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Romance बेडु पाको बारो मासा

blinkit

I don't step aside. I step up.
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अंकुश अभी अपने घर से नहीं लौटा था, कुछ पारिवारिक समस्या में उलझ गया था, उसकी समीर से भी ज़्यादा बात नहीं हो पायी, समीर भी अपने कारोबार और सुनहरी के साथ बिजी था, अभी तक उसके मन में इन लड़कियों के प्रति कोई भी भावना नहीं पनपी थी, उसका स्वाभाविक सा कारन था सुनहरी, सुनहरी और समीर एक दूसरे के प्रेम में ऐसे डूबे थे की उनको किसी और की ओर देखने की फुर्सत भी नहीं थी।

उधर तृषा को समीर अच्छा लगा था, तृषा को समीर तो उसी दिन अच्छा लग गया था जिस दिन उसकी पहली बार समीर से रॉंग नंबर लगने के कारण बात हुई थी, उसके बोलने और बातचीत के तरीके में एक खिचाव सी थी, पता क्यों बिना देखे ही उसे समीर अच्छा लगने लगा था और फिर जब अंकुश ने मिलने का प्लान बनाया था तो उसने जानबुझ कर समीर को साथ लाने के लिए कहा था, वो कम से कम एक बार समीर को देखना चाहती थी, देखने में अंकुश भी कुछ काम नहीं था, हाँ थोड़ी हाइट कम थी लेकिन इतनी भी नहीं, वही समीर अंकुश के जैसा गोरा नहीं था लेकिन उसकी आँखों में चमक और बातों की मिठास काफी थी तृषा का दिल धड़काने के लिए, लेकिन दूसरी ओर अंकुश का रवैय्या उसके साथ किसी बॉयफ्रेंड जैसा था, नीतू और आस्था भले उसके सामने ना कहती हो लेकिन उनके हाव भाव से पता चलता था की वो भी अंकुश को उसका बॉयफ्रेंड ही समझती थी

तृषा उलझन में थी की वो समीर से बात आगे बढ़ाये या अंकुश को हिंट दे। मन के किसी कोने में इच्छा थी की शायद समीर ही उसको किसी बहाने से परपोज़ कर दे लेकिन वो भला ऐसा क्यों करेगा, उसने पहले ही आस्था की बातो में समीर के लिए पसन्दीदगी देखी थी, समीर आस्था जैसी सुंदर लड़की को छोड़ कर उस जैसी सांवली लड़की को क्यों पसंद करने लगा। उसे नीतू की ओर से कोई चिंता नहीं थी क्यूंकि नीतू पता नहीं क्यों इन सब से दूर रहती थी। खैर उसने ये सब आनेवाले समय पर छोड़ा और समीर को ट्रीट देने का प्लान बनाना स्टार्ट कर दिया। दो दिन बाद उसने समीर को कॉल किया।

" हेलो ! "
" हेलो समीर ! तृषा, कहा है यार ?"

" हाँ बोलो तृषा ? क्या बात है ?"
" सब ठीक है, तू सुना ?"

"हाँ सब ठीक है ? तुम्हारा एडमिशन कन्फर्म हो गया ? "
"हाँ यार हो गया , वही से बात कर रही हूँ , थैंक यू यार तेरे कारण ही हुआ सब "

"बस बस कोई बात नहीं, इतनी बड़ी बात भी नहीं थी"
"हाँ ठीक है सुन कल क्या कर रहा है ? आजा मिलने हमसे "

"कुछ खास नहीं, कल किस लिए ? अंकुश को आने दो फिर मिलते है "
"बस तुझे ट्रीट देनी है, आस्था और नीतू को भी बुला लुंगी, चारो घूमेंगे फिरेंगे "

"अरे नहीं नहीं ! कोई ट्रीट वरिट नहीं, मैंने ट्रीट के लिए थोड़ी न हेल्प करी थी "
"अच्छा ठीक है मत ले ट्रीट पर कल आजा मिलने, तेरे पैसे लौटने है ड्राफ्ट वाले, वो तो मुझे देने है न तुझे"

"अरे ले लूंगा पैसे, आने दे अंकुश को तब मिल भी लेंगे और पैसे भी ले लूंगा"
"जी नहीं चुपचाप आजा और अपने पैसे ले ले, मम्मी को पता चलेगा तो डाँट पड़ जाएगी मुझे " तृषा ने ज़ोर डाला

"चल ठीक है कल आता हूँ , कहा आना है ?" समीर ने हथियार डाले
"कल दस बजे आजा, राजौरी में मिलेंगे वह कई सारे माल्स है "

"चल ठीक है फिर आता हूँ, हो सकता है थोड़ा लेट हो जाऊंगा, लेकिन मिल जाऊंगा। "
"चल ठीक है फिर बाई , कल वेट करुँगी तेरा, गोली मत देना ओके। " इतना बोलकर तृषा ने कॉल कट कर दिया

उसने समीर की कॉल के बाद आस्था और नीतू को भी कॉल कर दिया और कल का प्लान पक्का कर दिया, अभी सब का एडमिशन प्रोसेस में ही था इसलिए सब घूमने फिरने के मूड में थे इसलिए वो दोनों भी तैयार हो गयी।

उधर समीर ने भी तृषा की कॉल के बाद अंकुश को कॉल किया, अंकुश के नेटवर्क में कुछ इशू था फिर भी समीर ने जैसे तैसे अंकुश को अगले दिन तृषा से मिलने का प्लान बता दिया, समीर नहीं चाहता था की अंकुश को लगे की समीर मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अंकुश ने भी समीर को नहीं रोका, उसको समीर की यही बात पसंद थी, समीर कभी भी उसके और उसके शिकार के बीच में नहीं आता था वर्ना तो लड़कियों के मामले में वो अपनी परछाई पर भी भरोसा न करे।

अगले दिन प्लान के अनुसार समीर राजौरी गार्डन पहुंच गया, ये पूरा इलका उसका देख हुआ था, यहाँ पांच माल्स थे और हर मॉल में समीर सुनहरी के साथ अनेको बार घूम चूका था इसलिए उसको किसी बात की चिंता नहीं थी।

तीनो लड़किया लाइफस्टाइल मॉल में समीर का वेट कर रही थी, समीर को देखते ही तीनो खिल उठी, समीर ने बारी बारी सबसे हाथ मिलाया आस्था ने टाइट ब्लू जीन्स पहना हुआ था और ब्लैक कलर का प्रिंटेड टॉप, टॉप उसकी बॉडी से चिपका हुआ था जिसके उसने गोल गोल मध्यम साइज के स्तन उभर कर सबका धयान अपनी और आकर्षित कर रही थी, एक तो आस्था पहले से ही सुंदरता की खान थी ऊपर से इस ड्रेसिंग ने जैसे आसपास के सभी लड़को के दिल और दिमाग में आग लगा राखी थी, उसके देख कर एक बार तो समीर तक को अंदर तक हिला दिया लेकिन उसने झट से अपनी आँखों और भावनाओ पर काबू किया,

तृषा ने भी आज वाइट कलर का टॉप और ब्लू जीन्स डाला हुआ था, उसने बालो का पोनी बना रखा था, तृषा भी कुछ कम सुन्दर नहीं थी लेकिन आस्था और नीतू के आगे उसका रूप रंग दब जाता था, और वही नीतू थी, पिंक टॉप और जीन्स में, उसने ढीला ढला टॉप डाला हुआ था और उसने पैरो में स्पोर्ट्स शूज, चूइंगगम चबाती हुई इधर उधर नज़रे दौरा रही थी जैसे पार्क में घूमने आयी हो।

खैर उन चारो ने कही बैठने का फैसला किया फिर जब कुछ समझ नहीं आया तो जाकर फ़ूड कोर्ट में बैठ गए, सुबह का समय था इसलिए भीड़ न के बराबर थी, सब घर से कुछ न कुछ खा कर निकले थे इसलिए किसी का भी मन नहीं हुआ कुछ आर्डर करने का, जब कुछ समझ नहीं आया तो उन सबने मूवी देखने का प्लान बना लिया, सैफ अली खान और करीना कपूर की मूवी टशन लगी थी, समीर ने टिकट लेके की कोशिश की तो सबने उसे रोक दिया, आखिर तृषा की ट्रीट थी इसलिए पैसे उसी ने खर्च करने थे, बेचारी ने सबके लिए टिकट ले ली और सब जाकर मूवी में बैठ गए, सबसे पहले तृषा बैठी फिर आस्था फिर समीर और उसके बराबर में नीतू बैठी।

थोड़ी देर मूवी में सबको मज़ा आया लेकिन थोड़ी देर में समीर मूवी से बोर हो गया, उसे ये मूवी पकाऊ लग रही थी लेकिन तृषा और आस्था पूरा मन लगा कर देख रही थी, समीर ने इधर उधर नज़र घुमाई तो देखा नीतू उसी की ओर देख रही थी, समीर को अपनी ओर देखता पा कर नीतू ने पूछा

" क्या हुआ ?"
"यार बड़ी बोरिंग मूवी है, मज़ा नहीं आरहा है "

"है है है, शुक्र है तुझे भी पसंद नहीं आयी , मुझे लगा मैं ही अकेली हूँ "
"क्यों तुम्हे भी अच्छी नहीं लग रही ये मूवी " समीर ने धीमी आवाज़ में नीतू से पूछा

"अरे कुछ भी अच्छा नहीं अलग रहा है, बस थोड़ा बहुत सैफ ठीक है बाकी तो सब बोर कर रहे है "
" हाँ अक्षय कुमार के कारण लग रहा था की अच्छी होगी मूवी लेकिन वो भी बेकार लग रहा है "

"अच्छा तो तुझे अक्षय पसंद है ?" नीतू ने पूछा
"हाँ, ठीक लगता है मुझे, वैसे मुझे इरफ़ान खान ज़ायदा पसंद है और तुमको ? "

" अरे मैं मूवीज कम देखती हूँ लेकिन मुझे सलमान खान अच्छा लगता है "
"ओह्ह हूँ बॉडी वाला " समीर ने छेड़ा

"हाँ ठीक लगता है, उसकी बॉडी मस्त है " नीतू ने शरमाते हुए कहा
"हाहाहा, ठीक है फिर नेक्स्ट टाइम सलमान की मूवी देखेंगे"

"हाँ ठीक है, लेकिन तू बता तुझे करीना पसंद है क्या ? "
"हाँ ठीक है लेकिन इतना भी नहीं "

"चल झूठे, अभी जब वो बिकिनी में स्क्रीन पर थी तो कैसे घूर घूर कर देख रहा था " नीतू ने समीर की चोरी पकड़ी
"अरे इतना हंगामा था न्यूज़ में की करीना ने बिकिनी पहनी है तो वही देख रहा था की आखिर ऐसा क्या है जो हंगामा मचा हुआ है " समीर झेंपता हुआ बोला "

"चल कोई ना, वैसे कौन सी हेरोइन पसंद है तुझे "
"मुझे कटरीना अच्छी लगती है और बिपाशा भी "

"हाँ कटरीना तो मुझे भी अच्छी लगती है " नीतू ने कहा
तभी दूसरी ओर से तृषा ने दबी आवाज़ में दोनों को डांटा,

