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Vajradhikari bhai, bohot hi umda update diya hai qapne, sahi pahchanasnake Iceland hi eo jagah hai jaha sabse jyada saap paye jate hai, kale safed khane wala jagah konsa hai? Ye sochne wali baat hai, bhadra ki himmat use 2nd padaav to par karwa chuki hai dekhte hai 3sra padav kaisa or kitna bhayanak hoga awesome update again.अध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Shandar update sir but app hero ko jyada hi jaldi har cheez de rahe hoअध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Nice update...अध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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Bhai jaise ki update me hi mention Kiya hai ki woh koi mayavi jagah hai toh woh kahi bhi ho sakti haiVajradhikari bhai, bohot hi umda update diya hai qapne, sahi pahchanasnake Iceland hi eo jagah hai jaha sabse jyada saap paye jate hai, kale safed khane wala jagah konsa hai? Ye sochne wali baat hai, bhadra ki himmat use 2nd padaav to par karwa chuki hai dekhte hai 3sra padav kaisa or kitna bhayanak hoga awesome update again.