वो चुपचाप उठी और बैडरूम में जा कर नयी नवेली दुल्हन की तरह बेड़ पर जा कर बैठ गयी और अपने सईआं (आज उसे अपना बाप , अपना सईयां ही लग रहा था ) के इंतजार में बैठ गयी.
फिर उसके दिमाग में एक बात आयी कि उसके बाप अब्बास ने उसे दो घंटे में आने को क्यों बोलै है, सोच सोच कर उसके दिमाग में आया कि अब्बास असल मैं उसे चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार होने के लिए समय दे रहा है ताकि वो अपनी सुहागरात के लिए अच्छी तरह से तैयार हो जाये। वो समझ गयी कि उस का पिता असल में उसको अच्छी तरह से चोदना चाहता है और इसीलिए वो २ घंटे का समय दे रहा है.
ये सोच कर ही की उस का बाप उसे चोदने को मरा जा रहा है , ज़ैनब की चूत गीली हो गयी और वो शर्मा गयी. फिर उसने भी सोचा कि जब वो दोनों बाप बेटी एक दूसरे के लिए इतने दीवाने हैं, तो उस का भी फर्ज बनता है की वो अपने बाप से चुदवाने के लिए पूरी तयारी करे. ये सोच कर वो चुदाई के लिए तैयार होने को उठ खड़ी हुए.
ज़ैनब के पास दो घंटे थे सजने के लिए वो अपनी सजावट में लग गई। चुदवाने की सजावट में। ज़ैनब पूरी तरह नंगी हो गई और आईने में खुद को देखने लगी- चलो ज़ैनब रानी, सुहागरात मानने के लिए तैयार हो जाओ। उसका पूरा जिस्म चिकना तो था ही फिर भी वो चूत, गाण्ड और कांखों के बालों पर बाल साफ करने वाली क्रीम लगा कर अपनी चूत अच्छी तरह से साफ़ की। । फिर ज़ैनब अपनी कमर के नीचे चूत, गाण्ड और जांघ एरिया और चूची में फेंशियल मसाज की। नहाते वक्त ज़ैनब अपनी चूत में उंगली कर रही थी। वो अपनी चूत से पानी निकालना चाह रही थी। वा चाहती थी की जब अब्बास उसके जिस्म से खेलें तो वो अब्बास का भरपूर साथ दे। चूत से पानी निकला हुआ रहेगा तो वो देर तक अब्बास का साथ दे पाएगी और अब्बास से मिलता सुख महसूस कर पाएगी।
ज़ैनब सोचने लगी की कैसे उसका बाप उसे चोद रहा है। वैसे तो अब्बा के बारे में सोचते ही उसकी चूत गीली हो जाती थी, लेकिन अभी तो कुछ हो ही नहीं रहा था। तभी साचते-सोचते उसका ख्याल बनने लगे की अब्बास बेरहमी से उसके साथ पेश आ रहा है। ये सब सोचते ही ज़ैनब की चूत गीली हो गई और उंगली करती हुई वो चूत से पानी निकाल ली। पानी निकलने के बाद उसे खुद में बुरा भी लगा की मैं अपने पिता में किस तरह चुदवाना चाहती हैं
ज़ैनब नहाकर वो अपने रूम में आ गई। नहाने के बाद उसका जिश्म और चमक रहा था। ज़ैनब अपने पूरे जिस्म में चाकलेट फ्लेवर की बाडी लोशन लगाई। फिर नई पैंटी ब्रा निकली, लाल रंग की पैंटी ब्रा डिजाइनर थी और ट्रांसपेरेंट थी। पैंटी ब्रा को पहनने के बाद वो घूम-घूमकर आईने में खुद को देख रही थी। कितनी सेक्सी लग रही हैं मैं। आह्ह... मेरे प्यारे अब्बा , इस चमकते जिश्म पे आज आपका अधिकार है। इतनी मेहनत तो मैं अपनी ओरिजिनल सुहागरात के लिए भी नहीं की थी, जितनी आपके लिये कर रही हैं। मसल देना मझे, रौंद डालना मेरे जिश्म को, अपने मन में कोई कसर मत छोड़ना मेरे दूल्हे राजा। ज़ैनब चेहरे का मेकप पूरा की और उसके बाद ज़ैनब अपने बालों को सवार ने लगी। आधे घंट लग गये उसे बाल बनाने में।
7:30 बज चुके थे। ज़ैनब लहँगा पहन ली। पहले तो बो नाभि से कुछ नीचे पहनी लहँगा को, जहाँ से नार्मली पहनती थी। लेकिन फिर कुछ सोचकर वो लहँगा को और बहुत नीचे कर ली। उसकी कमर पे बने मेहन्दी का डिजाइन अब साफ-साफ दिख रहा था। फिर वा चोली पहन ली। चोली कंधे के किनारे पे थी और सामने थोड़ा डीप था जिससे क्लीवेज थोड़ा सा दिखाते हुए ज़ैनब को सेक्सी बना रहा था। पीठ पे सिर्फ 2 इंच की पट्टी थी।
ज़ैनब अपनी बा को चोली के अंदर करके हुक लगा ली। अब वो पूरी तैयार थी अपनी सुहागरात के लिए। 8:00 बज चुके थे।