समीर और समीर ने एक दूसरे की और देखा और मुस्कुराकर रह गए और मूवी देखने लगे, आखिर मूवी ख़तम हुई तो वो चारो बहार निकले और फिर एक एक कर पांचो माल्स में घूमे आखिर जब घूम घूम कर थक गए तो उन्होंने एक रेस्टुरेंट में खाना खाया। खाने के टाइम ही तृषा ने अपने पर्स से निकाल कर समीर को ड्राफ्ट के पैसे चूका दिए।

खाने और घूमने के बाद जब चारो बहार निकले तो शाम होने लगी थी, चारो मेट्रो स्टेशन पर साथ ही आये, यहाँ से इंद्रप्रस्थ के लिए समीर को मेट्रो लेनी थी और उन तीनो को जनकपुरी के लिए मेट्रो मिलती लेकिन दोनों की मेट्रो अलग अलग दिशा में जाती, मेट्रो पर पहुंच कर समीर ने तीनो को बाई किया और अपने प्लेटफार्म पर चला गया और वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म की ओर चल दी,

समीर ने प्लेटफार्म पर जा कर देखा की उसी मेट्रो आने में आठ मिनट थे, उसने सामने की ओर देखा वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म पर पहुंच चुकी थी और उसकी की ओर देख कर हाथ हिला रही थी, समीर ने भी मुस्कुराकर हाथ हिला दिया, एक दो मिनट में ही उनकी मेट्रो आगयी,
कुछ ही देर में मेट्रो ने प्लेटफार्म छोड़ दिया लेकिन समीर को हैरत हुई, तीनो वही प्लेटफार्म पर खड़ी उसको देख कर हाथ हिला रही थी

तभी समीर का फ़ोन बजा, किसी अनजान नंबर से फ़ोन था, तभी तृषा ने समीर को फ़ोन पिक करने का इशारा किया, समीर ने फ़ोन उठाया, ये तृषा ही थी

"समीर हाँ क्या हुआ ? मेट्रो क्यों छोड़ दी ?"
"तेरे लिए " तृषा ने खिलखिलाते हुए कहा

"मेरे लिए, समझा नहीं "
"अरे यार तुझे छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा है , मन कर रहा है तुझे साथ ही अपने घर ले चलूँ " तृषा ने शरारती अंदाज़ में कहा

"हाँ तो ठीक है अपने पापा को बोलो मेरे लिए एक रूम का इंतेज़ाम कर दे , मैं तुम्हारे घर ही रह जाऊंगा "
"हाहाहा घर चल मेरे, क्या पता पापा हम दोनों के नाम एक फ्लैट ही कर दे, वैसे भी मेरे पापा बिल्डर है उनके नाम दो चार फ्लैट्स रहते ही है "

"हाहाहा, ना ना बस एक रूम ही काफी है मेरे लिए पुरे फ्लैट का क्या करूँगा, फ्लैट तू अपने दहेज़ में लेकर जाना "
"हाहाहा चल छोड़, अच्छा सुन इधर ही आजा, हमारे साथ चल हमारे स्टेशन तक और वह से वापिस चले जाना, ऐसे तीन तीन जवान और खूबसूरत लड़कियों का अकेले जाना अच्छा थोड़ी है "

"हाहाहा बहुत ड्रामेबाज़ है, सीधे सीधे बोल ना के तेरे साथ जनकपुरी चालू "
"अब इतना समझदार है ही तो टाइम क्यों बर्बाद कर रहा है, आजा इधर ही "

समीर ने फ़ोन जेब में रखा और घूम पर उनके साइड वाले प्लेटफार्म पर जा पंहुचा, थोड़ी देर में उनकी मेट्रो आगयी और चारो बातें करते करते मेट्रो में छड गए।

राजौरी गार्डन मेट्रो स्टेशन से जनकपुरी स्टेशन थोड़ी दूर ही है इसलिए वो चारो एक साइड में खड़े हो गए। तीनो लड़कियों समीर को घेर के खड़ी थी और बातें कर रही थी, तृषा ने बातें करते करते हैंड हैंडल को पकड़ लिया, ऐसे करने से उसका टॉप का वि शेप गला उभर गया और उसके साइड में खड़े समीर की निगाहे फसलती हुई अंदर तक चली गयी, यहाँ समीर को लम्बे होने के कारण तृषा के अंदर तक का सबकुछ नज़र आगया, तृषा के गोरे बूब्स क्रीम कलर की ब्रा में कैद थे, लग रहा था जैसे उनको ज़बरदस्ती ठूंस कर बंद किया गया हो, उसके बूब्स जितना बड़े बाहर से दीखते थे उस से कही ज़ायदा बड़े थे।

समीर एक पल के लिए उस गहराई में खो सा गया लेकिन फ़ौरन ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने झट से अपनी नज़रे घुमा ली, नज़र घूमते ही उसकी नज़रे नीतू की शातिर निगाहो से टकराई और समीर झेप गया, नीतू के होंटो पर शैतानी मुस्कराहट थी, पुरे रास्ते समीर पूरी कोशिश करता रहा लेकिन ये इतना आसान नहीं था क्यूंकि तृषा की बात का जवाब देने केलिए जब भी वो उसकी ओर देखता तो उसकी आंखे अपने आप उसकी गहरी क्लीवेज के अंदर चली ही जाती,

नीतू भी समीर की मज़बूरी समझ रही थी, उसने कई बार तृषा को इशारा भी किया की वो हैंडल छोड़ दे और एक कदम हट कर खड़ी हो जाये समीर से, लेकिन वो तो बातों में इतनी खोयी हुई थी की उसे कोई परवाह ही नहीं थी ,

राम राम करते करते उन लड़कियों का स्टेशन आगया तो समीर ने राहत की सांस ली, वो भी उनके साथ ही मेट्रो से उतरा और उनको बाई करके अपने घर की और जाने वाले प्लेटफार्म पर आगया।

जाते जाते तीनो लड़कियों ने समीर से फिर से मिलने का वादा लिया और वो भी अपने घर की ओर चल दी।
रस्ते में नीतू ने तृषा को समझाया

"तू इतनी बड़ी हो गयी है, थोड़ा धयान रखा कर "
"अरे क्या धयान रखु यार, अब ये साले इतने बड़े है की इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल है "

"हाँ वो ठीक है, लेकिन थोड़ा दूर खड़ी होती समीर से, उसको पूरा अंदर तक दिख रहा था"
"अरे वो लम्बा है इसलिए दिख गया उसे, सबको नहीं दीखता, और मुझे कोनसा दिखाने का शौक है, जिसको शौक है उस को बोल ना " तृषा की आवाज़ में न जाने क्या था की साथ चलती आस्था एक दम भड़क गयी।

"तू मुझे क्यों लपेट रही है, ये तेरा मामला है तू जिसे चाहे दिखा या मत दिखा लेकिन मुझे मत बोल कुछ भी "
"अरे तुझे कुछ बोला मैंने, तेरा जो मन करे तू पहन, और अगर तुझे समीर पसंद है तो तू बोल ना मुझे, मैं उसका नंबर दे देती हूँ, बना ले उसके अपना बॉयफ्रेंड।"

"जी नहीं तू ही बना उसे अपना बॉयफ्रैंड, मुझे नहीं चाहिए "

नीतू ने बहुत कोशिश की लेकिन दोनों में अच्छी खासी बहस हो गयी, छोटी सी बात को दोनों ने बहुत बढ़ा दिया था। नीतू का घर आगया था इसलिए वो अपने घर चली गयी और वो दोनों भी बिना कुछ बोले अपने अपने घर की ओर चल दी।
 

blinkit

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भाई भाई! मैं कोई महान वहान लेखक नहीं हूँ।
लुगदी कहानियाँ लिखता हूँ, और अपना और दूसरों का मन बहला लेता हूँ इसी बहाने।
अपनी हैसियत का पता है मुझे - इसलिए चने के झाड़ पर न चढ़ाइए! :)



♥️
bhai samay nikal kar main aapki story mohabbat ka safar padh raha hoon, undoubtedly you are a great writer, jis tarah aapke charecters ki conversation hoti hai that is amazing, also your grasp on bhojpuri is a thing to envy, maine apni last story me koshish ki thi bihari bhojpuri likhne ki lekin haar maan kar wapis hindi me hi likhna pada tha.
 

Sanjuhsr

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अंकुश अभी अपने घर से नहीं लौटा था, कुछ पारिवारिक समस्या में उलझ गया था, उसकी समीर से भी ज़्यादा बात नहीं हो पायी, समीर भी अपने कारोबार और सुनहरी के साथ बिजी था, अभी तक उसके मन में इन लड़कियों के प्रति कोई भी भावना नहीं पनपी थी, उसका स्वाभाविक सा कारन था सुनहरी, सुनहरी और समीर एक दूसरे के प्रेम में ऐसे डूबे थे की उनको किसी और की ओर देखने की फुर्सत भी नहीं थी।

उधर तृषा को समीर अच्छा लगा था, तृषा को समीर तो उसी दिन अच्छा लग गया था जिस दिन उसकी पहली बार समीर से रॉंग नंबर लगने के कारण बात हुई थी, उसके बोलने और बातचीत के तरीके में एक खिचाव सी थी, पता क्यों बिना देखे ही उसे समीर अच्छा लगने लगा था और फिर जब अंकुश ने मिलने का प्लान बनाया था तो उसने जानबुझ कर समीर को साथ लाने के लिए कहा था, वो कम से कम एक बार समीर को देखना चाहती थी, देखने में अंकुश भी कुछ काम नहीं था, हाँ थोड़ी हाइट कम थी लेकिन इतनी भी नहीं, वही समीर अंकुश के जैसा गोरा नहीं था लेकिन उसकी आँखों में चमक और बातों की मिठास काफी थी तृषा का दिल धड़काने के लिए, लेकिन दूसरी ओर अंकुश का रवैय्या उसके साथ किसी बॉयफ्रेंड जैसा था, नीतू और आस्था भले उसके सामने ना कहती हो लेकिन उनके हाव भाव से पता चलता था की वो भी अंकुश को उसका बॉयफ्रेंड ही समझती थी

तृषा उलझन में थी की वो समीर से बात आगे बढ़ाये या अंकुश को हिंट दे। मन के किसी कोने में इच्छा थी की शायद समीर ही उसको किसी बहाने से परपोज़ कर दे लेकिन वो भला ऐसा क्यों करेगा, उसने पहले ही आस्था की बातो में समीर के लिए पसन्दीदगी देखी थी, समीर आस्था जैसी सुंदर लड़की को छोड़ कर उस जैसी सांवली लड़की को क्यों पसंद करने लगा। उसे नीतू की ओर से कोई चिंता नहीं थी क्यूंकि नीतू पता नहीं क्यों इन सब से दूर रहती थी। खैर उसने ये सब आनेवाले समय पर छोड़ा और समीर को ट्रीट देने का प्लान बनाना स्टार्ट कर दिया। दो दिन बाद उसने समीर को कॉल किया।

" हेलो ! "
" हेलो समीर ! तृषा, कहा है यार ?"

" हाँ बोलो तृषा ? क्या बात है ?"
" सब ठीक है, तू सुना ?"

