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Incest बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ

2812rajesh2812

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अब्बास में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। अब्बास ने ब्रा को हाथ से निकाल दिया। अब ज़ैनब ऊपर से टापलेश थी। अब अब्बास ने ज़ैनब को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। अब्बास एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर ज़ैनब दूध दे रही होती तो अब्बास तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। ज़ैनब आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की अब्बास जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।

फिर अब्बास दूसरे निपल को चूसने लगा और ज़ैनब के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। ज़ैनब का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। अब्बास लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो ज़ैनब की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। ज़ैनब का जिस्म हिलने लगा था अब। अब्बास का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। अब्बास ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।

ज़ैनब अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। ज़ैनब की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब ज़ैनब के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। अब्बास को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।

अब्बास में ज़ैनब के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए ज़ैनब के बगल में लेट गया। ज़ैनब चाह रही थी की जल्दी से अब्बास उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन अब्बास को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। ज़ैनब सिर्फ एक लाल पैंटी में अब्बास खान के साथ लेटी हुई थी । ज़ैनब के हिलने से चूड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। अब्बास ज़ैनब के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।

पीछे से ज़ैनब की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, अब्बास अपना हाथ सामने लाया और ज़ैनब की चिकनी चूत को सहलाने लगा। अब्बास का हाथ ज़ैनब की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। अब्बास चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई ज़ैनब की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही ज़ैनब का बदन हिलने लगा और वो अब्बास को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।

अब्बास चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। अब्बास उठकर बैठ गया और ज़ैनब को सीधा किया। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

ज़ैनब अब पूरी नंगी लेटी हुई थी अब्बास के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल ही थे। अब्बास ज़ैनब के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। ज़ैनब उस तरह अब्बा को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।

अब्बास मुश्कुरा दिया। उसने ज़ैनब के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया । ज़ैनब आँख से थोड़ा सा देखी और अपने अब्बा को इस तरह उसकी चूत के प्यार से देखता देख कर देखकर और शर्मा गई। अब्बास अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

अब्बास की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। अब्बास ज़ैनब को अपनी गीली उंगली दिखाने लगा और उसी हाथ से ज़ैनब की एक चूची और निपल को मसलने लगा।अब्बास निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। ज़ैनब आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर अब्बास का हाथ पकड़ ली। अब्बास मुश्कुरा दिया।

अब्बास फिर से ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया। अब्बास ने ज़ैनब के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चूसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था अब्बास अपनी जीभ से ही ज़ैनब की चुदाई कर रहा था। अब्बास जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।

ज़ैनब अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। अब्बास ज़ैनब की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। ज़ैनब अपने बदन को ऐठने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और अब्बास को पता चला गया। ज़ैनब हाँफ रही थी।

अब्बास अब लेटी हूई ज़ैनब के मुँह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने ज़ैनब का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और ज़ैनब ने अपने बाप का लण्ड धीरे से शरमाते हुए पकड़ लिए और उसे सहलाने लगी। अब्बास ज़ैनब के बगल में सीधा लेट गया।

ज़ैनब करवट होकर अब्बास से चिपक गई, उसकी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। अब वो अब्बास के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। ज़ैनब से अब रहा नहीं जा रहा था उस का मन तो कर रहा था की उस का अब्बा अब्बास जल्दी से जल्दी लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाल दे और खूब जोर जोर से उसे छोड़ दे. पर जब उसने अब्बू को ऐसा कुछ न करते देखा तो तो उसे लगा की ऐसे तो उस का अब्बा पूरी रात ऐसे ही गुजार देगा तो उसे खुद ही कुछ करना पड़ेगा. यस सोच कर ज़ैनब थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। ज़ैनब मुश्कुरा दी।

उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली उस के प्यारे अब्बा के इस मोटे और बड़े से लण्ड को ज़ैनब की छोटी सी चूत के अंदर की सैर करनी थी।

ज़ैनब उस लण्ड को सहलाने लगी यह उस के बाप का वही प्यारा सा लण्ड तह जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। ज़ैनब का ये सब पहला अनुभव था। वो अपने पति उस्मान के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी अब्बा को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने अब्बास का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और अब्बास के पैरों के बीच बैठ गईं। ज़ैनब लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों अब्बास के जांघों को सहला रही थी। ज़ैनब अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी।

