majedaar update hai bhaijiअपडेट ----24
रितेश अपनी माँ को अपने सीने से लगाए रखा ll उसकी आँखों में ख़ून में अँगारे दहक रहे थे.... ऐसा लग रहा था की..... वो अभी जाकर ठाकुर के सीने में खंज़र आर पार कर के उसे..... मौत के घाट उतार देगा ll
लेकिन तभी............ ll
सुधा -- समय बेहद करीब आ गया हैँ कजरी..... परसो पूर्णमासी की रात हैँ...... और उस रात, तुझे रितेश से शादी करके.... संकिरा के अमृत जल को उन हैवानों से होगा ll
सुधा की बात सुनकर.... कजरी अपनी आँख के आंसुओ को पोछते हुए बोली ll
कजरी -- मैं करुँगी दीदी.... शादी ll और उस हैवान को
भी... मौत घाट उतरूंगी, जिसने मेरी मांग की सिंदूर उजाड़ दी......
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रात होने को हो रही थी.... रेणुका अपने कमरे में बैठी थी ll वो अपने बेटे का इंतेज़ार कर रही थी..... वो इधर - उधर छटपटा रही थी..... और कुछ मन में budbuda रही थी ll
रेणुका -- रात होने वाली हैँ..... और ये राजीव ना jane कहाँ मर गया हैँ... और उधर चामुंडा बाबा मेरा इंतेज़ार कर रहे होंगे ll
उसकी घबराहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी... वो अपने कमरे में से बाहर निकल जाती हैँ... और निचे चली आती हैँ ll
दो घंटे बीत गए...... लेकिन अभी भी, राजीव का कुछ खबर नहीं रहा..... की आखिर वो हैँ किधर !! कुछ देर बाद..... ठाकुर सीढ़ियों से निचे उतर रहा था की रेणुका की नज़र ठाकुर पर पड़ी ll
रेणुका झाट से ठाकुर को देखते ही..... छुप जाती हैँ... ll
रेणुका -- ये इतनी रात को कहाँ जा रहे हैँ??
ठाकुर हवेली से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी में बैठ कर.... चल देता हैँ ll
रेणुका भी झट से..... अपनी गाड़ी में बैठ कर, ठाकुर का पीछा करने लगती हैँ.... रेणुका पूरी सूझ -बुझ से गाड़ी चला रही थी.... वो अपनी गाड़ी ठाकुर की गाड़ी से कुछ दुरी पर ही चलाती.... ताकि ठाकुर को कोई शक ना हो ll
ठाकुर की गाड़ी जैसे ही सडक से, जंगल की तरफ घूमती हैँ... ll
रेणुका -- ये क्या.... l ठाकुर तो चामुंडा के मठ की तरफ जा रहा हैँ...
रेणुका ने भी गाड़ी उसी दिशा में मोड़ दी... lll
**जल्द ही ठाकुर... चामुंडा के मठ पर पहुँच जाता हैँ ll
रेणुका ने अपनी...... गाड़ी दूर ही खड़ी की और, धीरे -धीरे चामुंडा ke मठ की तरफ बढ़ी ll वो एक झड़ी के पीछे चुप जाती हैँ... जँहा से वो ठाकुर को साफ सुन सकती थी और साफ -साफ देख भी सकती थी ll
चामुंडा -- आओ ठाकुर, आओ ll आखिर चामुंडा की याद आप को आ ही गई... ll
ठाकुर -- चामुंडा...... सबसे पहेली बात, जिसके पीछे तू पड़ा हैँ.... उसकी सबसे बड़ी बात मुझे पता हैँ... मैं तुझे बता देता, लेकिन मुझे तेरी नियत me खोट लगी ll तू अकेला ही उस अमृत जल को पाना चाहता था ll इसलिए वो बात मैं तुझे नहीं बताई ll
चामुंडा -- अरे ठाकुर...... संकिरा के बारे में जितनी खबर मुझे पता हैँ... उतनी किसी को भी नहीं पता l और तुम कहते हो की.... संकिरा का सबसे बड़ा रहस्य तुम जानते हो ll
ये कहकर चामुंडा हंसने लगता हैँ...... ll
ठाकुर -- हस मत चामुंडा, मना तुझे संकिरा के बारे में सब पता हैँ.... हैँ ll लेकिन संकिरा की रानी..... uske बारे में तो मैं जनता हूं ना ll
..... ये सुनकर चामुंडा.... की आँखे फटी की फटी रह जाती हैँ....... मानो उसके आँख अभी बाहर निकल आएंगे, ll
चामुंडा -- क..... क्या??
ठाकुर अपने कदम चामुंडा की तरफ बढ़ता हैँ..... और उसके नजदीक आकर बोला --
ठाकुर -- हा चामुंडा..... मैं उस औरत के बारे में जनता हूं, की वो कौन हैँ.... और इस समय कहाँ हैँ..... लेकिन ये बात मैं तुझे बताऊंगा नहीं, क्यूकी मैं जनता हूं... तू ये बात जानते ही अपना रंग बदल देगा ll
चामुंडा -- नहीं ठाकुर..... अब ऐसा नहीं होगा, अब से हम और तुम दोनों संकिरा के हकदार हुए.... ये चामुंडा अपनी जुबान देता हैँ की, मैं तुम्हारे साथ कोई छल नहीं करूँगा ll
***रेणुका झाड़ियों के पीछे से सारी बात सुन रही थी.... वो हैरत में पड़ गई की, अब ये संकिरा की रानी कौन हैँ और उसका उससे क्या चक्कर हैँ??
ठाकुर -- तो चामुंडा, अब मैं तुम्हे उस औरत से... पूर्णमासी की रात ही भेंट कराऊंगा.... ll
चामुंडा अपने बाल झटकते हुए...... ठाकुर की तरफ बढ़ा...... और बोला --
चामुंडा -- हमें किसी भी हाल में .... उसका विवाह उसके बेटे से रोकना होगा... ठाकुर ll नहीं तो समझो सब ख़त्म..
ठाकुर -- ऐसा कुछ नहीं होगा चामुंडा..... क्यूकी वो औरत एक पवित्र औरत हैँ.... और अपने बेटे से विवाह करने के बारे में तो वो, सपने में भी नहीं सोच सकती ll
चामुंडा -- नहीं ठाकुर.... अगर संकिरा हैँ, और संकिरा की रानी भी इस धरती पर हैँ तो..... उसका अपने बेटे से विवाह भी संभव हैँ ll
ठाकुर एक पल के लिए सोच में पड़ जाता हैँ..... ll उसने सोचा की बात तो चामुंडा की भी ठीक हैँ....
ठाकुर -- ठीक हैँ चामुंडा, मेरे लठेर उन लोगो पर नज़र रखेंगे...... ll
ये कहकर जैसे ही ठाकुर जाने के लिए मुड़ा..... चामुंडा ने कहाँ -
चामुंडा -- एक बात और ठाकुर....
ये सुनते ही ठाकुर.... चामुंडा की तरफ मुड़ा एयर बोला --
ठाकुर -- कैसी बात.... चामुंडा ??
चामुंडा -- अपनी पत्नी से बच कर रहना.... कल वो मेरे पास आई थी...... वो भी संकिरा के अमृत जल के पीछे पागल हैँ..... उसने तुम्हारे बड़े बेटे को तो मौत के घाट.... उतर ही दिया हैँ, और अब दूसरे बेटे की बली देने आज यही आ रही हैँ..... ll
...... ये सुनकर ठाकुर की तो जैसे.... शरीर के सारे पुर्जे सन्न हो गए.... वो अचंभित रह गया ll
ठाकुर -- वो कुतिया पर मुझे..... पहले ही शक था, मैंने गलती की उसे sankira के बारे में बता कर..... आने दो उस हराम की ज़नी को..... आज उसके चमचे बेटे के साथ उसका भी बली यही चढ़ाऊंगा..... ll ये कहते हुए ठाकुर वही मिट्टी के बने पेड़ के ओटले पर बैठ जाता हैँ......
रेणुका की.... तो हालत खराब हो गई.... उसका गला सूखने लगा, वो समझ गई की अब चामुंडा ठाकुर से गाँठ बाँध चूका हैँ...... और अब मेरी जान लिए बिना ठाकुर मानेगा नहीं...... यही सब सोचते हुए वो धीरे से झाड़ के पीछे से निकल कर अपनी गाड़ी तक आ जाती हैँ...... ll
रेणुका गाड़ी में बैठ कर गाड़ी काफ़ी तेजी से चलाती हैँ....... और जल्द ही हवेली, पहुँच जाती हैँ ll वो बहुत घबराई हुई थी.... उसने गाड़ी से निकल कर सीधा अपने कमरे में गई.... अब तक राजीव भी आ गया था ll
राजीव ने अपनी माँ को देखा..... वो बहुत घबराई हुई सी थी..... वो भी अपने माँ के पीछे -पीछे उसके कमरे में गया तो देखा की..... रेणुका अपने कपड़े एक बैग में भर रही थी ll
राजीव -- क्या हुआ माँ तुम इतना घबराई हुई क्यूँ हैँ ?? और ये कपड़े.....
