बेरहम है तेरा बेटा-----१
अपडेट.......३
त भर सोहन का गांड मार मार कर थक चुका था, तो वह झोपड़े मे ही खाट पर लेट
कर सो गया, सुबह जब रजिदंर आया तो सोनू को जगाया, सोनू समय देखा तो करीब 11 बजे थे,
सोनू उठकर सिधा घर की तरफ़ चल देता है.....
डाक्टर साहिबा, अरे वो डाक्टर साहीबा एक आदमी आवाज लगाता है,
अंदर से एक खुबसुरत औरत ने दरवाजा खोला, जी कहीये क्या बात है,
डाक्टर साहिबा मेरी पत्नी की हालत बहुत खराब है, अस्पताल गया तो पता चला आप नयी
आयी है,
डाक्टर साहीबा-- जी हा मैं कल से अस्पताल आने वाली हू, लेकीन चलीये आपकी पत्नी की
हालत खराब है तो मेरा तो काम ही यही है, आप रुकीये मै अभी आती हू,
डाक्टर साहिबा अंदर से अपना मेडीकल का सामान ले के आती है, और अपने कार मे उस
आदमी को बिठा कर चल देती है,
बहुत जल्द ही कार गांव मे आके रुकती है, डाक्टर साहीबा उस आदमी के घर में
जाती है,
डाक्टर साहिबा-- अरे इन्हे तो ठंड लग गयी है, डरने की कोइ बात नही है, मैं
इन्हे इजेंक्शन दे देती हु, और ये दवाइया सुबह शाम देते रहना जल्द ही ठीक हो जायेगीं
डाक्टर साहिबा औरत को इजेंक्शन लाकने के बाद दवाइया देती है और औरत से.
डाक्टर साहिबा-- आपका नाम क्या है?
औरत-- मेरा नाम झुभरी है,
डाक्टर साहिबा-- और मेरा नाम पारुल है, मै आपके गांव की नयी डाक्टर हूं, अच्छा तो अब
मै चलती हू, इनको ठंड से बचाना और कल एक बार अस्पताल जरुर ले आना,
झुमरी का पती-- ठीक है मैडम, और पारुल का मेडीसीन बाक्स उठा कर बाहर आता है,
बाहर गांव वालो की भीड़ लगी थी, सब गांव वाले पारुल को नमस्ते करते है,
पारुल-- जी नमस्ते मेरा नाम पारुल है, और मै इस गांव की नयी डाक्टर हूं॥
पारुल-- अच्छा तो , आपका नाम
झुमरी का पती-- जी मेरा नाम बेचन है,
पारुल-- अच्छा तो बेचन जी मै चलती हू,
बेचन-- जी डाक्टर साहीबा कीतना पैसा हुआ॥
पारुल-- अरे बेचन जी मै सरकारी डाक्टर हूं, और ये दवाइया ,इलाज ये सब मुफ्त है, हमे सरकार से तनख्वाह मिलती है,
बेचन--लेकीन डाक्टर साहिबा इससे पहले जो डाक्टर था वो तो बिना पैसे का इलाज ही नही करता था॥
पारुल-- तो आप लोगो ने कंम्पलेन नही की॥
बेचन-- अब ये झंझट मे कौन पड़े, लेकीन अच्छा हुआ भगवान ने आपको हमारे गांव
मे भेजा, नही तो हम गरीब उसे पैसे देते देते बरबाद हो जाते,
पारुल-- अच्छा ठीक है, बेचन जी मैं चलती हू और हा कल झुमरी को अस्पताल लाना मत भुलना,
बेचन -- ठीक है डाक्टर साहीबा,
पारुल जाने लगती है तो उसकी कमर कभी इधर कभी उधर डोलती, गांव के पुरे जवान मर्द उसकी कमर ही देख रहे थे,
पारूल कार मैं बैठती है और कार चल देती है....
सोनू घर पहुचं जाता है, और सिधा खाट पर लेट जाता है...
