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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Tri2010

Well-Known Member
2,007
1,894
143
अध्याय बहत्तर

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

अभी मे जिस जगह पर था उसका वर्णन करना नामुमकिन था क्योंकि उसमे वर्णन करने जैसा कुछ था ही नही हर तरफ खाली बंजर पड़ा मैदान हर तरफ रेत और पत्थर के सिवा और कुछ नही था

अभी मे उस जगह को देखकर अपने दिमाग मे योजना बना रहा था की तभी वहाँ की जमीन धीरे धीरे हिलने लगी और मुझे वहाँ किसी के घूर्राने की आवाज सुनाई देने लगी

और जब मैने उस आवाज का पीछा किया तो वहाँ देखकर मेरी हालत खराब होने लगी क्योंकि इस वक्त मेरे सामने एक 50 फीट से ज्यादा लंबा और चौडा एक भेड़िया था जिसके मुह से लार जैसा कुछ निकल कर गिर रहा था

और जहां जहां वो लार गिर रहा थी वहां से काले रंग का धुआं निकल रहा था जिसे देखकर मे यहाँ की जमीन के बंजर होने का रहस्य तो जान गया था

लेकिन अब मे ये नही समझ पा रहा था की मे इस भेड़िये को कैसे हराउ अभी मे उसे हराने के बारे मे सोच रहा था कि तभी मुझे एक झटका और लगा

भेड़िया :- वाह इतने लंबे समय के बाद की मानव यहाँ तक पहुँच पाया है आज तो इस मानव का माँस खाने मे बड़ा मज़ा आयेगा

मै उसकी आवाज सुन कर दंग रह गया था क्योंकि उसकी आवाज मे दरिंदगी साफ झलक रही थी न सिर्फ उसकी दरिंदगी बल्कि जब भी वो अपना मुह खोलता

तो उसके वो सफेद और नुकीले दात उन्हे देखकर ऐसा लगता कि जैसे उन दातों के बीच मे ही मे फँस के मर जाऊंगा मे अभी कुछ और कर पाता उससे पहले ही उस भेड़िये ने मुझे अपने पैरों के नीचे कुचलना चाहा

लेकिन उसका पैर मुझ पर पड़ता की उससे पहले ही मे वहाँ कूद कर बाजू हट गया लेकिन फिर भी उसके पैर के जमीन से टकराने से वहाँ जो हलचल निर्माण हुई थी

उस हलचल की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था जिसे मैने बड़ी मुश्किल से संभाल लिया था और उसके बाद अब मे भी तैयार था उसके उपर हमला करने के लिए यहाँ एक बात अच्छी थी

की मे यहाँ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुलकर कर सकता हूँ और सबसे पहले मैने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को अपने सप्तचक्रों मै प्रवाहित करना आरंभ कर दिया और जब मेरी ऊर्जा के कारण मेरे सप्तचक्र जाग्रुत हो गए

तो मैने उन चक्रों की ऊर्जा के मदद से सर्व प्रथम अपने आकार को इतना बढ़ा दिया जिससे अब मे उस भेड़िये की आँखों मे आँखे डालकर युद्ध कर सकता था

तो वही मेरा आकार बढ़ता देख उस भेड़िये के भी चेहरे पर अब मुझे उलझन दिख रही थी और जैसे ही उसकी आँखो मे मुझे हैरत दिखी वैसे ही मैने अपने घुसे से उसके चेहरे पर मैने एक झबरदस्त घुसा जड़ दिया

जिससे वो दो कदम पीछे हो गया जो देखकर मेरी और उस भेड़िये दोनों की भी आँखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि मैने जो उसे घुसा जड़ा था उसमे मैने उतनी ही ताकत डाली थी

जितनी मैने उस दीवार को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की थी मुझे लगा था कि इतनी ताकत मे उसका काम निपट जायेगा लेकिन वो तो सिर्फ 2 कदम ही पीछे गया तो वही

भेड़िया (मन में) :- ये मानव आखिर है कौन जिसने मुझे महान कुरुमा को एक घुसे मे दो कदम पीछे ढकेल दिया इसे कम नही समझना चाहिए (मुझसे) तुम कोई साधारण बालक नही लग रहे हो कौन हो तुम जिसने इस महान कुरुमा को भी 2 कदम पीछे धकेल दिया