रेणुका के गले se आवाज़ नही निकल रहा था... उसने कांपते हुए लफ्ज़ो में बोला --
रेणुका -- बेटा..... अब ते जगह हमारे लिए... खतरे से खाली नही हैँ..... समय बहुत कम हैँ... चल तू भी अपने कपड़े..... जल्दी से डाल और निकलते हैँ यहाँ से ll
रेणुका की घबराहट और हड़बड़ी देख कर... राजीव भी परेशान हो गया ll
राजीव -- क्यूँ क्या हुआ माँ ?? ?
रेणुका -- तेरे बाप को हमारे बारे में सब... पता चल गया हैँ...... और वो हमें जान से मरने के लिए..... प्यासा हैँ ll समय बहुत कम हैँ बेटा चल जल्फी यहाँ से निकलते हैँ ll
इतना सुनते ही राजीव भी अपने कपड़े.... बैग में डालने लगता हैँ..... ll
****** इधर ठाकुर... चामुंडा के साथ बैठा था ll ठाकुर गुस्से में जाला रहा था.. वो बस रेणुका का इंतजार कर रहा था...
चामुंडा ने ठाकुर की तरफ देखा.... और बोला ll
चामुंडा -- मंदा.... ठाकुर साहब बहुत क्रोधित लग रहे हैँ ll जरा इनको हमारी शराब तो पिलाओ....
ये सुनते ही मंदा... झोपड़े के अंदर चली जाती हैँ ll
कुछ देर बाद मंदा... झोपड़े के अंदर से बाहर आती हैँ.... ठाकुर ने देखा की मंदा के हाथ में एक मिट्टी की हांडी थी.... ll
मंदा बलखाते हुए चल रही थी..... उसकी मोटी गांड... को देखकर ठाकुर के मुँह में पानी आ गया.... और उसका लंड सलामी मरने लगा.... ll
ठाकुर -- मिट्टी की हांडी मंदा से ले लेता हैँ.... और जैसे ही मंदा पलट कर वापस जाती हैँ.... एक बार फिर ठाकुर की नज़र मंदा के मस्त गांड पर ठीक जाती हैँ ll
ठाकुर की नज़र को चामुंडा पहचान गया.....
चामुंडा -- बड़े उतावले हो रहे हो ठाकुर साहब.... ll
ठाकुर ने मिट्टी की हांडी में... भरा हुआ शराब एक बार में ही गटक जाता हैँ..... उस शराब का स्वाद कुछ अजीब ज़रूर था लेकिन.... कुछ समय बाद ही... उस शराब ने ठाकुर के ऊपर जो नशा चढ़ाया.... की ठाकुर तो मस्त हो गया...... ll
ठाकुर -- क्या बात हैँ चामुंडा.... ऐसी शराब तो मैंने आज टक नहीं पी..... ll
ठाकुर की बात सुनकर... चामुंडा थोड़ा मुस्कुराया और फिर बोला --
चामुंडा -- चामुंडा के दर पर.... सिर्फ मज़े ही मज़े हैँ.. ठाकुर साहब !!
ठाकुर मिट्टी की हांडी.... निचे रखते हुए बोला --
ठाकुर - अगर ऐसी बात हैँ तो.... ये जो तुम्हारी दासी हैँ... ये मुझे पसंद आ गई हैँ..... ll
ठाकुर और कुछ बोलता इससे पहले ही चामुंडा ने.... मंदा को कुछ इशारा किया..... ll
मंदा चामुंडा का ishara पाते ही थोड़ा मुस्कुराई.... और फिर ठाकुर की तरफ अपने कदम बढ़ा देती हैँ ll
....... मंदा ठाकुर के नज़दीक आकर... रुक जाती हैँ ll ठाकुर की आँखे शराब के नशे में थोड़ी बंद ज़रूर थी लेकिन वो मंदा को अपनी आँखे फाड़ कर देख रहा था ll..
....... मंदा ने ठाकुर को देखते हुए थोड़ा मुस्कुराया.. और फिर अपने कपड़े उतरने लगी..... ll
मंदा को कपड़े उतरता देख.... ठाकुर अपनी आँखे और चौंडी कर लेता हैँ... ll
अगले पल ही मंदा...... एकदम नंगी ठाकुर ke सामने खड़ी थी..... मंदा की पहाड़ जैसी चूचियाँ लटक रही थी..... जिसे देखकर ठाकुर के लंड ने kohraam मचा दिया..... मंदा ने ठाकुर के हाथ को अपने हाथ में लिया...तो ठाकुर खड़ा हो जाता हैँ ll
मंदा ठाकुर का हाथ पकडे..... झोपड़े की और चल देती हैँ.... ठाकुर भी मंदा के पीछे - पीछे चल देता हैँ ll
झोपड़े के अंदर आते ही..... ठाकुर ने बिना देरी किये मंदा को अपनी बाहो में भर लेता हैँ..... ll
और मंदा के होंठ को अपने होठो में ले कर चूसने लगता हैँ..... मंदा खड़े खड़े ही.... ठाकुर की बाहो में मचलने लगती हैँ..... बो अपनी गांड घूमने लगती हैँ l
तभी ठाकुर ने..... जोर का थप्पड़ मंदा के गांड पर जद दिया.... और मंदा की गांड को अपनी दोनों हथेलिओ में दबोच कर जोर जोर से दबाने लगता हैँ ll
तभी वहां..... चामुंडा भी आ जाता हैँ.....मंदा को ठाकुर की बाहो में देख.... चामुंडा भी मंदा को पीछे से अपनी बाहो में भर लेता हैँ...... और उसके गले पर चुम्बन की झड़ी लगा देता हैँ...
मंदा.... ठाकुर और चामुंडा के बिच में ख़डी थी और ठाकुर और चामुंडा.... उसे बेतहाशा उसके बदन को चूमे कहते जा रहे थे.... ll
चामुंडा ने पीछे से अपना बढ़ाते हुए.... मंदा की चूचियों पर अपनी हथेली कस देता हैँ..... चामुंडा का पत्थर जैसा हाथ पड़ते ही.... मंदा दर्द से छटपटाने लगती हैँ.....
लेकिन चामुंडा ने बेरहमी से और तेज मंदा की चूचियाँ.... दबाने लगता हैँ... ll मंदा की चीख निकलती... उससे पहले ही ठाकुर ने अपने होठो की पकड़..... मंदा के होठो पर मजबूत कर देता हैँ.. ll
मंदा उन दोनों के बिच छटपटा कर रहा जाती हैँ ll
ठाकुर ने अपना होंठ जैसे ही मंदा के होंठ से अलग कीया..... मंदा के मुँह से एक जोर की चीख निकली ll
मंदा -- अ...... आ....... बा...... बा, ेईईईई......धीरे.... द...... बा..... ओ ll
मंदा की चीख..... ठाकुर के जोश को और बढ़ा देती हैँ.... ठाकुर ने झाट से अपने कपड़े उतार दिए ll
और नंगा अपने हाथ में लंड लिए खड़ा हो गया.... चामुंडा ने.... मंदा का बाल पकड़ कर उसे.... ठाकुर के पैरों के पास बिठा दिया... तब टक ठाकुर... ने मंदा का बाल पकड़ कर..... मंदा के मुँह में अपना लंड... एक झटके में..... ठूंस देता हैँ...... ll
मंदा अपने.... हाथ से ठाकुर को पीछे धकेलने की कोशिस करने लगी...... तभी.... चामुंडा ने... मंदा का हाथ उसके ही कपड़े से बाँध देता हैँ ll
ठाकुर..... ने एक जोर के झटके से apna लंड.... मंदा ke गले तक उतर दिया......!!
और उसके साथ ही..... ठाकुर के phone की घंटी भी बाजी.... ll
ठाकुर मंदा के गले तक लंड घुसाए..... अपने फोन को निकलते हुए.... ll
ठाकुर -- कौन.....??
