अब नुपुर कॉल काट देती है। उसके बाद दिव्या और नुपुर फिर से वीडियोस देखने लगती हैं।
Update - 43
अब आगे...
नुपुर वही वीडियो चला रही होती हैं तभी दिव्या बोलती हैं: नुपुर कोई और नहीं हैं इसकी अब नही देखनी हैं ये वाली।
नुपुर: अच्छा कौनसी देखोगी मेरी और अपने पापा की?
दिव्या: वो तो लाइव देख सकती हूं तो वीडियो कहे देखूं।
नुपुर: तो कौनसी?
दिव्या: आपकी कोई पुरानी नही है वीडियो आपके पास इस वक्त?
नुपुर: पुरानी वाली हम्म... हा होंगी मेरे पास बैकअप कर रखी थी मैंने। रुको खोलती हूं।
अब नुपुर अपने फोन वो वीडियो का बैकअप खोलती हैं और बोलती हैं: इसको इसलिए बनाया था ताकि मैं कभी भी फोन पे देख सकूं ये वीडियोस और प्राची भी इसको देख सके। हम दोनो के पास इसका लॉगिन हैं। इसमें मैं अपनी सब वीडियो अपलोड कर देती हूं। तू बोल कौनसी देखेगी अपनी मौसी की चुदाई की देखेगी पापा के साथ।
दिव्या: हां। उसमें ज्यादा मजा आयेगा क्युकी मैं बोर हो रही हूं अब और अब मेरे अंदर हिम्मत भी नहीं हैं आपको छू भी सकूं और ये दोनो जो गए हैं अभी तक नही टपके हैं पता नही क्या कर रहे हैं।
नुपुर: आ रहे होंगे। तू परेशान क्यू हो रही हैं।
दिव्या: भूख लग रही हैं थक गई हूं सुबह से सेक्स करते करते। इतना चाटा हैं ना के अब जीभ दर्द होगई हैं।
नुपुर: वैसे जो कहो तुम में हिम्मत बहुत हैं सुबह से चाट रही हो खाली पेट। मान गई मैं तुम्हे। अब मुझे तो लग रहा हैं जब चुदाई तुम्हारी चालू होगी तो तो तुम पूरे पूरे दिन चुद सकती हो बिना रुके।
नुपुर हसने लगती हैं जिसपे दिव्या गुस्से में देखते हुए बोलती हैं: मम्मी भूख लग रही है और आपको मजाक सूज रहा हैं। चुदाई चुदाई बोलती हो कराती नही हो।
नुपुर: मैं तो कराना चाहती हूं पर क्या करू कभी तू मुकर जाती हैं कभी तेरा बाप।
दिव्या: पापा ही तो दिक्कत हैं पता नही कब पेलेंगे मुझे। मम्मी भूख लग रही हैं।
नुपुर: बेटा अब मैं क्या करू तू एक काम कर तू दूध पी ले मेरा और कुछ तो नही कर सकती हूं पापा के आने से पहले।
दिव्या: मम्मी आपकी हवस नही खतम हो रही हैं ना।
नुपुर: अरे मैं सीरियसली बोल रही हूं तू जैसे बचपन में पीती थी वैसे ही दूध पी बिना हवस के भले हम दोनो अब कुछ भी करते हो पर हूं तो तेरी मां ही न तो उसमें कहा से हवस की बात आई।
दिव्या: मम्मी पक्का।
नुपुर: चुदाई के वक्त तो ये नही पूछती हैं अब बोल रही हैं। हवस हटा के पीले कुछ तेरे पेट में जायेगा इस बहाने और मां का दूध तो अच्छा होता हैं ना सेहत के लिए तो पी ले।
अब दिव्या भी बात मान के नुपुर चूची चूसने लगती हैं एक छोटी बच्ची की तरह। नुपुर उसके बाल सहला रही होती हैं तो थोड़ा सा दूध पीके दिव्या मुंह हटाती हैं नुपुर की चुचियों से और बोलती हैं: मम्मी और नही पिया जा रहा मुंह दर्द हो रहा हैं।
नुपुर हस्ते हुए बोलती हैं: एक दिन में इतना हरामीपना कर लिया ना तूने इसलिए हुआ ये सब। चल कुछ तो तेरे पेट में गया अब तुम मेरी गोदी में सिर रखके लेट जा। पापा और दीदी के आने तक आराम कर ले।
दिव्या लेट जाती हैं और नुपुर उसके बाल सहलाने लगती है फिर दिव्या बोलती हैं: ये दोनो कही सेक्स तो नही करने लग गए।
नुपुर: तुझे दीदी पे भरोसा नहीं है या पापा पे।
दिव्या: अगर दीदी को देखू तो वो नही करेंगी कुछ पर पापा...
नुपुर: वो भी नही करेंगे कुछ मैं उनको जानती हूं तुम दोनो अब बेटी हो तो अब वो हो या तुम मुझसे पूछे बिना वो तुम दोनो को छुएंगे भी नही मैं जानती हूं। और पलक वैसे ही सीधी हैं। तो दोनो कही नही होंगे कमरे के बाहर ही होंगे खाने के इंतजार में।
दिव्या: बाहर क्या कर रहे होंगे?