उसने अपनी सहेलियों से लण्ड को चूसने के बारे में सुना तो जरूर था पर उस ने कभी भी अपने पति उस्मान का लण्ड चूसा नहीं था. उस्मान भी इसको बड़ा गन्दा समझता था. पर ज़ैनब के मन में लण्ड को चूसने की एक दबी हुई इच्छा जरूर थी. उसने सोचा की आज यही अच्छा मौका है जब वो अपने जनम देने वाले अब्बा का लण्ड चूस सकती है और लण्ड चूसने का स्वाद भी चख सकती है,

अब्बास ने ज़ैनब को रोक दिया और उसका मुंह हटा दिया। ज़ैनब चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं मेरे अब्बा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। अब्बास उठकर बैड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और ज़ैनब अब नीचे बैठकर अब्बास का लण्ड चूस रही थी।

ज़ैनब बहुत जतन और ध्यान से अब्बास का लण्ड चूस रही थी। वो इस तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। ज़ैनब बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह अपने बाप अब्बास का लण्ड को चूसते हुए। अब्बास ने ज़ैनब को बेड पे लेटने के लिए कहा। ज़ैनब बैड पर आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की अब्बास ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।

अब्बास ज़ैनब के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने ज़ैनब के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो ज़ैनब के पैरों के बीच में थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को ज़ैनब की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही ज़ैनब के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। अब्बास अपने लण्ड से ज़ैनब की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।

ज़ैनब चूत में अब्बास का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी वो मेंटली तैयार हो चुकी थी। ज़ैनब सोच रही थी "आहह... अब्बा डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... रौंद डालिए मेरे जिसम को आहह... अब्बा प्लीज़... डालिए ना अंदर"

.. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।
बहुत शानदार कहानी चल रही है अभी तक मजा आ गया।
बाप बेटी की चुदाई के बीच खुलकर खूब गंदे संबाद हो खासकर जैनब की तरफ से बो अब्बा को भी गंदा बोलने को उकसाये तो चुदाई का और भी मजा आएगा
 
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prasha_tam

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Bhaut Hee Erotic 👄💋👩‍❤️‍👨😘 aur Romanchak 💗💓💞 Updates Diyaa Hee 👌✍️👍🤘👏👏
Please Keep It Up 👍🤘
Besarbi See Interzar Aglaa Update Kaa✌️✋🤷‍♂️😉🤗😎
 
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dkpk

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अब्बास में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। अब्बास ने ब्रा को हाथ से निकाल दिया। अब ज़ैनब ऊपर से टापलेश थी। अब अब्बास ने ज़ैनब को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। अब्बास एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर ज़ैनब दूध दे रही होती तो अब्बास तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। ज़ैनब आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की अब्बास जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।

फिर अब्बास दूसरे निपल को चूसने लगा और ज़ैनब के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। ज़ैनब का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। अब्बास लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो ज़ैनब की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। ज़ैनब का जिस्म हिलने लगा था अब। अब्बास का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। अब्बास ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।

ज़ैनब अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। ज़ैनब की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब ज़ैनब के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। अब्बास को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।

अब्बास में ज़ैनब के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए ज़ैनब के बगल में लेट गया। ज़ैनब चाह रही थी की जल्दी से अब्बास उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन अब्बास को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। ज़ैनब सिर्फ एक लाल पैंटी में अब्बास खान के साथ लेटी हुई थी । ज़ैनब के हिलने से चूड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। अब्बास ज़ैनब के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।

पीछे से ज़ैनब की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, अब्बास अपना हाथ सामने लाया और ज़ैनब की चिकनी चूत को सहलाने लगा। अब्बास का हाथ ज़ैनब की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। अब्बास चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई ज़ैनब की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही ज़ैनब का बदन हिलने लगा और वो अब्बास को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।

अब्बास चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। अब्बास उठकर बैठ गया और ज़ैनब को सीधा किया। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

ज़ैनब अब पूरी नंगी लेटी हुई थी अब्बास के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल ही थे। अब्बास ज़ैनब के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। ज़ैनब उस तरह अब्बा को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।

अब्बास मुश्कुरा दिया। उसने ज़ैनब के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया । ज़ैनब आँख से थोड़ा सा देखी और अपने अब्बा को इस तरह उसकी चूत के प्यार से देखता देख कर देखकर और शर्मा गई। अब्बास अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

अब्बास की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। अब्बास ज़ैनब को अपनी गीली उंगली दिखाने लगा और उसी हाथ से ज़ैनब की एक चूची और निपल को मसलने लगा।अब्बास निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। ज़ैनब आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर अब्बास का हाथ पकड़ ली। अब्बास मुश्कुरा दिया।