"हाँ सब ठीक है ? तुम्हारा एडमिशन कन्फर्म हो गया ? "
"हाँ यार हो गया , वही से बात कर रही हूँ , थैंक यू यार तेरे कारण ही हुआ सब "

"बस बस कोई बात नहीं, इतनी बड़ी बात भी नहीं थी"
"हाँ ठीक है सुन कल क्या कर रहा है ? आजा मिलने हमसे "

"कुछ खास नहीं, कल किस लिए ? अंकुश को आने दो फिर मिलते है "
"बस तुझे ट्रीट देनी है, आस्था और नीतू को भी बुला लुंगी, चारो घूमेंगे फिरेंगे "

"अरे नहीं नहीं ! कोई ट्रीट वरिट नहीं, मैंने ट्रीट के लिए थोड़ी न हेल्प करी थी "
"अच्छा ठीक है मत ले ट्रीट पर कल आजा मिलने, तेरे पैसे लौटने है ड्राफ्ट वाले, वो तो मुझे देने है न तुझे"

"अरे ले लूंगा पैसे, आने दे अंकुश को तब मिल भी लेंगे और पैसे भी ले लूंगा"
"जी नहीं चुपचाप आजा और अपने पैसे ले ले, मम्मी को पता चलेगा तो डाँट पड़ जाएगी मुझे " तृषा ने ज़ोर डाला

"चल ठीक है कल आता हूँ , कहा आना है ?" समीर ने हथियार डाले
"कल दस बजे आजा, राजौरी में मिलेंगे वह कई सारे माल्स है "

"चल ठीक है फिर आता हूँ, हो सकता है थोड़ा लेट हो जाऊंगा, लेकिन मिल जाऊंगा। "
"चल ठीक है फिर बाई , कल वेट करुँगी तेरा, गोली मत देना ओके। " इतना बोलकर तृषा ने कॉल कट कर दिया

उसने समीर की कॉल के बाद आस्था और नीतू को भी कॉल कर दिया और कल का प्लान पक्का कर दिया, अभी सब का एडमिशन प्रोसेस में ही था इसलिए सब घूमने फिरने के मूड में थे इसलिए वो दोनों भी तैयार हो गयी।

उधर समीर ने भी तृषा की कॉल के बाद अंकुश को कॉल किया, अंकुश के नेटवर्क में कुछ इशू था फिर भी समीर ने जैसे तैसे अंकुश को अगले दिन तृषा से मिलने का प्लान बता दिया, समीर नहीं चाहता था की अंकुश को लगे की समीर मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अंकुश ने भी समीर को नहीं रोका, उसको समीर की यही बात पसंद थी, समीर कभी भी उसके और उसके शिकार के बीच में नहीं आता था वर्ना तो लड़कियों के मामले में वो अपनी परछाई पर भी भरोसा न करे।

अगले दिन प्लान के अनुसार समीर राजौरी गार्डन पहुंच गया, ये पूरा इलका उसका देख हुआ था, यहाँ पांच माल्स थे और हर मॉल में समीर सुनहरी के साथ अनेको बार घूम चूका था इसलिए उसको किसी बात की चिंता नहीं थी।

तीनो लड़किया लाइफस्टाइल मॉल में समीर का वेट कर रही थी, समीर को देखते ही तीनो खिल उठी, समीर ने बारी बारी सबसे हाथ मिलाया आस्था ने टाइट ब्लू जीन्स पहना हुआ था और ब्लैक कलर का प्रिंटेड टॉप, टॉप उसकी बॉडी से चिपका हुआ था जिसके उसने गोल गोल मध्यम साइज के स्तन उभर कर सबका धयान अपनी और आकर्षित कर रही थी, एक तो आस्था पहले से ही सुंदरता की खान थी ऊपर से इस ड्रेसिंग ने जैसे आसपास के सभी लड़को के दिल और दिमाग में आग लगा राखी थी, उसके देख कर एक बार तो समीर तक को अंदर तक हिला दिया लेकिन उसने झट से अपनी आँखों और भावनाओ पर काबू किया,

तृषा ने भी आज वाइट कलर का टॉप और ब्लू जीन्स डाला हुआ था, उसने बालो का पोनी बना रखा था, तृषा भी कुछ कम सुन्दर नहीं थी लेकिन आस्था और नीतू के आगे उसका रूप रंग दब जाता था, और वही नीतू थी, पिंक टॉप और जीन्स में, उसने ढीला ढला टॉप डाला हुआ था और उसने पैरो में स्पोर्ट्स शूज, चूइंगगम चबाती हुई इधर उधर नज़रे दौरा रही थी जैसे पार्क में घूमने आयी हो।

खैर उन चारो ने कही बैठने का फैसला किया फिर जब कुछ समझ नहीं आया तो जाकर फ़ूड कोर्ट में बैठ गए, सुबह का समय था इसलिए भीड़ न के बराबर थी, सब घर से कुछ न कुछ खा कर निकले थे इसलिए किसी का भी मन नहीं हुआ कुछ आर्डर करने का, जब कुछ समझ नहीं आया तो उन सबने मूवी देखने का प्लान बना लिया, सैफ अली खान और करीना कपूर की मूवी टशन लगी थी, समीर ने टिकट लेके की कोशिश की तो सबने उसे रोक दिया, आखिर तृषा की ट्रीट थी इसलिए पैसे उसी ने खर्च करने थे, बेचारी ने सबके लिए टिकट ले ली और सब जाकर मूवी में बैठ गए, सबसे पहले तृषा बैठी फिर आस्था फिर समीर और उसके बराबर में नीतू बैठी।

थोड़ी देर मूवी में सबको मज़ा आया लेकिन थोड़ी देर में समीर मूवी से बोर हो गया, उसे ये मूवी पकाऊ लग रही थी लेकिन तृषा और आस्था पूरा मन लगा कर देख रही थी, समीर ने इधर उधर नज़र घुमाई तो देखा नीतू उसी की ओर देख रही थी, समीर को अपनी ओर देखता पा कर नीतू ने पूछा

" क्या हुआ ?"
"यार बड़ी बोरिंग मूवी है, मज़ा नहीं आरहा है "

"है है है, शुक्र है तुझे भी पसंद नहीं आयी , मुझे लगा मैं ही अकेली हूँ "
"क्यों तुम्हे भी अच्छी नहीं लग रही ये मूवी " समीर ने धीमी आवाज़ में नीतू से पूछा

"अरे कुछ भी अच्छा नहीं अलग रहा है, बस थोड़ा बहुत सैफ ठीक है बाकी तो सब बोर कर रहे है "
" हाँ अक्षय कुमार के कारण लग रहा था की अच्छी होगी मूवी लेकिन वो भी बेकार लग रहा है "

"अच्छा तो तुझे अक्षय पसंद है ?" नीतू ने पूछा
"हाँ, ठीक लगता है मुझे, वैसे मुझे इरफ़ान खान ज़ायदा पसंद है और तुमको ? "

" अरे मैं मूवीज कम देखती हूँ लेकिन मुझे सलमान खान अच्छा लगता है "
"ओह्ह हूँ बॉडी वाला " समीर ने छेड़ा

"हाँ ठीक लगता है, उसकी बॉडी मस्त है " नीतू ने शरमाते हुए कहा
"हाहाहा, ठीक है फिर नेक्स्ट टाइम सलमान की मूवी देखेंगे"

"हाँ ठीक है, लेकिन तू बता तुझे करीना पसंद है क्या ? "
"हाँ ठीक है लेकिन इतना भी नहीं "

"चल झूठे, अभी जब वो बिकिनी में स्क्रीन पर थी तो कैसे घूर घूर कर देख रहा था " नीतू ने समीर की चोरी पकड़ी
"अरे इतना हंगामा था न्यूज़ में की करीना ने बिकिनी पहनी है तो वही देख रहा था की आखिर ऐसा क्या है जो हंगामा मचा हुआ है " समीर झेंपता हुआ बोला "

"चल कोई ना, वैसे कौन सी हेरोइन पसंद है तुझे "
"मुझे कटरीना अच्छी लगती है और बिपाशा भी "

"हाँ कटरीना तो मुझे भी अच्छी लगती है " नीतू ने कहा
तभी दूसरी ओर से तृषा ने दबी आवाज़ में दोनों को डांटा,

समीर और समीर ने एक दूसरे की और देखा और मुस्कुराकर रह गए और मूवी देखने लगे, आखिर मूवी ख़तम हुई तो वो चारो बहार निकले और फिर एक एक कर पांचो माल्स में घूमे आखिर जब घूम घूम कर थक गए तो उन्होंने एक रेस्टुरेंट में खाना खाया। खाने के टाइम ही तृषा ने अपने पर्स से निकाल कर समीर को ड्राफ्ट के पैसे चूका दिए।

खाने और घूमने के बाद जब चारो बहार निकले तो शाम होने लगी थी, चारो मेट्रो स्टेशन पर साथ ही आये, यहाँ से इंद्रप्रस्थ के लिए समीर को मेट्रो लेनी थी और उन तीनो को जनकपुरी के लिए मेट्रो मिलती लेकिन दोनों की मेट्रो अलग अलग दिशा में जाती, मेट्रो पर पहुंच कर समीर ने तीनो को बाई किया और अपने प्लेटफार्म पर चला गया और वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म की ओर चल दी,

समीर ने प्लेटफार्म पर जा कर देखा की उसी मेट्रो आने में आठ मिनट थे, उसने सामने की ओर देखा वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म पर पहुंच चुकी थी और उसकी की ओर देख कर हाथ हिला रही थी, समीर ने भी मुस्कुराकर हाथ हिला दिया, एक दो मिनट में ही उनकी मेट्रो आगयी,
कुछ ही देर में मेट्रो ने प्लेटफार्म छोड़ दिया लेकिन समीर को हैरत हुई, तीनो वही प्लेटफार्म पर खड़ी उसको देख कर हाथ हिला रही थी

तभी समीर का फ़ोन बजा, किसी अनजान नंबर से फ़ोन था, तभी तृषा ने समीर को फ़ोन पिक करने का इशारा किया, समीर ने फ़ोन उठाया, ये तृषा ही थी

"समीर हाँ क्या हुआ ? मेट्रो क्यों छोड़ दी ?"
"तेरे लिए " तृषा ने खिलखिलाते हुए कहा

"मेरे लिए, समझा नहीं "
"अरे यार तुझे छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा है , मन कर रहा है तुझे साथ ही अपने घर ले चलूँ " तृषा ने शरारती अंदाज़ में कहा

"हाँ तो ठीक है अपने पापा को बोलो मेरे लिए एक रूम का इंतेज़ाम कर दे , मैं तुम्हारे घर ही रह जाऊंगा "
"हाहाहा घर चल मेरे, क्या पता पापा हम दोनों के नाम एक फ्लैट ही कर दे, वैसे भी मेरे पापा बिल्डर है उनके नाम दो चार फ्लैट्स रहते ही है "

"हाहाहा, ना ना बस एक रूम ही काफी है मेरे लिए पुरे फ्लैट का क्या करूँगा, फ्लैट तू अपने दहेज़ में लेकर जाना "
"हाहाहा चल छोड़, अच्छा सुन इधर ही आजा, हमारे साथ चल हमारे स्टेशन तक और वह से वापिस चले जाना, ऐसे तीन तीन जवान और खूबसूरत लड़कियों का अकेले जाना अच्छा थोड़ी है "