मै :- तेरा बाप हूँ मे कुरुमा

इतना बोलके में अपने एक हात मे तलवार को प्रकट किया और सीधा उसके उपर तलवार से हमला कर दिया लेकिन वो भी बड़ा फ़ुर्तिला था वो तुरंत मेरी तलवार से बचता हुआ बाजू मे कूद गया

और जैसे ही वो बाजू मे हुआ वैसे ही उसने मुझे पर भयानक अग्नि से वार कर दिया जिससे मे बच तो गया लेकिन उससे मे नीचे गिर गया

कुरुमा :- क्या हुआ बच्चे लगी तो नही

उसकी ये बात मेरे दिल में लग गयी जिससे अब मे अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा और अब मैंने उस परदो तरफ़ा हमले की सोची

जिसके लिए मैंने फिर से एक बार तलवार का आह्वान किया तलवार हाथ में आते ही मैंने उसके सर की तरफ फेंक दिया जिससे वो तलवार उस कुरुमा के एक सिर के सामने रुक गई

और फिर मैने अपनी जल शक्ति को तलवार मे प्रवाहित मे कर दिया जिससे उस तलवार मे से पूरी ताकत से पानी निकल कर भेड़िये की तरफ बढ़ने लगा उस भेड़िये ने ऐसा कुछ होगा सोचा भी नही था

जिस कारण ये ताकत उसके हिसाब से बहुत खतरनाक थी, और इसीलिए जब वो पानी भेड़िये को लगा तो वो पीछे जाने लगा और मे भी इसी का इंतज़ार कर रहा था

जैसे ही वो उस पानी की धार से उलझने मे व्यस्त हो गया था तो मे दौड़ते हुए उस भेड़िये के पीछे पहुंचा.उसके पीछे पहुंच कर मैंने एक जोर की छलांग लगाई

और अपने हाथ मे शिबू की तलवार को याद किया और एक ही झटके मे उस भेड़िये कुरुमा के एक सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मे जोर जोर से चिल्लाने लगा

मै :- क्यों कुरुमा अब लगी क्या तुझे

मै अभी ये बोल ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई कसकर बांध रहा है और जब मैने ध्यान दिया तो ये उस भेड़िये की पूछ थी जो मुझे लपेट अपने मे लपेट रही थी

मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने ऊपर देखा तो एक नया झटका मेरा इंतजार कर रहा था उस भेड़िये का सर जो मैंने काट दिया था उसकी जगह एक नये सर ने ले ली थी ये देखकर मेरा पूरा आत्मविश्वास ही ख़त्म हो गया था

इधर वो भेड़िये की पूछ किसी सांप की तरह मेरे इर्द गिर्द मेरे शरीर पर कसती जा रही थी जिसके बाद मैने मुश्किल से अपने दर्द को काबू मे किया और उसे अपनी ऊर्जा मे तब्दील कर दिया

जिससे ये परिणाम हुआ की जहाँ मैं अभी भी भेड़िये की दुम में फ़सा हुआ था लेकिन अब मुझे ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था जिसके बाद मैने अपना दिमाग लगाया और फिर मैने अपने अग्नि अस्त्र की शक्ति जाग्रुत कर दी

जिससे अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

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Awesome update
 
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Smith_15

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❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖💖
Update 73
 
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park

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Hello Bhai log aur unki bahan log ummid karta hoon sab kushal mangal honge sabse pahle toh aap sabka bahut bahut dhanyawad jo aapne mujhe aur meri story ko itna pyaar Diya hai kripaya karke aise hi pyaar barsate rahiyega ab aaye hai mudde ki baat par pichle kuch dino se mere saath kuch aise kaand ho rahe hai jisse ab meri mental health stable nahi hai jisse is story ko lekar ab mujhe kuch bhi sujh nahi raha hai jise aap log writer's block bhi kah sakte ho jis kaaran ab ye story ko me jald hi khatam karne wala hoon like next 6 to 7 Update me kahani ka the end ho jayega shayad end me aap logon ko khas maja na aaye lekin I promise you ki ke apne new project me sari shikayate khatam kar dunga
Nice and superb update....
 