अब्बास फिर से ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया। अब्बास ने ज़ैनब के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चूसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था अब्बास अपनी जीभ से ही ज़ैनब की चुदाई कर रहा था। अब्बास जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।

ज़ैनब अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। अब्बास ज़ैनब की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। ज़ैनब अपने बदन को ऐठने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और अब्बास को पता चला गया। ज़ैनब हाँफ रही थी।

अब्बास अब लेटी हूई ज़ैनब के मुँह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने ज़ैनब का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और ज़ैनब ने अपने बाप का लण्ड धीरे से शरमाते हुए पकड़ लिए और उसे सहलाने लगी। अब्बास ज़ैनब के बगल में सीधा लेट गया।

ज़ैनब करवट होकर अब्बास से चिपक गई, उसकी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। अब वो अब्बास के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। ज़ैनब से अब रहा नहीं जा रहा था उस का मन तो कर रहा था की उस का अब्बा अब्बास जल्दी से जल्दी लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाल दे और खूब जोर जोर से उसे छोड़ दे. पर जब उसने अब्बू को ऐसा कुछ न करते देखा तो तो उसे लगा की ऐसे तो उस का अब्बा पूरी रात ऐसे ही गुजार देगा तो उसे खुद ही कुछ करना पड़ेगा. यस सोच कर ज़ैनब थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। ज़ैनब मुश्कुरा दी।

उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली उस के प्यारे अब्बा के इस मोटे और बड़े से लण्ड को ज़ैनब की छोटी सी चूत के अंदर की सैर करनी थी।

ज़ैनब उस लण्ड को सहलाने लगी यह उस के बाप का वही प्यारा सा लण्ड तह जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। ज़ैनब का ये सब पहला अनुभव था। वो अपने पति उस्मान के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी अब्बा को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने अब्बास का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और अब्बास के पैरों के बीच बैठ गईं। ज़ैनब लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों अब्बास के जांघों को सहला रही थी। ज़ैनब अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी।

उसने अपनी सहेलियों से लण्ड को चूसने के बारे में सुना तो जरूर था पर उस ने कभी भी अपने पति उस्मान का लण्ड चूसा नहीं था. उस्मान भी इसको बड़ा गन्दा समझता था. पर ज़ैनब के मन में लण्ड को चूसने की एक दबी हुई इच्छा जरूर थी. उसने सोचा की आज यही अच्छा मौका है जब वो अपने जनम देने वाले अब्बा का लण्ड चूस सकती है और लण्ड चूसने का स्वाद भी चख सकती है,

अब्बास ने ज़ैनब को रोक दिया और उसका मुंह हटा दिया। ज़ैनब चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं मेरे अब्बा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। अब्बास उठकर बैड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और ज़ैनब अब नीचे बैठकर अब्बास का लण्ड चूस रही थी।

ज़ैनब बहुत जतन और ध्यान से अब्बास का लण्ड चूस रही थी। वो इस तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। ज़ैनब बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह अपने बाप अब्बास का लण्ड को चूसते हुए। अब्बास ने ज़ैनब को बेड पे लेटने के लिए कहा। ज़ैनब बैड पर आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की अब्बास ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।

अब्बास ज़ैनब के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने ज़ैनब के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो ज़ैनब के पैरों के बीच में थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को ज़ैनब की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही ज़ैनब के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। अब्बास अपने लण्ड से ज़ैनब की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।

ज़ैनब चूत में अब्बास का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी वो मेंटली तैयार हो चुकी थी। ज़ैनब सोच रही थी "आहह... अब्बा डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... रौंद डालिए मेरे जिसम को आहह... अब्बा प्लीज़... डालिए ना अंदर"

.. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।
Pregnant kr do
 

Ting ting

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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,

लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.

"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "

ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,

वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.

"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "

अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.

" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "

ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.

"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"

अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.

थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।

ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी

और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।

ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?
 

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अब्बास लण्ड के लिए रास्ता बनाता हुआ चूत सहला रहा था और ज़ैनब अपनी कमर उठाकर लण्ड अंदर ले लेना चाहती थी। अब्बास लण्ड को चूत से सटाकर ज़ैनब के ऊपर लेट गया और उसके होठों को चूमने लगा और चचियों मसलने लगा।

ज़ैनब अब बर्दाश्त नहीं कर पाई, कहा- "डालिए ना अब्बू अंदर, क्या कर रहे हैं आप?"

अब्बास ज़ैनब के गालों को चमता बोला- "क्या डालं मेरी जान?"