मालिक..... मैं रामु बोल रहा हूं ll
ठाकुर -- अरे साले.... तुझे ये समय ही मिला था फ़ोन करने के liye.... चल रख बाद में करना... ll
रामु -- अरे मालिक...... मालकिन छोटे मालिक के साथ बैग लेकर ना जाने कहाँ जा रही हैँ.... और बो बहुत घबराई हुई भी लग रही थी ll
रामु की बात सुनकर.... ठाकुर की आंखे चढ़ गई... वो झट से मंदा के गले में से.... अपना लंड निकलते हुए.... गुस्से में बोला ll
ठाकुर -- तो मुँह kya देख rha हैँ हरामी?? पीछा कर उन लोग का.... ll
और ये कहकर.... ठाकुर apne kapde पहनने लगता हैँ ll
Ye देख कर चामुडां भी खाट पर से खड़ा होते हुए बोला-
चामुडां - क्या हुआ ठाकुर?
ठाकुर - साली कुतीया......मेरा पीछा करते हुए, यहां तक पहुचं गयी....और वो हमारी बाते सुन ली और अब भाग रही है!!
इतना कहते हुए......ठाकुर , वहां से नीकल जाता है!!
**सुनसान जंगल के रास्तो पर.....रेनुका गाड़ी को काफी तेजी से भगा रही थी....ll
उसके चेहरे पर..... डर के भाव साफ झलक रहा था ll और उसे पसीने भी हो रहे थे...... राजीव का भी किछ ऐसा ही हाल था ll
राजीव... - माँ लगता हैँ कोई पीछा कर रहा हैँ??
रेणुका..... गाड़ी चलाते -चलाते... घबराहट से पीछे की तरफ अपना सिर मोड़ती हुई...... देखि तो 3 गाड़िया.... उसके पीछे लगी थी ll
राजीव -- माँ आगे देख..... !!!
राजीव ने चिल्लाते हुए बोला......
रेणुका.... हरबराहट में जैसे ही आगे देखती हैँ... एक कुत्ता सड़क पार कर रहा था, की तब तक रेणुका उस कुत्ते को कुचलती हुई... आगे निकल गई ll
........ गाड़ी दूसरे रास्ते से घुमा रामु.... और आगे से रोक ll
ठाकुर.... अपनी गाड़ी तेजी से चलाते हुए.... रामु के पीछे अपनी गाड़ी लाते हुए बोला ll
इतना सुनते ही..... रामु ने... गाड़ी को कच्ची सड़क की तरफ घुमा दिया.... ll
राजीव -- माँ.... लगता हैँ अब हमारा बचना मुश्किल हैँ l
रेणुका..... को कुछ भी समझ me नही आ रहा था l शायद उसे भी लगा की अब बचना मुश्क़िल हैँ ll रेणुका के ब्लाउज़ पसीने से भीग चूका था..... उसके चेहरे से होते हुए पसीना..... उसके गले के रास्तो से होते हुए... रेणुका के चूचियों के बीच से होते हुए..... उसके पुरे ब्लाउस को अब तक भीगा दिया था ll
.......... रेणुका ने गाड़ी की रफ़्तार और तेज की.... लेकीन तभी, उसे सामने से एक गाडी आते हुई दिखी... ll
राजीव -- माँ गाड़ी मत रोकना... ये रामु ही हैँ जो आगे से हमें रोकने की कोशिश करना चाहता हैँ.... ll
लेकिन तभी रामु ने..... अपनी गाडी बीच रास्ते में रोकते हुए..... रास्ता ही जाम कर देता ll और गाड़ी से उतर कर दूर हट जाता हैँ ll
...... ये देख राजीव और... रेणुका का हलक सुख जाता हैँ ll क्यूकी आगे का रास्ता रामु ने जाम कर दिया और पीछे से दो गाड़ियों के साथ ठाकुर लगा था ll
...... रेणुका ने राजीव का मुँह देखा..... दोनों डरे हुए थे ll
रेणुका की गाड़ी..... रामु के गाड़ी के एकदम नज़दीक आ गई थी..... रेणुका ने अपनी दाहिने तरफ देखा.... घना और डरावना जंगल था.... उस तरफ, उसेने बिना कुछ सोचे समझें.... उसी तरफ गाड़ी मोड़ देती हैँ ll
रेणुका की गाड़ी...... पेड़ की डालियो को चीरती हुई... घने जंगल में घुस जाती हैँ l
lovely update hai bhai jiअपडेट -- 25
ठाकुर कुछ देर........सड़क के कीनारे खड़ा होकर उस....घने और डरावने जंगल की तरफ देखता है....और फीर बोला-
ठाकुर - मर गये साले!!
......और इतना कहकर ठाकुर...रामू के साथ! हवेली लौट आता है!!
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"और इधर कजरी.....अपने बेटे से तन और मन से शादी करने के लीये हामी भरने के बाद.....रीतेश से नज़रे नही मीला पा रही थी!!
रीतेश जब भी अपने मां से बात करता तो, कज़री उससे आंखे नही मीला पाती!!
कज़री.....सुधा के पास से उठ कर खाना लाने जाने लगी!! तो ये देखकर रीतेश भी कज़री के पीछे-पीछे चल देता है!!
"कज़री को पता चल जाता है की, रीतेश भी उसके पीछे-पीछे आ रहा है!!
कज़री के दील की धड़कने तेज होने लगती है.....ऐसा उसके साथ कभी नही हुआ था.!.लेकीन आज जब रीतेश के कदम जैसे-जैसे उसके पीछे बढ़े आ रहे थे! वैसे-वैसे उसके दील जोर-जोर से धड़कने लगा!!
कज़री रसोई घर में पहुचं कर थाली मे खाना निकालने लगती है!! वो नीकाल तो खाना ही रही थी, लेकीन उसका पूरा का पूरा ध्यान रीतेश के कदमो के आहट पर थी.....जो उसकी तरफ़ बढ़े आ रहे थे|
रीतेश जैसे ही कज़री के नज़दीक पहुचता है...कज़री के हाथ से खाने की पौनी गीर जाती है!!
रीतेश - क्या हो गया है.....मां तूझे? आज सुबह से ही अजीब-अजीब हरकत कर रही है....मुझसे ठीक से बात भी नही कर रही है!!
कज़री कुछ बोलती नही.....बस दुसरे तरफ मुह कर के खड़ी रहती है!!
जब कज़री कुछ नही बोलती तो रीतेश उसके कंधे पर हाथ रख देता है!! रीतेश के हाथो की छुवन....कज़री के शरीर के रोम-रोम को भर देता है....उसकी आंखेँ बंद हो जाती है, सांसे तेज हो जाती है!! यूँ तो रीतेश ने कज़री के साथ बहुत मज़ाक कीया था.....अपनी बांहों में भी भरा था!! तो फीर आज ही ऐसा क्यूँ? की रीतेश के सीर्फ एक छुवन ने कज़री के दील की धड़कन तेज कर दी!! शायद इसलीये क्यूकीं कज़री अब रीतेश को अपने बेटे के रुप में ना मनकर अपने पती के रुप में कल्पना करनी लगी हो.....!!
रीतेश- क्या हुआ मां? मुझसे कोई गलती हो गयी क्या?
........कज़री फीर भी कुछ नही बोलती, और खाने की थाली हाथ में लेते हुए रसोई घर से बाहर चली जाती है!!
"कज़री का बीना कुछ बोले और यूं ही चले जाना......रीतेश के मन मे लाखो सवाल खड़ा कर गयी.....!!
......थोड़ी देर बाद रीतेश भी रसोई घर से बाहर नीकल कर आ जाता है!! बाहर सुधा और पप्पू खाना खा रहे थे....और कज़री बगल में बैठी थी!! रीतेश की नज़रे सीर्फ अपनी मां पर ही टीकी थी!!
**कज़री की नज़र एक बार रीतेश की नज़रो से टकराती है....लेकीन अगले पल ही कज़री की नज़रे झुक जाती है!! कज़री का मासुम और सुदर से चेहरे पर से रीतेश की नज़रे ही नही हट रही थी!!
"कज़री को पता था की,रीतेश उसे ही देख रहा है.....उसने सोचा की पता नही ये बेटे की नज़र से देख रहा है या फीर अपनी होने वाली पत्नी के नज़र सै!! अपने ही सवालों मे उलझी कज़री......लाज़ और हया से उसके गाल गुलाबी हो गये.....और वो एक पल भी रीतेश की तरफ मुह करके नही बैठ पायी और अपना मुह दुसरी तरफ घुमा दी!!!
|कीसी ने सच ही कहा है की, औरतो के मन की गहरायी का पता लगाना कीसी के बस की बात नही.......लाज़ और हया उनका एक सबसे बेशकीमती गहना है.....जो एक पवीत्र स्त्री के पास होता है.....तभी तो वो आज लाज और हया कज़री के मुख पर बीछी पड़ी थी!! वो ये भूल चुकी थी की......जीसके बारे मेँ सोच-सोच कर वो शर्माये जा रही है, वो उसका बेटा है.......लेकीन क्या फर्क पड़ता है? जब कोयी औरत कीसी को अपना तन मन सौपन को कायल हो जाये तो, औरतो की लाज़ और हया का यूं उनके मुख पर आ जाना लाज़मी है!! भले ही उसके दील में बसने वाला वो इँसान उसका बेटा ही क्यूं ना हो!!!
