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Bohot hi badhiya update tha vajradhikari bhaiअध्याय इकहत्तर
मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया
जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया
वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया
जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था
जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास
इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो
और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता
उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था
ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी
मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था
की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था
और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे
वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे
ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी
गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी
ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया
तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया
और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया
और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था
अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला
तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो
उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा
संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो
मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा
संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता
उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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Nice and superb update....अध्याय इकहत्तर
मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया
जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया
वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया
जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था
जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास
इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो
और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता
उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था
ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी
मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था
की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था
और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे
वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे
ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी
गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी
ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया
तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया
और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया
और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था
अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला
तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो
उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा
संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो
मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा
संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता
उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय इकहत्तर
मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया
जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया
वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया
जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था
जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास
इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो
और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता
उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था
ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी
मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था
की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था
और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे
वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे
ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी
गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी
ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया
तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया
और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया
और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था
अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला
तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो
उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा
संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो
मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा
संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता
उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय इकहत्तर
मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था
और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया
जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया
वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया
जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था
जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया
संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास
इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो
और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता
उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था
ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी
मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था
की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था
और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे
वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे
ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी
गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी
ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया
तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया
और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया
और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था
अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला
तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया
संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो
उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा
संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो
मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा
संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता
उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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