ज़ैनब एक झटके में बोली- "लण्ड..." लेकिन तुरंत ही उसे एहसास हो गया की वो क्या बोली और शर्मा गईं।

अब्बास उसकी चूचियों पे दाँत काटता हुआ पूछा- “कहाँ मेरी जान?"

ज़ैनब दो सेकेंड के लिए रुकी लेकिन फिर अपने शर्म को त्यागती हुई बोली- "मेरी चूत में। ओह्ह... अब्बा क्यों तड़पा रहे हैं आज तो हमारी सुहागरात है. इस रात के लिए तो मैं और आप न जाने कितनी सालों से तड़पे है आज अल्लाह के रेहमत से यह दिन आया है तो आप मुझे क्यों तड़पा रहे हैं?"

अचानक ज़ैनब को अपना जिस्म फटता हुआ महसूस हुआ। वो दर्द से बिलख गई। अब्बास ने ज़ैनब को कस के अपनी बाहों में पकड़ लिया था। अब्बास का लण्ड ज़ैनब की चूत के रास्ते को खोल चका था। अब्बास ने अपनी कमर का भार ज़ैनब की चूत पे बढ़ाया और अपने दर्द को सहती हुई ज़ैनब आह्ह... आह करती हुई दोनों पैर को पूरी तरह फैला ली और फाइनली अब्बास खान का लण्ड ज़ैनब शर्मा की चूत के अंदर आ चुका था। अब्बास ने अब एक धक्का मारा और उसका लण्ड ज़ैनब की चूत की गहराइयों में उत्तरता चला गया।

ज़ैनब को बहुत दर्द हो रहा था. पर यह तो वो दर्द था जिस के लिए वो दोनों बाप बेटी न जाने कब से तड़प रहे थे. इसलिए चाहे जैनब को कितना भी दर्द हो रहा था पर वो अपने होंठ भींचे लेती थी. उसको दर था कि कहीं उसके अब्बा को लगा कि उसकी प्यारी बेटी को उसके हल्लबी लण्ड से दर्द हो रहा है तो कहीं उसका बाप अपने लण्ड बाहर न निकल ले,

लेकिन अब्बास भी तो उम्रदराज था. अपनी बेटी की शक़ल से ही वो समज गया कि ज़ैनब को दर्द हो रहा है, तो वो थोड़ा रुक गया और प्यार से ज़ैनब के होंठों को चूमता हुआ बोलै.

"क्या बाप है बेटी? क्या बहुत दर्द हो रहा है? तुम अगर कहो तो मैं अपना लण्ड बाहर निकल लेता हूँ. "

ज़ैनब ने एकदम से आँखें खोली जैसे उसे डर हो कि कहीं उस का अब्बू अपना लण्ड सच में ही बाहर न निकल ले,

वो अपने अब्बा की आँखों में प्यार से देखते हुए बोली.

"अब्बा आप चिंता न करें। बस थोड़ी देर रुक जाइए, असल में आप का ये (वो अभी भी शर्म के कारण लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रही थी ) हथियार तो बहुत ही बड़ा है, इतना बड़ा लेने की मुझे आदत नहीं है न. बस थोड़ी ही देर में दर्द कम हो जायेगा. "

अब्बास अपनी बेटी की एक चूची को मसलता हुआ बोलै.

" बेटी क्या उस्मान का लण्ड मेरे से कुछ छोटा है। जो तुम कह रही हो कि तुम्हे इतना बड़ा लेने की आदत नहीं है. "

ज़ैनब ने शर्म से अपने अब्बा की छाती में मुँह छुपा लिया और बोली.

"अब्बा उस्मान का लण्ड तो मुश्किल से ४-५ इंच का होगा, पर आप का तो लगभग ८ इंच का है. ऊपर से असली दिक्कत तो इसकी मोटाई से है. उस्मान का लण्ड तो ज्यादा से ज्यादा २ -३ इंच मोटा होगा पर आप का तो बेलन की तरह इतना मोटा है की शायद मेरी कलाई भी इतनी मोती न होगी. तो आप ही बताइये कि मैं भी क्या करूँ. चाहे उस्मान से मेरी शादी को कितना ही समय हो चूका हो पर फिर भी मुझे इतना मोटा झेलने में दर्द तो होगा ही ना?"

अब्बास समझ गया की उसकी बेटी को चोदने के लिए उसे थोड़ी सबर से काम लेना पड़ेगा. उसने अपने लण्ड अपनी बेटी की चूत में ही रहने दिया और उसने ज़ैनब के मम्मो को चूसना शुरू कर दिया. इस से ज़ैनब का दर्द थोड़ा कम होना शुरू हो गया और उसे फिर से मझा आने लगा.

