अब शिवम् और पलक रूम में आते हैं खाने के साथ और पलक खाना लगाने लगती हैं चारो के लिए। वही शिवम् और नुपुर एक दूसरे से झूठा मुठा सा मुंह फुलाए बैठ जाते हैं।
Update - 44
अब दिव्या कहती हैं: मम्मी मुझमें हिम्मत नहीं है खाना खाने की भी आप खिला दो।
नुपुर: अभी चुदाई के लिए बोल दो पूरी हिम्मत आ जायेगी नौटंकी बता रही हैं।
दिव्या: नही मम्मी सच में हिम्मत नही हैं।
शिवम्: अरे ठीक हैं ना बेचारी बोल रही हैं नही हिम्मत हैं तो। मैं खिला दूंगा।
नुपुर: अरे पर।
शिवम्: ठीक हैं मैं तुम तीनो को खिला दूंगा तुम तीनो आराम से बैठो बस।
नुपुर: मैं खुद खा लूंगी।
पलक: मैं भी पापा आप बस दिव्या को खिला दो।
शिवम्: तुम दोनो से किसी ने पूछा।
अब नुपुर पलक को आगे कुछ बोलने से रोक देती हैं। और शिवम् तीनो को अपने हाथो से खाना खिलाने लगता हैं। अब दिव्या खाना खाते हुए मन में सोचती हैं: हाए पापा सबका कितना खयाल रखते हैं। मम्मी कितनी लकी है उनको ऐसा पति मिला हैं मुझे जलन हो रही हैं उनसे अब। काश मेरा पति भी पापा की तरह हो। हाए उस से भी अच्छा काश पापा ही मेरे पति बन जाए। हाए क्या क्या सोच रही हूं मैं पर क्या करू पापा जैसा पति तो न मिलेगा तो इन्ही को क्यू ना पति बना लू। वैसे ही मैं चुदवाने तो वाली ही हूं और बेटी हूं तो पापा प्यार भी करते हैं अब बस पापा को और पाटा के अपना बना लेती हूं। हाए मैं भी ना अपनी का ही घर उजाड़ ने में लगी हूं क्या हो रहा हैं मुझे।
दिव्या इतना सोच रही होती हैं तभी नुपुर उसका चेहरा देखती जो की लाल हुआ पड़ा है और उसकी नजरे एक तक शिवम् पे ही अटकी हुई हैं और एक मुस्कुहरत हैं जिसको देख नुपुर समझ जाती हैं दिव्या के मन में क्या चल रहा हैं। अब वो दिव्या की सोच ज्यादा आगे न जाए इसलिए टोकते हुए बोलती हैं: दिव्या वो मेरे पति हैं ज्यादा मत सोचो उनका लंड भी नही मिलेगा याद रखना।
ये आवाज दिव्या के कान में पड़ती हैं तो वो हड़बड़ाते हुए नुपुर की तरफ चेहरा घुमा लेती हैं और हकलाते हुए बोलती हैं: क्या हुआ मम्मी?
नुपुर: जो होना था होगया पर तुम ज्यादा खयाली पुलाव मत पकाओ। एक बार तुम्हे मै निपटा दूंगी समझी।
दिव्या अनजान बनते हुए: कौनसे खयाली पुलाव मम्मी। क्या बोल रही हो आप मैं कुछ समझी नहीं।
नुपुर: नही समझी तो ठीक हैं वैसे मैं जान रही हूं के तुम अब ज्यादा ही समझ चुकी हो।
अब दिव्या समझ जाती हैं के मम्मी से कुछ छुपाने से कुछ नही होगा उनको बोल देना ही सही हैं तो शर्माते हुए बोलती हैं: मम्मी पर आप भी समझो मैं भी तो लड़की हूं एक मुझे भी कुछ चीज पसंद आयेंगे कहा तक दिल को रोकूंगी। आपके पास तो सब हैं पर मुझे तो कुछ नही पता के मुझे कुछ मिलेगा भी या नहीं तो जो दिख रहा हैं उसे देख रही हूं।
नुपुर: पर अपनी की ही चीज को देख रही हो।
दिव्या: क्या करू आप बताओ आप ही के पास हैं मेरे पास तो कुछ नही हैं तो कहा देखूं।
नुपुर दिव्या की बात समझती हैं और फिर दो मिनट सोच के बोलती हैं: तुम्हे जो चाहिए वो मेरे साथ शेयर कर लो पर दिमाग ज्यादा मत चलाओ क्युकी छीन नही पाओगी और मैं भी नाराज हो जाऊंगी तो कहा जाओगी।
दिव्या: ठीक हैं मम्मी मैं कुछ नही छीनूंगी। पर मुझसे आप शेयर करोगी ये सोचो।
नुपुर: तुम्हे जो जो चाहिए सब मिल तो रहा हैं बाकी जो कुछ और तुम्हारी जरूरत हैं वक्त आने पे मैं पूरी करवा दूंगी। ठीक।
दिव्या: ठीक अगर आप कहती हो तो मैं मन लेती हूं।
शिवम्: तुम दोनो क्या बतिया रही हो हम लोगो को कुछ समझ नही आ रहा हैं।
नुपुर: आप नही समझेंगे ये लड़कियों की बात हैं।
शिवम् पलक की तरफ देखते हुए: तुमको समझ आया कुछ?