"हाहाहा बहुत ड्रामेबाज़ है, सीधे सीधे बोल ना के तेरे साथ जनकपुरी चालू "
"अब इतना समझदार है ही तो टाइम क्यों बर्बाद कर रहा है, आजा इधर ही "

समीर ने फ़ोन जेब में रखा और घूम पर उनके साइड वाले प्लेटफार्म पर जा पंहुचा, थोड़ी देर में उनकी मेट्रो आगयी और चारो बातें करते करते मेट्रो में छड गए।

राजौरी गार्डन मेट्रो स्टेशन से जनकपुरी स्टेशन थोड़ी दूर ही है इसलिए वो चारो एक साइड में खड़े हो गए। तीनो लड़कियों समीर को घेर के खड़ी थी और बातें कर रही थी, तृषा ने बातें करते करते हैंड हैंडल को पकड़ लिया, ऐसे करने से उसका टॉप का वि शेप गला उभर गया और उसके साइड में खड़े समीर की निगाहे फसलती हुई अंदर तक चली गयी, यहाँ समीर को लम्बे होने के कारण तृषा के अंदर तक का सबकुछ नज़र आगया, तृषा के गोरे बूब्स क्रीम कलर की ब्रा में कैद थे, लग रहा था जैसे उनको ज़बरदस्ती ठूंस कर बंद किया गया हो, उसके बूब्स जितना बड़े बाहर से दीखते थे उस से कही ज़ायदा बड़े थे।

समीर एक पल के लिए उस गहराई में खो सा गया लेकिन फ़ौरन ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने झट से अपनी नज़रे घुमा ली, नज़र घूमते ही उसकी नज़रे नीतू की शातिर निगाहो से टकराई और समीर झेप गया, नीतू के होंटो पर शैतानी मुस्कराहट थी, पुरे रास्ते समीर पूरी कोशिश करता रहा लेकिन ये इतना आसान नहीं था क्यूंकि तृषा की बात का जवाब देने केलिए जब भी वो उसकी ओर देखता तो उसकी आंखे अपने आप उसकी गहरी क्लीवेज के अंदर चली ही जाती,

नीतू भी समीर की मज़बूरी समझ रही थी, उसने कई बार तृषा को इशारा भी किया की वो हैंडल छोड़ दे और एक कदम हट कर खड़ी हो जाये समीर से, लेकिन वो तो बातों में इतनी खोयी हुई थी की उसे कोई परवाह ही नहीं थी ,

राम राम करते करते उन लड़कियों का स्टेशन आगया तो समीर ने राहत की सांस ली, वो भी उनके साथ ही मेट्रो से उतरा और उनको बाई करके अपने घर की और जाने वाले प्लेटफार्म पर आगया।

जाते जाते तीनो लड़कियों ने समीर से फिर से मिलने का वादा लिया और वो भी अपने घर की ओर चल दी।
रस्ते में नीतू ने तृषा को समझाया

"तू इतनी बड़ी हो गयी है, थोड़ा धयान रखा कर "
"अरे क्या धयान रखु यार, अब ये साले इतने बड़े है की इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल है "

"हाँ वो ठीक है, लेकिन थोड़ा दूर खड़ी होती समीर से, उसको पूरा अंदर तक दिख रहा था"
"अरे वो लम्बा है इसलिए दिख गया उसे, सबको नहीं दीखता, और मुझे कोनसा दिखाने का शौक है, जिसको शौक है उस को बोल ना " तृषा की आवाज़ में न जाने क्या था की साथ चलती आस्था एक दम भड़क गयी।

"तू मुझे क्यों लपेट रही है, ये तेरा मामला है तू जिसे चाहे दिखा या मत दिखा लेकिन मुझे मत बोल कुछ भी "
"अरे तुझे कुछ बोला मैंने, तेरा जो मन करे तू पहन, और अगर तुझे समीर पसंद है तो तू बोल ना मुझे, मैं उसका नंबर दे देती हूँ, बना ले उसके अपना बॉयफ्रेंड।"

"जी नहीं तू ही बना उसे अपना बॉयफ्रैंड, मुझे नहीं चाहिए "

नीतू ने बहुत कोशिश की लेकिन दोनों में अच्छी खासी बहस हो गयी, छोटी सी बात को दोनों ने बहुत बढ़ा दिया था। नीतू का घर आगया था इसलिए वो अपने घर चली गयी और वो दोनों भी बिना कुछ बोले अपने अपने घर की ओर चल दी।
Awesome update,
एक अनार तीन बीमार जैसे हालात है अभी , एक अकेला समीर और तीन परिया उसे अपना बनाना चाह रही है
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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तो नीतू/निष्ठा और समीर की पसंद, और कुछ हद तक स्वभाव भी मिलता जुलता है, मतलब दोनो कंपेटेबल हैं एक दूसरे के।

फिर भी अभी सुनहरी और समीर ज्यादा नजदीक हैं, और कोई अनहोनी ही दोनो को अलग कर सकती है।

बढ़िया अपडेट blinkit भाई।
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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अंकुश अभी अपने घर से नहीं लौटा था, कुछ पारिवारिक समस्या में उलझ गया था, उसकी समीर से भी ज़्यादा बात नहीं हो पायी, समीर भी अपने कारोबार और सुनहरी के साथ बिजी था, अभी तक उसके मन में इन लड़कियों के प्रति कोई भी भावना नहीं पनपी थी, उसका स्वाभाविक सा कारन था सुनहरी, सुनहरी और समीर एक दूसरे के प्रेम में ऐसे डूबे थे की उनको किसी और की ओर देखने की फुर्सत भी नहीं थी।

उधर तृषा को समीर अच्छा लगा था, तृषा को समीर तो उसी दिन अच्छा लग गया था जिस दिन उसकी पहली बार समीर से रॉंग नंबर लगने के कारण बात हुई थी, उसके बोलने और बातचीत के तरीके में एक खिचाव सी थी, पता क्यों बिना देखे ही उसे समीर अच्छा लगने लगा था और फिर जब अंकुश ने मिलने का प्लान बनाया था तो उसने जानबुझ कर समीर को साथ लाने के लिए कहा था, वो कम से कम एक बार समीर को देखना चाहती थी, देखने में अंकुश भी कुछ काम नहीं था, हाँ थोड़ी हाइट कम थी लेकिन इतनी भी नहीं, वही समीर अंकुश के जैसा गोरा नहीं था लेकिन उसकी आँखों में चमक और बातों की मिठास काफी थी तृषा का दिल धड़काने के लिए, लेकिन दूसरी ओर अंकुश का रवैय्या उसके साथ किसी बॉयफ्रेंड जैसा था, नीतू और आस्था भले उसके सामने ना कहती हो लेकिन उनके हाव भाव से पता चलता था की वो भी अंकुश को उसका बॉयफ्रेंड ही समझती थी

तृषा उलझन में थी की वो समीर से बात आगे बढ़ाये या अंकुश को हिंट दे। मन के किसी कोने में इच्छा थी की शायद समीर ही उसको किसी बहाने से परपोज़ कर दे लेकिन वो भला ऐसा क्यों करेगा, उसने पहले ही आस्था की बातो में समीर के लिए पसन्दीदगी देखी थी, समीर आस्था जैसी सुंदर लड़की को छोड़ कर उस जैसी सांवली लड़की को क्यों पसंद करने लगा। उसे नीतू की ओर से कोई चिंता नहीं थी क्यूंकि नीतू पता नहीं क्यों इन सब से दूर रहती थी। खैर उसने ये सब आनेवाले समय पर छोड़ा और समीर को ट्रीट देने का प्लान बनाना स्टार्ट कर दिया। दो दिन बाद उसने समीर को कॉल किया।

" हेलो ! "
" हेलो समीर ! तृषा, कहा है यार ?"

" हाँ बोलो तृषा ? क्या बात है ?"
" सब ठीक है, तू सुना ?"

"हाँ सब ठीक है ? तुम्हारा एडमिशन कन्फर्म हो गया ? "
"हाँ यार हो गया , वही से बात कर रही हूँ , थैंक यू यार तेरे कारण ही हुआ सब "

"बस बस कोई बात नहीं, इतनी बड़ी बात भी नहीं थी"
"हाँ ठीक है सुन कल क्या कर रहा है ? आजा मिलने हमसे "

"कुछ खास नहीं, कल किस लिए ? अंकुश को आने दो फिर मिलते है "
"बस तुझे ट्रीट देनी है, आस्था और नीतू को भी बुला लुंगी, चारो घूमेंगे फिरेंगे "

"अरे नहीं नहीं ! कोई ट्रीट वरिट नहीं, मैंने ट्रीट के लिए थोड़ी न हेल्प करी थी "
"अच्छा ठीक है मत ले ट्रीट पर कल आजा मिलने, तेरे पैसे लौटने है ड्राफ्ट वाले, वो तो मुझे देने है न तुझे"

"अरे ले लूंगा पैसे, आने दे अंकुश को तब मिल भी लेंगे और पैसे भी ले लूंगा"
"जी नहीं चुपचाप आजा और अपने पैसे ले ले, मम्मी को पता चलेगा तो डाँट पड़ जाएगी मुझे " तृषा ने ज़ोर डाला

"चल ठीक है कल आता हूँ , कहा आना है ?" समीर ने हथियार डाले
"कल दस बजे आजा, राजौरी में मिलेंगे वह कई सारे माल्स है "

"चल ठीक है फिर आता हूँ, हो सकता है थोड़ा लेट हो जाऊंगा, लेकिन मिल जाऊंगा। "
"चल ठीक है फिर बाई , कल वेट करुँगी तेरा, गोली मत देना ओके। " इतना बोलकर तृषा ने कॉल कट कर दिया

उसने समीर की कॉल के बाद आस्था और नीतू को भी कॉल कर दिया और कल का प्लान पक्का कर दिया, अभी सब का एडमिशन प्रोसेस में ही था इसलिए सब घूमने फिरने के मूड में थे इसलिए वो दोनों भी तैयार हो गयी।

उधर समीर ने भी तृषा की कॉल के बाद अंकुश को कॉल किया, अंकुश के नेटवर्क में कुछ इशू था फिर भी समीर ने जैसे तैसे अंकुश को अगले दिन तृषा से मिलने का प्लान बता दिया, समीर नहीं चाहता था की अंकुश को लगे की समीर मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अंकुश ने भी समीर को नहीं रोका, उसको समीर की यही बात पसंद थी, समीर कभी भी उसके और उसके शिकार के बीच में नहीं आता था वर्ना तो लड़कियों के मामले में वो अपनी परछाई पर भी भरोसा न करे।

अगले दिन प्लान के अनुसार समीर राजौरी गार्डन पहुंच गया, ये पूरा इलका उसका देख हुआ था, यहाँ पांच माल्स थे और हर मॉल में समीर सुनहरी के साथ अनेको बार घूम चूका था इसलिए उसको किसी बात की चिंता नहीं थी।

