अब ये सोचते ही दिव्या को हसी आ जाती हैं। वो इन्ही खयालों में खोई होती हैं तभी नीचे डोर बेल बजती हैं।
Update - 46 a
अब बेल की आवाज सुनते ही नुपुर को लगता हैं के पलक आ गई हैं तो वो तुरंत काम छोर कर दरवाजे की ओर जाते हुए बोलती हैं: बड़ी देर लगा दी बेटा।
अब नुपुर दरवाजा खोलती हैं और बिना देखे के कौन हैं वो मुड़ कर जाते हुए बोलती हैं: पलक तुम ऊपर चली जाओ दिव्या इंतजार कर रही हैं।
इतने में नुपुर के पीछे से आवाज आती हैं: ये पलक कौन हैं?
नुपुर को आवाज जानी पहचानी लगती हैं तो वो मुड़ के देखती हैं तो पाती हैं के प्राची दरवाजे पे खड़ी हैं। नुपुर उसको देख के बोलती हैं: अच्छा तुम हो मुझे कोई और लगा।
प्राची: हां चलो मैं हूं अगर कोई और ही होता तो तुम्हारे इस कहर खाते बदन को तुम्हे पेल भी देता।
नुपुर: अच्छा तुम तो जैसे पेलना नही चाहती हो इस बदन को।
प्राची: चाहती तो हूं पर लंड नही हैं ना मेरे पास।
नुपुर: तू पागल हैं चल अंदर आ और कपड़े उतार के आराम से बैठ मैं नाश्ता बनाने ही जा रही हूं।
प्राची: मैं अभी नही उतारूंगी।
नुपुर: क्यू?
प्राची: जब तू मेरे साथ सेक्स करने आयेगी तभी उतारूंगी।
नुपुर: चलो फिर बैठो थोड़ी देर में आती हूं। तब तक एक काम करो दिव्या के पास चली जाओ।
नुपुर दिव्या को आवाज लगती हैं। अब दिव्या नुपुर की बातो को ही सोच रही होती हैं तो नुपुर की आवाज सुनते ही हड़बड़ा जाती हैं और जवाब देती हैं: हां...हां मम्मी क्या हुआ?
नुपुर: बाहर आओ देखो कौन आया।
दिव्या रूम से बाहर आती हैं तो देखती है प्राची खड़ी हैं तो वो बोलती हैं: मौसी आप आई हैं।
प्राची: क्यू नही आ सकती हूं?
दिव्या: अरे यार मौसी आप भी।
प्राची: तुम ऊपर ही खड़ी रहेगी या यहां आके मेरा आशिर्वाद भी लोगी। वैसे तुम्हे तो पता नही होगा हम में कैसे आशीर्वाद लिया जाता हैं।
दिव्या: मुझे सब पता हैं बड़ो का समान कैसे करते हैं। मैं भी आपकी ही रंडी हूं।
प्राची नुपुर से: तो तुमने इसको सीखा दिया।
नुपुर: मैने नही पायल ने सिखाया हैं।
प्राची: अच्छा उनको भी सब पता हैं।
नुपुर: हां वो भी अपनी बेटी के मजे ले रही हैं।
प्राची: अच्छा तो मैं ही लेट हूं। चलो अब बड़ो का समान करने आओगी।
नुपुर: यहां खुद अपनी बड़ी बहन का आशीर्वाद लेती नही हैं और छोटो को सिखा रही हैं।
प्राची: अच्छा दी चल आज पहली बार मैं तेरा आशीर्वाद ले लेती हूं जिससे ये बच्चे न सोचे के मैं अपनी बहन को प्यार नही करती हूं।
अब प्राची नुपुर के सामने घुटनों के बल बैठ जाती हैं और अपनी जीभ निकाल के नुपुर की चूत को हल्का से चाटते हुए बोलती हैं: दीदी मुझे आशीर्वाद दो।
नुपुर हस्ते हुए: दूधो नहाओ पुत्रो फलों। सदा सुखी रहो।
प्राची: दी और नही दूध में नहाना ठीक। सुखी वाला ही आशीर्वाद नही दे सकती थी बस।
नुपुर: क्यू तुम बोलो तो मैं अभी भी करवा दूं।
प्राची: अब बच्चा नहीं सुख चाहिए बस वो दिलवाओ।
दिव्या: मौसी हम तो सुख दिला दे पर जो आपके पास सुख की दुकान हैं उसका क्या? वो तो हमें दोगी नही।
प्राची: मैने कल भी बोला था आज भी बोलती हूं तुम दोनो को पूरा सुख दिलवाऊंगी बस मेरे सुख का इंतजाम कर दो।
नुपुर: चलो ठीक हैं। अब ऊपर जाओ मैं थोड़ी देर में आती हूं। पलक आ जाए इसके बाद।
प्राची: ये कौन हैं?
नुपुर: दिव्या बता देगी तू उसके पास जा।
अब प्राची ऊपर चढ़ के पहुंचती हैं तो देखती हैं दिव्या पैंटी में हैं तो समझ जाती हैं के इसके दिन चल रहे हैं। तो बोलती हैं: अच्छा इसलिए नीचे नही आई।
दिव्या: ऐसा नहीं हैं। अच्छा आप पैंट उतारो आशीर्वाद लेना हैं।
प्राची: खुद उतारो।
अब दिव्या प्राची की पैंट उतार के उसकी चूत को देखती हैं तो एक तक देखती रह जाती हैं और बोलती हैं: आपकी चूत भी मम्मी की तरह सुंदर हैं। नानी में कोई तो बात थी जो दोनो बेटियो इतनी प्यारी चूत दी हैं।
प्राची: चल मस्का मत लगा और आशीर्वाद ले।
अब दिव्या घुटनो पे बैठ के अपनी जीभ प्राची की चूत पे चलाती हैं और उससे आशीर्वाद मांगते हैं।
प्राची: दूधो नहाओ पुत्रो फलों।
दिव्या: मौसी कितनी बुरी हो मुझे यही आशीर्वाद बस।
प्राची: तो हम सबको बच्चा चाहिए तुमसे तो वही दिया। अब तुम भी अपने बाप से प्रेग्नेंट होना ही चाहती हो। तो आशीर्वाद तो गलत नही हैं ये।
दिव्या: आप भी बहुत कामिनी हो। चलो रूम में आओ और ये पैंट यही छोड़ दो।
अब प्राची और दिव्या रूम में जाते हैं और दिव्या प्राची को पलक के बारे में सब बता देती हैं उतनी देर में पलक भी घर आ जाती हैं और नुपुर उसको रूम में भेज देती हैं।