अपडेट........ 29
झोपड़े के अंदर आते ही.... ठाकुर ने मंदा को खाट पर पटक दिया... ll
मंदा किसी खिलोने की तरह.... खाट पर पड़ी रही ll
**मंदा तो कब से इस दिन के इंतजार मे थी की कोई भी उसे जम कर चोदे..... ll
ठाकुर झट से मंदा के ऊपर आ जाता हैँ... और उसके होठो मे अपना होंठ भिड़ा कर.... मंदा की चूचियों को दबाने लगता हैँ.... ll
**मंदा के बदन की कामाग्नि भड़क चुकी थी... वो पूरी तरह से हवस मे अंधी हो गई थी.... उसने अपनी बाहें ठाकुर के गले मे डालते हुए.... ठाकुर के चुम्बन का जवाब देने लगी.... और वो भी ठाकुर के मुँह मे अपना पूरा मुँह घुसा कर... मज़े लेने लगी ll
**ठाकुर और मंदा बेतहाशा एक दूसरे मे लिपट कर आनंद मे खोये हुए थे... ठाकुर मंदा की चूचियाँ दबा
.. दबा कर.... मस्त हुए जा रहा था ll
ठाकुर ने मंदा के कपड़ो को उससे लिपटे हुए अलग कर देता हैँ.... मंदा की चूचियाँ... उतनी बड़ी तो नही थी.... लेकिन ठाकुर के हाथो मे उसकी चूचियों का कठोर पन... ठाकुर को मस्त कर देता... और ठाकुर उसकी चूचियों को दबाते दबाते.... अपना मुँह मंदा की चूचियों पर लगा देता हैँ ll
मंदा - आ...... आ..... ह... ठाकुर.... साहब.... आ... ज... मेरी प्या..... स, बुझा दो... आह.... आह ll
ठाकुर मंदा की चूचियों को अपने मुँह मे जितना भर सकता था..... उतना भर कर..... मुँह से ही दबा देता था...ll
मंदा तो तो मस्ती मे खाट पर ही मचलने लगतीहै.... ll
ठाकुर.... मंदा की चूचियों से करीब 10 minut तक खेला... उसके बाद उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर.. चंपा के बुर को सहलाने लगा ll
मंदा - आह.... आह..... बहुत... प्यासी हैँ..... वो... ठाकुर... साहब.... ll
ठाकुर ने मंदा की बुर थोड़ी देर तक सहलाया... मंदा की बुर गीली हो चुकी थी.....और ठाकुर के हाथ के पंजो को भीगा चुकी थी... ठाकुर ने मंदा के बुर मे अपनी दो उंगलियों को मंदा के बुर मे पूरा का पूरा घुसा दिया.....
मंदा - आ..... aa.... आ..... ह... ठाकुर साहब... बहुत मज़ा.... आ.... ह.... रहा... हैँ... ll
ठाकुर ने अपनी उंगलियों की रफ़तार काफ़ी तेज कर दी.... चंपा के बुर से पानी की छप्प - छप्प की आवाज करती.... चंपा को इतना मज़ा आ रहा था की... वो अपनी गांड उठा -उठा कर.... ठाकुर की उंगलियों को अपने बुर मे अंदर तक लेती ll
मंदा - आ.... ह.... माँ..... ठाकुर....... साहब... अब.. आह..... डाल... दो अपना.... मुसल.... आह.. नही रहा.... जाता.... ऊ ऊ ऊ..... इ इ l
ठाकुर का भी लंड.... सर उठाये खड़ा था... ठाकुर ने झट से अपने कपड़े उतार कर... अपना लंड हाथ मे पकडे हुए... मंदा के बुर के सिरहाने लगा कर... जोर का झटका मारा... ll
ठाकुर का लंड एक झटके मे मंदा के बुर के गहराइयों मे चला गया....... ll
मंदा - आ...... आ....... ह.... ठाकुर..... रुको... मत.... aaaaaaaaiiiiiieeeee..... चोदते.... रहो... हा..... और जोर... से.... आह.... बहुत... मज़ा आ रहा हैँ..... आह... ll
ठाकुर.... अपने गांड तक का जोर लगा कर... मंदा को चोद रहा था.... वो समझ चूका था की मंदा... पूरी की पूरी खेली खाई.... हुई औरत हैँ.... तभी तो वो ठाकुर के हर झटको को आराम से सह लेती... और चिल्ला चिल्ला कर... और चोदने को बोलती ll
***मंदा की मस्त कर देने वाली चीख... झोपड़े के बाहर तक जाती.... बाहर खड़ी औरतें एक दूसरे का मुँह देख कर मुस्कुरा देती ll
ठाकुर.... झटके पे झटके मरता रहा..... मंदा ने अपनी टांगे ठाकुर के कमर पर लिपटा लिया... और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर झटके मारने लगी.....ll
ठाकुर - आह..... मंदा..... गया मैं..... गया... आह ll
ठाकुर ने जोर का 3, 4 झटका मरा और अपना पूरा पानी मंदा की बुर मे भर दिया..... दोनों पसीने पसीने हो गए थे.... और हांफ रहे थे ll
ठाकुर और मंदा दोनों कुछ समय तक एक दूसरे से चिपके रहे..... !!