थोड़ी देर ऐसे हे करते रहने से ज़ैनब का दर्द कम हो चुका था। वो कोई कुँवारी लड़की तो नहीं थी फिर भी अभी भी पूरा लण्ड अंदर नहीं गया था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूमने लगा, चूसने लगा। अब्बास ने एक धक्का और मारा और बचा खुच लण्ड भी ज़ैनब की चूत में समा गया। अब्बास अब कस कस के धक्के लगाने लगा।

ज़ैनब आहह ... उऊहह ... करने लगी। अब्बास के धक्के में ज़ैनब का पूरा जिस्म हिल रहा था। ज़ैनब की मुलायम चूचियां पूरी तरह से उछल रही थी, और अब्बास अपने अरमान पूरे कर रहा था। तुरंत ही ज़ैनब की चूत में अपना पानी छोड़ दिया। लेकिन तुरंत ही वो फिर से गरमा गई थी।

लण्ड डाले डाले ही अब्बास ने अपनी बेटी को अपने ऊपर कर दिया और खुद नीचे लेट गया। अब ज़ैनब अब्बास के लण्ड पे उछल रही थी। ज़ैनब की चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी । ज़ैनब पूरा ऊपर आ रही थी और फिर पूरा नीचे जा रही थी। थोड़ी देर बाद अब्बास ने ज़ैनब को कुतिया की तरह चार पैरों पे कर दिया और उसकी गाण्ड पे कम के एक हाथ मारा। ज़ैनब इस तरह हो गई की उसकी गाण्ड बाहर की तरफ निकल गई और कमर नीचे हो गई। अब्बास ज़ैनब के पीछे आया और उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।

ज़ैनब की चूत में फिर पानी बह निकला और अब्बास के हर धक्के से ज़ैनब की चूत से वो पानी बाहर आ रहा था। अब्बास ज़ैनब को जोर जोर से चोदने लगा। ज़ैनब पस्त हो चुकी थी। बहुत देर हो चुकी थी । ज़ैनब आधे घंटे से इतने विशाल लण्ड को अपनी नाजुक सी चूत में झेल रही थी।

अब्बास ज़ैनब से पूरी तरह चिपक गया और लण्ड चूत के आखिरी छोर में जा सटा और अब्बास के लण्ड में पानी गिरा दिया। अंदर वीर्य की गर्मी पाते ही ज़ैनब की चूत तीसरी बार पानी छोड़ दी। जब बीर्य की आखिरी बंद भी ज़ैनब की चूत में गिर गई तो अब्बास ने अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया और ज़ैनब के बगल में ढेर हो गया। लण्ड के बाहर आते ही ज़ैनब की चूत में वीर्य का और चूत के पानी का मिक्स्च र बाहर बेड पे बहनें लगा। दोनों पीने से लथपथ हो चुके थे। इस महयुद्ध में एक बार फिर से चूत की ही जीत हुई और इतना विशाल लण्ड भी अब थक हार कर मुर्दे की तरह पड़ा हुआ था। बेड के सारे फूल रौदे मसले जा चुके थे।

आखिरकार, ज़ैनब आज अपने बाप अब्बास से चुद ही गई। इतनी मजेदार चुदाई उसकी आज तक नहीं हुई थी। वो पशीने से लथपथ थी। अब्बास भी अपनी बेटी रूपी इस अप्सरा को अपने मन मुताबिक चोदकर निढाल पड़ा था।

ज़ैनब ऐसे ही नंगी लेटी रही। उसकी चूत में अभी भी अब्बास का वीर्य और खुद उसकी चूत का पानी मिलकर बाहर बह रहा था और बेंड को गीला कर रहा था। ज़ैनब के जिस्म में तो जैसे जान ही नहीं थी। ३ बार उसकी चूत से पानी निकला था। एक बार तो वो खुद नहाते वक़्त निकाली थी

और तीन बार अब्बास ने चोदते हुए निकाल दिया।

ज़ैनब मन में- "उफफ्फ... ऐसे भी कहीं चदाई होती है। इतनी देर तक। एक तो इतना बड़ा घोड़े का लण्ड है और उसमें इतनी देर तक चोदते रहे। मेरी तो चूत छिल गई है। पूरा बदन दर्द कर रहा है। लेकिन एक बात की खुशी है की में इनका साथ दे पाई। मुझे ख़ुशी है कि मेरे अब्बा को आज मुझे चोद कर मजा तो आया होगा ना? संतुष्ट तो हए होंगे ? पता नहीं, लेकिन इतने में भी अगर कोई संतुष्ट ना हो तो अब क्या जान निकल के मानेगा?
वाह क्या बात है बहुत रोमांचक अपडेट दिया है मजा आ गया,,,,,
खैर अभी तो ज़ैनब को बहुत चुदना है,,,,,,,
 