तीनो लड़किया लाइफस्टाइल मॉल में समीर का वेट कर रही थी, समीर को देखते ही तीनो खिल उठी, समीर ने बारी बारी सबसे हाथ मिलाया आस्था ने टाइट ब्लू जीन्स पहना हुआ था और ब्लैक कलर का प्रिंटेड टॉप, टॉप उसकी बॉडी से चिपका हुआ था जिसके उसने गोल गोल मध्यम साइज के स्तन उभर कर सबका धयान अपनी और आकर्षित कर रही थी, एक तो आस्था पहले से ही सुंदरता की खान थी ऊपर से इस ड्रेसिंग ने जैसे आसपास के सभी लड़को के दिल और दिमाग में आग लगा राखी थी, उसके देख कर एक बार तो समीर तक को अंदर तक हिला दिया लेकिन उसने झट से अपनी आँखों और भावनाओ पर काबू किया,

तृषा ने भी आज वाइट कलर का टॉप और ब्लू जीन्स डाला हुआ था, उसने बालो का पोनी बना रखा था, तृषा भी कुछ कम सुन्दर नहीं थी लेकिन आस्था और नीतू के आगे उसका रूप रंग दब जाता था, और वही नीतू थी, पिंक टॉप और जीन्स में, उसने ढीला ढला टॉप डाला हुआ था और उसने पैरो में स्पोर्ट्स शूज, चूइंगगम चबाती हुई इधर उधर नज़रे दौरा रही थी जैसे पार्क में घूमने आयी हो।

खैर उन चारो ने कही बैठने का फैसला किया फिर जब कुछ समझ नहीं आया तो जाकर फ़ूड कोर्ट में बैठ गए, सुबह का समय था इसलिए भीड़ न के बराबर थी, सब घर से कुछ न कुछ खा कर निकले थे इसलिए किसी का भी मन नहीं हुआ कुछ आर्डर करने का, जब कुछ समझ नहीं आया तो उन सबने मूवी देखने का प्लान बना लिया, सैफ अली खान और करीना कपूर की मूवी टशन लगी थी, समीर ने टिकट लेके की कोशिश की तो सबने उसे रोक दिया, आखिर तृषा की ट्रीट थी इसलिए पैसे उसी ने खर्च करने थे, बेचारी ने सबके लिए टिकट ले ली और सब जाकर मूवी में बैठ गए, सबसे पहले तृषा बैठी फिर आस्था फिर समीर और उसके बराबर में नीतू बैठी।

थोड़ी देर मूवी में सबको मज़ा आया लेकिन थोड़ी देर में समीर मूवी से बोर हो गया, उसे ये मूवी पकाऊ लग रही थी लेकिन तृषा और आस्था पूरा मन लगा कर देख रही थी, समीर ने इधर उधर नज़र घुमाई तो देखा नीतू उसी की ओर देख रही थी, समीर को अपनी ओर देखता पा कर नीतू ने पूछा

" क्या हुआ ?"
"यार बड़ी बोरिंग मूवी है, मज़ा नहीं आरहा है "

"है है है, शुक्र है तुझे भी पसंद नहीं आयी , मुझे लगा मैं ही अकेली हूँ "
"क्यों तुम्हे भी अच्छी नहीं लग रही ये मूवी " समीर ने धीमी आवाज़ में नीतू से पूछा

"अरे कुछ भी अच्छा नहीं अलग रहा है, बस थोड़ा बहुत सैफ ठीक है बाकी तो सब बोर कर रहे है "
" हाँ अक्षय कुमार के कारण लग रहा था की अच्छी होगी मूवी लेकिन वो भी बेकार लग रहा है "

"अच्छा तो तुझे अक्षय पसंद है ?" नीतू ने पूछा
"हाँ, ठीक लगता है मुझे, वैसे मुझे इरफ़ान खान ज़ायदा पसंद है और तुमको ? "

" अरे मैं मूवीज कम देखती हूँ लेकिन मुझे सलमान खान अच्छा लगता है "
"ओह्ह हूँ बॉडी वाला " समीर ने छेड़ा

"हाँ ठीक लगता है, उसकी बॉडी मस्त है " नीतू ने शरमाते हुए कहा
"हाहाहा, ठीक है फिर नेक्स्ट टाइम सलमान की मूवी देखेंगे"

"हाँ ठीक है, लेकिन तू बता तुझे करीना पसंद है क्या ? "
"हाँ ठीक है लेकिन इतना भी नहीं "

"चल झूठे, अभी जब वो बिकिनी में स्क्रीन पर थी तो कैसे घूर घूर कर देख रहा था " नीतू ने समीर की चोरी पकड़ी
"अरे इतना हंगामा था न्यूज़ में की करीना ने बिकिनी पहनी है तो वही देख रहा था की आखिर ऐसा क्या है जो हंगामा मचा हुआ है " समीर झेंपता हुआ बोला "

"चल कोई ना, वैसे कौन सी हेरोइन पसंद है तुझे "
"मुझे कटरीना अच्छी लगती है और बिपाशा भी "

"हाँ कटरीना तो मुझे भी अच्छी लगती है " नीतू ने कहा
तभी दूसरी ओर से तृषा ने दबी आवाज़ में दोनों को डांटा,

समीर और समीर ने एक दूसरे की और देखा और मुस्कुराकर रह गए और मूवी देखने लगे, आखिर मूवी ख़तम हुई तो वो चारो बहार निकले और फिर एक एक कर पांचो माल्स में घूमे आखिर जब घूम घूम कर थक गए तो उन्होंने एक रेस्टुरेंट में खाना खाया। खाने के टाइम ही तृषा ने अपने पर्स से निकाल कर समीर को ड्राफ्ट के पैसे चूका दिए।

खाने और घूमने के बाद जब चारो बहार निकले तो शाम होने लगी थी, चारो मेट्रो स्टेशन पर साथ ही आये, यहाँ से इंद्रप्रस्थ के लिए समीर को मेट्रो लेनी थी और उन तीनो को जनकपुरी के लिए मेट्रो मिलती लेकिन दोनों की मेट्रो अलग अलग दिशा में जाती, मेट्रो पर पहुंच कर समीर ने तीनो को बाई किया और अपने प्लेटफार्म पर चला गया और वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म की ओर चल दी,

समीर ने प्लेटफार्म पर जा कर देखा की उसी मेट्रो आने में आठ मिनट थे, उसने सामने की ओर देखा वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म पर पहुंच चुकी थी और उसकी की ओर देख कर हाथ हिला रही थी, समीर ने भी मुस्कुराकर हाथ हिला दिया, एक दो मिनट में ही उनकी मेट्रो आगयी,
कुछ ही देर में मेट्रो ने प्लेटफार्म छोड़ दिया लेकिन समीर को हैरत हुई, तीनो वही प्लेटफार्म पर खड़ी उसको देख कर हाथ हिला रही थी

तभी समीर का फ़ोन बजा, किसी अनजान नंबर से फ़ोन था, तभी तृषा ने समीर को फ़ोन पिक करने का इशारा किया, समीर ने फ़ोन उठाया, ये तृषा ही थी

"समीर हाँ क्या हुआ ? मेट्रो क्यों छोड़ दी ?"
"तेरे लिए " तृषा ने खिलखिलाते हुए कहा

"मेरे लिए, समझा नहीं "
"अरे यार तुझे छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा है , मन कर रहा है तुझे साथ ही अपने घर ले चलूँ " तृषा ने शरारती अंदाज़ में कहा

"हाँ तो ठीक है अपने पापा को बोलो मेरे लिए एक रूम का इंतेज़ाम कर दे , मैं तुम्हारे घर ही रह जाऊंगा "
"हाहाहा घर चल मेरे, क्या पता पापा हम दोनों के नाम एक फ्लैट ही कर दे, वैसे भी मेरे पापा बिल्डर है उनके नाम दो चार फ्लैट्स रहते ही है "

"हाहाहा, ना ना बस एक रूम ही काफी है मेरे लिए पुरे फ्लैट का क्या करूँगा, फ्लैट तू अपने दहेज़ में लेकर जाना "
"हाहाहा चल छोड़, अच्छा सुन इधर ही आजा, हमारे साथ चल हमारे स्टेशन तक और वह से वापिस चले जाना, ऐसे तीन तीन जवान और खूबसूरत लड़कियों का अकेले जाना अच्छा थोड़ी है "

"हाहाहा बहुत ड्रामेबाज़ है, सीधे सीधे बोल ना के तेरे साथ जनकपुरी चालू "
"अब इतना समझदार है ही तो टाइम क्यों बर्बाद कर रहा है, आजा इधर ही "

समीर ने फ़ोन जेब में रखा और घूम पर उनके साइड वाले प्लेटफार्म पर जा पंहुचा, थोड़ी देर में उनकी मेट्रो आगयी और चारो बातें करते करते मेट्रो में छड गए।

राजौरी गार्डन मेट्रो स्टेशन से जनकपुरी स्टेशन थोड़ी दूर ही है इसलिए वो चारो एक साइड में खड़े हो गए। तीनो लड़कियों समीर को घेर के खड़ी थी और बातें कर रही थी, तृषा ने बातें करते करते हैंड हैंडल को पकड़ लिया, ऐसे करने से उसका टॉप का वि शेप गला उभर गया और उसके साइड में खड़े समीर की निगाहे फसलती हुई अंदर तक चली गयी, यहाँ समीर को लम्बे होने के कारण तृषा के अंदर तक का सबकुछ नज़र आगया, तृषा के गोरे बूब्स क्रीम कलर की ब्रा में कैद थे, लग रहा था जैसे उनको ज़बरदस्ती ठूंस कर बंद किया गया हो, उसके बूब्स जितना बड़े बाहर से दीखते थे उस से कही ज़ायदा बड़े थे।

समीर एक पल के लिए उस गहराई में खो सा गया लेकिन फ़ौरन ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने झट से अपनी नज़रे घुमा ली, नज़र घूमते ही उसकी नज़रे नीतू की शातिर निगाहो से टकराई और समीर झेप गया, नीतू के होंटो पर शैतानी मुस्कराहट थी, पुरे रास्ते समीर पूरी कोशिश करता रहा लेकिन ये इतना आसान नहीं था क्यूंकि तृषा की बात का जवाब देने केलिए जब भी वो उसकी ओर देखता तो उसकी आंखे अपने आप उसकी गहरी क्लीवेज के अंदर चली ही जाती,

नीतू भी समीर की मज़बूरी समझ रही थी, उसने कई बार तृषा को इशारा भी किया की वो हैंडल छोड़ दे और एक कदम हट कर खड़ी हो जाये समीर से, लेकिन वो तो बातों में इतनी खोयी हुई थी की उसे कोई परवाह ही नहीं थी ,

राम राम करते करते उन लड़कियों का स्टेशन आगया तो समीर ने राहत की सांस ली, वो भी उनके साथ ही मेट्रो से उतरा और उनको बाई करके अपने घर की और जाने वाले प्लेटफार्म पर आगया।

जाते जाते तीनो लड़कियों ने समीर से फिर से मिलने का वादा लिया और वो भी अपने घर की ओर चल दी।
रस्ते में नीतू ने तृषा को समझाया

"तू इतनी बड़ी हो गयी है, थोड़ा धयान रखा कर "
"अरे क्या धयान रखु यार, अब ये साले इतने बड़े है की इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल है "

