2812rajesh2812
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बहुत शानदार कहानी चल रही है अभी तक मजा आ गया।अब्बास में हाथ को सामने किया और नीचे से ब्रा के अंदर हाथ डालता हुआ चूचियों को मसलने लगा। वो जोर जोर से चचियों और निपलों का मसलने लगा। अब्बास ने ब्रा को हाथ से निकाल दिया। अब ज़ैनब ऊपर से टापलेश थी। अब अब्बास ने ज़ैनब को फिर से सीधा लिटा दिया और चूचियों को चूस रहा था। अब्बास एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था। अगर ज़ैनब दूध दे रही होती तो अब्बास तुरंत ही उसका टैंकर खाली कर देता। वो दूसरे निपल को मसलता उंगली में लेकर जा रहा था। गोरी चूचियां लाल हो रही थी। ज़ैनब आह्ह... उह्ह.. करने लगी थी। उसे लग रहा था की अब्बास जल्दी में उसे नंगी करतें और तुरंत ही चोद डालते।
फिर अब्बास दूसरे निपल को चूसने लगा और ज़ैनब के पेंट, बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। ज़ैनब का एक पैर सीधा था और दूसरा पैर उसने मोड़ लिया था। अब्बास लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर वो ज़ैनब की नंगी जांघों को सहलाने लगा था। ज़ैनब का जिस्म हिलने लगा था अब। अब्बास का हाथ पैंटी के ऊपर से चूत में था और वो चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। अब्बास ने लहँगा का पूरा ऊपर कर दिया।
ज़ैनब अंदर में लाल रंग की डिजाइनर पैटी पहनी थी जो आधी ट्रांसपेरेंट थी चूत के ऊपर। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच में आ गया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। ज़ैनब की चूत तो कब से गीली थी और वो गीलापन पैटी पे भी आ चुका था। अब ज़ैनब के लिये बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। अब्बास को अपनी गीली पैंटी को देखते पाकर वो शर्मा गई।
अब्बास में ज़ैनब के लहंगे को उतार दिया और अपने कुर्ते को उतारते हुए ज़ैनब के बगल में लेट गया। ज़ैनब चाह रही थी की जल्दी से अब्बास उसकी पेंटी भी उतार दे और चोदना शुरू कर दें। लेकिन अब्बास को बिना पेंटी उतारे बगल में लेटता हुआ देखकर उसे मायूसी हई। ज़ैनब सिर्फ एक लाल पैंटी में अब्बास खान के साथ लेटी हुई थी । ज़ैनब के हिलने से चूड़ी और पायल की आवाज आ रही थी, और कमरे में बैंड में हर तरफ फूल बिखरे हए थे। अब्बास ज़ैनब के बगल में लेटकर उसे अपने सीने से चिपका लिया और उसके हठों को चूसने लगा और पीठ को सहलाते हए पैंटी के अंदर हाथ डालकर गाण्ड को सहलाने लगा।
पीछे से ज़ैनब की आधी गाण्ड दिख रही थी तो, अब्बास अपना हाथ सामने लाया और ज़ैनब की चिकनी चूत को सहलाने लगा। अब्बास का हाथ ज़ैनब की लाल पैंटी के अंदर उसकी चिकनी गीली चूत पे था। अब्बास चूत को सहला रहा था और उसने अपनी एक उंगली गरमाई ज़ैनब की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही ज़ैनब का बदन हिलने लगा और वो अब्बास को कस के पकड़ ली और उसके होठों को चमने लगी। पेंटी सामने में भी चूत में नीचे हो चुकी थी।
अब्बास चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। पैंटी घुटने तक पहुँच चुकी थी। अब्बास उठकर बैठ गया और ज़ैनब को सीधा किया। अब्बास ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।