Ajju Landwalia

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अब्बास ने पाकेट में हाथ डाला और अब उसके हाथ में सोने का कंगन था। उसने दोनों कलाइयों में कंगन पहना दिया। अब ज़ैनब बहुत खुश थी। उसे भी इसकी उम्मीद नहीं थी। एक औरत को जेवर से बहुत प्यार होता है। एक बार वो सोची की मना कर दें, लेकिन फिर सोची की क्यों मना करे? अब्बू उसके पति हैं और उनका पूरा हक है और मेरा भी हक है उनसे तोहफा लेने का।

अब्बास आगे बढ़ा और ज़ैनब के कंधे को पकड़कर अपने सीने से लगा लिया और ज़ैनब शर्माकर उसके सीने में लिपट गई। अब्बास ने ज़ैनब का चेहरा ऊपर किया और उसके फूल से नाजुक होठों पे एक हल्का सा चुंबन लिया। ज़ैनब शर्मा शर्माकर एई-मुई की तरह सिमट गई और अब्बास का लण्ड टाइट हो गया। और फिर ज़ैनब की चुनरी को नीचे गिरा दिया और उसे गोद में भर लिया और उसे धीरे से बेड पैर लिटा दिया। अब्बास ख़ुशी से झम उठा। इसी बेड पे वो ज़ैनब के बेपनाह हश्न के मजे लेगा।

ज़ैनब तब तक छई-मुई सी बनी हुई ही नजरें झकाए लेती रही । सच में शर्म में उसकी हालत खराब हो रही थी। सोचने और करने में वाकई फर्क होता है। वो सुहागरात मानने जा रही थी। ठीक है उसने अब्बास से शादी कर ली थी, पर फिर भी आखिर वो था तो उसका बाप ही और अब्बू के साथ सेक्स करने और सुहागरात मनाने का सोच कर ही उसकी चूत गीली हो रही थी।

अब्बास ज़ैनब के बगल में बैठ गया। ज़ैनब शर्माती हुई बेड में खुद को सिकोड़ने लगी। अब्बास में एक हाथ ज़ैनब के कंधे पे रखा और उसके माथे पे चमा। ज़ैनब और सिमटने लगी और इस चुबन में उसके जिस्म को झकझोर दिया। अब्बास ने ज़ैनब को थोड़ा सा झकाया और उसकी दोनों आँखों में बारी-बारी से किस किया।

ज़ैनब की आँखें बंद हो गई थी अब। अब्बास की नजरों के सामने ज़ैनब के रसीले होंठ थे। अब्बास पहले भी इन हसीन लबों को कितनी ही बार सोच कर मुठ मर चूका था , लेकिन आज की तो बात ही कुछ और थी। उसने ज़ैनब को थोड़ा और झुका दिया, तो ज़ैनब के होंठ अपने आप खुल गये। अब्बास ने भी देरी नहीं की और अपने होंठ ज़ैनब के होठों पे रख दिया और उनके रस को चूसता हुआ ज़ैनब को बेड पे गिराता चला गया। ज़ैनब अब सीधी लेटी हुई थी और अब्बास उसके बगल में लेटा हुआ ज़ैनब के होठों को चूमने लगा और साथ ही साथ ज़ैनब के पेट को भी सहलाने लगा था।

अब अब्बास के लिए खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। अब्बास ज़ैनब के पेंट को चूचियों से नीचे तक और लहँगे तक सहला रहा था। लाल लहँगा और चोली के बीच में गोरा चिकना पेट चमक रहा था। अब्बास ज़ैनब के होठों को चूसता हुआ उसके पेट को सामने से और बगल से सहला रहा था। ज़ैनब गरमा रही थी। वो अपने पेंट को अंदर करने लगी, ताकी अब्बास का हाथ उसके लहँगे के नीचे उसकी चूत पे चला जाए। अब्बास समझ तो गया था लेकिन उसे कौन सी हड़बड़ी थी। पूरी रात उसकी थी और आज उसे रूकना भी नहीं था। ज़ैनब को पूरी तरह पा लेना था।

अब्बास अपनी जीभ को ज़ैनब के मुँह में करने लगा। ज़ैनब को समझ में नहीं आया की क्या करना है, तो वो भी अपनी जीभ बाहर करके अब्बास के जीभ से टकराने लगी। अब्बास ने ज़ैनब की जीभ को अपने होठों के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा। ज़ैनब अब पूरी तरह गरमा गई थी। अब अब्बास ने अपना हाथ आगे किया और ज़ैनब की चूचियों को चोली के ऊपर से दबाने लगा।