"हाँ वो ठीक है, लेकिन थोड़ा दूर खड़ी होती समीर से, उसको पूरा अंदर तक दिख रहा था"
"अरे वो लम्बा है इसलिए दिख गया उसे, सबको नहीं दीखता, और मुझे कोनसा दिखाने का शौक है, जिसको शौक है उस को बोल ना " तृषा की आवाज़ में न जाने क्या था की साथ चलती आस्था एक दम भड़क गयी।

"तू मुझे क्यों लपेट रही है, ये तेरा मामला है तू जिसे चाहे दिखा या मत दिखा लेकिन मुझे मत बोल कुछ भी "
"अरे तुझे कुछ बोला मैंने, तेरा जो मन करे तू पहन, और अगर तुझे समीर पसंद है तो तू बोल ना मुझे, मैं उसका नंबर दे देती हूँ, बना ले उसके अपना बॉयफ्रेंड।"

"जी नहीं तू ही बना उसे अपना बॉयफ्रैंड, मुझे नहीं चाहिए "

नीतू ने बहुत कोशिश की लेकिन दोनों में अच्छी खासी बहस हो गयी, छोटी सी बात को दोनों ने बहुत बढ़ा दिया था। नीतू का घर आगया था इसलिए वो अपने घर चली गयी और वो दोनों भी बिना कुछ बोले अपने अपने घर की ओर चल दी।
Gajab :rolrun:
Matlab murga fas bhi Gaya aur uska kaun kya banayega ye dekhna baki he :D
Samir ke saath aane Wale samay me Jo kand honge na wo dekh ke ek sath kai kaleje fatenge ye nishchit he :roll3:
 

Ajju Landwalia

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अंकुश अभी अपने घर से नहीं लौटा था, कुछ पारिवारिक समस्या में उलझ गया था, उसकी समीर से भी ज़्यादा बात नहीं हो पायी, समीर भी अपने कारोबार और सुनहरी के साथ बिजी था, अभी तक उसके मन में इन लड़कियों के प्रति कोई भी भावना नहीं पनपी थी, उसका स्वाभाविक सा कारन था सुनहरी, सुनहरी और समीर एक दूसरे के प्रेम में ऐसे डूबे थे की उनको किसी और की ओर देखने की फुर्सत भी नहीं थी।

उधर तृषा को समीर अच्छा लगा था, तृषा को समीर तो उसी दिन अच्छा लग गया था जिस दिन उसकी पहली बार समीर से रॉंग नंबर लगने के कारण बात हुई थी, उसके बोलने और बातचीत के तरीके में एक खिचाव सी थी, पता क्यों बिना देखे ही उसे समीर अच्छा लगने लगा था और फिर जब अंकुश ने मिलने का प्लान बनाया था तो उसने जानबुझ कर समीर को साथ लाने के लिए कहा था, वो कम से कम एक बार समीर को देखना चाहती थी, देखने में अंकुश भी कुछ काम नहीं था, हाँ थोड़ी हाइट कम थी लेकिन इतनी भी नहीं, वही समीर अंकुश के जैसा गोरा नहीं था लेकिन उसकी आँखों में चमक और बातों की मिठास काफी थी तृषा का दिल धड़काने के लिए, लेकिन दूसरी ओर अंकुश का रवैय्या उसके साथ किसी बॉयफ्रेंड जैसा था, नीतू और आस्था भले उसके सामने ना कहती हो लेकिन उनके हाव भाव से पता चलता था की वो भी अंकुश को उसका बॉयफ्रेंड ही समझती थी

तृषा उलझन में थी की वो समीर से बात आगे बढ़ाये या अंकुश को हिंट दे। मन के किसी कोने में इच्छा थी की शायद समीर ही उसको किसी बहाने से परपोज़ कर दे लेकिन वो भला ऐसा क्यों करेगा, उसने पहले ही आस्था की बातो में समीर के लिए पसन्दीदगी देखी थी, समीर आस्था जैसी सुंदर लड़की को छोड़ कर उस जैसी सांवली लड़की को क्यों पसंद करने लगा। उसे नीतू की ओर से कोई चिंता नहीं थी क्यूंकि नीतू पता नहीं क्यों इन सब से दूर रहती थी। खैर उसने ये सब आनेवाले समय पर छोड़ा और समीर को ट्रीट देने का प्लान बनाना स्टार्ट कर दिया। दो दिन बाद उसने समीर को कॉल किया।

" हेलो ! "
" हेलो समीर ! तृषा, कहा है यार ?"

" हाँ बोलो तृषा ? क्या बात है ?"
" सब ठीक है, तू सुना ?"

"हाँ सब ठीक है ? तुम्हारा एडमिशन कन्फर्म हो गया ? "
"हाँ यार हो गया , वही से बात कर रही हूँ , थैंक यू यार तेरे कारण ही हुआ सब "

"बस बस कोई बात नहीं, इतनी बड़ी बात भी नहीं थी"
"हाँ ठीक है सुन कल क्या कर रहा है ? आजा मिलने हमसे "

"कुछ खास नहीं, कल किस लिए ? अंकुश को आने दो फिर मिलते है "
"बस तुझे ट्रीट देनी है, आस्था और नीतू को भी बुला लुंगी, चारो घूमेंगे फिरेंगे "

"अरे नहीं नहीं ! कोई ट्रीट वरिट नहीं, मैंने ट्रीट के लिए थोड़ी न हेल्प करी थी "
"अच्छा ठीक है मत ले ट्रीट पर कल आजा मिलने, तेरे पैसे लौटने है ड्राफ्ट वाले, वो तो मुझे देने है न तुझे"

"अरे ले लूंगा पैसे, आने दे अंकुश को तब मिल भी लेंगे और पैसे भी ले लूंगा"
"जी नहीं चुपचाप आजा और अपने पैसे ले ले, मम्मी को पता चलेगा तो डाँट पड़ जाएगी मुझे " तृषा ने ज़ोर डाला

"चल ठीक है कल आता हूँ , कहा आना है ?" समीर ने हथियार डाले
"कल दस बजे आजा, राजौरी में मिलेंगे वह कई सारे माल्स है "

"चल ठीक है फिर आता हूँ, हो सकता है थोड़ा लेट हो जाऊंगा, लेकिन मिल जाऊंगा। "
"चल ठीक है फिर बाई , कल वेट करुँगी तेरा, गोली मत देना ओके। " इतना बोलकर तृषा ने कॉल कट कर दिया

उसने समीर की कॉल के बाद आस्था और नीतू को भी कॉल कर दिया और कल का प्लान पक्का कर दिया, अभी सब का एडमिशन प्रोसेस में ही था इसलिए सब घूमने फिरने के मूड में थे इसलिए वो दोनों भी तैयार हो गयी।

उधर समीर ने भी तृषा की कॉल के बाद अंकुश को कॉल किया, अंकुश के नेटवर्क में कुछ इशू था फिर भी समीर ने जैसे तैसे अंकुश को अगले दिन तृषा से मिलने का प्लान बता दिया, समीर नहीं चाहता था की अंकुश को लगे की समीर मौके का फ़ायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। अंकुश ने भी समीर को नहीं रोका, उसको समीर की यही बात पसंद थी, समीर कभी भी उसके और उसके शिकार के बीच में नहीं आता था वर्ना तो लड़कियों के मामले में वो अपनी परछाई पर भी भरोसा न करे।

अगले दिन प्लान के अनुसार समीर राजौरी गार्डन पहुंच गया, ये पूरा इलका उसका देख हुआ था, यहाँ पांच माल्स थे और हर मॉल में समीर सुनहरी के साथ अनेको बार घूम चूका था इसलिए उसको किसी बात की चिंता नहीं थी।

तीनो लड़किया लाइफस्टाइल मॉल में समीर का वेट कर रही थी, समीर को देखते ही तीनो खिल उठी, समीर ने बारी बारी सबसे हाथ मिलाया आस्था ने टाइट ब्लू जीन्स पहना हुआ था और ब्लैक कलर का प्रिंटेड टॉप, टॉप उसकी बॉडी से चिपका हुआ था जिसके उसने गोल गोल मध्यम साइज के स्तन उभर कर सबका धयान अपनी और आकर्षित कर रही थी, एक तो आस्था पहले से ही सुंदरता की खान थी ऊपर से इस ड्रेसिंग ने जैसे आसपास के सभी लड़को के दिल और दिमाग में आग लगा राखी थी, उसके देख कर एक बार तो समीर तक को अंदर तक हिला दिया लेकिन उसने झट से अपनी आँखों और भावनाओ पर काबू किया,

तृषा ने भी आज वाइट कलर का टॉप और ब्लू जीन्स डाला हुआ था, उसने बालो का पोनी बना रखा था, तृषा भी कुछ कम सुन्दर नहीं थी लेकिन आस्था और नीतू के आगे उसका रूप रंग दब जाता था, और वही नीतू थी, पिंक टॉप और जीन्स में, उसने ढीला ढला टॉप डाला हुआ था और उसने पैरो में स्पोर्ट्स शूज, चूइंगगम चबाती हुई इधर उधर नज़रे दौरा रही थी जैसे पार्क में घूमने आयी हो।

खैर उन चारो ने कही बैठने का फैसला किया फिर जब कुछ समझ नहीं आया तो जाकर फ़ूड कोर्ट में बैठ गए, सुबह का समय था इसलिए भीड़ न के बराबर थी, सब घर से कुछ न कुछ खा कर निकले थे इसलिए किसी का भी मन नहीं हुआ कुछ आर्डर करने का, जब कुछ समझ नहीं आया तो उन सबने मूवी देखने का प्लान बना लिया, सैफ अली खान और करीना कपूर की मूवी टशन लगी थी, समीर ने टिकट लेके की कोशिश की तो सबने उसे रोक दिया, आखिर तृषा की ट्रीट थी इसलिए पैसे उसी ने खर्च करने थे, बेचारी ने सबके लिए टिकट ले ली और सब जाकर मूवी में बैठ गए, सबसे पहले तृषा बैठी फिर आस्था फिर समीर और उसके बराबर में नीतू बैठी।

थोड़ी देर मूवी में सबको मज़ा आया लेकिन थोड़ी देर में समीर मूवी से बोर हो गया, उसे ये मूवी पकाऊ लग रही थी लेकिन तृषा और आस्था पूरा मन लगा कर देख रही थी, समीर ने इधर उधर नज़र घुमाई तो देखा नीतू उसी की ओर देख रही थी, समीर को अपनी ओर देखता पा कर नीतू ने पूछा

" क्या हुआ ?"
"यार बड़ी बोरिंग मूवी है, मज़ा नहीं आरहा है "

"है है है, शुक्र है तुझे भी पसंद नहीं आयी , मुझे लगा मैं ही अकेली हूँ "
"क्यों तुम्हे भी अच्छी नहीं लग रही ये मूवी " समीर ने धीमी आवाज़ में नीतू से पूछा

"अरे कुछ भी अच्छा नहीं अलग रहा है, बस थोड़ा बहुत सैफ ठीक है बाकी तो सब बोर कर रहे है "
" हाँ अक्षय कुमार के कारण लग रहा था की अच्छी होगी मूवी लेकिन वो भी बेकार लग रहा है "