........खैर उस रात सब खाना पीना खा कर सोने चले जाते हे!! कज़री के साथ....सुधा उसके कमरे में चली जाती है!!
*******घने और डरावने जंगल मे, रेनुका की गाड़ी छोटे-छोटे झांड़ीयों को कुचलती हुइ आगे बढ़ी जा रही थी!! झाड़ींया इतनी थी की रेनुका को ठीक से कुछ दीखाई भी नही दे रहा था!! फीर भी वो झाड़ीयों को पार करती हुई आगे नीकल जाती है.......और करीब तेजी से आधे घंटे तक गाड़ी को चलाते हुए एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे रोक देती है!!
**इतने डरावने जँगल में.....सीर्फ कीड़े-मकौड़े और जानवरो की आवाज़ें ही सुनायी दे रही थी!! रैनुका और राजीव का मारे डर के बुरा हाल हो गया था!!
राजीव - म.....मां ये जँगल तो बड़ा ही डरावना लग रहा है!!
रेनुका का भी हाल कुछ वैसा ही था, लेकीन उसने हीम्मत बांधते हुए कहा-
रेनुका - ड......डर कैसा बेटा? कुछ ही समय में सुबह हो जायेगी!!
राजीव - अभी तो समय है मां......तब तक क्या करेगें?
राजीव ने रेनुका की ओर देखते हुए बोला-
रेनुका - तब तक हम??
इतना बोलते ही......रेनुका अपना पल्लू, अपनी मस्त चुचीयों से नीचे सरका देती है!!
**राजीव भी ये देखते ही.....अपनी मां का बाल जोर से पकड़ कर....अपनी बांहों में खीच लेता है!!
रेनुका कीसी भूखी शेरनी की तरह, राजीव के पजामें खोलने लगती है......और खोलने के बाद झट से......राजीव के लंड को अपने मुह में भर लेती है!!
राजीव - आह......साली, आराम से.....चूस!! पूरी रात पड़ी है.....दो मीनट मेँ ही नीकाल देगी क्या?
रेनुका - साले.....मादरचोद, अपनी मां की मुह की गरमी बरदाश्त नही कर पा रहा है.....भोसड़ीवाले मेरी गांड कैसे मारेगा?
और इतना बोलकर......रेनुका फीर से, राजीव का लंड नीगल लेती है!!
राजीव......अपनी मां के बाल पकड़े, उसका सर जोर-जोर से अपने लंड पर झटकने लगा!!
.......राजीव और रेनुका अपने हवस में इतने अंधे हो गये थे की उन्हे इतना भी नही पता की....कोइ गाड़ी के शीशे के बाहर से उन्हे देख भी रहा है!!!
*****और इधर ठाकुर हवेली की तरफ़ जा रहा था की....उसने अपनी गाड़ी बीच रास्ते पर रोकते हुए, बोला-
ठाकुर - रामू, तू हवेली जा मुझे कुछ काम है!! सुबह आउगां!!
.......रामू फीर हवेली की तरफ नीकल जाता है!! हवेली पहुचं कर रामू गाड़ी से जैसे ही नीचे उतरता है.......सामने चंपा खड़ी थी|
चंपा - क्या हुआ रामू? तुम लोग मालकीन के पीछे क्यूँ गये थे?
रामू की नज़र.....चंपा के मदमस्त गोल मटोल गांड पर पड़ती है......तो उसका दीमाग सनका। उसने सोचा की आज तो इस रंडी को जी भर के चोदूंगा!!
रामू- तेरी मालकीन तो, दूनीया से गयी!! अब तेरी बारी है.....तू भी उसकी चमची थी ना!! मूझे सब पता है......आने दो ठाकुर साहब को, सब बताउगा!!
........इतना सुनते ही, चंपा की हालत को जैसे लकवा मार गया हो!!
चंपा - नही रामू.......ऐसा मत कर, ठाकुर साहब मुझे जान से मार देगें!!
रामू - साली......रडीं , तेरा मरना ही ठीक है!!
चंपा - तो तूझे क्या मीलेगा? अगर तू ठाकुर को बता भी देगा तो??
रामू- मतलब??
चंपा.....रामू का हाथ पकड़ कर हवेली के अँदर चली जाती है.....और ठाकुर के कमरे में जाते ही दरवाजा अँदर से बंद कर देती है!! और पल भर में अपनी साड़ी उतार कर नंगी हो जाती है!!
.....रामू ने आज तक कीसी औरत को नंगी नही देखा था!! और उसका लंड तो चंपा के बदन के कटाव देखकर ही खड़ा हो जाता था!! और आज तो चंपा खुद पुरी की पुरी मादरजात नंगी खड़ी थी.....उसके सामने!!
चंपा ने अपने झाटों भरी.....बुर की फांको को अपनी उगंलीयों से फैलाते हुए बोली-
चंपा - ये तूझे कैसा लगा?
रामू के नसो में खून की रफ्तार तेज चलने लगी......उसने चंपा को उठा कर बीस्तर पर पटक दीया!! और झट से चंपा के दोनो टागों को उपर की ओर उठाते हुए.. अपना मुह चंपा के बुर पर लगा कर कीसी कुत्ते की तरह चाटने लगता है!!
चंपा.....मचल उठी, आज तक कीसी ने भी उसके बुर को नही चाटा था!! और आज जब रामू ने उसके बुर को कीसी कुत्ते की तरह जीभ नीकाल कर चाटा तो.....वो मज़े में पागल हो गयी.....उसने अपना एक हाथ रामू के सर पर रखते हुए अपने बुर पर दबाते हुए....सीसकने लगी.!!
चंपा - आ.......ह, चाट ले कुत्ते.....अपनी कुतीया की बुर.....बड़ा मज़ा आ रहा है...रे.....
रामू ने....चंपा के बुर०को चाटते -चाटते एक उगंली उसके बुर में घुसा देता है!!
.....चंपा की बुर पानी उलगने लगती है....चंपा ने रामू का सर पकड़ कर बीस्तर पर पलटते हुए उसके उपर चढ़ जाती है!! और अपना बुर रखते हुए उसके मुह पर बैठ जाती है...!
.....रामू तो कीसी पागल कुत्ते की तरह चंपा की बुर चाटते जा रहा था!!
चंपा - आ......ह, हरामी......धी....रे....चाट,
........तभी रामू ने चंपा को , उठा कर घोड़ी बनने को कहा!!
चंपा भी बीना देरी कीये.....अपनी गांड उठाये घोड़ी बन जाती है!!!
रामू जोश में आकर अपने कपड़े नीकाल फेकंता है!! और अपना खड़ा लंड चंपा के बुर मेँ पेल देता है!!
चंपा - आ.........ह, .रा..........मू.......चो.......द.......मुझे!!
रामू ने चंपा का कमर पकड़ा और ताबड़ तोड़ धक्के लगाने लगा!!
चंपा ने ठाकुर का मोटा लंड पहले खा लीया था, इसलीये वो रामू का हर धक्का सह लेती!!
लेकीन चंपा को रामू के लंड से चुदने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था!!
चंपा - चो......द रामू.......आ....आ.......इ.....मां!!
रामू ने......चंपा को नीचे जमनी पर खड़ा कर दीया......और थोड़ा नीचे झुकाते हुए उसके बालो को.....दो हीस्सो में करते हुए अपने दोनो हाथो में पकड़ कर , अपनालंड फीर से चंपा के बुर में पेल देता है!!
रामू चंपा को चोदते हुए.....उसके बालो को अपने दोनो हाथो में पकड़ कर ऐसे खीचता जैसे कोइ घोड़े की सवारी कर रहा हो!!
चंपा - आ......हरामी.....बड़ा मस्त चोद रहा है....मेरा नीकलने वाला है.....मैं गयी.....गयी....
रामू ने अपने धक्के की रफ्तार और तेज कर दी.....पूरे कमरे फच्च , फच्च की आवाज़ और चंपा की मदमस्त चीखे गुजं रही थी.....!!
कुछ देर में ही, रामू अपने लंड का पानी चंपा के बुर में लबालब भर देता है!!
रामू चंपा को लेकर बीस्तर पर......गीर जाता है!! दोनो हाफने लगते है.....चंपा रामू के होठो पर एक चुम्बन जड़ देती है!!
चंपा - कसम से.....इतना मज़ा तो ठाकुर से चुदने पर भी नही आया!!