चोली डीप कट की थी तो उसे कोई तकलीफ नहीं थी। वो अपने हाथ को थोड़ा सा तिरछा किया और अब्बास का हाथ ज़ैनब की चोली और ब्रा के अंदर उसकी चूची पे था। अब्बास ने ज़ैनब के निपल के करारेपन को महसूस किया। उसने चूची को हल्का सा दबाया और ज़ैनब आह करती हुई कमर को उठाकर बदन ऐंठने लगी। अब्बास चोली के हक को खोलने लगा। सारे बटन खोलने के बाद उसने चोली के दोनों कपों को किनारे कर दिया।

ज़ैनब की लाल ब्रा चमक उठी। निपल और गोरा जिस्म लाल ब्रा के अंदर से चमक रहा था। अब्बास ने ब्रा के ऊपर से ही एक चूची को कस के मसल डाला। उफफ्फ... ज़ैनब की हालत खराब होती जा रही थी। अब्बास ज़ैनब की ब्रा को किनारे करता हुआ निपल को मसलने लगा और बीच-बीच में चूचियों को भी मसल देता था। ब्रा बहुत साफ्ट और ट्रांसपेरेंट थी तो वो बस दिखावे के लिए ही थी।

ज़ैनब अब जल्दी से जल्दी नंगी होना चाहती थी। उसे अपने कपड़े और ज्वेलरी बोझ लग रहे थे। अब्बास ज़ैनब की हालत समझ रहा था। वो ज़ैनब की ज्वेलरी उतरने लगा। फिर उसने ज़ैनब के कंधे को पकड़कर उठाया और उसके पीछे बैठते हुए उसके गर्दन पे किस किया । अब्बास ज़ैनब की चिकनी पीठ को चूम रहा था और पीठ को बगल को सहला रहा था। फिर अब्बास ने ज़ैनब की चोली को उसके बदन से अलग कर दिया। अब्बास चिकनी पीठ को अपने होठों से चूमता जा रहा था।

ज़ैनब अपने पैर को मोड़ ली और सिर को घुटने में टिकाकर बैठ गई थी।

अब्बास ने ज़ैनब की ब्रा का भी हक खोल दिया और नंगी पीठ को चमने सहलाने लगा। अब अब्बास के लिए खुद को रोकना मुश्किल हो रहा था। उसका लण्ड कंट्रोल के बाहर हो रहा था। उसने ज़ैनब को फिर से झुकाया और उसके साथ उसके बगल में लेट गया। वो ज़ैनब को करवट कर लिया और उसके सामने उसके जिस्म से चिपकता हुआ लेट गया। वो फिर से ज़ैनब के होंठ चूमने लगा और उसकी पीठ, पेट को सहला रहा था।

Bahut hi zabardast update he Ting ting Bhai,

Keep posting Bro
 

Ajju Landwalia

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अब्बास में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। अब्बास ने ब्रा को हाथ से निकाल दिया। अब ज़ैनब ऊपर से टापलेश थी। अब अब्बास ने ज़ैनब को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। अब्बास एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर ज़ैनब दूध दे रही होती तो अब्बास तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। ज़ैनब आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की अब्बास जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।

फिर अब्बास दूसरे निपल को चूसने लगा और ज़ैनब के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। ज़ैनब का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। अब्बास लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो ज़ैनब की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। ज़ैनब का जिस्म हिलने लगा था अब। अब्बास का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। अब्बास ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।

ज़ैनब अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। ज़ैनब की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब ज़ैनब के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। अब्बास को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।

अब्बास में ज़ैनब के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए ज़ैनब के बगल में लेट गया। ज़ैनब चाह रही थी की जल्दी से अब्बास उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन अब्बास को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। ज़ैनब सिर्फ एक लाल पैंटी में अब्बास खान के साथ लेटी हुई थी । ज़ैनब के हिलने से चूड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। अब्बास ज़ैनब के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।

पीछे से ज़ैनब की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, अब्बास अपना हाथ सामने लाया और ज़ैनब की चिकनी चूत को सहलाने लगा। अब्बास का हाथ ज़ैनब की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। अब्बास चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई ज़ैनब की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही ज़ैनब का बदन हिलने लगा और वो अब्बास को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।

अब्बास चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। अब्बास उठकर बैठ गया और ज़ैनब को सीधा किया। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

