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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय छियासठ
इस वक्त सभी अस्त्र धारक और बाकी सभी मेरे ऐसे आकासमात अस्त्रों का त्याग करने से परेशान थे की तभी मैने अपने अगले फैसले के बारे में बता दिया जिससे वो सभी हैरान हो गए
मै :- आप सबको मे अपने अगले फैसले के बारे मे बताना चाहता हूँ कि मे आज से अगले 10 दिनों तक एक अज्ञात प्रवास पर जा रहा हूँ जहाँ मे अकेला जाऊंगा तब तक आप सभी मेरे कह मुकाबिक यहाँ पर बदलाव कर दीजियेगा क्योंकि मेरे वापस आते ही यहाँ पर एक ऐसा युद्ध रूपी हवन आरंभ होगा जिसमे हर किसी को अपने प्राणों को आहुति के रूप मृत्यु की अग्नि मे डालने होंगे
मेरे अचानक आश्रम छोड़कर 10 दिनों के लिए प्रवास पर जाने का सोचकर सभी और भी ज्यादा हैरान हो गए थे वो भी ऐसे प्रवास पर जिसकी न कोई मंजिल थी और न ही कोई रास्ता मालूम था
एक ऐसा अज्ञात प्रवास वो भी ऐसे समय पर जब युद्ध हमारे सर पर पहुँच गया है सभी लोग मेरे फैसले से हैरान थे लेकिन कोई कुछ बोल नही पा रहा था आखिर कार प्रिया ने थोड़ी हिम्मत रखते हुए वहाँ फैले सन्नाटे को खतम करने का फैसला किया
प्रिया :- भद्रा मे ये नही पूछूँगी की तुम क्यों जा रहे हो और न ही ये पूछूँगी की तुम कहाँ जा रहे हो मुझे यकीन है कि तुम जो भी करोगे उसमे सबका भला होगा भी मे ये कहना चाहती हूँki तुम जहाँ भी जा रहे हो वहाँ मे भी तुम्हारे साथ आऊँगी
मै :- नही प्रिया इस प्रवास पर मे अकेला ही जाऊंगा
प्रिया :- लेकिन
मै :- प्रिया तुमने मुझे वचन दिया था न की मेरे जीवन के हर अभियान में मेरा साथ दोगी
प्रिया :- हाँ याद है और उसी के लिए तो मे तुम्हारे साथ आना चाहती हूँ
मै :- लेकिन मुझे तुम्हारी मदद अज्ञात प्रवास मे नही बल्कि यहाँ आश्रम में जरूरत है
प्रिया :- ठीक है तुम चिंता मत करो मे सब संभाल लुंगी
अभी प्रिया को मैने शांत किया था कि तभी महागुरु मेरे सामने आ गए
महागुरु :- भद्रा अगर तुम्हारा ये प्रवास इतना जरूरी है तो तुमने अपनी सर्व शक्तिशाली ऊर्जा सप्तस्त्रों की ताकत का त्याग कर दिया ऐसा क्यों
मै :- क्योंकि सप्तस्त्रों की सात्विक ऊर्जा के साथ मे कुमार की तमसिक ऊर्जा का इस्तेमाल नही कर पा रहा हूँ और इस युद्ध मे मुझे सप्तस्त्रों के साथ कुमार की शक्तियों की भी जरूरत है इसीलिए में ये कदम उठाया (झूठ)
मेरे इस कारण के बाद सबके चेहरे से कुछ उलझन के भाव कम हो गए थे क्योंकि अब तक सबको या लगता हैं कि सात्विक और तमसिक शक्तियां कभी भी एक साथ नही हो सकते
और सबके इसी गलतफहमी का मैने फायदा उठाया मे उन्हे सच बता सकता था लेकिन ऐसा करने के लिए सप्तऋषियों ने मना किया था वो नही चाहते थे की मेरी असली ताकत और असली ऊर्जा का पता किसी को भी अंतिम युद्ध से पहले चले
मेरे सप्तस्त्रों के त्याग करने के पीछे दो प्रमुख कारण थे सबसे पहला तो ये की मुझे पता है की भले ही महासुरों के पुनर्जन्म लेने मे अभी 14 दिनों की अवधी अभी शेश है इस कालावधि मे भी असुर धरती पर आक्रमण कर सकते है
जिससे लढने के लिए इन सबको अस्त्रों की जरूरत होगी क्योंकि आम लोगों से भरी जगह पर कोई भी दिव्यस्त्र इस्तेमाल नही कर सकते और नही आम अस्त्रों से असुरों को कुछ फरक नही पड़ता