सुनिता-- आ गया बेटा, रुक मैं खाना लाती हू,
सोनू-- अभी नही मां मै नहाने जा रहा हूं,
सुनिता-- ठीक है बेटा,
सोनू नहाने चला जाता है, नहाने के बाद सीधा खाना खाता है और सो जाता है....
सुनिता-- अरे मालती कहां है आज कल तू दिखाइ नही दे रही है,
मालती गांव की धोबन थी,
मालती-- अरे दिदी कपड़े धोने और सुखाने में पुरा वक्त निकल जाता है, कुछ कपड़े है धोने के लिये क्या?
सुनिता-- हा ठहर मैं देखती हू, और सुनिता अंदर से कुछ कपड़े ला कर मालती को देती है,
मालती-- अच्छा दिदी मैं चलती हू...और मालती अपने घर की तरफ़ निकल देती है,
सोनू उठ बेटा शाम हो गयी, सुनिता उसे जगाती है, सोनू सो कर उठता है और हैडंपम्प पर जा कर मुह हाथ धोने लगता है,
तभी सुनहरी वहां आ जाती है...
सुनहरी-- आ गया बेटा,
सुनिता-- हां दिदी वो तो कब का आया है,
सोनू सुनहरी को उसके पिछे आने का इशारा करता है, और वो घर की छत पर चला जाता है,
कुछ देर बाद सुनहरी भी छत पर आ जाती है,
सुनहरी के छत पे आते ही, सोनू उसे छत के कमरे ले के जाता है,
सुनहरी--तू मुझे छत पे क्यूं बुलाय ?
सोनू अपनी बड़ी अम्मा को अपनी बाहों मे भर लेता है,
सोनू-- तेरी लेने बड़ी अम्मा,
सुनहरी--क्या लेने बुलाया है,
सोनू-- तेरी बुर,
सुनहरी-- हे भगवान , तुझे शरम नही आती, अपनी बड़ी मां से ऐसे बात करते हुए,
सोनू अपने हाथो से उसके गांड को मसलते हुए-- हाय ये बड़ी अम्मा तेरी मोटी गांड देखकर शरम भुल गया, देख ना कैसे मेरा लंड फड़फड़ा रहा है, तेरी बुर के लिये,
सुनहरी-- आह बेटा, ऐसा मत कर सब निचे बैठे है,
सोनू-- अपनी साड़ी उठा के झुक जा ना बड़ी अम्मा जल्दी से चोद लू तुझे,
सुनहरी-- नही तू बेरहम है, तू मेरी चोद चोद के हालत खराब कर देगा, उस तीन रात को जब तू मेरी चुचींया बेरहमी से मसल रहा था, तभी मै जान गयी थी की तू रहम करने वालो में से नही है,
सोनू-- नही बड़ी अम्मा, आराम आराम से चोदूगा तूझे,
तभी निचे आवाज आती है, दिदी अरे ओ दीदी कहा हो तुम,
सुनहरी अपने आप को सोनू से छुड़ाती हुइ और हंसते हुए निचे भाग जाती है,
सोनू मन में- भाग साली कीतना भागेगी एक दीन तो तेरी बुर मैं ऐसे फाड़ुगां की तुझे पता चलेगा,
और फीर सोनू भी छत से नीचे आ जाता है,
बेचन अपनी औरत झुमरी के पास बैठा था,
बेचन-- कुछ आराम है, झुमरी
झुमरी-- हां डाक्टर साहीबा ने जब से दवा दीया है, आराम है,
बेचन--चल ठीक है कल अस्पताल चल कर एक बार डाक्टर साहिबा को दीखा देंगें॥
तभी बेचन की बेटी सीमा वहा आ जाती है,
(सीमा को बचपन से पोलीयो हुआ था, उसके सारे अग तो कमाल के थे, उसकी बड़ी बड़ी गोरी चुचीया, बड़ी और चौड़ी गांड, बस खाली उसके पैरों का विकास नही हुआ)
सीमा--बापू अब अम्मा की तबीयत कैसी है, वो निचे ज़मीन पर बैठे बैठे चल रही थी, और अपने बापू के करीब आ गयी,