पलक: नही पापा। मैं भी कोशिश ही कर रही हूं समझने की।
शिवम्: अब बताओ इसको भी नही आया अब ये लड़की नही हैं क्या?
नुपुर: ये बच्ची हैं और आप बेवकूफ़।
शिवम्: ठीक भाई हम बेवकूफ ही सही हैं।
दिव्या: हां आप ऐसे ही रहो एक दम बेवकूफ और आपके चाकर में न जाने क्या क्या हो जायेगा। थोड़े तो समझ डर बनो।
नुपुर: इनसे इस चीज की उम्मीद मैने तेरे पैदा होने के बाद से छोर दी थी। मुझे लगा था ये तेरे बाद समझदार हो जायेंगे पर उसके बाद और ज्यादा हो गए।
इस बात पे तीनो औरते हस देती हैं जिसपे शिवम् नुपुर को घूरता हैं और बोलता हैं: बेटा मैं समझदार हूं इसलिए इतनी बड़ी कंपनी चला रहा हूं समझी।
नुपुर: हां बस इतनी ही समझदारी हैं आपमें बाकी चीज़ों में घंटा कुछ नही जानते आप।
दिव्या: अच्छा मम्मी पापा को परेशान मत करो ज्यादा एक ही तो सहारा हैं हम लोगो का पापा नाराज हो जायेगा तो वो भी नहीं मिलेगा।
इसपे नुपुर बोलती हैं: भगवान भी अच्छी चीज़े गधों को देता हैं।
तीनो हस देती है और शिवम् भी इस बात पे हस देता हैं। तभी दिव्या बोलती हैं: हां मम्मी गधों का लंड बड़ा होता हैं। अब अपनी किस्मत में एक ही गधा हैं आप उसको नाराज कर दोगी तो कैसे चलेगा।
शिवम्: ज्यादा बोल रही हो तुम गधे का लंड तुममें घुसेगा तो मर जाओगी।
दिव्या: हाए पापा उस प्यारी मौत के लिए तो कबसे तड़प रही हूं दे दो ना वो मौत मुझे। मेरी जान।
शिवम्: क्या बेशर्म लड़की पैदा की हैं तुमने।
नुपुर: मेरे से ना बोलो कुछ स्पर्म आपका ही हैं।
शिवम्: इतने गंदे स्पर्म थे क्या मेरे।
दिव्या: पापा इसका पता मैं लगा सकती हूं आप मुझे चोद दो मैं बच्चा पैदा कर दूंगी फिर देख लेंगे आपके स्पर्म में दिक्कत थी या मम्मी के अंडे में।
शिवम्: तू चुप रहे हवस की पूजारन।
अब नुपुर और दिव्या हस पड़ती है और फिर चारो ऐसे ही तफरी करने लगते हैं। शिवम् तीनो को खाना खिला के बर्तन रूम के बाहर कर देता हैं। और दिव्या लेट जाती हैं और बोलती हैं: मम्मी मुझे नींद आ रही हैं मैं सोने जा रही हूं।
पलक: मैं भी मम्मी।
नुपुर: ठीक हैं तुम दोनो सो जाओ।
दिव्या नुपुर की तरफ पीठ करके लेटते हुए बोलती हैं: नुपुर हम लोग थके हुए हैं तो चुदाई मत करने लगना तुम दोनो डिस्टर्ब होता हैं।
इस बात पे नुपुर दिव्या का कान खींचते हुए बोलती हैं: क्या बोली आज कल ज्यादा बेशर्म नही होती जा रही है तू कुछ भी बोलने लगी हैं।
दिव्या दर्द से चिल्लाते हुए: अरे सॉरी मम्मी।
नुपुर उसका कान छोर देती हैं तो दिव्या कान मलते हुए बोलती हैं: आप भी ना बेशर्म खुद बनाती हो और फिर डांटती हो। मैने क्या गलत बोला आप दोनो सेक्स करोगे तो दिक्कत होगी वही तो बोला अब इतना भी नही बोल सकती?