ठाकुर कुछ देर बाद झोपड़े मे से बाहर निकलता हैँ ll और चामुंडा के ध्यान से निकलने का इंतेज़ार करने लगा ll
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सम्पूरा.... काला के कबीले मे बैठा था.... यद्यपि काला ने जुम्मन के कबीले पर जीत हांसिल कर ली थी... लेकिन सम्पूरा अपना सब कुछ खो चूका था ll
काला सम्पूरा के बारे मे जनता था... सम्पूरा एक बहुत ही बलशाली सरदार था.... क्यूकी काला सम्पूरा के कबीले पर पहले भी हमला कर चूका था ll लेकिन सम्पूरा के हाथो काला को शिकश्त ही मिली थी..... लेकिन सम्पूरा ने काला के साथ एक सरदार जैसा ही व्यवहार ही किया था..... जुम्मन ने तो सम्पूरा को धोखे से बंदी बना लिया था ll
काला - सम्पूरा.... वो औरत उस काबिल नही हैँ.. जिसकी यादों मे तुम आंसू बहा रहे हो.... भूल जाओ उसे !!
सम्पूरा... अपने आंख से आंसू पोछते हुए बोला -
सम्पूरा - नही काला... उसे यूँ तो नही भूल सकता, उसका हश्र तो मैं ऐसा करूँगा की.... कभी भी कोई भी औरत किसी भी मर्द को धोखा देने से पहले... अपने हश्र के बारे मे सोचेगी !!
काला - तुम चिंता मत करो सम्पूरा... जुम्मन की मौत निश्चित हैँ.... लेकिन अभी हमें सिर्फ संकिरा के बारे मे सोचना होगा.... पूर्णमासी की रात नज़दीक आ रही हैँ.... अब वो समय भी आ गया हैँ.... जब संकिरा को हांसिल करने वाले लोग... संकिरा की रानी की खोज मे निकलेंगे..., और सबसे पहले तो 'चामुंडा ही पहल करेगा !!
सम्पूरा - सच कहां काला.... ये चामुंडा बर्षो से संकिरा के पीछे पड़ा हैँ.... ll
काला - वक़्त बहुत कम ही बचा हैँ.... हमें आज रात ही जंगलों के चारो दिशाओ मे फ़ैल जाना होगा, ताकि हम पूर्णमासी की रात फैली हुई खुसबू के सहारे, उस स्त्री तक पहुँच सके !!
सम्पूरा - तुमने ठीक कहां काला.... मैं तो उस खूबसूरत स्त्री को देखने के लिए मरा जा रहा हूं !!
काला - लेकिन सबसे पहले तो हमें... उसका विवाह होने से रोकना होगा.... नही तो हम संकिरा को हांसिल नही कर पाएंगे !!
सम्पूरा - हम संकिरा का अमृत जल भी हांसिल करेंगे और संकिरा की रानी को भी.... ll
काला - इतना आसान नही होगा सम्पूरा.... क्या पता कौन सी दिशा मे वो स्त्री होंगी... और पता नही हम वक़्त पर पहुंचेंगे भी या नही !!
काला की बात सुनकर.... सम्पूरा जोर -जोर से ठहाके मार कर हँसने लगा... ll
सम्पूरा को इस तरह हँसता देख काला... हैरान रह जाता हैँ ll
काला - क्या हुआ सम्पूरा... तुम हंस क्यूँ रहे हो ??