ऐसे हालत में ये सप्तस्त्रों की शक्ति ही हमारी सबसे बड़ी उम्मीद थी तो वही दूसरा कारण था कि अभी मेरे शरीर मे इतनी सप्तस्त्रों की ऊर्जा थी की मे बिना अस्त्रों के भी उनके शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता था
फिर कुछ देर और सबसे बात करने के बाद मे चल पड़ा अपने अज्ञात प्रवास के तरफ जहाँ मुझे उन 7 पड़ावों को पार करना था जिनके बारे मे मुझे कुछ भी ज्ञान नही था मे कुछ नही जानता था
बस इतना जानता था कि वो पड़ाव मुझे और मेरे काबिलियत को उसकी चरम सिमा तक परखेंगे जो मेरे लिए बिल्कुल भी आसान नही होने वाला था मेरे पास इस प्रवास को आगे बढ़ाने के लिये केवल 1 ही सुराग था
और वो थे वो चित्र जिनके बारे मे भी मुझे ज्यादा कुछ पता नही था बस इतना मालूम था कि वो जगह पृथ्वी पर ही है और जितना मैने भूगोल में पढ़ा है तो जरूर वो जगह इंडोनेशिया मे ही होगी
क्योंकि भूगोल के अनुसार इंडोनेशिया में दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं और यह दुनिया के उन स्थानों में से एक है जो प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के भीतर स्थित हैं
यह 25,000 मील (40,000 किमी) घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है जो प्रशांत महासागर की सीमा पर है इसीलिए इतना तो तय था की जो जगह मैने देखी ये वही जगह है
लेकिन अब सवाल ये था की वहाँ मौजूद इतने सारे ज्वालामुखी मेसे अपने काम का कोनसा है जब मुझे इस सवाल का जवाब नही मिला तो मैने उस समय पर छोड़ दिया और चल पड़ा इंडोनेशिया के प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के तरफ
वहाँ पहुँचकर मैंने देखा कि जितना मैने चित्र में देखा था उसके मुकाबले यहाँ कुछ ज्यादा ही आग भड़क रही है इन ज्वालामुखियों के अंदर पहले सिर्फ धुआ निकल रहा था लेकिन अब तो सीधे आग की लपेटे निकल रही है वो भी भयानक वाली
जो पूरे के पूरे इंसान की हड्डी के साथ पिघला दे तो वही जहां मैं खड़ा था बहा कि जमीन तक गर्म होने लगी थी जबकी में मुख्य ज्वालामुखी से 5 किमी दूर खड़ा था जमीन का तापमान बहुत बढ़ चुका था
जमीन का तापमान कितना था इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है जब मे वहाँ के मुख्य ज्वालामुखी तक पहुंचा तो वहाँ की गर्मी ने ही संकेत दे दिया की यही मेरी मंजिल है
वहाँ गर्मी ऐसी थी की मानो मे ज्वालामुखी के पास नही बल्कि उसके भीतर खड़ा हूँ तो वही जब मैने उस ज्वालामुखी के चोटी पर जाके उसकी गहराई नापने की कोशिश की तो मुझे उसके अंदर केवल अंधकार दिख रहा था
मै (मन मे) :- ज्वालामुखी गहरा कितना है ये बताना तो घास मे सुई ढूँढने से भी ज्यादा मुश्किल है
लेकिन ये मुझे करना तो था ही इसलिए मैं उड़ता हुआ उसके अंदर कुछ दूरी तक पहुंच गया और जब मे वहाँ से नीचे देखने लगा तो मुझे वहाँ आग के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था
इसलिए मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह
गया
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi behtreen update and story hai apkiअध्याय छियासठ
इस वक्त सभी अस्त्र धारक और बाकी सभी मेरे ऐसे आकासमात अस्त्रों का त्याग करने से परेशान थे की तभी मैने अपने अगले फैसले के बारे में बता दिया जिससे वो सभी हैरान हो गए