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parkas

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अध्याय बहत्तर

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

अभी मे जिस जगह पर था उसका वर्णन करना नामुमकिन था क्योंकि उसमे वर्णन करने जैसा कुछ था ही नही हर तरफ खाली बंजर पड़ा मैदान हर तरफ रेत और पत्थर के सिवा और कुछ नही था

अभी मे उस जगह को देखकर अपने दिमाग मे योजना बना रहा था की तभी वहाँ की जमीन धीरे धीरे हिलने लगी और मुझे वहाँ किसी के घूर्राने की आवाज सुनाई देने लगी

और जब मैने उस आवाज का पीछा किया तो वहाँ देखकर मेरी हालत खराब होने लगी क्योंकि इस वक्त मेरे सामने एक 50 फीट से ज्यादा लंबा और चौडा एक भेड़िया था जिसके मुह से लार जैसा कुछ निकल कर गिर रहा था

और जहां जहां वो लार गिर रहा थी वहां से काले रंग का धुआं निकल रहा था जिसे देखकर मे यहाँ की जमीन के बंजर होने का रहस्य तो जान गया था

लेकिन अब मे ये नही समझ पा रहा था की मे इस भेड़िये को कैसे हराउ अभी मे उसे हराने के बारे मे सोच रहा था कि तभी मुझे एक झटका और लगा

भेड़िया :- वाह इतने लंबे समय के बाद की मानव यहाँ तक पहुँच पाया है आज तो इस मानव का माँस खाने मे बड़ा मज़ा आयेगा

मै उसकी आवाज सुन कर दंग रह गया था क्योंकि उसकी आवाज मे दरिंदगी साफ झलक रही थी न सिर्फ उसकी दरिंदगी बल्कि जब भी वो अपना मुह खोलता

तो उसके वो सफेद और नुकीले दात उन्हे देखकर ऐसा लगता कि जैसे उन दातों के बीच मे ही मे फँस के मर जाऊंगा मे अभी कुछ और कर पाता उससे पहले ही उस भेड़िये ने मुझे अपने पैरों के नीचे कुचलना चाहा


लेकिन उसका पैर मुझ पर पड़ता की उससे पहले ही मे वहाँ कूद कर बाजू हट गया लेकिन फिर भी उसके पैर के जमीन से टकराने से वहाँ जो हलचल निर्माण हुई थी

उस हलचल की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था जिसे मैने बड़ी मुश्किल से संभाल लिया था और उसके बाद अब मे भी तैयार था उसके उपर हमला करने के लिए यहाँ एक बात अच्छी थी

की मे यहाँ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुलकर कर सकता हूँ और सबसे पहले मैने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को अपने सप्तचक्रों मै प्रवाहित करना आरंभ कर दिया और जब मेरी ऊर्जा के कारण मेरे सप्तचक्र जाग्रुत हो गए

तो मैने उन चक्रों की ऊर्जा के मदद से सर्व प्रथम अपने आकार को इतना बढ़ा दिया जिससे अब मे उस भेड़िये की आँखों मे आँखे डालकर युद्ध कर सकता था


तो वही मेरा आकार बढ़ता देख उस भेड़िये के भी चेहरे पर अब मुझे उलझन दिख रही थी और जैसे ही उसकी आँखो मे मुझे हैरत दिखी वैसे ही मैने अपने घुसे से उसके चेहरे पर मैने एक झबरदस्त घुसा जड़ दिया

जिससे वो दो कदम पीछे हो गया जो देखकर मेरी और उस भेड़िये दोनों की भी आँखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि मैने जो उसे घुसा जड़ा था उसमे मैने उतनी ही ताकत डाली थी

जितनी मैने उस दीवार को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की थी मुझे लगा था कि इतनी ताकत मे उसका काम निपट जायेगा लेकिन वो तो सिर्फ 2 कदम ही पीछे गया तो वही

भेड़िया (मन में) :- ये मानव आखिर है कौन जिसने मुझे महान कुरुमा को एक घुसे मे दो कदम पीछे ढकेल दिया इसे कम नही समझना चाहिए (मुझसे) तुम कोई साधारण बालक नही लग रहे हो कौन हो तुम जिसने इस महान कुरुमा को भी 2 कदम पीछे धकेल दिया