सम्पूरा ने काला की तरफ़ देखते हुए... मुस्कुराते हुए बोला --
सम्पूरा - यद्यपि... हमें नही पता की वो औरत कौन सी दिशा मे होंगी... लेकिन इस बात की खबर "चामुंडा को ज़रूर होंगी ll
काला, सम्पूरा की बात सुनकर.... आश्चर्य से बोला -
काला - लेकीन चामुंडा का अता -पता हमें तो मालूम नही हैँ.... ll
सम्पूरा - ठीक कहां तुमने काला.... चामुंडा का पता सिर्फ एक शख्स को पता हैँ... ll
""सम्पूरा की बात सुनते ही... काला खाट पर से उठ खड़ा हो जाता हैँ... और अपनी आँखे बड़ी करते हुए बोला -
काला - किसे..... ??
सम्पूरा - जुम्मन को...... !!
काला - जुम्म..... न...... को !!
सम्पूरा - हा जुम्मन को... ll
काला - लेकिन... जुम्मन तो.... ll
काला इससे आगे कुछ बोलता.... उससे पहले ही सम्पूरा ने बीच मे बोला !!
सम्पूरा - यही ना की जुम्मन तो.... मेरी पत्नी को लेकर निकल गया हैँ.... और ना जाने कहां हैँ??
काला को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था... की आखिर ये सम्पूरा कैसा बात कर रहा हैँ..... ll
काला - हं..... हां !!
सम्पूरा एक बार फिर जोर -जोर से हँसने लगता हैँ... काला के कबीले के सभी सेना दल... सम्पूरा को अस्चर्य की निगाहो से देखते रहते हैँ, काला को भी कुछ समझ मे नही आ रहा था ll
सम्पूरा - तुम्हे क्या लगा काला....सम्पूरा को बंदी बनाना इतना आसान हैँ....!!
काला हड़बड़ाते हुए बोला -
काला - मतलब...... ?
सम्पूरा - मतलब ये की.... चामुंडा ये जनता था की, संकिरा के अमृत जल को हांसिल करने वाला.. और संकिरा तक पहुंचने वाला ओ रेखाचित्र का पहला पन्ना जुम्मन के पास हैँ.... और इसी लिए चामुंडा ने जुम्मन से तालमेल किया हैँ.... चामुंडा ने कहां था की वो उस स्त्री का किसी भी कीमत पर पूर्णमासी की रात तक पता लगा लेगा..... ll
काला की निगाहेँ हैरत से चौड़ी थी... उसने कहां -
काला - लेकिन.... इसमें हमारा क्या फायदा, जुम्मन तो तुम्हारी पत्नी को लेकर ना जाने कहां गुमनाम हैँ ll
सम्पूरा, काला की बात सुनकर जोर से हंसा... और बोला =
सम्पूरा - वो मेरी पत्नी को लेकर भगा नही हैँ... बल्कि वो शाजिस का शिकार हुआ हैँ !!
***काला का दिमाग़ चकरा कर रह गया.... उसकी जहन मे कई सवाल उठने लगे !!
काला - शाजिस का शिकार .. .. ??
सम्पूरा - हा काला.... शाजिस का शिकार हुआ हैँ जुम्मन.... और वो भी मेरी !!
'इतना कहकर सम्पूरा फिर से हँसने लगता हैँ.... ll
काला और उसके सेना दल की तो आँखे फटी की फ़टी रह गई.... ll
काला -- मतलब.....? ?
सम्पूरा - हां.... काला, जुम्मन सोच रहा होगा की.. उसने मुझे शिकस्त दी हैँ और मेरी पत्नी को भी अपनी रखैल बना लिया हैँ..... लेकिन नही !! ये सब मेरी चाल थी.... मैंने ही अपने आप को जानबूझ कर कमजोर किया और बंदी बन गया.... क्यूकी मुझे जुम्मन के पास से वो रेखाचित्र हांसिल करना था ll
काला तो भौचक्का रह गया.... उसे यकीन नही हो रहा था की.... ये सम्पूरा की चाल हैँ !!
काला - लेकिन जुम्मन तो निकल गया.... अब वो रेखाचित्र कैसे हांसिल करोगे? ?