ज़ैनब अब पूरी नंगी लेटी हुई थी अब्बास के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल ही थे। अब्बास ज़ैनब के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। ज़ैनब उस तरह अब्बा को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।

अब्बास मुश्कुरा दिया। उसने ज़ैनब के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया । ज़ैनब आँख से थोड़ा सा देखी और अपने अब्बा को इस तरह उसकी चूत के प्यार से देखता देख कर देखकर और शर्मा गई। अब्बास अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

अब्बास की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। अब्बास ज़ैनब को अपनी गीली उंगली दिखाने लगा और उसी हाथ से ज़ैनब की एक चूची और निपल को मसलने लगा।अब्बास निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। ज़ैनब आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर अब्बास का हाथ पकड़ ली। अब्बास मुश्कुरा दिया।

अब्बास फिर से ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया। अब्बास ने ज़ैनब के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चूसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था अब्बास अपनी जीभ से ही ज़ैनब की चुदाई कर रहा था। अब्बास जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।

ज़ैनब अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। अब्बास ज़ैनब की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। ज़ैनब अपने बदन को ऐठने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और अब्बास को पता चला गया। ज़ैनब हाँफ रही थी।

अब्बास अब लेटी हूई ज़ैनब के मुँह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने ज़ैनब का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और ज़ैनब ने अपने बाप का लण्ड धीरे से शरमाते हुए पकड़ लिए और उसे सहलाने लगी। अब्बास ज़ैनब के बगल में सीधा लेट गया।

ज़ैनब करवट होकर अब्बास से चिपक गई, उसकी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। अब वो अब्बास के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। ज़ैनब से अब रहा नहीं जा रहा था उस का मन तो कर रहा था की उस का अब्बा अब्बास जल्दी से जल्दी लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाल दे और खूब जोर जोर से उसे छोड़ दे. पर जब उसने अब्बू को ऐसा कुछ न करते देखा तो तो उसे लगा की ऐसे तो उस का अब्बा पूरी रात ऐसे ही गुजार देगा तो उसे खुद ही कुछ करना पड़ेगा. यस सोच कर ज़ैनब थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। ज़ैनब मुश्कुरा दी।

उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली उस के प्यारे अब्बा के इस मोटे और बड़े से लण्ड को ज़ैनब की छोटी सी चूत के अंदर की सैर करनी थी।

ज़ैनब उस लण्ड को सहलाने लगी यह उस के बाप का वही प्यारा सा लण्ड तह जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। ज़ैनब का ये सब पहला अनुभव था। वो अपने पति उस्मान के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी अब्बा को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने अब्बास का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और अब्बास के पैरों के बीच बैठ गईं। ज़ैनब लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों अब्बास के जांघों को सहला रही थी। ज़ैनब अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी।

उसने अपनी सहेलियों से लण्ड को चूसने के बारे में सुना तो जरूर था पर उस ने कभी भी अपने पति उस्मान का लण्ड चूसा नहीं था. उस्मान भी इसको बड़ा गन्दा समझता था. पर ज़ैनब के मन में लण्ड को चूसने की एक दबी हुई इच्छा जरूर थी. उसने सोचा की आज यही अच्छा मौका है जब वो अपने जनम देने वाले अब्बा का लण्ड चूस सकती है और लण्ड चूसने का स्वाद भी चख सकती है,

अब्बास ने ज़ैनब को रोक दिया और उसका मुंह हटा दिया। ज़ैनब चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं मेरे अब्बा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। अब्बास उठकर बैड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और ज़ैनब अब नीचे बैठकर अब्बास का लण्ड चूस रही थी।

ज़ैनब बहुत जतन और ध्यान से अब्बास का लण्ड चूस रही थी। वो इस तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। ज़ैनब बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह अपने बाप अब्बास का लण्ड को चूसते हुए। अब्बास ने ज़ैनब को बेड पे लेटने के लिए कहा। ज़ैनब बैड पर आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की अब्बास ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।

अब्बास ज़ैनब के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने ज़ैनब के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो ज़ैनब के पैरों के बीच में थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को ज़ैनब की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही ज़ैनब के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। अब्बास अपने लण्ड से ज़ैनब की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।

ज़ैनब चूत में अब्बास का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी वो मेंटली तैयार हो चुकी थी। ज़ैनब सोच रही थी "आहह... अब्बा डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... रौंद डालिए मेरे जिसम को आहह... अब्बा प्लीज़... डालिए ना अंदर"

.. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।

Wah Ting ting Bhai,

Kay gazab ki update post ki he........................uttejna aur kamukta se bharpur

Keep posting Bhai
 
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