रामु ने चंपा की चुचीयों को धीरे-धीरे मसलते हुए बोला-
रामू - सच....तो तू मेरी रंडी बनकर क्यूं नही रहती?
चंपा - अब से मैं सीर्फ तेरी ही रंडी हूं!! लेकीन एक काम करना होगा हमें!!
रामू - कैसा काम?
चंपा - कल मैं ठाकुर से एक आखीरी बार चुदवाउगीं!! और फीर उसके तीज़ोरी की चाभी कीसी तरह घसका कर......सारा जेवर और पैसे उड़ा लेगें!!
.....रामू ये सुनते ही रामू चंपा को अपनी बांहों में भर लेता है.....और होठो को उसके होठो से सटा देता है......
beutiful update hai bhai jiअपडेट ------27
....... इधर राजीव अपनी माँ का बाल पकडे जोर -जोर से उसका सिर अपने लंड पर ऊपर निचे कर रहा था |
राजीव -- आह माँ, इस डरावने जंगल में, तेरे मुँह में मेरा लंड..... गजब ढा रहा हैँ.... आह.... माँ ll
रेणुका, भी एकदम मस्त होकर राजीव का LUND चूस रही थी लेकिन राजीव की मस्त कर देने वाली बात.... सुनकर वो राजीव KA लंड अपने मुँह से निकल कर कुछ बोलने के लिए जैसे ही..... होना सिर ऊपर किया ll ेज जोर की चीख उसके मुँह से निकली ll
राजीव भी उसकी आवाज़ सुनकर भौचक्का हो जाता हैँ.... उसने अपनी माँ kका चेहरा देखा...... जो इस समय काफ़ी डरा हुआ लग रहा था और आँखे फटी फटी की फटी पड़ी थी..... तभी राजीव की नज़र भी सामने वाले कांच पर पडती हैँ तो वो भी दर जाता हैँ ll उसे कांच के उस पार से सिर्फ फोन बड़ी बड़ी आँखे दिखी..... जो बाहर से अंदर झाँक रही थी ll
राजीव -- माँ जल्दु गाड़ी भगा..... ll
राजीव की बात सुनकर...... रेणुका भी हैरान - परेशान... गाड़ी को चालू करती हैँ की तभी.... एक बहुत ही भयानक आदमी.... गाड़ी ke आगे वाले कांच पर छलांग लगाते हुए.... कांच को अपने हाथ से पीटने लगता हैँ ll
राजीव और रेणुका दोनों दर के मारे..... पसीने -पसीने हो जाते हैँ.... renuka झटके में गाड़ी चला देती हैँ.... और कुछ दूर जाकर ब्रैक लगा देती हैँ...... वो भयानक आदमी.... दूर जा कर गिरता हैँ l तभी रेणुका फिर से तेजी से गाड़ी आगे बढ़ाते हुए उस आदमी को कुचलते हुए निकल जाती हैँ...........
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सूबह -सूबह कजरी उठ कर ख़तम पर बैठी थी, वो खाट पर बैठी बैठी यही सोच रही थी की, उसने कल पयरे दिन अपने बेटे से बात नही किया..... बेचारा कितना तड़प रहा होगा ??? जाकर बात कर लेती हूं... ll
तभी सुधा भी उठ जाती हैँ... और कजरी को यूँ बैठी देख वो भी उठकर बैठती हुई बोली --
सुधा - क्या हुआ कजरी....... ऐसे क्यूँ बैठी हैँ ??
कजरी..... अपनी नज़रे सुधा की तरफ ghumaati हुई बोली --
कजरी -- दीदी.... क्या सच में रितेश के पापा ने, मुझे उससे शादी करने ke लिए कहाँ हैँ ll
कजरी की बात सुनकर सुधा मुस्कुराते हुए बोली -
सुधा - क्यूँ...... अपने बेटे से शादी करने में शर्म आ रही हैँ ??
Sudha की बात सुनते ही कजरी sharma जाती हैँ..... और सुधा के सीने में अपना सिर छुपा लेती हैँ ll
सुधा कजरी के बालों को सहलाती हुई बोली --
सुधा - थोड़ी शर्म...... सुहागरात के लिए भी बचा कर रख.... नही तो रितेश क्या सोचेगा ??
कजरी अभी भी अपना सिर सुधा के सीने में छुपाई हुई बोली --
कजरी --वो क्या सोचेगा???
सुधा -- यही की.... कैसी माँ हैँ... थोड़ा भी शर्म नही हैँ ll
ये कहकर सुधा हंसने लगती हैँ..... कजरी sufha की बात सुनकर एक प्यारी सी चपेट अपनी मुट्ठी बंद करते हुए... सुधा के सीने पर मार देती हैँ ll
थोड़ी देर दोनों यूँ ही बातें करते रहे...... उसके बाद कजरी उठ कर बर्तन धोने के लिए रसोई घर में चली जाती हैँ ll
*** जब सूरज चढने लगता हैँ तो.... सुधा ने कजरी से कहाँ --
सुधा --अरे कजरी जा जाके.... रितेश को utha दे कितना सोयेगा.... दिन निकल आया हैँ ll
कजरी यूँ.... रितेश के सामने तो जाना नही चाहती थी.... लेकिन वो मना भी नही कर सकती थी l वो sidha रितेश ke कमरे की तरफ बढ़ी --
रितेश, चादर ओढ़ कर सो रहा था.... लेकिब कोई और जाग गया था l रितेश के बड़े नवाब साहब अपने पुरे जोश में चादर ताने खड़ा था... जी हा उनका लंड.... ll
कजरी जैसे ही रितेश के कमरे में घुसी..... उसकी आँखे.... हैरत से रितेश के उठे हुए चादर के ऊपर ही थम गई ll हालांकि कजरी ने.... रितेश का लंड अपने आँखों से देखा था.... लेकिन उस समय उसने अपनी नज़रे झट से दूसरी तरफ कर लिया था...... और आज जब इत्मीनान से वो देख सकती थी तो.... उसके ऊपर चादर का पर्दा पड़ा था..... लेकिन लंड की लम्बाई से उसके होश ठिकाने आ गए थे ll
*** कश उस समय का नज़ारा देख पाते.... और काश ये भी देख पाते की कजरी का खूबसूरत चेहरा कैसे यूँ अचम्भे में पड़ गया हैँ... अपने बेटे का मर्दाना लंड की ऊंचाई को देखकर !!!
***कजरी ना तो हिल पा रही थी और ना ही कुछ बोल पा रही थी.... उसके होंठ सूखने लगे, और दिल की धड़कने तो मानो कम होने का नाम ही नही ले रही थी ll तभी रितेश थोड़ा करवट लेता हैँ.... जिससे कजरी होश में आती हैँ.... और हड़बड़ा कर कमरे से बाहर निकल जाती हैँ ll
वो सीधा रसोई घर में जाती हैँ.... और गागर में से पानी निकाल कर.... अपने सूखे गले और होठो को तृप्त करती हैँ ll वो वही खड़ी होकर.... अपनी बढ़ चुकी धड़कनो को शांत करती हैँ..... और फिर वापस रितेश के कमरे में आती हैँ ll
**कजरी रितेश के पास जाकर.... उसके बगल में बैठते हुए.... उसके कंधे को पकड़ते हुए हिलाकर बोली --
कजरी -- उठ जा.... बेटा, देख दिन निकल आया !!
कजरी के बोलते ही रितेश ने आराम से अपनी चादर हटा दिया.... शायद वो पहले ही उठ चूका था ll
कजरी -- उठ चूका हैँ तो नाटक क्यूँ कर रहा हैँ ??
रितेश..... अपने हाथो को अपने माँ के चेहरे पर प्यार से फिरते हुए बोला --
रितेश -- क्यूँ तू नाटक कर रही हैँ... तो क्या मैं नही कर सकता ??
रितेश के इस तरह हाथ फिराने की वजह से कजरी के बदन में झनझनाहट फ़ैल जाती हैँ ll
कजरी -- म.... मैंने क्या नाटक किया? ?
रितेश -- क्यूँ.... कल से बात नही कर रही हैँ तू मुझसे.... तुझे पता भी हैँ.... मेरा क्या हाल हो गया था ???
कजरी थोड़ा... नखरे करती हुई बोली --
कजरी -- हा मुझे सब पता हैँ..... कुछ नही हुआ तुझे.. मेरे ना बात करने से क्या हो जायेगा तुझे ?? ?
....कजरी की बात सुनते ही.... रितेश अपनी माँ के कमर में हाथ ड़ालते हुए खिंच कर अपने सीने से लगा लेता हैँ...... कजरी अपने आप को रितेश की बाहो में पाकर.... एक बार फिर उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता हैँ और नजरें नीची ll
रितेश -- जान चली जाती हैँ मेरी..... अगर तू बात नही करती मुझसे तो !!