मै :- आप सबको मे अपने अगले फैसले के बारे मे बताना चाहता हूँ कि मे आज से अगले 10 दिनों तक एक अज्ञात प्रवास पर जा रहा हूँ जहाँ मे अकेला जाऊंगा तब तक आप सभी मेरे कह मुकाबिक यहाँ पर बदलाव कर दीजियेगा क्योंकि मेरे वापस आते ही यहाँ पर एक ऐसा युद्ध रूपी हवन आरंभ होगा जिसमे हर किसी को अपने प्राणों को आहुति के रूप मृत्यु की अग्नि मे डालने होंगे
मेरे अचानक आश्रम छोड़कर 10 दिनों के लिए प्रवास पर जाने का सोचकर सभी और भी ज्यादा हैरान हो गए थे वो भी ऐसे प्रवास पर जिसकी न कोई मंजिल थी और न ही कोई रास्ता मालूम था
एक ऐसा अज्ञात प्रवास वो भी ऐसे समय पर जब युद्ध हमारे सर पर पहुँच गया है सभी लोग मेरे फैसले से हैरान थे लेकिन कोई कुछ बोल नही पा रहा था आखिर कार प्रिया ने थोड़ी हिम्मत रखते हुए वहाँ फैले सन्नाटे को खतम करने का फैसला किया
प्रिया :- भद्रा मे ये नही पूछूँगी की तुम क्यों जा रहे हो और न ही ये पूछूँगी की तुम कहाँ जा रहे हो मुझे यकीन है कि तुम जो भी करोगे उसमे सबका भला होगा भी मे ये कहना चाहती हूँki तुम जहाँ भी जा रहे हो वहाँ मे भी तुम्हारे साथ आऊँगी
मै :- नही प्रिया इस प्रवास पर मे अकेला ही जाऊंगा
प्रिया :- लेकिन
मै :- प्रिया तुमने मुझे वचन दिया था न की मेरे जीवन के हर अभियान में मेरा साथ दोगी
प्रिया :- हाँ याद है और उसी के लिए तो मे तुम्हारे साथ आना चाहती हूँ
मै :- लेकिन मुझे तुम्हारी मदद अज्ञात प्रवास मे नही बल्कि यहाँ आश्रम में जरूरत है
प्रिया :- ठीक है तुम चिंता मत करो मे सब संभाल लुंगी
अभी प्रिया को मैने शांत किया था कि तभी महागुरु मेरे सामने आ गए
महागुरु :- भद्रा अगर तुम्हारा ये प्रवास इतना जरूरी है तो तुमने अपनी सर्व शक्तिशाली ऊर्जा सप्तस्त्रों की ताकत का त्याग कर दिया ऐसा क्यों
मै :- क्योंकि सप्तस्त्रों की सात्विक ऊर्जा के साथ मे कुमार की तमसिक ऊर्जा का इस्तेमाल नही कर पा रहा हूँ और इस युद्ध मे मुझे सप्तस्त्रों के साथ कुमार की शक्तियों की भी जरूरत है इसीलिए में ये कदम उठाया (झूठ)
मेरे इस कारण के बाद सबके चेहरे से कुछ उलझन के भाव कम हो गए थे क्योंकि अब तक सबको या लगता हैं कि सात्विक और तमसिक शक्तियां कभी भी एक साथ नही हो सकते
और सबके इसी गलतफहमी का मैने फायदा उठाया मे उन्हे सच बता सकता था लेकिन ऐसा करने के लिए सप्तऋषियों ने मना किया था वो नही चाहते थे की मेरी असली ताकत और असली ऊर्जा का पता किसी को भी अंतिम युद्ध से पहले चले
मेरे सप्तस्त्रों के त्याग करने के पीछे दो प्रमुख कारण थे सबसे पहला तो ये की मुझे पता है की भले ही महासुरों के पुनर्जन्म लेने मे अभी 14 दिनों की अवधी अभी शेश है इस कालावधि मे भी असुर धरती पर आक्रमण कर सकते है
जिससे लढने के लिए इन सबको अस्त्रों की जरूरत होगी क्योंकि आम लोगों से भरी जगह पर कोई भी दिव्यस्त्र इस्तेमाल नही कर सकते और नही आम अस्त्रों से असुरों को कुछ फरक नही पड़ता
ऐसे हालत में ये सप्तस्त्रों की शक्ति ही हमारी सबसे बड़ी उम्मीद थी तो वही दूसरा कारण था कि अभी मेरे शरीर मे इतनी सप्तस्त्रों की ऊर्जा थी की मे बिना अस्त्रों के भी उनके शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता था