ज़ैनब अब पूरी नंगी लेटी हुई थी अब्बास के आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल ही थे। अब्बास ज़ैनब के चमकतें जिस्म को निहारने लगा। ज़ैनब उस तरह अब्बा को देखता देखकर शमां गई और अपनी मेहन्दी लगे हाथों से अपना चेहरा छुपा ली।
अब्बास मुश्कुरा दिया। उसने ज़ैनब के पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। वो अपने एक हाथ से चूत को फैलाया । ज़ैनब आँख से थोड़ा सा देखी और अपने अब्बा को इस तरह उसकी चूत के प्यार से देखता देख कर देखकर और शर्मा गई। अब्बास अपनी उंगली चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
अब्बास की उंगली चूत से बाहर आई तो पूरी तरह गीली थी। अब्बास ज़ैनब को अपनी गीली उंगली दिखाने लगा और उसी हाथ से ज़ैनब की एक चूची और निपल को मसलने लगा।अब्बास निपल को कस के मसलकर ऊपर खींचने लगा। ज़ैनब आउ: करती हई दर्द कम करने के लिए अपने बदन को ऊपर उठाई और चेहरे से हाथ हटाकर अब्बास का हाथ पकड़ ली। अब्बास मुश्कुरा दिया।
अब्बास फिर से ज़ैनब के पैरों के बीच बैठ गया। अब्बास ने ज़ैनब के पैरों को अच्छे से फैला दिया, और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पे किस किया और फिर चूसने लगा। वो अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था अब्बास अपनी जीभ से ही ज़ैनब की चुदाई कर रहा था। अब्बास जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूस रहा था और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा था।
ज़ैनब अब खुद को नहीं रोक पाई और उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। अब्बास ज़ैनब की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। ज़ैनब अपने बदन को ऐठने लगी और उसकी चूत में कामरस छोड़ दिया और अब्बास को पता चला गया। ज़ैनब हाँफ रही थी।
अब्बास अब लेटी हूई ज़ैनब के मुँह के पास आया और अपने पायजामें को नीचे कर दिया और उसका विशाल सा लण्ड उसके अंडरवेर को फाड़ने के लिए तैयार था। उसने ज़ैनब का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर पे रखा और ज़ैनब ने अपने बाप का लण्ड धीरे से शरमाते हुए पकड़ लिए और उसे सहलाने लगी। अब्बास ज़ैनब के बगल में सीधा लेट गया।
ज़ैनब करवट होकर अब्बास से चिपक गई, उसकी चूचियां अब्बास के जिश्म से दब रही थी। अब वो अब्बास के लण्ड का अंडरवेर के ऊपर से सहला रही थी। ज़ैनब से अब रहा नहीं जा रहा था उस का मन तो कर रहा था की उस का अब्बा अब्बास जल्दी से जल्दी लण्ड को उसकी चूत के अंदर डाल दे और खूब जोर जोर से उसे छोड़ दे. पर जब उसने अब्बू को ऐसा कुछ न करते देखा तो तो उसे लगा की ऐसे तो उस का अब्बा पूरी रात ऐसे ही गुजार देगा तो उसे खुद ही कुछ करना पड़ेगा. यस सोच कर ज़ैनब थोड़ा सा उठी और अंडरवेर को नीचे कर दी। अंडरबेर नीचे करते ही फुफकारते हए सौंप की तरह लण्ड बाहर निकला और तनकर खड़ा हो गया। ज़ैनब मुश्कुरा दी।
उसे लण्ड और बड़ा और मोटा नजर आया। आज फाइनली उस के प्यारे अब्बा के इस मोटे और बड़े से लण्ड को ज़ैनब की छोटी सी चूत के अंदर की सैर करनी थी।