नुपुर झूठ मूठ गुस्से वाली मुस्कान के साथ: तुम ना
दिव्या: क्या?
नुपुर: तुम बस बहुत बिगड़ गई हो। और तुम किसी दिन मुझसे पिटोगी।
दिव्या: आप प्यार नही करती क्या मुझे को मुझे मरोगी।
नुपुर: अरे तुमसे ही तो सबसे ज्यादा प्यार करती हूं मेरी जान तुम्हारे बाप से भी ज्यादा। उनसे तो बस उनके लंड की वजह से टिकी हुई हूं।
दिव्या: अच्छा मुझसे इतना प्यार करती हो। अगर इतना करती हो तो मेरे लिए अपने पति का लंड छोर दोगी।
नुपुर: हाए मेरी कमजोरी मांगली तुमने। पर चल तू बोलेगी तो वो भी तेरे लिए कुरबान अब बोल।
दिव्या: हम्म् चलो तो उसकी कुर्बानी मत दो बस इतना प्रोमिस करो के मुझे हर वक्त अपनी देती रहोगी।
नुपुर: तू जब लेना चाहती हैं तो ले ही लेती हैं रोका तुझे आज तक तेरी ही हैं।
दिव्या: वो तो हैं। पर अब तो दी भी हैं ना तो उनको भी तो दोगी।
नुपुर: तुम दोनो को जब लेना हो ले सकती हो तुम दोनो मेरी प्रायोरिटी हो। मेरे पति से भी पहले हो तुम दोनो।
दिव्या: हम्मम अब की अच्छी मम्मी वाली बात।
नुपुर: तो अभी तक मैं अच्छी मां ना थी।
दिव्या: हां थी अच्छी मां पर अब और अच्छी हो गई हो। चलो अब मुझे सोना हैं डिस्टर्ब मत करो।
इतना बोलके दिव्या पलक को घसीट लेती हैं अपने बगल में और उसको अपनी बाहों में भरके उसको kiss करते हुए सो जाती हैं और पलक भी अपनी आंखे बंद कर सो जाती हैं।
इधर दोनो सोती हैं और शिवम् रूम में आता हैं नीचे रिसेप्शन कुछ बात करके। वो रूम में घुसता हैं तो दोनो को सोता पाता हैं तो नुपुर की तरफ इशारा करके पूछता हैं के इन दोनो को क्या हुआ तो नुपुर जवाब में सोने का इशारा करती हैं। नुपुर शिवम् को अपने पास बुलाती हैं और शिवम् उसके पास आ के बिस्तर पे बैठ जाता हैं और बोलता हैं: हां बोलो महारानी क्या हुआ अभी तो लड़ रही थी अब क्या हैं।
नुपुर: हां तो लड़ना हक हैं मेरा और प्यार करना भी इसलिए बुलाया। बड़े दिन से ऐसे रात में बैठके बात नही करी ना।
शिवम्: हां तो रोज चुदना होता हैं तुझे तो कैसे करेंगे बात।
नुपुर मुस्कुराते हुए: हां तो आज नही चुद सकती मेरी बेटी ने बोला हैं do not disturb अब बोलिए। आप बात भी नही करोगे क्या।
शिवम् उसका माथा चूमते हुए: तुझे बात करना तो मुझे बहुत पसंद हैं बोल क्या बात करनी है तुझे मुझसे।
नुपुर: वैसे मैं इतना सब कर चुकी हूं के अब ये सवाल सही नही लगता हैं पर फिर भी आप एक बार सच सच बताइए मैं इसके साथ अपने शौक पूरे करके कुछ गलत तो नहीं कर रही हूं। मुझे ये डर लगता हैं के कही इसके साथ मैं कुछ बुरा न कर जाऊं।
शिवम्: हम्म् तुम इसकी मां हो पहली बात तो तुम गलत कर सकती हो। नही, और दूसरी बात ये के हर मां बाप अपने शौक बच्चो के साथ ही पूरा करते हैं बस तुम्हारे शौक अजीब हैं पर उसको भी पसंद हैं तो ठीक हैं और जो हो गया रोक सकती हो तुम नही ना तो क्यू सोच रही हो हर मां बाप की तरह हम्हे भी बाद में पता चलेगा हमारे शौक हमारे बच्चो के लिए सही हैं या नहीं। पर इतना बोल सकता हूं मैं के तू इनसे प्यार करती हैं तो तू सही हैं। और मैं तेरे साथ इस चीज में हमेशा हूं।