रितेश की ye1बात सुनकर.... कजरी का दिल खुशियों से झूम उठता हैँ..... ll vo1अपनी नजरें नीची किये बोली -
कजरी -- शर्म तो आती नही तुझे ...अपनी माँ को यूँ बेशर्मो की तरह अपनी बाहो में भरे हुए... ll
रितेश -- बिलकुल नही आती.... क्यूकी इस समय मैंने जिसे अपनी बाहो में पकड़ रखा हैँ.... वो मेरी होने वाली पत्नी हैँ..... और मेरे होने वाली पत्नी को इनता भी तमीज नही की अपने होने वाले पति से कोई.... तू ता करके बात करता हैँ ll
....... रितेश की बात पर कजरी..... की शर्म की सीमा की गहराइयो में चली जाती हैँ.... उसे समझ नही आ रहा था की वो अपना मुँह कहाँ छिपा ले ll
कजरी -- एक बार पत्नी बना ले.... फिर देखना की तेरी पत्नी को कितना शर्म आता हैँ.... और अपनी पत्नी की पति सेवा भी ll
ये बोलकर कजरी... अपना मुँह छुपाये शर्मा कर कमरे से बाहर निकल जाती हैँ, साथ ही रितेश के दिल पर बिजलिया भी गिरा जाती हैँ ll
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इधर सूबह सूबह जब ठाकुर हवेली पहुंचता हैँ तो... अपने कमरे में घुसते ही उसके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती हैँ.... उसने देखा उसकी तिजोरी पूरी खाली पड़ी हैँ..... ll
वो गुस्से में भागता हुआ सीढ़ियों से निचे जाता हैँ... और हवेली के सभी नौकरो से पूछता हैँ, तो नौकरो ने बताया की.... रामु और चंपा ये दोनों सूबह से ही नही दिख रहे हैँ ll ये सुनकर ठाकुर का दिमाग खराब हो जाता हैँ..... वो विधायक को फ़ोन मिलता हैँ लेकिब उसका भी फ़ोन नही लगता... तो अपनी गाड़ी निकाल कर विधायक की घर की तरफ चल देता हैँ.... ll
विधायक के घर पहुँच कर.... उसने विधायक की पत्नी... रेखा से बोला --
ठाकुर -- रेखा भाभी.... विधायक जी नही दिख रहे हैँ... उनका फोन भी नही लग रहा हैँ, कहाँ हैँ वो ll
रेखा -- ठाकुर साहब.... वो तो कल से ही घर नही आये, मुझे लगा आपके साथ होंगे II
ठाकुर -- नही भाभी.... वो तो कल मुझसे मिलने के बाद, सीधा घर ही आये थे ll
रेखा -- नही ठाकुर साहब..... वो तो घर नही आये ll
ठाकुर.... अपना सिर पकडे... बैठ जाता हैँ, और बोला ll
ठाकुर -- क्या हो रहा हैँ, मुझे तो कुछ समझ में ही नही आ रहा हैँ ??
रेखा.... ठाकुर को हैरान देखते हुए बोली ---
रेखा -- क्यूँ क्या हुआ ठाकुर साहब... ?? हैरान क्यूँ हो गए.... मुझे तो पहले से ही पता था की... एक ना एक दिन तुम दोनों हैवानों पर.... कहर बरसेगा !! बहुत पाप किया हैँ..... तुम दोनों ने ll अभी तो सुरुवात हैँ !!
***रेखा की बात सुनकर ठाकुर आग बबूला हो उठता हैँ..... और उठाते हुए... रेखा को खींच कर तमाचा जड़ देता हैँ ll
रेखा दूर सोफे पर जा कर गिरती हैँ ll
रेखा हँसते हुए बोली --
रेखा -- अब ये गुस्सा किसी काम का नही रहा.... ठाकुर, !!
ठाकुर -- सही कहाँ तूने कुतिया !! अब मैं गुस्सा नही करूँगा..... अब सबको सिर्फ ठोकूंगा ll
और ये कहकर ठाकुर अपने जेब से पिस्तौल निकाल कर.... रेखा के सामने तान देता हैँ ll
रेखा ने..... लपकते हुए ठाकुर को धक्का देती हैँ... ठाकुर अपने आप को संभालता हुआ.... ज़मीन पर गिर जाता हैँ..... तभी वहां से रेखा भाग निकलती हैँ ll और ठाकुर भी खड़ा हो कर भागते हुए... उसके पीछे निकल पड़ता हैँ ll
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इधर सूबह सूबह.... सम्पूरा बेड़ियों में बंधा था l चारो तरफ से, जुम्मन के आदमियों ने घेरा बना रखा था ll और जुम्मन पेड़ के ओटले पर बैठा था ll
जुम्मन अपनी दाढ़ी खुजलाते हुए बोला.... l
जुम्मन -- क्यूँ सम्पूरा..... क्या हाल हैँ??
सम्पूरा का शरीर एक दम कमजोर हो गया था ll वो कुछ भी बोलने के हालत में नही था.... लेकिन फिर भी वो अपनी हलक से कुछ बोलने ही वाला था की..... तभी..... एक आवाज़ गुंजी ll
*******सरदार...... सरदार...... सरदार..... ll
ये आवाज़ सुनकर..... सब चौंक जाते हैँ ll जुम्मन ने देखा उसके काबिले का ही एक आदमी..... भागता हुआ चला आ रहा था.... उसका शरीर तीरों से छलनी था..... जुम्मन की आँखे चढ़ जाती हैँ ll
वो आदमी भागता हुआ..... जुम्मन के पास आ कर उसके पैरों me गिर जाता हैँ..... ll
******सरदार.... भीटा कबीले का सरदार.... हमारी और बढ़ा आ रहा हैँ..... उसका सेना दल बहुत बड़ा हैँ ll और इतना कहते ही वो आदमी अपनी सांसे छोड़ देता हैँ ll
जुम्मन जोर से चिंघाड़ते हुए बोला --
जुम्मन -- सब लोग तैयार हो जाओ, आज भीटा का कहानी यही खात्मा करते हैँ ll
जुम्मन के इतना बोलते ही.... सब के सब... अपना अपना हथियार..... ले कर तैनात हो जाते हैँ ll
सब की नज़रे दूर ज़मीं थी........ तभी जुम्मन को घोड़ो के कदमो की आहात सुनाई देने लगती हैँ...... दूर ज़मीन से धूल.... धुंए की तरह उड़ता हुआ दिखा, और तभी भीटा के सैनिक भी उसे.... शोर शराबा करते हुए उसकी तरफ बढ़ाते हुए दिखे ll
भीटा का सैनिक दल सच me बहुत अधिक था ll
जुम्मन -- हट....... चलो, एक भी बचाने ना पाए ll
इतना कहते ही जुम्मन की सेना भी टूट पडती हैँ ll
दोनों कबीले आपस me टकराते हैँ...... घमासान लड़ाई शुरू होती हैँ...... जुम्मन अपने दोनों हाथों मे भाला लिए..... किसी तिनके की तरह चला चला कर.... भीटा के सैनिको ko रौंद देता, लेकिन भीटा के सैनिक ताकतवर थे....... आधे घंटे की घमासान लड़ाई मे.... जुम्मन की सेना दल का नाश होने लगा.... एक एक करके.... जुम्मन की सेना ख़त्म होती जा रही थी, ये देख जुम्मन.... की हालत खराब होने लगी ll
तभी जुम्मन के सीने पर एक जोर का लात पड़ता हैँ और जुम्मन.... दूर जाकर गिरता हैँ ll
जुम्मन.... गिरकर उठाते हुए अपनी नज़र घुमा कर देखा तो..... सामने भीटा कबीले का सरदार *काला* खड़ा था ll
जुम्मन काला के ऊपर टूट पड़ता हैँ..... और दोनों मे जमकर मुक़ाबला हुआ..... कभी काला भारी पड़ता तो कभी, जुम्मन...... लेकिन इस बिच.. जुम्मन की सेना नेस्तनाबूत हो चुकी थी ll
जुम्मन अब वहां से भागने मे ही अपनी भलाई समझी..... उसने ज़मीन की धुल का सहारा लेते हुए.... काला के ऊपर फेंका..... काला की आँखों मे धुल पड़ने की वजह से वो कुछ देख नही सका और इसी बीच मौका पाकर..... जुम्मन वहां से निकल पड़ता हैँ ll
काला को जब tak1दिखाई पड़ा.... जुम्मन गायब था l काला अपना दाँत भींच कर रह गया ll
काला ने अपनी नजर सम्पूरा की tarf1घुमाई... जो अभी भी बेड़ियों मेबँधा था..... काला उसके नज़दीक जाकर सम्पूरा को बेड़ियों से छुड़ाता हैँ ll
सम्पूरा -- पता नही काला.... मैं किस मुँह सेतुम्हारा शुक्रिया करू ll
काला -- अरे सम्पूरा.... एक शेर.... दूसरे शेर का शुक्रिया अदा नही करते ll
सम्पूरा -- लेकिन... काला, मेरी पत्नी उसके कब्ज़े मे हैँ ll
..... तभी उसे मरियम बाहर दिखाई पड़ती हैँ..... मरियम को देख कर सम्पूरा की आँखों से आँसू निकल आते हैँ..... मरियम भी सम्पूरा की तरफ ही देख रही थी lll
काला -- जाओ मेरे शेर..... लेकर आओ अपनी पत्नी को.... ll
सम्पूरा ख़ुश होते हुए मरियम की तरफ बढ़ा.... वो अभी कुछ कदम ही आगे बढ़ा था की, जुम्मन बिच मे घोड़े पर बैठा..... मरियम के नज़दीक आ जाता हैl और वो घोड़े पर बैठा ही अपना हाथ मरियम की तरफ़ बढ़ाता हैँ ll
...... मरियम ने जुम्मन की तरफ एक नज़र देखा.... उसके बाद वो अपना हाथ..... जुम्मन की हाथो मे रख देती हैँ... जुम्मन ने मरियम को खींचते हुए अपने पीछे घोड़े पर बिठा लेता हैँ...... मरियम भी अपनी बाहें डालते हुए जुम्मन को पीछे से पकड़ लेती हैँ, जुम्मन ने सम्पूरा की तरफ देखते हुए जोर से अपनी दाढ़ी सहलाते हुए हंसा..... और अपने जांघो पर सलामी मरते हुए.... घोड़े को जंगल की तरफ बढ़ा देता हैँ ll
ये नजारा देख कर.... सम्पूरा टूट सा गया, वो अपने घुटनो पर धड़ाम से गिर जाता हैँ..... और मरियम को जाते देखता रहता हैँ, लेकिन मरियम ने एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा...........