मै :- तेरा बाप हूँ मे कुरुमा

इतना बोलके में अपने एक हात मे तलवार को प्रकट किया और सीधा उसके उपर तलवार से हमला कर दिया लेकिन वो भी बड़ा फ़ुर्तिला था वो तुरंत मेरी तलवार से बचता हुआ बाजू मे कूद गया

और जैसे ही वो बाजू मे हुआ वैसे ही उसने मुझे पर भयानक अग्नि से वार कर दिया जिससे मे बच तो गया लेकिन उससे मे नीचे गिर गया

कुरुमा :- क्या हुआ बच्चे लगी तो नही

उसकी ये बात मेरे दिल में लग गयी जिससे अब मे अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा और अब मैंने उस परदो तरफ़ा हमले की सोची


जिसके लिए मैंने फिर से एक बार तलवार का आह्वान किया तलवार हाथ में आते ही मैंने उसके सर की तरफ फेंक दिया जिससे वो तलवार उस कुरुमा के एक सिर के सामने रुक गई

और फिर मैने अपनी जल शक्ति को तलवार मे प्रवाहित मे कर दिया जिससे उस तलवार मे से पूरी ताकत से पानी निकल कर भेड़िये की तरफ बढ़ने लगा उस भेड़िये ने ऐसा कुछ होगा सोचा भी नही था

जिस कारण ये ताकत उसके हिसाब से बहुत खतरनाक थी, और इसीलिए जब वो पानी भेड़िये को लगा तो वो पीछे जाने लगा और मे भी इसी का इंतज़ार कर रहा था

जैसे ही वो उस पानी की धार से उलझने मे व्यस्त हो गया था तो मे दौड़ते हुए उस भेड़िये के पीछे पहुंचा.उसके पीछे पहुंच कर मैंने एक जोर की छलांग लगाई

और अपने हाथ मे शिबू की तलवार को याद किया और एक ही झटके मे उस भेड़िये कुरुमा के एक सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मे जोर जोर से चिल्लाने लगा

मै :- क्यों कुरुमा अब लगी क्या तुझे

मै अभी ये बोल ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई कसकर बांध रहा है और जब मैने ध्यान दिया तो ये उस भेड़िये की पूछ थी जो मुझे लपेट अपने मे लपेट रही थी


मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने ऊपर देखा तो एक नया झटका मेरा इंतजार कर रहा था उस भेड़िये का सर जो मैंने काट दिया था उसकी जगह एक नये सर ने ले ली थी ये देखकर मेरा पूरा आत्मविश्वास ही ख़त्म हो गया था

इधर वो भेड़िये की पूछ किसी सांप की तरह मेरे इर्द गिर्द मेरे शरीर पर कसती जा रही थी जिसके बाद मैने मुश्किल से अपने दर्द को काबू मे किया और उसे अपनी ऊर्जा मे तब्दील कर दिया


जिससे ये परिणाम हुआ की जहाँ मैं अभी भी भेड़िये की दुम में फ़सा हुआ था लेकिन अब मुझे ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था जिसके बाद मैने अपना दिमाग लगाया और फिर मैने अपने अग्नि अस्त्र की शक्ति जाग्रुत कर दी

जिससे अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and lovely update....
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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17,174
144
Nice and superb update....
Bhai pahle padh toh lete har jagah nice and superb update nahi likhte kuch information hoti hai use padhkar acknowledge karna hota hai information part update nahi hota😆😆😆😆
 

kas1709

Well-Known Member
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अध्याय बहत्तर

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

अभी मे जिस जगह पर था उसका वर्णन करना नामुमकिन था क्योंकि उसमे वर्णन करने जैसा कुछ था ही नही हर तरफ खाली बंजर पड़ा मैदान हर तरफ रेत और पत्थर के सिवा और कुछ नही था

अभी मे उस जगह को देखकर अपने दिमाग मे योजना बना रहा था की तभी वहाँ की जमीन धीरे धीरे हिलने लगी और मुझे वहाँ किसी के घूर्राने की आवाज सुनाई देने लगी

और जब मैने उस आवाज का पीछा किया तो वहाँ देखकर मेरी हालत खराब होने लगी क्योंकि इस वक्त मेरे सामने एक 50 फीट से ज्यादा लंबा और चौडा एक भेड़िया था जिसके मुह से लार जैसा कुछ निकल कर गिर रहा था