फिर कुछ देर और सबसे बात करने के बाद मे चल पड़ा अपने अज्ञात प्रवास के तरफ जहाँ मुझे उन 7 पड़ावों को पार करना था जिनके बारे मे मुझे कुछ भी ज्ञान नही था मे कुछ नही जानता था
बस इतना जानता था कि वो पड़ाव मुझे और मेरे काबिलियत को उसकी चरम सिमा तक परखेंगे जो मेरे लिए बिल्कुल भी आसान नही होने वाला था मेरे पास इस प्रवास को आगे बढ़ाने के लिये केवल 1 ही सुराग था
और वो थे वो चित्र जिनके बारे मे भी मुझे ज्यादा कुछ पता नही था बस इतना मालूम था कि वो जगह पृथ्वी पर ही है और जितना मैने भूगोल में पढ़ा है तो जरूर वो जगह इंडोनेशिया मे ही होगी
क्योंकि भूगोल के अनुसार इंडोनेशिया में दुनिया में सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं और यह दुनिया के उन स्थानों में से एक है जो प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के भीतर स्थित हैं
यह 25,000 मील (40,000 किमी) घोड़े की नाल के आकार का क्षेत्र है जो प्रशांत महासागर की सीमा पर है इसीलिए इतना तो तय था की जो जगह मैने देखी ये वही जगह है
लेकिन अब सवाल ये था की वहाँ मौजूद इतने सारे ज्वालामुखी मेसे अपने काम का कोनसा है जब मुझे इस सवाल का जवाब नही मिला तो मैने उस समय पर छोड़ दिया और चल पड़ा इंडोनेशिया के प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के तरफ
वहाँ पहुँचकर मैंने देखा कि जितना मैने चित्र में देखा था उसके मुकाबले यहाँ कुछ ज्यादा ही आग भड़क रही है इन ज्वालामुखियों के अंदर पहले सिर्फ धुआ निकल रहा था लेकिन अब तो सीधे आग की लपेटे निकल रही है वो भी भयानक वाली
जो पूरे के पूरे इंसान की हड्डी के साथ पिघला दे तो वही जहां मैं खड़ा था बहा कि जमीन तक गर्म होने लगी थी जबकी में मुख्य ज्वालामुखी से 5 किमी दूर खड़ा था जमीन का तापमान बहुत बढ़ चुका था
जमीन का तापमान कितना था इसका अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है जब मे वहाँ के मुख्य ज्वालामुखी तक पहुंचा तो वहाँ की गर्मी ने ही संकेत दे दिया की यही मेरी मंजिल है
वहाँ गर्मी ऐसी थी की मानो मे ज्वालामुखी के पास नही बल्कि उसके भीतर खड़ा हूँ तो वही जब मैने उस ज्वालामुखी के चोटी पर जाके उसकी गहराई नापने की कोशिश की तो मुझे उसके अंदर केवल अंधकार दिख रहा था
मै (मन मे) :- ज्वालामुखी गहरा कितना है ये बताना तो घास मे सुई ढूँढने से भी ज्यादा मुश्किल है
लेकिन ये मुझे करना तो था ही इसलिए मैं उड़ता हुआ उसके अंदर कुछ दूरी तक पहुंच गया और जब मे वहाँ से नीचे देखने लगा तो मुझे वहाँ आग के अलावा कुछ नहीं दिख रहा था
इसलिए मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह
गया
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आज के लिए इतना ही
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Bhai iska jawab to update me hi hai 2 reasonBohot hi umda update bhai, bhadra ka shareer chamakna, uska roop badalna ye sab kya or kyu hua ye samjh me aaya, lekin saath astra apne guruo ko dena ye kaise or kyu hua ye dekhne wali baar hai? Aage kya hota hai
Awesome update and superb writing again![]()
Nice and superb update....अध्याय सड़सठ
मैंने अपने हाथों को जॊडा और अपनी अग्नि शक्ति को जागृत किया और उसके अगले ही पल में ज्वालामुखी के मुँह में तेजी से घुस गया और जब मुझे अपने पैरों तले जमीन का आभास हुआ