"अच्छा तो तुझे अक्षय पसंद है ?" नीतू ने पूछा
"हाँ, ठीक लगता है मुझे, वैसे मुझे इरफ़ान खान ज़ायदा पसंद है और तुमको ? "

" अरे मैं मूवीज कम देखती हूँ लेकिन मुझे सलमान खान अच्छा लगता है "
"ओह्ह हूँ बॉडी वाला " समीर ने छेड़ा

"हाँ ठीक लगता है, उसकी बॉडी मस्त है " नीतू ने शरमाते हुए कहा
"हाहाहा, ठीक है फिर नेक्स्ट टाइम सलमान की मूवी देखेंगे"

"हाँ ठीक है, लेकिन तू बता तुझे करीना पसंद है क्या ? "
"हाँ ठीक है लेकिन इतना भी नहीं "

"चल झूठे, अभी जब वो बिकिनी में स्क्रीन पर थी तो कैसे घूर घूर कर देख रहा था " नीतू ने समीर की चोरी पकड़ी
"अरे इतना हंगामा था न्यूज़ में की करीना ने बिकिनी पहनी है तो वही देख रहा था की आखिर ऐसा क्या है जो हंगामा मचा हुआ है " समीर झेंपता हुआ बोला "

"चल कोई ना, वैसे कौन सी हेरोइन पसंद है तुझे "
"मुझे कटरीना अच्छी लगती है और बिपाशा भी "

"हाँ कटरीना तो मुझे भी अच्छी लगती है " नीतू ने कहा
तभी दूसरी ओर से तृषा ने दबी आवाज़ में दोनों को डांटा,

समीर और समीर ने एक दूसरे की और देखा और मुस्कुराकर रह गए और मूवी देखने लगे, आखिर मूवी ख़तम हुई तो वो चारो बहार निकले और फिर एक एक कर पांचो माल्स में घूमे आखिर जब घूम घूम कर थक गए तो उन्होंने एक रेस्टुरेंट में खाना खाया। खाने के टाइम ही तृषा ने अपने पर्स से निकाल कर समीर को ड्राफ्ट के पैसे चूका दिए।

खाने और घूमने के बाद जब चारो बहार निकले तो शाम होने लगी थी, चारो मेट्रो स्टेशन पर साथ ही आये, यहाँ से इंद्रप्रस्थ के लिए समीर को मेट्रो लेनी थी और उन तीनो को जनकपुरी के लिए मेट्रो मिलती लेकिन दोनों की मेट्रो अलग अलग दिशा में जाती, मेट्रो पर पहुंच कर समीर ने तीनो को बाई किया और अपने प्लेटफार्म पर चला गया और वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म की ओर चल दी,

समीर ने प्लेटफार्म पर जा कर देखा की उसी मेट्रो आने में आठ मिनट थे, उसने सामने की ओर देखा वो तीनो भी अपने प्लेटफार्म पर पहुंच चुकी थी और उसकी की ओर देख कर हाथ हिला रही थी, समीर ने भी मुस्कुराकर हाथ हिला दिया, एक दो मिनट में ही उनकी मेट्रो आगयी,
कुछ ही देर में मेट्रो ने प्लेटफार्म छोड़ दिया लेकिन समीर को हैरत हुई, तीनो वही प्लेटफार्म पर खड़ी उसको देख कर हाथ हिला रही थी

तभी समीर का फ़ोन बजा, किसी अनजान नंबर से फ़ोन था, तभी तृषा ने समीर को फ़ोन पिक करने का इशारा किया, समीर ने फ़ोन उठाया, ये तृषा ही थी

"समीर हाँ क्या हुआ ? मेट्रो क्यों छोड़ दी ?"
"तेरे लिए " तृषा ने खिलखिलाते हुए कहा

"मेरे लिए, समझा नहीं "
"अरे यार तुझे छोड़ कर जाने का मन नहीं हो रहा है , मन कर रहा है तुझे साथ ही अपने घर ले चलूँ " तृषा ने शरारती अंदाज़ में कहा

"हाँ तो ठीक है अपने पापा को बोलो मेरे लिए एक रूम का इंतेज़ाम कर दे , मैं तुम्हारे घर ही रह जाऊंगा "
"हाहाहा घर चल मेरे, क्या पता पापा हम दोनों के नाम एक फ्लैट ही कर दे, वैसे भी मेरे पापा बिल्डर है उनके नाम दो चार फ्लैट्स रहते ही है "

"हाहाहा, ना ना बस एक रूम ही काफी है मेरे लिए पुरे फ्लैट का क्या करूँगा, फ्लैट तू अपने दहेज़ में लेकर जाना "
"हाहाहा चल छोड़, अच्छा सुन इधर ही आजा, हमारे साथ चल हमारे स्टेशन तक और वह से वापिस चले जाना, ऐसे तीन तीन जवान और खूबसूरत लड़कियों का अकेले जाना अच्छा थोड़ी है "

"हाहाहा बहुत ड्रामेबाज़ है, सीधे सीधे बोल ना के तेरे साथ जनकपुरी चालू "
"अब इतना समझदार है ही तो टाइम क्यों बर्बाद कर रहा है, आजा इधर ही "

समीर ने फ़ोन जेब में रखा और घूम पर उनके साइड वाले प्लेटफार्म पर जा पंहुचा, थोड़ी देर में उनकी मेट्रो आगयी और चारो बातें करते करते मेट्रो में छड गए।

राजौरी गार्डन मेट्रो स्टेशन से जनकपुरी स्टेशन थोड़ी दूर ही है इसलिए वो चारो एक साइड में खड़े हो गए। तीनो लड़कियों समीर को घेर के खड़ी थी और बातें कर रही थी, तृषा ने बातें करते करते हैंड हैंडल को पकड़ लिया, ऐसे करने से उसका टॉप का वि शेप गला उभर गया और उसके साइड में खड़े समीर की निगाहे फसलती हुई अंदर तक चली गयी, यहाँ समीर को लम्बे होने के कारण तृषा के अंदर तक का सबकुछ नज़र आगया, तृषा के गोरे बूब्स क्रीम कलर की ब्रा में कैद थे, लग रहा था जैसे उनको ज़बरदस्ती ठूंस कर बंद किया गया हो, उसके बूब्स जितना बड़े बाहर से दीखते थे उस से कही ज़ायदा बड़े थे।

समीर एक पल के लिए उस गहराई में खो सा गया लेकिन फ़ौरन ही उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने झट से अपनी नज़रे घुमा ली, नज़र घूमते ही उसकी नज़रे नीतू की शातिर निगाहो से टकराई और समीर झेप गया, नीतू के होंटो पर शैतानी मुस्कराहट थी, पुरे रास्ते समीर पूरी कोशिश करता रहा लेकिन ये इतना आसान नहीं था क्यूंकि तृषा की बात का जवाब देने केलिए जब भी वो उसकी ओर देखता तो उसकी आंखे अपने आप उसकी गहरी क्लीवेज के अंदर चली ही जाती,

नीतू भी समीर की मज़बूरी समझ रही थी, उसने कई बार तृषा को इशारा भी किया की वो हैंडल छोड़ दे और एक कदम हट कर खड़ी हो जाये समीर से, लेकिन वो तो बातों में इतनी खोयी हुई थी की उसे कोई परवाह ही नहीं थी ,

राम राम करते करते उन लड़कियों का स्टेशन आगया तो समीर ने राहत की सांस ली, वो भी उनके साथ ही मेट्रो से उतरा और उनको बाई करके अपने घर की और जाने वाले प्लेटफार्म पर आगया।

जाते जाते तीनो लड़कियों ने समीर से फिर से मिलने का वादा लिया और वो भी अपने घर की ओर चल दी।
रस्ते में नीतू ने तृषा को समझाया

"तू इतनी बड़ी हो गयी है, थोड़ा धयान रखा कर "
"अरे क्या धयान रखु यार, अब ये साले इतने बड़े है की इनको कण्ट्रोल करना मुश्किल है "

"हाँ वो ठीक है, लेकिन थोड़ा दूर खड़ी होती समीर से, उसको पूरा अंदर तक दिख रहा था"
"अरे वो लम्बा है इसलिए दिख गया उसे, सबको नहीं दीखता, और मुझे कोनसा दिखाने का शौक है, जिसको शौक है उस को बोल ना " तृषा की आवाज़ में न जाने क्या था की साथ चलती आस्था एक दम भड़क गयी।

"तू मुझे क्यों लपेट रही है, ये तेरा मामला है तू जिसे चाहे दिखा या मत दिखा लेकिन मुझे मत बोल कुछ भी "
"अरे तुझे कुछ बोला मैंने, तेरा जो मन करे तू पहन, और अगर तुझे समीर पसंद है तो तू बोल ना मुझे, मैं उसका नंबर दे देती हूँ, बना ले उसके अपना बॉयफ्रेंड।"

"जी नहीं तू ही बना उसे अपना बॉयफ्रैंड, मुझे नहीं चाहिए "

नीतू ने बहुत कोशिश की लेकिन दोनों में अच्छी खासी बहस हो गयी, छोटी सी बात को दोनों ने बहुत बढ़ा दिया था। नीतू का घर आगया था इसलिए वो अपने घर चली गयी और वो दोनों भी बिना कुछ बोले अपने अपने घर की ओर चल दी।

Bahut hi shandar update he blinkit Bhai,

Story me abhi se love triangle ban gaya he......lekin samir ko nahi pata ki trisha aur aastha ka jhagda usko lekar chal raha he..............in sabke beech nitu thodi mature lagi mujhko........

Keep posting Bhai
 

Premkumar65

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एक कुमाऊँनीं लोक गीत पर आधारित है इस कहानी का शीर्षक!
लेकिन बेडु (अंजीर) तो केवल भाद्रपद (बरसात) में पकता है, बारहों महीने नहीं! तो, जो चीज़ प्राकृतिक रूप से केवल एक निश्चित समय पर पकती है, वो पूरे बारहों महीने पक रही है।
ऐसी एक ही वस्तु का पता है हमको - और वो है प्रेम! लिहाज़ा, कहानी का टैग भी रोमांस ही है।
कहानी का केवल एक ही अपडेट आया है, इसलिए कयास नहीं लगाना चाहिए - लेकिन, नीतू और विनीत एक बेमेल जोड़ी हैं।
देखते हैं आगे किस दिशा में जाती है!
देवनागरी में लिखी कहानियाँ पढ़नी ही मुझे अच्छी लगती हैं, और अगर सही तरह से लिखी जाएँ तो आनंद आ जाता है।
साधुवाद! :)
Good start.
 