ज़ैनब उस लण्ड को सहलाने लगी यह उस के बाप का वही प्यारा सा लण्ड तह जिसने कई बार उसके नाम का मूठ मारा था। ज़ैनब का ये सब पहला अनुभव था। वो अपने पति उस्मान के साथ ये सब कुछ नहीं की थी, फिर भी अब्बा को बुरा ना लगे और उसे खुशी मिले, उसने अब्बास का पायजामा और अंडरवेर को नीचे करके उतार दिया और अब्बास के पैरों के बीच बैठ गईं। ज़ैनब लण्ड को पूरे हाथ में लेकर पकड़ ली और झुकती हुई उसे किस की। लण्ड की खुश्ब उसे दीवाना कर गई। वो लण्ड पे झकती गई और मैंह को फैलाती गई और फिर उसे मैंह में लेकर चूसने लगी। उसकी चूचियों अब्बास के जांघों को सहला रही थी। ज़ैनब अपने मुँह का और फैलाई और अच्छे से लण्ड का मुँह में भर कर चूसने लगी।
उसने अपनी सहेलियों से लण्ड को चूसने के बारे में सुना तो जरूर था पर उस ने कभी भी अपने पति उस्मान का लण्ड चूसा नहीं था. उस्मान भी इसको बड़ा गन्दा समझता था. पर ज़ैनब के मन में लण्ड को चूसने की एक दबी हुई इच्छा जरूर थी. उसने सोचा की आज यही अच्छा मौका है जब वो अपने जनम देने वाले अब्बा का लण्ड चूस सकती है और लण्ड चूसने का स्वाद भी चख सकती है,
अब्बास ने ज़ैनब को रोक दिया और उसका मुंह हटा दिया। ज़ैनब चौंक गई की अब क्या हो गया? कहीं मेरे अब्बा को मेरा लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगा क्या क्या? लेकिन आज बहुत कुछ होना था। अब्बास उठकर बैड के किनारे पैर लटका कर बैठ गया और ज़ैनब अब नीचे बैठकर अब्बास का लण्ड चूस रही थी।
ज़ैनब बहुत जतन और ध्यान से अब्बास का लण्ड चूस रही थी। वो इस तरह कोशिश कर रही थी की पूरा लण्ड वो मुँह में ले पाए लेकिन ये हो नहीं पा रहा था। ज़ैनब बहुत सेक्सी लग रही थी इस तरह अपने बाप अब्बास का लण्ड को चूसते हुए। अब्बास ने ज़ैनब को बेड पे लेटने के लिए कहा। ज़ैनब बैड पर आकर लेट तो गई, लेकिन उसकी टाँगें आपस में सटी हुई थी और एक तरह से वो अपने नंगे बदन को समेट रही थी। वो समझ रही थी की अब्बास ने उसे चोदने के लिए बैंड पे लिटाया है और अब उसकी चुदाई होने वाली है। चुदाई के इस एहसास ने उसे रोमांचित कर दिया और वो फिर से शर्मा रही थी।
अब्बास ज़ैनब के पैर को फैलाता हुआ बीच में बैठ गया। उसने ज़ैनब के पैर को अच्छे से फैला दिया और चूत में किस करता हुआ उंगली करने लगा। अब वो ज़ैनब के पैरों के बीच में थोड़ा आगें आ गया और अपने लण्ड को ज़ैनब की चूत में सटा दिया और फिर चूत को लण्ड से सहलाने लगा। लण्ड चूत में सटते ही ज़ैनब के जिस्म में करेंट दौड़ गया। वो पूरी तरह गरमा गई और चूत गीली हो गईं। अब्बास अपने लण्ड से ज़ैनब की चूत को सहलाते जा रहा था और जगह बनाते जा रहा था।
ज़ैनब चूत में अब्बास का लण्ड लेने के लिए आतुर हो रही थी। लण्ड के अंदर जाने पर होने वाले दर्द को सहनें के लिए भी वो मेंटली तैयार हो चुकी थी। ज़ैनब सोच रही थी "आहह... अब्बा डालिए ना अब अंदर। मेरी चूत आपके सामने हैं। डाल दीजिए अपने लण्ड को अंदर और चोदिए मुझे। जितने सपने आपने देखें हैं मुझे सोचते हुए, सब पूरे कर लीजिए आह्ह... रौंद डालिए मेरे जिसम को आहह... अब्बा प्लीज़... डालिए ना अंदर"
.. लेकिन उसके मुँह से बस आहह... उम्म्म ह... की आवाज ही आ रही थी।
बाप बेटी की चुदाई के बीच खुलकर खूब गंदे संबाद हो खासकर जैनब की तरफ से बो अब्बा को भी गंदा बोलने को उकसाये तो चुदाई का और भी मजा आएगा