तो मैने तुरंत अपनी आँखे खोल दी और जैसे ही मैंने अपनी आंखों को खोला तो मैं सामने का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि मैंने जब अपनी आंखें खोलीं तो मुझे कोई अलग ही जगह दिख रही थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे ये ज्वालामुखी सिर्फ एक रास्ता है और ये रास्ता जा किधर रहा था ये तो पता नहीं था लेकिन ये जगह थी बड़ी ख़तरनाक जहाँ बाहर में एक ज्वालामुखी से डर रहा था और यहाँ इस जगह पर तो हर तरफ आग ही आग थी
हर जगह छोटे छोटे ज्वालामुखी फट रहे थे गर्म लावा बह रहा था बल्की ये कहना गलत नहीं होगा कि उसी गर्म लावा की नदी बह रही थी जो हर चीज़ को पिघला रही थी इस पल मैं झूठ नहीं बोलूंगा
मुझे गर्मी लग रही थी आग की तपिश मुझे महसुस हो रही थी ऐसा लग रहा था जैसे इस जगह पर आते ही मेरी ताकत गायब हो गई है या अब मुझे ये ऐसा ही करना होगा बिना किसी शक्ति के जो करना असंभव था
ये लावा मुझे पल भर में पिघला देगा ये बात मुझे अच्छे से पता थी लेकिन हमें अस्त्र को हासिल करना है तो ये तो सहना ही पड़ेगा फिर चाहे कुछ भी क्यू ना हो जाए.
मैंने अपनी आँखों को बंद कर दिये और सबसे पहले आदिदेव का स्मरण किया फिर अपने सभी गुरु और माता पिता का स्मरण किया जिससे मेरे अंदर एक नई ताकत का जनम हुआ
ये नई ताकत संकेत था कि मैं अब तैयार हूं आगे बढ़ने के लिए अब मैंने चारो तरफ ध्यान से देखना शुरू किया आख़िर कहा हो सकता है अगला पत्र तो मेरी नज़र लावा की नदी में एक जगह पर रुकी
लावा के बिल्कुल बीचो बीच एक बेहद ही चमकदार चीज़ तैर रही थी ये देखकर मुझे समझ आया कि यही है मेरी मंज़िल लेकिन मुश्किल तो अब शुरू होने वाली थी क्योंकि वो लावा के एकदम बीच में था
और वहाँ तक पहुंचने का कोई और रास्ता भी नहीं दिख रहा था सिवाय एक के और वो था की मैं तैर कर वहाँ तक जाऊ जो संभव नहीं था वहाँ तक पहुंचने से पहले ही मैं पिघल जाऊंगा किसी आइसक्रीम की तरह
लेकिन आगे तो बढ़ना ही था इसीलिए मैंने अपने हाथो को जोड़ा वहाँ खड़े खड़े ही ध्यान लगाना शुरू किया अभी मे ध्यान में ही था की तभी मुझे मेरे आँखों के सामने कुछ दृश्य दिखने लगे
ये दृश्य उस वक़्त के थे जब मेरे सपने में गुरु अग्नि मुझे शिक्षा दे रहे थे जहाँ उन्होंने मुझे अग्नि से जोड़ने के एक छलावे का निर्माण किया था जिसमे मे एक ऐसे कमरे मे था
जिसे चारों तरफ से एक भयानक अग्नि ने घेर लिया था जिससे बचने का एक ही रास्ता था उस भयानक अग्नि के अंदर कूद कर दूसरे बाजू चले जाना जहाँ गुरु अग्नि खड़े थे
गुरु अग्नि :- क्या कर रहे हो कुमार जल्दी से आग मे कुदिये आप जितनी देर करोगे उतनी ही ये अग्नि भयानक रूप लेगी
मैं- तो मै क्या करूं गुरु अग्नि ये आग मुझे भस्म कर देगी. मैं आपकी तरफ कभी पहुँच ही नहीं पाऊंगा
गुरु अग्नि :- ये सब इसलिए तुम्हे लग रहा है क्योंकि तुम हद से ज्यादा डर रहे हो और एक बात हमेशा याद रखना की अग्नि डर को महसुस कर लेती है और तुम्हारे उसी डर को सच बना देती है. इसलिए तुम्हें ये सब लग रहा है की तुम कभी भी यहाँ पहुँच ही नहीं पाओगे तुम्हें अपने मन से डर को निकलना होगा वर्ना सच में तुम वही भस्म हो जाओगे.