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blinkit

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समीर घर वापस आगया था, रस्ते में सुनहरी का कॉल आया लेकिन समीर ने जवाब नहीं दिया, वो घर पहुंच कर ही उस से बात करना चाहता था, आज इन लड़कियों से मिलकर उसे अलग लगा था, समीर इतना बेकूफ़ भी नहीं था की उसे एहसास नहीं होता की उन लड़कियों के मन में कही न कही प्यार का कीड़ा कुलबुला रहा है लेकिन वो इस रास्ते पर नहीं चल सकता था, उसकी तो मज़िल कुछ और थी, भले ही चाहे आस्था कितनी ही सुन्दर क्यों न हो वो सुनहरी की जगह नहीं ले सकती थी, सुनहरी तो उसको जान थी, उसे सुनहरी की हर अदा से प्यार था, उसकी हंसी, उसका गुस्सा, उसका प्यार, उसका खुमार सब कुछ, उसके लिए सुनहरी से अच्छा और कौन हो सकता था

समीर ने सुनहरी के लिए जान दे सकता था तो फिर भला उसको धोखा कैसे दे सकता था, वहाँ से वापस आते हुए समीर ने फैसला कर लिया था की अब वो इन लड़कियों से नहीं मिलेगा और अंकुश को बोल देगा की वो अब उसे बख्शदे।

घर पहुंच कर समीर ने सुनहरी को कॉल की, वो थोड़ा नाराज़ थी लेकिन समीर के थोड़ा सा मानने से मान भी गयी, आखिर सुनहरी को भी समीर पर पूरा विश्वास था, वो जानती थी की समीर उसे कभी धोका नहीं देगा इसलिए वो भी समीर पर आंख बंद करके विश्वास करती थी।

दो दिन के बाद अंकुश घर से वापस आगया, आते ही उसने पूरी बात समीर से डिटेल्स में पूछी, अंकुश खिलाडी था वो समझ गया की समीर का जादू उन लड़कियों पर चल गया है, लेकिन उसने समीर को ऐसा कुछ दर्शाया नहीं बस मज़ाक मज़ाक में बोल दिया की अब वो आगया है तो आगे की स्टोरी वो खुद संभाल लेगा और समीर को भरोसा दिलाया जी वो आस्था से उसकी सेटिंग ज़रूर करा देगा।

समीर ने भी चुप ही रहा, उसे पता था की अगर उसने अंकुश को मना किया तो कहीं उसको सुनहरी पर शक न हो जाये, वो किसी भी क़ीमत पर अपने और सुनहरी की कहानी छुपा कर रखना चाहता था, इसलिए बस सर हिला कर रह गया।

अगले दिन से अंकुश ने वाक़ई में ही सिचुएशन अपने हाथ में ले ली और लग गया अपना जादू उन लड़कियों पर चलाने, समीर ने ख़ामोशी से अपने कदम पीछे खींच लिए थे, एक दो बार तृषा का कॉल आया तो उसने रिस्पांस नहीं किया, अंकुश खुश था समीर के पीछे हटने से उसे खुल कर खेलने का मौका मिल गया था, कभी कभी रात के खाने के टाइम अंकुश उसे कोई छिटपुट बात बताता लेकिन डिटेल्स में नहीं और समीर भी कोई भाव नहीं देता। अब अंकुश ने उसे आस्था वाला लालच भी देना छोड़ दिया था

समीर इस नयी प्रगति से खुश था जितना ज़ायदा अंकुश का धयान उससे दूर था वो उतना ज़ायदा समय अपने काम और सुनहरी को दे पाता, एक शाम समीर अपने कंप्यूटर पर काम कर रहा था की तभी उसके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आयी, काम करते करते उसने फ़ोन उठाया दूसरी ओर से किसी लड़की ने हेलो कहा,

"यस हेलो ! " समीर ने बहुत फॉर्मल तरीके से कहा
"इस डॉट यू समीर ?" उधर से थोड़ा सकुचाते हुए लड़की ने पूछा

"यस समीर स्पीकिंग, एंड यू ?" समीर उसी तरह से कंप्यूटर पर काम करते जवाब दिया
"समीर, मैं नीतू हु, क्या मैं बाद में बात करू, इफ यू आर बिजी ?" उसकी आवाज़ में एक झिझक थी

"यस नीतू बताइये, क्या काम था ?" समीर का दिमाग और नज़रे अभी भी कंप्यूटर स्क्रीन पर जमी थी
"समीर मैं तृषा की दोस्त नीतू शायद तुमने पहचाना नहीं "

"ओह्ह नीतू, सॉरी हाँ बोलो, मेरा धयान कही और था इसलिए समझ नहीं पाया, बताओ कैसी हो ?" समीर ने अपना सारा धयान फ़ोन पर लगते हुए कहा
"यार मुझे लगा तूने पहचाना नहीं, पहले तो लगा शायद मैंने किसी और को कॉल कर दी है " नीतू ने झेपते हुए बोली

"आरे नहीं यार वो कंप्यूटर पर काम कर रहा था तो धयान उधर ही था "
"ओह्ह कोई बात नहीं बड़े लोग कंप्यूटर पर काम करते है इसलिए हम जैसे छोटे मोटे लोगो को भूल जाते है "

"हाहाहा, नहीं ऐसा कुछ नहीं है, अच्छा बताओ कैसी हो " समीर ने बात बदली
"सब ठीक है, तू बता " आजकल तू अंकुश के साथ आता नहीं हमारे ग्रुप से मिलने " उसकी आवाज़ में हलकी सी शिकायत थी

"बस बिजी था इसलिए नहीं आपया, तुम बताओ खूब मौज मस्ती कर रहे तुम सब
"नहीं आजकल मैं नहीं जा पाती, मेरी बेस्ट फ्रैंड की शादी है उसी में थोड़ा बिजी हूँ, अब क्लासेज भी स्टार्ट होने वाली है तो उसकी भी तैयारी करनी है "

"ओह्ह्ह गुड, कोई बात नहीं शादी के बाद ही सही"
"हाँ यार देखते है, अच्छा समीर यार तुझसे एक काम था अगर तुझे कोई दिक्कत नहीं है तो "

"हाँ बोलो क्या हुआ ?"
"यार, एक्चुअली मेरी फ्रेंड की शादी है तो मैं और दीदी कुछ शॉपिंग के लिए लाजपत नगर गए थे, हमने वह से बहुत सारी शॉपिंग की, मैंने उसकी शादी के लिए एक बहुत महंगा सूट भी खरीद लिया लेकिन एक समस्या हो गयी "

"हाँ बोलो क्या समस्या हुई है "
"यार जो सूट मैंने पसंद किया था वो मेरी फिटिंग का नहीं था तो मैंने उन अंकल को फिटिंग करने के लिए दे दिया, उन्होंने कल देना था वो सूट फिटिंग करके "

"हाँ तो फिर दिक्कत क्या है " समीर को समझ नहीं आरहा था की नीतू आखिर चाहती क्या है
"आरे यार दिक्कत ये है की उनकी स्लिप मुझसे खो गयी "

"तो इसमें क्या दिक्कत है, वो बिना स्लिप के भी दे देंगे, ऐसा तो होता रहता है ?"
"वो तो दे देंगे, नहीं देंगे तो मैं तो पुलिस में फ़ोन कर दूंगी, चौदह हज़ार का है वो सूट "

"क्या चौदह हज़ार का? समीर को मुँह खुला का खुला रह गया, "अरे इतने में तो चौदह जोड़ी कपडे आजाते"
"अरे वो बात की बात है, पूरी बात तो सुन " नीतू ने टोका

"हाँ बोल "
"तो बात ऐसी है की उस स्लिप पर उनकी दूकान का नंबर और एड्रेस था, अब हम इतनी दुकानों और मार्किट पर गए थे की मुझे वो दूकान याद ही नहीं आरही है

"क्या तुम वहा गयी थी ? " समीर ने पूछा
"हाँ यार तभी तो टेंशन हो रही है, कल गयी थी, लेकिन वो तो मार्किट ही अलग लग रही है, मैं ढूंढ ढूंढ कर थक गयी "

"ओह्ह तो एक काम करो दीदी से पूछ लो उनको पता होगा " समीर ने सुझाया
"हाँ उनको पता होगा, लेकिन उनको नहीं बताना चाहती "

"वो क्यों ?" समीर ने पूछा
"अरे वो जिस दिन शॉपिंग के लिए गयी थी उसी दिन बोल रही थी की अब बड़ी हो गयी है कॉलेज जाने लगी है अब आगे से खुद ही अपनी शॉपिंग किया कर, तो मैंने भी बोल दिया था की आगे से नहीं बोलूंगी "

"ओह्ह तो इसका मतलब अब अगर दीदी से पूछोगी तो तुमको इंसल्ट फील होगी " समीर उसकी सिचुएशन समझ गया था
"बिलकुल यही बात है यार, इसीलिए उसके जब कोई ऑप्शन नहीं होगा तब ही पूछूँगी " नीतू ने समीर को समझाया

"तो अब मुझसे क्या चाहती हो" समीर ने जानना चाहा
"बस यही की तु अगर फ्री हो तो कल मेरी हेल्प कर दे उस शॉप को ढूंढने में" उसने समीर की हेल्प मांगी

"अच्छा ठीक है मैं हेल्प कर दूंगा, तुमने अच्छा किया की मुझे अभी कॉल कर दिया, मैं कल के लिए टाइम निकल लूंगा, लेकिन एक बात बताओ तुमने मुझे क्यों कॉल किया, अंकुश भी तो कर सकता था तुमहरी हेल्प और मेरा नंबर कहा से मिला तुमको ?

"अरे उस दिन प्लेटफॉर्म पर तृषा ने तुझे मेरे नंबर से कॉल किया था इसलिए मेरे फ़ोन में तुम्हारा नंबर रह गया था, और रही अंकुश की बात तो, अंकुश लफंदर टाइप लड़का है उस जैसे लड़के मुझे बिलकुल अच्छे नहीं लगते, उस दिन भी उसने तृषा को फॅसा दिया था ड्राफ्ट वाले मामले में और अगर तु मेरी हेल्प नहीं कर सकता तो मुझे क्लियर बता दे मैं कोई और रास्ता देख लुंगी" अंतिम के शब्द बोलते बोलते उसकी आवाज़ में रूखापन आगया था

"अरे मैंने कब मन किया, मैंने तो बस जिज्ञासावश पूछा था, ये कोई इतनी बड़ी बात नहीं है मुझे लाजपत नगर की मार्किट पता है, मैं हेल्प कर दूंगा" समीर ने उसे भरोसा दिलाया
"हाँ मैं जानती हूँ की यू अरे ऐ हेल्पफुल पर्सन, तो कल का पक्का फिर "

" हाँ पक्का, बस तुम एक काम करना मार्किट दस बजे तक पहुंच जाना, मैं भी आजाऊंगा, बाइक से आऊंगा, वहाँ से मैं बाइक पर तुमको पूरी मार्किट घुमा दूंगा, सुबह भीड़ नहीं होती तो शॉप्स अच्छे से नज़र आजायेगी " समीर ने नीतू को प्लान समझाया
"हाँ ठीक है मैं आजाऊंगी" कह कर उसने बात ख़तम कर दी और फ़ोन रख दिया

फ़ोन रख कर समीर ने सर पीट लिया, अभी थोड़े दिन पहले उसने तय किया था की अब इन लड़कियों से दूरी बनाएगा, लेकिन आज फिर एक लड़की से मिलने का प्लान बना लिया

"हद है यार आखिर कब मना करना सीखूंगा " समीर ने खुद से कहा और फिर लग गया जल्दी जल्दी काम निबटाने आखिर उसे कल का काम भी आज ही निबटना जो था।
 
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