाभी चुप रहो, कल्लू के सामने तो मजाक ना करो
मीना- लो कर लो बात, अब बूर को बूर ना कहूँ तो का कहूँ, क्यू कल्लू बेटा
कल्लू- (कुछ समझ नही पा रहा था क्या कहे , बस वह इतना ही कह पाया ) जी मामी
सुधिया- जी मामी के बच्चे (आज सुबह ही उसने कल्लू का मोटा लंड देखा था जो बेचन के लंठ का दोगुना था , सुधिया से रहा नही गया वो थोडी दूर जाकर कल्लू के सामने ही अपनी साडी उठाकर बैठ गई और मूतने लगी )
जैसे ही कल्लू ने अपनी माॅ की मांसल गुदाज़ गांड देखी जो की काफी भरावदार गोरी चिकनी थी जिसे देखकर बुजुर्गों का लंड भी जाग जाए , वो न चाहते हुए भी एकटक अपनी मस्तानी माॅ सुधिया की गांड को घूरने लगा
यह पहला अवसर था जब वह किसी औरत की गांड को देख रहा था
मीना-(धीरे से )अच्छी है ना बेटा