ये कहानी तो यहीं तक है शायद। Original writer ने कहानी पूरी नही करी, पर इस फोरम पर कोई अच्छा लेखक इस शानदार कहानी को पूरा कर सकता है।यह कहानी यहीं तक है क्या? पुरा कहाँ मिलेगा? किसी को पता है? प्लीज बताएं ।
dhanshu update hai bhaiअपडेट........ (28)
रितेश खाट पर से उठते हुए बाहर निकल आया था.... कजरी भी घर का काम ख़त्म करने के बाद खाना बनाने मे ब्यस्त हो गई थी ll
घर के बाहर पप्पू.... और रितेश दोनों बैठे थे l
पप्पू -- यार रितेश..... मुझे एक बात नही समझ मे आई??
रितेश बीड़ी का कश लेते हुए बोला --
रितेश -- कैसी बात.... ??
पप्पू - यही, की आखिर ये संकिरा हैँ क्या? ? और लोग इसके पीछे क्यूँ पड़े हैँ ??
रितेश -- अरे कुछ नही हैँ..... ये पागल इंसान हैँ सब, जो बड़े -बड़े सपने देखते हैँ बस !!
पप्पू, रितेश की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए बोला -
पप्पू -- कुछ भी हो, लेकिन ये संकिरा का पूरा राज़ तो कजरी मौसी.... से ही जुडा हैँ ll और इसीलिए तो तुझसे शादी भी कर रही हैँ..... और ये पूर्णमासी की रात का क्या चक्कर हैँ... ?
रितेश -- कैसी पूर्णमासी की रात ?
पप्पू -- अरे तूने सुना नही क्या माँ ने कहाँ था की... उस रात कजरी मौसी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत बन जाएगी.... हँवाओ मे खुसबू फ़ैल जाएगी??
पप्पू की बात सुनकर रितेश अपने दिल पर हाथ रखते हुए एक ठंढी सांस लेता हैँ और फिर बोला -
रितेश -- कसम से यार, मेरी माँ तो अभी ही कहर ढा देती हैँ..... अगर ये बात सच हैँ तो पूर्णमासी की रात माँ और कितनी खूबसूरत लगेगी..... मैं तो सोच -सोच कर ही पागल हो जा रहा हूं !!
रितेश की बात सुनकर.... पप्पू रितेश को एकटक देखता रहा.... पप्पू को ऐसे देखता हुआ, रितेश बोला -
रितेश -- क्या हुआ.... भाई? ऐसे क्यूँ देख रहा हैँ??
पप्पू -- भाई... अगर ये सब सच हैँ तो ये भी तो हो सकता हैँ.... की, जितने भी लोग संकिरा के पीछे पड़े हैँ... उन्हें पूर्णमासी की रात वाली बात पता हो... और उस रात फैली हुई खुसबू के सहारे उस औरत को यानि (कजरी मौसी ) को ढूंढने की कोशिश भी करेंगे !!
पप्पू की बात सुनकर रितेश थोड़ा सोच मे पड़ गया !!
रितेश - अगर ऐसा हैँ तो..... फिर तो माँ !!
रितेश इससे आगे कुछ और बोलता.. इससे पहले ही पप्पू ने कहां --
पप्पू - बिलकुल ठीक सोच रहा हैँ तू.... और सबसे पहले तो ठाकुर ही... कुछ ना कुछ करेगा !!
रितेश - अगर ठाकुर ने ऐसी हरकत करने का सोचा भी तो.... उसको ज़िंदा गाड़ दूंगा ll
तभी कजरी उन दोनों को आवाज़ लगाती हैँ... खाना खाने के लिए !!
फिर दोनों घर के अंदर खाना खाने चले जाते हैँ ll
कजरी खाना ले कर आती हैँ...... और पप्पू और रितेश को देती हैँ ll
दोनों खाना खा रहे थे... कजरी और सुधा भी वही बैठ जाते हैँ.... ll
रितेश खाना खाते -खाते चोर नज़रो से कजरी को देखे जा रहा था...... और ये बात कजरी को पता था की रितेश उसे देख रहा हैँ ll
****सुधा भी बैठी बैठी... रितेश की नज़रो को भांप लेती हैँ.... वो थोड़ा मुस्कुराते हुए मज़ाक़ करते हुए बोली !!
सुधा - कजरी, ये आज कल के लड़को को भी ना बहुत जल्दी रहती हैँ ll
कजरी तो सुधा की बात समझ जाती हैँ की उसके बोलने का मतलब क्या हैँ ? लेकिन पप्पू और रितेश अभी तक नही समझ पाए थे ll
रितेश - क्यूँ मौसी.... ऐसी कौन सी चीज हैँ !! जिसकी जल्दबाज़ी आज कल के लड़को को रहती हैँ !!
सुधा -- क्यूँ तुझे नही पता क्या? ?
रितेश -- नही मौसी.... मुझे नही पता??
कजरी ने सोचा की कहीं सुधा दीदी कुछ बोल ना दे.... उसमे तो इन लोगो का कुछ नही जायेगा !! लेकिन शर्म के मारे मैं पानी पानी हो जाउंगी !!
कजरी -- अरे दीदी के कहने का मतलब की..... खाना खाने की इतनी जल्दी क्या हैँ.... आराम से खाओ !! क्यूँ दीदी ?
ये कहते हुए कजरी ने अपनी आँखों से सुधा को कुछ इशारा किया !!
सुधा -- अरे हाँ..... यही मेरा मतलब था !!
तभी वंहा बैठा खाना खा रहा पप्पू ने कहां -
पप्पू - अरे रितेश तूने तो कहां था की आज किसी पंडित के यहाँ जाना हैँ !!
रितेश -- हा भाई.... खाना खा कर चलते हैँ !!
सुधा - पंडित के यहाँ क्यूँ??
रितेश - अरे मौसी कल ही तो पूर्णमासी की रात हैँ, तो शादी भी तो कल ही होंगी ना ll तो बिना पंडित के शादी कैसे होंगी? ??
रितेश की बात सुनकर कजरी एक बार फिर अपनी नज़रे नीची कर लेती हैँ ll
सुधा - ओ... हो !! बड़ी बेक़रारी हैँ.... शादी करने की !!
सुधा की बात सुनकर.... रितेश और पप्पू दोनों थोड़ा शर्मा जाते हैँ ll
सुधा - जा बेटा.... तेरा नसीब भी बहुत अच्छा हैँ, अगर संकिरा का मामला ना होता तो... कजरी को हमेशा माँ ही कहकर बुलाना पड़ता... ll
कजरी अब इससे ज्यादा नही सुन सकती थी... वो उठ कर सीधा रसोई घर मे चली जाती हैँ ll
**सुधा कजरी को जाते देख बोली --
सुधा - अरे तेरी दुल्हन तो अभी से ही शर्मा गई !!