बेचन-- अब थोड़ा ठीक है, कल एक बार अस्पताल मे दिखाने ले कर जाना है,
सीमा-- अच्छा बापू,
बेचन-- ये लो फीर से बारीश होने लगी,
सीमा-- हा बापू दो तीन दीन से तो मौसम ही खराब हो गया है,
अंधेरा होने लगा था, और ठंडी अपनी औकात पर थी, बेचन घर के ओसार में अपने औरत के पास बैठा था, और उसकी बेटी सीमा नीचे जमीन पर बैठी थी,
बेचन 40 साल का आदमी पिछले कुछ दीनो से उसकी औरत झुमरी की तबियत खराब होने के वजह से उसे चोद नही पा रहा था, उसका लंड भी सो चुका था,
तभी उसकी नज़र सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयों पर पड़ी जो उसके कमीज मे कसी हुइ थी,
तभी बेचन की मां वहां आ जाती है,
सुखीया(बेचन की मां-- अरे बेचन झुमरी को उठा खाना बना ली हैं मैने चलो सब लोग खा लो,
बेचन- ठीक है मां, और वो झुमरी को उठाता है,
झूमरी उठ कर बैठ जाती है, सुखीया उसे खाना दे देती है,
सुखीया-- सीपा तू जमीन पर ही खायेगी क्या, बेचन बेटा इसे उठा कर खाट पर बिठा जरा,
बेचन जैसे ही सीमा को गोद में उठाता है, वैसे ही बीजली चली जाती है,
सुखीया-- हे भगवान ये बिजली भी रोज यही समय पर जाती है, रुक मैं लालटेन लेके आती हू,
बेचन सीमा को अपनी बाहों मे उठाये वैसे ही खड़ा था, सीमा की बड़ी बड़ी चुचीयां बेचन के सीने पर दबी थी, जिससे बेचन का सोया हुआ लंड खड़ा होने लगता है,
सीमा बेचन के कान में-- बापू मुझे कब तक गोद में लीये रहोगे, निचे उतारो ना।
बेचन उसे गोद में लिये खाट पर बैठ जाता है, और उसके कान में कहता है,
बेचन-- बीटीया मैं तुझे जिदंगी भर गोद में लिये रहना चाहता हूं॥
सीमा बेचन के कान में-- तो लीये रहो ना बापू मना कीसने कीया है,
इतना सुनते ही बेचन का लंड फड़फड़ा कर खड़ा हो जाता है,
वो खाट पर बैठे अपना मुह सीमा के मुह में सटा देता है, उसे ताज्जुब होने लगता है, की सीमा खुद उसके मुह को जोर जोर से अपने मुह में भर कर चुसने लगती है,
तभी सुखीया लालटेन लेकर आ जाती है, बेचन और सीमा दोनो एक दुसरे में खोये हुए थे, उन दोनो को इतना भी नही पता की सुखीया आ चुकी है,
सुखीया जोर से-- बेचन,
बेचन हकपकाया और सीमा को अपने बगल खाट में बिठा कर उठ जाता है,
अच्छा हुआ झुमरी वापस से रज़ाइ ओढ़ कर लेट गयी थी, और वो ये सब नही देखी,
बेचन अपना सर झुकाये, वही खड़ा रहता है,
सुखीया-- अब खड़ा ही रहेगा या झुमरी को उठायेगा, और वो बेचन और सीमा को गुस्से से देखने लगती है,
बेचन झुमरी को उठाता है, और फीर सब लोग खाना खाते है....और फीर बिस्तर पर चले जाते है॥
आधी रात को सोनू की निंद खुलती है, तो पाता है की कोइ औरत उसके उपर लेटी उसके कान में सोनू उठ बेटा धिरे धिरे बोल रही थी,
सोनू-- तू आ गयी बड़ी अम्मा,
सुनहरी-- हां आ गयी,
सोनू सुनहरी की गांड पर जोर का थप्पड़ जड़ देता है,