नुपुर: तुझे लगता हैं जिस हालत में हम दोनो हैं तेरे पापा किसी भी मर्द को कमरे में आने देंगे भले हम दोनो को सब ने नंगा देखा हो फिर वो अपने सामने नहीं आने देंगे किसको।
दिव्या सोचती हैं और शर्माते हुए बोलती हैं: पापा बहुत प्यार करते हैं ना?
नुपुर: हां तुझसे भी और मुझसे भी।
दिव्या: वैसे मम्मी सब चीजें जो भी दिन भर में हुई उसको देखूं तो इस वक्त आपकी गोदी में लेटने पे कोई हवस वाली चीज आई ही नहीं रही हैं जबकि मेरे सामने आपकी चूत हैं।
नुपुर: हम्म क्युकी मैं तेरी मां हूं भले हम दोनो पिछले दो दिन में दोस्त से प्रेमी और bff बन गए हो पर रहेंगे तो मां बेटी ही। और तुझे पता मेरी इस वक्त सबसे अच्छी दोस्त हैं तू। मैं तुझे सब बताना चाहती हूं पर तू बोर हो जायेगी मेरी बातो से इसलिए सारे कांड नही बताती हूं। मैं तुम्हे हुम्हेशा से अपनी दोस्त बनाना चाहती थी जिस से मैं कभी कुछ छुपाऊ और आज तू मेरी दोस्त मुझे लग रही हैं।
दिव्या: मम्मी वैसे मैं आपकी सब बात सुन भी लूंगी बिना बोर हुए। और मेरी भी आप bff हो आज की तारिक में। आप मेरे लिए काव्या से ज्यादा इंपोर्टेंट हो अब। और मैं भी आपको सब बताऊंगी और पहले भी कुछ छुपा लेती थी आपसे आपके डर की वजह से अब वो बात दूंगी।
नुपुर: क्यू अब डर नही लगता याद हैं ना मैं दोस्त भले बनी हूं पर अभी भी मां ही हूं तेरी।
दिव्या: हां पहले आप मरोगी तो डर लगता था पर अब आप मरोगी तो अच्छा लगेगा समझ रही हो ना।
नुपुर: बहुत बिगड़ गई हैं तू मेरी लाडो।
अब दोनो हसने लगते हैं और नुपुर दिव्या का माथा चूम के उसको प्यार से हग कर लेती हैं। दिव्या भी अपने हाथो से नुपुर के पेट को कस के पकड़ लेती हैं। अब दिव्या को फिर से भूख से लगती हैं तो बोलती हैं: मम्मी पापा कहा हैं।
अब नुपुर कहती है रुक तेरे बाप की जान लूं पता नही रह गए। और नुपुर शिवम् को कॉल लगा देती हैं। शिवम् गेट के बाहर पलक से बात कर रहा होता हैं तभी उसको कॉल आती हैं तो वो कॉल उठाता हैं।
नुपुर: कहा हो आप?
शिवम्: गेट के बाहर ही हूं खाने का वेट कर रहा हूं।
नुपुर: आपकी बेटी भूखी हैं।
शिवम्: हां पाता हैं यहां पलक भी भूखी ही हैं खाना आ जाए तो आता हूं।
नुपुर: कैसे बाप हो आप। दोनो बेतिया भूखी और आपको कुछ पड़ी नही हैं।
शिवम्: अरे खाना आयेगा तब लाऊंगा ना मैं जाके के कढ़ाई में खुद जाऊं क्या?
नुपुर: नही कढ़ाई में नही चूलु भर पानी में कूद जाओ। बेटियो की फिकर तो हैं नहीं कोई।
शिवम्: अजीब नही हो तुम ज्यादा मैं कह रहा हूं खाना आयेगा तो लेके आ जाऊंगा तुम अलग मारा रही हो मैं क्या करू जब देर लग रही हैं।
नुपुर: आप कुछ मत करो बस खड़े रहो ये नही जल्दी काम करवाए अमीर हो रुतबा हैं पर किसी काम के हो आप।
शिवम्: हां नही हूं घुसलो तुम अब।
नुपुर: हां मैं घुसलू और आप एक काम मत करो।
शिवम्: फोन रखो वेटर आगया हैं खाने के साथ अंदर ला रहा हूं।
अब नुपुर कॉल काट देती और दिव्या को उठने के बैठने को के देती हैं। दिव्या उठके कहती हैं: मम्मी आप पापा पे इतना क्यू चिलायी? बेचारे ला तो रहे हैं।
नुपुर: तू नही समझेगी अभी इस चीज में बच्ची ही हैं तू।
अब शिवम् और पलक रूम में आते हैं खाने के साथ और पलक खाना लगाने लगती हैं चारो के लिए। वही शिवम् और नुपुर एक दूसरे से झूठा मुठा सा मुंह फुलाए बैठ जाते हैं।