और जहां जहां वो लार गिर रहा थी वहां से काले रंग का धुआं निकल रहा था जिसे देखकर मे यहाँ की जमीन के बंजर होने का रहस्य तो जान गया था

लेकिन अब मे ये नही समझ पा रहा था की मे इस भेड़िये को कैसे हराउ अभी मे उसे हराने के बारे मे सोच रहा था कि तभी मुझे एक झटका और लगा

भेड़िया :- वाह इतने लंबे समय के बाद की मानव यहाँ तक पहुँच पाया है आज तो इस मानव का माँस खाने मे बड़ा मज़ा आयेगा

मै उसकी आवाज सुन कर दंग रह गया था क्योंकि उसकी आवाज मे दरिंदगी साफ झलक रही थी न सिर्फ उसकी दरिंदगी बल्कि जब भी वो अपना मुह खोलता

तो उसके वो सफेद और नुकीले दात उन्हे देखकर ऐसा लगता कि जैसे उन दातों के बीच मे ही मे फँस के मर जाऊंगा मे अभी कुछ और कर पाता उससे पहले ही उस भेड़िये ने मुझे अपने पैरों के नीचे कुचलना चाहा


लेकिन उसका पैर मुझ पर पड़ता की उससे पहले ही मे वहाँ कूद कर बाजू हट गया लेकिन फिर भी उसके पैर के जमीन से टकराने से वहाँ जो हलचल निर्माण हुई थी

उस हलचल की वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था जिसे मैने बड़ी मुश्किल से संभाल लिया था और उसके बाद अब मे भी तैयार था उसके उपर हमला करने के लिए यहाँ एक बात अच्छी थी

की मे यहाँ अपनी शक्तियों का इस्तेमाल खुलकर कर सकता हूँ और सबसे पहले मैने अपनी संपूर्ण ऊर्जा को अपने सप्तचक्रों मै प्रवाहित करना आरंभ कर दिया और जब मेरी ऊर्जा के कारण मेरे सप्तचक्र जाग्रुत हो गए

तो मैने उन चक्रों की ऊर्जा के मदद से सर्व प्रथम अपने आकार को इतना बढ़ा दिया जिससे अब मे उस भेड़िये की आँखों मे आँखे डालकर युद्ध कर सकता था


तो वही मेरा आकार बढ़ता देख उस भेड़िये के भी चेहरे पर अब मुझे उलझन दिख रही थी और जैसे ही उसकी आँखो मे मुझे हैरत दिखी वैसे ही मैने अपने घुसे से उसके चेहरे पर मैने एक झबरदस्त घुसा जड़ दिया

जिससे वो दो कदम पीछे हो गया जो देखकर मेरी और उस भेड़िये दोनों की भी आँखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि मैने जो उसे घुसा जड़ा था उसमे मैने उतनी ही ताकत डाली थी

जितनी मैने उस दीवार को तोड़ने के लिए इस्तेमाल की थी मुझे लगा था कि इतनी ताकत मे उसका काम निपट जायेगा लेकिन वो तो सिर्फ 2 कदम ही पीछे गया तो वही

भेड़िया (मन में) :- ये मानव आखिर है कौन जिसने मुझे महान कुरुमा को एक घुसे मे दो कदम पीछे ढकेल दिया इसे कम नही समझना चाहिए (मुझसे) तुम कोई साधारण बालक नही लग रहे हो कौन हो तुम जिसने इस महान कुरुमा को भी 2 कदम पीछे धकेल दिया

मै :- तेरा बाप हूँ मे कुरुमा

इतना बोलके में अपने एक हात मे तलवार को प्रकट किया और सीधा उसके उपर तलवार से हमला कर दिया लेकिन वो भी बड़ा फ़ुर्तिला था वो तुरंत मेरी तलवार से बचता हुआ बाजू मे कूद गया

और जैसे ही वो बाजू मे हुआ वैसे ही उसने मुझे पर भयानक अग्नि से वार कर दिया जिससे मे बच तो गया लेकिन उससे मे नीचे गिर गया

कुरुमा :- क्या हुआ बच्चे लगी तो नही

उसकी ये बात मेरे दिल में लग गयी जिससे अब मे अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा और अब मैंने उस परदो तरफ़ा हमले की सोची