सुनहरी-- आह बेरहम धिरे, नही तो फिर कोई आ जायेगा,
सोनू-- साली, मादरचोद पहले ये बता की तु छत पर से भागी क्यू थी,
सुनहरी सोनू के गाल पर चुमते हुए-- अरे मेरे राजा , तभी सब घर पर थे,
सोनू सुनहरी के बालो को कसकर खीचता हुआ, एक जोर का थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देता है,
सुनहरी-- आह, बेटा
सोनू-- कुतीया बोल अब कभी भागेगी,
सुनहरी-- नही बेटा, मेरे बाल आह, दर्द हो रहा है,
सोनू-- सुन कुतीया, कल दोपहर को सोहन के घर आ जाना वही चोदूगां तुझे,
सुनहरी-- मुझे अभी तेरा लंड चाहीये, बहुत दिन से लंड नही गया है मेरी बुर मे,
सोनू-- तू यहां मेरा लंड नही ले पायेगी, कुतीया जैसी चिल्लायेगी तो सब उठ जायेगें,
सुनहरी-- मुझे कुछ नही पता मुझे अभी तेरा लंड चाहीये,
सोनू- साली तूझे लंड चाहीए , चल नंगी हो जा फीर
सुनहरी झट से अपने साड़ी खोल देती है, और नंगी हो जाती है,
सोनू भी अपनी लूगीं उतार कर नगां हो जाता है,
सोनू सुनहरी को खाट पर लिटा देता है, और उसके दोनो टांगे चौड़ी कर हवा में उठा देता है, रात के अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था,
सुनहरी -- फाड़ दे बेटा अपनी बड़ी अम्मा की बुर,
सोनू उसकी टांगे उपर की तरह मोड़ता अपना लंड सुनहरी के बुर पर टीकाता है, और सुनहरी को मजबुती से पकड़ अपना मुह उसके मुह मे जकड़ कर जोर का धक्का मारता है,
सुनहरी को बुर खुलती जाती है, वो छटपटा भी रही थी लेकीन सोनू उसे मजबुती से पकड़े धक्के पर धक्का लगा रहा था, सुनहरी के नाक और मुह से जोर जोर से गूं गु गु की आवाज आ रही थी,
सोनू उसे जोर जोर से रात के अंधेरे मे चोद रहा था, और सुनहरी अपनी टागें उठाये सोनू का मोटा लंड झेल रही थी,
पुरे कमरे में खाट की आवाज़ और सुनहरी के पैरों के पायल की आवाजे आ रही थी,
सोनू अपना लंड पेले जा रहा था, तभी सुनहरी की बुर उसके लंड को जकड़ने लगी शायद सुनहरी झड़ रही थी, लेकीन सोनू उसे चोदता गया,
करीब 10 मिनट और चोदता रहा सुनहरी की बुर सोनू के लंड को दो बार और जकड़ी फीर अंत मे सोनू अपना लंड पुरा निकाल सुनहरी के बुर मे जोर का धक्का लगाते अपना पुरा गाढ़ा पानी उसके बुर में भरने लगता है,
अपना पुरा पानी नीकालने के बाद सोनू उसके उपर ही गीर जाता है,
सुनहरी-- आह मां, सोनू बेटा मेरी बुर तुने फाड़ डाली रे, कीतना बड़ा और मोटा है, ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक नही आया था,
सोनू-- साली तेरी बुर भी तो कसी कसी थी,
सुनहरी-- आह बेटा, तेरी मा की बुर मुझसे भी कसी है,
सोनू-- चुप कर रंडी, वो मेरी मां है,
सुनहरी-- अरे बेरहम, ऐसे चोदेगा तो सारी औरते तेरी रंडी ही बनेगी,
सोनू-- चल जा अब कल आ जाना सोहन के घर पर,
सुनहरी-- सोनू के गाल पर चुमती है, और कपड़े पहन अपने कमरे में चली जाती है....॥