रितेश..... सुधा की बात सुनकर कुछ बोलता नही और वो भी थोड़ा शर्मा जाता हैँ ll
रितेश को भी शर्माता देख सुधा फिर से बोली --
सुधा - ये लो दोनों को शर्म आ रही हैँ... पता नही क्या होगा दोनों का..... अच्छा ठीक हैँ मैं ज़रा गाँव मे अपनी सहेलियों से मिल कर आती हूं ll कजरी पूछेगी तो बता देना ll
पप्पू -- ठीक हैँ माँ.....,
सुधा उठ कर जाते जाते बोली -
सुधा - बेटा रितेश... अपनी माँ के साथ अब थोड़ा समय बिता... उसे भी तो थोड़ा खुलने का मौका दे... नही तो वो तुझे बेटा ही समझती रहेगी.... और ऐसे ही शर्माती रहेगी... शादी के बाद भी !!
सुधा की बात सुनकर.... रितेश ने हाँ मे मुंडी हिला दी.... फिर सुधा घर के बाहर निकल जाती हैँ ll
अब तक रितेश और पप्पू दोनों खाना खा चुके थे... कजरी अभी भी रसोई घर मे ही थी..... रितेश भी रसोई घर की तरफ चल पड़ा ll
रितेश जैसे ही रसोई घर मे घुसा... कजरी दूसरी तरफ मुँह कर के खड़ी थी ll
रितेश अपनी माँ को देख कर दरवाजे पर ही खड़ा हो जाता हैँ..... आज वो कजरी को जी भर कर देखना चाहता था !!
उसकी आँखों के सामने उसकी खूबसूरत माँ खड़ी थी..... हरे रंग की साड़ी मे कजरी पीछे से भी क़यामत लग रही थी..... रितेश की नज़र कजरी की कमर पर जा कर थम जाती हैँ..... इतनी गोरी और चिकनी कमर पर भला किसका दिल ना धड़क जाये.... ll
रितेश..... अपनी माँ को गौर से देखते हुए उसके ख़ून मे गर्मी बढ़ने लगती हैँ..... रितेश अपने मन मे ना जाने क्या - क्या सोचने लगा था..... जिसके वजह से उसका लंड भी झटके पर झटके मरने लगा ll
रितेश खुद को काबू मे नही रख पाया.... और वो अपनी माँ के नज़दीक जा कर उसके कमर मे अपना हाथ डालते हुए.. उसे पीछे से पकड़ अपनी बांहों मे भर लेता हैँ ll
कजरी पहले तो चौंक जाती हैँ..... लेकिन उसे समझने मे देरी नही लगती की ये कोई और नही रितेश ही हैँ ll
कजरी... अपने आप को छुड़ाने लगती हैँ.... ll
कजरी - आह.... क्या कर रहा हैँ... छोड़ मुझे !!
रितेश - रहने दे माँ.... बहुत अच्छा लग रहा हैँ l
लेकिन शायद कजरी.... अभी भी लाज का चादर ओढ़े थी.... उसे ये सब अपने बेटे से अच्छा नही लग रहा था ll
कजरी -- आह..... बेटा, देख ll मैं अभी ये सब के लिए तैयार नहीं हूं.... मुझे थोड़ा वक्त दे ये सब के लिए ll
कजरी का कहना भी ठीक ही था.... जो माँ अपने बेटे को जन्म दे और पाल पोश कर इतना बड़ा करें... वो माँ अपने बेटे के साथ ये सब करने से पहले हज़ार बार सोचेगी ll
"लेकिन रितेश कहां सुनने वाला था... वो तो अपनी माँ के हुश्न मे पागल हो गया था... वो कजरी के गले और उसके गलो को बेतहाशा चूमने लगता हैँ ll
कजरी लाख मना करती रही.... लेकिन रितेश नही सुन रहा था.. कजरी को अचानक गुस्सा आ गया, और वो झटके मे अपने आप को छुड़ाते हुए... रितेश की गाल पर एक तमाचा जोर का जड़ दिया ll
"रितेश तो जैसे ज़मीन पर धड़ाम से गिरा... उसे यकीन नही हो रहा था की कजरी ने.... उसे तमाचा जड़ दिया हैँ ll वो समझ गया था की.... इसमें उसकी माँ की कोई रजामंदी नही थी और वो जबरदस्ती कर रहा था ll
उसे अपने गाल पर तमाचा पड़ता सोच उसे ख़ुद पर घिन आने लगा ll उसका सारा का सारा प्यार का नशा उतर गया था.... रितेश कुछ बोलता नही बस अपने गाल को थामे अपनी नज़रे चुरा कर वंहा से निकल गया ll
''रितेश के जाते ही.... कजरी को भी अहसास हुआ की उसने भी गलती कर दी हैँ.... वो भी पछता रही थी... लेकिन उसकी गलती तो थी नही, वो बेचारी तो बस अभी ये सब के लिए तैयार नही थी.... लेकिन उसकी आँखों से आंसू निकल ही पड़ते हैँ ll
'''रितेश जैसे ही रसोई घर से बाहर निकलता हैँ.... उसे पप्पू बाहर ही मिलता हैँ ll
रितेश के पीछे - पीछे कजरी भी बाहर आ जाती हैँ... और वही खड़ी हो जाती हैँ ll
कजरी की आँखों मे साफ -साफ पश्चाताप के आंसू दिख रहे थे.... चेहरा मानो सूख सा गया था ll
पप्पू - भाई... चल पंडित के यंहा जाना हैँ ना??
रितेश - कैसा पंडित भाई ??
रितेश के इस शब्द ने तो कजरी के दिल की धड़कन बढ़ा दी.... पप्पू भी असमंजस मे पड़ गया की ये.... क्या बोल रहा हैँ? ?
पप्पू - भाई शादी हैँ..... और किसलिए ??
रितेश को गुस्से से ज्यादा.... अपने आप पर घिन आ रहा था... वो बस ये सोच -सोच कर गुस्सा होते जा रहा था की, उसकी माँ के दिल मे मेरे लिए ऐसा कुछ भी नही था..... फिर भी वो जबरदस्ती कर रहा था... यही सोच कर वो गुस्से मे बोला ll
रितेश - कोई शादी वादी नहीं होंगी.... अपने माँ से भी कोई शादी करता हैँ क्या ?
"इतना बोलते हुए वो..... घर से बाहर निकल जाता हैँ ll
'' कजरी के दिल पर मानो पहाड़ टूट गए हो... पल भर मे उसके सपने टूटते हुए उसे नज़र आने लगे... अपना मासूम चेहरा लिए वो.... बस रितेश को घर से बाहर जाते देखती रही ll
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इधर ठाकुर गुस्से मे हवेली पहुंचा..... उसने अपनी बन्दूक निकली..... और अपने आदमियों को लेकर !! रामु और चंपा की खोज मे निकल पड़ता हैँ.... उसकी आँखों मे ख़ून सवार था.... वो हर तरफ से हार गया था, वो बस अब ख़ून खराबा चाहता था l
ठाकुर अपने आदमियों के साथ रामु को गाँव के कोने कोने तक ढूंढा लेकिन..... रामु और चंपा का कहीं पता नही चला.... उसने अपनी गाड़ी चामुंडा के मठ के तरफ घुमा दिया ll
"चामुंडा अपने मठ पर बैठा शैतान का ध्यान कर रहा था.... तभी ठाकुर वंहा आ जाता हैँ ll
ठाकुर अपनी गाड़ी खड़ा करते हुए.... गाड़ी से निचे उतर जाता हैँ..... वो चामुंडा की तरफ बढ़ा ही था की.... तभी मंदा ठाकुर को रोकते हुए बोलू -
मंदा - ठाकुर साहब..... बाबा अभी शैतान के ध्यान मे लगे हैँ 2 घंटे तक उनका ध्यान भंग नही होना चाहिए... ऐसा ठाकुर बाबा ने कहां था ll
ठाकुर ने चंपा को ऊपर से निचे तक देखा.... और जोश मे आकर उसे अपनी बांहो मे खिंचते हुए बोला -
ठाकुर - तो फिर दो घंटे तक मैं क्या करूँगा.... चल तेरी चुदाई ही कर देता हूं.... उस दिन तो तुझे चोद नही पाया साली.... लेकिन आज तुझे जम कर चोदुंगा l
मंदा कुछ बोलती नही और मुस्कुरा देती हैँ.... फिर क्या था ठाकुर ने मंदा को उठते हुए अपनी बांहो मे भरा और झोपड़े की तरफ चल देता हैँ.......