जिसके लिए मैंने फिर से एक बार तलवार का आह्वान किया तलवार हाथ में आते ही मैंने उसके सर की तरफ फेंक दिया जिससे वो तलवार उस कुरुमा के एक सिर के सामने रुक गई

और फिर मैने अपनी जल शक्ति को तलवार मे प्रवाहित मे कर दिया जिससे उस तलवार मे से पूरी ताकत से पानी निकल कर भेड़िये की तरफ बढ़ने लगा उस भेड़िये ने ऐसा कुछ होगा सोचा भी नही था

जिस कारण ये ताकत उसके हिसाब से बहुत खतरनाक थी, और इसीलिए जब वो पानी भेड़िये को लगा तो वो पीछे जाने लगा और मे भी इसी का इंतज़ार कर रहा था

जैसे ही वो उस पानी की धार से उलझने मे व्यस्त हो गया था तो मे दौड़ते हुए उस भेड़िये के पीछे पहुंचा.उसके पीछे पहुंच कर मैंने एक जोर की छलांग लगाई

और अपने हाथ मे शिबू की तलवार को याद किया और एक ही झटके मे उस भेड़िये कुरुमा के एक सिर को उसके धड़ से अलग कर दिया जो देखकर मे जोर जोर से चिल्लाने लगा

मै :- क्यों कुरुमा अब लगी क्या तुझे

मै अभी ये बोल ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई कसकर बांध रहा है और जब मैने ध्यान दिया तो ये उस भेड़िये की पूछ थी जो मुझे लपेट अपने मे लपेट रही थी


मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने ऊपर देखा तो एक नया झटका मेरा इंतजार कर रहा था उस भेड़िये का सर जो मैंने काट दिया था उसकी जगह एक नये सर ने ले ली थी ये देखकर मेरा पूरा आत्मविश्वास ही ख़त्म हो गया था

इधर वो भेड़िये की पूछ किसी सांप की तरह मेरे इर्द गिर्द मेरे शरीर पर कसती जा रही थी जिसके बाद मैने मुश्किल से अपने दर्द को काबू मे किया और उसे अपनी ऊर्जा मे तब्दील कर दिया


जिससे ये परिणाम हुआ की जहाँ मैं अभी भी भेड़िये की दुम में फ़सा हुआ था लेकिन अब मुझे ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था जिसके बाद मैने अपना दिमाग लगाया और फिर मैने अपने अग्नि अस्त्र की शक्ति जाग्रुत कर दी

जिससे अब मेरे पूरे शरीर से अग्नि निकलने लगी जिसे वो कुरुमा ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने अपनी पकड़ को ढीला कर दिया जिसके बाद मैंने एक ऊंची छलांग मारी और कुरुमा के ठीक सामने खड़ा हो गया

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 
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dhparikh

Well-Known Member
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Hello Bhai log aur unki bahan log ummid karta hoon sab kushal mangal honge sabse pahle toh aap sabka bahut bahut dhanyawad jo aapne mujhe aur meri story ko itna pyaar Diya hai kripaya karke aise hi pyaar barsate rahiyega ab aaye hai mudde ki baat par pichle kuch dino se mere saath kuch aise kaand ho rahe hai jisse ab meri mental health stable nahi hai jisse is story ko lekar ab mujhe kuch bhi sujh nahi raha hai jise aap log writer's block bhi kah sakte ho jis kaaran ab ye story ko me jald hi khatam karne wala hoon like next 6 to 7 Update me kahani ka the end ho jayega shayad end me aap logon ko khas maja na aaye lekin I promise you ki ke apne new project me sari shikayate khatam kar dunga
Nice update....
 

Shanu

Deadman786
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188
Bro tum jese chaho vese story ki ending kro....lekin next project jabardast hona chahiye
 
115
21
18
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय इकहत्तर

मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया

जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया

वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया

जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था

जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया

संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास

इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो


और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता

उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था

ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी

मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था

की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था

और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे

वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे

ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया


तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया

और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया

और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था

अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला


तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया

संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो

उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा

संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो

मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा

संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

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आज के लिए इतना ही

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