नुपुर: वो तो मुझे पता हैं के आप हो मेरे साथ। और जो होगा देखा जायेगा पर इन दोनो को मैं इनकी लाइफ पूरी मजे में जीने दूंगी कोई रोक टोक नही।
शिवम्: हम्म् कोई रोक टोक नही बस बाप पे डोरे मरने के बारे में जब बेटी सोच रही हो तो रोक दो क्युकी पति वो तुम्हारा।
नुपुर: मैं बुद्धू हूं जो सोच बैठी के आप कुछ नही समझे हो। और मैने दे तो दी परमिशन।
शिवम्: हां कैसी परमिशन दी हैं आपने। पापा को शेयर करलो। बेचारी वो पूरा चाहती हैं और तुम शेयरिंग करने बोल रही हो।
नुपुर: तो मेरे पति हो जलन तो होगी ना भले कोई हो मैं ऐसे ही दे दू अपना पति किसी को भी।
शिवम्: किसी को में ये नही आती हैं पहली बात और दूसरी बात तुमने ही इसको ये सब सोचने लायक बनाया हैं और ये तो हम दोनो जानते थे के इसका मन ये होगा आज नही तो कल। तब क्या सोचा था ये तो नही था के शेयरिंग पे लेके आ जाओगी तुम। इसको इसका हक मिले और तुम्हे तुम्हारा ये तुमने ही बोला था।
नुपुर: हां सॉरी चलो अब मैं अपने आपको समझा लूंगी और सच में अब कोई रोक टोक नही।
शिवम्: ठीक है अब हम भी सोए।
नुपुर: हां अब मेरे अंदर भी हिम्मत नही हैं चुदने की तो उस लड़के को माना कर देती हूं।
शिवम्: ठीक हैं तुम माना कर दो और कैसे सोना हैं।
नुपुर शिवम् की बात न सुनके पहले लड़के को माना करती हैं फिर शिवम् को जवाब देती हैं: हम्म् आप पलक के बगल में सो जाओ मैं दिव्या के बगल में सो जाती हूं?
शिवम्: अच्छा ठीक हैं।
नुपुर: नही नही उसके बगल में आप भी कपड़े पहन लोगे वो भी बुद्धू हैं ऐसे ही सो गई कपड़े भी नही उतरे। आप इधर सो और जैसे मेरे साथ सोते हो वैसे ही सोना। इसको भी रात में अच्छा लगना चाहिए बाकी मैं इसके कपड़े उतरके इसके बगल में सो जाती हूं। ठीक।
शिवम्: ठीक हैं महारानी साहिबा जो आपका आदेश।
अब शिवम् दिव्या के बगल में लेटता हैं और अपना लंड दिव्या की चूत के पास उसके पैरो के बीच में फसा देता हैं। अब दिव्या शिवम् की ओर पीठ करी हुई होती हैं तो शिवम् उसकी चूत से अपना लंड रगड़ देता है और उसकी चुचियों को अपने हाथ में भर के उसकी गर्दन पे मुंह लगाके उसकी पीठ को अपनी छाती हैं चिपका लेता हैं अब इतने सब से दिव्या के मुंह से आह निकल जाती हैं। वो गहरी में नींद में होती हैं और नींद में भी अपने पापा के सपनो में होती हैं तो ये सबसे वो नींद में बडबडा जाती हैं: आह पापा ऐसे ही अपनी बेटी को अपना बना लो।
शिवम् उसकी बात सुनके नुपुर को देखता हैं जो पलक के कपड़े उतार रही होती हैं तो वो शिवम् को देखती हैं और हस्ते हुए इशारे में कहती हैं नींद में हैं। शिवम् भी हस देता हैं। फिर नुपुर पलक को दिव्या की तरफ करती हैं और उसकी पीठ को अपनी छाती से लगा के उसकी चुचियों को एक हाथ से दबाती हैं और एक उसकी चूत पे रख देती हैं और उसकी गर्दन पे होंठ रख चूमती हैं। अब दोनो एक दूसरे को देखते हैं और अपनी बेटियो के कंधे पे सिर रख के उनको अपनी बाहों में भर के सो जाते हैं।