मैं :- मैं पूरी तरह से कोशिश कर रहा हूं गुरु अग्नि परंतु पता नहीं क्यों ये डर मुझे परेशान कर रहा है मै अपने शक्तियों को एकाग्र नही कर पा रहा हूँ
गुरु अग्नि:-- ध्यान लगाओ कुमार याद है न तुम्हे गुरु जल ने क्या कहाँ था अस्त्र तुम्हे शक्तिशाली नही बनाते बल्कि तुम अस्त्रों को शक्तिशाली बनाते हो अपने उपर विश्वास करो
इसी के साथ मेरा ध्यान टूट गया और जब मैने अपनी आँखे खोली तो मेरे आँखों में डर नही था और न ही चेहरे पर किसी भी तरह की परेशानी थी
बल्कि चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी और फिर धीरे धीरे मे आगे बढ़ने लगा और फिर जो हुआ वो बहुत ही आश्चर्य जनक था मे उस दहकते हुए लावा पर ऐसे चल रहा था कि जैसे मे किसी लाल रंग की कालीन पर चल रहा हूँ
और ऐसे ही चलते हुए मुझे कुछ हो नही रहा था लेकिन मेरे कपड़े जलने जरूर लगे थे जिसके बाद मै ऐसे ही चलते हुए मै तुरंत उस दूसरे बक्शे तक पहुँच गया था
और उस बक्शे को पाते ही मै पूरी तेजी से उड़ते हुए उस ज्वालामुखी से बाहर निकल गया और जैसे ही मे वहाँ से बाहर निकला मैने तुरंत कुमार के वस्त्रों को धारण कर लिया
केवल वस्त्रों को धारण किया था उसके रूप को नही और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे भी पहले की तरह एक पत्र था जिसे छूते ही वो खुल गया और हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश भद्रा हमे पता था की तुम इस संदेश तक पहुँच जाओगे अब तुम्हे इस संदेश पत्र को भी पहले पत्र के तरह संभालकर रखना है और अब तुमने अजेय अस्त्र की तरफ एक और कदम आगे बढ़ चुके हो पर याद रखना हर पड़ाव पहले पड़ाव से और भी ज्यादा खतरनाक और मुश्किल होगा अब तीसरे पडाव तक पहुँचने के लिए तुम्हारी सहायता ये संदेश ही करेगा
मेरे इतना पढ़ते ही वो पत्र और बक्शा दोनों धुआँ बनकर गायब हो गए और उस धुए ने एक गोलाकार रूप ले लिया और उस रूप मे मुझे कुछ चित्र दिखने लगे वो चित्र दिखने मे बड़े खतरनाक लग रहे थे
ऐसा लग रहा था की जैसे उस जगह पर कोई तूफ़ान आया है हर तरफ तबाही मची हुई थी जमीन पर कुछ अजीबो गरीब निशान बने हुए थे और जब मैने उन अजीबोगरीब निशानों को ध्यान से देखा
तो मेरे हाँथ पाँव कांपने लगे क्योंकि वो निशान कुछ और नही बल्कि साँप थे वो भी हज़ारों की तादाद में थे जिन्हे देखकर अभी मे सोच ही रहा था कि तभी वो दृश्य बदल गए
और मेरे सामने एक और जगह दिखने लगी जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था ये जगह मुझे अजीब दिख रही थी
क्योंकि एक तरफ जहाँ पर पुराने दृश्य किसी न किसी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित थे तो वही ये दृश्य मुझे मायावी लग रहा था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी
और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी और फिर वो दृश्य भी गायब हो गए और साथ मे ही वो गोलाकार धुआ भी गायब हो गया था
जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)
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आज के लिए इतना ही
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