सम्पूरा - वो अकेला नही भगा हैँ काला... उसके साथ मेरी पत्नी भी तो हैँ ll
..... काला के पैरों तले ज़मीन खिसक गई ये सुनकर !!
काला - इसका मतलब.... मरियम.....
सम्पूरा - हां..... मेरी पत्नी ही लाएगी उस रेखाचित्र को.... जुम्मन को लगता होगा की वो मेरी पत्नी को हांसिल कर चूका हैँ.... लेकिन.... ll
***इतना कहकर सम्पूरा एक बार फिर हंसा !!
काला - लेकिन..... मरियम को कैसे पता की वो रेखा चित्र कहां छुपा कर रखा हैँ जुम्मन ने ??
सम्पूरा - इसमें पता होने वाली क्या बात हैँ.... जब मैंने जुम्मन के कबीले के सेनापति को मौत के घाट उतरा था... तो उसने मुझे डर के मारे उस रेखाचित्र के बारे मे बता दिया था ll
.....काला को पसीने आने लगे.... वो हैरत से बस सम्पूरा को देखे जा रहा था..... उसने अपने माथे के पसीने को पोछते हुए बोला -
काला - ल..... लेकिन, जुम्मन के सेनापति को तो मेरे सेनापति ने मरा था.... जिसकी वजह से जुम्मन ने मेरे सेनापति को धोखे से मार दिया था ll
सम्पूरा... काला की तरफ़ पलटा और उसकी तरफ़ धीरे -धीरे कदम बढ़ाते हुए बोला -
सम्पूरा - नही..... काला, तुम्हारे सेनापति को जुम्मन ने नही मैंने मरा था.... ll
ये सुनते ही काला का माथा गुस्से से फटने लगा... उसने दहाड़ते हुए बोला -
काला - धोखा..... तूने धोखा किया मेरे साथ सम्पूरा... क्यूँ किया तूने ऐसा ll
और ये बोलते हुए काला ने सम्पूरा के गले पर खंज़र लगा दिया !!
अपने गले पर खंज़र लगा देख.... सम्पूरा हंसा और फिर बोला -
सम्पूरा - क्यूँ..... संकिरा का आखिरी रेखाचित्र तो तुम्हारे पास ही हैँ ना ll
....सम्पूरा की बात सुनकर काला गुस्से मे आगबबूला हो गया... ll
काला - धोखेबाज़..... तुझे संकिरा का रेखाचित्र नही बल्की.... मौत मिलेगी.... मौत ll
...... और इतना बोलकर जैसे ही सम्पूरा ने अपना खंज़र सम्पूरा के गले मे घुसाना चाहा.... उसे किसी ने पीछे से उसके पीठ पर खंज़र घुसा दिया !!
काला..... जोर से चिल्लाया, किसी को कुछ समझ मे नही आया की आखिर क्या हुआ..... काला की चींख सुनकर काला की पत्नी.... हुमेरा उसकी तरफ़ तड़पाती हुई दौड़ी.... लेकिन कुछ दूर पहुँच कर ही हुमेरा के पाँव रुक जाते हैँ.... क्यूकी काला के पीठ मे खंज़र घुसाने वाला वो शख्स काला के पीछे से होते हुए आगे आया..... l
...... सब की आँखे फटी की फटी रह गई.... क्यूंकि काला के पीठ मे खंज़र घुसाने वाला कोई और नही... बल्की उसका ख़ुद का बेटा सुमेर था ll
अपने बेटे के हाथो मे ख़ून से सना खंज़र देख कर... काला की दिल की धड़कन तेज हो गई...... हुमेरा को भी यकीन नही हुआ.... वो रोते हुए.... सुमेर के पास पहुँच कर उसे जोर जोर से थप्पड़ मरने लगी ll
हुमेरा - नीच...... पापी..... अपने पिता को ही मार दिया.... क्यूँ किया आखिर तूने ऐसा ??
सुमेर ने अपनी माँ को देखते हुए मुस्कुराया और फिर से एकबार खंज़र अपने बाप के सीने मे घोंप देता हैँ !!
...... ये देख कर हुमेरा की आँखे फटी रह जाती हैँ... और जैसे ही काला ज़मीन पर गिरने वाला था... हुमेरा ने काला को अपनी बांहो मे थाम लिया !!